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Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 15 समाचार : जन से जनहित तक

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 15 समाचार : जन से जनहित तक Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 15 समाचार : जन से जनहित तक

11th Hindi Digest Chapter 15 समाचार : जन से जनहित तक Textbook Questions and Answers

पाठ पर आधारित

प्रश्न 1.
टेलीविजन के लिए समाचार वाचन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
टेलीविजन के लिए समाचार वाचन की विशेषताएँ : टेलीविजन दृश्य मिडिया है। समाचार वाचक के लिए टेलीप्राम्प्टर की सुविधा होती है। इसीलिए हमें ऐसा आभास होता है कि समाचार वाचक हमसे बातचीत कर रहा है। समाचार को प्रस्तुति में प्रोड्यूसर, इंजीनियर, कैमरामैन, फ्लोर मैनेजर, वीडियो संपादक, ग्राफिक आर्टिस्ट, मेकअप आर्टिस्ट आदि टीम की तरह मिलकर काम करते हैं।

समाचार वाचक समाचार वाचन करते समय ऐंकर की भूमिका भी निभाता है, किसी का साक्षात्कार भी लेता है, चैनल की परिचर्चा में सवाल भी करता है। इसके बीच में वह तत्काल घटी घटनाओं को ‘बेक्रींग न्यूज’ के रूप में शामिल कर लेता है।

समाचार वाचन में समाचार वाचक के प्रभावशाली व्यक्तित्व के साथ-साथ सुयोग्य आवाज, उच्चारण की शुद्धता, भाषा का ज्ञान, शब्दों का उतार-चढ़ाव एवं भाषा का प्रवाहमयी होना भी जरूरी है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आदि के पद की गरिमा का ध्यान रखना भी जरूरी होता है। ऐसी कोई बात न पढ़ी जाए जो किसी धर्म, जाति या वर्ग की भावना को चोट पहुँचाए।

समाचार वाचन राष्ट्रहित, एकता और अखंडता को ध्यान में रखकर होना चाहिए।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 15 समाचार : जन से जनहित तक

प्रश्न 2.
रेडियो और टेलीविजन के लिए समाचार प्राप्त करने के साधन लिखिए।
उत्तर :
रेडियो और टेलीविजन के लिए समाचार प्राप्त करने के साधन : समाचार एजेंसियाँ, संवाददाता, प्रेस विज्ञप्तियाँ, भेंटवार्ताएँ, साक्षात्कार, क्षेत्रीय जनसंपर्क अधिकारी, राजनीतिक पार्टियों के प्रवक्ता, मोबाइल पर रिकॉर्ड की गई जानकारी आदि साधनों द्वारा समाचार प्राप्त होते हैं।

सारे विश्व में समाचारों का संकलन और प्रेषित करने का काम मुख्यत: समाचार एजेंसियाँ करती हैं। समाचार एजेंसियाँ के क्षेत्रीय ब्यूरो समाचार को टेलीप्रिंटर द्वारा कार्यालय तक पहुंचाते हैं। उन्हें पुनर्संपादित कर समाचार रेडियो और टेलीविजन कक्ष में टेलीप्रिंटर द्वारा भेजते हैं।

भारत में मुख्यत: विदेशी और भारतीय समाचार एजेंसियों में रायटर, प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पी.टी.आई), यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (यू.एन.आई), यूनिवार्ता एजेंसियाँ समाचार उपलब्ध कराती हैं। केंद्र सरकार की खबरें, पत्र, सूचना कार्यालय द्वारा और राज्य सरकार की खबरों की सूचनाएँ जन संपर्क विभाग की प्रेस विज्ञप्तियों से मिलती हैं।

इनके अलावा सार्वजनिक प्रतिष्ठान, शोध और निजी संस्थानों के जनसंपर्क अधिकारी और प्रेस के संवाददाता भी समाचार उपलब्ध कराते हैं।

प्रश्न 3.
समाचार के महत्त्वपूर्ण पक्ष स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
समाचार के महत्त्वपूर्ण पक्ष : समाचार की भाषा सरल और सहज होनी चाहिए। समाचार के वाक्य छोटे-छोटे हों। प्रदेश और क्षेत्र की भाषा की गरिमा के अनुकूल वाक्य हों। समाचार में ऐसी बात न हो जिससे धर्म, जाति या वर्ग की भावना को चोट पहुँचे। समाचार की प्रस्तुति राष्ट्रहित, एकता और अखंडता को ध्यान में रखकर होनी चाहिए।

समाचार के क्षेत्र में जनहित एक मशाल है और पत्रकार उसकी किरण जिसके सहारे राष्ट्रीय एकता, अखंडता, सद्भाव और भाइचारे को प्रकाशमान करना चाहिए। समाचार का दायरा बहुत बड़ा है। राजनीतिक, संसद, खेल, विकास, व्यापार, विज्ञान, कृषि, रोजगार, स्वास्थ्य आदि से संबंधित समाचार प्रस्तुत होते हैं। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आदि के पदों की गरिमा को ध्यान में रखकर ही समाचार प्रस्तुत करने चाहिए।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 15 समाचार : जन से जनहित तक

व्यावहारिक प्रयोग

निम्नलिखित विषयों पर आकाशवाणी/दूरदर्शन/समाचारपत्र के लिए समाचार लेखन कीजिए।

प्रश्न 1.
अकाल से उपजी गंभीर स्थितियाँ।
उत्तर :
बिहार में अकाल की छाया :
सूखने लगे है जलाशय, बारिश नहीं होने से स्थिति गंभीर होती जा रही है। राज्य के 23 जलाशयों में से 10 तो पूरी तरह से सूख गए हैं। 15 जलाशयों में पिछले वर्ष से भी कम पानी बचा है और उनमें से दो जलाशयों में तो 11 से 12 फिसदी ही पानी बचा है। केवल दो जलाशय ऐसे हैं जिनमें 50 फिसदी पानी बचा है।

जलाशयों के सूखने का सबसे प्रतिकूल प्रभाव नहरों पर पड़ा है। दूर के खेतों की कौन कहे, नजदीक के खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। यदि शीघ्र बारिश नहीं हुई तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। सिंचाई के लिए पानी लगातार कम पड़ रहा है। निकट भविष्य में पेय जल की भी समस्या होने की संभावना को झुठला नहीं सकते।

जालकुंड, अमृति, श्रीखंडी, कैलाशघाटी, कोहिरा, फुलवरिया, पुरैनी, ताराकोल जलाशय सूख गए हैं। सिर्फ चंदन, औढ़नी, बदुआ जलाशयों में पानी शेष है। इसकी वजह से मुंगेर, लखीसराय, जमुई नवादा, औरंगाबाद में स्थिति अधिक खराब देखी गई हैं।

प्रश्न 2.
विश्वभर में बढ़ती हुई खादी की माँग।
उत्तर :
खादी बिक्री में जबरदस्त उछाल :
खादी फॉर नेशन और खादी फॉर फॅशन के बाद खादी फॉर ट्रांसफॉर्मेशन बन रहा है। 13 फरवरी 2019 को खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड ने अमेजॉन इंडिया के साथ एक समझौता ज्ञापन कर हस्ताक्षर किए। इसके तहत अमेजॉन इंडिया ग्रामीण खादी बुनकरों के उत्पाद देश-विदेश में उपलब्ध कराएगी।

पिछले कुछ वर्षों में ग्राहकों के बीच खादी की बढ़ती माँग की एक लहर सी देखी गई है। अमेजॉन इंडिया के कारण खादी की डिजिटल यात्रा आरंभ हो गई है। फाइन खादी अब तेजी से अमीरों का परिधान बन रही है। खादी वस्त्रों की एक विशेषता है कि ये शरीर को गर्मी में ठंडा और सर्दी में गरम रखते हैं।

भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए महात्मा गांधी जी ने खादी का आरंभ किया। वही खादी आज भारत के साथ-साथ विदेशों में भी अपनी पैठ बना रही है। खादी का रिश्ता हमारे इतिहास और परंपरा से है जो आज विदेशों में भारत की पहचान बनाने के लिए उभर आया है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 15 समाचार : जन से जनहित तक

समाचार लेखन के सोपान

  • समग्र तथ्यों को एकत्रित करना।
  • समाचार लेखन का प्रारूप तैयार करना।
  • दिनांक, स्थान तथा वृत्तसंस्था का उल्लेख करना।
  • परिच्छेदों का निर्धारण करते हुए समाचार लेखन करना।
  • शीर्षक तैयार करना।

समाचार लेखन के लिए आवश्यक गुण

  • लेखन कौशल
  • भाषाई ज्ञान
  • मानक वर्तनी
  • व्याकरण

समाचार लेखन के मुख्य अंग

  • शीर्षक – शीर्षक में समाचार का मूलभाव होना चाहिए। शीर्षक छोटा और आकर्षक होना चाहिए।
  • आमुख – समाचार के मुख्य तत्त्वों को सरल, स्पष्ट रूप से लिखा जाए। घटना के संदर्भ में कब, कहाँ, कैसे, कौन, क्यों आदि जानकारी हो।

समाचार के कुछ विषय

प्रश्न 1.
अपने कनिष्ठ महाविद्यालय में मनाए गए विज्ञान दिवस’ का समाचार लेखन कीजिए।
उत्तर :
28 फरवरी, 2019 को अगस्ती कनिष्ठ महाविद्यालय में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने प्रा. वाकडे और प्रा. शर्माजी के मार्गदर्शन से विज्ञान और गणित के मॉडलों की, एक प्रदर्शनी भी लगाई थी। इनमें प्रकाश का परावर्तन, कंकाल तंत्र, मानव शरीर के आंतरिक भाग, सूर्यग्रहण, चंद्रगहण आदि के मॉडेल सबकी प्रशंसा के पात्र बने।

प्रदर्शनी का उद्घाटन श्री.शेटे जी के करकमलों से हुआ। उन्होंने प्रदर्शनी का अवलोकन किया और विद्यार्थियों की सराहना की। इस अवसर पर चित्रकला और निबंध लेखन प्रतियोगिताएँ भी आयोजित की गई थी। विजेता विद्यार्थियों को श्री. शेटे जी के हाथों पुरस्कृत किया गया।

उन्होंने अपने भाषण में विज्ञान के निरंतर उन्नति के लिए विद्यार्थियों का आह्वान किया और विज्ञान के विकास द्वारा लोगों के जीवन को खुशहाल बनाने का संदेश दिया। धन्यवाद यापन के बाद राष्ट्रगान के साथ समारोह का समापन हुआ।

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प्रश्न 2.
‘शिक्षा के क्षेत्र में ई-तकनीक का प्रयोग’ का समाचार लेखन कीजिए।
उत्तर :
इक्कीसवीं सदी में ई-शिक्षा : एक क्रांति :
डिजिटल साक्षरता आज समय की माँग है। ई-शिक्षा सेवाओं का विकास उस समय हुआ जब पहली बार शिक्षा में कंप्यूटर का इस्तेमाल किया गया। आज के इस निजीकरण के युग में शिक्षा का भी निजीकरण हो गया है और इंटरनेट ने पूरी दुनिया का ज्ञान सबके लिए खुला करके शिक्षा क्षेत्र में क्रांति लाई है।

यह नई शिक्षा प्रणाली ई-लर्निंग के नाम से जानी जाती है। इसने शिक्षा को रुचिकर बना दिया है। कम खर्च में ई-शिक्षा द्वारा प्रभावशाली और आकर्षक शिक्षा दी जाती है। इस से विद्यार्थी बिना किसी स्ट्रेस के स्वयं ही आसानी से विषय समझ लेता है।

इंटरनेट पर जानकारियों का खजाना है जो पलक झपकते ही हमारे सामने आ जाता है। जरूरत के मुताबिक विद्यार्थी वहाँ से अपनी जानकारी जुटा सकता है। डिजिटल इंडिया के तहत सभी स्कूलों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने की योजना है।

सभी माध्यमिक, उच्चमाध्यमिक स्कूलों में मुक्त वाई-फाई प्रदान किया जाएगा। डिजिटल साक्षरता पर एक राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम लाया जाएगा। ई-शिक्षा के लिए बड़े पैमाने पर ऑनलाइन ओपन पाठ्यक्रम का विकास किया जाएगा। इससे सीखना और सिखाना दोनों आसान हो जाएगा। जन-जन तक ज्ञान का प्रकाश फैलाने और धन और समय की बचत करने में ई-तकनीक उपयोगी सिद्ध होगी।

प्रश्न 3.
‘पर्यावरण संवर्धन में युवाओं का योगदान’ का समाचार लेखन कीजिए।
उत्तर :
पर्यावरण संवर्धन में युवाओं का योगदान :
आज दुनियाभर में जिस तरह प्रदूषण बढ़ता जा रहा है उसपर नियंत्रण पाने के लिए पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सक्रिय भागीदारी निभाना बहुत जरूरी है। इस प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए हर उम्र व हर क्षेत्र के लोगों का आगे आना जरूरी है। इस में कोई दोराय नहीं कि इस में युवाओं की भूमिका बेहद अहम है।

अगस्ती विद्यालय के कुछ छात्र और अध्यापक वैद्य का योगदान इस दृष्टि से प्रशंसनीय ही नहीं अनुकरणीय भी है। इन्होंने पर्यावरण और मिट्टी की महक को पहचाना और पर्यावरण संरक्षण की पहल की। पेड़-पौधों के संरक्षण का बीड़ा उठाया।

अपने हमउम्र छात्रों को कागजों की खपत पर अंकुश लगाने के लिए मनाया क्योंकि कागज बनाने के लिए पेड़ों की कटाई होती है। इसके पर्याय में डिजिटल कार्यप्रणाली को अपनाने का आह्वान किया।

‘वन समृद्धि, जन समृद्धि’ योजना आरंभ की और पेड़-पौधों को संरक्षण दिया। पौंधों को लगाकर उनके रख-रखाव का भी पूर्ण ध्यान रखने की जिम्मेदारी ली।

इन छात्रों ने प्रण लिया कि ‘वृक्ष लगाएँगे और ताउम्र उनकी रक्षा करेंगे।’ साथ ही पॉलिथीन के इस्तेमाल को भी प्रतिबंधित करने का बीड़ा उठाया। इन युवाओं का यह कार्य सराहनीय है। आज इनकी इस मुहिम में अन्य छात्र भी जुड़ रहे हैं। कुछ छात्र पथनाट्य द्वारा जागरूकता फैलाने का कार्य कर रहे हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 15 समाचार : जन से जनहित तक

लोग पर्यावरण संरक्षण को लेकर गंभीर हो रहे हैं अर्थात उनके इस कार्य में सौ प्रतिशत सफलता जन भागिदारी पर निर्भर है।

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 15 समाचार : जन से जनहित तक Additional Important Questions and Answers

समाचार : जन से जनहित तक लेखक परिचय :

मीडिया में पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त डॉ. अमरनाथ ‘अमर’ लेखक, कवि, आलोचक एवं दूरदर्शन के सैकड़ों सफल कार्यक्रमों के निर्माता, निर्देशक हैं। स्पंदित प्रतिबिंब (काव्य संग्रह), वक्त की परछाइयाँ (निबंध संग्रह), पुष्पगंधा (कहानी संग्रह) इलेक्ट्रानिक मीडिया : बदलते आयाम आदि रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं।

समाचार : जन से जनहित तक पाठ परिचय :

प्रस्तुत पाठ ‘समाचार : जन से जनहित तक’ एक लेख है। अनेक अनुच्छेदों में विभाजित करके लेखक ने विषय से संबंधित जानकारी को रोचक ढंग से समझाने का प्रयास किया है। आज के युग में जनसंपर्क माध्यमों में ‘समाचार’ की अहं भूमिका है।

ये समाचार पाठ्य माध्यम से, रेडियो द्वारा श्राव्य माध्यम से तो दूरदर्शन द्वारा दृक-श्राव्य माध्यम से दिए जाते हैं। इस कार्य में सहज, सरल एवं प्रवाहमयी भाषा की आवश्यकता होती है। प्रस्तुत लेख ने समाचार की आवश्यकता, महत्ता और भविष्य की विविध संभावनाओं को दर्शाया है।

समाचार : जन से जनहित तक पाठ का सारांश :

आज सैटेलाइट के माध्यम से विश्व में घटित घटनाएँ संचार माध्यम की सहायता से हम देख पढ़ या सुन लेते है। तीनों माध्यम मनोरंजन, ज्ञानवर्धन और सूचना प्रसारण करते हैं। इसी सूचना के अंतर्गत समाचार आते हैं।

समाचार पत्र को प्रिंट मिडिया कहा जाता है। इसमें विविध समाचार एजंसियाँ तथा रिपोर्टर समाचार प्राप्त करते हैं। उप संपादक प्राप्त समाचारों का लेखन करता है, मुद्रित सामग्री की त्रुटियाँ मुद्रित शोधक दूर करता है और उसे शुद्ध, समुचित, मानक साहित्यिक भाषाई रूप प्रदान करता है। उसके बाद प्रधान संपादक की ओर से हरी झंडी मिलने पर छपाई शुरू होती है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 15 समाचार जन से जनहित तक 1

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 15 समाचार : जन से जनहित तक

दूरदर्शन/टी.वी चैनल्स (विजुअल) दृश्य मीडिया है। इस माध्यम द्वारा समाचार प्रस्तुत करने में प्रोड्युसर इंजीनियर, कैमरामैन, फ्लोर मैनेजर, वीडियो संपादक, ग्राफिक आर्टिस्ट आदि कई लोग शामिल होते हैं। समाचार लेखन, वाचन और प्रसारण का काम पूरी टीम करती है।

समाचार वाचक के लिए टेलीपॉप्टर की सुविधा होती है। समाचार वाचक के लिए प्रभावशाली व्यक्तित्व के साथ-साथ सुयोग्य आवाज, शुद्ध उच्चारण, भाषा का ज्ञान आदि आवश्यक है।

समाचार प्राप्त करने के अनेक साधन हैं समाचार एजेंसियाँ, प्रेस विज्ञप्तियाँ (press release), भेट वार्ताएँ (interview), राजनीतिक पार्टियों के प्रवक्ता, मोबाइल पर रिकॉर्ड की गई कोई जानकारी आदि। समाचार का स्वरूप भी बहुत विस्तृत है। राजनीतिक, खेल, व्यापार, रोजगार, विज्ञान, बजट, चुनाव, कृषि, स्वास्थ्य आदि से संबंधित समाचार प्रसारित होते हैं। समाचार की भाषा सरल और सहज होनी चाहिए।

समाचार में ऐसी बात न हो जिससे किसी धर्म, जाति या वर्ग की भावना को चोट पहुँचे। समाचार प्रस्तुति राष्ट्रहित, एकता और अखंडता को ध्यान में रखकर होनी चाहिए।

आज इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएँ बढ़ गई हैं। यू.पी.एस.सी. की परीक्षाएँ देकर रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।

समाचार : जन से जनहित तक शब्दार्थ :

  • वैश्वीकरण = globalization,
  • सैटेलाइट = उपग्रह (satellite),
  • प्रस्तुति = निष्पत्ति (presentation),
  • प्रतिबद्धता = संकल्पबद्धता, वचनबद्धता (commitment),
  • संलग्न = जुड़ा हुआ (attached),
  • ललक = उत्कंठा, चाहत (desire),
  • मुद्रित = छपा हुआ (printed),
  • त्रुटियाँ = भूल-चूक (error), Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 15 समाचार : जन से जनहित तक
  • संकेत = निशान, चिह्न (sign),
  • साक्षात्कार = मुलाकात, भेंट वार्ता (interview),
  • प्रवक्ता = अधिकारिक रूप से बोलने वाला व्यक्ति (representative),
  • स्त्रोत = उद्गम स्थान, भंडार (source),
  • परिचर्चा = संगोष्टी, गुफ्तगू (discussion),
  • स्वर = आवाज (voice, vocal)

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 6 DBMS (PostgreSQL)

Balbharati Maharashtra State Board Class 11 Information Technology Solutions Practicals Skill Set 6 DBMS (PostgreSQL) Textbook Exercise Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 6 DBMS (PostgreSQL)

SOP 1: Create a database, using Postgres SQL named hospital.

  • In this database, create a table of patients with the following fields
    Patient_ID, Patients_Name, Address, Room_number and Doctor’s_name.
  • Give appropriate data type for each field.
    Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 6 DBMS (PostgreSQL) SOP 1

Answer:
Step 1: Open Command Terminal. Switch over to the Postgres account on your server by typing.
$ sudo -i -u Postgres

Step 2: You can now access a Postgres prompt immediately by typing.
$ psql

Step 3: To create a database hospital;
create database hospital;

Step 4: Connect to Database using \c
\c hospital;

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 6 DBMS (PostgreSQL)

Step 5: Create a table in the database. Create Table Command is used.
create table patients(patients_Id Integer,patients_name text,Address text,Room_number integer,Doctor_name text);

Step 6: Let’s see the result of the patient’s table.
select * from patients;
or
\d patients;

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 6 DBMS (PostgreSQL) SOP 1.1

SOP 2: Create a database using PostgreSQL named Schoolmaster.

  • In this database create a table of students with the following fields
    student_ID, student_name, Address, Phone_number, Date_of_Birth.
  • Give appropriate data types for each field. Enter at least 5 records.

Answer:
Step 1: Create a database School-Master.
create database school_master;

Step 2: Now To connect the database use \c Command.
\c database school_master;

Step 3: Create a table of students with the following fields.Give appropriate data type for each Field.
student_ID, student_name, Address. Phone_number, Date_of_Birth.
create table students(student_ID integer, student_name text,Address_text,Phone_number integer,Date_of_Birth date);

Step 4: Enter at least 5 records.
Insert into students values(001,’ZAHRA LALANIVMAZGAON’,123456789,’20-08-2000’);
Insert into students values(002,’MUHAMMAD LALANI’/BYCULLA’, 987654210,’30-01-2000’);
Insert into students values(003,’KUNAL KAPOOR’,’WALKESHWAR’, 987224210,T5-7-2000’);
Insert into students values(004,’AKSHAY SINGH’,’CHARNI ROAD’. 937224210,’19-6-2000’);
Insert into students values(005,’RUKHSHAR BANU ’,’DIWANPARA’, 937226210,’18-8-2000’);

Step 5: Show all records using select command
seleet*from students:

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 6 DBMS (PostgreSQL) SOP 2

SOP 3: Given the list of fields: Empld, EmpName, EmpDepartment, Salaryld, Salary Amount, Bonus in the tables Employee and Salary respectively. Define primary key, foreign key and segregate for above fields into employee and salary table. Also create a one-to-one relationship between Employee and Salary Table.
Answer:
Step 1: Create a school database
Create database school;

Step 2: connect to database \c databasename;
\c school;

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 6 DBMS (PostgreSQL)

Step 3: In this database create two tables Employee and Salary with the following fields. Define primary key, foreign key and segregate for above fields into employee and salary table. Empld, EmpName, EmpDepartment, Salaryld, SalaryAmount, Bonus.
Create table salary(salaryld Integer PRIMARY KEY,Salaryamount integer,Bonus integer);
Create table employeefEmpId integer PRIMARY KEY,EmpName text,EmpDept text,Salaryld integer,FOREIGN KEY(salary ID)”REFERENCES Salaryfsalary id));

Step 4: See both tables
select*from salary;
select*from employee;

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 6 DBMS (PostgreSQL) SOP 3

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 5 Digital Content Creation (GIMP, Inkscape)

Balbharati Maharashtra State Board Class 11 Information Technology Solutions Practicals Skill Set 5 Digital Content Creation (GIMP, Inkscape) Textbook Exercise Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 5 Digital Content Creation (GIMP, Inkscape)

SOP 1: Use of Toolbox and editing an image using GIMP.

  • Create an image by using Toolbox controls from GIMP.
  • Insert the image in an already created image.

Answer:
Step 1: Click GIMP Image Editor

Step 2: Create a blank New image
File → New (Ctrl + N)

Step 3: Change the foreground and background colour uses the Blend Tool.

Step 4: We will create a kid’s cap using toolbox controls.

Step 5: Draw colour oval (Ellipse). Change the background colour and foreground colours with three different Ellipse(oval) . Create a layer for each and every Ellipse.

Step 6: To add text, you’ll need to access your “Text Tool”. You can find your Text Tool in your Toolbox window.

Step 7: To make this image visible to people larger, select your “Scale Tool” from your Toolbox window.

Step 8: To save your image select Export as, select proper type, and click on export.

Step 9: Insert the image in an already created image.
Click on File → Open → Image → As Layer.
Move the image to the desired location and merge to the original image.

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 5 Digital Content Creation (GIMP, Inkscape)

SOP 2: Use GIMP for the following.

  • Create a new image
  • Put your name using the text tool.
  • Use various filters to make a logo of your name.
  • Auto crop image to text size.

Answer:
Use of Toolbox and editing an image using GIMP.
Create an image by using Toolbox controls from GIMP.

Step 1: click on the GIMP image Editor icon

Step 2: Create blank image File → Text document (Ctrl+N)

Step 3: Creates balloon image having very attractive colours using toolbox controls.

Step 4: Now change the foreground and background colour using the Blend tool (shot cut L). Drag the mouse from left to right on your canvas after release the mouse canvas will be filled by the gradient of foreground and background colour.

Step 5: Next click on the Text Tool (Short cut T)

Step 6: Using the Move tool, we can move the text roughly to the center of the image but instead we prefer to put it precisely in the center using the Align tool. Click on align tool (Short cut Q) and then select the text Layer and text.

Step 7: Drawing coloured oval (Ellipse). Change the background and foreground colours again with two different colours. We have to choose red and yellow colour respectively.

Step 8: Using the move tool place these ovals near the text. Select the layers one by one and merge them.
Layer → Merge Down. Now we have colourful single layer. Let us create a ballon from the canvas.

Step 9: Do Filters → Map → Map Object. Check ‘Update preview live’ and uncheck the ‘Transparent Background’.

Step 10: We will tweak the balloon further and give it a more realistic shape. Apply the Distort Filter with curve Bend option, i.e, Filter → Distort → Curve Bend. In the resulting dialog choose automatic preview and Lower curve border. Then drag the Mid Point of the Curve Indicator line using the mouse.

SOP 3: Use Inkscape for the following.

  • Draw a simple landscape using basic geometric shapes.
  • Use gradient tool for the same.

Answer:
Step 1: Select the tool button from the left toolbar showing the circle icon.

Step 2: Drag it with the mouse to any place in the client area. You will get an ellipse. To get the exact shape, press the CTRL key while dragging.

Step 3: After the ellipse is complete choose the selection tool from the left toolbar, then click on the ellipse, it will show 8 size handles. You can resize it by dragging those handles.

Step 4: To fill the ellipse with color, just click on any color given in the bottom color palette. Also, you can click on Menu object → Fill and stroke. It will give RGB color options, you can use any combinations from it.

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 5 Digital Content Creation (GIMP, Inkscape)

SOP 4: Use Inkscape for the following.

  • Load an Id size image,
  • Make 12 copies of it.
  • Arrange in 4 rows × 3 columns on an A4 size page.

Answer:
Step 1: Open Inkscape Vector Graphics Editor.

Step 2: File → New (Ctrl +N). Now Click on Document properties and select paper size A4.

Step 3: Import a bitmap or Svg Image into this document (Ctrl+l)

Step 4: Create 12 copies of it (4 rows and 3 columns) Create duplicate (Ctrl + D) images and set them in the proper grid.

Step 5. Arrange in 4 rows and 3 columns on an A4 size page.

SOP 5: Use Inkscape for the following.

  • You are starting a new business.
  • Create an advertisement to be published in a local newspaper promoting your product or services.
  • Size should be 210 × 210 mm.
  • Create your own visiting card using Inkscape.

Answer:
Steps to create advertisement:

Step 1: Choose a distinctive font and type some articles.

Step 2: Resize the text and press the long CTRL key to preserve the aspect ratio.

Step 3: Then outset it (Path → Outset)

Step 4: Change the color and resize down to the size.

Step 5: Now duplicate the text for the border.

Step 6: Color the duplicate temporarily in any random, non-white color (we need to see it over the white background) and move it under the initial text.

Step 7: Apply the outset effect (no need to resize this time, we are working on a rough border) and make it white.

Step 8: Duplicate the white border and make the duplicate black.

Step 9: Move the black duplicate at the bottom of the stack and shift it one or two pixels down and to the left for a drop shadow effect.

Step 10: Open the “Fill and Stroke” dialog and add a bit of Gaussian Blur and decrease the opacity.

Step 11: Post your finished work.

Steps to Create Visiting Card:

Step 1: To create a new empty document, use File → New → Default or press Ctrl+N.
To use File → New → Templates… or press Ctrl+Alt+N

Step 2: To click on document properties (Shift+Ctrl=D) and select Business card paper size.

Step 3: Click on the text menu and select Align and Distribute to align the card.

Step 4: Use the snap to the page border tool and Drag the Rectangles on the card.

Step 5: Specify the Height and width in inches. Width=3.75 Height=2.25

Step 6: Select the rectangle → Open Fill and stroke Toolbar → select linear gradient tool to show a border. Align the content.

Step 7: Set the ruler position.

Step 8: Create Layers. Now Draw the Circle on the card and set the fill and stroke properties.

Step 9: Change the object colour and create a duplicate object (ctrl+D)

Step 10: Select both objects → to go to the path menu → select difference. Now Select the Second object → to create duplicated object → change the object colour.

Step 11: Select Second duplicate Object → path → select difference → select flip selected object.
Select Edit Text Object Control → Type your Name, your website, Email ID, Phone in one, and Insert Logo.

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 5 Digital Content Creation (GIMP, Inkscape)

SOP 6: Using Inkscape make the following picture.
Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 5 Digital Content Creation (GIMP, Inkscape) SOP 6
Answer:
Step 1: Open Inkscape Vector Graphics Editor File → New

Step 2: Select Circles, Ellipses to create circles.

Step 3: Change the colours of the object. Use Draw freehand line tool.

Step 4: For the middle body, again click on the ellipse, select white color and click and drag on the place you want.

Step 5: For Head again choose ellipse tool ALT + CTRL to create a perfect circle, resize it and drag it on the proper place.

Step 6: For eyes, zoom in and choose the circle tool, select the proper color, press ALT+CTRL to resize it, and choose another circle, set black color, and draw a circle inside it.

Step 7: Press CTRL+D to make a duplicate and place it on another side.

Step 8: Create Hands. Create duplicate images → path → differences.

Step 9: Create legs using star tools → merge all starts → path → union.

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 4 Accounting Package (GNUKhata)

Balbharati Maharashtra State Board Class 11 Information Technology Solutions Practicals Skill Set 4 Accounting Package (GNUKhata) Textbook Exercise Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 4 Accounting Package (GNUKhata)

SOP 1: Use of Accounting Package to create a company.
Create a company with the following particulars.
Company Name: B.B Enterprises
Case: Upper Case
Company Type: Profit Making
Financial Year: 01-04-2019 to 31-03-2020
Use GNUKhata for: Accounting Only
Create a profile with relevant data for any company. Create an Admin account for the company.
Answer:
Step 1: Open GNUKhata Application. Click on ‘company Setup Wizard’ or (press shift + control + C)

Step 2: While creating a company the following details are to be given.
Company Name: B.B Enterprises
Case: Upper Case
Company Type: Profit Making
Financial Year: 01/04/2019 to 31/03/2020
Use GNUKhata for: Accounting Only
Fill in all the required details and click on proceed button on the right button corner.

Step 3: Enter Appropriate Company Information in the Given Field.
Company Profile window appears, in that window fill in the details and click on proceed button on the right bottom corner.

Step 4: Create Admin Next step is the ‘create Admin’ which is mandatory with proper user name and password. Fill in the fields and click on ‘Create & Login button, the company will be created.
Now your Company is ready.

Step 5: Admin Dashboard After login, the following admin dashboard, appears.

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 4 Accounting Package (GNUKhata)

SOP 2: Create ledger accounts using the accounting Package.
Create ledger accounts for the following and allocate proper groups.

  1. Import duty
  2. Insurance
  3. Machinery
  4. Audit Fee
  5. Purchase
  6. Sales
  7. Telephone charges
  8. Interest Received
  9. Salary
  10. Professional fees

Answer:
Step 1: You Can select an already created company using the ‘Select Existing Company ’ Option on Opening Screen.

Step 2: Log in with User Name and Password

Step 3: To create an account (ledger account) click on the Hamburger Menu available at the left top corner of the dashboard.
Click on the Master Account → It allows you to create an account.
The following table shows the group name, sub-group name, and account name which are to be created.

Group Name Sub Group Name Account / Ledger Name
Direct Expenses None Import Duty
Indirect Expenses None Insurance
Fixed Assets Plant & Machinery Machinery
Indirect Expenses None Audit fee
Direct Expense None Purchase
Direct Income None Sales
Indirect Expense None Telephone charges
Indirect Income None Interest received
Indirect Expense None Salary
Direct Income None Professional Fees

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript)

Balbharati Maharashtra State Board Class 11 Information Technology Solutions Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript) Textbook Exercise Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript)

SOP 1: Create a JavaScript program for the following using appropriate variables, JavaScript inbuilt functions, and control structures.

  • To accept an integer and display the result by multiplying it with 3.
  • To accept two integers and display a larger number of them.
  • To check whether the user entered number is positive or negative.

Answer:
To accept integer and display the result by multiplying it with 3.
<!DOCTYPE html>
<head>
<title>To accept integer and display the result by multiplying it with 3.</title>
</head>
<body>
<script language=”javascript”> var a,no,ans;
a=prompt(Enter any value’);
no=parseInt(a);
ans=no*3;
document.
write(“The answer is :”+ans);
</script>
</body>
</html>

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript) SOP 1

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript) SOP 1.1

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript)

To accept two integers and display larger number of them.
<!DOCTYPE html>
<head>
<title>To accept two integers and display larger number of them.</title>
</head>
<body>
<script language=”javascript”>
var a,b;
a=prompt(‘Enter first value’);
b=prompt(‘Enter second value’);
if(a>b)
document.write(“a is large number than b “);
else
document. write(“b is large number than a”);
</script>
</body>
</html>

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript) SOP 1.2

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript) SOP 1.3

To check whether, user entered number is positive or negative.
<!DOCTYPE html>
<head>
<title>To check whether, user entered number is positive or negative</title>
</head>
<body>
<script language=”javascript”>
var a,no;
a=prompt(‘Enter any number’);
no=parseInt(a);
if(no>0)
document.write(“Number is Positive”);
else
document.write(“Number is Negative”);
</script>
</body>
</html>

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript) SOP 1.4

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript) SOP 1.5

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript) SOP 1.6

SOP 2: Create a JavaScript program for the following using appropriate variables, JavaScript inbuilt functions, and control structures.

  • To accept two positive or negative numbers and check whether they are equal or not.
  • To accept a number and display the square of it.
  • To check whether the accepted integer is multiple of 3 or multiple of 7.

Answer:
To accept two positive or negative numbers and check whether they are equal or not.
<!DOCTYPE html>
<head>
<title>program3</title>
</head>
<body>
<script language=”javascript”> var no1,no2;
no1=prompt(‘Enter first number’);
no2=prompt(‘Enter Second number’);
if(no1==no2)
document.write(“Both are equal”);
else
document.write(“Given numbers are not equal”);
</script>
</body>
</html>

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript)

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript) SOP 2

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript) SOP 2.1

To accept number and display square of it.
<!DOCTYPE html>
<head>
<title>To accept number and display square of it</title>
</head>
<body>
<script language-’j avascript”>
var no,sqr;
no=prompt(‘Enter Any number’);
sqr=no*no;
document, write (“The Square is=”+sqr);
</script>
</body>
</html>

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript) SOP 2.2

To check whether the accepted integer is multiple of 3 or multiple of 7.
<!DOCTYPE html>
<html>
<head>
<title>To check whether the accepted integer is multiple of 3 or multiple of 7.</title>
</head>
<body>
<script language=JavaScript>
var a;
a=prompt(“Enter your first interger / number”);
if(a%3==0 | | a%7==0)
alert(“multiple of 3 or 7”);
else
alert(“not a multiple of 3 or 7”);
</script>
</body>
</html>

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript) SOP 2.3

SOP 3: Create a JavaScript program for the following using appropriate variables, JavaScript inbuilt string functions, and control structures.

  • To accept a string and calculate its length.
  • To accept a string and display it in lowercase and uppercase.
  • To check whether the length of the string is 4 or greater.

Answer:
To accept a string and calculate its length.
<!DOCTYPE html>
<head>
<title>program8</title>
</head>
<body>
<script language=”javascript”>
var a;
a=prompt(‘Enter string’);
document.write(“The length is=”+a.length);
</script>
</body>
</html>

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript)

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript) SOP 3

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript) SOP 3.1

To accept string and display it into lowercase and uppercase.
<!DOCTYPE html>
<head>
<title> To accept string and display it into lowercase and uppercase</title>
</head>
<body>
<script language=”javascript”>
var a;
a=prompt(‘Enter any string’);
document.write(“<br>Entering Strings “+a);
document.write(“<br>Lowercase=”+a.toLowerCase());
document.writeln(“<br>Uppercase=”+a.toUpperCase());
</script>
</body>
</html>

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript) SOP 3.2
To check whether the length of string is 4 or greater.
<!DOCTYPE html>
<html>
<head>
<title> JavaScript</title>
</head>
<body>
<script language=JavaScript>
var a,b;
a=prompt(“Enter your text”);
b=a.length;
if(b=4 || b>=4)
alert(‘‘your length is 4 or greater”);
else
alert(“your text length is below 4”);
</script>
</body>
</html>

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript) SOP 3.3

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript) SOP 3.4

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript)

SOP 4: Create event-driven JavaScript programs for the following using appropriate variables, JavaScript inbuilt functions, and control structures.
To accept numbers and validate if the given value is a number or not by clicking on the button.
Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript) SOP 4.4
To calculate the addition and division of two numbers.
Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript) SOP 4.5
Answer:
To accept number and validate if the given value is a number or not by click
<!DOCTYPE html>
<html>
<head>
<title> To accept number and validate if the given value is a number or not by clicking on the button.
</title>
</head>
<script language-’JavaScript”>
function display()
{
var a,b;
a=form1.t1;value;
if(a>=0)
alert(“Value is a number”+” “+a);
else
alert(“Value is a string”+” “+a);
}
</script>
</head>
</body>
<form name=form1>
Enter Value: <Input type=text name=t1><br><br>
<Input type=button value=Check onClick=”display()”>
</form>
</body>
</html>

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript) SOP 4

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript) SOP 4.1

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript) SOP 4.2

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript)

To calculate addition and division of two numbers.
<!DOCTYPE html>
<head>
<title>To calculate addition and division of two numbers.</title>
<script langauge=”javascript”>
function add()
{
var a,b,result;
a=f1.t1.value;
b=f1.t2.value;
result=parselnt(a)+parselnt(b);
document.write(“The Addition is =”+result);
}
function div()
{
var a,b,d;
a=f1.t1.value;
b=f1.t2.value;
d=parselnt(a)/parselnt(b);
document.write(“The Divide is =”+d);
}
</script>
</head>
<body>
<form name=”f1”>
1st Number : <input type=”text” name=”t1”><br>
2nd Number : <input type=”text” name=”t2”><br>
<input type=”button” value=”Addition” name=”b1” onClick=”add()”>
<input type=”button” value=”Division” name=”b2” onClick=”div()”>
</form>
</body>
</html>

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 3 Client Side Scripting (JavaScript) SOP 4.3

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ

11th Hindi Digest Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ Textbook Questions and Answers

पाठ पर आधारित

प्रश्न 1.
मनोरंजन के क्षेत्र में हिंदी भाषा के माध्यम से रोजगार की संभावनाएँ लिखिए।
उत्तर :
आधुनिक जमाने में मनोरंजन एक उद्योग के रूप में उभरकर आया है। टी. वी. ने असंख्य कलाकारों, संगीतकारों, गायकों के लिए रोजगार का महाद्वार खोला है। इसके अलावा हिंदी रचनाकारों, संवाद-लेखकों, पटकथा-लेखकों और गीतकारों के लिए भी नए-नए अवसर प्राप्त हो रहे हैं।

कई प्रसिद्ध धारावाहिकों के अनुवाद में भी रोजगार की संभावनाएँ हैं। कार्टून फिल्मों में भी डबिंग (पार्श्व आवाज) के लिए अनेक संभावनाएँ हैं।

फिल्म क्षेत्र में पटकथा लेखन, संवाद-लेखन, गीत लेखन, कलाकारों के लिए हिंदी का सही उच्चारण सिखाने के लिए प्रशिक्षक के रूप में रोजगार की संभावनाएँ हैं।

रेडियो एक पुराना माध्यम है। रेडियो में रूपक, नाटक, धारावाहिक, समाचार-लेखन, भाषण, वाचन इन क्षेत्रों में अवसर प्राप्त हैं। इसके अलावा रेडियो जॉकी का काम भी आज के जमाने की माँग है।

प्रकाशन क्षेत्र में भी पुस्तकों के लिए मुद्रित शोधन, समाचार पत्रों में संपादक, पत्रकार, अनुवादक, स्तंभ लेखक इन जैसे विविध रोजगार को पाने के लिए हिंदी भाषा पर अधिकार होना जरूरी है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ

प्रश्न 2.
‘अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी रोजगार की भाषा बनती जा रही है’, इसपर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
भूमंडलीकरण (globalization) के इस युग में आज दुनिया बिल्कुल नजदीक आ गई है। भारत जैसी बड़ी आबादी वाले देश में अनेक विदेशी कंपनियाँ व्यापार के लिए इच्छुक हैं। यही कारण है कि दुनिया के 127 देशों के विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है।

इन देशो में हिंदी अध्यापक का कार्य करना एक सुअवसर है। दुनिया के लगभग सभी देशों में हमारे दूतावास हैं। इसी तरह दुनिया के तमाम देशों के दूतावास हमारे देश में भी हैं। इनमें से कई दूतावासों में अब हिंदी विभाग की स्थापना हो चुकी है। इस विभाग में हिंदी अधिकारी, हिंदी अनुवादक, हिंदी सहायक जैसे पद उपलब्ध होते हैं। इन विभागो द्वारा पत्राचार, समाचार, रिपोर्ट हिंदी में भेजने के लिए हिंदी विशेषज्ञों का विशेष महत्त्व है।

अन्य देशों के पर्यटक हमारे देश में आते हैं। बहुभाषी लोगों के लिए ‘टुरिस्ट गाइड’ का काम यह एक नया रोजगार है। विदेशी कंपनियों की वस्तुएँ भारत में बेचने के लिए भी मैनेजर से लेकर विक्रेता तक अनेक प्रकार के पदों पर रोजगार पाना समय की माँग है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर हिंदी में रोजगार की संभावनाओं का वर्गीकरण करते हुए तालिका बनाइए।
(१) मनोरंजन
(२) विज्ञापन
(३) अनुवाद
(४) अंतर्राष्ट्रीय
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ 1

व्यावहारिक प्रयोग
प्रश्न 1.
‘जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी’ यह विज्ञापन आप रेडियो के लिए नए तरीके से तैयार कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ 2

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ

प्रश्न 2.
‘उच्च माध्यमिक हिंदी शिक्षक पद’ का विज्ञापन पढ़कर उसे ऑनलाईन भरने की आवश्यक प्रक्रिया की जानकारी लिखिए।
उत्तर :

  • उम्मीदवार विज्ञप्ति के अनुसार अंतिम तारीख से पहले ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर लिंक ओपन करें।
  • लिंक ओपन होने के बाद यूजर आई. डी. पासवर्ड देकर रजिस्ट्रेशन करें।
  • इसके बाद आधिकारिक सूचनाओं को ध्यान से पढ़ें।
  • फिर ऑनलाइन आवेदन पर क्लिक करें। फिर सभी आवश्यक और महत्त्वपूर्ण विवरण को भरें। (उदा. वैयक्तिक जानकारी, उम्र, शैक्षणिक योग्यता आदि)
  • सभी दस्तावेज, फोटो तथा हस्ताक्षर अपलोड करें।
  • फिर आवेदन शुल्क का भुगतान करें।
  • इसके बाद ऑनलाइन आवेदन फॉर्म सबमिट करें। (सबमिट करने से पहले जानकारी भरने में गलती न हो इसलिए एक बार जाँच लें।)
  • इसके बाद आवेदन पत्र का प्रिंट आऊट लें, जो आपको भविष्य में काम आएगा।

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ Summary in Hindi

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ लेखक परिचय :

डॉ. दामोदर खड़से जी हिंदी जगत् में एक प्रख्यात कवि, कथाकार, उपन्यासकार, अनुवादक आदि अनेक रूपो में माहिर है। आपका जन्म 11 नवंबर 1948 को छत्तीसगढ़ के कोरिया में हुआ। आपने बैंकिग तथा तकनीकी शब्दावली का भी निर्माण किया है।

कंप्यूटर एवं बैंकिग प्रशिक्षण को सुगम बनाने के लिए आपने योगदान दिया है। आप तीस वर्षों तक बैंक में सहायक महाप्रबंधक (general manager) (राजभाषा) के रूप में कार्यरत थे।

एक सशक्त लेखक के साथ-साथ आप एक सफल वक्ता भी हैं। आपको साहित्य अकादमी पुरस्कार के अलावा अनेक राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

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हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ रचनाएँ :

काला सूरज, भगदड़, बादल राग (उपन्यास) सन्नाटे में रोशनी, नदी कभी नहीं सूखती आदि (कविता संग्रह) भटकते कोलंबस, पार्टनर, गौरेया को तो गुस्सा नहीं आता (कहानी संग्रह), मराठी से हिंदी में अनुवाद – 21 कृतियाँ

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ विधा परिचय :

भाषण एक कला है। अपने विचारों से जनमानस को अवगत करने वाला यह एक सशक्त माध्यम है। भाषण द्वारा श्रोताओं को प्रभावित करना, उन्हें प्रेरित करना आदि उसकी विशेषताएँ हैं। हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ यह पाठ लेखक के एक भाषण का संकलित अंश है।

भारत में स्वामी विवेकानंद, पं. जवाहरलाल नेहरू, सरोजिनी नायडू, सरदार पटेल आदि महापुरुषों के भाषण विश्व में प्रसिद्ध हैं।’

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ विषय प्रवेश :

‘हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ’ यह पाठ लेखक डॉ. दामोदर खड़से जी के भाषण का संकलित अंश है। इस भाषण से हिंदी के माध्यम से अलग-अलग क्षेत्रों में विविध प्रकार के रोजगार को प्राप्त करने की संभावनाएं बताई गई हैं। हिंदी भाषा का महत्त्व बढ़ाना यह इस भाषण का हेतु है।

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ सारांश :

लेखक के मतानुसार हिंदी भाषा के अध्ययन से छात्रों को भविष्य में अनेक क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकते हैं।

केंद्र सरकार कार्यालय : भारत संघ की राजभाषा हिंदी होने के कारण मंत्रालय, संसद तथा सरकारी कार्यालयों में हिंदी पत्राचार का निर्धारित लक्ष्य दिया गया है। केंद्र सरकार के कार्यालयों में अनुवादक, लिपिक, अधिकारी, राजभाषा अधिकारी, निर्देशक (director), उपनिर्देशक इन जैसे विविध प्रकार के रोजगार संभव है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ 3

विज्ञानपन क्षेत्र : हिंदी की प्रकृति विज्ञापन के लिए बहुत लाभदायी एवं महत्त्वपूर्ण है। विज्ञापन के क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक और मुद्रित मिडिया में हिंदी विज्ञापनों की भरमार होती है। इस क्षेत्र में विज्ञापन लेखन, कॉपी रायटर, विज्ञापन का प्रसारण आदि रोजगार के अवसर प्राप्त है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ

मनोरंजन : मनोरंजन का क्षेत्र हिंदी के जानकारों के लिए रोजगार का मानो एक महाद्वार है। मनोरंजन के लिए आजकल टी. वी., फिल्म, रेडियो, वेब दुनिया जैसे अनेक क्षेत्र खुले हैं। इन सभी में हिंदी रचनाकार, गीतकार, संगीतकार, गायक, अनुवादक, पटकथा-लेखक, संवाद-लेखक, कलाकार, पार्श्व आवाज (डबिंग), रेडियो जॉकी, रेडियो रूपक, नाटक, भाषण, वाचन तथा प्रकाशन क्षेत्र में मुद्रक, मुद्रित शोधन (proofreading), पत्रकार, अनुवादक इन जैसे विविध प्रकार के रोजगार मौजूद है।

तकनीकी क्षेत्र : आज का युग यंत्रज्ञान का युग है। तकनीकी क्षेत्र में भी आजकल हिंदी ने प्रवेश किया है। अंतरिक्ष (space) विभाग, परमाणु (atom) विभाग, रसायन और उर्वरक (fertilizer) विभाग, जलपोत परिवहन, भारी उद्योग इन सभी क्षेत्रो में हिंदी का प्रयोग हो रहा है।

संगणक के आगमन के साथ प्रयोजनमूलक (purposeful) हिंदी की आवश्यकता बढ़ रही है। इससे आलेखन, टिप्पणी, पत्राचार, अनुवाद, शब्दावली का निर्माण तथा अनुवाद विषयक उपयोगिता बढ़ी है। गूगल में किए गए अनुवाद का उपयोग जनमानस तक पहुँच रहा है।

मोबाइल, टैब, लैपटॉप आदि में हिंदी का प्रयोग, हिंदी माध्यम में तकनीकी विषयों का प्रशिक्षण आज एक बड़ा महत्त्वपूर्ण कार्य बन चुका है।

पारिभाषिक शब्दावली का कार्य, दवाई कंपनियों में दवाई से संबंधित सूचनाओं का हिंदी अनुवाद, रेल, टेलिफोन, बैंक, बीमा, शेयर मार्केट इन सभी के लिए पारिभाषिक शब्दावली, हिंदी अनुवाद का महत्त्व है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ 4

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोजगार : हिंदी आज दुनिया की एक महत्त्वपूर्ण भाषा बन गई है। आज 127 देशों के विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है। दुनिया के लगभग सभी देशों में हमारे दूतावास हैं। अन्य देशों के भी दूतावास (embassy) हमारे देश में हैं।

इन में से कई दूतावासों में अब हिंदी विभाग की स्थापना हो चुकी है। इन विभागों में हिंदी अधिकारी, अनुवादक, हिंदी सहायक, पत्राचार, समाचार, रिपोर्टों का लेखन आदि अनेक प्रकार की नौकरियाँ उपलब्ध हैं।

पर्यटन क्षेत्र : पर्यटन क्षेत्र आज एक प्रमुख व्यवसाय बन रहा है। पर्यटन क्षेत्र में बहुभाषी लोगों को ज्यादा मौका है। पर्यटक स्थानीय भाषा नहीं जानते। उनसे संवाद स्थापित करने के लिए, पर्यटकों को मार्गदर्शन या स्थलों की जानकारी देने के लिए हिंदी का उपयोग होता है। ‘टुरिस्ट गाइड’, यह रोजगार यहाँ उपलब्ध है।

अन्य क्षेत्र : फिल्म, टी. वी. में ‘डाक्यूमेंटरी लेखन’ खेल जगत में कमेंटरी करना, खेल की समालोचना करना आदि भी कुछ क्षेत्र हिंदी भाषा प्रभुओं के लिए उपलब्ध है।

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ शब्दार्थ :

  • निपुणता = प्रविणता (efficiency),
  • लिपिक = मुंशी (clerk),
  • गठन = निर्माण, संस्थापना (formation),
  • धारावाहिक = मालिका (serial),
  • अन्वेषक = संशोधक (investigator),
  • तकनीक = यंत्रज्ञान (technique),
  • दायित्व = जिम्मेदारी (responsibility),
  • स्नातकोत्तर = पदव्युत्तर (postgraduate).

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

11th Hindi Digest Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी Textbook Questions and Answers

विधा पर आधारित

1.
प्रश्न अ.
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए –

(a) लिखिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 13

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

(b) नुक्कड़ नाटक के विषय
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 2
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 15

(c) नुक्कड़ नाटक के उपयोग
(क) …………………………..
(ख) …………………………..
(ग) …………………………..
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 17

प्रश्न 2.
नुक्कड़ नाटक की विशेषताएँ तथा स्पष्टीकरण

(1) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..

(2) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..

(3) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..

(4) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..

(5) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..

(6) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..
उत्तर :
(1) विशेषता : तात्कालिकता
स्पष्टीकरण: यह नाटक किसी भी तात्कालिक समस्या को प्रस्तुत करता है।

(2) विशेषता : गतिशीलता
स्पष्टीकरण : नाटक में पात्र, विषय, दर्शक तेजी से गंतव्य की ओर बढ़ते हैं।

(3) विशेषता : अचूक लक्ष्य
स्पष्टीकरण : यह हथियार की तरह समस्या को खत्म करता है।

(4) विशेषता : संक्षिप्तता
स्पष्टीकरण : नाटक में लंबे संवाद, विषय विस्तार नहीं होता है।

(5) विशेषता : सहज भाषा
स्पष्टीकरण : नाटक की भाषा सहज, स्वाभाविक और रोचक होती है।

(6) विशेषता : व्यंग्य शैली
स्पष्टीकरण : समस्या व्यंग्यात्मक शैली में प्रस्तुत की जाती है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

नाटक पर आधारित
आकलन

प्रश्न आ.
सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए –
(1) कारण लिखिए

(क) किसान ट्यूबवेल नहीं लगा पाता
(a) ………………………………..
(b) ………………………………..
उत्तर :
(a) पानी का स्तर नीचे चला गया है।
(b) बिजली नहीं होती है।

(ख) पूरा शहर स्विमिंग पुल बन जाता है
(a) ………………………………..
(b) ………………………………..
उत्तर :
(a) कूड़ा-कचरा और प्लास्टिक का नालों में अटकना
(b) सीवर की निकासी रुकना।

प्रश्न 2.
लिखिए –
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 3
उत्तर :
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(ख) विकास के नाम पर किया गया
(1) प्रकृति का – ………………………………..
(2) जमीन को – ………………………………..
(3) हवा को – ………………………………..
उत्तर :
(1) प्रकृति का – दोहन / शोषण
(2) जमीन को – वंजर
(3) हवा को – दूषित

(ग) ए.सी. से निकलने वाली गैस से यह होता है ………………………………..
उत्तर :
ओजोन की परत में छेद होता है।

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प्रश्न 3.
उत्तर लिखिए

(क) माँ अपने बेटे के लिए खून नहीं खरीद सकी
(1) ………………………………..
(2) ………………………………..
उत्तर :
(1) जो पैसे आते हैं, दवाई में खर्च होते हैं।
(2) जो बचते हैं स्कूल की फीस में खर्च होते हैं।

(ख) संजाल पूर्ण कीजिए
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उत्तर :
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अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
बंजर होती जा रही खेती को बचाने के उपाय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
आज के जमाने में हर किसान खेती में कीटनाशकों का प्रयोग करता है। खेती में यूरिया, रासायनिक खाद, कीटनाशकों के उपयोग से जमीन की तह तक रसायन के फैलने से जमीन बंजर हो रही है। जमीन के अलावा फल, फसल भी रसायनयुक्त होने से बीमारियाँ फैला रहे हैं।

अगर जमीन को बंजर होने से बचाना है तो जरूरी है कि किसान रासायनिक खाद का नहीं, सेंद्रिय खाद का ही उपयोग करें। बार-बार एक ही फसल ना लें। दो-तीन साल बाद एक नई फसल लेने से जमीन को बंजर होने से बचाया जा सकता है। इस दृष्टि से किसानो में जागरूकता निर्माण करनी चाहिए।

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प्रश्न 2.
‘जल संवर्धन आज की आवश्यकता’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
‘जल है तो कल है’ यह आज सबको ध्यान रखना चाहिए। लोग कूपनलिका द्वारा जमीन के अंदर का पानी खींचते हैं जिससे भूजल समाप्त हो रहा है। जमीन पर नदी, तालाब या कुआँ इनमें जो पानी का संचय है उसे हमने प्रदूषित किया है। अत: दिन-ब-दिन पानी की समस्या सता रही है।

चेन्नई में पानी की कमी के बारे में हमने पढ़ा है। सारे जग में ही पानी की समस्या इतनी है कि तीसरा महायुद्ध पानी के कारण ही हो सकता है। अत: जरूरत है पानी का संचय तथा संवर्धन करने की। बारिश का पानी बचाने के लिए ‘रेन वॉटर हार्वेस्टिंग’ की सख्ती बरतना जरूरी है।

भूजल को सुरक्षित रखने के लिए पानी खिंचाव टालना चाहिए। पानी का मनुष्यों द्वारा होनेवाला प्रदूषण रोकना यह हमारे बस की बात है। जिसके लिए जागरूकता निर्माण करना आवश्यक है। ‘नदी-जोड़ प्रकल्प’ पर भी गंभीरता से विचार जरूरी है। इसप्रकार अनेक प्रकार के उपायों से हम ‘जल-संवर्धन’ कर सकेंगे।

प्रश्न 3.
‘ब्लड बैंक समय की माँग’ इस विषय पर स्वमत लिखिए।
उत्तर :
‘रक्तदान परम दान’ कहा जाता है। अन्न दान, संपत्ति दान करके लोग दुआ प्राप्त करते हैं। किंतु सबसे अधिक दुआएँ तभी मिलेगी जब हम किसी को जीवनदान दे पाएँ। रक्तदान से हम किसी का जीवन बचा सकते हैं। रोज हजारों-लाखों लोगों को रक्तदान की जरूरत होती है।

किसी को दुर्घटना की वजह से, किसी को बीमारी के कारण, किसी को कमजोरी के कारण रक्त की जरूरत पड़ती है। अगर हम अपना खून दान में देते हैं तो उसे ब्लड बैंक में सुरक्षित रखा जाता है और जिसको जिस प्रकार के खून की जरूरत है, उस ब्लड ग्रुप का खून विशिष्ट कीमत लेकर दिया जाता है।

ब्लड बैंक मानो उन लोगों के लिए वरदान साबित होता है। ब्लड बैंक न होने से उनकी-शायद मौत हो जाती। अत: जगह-जगह ब्लड बैंक खुलवाना यही समय की माँग है।

प्रश्न 4.
‘रक्त की कालाबाजारी : एक अभिशाप’ अपना मत लिखिए।
उत्तर :
अनाज, गैस इन जैसी कुछ चीजों की कालाबाजारी का नाम सुना था किंतु रक्त की कालाबाजारी यह नहीं सुना था। दुर्भाग्य से यह सच हैं कि कुछ लोग रक्त की कालाबाजारी करके गरीबों को मृत्यु के मुँह में धकेलते हैं। जिस समाज में किसी की जिंदगी बचाने वाले के लिए बार-बार अपना खून दान देने वाले उदार हृदय लोग हैं, उसी समाज में रक्त की कालाबाजारी करके उसे मुँह माँगे दाम में, अमीरों को बेचने वाले कठोरहृदयी निर्मम लोग भी हैं।

ऐसे लोग खून बेचने का व्यवसाय करते हैं, रैकेट चलाते हैं। इनके एजंट लोग झूठ बोलकर इस रैकेट के लोगों का फायदा करवा देते हैं। जो खून सहजता से नहीं मिलता। उसके लिए गरीबों को उस रक्तगट के रक्त की कमी के नाम पर बहुत इंतजार करना पड़ता है। परंतु पैसा देकर अमीर वर्ग जब चाहे, जैसा चाहे और जितना चाहे खून प्राप्त कर सकता है। यह कालाबाजारी अमीर-गरीब के बीच का फासला बढ़ाती है। सचमुच रक्त की कालाबाजारी एक भयानक अभिशाप है।

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लघूत्तरी

प्रश्न 1.
‘मौसम’ नुक्कड़ नाटक में वर्णित समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
अरविंद गौड़ लिखित ‘मौसम’ इस नुक्कड़ नाटक में मानव जीवन से संबंधित विभिन्न सामयिक समस्याओं पर प्रकाश डाला है। मनुष्य भौतिक विकास के नाम पर प्रकृति से छेड़छाड़ कर रहा है, इससे ऋतु चक्र में अनियमितता आ गई है। कहीं धुआँधार बारिश तो कहीं बारिश की कमी।

मनुष्य पानी की प्लास्टिक बोतलें, प्लास्टिक थालियाँ, अन्य चीजें रास्ते पर फेंकता है जो नाले में अटक जाती हैं। नाले की निकासी रुकने से जरा-सी भी बारिश के बाद पानी भर जाता है। कारखानों का मैला, दूषित पानी नदी में छोड़ने से पानी दूषित हो जाता है।

नदी में रहने वाले जीव जंतुओं का अस्तित्व भी खतरे में है। कीटकनाशकों के उपयोग से जमीन बरबाद हो रही है। इस प्रकार पानी का प्रदूषण, पानी की कमी, जमीन का प्रदूषण, मौसम की अनियमितता, जीव जंतुओं का विनाश, गरीबों पर होने वाला परिणाम इन अनेक समस्याओं का विविध दृश्यों के माध्यम से वर्णन किया गया है।

प्रश्न 2.
‘विकास का सीधा असर पड़ता है लोगों की जिंदगी पर’, इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
आधुनिक युग यंत्र युग कहलाता है। यंत्रयुग में रोज नए यंत्र, मशीन और इन मशीनों को चलाने वाले कारखाने, निर्माण होते हैं। इन कारखानों में काम करने वाले मजदूरों को स्कीन कैंसर जैसी अन्य अनेक बीमारियों से जूझना पड़ता है। कारखानों से निकलने वाला मैला रसायनिक पानी नदी में छोड़ा जाता है। इस कारण नदी में रहने वाली मछलियाँ, अन्य जीवजंतु मर जाते हैं। इन मछलियों को पकड़कर अपना जीवन निर्वाह करने वाले मछुआरों पर मछली न मिलने से भूखा मरने की नौबत आती है।

खेती में कीटकनाशकों के उपयोग से खेती बंजर हो रही है। कीटकनाशकों का उपयोग करके खेती में आई फसल, फल, सब्जियाँ खाकर भी लोगों को रोज नई बीमारी का सामना करना पड़ता है।

वाहन, कारखाने, घर, ऑफिस में लगाए गए ए.सी., फ्रीज आदि से निकलने वाली गैस ओजोन गैस की परत में छेद करता है। इससे बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से पूरा जग परेशान है।

किसान, मछुवारे, आदिवासी जैसे सामान्य जन जिनकी जिंदगी प्रकृति पर निर्भर है तथा मजदूर जो यंत्रयुग का शिकार है इन सबकी जिंदगी के विकास पर सीधा बुरा असर पड़ रहा है।

प्रश्न 3.
‘रक्तदान करना हमारा उत्तरदायित्व हैं’, नाटक के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
अरविंद गौड़ लिखित नुक्कड़ नाटक ‘अनमोल जिंदगी’ में रक्तदान का महत्त्व बताया है। रक्तदान न करने के पीछे लोगों के मन में जो गलतफहमियाँ हैं उन्हें दूर करते हुए रक्तदान के लिए लोगों को प्रेरित किया है। समाज में हजारों-लाखों मनुष्यों की मृत्यु सिर्फ उन्हें समय पर उचित रक्त न मिलने से होती है।

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रास्ते पर वाहन चलाते समय एक्सीडेंट होता है, किसी को गंभीर बीमारी में खून की जरूरत होती है तो कभी किसी नारी को प्रसव के दौरान खून के अति बहाव के कारण रक्त की जरूरत होती है। इन सभी प्रसंगो में समय पर उचित रक्त प्राप्त हो जाए तो इन लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। इनकी जिंदगी को बचाने का परम कल्याण का काम हमारे हाथ से हो सकता है अगर हम रक्तदान करेंगे तो।

अन्य किसी भी दान से यह दान महत्त्वपूर्ण है। रक्तदान ही जीवनदान है, अत: रक्तदान करना हमारा उत्तरदायित्व है। हर व्यक्ति अगर रक्तदान करेंगे तो हमें जाने-अनजाने में ही जरूरतमंदों की सेवा का पुण्य मिलेगा। यह हमारा नैतिक कर्तव्य है कि हम रक्तदान करें। रक्तदान ही मानवता की सेवा है।

प्रश्न 4.
रक्तदान के लिए सामाजिक जागृति की आवश्यकता’, नाटक के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
आज हम 21 वीं सदी में जी रहे हैं। हर क्षेत्र में उन्नति कर रहे हैं। पुराने काल में लोग स्कूल-कॉलेज में नहीं जाते थे। अनपढ़ लोगों के मन में कई अंधविश्वास थे। परंतु आज पढ़े-लिखे लोगों में भी काफी अंधविश्वास मौजूद हैं।

रक्तदान को लेकर भी समाज में काफी गलतफहमियाँ फैली हुई हैं। इन्हें दूर करने के लिए सामाजिक जागृति की आवश्यकता है। लोग ऐसा मानते हैं कि रक्तदान करने से कमजोरी बढ़ेगी, हाइट-बॉड़ी कम हो जाएगी।

लड़कियों को तो रक्तदान ही नहीं करना चाहिए। टॅटू निकालने के बाद रक्तदान नहीं करना चाहिए, ये सब गलतफहमियाँ होने से लोग रक्तदान करने से कतराते हैं। कुछ लोगों को अपने खानदान पर इतना गर्व होता है कि वे लोग अपना शाही खून किसी दूसरे को देने का विचार भी नहीं करते।

वास्तविक रूप से खून का शाही खून, सामान्य खून ऐसे कोई प्रकार नहीं होते हैं। खून में कोई खानदान, जातिपाति, धर्म-वंश, देश-विदेश का भेदभाव नहीं होता है। दुनिया के किसी भी कोने का कोई भी आदमी सिर्फ ब्लड ग्रुप मिलने पर रक्त पाकर जीवनदान पा सकता है।

रक्तदान देने से हमारे शरीर पर कोई भी बुरा असर नहीं होता है। ‘रक्तदान ही मानवता का दूसरा नाम है’ यह जागरूकता लोगों में निर्माण करना यह भी एक बड़ा सामाजिक कार्य है।

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Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका
(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए :

गद्यांश : पति : आज भी, एक भी मछली नहीं फँसी। …………………………………… प्रदूषित कर रखा है। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 71 दृश्य – 7)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
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उत्तर:
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प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) मछुआरों के जाल में मछली नहीं फँसी क्योंकि –
(1) ……………………………………………….
(2) ……………………………………………….
उत्तर :
(1) नदी के किनारे वाले प्लांट सारा जहरीला पानी बहा देते हैं उससे मछलियाँ मर गई।
(2) उद्योगों की वजह से मछलियाँ खत्म हो गई हैं।

प्रश्न 3.
पर्यायवाची शब्द गद्यांश से ढूँढकर लिखिए :
उत्तर :
(1) जल – पानी
(2) वृक्ष – पेड़
(3) मीन – मछली
(4) क्षीर – दूध

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प्रश्न 4.
जल प्रदूषण, इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
आधुनिक जमाने में मनुष्य विकास के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों का विनाश कर रहा है। रोज नए उद्योग या कारखाने निर्माण हो रहे हैं जिनसे निकलता हुआ दूषित पानी बिना किसी प्रक्रिया के नदियों में मिलाया जाता है। इससे होने वाला जल प्रदूषण मनुष्य पर ही नहीं पानी में रहने वाले जीव-जंतुओं पर भी गंभीर परिणाम कर रहा है।

मनुष्य त्योहारों के बाद मूर्तियाँ पानी में विसर्जित करता है, उससे भी पानी प्रदूषित हो जाता है। लोग पानी में कूड़ा-कचरा, प्लास्टिक की चीजें फेंकते हैं। जानवर, वाहन, कपड़े वे धोकर नदी का पानी प्रदूषित कर देते हैं। जो पानी ‘जीवन’ देने वाला है वही पानी प्रदूषण के कारण मृत्यु’ का कारण बन जाता है। अत: पानी की रक्षा करना, उसका प्रदूषण रोकना हमारी जिम्मेदारी है। ‘जल है तो कल है’ यह सभी को याद रखना चाहिए।

(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए :

गद्यांश : प्रश्न 1 : मैडम हमें क्यों बदनाम किया जा …………………………………… लोग बीमार पड़ रहे हैं। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 73)

प्रश्न 1.
प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए :
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उत्तर :
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प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) लोग बीमार पड़ रहे हैं क्योंकि ……………………………………
उत्तर :
लोग बीमार पड़ रहे हैं क्योंकि खेत में यूरिया डालने की वजह से सब्जियों में केमिकल आ रहा है।

(ii) जमीन बंजर हो रही है क्योंकि ……………………………………
उत्तर :
जमीन बंजर हो रही हैं क्योंकि दवा, यूरिया, कीटनाशकों का अच्छी फसल उगाने के लिए धडल्ले से प्रयोग हो रहा है।

प्रश्न 3.
शब्द समूह से मेल न खाने वाले शब्द को ढूँढ़कर लिखिए :
उत्तर :
(i) जहर, विष, अमृत, गरल – अमृत
(ii) हवा, मरूत, समीर, व्योम – व्योम
(iii) पानी, शून्य, तोय, सलिल – शून्य
(iv) आनन, देह, शरीर, गात – आनन

प्रश्न 4.
पर्यावरण की रक्षा हेतु उपाय सुझाइए।
उत्तर :
आज सारी दुनिया प्रदूषण से पीड़ित है। मनुष्य, पेड़, पशु-पक्षी जहरीली हवा में साँस लेने के लिए मजबूर है। हम सबके अस्तित्व पर ही प्रश्न चिह्न लगा है। समय रहते हमें प्रदूषण कम करने के लिए कमर कस लेनी चाहिए और पर्यावरण रक्षा का बेड़ा उठाना चाहिए।

हमें अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए और उनका संवर्धन करना चाहिए। अंधाधुंध जंगलों की सफाई (वृक्ष काटने से तात्पर्य है) के कारण पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। अत: खेती, वन, जंगलों का रखरखाव उचित तरीके से हो इसका ख्याल रखना चाहिए।

पर्यावरण सुरक्षा में पशु-पक्षी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आज उनकी कई प्रजातियाँ विलुप्त होने की कगार पर हैं। अत: पशु-पक्षियों के जीवन की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। पॉलिथीन से प्रदूषण फैलता है अत: उसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।

पर्यावरण रक्षा में जन-जन का साथ मिलें इसके लिए जन जागृति अभियान चलाने चाहिए। हमारी जीवन शैली को पर्यावरण की प्राकृतिक व्यवस्था के अनुरूप बना लेना चाहिए। खेती में रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग कम करना चाहिए।

विषैले और खतरनाक अवशिष्टों (remainings) का उचित विस्तारण करना चाहिए। पर्यावरण की गुणवत्ता बढ़े ऐसा हमारा आचरण होना चाहिए।

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(आ) अनमोल जिंदगी कृतिपत्रिका

(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : हमारे देश में ब्लड की रोजाना बहुत जरूरत पड़ती है ………………….. तू कैसे खून दे सकती है? (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 76)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
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उत्तर:
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प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) खून न देने के कारण
(1) …………………………………..
(2) …………………………………..
(3) …………………………………..
(4) …………………………………..
उत्तर :
(1) खून देने से बॉडी कम हो जाएगी।
(2) खून देने से भयंकर बीमारी लग सकती है।
(3) किसी ऐरे-गैरे को खून न देने की मानसिकता।
(4) हिमोग्लोबिन की कमी।

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प्रश्न 3.
(i) कृदंत शब्द लिखिए :
उत्तर :
(1) मिलना : मिलावट, मिलनसार, मिलन, मिलाप
(2) बनाना : बनावट, बनाने वाला, बना हुआ, बनकर

(ii) गद्यांश से ऐसे दो शब्द ढूँढ़कर लिखिए जिनके वचन बदलने पर भी रूप नहीं बदलते :
उत्तर :
(1) देश
(2) मरीज

प्रश्न 4.
‘रक्तदान : श्रेष्ठ दान’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
14 जून यह दिन अंतर्रास्ट्रीय स्तर पर ‘रक्तदान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि किसी को कुछ दान देने के लिए अमीर होना बहुत जरूरी होता है। परंतु रक्तदान यह एक ऐसा दान है जो देने के लिए पैसों से आदमी बड़ा नहीं हो तो भी चलेगा लेकिन मन से बड़ा होना जरूरी है। यह दान न जाति-धर्म देखता है, न अमीरी-गरीबी देखता है। यह दान सिर्फ ‘मानवता’ को जगाता है।

हमारे ‘रक्तदान’ से हम किसी को ‘जीवनदान’ दे सकते हैं। ‘रक्तदान’ देने से हमारा कुछ भी नुकसान नहीं होता है। लेकिन लोगों के मन में आज भी ‘रक्तदान’ इस विषय को लेकर काफी गलतफहमियाँ हैं। इन्हें दूर करने के लिए लोगों में जागरूकता निर्माण करने की जरूरत है। ‘रक्तदानं परम दानं’ इसे अगर हम सब ध्यान में रखे तो हम ‘जीवनदाता’ बन जाएंगे। इसलिए,

‘मौका मिला अगर आपको उसे यूँ न गँवाइए।
देकर दान रक्त का नेकी भी कमाइए।।’

(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : ब्लड डोनेशन का मतलब ……………………………….. मदद नहीं करनी चाहिए। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 80)

प्रश्न 1.
नाम लिखिए :
उत्तर :
(i) गद्यांश में उल्लेखित वायु का नाम – ऑक्सीजन
(ii) तीन साल की बच्ची को हुई बीमारी का नाम – कैंसर
(iii) पति को हुई बीमारी का नाम – डेंग्यू
(iv) तीन साल की बच्ची को रक्त देने वाला – एक एथलीट

प्रश्न 2.
परिणाम लिखिए :
(i) रक्तदान करने से डरना – ………………………………………
(ii) डोनर कार्ड मिलना – ………………………………………
उत्तर :
(i) रक्तदान करने से डरने से यही डर हमारी जिंदगी की उम्मीदों की रीढ़ को तोड़ रहा है।
(ii) डोनर कार्ड मिलने से जरूरत पड़ने पर खून आसानी से मिल जाता है।

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प्रश्न 3.
(i) निम्न शब्दों में से सही शब्द चुनकर लिखिए :
उत्तर :
(1) शुरुवात / शुरूआत / शुरूवात / शूरुवात – शुरूआत
(2) रक्तदाण / रक्तदान / रक्तदान / रक्तदाण – रक्तदान

(ii) तद्धित शब्दों के मूल रूप लिखिए :
उत्तर :
(1) इनसानियत – इनसान
(2) खुशी – खुश

प्रश्न 4.
‘दूसरों की मदद करके खुशी और सुकून मिलता है’, इस तथ्य पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
दान देने की परंपरा हमारे यहाँ प्राचीन काल से चली आ रही है। दूसरों को दान देने से आंतरिक खुशी मिलती है। दान केवल धन के रूप में ही नहीं बल्कि रक्त, शरीर के अंग आदि के रूप में भी किया जा सकता है। जरूरतमंदों की मदद करके हमें मानसिक शांति मिलती है।

जब कोई अपना मन, वचन और काया दूसरों की सेवा के लिए उपयोग में लाता है तब उसे एक प्रकार का सुकून मिलता है, आत्मिक सुख मिलता है। मनुष्य सामाजिक प्राणी है और उसका सबसे बड़ा कर्तव्य है एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल होना एवं यथाशक्ति सहायता करना।

तुलसीदास जी ने भी कहा है, ‘परहित सरस धर्म नाहिं भाई’ पुष्प इकट्ठा करने वाले व्यक्ति के हाथ में सुगंध रह जाती है वैसे ही दूसरों की जिंदगी रोशन करने वाले व्यक्ति की जिंदगी खुद रोशन हो ही जाती है।

सड़क पर कराहते व्यक्ति को अस्पताल पहुँचाना हो या भूखे-प्यासे की आह कम करनी हो, अन्याय, शोषण से पीड़ित की सहायता करनी हो या सर्दी में ठिठुरते व्यक्ति को कंबल ओढ़ाना हो, किसी को किड़नी देने का सुख तो किसी को रक्तदान करके जीवन देने का सुख हो ये इंसान को भीतर तक खुशियों से सराबोर कर देते हैं।

नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी Summary in Hindi

मौसम लेखक परिचय :

लेखक अरविंद गौड़ जी ने ‘नुक्कड़ नाटक’ में अपना एक विशिष्ट स्थान प्राप्त किया है। आपका जन्म 2 फरवरी 1963 को शाहदरा (दिल्ली) में हुआ। इंजीनियरिंग पढ़ते समय नाटकों के प्रति आपकी रुचि बढ़ गई। आप पत्रकारिता तथा थिएटर से जुड़ गए।

मजदूर हो या किसान इनके विविध आंदोलनों में आपने एक बुनियादी भूमिका निभाई है। आपके ‘नुक्कड़ नाटकों’ का मंचन देश-विदेश में हो चुका है। आपने निर्देशित (directed) किया हुआ ‘कोर्ट मार्शल’ इस नाटक का पूरे भारत में 450 से भी अधिक बार मंचन हुआ है।

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मौसम रचनाएँ :

‘नुक्कड़ पर दस्तक’ (नुक्कड़ नाटक संग्रह), अनटाइटल्ड, आई विल नॉट क्राय, अहसास (एकल नाट्य) तथा कुछ पटकथाएँ।

मौसम विधा परिचय :

‘नुक्कड़ नाटक’ आठवें दशक से लोकप्रिय हुआ। नुक्कड़ माने चौक या चौराहा। इस नाटक का प्रस्तुतीकरण (presentation) किसी चौक में, किसी सड़क पर, मैदान, बस्ती या कहीं भी हो सकता है। इन नाटकों का प्रस्तुतीकरण सामाजिक संदेशों के प्रसारण के लिए किया जाता है।

नुक्कड़ नाटक को प्रेक्षक राहों या चौक में खड़े होकर देखते हैं। इन्हें देर तक रोकना संभव नहीं होता इसलिए ये नाटक बेहद सटीक एवं संक्षिप्त होते हैं। जनता से सीधे संवाद करने वाले इस नाटक के लिए वेशभूषा, नेपथ्य, ध्वनि-संयोजन जैसी साज-सज्जा की आवश्यकता नहीं होती।

जन-जन तक समाज हित की बात सहजता से पहुँचाना इसका उद्देश्य है।

मौसम विषय प्रवेश :

अरविंद गौड़ लिखित ‘मौसम’ नामक नुक्कड़ नाटक आधुनिक जीवन की एक प्रखर समस्या को उजागर करता है। पर्यावरण को लेकर एक चेतना निर्माण करने का आपने प्रयास किया है। आज के जमाने में ‘पानी की समस्या’ ने एक विकराल (horrible) रूप धारण किया है।

पानी की कमी, हवा या जमीन का प्रदूषण, लोगों की लापरवाही इन अनेक समस्याओं के प्रति मनुष्य को सचेत बनाने की कोशिश इस नाटक द्वारा हुई है।

मौसम सारांश :
दृश्य – 1 : पानी की कमी : मनुष्य की पानी के प्रति लापरवाही से आज लोगों को पानी की कमी महसूस हो रही है। जो पानी उपलब्ध है उसे भी हमने दूषित किया है। इस कारण आज-कल मनुष्य पीने या नहाने के लिए पानी खरीद रहा है।

दृश्य – 2 : विकास का परिणाम : आज विकास के नाम पर फैक्ट्रियाँ खोली जाती हैं। इसका कूड़ा-कचरा, दूषित पानी नदियों में छोड़ा जाता है, जिससे जल प्रदूषित होता है।

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दृश्य – 3 : पर्यावरण का असंतुलन : आज ऋतुचक्र में नियमितता नहीं रही क्योंकि हमने ही पर्यावरण को असंतुलित किया है। कहीं बाढ़ आती है, तो कहीं बरसात का इंतजार करना पड़ता है। इस असंतुलन के लिए मनुष्य ही जिम्मेदार है।

दृश्य – 4 : वायु प्रदूषण : आज लोग घर में, दफ्तर में हर जगह ए.सी. लगवाते हैं। इस ए.सी. से निकलने वाली गैस से ओजोन परत में छेद हो जाता है।

दृश्य – 5 : लोगों की लापरवाही : लोग खाना खाकर प्लास्टिक की थालियाँ, पानी पीकर प्लास्टिक की बोतल या गिलास रास्ते पर फेंकते हैं। ऐसा विविध प्रकार का सामान कूड़ा-कचरा बनकर नालों में अटक जाता है। बारिश होने पर नाले से पानी की निकासी न होने से पानी रास्ते पर आता है और थोड़ी-सी भी बारिश होने पर रास्ते स्विमिंग पूल बन जाते हैं।

दृश्य – 6 : मृदा का प्रदूषण : आज-कल लोग खेती करते समय कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं। इसके केमिकल से जमीन दूषित हो जाती है। ऐसी खेती से निकली हुई फसल, फल, सब्जियाँ खाकर लोगों को अनेक प्रकार की बीमारीयाँ हो रही हैं।

दृश्य – 7 : जल – प्रदूषण : लोग नदी के किनारों पर नए-नए कारखाने खड़े करते हैं। इनमें से निकलनेवाला गंदा, रसायन युक्त पानी नदियों में छोड़ा जाता है। परिणाम स्वरूप पानी में रहने वाली मछलियाँ तथा अन्य जीव-जंतुओं का विनाश हो रहा है।

दृश्य – 8 : गरीबों पर परिणाम : फैक्टरी में काम करने वाले मजदूर बीमारियों से ग्रस्त हैं। अनेकों को स्किन कैंसरं हो रहा है। मछुआरे, आदिवासी इन जैसे प्रकृति पर अवलंबित गरीब लोगों का जीना हराम हो गया है।

दृश्य – 9 : मनुष्य का विनाश : भौतिक विकास के नाम पर मनुष्य आस-पास के प्राकृतिक संसाधन नष्ट कर रहा है। जिससे प्राकृतिक संकट मनुष्य का विनाश कर रहे हैं। कभी बाढ़ तो कभी सूखा, कभी तूफान तो कभी भूचाल, ऐसे संकट मनुष्य के स्वार्थी वृत्ति का परिणाम हैं। ‘ग्लोबल वॉर्मिंग’ भी चिंता का विषय है। इनसे मनुष्य सावधान ना हो तो उसका विनाश अटल है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

मौसम शब्दार्थ :

  • सीवर = गंदी नाली (sewer),
  • संसार = दुनिया (world),
  • तबाही = बरबादी (destruction),
  • दोहन = शोषण (exploitation),
  • रेगिस्तान = वालुकामय प्रदेश (desert),
  • जिम्मेदारी = कर्तव्य (responsibility),
  • वफादारी = ईमानदारी (loyalty)

अनमोल जिंदगी अरविंद गौड़ विषय प्रवेश :

अरविंद गौड़ जी ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से सामयिक समस्याओं को जनता तक पहुँचाने की कोशिश की है। ‘अनमोल जिंदगी’ इस नाटक द्वारा लेखक ‘रक्तदान’ इस विषय पर सामान्य लोगों को जगाने की कोशिश करते हैं। हजारों-लाखों लोगों की मृत्यु सिर्फ समय पर उचित रक्त न मिलने से होती है। रक्तदान के बारे में लोगों में काफी गलतफहमियाँ भी हैं। इन गलतफहमियों को दूर करते हुए लेखक रक्तदान करने की प्रेरणा देते हैं।

अनमोल जिंदगी सारांश:

दृश्य – 1 : एक्सीडेंट : एक दिन रास्ते पर एक चाचाजी का एक्सीडेंट हुआ। उनको बचाने के लिए ‘ओ निगेटिव’ ब्लड की जरूरत हैं परंतु लोगों की मानसिकता न होने से, उनकी रक्तदान के बारे में गलतफहमियाँ होने के कारण वे तरह-तरह का बहाना बनाकर रक्तदान करना टालते हैं।

दृश्य – 2 : हॉस्पिटल : एक सरकारी अस्पताल में गरीब माँ अपने बच्चे का जीवन बचाना चाहती थी। उसकी कम कमाई के कारण वह रक्त खरीद नहीं सकती। उसे आशा थी कि कोई रक्तदाता मिल जाएगा परंतु यह आशा निराशा में बदलती है और एक माँ अपने बेटे को हमेशा के लिए खो देती है।

दृश्य – 3 : ऑटो : एक बेटा अपनी बीमार माँ को बचाना चाहता था। माँ अस्पताल में थी। बेटा उचित रक्त की तलाश में ‘ऑटो’ से इधर-उधर घूम रहा था। उसकी बेचैनी, उसका प्रयास देखकर एक दयालु ऑटो वाला ही रक्तदान करने के लिए तैयार हो जाता है जिससे एक जिंदगी बचती है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

अनमोल जिंदगी शब्दार्थ :

  • खून = रक्त (blood),
  • गड्डी = गाड़ी (car),
  • परिजन = रिश्तेदार (relative),
  • उम्मीद = आशा (hope),
  • साजिश = षडयंत्र (conspiracy),
  • सुकून = शांति, समाधान (relax)

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है

11th Hindi Digest Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है Textbook Questions and Answers

आकलन

1. सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

प्रश्न अ.
घटनाक्रम के अनुसार लिखिए –
(1) कवि दंड पाना चाहता है।
(2) विधाता का सहारा पाना चाहता है।
(3) कवि का मानना है कि जो होता-सा लगता है, वह विधाता के कारण होता है।
उत्तर :
(1) कवि दंड पाना चाहता है।
उत्तर :
कवि दंड पाना चाहता है।

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(2) विधाता का सहारा पाना चाहता है
उत्तर :
विधाता का सहारा पाना चाहता है।

(3) कवि का मानना है कि जो होता-सा लगता है, वह विधाता के कारण होता है।
उत्तर :
कवि मानता है कि जो होता-सा लगता है, वह विधाता के कारण होता है।

प्रश्न आ.
निम्नलिखित असत्य कथनों को कविता के आधार पर सही करके लिखिए –
(a) जो कुछ निद्रित अपलक है, वह तुम्हारा असंवेदन है।
उत्तर :
जो कुछ भी जाग्रत है, अपलक है वह तुम्हारा संवेदन है।

(b) अब यह आत्मा बलवान और सक्षम हो गई है और छटपटाती छाती को वर्तमान में सताती है।
उत्तर :
अब यह आत्मा कमजोर और अक्षम हो गई है और छटपटाती छाती को भवितव्यता सताती है।

काव्य सौंदर्य

2.
प्रश्न अ.
‘जो कुछ भी मेरा है वह तुम्हें प्यारा हैं’, इस पंक्ति से कवि का मंतव्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि के जीवन में जो कुछ भी है या जो कारण है उसकी सत्ता स्थितियाँ भविष्य की उन्नति या अवनति की सभी संभावनाएँ प्रियतमा के कारण हैं। कवि का हर्ष-विषाद, उन्नति-अवनति सदा उससे ही संबंधित है। कवि ने हर सुख-दुःख सफलताअसफलता को प्रसन्नतापूर्वक इसलिए स्वीकार किया है क्योंकि प्रियतमा ने उन सबको अपना माना है। वे कवि के जीवन से पूरी तरह जुड़ी हुई हैं।

प्रश्न आ.
‘जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है जितना भी उँडेलता हूँ, भर-भर फिर आता है’, इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि कहता है कि तुम्हारे हृदय के साथ न जाने कौन-सा संबंध है या न जाने कैसा नाता है कि मैं अपने भीतर समाए हुए तुम्हारे स्नेह रूपी जल को जितना बाहर निकालता हूँ, वह पुन: अंत:करण में चारों ओर से सिमटकर चला आता है। ऐसा लगता है मानो हृदय में कोई झरना बह रहा है।

अभिव्यक्ति

3.
प्रश्न अ.
‘अपनी जिंदगी को सहर्ष स्वीकारना चाहिए’, इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
जीवन सुख-दुःख का चक्र है। यही जीवन का सत्य है। अनुकूल समय में हमें इस पर विचार करने की आवश्यकता नहीं होती। जब कभी हमारे समक्ष विपरीत परिस्थितियाँ आती हैं तो हम किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाते हैं। दुःख के प्रमुख कारण बाहरी परिस्थितियाँ, आसपास के व्यक्तियों का व्यवहार, महत्त्वाकांक्षाएँ एवं कामनाएँ हैं। जीवन में आई प्रतिकूल परिस्थितियाँ एवं समस्याओं के लिए कोई दूसरा व्यक्ति या भाग्य दोषी नहीं है।

उसके लिए हम स्वयं ही जिम्मेदार है, हमारे कर्मों और व्यवहार की वजह से ही परिस्थितियाँ निर्मित होती हैं। हमारी ऊर्जा का उपयोग काम में हो परिणाम में नहीं। जो बदला नहीं जा सकता, उसको सहर्ष स्वीकार करें, यही उपाय है।

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प्रश्न आ.
‘जीवन में अत्यधिक मोह से अलग होने की आवश्यकता है, इस वाक्य में व्यक्त भाव प्रकट कीजिए।
उत्तर :
आज अगर दुनिया में किसी भी रिश्ते में मोह है, तो वह रिश्ता ज्यादा समय तक नहीं चल पाता। हमें मोह को त्याग देना चाहिए।

जब भी कोई इंसान मोह करता है, तो कहीं ना कहीं उसका ही नुकसान होता है। मोह के कारण हमारी संपत्ति, रिश्ते-नाते सभी बिगड़ जाते हैं इसलिए हमें मोह को अपनी जिंदगी से बिल्कुल पूरी तरह से निकाल देना चाहिए।

एक इंसान अपनी जिंदगी में अगर मोह करता है तो कुछ समय के लिए ही फायदा होगा, बाद में उसका नुकसान होता है। आज हमारे देश में, परिवार में झगड़े होते हैं इसका सबसे बड़ा कारण मोह है। मोह के कारण एक-दूसरे को धोखा देते हैं और उससे हमारे रिश्ते खराब होते हैं। मोह करने से हमें जो कुछ हासिल होता है, वह हमारे रिश्ते-नातों से कीमती नहीं होता इसलिए लालच (मोह) बुरी बला है।

रसास्वादन

4. प्रस्तुत नई कविता का भाव तथा भाषाई विशेषताओं के आधार पर रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
(i) शीर्षक : सहर्ष स्वीकारा है।
(ii) रचनाकार : गजानन माधव मुक्तिबोध’।।
(iii) केंद्रीय कल्पना : प्रस्तुत नई कविता में कवि ने जिंदगी में जो कुछ भी (दुख, संघर्ष, गरीबी, अभाव, अवसाद) मिलें उसे सानंद स्वीकार करने की बात कही है। प्रकृति को जो कुछ भी प्यारा है वह उसने हमें सौंपा है। इसीलिए जो कुछ भी मिला है या मिलने की संभावना है उसे सहजता से अपनाना चाहिए।
(iv) रस / अलंकार : मुक्त छंद में लिखी गई इस कविता में गरबीली गरीबी, विचार-वैभव में अनुप्रास अलंकार की छटा है।
(v) प्रतीक विधान : अंधकार, अमावस्या निराशा के प्रतीक है।

(vi) कल्पना : ‘दिल में क्या झरना है?’ पंक्ति में कवि कल्पना करते हैं कि झरने में जैसे चारों तरफ की पहाड़ियों से पानी इकट्ठा होता है और कभी खाली नहीं होता वैसे ही कवि के हृदय में अपनी प्रियतमा के प्रति प्रेम उमड़ता है और बार बार व्यक्त करने पर भी कम नहीं होता।

(vii) पसंद की पंक्तियाँ तथा प्रभाव : अब तक तो जिंदगी में जो कुछ था, जो कुछ है सहर्ष स्वीकारा है; इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है वह तुम्हें प्यारा है।’ ये पंक्तियाँ प्रभावी सिद्ध होती हैं क्योंकि जिसे हम प्यार करते हैं उस प्रिय व्यक्ति को जो कुछ भी अच्छा लगता है वह अस्वीकार करना असंभव होता है।

(viii) कविता पसंद आने के कारण : कविता द्वारा हमें जीवन के सुख-दुख, संघर्ष, अवसाद आदि को सहर्ष स्वीकार करने की प्रेरणा मिलती है। अपने प्रिय व्यक्ति का प्रभाव अँधेरी गुफाओं में भी सहारा बनता है। उसका स्नेह हमें कभी कमजोर भी बनाता है। भविष्य में अनहोनी हो जाने का डर भी इसीलिए अत्यधिक प्रेम के कारण ही सताता है। कविता के ऐसे भाव दिल को छू जाते हैं।

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साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए :

प्रश्न अ.
मुक्तिबोध जी की कविताओं की विशेषताएँ –
…………………………………………………
…………………………………………………
उत्तर :

  • प्रगतिवादी दृष्टिकोण
  • जीवन से जुड़ी कविता के सर्जक
  • शोषितों से गहरा लगाव
  • प्रतीक विधान में नयापन

प्रश्न आ.
मुक्तिबोध जी का साहित्य –
उत्तर :
काव्य कृतियाँ :

  • चाँद का मुँह टेढ़ा है।
  • भूरी – भूरी खाक धूल

आलोचना :

  • तार सप्तक के कवि
  • कामायनी – एक पुनर्विचार
  • भारतीय इतिहास और संस्कृति
  • नई कविता का आत्मसंघर्ष और अन्य निबंध
  • नए साहित्य का सौंदर्य शास्त्र

कहानी संग्रह :

  • विपात्र
  • सतह से उठता आदमी

6.
प्रश्न अ.
निम्नलिखित काव्यांश (पंक्तियों) में उद्धृत अलंकार पहचानकर लिखिए –

(a) कूलन में केलिन में, कछारन में, कुंजों में
क्यारियों में, कलि-कलीन में बगरो बसंत है।
उत्तर :
(‘क’ आवृत्ति) – अनुप्रास अलंकार

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(b) केकी-रख की नुपूर-ध्वनि सुन।
जगती-जगती की मूक प्यास।
उत्तर :
यमक अलंकार – जगती – जगती,
(1) जगती – जागना,
(2) जगती – जगत

प्रश्न आ.
निम्नलिखित अलंकारों से युक्त पंक्तियाँ लिखिए –
(a) वक्रोक्ति
…………………………………………………….
…………………………………………………….
उत्तर :
(i) मैं सुकमारिनाथ बन जोगू।
(ii) कौं तुम? है घनश्याम हम।

(b) श्लेष
…………………………………………………….
…………………………………………………….
उत्तर :
(i) रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। – शब्द श्लेष
पानी गए न ऊबरें, मोती मानुष चून।
पानी शब्द का प्रयोग तीन बार लिया गया है। दूसरी पंक्ति में पानी का अर्थ मोती के संदर्भ में चमक या कांति है तो मनुष्य के संदर्भ में इज्जत और ‘चून’ के संदर्भ में जल है।

(ii) जो रहीम गति दीप की कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारे करै, बढे अँधेरा होय – अर्थ श्लेष
बारे का अर्थ – जलाना और बचपन
बढ़े का अर्थ – बुझने पर और बड़े होने पर

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कृतिपत्रिका
(अ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : जिंदगी में जो कुछ है, ………………… खिलता वह चेहरा है ! (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 61)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
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उत्तर:
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 2

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प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए :
आकृति पूर्ण कीजिए :
(i) गरीबी के लिए प्रयुक्त विशेषण है :
(ii) कवि अपने उस प्रिय के साथ अपने संबंध इस तरह बताता है :
(iii) कवि अपने दिल की तुलना इससे करता है :
(iv) कवि ने अपने प्रिय की तुलना इससे की है :
उत्तर:
(i) गरवीली
(ii) गहरा
(iii) मीठे पानी के झरने से
(iv) चाँद से

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों मे लिखिए।
उत्तर :
कवि कहता है कि मेरे इस जीवन में जो कुछ भी है, जैसा भी है, उसे मैंने पूरी प्रसन्नता के साथ स्वीकार किया है। वह इस कारण से, कि जो कुछ भी मेरा है, चाहे वह अभाव हो या संघर्ष ही क्यों न हो, वह सब तुम्हें प्यारा है और जो तुम्हे प्रिय लगता है, वही मेरे लिए प्रसन्नता का सबसे बड़ा कारण बन गया है।

कवि के जीवन में ऐसी निर्धनता है, जिस पर गर्व किया जा सके। गर्व इसलिए कि स्वाभिमान के साथ जीने का सुख इस में निहित (include) है। अभावों के चलते मिलने वाले जीवन के जो गंभीर अनुभव है, विचारों की जो संपन्नता है, विचारों की संपन्नता के कारण उससे मिली हुई जो आंतरिक मजबूती है और हृदय में उमड़ने वाली प्रेम की जो अविरल नदी है, ये सभी हमारे अपने निजी है।

हमारे जीवन के प्रत्येक क्षण में जो सत्य है, हर दिन हमारे साथ जो घटित होता है, लगातार घटता रहता हैं, उन सब में तुम्हारी ही तरल संवेदना बसी हुई है। तुम मेरे हर सुख-दुःख में आत्मा से सहभागिनी हो इसलिए इन सब चीजों को प्रसन्नता के साथ स्वीकारने की चाहत है।

कवि कहते हैं कि तुम्हारे साथ मेरा न जाने कैसा रिश्ता नाता है कि मैं अपने भीतर समाए हुए तुम्हारे प्रेममय जल को जितना बाहर निकालता हूँ, वह पुन: अंत:करण में भर आता है। ऐसा प्रतीत होता है कि वहाँ पर प्रेम का सतत बहने वाला कोई झरना ही है या मीठे और शीतल जल का कोई स्त्रोत ही बसा हुआ है। वह कभी रीता नहीं होता है। इधर मेरे अंदर तो प्रेम का ऐसा अटूट प्रवाह है और उधर आकाश में जैसे चंद्रमा रातभर अपनी चाँदनी बरसाता रहता है, ठीक वैसे ही तुम्हारा चेहरा मुझपर स्नेह की अखंड वर्षा करता रहता है।

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(आ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : सचमुच मुझे दंड दो कि भूलूँ मैं, …………… आत्मीयता बरदाश्त नहीं होती है !! (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 62)

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए :
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उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 4

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उत्तर :
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प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
कवि स्वयं के लिए दंड माँग रहा है क्योंकि
(i) …………………………………….
(ii) …………………………………….
उत्तर :
(i) अपनी प्रियतमा को भूलने का दंड उसे सहर्ष स्वीकार है।
(ii) ममता के भीतर छिपी कोमलता उसे अंदर ही अंदर पीड़ा पहुँचाती है।

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प्रश्न 3.
प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए:
उत्तर:
प्रस्तुत पद्यांश कवि श्री. गजानन माधव मुक्तिबोध’ द्वारा लिखित कविता ‘सहर्ष स्वीकारा है’ से लिया गया है।

कवि अपने प्रिय स्वरूपा को भूलना चाहता है। आप मुझे सजा दीजिए, श्राप दीजिए कि मैं आपको भूल जाऊँ। अनंत अंधकार वाली अमावस्या में डूब जाऊँ। वह उस अंधकार को अपने शरीर व हृदय पर झेलना चाहता है। इसका कारण यह है कि प्रिय के स्नेह के उजाले ने उसे घेर लिया है।

ममता रूपी बादलों की कोमलता ही अब उनके लिए दर्द बन गई है। मेरे अंतरमन में चुभने लगी है। इसके कारण मेरी अंतरात्मा कमजोर और क्षमताहीन हो गई है। जब मैं भविष्य के बारे में सोचता हूँ तो मुझे डर लगने लगता है कि कभी उनके प्रभाव से अलग होना पड़ा तो वह अपना अस्तित्व कैसे बचाए रख सकेगा। अब उसे उसका बहलाना-सहलाना सहन नहीं होता।

कवि कहता है कि मैं अपनी प्रियतमा के स्नेह से दूर होना चाहता हूँ। वह उसी से दंड की याचना करता है।

वह ऐसा दंड चाहता है कि प्रियतमा के न होने से वह पाताल की अँधेरी गुफाओं व सुरंगों में खो जाए। कवि दोहराते हैं कि मेरे लापता हो जाने पर भी तुम्हारा ही सहारा मेरे पास रहेगा। विस्मृति में भी स्मृति का अंश रहता ही है। वे कहते है कि जो कुछ भी मेरा है, या जो ऐसा प्रतीत होता है कि वह मेरे जैसा ही है। मेरे जैसा होता हुआ संभव लगता है। वह सब तुम्हारे ही कारण है। तुम्हारे कार्यों के घेरे में है। तुम्हारे कार्यों की समृद्धि का फल है।

अब तक जीवन में जो कुछ था और जो कुछ भी है वह सब मैंने प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार किया है क्योंकि जो कुछ भी मेरा है, वह तुम्हें प्यारा है।

(इ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : सचमुच मुझे दंड दो कि हो जाऊँ …………… वह तुम्हें प्यारा है। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 62)

प्रश्न 1.
लिखिए :
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उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 8

(ii) लापता होने पर भी कवि को यह आशा है –
उत्तर :
लापता होने पर भी कवि को यह आशा है कि उसकी प्रियतमा का सहारा उसे मिलेगा।

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प्रश्न 2.
निम्न गलत विधान पद्यांश के आधार पर सही करके लिखिए :
(i) कवि अपनी प्रियतमा को दंड देना चाहता है।
उत्तर :
कवि अपनी प्रियतमा से दंड पाना चाहता है।

(ii) कवि ने जीवन में वही स्वीकारा जो उसे प्रिय था।
उत्तर :
कवि ने जीवन में उसे स्वीकारा जो उसकी प्रियतमा को प्रिय था।

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तरः
प्रस्तुत पद्यांश कवि श्री. गजानन माधव मुक्तिबोध’ द्वारा लिखी कविता ‘सहर्ष स्वीकारा है’ से लिया गया है। कवि कहता है कि मैं अपनी प्रियतमा के स्नेह से दूर होना चाहता हूँ। वह उसी से दंड की याचना करता है। वह ऐसा दंड चाहता है कि प्रियतमा के न होने से वह पाताल की अँधेरी गुफाओं व सुरंगों में खो जाए। कवि दोहराते हैं कि मेरे लापता हो जाने पर भी तुम्हारा ही सहारा मेरे पास रहेगा।

विस्मृति में भी स्मृति का अंश रहता ही है। वे कहते हैं कि जो कुछ भी मेरा है, या जो ऐसा प्रतीत होता है कि वह मेरे जैसा ही है, मेरे जैसा होता हुआ संभव लगता है; वह सब तुम्हारे ही कारण है। तुम्हारे कार्यों के घेरे में है। तुम्हारे कार्यों की समृद्धि का फल है। अब तक जीवन में जो कुछ था और जो कुछ भी है वह सब मैंने प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार किया है क्योंकि जो कुछ भी मेरा है, वह तुम्हें प्यारा है।

सहर्ष स्वीकारा है Summary in Hindi

सहर्ष स्वीकारा है कवि परिचय :

गजानन माधव मुक्तिबोध’ जी का जन्म 13 नवंबर 1917 को शिवपुरी जिला मुरैना ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में हुआ था। आपकी प्रारंभिक शिक्षा उज्जैन में हुई। 1938 में बी.ए. पास करने के पश्चात आप उज्जैन के मॉडर्न स्कूल में अध्यापक हो गए।

1954 में एम.ए. करने पर राजनाँद गाँव के दिग्विजय कॉलेज में प्राध्यापक पद पर नियुक्त हुए। यहाँ रहते हुए उन्होंने अंग्रेजी, फ्रेंच, तथा रुसी उपन्यासों के साथ जासूसी उपन्यासों, वैज्ञानिक उपन्यासों, विभिन्न देशों के इतिहास तथा विज्ञान विषयक साहित्य का गहन अध्ययन किया।

आप नई कविता के सर्वाधिक चर्चित कवि रहे हैं। प्रकृति प्रेम, सौंदर्य, कल्पनाप्रियता के साथ सर्वहारा वर्ग के आक्रोश तथा विद्रोह के विविध रूपों का यथार्थ चित्रण आपके काव्य की विशेषता है। 1962 में उनकी अंतिम रचना ‘भारत : इतिहास और संस्कृति’ प्रकाशित हुई। मुक्तिबोध जी की मृत्यु 1964 में हुई।

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प्रमुख रचनाएँ : कविता संग्रह : ‘चाँद का मुँह टेढ़ा है’, ‘भूरी-भूरी खाक धूल’ तथा तारसप्तक में प्रकाशित रचनाएँ।
कहानी संग्रह : काठ का सपना, सतह से उठता आदमी
उपन्यास : विपात्र
आलोचना : कामायनी – एक पुनर्विचार, नई कविता का आत्मसंघर्ष, नए साहित्य का सौंदर्यशास्त्र, समीक्षा की समस्याएँ।
इतिहास : भारत : इतिहास और संस्कृति
रचनावली : मुक्तिबोध रचनावली (सात खंड)

सहर्ष स्वीकारा है काव्य परिचय :

प्रस्तुत नई कविता ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ काव्य-संग्रह से ली गई है। एक होता है – स्वीकारना और दूसरा होता है – सहर्ष स्वीकारना यानी खुशी-खुशी स्वीकार करना। यह कविता जीवन के सब सुख-दु:ख, संघर्ष-अवसाद, उठा-पटक को सम्यक भाव से स्वीकार करने की प्रेरणा देती है। कवि को जहाँ से यह प्रेरणा मिली कविता प्रेरणा के उस उत्स (spring) तक भी हमको ले जाती है।

उस विशिष्ट व्यक्ति या सत्ता के इसी ‘सहजता’ के चलते उसको स्वीकार किया था। कुछ इस तरह स्वीकार किया था कि आज तक सामने नहीं भी है तो भी आस-पास उसके होने का एहसास है।

सहर्ष स्वीकारा है सारांश :

कवि कहता है कि मेरे इस जीवन में जो कुछ भी है, उसे मैं खुशी से स्वीकार करता हूँ। इसलिए मेरा जो कुछ भी है, वह उसको (माँ या प्रिया) अच्छा लगता है। मेरी स्वाभिमानयुक्त गरीबी, जीवन के गंभीर अनुभव, विचारों का वैभव, व्यक्तित्व की दृढ़ता, मन में बहती भावनाओं की नदी – ये सब मौलिक हैं तथा नए हैं। इनकी मौलिकता का कारण यह है कि मेरे जीवन में हर क्षण जो कुछ घटता है, जो कुछ जाग्रत है, उपलब्धि है, वह सब कुछ तुम्हारी प्रेरणा से हुआ है।

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कवि कहता है कि तुम्हारे हृदय के साथ न जाने कौन सा संबंध है या न जाने कैसा नाता है कि मैं अपने भीतर समाए हुए तुम्हारे प्रेममय जल को जितना बाहर निकालता हूँ, वह पुन: अंत:करण में भर आता है। ऐसा लगता है मानो दिल में कोई झरना बह रहा है।

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वह स्नेह मीठे पानी के स्रोत के समान है जो मेरे अंतर्मन को तृप्त करता रहता है। इधर मन में प्रेम है और ऊपर से तुम्हारा चाँद जैसा मुस्कराता हुआ सुंदर चेहरा अपने अद्भुत सौंदर्य के प्रकाश से मुझे नहलाता रहता है। यह स्थिति उसी प्रकार की है जिस प्रकार आकाश में मुस्कराता हुआ चंद्रमा पृथ्वी को अपने प्रकाश से नहलाता रहता है।

कवि अपने प्रिय स्वरूपा को भूलना चाहता है। वह चाहता है कि प्रिय उसे भूलने का दंड दे। वह इस दंड को भी सहर्ष स्वीकार करने के लिए तैयार है। प्रिय को भूलने का अंधकार कवि के लिए दक्षिणी ध्रुव पर होने वाली छह मास की रात्रि के समान होगा। वह उस अंधकार में लीन हो जाना चाहता है।

वह उस अंधकार को अपने शरीर व हृदय पर झेलना चाहता है। इसका कारण यह है कि प्रिय के स्नेह के उजाले ने उसे घेर लिया है। प्रिय की ममता या स्नेह रूपी बादल की कोमलता सदैव मेरे मन को अंदर ही – अंदर पीड़ा पहुँचाती है। इसके कारण मेरी अंतरात्मा कमजोर और क्षमताहीन हो गई है।

जब मैं भविष्य के बारे में सोचता हूँ तो मुझे डर लगने लगता है कि कभी उसे अपनी प्रियतमा (माँ या प्रिया) के प्रभाव से अलग होना पड़ा तो वह अपना अस्तित्व कैसे बचाए रख सकेगा। अब उसे उसका बहलाना-सहलाना और रह-रहकर अपनापन जताना सहन नहीं होता। वह आत्मनिर्भर बनना चाहता है। कवि कहता है कि मैं अपनी प्रियतमा (सबसे प्यारी स्त्री) के स्नेह से दूर होना चाहता हूँ। वह उसी से दंड की याचना करता है।

वह ऐसा दंड चाहता है कि प्रियतमा के न होने से वह पाताल की अँधेरी गुफाओं व सुरंगो में खो जाए। ऐसी जगहों पर स्वयं का अस्तित्व भी अनुभव नहीं होता या फिर वह धुएँ के बादलों के समान गहन अंधकार में लापता हो जाए जो उसके न होने से बना हो। ऐसी जगहों पर भी उसे अपनी प्रियतमा का ही सहारा है।

उसके जीवन में जो कुछ भी है या जो कुछ उसे अपना-सा लगता है, वह सब उसके कारण है। उसकी सत्ता, स्थितियाँ भविष्य की उन्नति या अवनति की सभी संभावनाएँ प्रियतमा के कारण है। कवि का हर्ष-विषाद, उन्नति-अवनति सदा उससे ही संबंधित है। कवि ने हर सुख-दु:ख, सफलता-असफलता को प्रसन्नतापूर्वक इसलिए स्वीकार किया है क्योंकि प्रियतमा ने उन सबको अपना माना है। वे कवि के जीवन से पूरी तरह जुड़ी हुई है।

सहर्ष स्वीकारा है शब्दार्थ :

  • सहर्ष = खुशी – खुशी (readily),
  • स्वीकारा = मन से मानना (accept),
  • गरवीली = स्वाभिमानी (self-respect),
  • गंभीर = गहरा (grave),
  • अनुभव = व्यावहारिक ज्ञान (experience),
  • विचार वैभव = अच्छे विचार, विचारों की संपन्नता (glorious thought),
  • दृढ़ता = मजबूती (solidity),
  • सरिता = नदी (river),
  • अभिनव = नया (new),
  • मौलिक = वास्तविक, मूलभूत (basic),
  • जाग्रत = जागा हुआ (awake),
  • अपलक = निरंतर, एकटक (unwinking),
  • संवेदन = अनुभूति (perception),
  • उँडेलना = बाहर निकालना (to outpour),
  • सोता = झरना (spring), Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है
  • दंड = सजा (punishment),
  • दक्षिण ध्रुवी अंधकार = दक्षिण ध्रुव पर ढकने से घिरा हुआ (south pole darkness),
  • आच्छादित = छाया हुआ, ढका हुआ (clad),
  • रमणीय = मनोरम (delightful),
  • उजेला = प्रकाश (light),
  • ममता = अपनापन, स्नेह (motherly love),
  • मँडराती = आसपास घूमना (move around),
  • पिराता = दर्द करना (painful),
  • अक्षम = अशक्त (weak),
  • भवितव्यता = भविष्य में घटने वाली घटनाएँ (future),
  • बहलाती = मन को प्रसन्न करती (recreate),
  • सहलाती = दर्द को कम करती हुई (stroke),
  • पाताली अँधेरा = धरती की गहराई में पाई जाने वाली धुंध, गुहा = गुफा (cave),
  • विवर = बिल, गड्ढा (centesis),
  • लापता = गायब (missing),
  • कारण = मूल प्रेरणा (reason),
  • घेरा = फैलाव (enclosure),
  • वैभव = समृद्ध (splendour)
  • गरबीली = स्वाभिमानी
  • मौलिक = मूलभूत
  • अपलक = एकटक
  • संवेदन = अनुभूति
  • सोता = झरना Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है
  • परिवेष्टित = चारों ओर से घिरा हुआ, ढका हुआ
  • पाताली अंधेरा = धरती की गहराई में पाई जाने वाली धुंध
  • विवर = बिल, गड्ढा

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 11 भारती का सपूत Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत

11th Hindi Digest Chapter 11 भारती का सपूत Textbook Questions and Answers

आकलन

1.
प्रश्न अ.
‘आप क्यों ऐसों के लिए सिर खपाते हैं…’ वाक्य में ऐसों’ का प्रयोग इनके लिए किया गया है…
(a) …………………………………………
(b) …………………………………………
(c) …………………………………………
उत्तर :
(a) विश्वेश्वर प्रसाद
(b) वेणीप्रसाद
(c) शत्रु

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प्रश्न आ.
लिखिए –
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत 3
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत 12

प्रश्न इ.
अंतर लिखिए –
मिशन के स्कूल – भारतीय स्कूल
(a) …………………………. (a) ………………………….
(b) …………………………. (b) ………………………….
उत्तर :

मिशन के स्कूल  भारतीय स्कूल
(1) जहाँ अंग्रेजी पढ़ाई जाती है पर भारतीय संस्कृति नहीं पढ़ाई जाती।  (1) भारतीय भाषा पढ़ाकर भारतीय संस्कृति से अवगत कराया जाता है।
(2) अंग्रेजी पढाकर हिंदओं को काले साहब बनाया जाता है।  (2) भारतीय एकता और अखंडता का निर्माण किया जाता है।

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शब्द संपदा

2. निम्नलिखित शब्दों के भिन्नार्थक अर्थ लिखकर उनसे अर्थपूर्ण वाक्य तैयार कीजिए :

(1) दिया : ……………………………………………..
उत्तर :
देना : भारतेंदु ने समाज को भारतीय संस्कृति का संदेश दिया है।

दीया : ……………………………………………..
उत्तर :
दीप : दीया जलते ही आलोक (प्रकाश) होता है।

(2) सदेह : ……………………………………………..
उत्तर :
देह के साथ, सशरीर : कहा जाता है संत तुकाराम का सदेह वैकुंठ गमन हुआ था।

संदेह : ……………………………………………..
उत्तर :
शंका : अच्छे इन्सान पर संदेह करना बुरी बात है।

(3) जलज : ……………………………………………..
उत्तर :
जल में जन्मा कमल : कीचड़ में जलज खिलते हैं।

जलद : ……………………………………………..
उत्तर :
बादल : आकाश में जलद छाए हुए थे।

(4) अपत्य : ……………………………………………..
उत्तर :
संतान : दो अपत्य के बजाय आज एक अपत्य ही पर्याप्त है।

अपथ्य : ……………………………………………..
उत्तर :
अहितकर : अपथ्य भोजन से दूर रहना चाहिए।

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(5) उद्दाम : ……………………………………………..
उत्तर :
निरंकुश : आज की पीढ़ी उद्दाम हो रही है।

उद्यम : ……………………………………………..
उत्तर :
उद्योग, पुरुषार्थ : उद्यम से वर्तमान और भविष्य दोनों में अच्छा परिवर्तन आता है।

अभिव्यक्ति

3.
प्रश्न अ.
‘भाषा राष्ट्र के विकास में सहायक होती है’, इसपर अपना मत लिखिए।
उत्तर :
किसी भी राष्ट्र का विकास उस देश की एकता और अखंडता पर निर्भर करता है। एकता और अखंडता देश की भाषा पर निर्भर होती है। जिस देश में एक राष्ट्रभाषा होती है, देश के सभी लोग एक भाषा में बोलते हैं और अपना व्यवहार एक ही भाषा में करते हैं। परिणाम स्वरूप देश के अनेक प्रश्न अपने आप हल हो जाते हैं। आज भारत देश का विचार किया जाय तो भारत देश से अंग्रेज चले गए, पर अंग्रेजी भाषा की हुकूमत नहीं गई।

अंग्रेजी एक वैज्ञानिक भाषा है, उसे बिल्कुल विरोध नहीं है। परंतु वह भाषा देश की एकता को नहीं बना सकती। देश के सभी लोग इसे बोल नहीं पाते, नाही समझ सकते हैं। हिंदी भारत की बोलचाल की भाषा है, देश के अधिक से अधिक लोग जिसे बोलते हैं, समझते हैं, अपना सारा व्यवहार जिसमें कर सकते हैं। इसलिए देश के विकास में भाषा का महत्वपूर्ण स्थान है। भारत के अनेक प्रश्न केवल भाषा से दूर हो सकते हैं।

भाषानिहाय प्रांतरचना करने से अनेक राज्यों में संघर्ष दिखाई देता है। राज्यों के लोगों में राज्य विभाजन के साथ स्वतंत्र राज्य निर्मिति का विचार पनपता है। क्षेत्रीय स्वार्थ को तिलांजली देकर पृथकता की भावना का अंतिम संस्कार कर देना चाहिए। एक देश-एक भाषा का होना देश की एकता और अखंडता के लिए बहुत जरूरी है। देश की राष्ट्रीयता को बनाए रखने के लिए भी देश में एक ही राष्ट्रभाषा होना जरूरी है।

आज भारत में राष्ट्रीय एकता, अखंडता, सीमा, स्वतंत्र राष्ट्र निर्माण का प्रयास आदि सारे प्रश्नों का मूल भाषा ही है। इसलिए राष्ट्र का विकास करना है तो देश में एक राष्ट्रभाषा का होना जरूरी है और वही भाषा होनी चाहिए जिसमें हमारी संस्कृति छिपी है जिसे हम बोल पाते हैं, समझ सकते हैं।।

प्रश्न आ.
‘व्यक्ति की करनी और कथनी में अंतर होता है’, इस उक्ति पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
आज समाज में ऐसे अनेक लोग हैं, जो होते कुछ हैं, और दिखाते कुछ हैं। ऐसे बहुरुपियों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे ही लोग समाज को धोखा देते हैं। कथनी और करनी एक होना, आदर्श व्यक्ति की निशानी है। ‘जान जाए पर वचन न जाए’ भारत की यही संस्कृति है। आज राजनीति में इसके विपरीत नजर आता है। चुनाव जब आता है तब हमारे नेता कहते कुछ हैं और चुनाव समाप्त होते ही करते कुछ हैं।

इनकी कथनी और करनी कभी एक नहीं होती, हमेशा कथनी और करनी में अंतर होता है। समाज को शिक्षा देने वाला चाहे वह नेता हो, या अध्यापक, वह पत्रकार हो, या समाज-सुधारक हो, या फिर प्रशासकीय अधिकारी हो इन सब पर देश का भविष्य निर्भर है।

व्यसनाधिनता को दूर करने के लिए उपदेश देने वाला अध्यापक छात्रों को व्यसन के दोष बताता है और वह खुद सिगरेट पीता है तो गलत है। आपपर आने वाली पीढ़ी का भविष्य निर्भर है। आप खुद आदर्श पर कायम रहो। समाज को आदर्श देने वालों में अगर करनी और कथनी में अंतर है तो समाज पर इसका कोई असर नहीं होता।

आज अनेक दोष है, जिसे दूर करने के लिए अनेक लोग उपदेश देते हैं, सलाह देते हैं, पर वह खुद उन दोषों से दूर नहीं हटे हैं। करनी और कथनी में अंतर यह आज की विडंबना है।

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4. पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न

प्रश्न अ.
भारतेंदु ने कुल के गर्व को दुहराने के बजाय देश के गर्व को दुहराया….’ पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर :
भारतेंदु जी हरिश्चंद्र जी का जन्म उच्च कुल में हुआ था। भारतेंदु जी के जन्म के समय उच्च वर्गों का समाज पर बहुत बड़ा असर था। उच्च कुलों का ही सम्मान था। यहाँ तक की देश की सामाजिक सत्ता उस वक्त देश के उच्च कुल के ही हाथ में थी।

परिस्थिति यह थी कि उस वक्त समाज वर्गों में बँट गया था। निम्न वर्ग के लोगों के लिए किसी प्रकार के कोई भी अधिकार नहीं थे। वे शिक्षा से काफी दूर थे, परिणामवश निम्न वर्ग के लोगों में अज्ञान, अंधविश्वास, कुरीति, कुपरंपरा, जिससे निर्माण होनेवाला दारिद्र्य काफी बड़ी मात्रा में नजर आता था।

भारतेंदु जी का जन्म भले ही उच्च कुल में क्यों न हुआ पर बचपन से उनके मन में निम्नवर्ग के प्रति आदर था। सामाजिक विषमता को दूर करने के लिए भारतेंदु जी ने हिंदी स्कूलों का निर्माण किया जिसमें उन्होंने भारतीय संस्कृति, संस्कार, भारतीय भाषा को सिखाने का प्रयास किया।

भारतेंदु जी अपने कुल से सम्मानित न होकर उनके पास जो प्रतिभा थी उनसे सम्मानित व्यक्ति बने थे। साथ ही साथ निम्न वर्ग के लिए उन्होंने जो काम किया यह उसका परिचायक है।

भारतेंदु जी का साहित्य, उनकी सामाजिक सेवा का कार्य, पत्रकारिता के माध्यम से लोगों को जगाने का काम, अंग्रेजी स्कूलों से निर्माण होने वाले कालेसाहब जो अपनों पर ही हुकूमत करते थे, इनका विरोध किया। उनके कार्य इस बात का परिचय देते हैं कि भारतेंदु जी ने कुल के गर्व को दुहराने के बजाय देश के गर्व को दुहराया है।

देश, धर्म, साहित्य, दारिद्र्य मोचन, अपमानिता नारी के उद्धार के लिए उन्होंने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था।

प्रश्न आ.
‘भारती का सपूत के आधार पर भारतेंदु की उदार प्रवृत्ति का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
‘भारती का सपूत’ जीवनीपरक उपन्यास है। भारतेंदु जी के जीवन और कार्य को आने वाली पीढ़ी के सामने रखना लेखक का उद्देश्य है। प्रस्तुत पाठ से भारतेंदु जी की उदार प्रवृत्ति स्पष्ट नजर आती है। भारतेंदु जी भले ही उच्च कुल में पैदा हुए हो पर उन्होंने अपना पूर्ण जीवन सामान्य लोगों के लिए बिताया है। साहित्य के क्षेत्र में हिंदी गद्य का निर्माण करके हिंदी भाषा को जनमानस की भाषा बनाने का काम किया।

अंग्रेजी और हिंदी स्कूल खोलकर भारतेंदु जी ने निम्न वर्ग के अज्ञान, अंधश्रद्धा और कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया। स्कूल में आने वाले छात्रों के लिए वह बिना शुल्क लिए पढ़ाते थे। साथ-ही-साथ छात्रों को किताबें और कलम मुफ्त में देते थे। इतना ही नहीं छात्रों के लिए खाना भी देते थे।

यह उनकी उदार प्रवृत्ति का उदाहरण है। अनेक प्रकार की पत्रिकाओं से समाज को जगाकर लोगों का दारिद्र्य दूर किया। शिक्षा, साहित्य, समाजसेवा, पत्रकारिता आदि सभी क्षेत्रों से भारतेंदु जी ने जन मानस के लिए जो कार्य किया है वह सब उनकी उदार प्रवृत्ति का परिचायक है।

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साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए:

प्रश्न अ.
रांगेय राघव जी की रचनाओं के नाम –
…………………………………………………………………
…………………………………………………………………
उत्तर :
उपन्यास – विषाद मठ, उबाल, राह न रुकी, देवकी का बेटा, घरौंदा, कब तक पुकारूँ, आखिरी आवाज आदि कहानी संग्रह – पंच परमेश्वर, अवसाद का छल, गूंगे, प्रवासी, घिसटता कंबल, नारी का विक्षोभ, देवदासी आदि।

प्रश्न आ.
भारतेंदु द्वारा रचित साहित्य –
…………………………………………………………………
…………………………………………………………………
उत्तर :
काव्य कृतियाँ – भक्त सर्वस्व, प्रेममालिका, प्रेम-तरंग, वर्षा-विनोद, कष्ण – चरित्र प्रमुख निबंध – कालचक्र, कश्मीर, कुसुम, जातिय संगीत, स्वर्ग में विचार सभा नाटक – सत्य हरिश्चंद्र, श्री चंद्रावली, भारत दुर्दशा अँधेर नगरी, प्रेमजोगिनी आत्मकथा – ‘एक कहानी – कुछ आप बीती, कुछ जग बीती’ उपन्यास – पूर्णप्रकाश, चंद्रप्रभा यात्रा वृत्तांत – सरयू पार की यात्रा, लखनऊ

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 11 भारती का सपूत Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका
(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : भारतेंदु के जन्म के समय उच्च वर्गों का बहुत बड़ा ………… मुफ्त दवा बँटती थी। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 56)

प्रश्न 1.
तालिका पूर्ण कीजिए :

भारतेंदु जी के जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ भारतेंदु जी की उम्र
(i) कविताएँ रचना शुरू किया ………………………………….
(ii) मन्नोदेवी से विवाह ………………………………….
(iii) नौजवानों का संघ बनाना ………………………………….
(iv) वाद-विवाद सभा की स्थापना ………………………………….

उत्तर :

भारतेंदु जी के जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ भारतेंदु जी की उम्र
(i) कविताएँ रचना शुरू किया पाँच वर्ष
(ii) मन्नोदेवी से विवाह तेरह वर्ष
(iii) नौजवानों का संघ बनाना सत्रह वर्ष
(iv) वाद-विवाद सभा की स्थापना अठारह वर्ष

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प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) भारतेंदु जी को महत्त्व दिया गया ………………………………
उत्तर :
भारतेंदु जी को महत्त्व दिया गया उसका कारण उच्च कुल नहीं बल्कि उनकी प्रतिभा थी।

(ii) भारतेंदु जी ने वाद-विवाद सभा स्थापित की ………………………………
उत्तर :
भाततेंदु जी ने वाद-विवाद सभा स्थापित की क्योंकि वे भाषा और समाज का सुधार करना चाहते थे।

प्रश्न 3.
निम्न समोच्चारित भिन्नार्थक शब्दों के अर्थ लिखिए :
(i) प्रधान / प्रदान
(ii) दिन / दीन
उत्तर :
प्रधान : मुख्य
प्रदान : देने की क्रिया या भाव
दिन : दिवस
दीन : गरीब

प्रश्न 4.
‘दीन-दुखियों की सेवा ही ईश्वर सेवा है’, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
जो मनुष्य स्वयं के सुख हेतु जीता है वह स्वार्थी होता है परंतु जो परोपकार करता है, दीन-दुखियों की सेवा करता है वह महात्मा होता है। जरूरत मंदों की सेवा ही ईश्वर की सच्ची इबादत है। कर्म ही एक व्यक्ति की पहचान है। गरीबों का मित्र बनकर सेवा करना या बीमार व्यक्तियों की देखभाल करना, समाज का कल्याण करने में जीवन बिताना एक अर्थ में ईश्वर की पूजा करना ही है। क्योंकि इन्हीं दीन-दुखियारों की बस्ती में ईश्वर का वास होता है।

मानव सेवा ही ‘माधव’ सेवा है। दीनों की सेवा करके एक व्यक्ति ईश्वर को प्रसन्न कर पाता है और ईश्वर का अनुग्रह प्राप्त कर लेता है। इसीलिए तो कहा गया है कि,

भलाई बाँटने वाले कभी मोहताज नहीं होते,
हर दुख की दवा उनके पास होती है।’

जो ईश्वर सेवा करना चाहते हैं उन्हें हर समय दूसरे की भलाई के बारे में सोचना चाहिए बेसहारा लोगों को सहारा देना चाहिए। दूसरों का दुख बाँटने वाले का जीवन कभी व्यर्थ नहीं जाता।

(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : क्योंकि हम लोगों के पास धन है ………… मुफ्त खाना भी बँटवाने लगे। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 57)

प्रश्न 1.
प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए :
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उत्तर :
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प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए :
(i) भारतेंदु द्वारा खोले स्कूल में दी गई सुविधाएँ –
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत 6
उत्तर :
भारतेंदु द्वारा खोले स्कूल में दी गई सुविधाएँ –
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत 7

(ii) मदरसे में अध्यापन करने वाले व्यक्ति –
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत 8
उत्तर :
मदरसे में अध्यापन करने वाले व्यक्ति –
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत 9

प्रश्न 3.
(i) लिंग बदलकर लिखिए :
उत्तर :
(1) देवर – ……………………………………
(2) अध्यापक – ……………………………………
उत्तर :
(1) देवर – देवरानी
(2) अध्यापक – अध्यापिका

(ii) वचन वदलिए :
(1) लड़के – ……………………………………
(2) फसल – ……………………………………
उत्तर :
(1) लड़के – लड़का
(2) फसल – फसलें

प्रश्न 4.
‘भारतीय संस्कृति’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वाधिक प्राचीन संस्कृति है। वह सर्वाधिक संपन्न और समृद्ध है। ‘अनेकता में एकता’ इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। इसमें सहस्त्रो धर्म ग्रंथ, सैकंड़ों आचार ग्रंथ, वेद, पुराण, देवी-देवता, गुरु, महंत और उनकी विभिन्न मान्यताएँ हैं; परंतु हम एक ही परमेश्वर को मानते हैं।

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इसकी अन्य विशेषता है इसका लचीलापन। इसमें समन्वय का एक अनोखा गुण विद्यमान है। इसीलिए आस्तिक-नास्तिक, मूर्तिपूजक व विरोधी, मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर, अलग-अलग भाषाएँ, पितृसत्तात्मक व मातृसत्तात्मक परिवार सभी को सुंदर पुष्पों के रूप में मानकर भारतीय संस्कृति सुगंध से भरपूर उपवन बनी है। वह हमें एक-दूसरे का आदर करना सिखाती है। सत्य, नैतिकता, ईमानदारी जैसे जीवन मूल्यों को महत्त्व देती है।

यह विश्व की एकमात्र ऐसी संस्कृति है जो विश्वशांति एवं विश्वबंधुत्व का संदेश देती है। यह एक ऐसा गुलदस्ता है जो विभिन्न विचारों के फूलों से सुसज्जित और स्नेह की डोरी में बँधा हुआ है।

(इ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : मल्लिका ने देखा तो आँखें फटी रह ………… क्या वह मनुष्य था! (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 58)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत 10
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत 11

प्रश्न 2.
सह-संबंध लिखिए :
(1) कुलीन – याचक को ना नहीं कर सकता था।
(2) धनी – देश में सुधार करता घूमता रहा।
(3) निर्भीक – जो मनुष्यों से प्रेम करना जानता था।
(4) दानी – उन्मुक्त हाथों से लोगों की मदद करता था।
उत्तर :
(1) कुलीन – जो मनुष्यों से प्रेम करना जानता था।
(2) धनी – उन्मुक्त हाथों से लोगों की मदद करता था।
(3) निर्भीक – देश में सुधार करता घूमता रहा।
(4) दानी – याचक को ना नहीं कर सकता था।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों को प्रत्यय लगाकर नया शब्द बनाइए
(1) कुल – ………………………………….
(2) धर्म – ………………………………….
(3) देश – ………………………………….
(4) भारत – ………………………………….
उत्तर :
(1) कुलीन
(2) धार्मिक
(3) देशी
(4) भारतीय

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प्रश्न 4.
‘देश के प्रति मेरा कर्तव्य’ अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
देश के प्रति हम सब की कुछ जिम्मेदारियाँ और कर्तव्य हैं जो हमें निभाने चाहिए। हमें हमारे राष्ट्र को, राष्ट्र ध्वज को तथा राष्ट्र गान को सम्मान देना चाहिए। देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए। देश के कानून का कठोरता से पालन करना चाहिए।

हमारी राष्ट्रीय थाती एवं सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा करनी चाहिए। पर्यावरण को साफसुथरा रखना हमारा कर्तव्य है। हमारी प्राकृतिक संपदा की सुरक्षा करना भी हमारा कर्तव्य है। अपनी योग्यता, रुचि, अभिरुचि के अनुरूप देश के विकास में योगदान देना चाहिए। हमें बुद्धिमानी से मतदान कर नेता चुनना चाहिए। हमें अपने करों का भुगतान समय पर करना चाहिए।

देश का उज्ज्वल भविष्य हमारे हाथ में है इस बात को सदैव याद रखकर अपने कर्तव्य ईमानदारी से निभाना ही देशभक्ति है। हमारी सोच सकारात्मक हो। हमें शिक्षा का प्रचार-प्रसार करके श्रम शक्ति का बेहतर उपयोग करना चाहिए और वैज्ञानिक सोच अपनाकर अग्रसर होना चाहिए।

भारती का सपूत Summary in Hindi

भारती का सपूत लेखक परिचय :

रांगेय राघव जी का जन्म 17 जनवरी 1923 को श्री रंगाचार्य के घर उत्तर प्रदेश में हुआ। आपकी पूर्ण शिक्षा आगरा में हुई। वहीं से आपने पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त की। आंचलिक ऐतिहासिक तथा जीवनीपरक उपन्यास लिखने वाले रांगेय राघव जी के उपन्यासों में भारतीय समाज का यथार्थ (actual) चित्रण प्राप्त है। आपने साहित्य की लगभग सभी विधाओं में सृजनात्मक (creative) लेखन करके हिंदी साहित्य को समृद्धि (prosperity) प्रदान की है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत1

आपने मातृभाषा हिंदी से ही देशवासियों के मन में देश के प्रति निष्ठा और स्वतंत्रता का संकल्प जगाया। सबसे पहले कविता के क्षेत्र में कदम रखा पर महानता मिली गद्य लेखक के रूप में। 1946 में प्रकाशित ‘घरौंदा’ उपन्यास के जरिए आप प्रगतिशील कथाकार के रूप में चर्चित हुए।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत

1962 में आपको कैंसर रोग पीड़ित बताया गया। उसी वर्ष 12 सिंतबर को आप मुंबई में देह त्यागी। पुरस्कार : हिंदुस्तान अकादमी, डालमिया पुरस्कार, मरणोपरांत (1966) महात्मा गांधी पुरस्कार।

भारती का सपूत प्रमख कतियाँ :

उपन्यास – विषाद मठ, उबाल, राह न रुकी, बारी बरणा खोल दो, देवकी का बेटा, रत्ना की बात, भारती का सपूत, यशोधरा जीत गई, घरौंदा, लोई का ताना, कब तक पुकारूँ, राई और पर्वत, आखिरी आवाज आदि। कहानी संग्रह – पंच परमेश्वर, अवसाद का छल, गूंगे, प्रवासी, घिसटता कंबल, नारी का विक्षोभ, देवदासी, जाति और पेशा आदि

भारती का सपूत विधा का परिचय :

‘उपन्यास’ वह गद्य कथानक है जिस के द्वारा जीवन तथा समाज की व्यापक व्याख्या की जा सकती है। उपन्यास को आधुनिक युग की देन कहना अधिक समुचित होगा। साहित्य में गद्य का प्रयोग जीवन के यथार्थ चित्रण का द्योतक है। साधारण बोलचाल की भाषा द्वारा लेखक के लिए अपने पात्रों, उनकी समस्याओं तथा उनके जीवन की व्यापक पृष्ठभूमि से प्रत्यक्ष संबंध स्थापित करना आसान हो गया है।

उपन्यास हमारे जीवन का प्रतिबिंब होता है, जिसको प्रस्तुत करने में कल्पना का प्रयोग आवश्यक है। मानव जीवन का सजीव चित्रण उपन्यास है। उपन्यास महान सत्यों और नैतिक आदर्शों का एक अत्यंत मूल्यवान साधन है।

भारती का सपूत विषय प्रवेश :

जीवन में अनेक ऐसी महान विभूतियाँ होती है, जिनका स्मरण करके हम आने वाली पीढ़ी के सामने उनका आदर्श रख सकते हैं। प्रस्तुत जीवनपरक उपन्यास में हिंदी गद्य के जनक तथा पिता भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के जन्मदिन के अवसर पर अध्यापक रत्नहास ने लोगों को निमंत्रित करके एक तरफ उनके प्रति श्रद्धा जताई तो दूसरी तरफ निमंत्रित लोगों के सामने भारतेंदु जी के जीवन के अनेक पहलुओं को उजागर किया।

भारतीय भाषा और संस्कृति, अंग्रेजी स्कूलों का दुष्परिणाम, हिंदी अंग्रेजी पाठशाला निर्माण, बचपन से ही साहित्य के प्रति रुझान, पिता का आदर्श, आदि कार्यों का लेखा-जोखा रखकर श्रद्धा प्रकट करना और जीवन में प्रेरणा लेना पाठ का उद्देश्य है। केवल 34 वर्ष 4 महीने जिंदगी जीने वाले भारतेंदु जी का जीवन आदर्शवत (idealizing) है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत

भारती का सपूत पाठ का परिचय :

‘भारती का सपूत’ रांगेय राघव लिखित जीवनीपरक उपन्यास का अंश है। प्रस्तुत जीवनी परक उपन्यास में हिंदी गद्य भाषा के जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के जीवन को आधार बनाकर, उनके जीवन के कुछ पहलुओं को उजागर किया गया है। बचपन से ही साहित्य एवं शिक्षा के प्रति रुझान ने भारतेंदु जी को हिंदी साहित्य जगत का देदीप्यमान इंदु अर्थात चंद्रमा बना दिया।

अंग्रेजों की नीतियाँ, सामाजिक कुरीतियाँ, एवं अशिक्षा के खिलाफ भारतेंदु जी द्वारा जगाई अलख को उपन्यासकार ने अपनी लेखनी से और भी प्रज्वलित किया है।

भारती का सपूत सारांश :

‘भारती का सपूत’ जीवनीपरक उपन्यास है। इसमें भारतेंदु जी के जीवन के अनेक पहलुओं का वर्णन किया है। भारतेंदु जी का जीवन आने वाली पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है। इसलिए अध्यापक रत्नहार जी ने भारतेंदु जी के जन्मदिन के अवसर पर लोगों को बुलाकर उनके प्रति श्रद्धा जताई तो दूसरी तरफ उनके जीवन का बखान करके लोगों में प्रेरणा निर्माण की।

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भारतेंदु जी के पिता कवि थे, उसका असर बचपन में ही भारतेंदु जी पर पड़ा और 5 वर्ष की उम्र में ही भारतेंदु जी कविता लिखने लगे। उनका जन्म उच्च कुल में हुआ था, जिसका प्रभाव समाज पर था। परंतु भारतेंदु जी कुल के कारण महान नहीं बने बल्कि उनके कार्य से महान बने थे।

भारतेंदु जी की शादी 13 वर्ष की उम्र में मन्नो देवी से हुई। 17 वर्ष की उम्र में उन्होंने नौजवानों का संघ बनाया था। उसके बाद वाद-विवाद सभा का निर्माण किया। इस सभा का उद्देश्य भाषा और समाज का सुधार करना था। 18 वर्ष की आयु में बनारस इन्स्टिट्युट और ब्रह्मामृत वार्षिक सभा के प्रधान सहायक रहे। कविवचन-सुधा नामक पत्रिका का निर्माण किया। होम्योपैथिक चिकित्सालय निर्माण करके लोगों को मुफ्त इलाज किया और दवाएँ दीं।

भारतेंदु जी के काल में अंग्रेजी स्कूल थे, जिसका परिणाम – लोग काले साहेब बनकर अपनों पर ही हुकूमत करते थे इसलिए भारतेंदु जी ने हिंदी तथा अंग्रेजी पाठशालाओं का निर्माण किया, जिससे भारतीय संस्कृति तथा भाषा का विकास हो सकें।

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केवल 34 वर्ष 4 महीने की आयु में भारतेंदु जी आखरी दिनों में बिस्तर पर पड़े थे, परंतु फिर भी देश के प्रति उनकी निष्ठा बनी थी। उन्होंने साहित्य, देश, धर्म, दारिद्र्यमोचन, कला और अपमानित नारी के उद्धार के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था।

भारती का सपूत शब्दार्थ :

  • कौतूहल = जिज्ञासा
  • तारतम्य = सामंजस्य
  • तादात्म्य = अभिन्नता, एकरूपता
  • क्षीणकाय = दुर्बल, जर्जर शरीर
  • कौतुहल = जिज्ञासा (curiosity),
  • तारतम्य = सांमजस्य (sequence),
  • तादात्म्य = एकरूपता (equability),
  • क्षीणकाय = दुर्बल, जर्जर शरीर (weak body),
  • हुकूमत = अधिकार, सत्ता (regime),
  • पुरखों = पूर्वज (ancestor),
  • उन्मुक्त = स्वच्छंद, स्वतंत्र (freelance),
  • न्यौछावर = कुरबान (sacrifice),
  • दोगलो = नाजायज, (जो विवाहेतर संबंध से उत्पन्न) (illegitimate)

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ

11th Hindi Digest Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ Textbook Questions and Answers

आकलन

1. लिखिए :

प्रश्न अ.
मछुवा-मछुवी की दिनचर्या –
……………………………………………………..
……………………………………………………..
उत्तर :
मछुवा दिन भर मछलियाँ पकड़ता।
मछुवी दिन भर दूसरा काम करती।

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प्रश्न आ.
मछुवा-मछुवी की कहानी का अंत –
……………………………………………………..
……………………………………………………..
उत्तर :
मछली रूष्ट हो गई।
मछुवा-मछुवी का राजवैभव छिन लिया गया।
दोनों फिर से अपनी टूटी-फूटी झोपड़ी में रहने लगे।

प्रश्न इ.
लेखक द्वारा बताई गईं मनुष्य स्वभाव की विशेषताएँ –
(1) ……………………………………………………..
(2) ……………………………………………………..
(3) ……………………………………………………..
उत्तर :
(1) अपने दोषों को छिपाकर दूसरों पर दोषारोपण करना।
(2) अपने ही कामों को महत्त्व देना, दूसरों के नहीं।
(3) अपने द्वारा किए गए उपकार को निस्संकोच बताना परंतु दूसरों के द्वारा की गई सेवा को न बतलाना।

शब्द संपदा

2. निम्नलिखित शब्दों के लिए उचित शब्द समूह का चयन कीजिए :

(1) अभक्ष्य : जो खाने के अयोग्य हो / जो खाया नहीं गया।
उत्तर :
जो खाने के अयोग्य हो।

(2) अदृश्य : जो दिखाई न दे / जो दिखाई नहीं देता।
उत्तर :
जो दिखाई न दे।

(3) अजेय : जिसे जीता न जा सके / जिसे जितना कठिन हो
उत्तर :
जिसे जीता न जा सके।

(4) शोषित : जिसका शोषण किया गया है जो शोषण करता है।
उत्तर :
जिसका शोषण किया गया है।

(5) कृशकाय : जिसका शरीर कुश के समान हो / जो बहुत दुबला-पतला हो।
उत्तर :
जिसका शरीर कुश के समान हो।

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(6) सर्वज्ञ : जो सब कुछ जानता हो / जो सब जगह व्याप्त है।
उत्तर :
जो सब कुछ जानता हो।

(7) समदर्शी : जो सबको समान देखता है / जो सबको समान दृष्टि से देखता है।
उत्तर :
जो सबको समान दृष्टि से देखता है।

(8) मितभाषी : जो कम बोलता है / जो मीठा बोलता है।
उत्तर :
जो कम बोलता है।

अभिव्यक्ति

3.
प्रश्न अ.
‘अति से तो अमृत भी जहर बन जाता है, इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :
‘अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप।
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।।’

अर्थात ‘अति’ हर जगह नुकसानदायी ही है। अति लालसा मनुष्य के जीवन में पतन के द्वार खोल देती है। कुछ पाने की आशा में वह अपना सब कुछ गँवा देता है। अपने नैतिक मूल्यों को अनदेखा कर मनुष्य सारी मर्यादाएँ तोड़कर इच्छापूर्ति में लग जाता है। पाठ में दी गई कहानी के मछुवा-मछुवी की तरह ही जो वैभव मिला था उसे फिर से गँवा बैठते हैं।

दुनिया गवाह है प्रकृति के साथ हमने जो ‘अति किया और कर रहे हैं उसका परिणाम आज प्रदूषण के रूप में भुगत रहे हैं। गुड़ के एक छोटे से टुकड़े का सेवन और स्वाद अच्छा होता है परंतु इस छोटे टुकड़े को बड़े टुकड़े में बदलकर उसका सेवन करने से शरीर में विकार ही उत्पन्न होंगे।

एक गुब्बारे में उसकी क्षमता से अधिक हवा भरने की कोशिश की तो परिणाम क्या होगा कहने की आवश्यकता नहीं है। जो दवा उचित अनुपान से ली गई तो अमृत के समान हमारी सेहत ठीक करती है वही दवा अगर अधिक मात्रा में ली गई तो उसके दुष्परिणाम जान लेवा ही सिद्ध होंगे।

अमृत भी जहर बन जाएगा यह बात त्रिकालाबाधित सत्य है। अत: ‘अति सर्वत्र वर्जयेत’ ध्यान में रखना है और ‘अति’ से बचना चाहिए।

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प्रश्न आ.
‘महत्त्वाकांक्षाओं का कभी अंत नहीं होता’, इस वास्तविकता को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
प्रगति के लिए महत्त्वाकांक्षी होना उचित है परंतु इनका कोई अंत नहीं है। एक के पूरा होते ही दूसरी महत्त्वाकांक्षा जन्म ले लेती है। इच्छा, कामना, लालसा, महत्त्वाकांक्षा ये सभी तृष्णा के पर्यायवाची शब्द हैं। इन्हीं कारणों से मनुष्य नैतिक या अनैतिक मार्ग से भी क्यों न हो उसे पूरा करने में लग जाता है।

सपने देखना एक सहज प्रवृत्ति है परंतु उन्हें साकार न होते देख तनावग्रस्त होना गलत है। क्योंकि हम दूसरों के आधार पर अपना आकलन करने लगते हैं। दूसरों से आगे निकलना ही हमारे लिए महत्त्वपूर्ण बन जाता है। फिर वह खेल-कूद हो, पढ़ाई-लिखाई हो, घर-गृहस्थी हो या अन्य कुछ।

विचार, ज्ञान, पैसा, प्रतिष्ठा, बल, बुद्धि आदि में दूसरों से श्रेष्ठ बनने की महत्त्वाकांक्षा हममें जागती ही रहती है। वह हमें लोभ के माया जाल में फँसाती रहती है। उदाहरणार्थ – एक छोटा सा घर बनाने की महत्त्वाकांक्षा से जब अपना घर बनता है।

तब हमारे घर के सामने किसी का बड़ा घर बनते ही हमें अपने घर का आनंद होने की बजाय सामने वाले घर के समान अपना घर नहीं इस बात का दुःख होता है और हम उसी प्रकार के घर को बनाने की महत्त्वाकांक्षा में लग जाते हैं।

कितना भी मिला, कितना भी पाया तो भी मनुष्य संतुष्ट नहीं होता; महत्त्वाकांक्षा कभी समाप्त नहीं होती। यही जीवन की वास्तविकता है।

पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न।

4.
प्रश्न अ.
प्रस्तुत निबंध में निहित मानवीय भावों से संबंधित विचार लिखिए।
उत्तर :
‘महत्त्वाकांक्षा और लोभ’ इस निबंध में लेखक श्री. पदुमलाल बख्शी जी ने महत्त्वाकांक्षा के साथ-साथ असंतोष, अति लालसा, स्वयं को शक्तिमान बनाने की उत्कट अभिलाषा तथा कृतघ्नता के दुष्परिणाम को प्रस्तुत किया है। जो सुलभता से प्राप्त होता है उसके प्रति अर्थात प्राप्य के प्रति विरक्ति का भाव तथा अप्राप्य की लालसा मनुष्य को किस तरह लोभ में फँसाती है इसे कहानी द्वारा स्पष्ट किया है।

मछुवा और मछुवी को मछली के वरदान से घर, धन, राजकीय वैभव प्राप्ति के साथ-साथ मछुवी रानी बनी और सेवा में नौकर-चाकर भी प्राप्त हुए। इतना सब-कुछ प्राप्त होने से जो मिला है, उससे संतुष्ट होना चाहिए था। पर मानवीय प्रवृत्ति ऐसी है कि जो कभी संतुष्ट रहने नहीं देती, जो अप्राप्य है उसे पाने का प्रयास करती रहती है। अति महत्त्वाकांक्षा ने सूर्य, चंद्र, मेघ को अपने वश में करने की लालसा ने उनका जीवन समाप्त किया।

मानवीय भावों को अपने वश में रखना सही है पर हम उसे अपने वश में रख नहीं पाते यही हकीकत है।

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प्रश्न आ.
पाठ के आधार पर कृतघ्नता, असंतोष के संबंध में लेखक की धारणा लिखिए।
उत्तर :
पाठ की कहानी में देवी मछली की कृतघ्नता लेखक ने स्पष्ट की है। मछुवे ने देवी मछली की मदद निस्वार्थ भाव से की थी।

पत्नी के कहने पर उसने कुछ याचना की थी और उसे पूरा करके देवी मछली ने मछुए की पत्नी में अभिलाषा पैदा की थी। परंतु उसके सामने मछुवे ने पत्नी की ऐसी इच्छा प्रकट की थी जो वह पूरा नहीं कर सकती थी तब उसने सारा वैभव, धन सबकुछ वापस ले लिया और गरीबी में रहने का शाप दे दिया।

वरदान का अंत इस प्रकार अभिशाप में परिणत हो गया। देवी होते हुए भी उसमें त्याग, प्रेम, कृतज्ञता, क्षमा, दया जैसी भावनाएँ नहीं थी। वह कृतघ्न थी जो एक देवी को शोभा नहीं देता।

मछुवे की पत्नी में जो असंतोष था वह मानवी स्वभाव है। क्योंकि जब तक मनोवांछित फल मिलता नहीं तब तक उसे पाने के लिए मन लालायित रहता है परंतु जब वह वस्तु प्राप्त हो जाती है तब हमें दूसरी उससे भी बड़ी और महत्त्वपूर्ण वस्तु प्राप्त करने की इच्छा जाग जाती है और असंतोष की भावना मन में बनी रहती है। मछली ने पहले घर माँगा था। फिर खाने-पीने की तकलीफ है इसलिए धन माँगा था। लालसा बढ़ जाने पर राज वैभव माँगा था।

उसके पास महल, बाग, नौकर-चाकर आ जाने पर उसने सूर्य, चंद्र, मेघ आदि पर हुक्म करने की इच्छा व्यक्त की थी। अति लालसा और असंतोष के कारण ही जो कुछ उसने पाया था उसे खोना पड़ा था।

जो मछुवा-मछुवी वर्तमान में संतोष से जी रहे थे, टूटी-फूटी झोपड़ी में भी संतुष्ट थे उनमें असंतोष के भाव पैदा होने के कारण ही राज-वैभव भी उन्हें संतुष्ट नहीं कर पाया। मन की अनंत इच्छाओं का परिणाम ऐसा ही भयानक होता है यही लेखक का कहना है।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए:

प्रश्न अ.
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी के निबंधों की प्रमुख विशेषताएँ –
(१) …………………………………………..
(२) …………………………………………..
उत्तर :
(1) कहानी जैसी मनोरंजकता
(2) जीवन की सच्चाइयों की बड़ी सरलता से अभिव्यक्ति

प्रश्न आ.
अन्य निबंधकारों के नाम –
उत्तर :

  • राँगेय राघव
  • रामधारीसिंह ‘दिनकर’
  • हजारीप्रसाद द्विवेदी
  • गुणाकर मुळे
  • रवींद्रनाथ त्यागी

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6. दी गई शब्द पहेली से सुप्रसिद्ध रचनाकारों के नाम ढूंढकर उनकी सूची तैयार कीजिए :
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उत्तर :

  1. महादेवी वर्मा
  2. मीरा
  3. रांगेय राघव
  4. पंत (सुमित्रानंदन)
  5. कमलेश्वर
  6. प्रेमचंद
  7. निराला (सूर्यकांत त्रिपाठी)
  8. नीरज (गोपालदास सक्सेना)
  9. सूरदास
  10. प्रसाद (हरिशंकर)
  11. जैनेंद्र कुमार

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका

(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : पर एक दिन एक घटना हो गई …………………………………. मछली उन्हें खाकर उसपर और भी प्रसन्न होती। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 50-51)

प्रश्न 1.
कारण लिखिए :
(i) मछली ने मछुवे को पुकारा –
(1) ………………………………..
(2) ………………………………..
उत्तर :
(1) नदी के किनारे लता में मछली फँसी थी।
(2) मछली अपने जीवनदान के लिए पुकार रही थी।

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(ii) मछली को आनंद हुआ –
(1) ………………………………..
(2) ………………………………..
उत्तर :
(1) मछुवे ने मछली को पानी में छोड़ा।
(2) आटे की गोलियाँ खिलाई।

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए :
(i) मछली यहाँ फँसी थी – ………………………………..
(ii) नदी के पास था – ………………………………..
(iii) मछलियाँ पकड़ने आया था – ………………………………..
(iv) यहाँ खूब पानी था – ………………………………..
उत्तर :
(i) लताओं में
(ii) एक गड्ढा
(iii) मछुवा
(iv) नदी में

प्रश्न 3.
(i) विलोम शब्द लिखिए :
(1) तैरना : ………………………………
उत्तर :
डूबना

(ii) सुरक्षित शब्द सुरक्षा + इत अर्थात ‘इत’ प्रत्यय लगाकर वना है। ‘इत’ प्रत्यययुक्त अन्य शब्द लिखिए:
(1) …………………………………
(2) …………………………………
उत्तर :
(1) शिक्षा + इत = शिक्षित
(2) सीमा + इत = सीमित

प्रश्न 4.
अभिलाषा पूर्ति के आनंद को अपने अनुभव द्वारा व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
हर मनुष्य को सुख की अभिलाषा रहती है। सुख-दुख का संबंध मनुष्य के शरीर से होता है जबकि आनंद का संबंध उसकी आत्मा से होता है। हम जो भी कर्म करते हैं फल की आशा हमें होती ही है और मनोनुकूल फल पाकर हमारा मन आनंदित हो उठता है।

प्रकृति के सौंदर्य का रसपान मेरे लिए सबसे बड़ा आनंद है। दैनंदिन जीवन की चिंताओं से दूर प्रकृति की गोद में बैठकर मौज-मस्ती करने में जो आनंद है वह शायद ही किसी अन्य साधन से मिलता होगा। कामकाज की थकान क्षण में काफूर हो जाती है।

ऋषि-मुनियों की आध्यात्मिक चेतना यहाँ जागृत होती रही और हमारी संस्कृति का विकास हुआ। कवियों के अंत:स्थल से काव्य की अभिव्यक्ति हुई। एक कवि ने क्या खूब लिखा है –

‘पर्वतों की श्रृंखलाओं में ये कौन सा जादू है छिपा,
ऐसा लगा मुझे जीवन का सबसे हँसीन पल मिला।’

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(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : मछुवा नदी के तट पर ………………………………… मछली से यही माँगो। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 51)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
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उत्तर :
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प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) घर होने से लाभ नहीं हुआ क्योंकि …………………………………
उत्तर :
घर होने से लाभ नहीं हुआ क्योंकि खाने-पीने की तकलीफ थी।

(ii) धन प्राप्त होने से लाभ नहीं हुआ क्योंकि …………………………………
उत्तर :
धन प्राप्त होने से लाभ नहीं हुआ क्योंकि मछवी को राजवैभव चाहिए था।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों को उपसर्ग लगाकर सही शब्द वनाओ।
(i) दिन :
(ii) घर
(ii) धन
(iv) एक
उत्तर :
(i) दुर्दिन
(ii) बेघर
(iii) निर्धन
(iv) अनेक.

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प्रश्न 4.
‘लालच बुरी वात है’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
जब कभी इंसान लालच करता है वह अपना ही नुकसान कर बैठता है। लालच के कारण हमारी संपत्ति, रिश्ते-नाते सब बिगड़ जाते हैं। लालच में पड़कर एक भाई अपने भाई को, पति-पत्नी एक दूसरे को धोखा देते हैं। इतना ही नहीं तो कोई गद्दार अपनी मातृभूमि को भी धोखा दे सकता है।

ऐसा करने वाले सभी अंत में स्वयं का ही नुकसान कर बैठते हैं। लालच के चलते गलत काम करके मुसीबत में फंसने वाले कितने ही लोग हमें आस-पास ही देखने मिल जाएँगे। लालच इंसान को इंसान नहीं रहने देती। लालच ऐसी बुरी बला है कि हमें सफलता के रास्ते से दूर ले जाती है।

सत्तालिप्सा, धनलोलुपता, पदलोलुपता के चलते मनुष्य मानवता को भी ताक पर रख देता है। इतिहास इसका गवाह है। अत: लालच से हमेशा दूर रहकर नैतिक पतन से बचना चाहिए और सफलता की ओर अग्रसर होना चाहिए।

(इ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : यदि मैं मछुवा होता तो ……………………………………….. उपकार की भावना नहीं है, क्षमा नहीं, दया नहीं है। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 52)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
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उत्तर :
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प्रश्न 2.
परिणाम लिखिए :

(i) मछुवी को मछली की दैवी शक्ति पर विश्वास हो जाने का परिणाम –
उत्तर :
मछुवी को मछली की दैवी शक्ति पर विश्वास हो जाने का परिणाम यह हुआ कि मछुवी ने ऐसी इच्छा प्रकट कर दी जो पूरी करना असंभव था।

(ii) देवी समझकर याचना करने का परिणाम –
उत्तर :
देवी समझकर याचना करने का परिणाम यह हुआ कि मछुवे की पत्नी के मन में अभिलाषाएँ पैदा हुई।

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प्रश्न 3.
पर्यायवाची शब्द लिखिए :
(i) हृदय : ……………………………………………..
(ii) विश्वास : ……………………………………………..
उत्तर :
(i) हिय, उर, दिल
(ii) यकीन, आस्था, भरोसा

अभिव्यक्ति :
प्रश्न 1.
‘अति से तो अमृत भी जहर वन जाता है’ इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :
संत कबीर कहते है,

‘अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप।
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।।’

अर्थात ‘अति’ हर जगह नुकसानदायी ही है। अति लालसा मनुष्य के जीवन में पतन के द्वार खोल देती है। कुछ पाने की आशा में वह अपना सब कुछ गँवा देता है। अपने नैतिक मूल्यों को अनदेखा कर मनुष्य सारी मर्यादाएँ तोड़कर इच्छापूर्ति में लग जाता है। पाठ में दी गई कहानी के मछुवा-मछुवी की तरह ही जो वैभव मिला था उसे फिर से गँवा बैठते हैं।

दुनिया गवाह है प्रकृति के साथ हमने जो ‘अति किया और कर रहे हैं उसका परिणाम आज प्रदूषण के रूप में भुगत रहे हैं। गुड़ के एक छोटे से टुकड़े का सेवन और स्वाद अच्छा होता है परंतु इस छोटे टुकड़े को बड़े टुकड़े में बदलकर उसका सेवन करने से शरीर में विकार ही उत्पन्न होंगे।

एक गुब्बारे में उसकी क्षमता से अधिक हवा भरने की कोशिश की तो परिणाम क्या होगा कहने की आवश्यकता नहीं है। जो दवा उचित अनुपान से ली गई तो अमृत के समान हमारी सेहत ठीक करती है वही दवा अगर अधिक मात्रा में ली गई तो उसके दुष्परिणाम जान लेवा ही सिद्ध होंगे।

अमृत भी जहर बन जाएगा यह बात त्रिकालाबाधित सत्य है। अत: ‘अति सर्वत्र वर्ज येत’ ध्यान में रखना है और ‘अति’ से बचना चाहिए।

महत्त्वाकांक्षा और लोभ Summary in Hindi

महत्त्वाकांक्षा और लोभ लेखक परिचय :

पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी का जन्म 27 मई 1894 को खैरागढ़ (छत्तीसगढ़) में हुआ। शिक्षा के उपरांत आप साहित्य के क्षेत्र में आए। साहित्य क्षेत्र में आपकी निबंध, उपन्यास तथा समीक्षात्मक ग्रंथों में अलग पहचान दिखाई देती है। जीवन के कठीन सिद्धांत अर्थात तत्वों को दृष्टांत के सहारे स्पष्ट करने की आपकी शैली अद्वितीय है। आपका साहित्य समाज का दर्पण (mirror) ही नहीं बल्कि दीपक है।

जीवन की सच्चाइयों को बड़ी सरलता से व्यक्त करना तथा कहानी-सी मनोरंजकता के साथ प्रस्तुति आपके साहित्य की विशेष शैली बनी है। साहित्य और समाज सेवा में आपका जीवन बीता और 1971 में आपने इस संसार से बिदा ली।

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महत्त्वाकांक्षा और लोभ प्रमुख कृतियाँ :

‘कथा चक्र’ (उपन्यास), “हिंदी साहित्य विमर्श’ और ‘विश्व साहित्य’ (समीक्षात्मक ग्रंथ), बख्शी ग्रंथावली, ‘पंचपात्र’, ‘पद्यवन’, ‘कुछ’, और कुछ (निबंध संग्रह)

महत्त्वाकांक्षा और लोभ विधा का परिचय :

‘निबंध’ एक गद्य विधा है। किसी विषय का यथार्थ चित्रण जिसमें किया जाता है। निबंध इस गद्य विधा से जीवन के तत्वों को बड़ी सरलता के साथ समाज के सामने रखा जाता है। वर्तमान परिस्थितियों का काफी सूक्ष्म चित्रण निबंध जैसी विधा में किया जाता है।

आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ आदि निबंधकारों ने इस विधा को उच्च कोटी पर पहुँचा दिया है।

महत्त्वाकांक्षा और लोभ विषय प्रवेश :

ज्ञात से अज्ञात की ओर इसी शिक्षा प्रणाली की तरह प्रस्तुत निबंध में जीवन के तत्वों को आरंभ में काल्पनिक कथा से जोड़ दिया है। मछुवा और मछुवी की काल्पनिक कहानी हमें सरलता से समझा देती है कि, जीवन की अति महत्त्वाकांक्षा, अति लालसा, सर्वशक्तिमान होने की अभिलाषा जीवन को परास्त (defeated) करती है।

महत्त्वाकांक्षा और लोभ परिणामत:

मछुवा-मछुवी का सामान्य जीवन, मछली का वरदान, अभिलाषाओं का जागृत होना, मानवीय भावों को वश में न रखना, वरदान शाप में परिणत होना – मानवीय भावों के इस खेल में क्या सही, क्या गलत, दोष मछली का या मछुवी का – यही निबंध के चिंतन विषय हैं।

महत्त्वाकांक्षा और लोभ पाठ परिचय :

‘अति से तो अमृत भी जहर बन जाता है’ जीवन के इसी तथ्य को उजागर करने वाले इस निबंध में अति महत्त्वाकांक्षा के साथ असंतोष, अति लालसा, लोभ, स्वयं को सर्वशक्तिमान बना लेने की उत्कट अभिलाषा जीवन को परास्त कर देती है।

जो मिला है, जितना मिला है, उसी में संतुष्ट रहने के बजाय अधिक पाने की अभिलाषा मनुष्य को लोभ के जाल में फँसाती है। मछली के वरदान से मछुवा-मछुवी को घर मिला, धन मिला, राजकीय वैभव मिलने से मछुवी रानी भी बनी।

पर हिरण्यकश्यप की तरह सर्वशक्तिमान होने की अभिलाषा से उन्होंने सूर्य, चंद्र, तथा मेघ को अपनी आज्ञा में रहने का वरदान माँगा। मछली अप्रसन्न होकर शाप देती है – ‘जा-जा, अपनी उसी झोपड़ी में रह।’ वरदान शाप में परिणत होते ही मछुवा-मछुवी झोंपड़ी में रहने लगे।

यहाँ एक तरफ अभिलाषा है। अभिलाषाओं को जगाने वाली मछली है। मानवीय भावों के इस खेल में दोष किसका? यही तो निबंध का सार है।

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महत्त्वाकांक्षा और लोभ पाठ का सारांश :

अप्राप्य की लालसा हमेशा मानव मन को लोभ के जाल में फँसाती रहती है और जीवन को तहस-नहस कर डालती है। जीवन के इसी सिद्धांत को इस निबंध में दृष्टांत द्वारा समझाया है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ 6

एक कछुवा और कछुवी अपनी टूटी-फूटी झोंपड़ी में अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे। मछुवा दिनभर मछलियाँ पकड़ता तो मछुवी दिन भर दूसरा काम करती थी तब कहीं खाने को मिलता था। यही उनका वर्तमान था, उन्हें न आशा थी, न कोई लालसा।

मछुवा एक दिन मछली पकड़ने नदी के किनारे गया। वहाँ नदी के किनारे एक छोटी सी मछली लताओं में फँसी थी। मछली ने मछुवे को देखकर पुकारा और मदद माँगी कि, मुझे पानी में छोड़ दो। मछुवे ने निस्वार्थ भाव से मछली को पानी में छोड़ा।

मछली ने पहले गड्ढे के पानी में, फिर नदी के पानी में छोड़ने की बात की। मछुवे ने वैसा ही किया। फिर मछली ने मछुवे को नदी के किनारे रोज आकर बैठने की बात की ताकि उसका मन बहल जाए। मछुवा वैसा ही करता रहा।

पत्नी के पूछने पर मछुवे ने पूरी घटना बता दी। पत्नी ने कहा तुम कुछ नहीं समझते, वह मछली कोई साधारण नहीं है। मछली के रूप में कोई देवी होगी। उससे कुछ माँग लो।

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पत्नी के कहने पर मछुवे ने मछली से अपने लिए घर माँगा। मछली के वरदान से मछुवे का घर बन गया। मछुवी में लोभ जागा। उसने सोचा घर होने से क्या होगा? धन चाहिए। फिर उसने धन माँगा तो धन मिला पर मछुवी की महत्त्वाकांक्षा बढ़ गई। उसने राजवैभव माँगा। फिर राजवैभव मिल गया।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ

उसका लोभ बढ़ा और उसने फिर रानी होने की अभिलाषा रखी। मछुवी राजमहल में रानी बन गई। अति लोभ से मछुवी ने अपने पति से कहलवाकर मछली से – सूर्य, चंद्र, मेघ पर अपने अधिकार में होने की माँग की। मछली ने रुष्ट होकर कहा – “जा – जा अपनी उसी झोपड़ी में रह।”

मछली के इसी शाप से सब समाप्त होकर मछुवा और मछुवी अपनी उसी – टूटी-फूटी झोंपड़ी मे आ गए। कथा समाप्त हो गई।

प्रस्तुत निबंध से लेखक बताना चाहते हैं कि मछुवा और मछुवी की कही कथा सच नहीं थी पर लोगों के मनोरथों की कथा सच है।

महत्त्वाकांक्षा और लोभ शब्दार्थ :

  • रुष्ट = अप्रसन्न, नाराज
  • मनोरथ = इच्छा, कामना
  • व्यग्रता = अधीरता
  • परिणत = रूपांतरित
  • रुष्ट = अप्रसन्न, नाराज (angry),
  • मनोरथ = इच्छा, कामना (desire),
  • व्यग्रता = अधीरता, बैचेनी (anxiety),
  • निर्बुद्धि = अल्पमति, अज्ञानी, नासमझी (ignorance),
  • अप्राप्य = जो प्राप्त नहीं (inaccessible),
  • परिणत = रूपांतरित (converting)