Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 9 चुनिंदा शेर

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 9 चुनिंदा शेर Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 9 चुनिंदा शेर

12th Hindi Guide Chapter 9 चुनिंदा शेर Textbook Questions and Answers

कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर

आकलन

प्रश्न 1.
(अ) लिखिए :

(a) परिंदों को यह शिकायत है –
उत्तर :
परिंदों को यह शिकायत है, हे मालिक कभी तो हमारी बात सुनो। ऐसा प्रतीत होता है कि जो दाना आपकी कृपा से हमें प्राप्त होता है, उसमें भी कीड़े लगे हैं।

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(b) नदी के प्रति उत्तरदायित्व –
उत्तर :
नदी के प्रति उत्तरदायित्व – हमारी संस्कृति में नदी को माता के रूप में पूजा जाता है। नदी मानव सभ्यता के लिए जीवनदायिनी का काम करती है। इस नदी रूपी माता के लिए हमारा भी कुछ उत्तरदायित्व है। हमें नदी को स्वच्छ रखना चाहिए। कूड़ा-कचरा, रसायन नदी में नहीं डालने चाहिए।

(आ) परिणाम लिखिए :
(a) पानी सर से गुजर जाएगा तो – ………………………………………….
उत्तर :
पानी सर से गुजर जाएगा तो – पानी सर से गुजर जाने का अर्थ है परिस्थिति का हाथों से निकल जाना। ऐसी स्थिति आने पर या तो व्यक्ति बिलकुल हताश हो जाता है या विद्रोही बनकर न करने योग्य कार्य भी कर गुजरता है।

(b) कवि जिंदगी के सवालों में खो गए – ………………………………………….
उत्तर :
कवि जिंदगी के सवालों में खो गए तब ऐसा हआ कि कवि के सवालों के जवाब उनके उजालों में खो गए।

शब्द संपदा

प्रश्न 2.
पाठ में आए चार उर्दू शब्द और उनके हिंदी अर्थ :
(1) ………………… = …………………
(2) ………………… = …………………
(3) ………………… = …………………
(4) ………………… = …………………
उत्तर :
(1) खुशबू – सुगंध
(2) परिंदे – पक्षी
(3) ख्वाब – स्वप्न
(4) जिंदगी – जीवन।

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अभिव्यक्ति

प्रश्न 3.
(अ) ‘आकाश के तारे तोड़ लाना’, इस मुहावरे को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
आकाश के तारे तोड़ लाना मुहावरे का अर्थ है असंभव काम करना। जब कोई व्यक्ति किसी ऐसे कार्य की पूर्ति कर दे, जिसे कर पाना असंभव माना जा रहा हो तब उसके इस असंभव कार्य के लिए उपर्युक्त मुहावरे का प्रयोग किया जाता है। असीमित कठिनाइयों से भरा कोई काम, जिसे कर पाने में सभी असहज हों, वह कार्य विशेष कर पाना सभी को असंभव लगे, तब यह मुहावरा दोहराया जाता है। जैसे – तुम्हें क्या लगता है कि नलिन कुछ कर नहीं सकता। अरे… समय आने पर वह आकाश के तारे भी तोड़कर ला सकता है।

(आ) ‘क्रांति कभी भी अपने-आप नहीं आती; वह लाई जाती हैं, इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
क्रांति अर्थात बदलाव लाना। बदलाव शासन व्यवस्था के प्रति हो सकता है या फिर किसी सामाजिक प्रथा के विरोध में। क्रांति कभी भी अपने-आप नहीं आती। क्रांति के लिए मानव को ही प्रयास करना पड़ता है। कोई व्यवस्था अथवा रूढ़ि भले ही जर्जर हो चुकी हो, समाज के विकास के लिए अहितकर बन रही हो।

अगर हम उसे बदलने के लिए क्रांतिकारी कदम नहीं उठाएँगे, तो हमारा समाज प्रगति नहीं कर पाएगा, कूपमंडूक बना रहेगा। इतिहास साक्षी है कि जब-जब मानव ने नए सिद्धांतों को, नई खोजों को अपनाया, समाज निरंतर विकास के मार्ग पर आगे बढ़ता रहा।

रसास्वादन

प्रश्न 4.
(अ) कवि की भावुकता और संवेदनशीलता को समझते हुए ‘चुनिंदा शेर’ का रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
कवि अपनी जिंदगी में आई परेशानियों से अप्रभावित हुए बिना उनका इस प्रकार सामना करते रहे कि वहीं से मानो उजाले फूट पड़े। सारी परेशानियाँ इस प्रकार समाप्त हो गईं मानो कभी थीं ही नहीं। हर सुबह हमारे लिए एक नया संदेश लेकर आती है। रात्रि के घोर अंधकार में जुगनू द्वारा फैलाए गए हल्के से प्रकाश में भी आशा की एक किरण छिपी होती है। कवि नित्य नए सपने देखता था, जागती आँखों के सपने।

वह नहीं जानता था कि उसके सपनों में, उसके विचारों में क्रांति का बीज छिपा है। उसके द्वारा आसमान पर लिखे गए सपने एक दिन क्रांति का रूप ले लेंगे। हँसी और आँसू मनुष्य के जीवन के दो अंग हैं। परंतु आज हर मनुष्य अपने जीवन की विसंगतियों से इस कदर त्रस्त है कि वह नहीं चाहता कि दूसरा कोई भी अपने आँसुओं से उसका कंधा भिगोए। अतः हमें अपने चेहरे पर एक मुखौटा लगाकर अपने आँसुओं को हँसी से छिपा लेना चाहिए।

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ईश्वर फकीरों, साधुओं और समाज की भलाई की इच्छा रखने वाले लोगों को ऐसी शक्ति प्रदान करता है कि उनके मुख से निकले आशीर्वाद सच होने लगते हैं। ऐसे लोगों की आँखें मानो करुणा और स्नेह बरसाती रहती हैं। हर मनुष्य की सहनशक्ति की एक सीमा होती है। प्रतिकूल परिस्थितियों, असफलताओं और अन्याय को सहन करने की शक्ति जिस दिन समाप्त हो जाएगी, उस व्यक्ति का विवेक उसका साथ छोड़ देगा।

वह दिन बस विद्रोह का दिन होगा। जीवन में निरंतर मिलती निराशाओं के कारण आँखों से आँसू इस प्रकार बहते रहते हैं मानो बाढ़ आ गई हो। कभी-कभी तो ऐसा प्रतीत होता है कि यह जीवन नहीं, बल्कि अषाढ़ का महीना है और निरंतर बादल बरस रहे हैं। एक मेहनतकश इन्सान जेठ मास की कड़कती हुई धूप में नंगे पाँव डामर की जलती सड़क पर चला जा रहा है। उसके पैरों की उँगलियाँ जल रही हैं।

साथ ही दिलोदिमाग में निराशा और हताशा की आँधियाँ चल रही हैं, बिजलियाँ घुमड़ रही हैं। मनुष्य की साँसें निश्चित हैं अर्थात प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन में कितना आयुष्य पाएगा, कितनी साँसें ले पाएगा, यह पूर्वनिश्चित है। कवि को ऐसा महसूस होता है मानो उनकी साँसें उनकी अपनी नहीं हैं। अपनी साँसों पर उनका कोई अधिकार नहीं है। इस संसार में अनगिनत लोग ऐसे हैं, जिनमें से किसी का सिर खुला है, तो किसी के पैर चादर से बाहर हैं।

ये लोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति भी नहीं कर पाते। हे ईश्वर ऐसा कुछ करो कि सभी लोगों को आवश्यकता की हर चीज मिले। सभी अपना भरण-पोषण उचित ढंग से कर सकें। कल भूख और बीमारी के कारण जिस मजदूर की साँसें बंद हो गई, जो इस निर्मोही दुनिया को छोड़कर चला गया, वह अनपढ़ था, निरक्षर था। परंतु उसके भी अनगिनत सपने थे। सपने देखने के लिए किसी भी प्रकार की साक्षरता की आवश्यकता नहीं होती। वह रोज अपनी इच्छाओं, आकांक्षाओं को मानो किताब में लिखता रहता था।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

प्रश्न 5.
(अ) कैलाश सेंगर जी की प्रसिद्ध रचनाओं के नाम – ……………………………………
उत्तर :

  • सूरज तुम्हारा है (गजल संग्रह)
  • यहाँ आदमी नहीं, जूते भी चलते हैं
  • सुबह होने का इंतजार (कहानी संग्रह)
  • अभी रात बाकी है (अनूदित साहित्य)

(आ) गजल इस भाषा का लोकप्रिय काव्य प्रकार है – ……………………………………
उत्तर :
उर्दू

प्रश्न 6.
कोष्ठक में दी गई सूचना के अनुसार काल परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिए :
(1) एक-एक क्षण आपको भेंट कर देता हूँ। (सामान्य भविष्यकाल)
(2) बैजू का लहू सूख गया है। (सामान्य भूतकाल)
(3) मन बहुत दुखी हुआ था। (अपूर्ण भूतकाल)
(4) पढ़-लिखकर नौकरी करने लगा। (पूर्ण भूतकाल)
(5) यात्रा की तिथि भी आ गई। (सामान्य वर्तमानकाल)
(6) मैं पता लगाकर आता हूँ। (सामान्य भविष्यकाल)
(7) गर्ग साहब ने अपने वचन का पालन किया। (सामान्य भविष्यकाल)
(8) मौसी कुछ नहीं बोल रही थी। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
(9) सुधारक आते हैं। (पूर्ण भूतकाल)
(10) प्रकाश उसमें समा जाता है। (सामान्य भूतकाल)
उत्तर :
(1) एक-एक क्षण आपको भेंट कर दूंगा।
(2) बैजू का लहू सूख गया।
(3) मन बहुत दुखी हो रहा था।
(4) पढ़-लिखकर नौकरी करने लगा था।
(5) यात्रा की तिथि भी आ जाती है।
(6) मैं पता लगाकर आऊँगा।
(7) गर्ग साहब अपने वचन का पालन करेंगे।
(8) मौसी कुछ नहीं बोल रही है।
(9) सुधारक आए थे।
(10) प्रकाश उसमें समा जाता था।

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Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 9 चुनिंदा शेर Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका के प्रश्न 2 (अ) तथा प्रश्न 2 (आ) के लिए
पद्यांश क्र. 1

प्रश्न. निम्नलिखितपद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के लिए पद्यांश में प्रयुक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए :
(1) पक्षी – ………………………………………….
(2) सपना – ………………………………………….
(3) कला – ………………………………………….
(4) क्रांति – ………………………………………….
उत्तर :
(1) पक्षी – परिंदे
(2) सपना – ख्वाब
(3) कला – हुनर
(4) क्रांति – इन्कलाब

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द पद्यांश में से ढूँढ़कर लिखिए :
(1) निशा = कवि जिंदगी के सवालों में खो गए तब ऐसा हआ कि कवि के सवालों के जवाब उनके उजालों में खो गए।
(2) कुसुम = कवि जिंदगी के सवालों में खो गए तब ऐसा हआ कि कवि के सवालों के जवाब उनके उजालों में खो गए।
(3) प्रश्न = कवि जिंदगी के सवालों में खो गए तब ऐसा हआ कि कवि के सवालों के जवाब उनके उजालों में खो गए।
(4) स्वामी = कवि जिंदगी के सवालों में खो गए तब ऐसा हआ कि कवि के सवालों के जवाब उनके उजालों में खो गए।
उत्तर :
(1) निशा = रात
(2) कुसुम = फूल
(3) प्रश्न = सवाल
(4) स्वामी = मालिक।

पद्यांश क्र. 2
प्रश्न. निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
पद्यांश से दो ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए, जिनके उत्तर निम्नलिखित हों :
(1) किताब
(2) अपनी साँस।
उत्तर :
(1) मजदूर रोज क्या लिखता था?
(2) कवि को क्या पराए धन-सी लगती है?

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का वचन बदलकर लिखिए :
(1) किताब – ……………………………….
(2) नदी – ……………………………….
(3) आँखों – ……………………………….
(4) उँगलियाँ – ……………………………….
उत्तर :
(1) किताब – किताबें
(2) नदी – नदियाँ
(3) आँखों – आँख
(4) उँगलियाँ – उँगली।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के लिंग पहचानकर लिखिए :
(1) साँस – ……………………………….
(2) कंगन – ……………………………….
(3) सड़क – ……………………………….
(4) चादर – ……………………………….
उत्तर :
(1) साँस – स्त्रीलिंग
(2) कंगन – पुल्लिंग
(3) सड़क – स्त्रीलिंग
(4) चादर – स्त्रीलिंग।

रसास्वादन मुद्दों के आधार पर
कृतिपत्रिका के प्रश्न 2 (इ) के लिए

प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर शेरों का रसास्वादन कीजिए :
उत्तर :
(1) रचना का शीर्षक : चुनिंदा शेर।
(2) रचनाकार : कैलाश सेंगर।
(3) कविता की केंद्रीय कल्पना : प्रस्तुत कविता में कवि की रचनाओं की प्रभावशीलता, परेशानियों से घबराए बिना उनका सामना करना, सुखद भविष्य के सपने देखना, उन्हें प्राप्त करने का प्रयास करने, आँसुओं को हँसी से छिपा लेना, त्याग और तपस्या के महत्त्व, समाज की भलाई की इच्छा, मनुष्य की सहन शक्ति की सीमा, विद्रोह, मेहनतकश इनसान के दिलोदिमाग में चलने वाली निराशा और हताशा की आँधियों का उल्लेख किया गया है। साथ ही इच्छा व्यक्त की गई है।
(4) रस-अलंकार :
(5) प्रतीक विधान : चट्टानी रातों को जुगनू से वह सँवारा करती है’ पंक्तियों में आशा की एक किरण के लिए जुगनू का प्रतीक के रूप में प्रयोग किया गया है।
(6) कल्पना : सामाजिक विषमता, अव्यवस्था तथा आम आदमियों की विवशताओं को अभिव्यक्त किया गया है।
(7) पसंद की पंक्तियाँ तथा प्रभाव : इसमें लाशें भी मिला करती हैं, तुम जरा देख-भाल तो लेते। इसको माँ कहके पूजनेवालों, इस नदी को खंगाल तो लेते। नदियों को माँ की तरह पूजनेवालों के लिए इन पंक्तियों में नदियोंको साफ-सुथरा रखने का आँख खोलनेवाला संदेश दिया गया है।
(8) कविता पसंद आने का कारण : इन पंक्तियों में कवि जलप्रदूषण रोकने की प्रेरणा दे रहे हैं। नदी मानव सभ्यता के लिए जीवन दायिनी का काम करती है। हमें नदी को स्वच्छ रखना चाहिए। कूड़ा-करकट, रसायन आदि नदी में नहीं डालने चाहिए।

अलंकार

प्रश्न 1.
निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में निहित अलंकार पहचानकर उसका नाम लिखिए :
(1) नहिं पराग, नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिं काल।
अलि कलि ही सौं बिंध्यौ, आगे कौन हवाल।।
(2) सिर फट गया उसका, मानो अरुण रंग का घड़ा।
(3) वन शारदी चंदिका चादर ओढ़े।
उत्तर :
(1) अन्योक्ति अलंकार
(2) उत्प्रेक्षा अलंकार
(3) रूपक अलंकार।

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रस

प्रश्न 1.
निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में निहित रस पहचानकर है उसका नाम लिखिए :
(1) बतरस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय।
सौंह करै, भौंहन हँसै, दै न कहि नटि जाय।।

(2) एक भरोसो, एक बल, एक आस विश्वास।
एक राम घनश्याम हित, चातक तुलसीदास।।

(3) आँखें निकाल उड़ जाते, क्षण भर उड़कर आ जाते।
शव जीभ खींचके कौवे, चुभला-चुभलाकर खाते।।
उत्तर :
(1) शृंगार रस
(2) भक्ति रस
(3) वीभत्स रस।

मुहावरे

प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :

(1) चोर की दाढ़ी में तिनका
अर्थ : अपराधी का भयभीत और सशंकित रहना।
वाक्य : दरोगा साहब को चोर की दाढ़ी में तिनका के है सिद्धांत पर अपराधियों को पकड़ने में समय नहीं लगता था।

(2) डकार तक न लेना
अर्थ : सब कुछ हजम कर लेना।
वाक्य : भ्रष्टाचार में लिप्त लोग करोड़ों रुपए खाकर बैठ जाते हैं और डकार तक नहीं लेते।

(3) पाँचों ऊँगलियाँ घी में होना
अर्थ : चहुँ ओर लाभ होना।
वाक्य : जब तक नरेश अपने नाना के साथ कोलकाता में धंधा करता था, तब तक उसकी पाँचों ऊँगलियाँ घी में होती थी।

(4) पोंगा होना
अर्थ : नासमझ होना।
वाक्य : भोलाराम की बात मत करो, वह तो पोंगा है पोंगा।

(5) बात का धनी
अर्थ : वचन का पक्का।
वाक्य : सेठ जेठामल गुस्सैल जरूर हैं, पर बात के धनी हैं।

(6) मूंछ उखाड़ना
अर्थ : घमंड चूर-चूर कर देना।
वाक्य : गोल्डन समारा अखाड़े के बाहर दारा सिंह को बढ़-चढ़कर चुनैतियाँ दे रहा था, पर अखाड़े में उतरा, तो दारा सिंह ने पटक-पटक कर उसकी मूंछ उखाड़ ली।

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वाक्य शुद्धिकरण

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके लिखिए :
(1) यहाँ तक की मिट्टी प्रदूषन से अछूती नहीं रही।
(2) निराला जी अपने युग की विशिष्ठ प्रतीभा हैं।
(3) चारों तरफ खुशिया जूमती थीं।
उत्तर :
(1) यहाँ तक कि मिट्टी भी प्रदूषण से अछूती नहीं रही।।
(2) निराला जी अपने युग की विशिष्ट प्रतिभा हैं।
(3) चारों तरफ खुशियाँ झूमती थीं।

चुनिंदा शेर Summary in Hindi

चुनिंदा शेर कवि का परिचय

चुनिंदा शेर कवि का नाम : कैलाश सेंगरय। (जन्म 16 फरवरी, 1954.)

चुनिंदा शेर प्रमुख कृतियाँ : सूरज तुम्हारा है (गजल संग्रह), यहाँ आदमी नहीं, जूते भी चलते हैं, सुबह होने का इंतजार (कहानी संग्रह), अभी रात बाकी है (अनूदित साहित्य) आदि।

चुनिंदा शेर विशेषता : कैलाश सेंगर जी की कविताएँ सहज-सरल भाषा में लिखी गई हैं, जिनमें आम आदमी की जिंदगी में व्याप्त वेदना, भावना आदि की अभिव्यक्ति है। गजल, गीत, कविता, कहानी, नाटक और पत्रकारिता के क्षेत्र में आपका योगदान उल्लेखनीय है। कथानक के तीखेपन और मौलिक प्रयोगों के कारण कैलाश सेंगर अत्यंत लोकप्रिय हैं। विधा उर्दू कविता का लोकप्रिय प्रकार गजल है। इस विधा की लोकप्रियता के फलस्वरूप हिंदी साहित्य में भी इसने अपनी जगह बना ली है और प्रेम की भावभूमि से हटकर यथार्थ की जमीन पर खड़ी है।

चुनिंदा शेर विषय प्रवेश : प्रस्तुत गजलों में सामाजिक विषमता, अव्यवस्था, आम आदमी की विवशताओं को विभिन्न चित्र शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त किया गया है।

चुनिंदा शेर कविता का सरल अर्थ

(1) गजलों से खुशबू …………………………………………. हुनर देता है।

कैलाश जी का यह मानना है कि कवि अपनी गजलों से, अपनी कविताओं से खुशबू फैलाने में सक्षम होता है। वह अपनी कृतियों से चट्टानों पर भी फूल खिला सकता है अर्थात असंभव कार्य को संभव करके दिखा सकता है, क्रांति ला सकता है।

परिंदे ईश्वर से शिकायत कर रहे हैं कि हे मालिक कभी तो हमारी बात भी सुनो। ऐसा प्रतीत होता है कि जो दाना आपकी कृपा से हमें प्राप्त होता है, उसमें भी कीड़े लगे हैं। अर्थात आपकी कृपा भी अब प्रदूषित हो गई है।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 9 चुनिंदा शेर 1

कवि जिंदगी में आई परेशानियों से अप्रभावित हुए बिना उनका इस प्रकार सामना करते रहे कि वहीं से मानो उजाले फूट पड़े। सारी परेशानियाँ इस प्रकार समाप्त हो गईं मानो कभी थी ही नहीं।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 9 चुनिंदा शेर

कवि कहते हैं कि ऐसा प्रतीत होता है कि हर सुबह हमारे लिए एक नया संदेश लेकर आती है। रात्रि के घोर अंधकार में जुगनू है द्वारा फैलाए गए हल्के से प्रकाश में भी आशा की एक किरण छिपी होती है।

कवि नित्य नए सपने देखता था, जागती आँखों के सपने। वह नहीं जानता था कि उसके सपनों में, उसके विचारों में क्रांति का बीज छिपा है। उसके द्वारा आसमान पर लिखे गए सपने एक दिन क्रांति का रूप ले लेंगे।

हँसी और आँसू मनुष्य के जीवन के दो अंग हैं। परंतु आज है हर मनुष्य अपने जीवन की विसंगतियों से इस कदर त्रस्त है कि वह नहीं चाहता कि दूसरा कोई भी अपने आँसुओं से उसका कंधा भिगोए। अतः अच्छा यही रहेगा कि अपने चेहरे पर एक मुखौटा लगाया जाए और अपने आँसुओं को हँसी से छिपा लिया जाए।

कवि त्याग और तपस्या के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं कि ईश्वर फकीरों, साधुओं और समाज की भलाई की इच्छा रखने वाले लोगों को ऐसी शक्ति प्रदान करता है कि उनके मुख से निकले आशीर्वाद सच होने लगते हैं। ऐसे लोगों की आँखें मानो करुणा और स्नेह बरसाती रहती हैं।

(2) इसमें लाशें भी मिला करती हैं …………………………………………. इक किताब लिखता था।

कवि कहते हैं कि हमारी संस्कृति में नदी को माता के रूप में पूजा जाता है। नदी मानव सभ्यता के लिए जीवन दायिनी का काम करती है। इस नदी रूपी माता के लिए हमारा भी कुछ उत्तरदायित्व है। इसमें लोग लाशें तक बहा देते हैं। हमें नदी को स्वच्छ रखना चाहिए। कूड़ा-कचरा, रसायन आदि नदी में नहीं डालने चाहिए।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 9 चुनिंदा शेर 2

कवि कहते हैं कि हर मनुष्य की सहन शक्ति की एक सीमा होती है। प्रतिकूल परिस्थितियों, असफलताओं और अन्याय को सहन करने की शक्ति जिस दिन समाप्त हो जाएगी, उस व्यक्ति का विवेक उसका साथ छोड़ देगा, वह दिन बस विद्रोह का दिन होगा।

कवि कहते हैं कि जीवन में निरंतर मिलती निराशाओं के कारण आँखों से आँसू इस प्रकार बहते रहते हैं मानो बाढ़ आ गई हो। कभी-कभी तो ऐसा प्रतीत होता है कि यह जीवन नहीं, बल्कि अषाढ़ का महीना है और निरंतर बादल बरस रहे हैं।

एक मेहनतकश इन्सान का वर्णन करते हुए कवि कहते हैं कि वह जेठ मास की कड़कती हुई धूप में नंगे पाँव डामर की जलती सड़क पर चला जा रहा है। उसके पैरों की उँगलियाँ जल रही हैं। साथ ही दिलोदिमाग में निराशा और हताशा की आँधियाँ चल रही हैं, बिजलियाँ घुमड़ रही हैं।

कवि कहते हैं कि मनुष्य की साँसें निश्चित हैं अर्थात प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन में कितना आयुष्य पाएगा, कितनी साँसें ले पाएगा, यह पूर्वनिश्चित है। कवि को ऐसा महसूस होता है मानो उनकी साँसें उनकी अपनी नहीं हैं। अपनी साँसों की संख्या पर उनका कोई अधिकार नहीं है। ठीक उसी प्रकार जैसे किसी दूसरे की धन-संपत्ति पर हमारा अधिकार नहीं होता। या जैसे हम आवश्यकता पड़ने पर अपने कंगन या अन्य कोई आभूषण किसी महाजन के पास गिरवी रख देते हैं। उसी प्रकार हमारी साँसें भी हमारी अपनी नहीं है।

कवि सृष्टि को बनाने वाले जीवनदाता से कहता है कि इस संसार में अनगिनत लोग ऐसे हैं, जिनमें किसी का सिर खुला है, तो किसी के पैर चादर से बाहर हैं। ये लोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति भी नहीं कर पाते। हे ईश्वर ऐसा कुछ करो कि सभी लोगों को आवश्यकता की हर चीज मिले। सभी अपना भरण-पोषण उचित ढंग से कर सकें।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 9 चुनिंदा शेर 3

कवि कहते हैं कि कल भूख और बीमारी के कारण जिस मजदूर की साँसें बंद हो गईं, जो इस निर्मोही दुनिया को छोड़कर चला गया, वह अनपढ़ था, निरक्षर था। परंतु उसके भी अनगिनत सपने थे। सपने देखने के लिए किसी भी प्रकार की साक्षरता की आवश्यकता नहीं होती। वह रोज अपनी इच्छाओं, आकांक्षाओं को मानो किताब में लिखता रहता था।

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चुनिंदा शेर मुहावरे : अर्थ और वाक्य प्रयोग

(1) चट्टानों पर फूल खिलना।
अर्थ : कड़ी मेहनत से खुशहाली पाना।
वाक्य : हिमानी ऐसी दृढनिश्चयी है कि यदि वह ठान ले तो चट्टानों पर फूल खिला सकती है।

(2) सिर से पानी गुजर जाना।
अर्थ : कष्ट या संकट का पराकाष्ठा तक पहुँच जाना, संयम अथवा सहने की शक्ति समाप्त हो जाना।
वाक्य : आए दिन सेठ की गालियाँ सुन-सुनकर गोपाल को लगा कि अब तो सिर से पानी गुजर गया और वह मालिक को टका-सा जवाब देकर नौकरी छोड़कर चला गया।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 सुनो किशोरी

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 8 सुनो किशोरी Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 सुनो किशोरी

12th Hindi Guide Chapter 8 सुनो किशोरी Textbook Questions and Answers

कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर

आकलन

प्रश्न 1.
(अ) अंतर स्पष्ट कीजिए :

रूढ़ि  परंपरा
(1) ……………………..  (1) ……………………..
(2) ……………………..  (2) ……………………..

उत्तर :

रूढ़ि  परंपरा
(1) रूढ़ि स्थिर होती है। (1) परंपरा निरंतर गतिशील है।
(2) रूढ़ि ऐसी रीति-नीति है, जो समय के साथ अपना अर्थ खो चुकी है। (2) परंपरा समय के साथ बहती धारा है, जो अनुपयोगी हो गए मूल्यों को छोड़कर उपयोगी मूल्यों के साथ आगे बढ़ती है।

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(आ) कारण लिखिए :
(1) सुगंधा का पत्र पाकर लेखिका को खुशी हुई …………………………………..
(2) पश्चिमी मूल्य रूपी फल हमारे किसी काम के नहीं होंगे …………………………………..
उत्तर :
(1) सुगंधा का पत्र पाकर लेखिका को खुशी हुई क्योंकि सुगंधा लेखिका की पुत्री थी।
(2) रूढ़ि अर्थात ऐसी रीतियाँ, जो समय के साथ अनुपयोगी हो गई हैं, जिनका पालन करके समाज पिछड़ रहा हो, उन्हें हमें छोड़ देना चाहिए। जैसे बाल विवाह, पर्दा प्रथा, बहुविवाह प्रथा आदि।

शब्द संपदा

प्रश्न 2.
शब्द युग्म को पाठ के आधार पर पूर्ण कीजिए :
(1) क्षत – …………………………………..
(2) आदान – …………………………………..
(3) सूझ – …………………………………..
(4) सोच – …………………………………..
उत्तर :
(1) क्षत – विक्षत
(2) आदान – प्रदान
(3) पुरानी – जर्जर
(4) कहने – सुनने

अभिव्यक्ति

प्रश्न 3.
(अ) विद्यार्थी जीवन में मित्रता का महत्त्व’, इस विषय पर अपना मंतव्य लिखिए।
उत्तर :
विद्यार्थी जीवन स्वतंत्र जीवन होता है। यह ऐसा महत्त्वपूर्ण समय होता है, जिसमें विद्यार्थी चाहे तो अच्छा इनसान बन सकता है और बिगड़ना चाहे तो बिगड़ सकता है। यह ऐसी अवस्था है, जब एक युवा या युवती के विकास में उसके संगीसाथियों का बहुत अधिक प्रभाव होता है।

यदि इस समय अच्छे विद्यार्थियों से मित्रता होगी, तो वह भविष्य में अच्छा ही रहेगा और यदि उसकी संगति बुरे विद्यार्थियों से होगी तो उस पर भी बुरी संगत का असर होगा और वह भी अपने लक्ष्य से भटक जाएगा। सच्चा मित्र हमारे सुख-दुख में सदैव हमारा साथ देता है।

हमारी उलझनों, परेशानियों को दूर करने में हमारी सहायता करता है।

(आ) ‘युवा पीढ़ी किस ओर’, इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
युवा वर्ग किसी भी समाज व देश के लिए आशा की किरण होता है। देशवासी युवाओं में देश का भविष्य देखते हैं। परंतु आज की युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति, अपने मूल्यों को तो काट फेंकना चाहती है परंतु पश्चिमी संस्कृति के पीछे दीवानी हो रही है।

युवा पीढ़ी कर्तव्य-पालन के समय विदेशों के उदाहरण दिया करती है। वहाँ युवक-युवती प्रारंभ से ही अपनी अलग गृहस्थी बसा लेते हैं। परंतु ये लोग इस तथ्य को नकार देते हैं कि वहाँ बहुत छोटी अवस्था से ही किशोर-किशोरी स्वावलंबी हो जाते हैं।

वे अपने पोषण के लिए माता-पिता पर निर्भर नहीं करते। प्रत्येक संस्कृति के जीवन-मूल्य अलग होते हैं। भारतीय युवाओं को यह तथ्य समझना चाहिए।

पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न

प्रश्न 4.
(अ) ‘उड़ो बेटी, उड़ो ! पर धरती पर निगाह रखकर’, इस पंक्ति में निहित सुगंधा की माँ के विचार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
उड़ो बेटी, उड़ो पर धरती पर निगाह रखकर के द्वारा लेखिका का कहना है कि सपने देखना, उन्हें पूरा करने का प्रयास करना प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है। परंतु हमें अपनी महान सभ्यता, अपनी संस्कृति व अपने जीवन मूल्यों को कभी भी नहीं भूलना चाहिए।

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अपनी धरती से, अपनी जड़ों से कटकर कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक सुखी नहीं रह पाता। जीवन में ऐसे अनेक अवसर आते हैं, जब पीछे छोड़ दिए गए रिश्ते और लोग हमें याद आते हैं और हमें व्याकुल कर जाते हैं।

(आ) पाठ के आधार पर रूढ़ि-परंपरा तथा मूल्यों के बारे में लेखिका के विचार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
समय के साथ अपना अर्थ खो चुकी या वर्तमान प्रगतिशील समाज को पीछे ले जाने वाली समाज की कोई भी रीति-नीति रूढ़ि है। रूढ़ि स्थिर होती है। जबकि परंपरा समय के साथ अनुपयोगी हो गए मूल्यों को छोड़ती और उपयोगी मूल्यों को जोड़ती निरंतर बहती धारा परंपरा है। परंपरा गतिशील है।

एक निरंतर बहता निर्मल प्रवाह, जो हर सड़ी-गली रूढ़ि को किनारे फेंकता और हर भीतरी-बाहरी, देशी-विदेशी उपयोगी मूल्य को अपने में समेटता चलता है।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

प्रश्न 5.
(अ) आशारानी व्होरा जी के लेखन कार्य का प्रमुख उद्देश्य – …………………………………..
उत्तर :
विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी रही महिलाओं के जीवन संघर्ष को चित्रित करना और वर्तमान नारी वर्ग के सम्मुख उनके आदर्श प्रस्तुत करना।

(आ) आशारानी व्होरा जी की रचनाएँ – …………………………………..
उत्तर :

  • भारत की प्रथम महिला
  • स्वतंत्रता सेनानी लेखिकाएँ
  • क्रांतिकारी किशोरी
  • स्वाधीनता सेनानी
  • लेखक पत्रकार

प्रश्न 6.
कोष्ठक में दी गई सूचना के अनुसार अर्थ के आधार पर वाक्य परिवर्तन करके फिर से लिखिए :
(1) मनुष्य जाति की नासमझी का इतिहास क्रूर और लंबा है। (प्रश्नात्मक वाक्य)
(2) दया निर्बल थी, वह इतना भार सहन न कर सकी। (निषेधात्मक वाक्य)
(3) अपनी समस्याओं पर माँ से खुलकर बात करके उनसे सलाह (प्रश्नात्मक वाक्य)
(4) मेरे साथ न्याय नहीं हुआ है। (विधि वाक्य)
(5) शेष आप इस लिफाफे को खोलकर पढ़ लीजिए। (आज्ञार्थक वाक्य)
(6) ऐसे समय वह तुम्हारी बात न सुने। (विधि वाक्य) (7) वे निरर्थक हैं तो फिर सार्थक क्या है? (विधानार्थक वाक्य)
(8) मैं तुम्हें खिलौना समझता रहा और तुम साँप निकले। (विस्मयादिबोधक वाक्य)
(9) इस क्षेत्र में भी रोजगार की भरपूर संभावनाएं हैं। (निषेधात्मक वाक्य)
(10) आप भी तो एक विख्यात फीचर लेखक हैं। (विस्मयादिबोधक वाक्य)
उत्तर:
(1) क्या मनुष्य जाति की नासमझी का इतिहास क्रूर और लंबा है?
(2) दया सबल नहीं थी, वह इतना भार सहन न कर सकी।
(3) क्या अपनी समस्याओं पर माँ से खुलकर बात करके उनसे . सलाह लेती है?
(4) मेरे साथ न्याय करें।
(5) शेष आप इस लिफाफे को खोलकर पढ़ो।
(6) ऐसे समय वह तुम्हारी बात सुने।
(7) वे निरर्थक हैं।
(8) अच्छा मैं तुम्हें खिलौना समझता रहा और तुम साँप निकले।
(9) इस क्षेत्र में रोजगार की भरपूर संभावनाएँ नहीं हैं।
(10) आप एक विख्यात फीचर लेखक हैं!

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Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 8 सुनो किशोरी Additional Important Questions and Answers

(कृतिपत्रिका के प्रश्न 1 (अ) तथा प्रश्न 1 (आ) के लिए)
गद्यांश क्र. 1

प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 सुनो किशोरी 1
उत्तर :
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कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग लगाकर नए शब्दों को वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
(1) पसंद – …………………………………………….
(2) अधिकार – …………………………………………….
उत्तर :
(1) पसंद – ना + पसंद, नापसंद।
वाक्य : मुझे किसी की भी निंदा सुनना सख्त नापसंद है।

(2) अधिकार – अन + अधिकार, अनधिकार।
वाक्य : हमें दूसरों के मामलों में अनधिकार घुसपैठ नहीं करनी चाहिए।

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
‘पश्चिमी सभ्यता का अंधानुकरण समाज के लिए हानिप्रद’ विषय पर अपना मत व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
आज भारतीय पश्चिमी सभ्यता के जाल में दिन-ब-दिन इस सीमा तक फँसते जा रहे हैं कि अपनी संस्कृति को भूल रहे हैं। पश्चिम से आई हर चीज, चाहे वह उनका बोलने-चलने का ढंग हो या कपड़े पहनने का तरीका, वहाँ का खान-पान हो या वहाँ के त्योहार, आज हम सभी को अपनाने में अपनी शान समझते हैं, बिना यह सोचे कि वह हमारे देश, हमारे समाज और हमारी जलवायु के अनुकूल है भी या नहीं।

पश्चिमी सभ्यता सदा से ही खाओ, पियो और आनंद मनाओ के सिद्धांत को मानती आई है। आज पश्चिमी सभ्यता का अनुकरण करके हम दुख के भागी बन रहे हैं। समाज में चारों ओर अराजकता फैल रही है। इसके परिणामस्वरूप ही आज हमारे महान देश में वृद्धाश्रमों की संख्या बढ़ती जा रही है। हमें पश्चिमी सभ्यता का आकर्षण छोड़कर अपनी संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों का अनुसरण करना चाहिए।

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गद्यांश क्र. 2
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई। सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए :
(1) नई पीढ़ी इन्हें काट फेंकना चाहती है –
(2) नए मूल्यों के निर्माण का यह अभी नई पीढ़ी में नहीं आया है –
(3) आज नहीं तो कल, ये भरहराकर गिरेंगे ही –
(4) पश्चिमी मूल्यों के ये हमारे किसी काम के नहीं है –
उत्तर :
(1) पुराने मूल्यों को
(2) दम-खम
(3) जर्जर मूल्य
(4) फल।

प्रश्न 2.
कारण लिखिए : पश्चिमी मूल्य रूपी फल हमारे किसी काम के नहीं होंगे –
उत्तर :
जिस प्रकार हर पौधे को पनपने, फलने-फूलने के लिए विशेष प्रकार, की भूमि की आवश्यकता होती है, हर पौधा हर स्थान पर नहीं पनप सकता, उसी प्रकार हर देश व संस्कृति और समाज के मूल्य भी अलग होते हैं। पश्चिमी सभ्यता का अंधानुकरण भारतीय समाज के लिए अग्राह्य होगा।

प्रश्न 3.
वाक्य पूर्ण कीजिए :
(1) यह पगडंडी काटने का साहस ही पहले जरूरी है, …………………………………
(2) नए मूल्यों का निर्माण करना है तो नए ज्ञान-विज्ञान को …………………………………
उत्तर :
(1) यह पगडंडी काटने का साहस ही पहले जरूरी है, नई चौड़ी राह उसी में से खुलती दिखाई देगी।
(2) नए मूल्यों का निर्माण करना है तो नए ज्ञान-विज्ञान को पहले अपनी धरती पर टिकाना होगा।

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द लिखिए :
(1) निर्मल x ………………………….
(2) निर्माण x ………………………….
(3) धरती x ………………………….
(4) स्थिर x ………………………….
उत्तर :
(1) निर्मल x मलिन
(2) निर्माण x ध्वंस
(3) धरती x आकाश
(4) स्थिर x अस्थिर।

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प्रश्न 2.
शब्द युग्म को पाठ के आधार पर पूर्ण कीजिए :
(1) सोच – ………………………….
(2) रीति – ………………………….
(3) दम – ………………………….
(4) ज्ञान – ………………………….
उत्तर :
(1) सोच – समझ
(2) रीति – नीति
(3) दम – खम
(4) ज्ञान – विज्ञान।

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
‘पुरानी परंपराओं का त्याग करना ही उचित है’ विषय पर अपना मत व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
कोई भी प्रक्रिया लगातार प्रयोगों से गुजरने के बाद परंपरा का रूप ले लेती है। साथ ही उसमें परिवर्तन की गुंजाइश भी रहती है। परंतु जो बातें, परंपराएँ कल समाज के हित के लिए बनाई गई थीं, बदलती परिस्थितियों में पहले के समान हितकारक हों, आवश्यक नहीं है। अतः हमें ऐसी परंपराओं का मोह त्याग देना चाहिए। जैसे बाल विवाह का प्रचलन मुस्लिम काल में शायद आवश्यक रहा हो, परंतु कालांतर में यह परंपरा एक कुरीति के रूप में सामने आई और है इसके विरोध में 1929 में बाल विवाह अधिनियम बनाया गया। जो है समाज और देश पुरानी परंपराओं से चिपके रहते हैं, उनकी उन्नति है रुक जाती है और वे समय से पिछड़ जाते हैं।

गद्यांश क्र. 3
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई है सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
परिच्छेद से दो ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए, जिनके उत्तर निम्नलिखित हों :
(1) क्रांति की
(2) पछतावा।
उत्तर :
(1) किसकी बड़ी-बड़ी बातें करना आसान है?
(2) जब पानी सिर से गुजर चुका होता है, तब क्या होता है?

प्रश्न 2.
वाक्य सही करके लिखिए :
(1) उस स्थिति में की गई यह कथित क्रांति कठिन भी होगी और असफल भी।
(2) मेरी राय में तुम्हें और तुम्हारी दोस्त को धैर्य से प्रतीक्षा करनी चाहिए।
उत्तर :
(1) उस स्थिति में की गई यह कथित क्रांति न कठिन होगी और न असफल।
(2) मेरी राय में रचना को और उसके दोस्त को धैर्य से प्रतीक्षा करनी चाहिए।

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कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के लिंग पहचानकर लिखिए :
(1) हस्तक्षेप – ………………………………
(2) लगाव – ………………………………
(3) क्रांति – ………………………………
(4) प्रेरणा – ………………………………
उत्तर :
(1) हस्तक्षेप – पुल्लिंग
(2) लगाव – पुल्लिंग
(3) क्रांति – स्त्रीलिंग
(4) प्रेरणा – स्त्रीलिंग।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित जोड़ियों में से विशेषण और विशेष्य की सही जोड़ियाँ बनाकर लिखिए :
(1) निहायत – भावनाएँ
(2) नासमझ – किशोरी
(3) भावुक – मूर्खता
(4) रोमानी – उम्र।
उत्तर :
(1) निहायत – मूर्खता
(3) भावुक – किशोरी
(2) नासमझ – उम्र
(4) रोमानी – भावनाएँ।

गद्यांश क्र. 4
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई। सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 सुनो किशोरी 3
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 सुनो किशोरी 4

प्रश्न 2.
परिणाम लिखिए : सुगंधा रचना का साथ छोड़ देगी ……………………………
उत्तर :
सुगंधा रचना का साथ छोड़ देगी तो वह और टूट जाएगी। अकेली पड़कर वह उधर ही जाने के लिए कदम बढ़ा लेगी, जिधर जाने से सुगंधा उसे रोकना चाहती है।

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प्रश्न 3.
सहसंबंध जोड़कर अर्थपूर्ण वाक्य बनाइए :
(1) यदि तुम्हें लगे कि लड़का निर्दोष है, निश्छल है तो – दोनों को पढ़ाई के अंत तक प्रतीक्षा करने का परामर्श दे , सकती हो।
(2) एक शुभचिंतक सहेली के नाते – वह अपनी बड़ी बहन या भाभी से निर्देशन ले।
(3) यदि उसकी माँ इस योग्य न हो तो – उसका मन टटोलो और उसे प्यार से समझाओ।
(4) उसका मूड देखकर – तुम्हें उसे इसलिए अकेले नहीं छोड़ देना है कि वह तुम्हारी बात नहीं सुनती।
उत्तर :
(1) यदि तुम्हें लगे कि लड़का निर्दोष है, निश्छल है तो दोनों को पढ़ाई के अंत तक प्रतीक्षा करने का परामर्श दे, सकती हो।
(2) एक शुभचिंतक सहेली के नाते तुम्हें उसे इसलिए अकेले नहीं छोड़ देना है कि वह तुम्हारी बात नहीं सुनती।
(3) यदि उसकी माँ इस योग्य न हो तो ऐसे समय वह अपनी बड़ी बहन या भाभी से निर्देशन ले।
(4) उसका मूड देखकर उसका मन टटोलो और उसे प्यार से समझाओ।

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
परिच्छेद में प्रयुक्त उपसर्गयुक्त शब्दों से मूल शब्द और उपसर्ग अलग कीजिए और उन उपसर्गों से दो-दो नए शब्द बनाइए:
(1) ………………………………….
(2) ………………………………….
(3) ………………………………….
(4) ………………………………….
उत्तर :
(1) अडिग – अ + डिग, (1) अधर्म – (2) असत्य।
(2) अनहोनी – अन + होनी, (1) अनपढ़ – (2) अनजान।
(3) हमदर्द – हम + दर्द, (1) हमशक्ल – (2) हमउम्र।
(4) निर्दोष – निर् + दोष, (1) निर्जन – (2) निर्बल।

प्रश्न 2.
शब्द युग्म को पाठ के आधार पर पूर्ण कीजिए :
(1) सूझ – ………………………………….
(2) बेटा – ………………………………….
उत्तर :
(1) सूझ – समझ
(2) बेटा – बेटी।।

मुहावरे

प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
(1) कागजी घोड़े दौड़ाना
अर्थ : लिखा-पढ़ी करना।
वाक्य : आजकल के जमाने में केवल कागजी घोड़े दौड़ाने से काम नहीं बनता।

(2) खाला का घर
अर्थ : आसान काम।
वाक्य : गाँव के लोग दस-पाँच किलोमीटर पैदल चल लेना खाला का घर समझते हैं।

(3) खाल मोटी होना
अर्थ : बेशर्म होना।
वाक्य : घोटाला करने वाले राजनीतिज्ञों की खाल मोटी होती है।

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(4) गिरगिट की तरह रंग बदलना
अर्थ : अवसरवादी होना।
वाक्य : आजकल के कुछ नेता अवसर देखकर गिरगिट की तरह रंग बदल लेते हैं।

(5) घोड़े बेचकर सोना
अर्थ : निश्चित होकर सोना।
वाक्य : दिनभर सड़क बनाने वाले मजदूर रात को ऐसे सो रहे थे, मानो घोड़े बेचकर सो रहे हों।

(6) चोली दामन का साथ होना
अर्थ : घनिष्ठ संबंध होना।
वाक्य : प्राचीनकाल की गुरुकुल शिक्षा प्रणाली में गुरु-शिष्य का चोली दामन का साथ होता था।

(7) कन्नी काटना।
अर्थ : निकल जाना।
वाक्य : बड़ा बेटा और बहू पहले ही माँ-बाप से कन्नी काट चुके थे।

काल परिवर्तन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों को कोष्ठक में सूचित काल में परिवर्तन कीजिए :
(1) नए मूल्यों के निर्माण का दम-खम अभी उसमें नहीं आया है। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
(2) ये बातें बेटा-बेटी के लिए समान रूप से लागू होती हैं। (सामान्य भविष्यकाल)
(3) मैं इसके परिणाम की प्रतीक्षा करूँगी। (अपूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
(1) नए मूल्यों के निर्माण का दम-खम अभी उसमें नहीं आ रहा है।
(2) ये बातें बेटा-बेटी के लिए समान रूप से लागू होंगी।
(3) मैं इसके परिणाम की प्रतीक्षा कर रही थी।

वाक्य शुद्धिकरण

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके लिखिए :
(1) हमें पुरानी-झर्झर रूढ़ियों को तोड़णा है।
(2) में इसके परिणाम की प्रतीक्छा करूँगी।
(3) दोस अकेली रचना का है बी नहीं।
उत्तर :
(1) हमें पुरानी-जर्जर रूढ़ियों को तोड़ना है।
(2) मैं इसके परिणाम की प्रतीक्षा करूँगी।
(3) दोष अकेली रचना का है भी नहीं।

सुनो किशोरी Summary in Hindi

सुनो किशोरी लेखक का परिचय

सुनो किशोरी लेखक का नाम : आशारानी व्होरा। (जन्म 7 अप्रैल, 1921; निधन 2009.)

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सुनो किशोरी प्रमुख कृतियाँ : भारत की प्रथम महिलाएँ, स्वतंत्रता सेनानी लेखिकाएँ, क्रांतिकारी किशोरी, स्वाधीनता सेनानी, लेखक-पत्रकार आदि।

सुनो किशोरी विशेषता : आपने आधुनिक हिंदी साहित्य में नारी विषयक लेखन को समृद्ध किया। लेखन में नई धारा को जन्म। विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी रही. महिलाओं के जीवन संघर्ष को चित्रित किया और वर्तमान नारी वर्ग के सम्मुख उनके आदर्श प्रस्तुत किए।

सुनो किशोरी विधा : पत्र शैली में लिखा गया निबंध।

सुनो किशोरी विषय प्रवेश : प्रस्तुत पाठ पत्र शैली में लिखा गया है। लेखिका अपनी पुत्री को रूढ़ि और परंपरा का अंतर बताते हुए कह रही है कि हमें जीवन में ऊँचा उठने का प्रयास अवश्य करना चाहिए परंतु अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता से कटकर नहीं। साथ ही लेखिका का यह भी कहना है कि किशोरियों की शंकाओं, परेशानियों, प्रश्नों, दुश्चिंताओं आदि के समाधान के लिए एक माँ या एक अच्छी सखी को मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करना चाहिए।

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सुनो किशोरी पाठ का सार

लेखिका की पुत्री सुगंधा की किशोरी सखी रचना ने अभी कॉलेज में प्रवेश लिया है। वहाँ वह एक सहपाठी की ओर आकर्षित हो जाती है। अभी लड़का और लड़की दोनों की आयु कम है। लेखिका अपनी पुत्री को उसे उचित मार्गदर्शन देने की प्रेरणा दे रही है। साथ ही सखी का साथ न छोड़ने का भी परामर्श देती है। किशोर अवस्था। में बच्चे अपने साथियों पर कहीं अधिक विश्वास करते हैं।

सुनो किशोरी मुहावरे : अर्ध औ२ वाक्य प्रयोग

(1) धरती पर निगाह रखना।
अर्थ : वास्तविकता से जुड़े रहना।
वाक्य : हमें प्रगति की राह पर निरंतर आगे बढ़ते हुए भी धरती पर निगाह रखनी चाहिए।

(2) फलीभूत होना।
अर्थ : फल में परिणत होना, परिणाम निकल आना।
वाक्य : सोनल के भारतीय प्रशासनिक सेवा में चुने जाने पर है उसके माता-पिता की आशाएँ फलीभूत हुईं।

(3) राह का रोड़ा बनना।
अर्थ : उन्नति में बाधा बनना।
वाक्य : कुछ लोग दूसरों को आगे बढ़ता नहीं देख सकते। जब देखो, वे किसी-न-किसी की राह का रोड़ा बने रहते हैं।

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(4) कन्नी काटना।
अर्थ : निकल जाना।
वाक्य : कामचोर विजय का जरा-से काम को क्या कह दिया, झट कन्नी काट ली।

(5) आगाह करना।
अर्थ : सूचित करना।
वाक्य : मौसम विभाग ने संपूर्ण महाराष्ट्र को मूसलाधार वर्षा के लिए आगाह किया है।

सुनो किशोरी शब्दार्थ

  • डैना = पंख
  • अवांछित = जिसकी इच्छा न की गई हो
  • भरहराकर = तेजी से
  • निहायत = अत्याधिक, पूरी तरह से
  • जुनून = पागलपन, उन्माद
  • अंतर्मुखी होना = अपने भीतर झाँककर सोचना
  • निजात = छुटकारा
  • आगाह करना = सूचित करना,
  • यथार्थ = सच्चाई/वास्तविकता
  • क्षत-विक्षत = बुरी तरह से घायल, लहू-लुहान
  • बुनियादी = मौलिक
  • भर्त्सना = अनुचित काम के लिए बुरा-भला कहना
  • अल्हड़ = भोला-भाला
  • राजदार = भेद जानने वाला/भेदिया
  • मंशा = इच्छा
  • निश्छल = छल रहित

सुनो किशोरी मुहावरे

  • धरती पर निगाह रखना = वास्तविकता से जुड़े रहना
  • राह का रोड़ा बनना = उन्नति में बाधा बनना
  • फलीभूत होना = फल में परिणत होना, परिणाम निकल आना
  • कन्नी काटना = बचकर निकल जाना

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 पेड़ होने का अर्थ

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 7 पेड़ होने का अर्थ Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 पेड़ होने का अर्थ

12th Hindi Guide Chapter 7 पेड़ होने का अर्थ Textbook Questions and Answers

कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर

आकलन

प्रश्न 1.
(अ) लिखिए : पेड़ का बुलंद हौसला सूचित करने वाली दो पंक्तियाँ :
(a) ……………………………………………..
(b) ……………………………………………..
उत्तर :
(a) भेड़िया, बाघ, शेर की दहाड़ पेड़ किसी से नहीं डरता है।
(b) पेड़ रात भर तूफान से लड़ा है।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 पेड़ होने का अर्थ

(आ) कृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 पेड़ होने का अर्थ 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 पेड़ होने का अर्थ 8

शब्द संपदा

प्रश्न 2.
निम्नलिखित भिन्नार्थक शब्दों का अर्थपूर्ण वाक्य में प्रयोग कीजिए :
(१) साँस – सास
……………………………………………
……………………………………………
(२) ग्रह – गृह
……………………………………………
……………………………………………
(३) आँचल-अंचल
……………………………………………
……………………………………………
(४) कुल-कूल
……………………………………………
……………………………………………
उत्तर :
(1) साँस – सच कहा गया है कि जब तक साँस है, तब तक आशा नहीं छोड़नी चाहिए।
सास – अपने गुणों के कारण रुचि सास की बहुत लाड़ली है।

(2) ग्रह – संपूर्ण सौर मंडल में शनि सबसे सुंदर ग्रह है।
गृह – आलोक ने गृह-प्रवेश के अवसर पर बड़ी शानदार पार्टी दी।

(3) आँचल – अनन्या सात साल की हो गई है पर अभी भी माँ का आँचल पकड़े उसके पीछे-पीछे घूमती रहती है।
अंचल – भाई की पोस्टिंग चंबल अँचल में होने पर घर के सभी लोग बहुत चिंतित हुए।

(4) कुल – रामचंद्र जी सूर्य कुल के सूर्य थे।
कूल – नदी के कूल पर ठंडी हवा मन को मोह रही थी।

अभिव्यक्ति

प्रश्न 3.

(अ) ‘पेड़ मनुष्य का परम हितैषी’, इस विषय पर अपना मंतव्य लिखिए।
उत्तर :
पेड़ मनुष्य का परम हितैषी है। प्रकृति की ओर से धरती को दिया गया अनमोल उपहार है पेड़। सभी प्रकार की वनस्पतियाँ, फल, फूल, अनाज, लकड़ी, खनिज सभी हमें पेड़ों से ही मिलते हैं। पेड़ हमें इमारती लकड़ी, ईंधन, पशुओं के लिए चारा, औषधि, लाख, गोंद, पत्ते आदि देते हैं।

हम जो विषैली वायु बाहर छोड़ते हैं, वृक्ष उसे ग्रहण करके स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक वायु हमें प्रदान करते हैं और हमें जीवन देते हैं। पेड़ वर्षा कराने में भी सहायक होते हैं। हमें अपने जीवन में वृक्षों के महत्त्व को समझना चाहिए।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 पेड़ होने का अर्थ

(आ) ‘भारतीय संस्कृति में पेड़ का महत्त्व’, इस विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
भारतीय संस्कृति में आदि काल से पेड़ों का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। पेड़ों को देवताओं का स्थान दिया गया है। पेड़ों की पूजा की जाती थी। उनके साथ मनुष्यों के समान आत्मीयता बरती जाती थी। पीपल के पेड़ की पूजा-अर्चना की जाती थी।

स्त्रियाँ उपवास करके उसकी परिक्रमा करती थी और जल अर्पण करती थी। इसी प्रकार केले के पेड़ के पूजन की भी प्रथा थी। तुलसी का पौधा तो आज भी अत्यंत पवित्र माना जाता है। बेल के पेड़ के पत्ते भगवान शंकर के मस्तक पर चढ़ाए जाते हैं।

वातावरण की शुद्धता के लिए पेड़ अत्यंत आवश्यक हैं क्योंकि हम जो विषैली वायु बाहर छोड़ते हैं, पेड़ उसे ग्रहण करके स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक वायु हमें प्रदान करते हैं और हमें जीवन देते हैं।

रसास्वादन

प्रश्न 4.
‘पेड़ हौसला है, पेड़ दाता है’, इस कथन के आधार पर संपूर्ण कविता का रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
पेड़ होने का अर्थ कविता में कवि डॉ. मुकेश गौतम पेड़ के माध्यम से मनुष्य को मानवता, परोपकार आदि मानवोचित गुणों की प्रेरणा दे रहा है। मनुष्य जरा-सी प्रतिकूल परिस्थिति आने पर या किसी कार्य में मनचाही सफलता न मिलने पर हौसला खो बैठता है। पेड़ भयंकर आँधी-तूफान का सामना करता है, घायल होकर टेढ़ा हो जाता है, परंतु वह अपना हौसला नहीं छोड़ता।

पेड़ के हौसले के कारण शाखों में स्थित घोंसले में चिड़िया के चहचहाते छोटे-छोटे बच्चे सारी रात भयंकर तूफान चलते रहने के बाद भी सुरक्षित रहते हैं। सचमुच पेड़ का हौसला बहुत बड़ा है। पेड़ बहुत बड़ा दाता है। पेड़ की जड़, तना, शाखाएँ, पत्ते, फूल, फल और बीज अर्थात पेड़ का कोई भी भाग अनुपयोगी नहीं होता। अपने स्वार्थ के लिए पेड़ पर कुल्हाड़ी चलाने वालों, उसे काटने वालों के किसी भी दुर्व्यवहार व अत्याचार का पेड़ कभी बदला लेने का नहीं सोचता। वह तो जीवन भर देता ही रहता है।

हम श्वासोच्छ्वास के माध्यम से जो विषैली वायु बाहर छोड़ते हैं, पेड़ उसे स्वच्छ करके हमें स्वास्थ्यवर्धक वायु प्रदान करता है। पेड़ रोगों के लिए विभिन्न प्रकार की औषधियाँ देता है। मनुष्य समाज में किसी की शवयात्रा हो या कोई शुभ कार्य, या फिर किसी की बारात, पेड़ सभी को पुष्पों की सौगात देता है।

पेड़ कवि को कागज, कलम तथा स्याही, पेड़ वैद्य और हकीम को विभिन्न रोगों के लिए दवाएँ तथा शासन और प्रशासन के लोगों को कुरसी, मेज और आसन देता है। वास्तव में देखा जाए तो पेड़ की ऐसी कोई भी वस्तु नहीं है, जो मनुष्य के काम न आती हो।

पेड़ संत के समान है, जो दूसरों को देते ही हैं, किसी से कुछ भी अपेक्षा नहीं रखते। वास्तविकता तो यह है कि पेड़ दधीचि है। जिस प्रकार दधीचि ने देवताओं की रक्षा के लिए वज्रास्त्र बनाने के लिए जीते-जी अपनी अस्थियाँ भी दान कर दी थीं, उसी प्रकार पेड़ बिना किसी स्वार्थ के जीवन भर देता ही रहता है।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

प्रश्न 5.
(अ) नयी कविता का परिचय – ……………………………………………..
उत्तर :
नयी कविता में काव्य क्षेत्र में नए भाव बोध को व्यक्त करने के लिए शिल्प पक्ष और भाव पक्ष के स्तर पर नए प्रयोग किए गए। नए प्रतीकों, उपमानों और प्रतिमानों को ढूँढ़ा गया। परिणामस्वरूप नयी कविता आज के मनुष्य के व्यस्त जीवन का दर्पण और आस-पास की सच्चाई की तस्वीर बनकर उभरी।

(आ) डॉ. मुकेश गौतम जी की रचनाएँ – ……………………………………………..
उत्तर :

  • अपनों के बीच
  • सतह और शिखर
  • सच्चाइयों के रू-ब-रू
  • वृक्षों के हक में
  • लगातार कविता
  • प्रेम समर्थक हैं पेड़
  • इसकी क्या जरूरत थी (कविता संग्रह)

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अलंकार

उत्प्रेक्षा : जहाँ पर उपमेय में उपमान की संभावना प्रकट की जाए या उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए; वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
उत् – + प्र + ईक्षा – अर्थात् प्रकट रूप से देखना।
इस अलंकार में मानो, जनु – जानहुँ, मनु – मानहुँ जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

  1. सोहत ओढ़े पीत पट श्याम सलोने गात।
    मनों नीलमनि शैल पर, आतप पर्यो प्रभात।।
  2. उस क्रोध के मारे तनु उसका काँपने लगा।
    मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।।
  3. लता भवन ते प्रगट भए तेहि अवसर दोउ भाइ।
    निकसे जनु जुग विमल बिंधु, जलद पटल बिलगाइ।।
  4. जान पड़ता है नेत्र देख बड़े-बड़े।
    हीरकों में गोल नीलम हैं जड़े।।
  5. झूठे जानि न संग्रही, मन मुँह निकसै बैन।
    याहि ते मानहुँ किए, बातनु को बिधि नैन।।

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कृतिपत्रिका के प्रश्न 2 (अ) तथा प्रश्न 2 (आ) के लिए)
पद्यांश क्र. 1 प्रश्न. निम्नलिखितपद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 पेड़ होने का अर्थ 5
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 पेड़ होने का अर्थ 6

प्रश्न 2.
वाक्य पूर्ण कीजिए :
(1) पेड़ किसी के पाँव
(2) आदमी एक पेड़ जितना
उत्तर :
(1) पेड़ किसी के पाँव नहीं पड़ता है।
(2) आदमी एक पेड़ जितना बड़ा कभी नहीं हो सकता।

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कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्द के वचन बदलकर लिखिए :
(1) साँस – …………………………….
(2) कमरे – …………………………….
(3) हौसला – …………………………….
(4) आँधी – …………………………….
उत्तर :
(1) साँस – साँसें
(2) अर्थ – आर्थिक
(3) हौसला – हौसले
(4) तूफान – तूफानी।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों में प्रत्यय लगाकर नए शब्द बनाइए :
(1) आदमी – …………………………….
(2) अर्थ – …………………………….
(3) बड़ा – …………………………….
(4) तूफान – …………………………….
उत्तर :
(1) आदमी – आदमियत
(3) बड़ा – बड़प्पन
(2) कमरे – कमरा
(4) आँधी – आँधियाँ।

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
‘हालात से भागने की बजाय उसका सामना करना ही बेहतर है’ इस विषय पर अपना मत स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कहा जाता है कि मनुष्य परिस्थितियों के हाथ में एक कठपुतली के समान होता है। यह भी कहा जाता है कि जब रेतीला तूफान आता है तो शुतुरमुर्ग अपनी गरदन रेत में गड़ा लेता है और समझता है कि खतरा टल गया। परंतु खतरा टलता नहीं है। ऐसा ही स्वभाव अनेक व्यक्तियों का भी होता है।

जब भी प्रतिकूल परिस्थितियाँ सामने आ जाती हैं, ऐसे लोग उनका सामना करने की बजाय अपना उद्देश्य ही बदल लेते हैं। ऐसा करना उचित नहीं है। स्थिति से भागने के बजाय डटकर उसका सामना करना चाहिए।

आज नहीं तो कल सफलता अवश्य मिलेगी। हमें पेड़ से सीख लेनी चाहिए। कैसा ही भयंकर आँधी-तूफान हो, पेड़ हार नहीं मानता, डटा रहता है।

पद्यांश क्र. 2
प्रश्न. निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए :
(1) पेड़ करता है – [ ]
(2) पेड़ देता है – [ ]
उत्तर :
(1) पेड़ करता है – सभी का स्वागत
(2) पेड़ देता है – सभी को विदाई

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कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का लिंग बदलकर लिखिए :
(1) चिड़िया – …………………………………….
(2) शेर – …………………………………….
(3) पहाड़ – …………………………………….
(4) बाघ – …………………………………….
उत्तर :
(1) चिड़िया – चिड़ा
(2) शेर – शेरनी
(3) पहाड़ – पहाड़ी
(4) बाघ – बाघिन।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए :
(1) पेड़ = …………………………………….
(2) हवा = …………………………………….
(3) पहाड़ = …………………………………….
(4) राहगीर = …………………………………….
उत्तर :
(1) पेड़ = तरु
(2) हवा = अनिल
(3) पहाड़ = पर्वत
(4) राहगीर = यात्री।

पद्यांश क्र. 3
प्रश्न. निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
कविता की पंक्तियों को उचित क्रमानुसार लिखकर प्रवाह तख्ता पूर्ण कीजिए:
(1) वृक्ष के पास ऐसी एक भी चीज नहीं है
(2) हमेशा देता आया है मनुष्य का साथ
(3) हमारे लिए ही तो है पेड़ की हर एक चीज
(4) सभी के लिए देता है पुष्पों की सौगात
उत्तर :
(1) हमारे लिए ही तो है पेड़ की हर एक चीज
(2) सभी के लिए देता है पुष्पों की सौगात
(3) हमेशा देता आया है मनुष्य का साथ
(4) वृक्ष के पास ऐसी एक भी चीज नहीं है

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कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के भिन्न अर्थों को वाक्यों द्वारा स्पष्ट कीजिए :
(1) जड़
(2) तना
(3) फल।
उत्तर :
(1) जड़ :

  • अर्थ : वृक्ष का मूल।
    वाक्य : वृक्ष अपनी जड़ के द्वारा धरती से पोषक तत्त्व ग्रहण करता है।
  • अर्थ : मूर्ख।
    वाक्य : मनीश को दर्शन की बातें क्या समझ आएँगी, वह है तो बिलकुल जड़ है।

(2) तना :

  • अर्थ : पेड़ का जमीन से ऊपर का मोटा भाग।
    वाक्य : तने के कारण ही पेड़ खड़ा रहता है।
  • अर्थ : अकड़ा हुआ।
    वाक्य : धीरज जाने अपने आपको क्या समझता है, हर समय तना रहता है।

(3) फल :

  • अर्थ : खाने का फल।
    वाक्य : हमें अपने भोजन में मौसमी फलों का समावेश अवश्य करना चाहिए।
  • अर्थ : परिणाम।
    वाक्य : परीक्षा-फल के दिन मंदिरों में छात्र-छात्राओं की भीड़ लग जाती है।

प्रश्न 2.
पद्यांश में प्रयुक्त विलोम शब्दों की जोड़ियों को वाक्य में प्रयोग कीजिए :
(1) ……………………………… वाक्य :
(2) ……………………………… वाक्य :
उत्तर :

  1. सुबह-शाम।
    वाक्य : मेरी माँ सुबह-शाम नियमपूर्वक मंदिर जाती है।
  2. दिन-रात।
    वाक्य : नेहा ने मेडिकल की प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए दिन-रात एक कर दिया।

रसास्वादन मुद्दों के आधार पर
कृतिपत्रिका के प्रश्न 2 (इ) के लिए

प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुद्दो के आधार पर पेड़ होने का अर्थ’ कविता का रसास्वादन कीजिए :
उत्तर :
(1) रचना का शीर्षक : पेड़ होने का अर्थ।
(2) रचनाकार : डॉ. मुकेश गौतम।

(3) कविता की केंद्रीय कल्पना : सब कुछ दूसरों को देकर जीवन की सार्थकता सिद्ध करना। पेड़ मनुष्य का बहुत बड़ा शिक्षक है। पेड़ मनुष्य का हौसला बढ़ाता है। वह उसे समाज के प्रति जिम्मेदारी का निर्वाह करना सिखाता है। पेड़ ने भारतीय संस्कृति को जीवित रखा है और उसने मानव को संस्कारशील बनाया है।

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(4) रस-अलंकार :

(5) प्रतीक विधान : कवि ने पेड़ को परोपकार के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करते हुए दर्शाया है। कवि ने इस तरह के महान त्यागी के लिए महर्षि दधीचि जैसे महान दाता तथा संत का प्रतीक के रूप में सटीक उपयोग किया है।

(6) कल्पना : पेड़ आदि काल से मनुष्य का सबसे बड़ा शिक्षक, उसका हौसला बढ़ाने वाला तथा समाज के प्रति उसको अपनी जिम्मेदारियाँ निभाने का बोध कराने वाला रहा है। उसने भारतीय संस्कृति को जीवित रखने और मनुष्य को संस्कारशील बनाने का काम किया है।

(7) पसंद की पंक्तियाँ तथा प्रभाव : कविता की पसंद की पंक्तियाँ इस प्रकार हैं :
राह में गिरा देता है फूल,
और करता है इशारा उसे आगे बढ़ने का।

(8) कविता पसंद आने का कारण : प्रस्तुत कविता में कवि ने पेड़ के माध्यम से मनुष्य को मानवता, परोपकार जैसे मानवोचित गुणों की प्रेरणा दी है।

अलंकार

प्रश्न 1.
निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में निहित अलंकार पहचानकर उसका नाम लिखिए :
(1) चरन-कमल बंदी हरिराई।
(2) पीपर पात सरिस मन डोला।
(3) हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग।
लंका सगरी जल गई, गए निसाचर भाग।
उत्तर :
(1) रूपक अलंकार।
(2) उपमा अलंकार।
(3) अतिशयोक्ति अलंकार।

रस

प्रश्न 1.
निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में निहित रस पहचानकर उसका नाम लिखिए :
(1) अखिल भुवन चर, अचर सब, हरि मुख में लख मातु।
चकित भई, गद्गद वचन, विकसित दृग पुलकातु।
(2) सुनहूँ राम जेहि शिवधनु तोरा।
सहसबाहु सम सो रिपु मोरा।
(3) मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई।
जाके सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोई।
उत्तर :
(1) अद्भुत रस
(2) रौद्र रस
(3) शांत रस।

मुहावरे

प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
(1) आसमान पर थूकना
अर्थ : अशोभनीय कार्य करना।
वाक्य : जिनके माता-पिता अपने बच्चों को अच्छे संस्कार नहीं देते, उनके बच्चे आसमान पर थूकने वाले हों, तो ताज्जुब नहीं।

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(2) उल्टी गंगा बहाना
अर्थ : उल्टा काम करना।
वाक्य : जब देखो तब ये सज्जन उल्टी गंगा ही बहाते हैं।

(3) एक लाठी से हाँकना
अर्थ : सबके साथ समान व्यवहार करना।
वाक्य : कुछ लोग अच्छे-बुरे सबको एक ही लाठी से हाँकने की कोशिश करते हैं।

(4) चार चाँद लगाना
अर्थ : शोभा बढ़ाना।
वाक्य : उस विद्वान की शालीनता उनके व्यक्तित्व में चार चाँद लगा रही थी।

(5) कोल्हू का बैल
अर्थ : बहुत परिश्रम करने वाला।
वाक्य : मुनीम जी की बात और है, वे तो कोल्हू के बैल

(6) कौड़ी-कौड़ी का मोहताज
अर्थ : अत्यंत निर्धन होना।
वाक्य : गनेश शेठ अपने जमाने में इस बाजार के सबसे बड़े सेठ थे, पर उनके बेटे ऐसे नालायक निकले कि आज वे कौड़ी-कौड़ी के मोहताज हो गए हैं।

काल परिवर्तन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों को कोष्ठक में सूचित काल में परिवर्तन कीजिए :
(1) कवि पेड़ को देख रहा था। (सामान्य भूतकाल)
(2) पेड़ सभी का स्वागत करता है। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
(3) किशोरी का पत्र पाकर खुशी हुई। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
(1) कवि ने पेड़ को देखा।
(2) पेड़ सभी का स्वागत कर रहा है।
(3) किशोरी का पत्र पाकर खुशी होगी।

वाक्य शुद्धिकरण

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके लिखिए :
(1) मनुश्य पेड़ जितना बड़ा कबी नहीं हो सकता।
(2) पेड़ पर चहचाते हुए चिड़िया के बच्चों की घोंसला है।
(3) ओझोन गैस मानव स्वास्थ के लिए हानिकारक होती है।
उत्तर :
(1) मनुष्य पेड़ जितना बड़ा कभी नहीं हो सकता।
(2) पेड़ पर चहचहाते हुए चिड़िया के बच्चों का घोंसला है।
(3) ओजोन गैस मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है।

पेड़ होने का अर्थ Summary in Hindi

पेड़ होने का अर्थ कवि का परिचय

कवि का नाम : डॉ. मुकेश गौतम। (जन्म 1 जुलाई, 1970.)

पेड़ होने का अर्थ कवि परिचय : डॉ. मुकेश गौतम ने आधुनिक कवियों में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। आज के मनुष्य की समस्याएँ और प्रकृति के साथ होने वाला क्रूर अत्याचार आपकी कविता में प्रखरता से उभरता है। सामाजिक सरोकार की भावना आपके काव्य का मुख्य स्वर है।

प्रमुख कृतियाँ : अपनों के बीच, सतह और शिखर, सच्चाइयों के रू-ब-रू, वृक्षों के हक में, लगातार कविता, प्रेम समर्थक हैं पेड़, इसकी क्या जरूरत थी (कविता संग्रह) आदि।

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विशेषता : आधुनिक भावबोध की सहज-सीधे रूप में अभिव्यक्ति। हास्य-व्यंग्य का सफल मंचन। भावों और विचारों का प्रभावशाली ढंग से संप्रेषण।

विधा : नई कविता

पेड़ होने का अर्थ टिप्पणियाँ

दधीचि : दधीचि एक महान ऋषि थे। कहा जाता है कि एक बार वृत्रासुर नामक राक्षस देवलोक पर अधिकार करने के लिए सभी देवताओं को तरह-तरह से परेशान कर रहा था। उसके अत्याचार बढ़ते ही जाते थे। ब्रह्मा जी ने देवताओं को बताया कि वृत्रासुर को मारने का एक ही उपाय है। वह है पृथ्वीवासी आत्म-त्यागी महर्षि दधीचि की अस्थियों से बना वज्र। देवराज इंद्र के कहने पर महर्षि ने बिना किसी हिचकिचाहट के उसी समय समाधि लगाई और अपनी देह त्याग दी।

विषय प्रवेश : पेड़ और मनुष्य का नाता आदि काल से रहा है। पेड़ मनुष्ये का बहुत बड़ा शिक्षक है। पेड़ मनुष्य का हौसला बढ़ाता है, समाज के प्रति जिम्मेदारी का निर्वाह करना सिखाता है। पेड़ ने भारतीय संस्कृति को जीवित रखा है और मानव को संस्कारशील बनाया है।

पेड़ होने का अर्थ कविता का सरल अर्थ

(1) आदमी पेड़ नहीं हो सकता ………………………………………….. हालात से लड़ता है।

प्रस्तुत कविता में कवि पेड़ के माध्यम से मनुष्य को मानवता, परोपकार आदि मानवोचित गुणों की प्रेरणा दे रहा है। कवि अपने कमरे में खिड़की के पास बैठा है। वह बाहर खड़े पेड़ को देखता है तो पेड़ का हौसला, उसकी दान की प्रवृत्ति कवि को सोचने पर विवश कर देती है। अनगिनत विचार उसके मस्तिष्क में उठने लगते हैं। कवि कहते हैं, मनुष्य कितना भी बड़ा क्यों हो जाए, वह पेड़ जैसा कभी नहीं बन सकता।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 पेड़ होने का अर्थ 2

पेड़ के हौसले से मनुष्य को सीख लेनी चाहिए। पेड़ जबसे जन्म लेता है अर्थात जब वह कोमल-सा अंकुर होता है, तब से जीवनपर्यंत किसी का आश्रय वह नहीं लेता। कैसा भी आँधी-तूफान आए या सामने कोई कैसा भी बड़े-से-बड़ा, प्रतापी राजा आ जाए, पेड़ कभी किसी के सामने नहीं झुकता।

जब तक पेड़ जीवित रहता है, जैसी भी परिस्थिति हो, एक ही स्थान पर खड़े-खड़े उसका डटकर सामना करता है। जबकि मनुष्य का स्वभाव है कि शक्तिशाली व्यक्ति या स्वार्थपूर्ति करने वाले के पैरों में नाक रगड़ने से भी वह नहीं कतराता। साथ ही जरा-सी प्रतिकूल परिस्थिति आने पर या किसी कार्य में मनचाही सफलता न मिलने पर हौसला खो बैठता है।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 पेड़ होने का अर्थ

(2) जहाँ भी खड़ा है ………………………………………….. पेड़ बहुत बड़ा हौसला है।

कवि कहते हैं, पेड़ जहाँ भी खड़ा हो, चाहे सड़क पर हो, किसी झील के किनारे हो या फिर पहाड़ के ऊपर हो, उसकी मनोस्थिति एक जैसी रहती है। पेड़ के सामने भेड़िया, बाघ जैसे हिंसक पशु आ जाएँ या शेर दहाड़ने लगे, पेड़ किसी से नहीं डरता। जबकि मनुष्य हिंसक पशु के सामने आने पर डर से ही मर जाता है। पेड़ मनुष्य के समान न कभी किसी की हत्या करता है, न ही आत्महत्या।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 पेड़ होने का अर्थ 3

इसके विपरीत पेड़ थके हुए यात्रियों को ठंडी हवा देता है, शीतल छाया देता है। यही नहीं पेड़, राहगीरों के समक्ष पुष्प वर्षा करके मानो उन्हें अपनी राह पर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देता है। पेड़ के समीप जो भी आता है, पेड़ सभी का स्वागत करता है। यात्री जब थकान उतरने के बाद पेड़ के नीचे से उठकर चल देते हैं, तो पेड़ सभी को विदा भी करता है। कवि कहते हैं कि गाँव के रास्ते में मुस्कुराता पेड़ जाने कबसे टेढ़ा खड़ा है।

पहले वह पेड़ टेढ़ा नहीं था। वह पूरी रात तेज तूफान का सामना करता रहा। पेड़ घायल हो गया, इसी के कारण टेढ़ा भी हो गया, परंतु उसने अपना हौसला नहीं छोड़ा। पेड़ की शाखों में एक घोंसले में चिड़िया के चहचहाते छोटे-छोटे बच्चे थे। सारी रात भयंकर तूफान चलते रहने के बाद भी पेड़ के हौसले के कारण वह छोटा-सा घोंसला सुरक्षित है। सचमुच पेड़ का हौसला बहुत बड़ा है।

(3) दाता है पेड़ ………………………………………….. पेड़ संत है, दधीचि है।

पेड़ बहुत बड़ा दाता है। पेड़ के फलों के गुणों से तो सभी परिचित हैं, परंतु इसके साथ ही पेड़ की जड़, तना, शाखाएँ हों या पत्ते, फूल और बीज, पेड़ का कोई भी भाग अनुपयोगी नहीं होता। मानव समाज में ऐसे भी लोग हैं, जो पेड़ को पूजते हैं। दूसरी ओर अपने स्वार्थ के लिए पेड़ पर कुल्हाड़ी चलाने वाले, उसे काटने वालों की भी कमी नहीं है। लेकिन पेड़ मनुष्य के किसी भी दुर्व्यवहार पर कभी भी आँसू नहीं गिराता।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 पेड़ होने का अर्थ

मानव पेड़ पर कैसा भी अत्याचार क्यों न करे, पेड़ उससे कभी बदला लेने का नहीं सोचता। वह तो जीवन भर देता ही रहता है। हम श्वासोच्छ्वास के माध्यम से जो विषैली वायु बाहर छोड़ते हैं, पेड़ उसे स्वच्छ करके हमें स्वास्थ्यवर्धक वायु प्रदान करता है। पेड़ रोगों के लिए विभिन्न प्रकार की औषधियाँ देता है।

मनुष्य समाज में किसी की शवयात्रा हो या कोई शुभ कार्य, या फिर किसी की बारात, पेड़ सभी को सजावट के लिए पुष्पों की सौगात देता है। जब से सृष्टि का आरंभ हुआ है, अनादि काल से पेड़ हमेशा मनुष्य को देता ही आया है। पेड़ कवि को कागज, कलम तथा स्याही प्रदान करता है।

पेड़ वैद्य और हकीम को विभिन्न रोगों के लिए दवाएँ देता है। पेड़ शासन और प्रशासन के लोगों को कुरसी, मेज और आसन देता है। वास्तव में देखा जाए तो पेड़ की ऐसी कोई भी वस्तु नहीं है, जो मनुष्य के काम न आती हो। पेड़ संत के समान है, जो दूसरों को देते ही हैं, किसी से कुछ भी अपेक्षा नहीं रखते।

वास्तविकता तो यह है कि पेड़ दधीचि है। जिस प्रकार दधीचि ने देवताओं की रक्षा के लिए वज्रास्त्र बनाने के लिए जीते-जी अपनी अस्थियाँ भी दान कर दी थीं, उसी प्रकार पेड़ बिना किसी स्वार्थ के जीवन भर देता ही रहता है।

पेड़ होने का अर्थ शब्दार्थ

  • ढूँठ = फूल-पत्ते विहीन सूखा पेड़
  • सौगात = भेंट, उपहार

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 पेड़ होने का अर्थ

पेड़ होने का अर्थ टिप्पणी

  • दधीचि : एक ऋषि जिन्होंने वृत्रासुर का वध करने हेतु अस्त्र बनाने के लिए इंद्र को अपनी हड्डियाँ दी थीं।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 पाप के चार हथियार

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 6 पाप के चार हथियार Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 पाप के चार हथियार

12th Hindi Guide Chapter 6 पाप के चार हथियार Textbook Questions and Answers

कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर

आकलन

प्रश्न 1.
(अ) कृति पूर्ण कीजिए:

(1) पाप के चार हथियार ये हैं –
(a) …………………………………………………..
(b) …………………………………………………..
(c) …………………………………………………..
(d) …………………………………………………..
उत्तर :
पाप के चार हथियार ये हैं –
उपेक्षा
निंदा
हत्या
श्रद्धा

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 पाप के चार हथियार

(2) जॉर्ज बर्नार्ड शॉ का कथन – ………………………………………………………
………………………………………………………………………………
………………………………………………………………………………
उत्तर :
जॉर्ज बर्नार्ड शॉ का कथन – जॉर्ज बर्नार्ड शॉ कहते हैं कि लोग उनकी बातों को दिल्लगी समझकर उड़ा देते हैं। लोग उनकी उपेक्षा करते हैं और उनकी बातों पर गौर नहीं करते।

शब्द संपदा

प्रश्न 2.
शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए :

(a) जिसे व्यवस्थित न गढ़ा गया हो – ………………………………….
(b) निंदा करने वाला – ………………………………….
(c) देश के लिए प्राणों का बलिदान देने वाला – ………………………………….
(d) जो जीता नहीं जाता – ………………………………….
उत्तर
(1) जिसे व्यवस्थित न गढ़ा गया हो – अनगढ़
(2) निंदा करने वाला – निंदक
(3) देश के लिए प्राणों का बलिदान देने वाला – शहीद
(4) जो जीता नहीं जाता – अजेय

अभिव्यक्ति

प्रश्न 3.
(अ) ‘समाज सुधारक समाज में व्याप्त बुराइयों को पूर्णत: समाप्त करने में विफल रहे’, इस कथन पर अपना मत प्रकट कीजिए।
उत्तर :
संसार में अनेक महान समाज सुधारक हुए हैं। वे अपने समाजसुधार के कार्यों से अपना नाम अमर कर गए हैं। हर युग में अनेक समाज सुधारक समाज को सुधारने का कार्य करते रहे हैं, पर समाज में व्याप्त बुराइयों की तुलना में उनकी संख्या नगण्य है। इसके अलावा समाज सुधारकों को जनता का पर्याप्त सहयोग भी नहीं मिल पाता। इसलिए वे अपने कार्य में पूर्णतः सफल नहीं हो पाते।

इतना ही नहीं, भिन्न-भिन्न कारणों से समाज विरोधी तत्त्व भी अपने स्वार्थ के कारण समाज सुधारकों के दुश्मन बन जाते हैं। इससे समाज सुधारकों के कार्य में केवल अड़चनें ही नहीं आतीं, बल्कि उनकी जान पर भी बन आती है।

इसलिए समाज सुधारकों के लिए समाज में व्याप्त बुराइयों को पूरी तरह समाप्त करना संभव नहीं हो पाया। आए दिन लोगों के प्रति होने वाले अन्याय और अत्याचार की घटनाएँ इस बात का सबूत हैं कि समाजसुधारक समाज में व्याप्त बुराइयों को पूर्णतः समाप्त करने में विफल रहे हैं।

(आ) ‘लोगों के सक्रिय सहभाग से ही समाज सुधारक का कार्य सफल हो सकता हैं’, इस विषय पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
समाज सुधार कोई छोटा-मोटा काम नहीं है। इसका दायरा विशाल है। इस कार्य को करने का बीड़ा उठाने वाले को इस कार्य में निरंतर रत रहना पड़ता है। किसी भी अकेले व्यक्ति के वश का यह काम नहीं है। इस कार्य को सुचारु रूप से संपन्न करने के लिए समाज सुधारक को समाज के प्रतिनिधियों एवं निष्ठावान कार्यकर्ताओं का सहयोग लेना आवश्यक होता है। समाज में तरहतरह की विकृतियाँ होती हैं।

उनके बारे में जानकारी करने और उन्हें १ दूर करने के लिए समाज के लोगों का सहयोग प्राप्त करना अत्यंत आवश्यक होता है। इसके अतिरिक्त किसी भी सामाजिक बुराई के पीछे विभिन्न कारणों से कुछ लोगों का स्वार्थ भी होता है। ऐसे लोगों से निपटे बिना उसे दूर नहीं किया जा सकता।

बिना लोगों के सक्रिय सहयोग से ऐसे समाज विरोधी तत्त्वों से पार पाना संभव, नहीं हो पाता। इसलिए इन सभी बातों को ध्यान में रखकर समाज ३ सुधारक को लोगों का सक्रिय सहयोग लेना आवश्यक है। लोगों ३ के सक्रिय सहयोग से ही वह अपने कार्य में सफल हो सकता है।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 पाप के चार हथियार

पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न –

प्रश्न 4.
(अ) ‘पाप के चार हथियार पाठ का संदेश लिखिए।
उत्तर :
‘पाप के चार हथियार’ पाठ में लेखक कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ ने एक ज्वलंत समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया है। संसार में चारों ओर पाप, अन्याय और अत्याचार व्याप्त है, फिर भी कोई संत, महात्मा, अवतार, पैगंबर या सुधारक इससे मुक्ति का मार्ग बताता है, तो लोग उसकी बातों पर ध्यान नहीं देते और उसकी अवहेलना करते हैं। उसकी निंदा करते हैं। इतना ही नहीं, इस प्रकार के कई सुधारकों को तो अपनी जान तक गँवा देनी पड़ी है।

लेकिन यही लोग सुधारकों, महात्माओं की मृत्यु के पश्चात उनके स्मारक और मंदिर बनाते हैं और उनके विचारों और कार्यों का गुणगान करते नहीं थकते। जो लोग सुधारक के जीवित रहते उसकी बातों को अनसुना करते रहे, उसकी निंदा करते रहे और उसकी जान के दुश्मन बने रहे, उसकी मृत्यु के पश्चात उन्हीं लोगों के मन में उसके लिए श्रद्धा की भावना उमड़ पड़ती है और वे उसके स्मारक और मंदिर बनाने लगते हैं।

इस प्रकार लेखक ने ‘पाप के चार हथियार’ के द्वारा यह संदेश दिया है कि सुधारकों और महात्माओं के जीते जी उनके विचारों पर ध्यान देने और उन पर अमल करने से ही समस्याओं का समाधान होता है, न कि स्मारक और मंदिर बनाने से।

(आ) ‘पाप के चार हथियार निबंध का उददेश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
संसार में पाप, अत्याचार और अन्याय का बोलबाला रहा है और आज भी वह वैसा ही है। इससे लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए अनेक महापुरुषों, सुधारकों, समाज सेवकों एवं संतमहात्माओं ने अथक प्रयास किया, पर वे अपने प्रयास में सफल नहीं हो पाए। उल्टे उन्हें समाज के लोगों की उपेक्षा तथा निंदा आदि का शिकार होना पड़ा और कुछ लोगों को अपनी जान भी गँवानी पड़ी।

पर देखा यह गया है कि जीते जी जिन सुधारकों और महापुरुषों को समाज का सहयोग नहीं मिला और उनकी अवहेलना होती रही, मरने के बाद उनके स्मारक और मंदिर भी बने और लोगों ने उन्हें भगवान-सुधारक कह कर वंदनीय भी बताया। यहाँ लेखक यह कहना चाहते हैं कि मरणोपरांत सुधारक का स्मारक-मंदिर बनना सुधारक और उसके प्रयासों दोनों की पराजय है।

अच्छा तो तब होता, जब लोग सुधारक के जीते जी उसके विचारों को अपनाते और पाप, अत्याचार और अन्याय जैसी बुराइयों के खिलाफ संघर्ष में उसका सहयोग करते और समाज से इन बुराइयों के दूर होने में सहायक बनते। इससे सुधारक समाज को पाप, अन्याय, भ्रष्टाचार और अत्याचार जैसी बुराइयों से मुक्ति दिलाने में सफल हो सकता था। लोगों को सुधारक की उपेक्षा, निंदा अथवा उनके खिलाफ षड्यंत्र रचने के बजाय उनके अभियान में अपना पूरा सहयोग देना चाहिए। तभी समाज से ये बुराइयाँ दूर हो सकती हैं। यही इस पाठ का उद्देश्य है।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

प्रश्न 5.
(अ) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ जी के निबंध संग्रहों के नाम लिखिए –
उत्तर :
कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’जी के निबंध संग्रहों के नाम हैं –
(1) जिंदगी मुस्कुराई
(2) बाजे पायलिया के घूघरू
(3) जिंदगी लहलहाई
(4) महके आँगन – चहके द्वार।

(आ) लेखक कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ जी की भाषाशैली –
उत्तर :
कन्हैयालाल मिश्रजी कथाकार, निबंधकार एवं पत्रकार थे। आपकी भाषा मँजी हुई, सहज-सरल और मुहावरेदार है, जो कथ्य को दृश्यमान और सजीव बना देती है। आपके लेखन में तत्सम शब्दों का प्रयोग भारतीय चिंतन-मनन को अधिक प्रभावशाली बना देता है। आप एक सफल निबंधकार थे। आप में अपने विषय को प्रखरता से प्रस्तुत करने की सामर्थ्य है।

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प्रश्न 6.
रचना के आधार पर निम्न वाक्यों के भेद पहचानिए :
(1) संयोग से तभी उन्हें कहीं से तीन सौ रुपये मिल गए।
(2) यह वह समय था, जब भारत में अकबर की तूती बोलती थी।
(3) सुधारक होता है करुणाशील और उसका सत्य सरल विश्वासी।
(4) फिर भी सावधानी तो अपेक्षित है ही।
(5) यह तस्वीर निःसंदेह भयावह है लेकिन इसे किसी भी तरह अतिरंजित नहीं कहा जाना चाहिए।
(6) आप यहीं प्रतीक्षा कीजिए।
(7) निराला जी हमें उस कक्ष में ले गए, जो उनकी कठोर साधना का मूक साक्षी रहा है।
(8) लोगों ने देखा और हैरान रह गए।
(9) सामने एक बोर्ड लगा था, जिस पर अंग्रेजी में लिखा था।
(10) ओजोन एक गैस है, जो ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनी होती है।
उत्तर :
(1) सरल वाक्य
(2) मिश्र वाक्य
(3) संयुक्त वाक्य
(4) सरल वाक्य
(5) मिश्र वाक्य
(6) सरल वाक्य
(7) मिश्र वाक्य
(8) संयुक्त वाक्य
(9) मिश्र वाक्य
(10) मिश्र वाक्य।

Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 6 पाप के चार हथियार Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका के प्रश्न 1 (अ) तथा प्रश्न 1 (आ) के लिए
गद्यांश क्र. 1
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
शब्दों को उचित वर्ग में लिखिए :
पीड़ित वर्ग – पीड़क वर्ग

जीवन में दोष  संसार में पाप
व्यवस्था में अन्याय  व्यवहार में अत्याचार

उत्तर :

जीवन में दोष व्यवस्था में अन्याय
संसार में पाप  व्यवहार में अत्याचार

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 पाप के चार हथियार 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 पाप के चार हथियार 2

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कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए :
(1) नैतिक x …………………………..
(2) पाप x …………………………..
(3) सत्य x …………………………..
(4) असफल x …………………………..
उत्तर :
(1) नैतिक x अनैतिक
(3) सत्य x असत्य
(2) पाप x पुण्य
(4) असफल x सफल।

गद्यांश क्र. 2
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 पाप के चार हथियार 3
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 पाप के चार हथियार 6

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए : गद्यांश में आए पाप के दो नारे –
(1) …………………………
(2) …………………………
उत्तर :
(1) अजी बेवकूफ है, लोगों को बेवकूफ बनाना चाहता है।
(2) ओह, मैं तुम्हें खिलौना समझता रहा और तुम साँप निकले। पर मैं साँप को जीता नहीं छोडूंगा – पीस डालूँगा।

प्रश्न 3.
आकृति पूर्ण कीजिए :
(1) सुधारक के सत्य की स्थिति –
(i) उपेक्षा की रगड़ से – कुछ तेज हो जाता है।
(i) निंदा की रगड़ से –
(iii) हत्या के घर्षण से –
उत्तर :
(i) उपेक्षा की रगड़ से – कुछ तेज हो जाता है।
(ii) निंदा की रगड़ से – और भी प्रखर हो जाता है।
(iii) हत्या के घर्षण से – प्रचंड हो उठता है।

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प्रश्न 4.
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 पाप के चार हथियार 4
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 पाप के चार हथियार 7

प्रश्न 5.
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 पाप के चार हथियार 5
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 पाप के चार हथियार 8

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कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
गद्यांश में प्रयुक्त उपसर्गयुक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए :
(1) …………………………………
(2) …………………………………
(3) …………………………………
(4) …………………………………
उत्तर :
(1) विद्रोह
(2) प्रतिनिधि
(3) असह्य
(4) प्रलाप।

गद्यांश क्र. 3
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए :
(1) पाप सत्य पर यह फेंकता है – [ ]
(2) पाप का ब्रह्मास्त्र – [ ]
(3) अब पाप का नारा यह होता है – [ ]
(4) अब पाप सुधारक की यह लगता है – [ ]
उत्तर :
ब्रह्मास्त्र
श्रद्धा
सत्य की जय! सुधारक की जय
चरण वंदना

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए :
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उत्तर :
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उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 पाप के चार हथियार 13

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उत्तर :
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कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
पद्यांश से ढूँढ़कर प्रत्यययुक्त शब्द लिखिए और शब्द और प्रत्यय अलग करके लिखिए :
(1) ………………………………
(2) ………………………………
(3) ………………………………
(4) ………………………………
उत्तर :
(1) तोलकर – तोल + कर
(2) विश्वासी – विश्वास + ई
(3) वंदनीय – वंदन + ईय
(4) अजेयता – अजेय + ता।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के लिंग पहचानकर लिखिए :
(1) चरण – ………………………………
(2) सुधारक – ………………………………
(3) वाणी – ………………………………
(4) पराजय – ………………………………
उत्तर :
(1) चरण – पुल्लिंग
(2) सुधारक – पुल्लिंग
(3) वाणी – स्त्रीलिंग
(4) पराजय – स्त्रीलिंग।

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
‘स्मारकों और समाधियों का उद्देश्य’ विषय पर 40 से 50 शब्दों में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
स्मारक और समाधियाँ महापुरुषों, मनीषियों, विचारकों, समाज सुधारकों, राजनेताओं तथा शहीदों के अद्भुत कार्यों को ध्यान में रखकर उन्हें सम्मान देने, याद रखने तथा उनके कार्यों से प्रेरणा लेने के उद्देश्य से बनाए जाते हैं। इससे आने वाली पीढ़ियाँ उन्हें याद रखती हैं और उनके कार्यों से प्रेरणा लेती हैं।

पर ऐसा बहुत कम देखा जाता है। अकसर इनके प्रति लोगों में श्रद्धा की भावना होती है। वे इनके दर्शन कर इन्हें श्रद्धांजलि भी देते हैं, पर इनके कार्यों से प्रेरणा लेने की बात उनके मन में कम ही आती है। इन महापुरुषों, मनीषियों, विचारकों, समाज सुधारकों, राजनेताओं तथा शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि उनके कार्यों से प्रेरणा लेकर समाज और देश के विकास के लिए कार्य करना है।

स्मारकों एवं समाधियों की स्थापना के पीछे यही भावना छिपी होती है और लोगों के मन में भी यही भावना होनी चाहिए।

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मुहावरे

निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
(1) दाल न गलना।
अर्थ : चतुराई काम न आना।
वाक्य : आफिस के कई लोगों ने उस ईमानदार कर्मचारी को निकलवाने की बड़ी कोशिश की, पर उनकी दाल न गली।

(2) गड़े मुरदे उखाड़ना।
अर्थ : पुरानी कटु बातों को याद करना।
वाक्य : बुढ़िया अकसर अपने बेटों से गड़े मुरदे उखाड़ने की भाषा में ही बोला करती थी।

(3) फूंक फूंक कर पाँव रखना।
अर्थ : अति सावधानी बरतना।
वाक्य : सेठ मटरूमल को जब से धंधे में भारी घाटा उठाना पड़ा है, तब से वे लेन-देन में फूंक फूंक कर पाँव रखते हैं।

(4) आठ-आठ आँसू रोना।
अर्थ : बहुत अधिक रोना।
वाक्य : बुढ़िया का इकलौता बेटा जब से विदेश में नौकरी करने गया है, तब से वह उसकी याद में आठ-आठ आँसू रोती रहती है।

(5) रंग में भंग होना।
अर्थ : प्रसन्नता के वातावरण में विघ्न पड़ना।
वाक्य : कोरोना के लॉक डाउन के कारण मेरे दोस्त नलिन के विवाह समारोह के उत्सव में रंग में भंग हो गया।

काल परिवर्तन :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों का काल परिवर्तन कर के वाक्य फिर से लिखिए :
(1) इसमें संसार का एक बहुत बड़ा सत्य कह दिया गया है। (पूर्ण भूतकाल)
(2) शॉ के इन शब्दों में अहंकार की पैनी धार है। (सामान्य भविष्यकाल)
(3) इसे वे क्यों नहीं बदल पाए? (सामान्य वर्तमानकाल)
(4) सुधारक का सत्य निंदा की रगड़ से और भी प्रखर हो जाता है। (अपूर्ण भूतकाल)
(5) इस वेग में वह पिस जाएगा। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
(1) इसमें संसार का एक बहुत बड़ा सत्य कह दिया गया था।
(2) शॉ के इन शब्दों में अहंकार की पैनी धार होगी।
(3) इसे वे क्यों नहीं बदल पाते?
(4) सुधारक का सत्य निंदा की रगड़ से और भी प्रखर हो रहा था।
(5) इस वेग में वह पिस गया था।

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वाक्य शुद्धिकरण

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए :
(1) वह स्वरग का अमरित है।
(2) समाज की पाप विवश हो जाती है।
(3) पाप के पास चार शस्त्रे है।
(4) वे मुझे बर्दास्त नई कर सकते।
(5) ये नारा ऊँचे उठता रहता है।
उत्तर :
(1) वह स्वर्ग का अमृत है।
(2) समाज का पाप विवश हो जाता है।
(3) पाप के पास चार शस्त्र हैं।
(4) वे मुझे बर्दाश्त नहीं कर सकते।
(5) यह नारा ऊँचा उठता रहता है।

पाप के चार हथियार Summary in Hindi

पाप के चार हथियार लेखक का परिचय

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पाप के चार हथियार
लेखक का नाम :
कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’। (जन्म : 26 सितंबर, 1906; निधन : 1995.)

प्रमुख कृतियाँ : ‘धरती के फूल’ (कहानी संग्रह)। ‘जिंदगी मुस्कुराई’, ‘बाजे पायलिया के घूघरू’, ‘जिंदगी लहलहाई’, ‘महके आँगन – चहके द्वार’ (निबंध संग्रह), ‘दीप जले शंख बजे’, ‘माटी हो गई सोना’ (संस्मरण एवं रेखाचित्र) आदि।

पाप के चार हथियार विशेषता : कथाकार, निबंधकार, पत्रकार तथा स्वतंत्रता सेनानी। आपने पत्रकारिता में स्वतंत्रता के स्वर को ऊँचा उठाया। आपका संपूर्ण साहित्य मूलतः सामाजिक सरोकारों का शब्दांकन है। आप पद्मश्री सम्मान से विभूषित हैं।

पाप के चार हथियार विधा : निबंध। निबंध का अर्थ है विचारों को भाषा में व्यवस्थित रूप से बाँधना। इसमें वैचारिकता का अधिक महत्त्व होता है तथा विषय को सहजता से रखने का सामर्थ्य होता है।

पाप के चार हथियार विषय प्रवेश : संसार भर के अनेक संतों, महात्माओं, महापुरुषों, विचारकों, दार्शनिकों तथा समाज सुधारकों ने मनुष्य जाति को पाप, अपराध तथा दुष्कर्मों से मुक्त कराने के लिए अथक प्रयास किया है, पर आज तक संसार में अन्याय, अत्याचार, भ्रष्टाचार, पाप और दुष्कर्मों का अंत नहीं हो पाया है। इसका कारण यह है कि लोगों को इन संतों, महात्माओं और समाज सुधारकों के प्रति श्रद्धा तो होती है, पर वे उनके द्वारा व्यक्त विचारों को अपने आचरण में गंभीरतापूर्वक नहीं उतारते। ऐसा क्यों होता है? लेखक ने प्रस्तुत निबंध में यही बताने का प्रयास किया है।

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पाप के चार हथियार पाठ का सार

संसार में सदा से पाप, अपराध, अन्याय, अत्याचार, दुष्कर्म एवं भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा है। संसार के कई महापुरुषों, विचारकों, सुधारकों एवं संतों ने मानव जाति को इनसे मुक्ति दिलाने के लिए अथक प्रयास किए हैं, पर यह समस्या आज भी पहले जैसे सर्वत्र व्याप्त है। इसका मुख्य कारण रहा है विचारकों तथा सुधारकों को लोगों का सहयोग न मिलना। इनकी कही गई बातों पर ध्यान न देना। उनके विचारों को आचरण में न उतारना। यही कारण है कि सुधारक अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पाते।

लेखक कहते हैं कि बुराइयों के विरुद्ध सुधारक की बातें लोगों को किसी पागल व्यक्ति की बकवास लगती हैं, जिन्हें वे सुनना ही नहीं चाहते। यदि कभी एकाध बात सुन लेते हैं, तो उसकी निंदा करते नहीं थकते और उस पर लोगों को बेवकूफ बनाने का आरोप लगाने लगते हैं। लेखक कहते हैं कि जब सुधारक का स्वर कुछ प्रखर हो जाता है, तो सामाजिक बुराइयों के लिए यह स्थिति कठिन हो जाती है और ऐसे में सुधारक की हत्या भी हो जाती है। वे कहते हैं कि सुकरात, ईसा और दयानंद की हत्या इसी तरह हुई थी।

लेकिन इसके बाद स्थिति में एकदम बदलाव आ जाता है। सुधारक के विचारों का विरोध करने वाले लोगों के मन में उसके प्रति श्रद्धा उमड़ पड़ती है। इसके बाद उसे भगवान, तीर्थकर, अवतार, पैगंबर और संत, महाप्रभु की संज्ञा दी जाने लगती है। अब वह लोगों के लिए सामान्य सुधारक न रहकर विशिष्ट व्यक्ति हो जाता है। उसके स्मारक और मंदिर बनने लगते हैं।

उसकी प्रशंसा होने लगती है। लेखक कहते हैं कि यहीं सुधारक और उसके सिद्धांत की पराजय हो जाती है। यही कारण है कि अनेक महापुरुषों, विचारकों, सुधारकों एवं संतों द्वारा इन सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए किए गए प्रयास सफल न हो पाए।

पाप के चार हथियार मुहावरे : अर्थ और वाक्य प्रयोग

(1) ढाँचा डगमगा उठना।
अर्थ : आधार हिल उठना।
वाक्य : कभी-कभी किसी व्यक्ति द्वारा कोई गलत निर्णय ले लेने के कारण किसी परिवार अथवा पूरे समाज का ढाँचा डगमगा उठता है।

(2) लहर को ऊपर से उतार देना।
अर्थ : सिर झुका कर संकट को गुजरने देना।
वाक्य : कोरोना संकट देश की अर्थव्यवस्था को डगमगा देने वाला है, पर हमारी सरकार इस लहर को ऊपर से उतार देने का सफल प्रयास कर रही है।

(3) गले के नीचे उतरना।
अर्थ : स्वीकार करना।
वाक्य : महाराष्ट्र और कर्नाटक के सीमा विवाद का फैसला ऐसा होना चाहिए, जो दोनों राज्यों की सरकारों और जनता के गले उतरने वाला हो।

(4) विवश होना।
अर्थ : लाचार होना।
वाक्य : कोरोना के प्रकोप से बचने के लिए हर आदमी लॉक डाउन के समय अपने घर में रहने के लिए विवश है।

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टिप्पणियाँ

  • जॉर्ज बर्नार्ड शॉ : आपका जन्म 26 जुलाई, 1856 को आयलैंड में हुआ। आपको साहित्य का नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ है। शॉ महान नाटककार, कुशल राजनीतिज्ञ तथा समीक्षक रह चुके हैं। पिग्मॅलियन, डॉक्टर्स डायलेमा, मॅन ऐंड सुपरमॅन, सीझर ऐंड क्लिओपॅट्रा आपके प्रसिद्ध नाटक हैं।
  • तीर्थंकर : जैन धर्मियों के 24 उपास्य मुनि।
  • सुकरात (सॉक्रेटिस) : युनानी दार्शनिक सुकरात का जन्म ढाई हजार वर्ष पहले एथेन्स में हुआ। वे युवकों से संवाद स्थापित कर उन्हें सोचने की दिशा में प्रवृत्त करते थे। आप प्रसिद्ध विचारक प्लेटो के गुरु थे।
  • दयानंद : आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती समाजसुधारक के रूप में जाने जाते हैं। आपको योगशास्त्र तथा वैद्यकशास्त्र का भी ज्ञान था।
  • ब्रह्मास्त्र : पुराणों के अनुसार एक प्रकार का अस्त्र जो मंत्र द्वारा चलाया जाता था।

पाप के चार हथियार शब्दार्थ

  • खूबियों का पुंज = विशेषताओं का गुच्छा
  • पीड़क = पीड़ा पहुँचाने वाला
  • एकांगी = एक पक्षीय
  • पैने = तीखे/धारदार
  • बखान = वर्णन
  • लोकोत्तर = सामान्य लोगों से ऊपर/विशिष्ट
  • अजेय = जिसे जीता न जा सके
  • अंबार = ढेर
  • विडंबना = उपहास
  • प्रलाप = निरर्थक बात, बकवास
  • शहादत = बलिदान
  • उपसंहार = सार, निष्कर्ष
  • फलितार्थ = सारांश/निचोड़/तात्पर्य
  • खंडित = भग्न, टूटा हुआ

पाप के चार हथियार मुहावरे

  • ढाँचा डगमगा उठना = आधार हिल उठना
  • लहर को ऊपर से उतार देना = सिर झुकाकर संकट को गुजरने देना
  • गले के नीचे उतरना = स्वीकार होना
  • विवश होना = लाचार होना

(टिप्पणियाँ)

  • जॉर्ज बर्नार्ड शॉ : आपका जन्म २६ जुलाई १८५६ को आयर्लंड में हुआ। आपको साहित्य का नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ है। शॉ महान नाटककार, कुशल राजनीतिज्ञ तथा समीक्षक रह चुके हैं। पिग्मैलियन, डॉक्टर्स डाइलेमा, मॅन एंड सुपरमैन, सीझर अँड क्लियोपैट्रा आपके प्रसिद्ध नाटक हैं।
  • तीर्थंकर : जैन धर्मियों के २४ उपास्य मुनि।
  • सुकरात (सॉक्रेटिस) : यूनानी दार्शनिक सुकरात का जन्म ढाई हजार वर्ष पहले एथेन्स में हुआ। युवकों से संवाद स्थापित कर उन्हें सोचने की दिशा में प्रवृत्त करते थे। आप प्रसिद्ध विचारक प्लेटो के गुरु थे।
  • दयानंद : आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती समाजसुधारक के रूप में जाने जाते हैं। आपको योगशास्त्र तथा वैद्यकशास्त्र का भी ज्ञान था। Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 पाप के चार हथियार
  • ब्रह्मास्त्र : पुराणों के अनुसार एक प्रकार का अमोध अस्त्र जो मंत्र द्वारा चलाया जाता था।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.2 वृंद के दोहे

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 5.2 वृंद के दोहे Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

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12th Hindi Guide Chapter 5.2 वृंद के दोहे Textbook Questions and Answers

कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर

आकलन

प्रश्न 1.
(अ) कारण लिखिए :
(a) सरस्वती के भंडार को अपूर्व कहा गया है :- ………………………………………..
(b) व्यापार में दूसरी बार छल-कपट करना असंभव होता है :- ………………………………………..
उत्तर :
(a) सरस्वती के भंडार को जैसे-जैसे खर्च किया जाता रहता है, वैसे-वैसे वह अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचता रहता है अर्थात उसमें वृद्धि होती रहती है। इसलिए सरस्वती के भंडार को अपूर्व कहा गया है।
(b) व्यापार में पहली बार किया गया छल-कपट सामने वाले पक्ष को समझते देर नहीं लगती। दूसरी बार वह सतर्क हो जाता है। इसलिए व्यापार में दूसरी बार छल-कपट करना असंभव होता है।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.2 वृंद के दोहे

(आ) सहसंबंध जोड़िए :
(a) काग निबौरी लेत गुन बिन बड़पन कोइ – (b) ऊँचे बैठे ना लहैं,
(b) कोकिल अंबहि लेत है। – (b) बैठो देवल सिखर पर, वायस गरुड़ न होइ।
उत्तर :
(a) ऊँचे बैठे ना लहैं, गुन बिन बड़पन कोइ। – (b) बैठो देवल सिखर पर वायस गरुड़ न होइ।।
(b) कोकिल अंबहि लेत है, – (b) काग निबौरी लेत।

शब्दसंपदा

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के लिए विलोम शब्द लिखिए :
(१) आदर – ………………………………………..
(२) अस्त – ………………………………………..
(३) कपूत – ………………………………………..
(४) पतन – ………………………………………..
उत्तर :
(1) आदर x अनादर
(2) अस्त x उदय
(3) कपूत x सपूत
(4) पतन x उत्थान।

अभिव्यक्ति

प्रश्न 3.
(अ) चादर देखकर पैर फैलाना बुद्धिमानी कहलाती है’, इस विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
चादर देखकर पैर फैलाने का अर्थ है, जितनी अपनी क्षमता हो उतने में ही काम चलाना। यह अर्थशास्त्र का साधारण नियम है। सामान्य व्यक्तियों से लेकर बड़ी-बड़ी कंपनियाँ भी इस नियम का पालन करती हैं। जो लोग इस नियम के आधार पर अपना कार्य करते हैं, उनके काम सुचारु रूप से चलते हैं।

जो लोग बिना सोचे-विचारे किसी काम की शुरुआत कर देते हैं और अपनी क्षमता का ध्यान नहीं रखते, उनके सामने आगे चलकर आर्थिक संकट उपस्थित हो जाता है। इसके कारण काम ठप हो जाता है। इसलिए समझदारी इसी में है कि अपनी क्षमता का अंदाज लगाकर ही कोई कार्य शुरू किया जाए। इससे कार्य आसानी से पूरा हो जाता है। चादर देखकर पैर फैलाने में ही बुद्धिमानी होती है।

(आ) ‘ज्ञान की पूँजी बढ़ानी चाहिए’, इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
ज्ञान मनुष्य की अमूल्य पूँजी है। बचपन से मृत्यु तक मनुष्य विभिन्न स्रोतों से ज्ञान की प्राप्ति करता रहता है। बचपन में उसे अपने माता-पिता, अपने शिक्षकों, गुरुजनों तथा मिलने-जुलने वालों से ज्ञान की प्राप्ति होती है। ज्ञान का भंडार अथाह है। कुछ ज्ञान हमें स्वाभाविक रूप से मिल जाता है, पर कुछ के लिए हमें स्वयं प्रयास करना पड़ता है। ज्ञान किसी एक की धरोहर नहीं है। ज्ञान हमारे चारों तरफ बिखरा पड़ा है।

उसे देखने की दृष्टि की जरूरत होती है। संतों, महात्माओं तथा मनीषियों के व्याख्यानों, हितोपदेशों, नीतिकथाओं, बोधकथाओं तथा विभिन्न धर्मों के महान ग्रंथों में ज्ञान का भंडार है। हर मनुष्य अपनी क्षमता और आवश्यकता के अनुसार अपने ज्ञान की पूँजी में वृद्धि करता रहता है। भगवान महावीर, बुद्ध तथा महात्मा गांधी जैसे महापुरुष अपनी ज्ञान की पूँजी तथा अपने कार्यों के बल पर जनसामान्य के पूज्य बन गए हैं। इसलिए मनुष्य को सदा अपने ज्ञान की पूँजी बढ़ाते रहना चाहिए।

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रसास्वादन

प्रश्न 4.
जीवन के अनुभवों और वास्तविकता से परिचित कराने वाले वृंद जी के दोहों का रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
कवि वृंद ने अपने लोकप्रिय छंद दोहों के माध्यम से सीधे-सादे ढंग से जीवन के अनुभवों से परिचित कराया है तथा। जीवन का वास्तविक मार्ग दिखाया है।

कवि व्यावहारिक ज्ञान देते हुए कहते हैं कि मनुष्य को अपनी आर्थिक क्षमता को ध्यान में रखकर किसी काम की शुरुआत करनी चाहिए। तभी सफलता मिल सकती है। इसी तरह व्यापार करने वालों को सचेत करते हुए उन्होंने कहा है कि वे व्यापार में छल-कपट का सहारा न लें। इससे वे अपना ही नुकसान करेंगे। वे कहते हैं कि।

किसी का सहारा मिलने के भरोसे मनुष्य को हाथ पर हाथ धरकर निष्क्रिय नहीं बैठ जाना चाहिए। मनुष्य को अपना काम तो करते ही रहना चाहिए। इसी तरह से वे कुटिल व्यक्तियों के मुँह न लगने की उपयोगी सलाह देते हैं, वह उस समय आपको कुछ ऐसा भला-बुरा सुना सकता है, जो आपको प्रिय न लगे।

अपने आप को बड़ा बताने से कोई बड़ा नहीं हो जाता। जिसमें बड़प्पन के गुण होते हैं उसी को लोग बड़ा मनुष्य मानते हैं। गुणों के बारे में उनका कहना है कि जिसके अंदर जैसा गुण होता है, उसे वैसा ही लाभ मिलता है। कोयल को मधुर आम मिलता है और कौवे को कड़वी निबौली। बिना सोचे विचार किया गया कोई काम अपने लिए ही नुकसानदेह होता है। वे कहते हैं कि बच्चे के अच्छे-बुरे होने के लक्षण पालने में ही दिखाई दे जाते हैं, ठीक उसी तरह जैसे किसी पौधे के पत्तों को देखकर उसकी प्रगति का पता चल जाता है।

कवि एक अनूठी बात बताते हुए कहते हैं कि संसार की किसी भी चीज को खर्च करने पर उसमें कमी आती है, पर ज्ञान एक ऐसी चीज है, जिसके भंडार को जितना खर्च किया जाए वह उतना ही बढ़ता जाता है। उसकी एक विशेषता यह भी है कि यदि उसे खर्च न किया जाए तो वह नष्ट होता जाता है।

कवि ने विविध प्रतीकों की उपमाओं के द्वारा अपनी बात को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से व्यक्त किया है। दोहों का प्रसाद गुण उनकी बात को स्पष्ट करने में सहायक होता है।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

प्रश्न 5.
(अ) वृंद जी की प्रमुख रचनाएँ – ………………………………………..
उत्तर :
वृंद जी की प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं : वृंद सतसई, समेत शिखर छंद, भाव पंचाशिका, पवन पचीसी, हितोपदेश, यमक सतसई, वचनिका तथा सत्यस्वरूप आदि।

(आ) दोहा छंद की विशेषता – ………………………………………..
उत्तर :
दोहा अर्ध सम मात्रिक छंद है। इसके चार चरण होते हैं। दोहे के प्रथम और तृतीय (विषम) चरण में 13 – 13 मात्राएँ होती हैं तथा द्वितीय और चतुर्थ (सम) चरणों में 11 – 11 मात्राएँ होती हैं। दोहे के प्रत्येक चरण के अंत में लघु वर्ण आता है।
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अलंकार

जिस प्रकार स्वर्ण आदि के आभूषणों से शरीर की शोभा बढ़ती है उसी प्रकार जिन साधनों से काव्य की सुंदरता में वृद्धि होती है; वहाँ अलंकार की उत्पत्ति होती है।

मुख्य रूप से अलंकार के तीन भेद हैं –

  • शब्दालंकार,
  • अर्थालंकार,
  • उभयालंकार

ग्यारहवीं कक्षा की युवकभारती पाठ्यपुस्तक में हमने ‘शब्दालंकार’ का अध्ययन किया है। यहाँ हम अर्थालंकार का अध्ययन करेंगे।

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रूपक : जहाँ प्रस्तुत अथवा उपमेय पर उपमान अर्थात अप्रस्तुत का आरोप होता है अथवा उपमेय या उपमान को एकरूप मान लिया जाता है; वहाँ रूपक अलंकार होता है अर्थात एक वस्तु के साथ दूसरी वस्तु को इस प्रकार रखना कि दोनों अभिन्न मालूम हों, दोनों में अंतर दिखाई न पड़े।

उदा. –
(१) उधो, मेरा हृदयतल था एक उद्यान न्यारा।
शोभा देतीं अमित उसमें कल्पना-क्यारियाँ भी।।
(२) पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
(३) चरण-सरोज पखारन लागा।
(४) सिंधु-सेज पर धरा-वधू।
अब तनिक संकुचित बैठी-सी।।

उपमा : जहाँ पर किसी एक वस्तु की तुलना दूसरी लोक प्रसिद्ध वस्तु से रूप, रंग, गुण, धर्म या आकार के आधार पर की जाती हो; वहाँ उपमा अलंकार होता है अर्थात जहाँ उपमेय की तुलना उपमान से की जाए; वहाँ उपमा अलंकार उत्पन्न होता है।
उदा. –
(१) चरण-कमल-सम कोमल।
(२) राधा-वदन चंद सो सुंदर।
(३) जियु बिनु देह, नदी बिनु वारी।
तैसे हि अनाथ, पुरुष बिनु नारी।।
(४) ऊँची-नीची सड़क, बुढ़िया के कूबड़-सी।
नंदनवन-सी फूल उठी, छोटी-सी कुटिया मेरी।
(५) मोती की लड़ियों से सुंदर, झरते हैं झाग भरे निर्झर।
(६) पीपर पात सरस मन डोला।

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Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 5.2 वृंद के दोहे Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका के प्रश्न 2 (अ) तथा प्रश्न 2 (आ) के लिए।
पद्यांश क्र.1
प्रश्न. निम्नलिखित पद्यांशपढ़करदी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए :
(1) आँखों की तुलना की गई है इससे – ……………………………………
(2) काम शुरू करने से पहले इसके बारे में सोचना बहुत जरूरी होता है – ……………………………………
(3) दूसरे की आशा के भरोसे यह बंद नहीं करना चाहिए – ……………………………………
(4) पद्यांश में प्रयुक्त पानी रखने के काम आने वाला मिट्टी का बरतन – ……………………………………
उत्तर :
(1) आरसी (आईने) से।
(2) अपनी पहुँच (क्षमता)।
(3) कोशिश करना।
(4) गगरी।

प्रश्न 2.
पद्यांश में प्रयुक्त दो कहावतें :
(1) …………………………………………….
(2) …………………………………………….
उत्तर :
(1) तेते पाँव पसारिए, जेती लांबी सौर। (अर्थ : जितना सामर्थ्य हो उतना ही खर्च करना चाहिए।)
(2) काठ की हँड़िया बार-बार नही चढ़ती। (अर्थ : धोखा बार-बार नहीं दिया जा सकता।)

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध रूप में लिखिए :
(1) सुरसति – ……………………………….
(2) अपूरब – ……………………………….
(3) गुन – ……………………………….
(4) सिखर – ……………………………….
उत्तर :
(1) सुरसति – सरस्वती
(2) अपूरब – अपूर्व
(3) गुन – गुण
(4) सिखर – शिखर।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के लिंग पहचानकर लिखिए :
(1) आरसी – ……………………………….
(2) सौर – ……………………………….
(3) काठ – ……………………………….
(4) वायस – ……………………………….
उत्तर :
(1) आरसी – स्त्रीलिंग
(2) सौर – स्त्रीलिंग
(3) काठ – पुल्लिंग
(4) वायस – पुल्लिंग।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द लिखिए :
(1) बढ़ना x ……………………………….
(2) कपट x ……………………………….
(3) गन x ……………………………….
(4) आशा x ……………………………….
उत्तर :
(1) बढ़ना x घटना
(2) कपट x निष्कपट
(3) गुन x अवगुन
(4) आशा x निराशा।

पद्यांश क्र.2
प्रश्न. निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
कारण लिखिए :
(1) नीच को छेड़ना नहीं चाहिए – ………………………………………………
(2) उच्च पद पर आसीन का पतन निश्चित है – ………………………………………………
उत्तर :
(1) नीच को छेड़ना नहीं चाहिए – क्योंकि नीच को छेड़ना कीचड़ है में पत्थर डालने के समान है, जिससे कीचड़ उछलकर अपने ऊपर ही आता है।
(2) उच्च पद पर आसीन का पतन निश्चित है – कोई कितने ही उच्च पद पर क्यों न हो, किसी न किसी दिन किसी कारण से अथवा सेवा निवृत्त होने पर उसे अपने पद से नीचे उतरना ही पड़ता है।

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प्रश्न 2.
सहसंबंध जोड़िए:
(1) होनहार बिरवान के, (1) काग निबौरी लेत।
(2) अपनी पहुँच बिचारि कै, करतब करिए दौर। (2) बैठो देवल सिखर पर वायस गरुड़ न होइ।।
उत्तर :
(1) होनहार बिरवान के, (1) होत चीकने पात।
(1) अपनी पहुँच बिचारि कै, करतब करिए दौर। (2) तेते पाँव पसारिए, जेती लांबी सौर।।

प्रश्न 3.
उत्तर लिखिए :
(1) सूर्य इस समय तपता है – ………………………………………………
(2) नबौरियों का आदर करने वाला – ………………………………………………
(3) यह कार्य अपने लिए हानिकारक होता है – ………………………………………………
(4) चिकने पात इनके होते हैं – ………………………………………………
उत्तर :
(1) मध्याह्न में।
(2) काग।
(3) अविवेक के साथ किया गया कार्य।
(4) होनहार पौधों के।

प्रश्न 4.
लिखिए :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.2 वृंद के दोहे 2
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.2 वृंद के दोहे 3

कृति 2 : (शब्द संपदा)

(2) निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए :
(1) पाथर (पत्थर) = ………………………………………………
(2) भान (भानु) = ………………………………………………
(3) कोकिल = ………………………………………………
(4) मात = ………………………………………………
उत्तर :
(1) पाथर (पत्थर) = पाषाण
(2) भान (भानु) = सूर्य
(3) कोकिल = कोयल
(4) मात = शरीर।

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रसास्वादन मुद्दों के आधार पर
(कृतिपत्रिका के प्रश्न 2 (इ) के लिए

प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर वृंद के दोहे’ का रसास्वादन कीजिए :
उत्तर :
(1) रचना का शीर्षक : वृंद के दोहे।
(2) रचनाकार : वृंद। (पूरा नाम : वृंदावनदास)
(3) कविता की केंद्रीय कल्पना : प्रस्तूत दोहों में कई नीतिपरक बातों की सीख दी गई है। इस तरह कविता की केंद्रीय कल्पना नीतिपरक बातें हैं।
(4) रस-अलंकार :

(5) प्रतीक विधान : कवि वृंद के दोहों मे समझाने के लिए कई प्रतीकों का सुंदर उपयोग किया है। कविता में प्रयुक्त इन प्रतीकों में नयना, सौर (चादर), काठ की हाँड़ी, वायस, गरुड़, गागरि, पाथर, कोकिल, अंबा, निबौली, कुल्हाड़ी तथा बिरवान आदि प्रतीकों का समावेश है।

(6) कल्पना : अनेक नीति-परक उपयोगी बातें दोहों का विषय।

(7) पसंद की पंक्तियाँ तथा प्रभाव : कविता की पसंद की पंक्तियाँ इस प्रकार हैं :
सुरसति के भंडार की, बड़ी अपूरब बात।
ज्यौं खरचै त्यौं-त्यौं बढ़े, बिन खरचे घटि जात।
इन पंक्तियों से ज्ञान के भंडार की विपुलता तथा उसके विशेष गुण की महत्ता की जानकारी होती है।

(8) कविता पसंद आने का कारण : संसार में कोई वस्तु ऐसी नहीं है, जो किसी को देने से कम न होती हो। लेकिन ज्ञान का भंडार निराला है। इस ज्ञान को जितना खर्च किया जाए, उतना ही अधिक बढ़ता है। इतना ही नहीं, यदि इसे दूसरों को न दिया जाए और अपने ही पास जमा करके रहने दिया जाए, तो यह नष्ट हो जाता है।

व्याकरण

अलंकार :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचानकर उनके नाम लिखिए :

(1) जान पड़ता है नेत्र देख बड़े-बड़े
हीरकों में गोल नीलम है जड़े

(2) करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात से, सिल पर पड़त निसान।

(3) पत्रा ही तिरर्थ पाइयो, वाँ घर के चहुँ पास।
नितप्रति पूनो ही रह्यो आनन ओप उजास।

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(4) ओ अकूल की उज्जवल हास।
अरी अतल की पुलकित श्वास।
महानंद की मधुर उमंग।
चिर शाश्वत की अस्थिर लास।

(5) सठ सुधरहि सत संगति पाई।
पारस परसि कुधातु सुहाई।
उत्तर :
(1) उत्प्रेक्षा अलंकार
(2) दृष्टांत अलंकार
(3) अतिशयोक्ति अलंकार
(4) रूपक अलंकार
(5) दृष्टांत अलंकार।

रस

प्रश्न 1.
निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में प्रयुक्त रस पहचानकर लिखिए :
(1) कहा कैकेयी ने सक्रोध
दूर हट! दूर हट! निर्बोध!
द्विजिव्हे रस में विष मत घोल।

(2) कबहूँ ससि माँगत आरि करें, कबहूँ प्रतिबिंब निहारि डरै।
कबहूँ करताल बजाइ कै नाचत, मातु सबै मन मोद मरे।।
कबहूँ रिसिआइ कहैं हठि कै, पुनि लेत सोई जेहि लागि रैं।
अवेधेस के बालक, चारि सदा, तुलसी मन मंदिर में बिहरै।।

(3) दूलह श्री रघुनाथ बने, दुलही सिय सुंदर मंदिर माहीं।
गावति गीत सबै मिलि सुंदर, वेद जुवा जुरि विप्र पढ़ाहीं।
राम को रूप निहारति जानकी, कंकन के नग की परछाहीं।
यातै सबै सुधि भूल गई कर टेकि रही पल, टारति नाहीं।। (तुलसीदास-कवितावली)

(4) मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई।
जाके सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोई।
साधुन संग बैठि-बैठि, लोक लाज खोई।
अब तो बात फैलि गई जानत सब कोई।
अँसुवन जल सींचिं-सींचि प्रेम बेलि बोई।
मीरा को लगन लागी होनी होइ सो होई।

(5) लीन्हौं उखारि पहार विसाल, चल्यो तेहि काल बिलंब न लायो।
मारुत नंदन मारुत को, मन को, खगराज को वेग लजायो।
तीखी तुरा तुलसी कहती पै हिए उपमा को समाउ न आयौ।
मानो प्रत्यच्छ परब्बत की नभ लीक लसी कपि यों धुकि धायौ।
उत्तर :
(1) रौद्र रस
(2) वात्सल्य रस
(3) शृंगार रस
(4) भक्ति रस
(5) अद्भुत रस।

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मुहावरे

निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :

(1) ओखली में सिर देना।
अर्थ : जानबूझ कर जोखिम उठाना।
वाक्य : आदिवासियों का वह नेता अपने भाइयों के हित की लड़ाई लड़ने के लिए ओखली में सिर देने के लिए हमेशा तैयार रहता था।

(2) डूबती नैया पार लगाना।
अर्थ : कष्टों से छुटकारा देना।
वाक्य : सेठ जी ने अपने कर्मचारी को कर्ज से छुटकारा दिलाकर उसकी डूबती नैया पार करा दी

(3) तलवे चाटना।
अर्थ : खुशामद करना।
वाक्य : अपना काम करवाने के लिए बड़े-बड़े लोगों को भी अधिकारियों के तलवे चाटने पड़ते हैं

(4) पेट काटना।
अर्थ : भूखा रहना।
वाक्य : रमेश को अपनी सीमित आय में अपने दोनों बच्चों को पेट काटकर पढ़ाना पड़ा था

(5) हाथ खींचना।
अर्थ : साथ न देना।
वाक्य : बेटे के हाथ खींच लेने के बाद रघु को गृहस्थी चलाना भारी पड़ रहा है।

काल परिवर्तन

प्रश्न 1.
सूचना के अनुसार काल परिवर्तन कर वाक्य फिर से लिखिए :
(1) होनहार पौधों के पत्ते चिकने होते हैं। (सामान्य भविष्यकाल)
(2) कोयल आम का स्वाद लेती है। (अपूर्ण भूतकाल)
(3) आईना भला-बुरा बता देता है। (पूर्ण वर्तमानकाल)
(4) काठ की हाँडी दुबारा नहीं चढ़ेगी। (सामान्य वर्तमानकाल)
(5) मंदिर के शिखर पर कौआ बैठा है। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
(1) होनहार पौधों के पत्ते चिकने होंगे
(2) कोयल आम का स्वाद ले रही थी
(3) आईने ने भला-बुरा बता दिया है
(4) काठ की हाँडी दुबारा नहीं चढ़ती
(5) मंदिर के शिखर पर कौआ बैठा था

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वाक्य शुद्धिकरण

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके फिर से लिखिए :
(1) मैं मेरा काम दूसरे से करवाता है।
(2) सारे विद्यालय के विद्यार्थी पढ़ने में तेज है।
(3) पशु का झुंड देखकर मैं डर गए।
(4) वह अपनी पाँव पर खुद कुल्हाड़ी मारता हैं।
(5) मध्याह्न के सूर्य तपते है।
उत्तर :
(1) मैं अपना काम दूसरे से करवाता हूँ।
(2) विद्यालय के सारे विद्यार्थी पढ़ने में तेज हैं
(3) पशुओं का झुंड देखकर मैं डर गया
(4) वह अपने पाँव पर खुद कुल्हाड़ी मारता है
(5) मध्याह्न का सूर्य तपता है।

वृंद के दोहे Summary in Hindi

वृंद के दोहे कवि का परिचय

वृंद के दोहे कवि का नाम : वृंद। पूरा नाम : वृंदावनदास। (जन्म 1643; निधन 1723.)

वृंद के दोहे प्रमुख कृतियाँ : वृंद सतसई, समेत शिखर छंद, भाव पंचाशिका, पवन पचीसी, हितोपदेश संधि, यमक सतसई, वचनिका, सत्यस्वरूप, बारहमासा आदि।

वृंद के दोहे विशेषता : रीतिकालीन परंपरा के अंतर्गत आपका नाम आदर के साथ लिया जाता है। आपकी रचनाएँ रीतिबद्ध परंपरा में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती हैं। आपने काव्य के विविध प्रकारों में रचनाएँ रची हैं। आपके नीतिपरक दोहे जनसाधारण में बहुत प्रसिद्ध हैं। विधा दोहा छंद। रीतिकालीन काव्य परंपरा में दोहा छंद का विशेष स्थान रहा है। दोहा अर्ध सम मात्रिक छंद है। इसके प्रत्येक चरण के अंत में लघुवर्ण आता है। इसके चार चरण होते हैं, प्रथम और तृतीय चरण में 13 – 13 मात्राएँ होती हैं तथा द्वितीय और चतुर्थ चरण में 11 – 11 मात्राएँ होती हैं।

वृंद के दोहे विषय प्रवेश : कवि वृंद अपने दोहों के माध्यम से अपनी सरल-सुबोध भाषा में अत्यंत उपयोगी एवं व्यावहारिक बातों से परिचित करते हैं। प्रस्तुत दोहों में उन्होंने विद्या की विशेषता, आँखों की पहचानने की शक्ति, अपनी क्षमता के अनुरूप काम करने, व्यापार करने के सही ढंग, गुण के अनुसार आदर पाने, नीच को न छेड़ने तथा पालने में ही बच्चे के लक्षण दिख जाने आदि नीतिपरक बातें बताई हैं।

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वृंद के दोहे दोहों का सरल अर्थ

  1. कवि वृंद कहते हैं कि माँ सरस्वती के ज्ञान की बात बहुत अनूठी और अपूर्व है। इस ज्ञान के भंडार को जितना खर्च किया जाए अर्थात जितना बाँटा जाए उतना ही बढ़ता है। यदि ज्ञान को बाँटा न जाए, तो इसमें कमी आती जाती है। कवि वृंद कहते हैं कि आँखें हित और अहित की सारी बातें उसी तरह बता देती हैं, जैसे निर्मल आईने से अच्छी और बुरी दोनों तरह की बातों का पता चल जाता है।
  2. कवि कहते हैं कि हमारी जितनी क्षमता हो, उसी के अनुसार हमें अपने कार्य का फैलाव करना चाहिए। कवि उदाहरण देते हुए कहते हैं कि हमारी चादर की लंबाई जितनी हो, हमें उतने ही पाँव फैलाने चाहिए। यदि हम ऐसा नहीं करते, तो हम अपना कार्य पूरा नहीं कर सकते।
  3. कवि कहते हैं कि व्यापार यानी लेन-देन में हमें छल-कपट का सहारा नहीं लेना चाहिए। यदि हम एक बार छल-कपट से काम लेते हैं, तो दूसरी बार हम व्यापारी अथवा ग्राहक से लेन-देन नहीं कर सकते। कवि काठ की हाँडी का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि जिस प्रकार काठ की हाँडी एक बार ही आग पर चढ़ाई जा सकती है, दूसरी बार वह काम में नहीं आ सकती, उसी प्रकार छल-कपट से व्यापार में एक ही बार किसी को धोखा दिया जा सकता है, दूसरी बार यह तरीका काम में नहीं लाया जा सकता।
  4. कवि कहते हैं कि बिना गुण के किसी व्यक्ति को उच्च स्थान पर बैठने मात्र से बड़प्पन नहीं मिलता। वे कहते हैं कि जिस प्रकार मंदिर के ऊँचे शिखर पर बैठने मात्र से कौआ गरुड़ नहीं हो जाता, उसी प्रकार गुणों से रहित कोई व्यक्ति बड़प्पन का अधिकारी नहीं हो सकता।
  5. कवि कहते हैं कि मनुष्य को किसी के सहारे की आशा में खुद प्रयत्न करना छोड़ नहीं देना चाहिए। क्या बादल घिर जाने पर उससे मिलने वाले विपुल जल की उम्मीद में कोई पानी रखने का अपना जलपात्र यानी गगरी फोड़कर फेंक देता है?
  6. कवि कहते हैं कि नीच अर्थात बुरे आदमी को कभी कुछ (बुरा भला) कहकर छेड़ना नहीं चाहिए। क्योंकि जैसे कीचड़ में पत्थर फेंकने पर कीचड़ की गंदगी अपने ही ऊपर आती है, उसी तरह बुरे आदमी को कही गई बातों के बदले उसके द्वारा कहे गए अपशब्द हमें सुनने पड़ते हैं।
  7. जिस व्यक्ति को उच्च पद प्राप्त होता है, उसका भी एक-नएक दिन पतन होना निश्चित है। जिस प्रकार मध्याह्न का सूर्य उस समय बहुत तपता है, पर उसे भी एक समय अस्त हो जाना पड़ता है।
  8. जिस व्यक्ति को जिस चीज के गुणों के बारे में जानकारी होती है वह उसे ही सम्मान देता है। जैसे कोयल आम का स्वाद लेती है और कौआ निबौरियाँ ही खाता है। Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.2 वृंद के दोहे
  9. कवि कहते हैं कि अविवेक के साथ किया गया कार्य स्वयं के लिए हानिकारक सिद्ध होता है। ठीक उसी तरह जैसे कोई मूर्ख अपनी अविवेकता से कोई कार्य कर अपने पाँव पर अपने हाथ से कुल्हाड़ी मार लेता है।
  10. कवि कहते हैं कि पालने में बच्चे के शरीर के लक्षण देखकर उसके अच्छे-बुरे होने का पता चल जाता है। जैसे किसी पौधे के चिकने और स्वस्थ पत्ते देखकर उसके होनहार होने के लक्षण दिखाई देते हैं।

वृंद के दोहे शब्दार्थ

  • सरसुति = सरस्वती, विद्या की देवी
  • सौर = चादर
  • लहैं = लेना
  • उद्यम = प्रयत्न
  • पाथर = पत्थर
  • अंबहि = आम
  • करतब = कार्य
  • काठ = लकड़ी
  • वायस = कौआ
  • पयोद = बादल
  • तिहि = उसे
  • निबौरी = नीम का फल

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 5.1 गुरुबानी Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी

12th Hindi Guide Chapter 5.1 गुरुबानी Textbook Questions and Answers

कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर

आकलन

प्रश्न 1.
(अ) संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी 5

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी

(आ) कृति पूर्ण कीजिए :
(a) आकाश के दीप
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी 2
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी 12

शब्द संपदा

प्रश्न 2.
लिखिए :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी 3
उत्तर:
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी 15

अभिव्यक्ति

प्रश्न 3.
(अ) ‘गुरु बिन ज्ञान न होई उक्ति पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
ज्ञान की कोई सीमा नहीं है। विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न प्रकार के ज्ञान की आवश्यकता होती है। यह ज्ञान हमें किसी-नकिसी व्यक्ति से मिलता है। जिस व्यक्ति से हमें यह ज्ञान मिलता है, वही हमारे लिए गुरु होता है। बचपन में बच्चे का पालन-पोषण कर उसे बड़ा करके बोलने-चालने और बोली-भाषा सिखाने का काम माता करती है। उस समय वह बच्चे की गुरु होती है। बड़े होने पर बच्चे को विद्यालय में शिक्षकों से ज्ञान प्राप्त होता है।

पढ़-लिखकर। जीवन में पदार्पण करने पर हर व्यक्ति को किसी-न-किसी से अपने काम-काज करने का ढंग सीखना पड़ता है। इस तरह के लोग हमारे लिए गुरु के समान होते हैं। मनुष्य गुरुओं से ही सीखकर विभिन्न कलाओं में पारंगत होता है। बड़े-बड़े विद्वान, विचारक, राजनेता,। समाजशास्त्री, वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री अपने-अपने गुरुओं से ज्ञान। प्राप्त करके ही महान हुए हैं। अच्छी शिक्षा देने वाला गुरु होता है। गुरु की महिमा अपरंपार है।

गुरु ही हमें गलत या सही में भेद करना सिखाते हैं। वे अपने मार्ग से भटके हुए लोगों को सही मार्ग दिखाते हैं। यह सच है कि गुरु के बिना ज्ञान नहीं होता।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी

(आ) ‘ईश्वर भक्ति में नामस्मरण का महत्त्व होता है’, इस विषय पर अपना मंतव्य लिखिए।
उत्तर :
ईश्वरभक्ति के अनेक मार्ग बताए गए हैं। उनमें सबसे सरल मार्ग ईश्वर का नाम स्मरण करना है। नाम स्मरण करने का कोई नियम नहीं है। भक्त जहाँ भी हो, चाहे जिस हालत में हो, ईश्वर का नाम स्मरण कर सकता है। अधिकांश लोग ईश्वर भक्ति का यही मार्ग अपनाते हैं।

उठते-बैठते, आते-जाते तथा काम करते हुए नाम स्मरण किया जा सकता है। भजन-कीर्तन भी ईश्वर के नाम स्मरण का ही एक रूप है। ईश्वर भक्ति के इस मार्ग में प्रभु के गुणों का वर्णन किया जाता है। इसमें धार्मिक पूजा-स्थलों में जाने की जरूरत नहीं होती।

गृहस्थ अपने घर में ईश्वर का नाम स्मरण कर उनके गुणों का बखान कर सकता है। इससे नाम स्मरण करने वालों को मानसिक शांति मिलती हैं और मन प्रसन्न होता है। कहा गया है – ‘कलियुग केवल नाम अधारा, सुमिरि-सुमिर नर उतरें पारा।’ इसमें ईश्वर भक्ति में नाम स्मरण का ही महत्त्व बताया गया है।

रसास्वादन

प्रश्न 4.
‘गुरुनिष्ठा और भक्तिभाव से ही मानव श्रेष्ठ बनता है’ इस कथन के आधार पर कविता का रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
गुरु नानक का कहना है कि बिना गुरु के मनुष्य को ज्ञान नहीं मिलता। मनुष्य के अंतःकरण में अनेक प्रकार के मनोविकार होते हैं, जिनके वशीभूत होने के कारण उसे वास्तविकता के दर्शन नहीं होते। वह अहंकार में डूबा रहता है और उसमें गलत-सही का विवेक नहीं रह जाता।

ये मनोविकार दूर होता है गुरु से ज्ञान प्राप्त होने पर। यदि गुरु के प्रति सच्ची श्रद्धा और उनमें पूरा विश्वास हो तो मनुष्य के अंतःकरण के इन विकारों को दूर होने में समय नहीं लगता। मन के विकार दूर हो जाने पर मनुष्य में सबको समान दृष्टि से देखने की भावना उत्पन्न हो जाती है।

उसके लिए कोई बड़ा या छोटा अथवा ऊँच-नीच नहीं रह जाता। उसे मनुष्य में ईश्वर के दर्शन होने लगते हैं। उसके लिए ईश्वर की भक्ति भी सुगम हो जाती है। गुरु नानक ने अपने पदों में इस बात को सरल ढंग से कहा है। … इस तरह गुरु के प्रति सच्ची निष्ठा और भक्ति-भावना से मनुष्य श्रेष्ठ मानव बन जाता है।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

प्रश्न 5.
(अ) गुरु नानक जी की रचनाओं के नाम :
…………………………………………………………
उत्तर :
गुरुग्रंथसाहिब आदि।

(आ) गुरु नानक जी की भाषाशैली की विशेषताएं:
…………………………………………………………
…………………………………………………………
उत्तर :
गुरु नानक जी सहज-सरल भाषा में अपनी बात कहने में माहिर हैं। आपकी काव्य भाषा में फारसी, मुल्तानी, पंजाबी, सिंधी, खड़ी बोली और अरबी भाषा के शब्द समाए हए हैं। आपने पद शैली में रचना की है। ‘पद’ काव्य रचना की गेय शैली है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्यों में अधोरेखांकित शब्दों का वचन परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिए :

(1) सत्य का मार्ग सरल है।
उत्तर :
सत्य के मार्ग सरल हैं

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी

(2) हथकड़ियाँ लगाकर बादशाह अकबर के दरबार को ले चले।
उत्तर :
हथकड़ी लगाकर बादशाह अकबर के दरबार को ले चले

(3) चप्पे-चप्पे पर काटों की झाड़ियाँ हैं।
उत्तर :
चप्पे-चप्पे पर काँटे की झाड़ी है।

(4) सुकरात के लिए यह जहर का प्याला है।
उत्तर :
सुकरात के लिए ये जहर के प्याले हैं।

(5) रूढ़ि स्थिर है, परंपरा निरंतर गतिशील है।
उत्तर :
रूढ़ियाँ स्थिर हैं, परंपराएँ निरंतर गतिशील हैं।

(6) उनकी समस्त खूबियों-खामियों के साथ स्वीकार कर अपना लें।
उत्तर :
उनकी समस्त खूबी-कमी के साथ स्वीकार कर अपना लें।

(7) वे तो रुपये सहेजने में व्यस्त थे।
उत्तर :
वह तो रुपया सहेजने में व्यस्त था।

(8) ओजोन विघटन के खतरे क्या-क्या हैं?
उत्तर :
ओजोन विघटन का खतरा क्या है?

(9) शब्द में अर्थ छिपा होता है
उत्तर :
शब्दों में अर्थ छिपे होते हैं।

(10) अभी से उसे ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए।
उत्तर :
अभी से उसे ऐसे कोई कदम नहीं उठाने चाहिए।

Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 5.1 गुरुबानी Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका के प्रश्न 2 (अ) तथा प्रश्न 2 (आ) के लिए)
पदयाश क्र. 1
प्रश्न. निम्नलिखितपद्यांशपढ़करदी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए : गुरु को महत्त्व न देने वाले ऐसे होते हैं –
(1) ……………………………………..
(2) ……………………………………..
(3) ……………………………………..
(4) ……………………………………..
उत्तर :
(1) व्यर्थ ही उगने वाले तिल की झाड़ियों के समान।
(2) केवल ऊपर से फलते-फूलते दिखाई देते हैं।
(3) उनके अंदर गंदगी और मैल भरा होता है।
(4) लोग उनसे किनारा कर लेते हैं।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए :
(1) मन के लिए यह कहा गया है – ……………………………………..
(2) संसार में ऐसे लोग विरले होते हैं – ……………………………………..
(3) साधक को अपना ध्यान इसमें लगाना है – ……………………………………..
(4) प्रभु के दर्शन के लिए आवश्यक है – ……………………………………..
उत्तर :
(1) दिन-रात भगवान के गुणों का स्मरण करना।
(2) जो एक क्षण भी भगवान का नाम नहीं भूलते।
(3) भगवान में।
(4) साधक को अहंभाव का त्याग करना।

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए :
(1) तन = …………………………….
(2) मसि = …………………………….
(3) मति = …………………………….
(4) विरले = …………………………….
उत्तर :
(1) (1) तन = शरीर।
(2) मसि = स्याही।
(3) मति = बुद्धि।
(4) बिसरे = भूले।

पद्यांश क्र. 2
प्रश्न. निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए :
(a)
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी 6
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी 10

(b)
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी 7
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी 11

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी

(2) संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी 9
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी 13

रसास्वादन। मुद्दों के आधार पर
कृतिपत्रिका के प्रश्न 2 (इ) के लिए

प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर दोहो-पदों का रसास्वादन कीजिए:
उत्तर :
(1) रचना का शीर्षक : गुरुवाणी।
(2) रचनाकार : गुरु नानक
(3) कविता की केंद्रीय कल्पना : प्रस्तुत दोहों-पदों में गुरु के .. महत्त्व, ईश्वर की महिमा तथा प्रभु का नाम स्मरण करने से ईश्वर प्राप्ति की बात कही गई है।

(4) रस-अलंकार :
गगन में थाल, रवि-चंद्र दीपक बने।
तारका मंडल जनक मोती।
धूप मलयानिल, पवनु चैवरो करे।
सकल वनराइ कुलंत जोति।।

यहाँ कहा गया है कि गगन ही थाल है; सूर्य-चंद्रमा ही दीपक हैं; तारका मंडल ही मोती है; मलयानिल ही धूप-गंध है; जंगल की समस्त वनस्पतियाँ फूल हैं। इसलिए रूपक अलंकार है।

(5) प्रतीक विधान : प्रस्तुत कविता में कवि ने गुरु का चिंतन न करने वालों तथा अपने आप को ही ज्ञानी समझने वालों को बिना संरक्षक वाले व्यक्ति कहा गया है। इसके लिए कवि ने निर्जन स्थान पर उगी हुई तिल्ली के पौधे का प्रतीक के रूप में उपयोग किया है।

(6) कल्पना : जीवन में गुरु का महत्त्व, कर्म की महानता तथा प्रभु के नाम का स्मरण ही प्रभु प्राप्ति का मार्ग है।

(7) पसंद की पंक्तियाँ तथा प्रभाव : कविता की पसंद की पंक्तियाँ इस प्रकार हैं :
नानक गुरु न चेतनी मनि आपणे सुचेत।
छूते तिल बुआड़ जिऊ सुएं अंदर खेत।
खेते अंदर छुट्टया कहु नानक सऊ नाह।
फली अहि फूली अहि बपुड़े भी तन विच स्वाह।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी

इन पंक्तियों में कवि ने गुरु का महत्त्व न समझने और अपने को ज्ञानी मानने वालों को मरुस्थल में पाई जानेवाली तिल्ली की फली में मिलने वाली राख कहा है, जो बहुत ही सटीक है।

(8) कविता पसंद आने का कारण : गुरु नानक ने इन पंक्तियों में यह बताया है कि कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो गुरु को महत्त्व नहीं देते और अपने आप को ही ज्ञानी मान बैठते हैं। गुरु नानक जी ऐसे लोगों की तुलना उस तिल के पौधे से करते हैं, जो किसी निर्जन स्थान पर अपने आप उग आता है और उसको खाद-पानी देने वाला कोई भी नहीं होता। इसलिए उस पौधे का विकास नहीं हो पाता। ऐसे पौधे में फूल भी लगते हैं और फली भी लगती है, पर फली के अंदर दाने नहीं पड़ते, उसमें गंदगी और राख ही होती है। वैसी ही हालत बिना गुरु के मनुष्य की होती है। ऐसे लोगों का मानसिक विकास नहीं हो पाता।

1. अलंकार :

निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचानकर लिखिए :
(1) तरुवर की छायानुवाद सी,
उपमा-सी-भावुकता-सी,
अविदित भावाकुल भाषा-सी,
कटी-छूटी नव कविता-सी।

(2) उदित उदय गिरि मंच पर, रघुवर बाल पतंग।
विकसे संत सरोज सब हरषे लोचन भंग।

(3) जिन दिन देखे वे कुसुम, गई सो बीति बहार।
अब अलि रही गुलाब में, अपत कँटीली डार।

(4) छिप्यो छबीली मुँह लसै नीले अंचल चीर।
मनो कलानिधि झलमले, कालिंदी के तीर।

(5) छाले परिबे के डरनि, सकै न हाथ छुवाय।
झिझकत हिये गुलाब के सँवा सँवावत पाय।
उत्तर :
(1) उपमा अलंकार
(2) रूपक अलंकार
(3) अन्योक्ति अलंकार
(4) उत्प्रेक्षा अलंकार
(5) अतिशयोक्ति अलंकार।

2. रस :

निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में प्रयुक्त रस पहचानकर लिखिए :
(1) भूषन बसन बिलोकत सिय के।
प्रेम-बिबस मन, कंप पुलक तनु
नीरज नयन नीर भरे पिय के।
सकुचत, कहत, सुमिरि उर उमगत
सील, सनेह सुगुन गुन तिय के।

(2) लीन्हों उखारि पहार बिसाल
चल्यौ तेहि काल, बिलंब न लायौ।
मारुत नंदन मारुत को, मन को
खगराज को बेगि लजायो।।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी

(3) रामहि बाम समेत पठै बन,
शोक के भार में भुंजौ भरत्थहि।
जो धनु हाथ धरै रघुनाथ तो
आज अनाथ करौं दशरत्थहि।
उत्तर :
(1) शृंगार रस
(2) अद्भुत रस
(3) रौद्र रस।

3. मुहावरे :

निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :

(1) सिर खपाना।
अर्थ : कठिन परिश्रम करना।
वाक्य : कई साल तक सिर खपाने के बाद आखिरकार उस युवक को सी.ए. की डिग्री मिल ही गई।

(2) उगल देना।
अर्थ : भेद बता देना।
वाक्य : पुलिस का डंडा पड़ते ही चोर ने चुराई गई संपत्ति को छिपाकर रखे जाने के स्थान की बात उगल दी।

(3) कब्र में पैर लटकना।
अर्थ : मरने के समीप होना।
वाक्य : कोरोना के प्रसार से अनेक मरीजों के पैर कब्र में लटक गए हैं।

(4) पापड़ बेलना।
अर्थ : कड़ी मेहनत करना।
वाक्य : आज जो लड़का जिलाधीश के पद पर आसीन है, इस पद तक पहुँचने में इसने बहुत पापड़ बेले हैं।

(5) मरने की फुरसत न होना।
अर्थ : कामों में बहुत व्यस्त होना।
वाक्य : मुनीम जी तो अपने काम में इतने व्यस्त हैं कि उन्हें मरने की भी फुरसत नहीं है।

4. काल परिवर्तन :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों को कोष्ठक में सूचित काल में परिवर्तन कीजिए :
(1) वे सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखते थे। (सामान्य वर्तमानकाल)
(2) दिन रात महान आरती होती है। (अपूर्ण भूतकाल)
(3) अनहद नाद का वाद्य बज रहा है। (सामान्य भविष्यकाल)
(4) श्रद्धा भक्त की सबसे बड़ी भेंट होगी। (पूर्ण भूतकाल)
(5) तुम्हारे अनेक रंग हैं। (भविष्यकाल)
उत्तर :
(1) वे सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखते हैं।
(2) दिन-रात महान आरती हो रही थी।
(3) अनहद नाद का वाद्य बजेगा।
(4) श्रद्धा भक्त की सबसे बड़ी भेंट थी।
(5) तुम्हारे अनेक रंग होंगे।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी

5. वाक्य शुद्धिकरण :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके लिखिए :
(1) गुरू के बिना ग्यान नहीं होता।
(2) उसने भगवान की नाम का माला पहन ली है।
(3) सभी जंगल की वनस्पतियाँ फूल चढ़ा रही है।
(4) श्रद्धा ही भक्त का सबसे बड़ा भेट है।
(5) तू दीन-रात भगवान के गुणों का स्मरण कर।
उत्तर :
(1) गुरु के बिना ज्ञान नहीं होता।
(2) उसने भगवान के नाम की माला पहन ली है।
(3) जंगल की सभी वनस्पतियाँ फूल चढ़ा रही हैं।
(4) श्रद्धा ही भक्त की सबसे बड़ी भेंट है।
(5) तू दिन-रात भगवान के गुणों का स्मरण कर।

गुरुबानी Summary in Hindi

गुरुबानी कवि का परिचय

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी 16
कवि का नाम :
गुरु नानक। (जन्म 15 अप्रैल, 1469; निधन 1539.)

प्रमुख कृतियाँ : गुरुग्रंथसाहिब आदि।

विशेषता : आप सर्वेश्वरवादी हैं और सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखते हैं। आपके भावुक व कोमल हृदय ने प्रकृति से एकात्म होकर अनूठी अभिव्यक्ति की है। आप सहज-सरल भाषा द्वारा अपनी बात कहने में सिद्धहस्त हैं।

विधा : दोहे, पद। पदकाव्य रचना की एक गेय शैली है। इसके विकास का मूल स्रोत लोकगीतों की परंपरा रही है। हिंदी साहित्य में ‘पद शैली’ की दो परंपराएँ मिलती हैं – एक संतों की ‘शबद’ और दूसरी ‘कृष्ण भक्तों की परंपरा’।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी

विषय प्रवेश : मनुष्य के जीवन को उत्तम और सदाचार से परिपूर्ण बनाने के लिए गुरु का मार्गदर्शन अत्यंत आवश्यक होता है। इसी से शिक्षा प्राप्त कर मनुष्य उत्तम कार्य करता है। प्रस्तुत दोहों और पदों में गुरु नानक ने गुरु की महिमा, कर्म की महानता तथा सच्ची शिक्षा आदि के बारे में अपने अमूल्य विचारों से परिचित कराया है। वे गुरु द्वारा दिए गए ज्ञान को शिष्य की सबसे बड़ी पूँजी मानते हैं। उन्होंने प्रभु की महिमा का वर्णन करते हुए नाम स्मरण को प्रभु प्राप्ति का मार्ग बताया है और कर्मकांड और बाह्याडंबर का घोर विरोध किया है।

गुरुबानी कविता (पदों) का सरल अर्थ

(1) नानक गुरु न चेतनी …………………………………….. तन बिच स्वाह।

गुरु नानक कहते हैं कि जो लोग गुरु का चिंतन नहीं करते, गुरु से लापरवाही बरतते हैं और अपने आप को ही ज्ञानी समझते हैं, वे व्यर्थ ही उगने वाली तिल की उन झाड़ियों के समान होते हैं, जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं होता। वे ऊपर से फलतीफूलती दिखाई देती है, पर उन फलियों के अंदर गंदगी और मैल भरा होता है। लोग ऐसे लोगों से किनारा कर लेते हैं।

(2) जलि मोह धसि …………………………………….. अंत न पारावार।

गुरु नानक कहते हैं कि मोह को जलाकर और घिसकर स्याही बनाओ। अपनी बुद्धि को श्रेष्ठ कागज समझो। प्रेम-भाव की कलम बनाओ। चित को लेखक समझो और गुरु से पूछकर लिखो – नाम की स्तुति। साथ ही यह सच्चाई भी लिखो कि प्रभु का न कोई आदि है और न कोई अंत।

(3) मन रे अहिनिसि …………………………………….. मेले गरु संजोग।

हे मन! तू दिन-रात भगवान के गुणों का स्मरण कर। जिन्हें एक क्षण के लिए भी ईश्वर का नाम नहीं भूलता, संसार में ऐसे लोग विरले ही होते हैं। अपना ध्यान उसी ईश्वर में लगाओ और उसकी ज्योति से तुम भी प्रकाशित हो जाओ। जब तक तुझमें अहंभाव रहेगा, तब तक तुझे प्रभु के दर्शन नहीं हो सकते। जिसने अपने हृदय में भगवान के नाम की माला पहन ली है, उसे ही प्रभु के दर्शन होते हैं।

(4) तेरी गति मिति …………………………………….. दजा और न कोई।

हे प्रभो! अपनी शक्ति के सब रहस्यों को केवल तुम्हीं जानते हो। उनकी व्याख्या कोई दूसरा नहीं कर सकता है। तुम ही अप्रकट रूप भी हो और तुम ही प्रकट रूप भी हो। तुम्हारे अनेक रंग हैं। अनगिनत भक्त, सिद्ध, गुरु और शिष्य तुम्हें ढूँढ़ते फिरते हैं। हे प्रभु! जिन्होंने नाम स्मरण किया उन्हें प्रसाद (भिक्षा) में तुम्हारे दर्शन की प्राप्ति हुई है। प्रभु! तुम्हारे इस संसार के खेल को केवल कोई गुरुमुख ही समझ सकता है। प्रभु! अपने इस संसार में युग-युग से तुम्हीं बिराजमान रहते हो, कोई दूसरा नहीं।।

(5) गगन में थाल …………………………………….. शबद बाजत भेरी। (संसार में दिन-रात महान आरती हो रही है।)

आकाश की थाल में सूर्य और चंद्रमा के दीपक जल रहे हैं। हजारों तारे-सितारे – मोती बने हैं। मलय की खुशबूदार हवा वाला धूप (गुग्गुल) महक रहा है। वायु हवा से चँवर कर रही है। जंगल की सभी वनस्पतियाँ फूल चढ़ा रही हैं। हृदय में अनहद नाद का वाद्य बज रहा है। हे मनुष्य! इस महान आरती के होते हुए तेरी आरती का क्या महत्त्व है। अर्थात भगवान की असली आरती तो मन में उतारी जाती है। श्रद्धा ही भक्त की सबसे बड़ी भेंट है।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 गुरुबानी

गुरुबानी शब्दार्थ

  • बूआड़ = बुआई करना
  • सउ = ईश्वर
  • चितु = चित्त
  • गुपता = अप्रकट, गुप्त
  • सगल = संपूर्ण
  • सुंजे = सूने
  • मसु = स्याही
  • अहिनिसि = दिन-रात
  • जुग = युग
  • भेरी = बड़ा ढोल

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 4 आदर्श बदला Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला

12th Hindi Guide Chapter 4 आदर्श बदला Textbook Questions and Answers

कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर

आकलन

प्रश्न 1.

(अ) कृति पूर्ण कीजिए :
साधुओं की एक स्वाभाविक विशेषता – ………………………………
उत्तर :
एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते रहना और भजन तथा भक्तिगीत गाते-बजाते रहना।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला

(आ) लिखिए :

(a) आगरा शहर का प्रभातकालीन वातावरण –
………………………………………………………………
………………………………………………………………
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 3

(b) साधुओं की मंडली आगरा शहर में यह गीत गा रही थी –
………………………………………………………………
………………………………………………………………
उत्तर :
सुमर-सुमर भगवान को,
मूरख मत खाली छोड़ इस मन को।

शब्द संपदा

प्रश्न 2.
लिंग बदलिए:

(1) साधु
(2) नवयुवक
(3) महाराज
(4) दास
उत्तर :
(1) साधु – साध्वी
(2) नवयुवक – नवयुवती
(3) महाराज – महारानी
(4) दास – दासी।

अभिव्यक्ति

प्रश्न 3.

(अ) ‘मनुष्य जीवन में अहिंसा का महत्त्व’, इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
हिंसा क्रूरता और निर्दयता की निशानी है। इससे किसी.। का भला नहीं हो सकता। इस संसार के सभी जीव ईश्वर की संतान हैं और समान हैं। सृष्टि में सबको जीने का अधिकार है। कोई कितना भी शक्तिमान क्यों न हो, किसी को उससे उसका जीवन छीनने का अधिकार नहीं है। जब कोई किसी को जीवन दे नहीं सकता तब वह किसी का जीवन ले भी नहीं सकता। बड़े-बड़े मनीषियों और महापुरुषों ने अहिंसा को ही धर्म कहा है – अहिंसा परमोधर्मः।

अहिंसा का अस्त्र सबसे बड़ा माना जाता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अहिंसा के बल पर शक्तिशाली अंग्रेज सरकार को झुका दिया था और अंग्रेज सरकार देश को आजाद करने पर विवश हो गई थी। जीवन का मूलमंत्र ‘जियो और जीने दो’ है। किसी के प्रति ईर्ष्या की भावना रखना या किसी का नुकसान करना भी एक प्रकार की हिंसा है। इससे हमें बचना चाहिए।

(आ) ‘सच्चा कलाकार वह होता है जो दूसरों की कला का सम्मान करता हैं, इस कथन पर अपना मत व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
कलाकार को कोई कला सीखने के लिए गुरु के सान्निध्य में रह कर वर्षों तक तपस्या करनी पड़ती है। कला की छोटीछोटी बारीक बातों की जानकारी करनी पड़ती है। इसके साथ ही निरंतर रियाज करना पड़ता है। गुरु से कला की जानकारियाँ प्राप्त करते-करते अपनी कला में वह प्रवीण होता है।

सच्चा कलाकार किसी कला को सीखने की प्रक्रिया में होने वाली कठिनाइयों से परिचित होता है। इसलिए उसके दिल में अन्य कलाकारों के लिए सदा सम्मान की भावना होती है। वह छोटे-बड़े हर कलाकार को समान समझता है और उनकी कला का सम्मान करता है। सच्चे कलाकार का यही धर्म है। इससे कला को प्रोत्साहन मिलता है और वह फूलती-फलती है।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला

पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न –

प्रश्न 4.

(अ) ‘आदर्श बदला’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
अपने पिता को मृत्युदंड दिए जाने पर बैजू विक्षिप्त हो गया था। और अपनी कुटिया में विलाप कर रहा था। उस समय बाबा हरिदास ने उसकी कुटिया में आकर उसे ढाढ़स बंधाया था। तब बालक बैजू ने बाबा को बताया था कि उसे अब बदले की भूख है। वे उसकी इस भूख को मिटा दें। बाबा हरिदास ने उसे वचन दिया था कि वे उसे ऐसा हथियार देंगे, जिससे वह अपने पिता की मौत का बदला ले सकेगा।

बाबा हरिदास ने बारह वर्षों तक बैजू को संगीत की हर प्रकार की बारीकियाँ सिखाकर उसे पूर्ण गंधर्व के रूप में तैयार कर दिया। मगर इसके साथ ही उन्होंने उससे यह वचन भी ले लिया कि वह इस राग विद्या से किसी को हानि न पहुँचाएगा।

इसके बाद वह दिन भी आया जब बैजू आगरा की सड़कों पर गाता हुआ निकला और उसके पीछे उसकी कला के प्रशंसकों की अपार भीड़ थी। आगरा में गाने के नियम के अनुसार उसे बादशाह के समक्ष पेश किया गया और शर्त के अनुसार तानसेन से उसकी संगीत प्रतियोगिता हुई, जिसमें उसने तानसेन को बुरी तरह परास्त कर दिया। तानसेन बैजू बावरा के पैरों पर गिरकर अपनी जान की भीख माँगने लगा। इस मौके पर बैजू बावरा उससे अपने पिता की मौत का बदला लेकर उसे प्राणदंड दिलवा सकता था। पर उसने ऐसा नहीं किया। बैजू ने तानसेन की जान बख्श दी।

उसने उससे केवल इस निष्ठुर नियम को उड़वा देने के लिए कहा, जिसके अनुसार किसी को आगरे की सीमाओं में गाने और तानसेन की जोड़ का न होने पर मरवा दिया जाता था। इस तरह बैजू बावरा ने तानसेन का गर्व नष्ट कर उसे मुँह की खिलाकर उससे अनोखा बदला लेकर उसे श्रीहीन कर दिया था। यह अपनी तरह का आदर्श बदला था। समूची कहानी इस बदले के आसपास घूमती है। इसलिए ‘आदर्श बदला’ शीर्षक इस कहानी के उपयुक्त है।

(आ) ‘बैजू बावरा संगीत का सच्चा पुजारी है’, इस विचार को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
सच्चा कलाकार उसे कहते हैं, जिसे अपनी कला से सच्चा लगाव हो। वह अपने गुरु की कही हुई बातों पर अमल करे तथा गुरु से विवाद न करे। इसके अलावा उसे अपनी कला पर अहंकार न हो। बैजू बावरा ने बारह वर्ष तक बाबा हरिदास से संगीत सीखने की कठिन तपस्या की थी।

वह उनका एक आज्ञाकारी शिष्य था। उसकी संगीत शिक्षा पूरी हो जाने के बाद बाबा हरिदास ने जब उससे यह प्रतिज्ञा करवाई कि वह इस राग विद्या से किसी को हानि नहीं पहुँचाएगा, तो भी उसने रक्त का यूंट पी कर इस गुरु आदेश को स्वीकार कर लिया था, जबकि उसे मालूम था कि इससे उसके हाथ में आई हुई प्रतिहिंसा की छुरी कुंद कर दी गई थी। फिर भी गुरु के सामने उसके मुँह से एक शब्द भी नहीं निकला।

बैजू बावरा की संगीत कला की धाक दूर-दूर तक फैल गई थी। है उसके संगीत में जादू का असर था। बैजू बावरा को संगीत ज्ञान है पर तानसेन की तरह कोई अहंकार नही था। बल्कि इसके विपरीत उसके हृदय में दया की भावना थी। गानयुद्ध में तानसेन को पराजित करने पर भी वह अपनी जीत और संगीत का प्रदर्शन नहीं करता।

बल्कि वह तानसेन को जीवनदान दे देता है। वह उससे केवल यह माँग करता है कि वह इस नियम को खत्म करवा दे कि जो कोई आगरा की सीमा के अंदर गाए, वह अगर तानसेन की जोड़ का न हो, तो मरवा दिया जाए। उसकी इस माँग में भी गीत-संगीत की ५ रक्षा करने की भावना निहित है।

इस प्रकार इसमें कोई संदेह नहीं है कि बैजू बावरा संगीत का सच्चा पुजारी था।

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साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

प्रश्न 5.

(अ) सुदर्शन जी का मूल नाम : ……………………………………
उत्तर :
सुदर्शन जी का मूल नाम बदरीनाथ है।

(आ) सुदर्शन ने इस लेखक की लेखन परंपरा को आगे बढ़ाया है : ……………………………………
उत्तर :
सुदर्शन ने मुंशी प्रेमचंद की लेखन परंपरा को आगे बढ़ाया है।

रस

अद्भुत रस : जहाँ किसी के अलौकिक क्रियाकलाप, अद्भुत, आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर हृदय में विस्मय अथवा आश्चर्य का भाव जाग्रत होता है; वहाँ अद्भुत रस की व्यंजना होती है।

उदा. –

(१) एक अचंभा देखा रे भाई।
ठाढ़ा सिंह चरावै गाई।
पहले पूत पाछे माई।
चेला के गुरु लागे पाई।।

(२) बिनु-पग चलै, सुनै बिनु काना।
कर बिनु कर्म कर, विधि नाना।
आनन रहित सकल रस भोगी।
बिनु वाणी वक्ता, बड़ जोगी।।

शृंगार रस : जहाँ नायक और नायिका अथवा स्त्री-पुरुष की प्रेमपूर्ण चेष्टाओं, क्रियाकलापों का शृंगारिक वर्णन हो; वहाँ शृंगार रस की व्यंजना होती है।

उदा. –
(१) राम के रूप निहारति जानकी, कंकन के नग की परछाही,
यातै सबै सुधि भूलि गई, कर टेकि रही पल टारत नाही।

(२) कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत, लजियात।
भरे भौन में करत हैं, नैननु ही सौं बात।।

शांत रस : (निर्वेद) जहाँ भक्ति, नीति, ज्ञान, वैराग्य, धर्म, दर्शन, तत्त्वज्ञान अथवा सांसारिक नश्वरता संबंधी प्रसंगों का वर्णन हो; वहाँ शांत रस उत्पन्न होता है।

उदा. –
(१) माला फेरत जुग भया, गया न मन का फेर।
कर का मनका डारि कै, मन का मनका फेर।।

(२) माटी कहै कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोहे।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोहे।।

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भक्ति रस : जहाँ ईश्वर अथवा अपने इष्ट देवता के प्रति श्रद्धा, अलौकिकता, स्नेह, विनयशीलता का भाव हृदय में उत्पन्न होता है; वहाँ भक्ति रस की व्यंजना होती है।

उदा. –
(१) तू दयालु दीन हौं, तू दानि हौं भिखारि।
हौं प्रसिद्ध पातकी, तू पाप पुंजहारि।

(२) समदरसी है नाम तिहारो, सोई पार करो,
एक नदिया इक नार कहावत, मैलो नीर भरो,
एक लोहा पूजा में राखत, एक घर बधिक परो,
सो दुविधा पारस नहीं जानत, कंचन करत खरो।

Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 4 आदर्श बदला Additional Important Questions and Answers

गद्यांश क्र. 1
कृतिपत्रिका के प्रश्न 1 (अ) तथा प्रश्न 1 (आ) के लिए।

प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 2
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 4

प्रश्न 2.
साधु इस तरह गाते थे गीत –
(1) ……………………………………..
(2) ……………………………………..
(3) ……………………………………..
(4) ……………………………………..
उत्तर :
(1) कोई ऊँचे स्वर में गाता था।
(2) कोई मुँह में गुनगुनाता था।
(3) सब अपने राग में मगन थे।
(4) उन्हें सुर-ताल की परवाह नहीं थी।

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प्रश्न 3.
तानसेन द्वारा बनवाया गया कानून –
(1) ……………………………………..
(2) ……………………………………..
उत्तर :
(1)जो आदमी राग-विद्या में तानसेन की बराबरी न कर सके, है वह आगरे की सीमा में गीत न गाए।
(2) ऐसा आदमी जो आगरे की सीमा में गीत गाए, उसे मौत की सजा दी जाए।

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के लिंग बदलकर लिखिए :
(1) पत्ते – …………………………………..
(2) स्वामी – …………………………………..
(3) राग – …………………………………..
(4) आदमी – …………………………………..
उत्तर :
(1) पत्ते – पत्तियाँ
(2) स्वामी – स्वामिनी
(3) राग – रागिनी (4) आदमी – औरत

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
साधु-संतों को राग विद्या की जानकारी न होने के कारण मौत की सजा दिया जाना क्या उचित है? इस विषय पर 40 से 50 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
साधु-संत दीन-दुनिया से विरक्त ईश्वर आराधना में लीन रहने वाले लोग होते हैं। वे अपने साथी साधु-संतों से सुने-सुनाए भजन-कीर्तन अपने ढंग से गाते हैं। उन्हें राग, छंद और संगीत का समुचित ज्ञान नहीं होता। भजन भी वे अपनी आत्म-संतुष्टि और ईश्वर आराधना के लिए गाते हैं।

उनका उद्देश्य उसे राग में गा कर किसी को प्रसन्न करना नहीं होता। आगरा शहर में बिना सुर-ताल की परवाह किए हुए और बादशाह के कानून से अनभिज्ञ ये साधु गाते हुए जा रहे थे। इन्हें इस जुर्म में पकड़ लिया गया था कि वे आगरा की सीमा में गाते हुए जा रहे हैं। अकबर के मशहूर रागी तानसेन ने यह नियम बनवा दिया था कि जो आदमी राग विद्या में उसकी बराबरी न कर सके वह आगरा की सीमा में न गाए। यदि गाए तो उसे मौत की सजा दी जाए।

अतः इन्हें मौत की सजा दे दी गई। इस तरह साधुओं को मौत की सजा देना उनके साथ बिलकुल अन्याय है। इस तरह के कानून से तानसेन के अभिमान की बू आती है।

गद्यांश क्र. 2
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 5
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 10

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 6
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 11

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए :

(1) बैजू ने हरिदास के चरणों में और ज्यादा लिपट कर यह कहा –
(i) ……………………………………
(ii) ……………………………………
(iii) ……………………………………
(iv) ……………………………………
उत्तर :
(i) महाराज (मेरी) शांति जा चुकी है।
(ii) अब मुझे बदले की भूख है।
(iii) अब मुझे प्रतिकार की प्यास है।
(iv) आप मेरी प्यास बुझाइए।

(2)
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उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 12

(3)
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 8
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 13

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प्रश्न 3.
आकृति पूर्ण कीजिए:
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 9
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 14

प्रश्न 4.
बैजू ने दिया बाबा हरिदास को यह वचन –
(i) ……………………………………
(ii) ……………………………………
(iii) ……………………………………
(iv) ……………………………………
उत्तर :
(i) मैं बारह जीवन देने को तैयार हूँ।
(ii) मैं तपस्या करूँगा।
(iii) मैं दुख झेलूँगा, मैं मुसीबतें उठाऊँगा।
(iv) मैं अपने जीवन का एक-एक क्षण आपको भेंट कर दूंगा।

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के लिंग बदल कर लिखिए :
(1) बेटा – ……………………………………
(2) बच्चा – ……………………………………
(3) सेवक – ……………………………………
(4) सूना – ……………………………………
उत्तर :
(1) बेटा – बेटी
(2) बच्चा – बच्ची
(3) सेवक – सेविका
(4) आखिरी = अंतिम।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए :
(1) संसार = ……………………………………
(2) तबाह = ……………………………………
(3) चरण = ……………………………………
(4) आखिरी = ……………………………………
उत्तर :
(1) संसार = दुनिया
(2) तबाह = बर्बाद
(3) चरण = पाँव
(4) सूना – सूनी।

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
‘बिनु गुरु होय न ज्ञान’ इस कथन के बारे में 40 से 50 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
मनुष्य को बचपन से लेकर अंतिम समय तक विभिन्न . कार्यों को पूर्ण करने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है। यह ज्ञान विभिन्न रूपों में हमें किसी-न-किसी गुरु से मिलता है। बचपन में बच्चे का पालन-पोषण कर उसे बड़ा करके बोलने-चालने और बोली-भाषा सिखाने का काम माता करती है।

उस समय वह उसकी गुरु होती है। बड़े होने पर विद्यालय में शिक्षकों से बच्चे को ज्ञान की प्राप्ति होती है। तरह-तरह की कलाओं को सीखने के लिए गुरु से ज्ञान प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। गुरु से ज्ञान प्राप्त करके ही कलाकार नाम कमाते हैं।

प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट के क्षेत्र में महारत हासिल करने में उनके क्रिकेट गुरु रमाकांत आचरेकर का विशेष योगदान रहा है।

इसी तरह छत्रपति शिवाजी महाराज की सफलता में उनके गुरु का काफी योगदान रहा है। गुरु ही हमें सही या गलत में भेद करना सिखाते हैं। वे ही भूले-भटके हओं को सही राह दिखाते हैं। इस तरह गुरु की महिमा अपरंपार है।

गद्यांश क्र. 3
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 15
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 17

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प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए : जवान बैजू के संगीत की विशेषताएँ –
(1) …………………………
(2) …………………………
(3) …………………………
(4) …………………………
उत्तर :
(1) उसके स्वर में जादू था और तान में आश्चर्यमयी मोहिनी थी।
(2) गाता था तो पत्थर तक पिघल जाते थे।
(3) पशु-पंछी तक मुग्ध हो जाते थे।
(4) लोग सुनते थे और झूमते थे तथा वाह-वाह करते थे।

प्रश्न 3.
बैजू की राग विद्या की शिक्षा पूरी होने पर हरिदासजी ने यह कहा –
(1) …………………………
(2) …………………………
उत्तर :
(1) वत्स! मेरे पास जो कुछ था, वह मैंने तुझे दे डाला।
(2) अब तू पूर्ण गंधर्व हो गया है।

प्रश्न 4.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 16
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 18

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कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द लिखिए :
(1) उजड़ना x ……………………………..
(2) बूढ़े x ……………………………..
(3) कृतज्ञता x ……………………………..
(4) उपकार x ……………………………..
उत्तर :
(1) उजड़ना – बसना
(3) कृतज्ञता – कृतघ्नता
(2) बूढ़े x जवान
(4) उपकार x अपकार।

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
‘कृतज्ञता मनुष्य का उत्तम गुण है’ इस विषय पर 40 से 50 शब्दों में अपना मत लिखिए।
उत्तर :
कृतज्ञता का अर्थ है अपने साथ किसी के द्वारा किए गए किसी अच्छे कार्य के लिए व्यक्ति का एहसान मानना। प्रत्येक मनुष्य के जीवन में कभी-न-कभी ऐसा समय आता है, जब उसे किसी रूप में किसी व्यक्ति से छोटी-बड़ी मदद लेनी पड़ती है अथवा किसी का एहसान लेना पड़ता है। उस समय इस प्रकार की मदद अथवा उपकार करने वाला व्यक्ति हमें किसी फरिश्ते से कम नहीं लगता।

ऐसे समय हमारे मन में उसके प्रति श्रद्धा और सम्मान की भावना जाग उठती है। इसे हम एहसान करने वाले के पैर छू करः अथवा उसे धन्यवाद दे कर प्रदर्शित करते हैं। इतना ही नहीं हम सदा उसके एहसान को याद रखते हैं। कृतज्ञता व्यक्त करने से एहसान करने वाले व्यक्ति को भी प्रसन्नता होती है।

गद्यांश क्र. 4
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए :

(1) सिपाहियों ने साधु को इस रूप में देखा –
(i) ………………………………..
(ii) ………………………………..
(iii) ………………………………..
(iv) ………………………………..
उत्तर :
(i) साधु के मुँह से तेज की किरणें फूट रही थीं। .
(ii) उन किरणों में जादू था, मोहिनी थी और मुग्ध करने की शक्ति थी।
(iii) उसके मुँह पर सरस्वती का वास था।
(iv) उसके मुँह से संगीत की मधुर ध्वनि की धारा बह रही थी।

(2)
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उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 22

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प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 20
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 23

प्रश्न 3.
लिखिए : तानसेन ने नवयुवक (साधु) से यह कहा –
(1) ………………………………..
(2) ………………………………..
(3) ………………………………..
(4) ………………………………..
उत्तर :
(1) शायद आपके सिर पर मौत सवार है।
(2) आप नियम जानते हैं न?
(3) नियम कड़ा है और मेरे दिल में दया नहीं है।
(4) मेरी आँखें दूसरों की मौत को देखने के लिए हर समय तैयार हैं।

प्रश्न 4.
आकृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 21
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 24

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कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के वचन बदल कर लिखिए :
(1) हथकड़ियाँ – ………………………………………
(2) आँखें – ………………………………………
(3) बाजारों – ………………………………………
(4) श्रोता – ………………………………………
उत्तर :
(1) हथकड़ियाँ – हथकड़ी
(2) आँखें – आँख
(3) बाजारों – बाजार
(4) श्रोताँ – श्रोतागण।

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
‘घमंड मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है’ इस विषय पर अपने विचार 40 से 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
मनुष्य के अंदर सद् और असद् दो प्रवृत्तियाँ होती हैं। सद् का अर्थ है अच्छा और असद् का अर्थ है जो अच्छा न हो यानी बुरा। घमंड मनुष्य की बुरी वृत्ति है। घमंडी व्यक्ति को अच्छे और बुरे का विवेक नहीं होता। वह अपने घमंड के नशे में चूर रहता है और अपना भला-बुरा भी भूल जाता है।

घमंडी व्यक्ति को अपनी गलती का अहसास तब होता है, जब उसकी की गई गलतियों का परिणाम उसके सामने आता है। घमंड का परिणाम बहुत बुरा होता है। इसके कारण बड़े-बड़े ज्ञानी पुरुषों को भी मुँह की खानी पड़ती है।

रावण जैसा महाज्ञानी पंडित भी अपने घमंड के कारण अपने कुल परिवार सहित नष्ट हो गया। घमंड मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है और उसकी मंजिल है दारुण दुख। इसलिए मनुष्य को घमंड का मार्ग त्याग कर प्रेम और सद्गुण का मार्ग अपनाना चाहिए।

गद्यांश क्र. 5
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए :
(a)
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 25
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 27

(b)
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उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 28

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प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए :
(1) बैजू बावरा ने अपने सितार के पदों को हिलाया, तो यह हुआ –
(i) …………………………….
(ii) …………………………….
(iii) …………………………….
(iv) …………………………….
उत्तर :
(i) जनता ब्रह्मानंद में लीन हो गई।
(ii) पेड़ों के पत्ते तक निःशब्द हो गए।
(iii) वायु रुक गई।
(iv) सुनने वाले मंत्रमुग्धवत सुधिहीन हुए सिर हिलाने लगे।

प्रश्न 3.
बैजू बावरा की उँगलियाँ जब सितार पर दौड़ी, तब –
(i) …………………………….
(ii) …………………………….
(iii) …………………………….
(iv) …………………………….
उत्तर :
(i) तारों पर राग विद्या निछावर हो रही थी।
(ii) लोगों के मन उछल रहे थे।
(iii) लोग झूम रहे थे, थिरक रहे थे।
(iv) जैसे सारे विश्व की मस्ती वहीं आ गई थी।

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्द समूहों के लिए गद्यांश में से ढूँढकर एकएक शब्द लिखिए :
(1) ब्रह्म स्वरूप के साक्षात्कार का दर्शन।
(2) जहाँ किसी प्रकार का शब्द न होता हो।
(3) जो होश से रहित हो।
(4) किसी से भी न डरने की भावना।
उत्तर :
(1) ब्रह्मानंद
(2) निःशब्द
(3) सुधिहीन
(4) निर्भयता

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गद्यांश क्र. 6
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए : गानयुद्ध-स्थल पर दर्शक यह देखकर हैरान रह गए –
(1) …………………………………………
(2) …………………………………………
(3) …………………………………………
(4) …………………………………………
उत्तर :
(1) कुछ हरिण छलाँगें मारते हुए आए और बैजू बावरा के पास खड़े हो गए।
(2) हरिण संगीत सुनते रहे, सुनते रहे।
(3) हरिण मस्त और बेसुध थे।
(4) बैजू ने सितार रखकर उनके गले में फूलमालाएँ पहनाईं तब उन्हें सुध आई और भाग खड़े हुए।

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए :
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उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 31

प्रश्न 3.
लिखिए : तानसेन ने इस तरह बजाया सितार –
(1) …………………………………………
(2) …………………………………………
(3) …………………………………………
(4) …………………………………………
उत्तर :
(1) पूर्ण प्रवीणता के साथ।
(2) पूर्ण एकाग्रता के साथ।
(3) वह बजाया, जो कभी न बजाया था।
(4) वह बजाया, जो कभी न बजा सकता था।

प्रश्न 4.
आकृति पूर्ण कीजिए :
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उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 32

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कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित उपसर्ग जोड़कर शब्द बनाकर लिखिए :
(1) अ – …………………………….
(2) बे – …………………………….
(3) निर् – …………………………….
(4) परा – …………………………….
उत्तर
(1) अ – असाधारण
(2) बे – बेसुध
(3) निर् – निरादर
(4) परा – पराजय

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
‘संगीत का प्रभाव’ विषय पर 40 से 50 शब्दों में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
संगीत ऐसी कला है, जो श्रोताओं को अपनी स्वर लहरियों से आह्लादित कर देती है। संगीत एक गूढ़ विद्या है। संगीत-साधक इसमें जितनी गहराई तक जाता है, उसे उतने ही मोती मिलते हैं। संगीत का आनंद संगीत विशेषज्ञ तो उठाते ही हैं, जिन लोगों में संगीत कला की समझ नहीं होती, वे भी संगीत की स्वर लहरियों को सुन कर झूमने लगते हैं। संगीत की मधुर ध्वनि से लोग अपनी सुध-बुध खो बैठते हैं। संगीत सुनने से मन प्रसन्न होता है।

संगीत तनाव कम करने में सहायक होता है और उससे मानसिक शांति मिलती है।

संगीत का प्रभाव अद्भुत होता है। उससे केवल मनुष्य ही नहीं, वातावरण, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे सभी प्रभावित होते हैं। संगीत से पौधों की वृद्धि और दुधारू पशुओं के अधिक दूध देने तक की बातें कही जाती रही हैं। गुणी संगीतकार के संगीत-वादन से वर्षा होने लगती है।

मधुर संगीत से प्रभावित होकर लोगों के मन उछलने लगते हैं, उनके मन थिरकने लगते हैं। लोग मस्ती में डूब जाते हैं। संगीत में जादू-सा प्रभाव होता है। संसार में शायद ही ऐसा कोई प्राणी होगा, जो संगीत की मधुर ध्वनि की धारा में न बह जाता हो।

गद्यांश क्र. 7
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
लिखिए : हरिण बुला पाने में असमर्थ तानसेन की बौखलाहट –
(1) ………………………………..
(2) ………………………………..
(3) ………………………………..
(4) ………………………………..
उत्तर :
(1) उसकी आँखों के सामने मौत नाचने लगी।
(2) उसकी देह पसीना-पसीना हो गई।
(3) लज्जा से उसका मुँह लाल हो गया।
(4) वह खिसिया गया।

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प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए :

(a) दुबारा बैजू बावरा ने सितार पकड़ा, तो यह हुआ –
(i) …………………………………
(ii) …………………………………
(iii) …………………………………
(iv) …………………………………
उत्तर :
(i) एक बार फिर संगीतलहरी वायुमंडल में लहराने लगी।
(ii) फिर सुनने वाले संगीत-सागर की तरंगों में डूबने लगे।
(iii) हरिण बैजू बावरा के पास फिर आए।
(iv) बैजू ने (उनके गले से) मालाएँ उतार लीं और हरिण छलाँग लगाते चले गए।

(b) अकबर का निर्णय सुन कर तानसेन ने यह किया –
(i) …………………………………
(ii) …………………………………
(iii) …………………………………
(iv) …………………………………
उत्तर :
(i) काँपता हुआ उठा।
(ii) काँपता हुआ आगे बढ़ा।
(iii) काँपता हुआ बैजू बावरा के पाँव में गिर पड़ा।
(iv) उससे गिड़गिड़ाया, ‘मेरे प्राण न लो।’

(c) बैजू बावरा ने तानसेन को यह जवाब दिया –
(i) …………………………………
(ii) …………………………………
उत्तर :
(i) मुझे तुम्हारे प्राण लेने की चाह नहीं।
(ii) तुम इस नियम को उड़वा दो कि यदि आगरे की सीमा में गाने वाला तानसेन की जोड़ का न हो, तो उसे मरवा दिया जाए।

(d) बैजू बावरा ने तानसेन को यह पुरानी बात बताई –
(i) …………………………………
(ii) …………………………………
उत्तर :
(i) बारह साल पहले आपने एक बच्चे की जान बचाई (बख्शी ) थी।
(ii) आज उस बच्चे ने आपकी जान बख्शी है।

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
गद्यांश में प्रयुक्त प्रत्यययुक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए : .
(1) ………………………………
(2) ………………………………
(3) ………………………………
(4) ………………………………
उत्तर :
(1) संगीतलहरी – संगीतलहर + ई।
(2) मालाएँ – माला + एँ।
(3) होकर – हो + कर।
(4) दीनता – दीन + ता।

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1. मुहावरे :

निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए :

(1) अगर-मगर करना।
अर्थ : टाल-मटोल करना।
वाक्य : सिपाही ने आरोपी से कहा, अगर-मगर मत करो, सीधे-सीधे मेरे साथ थाने चलो।

(2) अपना राग अलापना।
अर्थ : अपनी ही बातें करते रहना।
वाक्य : श्यामसुंदर की तो आदत है, दूसरे की बात न सुनना और अपना ही राग अलापते रहना।

(3) चाँदी काटना।
अर्थ : बहुत लाभ कमाना।
वाक्य : आजकल जब लोग कोरोना के डर से घरों में दुबके हैं, कुछ सब्जी बेचने वाले चाँदी काट रहे हैं।

(4) कान भरना।
अर्थ : चुगली करना।
वाक्य : मुनीमजी का चपरासी आफिस के अन्य लोगों के बारे में उनके कान भरता रहता है।

(5) जली-कटी सुनाना।
अर्थ : कटु बात करना।
वाक्य : रघु की माँ अकारण अपनी बहू को जली-कटी सुनाती रहती है।

2. काल परिवर्तन :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों का काल परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिए :
(1) प्रकाश की किरणें संसार पर नवीन जीवन की वर्षा कर रही थीं। (सामान्य वर्तमानकाल)
(2) जो जवान थे उनके बाल सफेद हो गए। (सामान्य भविष्यकाल)
(3) मेरी आँखें दूसरों की मौत को देखने के लिए हर समय तैयार हैं। (पूर्ण भूतकाल)
(4) बैजू बावरा की उँगलियाँ सितार पर दौड़ रही थीं। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
(5) बहुत अच्छा! दोबारा बुलाकर दिखा देता हूँ। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
(1) प्रकाश की किरणें संसार पर नवीन जीवन की वर्षा करती हैं।
(2) जो जवान होंगे उनके बाल सफेद हो जाएंगे।
(3) मेरी आँखें दूसरों की मौत को देखने के लिए हर समय तैयार थीं।
(4) बैजू बावरा की उँगलियाँ सितार पर दौड़ रही हैं।
(5) बहुत अच्छा! दोबारा बुलाकर दिखा दूंगा।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला

3. वाक्य शुद्धिकरण :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए :
(1) मैं तेरे को वह हथियार दूँगा, जिससे तू तेरे पिता की मौत का बदला ले सकेगा।
(2) हरिदास की धीरज की दीवार आँसुओं के बौछार न सह सकी।
(3) बैजू हाथों बाँधकर खड़े हो गया।
(4) अब मेरी पास और कुछ नहीं, जो तुजे दूँ।
(5) साधु की प्रार्थना में सर्वसाधारण को भी उसकी जीवन और मृत्यु का तमाशा देखने की आज्ञा दे दी गई थी।
उत्तर :
(1) मैं तुझे वह हथियार दूँगा, जिससे तू अपने पिता की मौत का बदला ले सकेगा।
(2) हरिदास के धीरज की दीवार आँसुओं की बौछार न सह सकी।
(3) बैजू हाथ बाँधकर खड़ा हो गया।
(4) अब मेरे पास और कुछ नहीं जो तुझे दूँ।
(5) साधु की प्रार्थना पर सर्वसाधारण को भी उसके जीवन और मृत्यु का तमाशा देखने की आज्ञा दे दी गई थी।

आदर्श बदला Summary in Hindi

आदर्श बदला लेखक का परिचय

आदर्श बदला लेखक का नाम : सुदर्शन। (मूल नाम : बदरीनाथ) (जन्म 29 मई, 1895, सियालकोट ; निधन 9 मार्च, 1967.)

प्रमुख कृतियाँ : पुष्पलता, सुदर्शन सुधा, तीर्थयात्रा, पनघट (कहानी संग्रह)। सिकंदर, भाग्यचक्र (नाटक)। भागवती (उपन्यास)। आनररी मजिस्ट्रेट (प्रहसन)।

विशेषता : आपने प्रेमचंद की लेखन-परंपरा को आगे बढ़ाया है। आपकी रचनाएँ आदर्शोन्मुख यथार्थवाद को रेखांकित करती हैं। साहित्य को लेकर आपका दृष्टिकोण सुधारवादी रहा है। आपने हिंदी फिल्मों की पटकथाएँ और गीत भी लिखे हैं। आपकी प्रथम कहानी ‘हार की जीत’ हिंदी साहित्य में विशिष्ट स्थान रखती है।

विधा : कहानी। कहानी भारतीय साहित्य की प्राचीन विद्या है। आपकी कहानियों की भाषा सरल, पात्रानुकूल तथा प्रभावोत्पादक हैं। मुहावरों का सटीक प्रयोग, प्रवाहमान शैली कहानी की प्रभावोत्पादकता में वृद्धि करती है।

विषय प्रवेश : बदला लेने वाले व्यक्ति के मन में अकसर क्रोध अथवा हिंसा की भावना प्रमुख होती है। इतना ही नहीं, मौत का बदला मौत से लेने की अनेक घटनाएँ प्रसिद्ध हैं। पर प्रस्तुत कहानी में लेखक ने बदला लेने का अनूठा आदर्श प्रस्तुत किया है। ‘बचपन में बैजू अपने पिता को भजन गाने के अपराध में तानसेन की क्रूरता का शिकार होता हुआ देखता है। परंतु वही बैजू बावरा तानसेन को संगीत-प्रतियोगिता में हरा कर उसे जीवन-दान दे देता है। लेखक ने इस कहानी के माध्यम से बैजू बावरा को आदर्श बदला लेते हुए दर्शाया है।

आदर्श बदला पाठ का सार

आगरा शहर में सुबह-सुबह साधुओं की एक मंडली अपने ढंग से भजन गाते-गुनगुनाते प्रवेश कर रही थी। इस मंडली में एक छोटा बच्चा भी था। साधु अपने राग में मगन थे, तभी राज्य के सिपाहियों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और उन्हें बादशाह अकबर के सामने पेश कर दिया गया।

अकबर के मशहूर संगीतकार तानसेन ने यह कानून बनवा दिया था कि जो आदमी राग विद्या में उसकी बराबरी न कर सके, वह आगरा की सीमा में गीत न गाए और जो गाए तो उसे मौत की सजा दी जाए। बेचारे साधुओं को इसकी जानकारी नहीं थी। साधु संगीत विद्या से अनभिज्ञ थे। अतः उन्हें मृत्युदंड की सजा हुई। पर उस बच्चे पर दया करके उसे छोड़ दिया गया।

वह बच्चा रोता-तड़पता आगरा की बाजारों से निकल कर जंगल में अपनी कुटिया में पहुँचा और विलाप करता रहा। तभी खड़ाऊँ पहने, हाथ में माला लिए हुए, राम नाम का जप करते हुए बाबा हरिदास कुटिया के अंदर आए और उन्होंने उसे शांत रहने के लिए कहा। पर उस बच्चे के मन में शांति कहाँ थी! उसका तो संसार उजड़ चुका था। तानसेन ने उसे तबाह कर दिया था।

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यह बच्चा बैजू बावरा था। उसने अपने साथ हुई सारी दुर्घटना बाबा हरिदास को बताई और अपने बदले की भूख और प्रतिकार की प्यास मिटाने की उनसे प्रार्थना की। E अंत में हरिदास ने उसे आश्वस्त किया कि वे उसे ऐसा हथियार देंगे, जिससे वह अपने पिता का बदला ले सके।

इसके लिए उन्होंने बैजू से बारह वर्ष तक (संगीत की) तपस्या E करने का वचन लिया। बाबा ने बारह वर्ष में बैजू बावरा को वह सब कुछ सिखा दिया, जो उनके पास था। अब बैजू पूर्ण गंधर्व हो गया था। उसके स्वर में जादू था।

लेकिन संगीत-तपस्या पूरी होने के साथ ही बैजू बावरा को बाबा हरिदास के सामने यह प्रतिज्ञा भी करनी पड़ी कि वह इस राग विद्या से किसी को हानि नहीं पहुँचाएगा। इस प्रतिज्ञा से उसे लगा कि प्रतिहिंसा की छुरी हाथ में आई भी तो गुरु ने प्रतिज्ञा लेकर उसे कुंद कर दी।

कुछ दिनों बाद यही सुंदर युवक साधु आगरा के बाजारों में गाता हुआ जा रहा था। लोगों ने सोचा कि इसकी भी मौत आ गई है। वे उसे नगर की रीति की सूचना देने निकले। पर उसके निकट पहुँचने के पहले ही वे उससे मुग्ध होकर अपनी सुधबुध खो बैठे। सिपाही उसे पकड़ने दौड़े तो उसका गीत सुन कर उन्हें अपनी हथकड़ियों की भी सुध न रही। लोग नवयुवक के गीत पर मुग्ध थे। चलते-चलते यह जन-समूह मौत के द्वार यानी तानसेन के महल के सामने था।

तानसेन बाहर निकला और उसने फब्ती कसी, ‘तो शायद आपके सिर पर मौत सवार है।’ यह सुन कर बैजू के होठों पर मुस्कराहट आ गई। उसने कहा, “मैं आपके साथ गान-विद्या पर चर्चा करना चाहता हूँ।” तानसेन ने कहा, “जानते हैं नियम कड़ा है। मेरे दिल में दया नहीं है। मेरी आँखें दूसरों की मौत देखने के लिए हर समय तैयार हैं।” इस पर बैजू बावरा ने कहा, “और मेरे दिल में जीवन का मोह नहीं है। मैं मरने के लिए हर समय तैयार हूँ।”

दरबार की ओर से शर्ते सुनाई गई। राग-युद्ध नगर के बाहर वन में आयोजित किया गया था। लगता था वन में नगर बस गया है। बैजू ने सितार उठाया। उसने पदों को हिलाया तो जनता ब्रह्मानंद में लीन हो गई। उसकी उँगलियाँ सितार पर दौड़ने लगीं। लगा, सारे विश्व की मस्ती वहीं आ गई हो। तभी संगीत से प्रभावित होकर कुंछ हरिण छलांगें मारते हुए वहाँ आ पहुँचे। वे संगीत सुनते रहे।

बैजू ने सितार बजाना बंद किया और अपने गले से फूलमालाएँ उतार कर हरिणों को पहना दीं। हरिण चौकड़ी भरते हुए गायब हो गए। बैजू ने तानसेन से कहा, “ तानसेन, मेरी फूलमालाएँ यहाँ मँगवा दें, तब जानूँ कि आप राग-विद्या जानते हैं।”

तानसेन सितार हाथ में लेकर बजाने लगा। इतनी एकाग्रता के साथ उसने अपने जीवन में कभी सितार नहीं बजाया था। आज वह अपनी पूरी कला दिखा देना चाहता था। आज वह किसी तरह जीतना चाहता था। आज वह किसी भी तरह जिंदा रहना चाहता था। सितार बजता रहा, पर आज लोगों ने उसे पसंद नहीं किया। तानसेन का शरीर पसीना-पसीना हो गया, पर हरिण न आए। वह खिसिया गया। बोला, “वे हरिण राग की तासीर से नहीं आए थे। हिम्मत है तो दुबारा बुला कर दिखाओ।”

यह सुन कर बैजू ने फिर सितार पकड़ लिया। सितार बजने लगा। वे हरिण फिर बैजू बावरा के पास आ गए। बैजू ने उनके गले से मालाएँ उतार लीं। अकबर ने अपना निर्णय सुना दिया, “बैजू बावरा जीत गया, तानसेन हार गया।’ यह सुन कर तानसेन बैजू बावरा के पाँव में गिर पड़ा और उससे अपने प्राणों की भीख माँगने लगा। बैजू बावरा ने कहा, “मुझे तुम्हारे प्राण लेने की चाह नहीं है। तुम इस निष्ठुर नियम को खत्म करवा दो कि यदि आगरा की सीमा में गाने वाला व्यक्ति तानसेन की जोड़ का न हो, तो उसे मरवा दिया जाए।”

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यह सुन कर अकबर ने उसी समय उस नियम को खत्म कर दिया। तानसेन ने बैजू बावरा के चरणों में गिर कर कहा, “मैं यह उपकार जीवन भर नहीं भूलूँगा।’ बैजू बावरा ने उसे याद दिलाया, ‘बारह बरस पहले उसने एक बच्चे की जान बख्शी थी। आज उस बच्चे ने उसकी जान बख्शी है।’

मुहावरे : अर्थ और वाक्य प्रयोग

(1) तूती बोलना।
अर्थ : अधिक प्रभाव होना।
वाक्य : आज उद्योग के क्षेत्र में देश के कुछ घरानों की ही तूती बोलती है।

(2) वाह वाह करना।
अर्थ : प्रशंसा करना।
वाक्य : सितारवादक रविशंकर का सितार वादन सुन कर। श्रोता वाह वाह कर उठते थे।

(3) लहू सूखना।
अर्थ : भयभीत हो जाना।
वाक्य : कोरोना वायरस का नाम सुनते ही लहू सूखने लगता है।

(4) कंठ भर आना।
अर्थ : भावुक हो जाना।
वाक्य : बेटी की बिदाई के समय पिता का कंठ भर आया।

(5) बिलख-बिलख कर रोना।
अर्थ : विलाप करना, जोर-जोर से रोना।
वाक्य : दुर्घटना में घायल पिता की मृत्यु का समाचार सुन कर बेटा बिलख-बिलख कर रोने लगा।

(6) समाँ बँधना।
अर्थ : रंग जमना, वातावरण निर्माण होना।
वाक्य : मदारी ने बंदरों से ऐसा नृत्य करवाया कि समाँ बँध गया।

(7) ब्रह्मानंद में लीन होना।
अर्थ : अलौकिक आनंद का अनुभव करना।
वाक्य : तबलावादक सामताप्रसाद का तबला वादन सुन कर श्रोता ब्रह्मानंद में लीन हो जाते थे।

(8) जान बख्शना।
अर्थ : जीवन दान देना।
वाक्य : डाकुओं ने सेठ की संपत्ति लूट ली, पर उनकी जान बख्श दी।

(9) संसार उजड़ जाना।
अर्थ : सब कुछ व्यर्थ हो जाना।
वाक्य : पति के असामयिक निधन से बेचारी राधा का संसार उजड़ गया।

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(10) खरीद लेना।
अर्थ : गुलाम बना लेना।
वाक्य : गाँवों में पहले कुछ लोग मजदूरों को थोड़ा-बहुत कर्ज देकर जैसे उन्हें खरीद ही लेते थे।

(11) रक्त का चूँट पी कर रह जाना।
अर्थ : अपना क्रोध या दुःख प्रकट न होने देना।
वाक्य : मुनीमजी ने बार-बार चपरासी को बुरा-भला कहा, पर वह रक्त का चूंट पी कर रह गया।

(12) पसीना-पसीना होना।
अर्थ : बहुत अधिक परेशान होना।
वाक्य : जंगल से जाते हुए किसान ने हिरन पर झपट्टा मारते हुए चीते को देखा तो वह पसीना-पसीना हो गया।

आदर्श बदला शब्दार्थ

  • सुमर = स्मरण करना
  • प्रतिकार = बदला, प्रतिशोध
  • अवहेलना = अनादर
  • चाँदनिया = शामियाना
  • नि:शब्द = मौन, चुप
  • तासीर = प्रभाव, परिणाम
  • खड़ाऊँ = लकड़ी की बनी खूटीदार पादुका
  • कुंद = भोथरा, बिना धार का
  • कनात = मोटे कपड़े की दीवार या परदा
  • उद्विग्नता = घबराहट, आकुलता
  • सुधिहीन = बेहोश
  • अगाध = अपार, अथाह

आदर्श बदला मुहावरे

  • तूती बोलना = अधिक प्रभाव होना
  • वाह-वाह करना = प्रशंसा करना
  • लहू सूखना = भयभीत हो जाना
  • कंठ भर आना = भावुक हो जाना
  • बिलख-बिलखकर रोना = विलाप करना/जोर-जोर से रोना
  • समाँ बँधना = रंग जमना, वातावरण निर्माण होना Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला
  • ब्रह्मानंद में लीन होना = अलौकिक आनंद का अनुभव करना
  • जान बख्शना = जीवन दान देना

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 3 सच हम नहीं; सच तुम नहीं

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 3 सच हम नहीं; सच तुम नहीं Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 3 सच हम नहीं; सच तुम नहीं

12th Hindi Guide Chapter 3 सच हम नहीं; सच तुम नहीं Textbook Questions and Answers

कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर

आकलन

प्रश्न 1.
(अ) कविता की पंक्ति पूर्ण कीजिए :
(1) अपने हृदय का सत्य, – ……………………….
(2) आदर्श हो सकती नहीं, – ……………………….
(3) बेकार है मुस्कान से ढकना, – ……………………….
(4) अपने नयन का नीर, – ……………………….
उत्तर :
(1) अपने हृदय का सत्य, अपने-आप हमको खोजना।
(2) आदर्श हो सकती नहीं, तन और मन की भिन्नता।
(3) बेकार है मुस्कान से ढकना, हृदय की खिन्नता।
(4) अपने नयन का नीर, अपने-आप हमको पोंछना।

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(आ) लिखिए :

(a) जीवन यही है
(1) जीवन यही है –
(i) …………………………….
(ii) …………………………….
(iii) …………………………….
(iv) …………………………….
उत्तर :
जीवन यही है –
(i) नत न होना।
(ii) पंथ भूलने पर भी न रुकना।
(iii) हार देखकर भी न झुकना।
(iv) मृत्यु को भी जीत लेना।

(b) मिलना वही है –
(1) मिलना वही है – ……………………….
(2) यह जिंदगी जिंदगी नहीं है – ……………………….
(3) हर राही को इससे दिशा मिलती है – ……………………….
(4) कवि तब तक इस राह को सही नहीं मानेगा – ……………………….
उत्तर :
(1) जो मँझधार को मोड़ दे।
(2) जो सिर्फ पानी-सी बहती रहे।
(3) भटकने के बाद।
(4) जब तक जीवन बँधा होगा और जब तक प्यार पर दुख की गहरी छाया होगी।

शब्द संपदा

प्रश्न 2.
प्रत्येक शब्द के दो पर्यायवाची शब्द लिखिए :
(1) पंथ – [ ] [ ]
(2) काँटा – [ ] [ ]
(3) कुसुम – [ ] [ ]
(4) हार – [ ] [ ]
उत्तर :
(1) पंथ – [ रास्ता ] [ डगर ]
(2) काँटा – [ शूल ] [ कंटक ]
(3) कुसुम – [ पुष्प ] [ प्रसून ]
(4) हार – [ पराजय ] [ पराभव ]

अभिव्यक्ति

प्रश्न 3.
(अ) ‘जीवन निरंतर चलते रहने का नाम है’, इस विचार की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
जीवन का उद्देश्य निरंतर आगे-ही-आगे बढ़ते रहना है। जीवन में ठहराव आने को मृत्यु की संज्ञा दी जाती है। अनेक महापुरुषों ने अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए जीवनभर संघर्ष किया है और उनका नाम अमर हो गया है। जीवन का मार्ग आसान नहीं ३ है। उस पर पग-पग पर कठिनाइयाँ आती रहती हैं। इन कठिनाइयों 1 से उसे जूझना पड़ता है। उसमें हार भी होती है और जीत भी होती ३ है। असफलताओं से मनुष्य को घबराना नहीं चाहिए।

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बल्कि उनका ३ दृढ़तापूर्वक सामना करके उसमें से अपना मार्ग प्रशस्त करना और ३ निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए। एक दिन मंजिल अवश्य मिलेगी। जीवन संघर्ष कभी न खत्म होने वाला संग्राम है। इसका सामना करने का एकमात्र मार्ग है निरंतर चलते रहना और हर स्थिति में संघर्ष जारी रखना।

(आ) ‘संघर्ष करने वाला ही जीवन का लक्ष्य प्राप्त करता है, इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :
दुनिया में दो प्रकार के मनुष्य होते हैं। एक वे जो सामान्य रूप से चलनेवाली जिंदगी जीना पसंद करते हैं और आगे बढ़ने के लिए किए जानेवाले उठा-पटक को पसंद नहीं करते। दूसरे तरह के वे लोग होते हैं, जो अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं और उसे प्राप्त करने के लिए संघर्ष का रास्ता चुनते हैं। ऐसे लोगों का जीवन आसान नहीं होता। इन्हें पग-पग पर विभिन्न रुकावटों का सामना करना पड़ता है।

पर ऐसे लोग इन रुकावटों से डरते नहीं, बल्कि हँसते-हँसते इनका सामना करते हैं। सामना करने में अनेक बार असफलता भी इनके हाथ लगती है। पर ये इससे हताश नहीं होते। ये फिर अपनी गलतियों को सुधारते हैं और नए सिरे से संघर्ष करने में जुट जाते हैं। परिस्थितियाँ कैसी भी हों, वे न झुकते हैं और न हताश होते हैं। उनके सामने सदा उनका लक्ष्य होता है। उसे प्राप्त करने के लिए वे निरंतर संघर्ष करते रहते हैं।

ऐसे लोग अपनी निष्ठा और लगन के बल पर एक-न-एक दिन अवश्य सफल हो जाते हैं। वे संघर्ष के बल पर अपने जीवन का लक्ष्य प्राप्त करके रहते हैं।

रसास्वादन

प्रश्न 4.
‘आँसुओं को पोंछकर अपनी क्षमताओं को पहचानना ही जीवन है’, इस सच्चाई को समझाते हुए कविता का रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
डॉ. जगदीश गुप्त द्वारा लिखित कविता ‘सच हम नहीं, सच तुम नहीं’ में जीवन में निरंतर संघर्ष करते रहने का आह्वान किया गया है।

कवि पानी-सी बहने वाली सीधी-सादी जिंदगी का विरोध करते हुए संघर्षपूर्ण जीवन जीने की बात करते हैं। वे कहते हैं, जो जहाँ भी हो, उसे संघर्ष करते रहना चाहिए।

संघर्ष में मिली असफलता से निराश होने की आवश्यकता नहीं है। ऐसी हालत में हमें किसी के सहयोग की आशा नहीं करनी। हमें अपने आप में खुद हिम्मत लानी होगी और अपनी क्षमता को पहचानकर नए सिरे से संघर्ष करना होगा। मन में यह विश्वास रखकर काम करना होगा कि हर राही को भटकने के बाद दिशा मिलती ही है और उसका प्रयास व्यर्थ नहीं जाएगा। उसे भी दिशा मिलकर रहेगी।

कवि ने सीधे-सादे शब्दों में प्रभावशाली ढंग से अपनी बात कही है। अपनी बात कहने के लिए उन्होंने ‘अपने नयन का नीर पोंछने’ शब्द समूह के द्वारा हताशा से अपने आपको उबार कर स्वयं में नई शक्ति पैदा करने तथा ‘आकाश सुख देगा नहीं, धरती पसीजी है नहीं’ से यह कहने का प्रयास किया है कि भगवान तुम्हारी सहायता के लिए नहीं आने वाले हैं और धरती के लोग तुम्हारे दुख से द्रवित नहीं होने वाले हैं। इसलिए तुम स्वयं अपने आप को सांत्वना दो और नए जोश के साथ आगे बढ़ो। तुम अपने लक्ष्य पर पहुँचने में अवश्य कामयाब होंगे।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

प्रश्न 5.
जानकारी दीजिए :
(अ) ‘नई कविता’ के अन्य कवियों के नाम –
(आ) कवि डॉक्टर जगदीश गुप्त की प्रमुख साहित्यिक कृतियों के नाम –
उत्तर :
(अ) ‘नई कविता’ के अन्य कवियों के नाम – [रामस्वरूप चतुर्वेदी, विजयदेव साही]
(आ) कवि डॉक्टर जगदीश गुप्त की प्रमुख साहित्यिक कृतियों के नाम – [‘नाँव के पाँव, शब्द दंश, हिम विद्ध, गोपा-गौतम’] (काव्य संग्रह), ‘शंबूक’ (खंडकाव्य), ‘भारतीय कला के पदचिहन, नयी कविता : स्वरूप और समस्याएँ, केशवदास’ (आलोचनाएँ) तथा ‘नयी कविता’ (पत्रिका)।]

प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्यों में अधोरेखांकित शब्दों का लिंग परिवर्तन कर वाक्य फिर से लिखिए :

(1) बहुत चेष्टा करने पर भी हरिण न आया।
उत्तर :
बहुत चेष्टा करने पर भी हरिणी न आई।

(2) सिद्धहस्त लेखिका बनना ही उनका एकमात्र सपना था।
उत्तर :
सिद्धहस्त लेखक बनना ही उनका एकमात्र सपना था।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 3 सच हम नहीं; सच तुम नहीं

(3) तुम एक समझदार लड़की हो।
उत्तर :
तुम एक समझदार लड़के हो।

(4) मैं पहली बार वृद्धाश्रम में मौसी से मिलने आया था।
उत्तर :
मैं पहली बार वृद्धाश्रम में मौसा से मिलने आया था।

(5) तुम्हारे जैसा पुत्र भगवान सब को दे।
उत्तर :
तुम्हारी जैसी पुत्री भगवान सब को दे।

(6) साधु की विद्वत्ता की धाक दूर-दूर तक फैल गई थी।
उत्तर :
साध्वी की विद्वत्ता की धाक दूर-दूर तक फैल गई थी।

(7) बूढ़े मर गए।
उत्तर :
बुढ़ियाँ मर गईं।

(8) वह एक दस वर्ष का बच्चा छोड़ा गया।
उत्तर :
वह एक दस वर्ष की बच्ची छोड़ी गई।

(9) तुम्हारा मौसेरा भाई माफी माँगने पहुंचा था।
उत्तर :
तुम्हारी मौसेरी बहन माफी माँगने पहुंची थी।

(10) एक अच्छी सहेली के नाते तुम उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि का अध्ययन करो।
उत्तर :
एक अच्छे मित्र के नाते तुम उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि का अध्ययन करो।

Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 3 सच हम नहीं; सच तुम नहीं Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका के प्रश्न 2 (अ) तथा प्रश्न 2 (आ) के लिए
पद्यांश क्र. 1

प्रश्न. निम्नलिखितपद्यांशपढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 3 सच हम नहीं; सच तुम नहीं 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 3 सच हम नहीं; सच तुम नहीं 2

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 3 सच हम नहीं; सच तुम नहीं

प्रश्न 2.
जीवन का संदेश
(i) …………………………….
(ii) …………………………….
(iii) …………………………….
(iv) …………………………….
उत्तर :
जीवन का संदेश –
(i) जीवन में कहीं जड़ता नहीं होनी चाहिए।
(ii) अपनी-अपनी जगह पर खुद से लड़ाई जारी रखनी चाहिए।
(iii) हर तरह की परिस्थिति का सामना करने की तैयारी होनी चाहिए।
(iv) इन्सान को कभी टूटना-हारना नहीं चाहिए।

प्रश्न 3.
उत्तर लिखिए :
(1) नत होने से मृत जैसा होने की तुलना की गई है इससे – …………………………….
(2) काँटे चुभे, कलियाँ खिलें का अर्थ – …………………………….
उत्तर :
(1) नत होने से मृत जैसा होने की तुलना की गई है इससे – [डंठल से झरे फूल से।]
(2) काँटे चुभे, कलियाँ खिलें का अर्थ – [स्थिति चाहे प्रतिकूल हो अथवा अनुकूल।]

पदयांश क्र. 2
प्रश्न. निम्नलिखितपद्यांशपढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
पद्यांश पर आधारित दो ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों :
(1) आकाश
(2) धरती
उत्तर :
(1) कौन सुख नहीं देगा?
(2) कौन नहीं पसीजती है?

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
प्रत्येक शब्द के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए :
(1) फूल – [ ] [ ]
(2) नीर – [ ] [ ]
(3) नयन – [ ] [ ]
(4) धरती – [ ] [ ]
उत्तर :
(1) फूल – [ पुष्प ] [ कुसुम ]
(2) नीर – [ अंबु ] [ जल ]
(3) नयन – [ चक्षु ] [ आँख ]
(4) धरती – [ पथ्वी ] [ अवनि ]

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 3 सच हम नहीं; सच तुम नहीं

(2) निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द लिखिए :
(1) तोड़ना x …………………………
(2) सच x …………………………
(3) दुख x …………………………
(4) बेकार x …………………………
उत्तर :
(1) तोड़ना x जोड़ना
(3) दुख x सुख
(2) सच x झूठ
(4) बेकार x साकार।

रसास्वादन मुद्दों के आधार पर
कृतिपत्रिका के प्रश्न 2 (इ) के लिए

प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर सच हम नहीं; सच तुम नहीं’ कविता का रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
(1) रचना का शीर्षक : सच हम नहीं; सच तुम नहीं।
(2) रचनाकार : डॉ. जगदीश गुप्त।
(3) कविता की केंद्रीय कल्पना : प्रस्तुत कविता में निरंतर आगे बढ़ते रहने, संघर्ष करते रहने और मार्ग में आनेवाली रुकावटों की परवाह न करके अपने लक्ष्य की प्राप्ति की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा दी गई है। यही इस कविता की केंद्रीय कल्पना है।
(4) रस-अलंकार : –
(5) प्रतीक विधान : इस कविता में संघर्ष का मार्ग त्याग कर नत हो जाने यानी किसी की अधीनता स्वीकार कर लेने वाले को मृतक के समान हो जाना कहा गया है। कवि ने इस तरह के मृत व्यक्ति के लिए ‘डाल से झड़े हुए फूल’ का प्रतीक के रूप में उपयोग किया है।
(6) कल्पना : जीवन में दृढ़तापूर्वक संघर्ष का मार्ग अपनाना और निराश हुए बिना उस पर अडिग रहना ही जीवन की एकमात्र सच्चाई है।
(7) पसंद की पंक्तियाँ तथा प्रभाव : कविता की पसंद की पंक्तियाँ इस प्रकार हैं :
अपने हृदय का सत्य,
अपने आप हम को खोजना।
अपने नयन का नीर,
अपने आप हम को पोंछना।.

इन पंक्तियों में अपनी समस्याओं को पहचानने और उनका समाधान ढूँढ़ने के लिए बिना किसी की सहायता की उम्मीद किए स्वयं कमर कस कर तैयार होने की प्रेरणा मिलती है।

(8) कविता पसंद आने का कारण : कवि ने इस पंक्ति में यह बताया है कि संघर्ष में असफलता हाथ लगे, तो भी निराश होने की जरूरत नहीं है। हमें अपने आप अपनी आँखों के आँसू पौंछकर फिर से हिम्मत के साथ संघर्ष में जुट जाना है।

व्याकरण

अलंकार :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर उनके नाम लिखिए :
(1) हरि पद कोमल कमल से।
(2) झूठे जानि न संग्रही मन मुँह निकसे बैन। यहि ते मानहुँ किए, बातनु को बिघि नैन।
(3) पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
(4) हनूमान की पूँछ में लग न पाई आग। लंका सिगरी जल गई, गए निशाचर भाग।
(5) एक म्यान में दो तलवारें कभी नहीं रह सकतीं। किसी और पर प्रेम पति का नारियाँ नहीं सह सकी।
उत्तर :
(1) उपमा अलंकार
(2) उत्प्रेक्षा अलंकार
(3) रूपक अलंकार
(4) अतिशयोक्ति अलंकार
(5) दृष्टांत अलंकार।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 3 सच हम नहीं; सच तुम नहीं

रस:

प्रश्न 1.
निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में प्रयुक्त रस पहचान कर लिखिए :
(1) काहु न तखा सो चरित विसेरना। सो सरूप नृप कन्या देखा।
मर्कट वदन भयंकर देही। देखत हृदय क्रोध मा तेही।
जेहि दिसि बैठे नारद फूली। सो दिसि तेहि न विलोकी भूली।
पुनि-पुनि मुनि उकसहिं अकुलाहीं। देखि दसा हर गन मुसुकाहीं।

(2) जो हौं तव अनुशासन पावौं
तौ चंद्रमहिं निचोरि चैल ज्यों आनि सुधा सिर नावौं।
कै पाताल दलौं व्यालावलि अमृत कुंड महि लावौ।
भेदि भुवन, करि भानु बाहियें तुरत राहु दै ताबौ।।
विबुध बैद बरबस आनौं धरि, तौ प्रभु अनुग कहावौं।
पटकौं मीच नीच मूषक ज्यों सबहिं को पाप कहावौं।

(3) कहुँ सुलगत कोउ चिता, कहुँ कोउ जात लगाई।
एक लगाई जात, एक की राख बुझाई।
विविध रंग की उठति ज्वाल दुर्गन्धिति महकति,
कहु चरबी सी चटचटाति कहुँ दह-दह दहकति।
उत्तर :
(1) हास्य रस
(2) वीर रस
(3) वीभत्स रस।

मुहावरे :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
(1) गुड़ गोबर करना।
अर्थ : बने काम को बिगाड़ देना।
वाक्य : चित्रकार का चित्र तैयार था तभी एक छोटे बच्चे ने आकर उस पर ऐसी कूँची फिराई की सारा गुड़ गोबर हो गया।

(2) जहर का चूंट पीना।
अर्थ : अपमान को चुपचाप सह लेना।
वाक्य : मुंशीजी अपने चपरासी से कभी-कभी जब पैर दबा देने की बात करते थे तब वह जहर का यूंट पीकर रह जाता था।

(3) तिल का ताड़ बनाना।
अर्थ : छोटी बात को बढ़ा-चढ़ा कर कहना।
वाक्य : रमेश की बात विश्वास करने लायक नहीं होती, उसकी तो तिल का ताड़ बनाने की आदत है।

(4) मुट्ठी गर्म करना।
अर्थ : रिश्वत देना।
वाक्य : गाँवों में छोटा-मोटा काम करवाने के लिए भी अधिकारियों की मुट्ठी गर्म करनी पड़ती है।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 3 सच हम नहीं; सच तुम नहीं

(5) पत्थर की लकीर।
अर्थ : पक्की बात।
वाक्य : गाँव के लोग वकील साहब की बात को पत्थर की लकीर मानते थे।

काल परिवर्तन :

प्रश्न 1.
सूचनाओं के अनुसार काल परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिए :
(1) वह पंथ भूल कर नहीं रुकता है। (पूर्ण भूतकाल)
(2) वह हार देख कर नहीं झुका। (सामान्य भविष्यकाल)
(3) आकाश सुख नहीं देगा। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
(4) धरती नहीं पसीजती है। (पूर्ण वर्तमानकाल)
(5) हर एक राही को भटक कर दिशा मिलती है। (अपूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
(1) वह पंथ भूल कर नहीं रुका था।
(2) वह हार देख कर नहीं झुकेगा।
(3) आकाश सुख नहीं दे रहा है।
(4) धरती नहीं पसीजी है।
(5) हर एक राही को भटक कर दिशा मिल रही थी।

वाक्य शुद्धिकरण :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके लिखिए :
(1) वह उसका काम कर रहा हैं।
(2) उस बगीचे में अनेकों फूले खिले हैं।
(3) पुस्तक की ढेर देख मैं दंग रह गया।
(4) उसे मात्र केवल दो दिन की छुट्टी चाहिएँ।
(5) मैं तुमको धन्यवाद करता हूँ।
उत्तर :
(1) वह अपना काम कर रहा है।
(2) उस बगीचे में अनेक फूल खिले हैं।
(3) पुस्तकों का ढेर देख में दंग रह गया।
(4) उसे केवल दो दिन की छुट्टी चाहिए।
(5) मैं तुम्हें धन्यवाद देता हूँ।

सच हम नहीं; सच तुम नहीं Summary in Hindi

सच हम नहीं; सच तुम नहीं कवि का परिचय

सच हम नहीं; सच तुम नहीं कवि का नाम : डॉ. जगदीश गुप्त। (जन्म 1924; निधन 2001.)
प्रमुख कृतियाँ : नाँव के पाँव, शब्द दंश, हिम विद्ध, गोपा-गौतम (काव्य संग्रह), ‘शंबूक’ (खंडकाव्य), भारतीय कला के पदचिह्न,
नयी कविता : स्वरूप और समस्याएँ, केशवदास (आलोचनाएँ) तथा ‘नयी कविता’ (पत्रिका) आदि।
विशेषता : प्रयोगवाद के बाद जिस नयी कविता का प्रारंभ हुआ, उसके प्रवर्तकों में जगदीश गुप्त का नाम प्रमुख रूप से लिया जाता है।
विधा : नई कविता। नए भावबोधों की अभिव्यक्ति के साथ नए मूल्यों और नए शिल्प विधान का अन्वेषण नई कविता की विशेषता है।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 3 सच हम नहीं; सच तुम नहीं

विषय प्रवेश : प्रस्तुत नई कविता में कवि ने संघर्ष करने की प्रेरणा दी है। संघर्ष ही जीवन की सच्चाई है। जो मनुष्य कठिनाइयों और मुसीबतों का सामना करते हुए बिना झुके या रुके आगे बढ़ता रहता है, वही सच्चा मनुष्य है। जिंदगी लीक से हटकर चलने का नाम है। लीक से भटककर भी मंजिल अवश्य मिलती है। कवि का कहना है कि हमें अपनी समस्याएँ खुद सुलझानी होंगी। हमारी लड़ाई – कोई दूसरा लड़ने नहीं आएगा। हमें खुद योद्धा बनकर अपनी लड़ाई लड़नी है।

सच हम नहीं; सच तुम नहीं कविता का सरल अर्थ

सच हम नहीं …………………………………………….. है जीवन वही।
कवि कहते हैं कि न मेरी बात सच है और न तुम्हारी बात सच है। सच है तो निरंतर संघर्ष करना। संघर्ष ही जीवन है। हमें संघर्ष का रास्ता अपनाना चाहिए। कवि के अनुसार संघर्ष से हटकर जीने की बात ही नहीं करनी चाहिए। बिना संघर्ष का जीवन भी भला कोई जीवन है!

कवि कहते हैं कि जिसने अधीनता स्वीकार ली, वह मृतक के समान हो गया। उसकी हालत डाल से झड़े हुए फूल जैसी होती है। जो व्यक्ति संघर्ष के मार्ग पर चलता हआ भटक जाने पर भी अपनी मंजिल पर बढ़ने से नहीं रुका अथवा अपने प्रयास में असफल हो जाने पर भी जिसने हार नहीं मानी अथवा जिसने मृत्यु से भी मोर्चा लिया हो और उसको परास्त कर दिया हो, उसी का जीवन जीवन कहलाने के योग्य है। यही सच्चाई है।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 3 सच हम नहीं; सच तुम नहीं 3

ऐसा करो जिससे …………………………………………….. यौवन का यही।
कवि कहते हैं कि मनुष्य में कहीं भी कोई ठहराव नहीं आना चाहिए। जो जहाँ है उसे वहीं चुपचाप अपना संघर्ष जारी रखना चाहिए। वे कहते हैं कि परिस्थितियाँ कैसी भी हों चाहे प्रतिकूल स्थिति हो अथवा अनुकूल स्थिति, मनुष्य को हताश होकर अपना संघर्ष कभी भी त्यागना नहीं चाहिए। जीवन का यही संदेश है।

हमने रचा जाओ …………………………………………….. पानी-सी बही।
कवि कहते हैं कि यथास्थिति में जीने का हमने जो नियम बनाया था, आओ, अब हम उसे तोड़ दें। यह भी कोई जीवन है। जीवन तो वह है, जो मँझधार को भी मोड़ने की शक्ति रखता हो। जिसने संघर्ष किया ही नहीं और यथास्थिति को ही सुखमय मानकर जीवन जीता आ रहा हो और दूसरों के इशारों पर चलता आ रहा हो, उसकी भला कोई जिंदगी है? वह जिंदगी तो यथास्थिति को स्वीकार लेने और लीक पर चलनेवाला जीवन है। (इसमें संघर्ष का नामोनिशान नहीं है।)

अपने हृदय का …………………………………………….. दिशा मिलती रही।

कवि कहते हैं कि हमें अपने दुखों को पहचानना होगा। उन्हें दूर करने के लिए हमें स्वयं प्रयास करना होगा। अपनी आँखों के आँसू हमें खुद पोंछने होंगे। हमें अपनी सहायता के लिए किसी अन्य से आशा नहीं करनी है। किसी अन्य की कृपा का भरोसा करना व्यर्थ है। हमें खुद योद्धा बनना होगा। हर संघर्ष करने वाले को कोई-नकोई मार्ग अवश्य मिलता है। मनुष्य मार्ग भटकने के बाद अपने लक्ष्य पर अवश्य पहुँचता है, इस बात को हमें गाँठ बाँध लेनी चाहिए।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 3 सच हम नहीं; सच तुम नहीं

बेकार है मुस्कान से …………………………………………….. राह को ही मैं सही।
कवि कहते हैं कि हृदय के कष्ट को बाह्य मुस्कान से दबाया नहीं जा सकता। इस तरह के प्रयास का कोई लाभ नहीं होता। इसे आदर्श नहीं माना जा सकता है। मनुष्य को भीतर और बाहर दोनों से एक-सा ही रहना चाहिए, यही आदर्श है। कवि कहते हैं कि जब तक विचारों पर अंकुश लगा रहेगा और जब तक प्यार पर दुख की गहरी छाया बनी रहेगी, तब तक इस मार्ग को किसी भी कीमत पर उचित नहीं माना जा सकता।

सच हम नहीं; सच तुम नहीं शब्दार्थ

  • नत = झुका हुआ
  • जड़ता = अचलता, ठहराव
  • पसीजना = मन में दया भाव आना
  • वृंत = डंठल
  • मँझधार = नदी की बीच की धारा
  • चेतना = जागृत अवस्था

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 2 निराला भाई Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई

12th Hindi Guide Chapter 2 निराला भाई Textbook Questions and Answers

कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर

आकलन

प्रश्न 1.
लिखिए :

(अ) लेखिका के पास रखे तीन सौ रुपये इस प्रकार समाप्त हो गए :
(1) ……………………………………………
(2) …………………………………………..
(3) ……………………………………………
(4) ……………………………………………
उत्तर :
लेखिका के पास रखे तीन सौ रुपए इस प्रकार समाप्त हो गए –
(1) किसी विद्यार्थी का परीक्षा शुल्क देने के लिए 50 रुपए लिए।
(2) किसी साहित्यिक मित्र को देने के लिए 60 रुपए लिए।
(3) तांगेवाले की माँ को मनीआर्डर करने के लिए 40 रुपए लिए।
(4) दिवंगत मित्र की भतीजी के विवाह के लिए 100 रुपए लिए। तीसरे दिन जमा पैसे समाप्त।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई

(आ) अतिथि की सुविधा हेतु निराला जी ये चीजें ले आए :
(1) ……………………………………………
(2) ……………………………………………
(3) ……………………………………………
(4) ……………………………………………
उत्तर :
अतिथि की सुविधा हेतु निराला जी ये चीजें ले आए –
(1) नया घड़ा खरीदकर लाए।
(2) उसमें गंगाजल भर लाए।
(3) धोती।
(4) चादर।

शब्द संपदा

प्रश्न 2.
निम्न शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए :
(1) प्रहरी – ……………………………………………
(2) अतिथि – ……………………………………………
(3) प्रयास – ……………………………………………
(4) स्मृति – ……………………………………………
उत्तर :
(1) प्रहरी = द्वारपाल
(2) अतिथि = मेहमान
(3) प्रयास = प्रयत्न
(4) स्मृति = याद

अभिव्यक्ति

प्रश्न 3.
(अ) ‘भाई-बहन का रिश्ता अनूठा होता है, इस विषय पर अपना मत लिखिए।
उत्तर :
एक माता से उत्पन्न भाइयों अथवा भाई-बहनों का रिश्ता निराला होता है। यह रिश्ता अटूट होता है। बचपन में वे साथ-साथ खेलते, बढ़ते और पढ़ते हैं। जीवन में घटने वाली अनेक अच्छी बुरी घटनाओं के साक्षी होते हैं। बड़े होने पर बहन की शादी हो जाने पर उसका नया घर बस जाता है। फिर भी उसका लगाव अपने मायके के परिवार के साथ बना रहता है। जब भी पीहर आने का कोई मौका आता है, वह उसे कभी गँवाना नहीं चाहती।

पीहर में आकर उसे जो खुशी मिलती है, उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। रक्षाबंधन के त्योहार पर वह कहीं भी हो, अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधने और उसकी आरती उतारने जरूर पहुँचती है। भाई-बहन का यह मिलन अनूठा होता है। भाई भी इस अवसर पर उसे अपनी क्षमता के अनुसार अच्छे-से-अच्छा उपहार देने से नहीं चूकता। यह उनके अटूट प्यार और अनूठे रिश्ते का ही प्रमाण है।

(आ) ‘सभी का आदरपात्र बनने के लिए व्यक्ति का सहृदयी और संस्कारशील होना आवश्यक है’, इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह अपने परिवार और समाज में सबके साथ हिल-मिल कर रहना चाहता है। उसे सबके दुख-सुख में शामिल होना अच्छा लगता है। जीवों पर दया करना और मन में करुणा के भाव उत्पन्न होना मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। ऐसे व्यक्ति संस्कारशील कहलाते हैं।

ऐसे व्यक्ति का सभी लोग आदर करते हैं और उसे अपना प्यार देते हैं। मगर सब लोग ऐसे नहीं होते। कुछ लोग विभिन्न कारणों से समाज से कटे-कटे रहते हैं और ‘अपनी डफली अपना राग’ विचार वाले होते हैं। वे अपने घमंड में चूर रहते हैं और किसी अन्य की परवाह नहीं करते।

ऐसे लोगों को समाज तो क्या कोई भी पसंद नहीं करता। ऐसे लोगों को समाज में सम्मान नहीं मिलता। इसलिए मनुष्य को सहृदयी और संस्कारशील होना जरूरी है।

पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न –

प्रश्न 4.
(अ) निराला जी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
निराला जी मानवता के पुजारी थे। उनमें मानवीय गुण कूट-कूट कर भरे हुए थे। उन्हें स्वयं से अधिक दूसरों की अधिक चिंता होती थी। खुद निर्धनता में जीवन बिताते रहे, पर दूसरों के आर्थिक दुखों का भार उठाने के लिए सदा तत्पर रहते थे। आतिथ्य करने में उनका जवाब नहीं था।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई

अतिथियों को सदा हाथ पर लिये रहते थे। उनके लिए खुद भोजन बनाने और बर्तन माँजने में उन्हें हर्ष होता था। घर में सामान न होने पर अतिथियों के लिए मित्रों से कुछ चीजें माँग लाने में शर्म नहीं करते थे। उदार इतने थे कि अपने उपयोग की वस्तुएँ भी दूसरों को दे देते थे और खुद कष्ट उठाते थे।

साथी साहित्यकारों के लिए उनके मन में बहुत लगाव था। एक बार कवि सुमित्रानंदन पंत के स्वर्गवास की झूठी खबर सुनकर वे व्यथित हो गए थे और उन्होंने पूरी रात जाग कर बिता दी थी।

निराला जी पुरस्कार में मिले धन का भी अपने लिए उपयोग नहीं करते थे। अपनी अपरिग्रही वृत्ति के कारण उन्हें मधुकरी खाने ३ तक की नौबत भी आई थी। इस बात को वे बड़े निश्छल भाव से बताते थे।

उनका विशाल डील-डौल देखने वालों के हृदय में आतंक पैदा कर देता था, पर उनके मुख की सरल आत्मीयता इसे दूर कर देती थी।

निराला जी से अन्याय सहन नहीं होता था। इसके विरोध में उनका हाथ और उनकी लेखनी दोनों चल जाते थे। निराला जी आचरण से क्रांतिकारी थे। वे किसी चीज का विरोध करते हुए कठिन चोट करते थे। पर उसमें द्वेष की भावना नहीं होती थी। निराला जी के प्रशंसक तथा आलोचक दोनों थे। कुछ लोग जहाँ उनकी नम्र उदारता की प्रशंसा करते थे, वहीं कुछ लोग उनके उद्धत व्यवहार की निंदा करते नहीं थकते थे।

निराला जी अपने युग की विशिष्ट प्रतिभा रहे हैं। उनके सामने अनेक प्रतिकूल परिस्थितियाँ आईं पर वे कभी हार नहीं माने।

(आ) निराला जी का आतिथ्य भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
निराला जी में आतिथ्य सत्कार का पुराना संस्कार था। वे अतिथि को देवता के समान मानते थे। अपने अतिथि की सुविधा में कोई कसर बाकी नहीं रखते थे। वे अतिथि को अपने कक्ष में ठहराते थे। उसके लिए स्वयं भोजन तैयार करते थे। बर्तन भी वे खुद माँजते थे। अतिथि सत्कार के लिए आवश्यक सामान घर में न होता तो वे अपने हित-मित्रों से माँगकर ले आते थे, पर अतिथि सेवा में कोई कमी नहीं रखते थे। कई बार तो वे कवयित्री महादेवी वर्मा के यहाँ से भोजन बनाने के लिए लकड़ियाँ तथा घी आदि माँगकर ले आए थे।

निराला जी की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उनका कक्ष भी सुविधाओं से रहित था, पर अतिथि के लिए उनके दिल में अपार श्रद्धा थी। एक बार प्रसिद्ध कवि मैथिलीशरण गुप्त निराला जी का आतिथ्य ग्रहण करने आए थे। उस समय उन्होंने उनका जो सत्कार किया था वह देखते ही बनता था। निराला जी गुप्त जी के बिछौने का बंडल खुद बगल में दबाकर और दियासलाई की तीली के प्रकाश में तंग सीढ़ियों का मार्ग दिखाते हुए उन्हें अपने कक्ष में ले गए थे।

कक्ष प्रकाश और सुख सुविधा से रहित था, पर निराला जी की विशाल आत्मीयता से भरा हुआ था। वे गुप्त जी की सुविधा के लिए नया घड़ा खरीदकर उसमें गंगाजल ले आए। घर में धोती-चादर जो कुछ मिल सका सब तख्त पर बिछा कर गुप्त जी को प्रतिष्ठित किया था। निराला जी का आतिथ्य भाव अपनी किस्म का निराला था।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

प्रश्न 5.
(अ) ‘निराला’ जी का मूल नाम – [ ]
(आ) हिंदी के कुछ आलोचकों द्वारा महादेवी वर्मा को दी गई उपाधि – [ ]
उत्तर :
(अ) निराला जी का मूल नाम – सूर्यकांत त्रिपाठी।
(आ) कुछ हिंदी आलोचकों द्वारा महादेवी वर्मा को दी गई उपाधि – [आधुनिक मीरा]

रस

काव्यशास्त्र में आचार्यों ने रस को काव्य की आत्मा माना है। विभाव, अनुभाव, व्यभिचारी (संचारी) भाव और स्थायी भाव रस के अंग हैं और इन अंगों अर्थात तत्त्वों के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है।

साहित्यशास्त्र में नौ प्रकार के रस माने गए हैं। कालांतर में अन्य दो रसों को सम्मिलित किया गया है।
रस – स्थायी भाव – रस – स्थायी भाव

  • शृंगार – प्रेम
  • शांत – शांति
  • करुण – शोक
  • हास्य – हास
  • भयानक – भय
  • रौद्र – क्रोध
  • बीभत्स – घृणा
  • वीर – उत्साह
  • अद्भुत – आश्चर्य
  • वात्सल्य – ममत्व
  • भक्ति – भक्ति

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई

ग्यारहवीं कक्षा की युवकभारती पाठ्यपुस्तक में हमने करुण, हास्य, वीर, भयानक और वात्सल्य रस के लक्षण एवं उदाहरणों का अध्ययन किया है। इस वर्ष हम शेष रसों – रौद्र, बीभत्स, अद्भुत, शृंगार, शांत और भक्ति रस का अध्ययन करेंगे।

रौद्र रस : जहाँ पर किसी के असह्य वचन, अपमानजनक व्यवहार के फलस्वरूप हृदय में क्रोध का भाव उत्पन्न होता है; वहाँ रौद्र रस उत्पन्न होता है। इस रस की अभिव्यंजना अपने किसी प्रिय अथवा श्रद्धेय व्यक्ति के प्रति अपमानजनक, असह्य व्यवहार के प्रतिशोध के रूप में होती है।

उदा. –
(१) श्रीकृष्ण के वचन सुन, अर्जुन क्रोध से जलने लगे।
सब शोक अपना भूलकर, करतल युगल मलने लगे।

(२) कहा – कैकयी ने सक्रोध
दूर हट! दूर हट! निर्बोध!
द्विजिव्हे रस में, विष मत घोल।

बीभत्स रस : जहाँ किसी अप्रिय, अरुचिकर, घृणास्पद वस्तुओं, पदार्थों के प्रसंगों का वर्णन हो, वहाँ बीभत्स रस उत्पन्न होता है।

उदा. –
(१) सिर पर बैठो काग, आँखि दोऊ खात
खींचहि जीभहि सियार अतिहि आनंद उर धारत।
गिद्ध जाँघ के माँस खोदि-खोदि खात, उचारत हैं।
(२) सुडुक, सुडुक घाव से पिल्लू (मवाद) निकाल रहा है,
नासिका से श्वेत पदार्थ निकाल रहा है।

Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 2 निराला भाई Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका के प्रश्न 1 (अ) तथा प्रश्न 1 (आ) के लिए)
गद्यांश क्र. 1
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए :

(1)
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई 3

(2)
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई 2
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई 4

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए : निराला जी ने
(1) यह रचा – ………………………………..
(2) यह किया – ………………………………..
उत्तर :
निराला जी ने
(1) यह रचा – दिव्य वर्ण-गंधवाले मधुर गीत।
(2) यह किया – बर्तन मांजने, पानी भरने जैसे कठिन काम।

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द लिखिए :
(1) कच्चे x ………………………………..
(2) प्रश्न x ………………………………..
(3) कठिन x ………………………………..
(4) जीवन x ………………………………..
उत्तर :
(1) कच्चे x पक्के
(2) प्रश्न – उत्तर
(3) कठिन x सरल
(4) जीवन x मरण।

प्रश्न 2.
गद्यांश में प्रयुक्त शब्द-युग्म ढूँढकर लिखिए :
(1) ………………………………..
(2) ………………………………..
उत्तर :
(1) वर्ण-गंध
(2) दिन-रात।

गद्यांश क्र. 2
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई 5
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई 6

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई

प्रश्न 2.
किसी अन्य का कष्ट दूर करने के लिए लुप्त हो गई वस्तुएँ –
(1) …………………………..
(2) …………………………..
उत्तर :
किसी अन्य का कष्ट दूर करने के लिए लुप्त हो गई वस्तुएँ –
(1) रजाई
(2) कोट।

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए :
(1) आदेश = ……………………………….
(2) दुष्कर = ……………………………….
(3) अंतर्धान = ……………………………….
(4) दिवंगत = ……………………………….
उत्तर :
(1) आदेश = हुकम
(3) अंतर्धान = अदृश्य
(2) दुष्कर = कठिन
(4) दिवंगत = मृत।

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
‘निर्बंध उदारता’ के बारे में अपना मत 40 से 50 शब्दों में व्यक्त किजिए।
उत्तर :
मनुष्य ही मनुष्य के काम आता है। किसी के दुखदर्द से सहानुभूति रखना अथवा उसकी आर्थिक मदद करना मनुष्य का धर्म है। इससे जरूरतमंद व्यक्ति को राहत और नैतिक सहयोग मिलता है। अनेक संपन्न व्यक्ति एवं बड़ी-बड़ी संस्थाएँ इस प्रकार का सहयोग देने का कार्य करती हैं। कई साधारण व्यक्ति भी अपनी क्षमता के अनुसार अपने जान-पहचान वाले लोगों की मदद करते हैं।

पर सामान्य लोगों के लिए किसी की आर्थिक सहायता करने की एक सीमा होती है। उसे सबसे पहले अपना घर-बार देखना पड़ता है। अगर कोई व्यक्ति अपनी क्षमता से अधिक उदारता बरतने लगता है, तो उसकी आर्थिक स्थिति अस्त-व्यस्त हो जाती है। ‘अति’ किसी की अच्छी नहीं होती। हर काम अपनी सीमा में ही फबता है। इसलिए निबंध उदारता अनुचित ही नहीं है, यह किसी की भी आर्थिक स्थिति को डाँवाडोल कर सकती है।

गद्यांश क्र. 3
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
लिखिए : निराला जी का कक्ष ऐसा था –
(1) ………………………….
(2) ………………………….
(3) सुख-सुविधाहीन।
(4) ………………………….
उत्तर :
(1) निराला जी का कक्ष ऐसा था –
(2) कक्ष में जाने का मार्ग तंग सीढ़ियों से होकर था।
(3) प्रकाश रहित था।
(4) सुख-सुविधाहीन।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई

प्रश्न 2.
अतिथि के लिए निराला जी माँग लिया करते थे –
(1) ………………………….
(2) ………………………….
उत्तर :
अतिथि के लिए निराला जी माँग लिया करते थे
(1) लकड़ियाँ
(2) थोड़ा घी।

प्रश्न 3.
अतिथि देवता के लिए निराला जी शौक से ये करते थे-
(1) ………………………….
(2) ………………………….
उत्तर :
अतिथि देवता के लिए निराला जी शौक से ये करते थे –
(1) अतिथि के लिए भोजन बनाने का काम।
(2) उनके जूठे बर्तन माँजना।

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
‘अतिथि देवो भव’ के बारे में अपने विचार 40 से 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
अतिथियों का स्वागत-सत्कार करना हमारे देश के लोगों के संस्कार का एक अंग रहा है। अतिथि के स्वागत में लोग कोई कसर बाकी नहीं रखते। घर में कोई सामान न हो, तो किसी के यहाँ से माँग-जाँच कर ले आने में भी लोग नहीं हिचकते। पर अतिथि की सेवा करने में कोई कसर नहीं रखते।

सुशील अतिथि मेजबान की क्षमता को ध्यान में रखते हैं और उसके साथ पूरा सहयोग करते हैं। मेजबान की तरफ से कहीं कोई कमी भी रह जाती है तो भी उसके साथ सहयोग करते हैं। ऐसे अतिथि मेजबान के लिए देव स्वरूप होते हैं। पर कुछ अतिथि ऐसे होते हैं, जो मेजबान की तरफ से आवभगत में कहीं कोई कमी रह जाने पर उसकी निंदा करने से भी नहीं चूकते।

कुछ अतिथि ‘मान न मान मैं तेरा मेहमान’ की तरह मेजबान के घर आ धमकते हैं और जाने का नाम ही नहीं लेते। ऐसे अतिथि मेजबान के लिए भार स्वरूप होते हैं। जो अतिथि मेजबान की सुविधा-असुविधा का ध्यान रखते हैं, वही अतिथि देव स्वरूप होते हैं।

गद्यांश क्र. 4
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए :
(a)
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई 7
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई 9

(b)
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई 8
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई 10

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई

प्रश्न 2.
चौखट पूर्ण कीजिए :
(1) गेरू में रंगे हुए वस्त्र।
(2) शरीर पर इस वस्त्र का अभाव था। –
(3) गद्यांश में प्रयुक्त दो वृक्ष।
(4) कवि का गैरिक शरीर ऐसा लगता था। –
उत्तर :
(1) गेरू में रंगे हुए वस्त्र। – [दोनों अधोवस्त्र और उत्तरीय]
(2) शरीर पर इस वस्त्र का अभाव था। – [अंगोछा]
(3) गद्यांश में प्रयुक्त दो वृक्ष। – [नीम-पीपल]
(4) कवि का गैरिक शरीर ऐसा लगता था – [किसी शिखर जैसा।]

प्रश्न 3.
उत्तर लिखिए : कवि के संन्यास से लेखिका को –
(1) लाभ – ………………………….
(2) हानि – ………………………….
उत्तर :
कवि के संन्यास से लेखिका को
(1) लाभ – साबुन के पैसे बचेंगे।
(2) हानि – जाने कहाँ-कहाँ छप्पर डलवाने पड़ेंगे।

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के वचन बदल कर लिखिए :
(1) निधियाँ – ………………………..
(2) वस्त्रों – ………………………..
(3) रोटियाँ – ………………………..
(4) पुत्रौं – ………………………..
उत्तर :
(1) निधियाँ – निधि
(3) रोटियाँ – रोटी
(2) वस्त्रों – वस्त्र
(4) पुत्रौं – पुत्र

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
‘साधु-संन्यासियों से जनता का मोहभंग’ इस विषय पर 40 से 50 शब्दों में अपना मत व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
एक समय था जब लोग साधु-संतों और संन्यासियों का बड़ा सम्मान करते थे। वे समाज में बड़े सम्मान की दष्टि से देखे जाते थे। वे समाज-सुधार और जनता के हित के कार्य किया करते थे और बदले में जनता से कोई अपेक्षा नहीं करते थे। लेकिन हाल में जब से साधु-संन्यासियों के वेष में कुछ ढोंगी लोगों ने साधुसंन्यासियों की जमात को अपने समाज-विरोधी कार्यों से बदनाम कर दिया है, तब से लोगों को इनसे घृणा हो गई है।

ऐसा नहीं है कि सच्चे साधु-संन्यासी हैं ही नहीं। हैं, लेकिन इन ढोंगी साधु संन्यासियों ने उनकी छबि-धूमिल कर दी है। ढोंगी साधु-संन्यासियों के बीच सच्चे साधु-संन्यासियों को पहचानना मुश्किल हो गया है। साधु-संन्यासियों से जनता का मोहभंग ढोंगी साधु-संन्यासियों की जमात के कारण हुआ है। सच्चे साधु-संन्यासियों की जनता आज भी मुरीद है।

गद्यांश क्र. 5
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई। सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
लिखिए : निराला जी इस दृष्टि से निराले थे –
(1) ………………………..
(2) जीवन में ………………………..
(3) ………………………..
उत्तर :
निराला जी इस दृष्टि से निराले थे –
(1) अपने शरीर की दृष्टि से।
(2) जीवन में।
(3) अपने साहित्य की दृष्टि से।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए :
(1) देखने वालों के हृदय में इससे आतंक उत्पन्न होता था –
(2) सत्य दृष्टा ऐसे होते हैं –
(3) अन्याय के प्रतिकार का निराला जी का तरीका –
(4) निराला जी की लेखनी की विशेषता –
उत्तर :
(1) देखने वालों के हृदय में इससे आतंक उत्पन्न होता था – [निराला जी का विशाल डील-डौल देखकर।]
(2) सत्यदृष्टा ऐसे होते हैं – [बालकों जैसे सरल और विश्वासी।]
(3) अन्याय के प्रतिकार का निराला जी का तरीका – [लेखनी के पहले हाथ उठाना।]
(4) निराला जी की लेखनी की विशेषता – [उनकी लेखनी हाथ से अधिक कठोर प्रहार करती थी।]

प्रश्न 3.
संबंध निरूपित कीजिए :
(1) क्रूरता – ………………………..
(2) कायरता – ………………………..
उत्तर :
(1) क्रूरता – वृक्ष की जड़ के अव्यक्त रस में
(2) कायरता – वृक्ष के फल के व्यक्त स्वाद में।

प्रश्न 4.
आकृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई 11
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई 12

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए :
(1) शरीर = ………………………………………
(2) सत्य = ………………………………………
(3) प्रतिकार = ………………………………………
(3) कठोर = ………………………………………
उत्तर :
(1) शरीर = तन
(2) सत्य = सच्चाई
(3) प्रतिकार = विरोध
(4) कठोर = कड़ा

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
‘अन्याय सहन करना भी अन्याय है।’ इस विषय पर 40 से 50 . शब्दों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
सभी मनुष्य समान हैं। किसी को भी किसी के साथ अन्याय करने का अधिकार नहीं है। इसके बावजूद कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो अपने से कमजोर व्यक्तियों पर अत्याचार करने से नहीं चूकते। कभी किन्हीं कारणों से जिनके साथ अन्याय होता है, वे उसका विरोध भी नहीं कर पाते।

वे समझते हैं कि विरोध करने का परिणाम उल्टा होगा और अत्याचारी उसे और सताने की कोशिश करेगा। लेकिन यह सोच उचित नहीं है। अन्याय का विरोध न करने से अत्याचारी का मन और बढ़ जाता है। वह समझ जाता है कि उसके अत्याचार का विरोध करने की संबंधित व्यक्ति में शक्ति नहीं है।

इसलिए ऐसे लोगों पर अत्याचार करना अपना अधिकार मान लेता है और वह निडर होकर उन पर अत्याचार करता रहता है। इस तरह अत्याचार सहन करना अपने आप पर अन्याय हो जाता मुक्ति मिल सकती है।

गद्यांश क्र. 6 प्रश्न.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए : निराला जी के व्यवहार के बारे में जन-मत –
(1) – …………………………………..
(2) – …………………………………..
उत्तर :
(1) कोई उनकी उदारता की भूरि-भूरि प्रशंसा करता था।
(2) कोई उनके उद्धत व्यवहार की निंदा करते नहीं हारता था।

प्रश्न 2.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई 13
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई 15

प्रश्न 3.
कृति पूर्ण कीजिए :
(1) निराला अपने युग की यह हैं – …………………………………..
(2) उनके जीवन के चारों ओर यह नहीं है – …………………………………..
(3) उनके लिए परिवार के कोंपल यह बन गए – …………………………………..
(4) आर्थिक कारणों से उन्हें यह नहीं मिली – …………………………………..
उत्तर :
(1) विशिष्ट प्रतिमा
(2) परिवार का लौहसार घेरा।
(3) पत्नी वियोग के पतझड़।
(4) अपनी संतान के प्रति कर्तव्य-निर्वाह की सुविधा।

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प्रश्न 4.
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई 14
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई 16

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
गद्यांश में प्रयुक्त उपसर्गयुक्त शब्द ढूँढ़ कर लिखिए :
(1) …………………………………….
(2) …………………………………….
(3) …………………………………….
(4) …………………………………….
उत्तर :
(1) असफलता
(2) निष्फल
(3) सजातीय
(4) अभिशाप।

व्याकरण

1. मुहावरे :

• निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
(1) आँखों में धूल झोंकना।
अर्थ : धोखा देना।
वाक्य : साइबर क्राइम से अच्छे-अच्छे लोगों की आँखों में धूल झोंककर लाखों रुपए ऐंठ लिए जाते हैं।

(2) आँखें बिछाना।
अर्थ : अति उत्साह से स्वागत करना।
वाक्य : स्वामी जी के दर्शन के लिए श्रद्धालु आँखें बिछाए हुए थे।

(3) कान में कौड़ी डालना।
अर्थ : गुलाम बनाना।
वाक्य : अंग्रेजों ने भारी संख्या में भारतीय मजदूरों के कान में कौड़ी डाल रखा था।

2. काल परिवर्तन :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों का काल परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिए :
(1) कौन बहिन हम जैसे भुक्खड़ को भाई बनाएगी। (सामान्य वर्तमानकाल)
(2) उनके अस्त-व्यस्त जीवन को व्यवस्थित करने के असफल प्रयासों का स्मरण कर मुझे आज भी हँसी आ जाती है। (अपूर्ण भूतकाल)
(3) उनकी व्यथा की सघनता जानने का मुझे एक अवसर मिला था। (पूर्ण वर्तमानकाल)
(4) पंत के साथ तो रास्ता कम अखरता था, पर अब सोचकर ही थकावट होती है। (सामान्य भविष्यकाल)
(5) निराला जी अपने शरीर, जीवन और साहित्य सभी में असाधारण हैं। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
(1) कौन बहिन हम जैसे भुक्खड़ को भाई बनाती है।
(2) उनके अस्त-व्यस्त जीवन को व्यवस्थित करने के असफल प्रयासों का स्मरण कर मुझे आज भी हँसी आ रही थी।
(3) उनकी व्यथा की सघनता जानने का मुझे एक अवसर मिला है।
(4) पंत के साथ तो रास्ता कम अखरता था, पर अब सोचकर ही थकावट होगी।
(5) निराला जी अपने शरीर, जीवन और साहित्य सभी में असाधारण थे।

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3. वाक्य शुद्धिकरण :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके लिखिए :
(1) निराला जी अपनी युग के विशिष्ट प्रतिभा हैं।
(2) सत्य की मार्ग सरल हैं।
(3) मनुष्य जाती की नासमझी की इतिहास क्रूर और लंबा है।
(4) निराला जी अपना शरीर, जीवन और साहित्य सभी में असाधारण है।
(5) उनके जीवन पर संघर्श के जो आघात हैं, वे उनकी हार के नहीं शक्ती के प्रमाणपत्र हैं।
उत्तर :
(1) निराला जी अपने युग की विशिष्ट प्रतिभा हैं।
(2) सत्य का मार्ग सरल है।
(3) मनुष्य जाति की नासमझी का इतिहास क्रूर और लंबा है।
(4) निराला जी अपने शरीर, जीवन और साहित्य सभी में असाधारण हैं।
(5) उनके जीवन पर संघर्ष के जो आघात हैं, वे उनकी हार के नहीं शक्ति के प्रमाणपत्र हैं।

निराला भाई Summary in Hindi

निराला भाई लेखक का परिचय

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई 17

निराला भाई लेखक का नाम : श्रीमती महादेवी वर्मा। (जन्म 26 मार्च, 1907; निधन 1987.)

प्रमुख कृतियाँ : नीहार, रश्मि, नीरजा, दीपशिखा, सांध्यगीत, यामा (कविता संग्रह), अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ, मेरा परिवार (रेखाचित्र), श्रृंखला की कड़ियाँ तथा साहित्यकार की आस्था (निबंध)।

विधा : संस्मरण।

विषय प्रवेश : प्रसिद्ध कवि सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला’ की गणना हिंदी के श्रेष्ठ कवियों में की जाती है। वे हिंदी साहित्य में छायावादी कवि एवं क्रांतिकारी व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते हैं। प्रसिद्ध कवयित्री महादेवी वर्मा एवं निराला जी दोनों का कार्यक्षेत्र प्रयागराज रहा है। इसलिए भी कवयित्री निराला जी को नजदीक से जानती-समझती और उनके व्यक्तित्व से गहराई से परिचित रही हैं।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई

प्रस्तुत संस्मरण में उन्होंने निराला जी को जिन विभिन्न रूपों में देखा और परखा है, उसे उन्होंने बेबाकी से शब्दांकित किया है। – इस संस्मरण से हमें निराला जी के फक्कड़पन, उनके व्यक्तित्व, उनकी निर्धनता, उदारता, संवेदनशीलता, आतिथ्य सत्कार की भावना तथा पारिवारिक दशा आदि के बारे में अनेक अनछुई बातों की जानकारी मिलती है।

निराला भाई पाठ का सार

कवयित्री महादेवी वर्मा प्रसिद्ध कवि निराला जी के साथ घटित कई घटनाओं की साक्षी रही हैं। उन्होंने उन्हें नजदीक से देखा-समझा है। उन्होंने इस संस्मरण में उनके साथ घटी हुई अनेक घटनाओं और उनके स्वभाव एवं व्यवहार का चित्रण किया है।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई 18

निराला जी संवेदनशील उदार, आतिथ्यप्रेमी, सहृदय, फक्कड़ किस्म के और सदा निर्धनता में जीवन बिताने वाले कवि रहे हैं। वे स्पष्टवादी व्यक्ति थे और अपने बारे में सही बात कहने से नहीं चूकते थे। एक बार रक्षाबंधन त्योहार के अवसर पर कवयित्री ने उनकी सूनी कलाइयाँ देखकर इसके बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया, “कौन बहन मुझ भुक्खड़ को भाई बनाएगी।”

कवि अपनी उदारता और दूसरों का दुख दूर करने की प्रवृत्ति के कारण सदा तंगी में रहे। वे खुद कष्ट सह लेते थे पर दूसरों का कष्ट दूर करके रहते थे। एक बार तो उन्होंने अपने लिए बनवाई गई रजाई और कोट भी किसी ठिठुरते हुए को दे दिया और खुद काँपते हुए मजे से सर्दियाँ काट दीं।

आर्थिक संकट सदा उनका साथी रहा। इसके कारण वे अपनी मातृविहीन संतान की भी उचित देखभाल न कर पाए। पुत्री के अंतिम क्षणों में असहाय बने रहे और पुत्र को उचित शिक्षा न दे पाए।

एक बार तो उन्होंने कवयित्री को 300 रुपए देकर अपने खर्च का बजट बनाने के लिए कहा था। पर बजट बनते-बनते तक सारे पैसे लेकर जरूरतमंद लोगों को दे डाले।

एक बार प्रसिद्ध कवि मैथिलीशरण गुप्त ने उनका आतिथ्य ग्रहण किया था। जब वे आए तो वे दियासलाई के प्रकाश में उन्हें लेकर तंग सीढ़ियों से होकर अपने सुविधा रहित कक्ष में पहुँचे तो वहाँ ढंग का बिस्तर भी नहीं था। फिर उन्होंने घर में धोती, चादर जो कुछ मिला उसे तख्त पर बिछाकर बड़े प्यार से उन्हें प्रतिष्ठित किया था। अतिथि का सत्कार करने के लिए उन्होंने कवयित्री से एक बार जलावन लकड़ी और घी तक माँग लिया था।

समकालीन साहित्यकारों की व्यथा के बारे में सुनकर वे विचलित हो जाते थे। एक बार सुमित्रानंदन पंत की मृत्यु की झूठी खबर पढ़कर वे बेचैन हो गए थे और सच्चाई जानने के लिए सारी रात जागते हुए इंतजार करते रहे।

एक बार तो उन्होंने अपने दोनों अधोवस्त्र और उत्तरीय गेरू में रंग डाले थे। कवयित्री उनका रूप देखती रह गई थीं। कहने लगे, “अब ठीक है। जहाँ पहुँचे, किसी नीम या पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गए। दो रोटियाँ माँग कर खा लीं और गीत लिखने लगे।”

निराला जी के विशाल डील-डौल से देखने वाले के हृदय में आतंक उत्पन्न हो जाता था, पर उनकी आत्मीयता से यह भय तिरोहित हो जाता था।

निराला ऐसे व्यक्तित्व थे जिनके बारे में अलग-अलग व्यक्तियों की अलग-अलग धारणाएँ थीं। कोई उनकी उदारता की प्रशंसा करते नहीं थकता तो कोई उनके उद्धत व्यवहार की निंदा करते नहीं हारता। पर उन्हें समझ पाना हर किसी के वश की बात नहीं थी।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 निराला भाई

निराला जी अपने युग की विशिष्ट प्रतिभा थे। वे एक विद्रोही साहित्यकार थे। कवयित्री का मानना है कि निराला जी किसी दुर्लभ सीप में ढले सुडौल मोती नहीं थे, वे तो अनगढ़ पारस के भारी शिलाखंड थे। पारस की अमूल्यता दूसरों का मूल्य बढ़ाने में होती है। उसके मूल्य में तो न कोई कुछ जोड़ सकता है, न कुछ घटा सकता है।

निराला भाई शब्दार्थ

  • भुक्खड़ = जिसके पास कुछ न हो, कंगाल
  • औढरदानी = अत्यंत उदारतापूर्वक दान करने वाला
  • अक्षुण्ण = अखंडित
  • लौहसार = लोहे का कठघरा
  • अछोर = ओर-छोर रहित, असीम
  • महाघ = बहुमूल्य
  • कुहेलिका = कोहरा, धुंध
  • नापित = नाई
  • मधुकरी = भोजन की भिक्षा
  • डीलडौल = कदकाठी
  • कोंपल = नई पत्ती
  • अकूल = बिना किनारेवाला
  • अनगढ़ = जिसे व्यवस्थित गढ़ा न गया हो
  • संसृति = संसार, सृष्टि

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 नवनिर्माण

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 1 नवनिर्माण Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 नवनिर्माण

12th Hindi Guide Chapter 1 नवनिर्माण Textbook Questions and Answers

कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर

प्रश्न 1.
(अ) कृति पूर्ण कीजिए :

बल इसके लिए होता है ↓
(a) …………………………………….
(b) …………………………………….
उत्तर :
(a)
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 नवनिर्माण 11
(b)
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 नवनिर्माण 12

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 नवनिर्माण

(आ) जिसे मंजिल का पता रहता है वह :

(a) …………………………………….
(b) …………………………………….
उत्तर :
(a) सब के बल बनना – सब की मदद करना।
(b) पथ के संकट सहना – मंजिल पर पहुँचने की कोशिश में होने वाला कष्ट सहन करना।

शब्द संपदा

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों से उपसर्गयुक्त शब्द तैयार कर उनका अर्थपूर्ण वाक्य में प्रयोग कीजिए :

(a) नीति – …………………………………….
(b) बल – …………………………………….
उत्तर :
(a) उपसर्गयुक्त शब्द – अनीति।
वाक्य : अनीति के मार्ग पर नहीं चलना चाहिए।

(b) उपसर्गयुक्त शब्द – आजीवन।
वाक्य : कुछ पाठक पुस्तकालयों के आजीवन सदस्य होते हैं।

अभिव्यक्ति

प्रश्न 3.
(अ) ‘धरती से जुड़ा रहकर ही मनुष्य अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है’, इस विषय पर अपना मत प्रकट कीजिए।
उत्तर :
लक्ष्य का अर्थ है निर्धारित उद्देश्य, जिसे प्राप्त करने के लिए गंभीरता पूर्वक नजर रखी जाए और उसे अर्जित करने के लिए यथासंभव प्रयास किया जाए। हर व्यक्ति का अपने-अपने है ढंग से लक्ष्य निर्धारण करने और उसे अर्जित करने का अपना तरीका होता है। कोई इसे हल्के-फुल्के ढंग से लेता है और बड़े से बड़ा लक्ष्य निर्धारित कर लेता है। ऐसे लक्ष्य क्षमता की कमी है और अपर्याप्त साधन के अभाव में कभी पूरे नहीं हो पाते। जो व्यक्ति अपनी क्षमता और अपने पास उपलब्ध साधनों के अनुसार लक्ष्य का निर्धारण और उसकी पूर्ति के लिए तन-मन-धन से प्रयास करता है, वह व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में अवश्य सफल होता है। ऐसे दूरदर्शी व्यक्ति जमीन से जुड़े हुए होते हैं और समझ-बूझ कर अपना लक्ष्य निर्धारित करते तथा उसके निरंतर प्रयासरत रहते हैं।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 नवनिर्माण

(आ) ‘समाज का नवनिर्माण और विकास नर-नारी के सहयोग से ही संभव है’, इसपर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
हमारा समाज विभिन्न प्रकार की कुरीतियों और समस्याओं से भरा हुआ है। अनेक समाज सुधारकों के कठिन परिश्रम के बावजूद आज भी हमारे समाज में अनेक प्रकार की विषमताएँ व्याप्त हैं। असमानता, जातीयता, सांप्रदायिकता, प्रांतीयता, अस्पृश्यता आदि समस्याओं के कारण समाज के नर-नारी दोनों समान रूप से व्यथित हैं। जब तक हमारे समाज से ये बुराइयाँ दूर नहीं होती, तब तक समाज का नव निर्माण और विकास होना असंभव है। नर-नारी दोनों रथ के दो पहियों के समान हैं। बिना दोनों के सहयोग से आगे बढ़ना मुश्किल है। समाज की अनेक समस्याएँ ऐसी हैं, जिनके बारे में नारी को नर से अधिक जानकारियाँ होती हैं। नर-नारी दोनों कंधे से कंधा मिलाकर समाज उत्थान के कार्य में जुटेंगे, तभी समाज का . नव निर्माण और विकास संभव हो सकता है।

रसास्वादन

प्रश्न 4.
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर चतुष्पादियों का रसास्वादन कीजिए :
(1) रचनाकार का नाम – …………………………………….
(2) पसंद की पंक्तियाँ – …………………………………….
(3) पसंद आने के कारण – …………………………………….
(4) कविता का केंद्रीय भाव – …………………………………….
उत्तर :
(1) रचना का शीर्षक : नव निर्माण।
(2) रचनाकार : त्रिलोचन (मूलनाम – वासुदेव सिंह)
(3) कविता की केंद्रीय कल्पना : प्रस्तुत कविता में संघर्ष करने, अत्याचार, विषमता तथा निर्बलता पर विजय पाने का आवाहन किया गया है तथा समाज में समानता, स्वतंत्रता एवं मानवता की स्थापना की बात कही गई है।
(4) रस-अलंकार :
(5) प्रतीक विधान : कविता में विश्वास और प्रेरणा की मात्रा दर्शाने के लिए ‘आकाश’ तथा नर-नारी द्वारा नए समाज की रचना करने का कठिन कार्य करने के लिए ‘काँटों के ताज’ लेने जैसे प्रतीकों का सुंदर प्रयोग किया गया है।
(6) कल्पना : दबे-कुचले लोगों के प्रति आशावाद एवं उत्थान के स्वर बुलंद करना।

(7) पसंद की पंक्तियाँ तथा प्रभाव : कविता की पसंद की । पंक्तियाँ इस प्रकार हैं :
जिसको मंजिल का पता रहता है,
पथ के संकट को वही सहता है,
एक दिन सिद्धि के शिखर पर बैठ
अपना इतिहास वही कहता है।

(8) कविता पसंद आने का कारण : प्रस्तुत पंक्तियों में यह बात कही गई है कि एक बार अपने लक्ष्य का निर्धारण कर लेने के बाद मनुष्य को हर समय उसको पूरा करने के काम में जी-जान से लग जाना चाहिए। फिर मार्ग में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएँ, उन्हें सहते हुए निरंतर आगे ही बढ़ते रहना चाहिए। एक दिन ऐसे व्यक्ति को सफलता मिलकर ही रहती है। ऐसे ही व्यक्ति लोगों के आदर्श बन जाते हैं। लोग उनका गुणगान करते है और उनसे प्रेरणा लेते हैं।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 नवनिर्माण

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

प्रश्न 5.
(अ) चतुष्पदी के लक्षण लिखिए।
……………………………………………
……………………………………………
उत्तर :
चतुष्पदी चौपाई की भाँति चार चरणों वाला छंद होता है। इसके प्रथम, द्वितीय तथा चतुर्थ चरण में पंक्तियों के तुक मिलते हैं। तीसरे चरण का तुक नहीं मिलता। प्रत्येक चतुष्पदी भाव और विचार की दृष्टि से अपने आप में पूर्ण होती है और कोई चतुष्पदी किसी दूसरी से संबंधित नहीं होती।

(आ) त्रिलोचन जी के दो काव्य संग्रहों के नाम
……………………………………………
उत्तर :
त्रिलोचन जी के कुल पाँच काव्य संग्रह हैं –

  • धरती
  • दिगंत
  • गुलाब और बुलबुल
  • उस जनपद का कवि हूँ
  • सब का अपना आकाश।

Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 1 नवनिर्माण Additional Important Questions and Answers

निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके फिर से लिखिए :

  1. अतिथि आए है, घर में सामान नहीं है।
    ……………………………………………
  2. परंतु अम्यान भी अपराध है।
    ……………………………………………
  3. उसके सत्य का पराजय हो जाता है।
    ……………………………………………
  4. प्रेरणा और ताकद बनकर परस्पर विकास मे सहभागी बनें।
    ……………………………………………
  5. दिलीप अपने माँ-बाप की इकलौती संतान थी।
    ……………………………………………
  6. आप इस शेष लिफाफे को खोलकर पढ़ लीजिए।
    ……………………………………………
  7. उसमें फुल बिछा दें।
    ……………………………………………
  8. कहाँ खो गई है आप।
    ……………………………………………
  9. एक मैं सफल सूत्र संचालक के रूप में प्रसिद्ध हो गया।
    ……………………………………………
  10. चलते-चलते हमारे बीच का अंतर कम हो गया था।
    ……………………………………………

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 नवनिर्माण

उत्तर :

  1. अतिथि आए हैं, घर में सामान नहीं है।
  2. परंतु अज्ञान भी अपराध है।
  3. उसका सत्य पराजित हो जाता है।
  4. प्रेरणा और ताकत बनकर परस्पर विकास में सहभागी बनें।
  5. दिलीप अपने माता-पिता की इकलौती संतान था।
  6. शेष आप इस लिफाफे को खोल कर पढ़ लीजिए।
  7. उसमें फूल बिछा दें।
  8. कहाँ खो गई हैं आप?
  9. मैं एक सफल सूत्र संचालक के रूप में प्रसिद्ध हो गया।
  10. हमारे बीच का अंतर चलते-चलते कम हो गया था।

Hindi Yuvakbharati 12th Textbook Solutions Chapter 1 नवनिर्माण Additional Important Questions and Answers

कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर
पद्यांश क्र. 1
कृतिपत्रिका के प्रश्न 2 (अ) तथा प्रश्न 2 (आ) के लिए
प्रश्न. निम्नलिखित पद्यांश पढ़करदी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए :
(a)
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 नवनिर्माण 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 नवनिर्माण 4

(b)
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 नवनिर्माण 2
उत्तर :
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Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 नवनिर्माण

प्रश्न 2.
ऐसे दो प्रश्न बनाकर लिखिए जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों :

(a) उत्तर लिखिए :
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उत्तर :
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कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्द के अर्थ वाले दो शब्द पद्यांश से ढूँढ कर लिखिए :
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उत्तर :
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के शब्द-युग्म बना कर लिखिए :
(1) तोड़ – ……………………………..
(2) काम – ……………………………..
(3) जाना – ……………………………..
(4) आकाश – ……………………………..
उत्तर :
(1) तोड़ – जोड़
(2) काम – काज
(3) जाना – आना
(4) आकाश – पाताल।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए :
(1) विश्वास x ……………………………..
(2) अँधेरा x ……………………………..
(3) सत्य x ……………………………..
(4) सामने x ……………………………..
उत्तर :
(1) विश्वास – अविश्वास
(2) अँधेरा x उजाला
(3) सत्य x असत्य
(4) सामने x पीछे।

पद्यांश क्र. 2
प्रश्न. निम्नलिखित पद्यांश पढ़करदी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के उपसर्गयुक्त शब्द तैयार कर उनका अर्थपूर्ण वाक्यों में प्रयोग कीजिए :
*(1) बल
(2) न्याय।
उत्तर :
(1) शब्द : निर् + बल = निर्बल।
वाक्य : निर्बल को सताना नहीं चाहिए।

(2)शब्द : अ + न्याय = अन्याय।
वाक्य : किसी व्यक्ति का अपनी बात कहने का अधिकार छीनना उसके साथ अन्याय करना है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के लिंग पहचानकर लिखिए :
(1) सिद्धि – …………………….
(2) इतिहास – …………………….
(3) मंजिल – …………………….
(4) पथ – …………………….
उत्तर :
(1) सिद्धि – स्त्रीलिंग।
(2) इतिहास – पुल्लिंग।
(3) मंजिल – स्त्रीलिंग।
(4) पथ – पुल्लिंग।

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कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
‘मानव सेवा ही सच्ची सेवा है’ इस विषय पर 40 से 50 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
सेवा करने का अर्थ है किसी को प्रसन्न करने का प्रयत्न करना। दूसरों का दुख दूर करना सेवा का उद्देश्य है। दीनदुखी हमारे समाज के अंग हैं। अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए वे समाज से ही अपेक्षा रखते हैं। उनकी सेवा-सहायता करना समाज का कर्तव्य है। मानव सेवा विविध रूपों में की जा सकती है। पीड़ित व्यक्ति को बचाया जा सकता है। जिसके साथ अन्याय हो रहा है उसे न्याय दिलाया जा सकता है। निर्धन रोगियों को उनके इलाज का खर्च दिया जा सकता है। गरीब परिवार की कन्याओं के विवाह के लिए आर्थिक मदद की जा सकती है। अनेक संतों और समाज सेवियों ने अपना जीवन ही मानव सेवा को अर्पित कर दिया। दीनदुखियों की सेवा कर हम उनके चेहरों पर खुशी ला सकते हैं। इस तरह मानव सेवा ही सच्ची सेवा है।

पद्यांश क्र. 3
प्रश्न. निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए :
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उत्तर :
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प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए :
(1) आज नर-नारी –
(i) इस तरह निकलेंगे – ………………………..
(ii) यह लेंगे – ………………………..
(iii) दोनों की विशेषताएँ – ………………………..
(iv) दोनों रचना करेंगे – ………………………..
उत्तर :
(i) इस तरह निकलेंगे – साथ-साथ।
(ii) यह लेंगे – काँटों का ताज।
(iii) दोनों की विशेषताएँ – संगी हैं, सहचर हैं।
(iv) दोनों रचना करेंगे – समाज की।

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प्रश्न 3.
लिखिए –
(i) काँटों का ताज लेंगे, यानी क्या?
(ii) ‘गीत मेरा भविष्य गाएगा’ से कवि का तात्पर्य?
उत्तर :
(i) महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ सँभालेंगे।
(ii) भविष्य में (जब वर्तमान अतीत हो जाएगा तब) लोग वर्तमान की प्रशंसा करेंगे।

प्रश्न 4.
वर्तमान का कथन –
(i) ………………………..
(ii) ………………………..
(iii) ………………………..
(iv) ………………………..
उत्तर :
(i) अतीत अच्छा था।
(ii) प्राण के पथ का गीत अच्छा था।
(iii) मेरा गीत भविष्य गाएगा।
(iv) अतीत का भी गीत अच्छा था।

प्रश्न 5.
दो ऐसे प्रश्न बनाकर लिखिए जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों :
(1) समाज की
(2) भविष्य।
उत्तर :
(1) नर-नारी किसकी रचना करेंगे?
(2) वर्तमान के गीत कौन गाएगा?

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के युग्म-शब्द बना कर लिखिए :
(1) ……………………………… मीत
(2) साथ – ………………………………
(3) संगी – ………………………………
(4) अच्छा – ………………………………
उत्तर :
(1) हित – मीत
(2) साथ – साथ
(3) संगी – साथी
(4) अच्छा – बुरा।

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रसास्वादन मुद्दों के आधार पर

कृतिपत्रिका के प्रश्न 2 (इ) के लिए

निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर ‘नव निर्माण’ कविता का रसास्वादन कीजिए।

रसास्वादन अर्थ के आधार पर

प्रश्न 1.
अन्याय, अत्याचार से दीन-दुखियों को मुक्ति दिलाने के लिए उनका बल बन जाना ही बलवान व्यक्तियों के बल का सही उपयोग हैं। इस कथन के आधार पर ‘नव निर्माण’ कविता का रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
कवि त्रिलोचन द्वारा चतुष्पदी छंद में रचित कविता ‘नव निर्माण’ का मूलतत्त्व जीवन में संघर्ष करना बताया गया है। हमारे समाज में व्याप्त अन्याय, अत्याचार, विषमता आदि का बोलबाला है। कवि इन बुराइयों पर काबू पाने के लिए लोगों को बल और साहस एकत्र करने का आवाहन करते हैं। यह सर्व विदित है कि ये सारी बुराइयाँ कुछ लोगों द्वारा अपने शारीरिक एवं आर्थिक बल का दुरुपयोग करने के कारण पनपती हैं। इसलिए इन पर विजय पाने का मार्ग भी बल का प्रयोग ही है। यहाँ बल प्रयोग से कवि का आशय किसी के विरुद्ध बल का अनावश्यक प्रयोग करने से न होकर सताए हुए, दबाए हुए बलहीन लोगों का बल बन कर दिखाने से है। बलहीन निरीह व्यक्तियों पर होने वाला अन्याय और अत्याचार तभी रुक सकता है और तभी उन्हें समाज में समानता का दर्जा मिल सकता है और वे निर्बलता पर विजय प्राप्त कर सकेंगे। इसी बात को कवि अपनी कविता में बिना किसी लाग-लपेट के सीधे-सादे सरल शब्दों में इस प्रकार कहते हैं –

बल नहीं होता सताने के लिए,
वह है पीड़ित को बचाने के लिए।
बल मिला है, तो बल बनो सबके,
उठ पड़ो न्याय दिलाने के लिए।

कवि ने इस कविता में अपनी बात कहने के लिए न कहीं रसअलंकार वाली शृंगारिक भाषा का प्रयोग किया है और न ही उन्हें अपनी बात कहने के लिए दुरुहता के मायाजाल में ही फँसना पड़ा है। कविता के शाब्दिक शरीर के रूप में सरल शब्दों की अमिघा शक्ति तथा कविता का प्रसाद गुण कविता में व्यक्त भावों को सरलतापूर्वक आत्मसात करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।

व्याकरण

1. अलंकार :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों में उद्धृत अलंकार पहचानकर उसका नाम लिखिए :
(1) हाय फूल-सी कोमल बच्ची। हुई राख की थी ढेरी।
(2) मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों।
(3) इस काल मारे क्रोध के तनु काँपने उनका लगा। मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।
उत्तर :
(1) उपमा अलंकार।
(2) रूपक अलंकार।
(3) उत्प्रेक्षा अलंकार।

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2. रस :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों में उद्धृत रस पहचानकर उसका नाम लिखिए :
(1) उस काल मारे क्रोध के तन काँपने उनका लगा।
मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।
उत्तर :
रौद्र रस

प्रश्न 2.
काहु न लखा सो चरित बिसेरवा। सो स्वरूप नृपकन्या देखा। मर्कट बदन भयंकर देही। देखत हृदय क्रोध भा तेही। जेहि दिसि बैठे नारद फूली। सो दिसि तेहिन विलोकी भूली। पुनि पुनि मुनि उकसहिं अकुलाहीं। देखि दशा हर गान मुसुकाहीं।
उत्तर :
हास्य रस।

3. मुहावरे :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
(1) अपना उल्लू सीधा करना।
अर्थ : अपना स्वार्थ सिद्ध करना।
वाक्य : रमेश से समाज के हित की उम्मीद करना व्यर्थ है, वह हमेशा अपना उल्लू सीधा करने में लगा रहता है।

(2) दिन दूना रात चौगुना बढ़ना।
अर्थ : दिन प्रतिदिन अधिक उन्नति करना।
वाक्य : जब से मुनीम जी की सलाह से सेठ करोड़ीमल ने काम-काज शुरू किया है, तब से उनका धंधा दिन दूना रात चौगुना बढ़ता जा रहा है।

4. काल परिवर्तन :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों के साथ दी गई सूचना के अनुसार काल परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिए :
(1) तुमने मुझे विश्वास दिया है। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
(2) राह में अँधेरा है। (सामान्य भविष्यकाल)
(3) नर-नारी साथ निकलेंगे। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
(1) तुम मुझे विश्वास दे रहे हो।
(2) राह में अँधेरा होगा।
(3) नर-नारी साथ निकले थे।

नवनिर्माण Summary in Hindi

नवनिर्माण कवि का परिचय

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नवनिर्माण कवि का नाम : त्रिलोचन। वास्तविक नाम वासुदेव सिंह। (जन्म 20 अगस्त, 1917; निधन 2007.)

प्रमुख कृतियाँ : धरती, दिगंत, गुलाब और बुलबुल, उस जनपद का कवि हूँ, सब का अपना आकाश (कविता संग्रह); देशकाल (कहानी संग्रह) तथा दैनंदिनी (डायरी) आदि।

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विशेषता : काव्यक्षेत्र में प्रयोग धर्मिता के समर्थक। समाज के दबे-कुचले वर्ग को संबोधित करने वाले साहित्य के रचयिता।

विधा : चतुष्पदी। इस विधा में चार चरणों वाला छंद होता है। यह चौपाई की तरह होता है। इसके प्रथम, द्वितीय और चतुर्थ चरण में तुकबंदी होती है। भाव और विचार की दृष्टि से प्रत्येक चतुष्पदी अपने आप में पूर्ण होती है।

विषय प्रवेश : प्रस्तुत पद्य पाठ में कुल आठ चतुष्पदियाँ दी गई हैं। ये सभी चतुष्पदियाँ भाव एवं विचार की दृष्टि से अपने आप में पूर्ण है। इन चतुष्पदियों में आशावादी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया है। कवि ने इनके माध्यम से संघर्ष करने तथा अन्याय, अत्याचार, विषमता और निर्बलता पर विजय पाने का आवाहन किया है।

नवनिर्माण चतुष्पदियों का सरल अर्थ

(1) तुमने विश्वास ……………………………….. आकाश दिया है मुझको।
मनुष्य के जीवन में किसी का विश्वास प्राप्त करने तथा किसी से प्रोत्साहन पाने का बड़ा महत्त्व होता है। इनके बल पर मनुष्य बड़े-बड़े काम कर डालता है।

कवि कहते हैं कि, तुमने मुझे जो विश्वास और प्रेरणा दी है वह मेरे लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। इन्हें देकर तुमने मुझे असीम संसार दे दिया है। पर मैं इन्हें इस तरह सँभाल कर अपने पास रखूगा कि मैं आकाश में न उहूँ और मेरे पाँव हमेशा जमीन पर रहें। अर्थात मुझे अपनी मर्यादा का हमेशा ध्यान रहे।

(2) सूत्र यह तोड़ ……………………………….. छोड़ नहीं सकते।

कवि मनुष्य के बारे में कहते हैं कि वह चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो जाए, आकाश में उड़ानें भरता हो या अन्य कहीं उड़ कर चला जाए, पर अंत में उसे अपनों के बीच यानी धरती पर तो आना ही पड़ता है। कवि कहते हैं कि, यह बात शाश्वत सत्य है। इस सच्चाई को कोई नियम तोड़-मरोड़ कर झूठा साबित नहीं कर सकता। अर्थात मनुष्य कितना भी आडंबर क्यों न कर ले, पर वह अपनी वास्तविकता को छोड़ नहीं सकता।

(3) सत्य है ……………………………….. सामने अँधेरा है।
कवि संघर्ष करने का आवाहन करते हुए कहते हैं कि आपकी राह अँधेरों से भरी हुई है; भले यह बात सच हो या आपकी प्रगति के द्वार को अवरुद्ध करने के लिए तरह-तरह की कठिनाइयाँ रास्ते में आ रही हों, तब भी आपको संघर्ष के मार्ग पर रुकना नहीं है।

अँधेरे में भी आगे ही आगे बढ़ते जाना है, क्योंकि इसके अलावा आपके सामने और कोई चारा भी तो नहीं है। कवि का कहने का तात्पर्य यह है कि संघर्ष करना जारी रखना चाहिए। संघर्ष से ही सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।

(4) बल नहीं होता ……………………………….. “दिलाने के लिए।

कवि कहते हैं कि मनुष्य को निरर्थक कार्यों के लिए अपने बल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। उसका प्रयोग सार्थक कार्यों के लिए होना चाहिए। वे कहते हैं कि मनुष्य के पास बल किसी असहाय, पीड़ित व्यक्ति को सताने के लिए नहीं होता। बल्कि वह किसी असहाय या पीड़ित व्यक्ति की रक्षा करने के लिए होता है। कवि बलवान व्यक्तियों को संबोधित करते हुए कहते हैं, यदि ईश्वर ने तुम्हें शक्ति प्रदान की है, तो तुम सभी कमजोर लोगों के बल बन ३ कर उनको न्याय दिलाने के काम में लग जाओ। तभी तुम्हारे बल की सार्थकता है।

(5) जिसको मंजिल ……………………………….. वही कहता है।

कवि कहते हैं कि जिस व्यक्ति को अपनी सफलता की मंजिल की जानकारी हो जाती है, वह व्यक्ति अपने मार्ग में आने वाली परेशानियों से नहीं डरता। वह हँसते-हँसते इन परेशानियों को झेल लेता है। ऐसे व्यक्तियों को ही जीवन में सफलता मिलती है। इस तरह सफलता के शिखर पर पहुँचने वाले व्यक्ति समाज के लिए इतिहास बन जाते हैं और लोग उससे प्रेरणा लेते हैं।

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(6) प्रीति की राह ……………………………….. चले आओ।
कवि प्यार-मोहब्बत और अच्छे आचार-व्यवहार को अपनाने की बात करते हुए लोगों का आवाहन करते हैं कि वे सब के साथ प्यार-मोहब्बत से रहें और सब के साथ अच्छा व्यवहार करें। यही सब के लिए अपनाने वाला सही मार्ग है। वे कहते हैं कि सब को हँसते-गाते जीवन जीने का मार्ग अपनाना चाहिए।

(7) साथ निकलेंगे ……………………………….. “समाज नर-नारी।
कवि स्त्री-पुरुष समानता की बात करते हुए कहते हैं कि स्त्री पुरुष दोनों एक साथ मिल कर विकट समस्याओं को सुलझाने का कार्य करेंगे। दोनों इस दिशा में कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे और नए समाज की रचना करेंगे, जिसमें सब को समानता का अधिकार मिले।

(8) वर्तमान बोला……………………………….. गीत अच्छा था।

कवि वर्तमान और अतीत की बात करते हुए कहते हैं कि वर्तमान के अनुसार बीता हुआ समय अच्छा था। उस समय जीवन पथ में साथ निभाने वाले अच्छे मित्र थे। वर्तमान कहता है कि भविष्य में (जब हम अतीत हो जाएँगे और) लोग हमारा भी गुणगान करेंगे। वैसे अतीत भी गुणगान करने लायक था।

नवनिर्माण शब्दार्थ

  • व्योम = आकाश
  • सहचर = साथ-साथ चलने वाला, मित्र
  • सिद्धि = सफलता
  • मीत = मित्र, दोस्त