Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

रस का शाब्दिक अर्थ है – निचोड़। रस काव्य की आत्मा है। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनंद की अनुभूति होती है उसे रस कहा जाता है। विभाव, अनुभाव तथा संचारी भावों के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है।

रस के चार अंग या अवयव हैं :

  1. स्थायी भाव
  2. विभाव
  3. अनुभाव
  4. संचारी भाव

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

स्थायी भाव : स्थायी भाव का तात्पर्य है प्रधान भाव। जो भावना स्थिर और सार्वभौम होती है उसे स्थायी भाव कहते हैं। स्थायीं भाव से ही रस का जन्म होता है। स्थायी भाव 11 माने गए हैं और रसों की संख्या भी 11 मानी जाती हैं। वे इस प्रकार हैं :

रस स्थायी भाव
1. शृंगार रति (प्रेम)
2. शांत निर्वेद
3. करूण शोक
4. हास्य हास
5. वीर उत्साह
6. रौद्र क्रोध
7. भयानक भय
8. बीभत्स घृणा, जुगुप्सा
9. अद्भुत आश्चर्य
10. वात्सल्य ममत्व
11. भक्ति अनुराग

विभाव : जो व्यक्ति, वस्तु अन्य व्यक्ति के हृदय में भाव जगाते हैं उन्हें विभाव कहते हैं। इनके आश्रय से ही रस प्रकट होते हैं। ये दो तरह के होते हैं – आलंबन विभाव तथा उद्दीपन विभाव। जिसका सहारा पाकर स्थायी भाव जगते हैं उसे आलंबन विभाव कहते हैं और जिन वस्तुओं या परिस्थितियों को देखकर स्थायी भाव उद्दीप्त होते हैं उन्हें उद्दीपन विभाव कहते हैं।

अनुभाव : वे गुण और क्रियाएँ जिनसे रस का बोध होता है अनुभाव कहलाते हैं। इनकी संख्या 8 मानी गई हैं – स्तंभ, स्वेद, रोमांच, स्वर भंग, कंप, विवर्णता (रंगहीनता), अश्रु, प्रलय। वाणी और अभिनय द्वारा इनसे अर्थ प्रकट होता है।

संचारी भाव : मन में संचरण करने वाले अर्थात आने-जाने वाले भावों को संचारी भाव कहते हैं। ये भाव पानी के बुलबुलों की तरह उठते और विलीन हो जाते हैं। इनकी संख्या 33 मानी गई है। हर्ष, विषाद, भय, लज्जा, ग्लानी, चिंता, शंका, मोह, गर्व, उत्सुकता, उग्रता, निद्रा, स्वप्न, आलस्य, मद, उन्माद आदि।

वात्सल्य रस : जब काव्य में अपनों से छोटों के प्रति स्नेह या ममत्व का भाव अभिव्यक्त होता है, वहाँ वात्सल्य रस का निर्माण होता है। माता का पुत्र के प्रति स्नेह, बड़ों का बच्चों के प्रति प्रेम, गुरु का शिष्य के प्रति प्रेम, भाई का भाई के प्रति या बहन का भाई के प्रति स्नेह आदि की परिपुष्टि होकर वात्सल्य रस का निर्माण होता है।

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वात्सल्य रस के अंग (अवयव)

  • स्थायी भाव : ममत्व, वत्सलता।
  • अवलंबन : पुत्र, शिशु, शिष्य आदि।
  • उद्दीपन : बाल लीलाएँ, बाल हठ आदि।
  • अनुभाव : बालक को गोद में लेना, थपथपाना, सिर पर हाथ फेरना आदि।

संचारी भाव : हर्ष, गर्व, मोह, चिंता, आवेश आदि।
उदा. :
मैया मोहिं दाऊ बहुत खिझायो।
मोसो कहत मोल को लीन्हों तू जसुमति कब जायो।।

– सूरदास

मधुरता मय था मृदु बोलना।
अमृत सिंचित सी मुस्कान थी।
समद थी जनमानस मोहती।
कमल लोचन की कमनीयता।।

– अयोध्यासिह उपाध्याय ‘हरिऔध’

वीर रस : किसी पद में वर्णित प्रसंग हमारे हृदय में ओज, उमंग, उत्साह का भाव उत्पन्न करते हैं, तब वीर रस का निर्माण होता है। ये भाव शत्रुओं के प्रति विद्रोह, अधर्म, अत्याचार का विनाश असहायों को कष्ट से मुक्ति दिलाने में व्यंजित होते हैं।

वीर रस के अंग (अवयव)

  • स्थायी भाव : उत्साह।
  • अवलंबन : अत्याचारी शत्रु।
  • उद्दीपन : शत्रु का पराक्रम, शत्रु का अहंकार, रणभेरी, यश की इच्छा आदि।
  • अनुभाव : गर्वपूर्ण उक्ति, प्रहार, रोमांच आदि।
  • संचारी भाव : आवेग, उग्रता, गर्व, चपलता आदि।

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उदा. :
आजादी की राह चले तुम,
सुख से मुख को मोड़ चले तुम,
“नहीं रहूँ परतंत्र किसी का’
तेरा घोष अति प्रखर है
राजा तेरा नाम अमर है।

– डॉ. जयंत निर्वाण

बुझी राख मत हमें समझना, अंगारों के गोले हैं।
देश आन पर मिटने वाले, हम बारूदी शोले हैं।

– सुरेंद्रनाथ सिंह

करूण रस : किसी प्रियजन या इष्ट के कष्ट, शोक, दुख, मृत्युजनित प्रसंग के कारण अथवा किसी प्रकार की अनिष्ट आशंका के कारण हृदय में पीड़ा या क्षोभ का भाव उत्पन्न होता है, वहाँ करूण रस की अभिव्यंजना होती है।

करूण रस के अंग (अवयव)

  • स्थायी भाव : शोक।
  • आलंबन : विनष्ट व्यक्ति अथवा वस्तु आदि।
  • उद्दीपन : आलंबन का दाहकर्म, इष्ट के गुण तथा उससे संबंधित वस्तुओं का वर्णन आदि।
  • अनुभाव : भूमि पर गिरना, नि:श्वास, छाती पीटना, रूदन, प्रलाप, मूर्छा, कंप आदि।
  • संचारी भाव : निर्वेद, मोह, व्याधि, ग्लानि, स्मृति श्रम, विषाद, जड़ता, दैन्य, उन्माद आदि।

उदा. :
हाय राम कैसे झेलें हम अपनी लज्जा अपना शोक,
गया हमारे ही हाथों से अपना राष्ट्र पिता परलोक

– अज्ञात

मरते कोमल वत्स यहाँ
बचती न जवानी परदेशी!
माया के मोहक वन की
क्या कहूँ कहानी परदेशी?

– रामधारी सिंह ‘दिनकर’

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हास्य रस : जब काव्य में किसी की विचित्र वेशभूषा, अटपटी आकृति, क्रिया कलाप, रूप-रंग, वाणी एवं व्यवहार को देखकर, सुनकर, पढ़कर हृदय में हास्य का भाव उत्पन्न होता है, वहाँ हास्य रस की निर्मिति होती है। स्वभावत: सबसे अधिक सुखात्मक रस है यह।

हास्य रस के अंग (अवयव)

  • स्थायी भाव : हास
  • आलंबन : विकृत वेशभूषा, आकार एवं चेष्टाएँ
  • उद्दीपन : आलंबन की अनोखी आकृति, बातचीत, चेष्टाएँ आदि।
  • अनुभाव : आश्रय की मुस्कान, नेत्रों का मिचमिचाना, अट्टाहास आदि।
  • संचारी भाव : हर्ष, आलस्य, निद्रा, चपलता, कंपन, उत्सुकता

उदा. :
मच्छर, खटमल और चूहे घर मेरे मेहमान थे,
मैं भी भूखा और भूखे ये मेरे भगवान थे।
रात को कुछ चोर आए, सोचकर चकरा गए
हर तरफ चूहे ही चूहे, देखकर घबरा गए।

– हुल्लड़ मुरादाबादी

सुबह से शाम तक पप्पू जप रहा भगवान का नाम।
खा रहा बार-बार बादाम, लगा रहा कोई बाम।।
घर वाले समझ गए कि आ गया है एग्जाम।
आ गया है एग्जाम अत: पप्पू का सिर है जाम।।

– सुरेंद्र रघुवंशी

भयानक रस : जब काव्य में भयानक वस्तुओं या दृश्यों के प्रत्यक्षीकरण के फल स्वरूप हृदय में भय का भाव उत्पन्न होता है, तब भयानक रस की अभिव्यंजना होती है। इसके अंतर्गत कंपन, पसीना छूटना, मुँह सूखना, चिंता आदि भाव उत्पन्न होते हैं।

भयानक रस के अंग (अवयव)

  • स्थायी भाव : भय
  • आलंबन : भयंकर पशु, स्थान, वस्तु के दर्शन आदि।
  • उद्दीपन : भयानक वस्तु का स्वर, भयंकर स्वर, ध्वनि, चेष्टाएँ, डरावना पन आदि।
  • अनुभाव : कंपन, पसीना छूटना, मुँह सूखना, चिंता होना, रोमांच, मूर्छा, पलायन, रूदन आदि।
  • संचारी भाव : दैन्य, सभ्रम, चिंता, सम्मोह आदि।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

उदा. :
चिंग्घाड भगा भय से हाथी,
लेकर अंकुश पिलावन गिरा।
झटका लग गया, फटी झालर
हौदा गिर गया, निशान गिरा।।

– अज्ञात

आगे पहाड़ को पा धारा रूकी हुई है।
बल-पुंज केसरी की ग्रीवा झुकी हुई है।
अग्निस्फुलिंग रज का बुझ ढेर हो रहा है।
है रो रही जवानी, अंधेर हो रहा है।

– रामधारी सिंह ‘दिनकर’

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest अपठित काव्यांश Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi अपठित काव्यांश

1. पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
सूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।

मुख से न कभी उफ कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं,
जो आ पड़ता सब सहते हैं,
उद्योग निरत नित रहते हैं,

शूलों का मूल नशाने को,
बढ़ खुद विपत्ति पर छाने को।

है कौन विघ्न ऐसा जग में,
टिक सके आदमी के मग में?
खम ठोंक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पाँव उखड़।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए –
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 2

पद्यांश- सच है विपत्ति जब ……………………………………………… पर्वत के जाते पाँव उखड़। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र.111)

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए –
(i) विपत्ति में ऐसा साहस नहीं
(ii) वीर पुरुष के ताल ठोकने का परिणाम –
उत्तरः
(i) विपत्ति में ऐसा साहस नहीं – वीर पुरुष की राह में अवरोध बनकर खड़ रहने का
(ii) वीर पुरुष के ताल ठोकने का परिणाम – पर्वत का घमंड चकनाचूर हो जाता है

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ सरल हिंदी में लिखिए
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश राष्ट्रकवि ‘दिनकर’जी की कविता ‘सच्चा वीर’ से लिया गया है। इस पद्यांश में कवि ने सच्चे वीर के लक्षण बताए हैं।

विपत्ति केवल डरपोक व्यक्ति को ही भयभीत करती है। कायर विपत्ति से डरकर अपने पाँव मार्ग से पीछे खींच लेता है। लेकिन वीर पुरुष विपत्ति के सामने डटे रहते हैं। संकट में ही वीर पुरुष के धैर्य की परीक्षा होती है। बड़ा से बड़ा संकट आने पर भी वीर पुरुष घबराते नहीं।

वे अपना धैर्य और संयम बनाए रखते हैं। वे आने वाली विघ्न – बाधाओं के सामने चट्टान की तरह अडिग खड़े रहते हैं। वीर पुरुष विकट परिस्थितियों में भी संकटों से संघर्ष करते हैं और उनसे बाहर निकलने का रास्ता ढूँढ़ निकालते हैं। वे संकटों पर विजय हासिल करके ही दम लेते हैं।

वीर पुरुष संकटों से कभी प्रभावित नहीं होते। वे संकटों में न तो कभी ऊफ करते हैं और न ही संकटों के सामने कभी झुकते हैं। मंजिल की राह में आने वाली विघ्न – बाधाओं को जड़ से समाप्त कर उन पर विजय पाने के लिए वे निरंतर प्रयत्न करते रहते हैं।

संसार में ऐसी कोई भी बाधा नहीं है, जो वीर पुरुष की राह में अवरोध बनकर खड़ी होने का साहस कर सके। वीर पुरुष जब ताल ठोंककर साहस से आगे बढ़ते हैं, तो उनके सामने पर्वत भी नहीं ठहर पाते। वे पर्वत के घमंड को चकना चूर कर आगे बढ़ते हैं।

2. पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी भर देखी
पकी-सुनहली फसलों की मुसकाने

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

– बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद
अब की मैं जी भर सुन पाया
ध्यान कूटती किशोरियों की कोकिल कंठी तान

– बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी भर सूंघे
मौलसिरी के ढेर-ढेर से ताज़े-टटके फूल

– बहुत दिनों के बाद

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए –
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 3
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 4

(ii) पद्यांश में आया फूल का नाम –
उत्तरः
पद्यांश में आया फूल का नाम – मौलसिरी

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

पद्यांश: बहुत दिनों के बाद ………………………………….. ताज़े-टटके फूल। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 115)

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए –
(i) फसलों की विशेषता –
(ii) फूलों की विशेषता –
उत्तर:
(i) फसलों की विशेषता – पकी-सुनहली
(ii) फूलों की विशेषता – ढेर सारे और ताज़े-टटके

प्रश्न 3.
पद्यांश में वर्णित प्राकृतिक सुषमा का वर्णन कीजिए।
उत्तरः
प्रस्तुत पद्यांश कवि नागार्जुन की कविता ‘बहुत दिनों के बाद’ कविता से लिया गया है। कवि बहुत दिनों के बाद अपने गाँव लौटा। गाँव की प्राकृतिक सुषमा देखकर कवि का मन झूम उठा। कवि ने गाँव के खेतों में पकी-सुनहली फसलें देखी। गाँव की किशोरियाँ धान कूट रही थीं।

उनके कंठ से निकले मधुर गीत कोकिल के मधुर तान की तरह प्रतीत हो रहे थे। इन मधुर गीतों को सुनकर वह संतुष्ट हो गए। कवि ने अनुभव किया कि शहरी बनावटी जीवन की अपेक्षा प्राकृतिक सुषमा से युक्त इस ग्रामीण जीवन की सादगी कितनी सुकून देती है। गाँव के मौलसिरी के ताजे-ताजे सुगंधित फूलों के ढेर देखकर वह प्रफुल्लित हुआ।

इस प्रकार गाँव में चारों ओर प्राकृतिक सुषमा बिखरी हुई थी जो कवि को तृप्ति और आनंद प्रदान कर रही थी।

3. पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए

तू क्यों बैठ गया है पथ पर?
ध्येय न हो, पर है मग आगे,
बस धरता चल तू पग आगे,
बैठ न चलने वालों के दल में तू आज तमाशा बनकर!

तू क्यों बैठ गया है पथ पर?
मानव का इतिहास रहेगा
कहीं, पुकार-पुकार कहेगा –
निश्चय था गिर मर जाएगा चलता किंतु रहा जीवन भर!

तू क्यों बैठ गया है पथ पर?
जीवित भी तू आज मरा-सा
पर मेरी तो यह अभिलाषा
चितानिकट भी पहुँच सकूँ अपने पैरों-पैरों चलकर!

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए –
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 5
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 6

पद्यांशः तू क्यों बैठ गया ………………………………… अपने पैरों-पैरों चलकर! (पाठ्पुस्तक पृष्ठ क्र. 118)

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए –
(i) कवि द्वारा मनुष्य को पूछा गया सवाल –
(ii) कवि की अभिलाषा –
उत्तरः
(i) कवि द्वारा मनुष्य को पूछा गया सवाल – ‘तू क्यों बैठ गया है पथ पर’
(ii) कवि की अभिलाषा – ‘चलते-चलते अपनी चितानिकट पहुँचने की’

प्रश्न 3.
पद्यांश का संदेश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
‘तू क्यों बैठ गया है पथ पर’ कविता में कवि ने जीवन-पथ पर चलते – चलते हताश और निराश हो बैठ जाने वालों से कहा है कि जीवन में सतत् क्रियाशील बने रहना आवश्यक है। लक्ष्य से विमुख होकर कायरों की तरह निष्क्रिय बैठे रहना अनुचित है। ऐसे व्यक्ति जीवित रहते मृतक के समान हैं।

समाज में उपहास के पात्र बने ऐसे लोग निरर्थक जीवन जीते हैं। इसके विपरीत उत्साही व्यक्ति दृढ़ संकल्प और मजबूत इरादे के साथ निरंतर आगे बढ़ता है और अपना लक्ष्य प्राप्त करता है। उसे न तो मृत्यु का भय होता है, न ही पथ से गिरने की चिंता।

ऐसे शूरवीर और साहसी का गुणगान इतिहास भी करता है। वे सदा के लिए इतिहास में अमर हो जाते हैं। उनके आदर्श हमेशा जीवित रहते हैं। आने वाली पीढ़ी उनका अनुसरण करती है।

इस तरह प्रस्तुत कविता के द्वारा कवि ने मनुष्य को हताशा और निराशा त्यागकर लक्ष्य के प्रति आस्थावान बने रहने और जीवन पथ की चुनौतियों से संघर्ष करते हुए निरंतर आगे बढ़ते रहने का संदेश दिया है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

4. पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

हो-हो भैया पानी दो,
पानी दो गड़धानी दो;
जलती है धरती पानी दो
मरती है धरती पानी दो

हो मेरे भैया..!!

अंकुर फूटे रेत में
सोना उपजे खेत में,
बैल पियासा, भूखी है गैया,
नीचे न अंगना में सोन-चिरैया,
फसल-बुवैया की उठे मुडैया,
मिट्टी को चूनर धानी दो

हो मेरे भैया…!!

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए –
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 7
उत्तर:
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 8

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए –
(i) पानी बरसने का धरती पर परिणाम –
(ii) पानी बरसने पर मिट्टी को मिलेगी –
उत्तर:
(i) पानी बरसने का धरती पर परिणाम – तपती धरती को राहत मिलेगी, फसलें उगेंगी।
(ii) पानी बरसने पर मिट्टी को मिलेगी – धानी चूनर

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ सरल हिंदी में लिखिए।
उत्तरः
प्रस्तुत पद्यांश, गोपालदास सक्सेना ‘नीरज’ जी की कविता ‘पानी दो’ से लिया गया है। कवि बादल भैया से पानी की माँग कर रहे है।

नीरज जी बादल भैया से कह रहे हैं, ‘हे बादल भैया, तुम धरती पर जल बरसाओ, धरतीवासियों को गुड़धानी दो। पानी के अभाव में सबकुछ सूना है। तुम जल बरसाकर तपती धरती और सूखती वनस्पतियों को जीवनदान दो। तुम्हारे जल बरसाने से रेत में अंकुर फूटेंगे, खेतों में हरियाली छा जाएगी।

खेतों में फसलें लहलहा उठेगी। हे बादल भैया, पानी के बिना किसान का बैल प्यासा है और गाय भूखी है। किसान का आँगन सूना हो चुका है। अब उसमें सोन-चिरैया फुदकने नहीं आती। हे बादल, जल बरसाओ, जिससे किसान के घर में खुशहाली आए। उसकी टूटी-फूटी मडैया पर छाजन पड़ सके। हे बादल, पानी बरसाकर तुम धरती को हरी-भरी कर दो, मिट्टी को हरी चुनरिया पहना दो।

5. पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

आज सड़कों पर लिखे हैं सैकड़ों नारे न देख,
घर अँधेरा देख तू, आकाश के तारे न देख!

एक दरिया है यहाँ पर, दूर तक फैला हुआ,
आज अपने बाजुओं को देख, पतवारें न देख।

अब यकीनन ठोस है धरती, हकीक़त की तरह,
यह हकीकत देख, लेकिन खौफ़ के मारे न देख।

प्रश्न 1.
चौखट पूर्ण कीजिए –
कवि ने देखने के लिए कहा है – कवि ने न देखने के लिए कहा है
(1) ………………………………. – (1) ……………………………….
(2) ………………………………. – (2) ……………………………….
(3) ………………………………. – (3) ……………………………….
उत्तरः
कवि ने देखने के लिए कहा है। – कवि ने न देखने के लिए कहा है
(1) घर के अँधेरे को – (1) आकाश के तारे
(2) अपनी बाजुओं को – (2) सड़कों पर लिखे नारे
(3) हकीकत को – (3) पतवार

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए –
(i) आकाश के तारे’ देखने से कवि का तात्पर्य –
(ii) धरती के बारे में कवि की राय –
उत्तरः
(i) ‘आकाश के तारे’ देखने से कवि का तात्पर्य है सच्चाई से दूर भागना।
(ii) धरती के बारे में कवि की राय है कि धरती ठोस है।

प्रश्न 3.
पद्यांश द्वारा मिलने वाली प्रेरणा अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तरः
प्रस्तुत पद्यांश कवि दुष्यंत कुमार जी की लिखी गजल ‘दीवारें न देख’ से लिया गया है। कवि मनुष्य के जीवन की हताशा, निराशा को समाप्त कर उसे एक नई दृष्टि देना चाहता है। आम तौर पर मनुष्य का झुकाव चमक-दमक की ओर अधिक होता है। उसमें जीवन के यथार्थ से टकराने की हिम्मत नहीं होती।

अपने घर के अँधेरे को वह नजरअंदाज कर देता है। स्वयं को शक्तिहीन मानकर अपनी जीवन नौका पतवार के भरोसे छोड़ देता है।

कवि कहते हैं इस जीवन रूपी समुंदर में मुसीबतों के तूफान तो आते रहते हैं। मनुष्य को चाहिए कि वह अपनी बाजुओं के बल पर, स्वयं पर भरोसा रखकर जीवन सागर को पार करें। मनुष्य अपनी बाजुओं को देखें और पतवार की बैसाखी के सहारे चलना छोड़ दे।

जीवन का यथार्थ धरती की तरह ठोस है। इस वास्तविकता से जुड़े रहकर ही जीवन – संग्राम लड़ा जा सकता है। जीवन की सच्चाई को जानते हुए खौफ में क्यों जीए मनुष्य? उसे एक योद्धा की तरह यथार्थ से लड़कर विजय प्राप्त करने की प्रेरणा कवि ने दी है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश

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Maharashtra State Board 11th Hindi अपठित गद्यांश

प्रश्न 1.
गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
उत्तरः
साहब सन्नाटे में आ गए। फतहचंद की तरफ डर और क्रोध की दृष्टि से देखकर काँप उठे! फतहचंद के चेहरे पर पक्का इरादा झलक रहा था। साहब समझ गए, यह मनुष्य इस समयं मरने-मारने के लिए तैयार होकर आया है। ताकत में फतहचंद उनके पासंग भी नहीं था।

लेकिन यह निश्चय था कि वह ईंट का जवाब पत्थर से नहीं, बल्कि लोहे से देने को तैयार है। यदि वह फतहचंद को बुरा-भला कहते हैं, तो क्या आश्चर्य है कि वह डंडा लेकर पिल पड़े। हाथापाई करने में यद्यपि उन्हें जीतने में जरा भी संदेह नहीं था; लेकिन बैठे-बिठाये डंडे खाना भी तो कोई बुद्धिमानी नहीं है।

कुत्ते को आप डंडे से मारिए, ठुकराइए, जो चाहे कीजिए, मगर उसी समय तक, जब तक वह गुर्राता नहीं। एक बार गुर्राकर दौड़ पड़े, तो फिर देखें, आपकी हिम्मत कहाँ जाती है? यही हाल उस वक्त साहब बहादुर का था। जब तक यकीन था कि फतहचंद घुड़की, घुरकी, हंटर, ठोकर सब कुछ खामोशी से सह लेगा, तब तक आप शेर थे; अब वह त्योरियाँ बदले, डंडा सँभाले, बिल्ली की तरह घात लगाए खड़ा है।

ज़बान से कोई कड़ा शब्द निकला और उसने डंडा चलाया। वह अधिक-से-अधिक उसे बर्खास्त कर सकते हैं। अगर मारते हैं, तो मार खाने का भी डर।

उसपर फौजदारी में मुकदमा दायर हो जाने का अंदेशा-माना कि वह अपने प्रभाव और ताकत से अंत में फतहचंद को जेल में डलवा देंगे; परंतु परेशानी और बदनामी से किसी तरह न बच सकते थे। एक बुद्धिमान और दूरंदेश आदमी की तरह उन्होंने यह कहा –

‘ओहो, हम समझ गया, आप हमसे नाराज हैं। हमने क्या आपको कुछ कहा है? आप क्यों हमसे नाराज हैं।’ फतहचंद ने तनकर कहा – ‘तुमने अभी आधा घंटा पहले मेरे कान पकड़े थे और मुझे सैकड़ों ऊलजलूल बातें कही थीं। क्या इतनी जल्दी भूल गए?’

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश

प्रश्न 2.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 1
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 2

प्रश्न 3.
चौखट में उत्तर लिखिए?
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 3
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 4
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 5

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प्रश्न 4.
(i) गद्यांश से शब्दयुग्म ढूँढ़कर लिखिए –
(1) ……………………………………
(2) ……………………………………
उत्तरः
(i) बुरा – भला
(ii) बैठे – बिठाए

(ii) लिंग परिवर्तन कीजिए –
(i) शेर – ……………………………………
(ii) नौकर – ……………………………………
उत्तरः
(i) शेर – शेरनी
(ii) नौकर – नौकरानी

प्रश्न 5.
‘ईंट का जवाब पत्थर से’ इस मुहावरे को चरितार्थ करता हुआ कोई प्रसंग 10-12 पंक्तियों में लिखिए।
उत्तरः
‘ईंट का जवाब पत्थर से देना’ एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है। जिसका अर्थ है कड़ा प्रतिरोध करना या मुँहतोड़ जवाब देना। दुष्ट लोगों के साथ दुष्टता से पेश आना। भारतीय सेना के जाबाज सिपाही सीमा पर अपने दुश्मनों को मुँहतोड़ जवाब देकर उन्हें सबक सिखाते हैं। हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में भी ऐसे प्रसंग देखने को मिलते हैं। एक बार सिग्नल पर एक बाइक पर सवार युवक साइकिल पर सँवार लड़की के साथ ऊलजलूल बातें कर रहा था।

लड़की उसकी गुस्ताखी के शालीनता से जवाब दे रही थी। इतने में सिग्नल हुआ और बाइक सँवार चल पड़ा। अब लड़की ने उसका पीछा किया और ऐसा सबक सिखाया कि वह जिंदगी में कभी किसी लड़की को नहीं छेड़ेगा। हाँ, लड़की के विरोध करने पर उसकी मदद के लिए अन्य लोग भी आए और अंत में पुलिस भी आई। लेकिन पहल लड़की ने की और बड़ी हिम्मत दिखाई। उस बाईक सँवार को उसने सड़क के किनारे रोककर दो तमाचे जड़ दिए।

भीड़ जमा हो गई और सब लड़की की ओर से होने के कारण लड़के को शर्मिंदा होना पड़ा। पुलिस ने उसपर एफआयआर कर दी और उसका लाईसेन्स ले लिया। जुर्माना भरना पड़ा, शर्मिंदगी उठानी पड़ी, ये हुई न ‘ईंट का जवाब पत्थर से’ वाली बात।

प्रश्न 6.
गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
उत्तरः
एक बार शरीर के अंगों में लड़ाई हो गई। इसका आरंभ पैरों ने किया। वे बोले: लड्डू लाना हो या पेड़ा, कचौरी लानी हो या आलू की टिकिया, हमें ही दौड़ना पड़ता है, पर चीज़ लेते ही हाथ उसे थाम लेते हैं, मुँह चट कर जाता है, आँखें देखती हैं, पेट खा जाता है, नाक सूंघती है, हमें क्या मिलता है- हम क्यों बेगार करें! आज से हम नहीं चलेंगे, तो खाते हैं, लेते हैं, वे ही जाएँ, वे ही दौडें।

बस, पैरों की देखा-देखी औरों को भी सूझी। हाथों ने कहा: तुम चलकर जाते हो तो क्या, ढोकर तो हमीं लाते हैं, पर हमें क्या मिलता है, यह अकेला मुँह सब कुछ चट कर जाता है। उन्होंने भी अपना काम छोड़ दिया और इस तरह एक के बाद एक सभी ने छुट्टी की, पर पेट खाली रहा तो शाम को ही सब पर सुती की छाया पड़ी। दूसरे दिन बेचैनी हुई और तीसरे दिन तो सबके सब दम ही तोड़ने लगे।

हँसकर पेट ने कहा: क्यों भाई, कुछ आया मज़ा? तुम समझते थे कि सब कुछ मैं अकेला ही अपने थैले में रख लेता हूँ। अरे भोले भाइयो, यह तो सहकार की बात है। तुम सब अपना काम करके मुझ तक कुछ पहुँचाते हो और मैं अपना काम करके तुम तक कुछ पहुँचाता हूँ और यों हम सब एक-दूसरे को जीवित रखते हैं।

इसी का नाम सहकार भावना है। अंगों ने समझा और उठकर अपने-अपने काम में लगे। बस, जो हाल शरीर का है, वही समाज का है। यहाँ भी सब अपना-अपना काम करते हैं, तो समाज ठीक चलता है। नहीं तो समाज के संगठन में शिथिलता आ जाती है। अब यह बात साफ़ है कि जिसमें सहकारभावना नहीं है, वह समाज का शत्रु है और उसे समाज से जीवनशक्ति ग्रहण करने का कोई अधिकार नहीं है।

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प्रश्न 7.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 6
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 7

(i) सही विकल्प चुनकर लिखिए –
(1) अरे भोले भाइयो, …………………………………..
(अ) यह तो परोपकार की बात है।
(ब) यह तो सहकार की बात है।
(क) यह तो समझदारी की बात है।
उत्तर :
अरे भोले भाइयो, यह तो सहकार की बात हैं।

(2) जिसमें सहकार भावना नहीं है, वह …………………………………..
(अ) समाज का प्रतिनिधि है।
(ब) समाज का काँटा है।
(क) समाज का शत्रु है।
उत्तर :
जिसमें सहकार भावना नहीं है, वह समाज का शत्रु है।

(ii) उत्तर लिखिए
पेट के खाली रहने के परिणाम
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उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 9

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प्रश्न 8.
(i) निम्नलिखित शब्दों के विलोम लिखिए –
(1) सुस्ती x
(2) सहकार x
उत्तरः
(1) सुस्ती x फुर्ती
(2) सहकार x असहकार

(ii) शरीर के अंगों पर गढ़े मुहावरे लिखिए –
जैसे : पाँव – उलटे पाँव लौटना वैसे
(1) मुँह ……………………………
(2) नाक ……………………………
उत्तरः
(1) मुँह – मुँह की खाना।
(2) नाक – नाक पर मक्खी भी बैठने न देना।

प्रश्न 9.
घर में माँ छुट्टी पर चली गई तो होने वाले परिणाम 10 से 12 वाक्यों में लिखिए
उत्तरः
परिच्छेद में जो हाल सभी अवयवों का हुआ था वैसा ही कुछ मन में आ रहा है। माँ ने अगर घर में ध्यान देना बंद कर दिया तो वक्त पर कुछ भी नहीं हो पाएगा। परिवार की रेलगाड़ी ही पटरी से उतर जाएगी। घर में हाहाकार मच जाएगा। सुबह जगाने से लेकर रात सोने तक हमारी चिंता कौन करेगा?

हम सब का भोजन आदि का बंदोबस्त तो होटल से हो पाएगा और एकाध दिन मजा भी आएगा। लेकिन रोज-रोज न स्वास्थ्य के लिए और न जेब के लिए अच्छा रहेगा। माँ के बनाए भोजन में उसका प्यार जो मिला होता है वह होटल के भोजन में कहाँ से मिलेगा?

हमारी बीमारी में सबसे अधिक चिंता वहीं करती है। अब वह छुट्टी पर चली गई तो हम तो उसके बिना बीमार हो जाएँगे और हमारी देखभाल करने वाली, हमें चैन की नींद मिले इसलिए स्वयं जागने वाली नर्स तो मिलने से रही।

हमें स्कूल कॉलेजों में, पिताजी को दफ्तर में कम-से-कम इतवार की छुटटी तो मिलती ही है लेकिन माँ सप्ताह के सभी दिन और जरूरत पड़ने पर दिन के 24 घंटे हमारी सेवा शुश्रूषा में लगी रहती है। हम सब इस बात के इतने आदी हो गए हैं कि हम नहीं सह पाएँगे माँ की छुट्टी।

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प्रश्न 10.
गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
उत्तरः
तुलसी : फर्माइए

प्राण : (नपी-तुली आवाज में) आप फर्माइए।

तुलसी : जी साब तो…..
प्राण : साहब की ऐसी-तैसी। तुम रास्ते से हट जाओ-आदमी हो या चीन दीवार? (भीतर आकर) क्यों जनाब, यह क्या बदतमीजी है कि कोई दस मील पैदल चलकर हुजूर के दर्शन करने आए और आगे से जवाब मिलता है, (मुँह बनाकर) फर्माइए।

पति : ओह, नहीं-नहीं। आओ-आओ, कहाँ से आ रहे हो?

प्राण : जहन्नुम से- नमस्ते भाभी! (हाथ जोड़ता है और मोढ़ा सरकाकर सोफे के करीब बैठता है। पति-पत्नी भी सोफे पर बैठ जाते हैं।)

प्राण : क्या मैं पूछ सकता हूँ कि हुजूर कल पिकनिक में क्यों तशरीफ नहीं लाए?

पति : अरे क्या बताऊँ भाई, बस यों ही- कुछ देर हो गई- मैंने सोचा….

प्राण : भाभी! मैं तुम्हें बताए देता हूँ कि इन महानुभाव को, जिन्हें तुम्हारा पति होने का सौभाग्य प्राप्त है, बड़ी मजबूत नकेल की जरूरत है।

पति : अरे यार, मजाक छोड़ो। यह बताओ, कहाँ से आ रहे हो इस वक्त?

प्राण : कहाँ से आ रहा हूँ। कमाल है? तो क्या जनाब समझते हैं, मैं आपकी तरह किसी क्लब, किसी होटल, किसा बालरूम या रेसकोर्स से आ रहा हूँ। ये सब गुलछर्रे आप ही को मुबारक हों। शरीफ आदमी हूँ, शरीफों की तरह सीधा दफ्तर से आ रहा हूँ।

पति : अरे, मैं तो इसीलिए पूछ रहा था कि….. खैर, कुछ चाय-वाय पियोगे?

पत्नी : जी हाँ, चाय पीजिएगा?

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प्रश्न 11.
संजाल पूर्ण कीजिए
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 10
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 11

प्रश्न 12.
(i) कारण लिखिए
(1) प्राणनाथ को नौकर बदतमीज लगा।

(2) प्राणनाथ ने मित्र की पत्नी को सलाह दी कि उसके पति को मजबूत नकेल की जरूरत है।
उत्तरः
(1) क्योंकि प्राणनाथ लंबी दूरी पैदल चलकर अपने मित्र को देखने आए थे और नौकर ने दरवाजे पर उनसे पूछा था फर्माइए।
(2) क्योंकि उनका मित्र पिकनिक में नहीं आया था और न आने का उचित कारण भी नहीं बता सका।

(ii) परिच्छेद के आधार पर दो ऐसे प्रश्न बनाइए जिनके उत्तर निम्न शब्द हो –
(1) दर्शन
(2) मजाक
उत्तरः
(1) दर्शन – प्राणनाथ पैदल चलकर क्यों आए थे?
(2) मजाक – प्राणनाथ को क्या छोड़ने को कहा?

प्रश्न 13.
(i) परिच्छेद से उपसर्गयुक्त शब्द ढूँढकर लिखिए :
(1) …………………………………..
(2) …………………………………..
उत्तरः
(1) बदतमीजी
(2) सौभाग्य

(ii) अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए
(1) ऊँट, बैल आदि की नाक में बँधी हुई रस्सी –
(2) कोई बड़ा आदरणीय व्यक्ति –
उत्तरः
(1) ऊँट, बैल आदि की नाक में बँधी हुई रस्सी – नकेल
(2) कोई बड़ा आदरणीय व्यक्ति – महानुभाव

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प्रश्न 14.
‘अतिथि देवो भव’ भारतीय संस्कृति है, इसे १० – १२ पंक्तियों में स्पष्ट कीजिए :
उत्तरः
भारतीय संस्कृति की कई विशेषताएँ हैं। “अतिथि देवो भव'” भारतीय संस्कृति की एक विशेषता है। जब अतिथि को देवता ही मान लिया तो उसके लिए बड़े से बड़ी कुर्बानी भी देने को तैयार हो जाते हैं हम। पुराणों में इसके कई उदाहरण मिलते हैं।

राजा मयुरध्वज अतिथि के स्वागत के लिए खुद को आरे से चिरवाने को भी तैयार हो गए थे। यही परंपरा हम आज भी निभाते हैं। अनेक कठिनाइयों का सामना करते हए भी हम अतिथि का स्वागत करते हैं।

अतिथि सत्कार के संस्कार हम भूल नहीं सकते। अपनी इच्छाओं का समर्पण करने के लिए हम सदैव तैयार रहते हैं। यह हमारा अतिथि प्रेम ही हैं।

आज इस परंपरा में कमी जरूर आई हैं। क्योंकि पहले अतिथि छठे -छमासे आते थे। समय,धन और जगह की कमी नहीं थी और मनोरंजन के साधन भी सुलभ नहीं थे। उस समय अतिथि के पधारने पर मन आनंदित हो उठता था। आज की महानगरीय सभ्यता में समय, स्थान और धन का अभाव है।

ऐसे में अतिथि पधारने पर कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं। फिर भी हम अतिथि का सत्कार करते ही हैं। अपनी संस्कृति को भूल नहीं सकते। और हमें भी तो कभी किसी का अतिथि बनना पड़ता हैं।

प्रश्न 15.
गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
उत्तरः
छोटे गोल मुख की तुलना में कुछ अधिक चौड़ा लगनेवाला, पर दो काली रूखी लटों से सीमित ललाट, बचपन और प्रौढ़ता को एक साथ अपने भीतर बंद कर लेने का प्रयास-सा करती हुई, लंबी बरौनियोंवाली भारी पलकें और उनकी छाया में डबडबाती हुई-सी आँखें, उस छोटे मुख के लिए भी कुछ छोटी सीधी-सी नाक और मानो अपने ऊपर छुपी हुई हँसी से विस्मित होकर कुछ खुले रहनेवाले होंठ समय के प्रवाह से फीके भर हो सके हैं, धुल नहीं सके।

घर के सब उजले-मैले, सहज-कठिन कामों के कारण, मलिन रेखाजाल से गुंथी और अपनी शेष लाली को कहीं छिपा रखने का प्रयत्न-सा करती हुई कहीं कोमल, कहीं कठोर हथेलियाँ, काली रेखाओं में जड़े कांतिहीन नखों से कुछ भारी जान पड़ने वाली पतली ऊंगलियाँ, हाथों का बोझ सँभालने में भी असमर्थ-सी दुर्बल, रूखी पर गौर बाँहें और मारवाड़ी लहँगे के भारी घेर से थकित-से, एक सहज-सुकुमारता का आभास देते हुए, कुछ लंबी उँगलियों वाले दो छोटे-छोटे पैर, जिनकी एड़ियों में आँगन की मिट्टी की रेखा मटमैले महावर-सी लगती थी, भुलाए भी कैसे जा सकते हैं!

उन हाथों ने बचपन में न जाने कितनी बार मेरे उलझे बाल सुलझाकर बड़ी कोमलता से बाँध दिए थे। वे पैर न जाने कितनी बार, अपनी सीखी हुई गंभीरता भूलकर मेरे लिए द्वार खोलने, आँगन में एक ओर से दूसरी ओर दौड़े थे। किस तरह मेरी अबोध अष्टवर्षीय बुद्धि ने उससे भाभी का संबंध जोड़ लिया था, यह अब बताना कठिन है।

मेरी अनेक सहपाठिनियों के बहुत अच्छी भाभियाँ थीं; कदाचित् उन्हीं की चर्चा सुन-सुनकर मेरे मन ने, जिसने अपनी तो क्या दूर के संबंध की भी कोई भाभी न देखी थी, एक ऐसे अभाव की सृष्टि कर ली, जिसको वह मारवाड़ी विधवा वधू दूर कर सकी।

बचपन का वह मिशन स्कूल मुझे अब तब स्मरण है, जहाँ प्रार्थना और पाठ्यक्रम की एकरसता से मैं इतनी रुआँसी हो जाती थी कि प्रतिदिन घर लौटकर नींद से बेसुध होने तक सबेरे स्कूल न जाने का बहाना सोचने से ही अवकाश न मिलता था।

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प्रश्न 16.
चौखट पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 12
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 13

प्रश्न 17.
(i) कारण लिखिए –
(1) भाभी की हथेलियाँ मलिन रेखाओं से गुंथी कठोर हो गई थी।
(2) लेखिका स्कूल न जाने का बहाना सोचती रहती थी।
उत्तरः
(1) क्योंकि घर के सब उजले – मैले, सहज – कठिन काम भाभी को ही करने पड़ते थे।
(2) क्योंकि मिशन स्कूल में प्रार्थना और पाठ्यक्रम की एकरसता उन्हें अच्छी नहीं लगती थी।

(ii) निम्नलिखित विधान सही है या गलत लिखिए –
(1) भाभी ने लेखिका के उलझे बाल सुलझाकर कसकर बाँध दिए थे।
(2) लेखिका की अनेक सहपाठिनियों के बहुत अच्छी भाभियाँ थीं।
उत्तरः
(1) भाभी ने लेखिका के उलझे बाल सुलझाकर कसकर बाँध दिए थे। – गलत
(2) लेखिका की अनेक सहपाठिनियों के बहुत अच्छी भाभियाँ थीं। – सही

प्रश्न 18.
(i) परिच्छेद से विलोम शब्द की जोड़ियाँ ढूँढ़कर लिखिए –
जैसे – कोमल x कठोर
वैसे – (1) ………………………………….
(2) ………………………………….
(3) ………………………………….
(4) ………………………………….
उत्तरः
(1) बचपन x प्रौढ़ता
(2) उजले x मैले
(3) सहज x कठिन
(4) उलझे x सुलझे

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(ii) ‘आभास’ शब्द से नए अर्थपूर्ण शब्द बनाइए।
(1) ………………………………….
(2) ………………………………….
(3) ………………………………….
(4) ………………………………….
उत्तरः
(1) आस
(2) भास
(3) आभा
(4) सभा

प्रश्न 19.
‘विधवा समाज और परिवार से प्रताड़ित जीवन जीने पर मजबूर होती है इस तथ्य पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
हमारे समाज में सामाजिक रूढियों एवं परंपराओं की बेड़ियों में जकड़ी विधवाओं की स्थिति बड़ी दयनीय है। विधवा होते ही उन पर तमाम बंदिशे लग जाती हैं। न तो वह कहीं आ जा सकती हैं न मन माफिक खा और पहन सकती है। परिवार और समाज से प्रताड़ित विधवा का जीवन घोर निराशता से भर जाता है। रंगीन वस्त्र पहनना वर्जित हो जाता है और सफेद लिबास में लिपटी रहना उसकी नियती।

दूसरा विवाह कर सुनहरे भविष्य की आशा से भी उसे वंचित कर दिया जाता है। बिना रोशनदान, बिना झरोखा, बिना नौकर चाकर और बिना पशु पक्षियों वाले अँधेरे घर में घुट – घुटकर जीने को उसे विवश किया जाता है। समाज विधवा पर संयम और अनुशासन से रहने की बंदिशें तो लगाता है पर उसके आहार – विहार, मनोरंजन एवं स्वास्थ के प्रति कठोर और उदासीन रहता है।

पति के जीवित रहते जो घर की स्वामिनी थी ,मृत्यु के बाद उसे दासी समझा जाने लगता है। बाल विधवा के साथ तो समाज और क्रूरता का व्यवहार करता है। छोटी छोटी भूलों पर उसे मारा-पिटा और दागा जाता है । उसे पशु से भी बदतर जीवन जीने को विवश किया जाता है।

समाज की घिनौनी पाशविक प्रवृत्ति के चलते बाल-विधवा को छोटी उम्र में ही प्रौढ़ और वृद्ध बनने पर मजबूर कर दिया जाता है। इस तरह विधवाओं को समाज की संकीर्ण और विकृत मानसिकता का शिकार होना पडता है।

प्रश्न 20.
परिच्छेद पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
उत्तरः
सन 1947 में भारत आजाद हुआ। वास्तव में व्यापार और उद्योग देश की रीढ़ की हड्डी के समान होते हैं, परंतु … समाजवादी समाज रचना का लक्ष्य होने से सरकार ने इनके विकास की ओर ध्यान नहीं दिया। मुक्त और उदार अर्थव्यवस्था से … ही आर्थिक और औद्योगिक विकास संभव है- इस बात को समझने में हमारे नेताओं को चौंतीस वर्ष लगे।

शंतनुराव जी आरंभ से ही इस नीति के समर्थक थे। उनके विचारों के अनुसार ‘सादा रहन-सहन’ ही बेरोजगारी की जड़ है। रोजगारी से निर्माण हुई वस्तुओं का प्रयोग किए बिना रोजगारी कैसे चलेगी? यदि कोई शानदार बंगला, श्रेष्ठ संगीत, बढ़िया कपड़ा या साड़ी इस्तेमाल ही न करे, तो देश में गरीबी और बेरोजगारी बढ़ती ही जाएगी। इनको रोकने के लिए हर एक को अपनी जरूरतें बढ़ानी होंगी।

उद्यमकर्ता कामगारों का शोषण नहीं करता, उल्टे-उन्हें काम देकर गरीबी की खाई से बाहर निकालता है।

आधुनिक जेटयुग के इस महापुरुष ने किर्लोस्कर ब्रदर्स कंपनी के अंतर्गत विभिन्न उत्पादन, व्यवसाय करने वाली लगभग चालीस कंपनियाँ खोलकर उसे किर्लोस्कर उद्योग समूह में परिवर्तित किया। वे कहा करते, “जो भी काम करो, बढ़िया ढंग से करो और उसमें सफलता पाने के लिए मुसीबतों की परवाह न करते हुए, अंत तक मन को थकने न दो।”

आपने इंजीनियरी क्षेत्र के अलावा होटल, परामर्शसेवा (कन्सलटन्सी), संगणक, लीजिंग तथा फाइनान्स आदि क्षेत्रो में भी भरसक योगदान दिया।

आपको 1965 में पद्मश्री, सन 1984 में ‘मराठा चेंबर ऑफ कॉमर्स’ की मानद सदस्यता और सन 1988 में पुणे विश्वविद्यालय की डी. लिट. उपाधि से सम्मानित किया गया। इनके अलावा इंजीनियरी क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के उपलक्ष्य में उन्हें विभिन्न पुरस्कार मिले। औद्योगिक क्षेत्र में उनका जो महत्त्वपूर्ण अंशदान रहा, उसी के कारण आपको औद्योगिक क्षेत्र के भीष्माचार्य’ कहा जाता है।

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प्रश्न 21.
संजाल पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 14
उत्तरः
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प्रश्न 2.
(i) कारण लिखिए –
(1) सादा रहन-सहन ही बेरोजगारी की जड़ है।
(2) शंतनुराव को औद्योगिक क्षेत्र के भीष्माचार्य कहा जाता है।
उत्तरः
(1) क्योंकि शानदार बंगला, श्रेष्ठ संगीत, बढ़िया कपडे इस्तेमाल ही न करेंगे तो देश में गरीबी और बेरोजगारी बढ़ती ही जाएगी।
(2) क्योंकि उनका औद्योगिक क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान रहा है।

(ii) सही विकल्प चुनकर लिखिए –
(1) व्यापार और उद्योग …………………………… की रीढ़ की हड्डी के समान होते हैं। (व्यक्ति / देश / समाज)
(2) मुक्त और उदार …………………………… से ही आर्थिक और औद्योगिक विकास संभव है। (अर्थव्यवस्था / नीति संस्कार)
उत्तरः
(1) व्यापार और उद्योग देश की रीढ़ की हड्डी के समान होते है।
(2) मुक्त और उदार अर्थव्यवस्था से ही आर्थिक और औद्योगिक विकास संभव है।

प्रश्न 3.
(i) अंग्रेजी शब्दों के हिंदी अर्थ लिखिए :
(1) फाइनान्स – ……………………………
(2) कॉमर्स – ……………………………
(3) इंजीनियरी – ……………………………
(4) चेंबर – ……………………………
उत्तरः
(1) फायनान्स – वित्त
(2) कॉमर्स – वाणिज्य
(3) इंजीनियरी – तकनिकी
(4) चेंबर- कक्ष

(ii) निम्नलिखित शब्दों के विलोम लिखिए :
(1) आजाद x ……………………………
(2) समर्थक x ……………………………
(3) पुरस्कार x ……………………………
(4) सम्मानित x ……………………………
उत्तरः
(1) आजाद x गुलाम
(2) समर्थक x विरोधक
(3) पुरस्कार x दंड
(4) सम्मानित x अपमानित

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प्रश्न 4.
सफल उद्योजक के गुण 10-12 वाक्यों में लिखिए।
उत्तरः
सफल उद्योजक बनने के लिए चुनौतियों से भरी राह पर निरंतर गतिशील रहते हुए आगे बढना होगा। उत्पादन के लिए महत्त्वपूर्ण है कच्चा माल, मशीनें और कर्मचारी जो प्रशिक्षित हो। इन तीनों के अभाव में उत्पादन संभव नहीं। ये तीनों हैं और उत्पादन भी अच्छी तरह से हो गया तो उत्पादन को बेचने के लिए बाजार भी चाहिए। उद्योजक को चाहिए कि वह अपने उत्पादन का स्तर हर हाल में उच्च कोटी का रखे, जो भी उत्पादन हो वह बढ़िया से बढ़िया हो।

हर समस्या को बारिकी से जानने समझने की जिज्ञासा उसमें हो, कठिनाइयों से जूझने की दृढ़ता उसमें हो। जोखिम स्वीकारने के लिए वह सदैव तत्पर रहे। वह दूरदर्शी होना चाहिए, अगले 50-100 वर्षों का अनुमान लगाने की क्षमता उसमें हो। उसका दृष्टिकोण व्यावहारिक हो।

अपने कर्मचारियों के प्रति विश्वास और स्वयं पर भरोसा होना चाहिए। बाजार की प्रतिस्पर्धा में टिकने के लिए अनगिनत कष्ट उठाने की उसकी तैयारी होनी चाहिए। वह पहले दर्जे का संयोजक एवं प्रबंधक होना चाहिए और सबसे महत्त्वपूर्ण बात वह महत्त्वाकांक्षी होना चाहिए। इतने सारे गुण जिस उद्योजक के पास है वह नाम और शोहरत कमाएगा और सफलता की चोटी पर पहुँचेगा।

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष मुद्रित शोधन चिह्नदर्शक तालिका

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष मुद्रित शोधन चिह्नदर्शक तालिका Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष मुद्रित शोधन चिह्नदर्शक तालिका

मुद्रण सही ढंग से न हो तो अशुद्धियाँ रह जाती हैं। इससे मुद्रित सामग्री की रोचकता तथा सहजता कम हो जाती है। कभी–कभी किसी शब्द के अशुद्ध रहने से अर्थ बदल जाता है या किसी शब्द के रह जाने से अर्थ का अनर्थ हो जाता है। इस दृष्टि से मुद्रण प्रक्रिया में मुद्रित शोधन का अत्यधिक महत्त्व है।

जिस प्रकार मन की सुंदरता न हो तो तन की सुंदरता अर्थहीन हो जाती है। उसी प्रकार पुस्तक बाहर से भले ही कितनी ही आकर्षक हो; भाषा की अशुद्धता के कारण वह प्रभावहीन हो जाती है।

मुद्रित शोधन के लिए आवश्यक योग्यताएँ :

मुद्रित शोधन का कार्य अत्यंत दायित्वपूर्ण ढंग से निभाया जाने वाला कार्य है। अत: इस कार्य के लिए मुद्रित शोधक में कतिपय योग्यताओं का होना आवश्यक है। जैसे –

  • मुद्रित शोधक को संबंधित भाषा एवं व्याकरण की समग्र और भली–भाँति जानकारी होनी चाहिए।
  • उसे प्रिंटिंग मशीन पर होने वाले कार्य का परिचय होना चाहिए।
  • उसे टाइप के प्रकारों, संकेत चिह्नों और अक्षर विन्यास की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।
  • मुद्रित शोधक को पांडुलिपि में स्वयं कोई परिवर्तन नहीं करना चाहिए। यदि कहीं उसे अशुद्धियाँ लगें या वाक्य सही/शुद्ध न लगे तो इसकी ओर लेखक का ध्यान आकृष्ट करना चाहिए।

मुद्रित शोधन चिह्नदर्शक तालिका : –
Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष मुद्रित शोधन चिह्नदर्शक तालिका 1

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष हिंदी साहित्यकारों के मूल नाम और उनके विशेष नाम

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष हिंदी साहित्यकारों के मूल नाम और उनके विशेष नाम Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष हिंदी साहित्यकारों के मूल नाम और उनके विशेष नाम

  • अब्दुल हसन – अमीर खुसरो
  • मलिक मुहम्मद – जायसी
  • अब्दुर्रहीम खानखाना – रहीम
  • सय्यद इब्राहिम – रसखान
  • चंद्रधर शर्मा – ‘गुलेरी’
  • पांडेय बेचन शर्मा – ‘उग्र’
  • राजेंद्रबाला घोष – बंग महिला
  • बदरीनारायण चौधरी – प्रेमधन
  • गयाप्रसाद शुक्ल – ‘स्नेही’
  • अयोध्यासिंह उपाध्याय – ‘हरिऔध’
  • मोहनलाल महतो – वियोगी
  • धनपतराय – ‘प्रेमचंद’
  • रामधारी सिंह – ‘दिनकर’
  • शिवमंगल सिंह – ‘सुमन’
  • रामेश्वर शुक्ल – ‘अंचल’
  • बालकृष्ण शर्मा – ‘नवीन’
  • कन्हैयालाल मिश्र – ‘प्रभाकर’
  • फणीश्वरनाथ – ‘रेणु’
  • वैद्यनाथ मिश्र – नागार्जुन
  • सूर्यकांत त्रिपाठी – ‘निराला’
  • सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन – अज्ञेय
  • वासुदेव सिंह – त्रिलोचन
  • गोपाल दास सक्सेना – ‘नीरज’
  • महेंद्रकुमारी – मन्नू भंडारी
  • श्रीराम वर्मा – अमरकांत
  • उपेंद्रनाथ – ‘अश्क’
  • सुदामा पांडेय – धूमिल

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हिंदी साहित्यकार

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हिंदी साहित्यकार Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हिंदी साहित्यकार

ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हिंदी साहित्यकार

साहित्यकार साहित्यिक कृति वर्ष
सुमित्रानंदन पंत चिदंबरा १९६८
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ उर्वशी १९७२
‘अज्ञेय’ कितनी नावों में कितनी बार १९७८
महादेवी वर्मा यामा १९८२
नरेश मेहता समग्र साहित्य १९९२
निर्मल वर्मा समग्र साहित्य १९९९
कुँवर नारायण समग्र साहित्य २००५
अमरकांत समग्र साहित्य २००९
श्रीलाल शुक्ल राग दरबारी २००९
केदारनाथ सिंह अकाल में सारस २०१३
कृष्णा सोबती जिंदगीनामा २०१७

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष पारिभाषिक शब्दावली Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

1. बैंक तथा वाणिज्य से संबंधित शब्द

  • Account = लेखा
  • Accountant = लेखापाल
  • Act = अधिनियम Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली
  • Affidavit = शपथपत्र
  • Agreement = अनुबंध/करार
  • Annexure = परिशिष्ट
  • Audit = लेखा परीक्षण
  • Average = औसत
  • Session = सत्र
  • Advocate General = महाधिवक्ता
  • Foreign Exchange = विदेशी विनिमय
  • Fund Sinking = निक्षेप निधि
  • Finance Commissioner = वित्त आयुक्त
  • Deduction = कटौती
  • Dividend = लाभांश
  • Domicile Certificate = अधिवास प्रमाणपत्र
  • Draft = मसौदा/प्रारूप
  • Gazette = राजपत्र
  • Investment = निवेश
  • Management = प्रबंधन
  • Revenue = राजस्व
  • Clearing = समाशोधन
  • Attestation = साक्ष्यांकन
  • Cheque = धनादेश (चैक)
  • Advance = अग्रिम
  • Capital = पूँजी Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली
  • Cashier = रोकड़िया/कोषाध्यक्ष
  • Amount = धनराशि, रकम
  • Custom Duty = सीमा शुल्क
  • Credit Amount = जमा रक्कम
  • Finance Bill = वित्त विधेयक
  • Finance Statement = वित्तीय विवरण
  • Pension = निवृत्ति वेतन
  • Service Charges = सेवा भार
  • Corporation-Tax = नगर निगम कर
  • Trade Mark = व्यापार चिह्न
  • Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

2. विधि से संबंधित शब्द

  • Bailable Offence = जमानती अपराध
  • Defendent = ufdact
  • Accused = अभियुक्त
  • Bench = न्यायपीठ
  • Show Cause = कारण बताओ
  • Custody (Police) = पुलिस हिरासत
  • Formal Investigation = औपचारिक जाँच
  • Validity = वैधता
  • Advocate General = Halfeta chall
  • Judicial Power = न्यायालयीन अधिकार
  • Ordinance = अध्यादेश

3. प्रशासनिक

  • Chancellor = कुलाधिपति
  • Deputation = प्रतिनियुक्ति
  • Director = निदेशक
  • Surveyor = सर्वेक्षक
  • Supervisor = पर्यवेक्षक
  • Governor = राज्यपाल
  • Secretary = सचिव
  • Eligibility = अर्हता
  • Memorandum = ज्ञापन
  • Notification = अधिसूचना
  • Registrar = कुलसचिव
  • Administration = प्रशासन
  • Commission = आयोग
  • Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

4. वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली

  • Mechanics = यांत्रिक
  • Gravitation = गुरुत्वाकर्षण
  • Orbit = कक्षा
  • Satellite = उपग्रह
  • Nerve = तंत्रिका
  • Nutrition = पोषण
  • Radiation = विकिरण
  • Tissue = ऊतक
  • Fertility = उर्वरता
  • Genetics = अनुवांशिकी

5. कंप्यूटर (संगणक) विषयक

  • Internet = अंतरजाल
  • Control Section = नियंत्रण अनुभाग
  • Hard Copy = मुद्रित प्रति
  • Storage = भंडार
  • Data = आँकड़ा
  • Software = प्रक्रिया सामग्री
  • Output = निर्गम
  • Screen = प्रपट्ट Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली
  • Network = संजाल
  • Command = समादेश

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता

रेडियो जॉकी

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता 1

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता

रेडियो संहिता

रेडियो श्राव्य माध्यम है। इसलिए श्राव्य माध्यम के अनुकूल संहिता होती है। इसमें शब्दों के साथ ध्वनि संकेत, ठहराव, मौन, अंतराल आदि के संकेत भी होने चाहिए। गीत– संगीत के बीच में चलनेवाली आर.जे. की बातचीत कम शब्दों में रोचक, चटपटी और मिठास भरी होनी चाहिए।

भाषा प्रवाहमयी हो। शब्द सरल हों। संहिता लयात्मकता के साथ कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में सहायक होनी चाहिए। रेडियो संहिता के तीन हिस्से होते हैं। आरंभ, मध्य और अंत। आरंभ जितना आकर्षक, उतना ही अंत भी आकर्षक होना चाहिए। मध्य में विषयवस्तु कार्यक्रम की लंबाई पर निर्भर है।

हिंदी में रेडियो चैनल के लिए जो संहिता होती है, वह बहुत ही सधी हुई होती है। रेडियो की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण है – कार्यक्रमों की प्रस्तुति, संयोजन और भाषा का नयापन। संहिता की भाषा गतिशील और अनौपचारिक होनी चाहिए।

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता

कुछ चैनलों पर जिस हिंदी भाषा का प्रयोग किया जाता है वह ‘प्रोमो’ हिंदी है। ‘प्रोमो’। अर्थात ‘पोस्ट मॉडर्न’ – उत्तर आधुनिक हिंदी। इस हिंदी भाषा में चुलबुलापन, मसखरापन, मस्ती और लय होती है। इसकी अपनी एक अलग पहचान है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला

भावार्थ : पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्रमांक २० : पाठ – भक्ति महिमा – संत दादू दयाल

जो माया–मोह का रस पीते रहे, उनका मक्खन–सा हृदय सूखकर पत्थर हो गया किंतु जिन्होंने भक्ति रस का पान किया, उनका पत्थर हृदय गलकर मक्खन हो गया। उनका हृदय प्रेम से भर गया।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला

अहंकारी व्यक्ति से प्रभु दूर रहता है। जो व्यक्ति प्रभुमय हो जाता है, फिर उसमें अहंकार नहीं होता। मनुष्य का हृदय एक ऐसा सँकरा महल है, जिसमें प्रभु और अहंकार दोनों साथ–साथ नहीं रह सकते। अहंकार का त्याग करना अनिवार्य है।

दादू मगन होकर प्रभु का कीर्तन कर रहे हैं। उनकी वाणी ऐसे मुखरित हो रही है जैसे ताल बज रहा हो। यह मन प्रेमोन्माद में नाच रहा है। दादू के सम्मुख दीन–दुखियों पर विशेष कृपा करने वाला प्रभु खड़ा है।

जिन लोगों ने भक्ति के सहारे भवसागर पार कर लिया, उन सभी की एक ही बात है कि भक्ति का संबल लेकर ही सागर को पार किया जा सकता है। सभी संतजन भी यही बात कहते हैं। अन्य मार्गदर्शक, जीवन के उद्धार के लिए जो दूसरे अनेक मार्ग बताते हैं, वे भ्रम में डालने वाले हैं। प्रभु स्मरण के सिवा अन्य सभी मार्ग दुर्गम हैं।

प्रेम की पाती (पत्री) कोई विरला ही पढ़ पाता है। वही पढ़ पाता है, जिसका हृदय प्रेम से भरा हुआ है। यदि हृदय में जीवन और जगत के लिए प्रेम भाव नहीं है तो वेद–पुराण की पुस्तकें पढ़ने से क्या लाभ ?

कितने ही लोगों ने वेद–पुराणों का गहन अध्ययन किया और उसकी व्याख्या करने में लिख–लिखकर कागज काले कर दिए लेकिन उन्हें जीवन का सच्चा मार्ग नहीं मिला। वे भटकते ही रहे, जिसने प्रिय प्रभु का एक अक्षर पढ़ लिया, वह सुजान–पंडित हो गया।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला

मेरा अहंकार – “मैं’ ही मेरा शत्रु निकला, जिसने मुझे मार डाला, जिसने मुझे पराजित कर दिया। मेरा अहंकार ही मुझे मारने वाला निकला, दूसरा कोई और नहीं।

अब मैं स्वयं इस ‘मैं’ (अहंकार) को मारने जा रहा हूँ। इसके मरते ही मैं मरजीवा हो जाऊँगा। मरा हुआ था फिर से जी उठूगा। एक विजेता बन जाऊँगा।

हे सृष्टिकर्ता ! जिनकी रक्षा तू करता है, वे संसार सागर से पार हो जाते हैं।

और जिनका तू हाथ छोड़ देता है, वे भवसागर में डूब जाते हैं। तेरी कृपा सज्जनों पर ही होती है।

रे नासमझ ! तू क्यों किसी को दुख देता है। प्रभु तो सभी के भीतर हैं। क्यों तू अपने स्वामी का अपमान करता है? सब की आत्मा एक है। आत्मा ही परमात्मा है। परमात्मा के अलावा वहाँ दूसरा कोई नहीं।

इस संसार में केवल ऐसे दो रत्न हैं, जो अनमोल हैं। एक है सबका स्वामी–प्रभु। दूसरा स्वामी का संकीर्तन करने वाला संतजन, जो जीवन और जगत को सुंदर बनाता है।

इन दो रत्नों का न कोई मोल है, न कोई तोल ! न इनका मूल्यांकन हो सकता है, न इन्हें खरीदा जा सकता है, न तौला जा सकता है।

भावार्थ : पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्रमांक २४ : पाठ – बाल लीला – संत सूरदास

1. यशोदा अपने पुत्र को चुप करने के लिए बार–बार समझाती है। वह कहती है – “चंदा आओ ! तुम्हें मेरा लाल बुला रहा है। यह मधु मेवा, पकवान, मिठाई स्वयं खाएगा और तुम्हें भी खिलाएगा। (मेरा लाल) तुम्हें हाथ में रखकर खेलेगा; तुम्हें जरा भी भूमि पर नहीं बिठाएगा।”

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला

यशोदा हाथ में पानी का बर्तन उठाकर कहती है – “चंद्रमा ! तुम शरीर धारण कर आ जाओ।’ फिर उन्होंने जल का पात्र भूमि पर रख दिया और उसे दिखाने लगी – ‘बेटा देखो ! मैं वह चंद्रमा पकड़ लाई हूँ।’ अब सूरदास के प्रभु श्रीकृष्ण हँस पड़े और मुस्कुराते हुए उस पात्र में बार–बार दोनों हाथ डालने लगे।

2. हे श्याम ! उठो, कलेवा (नाश्ता) कर लो। मैं मनमोहन के मुख को देख–देखकर जीती हूँ। हे लाल ! मैं तुम्हारे लिए छुहारा, दाख, खोपरा, खीरा, केला, आम, ईख का रस, शीरा, मधुर श्रीफल और चिरौंजी लाई हूँ। अमरूद, चिउरा, लाल खुबानी, घेवर–फेनी और सादी पूड़ी खोवा के साथ खाओ।

मैं बलिहारी जाऊँ। गुझिया, लड्डू बनाकर और दही लाई हूँ। तुम्हें पूड़ी और अचार बहुत प्रिय हैं। इसके बाद पान बनाकर खिलाऊँगी। सूरदास कहते हैं कि मुझे पानखिलाई मिले।

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष मुहावरे

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष मुहावरे Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष मुहावरे

मुहावरा वह वाक्यांश जो सामान्य अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ में प्रयुक्त होता है; मुहावरे में उसके लाक्षणिक और व्यंजनात्मक अर्थ को ही स्वीकार किया जाता है। वाक्य में प्रयुक्त किए जाने पर ही मुहावरा सार्थक प्रतीत होता है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष मुहावरे

  • अंकुर जमाना – प्रारंभ करना।
  • अपने पैरों पर खड़ा होना – आत्मनिर्भर होना।
  • आँच न आने देना – संकट न आने देना।
  • आँखों में सैलाब उमड़ना – फूट–फूटकर रोना।
  • आँखें फटी रहना – आश्चर्यचकित रह जाना।
  • आईने में मुँह देखना – अपनी योग्यता जाँचना।
  • आसमान के तारे तोड़ना – असंभव कार्य करना।
  • ईंट का जवाब पत्थर से देना – कड़ा जवाब देना
  • उधेड़ बुन में लगना – सोच–विचार करना।
  • एक आँख से देखना – समान रूप से देखना।
  • एक और एक ग्यारह होना – एकता में बल होना।
  • कदम बढ़ाना – प्रगति करना।
  • कमर कसना – प्रगति करना।
  • कमर सीधी करना – आराम करना, सुस्ताना।
  • कलई खुलना – भेद प्रकट होना।
  • कान देना – ध्यान से सुनना।
  • किस्मत खुलना – भाग्य चमकना।
  • गले का हार होना – अत्यंत प्रिय होना।
  • गागर में सागर भरना – थोड़े में बहुत कहना।
  • घी के दीये जलाना – खुशी मनाना।
  • चिकना घड़ा होना – निर्लज्ज होना।
  • चुटकी लेना – व्यंग्य करना।
  • जबान देना – वचन देना। Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष मुहावरे
  • झंडे गाड़ना – पूर्ण रूप से प्रभाव जमाना।
  • डंका पीटना – प्रचार करना।
  • तितर–बितर होना – बिखर जाना।
  • हजारों दीप जल उठना – आनंदित हो उठना।
  • रुपये दाँत से पकड़ना – कंजूसी करना।
  • दूध का दूध, पानी का पानी करना – इनसाफ करना, न्याय करना।
  • नाम कमाना – यश प्राप्त करना।
  • पाँचों उंगलियाँ घी में होना – हर तरफ से लाभ होना।
  • फूला न समाना – अत्यधिक प्रसन्न होना।
  • बीड़ा उठाना – किसी काम को करने की ठान लेना।
  • बाँछे खिलना – अत्यधिक प्रसन्न होना।
  • मरजीवा होना – कठोर साधना से लक्ष्य तक पहुँचने वाला होना।
  • मल्हार गाना – आनंद मनाना।
  • राई का पहाड़ बनाना – बात को बढ़ा–चढ़ाकर कहना।
  • लोहा मानना – श्रेष्ठता स्वीकार करना।
  • सफेद झूठ बोलना – पूरी तरह से झूठ बोलना।
  • सिर खपाना – ऐसे काम में समय लगाना जिसमें कोई लाभ नहीं।
  • सिर पर सेहरा बाँधना – अधिक यश प्राप्त करना।
  • सोना उगलना – बहुत अधिक लाभ होना।
  • सौ बात की एक बात – असली बात, निचोड़।
  • हाथ–पैर मारना – बहुत प्रयत्न करना।
  • हौसला बुलंद होना – उत्साह बना रहना।
  • श्रीगणेश करना – कार्य आरंभ करना।
  • दाँतों तले उँगली दबाना – आश्चर्यचकित होना।
  • अंधे की लाठी होना – निराधार का सहारा बनना।
  • आग से खेलना – मुसीबत मोल लेना।
  • मुट्ठी गर्म करना – रिश्वत देना।
  • इतिश्री होना – समाप्त होना। Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष मुहावरे
  • उड़ती चिड़िया पहचानना – तीक्ष्ण बुद्धि वाला होना।
  • हथेली पर सरसों जमाना – कठिन कार्य करना।
  • कंचन बरसना – धन–दौलत से परिपूर्ण होना।
  • कानों कान खबर न होना – बिल्कुल पता न चलना।
  • गाल बजाना – अपनी प्रशंसा आप करना।
  • घड़ों पानी पड़ना – बहुत लज्जित होना।
  • चिकनी–चुपड़ी बातें करना – चापलूसी करना, मीठी-मीठी बातें बोलना।
  • छाती पर साँप लोटना – ईर्ष्या होना।
  • तूती बोलना – प्रभाव होना।
  • दो टूक जवाब देना – स्पष्ट बोलना।
  • नुक्ताचीनी करना – आलोचना करना।