Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 मान जा मेरे मन

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 4 मान जा मेरे मन Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 मान जा मेरे मन

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 4 मान जा मेरे मन Textbook Questions and Answers

1. भाषा बिंदु:

प्रश्न 1.
रेखांकित शब्द से उपसर्ग और प्रत्यय अलग करके भाषा बिंद लिखिए।
उत्तर:
उदा. मन बड़ा दुस्साहसी था।
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2. संभाषणीय :

प्रश्न 1.
‘मानवीय भावनाएँ मन से जुड़ी होती हैं,’ इस पर गुट में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
मन से ही भावनाओं की उत्पत्ति होती है। मनुष्य का मन जैसा होता है, उसकी भावनाएँ भी वैसी ही होती हैं। मन से ही अच्छी तथा बुरी भावनाएँ जुड़ी होती हैं। जिनका मन अच्छा होता है, उनकी भावनाएँ अच्छी होती हैं। जिनका मन बुरा होता है, उनकी भावनाएँ बुरी होती हैं। मन बड़ा ही चंचल होता है, जो प्रति पल बदलता रहता है। परंतु मन को अपनी बुद्धि से नियंत्रित किया जा सकता है। मन घोड़े के भाँति भागता है, तो बुद्धि उसे लगाम की तरह नियंत्रित करती है।

जब मनुष्य अपनी बुद्धि से अपने मन को वश में करता है और अच्छे कार्यों में लगाता है, तो उसकी भावनाएँ और विचार दोनों अच्छे हो जाते हैं, पर जब वह अपने मन को अनियंत्रित छोड़ देता है, तो उसका मन बुरे कार्यों में डूब जाता है। मनुष्य की भावना अच्छी है तो उसे चारों तरफ अच्छाई दिखती है और भावना बुरी है उसे चारों तरफ बुराई ही बुराई दिखाई पड़ती है। क्योंकि उसका मन ही बुराइयों से भरा होता है।

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3. लेखनीय :

प्रश्न 1.
मन और लेखक के बीच हुए किसी एक संवाद को संक्षिप्त में लिखिए।
उत्तर :
मन को अपनी बुद्धि के द्वारा नियंत्रित करना चाहिए। मन को मनमाना छोड़ देने से अपना बड़ा नुकसान होता है। फिर वह किसी अच्छी बात को मानने के बजाय हजारों तर्क देता है। एक दिन की बात है। आधी रात का वक़्त था। लेखक चारपाई पर उदास बैठा अपने मन को समझाने का प्रयास कर रहा था। उसका मन रूठा-सा कमरे में इधर-उधर घूम रहा था। लेखक ने कहा-‘मन भाई, डॉक्टर कह रहा था कि तुम्हारा वजन बहुत अधिक बढ़ गया है। मैं स्टेशनवाली मशीन पर अपने को वन करने चढ़ा तो उसने भी मना कर दिया। फिर बाज़ार गया तो वहाँ की मशीन ने मेरा वजन बताया। सोचो, जब मेरे वजन से मशीन को इतना कष्ट हो रहा है तो….

मन ने बात काटते हुए उदाहरण देकर समझाया, तुमने बचपन में बाइस्कोप में एक भारी-भरकम महिला देखा था, उससे तुम अभी काफी दुबले पतले हो। लेखक ने कहा, “मेरी तकलीफ पर गौर करो। रिक्शेवाले मुझे रिक्शे पर नहीं बिठाते। दर्जी अकेले मुझे नाप नहीं सकता।” ये सारी घटना शाम को ही घट चुकी थी।

व्यक्तिगत आक्षेप सुनकर लेखक चिढ़कर अपने मन से बोला ‘इतने वर्षों से तुम्हें पालता रहा, यही गलती की। विद्वानों ने कहा है कि ‘मन को मारना चाहिए’, यह सुनकर लेखक का मन अप्रत्याशित ढंग से चिंतित होने लगा और वह बोला- ‘इतने दिनों की सेवाओं का यही फल ! मैं जानता हूँ, तुम डॉक्टर और दुबले आदमियों के साथ मिलकर मेरे खिलाफ षड्यंत्र कर रहे हो। तुम विश्वासघाती हो, मैं तुमसे बोलूंगा नहीं। व्यक्ति को हमेशा उपकारी वृत्ति रखनी चाहिए। लेखक का मन मुँह मोड़कर सिसकने लगा। बहुत तरह से मनाने पर लेखक का मन नहीं माना तो संगीत सुनाकर किसी तरह उन्होंने अपने मन को मनाया।

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4. रचनात्मकता की ओर मौलिक सृजन

प्रश्न 1.
‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ इस उक्ति पर कविता / विचार लिखिए।
उत्तर:
‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ यह उक्ति संत कवि रैदास जी के लिए प्रचालित है। जिसका अर्थ है यदि अपना मन पवित्र है तो घर की कठौती (काठ का बना पात्र) में रखा पानी भी अपने लिए गंगाजल के समान पवित्र है। आप को उस जल में स्नान करने से ही गंगा स्नान का पुण्य मिल जाएगा। आपका मन ही गंदा है तो आप कितने ही बार गंगा स्नान क्यूँ न कर लें आप के पाप धुलने वाले नहीं हैं। मंदिर के अंदर जाकर लाखों रूपए चढ़ाते हैं, मिठाइयाँ और दूध चढ़ाते हैं। इससे पुण्य नहीं मिलेगा। आप भूखे को भोजन, नंगे को कपड़ा और लाचार को सहारा दो और मंदिर में जाकर उनके कल्याण के लिए प्रार्थना करो तो पुण्य मिलेगा। हमेशा अपने मन को पवित्र रखो, लोगों का उपकार करो, बुराइयों से बचो, तो सारे तीर्थ आपके घर में होंगे। ईश्वर आपके हृदय में निवास करेंगे और आपको पुण्य मिलेगा।

5. पाठ के आँगन में :

प्रश्न 1.
‘मन की एकाग्रता’ के लिए आप क्या करते हैं, बताइए।
उत्तरः
मन इतना चंचल है कि इसको वश में रखना वास्तविक रूप से बहुत कठिन है। हमें खुद को भी यह ज्ञान नहीं होता कि मन कितनी जल्दी भटक जाता है। जब तक हम अपनी इंद्रियों को वश में नहीं करते तब तक हम अपने मन को स्थिर नहीं कर सकते। मैं अपने मन की एकाग्रता के लिए अपनी दिनचर्या का विशेष ध्यान देता हूँ। हर कार्य को समय पर करता हूँ। योगा भी नियमित रूप से करता हूँ। विषय-वासना से दूर रहता हूँ। किसी चौज के लिए अपने मन को विचलित नहीं होने देता। अपने चारों तरफ बिछे हुए मायाजाल से मैं अपने आप को बचाता हूँ।

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प्रश्न 2.
‘मान जा मेरे मन’ निबंध का आशय अपने शब्दों में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
‘मान जा मेरे मन’ निबंध के माध्यम से लेखक रामेश्वर सिंह कश्यप ने मन पर नियंत्रण रखने की बात बताई हैं। इस निबंध के माध्यम से यह स्पष्ट किया गया है कि आज मन पर नियंत्रण न रख पाना प्रत्येक की कमजोरी बन गई है। मन की चपलता, चंचलता मन को नियंत्रित करने में बाधक होती है। किंतु हमें बुरी चीजों से दूर रहने के लिए मन पर नियंत्रण करना ही चाहिए।

प्रश्न 3.
सूची तैयार कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 4.
सूची तैयार कीजिए।
उत्तर:
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Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 4 मान जा मेरे मन Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
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प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
i. सुने कमरे में यह चहलकदमी कर रहा था –
उत्तर :
लेखक का मन ।

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प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।

  1. मामला बड़ा ………………… था।
  2. आप ……………… हैं लेकिन गलत दिशा में।
  3. आदमी का …………. तीन मन से ज्यादा नहीं होता।

उत्तर:

  1. संगीन
  2. प्रगतिशील
  3. वजन

कृति क (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द गद्यांश से ढूँड़कर लिखिए।
i. मौत ………
ii. कम ………..
उत्तर :
i. जिंदगी
ii. ज्यादा

प्रश्न 2.
लिंग पहचानकर लिखिए।
i. आदमी
i. महिला
उत्तर :
i. पुल्लिंग
ii. स्त्रीलिंग

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प्रश्न 3.
उचित शब्द तैयार कीजिए।
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उत्तर:

  1. स्वयंचलित
  2. संगीन
  3. प्रगतिशील

कृति क (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘मन पर नियंत्रण रखना आवश्यक है।’ इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
मन पर नियंत्रण रखना आवश्यक है। यदि मन को छूट दे देते हैं तो वह बेलगाम घोड़े की तरह दौड़ने लगता है। फिर इस पर काबू पाना कठिन हो जाता है। मनुष्य के मन की शक्ति उसके उन्नति के लिए अनेक द्वार खोलती है। किसी वस्तु को पाने की प्रबल इच्छा हो और उसे प्राप्त करने का प्रयत्न पूरे मन से किया जाए तो उस वस्तु को हासिल करना असंभव नहीं हैं। मन को सदैव स्थिर रखना चाहिए क्योंकि चंचल मन कभी-भी संतुष्ट नहीं होता। जिसने अपने मन को जीत लिया, सफलता उसी के कदम चूमती है।

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(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
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प्रश्न 2.
सत्य या असत्य पहचानकर लिखिए।
i. व्यक्तिगत आक्षेप सुनकर लेखक तिलमिला उठा।
ii. लेखक के पास कसरत का सब सामान तो है ही नहीं।
उत्तर :
i. सत्य
ii. असत्य

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कृति ख (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. जिसकी आशा न की गई हो –
ii. विश्वास घात करने वाला –
उत्तर:
i. अप्रत्याशित
ii. विश्वासघाती

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द लिखिए ।
i. अपकारी
ii. सफल
उत्तर :
i. उपकारी
ii. विफल

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कृति ख (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘मन और भावनाएँ एक ही सिक्के के दो पहलू’, इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
मन और भावनाएँ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। मनुष्य का मन जैसा होगा वैसे ही विचार उसके मन में आएंगे। मन के द्वारा ही भावनाओं का संचालन होता है। सुख और दुख दोनों ही मन के भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इसी विषय पर महाकवि तुलसीदास जी ने लिखा है, ‘जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी’ अर्थात जिसके मन में जैसी भावना होती है ईश्वर उसे उसी रूप में दिखाई देते हैं। भावनाएँ सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार की होती हैं।

सकारात्मक भावनाएँ मनुष्य को विकास के रास्ते पर ले जाती हैं और नकारात्मक भावनाएँ उसे विनाश के गर्त में पहुँचा देती हैं। दोनों ही प्रकार की भावनाओं का संचालन हमारे मन द्वारा ही होता है। विद्वानों का मत है कि सकारात्मक भावनाएँ हमें मोक्ष की ओर आगे बढ़ाती है इसलिए मन को ऐसा रखना चाहिए कि वह हमेशा सकारात्मक विचार करे और नकारात्मकता को अपने पास फटकने न दे।

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(ग) गद्यांश पड़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
उचित पर्याय चुनकर लिखिए।
i. ओस से भीगा मैदान दौड़ता हुआ मैं…
(क) डूबता हुआ सूरज।
(ख) उगता हुआ सूरज।
(ग) प्रकृति का दृश्य।
उत्तर:
(ख) उगता हुआ सूरज।

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ii. व्यायाम करने वालों के लिए……
(क) गहरी नींद जरूरी है।
(ख) जगे रहना जरूरी है।
(ग) दौड़ना और चलना जरूरी है।
उत्तर:
(क) गहरी नींद जरूरी है।।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित कथन सत्य है या असत्व लिखिए।

  1. दोपहर को उठकर सभी को दौड़ना चाहिए।
  2. व्यायाम करनेवालों के लिए गहरी नींद बहुत जरूरी है।
  3. मन बड़ा साहसी था।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. असत्य

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कृति ग (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
शुद्ध शब्द पहचानकर लिखिए।

  1. भुक्खड़ों / भुक्वड़ों / भुख्खड़ों
  2. व्यायम / व्यायाम / ब्यायाम
  3. दुस्ससी / दुसाहसी / दुस्साहसी
  4. चिड़ियाँ / चौड़िया / चिड़ीयाँ

उत्तर :

  1. भुक्खड़ों
  2. व्यायाम
  3. दुस्साहसी
  4. चिड़ियाँ

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए।

  1. दिनकर
  2. चिंता
  3. विदेशी

उत्तर:

  1. सूरज
  2. फिक्र
  3. विलायती

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कृति ग (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘व्यायाम करने से मन की एकाग्रता बढ़ती है। इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है। इसलिए व्यायाम हमारे लिए बहुत आवश्यक है। यह शरीर के साथ-साथ मन को भी स्वस्थ रखता है। स्वस्थ मस्तिष्क में ही किसी कार्य को करने की एकाग्रता बढ़ती है। आधुनिक युग में जब इंसान तनावभरी जिंदगी जीता है और वह अपने मन को एकाग्र करने में असमर्थ होता है; उस समय व्यायाम द्वारा ही वह मन को एकान कर पाता है। इसके द्वारा इंसान तनाव मुक्त हो जाता है और उसका मन शांत हो जाता है तथा शांत मन ही उसे सही दिशा में संचालित करता है और वह सही निर्णय लेने में सक्षम हो पाता है। व्यायाम शरीर तथा मस्तिष्क दोनों को स्फूर्ति तथा ताजगी प्रदान करता है। अत: यह कथन सही है कि व्यायाम करने से मन के एकाग्रता में वृद्धि होती है।

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(घ) गद्यांश पड़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति घ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
i. लेखक ने यह संकल्प किया –
ii. लेखक रिक्शे पर यहाँ जा रहा था –
उत्तर :
i. जिस तरह ऋषि सिर्फ हवा-पानी से रहते हैं उसी तरह लेखक भी रहेंगे।
ii. बाजार

प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
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कृति घ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
गद्यांश से शब्द-युग्म छाँटकर लिखिए।
उत्तर:
i. हवा – पानी
ii. चलने – फिरने

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए।

  1. अनाकृष्ट
  2. सम्मानित
  3. निराशा
  4. अनिच्छा

उत्तर:

  1. आकृष्ट
  2. अपमानित
  3. आशा
  4. इच्छा

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कृति ग (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘दृढ निश्चय हो, तो सफलता अवश्य मिलेगी’, इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
जीवन में सफलता पाने का मूलमंत्र है दृढ़संकल्प और एकनिष्ठ प्रयास। जिस व्यक्ति की इच्छा शक्ति प्रबल होती है, सफलता उसी के कदम चूमती है। संसार में ऐसे बहुत से मनुष्य हुए जिनमें बहुत सारी दुर्बलताएँ थीं, लेकिन अपनी अटूट इच्छाशक्ति से उन्होंने उन दुर्बलताओं पर विजय प्राप्त की और सफलता के शिखर पर आरुढ़ हुए। यह सत्य है कि हम जिस वस्तु की इच्छा अपने मन से करते हैं उसे पाने के लिए हमारी शारीरिक तथा मानसिक शक्तियाँ लग जाती हैं और अपनी इच्छाशक्ति की बदौलत हम उस वस्तु को हासिल भी कर लेते हैं।

इतिहास गवाह है कि जितने भी व्यक्ति सफल हुए और दुनिया में अपना नाम कमाया, उन सारे व्यक्तियों ने अपने इच्छाशक्ती और कठिन परिश्रम से दुर्बलताओं पर विजय प्राप्त की और अपने प्रतिभा की अमिट छाप छोड़ी। इसलिए दृढ़ संकल्प तथा अटूट इच्छाशक्ति हो तो सफलता अवश्य मिलती है।

मान जा मेरे मन Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-परिचय : रामेश्वर सिंह कश्यप का जन्म बिहार के रोहतास जिले के सेमरा गाँव में हुआ था। सन 1950 में पटना के बीषन कालेज से उन्होंने एम.ए. किया तथा उसी साल ये पटना विश्वविद्यालय में हिंदी के व्याख्याता पद पर नियुक्त हुए। बाद में एस.पी.जैन कालेज सासाराम के प्राचार्य हुए। रामेश्वर सिंह कश्यप का रेडियो नाटक ‘लोझ सिंह’ भोजपुरी का पहला सोप ओपेरा है।
प्रमुख कृतियाँ : नाटक – ‘रोबोट’, ‘किराए का मकान’, ‘पंचर’, ‘आखिरी रात’, ‘लोहा सिंह’ आदि।

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गद्य-परिचय :

हास्य-व्यंग्यात्मक निबंध : कल्पना व विज्ञान इन दोनों का समन्वय कर पाठकों के मन में जिज्ञासा निर्माण करने का कार्य साहित्य की जो विधा करती है, उसे “विज्ञान कथा’ कहते हैं। इसमें जीवन की किसी घटना का रोचक और प्रवाही वर्णन किया जाता है।
प्रस्तावना : प्रस्ततु निबंध में लेखक ने मन पर नियंत्रण न रख पाने की कमजोरी पर करारा व्यंग्य किया है तथा वास्तविकता की पहचान कराई है। लेखक ने इस निबंध के माध्यम से हमें संदेश भी दिया है कि मन पर नियंत्रण रखना आवश्यक होता है।

सारांश :

प्रस्तुत निबंध में लेखक ने मन पर नियंत्रण न रख पाने की कमजोरी पर हास्य व्यंग्य किया है। लेखक बताते हैं कि उनका मन कभी उनकी बात नहीं सुनता था जिसके कारण लेखक और उनके मन में अनबन रहती थी। अनबन का मूल कारण यह था कि पूरे जीवन लेखक ने मन को छूट दे रखी थी जिसके कारण वह बुढ़ापे में उनकी बात सुनता ही नहें था। लेखक ने अपने मन को बहुत समझाया पर मन ने उनकी एक बात नहीं सुनी। लेखक चाहता था कि उसका मोटापा दूर हो जिसके लिए उसने व्यायाम करने की योजना बनाई। उसने मन को समझाया कि वह रोज सुबह उठकर दौड़ने जाएगा तथा खाना भी कम खाएगा और व्यायाम करेगा।

यह सब सोचकर वह सो गया और सपने में भी वही दृश्य देखने लगा। अचानक उसने अपने पैरों को जोर से झटका दिया, जिससे उसकी आँख खुल गई तो पता चला कि वह टेबल के नीचे दबा पड़ा है और घर के सदस्य उसे खींचकर निकाल रहे हैं। किसी तरह वह लंगडाता हुआ चारपाई पर गया। मन ने उसे समझाया, तुम्हें चोट काफी आ गई है। सो जाओ और वह सो गया।

सुबह साढ़े नौ बजे नींद खुलने पर उसने नाश्ता करते समय कहा कि पैर की चोट समाप्त होते ही वह फिर व्यायाम करना शुरू कर देगा तो उसकी पत्नी ने कहा कि तब तक खूब खा लो। अंततः पूरी कोशिश करने के बाद भी लेखक का मन उसकी बात नहीं सुना और वह मोटापे के रोग से ग्रसित ही रहा। इसलिए लेखक बताना चाहता है कि हमें अपने मन पर नियंत्रण अवश्य रखना चाहिए जिससे की हम बुरी चीजों से दूर रहें।

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शब्दार्थ :

  1. लापता – गायब, जिसका पता न लगे
  2. अनबन – मन-मुटाव
  3. मनमानी – अपने मन की करना
  4. देहरी – दहलीज
  5. बेलगाम – जिस पर नियंत्रण न हो
  6. संगीन – गंभीर
  7. चहल-कदमी – टहलना
  8. लिहाज – आदर, शर्म, लज्जा
  9. दृष्टांत – उदाहरण
  10. बाइस्कोप – फ़िल्म, चलचित्र
  11. विफल – व्यर्थ, असफल
  12. आक्षेप – आरोप
  13. बिसूरना – चिंतित होना
  14. मुग्दर – कसरत का एक साधन
  15. षडयंत्र – साजिश
  16. काट – तरह
  17. रुआँसा – रोते हुए
  18. भुक्खड़ – हमेशा खानेवाला
  19. विलायती – विदेशी
  20. ऐलान किया – घोषणा करना
  21. संकल्प – प्रतिज्ञा
  22. ऋषि – साधु
  23. आकृष्ट – आकर्षित
  24. राहगीर – आने-जाने वाले

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मुहावरे :

  1. कन्नी काटना – बचकर निकलना।
  2. गौर करना – ध्यान देना।
  3. नाक-भौं सिकौड़ना – अप्रसन्नता प्रकट करना।
  4. तिलमिला उठना – क्रोधित होना।
  5. लेने के देने पड़ना – लाभ के बदले हानि होना।
  6. सुर्थी कूटना टीस उठना – अपना महत्त्व बढ़ाना।
  7. टीसी उठना – दर्द का अनुभव होना।

कहावतें :

  • आस्तीन के साँप – अपनों में छिपा शत्रु
  • एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है – एक दुर्गुणी व्यक्ति पूरे वातावरण को दूषित करता है

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 3 ग्रामदेवता Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता (पठनार्थ)

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 3 ग्रामदेवता Textbook Questions and Answers

संभाषणीय:

प्रश्न 1.
‘प्राकृतिक सौंदर्य का सच्चा आनंद आँचलिक (ग्रामीण) क्षेत्र में ही मिलता है’, चर्चा कीजिए।
उत्तर:
भारत गाँवों का देश है। आज भी भारत की अधिकतम जनसंख्या गाँवों में निवास करती है। महात्मा गाँधी कहते थे कि, “वास्तविक भारत का दर्शन गाँवों में ही संभव है जहाँ भारत की आत्मा बसी भारत के गाँव उन्नत और समृद्ध थे। ग्रामीण कृषक कृषि पर गर्व अनुभव करते थे, संतुष्ट थे। गाँवों में कुटीर उद्योग फलतेफूलते थे। लोग सुखी थे। भारत के गाँवों में स्वर्ग बसता था, किंतु समय बीतने के साथ शहरों का विकास होता गया और गाँव पिछड़ते गए।

परंतु आज भी जो बात गाँव में है वह शहर में कहाँ? आज हममें से कितने लोगों ने गाँव देखे हैं? गाँव जिन्हें ईश्वर ने बनाया, जहाँ प्रकृति का सौंदर्य बिखरा पड़ा है – हरे-भरे खेत, लहलहाती फसलें, कल-कल करती नदियाँ, नदियों में मछलियाँ पकड़ते मछुवारे, उनके जल में स्नान करते ग्रामवासी, कुएँ की रहट पर सजी-धजी औरतों की खिलखिलाहट, कहीं-कहीं पर पंम्पिंग सेट से सिंचाई करते कंधे पर फावड़ा लिए किसान तो कहीं पर कजरी गाते हुए धान की रोपाई करती महिलाएँ, हुक्का पीते किसान, गाय के पीछे दौड़ते बच्चे, पेड़ों से आम तोड़कर खट्टे आम खाती किशोरियाँ, रंग-बिरंगी तितलियाँ पकड़ते नन्हें-नन्हें बच्चे। गाँव की ये प्राकृतिक छटा तो निराली है। सत्य ही है कि प्राकृतिक सौंदर्य का सच्चा आनंद आँचलिक क्षेत्र में ही मिलता है।

लेखनीय:

प्रश्न 1.
“किसी ऐतिहासिक स्थल की सुरक्षा हेतु आपके दवारा किए जाने वाले प्रयत्नों के बारे में लिखिए।
उत्तर:
ऐतिहासिक स्थलों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी किसी एक व्यक्ति, संस्था या सरकार की नहीं है। हम भी अपने स्तर पर इनके रक्षक बन सकते हैं। हमारी एक बहुत बड़ी समस्या प्राचीन धरोहर को सुरक्षित रखने की भी है। पूरे देश में ऐसी अनगिनत प्राचीन और ऐतिहासिक इमारतें हैं जिनकी देखभाल ठीक से नहीं हो रही है। कुछ इमारतें तो पूरी तरह उपेक्षित हैं और अगर उन पर ध्यान न दिया गया तो वे गिर जाएंगी।

सरकारी विभाग अपनी सीमा और साधनों की कमी के कारण केवल उन्हीं इमारतों की देखभाल करते हैं जो उनकी सूची में शामिल है पर यह काफ़ी नहीं है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के कोड़ा, जहानाबाद कस्बे को लिया जा सकता है। यह कस्बा मध्यकाल में बहुत प्रसिद्ध और महत्त्वपूर्ण केंद्र था। यहाँ मुगल सम्राटों तथा अन्य के द्वारा निर्मित भव्य ऐतिहासिक इमारतें हैं। यहाँ की ऐतिहासिक इमारतों का संरक्षण कैसे होगा। यह चिंता का विषय था।

मैंने जहानाबाद की इन इमारतों की सुरक्षा के लिए आस-पास के गाँव के लोगों को जागरूक किया उन्हें समझाया कि खाने-पीने का समान इधर-उधर न फेंककर कूड़ेदान में डालें। दीवारों पर कुछ न लिखें। लावारिस वस्तुओं के मिलने पर प्रशासन या पुलिस विभाग को सूचित करें। पार्किंग स्थल पर ही वाहन को खड़ा करें। फैलता है जिससे इमारतों को क्षति पहुँचती है।

अब तो हमारे गाँव के नवयुवक सप्ताह में एक दिन श्रमदान करके इमारतों के अंदर तथा बाहर साफ-सफाई का काम भी करते हैं। हम लोगों ने मिलकर ‘ऐतिहासिक धरोहर सुरक्षा फंड’ के नाम से एक संस्था बना ली है। जिसमें हर महीने पैसा जमा करते हैं और उस पैसे से टूटे-फूटे हिस्से की मरम्मत करवाते रहते हैं।

आसपास:

प्रश्न 1.
किसी कृषक से प्रत्यक्ष वार्तालाप करते हुए उसका महत्त्व बताइए।
उत्तर:
मोहन –  नमस्कार ! काका आप कैसे हैं?

किसान – नमस्कार ! नमस्कार ! मैं ठीक हूँ, सब प्रभु की कृपा है। आप तो शहरी जान पड़ते हैं?

मोहन – हाँ, आपने सही पहचाना। मैं शहरी हूँ, आपसे कुछ वार्तालाप करने यहाँ आया हूँ।

किसान – कहिए. आप को क्या कहना है?

मोहन – सबसे पहले आप हमें बताइए कि आपकी दिनचर्या क्या हैं?

किसान – हमारी दिनचयाँ रोजाना एक-सी ही रहती है। सबेरे उठते ही अपने पशुओं की सेवा करना उनको चारा डालना, गोबर की सफाई करने के बाद दूधारू पशुओं के दूध निकालना।

फिर हल और बैल लेकर खेत की ओर चल देते हैं। वहाँ पूरे दिन खेती के काम में जुटे रहते हैं। स्नान और दोपहर का भोजन हम अधिकतर खेत पर ही कर लेते हैं। शाम इलते ही हम घर लौटते हैं। घर आकर बैलों को घास, भूसा, खली आदि डालते हैं। फिर कहीं जाकर हमें आराम मिलता है।

मोहन – आप हर मौसम में ऐसे ही मेहनत करते हैं?

किसान- हाँ, हर मौसम में हमारा काम चलते रहता है। पूस-माघ की कड़कड़ाती ठंड, बैशाख-जेठ को चिलचिलाती धूप व सावन-भादों की तेज वर्षा के बीच भी हम काम में जुटे रहते हैं।

कृषक का महत्त्व:

कृषक कठिन परिश्रम करके खाद्यान्न पैदा करता है। इसी खाद्यान्न से देशवासियों का पेट भरता है। कृषक न हों तो हम भूखों मरने लगे। यही हमें अनाज, सब्जियाँ, फल, दूध आदि मुहैया कराते हैं। त्याग और तपस्या का दूसरा नाम है ‘किसान’। वह जीवन भर मिट्टी से सोना उत्पन्न करने की तपस्या करता रहता है। तपती धूप, कड़ाके की ठंड तथा मुसलधार बारिश भी उसकी इस साधना को तोड़ नहीं पाते। हमारे देश की लगभग 70% प्रतिशत आबादी आज भी गाँवों में निवास करती है। जिनका मुख्य व्यवसाय कृषि है। एक सत्य यह भी है कि भारत की मूल आत्मा वे किसान है, जो गाँवों में निवास करते हैं। किसान हमें खाद्यान्न देने के अलावा भारतीय संस्कृति और सभ्यता को भी सहेजकर रखे हुए हैं। यही कारण है कि शहरों की अपेक्षा गाँवों में भारतीय संस्कृति और सभ्यता अधिक देखने को मिलती है। किसान की शक्ति और भक्ति कृषि ही है। ऐसे ग्राम देवता को शत-शत् नमन् !

कल्पना पल्लवन:

प्रश्न 1.
‘सबकी प्यारी, सबसे न्यारी मेरे देश की धरती’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
‘मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती’

हम इस देश की धरती पर पैदा हुए हैं। इसका अनाज खाकर इसकी गोदी में खेल कर हम पले बढ़े हैं। हमारे लिए यह इतनी महत्त्वपूर्ण है जितने की हमारे माता-पिता। भारत एक भू-भाग का नाम नहीं है अपितु उस भू-भाग में बसे लोगों की संस्कृति सभ्यताएँ, उसके रीति-रिवाजों, उसके अमूल्य इतिहास और उसके भौतिक स्वरूप का नाम भारत है। भारत की धरती पर जगह-जगह स्थित पहाड़ी स्थल, जंगल हरेभरे मैदान, रमणीय स्थल, मुंदर समट तट, देवालय आदि उसकी शोभा बढ़ा रहे हैं।

जहाँ एक ओर स्वर्ग के रूप में कश्मीर है। तो दूसरी ओर सागर की सुंदरता लिए दक्षिण भारत। यहाँ अनगिनत नदियाँ बहती हैं जो अपने स्वरूप द्वाराइसको दिव्यता प्रदान करती हैं। ये नादियाँ प्रत्येक भारतीय के लिए माँ के समान है। संसार की सबसे ऊँची चोटी ‘माउंट एवरेस्ट’ भी इसी धरती पर स्थित है। इन सभी कारणों से यह धरती रमणीय और रोमांचकारी बन जाती है।

भारत की सभ्यता समस्त संसार में सबसे प्राचीनतम है। इसकी भूमि ने अनेकों सभ्यताओं और संस्कृतियों को जन्म दिया है। इसने एक संस्कृति का पोषण नहीं किया अपितु अनेकों संस्कृतियों को अपनी मातृत्व को छाया में पाल-पोषकर मल्लन संस्कृतियों के रूप में उभारा है। इस भारत वर्ष की भूमि ने राम और श्री कृष्ण को ही जन्म नहीं दिया; बल्कि पृथ्वीराज चौहान, महाराणा प्रताप, शिवाजी महाराज, महात्मा गाँधी, लाल बहादुर शास्त्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू, भगत सिंह जैसे महापुरुषों को भी जन्म दिया है जिन्होंने अमिट अक्षरों में अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करवा दिया है।

उस धरती ने जहाँ एक ओर गुलामी को सहा है, वहीं दूसरी ओर स्वतंत्रता संग्राम की भी गवाह रही है। हमारे देश की धरती रत्नगर्भा कही जाती है। इसमें विभिन्न खनिज पदार्थ विद्यमान हैं। हर प्रकार के मौसम से परिपूर्ण इस धरती पर हर तरह की फसलें उगती हैं। यह प्राचीन समय से ही कृषि प्रधान देश रहा है। इसे आध्यात्मिकता, दर्शन-विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमि कहा जाता है। यह पर्यटन का स्वर्ग है जो पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित करती है।

पाठ से आगे:

प्रश्न 1.
‘ऑरगैनिक’ (सेंद्रिय) खेती की जानकारी प्राप्त’ कीजिए और अपनी कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
ऑरगैनिक खेती (जैविक खेती) कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों के अप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है तथा जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिए फसल चक्र, हरी खाद, कंपोस्ट खाद आदि का प्रयोग करती है। तरह-तरह की रासायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों का उपयोग, प्रकृति के जैविक और अजैविक पदार्थों के बीच आदान-प्रदान के चक्र को प्रभावित करता है, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति खराब हो जाती है, साथ ही वातावरण प्रदूषित होता है तथा मनुष्य के स्वास्थ्य में गिरावट आती है।

ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए पिछले कई वर्षों से निरंतर टिकाऊ खेती की योजनाएँ बनाई जा रही हैं। भारत सरकार भी इस खेती को अपनाने के लिए प्रचार-प्रसार कर रही है, जिसे हम जैविक खेती के नाम से जानते हैं। इस प्रकार की खेती से उत्पन्न अनाज ज्यादा स्वास्थ्य वर्धक होता है। जैविक खेती के लिए कंपोस्ट ही एकमात्र सबसे महत्त्वपूर्ण पूरक पोषण है; जो आप अपने खेत की मिट्टी को दे सकते हैं। कंपोस्ट तैयार करने में घर से निकलने वाले कूड़ों का कमसे-कम तीस फीसदी हिस्सा दुबारा उपयोग में आ जाता है। जैसे – फलों के छिलके, हरी सब्जियों के छिलके, अंडे के छिलके, राख आदि।

पेड़ के पत्तों, हरी घासों, खर-पतवार, गोबर, पशुओं के मुत्र, लकड़ी के बुरादे, अखबार, कटे हुए कागज और फसलों के तने से भी भारी मात्रा में कंम्पोस्ट तैयार करते हैं। वनस्पतियों की वृद्धि को तेज करने और मिट्टी की जीवन शक्ति को पुर्नस्थापित करने के लिए पोषक तत्त्वों से भरपूर वनस्पति से निर्मित खाद को सरल तरीके से मिट्टी में डालना ही कंपोस्टिंग कहलाता है। इसको बनाने में कोई खर्च नहीं आता है, इसे आसानी से बनाया जा सकता है और यह पर्यावरण के लिए भी अच्छा है।

कंपोस्ट खाद के फायदे:

मिट्टी अनुकूलक: कंपोस्ट से आप लॉन और बगीचे के लिए पोषण से भरपूर मिट्टी तैयार करते हैं; जिससे आपके पौधों को पोषण मिलता है और मिट्टी में नमी बनाए रखने में मदद मिलती है। इसमें सिंचाई अंतराल में वृद्धि होती है। फसलों की उत्पादकता में भी वृद्धि होती है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता 1

कृति क (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
ऊपर दी गई पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि राजकुमार वर्मा जी ग्रामदेवता यानी किसानो को नमस्कार करते हैं और कहते हैं कि तुम महान हो। तुमने सोने-चाँदी से प्यार नहीं किया बल्कि मिट्टी से प्यार किया है। हे ग्राम देवता तुम्हें नमस्कार है! कवि कहते हैं किसान शोरगुल से दूर कहीं अकेले में तुम्हारा एक छोटा-सा निवास है। सूर्य और चाँद में भी उतना प्रकाश नहीं है जितना तुम्हारे प्राणों का (शक्ति) प्रकाश होता है। हे ग्राम देवता तुम्हें नमस्कार है!

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता

(ख) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए ।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता 2

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
1. जड़ में चेतन का विकास इस बल पर होता है।
2. पसीने की धारा को कवि ने उपमा दी है।
उत्तर:
1. श्रमवैभव के बल पर।
2. गंगा की धवल धार की।

कृति ख (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
ऊपर दी गई कविता की पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि किसानों से कहता है कि तुम परिश्रम की शक्ति के बल पर बंजर जमीन को भी उपजाऊ कर उसमें हरी-भरी फसलों का विकास करते हो जिसमें एक-एक दाने के बीज से सौ-सौ दानों की हँसी फूट पड़ती है अर्थात तुम्हारे परिश्रम से बंजर जमीन भी लहलहा उठती है। हे किसान! तुम्हारे शरीर से निकलनेवाली पसीने की धारा सिर्फ पसीने की धारा नहीं है बल्कि गंगा की स्वच्छ धार के समान है। हे ग्रामदेवता, तुम्हें नमस्कार है! कवि कहते हैं, हे किसान तुम चिलचिलाती गर्मी, मूसलाधार वर्षा और कड़ाके की ठंड में भी बिना रुके परिश्रम करते रहते हो। स्वयं को कष्ट देकर संसार को अनाज का पुरस्कार देते हो।।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता

(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
एक से दो शब्दों में उत्तर लिखिए।
1. यह जन-गन-मन का अधिनायक है –
2. कवि ने इसे सिंहासन पर बैठने के लिए कहा है –
उत्तर:
1. किसान
2. किसान को

प्रश्न 2.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य पहचानकर लिखिए।
1. किसान राजद्वार को झुकाकर अपनी झोपड़ी ऊँची करता है।
2. किसान जन-गन-मन अधिनायक है।
उत्तर:
1. असत्य
2. सत्य

कृति ग (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि कहते हैं, हे किसान तुम लोगों के मन के शासक हो तुम हमेशा प्रसन्नचित्त रहो, जिससे कि हमारा देश फूलता-फलता रहे। आओ, इस सिंहासन पर बैठो जिससे यह राज्य-सिंहासन अशेष न हो अर्थात खाली न हो। टूटी-फूटी झोपड़ी में रहकर भी देश का मान-सम्मान बढ़ाते हो, हे ग्रामदेवता तुम्हे मेरा नमस्कार है।

(घ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति घ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
सही शब्द चुनकर वाक्य फिर से लिखिए।
1. उर्वरा भूमि के नए खेत के नए धान्य से …………….. । (सजे देश, सजे वेश, बड़े क्लेश)
2. अपनी कविता से आज तुम्हारी ……………. लू उतार। (रीति, नीति, विमल आरती)
उत्तर:
1. उर्वरा भूमि के नए खेत के नए धान्य से सजे वेश।
2. अपनी कविता से आज तुम्हारी विमल आरती लूँ उतार।

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए।
1. इससे वेश सजे –
2. इससे विमल आरती उतारूँ
उत्तर:
1. उपजाऊ भूमि के नए खेत के नए अनाज से।
2. अपनी कविता से।

कृति (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
ऊपर दी गई कविता की पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि कहते हैं, हे किसान उपजाऊ भूमि के नए खेत के नए फसलों से सजे हुए वेश में तुम, इस धरती पर रहकर धरती के सभी प्राणियों और शेष मनुष्यों की जिम्मेदारी को वहन करते हो। इसलिए मैं अपनी कविता से आज तुम्हारा स्वागत करता हूँ। हे ग्राम देवता, तुम्हें मेरा नमस्कार है!

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता

ग्रामदेवता Summary in Hindi

कवि-परिचय:

जीवन-परिचय: डॉ. रामकुमार वर्मा आधुनिक हिंदी साहित्य में ‘एकांकी सम्राट’ के रूप में जाने जाते हैं। ये प्रसिद्ध कवि, नाटककार, लेखक और आलोचक भी रहे। साहित्य में इनकी उत्तरोत्तर प्रगति के आधार पर इन्हें 1963 में पद्मभूषण की उपाधि प्रदान की गई।

प्रमुख कृतियाँ: काव्य संग्रह – ‘चित्तौड़ की चिंता’, ‘निशीथ’, ‘चित्ररेखा’, ‘वीर हमीर’ एकांकी संग्रह – ‘रेशमी टाई’, ‘रूपरंग’, ‘चार ऐतिहासिक एकांकी,’ आदि नाटक – ‘एकलव्य’, ‘उत्तरायण’ आदि।

पद्य-परिचय:

कविता: कविता समाज को नई चेतना प्रदान करती हैं। मानवीय गुणों की प्रतिष्ठा का सशक्त माध्यम कविता है। रस, छंद, अलंकार से परिपूर्ण, सुंदर अर्थ प्रकट करने वाली, हृदय की कोमल अनुभूतियों का साकार रूप कविता है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत कविता ‘ग्रामदेवता’ में कवि डॉ. रामकुमार वर्मा जी ने किसानों को ग्राम देवता बताते हुए उनके परिश्रमी, त्यागी एवं
परोपकारी किंतु संघर्षपूर्ण जीवन को रेखांकित किया है।

सारांश:

प्रस्तुत कविता में कवि ने बताया है कि गाँव का किसान सोने-चाँदी से नहीं बल्कि गाँव की मिट्टी से प्यार करता है। वह एकांत में एक छोटे से घर में निवास करता है। वह अपने परिश्रम के बल पर बंजर मिट्टी से भी हरी-भरी फसलें उगाता है। गर्मी, ठंडी और बरसात के मौसम की परवाह किए बिना वह खेत में अपने पसीने बहाता है और लोगों के लिए अनाज पैदा करता है। इस किसान को कवि ने लोगों के मन में निवास करनेवाला शासक कहकर उसे हमेशा मुस्कराते रहने की उम्मीद की है तथा उसे ग्रामदेवता कहकर नमस्कार किया है।

सरल अर्थ:

1. हे ग्रामदेवता ………. नमस्कार!

कवि राजकुमार वर्मा जी ग्रामदेवता यानी किसानो को नमस्कार करते हैं और कहते हैं कि तुम महान हो। तुमने सोने-चाँदी से प्यार नहीं किया बल्कि मिट्टी से प्यार किया है। हे ग्राम देवता तुम्हें नमस्कार है!

2. जन कोलाहल ……….. होता प्रकाश।

कवि कहते हैं किसान शोरगुल से दूर कहीं अकेले में तुम्हारा एक छोटा-सा निवास है। सूर्य और चाँद में भी उतना प्रकाश नहीं है जितना तुम्हारे प्राणों का (शक्ति) प्रकाश होता है। हे ग्राम देवता तुम्हें नमस्कार है!

3. श्रमवैभव ………………… नमस्कार!

कवि किसानों से कहता है कि तुम परिश्रम की शक्ति के बल पर बंजर जमीन को भी उपजाऊ कर उसमें हरी-भरी फसलों का विकास करते हो जिसमें एक-एक दाने के बीज से सौ-सौ दानों की हँसी फूट पड़ती है अर्थात तुम्हारे परिश्रम से बंजर जमीन भी लहलहा उठती है। हे किसान! तुम्हारे शरीर से निकलनेवाली पसीने की धारा सिर्फ पसीने की धारा नहीं है बल्कि गंगा की स्वच्छ धार के समान है। हे ग्रामदेवता, तुम्हें नमस्कार है!

4. जो है गतिशील ………………. नमस्कार!

कवि कहते हैं, हे किसान तुम चिलचिलाती गर्मी, मूसलाधार वर्षा और कड़ाके की ठंड में भी बिना रुके परिश्रम करते रहते हो। स्वयं को कष्ट देकर संसार को अनाज का पुरस्कार देते हो। टूटी-फूटी झोपड़ी में रहकर भी देश का मान-सम्मान बढ़ाते हो, हे ग्रामदेवता तुम्हे मेरा नमस्कार है!

5. तुम जन-गन-मन ………………………… है अशेष।

कवि कहते हैं, हे किसान तुम लोगों के मन के शासक हो तुम हमेशा प्रसन्नचित्त रहो, जिससे कि हमारा देश फूलता-फलता रहे। आओ, इस सिंहासन पर बैठो जिससे यह राज्य-सिंहासन अशेष न हो अर्थात खाली न हो।

6. उर्वरा भूमि के ………………………… नमस्कार!

कवि कहते हैं, हे किसान उपजाऊ भूमि के नए खेत के नए फसलों से सजे हुए वेश में तुम, इस धरती पर रहकर धरती के सभी प्राणियों और शेष मनुष्यों की जिम्मेदारी को वहन करते हो। इसलिए मैं अपनी कविता से आज तुम्हारा स्वागत करता हूँ। हे ग्राम देवता, तुम्हें मेरा नमस्कार है!

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता

शब्दार्थ:

  1. ग्रामदेवता – किसान
  2. कोलाहल – शोरगुल
  3. सिमटा-सा – छोटा-सा
  4. निवास – घर
  5. रवि-शशि – सूर्य-चाँद
  6. श्रमवैभव – मेहनत का खजाना, अत्यधिक मेहनत
  7. जड़ – निर्जीव (बंजर)
  8. चेतन – जीव (उपजाऊ)
  9. फूटना – अंकुरित होना
  10. हास – हँसी
  11. धवल – स्वच्छ, शुभ्र
  12. गतिशील – पारश्रमा
  13. दंड – सजा
  14. अधिनायक – शासक
  15. अशेष – बाकी न हो
  16. उर्वरा – उपजाऊ
  17. धान्य – अनाज
  18. वेश – पहनावा
  19. धारण करना – वहन करना
  20. मनुजशेष – शेष मनुष्य
  21. विमल – धवल

मुहावरा:

आरती उतारना – आदर करना, स्वागत करना।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 3 निज भाषा Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा (पठनार्थ)

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 3 निज भाषा Textbook Questions and Answers

1. भाषा बिंदु:

प्रश्न 1.
शब्द-युग्म पूरे करते हुए वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तरः

  • घर-घर – स्वतंत्रता सेनानी घर-घर जाकर लोगों को देश के प्रति जागरूक करते थे।
  • ज्ञान-विज्ञान – हमें अपनी भाषा में ज्ञान-विज्ञान का प्रचार करनाचाहिए।
  • भला-बुरा – इतनी-सी बात के लिए किसी को भला बुरा कहना ठीक नहीं।
  • प्रचार-प्रसार – हमें अपनी भाषा का प्रचार-प्रसार करना चाहिए।
  • भूख-प्यास – लंबी यात्रा में यात्री भूख-प्यास से परेशान
  • भोला-भाला – मोहन भोला-भाला व्यक्ति है।

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2. मौलिक सृजन :

प्रश्न 1.
‘निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल’ इस कश्चन की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
i. निज भाषा ……………………….. हिय को सूल।।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि अपनी भाषा अर्थात मातृभाषा की उन्नति के द्वारा ही प्रगति संभव है, क्योंकि सारी उन्नतियों का आधार यही है। अपनी भाषा के ज्ञान बिना हृदय की पीड़ा का निवारण संभव नहीं हैं।

ii. अंग्रेजी पढ़ि………………….. हीन के हीन।।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि यद्यपि अंग्रेजी भाषा का ज्ञान प्राप्त करने से व्यक्ति सभी गुणों में कुशल हो जाता है। परंतु मातृभाषा के ज्ञान के बिना उसकी अज्ञानता नहीं मिट पाती और वह हीन ही रह जाता

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3. संभाषणीय :

प्रश्न 1.
हिंदी दिवस’ समारोह के अवसर पर अपने वक्तृत्व में हिंदी भाषा का महत्त्व प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :
मानवीय सभापति महोदय, प्रधानाचार्य जी, मंच उपस्थित अतिथि गण, गुरुजन व मेरे प्यारे साथियों, आज हम सभी यहाँ हिंदी समारोह मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। इस शुभ अवसर पर मैं हिंदी भाषा के महत्त्व के विषय में कुछ कहना चाहूँगा। हिंदी हमारी राजभाषा है। स्वतंत्र भारत के संविधान में हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया है। हिंदी बहुत पहले से देश की संपर्क भाषा रही है। प्रत्येक राष्ट्र अपनी राष्ट्रभाषा के विषय में सजग, सतर्क और संवेदनशील होते हैं, क्योंकि राष्ट्रभाषा देश की एकता, अखंडता उसकी संस्कृति की पहचान होती है।

देश की आजादी की लड़ाई में हिंदी भी एक हथियार बन गई थी। देश के नेता हिंदी में भाषण देते थे और लोगों में अद्भुत जागृति पैदा करते थे। महात्मा गांधी देश के गाँव-गाँव में जाकर हिंदी में ही जनता को संबोधित करते थे। आज देश के हर भाग में हिंदी बोली जाती है। हिंदी अखबार और पत्र-पत्रिकाओं का भी देश में चारों तरफ बहुत प्रचार-प्रसार है। हिंदी एक समृद्ध भाषा है। इस भाषा में देश की मिट्टी की महक है। इसका साहित्य बहुत ऊँचे दर्जे का है।

हिंदी आज विश्व के लगभग ७५ देशों के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती है। हिंदी को विश्व में सर्वाधिक फिल्में बनती हैं। सैटलाईट के विदेशी चैनल भी हिंदी माध्यम को अनवरत अपनाते चले जा रहे हैं। हमारे अहिंदी भाषी प्रांतों में भी हिंदी द्वितीय भाषा के रूप में पढ़ाई जा रही है। प्रथम भाषा के रूप में जब उसे संपूर्ण देश में मान्यता प्राप्त होगी, तभी हमारी हिंदी के प्रति सच्ची श्रद्धा मानी जाएगी।

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4. लेखनीय :

प्रश्न 1.
‘अपने विद्यालय में मनाए गए ‘बाल दिवस’ का वर्णन लिखिए।
उत्तर:
चाचा नेहरू के जन्मदिन पर मनाया जाने वाला ‘बाल-दिवस’ समारोह आज प्रात: ठीक 9 बजे हमारे विद्यालय में मनाया गया। इस समारोह में कक्षा 10 तक के छात्राओं ने भाग लिया। इस अवसर पर अध्यक्ष थे, सुप्रसिद्ध भजन गायक ‘अनूप जलोटाजी’। उनके आते ही विद्यार्थियों की करतल ध्वनि से सारा हाल गूंज उठा। अध्यक्ष ने मंच पर आते ही सरस्वती जी के फोटो को हार पहनाया व तत्पश्चात पंडित जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमा को हार पहनाया।

विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. विजय-प्रताप सिंह ने मुख्य अतिथी का स्वागत किया एवं उपस्थित लोगों से उनका परिचय कराया। छात्र-छात्राओं ने इस शुभ अवसर पर चाचा नेहरू के जीवन की प्रमुख घटनाओं पर एक लघु नाटक प्रस्तुत किया। बाद में मुख्य अतिथि का भाषण हुआ। अपने अध्यक्षीय भाषण में उन्होंने विद्यार्थियों को उच्च लक्ष्य की ओर प्रेरित किया। अंततोगत्वा प्रधानाचार्य डॉ. विजय-प्रताप सिंह ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। राष्ट्रगीत के समूहगान के साथ ही सगरोह की समाप्ति हुई।

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Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 3 निज भाषा Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए ।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा 1

प्रश्न 2.
संजाल पूर्ण कीजिए ।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा 2

प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
i. निज भाषा “अहै, सब उन्नति को मूल।
ii. पै निज भाषा ….बिन, रहत हीन के हीन ।।
उत्तर:
i. उन्नति
ii. ज्ञान

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(ख) पद्यांश पड़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा 3 Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा 4

प्रश्न 2.
पद्यांश के आधार पर विधान पूर्ण कीजिए।
i. लाख उपाय अनेक यो,
ii. इक भाषा हक जीव, इक मति
उत्तर:
i. लाख उपाय अनेक यों, भले करे किन कोय।
ii. इक भाषा इक जीव, इक मति सब घर के लोग।

कृति ख (2) : सरल अर्थ

प्रश्न 1.
नीचे दी हुई पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
i. उन्नति पूरी है ………….. मूढ़ सब कोय।।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि किसी देश या समाज की संपूर्ण प्रगति तभी होती जब उसके घर की प्रगति होती है अर्थात घर की भाषा (मातृभाषा) की उन्नति होती है। सिर्फ अपने शरीर की अर्थात स्वयं की उन्नति करने से सब लोग अज्ञानी ही बने रहते हैं।

ii. निज भाषा ………………… करे किन कोय।।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि अपनी भाषा की उन्नति के बिना कभी भी उन्नति नहीं हो सकती। भले ही कोई लाख उपाय करें अथवा अनेकों प्रकार से प्रयास करें लेकिन उसकी प्रगति संभव नहीं है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा

(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए ।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा 5

प्रश्न 2.
पद्यांश के आधार पर विधान पूर्ण कीजिए।
i. निजभाषा में कीजिए,
ii. यह गुन भाषा और मह, ……….
उत्तर:
i. निजभाषा में कीजिए, जो विद्या की बात।
ii. यह गुन भाषा और मह, कबहूँ नाहीं होय।

कृति ग (2) : सरल अर्थ

प्रश्न 1.
नीचे दी हुई पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
i. और एक ………………………. कबहूँ नाहीं होय ।।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि यदि ज्ञान की बात अपनी भाषा में करते हैं तो एक और भी लाभ स्पष्ट दिखाई देता है जो भी कोई अपनी भाषा की बात को सुनता है, वह लाभान्वित होता है। यह गुण अर्थात यह विशेषता किसी अन्य भाषा में कभी भी नहीं हो सकती। अन्य भाषा में की गई बात को हम पूरी तरह नहीं समझ पाते इसलिए उसका लाभ नहीं उठा पाते हैं।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा

(घ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति घ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
चौखट पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा 6

प्रश्न 2.
उचित पर्याय चुनकर वाक्य पूर्ण कीजिए।
i. विविध कला शिक्षा अमित
(क) भाषा विविध लखात
(ख) ज्ञान अनेक प्रकार
उत्तर :
(ख) ज्ञान अनेक प्रकार

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा

ii. भारत में सब भिन्न अति ………..
(क) भाषा माँहि प्रचार
(ख) ताही सों उत्पात
उत्तर :
(ख) ताही सों उत्पात

कृति घ (2) : सरल अर्थ

प्रश्न 1.
नीचे दी हुई पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
i. विविध कला …………………… भाषा माँहि प्रचार।।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि अनेक प्रकार की कलाएं, असीमित शिक्षा तथा विभिन्न प्रकार का ज्ञान सभी देशों से अवश्य लेना चाहिए। लेकिन उस कला, शिक्षा तथा ज्ञान का प्रचार-प्रसार अपनी मातृभाषा में ही करना चाहिए क्योंकि इसके फलस्वरूप अधिक से-अधिक लोग इन विषयों द्वारा लाभ उठा सकेंगे।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा

ii. भारत में सब ……………….. भाषा विविध लखात।।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि भारत के सभी लोगों में विविधतापूर्ण भिन्नता है यहाँ अनेक देश, अनेक विचार और अनेक भाषाएँ दिखाई देती हैं। जिसके कारण यहाँ उपद्रव भी अधिक होते हैं और समाज में शांति नहीं रह पाती है। अर्थात कवि इस कविता से यह संदेश देते हैं कि अपनी मातृ भाषा की उन्नति करो जिससे देश में एकता स्थापित हो और देश उन्नति करें।

निज भाषा Summary in Hindi

कवि-परिचय :

जीवन-परिचय : भारतेंदु हरिश्चंद्र साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था। ये बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। इन्हें ‘खड़ी बोली का जनक’ कहा जाता है। इन्होंने कविता, नाटक, निबंध, व्याख्यान आदि का लेखन किया।
प्रमुख कृतियाँ : काव्य संग्रहः ‘भारत वीरत्व’, “विजय वैजयंती’, ‘सुमनांजलि’, ‘मधुमकुल’, ‘वर्षा-विनोद’, ‘राग-संग्रह’, हास्य काव्य कतियाँ : ‘बंदर-सभा’, ‘बकरी का विलाप’, हास्य-व्यंग्यप्रधान नाटक ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा

पद्य-परिचय :

गीत : यह अर्थ सम मात्रिक छंद है। इसमें चार चरण होते है। सम चरणों के अंत में एक गुरू और एक लघु मात्रा होती है।
प्रस्तावना : प्रस्तुत कविता निज भाषा के माध्यम से कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र ने अपनी भाषा के प्रति गौरव अनुभव करने, उससे प्रेम करने तथा मिल-जुलकर उन्नति करने का संदेश दिया है।

सारांश :

कवि कहते है कि अपनी भाषा की उन्नति से ही सभी प्रकार की उन्नति संभव है। अपनी भाषा के संपूर्ण ज्ञान के अभाव में व्यक्ति हीन हो जाता है। अपनी भाषा के उन्नति के बिना लाख उपाय करने पर भी व्यक्ति उन्नति नहीं कर पाता। जिस घर में सबकी भाषा एक हो, सबके विचार एक हो तथा आपस में कोई भेदभाव न हो उस घर से दुःख हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है। हमें विभिन्न देशों से उनकी कला, शिक्षा तथा ज्ञान अवश्य लेना चाहिए परंतु उसका प्रचार-प्रसार अपनी भाषा में करना चाहिए। क्योंकि इससे अधिक से अधिक लोग लाभान्वित होंगे। देश में भाषा की भिन्नता के कारण ही आपसी दंगे-फसाद होते हैं। अतः हमें अपनी भाषा की उन्नति करनी चाहिए।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा

सरल अर्थ :

निज भाषा …………………. हिय को सूल।।
कवि कहते हैं कि अपनी भाषा अर्थात मातृभाषा की उन्नति के द्वारा ही प्रगति संभव है, क्योंकि सारी उन्नतियों का आधार यही है। अपनी भाषा के ज्ञान बिना हृदय की पीड़ा का निवारण संभव नहीं हैं।

अंग्रेजी पढ़ि ………………………हीन के हीन।।
कवि कहते है कि यद्यपि अंग्रेजी भाषा का ज्ञान प्राप्त करने से व्यक्ति सभी गुणों में कुशल हो जाता है। परंतु मातृभाषा के ज्ञान के बिना उसकी अज्ञानता नहीं मिट पाती और वह हीन ही रह जाता है।

उन्नति पूरी है ……………………….. मूढ सब कोय।।
कवि कहते हैं कि किसी देश या समाज की संपूर्ण प्रगति तभी होती जब उसके घर की प्रगति होती है अर्थात पर की भाषा (मातृभाषा) की उन्नति होती है। सिर्फ अपने शरीर की अर्थात स्वयं की उन्नति करने से सब लोग अज्ञानी ही बने रहते हैं।

निज भाषा …………………………… करे किन कोय।।।
कवि कहते हैं कि अपनी भाषा की उन्नति के बिना कभी भी उन्नति नहीं हो सकती। भले ही कोई लाख उपाय करें अथवा अनेक प्रकार से प्रयास करें लेकिन उसकी प्रगति संभव नहीं है।

इक भाषा ………………………… मूड़ता सोग।।
कवि कहते है कि जब घर में सबकी भाषा एक हो, सब एक भाषा में बातचीत करते हों, सब एक प्राण हों यानि कोई किसी से भेदभाव न करता हो तथा सब एक मत हो अर्थात सभी के विचार एक जैसे हो तभी उस घर में सभी लोगों की एक दूसरे से बनती है तथा आपसी संबंध मधुर होते हैं। ऐसे घर से अज्ञानता और दुख हमेशा के लिए मिट जाता है।

और एक …………………………….. कबहूँ नाहीं होय।।
कवि कहते है कि यदि ज्ञान की बात अपनी भाषा में करते हैं तो एक और भी लाभ स्पष्ट दिखाई देता है जो भी कोई अपनी भाषा की बात को सुनता है, वह लाभान्वित होता है। यह गुण अर्थात यह विशेषता किसी अन्य भाषा में कभी भी नहीं हो सकती। अन्य भाषा में की गई बात को हम पूरी तरह नहीं समझ पाते इसलिए उसका लाभ नहीं उठा पाते हैं।

विविध कला …………………………… भाषा माहि प्रचार।।
कवि कहते हैं कि अनेक प्रकार की कलाएँ, असीमित शिक्षा तथा विभिन्न प्रकार का ज्ञान सभी देशों से अवश्य लेना चाहिए। लेकिन उस कला, शिक्षा तथा ज्ञान का प्रचार-प्रसार अपनी मातृभाषा में ही करना चाहिए क्योंकि इसके फलस्वरूप अधिक-से-अधिक लोग इन विषयों द्वारा लाभ उठा सकेंगे।

भारत में सब ………………….. भाषा विविध लखात।।
कवि कहते हैं कि भारत के सभी लोगों में विविधतापूर्ण भिन्नता है यहाँ अनेक देश, अनेक विचार और अनेक भाषाएं दिखाई देती है। जिसके कारण यहाँ उपद्रव भी अधिक होते हैं और समाज में शांति नहीं रह पाती है। अर्थात कवि इस कविता से यह संदेश देते हैं कि अपनी मातृभाषा की उन्नति करो जिससे देश में एकता स्थापित हे और देश उन्नति करें।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा

शब्दार्थ :

  1. निज – अपनी
  2. अहै – है
  3. मूल – जड़ (आधार)
  4. मिटत न – नहीं मिटती
  5. सूल – शूल (पीड़ा)
  6. जदपि – यद्यपि
  7. प्रवीन – कुशल
  8. पै – परंतु
  9. बिन – बिना
  10. हीन – तुच्छ
  11. उन्नति – प्रगति
  12. पूरी – संपूर्ण
  13. मूढ़ – मूर्ख
  14. कोय – कोई
  15. सोय – वह (उन्नति)
  16. इक – एक
  17. जीव – प्राण/आत्मा
  18. इक मति – एक बुद्धि
  19. तबै – तभी
  20. सबन सौ – सबके साथ
  21. मूढ़ता – अज्ञानता
  22. सोग – दुख
  23. प्रगट – स्पष्ट
  24. लखात – विद्या
  25. तेहि – उसे
  26. सुनी – सुनकर
  27. पावे – पाता है
  28. जो कोय – जो कोई
  29. और – दूसरे
  30. कबहूँ – कभी-भी
  31. होय – होता है
  32. विविध – अनेक
  33. अमित – असीमित
  34. देसन – देश
  35. लै – लेकर
  36. करहू – कीजिए
  37. दिखाई – अनेक
  38. माँहि – में
  39. विविध – अनेक
  40. देस – देश
  41. मतहू – विचार

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 मैं बरतन माँगूँगा

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Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 मैं बरतन माँगूँगा

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 2 मैं बरतन माँगूँगा Textbook Questions and Answers

1. संजाल पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 मैं बरतन माँगूँगा 1

2. निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय छाँटकर लिखिए।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय छाँटकर लिखिए।
1. किताबी
2. पढ़ाकू
उत्तर:
1. प्रत्यय – ई
2. प्रत्यय – आकू

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 मैं बरतन माँगूँगा

3. गद्यांश पढ़कर प्राप्त होने वाली प्रेरणा लिखिए।

प्रश्न 1.
गद्यांश पढ़कर प्राप्त होने वाली प्रेरणा लिखिए।
उत्तर:
इस गद्यांश को पढ़कर हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें अपने समय का हमेशा सदुपयोग करना चाहिए। हमें कभी-भी अपना समय पुस्तकें पढ़ने एवं अपने आवश्यक कार्य करने में ही व्यतीत करने चाहिए। समय का दुरुपयोग कभी नहीं करना चाहिए। समय के सदुपयोग से ही व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है तथा अपने जीवन में विकास कर सकता है। समय का सदुपयोग न करने से व्यक्ति का कार्य भी नहीं हो पाता और वह अन्य परेशानियों में फँस जाता है। अत: हमें पाठ के विश्वकर्मा सर से प्रेरणा लेते हुए ऐसा करना चाहिए कि हम भी अपना अमूल्य समय बर्बाद न होने दें।

4. कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
पुस्तकों की ढेरियाँ बना रखी थी क्योंकि
उत्तर:
पुस्तकों की ढेरियाँ बना रखी थी क्योंकि कमरे में आलमारी नहीं थी।

प्रश्न 2.
मित्रों द्वारा मूर्ख समझे जाने पर भी लेखक महोदय खुश थे क्योंकि
उत्तर:
मित्रों द्वारा मूर्ख समझे जाने पर भी लेखक महोदय खुश थे क्योंकि लेखक जानते थे कि मूर्ख कौन है।

5. ‘अध्यापक के साथ विद्यार्थी का रिश्ता’ विषय पर स्वमत लिखिए।

प्रश्न 1.
‘अध्यापक के साथ विद्यार्थी का रिश्ता’ विषय पर स्वमत लिखिए।
उत्तर:
प्राचीन काल से गुरु-शिष्य का संबंध बड़ा ही गहरा और पवित्र रहा है। गुरु अपने शिष्य का सबसे बड़ा मार्गदर्शक होता है। उसके द्वारा दिए जाने वाला हर ज्ञान, शिष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। गुरु शिष्य पर आने वाली हर मुसीबत में उसका साथ देता है। इसलिए कहा गया है – गुरु बिन ज्ञान न होत है, गुरु बिन दुआ अजान। गुरु बिन इंद्रिय न सधै, गुरु बिन बढ़े न शान। शिष्य भी अपने गुरु को भगवान स्वरूप मानता है। वह गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश समझता है। गुरु के कहे हर शब्द को वह आदेश मानकर उसका पालन करता है। प्रश्न ४ (घ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

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भाषा बिंदु:

प्रश्न 1.
रचना की दृष्टि से वाक्य पहचानकर अन्य एक वाक्य लिखिए।
उत्तर:
जब पाठ्यपुस्तक पढ़ते-पढ़ते
ऊब जाओ, तब झट कोई बाहरी
रुचिकर पुस्तक पढ़ा करो।

प्रश्न 2.
जब पानी बरस रहा था, तब मैं घर के भीतर था।
उत्तर:
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लेखनीय:

प्रश्न 1.
‘कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता’ इस पर एक प्रसंग लिखकर उसे कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
महात्मा गाँधी ने कहा था कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। बल्कि इंसान की सोच बड़ी होनी चाहिए। इस वाक्य पर एक प्रसंग मुझे याद आया जो इस प्रकार है: सतीश एक बहुत ही अच्छा मकैनिक था, जो अपने काम के आगे सभी लोगों के काम को छोटा समझता था। उसको लगता था कि जो काम वह कर रहा है वही सबसे अच्छा काम है बाकी सब लोगों का काम बेकार है। एक दिन एक डॉक्टर साहब अपनी कार लेकर उसके पास आए और बोले भाई इसको देखना क्या हो गया।

वह डॉक्टर एक सर्जन थे और बड़े ही अच्छे स्वभाव के थे। सतीश भी बड़े लोगों की गाड़ियों को देखकर बहुत ही खुश होता था। गाड़ी सही करते वक्त वह डॉक्टर साहब से बोला- आप का और मेरा काम तो एक समान है, फिर भी आप मुझसे ज्यादा पैसा क्यों कमाते हैं? आप देखो न, जैसे मैं गाड़ी का इंजन खोलता हूँ उसी तरह आप भी ऑपरेशन करते हैं।

डॉक्टर साहब बहुत ही विनम्र होकर बोले, आप जो काम करते हो वे जिंदा लोगों पर नहीं करते हो, आप के काम में कुछ देर हो जाए तो आप कल कर सकते है, लेकिन मेरा काम जिंदा लोगों पर ही होता है, जिसमें आप बिलकुल भी देर नहीं कर सकते है। यह बात सुनकर सतीश को समझ में आ गया कि कोई काम बड़ा या छोटा नहीं होता है। बस इंसान की सोच बड़ी होनी चाहिए।

रचनात्मकता की ओर:

मौलिक सृजन:

प्रश्न 1.
‘नम्रता होती है जिनके पास, उनका ही होता मौलिक सृजन दिल में वास।’ इस विषय पर अन्य सुवचन तैयार कीजिए।
उत्तर:

  1. आत्मसम्मान की भावना ही नम्रता की औषधि है।
  2. नम्रता की ऊँचाई नापने के लिए ब्रह्मांड का कोई भी मापक यंत्र सक्षम नहीं।
  3. किसी महान व्यक्ति की प्रथम परीक्षा उसकी नम्रता से लेनी चाहिए।
  4. नम्रता के पीछे स्वार्थ हो, तो वह ढोंग है।
  5. जिसमें नम्रता नहीं आती, वे विद्या का पूरा सदुपयोग नहीं कर सकते।
  6. नम्रता से वे कार्य भी बन जाते हैं जो कठोरता से नहीं बन पाते।
  7. नम्रता स्वर्ग के रास्ते की कुंजी है।

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आसपास:

प्रश्न 1.
दूसरे शहर-गाँव में रहने वाले अपने मित्र को आसपास विद्यालय के अनुभव सुनाइए।
उत्तरः
मैं गर्मी की छुट्टियों में अपने ननिहाल (मामा के घर) गया। मेरे मामा का लड़का राकेश भी नौवीं में पढ़ता था। उसने मुझसे मेरे विद्यालय के बारे में पूछा तो मैंने बताया कि मेरा विद्यालय शहर के बीचों बीच है। मेरे विद्यालय में पुस्तकालय और खेल का मैदान भी है। मेरे विद्यालय में बहुत अच्छी पढ़ाई होती है। सभी अध्यापक और अध्यापिकाएँ समय पर कक्षा में आते हैं तथा अपना विषय अच्छे तरीके से पढ़ाते हैं। यदि हमें कुछ प्रश्न या सवाल समझ में नहीं आता है तो वे हमें बार-बार समझाते और अतिरिक्त कक्षा में भी पढ़ाते हैं। मेरे विद्यालय में बहुत कड़ा अनुशासन है। कोई भी अनुशासन को नहीं भंग करता है। सभी लड़के और लड़कियाँ एक साथ मिल-जुलकर रहते हैं और एक दूसरे की सहायता भी करते हैं। मेरे विद्यालय में समय-समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं इसमें सभी लड़के और लड़कियाँ भाग लेते हैं। मेरे विद्यालय में हमेशा खेल-कूद का भी आयोजन होता है तथा अनेक विद्यार्थी खेलों में भी प्रथम स्थान पाते हैं। मेरे विद्यालय का अनुशासन शिक्षा व्यवस्था तथा शिष्टाचार बहुत ही अच्छा है।

पाठ से आगे:

प्रश्न 1.
‘स्वयं अनुशासन’ पर कक्षा में चर्चा कीजिए तथा इससे संबंधित तक्तियाँ बनाइए।
उत्तर:

  • मोहन – अनुशासन क्या है?
  • श्याम – अनुशासन कुछ ऐसा है जो सभी को अच्छे से नियंत्रित करके रखता है। यह व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है और सफल बनाता है।
  • राकेश – इसकी जरूरत क्यों होती है?।
  • रमेश – जीवन में सही रास्ते पर चलने के लिए हर एक व्यक्ति में अनुशासन की बहुत जरूरत पड़ती है। अनुशासन के बिना जीवन बिल्कुल निष्क्रिय और निरर्थक हो जाता है।
  • मोहन – अनुशासन कितने प्रकार का होता है?
  • श्याम – अनुशासन दो प्रकार का होता है, एक वो जो हमें बाहरी समाज से मिलता है और दूसरा वो जो हमारे अंदर स्वयं उत्पन्न होता है।
  • राकेश – स्वयं अनुशासन का क्या अर्थ होता है?
  • रमेश – स्वयं अनुशासन का सभी व्यक्तियों के लिए अलग-अलग अर्थ होता है जैसे विद्यार्थियों के लिए इसका मतलब है सही समय पर एकाग्रता के साथ पढ़ना और दिए गए कार्य को पूरा करना।
  • सतीश – स्वयं अनुशासन की जरूरत क्यों है?
  • श्याम – हर व्यक्ति में स्व-अनुशासन की बहुत जरूरत है क्योंकि आज के आधुनिक समय में किसी को भी दूसरों को अनुशासन के लिए प्रेरित करने का समय नहीं है।
  • राकेश – क्या अभिभावक को भी स्वयं अनुशासन की जरूरत होती है।
  • रमेश – अभिभावक को स्व-अनुशासन को विकसित करने की जरूरत है क्योंकि उसी से वो अपने बच्चों को भी अनुशासन की शिक्षा दे सकते हैं। उन्हें हर समय अपने बच्चों को प्रेरित करते रहने की जरूरत पड़ती है जिससे वो दूसरों से अच्छा व्यवहार करें और हर कार्य को सही समय पर करें।

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विद्यालय में अनुशासन से संबंधित कुछ बातें:

  1. कम बोलें, धीमा बोलें तथा मीठा बोलें।
  2. सदाचार का पालन करें।
  3. अपने गुरुजन का सम्मान करें।
  4. हमेशा शिष्टता का व्यवहार करें।
  5. अपना गृहकार्य अवश्य पूरा करें।
  6. विद्यालय में आयोजित प्रतियोगिता में अवश्य भाग लें।
  7. समय पर विद्यालय आएँ।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 2 मैं बरतन माँगूँगा Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
लिंग परिवर्तन कीजिए।
1. दादी
2. पिता
उत्तर:
1. दादा
2. माता

प्रश्न 2.
निम्न शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।
1. डर × ………….
2. विद्वान × …………..
उत्तर:
1. निडर
2. मूर्ख

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कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘जीवन में शिक्षा का महत्त्वपूर्ण स्थान है।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
शिक्षा का हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। शिक्षा वह है, जो मनुष्य को ज्ञान प्रदान करने के साथ-साथ उसके हृदय एवं आत्मा का विकास करती है। शिक्षा हमारी समृद्धि में आभूषण, विपत्ति में शरण स्थान और समस्त कालों में आनंद देने वाली होती है। जीवन लक्ष्य की पूर्ति के लिए शिक्षा आवश्यक है। शिक्षा हमें स्वयं के विकास के साथ-साथ समाज और राष्ट्र के विकास के लिए भी प्रेरित करती है। शिक्षा ही मनुष्य को जीवन की विविध परिस्थितियों से समायोजन करना सीखाती है।

(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 मैं बरतन माँगूँगा 3

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
विश्वकर्मा सर को इसका शौक था।
उत्तर:
पढ़ने का

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कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
वचन परिवर्तन कीजिए।
1. अध्यापकगण
2. पुस्तक
उत्तर:
1. अध्यापक
2. पुस्तकें

प्रश्न 2.
समानार्थी शब्द लिखिए।
1. शौक
2. गजब
उत्तर:
1. रुचि
2. अद्भुत

(ग) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 मैं बरतन माँगूँगा 4

प्रश्न 2.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य पहचानकर लिखिए।
1. विश्वकर्मा सर का कमरा बरतनों से भरा हुआ था।
2. विषय बदलने से दिमाग में ताजगी आ जाती है।
उत्तर:
1. असत्य
2. सत्य

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प्रश्न 3.
कारण लिखिए।
लेखक के साथी उनको चिढ़ाते थे क्योंकि
उत्तर:
लेखक के साथी उनको चिढ़ाते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि लेखक इधर-उधर की पुस्तकों से समय बरबाद करते हैं।

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
गद्यांश से शब्द-युग्म शब्दों की जोड़ियाँ लिखिए।
उत्तर:
1. मंद – मंद
2. एक – एक

प्रश्न 2.
गद्यांश से विरुद्धार्थी शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
1. खाली × …………….
2. मोटी × ……………
उत्तर:
1 भरा
2. पतली

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
1. विश्वकर्मा सर का यह क्रम ज्यों-का-त्यों बना रहा –
2. भोजन बनाने में इतना समय लगता है –
उत्तर:
1. बरतन धोने का
2. करीब दो घंटे

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प्रश्न 2.
कारण लिखिए।
विश्वकर्मा सर हमेशा बरतन धोते थे क्योंकि
उत्तर:
विश्वकर्मा सर हमेशा बरतन धोते थे क्योंकि खाना बनाने में पूरे दो घंटे लगते हैं और बरतन धोने में सिर्फ दस मिनट।

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
समानार्थी शब्द लिखिए।
1. समय
2. खुश
उत्तर:
1. वक्त
2. प्रसन्न

प्रश्न 2.
विलोम शब्द लिखिए।
1. मित्र × ………….
2. मूर्ख × …………
उत्तर:
1. शत्रु
2. विद्वान

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘आदर्श शिक्षक’ पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
शिक्षक एक विशाल इमारत की नींव की तरह होते हैं। जिस इमारत की नींव ही कमजोर हो, तो उस इमारत का कोई भविष्य नहीं होता है। उसी तरह आदर्श शिक्षक न हो तो विद्यार्थियों का भविष्य सुरक्षित नहीं होता । शिक्षक अनुशासन प्रिय होते हैं । अपने विषय को वे इस तरह समझाने का प्रयत्न करते हैं, जिसे सामान्य से सामान्य विद्यार्थी भी समझ सकें। वे अपने विद्यार्थियों में संयम, सेवा, त्याग, सहयोग और देशभक्ति के बीज बोते हैं।

मैं बरतन माँगूँगा Summary in Hindi

लेखक-परिचय:

हमराज भट्ट हिंदी के आधुनिक साहित्यकारों में से एक है। हमराज भट्ट की बालसुलभ रचनाएँ बहुत प्रसिद्ध हैं। इनकी कहानियाँ, निबंध, संस्मरण विविध पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होती रहती हैं।

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गद्य-परिचय:

आत्मकथात्मक कहानी: आत्मकथा हिंदी साहित्य में गद्य की एक विधा है। इसमें स्वयं या कहानी का कोई पात्र ‘मैं’ के माध्यम से पूरी कहानी का आत्मचित्रण करता है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत पाठ ‘मैं बरतन माँगूंगा’ में लेखक हमराज भट्ट जी ने समय की बचत, समय का उचित उपयोग एवं
अध्ययनशीलता जैसे गुणों को दर्शाया है।

सारांश:

प्रस्तुत पाठ में लेखक ने बचपन के एक प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा है कि उन्हें बचपन में विषय के अतिरिक्त दूसरी पुस्तक पढ़ने की आदत नहीं थी। वह अपने गुरु जी के डर से पाठ्यक्रम की कविताएँ ही रट लिया करते थे। उनके पिता जी कभी पत्रिका लाते थे तो वह लेखक को पढ़ने के लिए नहीं मिलता था।

आठवीं पास करने के बाद नौवीं में पढ़ने के लिए उनके घरवालों ने उन्हें अच्छी नसीहत देकर शहर भेज दिया। उनके साथ गाँव के दो साथी और थे। तीनों एक साथ कमरा लेकर उसमें रहने लगे।

वह जिस कमरे में रहते थे उसके सामने उनके तीन अध्यापक भी रहते थे पुरोहित जी, खान साहब और विश्वकर्मा जी। तीनों अध्यापक साथ-साथ बनाते खाते थे; उनमें कोई भेदभाव नहीं था। लेखक और उनके साथियों ने गौर किया कि विश्वकर्मा सर हमेशा बरतन माँजते थे जबकि पुरोहित और खान साहब कभी बरतन नहीं माँजते थे। विश्वकर्मा सर को पढ़ने का भी शौक था। वह हर वक्त किताबों में ही डूबे रहते। उन्हें देखकर लेखक भी उनसे पुस्तकें लेकर पढ़ना चाहता था। एक दिन किसी बहाने से वह उनके कमरे में गया तो वहाँ अनेक पुस्तकों को देखा। आलमारी ना होने के कारण पुस्तकें जमीन पर ही पड़ी थी । विश्वकर्मा सर ने लेखक को देख लिया और उन्हें कुछ पुस्तकें भी पढ़ने को दी। धीरे-धीरे लेखक और विश्वकर्मा सर में खूब जमने लगी।

एक दिन लेखक ने उनसे रोज सुबह-शाम बरतन माँजने का कारण पूछा। विश्वकर्मा सर ने विस्तार से बताया, कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता। बर्तन माँजने में दस मिनट का समय लगता है जबकि खाना बनाने में दो घंटे का समय लगता है तथा धुएँ और शोर को भी सहना पड़ता है। अत: वह बरतन माँजने का काम करके १ घंटा ५० मिनट बचा लेते हैं, जिसमें वह पढ़ाई करते हैं। विश्वकर्मा सर के इस तर्क को सुनकर लेखक बहुत प्रभावित हुए और वह भी उस दिन अपने साथियों को बोले कि अब दोनों समय का बरतन मैं ही माँगूंगा और तुम दोनों खाना बनाया करो। उनके साथी उनको मूर्ख समझने लगे जबकि लेखक जानते थे कि मूर्ख कौन है।

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शब्दार्थ:

  1. पलटना – बदलना
  2. एहसास – आभास
  3. नसीहत – उपदेश, सीख
  4. चर्चा – बातचीत
  5. शौक – रुचि
  6. पढ़ाकू – पढ़नेवाला
  7. ढेरियाँ – समूह
  8. मंद – धीमा
  9. तत्काल – तुरंत
  10. रुचिकर – मनपसंद
  11. पठनीय – पढ़ने योग्य
  12. नि:संकोच – बिना संकोच के
  13. पारावार – सीमा
  14. आह्लादित – आनंदित
  15. हिदायत – निर्देश, सूचना
  16. कौर – ग्रास, निवाला
  17. गजब – अद्भुत
  18. ठाट – शान
  19. करीने – क्रम से
  20. इत्मीनान – संतोष
  21. प्रोत्साहित – उत्साहित
  22. ताजगी – नयापन
  23. स्वाध्याय – स्वयं किया गया अध्ययन

मुहावरे:

1. किताबी कीड़ा होना – केवल पढ़ने में ही लगे रहना।
2. घुड़क देना – जोर से बोलकर डराना, डाँटना।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

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Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 6 सागर और मेघ Textbook Questions and Answers

1. स्वमत अभिव्यक्ति:

प्रश्न 1.
‘अगर न नभ में बादल होते’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
अगर नभ में बादल न होते तो बारिश नहीं होती और यदि वर्षा नहीं होती तो हमारा जीवन संकट में पड़ जाता। क्योंकि जल ही जीवन है। वर्षा के माध्यम से हमें जल की प्राप्ति होती है। हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है जहाँ ७०% आबादी कृषि पर निर्भर है अगर वर्षा न होती तो धरती बंजर रह जाती और हमें भोजन के लिए अन्न उपलब्ध नहीं होता। नदी, तालाब, जलाशय सब सूख जाते और प्राणियों का जीवन संकट में पड़ जाता क्योंकि बिना भोजन के हम कुछ दिन जीवित रह सकते हैं, लेकिन बिना पानी के हमारा एक-दो दिन जीना भी मुश्किल हो जाएगा।

अगर मेघ न होंगे, तो धरती का तापमान अत्यधिक बढ़ जाएगा और मनुष्य बेहाल हो जाएगा। बारिश के कारण धरती का तापमान नियंत्रित रहता है। बादल संसार को जल रूपी जीवन का दान करता है और अनुपजाऊ धरती को उपजाऊ बनाता है। किसान बड़ी आतुरता के साथ वर्षा का इंतजार करता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि अगर न नभ में बादल होते, तो शायद यह जीवन ही संभव न हो पाता।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

प्रश्न 2.
‘सागर और मेघ एक-दूसरे के पूरक हैं’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
‘सागर और मेघ एक-दूसरे के पूरक हैं’ क्योंकि इन दोनों के बिना जलचक्र संभव नहीं हो सकता है। जब मेघ से पानी बरसता है तो वह वायुमंडल से भूमि तक पहुँचता है। फिर नदियों में जाकर मिलता है और वह नदियाँ अंत में जाकर सागर में मिल जाती हैं। सागर में वाष्पीकरण की क्रिया होती है और वह पानी वाष्प बनकर फिर बादल बन जाते हैं और पृथ्वी पर वर्षा होती है जिससे अनेक जीव-जंतु और वनस्पतियाँ उत्पन्न होती हैं। अत: हम कह सकते हैं कि सागर और मेघ के बिना प्राणी का जीवन संभव नहीं हो सकता। इसलिए वे दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।

2. उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

प्रश्न 1.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

‘अ’ ‘ब’
1.  झूठी स्पर्धा करने वाला (क) सागर
2. अपने हृदय में कंकड़ पत्थर, शंख-घोंघे (ख) मेघ भरने वाला।
(ग) मनुष्य

उत्तर:

‘अ’ ‘ब’
1.  झूठी स्पर्धा करने वाला (ग) मनुष्य
2. अपने हृदय में कंकड़ पत्थर, शंख-घोंघे (क) सागर

3. समानार्थी शब्द बताइए।

प्रश्न 1.
समानार्थी शब्द बताइए।
1. संसार
2. विवेकहीन
उत्तर:
1. विश्व
2. बुद्धिहीन

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

भाषा बिंदु:

प्रश्न 1.
निम्न वाक्यों में से सर्वनाम एवं क्रिया छाँटकर भेदों सहित लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 1

मौलिक सृजन:

प्रश्न 1.
‘परिवर्तन सृष्टि का नियम है’ इस संदर्भ में अपना मत व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
परिवर्तन सृष्टि का नियम है। इस विषय पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है कि यह नियम क्या है। जैसे हमारे देश में ६ ऋतुएँ है इसी प्रकार संपूर्ण विश्व में भी कई प्रकार के मौसम हैं। जिस प्रकार गर्मी के बाद वसंत ऋतु आती है। यही प्रकृति का नियम हैं। उसी प्रकार हमारे मानव जीवन में भी कई परिवर्तन आते हैं जैसे जन्म से शिशु अवस्था, शैशव से किशोर अवस्था, युवा अवस्था और अंत में वृद्धावस्था और इसके बाद एक दिन सृष्टि के नियमानुसार हमें इस धराधाम को छोड़कर जाना पड़ता है। मानव जीवन में सुख और दुख भी होते हैं मगर हम मनुष्य हर परिवर्तन को सहन नहीं कर पाते; क्योंकि हर परिवर्तन हमारा मन चाहा नहीं होता है।

हम चाहते कुछ है और होता कुछ और है। ज्यादातर देखा गया है कि मनुष्य अगर इन परिवर्तनों को स्वीकार नहीं पाता है तो अधिक दुखी हो जाता है और इस दुख में इंसान अपने मन का संतुलन खो देता है और गलत कदम उठा लेता है। हमारे पूर्वजों के द्वारा हमें पता चलता है कि परमात्मा के दिए हुए हर परिवर्तन में कोई न कोई अच्छी दिशा, अच्छा और नया संदेश निहित होता है। अत: अगर हम परिवर्तन को ईश्वर का दिया हुआ वरदान मान लें; तो इसमें कोई नई आशा, नई दिशा तथा नया मार्ग मिले जो पहले से बेहतर हो इसलिए हमें यह समझने की जरूरत है कि परिवर्तन सृष्टि का नियम है।

पाठ के आँगन में:

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 2

पाठ से आगे:

प्रश्न 1.
‘मोती कैसे तैयार होता है?’ इस पर चर्चा कीजिए और दैनिक जीवन में मोती का उपयोग कहाँ -कहाँ होता हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्राचीन काल से ही मोती का उपयोग काफी प्रचलित था। रामायण तथा अन्य धार्मिक ग्रन्थों में भी मोती की चर्चा पाई गई है। अमेरिका के मूल निवासी रेड इंडियन मोती को काफी महत्त्व देते थे। प्राकृतिक मोती की उत्पत्ति प्राकृतिक ढंग से होती है। वराह मिहिर की वृहत्संहिता में बताया गया है कि प्राकृतिक मोती की उत्पत्ति सीप, सर्प के मस्तक, मछली, सुअर तथा हाथी से होती है। परंतु अधिकांश प्राचीन भारतीय विद्वानों ने मोती की उत्पत्ति सीप से बताई हैं। प्राचीन विद्वानों का मत है कि जब स्वाति नक्षत्र के दौरान वर्षा की बूंदे सीप में पड़ती हैं तो मोती का निर्माण होता है।

आधुनिक वैज्ञानिकों का मत है कि मोती निर्माण के लिए शरद ऋतु सबसे अनुकूल है क्योंकि इसी ऋतु में स्वाति नक्षत्र का आगमन होता है। इस समय जब वर्षा की बूंदें या वालू का कण किसी सीप के अंदर जाता है तो सीप एक तरल पदार्थ का स्राव करती है, यह तरल पदार्थ परत दर परत चढ़ता जाता है और मोती का रूप ले लेता है। 13 वीं शताब्दी से चीन में कृत्रिम मोती का उत्पादन भी होने लगा है। इसे मोती की खेती भी कहते हैं। 1961 से भारत में भी मोती की खेती की शुरूआत की गई। इसमें सबसे पहले सीपी का चुनाव किया जाता है फिर प्रत्येक सीपी में शल्य क्रिया करनी पड़ती है। इस शल्य क्रिया के बाद सीपी के भीतर एक छोटा-सा नाभिक तथा ऊतक रखा जाता है।

इसके बाद सीपी इस प्रकार बंद कर दिया जाता है कि उसकी सभी जैविक क्रियाएँ पहले की तरह चलती रहें। ऊतक से निकलने वाला पदार्थ नाभिक के चारों ओर जमने लगता है और अंत में मोती का रूप ले लेता है। आजकल नकली मोती भी बनाए जाते हैं। नकली मोती सीप से नहीं बनाए जाते बल्कि शीशे या आलाबास्टर के मनको पर मछली के शल्क के चूरे की परतें चढ़ाकर बनाए जाते हैं। इनकी आज बाजारों में बड़ी माँग है। ये कीमत में सस्ते भी होते हैं। मोती का उपयोग आभूषण बनाने में किया जाता है। इसके अलावा मोती औषधि बनाने के काम में भी आती है। जैसे मोती भस्म का उपयोग कब्ज नाशक के रूप में किया जाता है। इसके अलावा इन मोतियों से एक प्रकार की गोली बनती है, जो पेट की गैस तथा एलर्जी के लिए उपयोगी है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

आसपास:

प्रश्न 1.
दूरदर्शन पर प्रतिदिन दिखाए जानेवाली तापमान संबंधी जानकारी देखिए। संपूर्ण सप्ताह में तापमान में किस तरह का बदलाव पाया गया, इसकी तुलना करके टिप्पणी तैयार कीजिए।
उत्तर:
पिछले कई दिनों से मैं प्रतिदिन दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले तापमान संबंधी जानकारी को देख रहा हूँ। संपूर्ण सप्ताह का तापमान देखने के बाद मुझे ज्ञात हुआ कि महानगरों का तापमान कभी बहुत बढ़ जाता है तो कभी कम हो जाता है। पिछले कई सप्ताहों से मुंबई, दिल्ली,मद्रास, कोलकाता आदि महानगरों के तापमान में काफी बदलाव आ रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि सारे बदलाव का कारण ग्लोबल वार्मिंग है। जिसे साधारण भाषा में भूमंडलीय तापमान में वृद्धि कहते हैं।

आज तापमानों में बदलाव का मुख्य कारण प्रदूषण है। जिससे कार्बन डाई आक्साईड की मात्रा बढ़ रही है। आधुनिकीकरण के कारण पेड़ों की कटाई और गाँवों का शहरीकरण बहुत तेजी से हो रहा है, जिसके कारण खुली और ताजी हवा या आक्सीजन का अभाव होता जा रहा है। पेड़ों तथा जंगलो की अंधाधुंध कटाई के कारण पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। जिससे कही ठंड बहुत ज्यादा हो रही है, तो कही गर्मी का प्रकोप बहुत ज्यादा हो रहा है।

वैज्ञानिकों का मत है कि आनेवाले समय में यह तापमान बदलाव बहुत भयानक रूप ले सकता है। यह फसलों के साथ-साथ जनजीवन के लिए भी नुकसानदायक है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण अधिकतम तथा न्यूनतम पारे का अंतर बढ़ गया है। इसलिए हमें सावधान रहने की आवश्यकता है। हमें कोशिश करनी चाहिए कि जितनी जल्दी हो इस समस्या का समाधान प्राप्त कर लें।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 6 सागर और मेघ Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
1. नदियों के कर देने की निरंतरता इससे बनी रहती है –
2. सागर ने मेघ को इस पर ध्यान देने के लिए कहा –
उत्तर:
1. मेघ द्वारा दिया गया बहुत-सा दान जिसे नदियाँ पृथ्वी के पास धरोहर के रूप में रखे रहती हैं।
2. वाइव जो नित्य मुझे (सागर) जलाया करता है, फिर भी मैं उसे छाती से लगाए रहता हूँ।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

प्रश्न 2.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

‘अ’ ‘ब’
1.  दूसरे की करतूत पर गर्व करनेवाला (क) वाड़व
2. सागर को नित्य जलाने वाला (ख) मेघ
(ग) मनुष्य

उत्तर:

‘अ’ ‘ब’
1.  झूठी स्पर्धा करने वाला (ख) मेघ
2. अपने हृदय में कंकड़ पत्थर, शंख-घोंघे (ग) मनुष्य

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
प्रत्यय अलग करके लिखिए।
1. निरंतरता
2. गरजकर
उत्तर:
1. निरंतर + ता (ता – प्रत्यय)
2. गरज + कर (कर – प्रत्यय)

प्रश्न 2.
वचन परिवर्तन कीजिए।
1. नदियाँ
2. पृथ्वी
उत्तर:
1. नदी
2. पृथ्वी

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

प्रश्न 3.
निम्नलिखित के समानार्थी शब्द लिखिए।
1. पृथ्वी
2. विश्राम
उत्तर:
1. धरती
2. आराम

(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 3

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
उपसर्ग अलग करके लिखिए।
1. अस्थिरता
2. अचल
उत्तर:
1. अ + स्थिरता = अस्थिरता (अ – उपसर्ग)
2. अ+ चल = अचल (अ – उपसर्ग)

प्रश्न 2.
गद्यांश से विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
1. अहिंसा × ……….
2. धरती × ………..
उत्तर:
1. हिंसा
2. आकाश

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

प्रश्न 3.
निम्नलिखित के समानार्थी शब्द लिखिए।
1. स्पर्धा
2. मेघ
उत्तर:
1. प्रतियोगिता
2. बादल

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘अगर सागर न होता तो ……..’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
अगर सागर न होता, तो हमें बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता । धरती के ७० प्रतिशत भू-भाग में सागर फैला हुआ है। अगर महासागरों में जैव विविधता का विशाल भंडार न होता, तो पृथ्वी पर जीवन ही संभव न होती। यदि समुद्र का पानी खारा न होता तो गर्म प्रदेश और गर्म हो जाते तथा ठंडे प्रदेश और ज्यादा ठंडे। यह सागर की विशाल जलराशि ही है जो सूर्य से आनेवाली उष्मा का एक बड़ा हिस्सा अपने भीतर समा लेती है। यह प्रक्रिया ही मौसम को संतुलित करती है।

सागर में मौजूद विविध जैविकी में कार्बन को अवशोषित करने की क्षमता होती है। इस क्षमता के कारण ही इन्हें पर्यावरण को संतुलित रखने का सबसे सशक्त माध्यम माना गया है। सागर का खारा पानी भले ही पीने लायक न हो लेकिन यह गर्म हवाओं को ठंडा करती है तथा इस खारेपन के कारण ही बारिश होती है, मौसमों में रंगों की विविधता है तथा जीवन है। जिस प्रकार समुद्र मंथन के दौरान भगवान शंकर विष को पीकर नीलकंठ कहलाए; उसी प्रकार कार्बन और नमक के जहर को पीकर सागर हमें सुरक्षित रखता है और पर्यावरण को संतुलित करता है। इसलिए अगर सागर न होता, तो शायद पृथ्वी में जीवन का अस्तित्व ही न होता।

(ग) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 4

प्रश्न 2.
सत्य असत्य पहचानकर लिखिए।
1. क्रोध हमें विवेकहीन बना देता है।
2. मनुष्य सागर और मेघ पर निर्भर नहीं है।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

कृति ग (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
विलोम शब्द लिखिए।
1. स्वादिष्ट × ……………..
2. उन्नति × ……………..
उत्तर:
1. स्वादहीन
2. अवनति

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों से प्रत्यय अलग करके लिखिए।
1. अपमानित
2. आतुरता
उत्तर:
1. ‘इत’ प्रत्यय
2. ‘ता’ प्रत्यय

भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ

भाषा बिंदु:

प्रश्न 1.
निम्न में से संज्ञा तथा विशेषण पहचानकर भेदों सहित लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 5

सागर और मेघ Summary in Hindi

लेखक-परिचय:

जीवन-परिचय: राय कृष्णदास का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में हुआ था। ये हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और बांग्लाभाषा के अच्छे जानकार थे। इन्होंने कविता, निबंध गद्यगीत, कहानी, कला, इतिहास आदि विषयों पर रचनाएँ की हैं। इनको ‘साहित्य वाचस्पति पुरस्कार’ तथा भारत सरकार दवारा ‘पद्म विभूषण’ की उपाधि मिली थी।

प्रमुख कृतियाँ: मौलिक ग्रंथ – ‘भारत की चित्रकला’, ‘भारत की मूर्तिकला’, कहानी संग्रह – ‘साधना आनाख्या’, ‘सुधांशु’, गद्यगीत – ‘प्रवाल’।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

गद्य-परिचय:

संवाद: दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच हुआ वार्तालाप, बातचीत या संभाषण ‘संवाद’ कहलाता है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत संवाद ‘सागर और मेघ’ के द्वारा लेखक ने सागर एवं मेघ के गुणों को दर्शाया है और हमें विनम्र होने की सीख
देते हुए कहा है कि अपने गुणों पर इतराना और अहंकार करना एक बुराई है। अहंकार नाश का मूल है। अतः लेखक इससे बचने की सलाह देते हैं।

सारांश:

सागर और मेघ अपने गुणों का बखान करते हुए आपस में संवाद कर रहे हैं। सागर कहता है कि उसके हृदय में मोती भरे हैं। जवाब में मेघ कहता है कि तुमने मुझसे जल का हरण किया है। सागर कहता है कि मैं सदा अपना कर्म करता हूँ। अगर सागर न होते तो मेघ न बनते अर्थात तुम्हें जन्म देने वाला मैं हूँ। मेघ मुस्कुराकर कहता है कि अगर बरसात न होती, तो नदियाँ कहाँ से उमड़ती और तुम्हें भरती। सागर मेघ पर व्यंग्य करते हुए कहता है कि आकाश में इधर-उधर मारे-मारे फिरते हो। मेघ सागर को हँसकर जवाब देता है कि मैं घूम-फिर कर संसार का निरीक्षण करता हूँ और जहाँ आवश्यक होता है; वहाँ जीवन-दान करता हूँ। अगर मैं न रहूँ, तो यह धरती बंजर हो जाएगी।

फिर मेघ सागर को उलाहना देते हुए कहता है कि तुम्हारा हृदय कठोर है क्योंकि तुम्हारे दिल में कंकड़-पत्थर भरे हुए हैं। जवाब में सागर कहता है कि जिन्हें तुम कंकड़-पत्थर समझ रहे हो वो असल में रत्न हैं। सागर आगे कहता है कि तुम सिर्फ शोर मचाना जानते हो। मेघ तुरंत जवाब देता है कि वह गरजने के साथ बरसना भी जानता है। लेकिन वह सागर की तरह नहीं है कि केवल उत्पातियों और अपराधियों को जगह देता है। सागर मेघ की बातों से क्रोधित हो उठता है और कहता है कि हाँ, मैं शरण अवश्य देता हूँ लेकिन दंड उतना ही होना चाहिए कि दंडित सावधान हो जाए; उसे अपाहिज नहीं होना चाहिए।

सागर की बातों से मेघ भी गुस्से में आ जाता है और कहता है यह भी कोई नीति हुई कि राजा अपने राज्य की रक्षा के लिए हमेशा शस्त्र लिए खड़ा रहे अपनी राज्य की उन्नति न कर पाए। अब सागर को असली बात समझ में आती है और वह मेघ से कहता है कि अपना क्रोध शांत करो और आओ हम दोनों मिलकर जनकल्याण का कार्य करें।

मेघ का भी क्रोध शांत होता है और वह कहता है कि प्रति वर्ष किसान मेरी प्रतीक्षा करता है। इसलिए हे सागर भाई, हमें आपस में उलझना नहीं चाहिए। दोनों प्रतिज्ञा करते हैं कि अब हम घमंड में एक-दूसरे का अपमान नहीं करेंगे। बल्कि लोक कल्याण के लिए कार्य करेंगे। मेघ कहता है कि मैं नदियों को भर-भर कर तुम तक भेजूंगा और सागर कहता है कि मैं सहर्ष उन्हें उपकार सहित ग्रहण करूँगा।।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

शब्दार्थ:

  1. बुलंद – ऊँचा, उन्नत
  2. वारि – जल
  3. धरोहर – विरासत
  4. निरंतरता – अविरामता
  5. कायम रहना – बने रहना
  6. विकार – गंदगी
  7. तृप्त – संतुष्ट
  8. करतूत – कार्य
  9. हठात – हठपूर्वक
  10. वाड़व – समुद्र जल के अंदर वाली अग्नि
  11. मर्यादा. – सीमा
  12. आयास – विस्तार (आयाम)
  13. उच्छंखल – उदंड, उत्पाती
  14. रसा – पृथ्वी
  15. वंध्या – बंजर
  16. निपात – गिरना
  17. आततायियों – अत्याचारियों
  18. चेत जाना – सावधान होना
  19. शास्ता – राजा, शासक
  20. आतुरता – उत्सुकता

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 1 गागर में सागर Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 1 गागर में सागर Textbook Questions and Answers

भाषा बिंदु:

1. निम्नलिखित मुहावरों, कहावतों में गलत शब्दों के स्थान पर सही शब्द लिखकर उन्हें पुनः लिखिए।

प्रश्न 1.
टोपी पहनना
उत्तर:
मुहावरा – टोपी पहनाना

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

प्रश्न 2.
गीत न जाने आँगन टेढ़ा
उत्तर:
कहावत – नाच न जाने आँगन टेढ़ा

प्रश्न 3.
अदरक क्या जाने बंदर का स्वाद।
उत्तर:
कहावत – बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।

प्रश्न 4.
कमर का हार
उत्तर:
मुहावरा – गले का हार

प्रश्न 5.
नाक की किरकिरी होना
उत्तर:
मुहावरा – इज्जत की किरकिरी होना

प्रश्न 6.
गेहूँ गीला होना
उत्तर:
मुहावरा – आटा गीला होना

प्रश्न 7.
अब पछताए होत क्या जब बंदर चुग गए खेत।
उत्तर:
कहावत – अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

प्रश्न 8.
दिमाग खोलना।
उत्तर:
मुहावरा – बुद्धि खोलना।

लेखनीय:

प्रश्न 1.
अपने अनुभव वाले किसी विशेष प्रसंग को प्रभावी एवं क्रमबद्ध रूप में लिखिए।
उत्तर:
मैं संध्या समय नदी किनारे टहलने के लिए गया था। उस वक्त पास के गाँव के दो बच्चे भी नदी किनारे टहलने आए थे। उनमें से एक बच्चे ने अपने साथ लाई हुई कूड़े-कचरे की बैग पानी में फेंक दी। मैं हैरान हो गया और शीघ्रता से चिल्लाकर बोला, “यह तुम क्या कर रहे हो? इस प्रकार नदी में कूड़ा-कचरा फेंकने से जल प्रदूषण बढ़ता है।” मेरे इस कथन का उस बच्चे पर किसी भी प्रकार का असर नहीं हुआ। वह सिर्फ हँस रहा था। मुझे उस पर बहुत गुस्सा आया। मैंने कहा, “तुमने जो कुछ किया है, वह गलत है और तुम्हें आगे चलकर इस प्रकार का कार्य नहीं करना चाहिए।”

अपने दोस्तों के साथ मजाक मस्ती करते हुए उसने कहा कि, उसके ऐसा करने से कुछ भी फर्क नहीं पड़ने वाला है। यदि वह कचरा नहीं फेंकेगा, तो भी नदी प्रदूषित होगी। अब मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उसे आड़े हाथों लेते हुए डाँटा फटकारा। तत्पश्चात समझाते हुए कहा कि नदी हमारी माता है। हमें उसका ख्याल रखना चाहिए। जल ही जीवन है और हमें उसे भविष्य के लिए सँभालकर रखना चाहिए। मेरे इस कथन का उस बच्चे पर थोड़ा-बहुत असर हुआ। उसने भविष्य में जल को प्रदूषित न करने की कसम खा ली और अपने इस करतूत पर मुझसे माफी माँगी। मैंने भी उदार हृदय से उसे माफ कर दिया और हम तीनों नदी में फैले हुए कूड़े-कचरे को एकत्रित करने में व्यस्त हो गए।

रचनात्मकता की ओर:

प्रश्न 1.
‘निदंक नियरे राखिए’ इस पंक्ति के बारे में कल्पना पल्लवन अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय,
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुहाय।

यह दोहा तब याद आता है जब कोई अपने आलोचकों को उनके आलोचना के बदले सजा देने की बात करता है। यद्यपि आलोचक निश्चय ही हमारी कमियों को गिनवाते हैं, हमें हमारी वास्तविकता का एहसास करवाते हैं परंतु आलोचक वह व्यक्ति होते हैं जिसकी आलोचनाओं की सहायता से हम अपने कार्यों को काफी हद तक सुधार सकते हैं। बड़े बुजुर्गों ने कोई भी चीज बिना अर्थ के नहीं लिखी, निश्चय ही हमारे जीवन में उसका महत्त्वपूर्ण सहयोग है।

आलोचकों का हमारे जीवन में बड़ा सहयोग रहा है, इतिहास गवाह है कि बिना आलोचकों के कोई भी शासक न तो अपना राज्य संभाल पाया है और न ही अपने राज्य का विस्तार कर पाया है। बिना आलोचना के शासक अपने मद में चूर होकर गलतियाँ कर बैठता है और अपने राज्य से हाथ धो बैठता है। आलोचनाएँ हमको शक्ति प्रदान करती हैं, जो हमें अपनी गलतियाँ सुधारने का मौका देती हैं और भविष्य के लिए रणनीति बनाने का अवसर भी प्रदान करती हैं, अत: आलोचनाओं का हमेशा स्वागत करना चाहिए।

ऐसा नहीं है कि ये आलोचनाओं वाला सुझाव केवल किसी एक पार्टी और उसके सदस्यों या किसी एक समाज तक सीमित है। सभी शासकों को ये बात ध्यान में रखनी चाहिए, शासक ही क्यों हम सभी को ये बात याद रखनी चाहिए कि अगर हम किसी के द्वारा गिनाए हुए कमियों को स्वीकार करके उसमें सुधार नहीं कर सकते तो फिर हम भविष्य में अथाह गलतियाँ करनेवाले हैं, और अगर हम कमियों को सुधार नहीं सकते तो फिर कोई हक़ नहीं कि हम उन आलोचकों को कमियाँ बताने से भी रोकें, ये आलोचकों का जन्म सिद्ध अधिकार था, है, और हमेशा रहेगा। इसलिए आलोचनाओं का स्वागत करें, तथा अपनी कमियों को सुधारें ….।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

पाठ के आँगन में:

प्रश्न 1.
‘नर की अरु नल नीर की …………… इस दोहे द्वारा प्राप्त संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस दोहे से हमें यह संदेश मिलता है कि मनुष्य को बहुत ही विनम्र होना चाहिए। व्यक्ति को धन, बल, ज्ञान आदि का अहंकार नहीं करना चाहिए। अहंकार करने से व्यक्ति का मान-सम्मान गिर जाता है। अहंकार करने वालों का दिखावटी सम्मान भले ही कोई करें परंतु दिल से उसका सम्मान कोई नहीं करता। इसलिए हम कितने ही संपन्न, बलशाली और बुद्धिमान क्यों न हों, हमें समाज में झुककर अर्थात विनम्र होकर रहना चाहिए। मनुष्य जितना ही विनम्र होता है, वह उतना ही ऊँचा अर्थात महान होता है।

प्रश्न 2.
शब्दों के शुद्ध रूप लिखिए।
1. घरू
2. उज्जलुय
उत्तर:
1. घर
2.  उज्ज्वल

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 1 गागर में सागर Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर 1

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
1. दीन के आँख पर यह चश्मा लगा होता है।
2. चश्मे की विशेषता
उत्तर:
1. लोभ का चश्मा
2. इससे तुच्छ व्यक्ति बड़ा दिखता है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

कृति क (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
उपर्युक्त दोहों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि बिहारी जी इस दोहे में कृष्ण की भक्ति और कृष्ण प्रेम के संदर्भ में कहते हैं कि कृष्ण के प्रेम में डूबे इस प्रेमी मन की दशा को कोई भी समझ नहीं पाता है। यह मन जैसे-जैसे कृष्ण के प्रेम में डूबता जाता है; वैसे-वैसे निर्मल होता जाता है। अर्थात सारी बुराइयाँ अच्छाइयों में बदल जाती हैं।

लोभी व्यक्ति के व्यवहार का वर्णन करते हुए बिहारी जी कहते हैं कि लोभी व्यक्ति दीन-हीन बनकर घर-घर घूमता है और प्रत्येक व्यक्ति से हाथ फैलाकर याचना करता है। लोभ का चश्मा आँखों पर लगा लेने के कारण उसे तुच्छ व्यक्ति भी बड़ा अर्थात धनवान दिखाई देने लगता है अर्थात लालची व्यक्ति विवेकहीन होकर योग्य-अयोग्य व्यक्ति को भी नहीं पहचान पाता।

(ख) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर 2

प्रश्न 2.
एक शब्द में उत्तर लिखिए।
1. इसे खाकर मनुष्य को नशा हो जाता है –
2. गुनी-गुनी कहने से यह गुनी नहीं हो जाता –
उत्तर:
1. धतूरा
2. निगुणी

प्रश्न 3.
सत्य या असत्य पहचान कर लिखिए।
1. धतूरे को पाकर ही लोग पागल हो जाते हैं।
2. गुनी-गुनी कहने से निगुनी भी गुनी हो जाता है।
उत्तर:
1. असत्य
2. असत्य

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

कृति (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
उपर्युक्त दोहों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
बिहारी कवि कहते हैं कि सोना धतुरे से सौ गुना अधिक नशीला होता है। धतुरा खाने के बाद इंसान में नशा (पागलपन) पैदा होता है जबकि सोना पाते ही इंसान में अमीरी का नशा (पागलपन) छा जाता है। कवि इस दोहे में बताते हैं कि व्यक्ति नाम से नहीं अपितु अपने गुणों से महान होता है। गुणों से रहित किसी व्यक्ति को सब लोग गुणी-गुणी कहे तो भी गुणहीन व्यक्ति कभी गुणी नहीं हो सकता। क्या आपने कहीं सुना है कि वृक्ष के अर्क (रस) से भी अर्क (सूर्य) के समान प्रकाश होता है अर्थात वृक्ष के रस को भी अर्क कहते हैं और सूर्य को भी अर्क कहते हैं परंतु वृक्ष के रस को अर्क कहने से वह सूर्य जैसा प्रकाशित नहीं हो सकता।

(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर 3

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
1. प्यासे के लिए ये सागर हैं –
2. नीचे होने अर्थात झुकने पर ये दोनों ऊँचे होते हैं।
उत्तर:
1. नदी, कुआँ और सरोवर।
2. मनुष्य और नल का पानी।

कृति ग (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
उपर्युक्त दोहे का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
मनुष्य की और नल के पानी की गति एक समान होती है। नल का पानी जितना नीचे गिरता है, उतना ही ऊपर उठता है और व्यक्ति जितना नीचे झुकता है अर्थांत विनम्र होता है, उतना ही ऊँचा उठता है यानी श्रेष्ठ होता है। कवि कहते हैं कि नदी, कुआँ या सरोवर (तालाब) का पानी अधिक गहरा हो अथवा अधिक उथला (छिछला) हो। प्यासे व्यक्ति के लिए वही सागर है, जहाँ उस व्यक्ति की प्यास बुझ जाए।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

(घ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर 4

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
1. मन इस सच्चाई पर शंका करता है।
2. लोग इसे उपद्रव गिनते हैं।
उत्तर:
1. बुरे लोगों के बुराई त्यागने पर।
2. निष्कलंक चंद्रमा को देखने को।

प्रश्न 3.
सत्य या असत्य पहचानकर लिखिए।
1. समय-समय पर सब सुंदर लगते हैं।
2. मन की रुचि जिससे जितनी होती है, वह उतना ही उसे नापसंद होता है।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

कृति (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
उपर्युक्त दोहे का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
यदि बुरा व्यक्ति बुराई करना त्याग दे तो भी मन इस सच्चाई पर शंका करता है अर्थात ऐसे लोगों के बुराई त्यागने पर भी मन उनसे बहुत डरता है। जैसे चंद्रमा निष्कलंक है फिर भी लोग उसे देखकर अशुभ-सूचक मानते हैं। समय-समय पर सब सुंदर लगते हैं। कोई भी सुंदर या असुंदर (बदसूरत) नहीं होता है। मन की जिससे जितनी रुचि होती है, उससे उतना ही प्रेम होता है अर्थात वह उसे उतना ही पसंद करता है|

गागर में सागर Summary in Hindi

कवि-परिचय:

जीवन-परिचय: कवि बिहारी जी का जन्म ग्वालियर में हुआ था। इन्होंने नीति और ज्ञान के दोहों के साथ-साथ प्रकृति का चित्रण भी बहुत ही सुंदरता के साथ प्रस्तुत किया है। प्रमुख कृतियाँ : काव्य-सतसई (‘सतसई’ बिहारी की एक मात्र रचना है, इसमें 611 दोहे संकलित हैं।)

पद्य-परिचय:

दोहे: इसमें दो पंक्तियाँ होती हैं, जिनमें चार चरण होते हैं। इसका प्रथम और तृतीय चरण १३-१३ तथा द्वितीय और चतुर्थ चरण 11-11 मात्राओं का होता है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत कविता ‘गागर में सागर’ के कवि बिहारी जी ने अपने दोहों के माध्यम से व्यवहारिक जगत की कुछ महत्त्वपूर्ण नीतियों से अवगत कराया है।

सारांश:

प्रस्तुत कविता के माध्यम से नीति विषयक पाठ पढ़ाते हुए कवि बिहारी ने अपना मत प्रकटीकरण किया है। कवि बिहारी के अनुसार कृष्ण के प्रेम में डूबे मन की गति कोई भी नहीं समझ सकता है। लोभी को तुच्छ व्यक्ति भी बड़ा दिखाई पड़ता है। सोने में धतूरे से भी अधिक नशा होता है। व्यक्ति अपने नाम से नहीं गुणों से महान बनता है। मनुष्य और नल के पानी की दशा एक समान होती है। प्यास बुझानेवाला छिछला जलाशय भी प्यासे के लिए समुद्र के समान होता है। बुरे व्यक्ति के बुराई छोड़ने पर भी लोग उससे डरते हैं। मन की जिसमें जितनी रुचि होती है, वह उसे उतना ही पसंद होता है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

शब्दार्थ:

  1. अनुरागी – प्रेमी
  2. चित्त – मन
  3. गति – दशा, स्थिति
  4. समुझै – समझना
  5. बूडै – डूबना, लीन होना
  6. स्याम रंग – कृष्ण के रंग में
  7. उज्जलु – निर्मल
  8. घर-घरु – घर-घर
  9. डोलत – घूमता है
  10. दीन – गरीब
  11. जाचतु – माँगना (याचना करना)
  12. चखनु – आँखों पर
  13. लघु – छोटा, तुच्छ
  14. लखाई – दिखाई देना
  15. कनक – सोना
  16. कनक – धतूरा
  17. सौ गुनी – सौ गुना
  18. मादकता – नशीला
  19. अधिकाइ – अधिक होता है
  20. खाए – खाकर
  21. बौराई – पागल होता है
  22. जगु – संसार के लोग
  23. गुनी – गुणवान
  24. निगुनी – गुणहीन
  25. सुन्यौ – सुना है
  26. कहँ – कहीं
  27. तरू – पेड़
  28. अर्क – रस, सूर्य
  29. उदोतु – प्रकाशित
  30. नर – मनुष्य
  31. अरु – और
  32. नीर – पानी
  33. गति – स्थिति, दशा
  34. एकै कर – एक ही समान
  35. जोई – जानिए
  36. हवै चले – होकर चलता है
  37. ऊँचौ – ऊँचा (महान)
  38. अगाधु – गहरा
  39. औथरौ – उथला, छिछला
  40. कूप – कुआँ
  41. सरु – सरोवर, तालाब
  42. ताको – उसके लिए
  43. सागर – सागर, समुद्र
  44. जाकी – जिसकी
  45. बुरौ – बुरा व्यक्ति
  46. तजै – त्याग दे
  47. चितु – मन
  48. सच्चाई
  49. खरौ – सच्चाई
  50. सकातु – शंका करना
  51. निकलंक – निष्कलंक, बेदाग
  52. लखि – देखकर
  53. गनै – मानना, गिनना
  54. मयंकु – चंद्रमा
  55. उतपातु – उपद्रव, आफत, मुसीबत
  56. रूप – सुंदर
  57. कुरूप – असुंदर, बदसूरत
  58. रुचि – पसंद, प्रेम

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 1 नदी की पुकार Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 1 नदी की पुकार Textbook Questions and Answers

1. आकृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार 1

2. संजाल पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार 2

3. भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ

भाषा बिंदु :

प्रश्न 1.
निम्न शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार 3

4. संभाषणीय :

प्रश्न 1.
‘जलयुक्त शिवार’ पर चर्चा करें।
उत्तर:
मुंबई : महाराष्ट्र में पानी की समस्या को दूर करने के लिए जलयुक्त शिवार योजना को लाया गया है। इस योजना को देश के प्रसिद्ध उद्योगपति, बैंकर्स, एनजीओ और कई सारे धार्मिक ट्रस्ट भी समर्थन देने लगे हैं। योजना के तहत हर साल राज्य के 5,000 गाँवों को पानी की समस्या से छुटकारा दिलाया जाएगा।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के अनुसार 2019 तक राज्य के एक बड़े हिस्से को जल संकट से मुक्ति दिला देंगे, इसलिए योजना का नाम ही जलयुक्त शिवार योजना (खेती के लिए जल प्रदान करने की योजना) रखा गया है। महाराष्ट्र सरकार का मानना है कि किसानों को आत्महत्या करने से रोकने हेतु उन्हें खेती के लिए पानी मुहैया कराना जरूरी है।

बरसाती पानी जमा करने के लिए महाराष्ट्र में कई सारे पैटर्न अपना रखे हैं। अन्ना हजारे का रालेगाँव पैटर्न, शिरपुर पैटर्न, हिरवे बाजार पैटर्न सहित कुल 28 अलग-अलग योजनाओं के बाद जलयुक्त शिवार योजना की बुनियाद रखी गई है, जिसकी शुरुआत 26 जनवरी को की गई है। इस योजना की निगरानी सैटलाइट के माध्यम से रखी जा रही है। इस योजना पर निगरानी रखने के लिए जिला स्तर पर पालक मंत्रियों की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है।

जिसमें जिले के कलेक्टर को विशेष अधिकार भी दिए गए हैं ताकि योजना में किसी तरह की धांधली न हो सके। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस खुद इस योजना पर निगरानी रख रहे हैं और कार्य स्थल जाकर मुआयना कर रहे हैं। जल प्रदूषण शिवार योजना लागू करने से पहले महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के उन क्षेत्रों का चयन किया है, जहाँ पानी की भारी समस्या है और जहाँ किसान सबसे ज्यादा आत्महत्या कर रहे हैं।

गाँवों का चयन करने के बाद वहाँ पर योजना की बुनियाद रखी गई। योजना के तहत गाँव के निचले क्षेत्र में गहराई तक खुदाई की जाती है या वहाँ के तालाबों को और गहरा किया जाता है जिससे बरसात का पानी जमा किया जा सकें। खुदाई स्थल के चारों ओर गहराई बढ़ाई जाती है और ऐसी व्यवस्था की जाती है, जिससे आस-पास के क्षेत्रों का पानी उसमें भर सकें। बरसात शुरू होने से पहले ही यह काम पूरा करना निश्चित हुआ है ताकि बरसाती पानी को जमा किया जा सकें।

पानी जमा होने से उस क्षेत्र के आस-पास का भूजल स्तर बढ़ जाएगा। जल स्तर ऊँचा उठने से बोरवेल और पानी के पंपों में भी पानी मिलने लगेगा। योजना के माध्यम से गाँवों को सीमेंट के नाले और नहरों से जोड़ने के अलावा अन्य उपाय किए जाएंगे। मुख्यमंत्री फडणवीस कहते हैं कि जलयुक्त शिवार योजना से किसानों के खेतों को पानी मिलने लगेगा।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

5. कल्पना पल्लवन :

प्रश्न 1.
‘नदी के मन के भाव’ इस विषय पर भाषण तैयार करके प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :
नदी के मन के भाव – जैसे-जैसे व्यक्ति की आयु बढ़ती है वह बूढ़ा होता जाता है। पर मेरे जीवन पर समय का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। आज भी मैं दौड़ते हुए आगे बढ़ती हूँ। दिन-रात ‘कलकल’ का संगीत सुनाती हूँ, वृक्षों के साथ लुका-छिपी खेलती हूँ, चट्टानों पर से कूदती हूँ और अपनी मंजिल की तरफ बढ़ती जाती हूँ। रास्ते में आने वाले हर प्राणी की प्यास बुझाती हूँ। धरती को हरी-भरी कर देती हूँ।

एक दिन मनुष्य अपनी असंस्कृत अवस्था में मेरी शरण में आया था, आज वह संस्कृति और सभ्यता के क्षेत्र में कितना आगे बढ़ गया है। मेरे तट पर न जाने कितने उत्सवों और मेलों की धूम मची रहती है। मेरे तट पर आकर कवि कविताएँ रचते हैं, बच्चे खेलते हैं, दुखी लोग अपना दुख भूल जाते हैं। ये दृश्य देखकर मैं आनंद विभोर हो जाती हूँ।

पर मानव ने आज मेरे जल में जहर घोलना प्रारंभ कर दिया है। मेरे जल को प्रदूषित कर दिया है। मेरी अविरल धारा को जगह-जगह बाँध बनाकर रोक दिया है। उसमें आए दिन कचरे बहाए जा रहे हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियों से निकले रासायनिक पदार्थ और मरे हुए पशुओं तक को बहाया जा रहा है। यदि आप मुझे

ऐसे ही प्रदूषित करते रहेंगे तो आपको पीने के लिए स्वच्छ और निःशुल्क जल कौन देगा? हमें आप केवल पैसे के बल पर प्रदूषण मुक्त नहीं कर सकते, बड़ी-बड़ी योजनाएँ बनाकर, बड़ी-बड़ी मशीनें लगाकर आप हमें कब तक स्वच्छ करेंगे? हमें प्रदूषण मुक्त करना है तो आप अपनी मानसिकता (सोच) बदलिए। हमारे जल में गंदगी मत फैलाइए, लोगों को जागरूक कीजिए। उनके अंदर अच्छी सोच जगाइए कि वे हमें गंदा न करें। हमें अविरल बहने दे, हमारे तटों पर किए अतिक्रमण को हटाएँ। मैं स्वयं अपना प्रदूषण दूर कर

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

6. पाठ से आगे :

प्रश्न 1.
पानी की समस्या समझाते हुए ‘होली उत्सव का बदलता रूप’ पर अपना मत लिखिए।
उत्तर:
हमारे देश में बहुत सारे क्षेत्र ऐसे हैं, जहाँ हर वर्ष औसत से कम वर्षा हो रही है। जिसके कारण वहाँ के लोगों खासकर किसानों को सूखे की मार झेलनी पड़ रही है। आए दिन किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में समाज के पढ़े-लिखें लोगों द्वारा पानी संग्रह की योजना बनाई जा रही है। लोगों को पानी की बचत करने के प्रति जागरूक किया जा रहा है। जिसके कारण अब लोग होली के त्यौहार पर होली खेलने के लिए, एक-दूसरे पर हजारों लीटर पानी नहीं फेंकते। पानी बर्बाद न हो इसके लिए अबीर, गुलाल या सूखे रंग से होली खेलते हैं। अब तो लोग एक-दूसरे को अबीर और गुलाल का टीका लगाकर ही होली मना लेते हैं।

7. पाठ के आँगन में :

उत्तर लिखिए।

प्रश्न क.
अपने शब्दों में नदी की स्वाभाविक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
नदी सतत बहती रहती है। वह सभी प्राणियों को अपने जल से जीवन प्रदान करती है। नदी सदैव परोपकार का कार्य करती है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

प्रश्न ख.
किसी एक चरण का भावार्थ लिखिए।
भर्यादा में बहने वाली, ……….. मुझे बचा लो भाई रे।।
भावार्थ :
जो नदी सदैव अपनी सीमा में रहकर अमृत समान स्वच्छ पल धारा से सबकी प्यास बुझाती है। वही नदी हमसे कहती है कि जिसने भी मुझे बुलाया मैं उसके भलाई के लिए सदा तैयार रही। हे मनुष्य! तुम पागल मत बनो, उसी नदी के दुश्मन मत बनो, जो हमेशा दूसरों की भलाई और परमार्थ का कार्य करती आई है उसके प्रदूषित होने पर तुम्हारी प्यास कौन बुझाएगा। कल-कल की आवाज करते हुए नदी मनुष्य से स्वयं (नदी) को बचाने का आवाहन करती है।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 1 नदी की पुकार Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के एक शब्द में उत्तर लिखिए।
i. नदियों का जीवन किस प्रकार का है?
ii. नदियाँ किसमें बहती है?
उत्तर :
i. परहित का
ii. मर्यादा में

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार 4

कृति क (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
पहली दो पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
सबको जीवन देने ………….. मुझे बचा लो भाई रे।।
उत्तर:
कवि नदी की संवेदनाओं को प्रकट करते हुए कहते हैं कि नदी सभी प्राणियों को अपने जल से जीवन प्रदान करती है। वह हमेशा दूसरों की भलाई का ही कार्य करती है। नदी कल-कल की आवाज करते हुए मनुष्य से अपने अस्तित्व को बचाने का आवाहन करती है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

(ख) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार 5

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के एक शब्द में उत्तर लिखिए।

  1. नदी ने गिरिवन से निकलते समय मन में पाल रखा था –
  2. लोगों ने नदी में डाल मिलाई –
  3. नदी अपने तट पर हरदम सुनाती है –
  4. नदी हमें नि:शुल्क देती है –

उत्तर :

  1. सपना
  2. मलिनता
  3. गीत
  4. जल

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

कृति ख (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
प्रथम चार पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
नदी कहती है कि जब मैं पर्वत और जंगल से होकर गुजरी तब मैंने अपने मन में एक सपना पाल रखा था कि रास्ते में जो भी जरूरतमंद (प्यासा) मिले उसे अपना बनाते हुए अर्थात उसकी मदद करते हुए आगे बढ़ते जाए लेकिन मानव जाति ने ही मुझे प्रदूषित कर दिया। इस प्रकार कल-कल करती नदी प्रदूषण से खुद को बचाने का मानव से आवाहन करती है।

(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के एक शब्द में उत्तर लिखिए।

  1. नदी के न रहने पर कौन मुरझा जाएगा?
  2. नदी ने क्या बनकर नयनों की खुशहाली बाँटी?
  3. नदी ने खेतों में क्या फैलाया?
  4. खारे सागर में मिलकर नदी ने उसे क्या दिया?

उत्तर:

  1. सागर
  2. झरना
  3. हरियाली
  4. मिठाई

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

कृति ग (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
अंतिम चार पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि मिश्र कहते हैं कि नदी मानव से कह रही है कि जब मैं झरने के रूप में झर-झर कर बह रही थी, तब मेरी सुंदरता ने कितने ही इंसानों के नेत्रों को प्राकृतिक आनंद दिया और जब नदी के रूप में आगे बढ़ी तो किसानों के खेतों में हरियाली आ गई। यहाँ तक कि अपने जीवन के अंत में जब मैं खारे समुद्र में जा मिली तो भी मैंने उस खारे जल को मिठास ही दिया। कल-कल कर बहती हुई नदी मानव से कहती है कि हे मनुष्य! मैं तुम्हारे जीवन के लिए कितनी आवश्यक हूँ इस बात को समझो और मेरा अस्तित्व बना रहने दो। मुझे इस तरह मैला न करो कि मैं समाप्त हो जाऊँ।

नदी की पुकार Summary in Hindi

कवि-परिचय :

जीवन-परिचय : सुरेशचंद्र मिश्र जी का जन्म उत्तर प्रदेश में प्रतापगढ़ जिले के धनऊपुर गाँव में हुआ था। आप आधुनिक हिंदी कविता क्षेत्र के जाने-माने गीतकार हैं।
प्रमुख कृतियाँ : काव्यसंग्रह -‘संकल्प’, ‘जय गणेश’, ‘वीर शिवाजी’, ‘पत्नी पूजा’।

पद्य-परिचय :

गीत : स्वर, पद और ताल से युक्त गीत हिंदी साहित्य की महत्त्वपूर्ण विधा है। इसमें गेयता होती है। गीत मनुष्य मात्र की भाषा है।
इसके माध्यम से मानव जीवन में ऊर्जा एवं ताजगी का संचार होता है।
प्रस्तावना : कवि सुरेशचंद्र मिश्र जी ने नदी की पुकार कविता के माध्यम से हमारे जीवन में नदी के योगदान को दर्शाया है तथा इसे प्रदूषण मुक्त रखने के लिए हमें प्रेरित किया है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

सारांश :

इस कविता के माध्यम से नदी की संवेदनाओं को प्रकट किया गया है। नदी सभी प्राणियों की भलाई करती है। उन्हें अपने जल से तृप्त करती है। मनुष्य के जीवन में कितनी भी महँगाई आ जाए पर नदी तो अपना जल नि:शुल्क देती है। वह खेतों को भी हरियाली प्रदान करती है। परंतु मनुष्य नदी को आए दिन प्रदूषित करता जा रहा है। नदी इस प्रदूषण से खुद को बचाने का आवाहन मनुष्य से करती है।

सरल अर्थ :

सबको जीवन देने ……………………………. मुझे बचा लो भाई रे।।
कवि नदी की संवेदनाओं को प्रकट करते हुए कहते हैं कि नदी सभी प्राणियों को अपने जल से जीवन प्रदान करती है। वह हमेशा दूसरों की भलाई का ही कार्य करती है। नदी कल-कल की आवाज करते हुए मनुष्य से अपने अस्तित्व को बचाने का आवाहन करती है।

मर्यादा में बहने वाली, …………………………… मुझे बचा लो भाई रे।।
जो नदी सदैव अपनी सीमा में रहकर अमृत समान स्वच्छ जल धारा से सबकी प्यास बुझाती है। वही नदी हमसे कहती है कि जिसने भी मुझे बुलाया मैं उसके भलाई के लिए सदा तैयार रही। हे मनुष्य! तुम पागल मत बनो, उसी नदी के दुश्मन मत बनो, जो हमेशा दूसरों की भलाई और परमार्थ का कार्य करती आई है। उसके प्रदूषित होने पर तुम्हारी प्यास कौन बुझाएगा? कल-कल की आवाज करते हुए नदी मनुष्य से स्वयं (नदी) को बचाने का आवाहन करती है।

गिरिवन से निकली थी, ………………………….. मुझे बचा लो भाई रे।।
नदी कहती है कि जब मैं पर्वत और जंगल से होकर गुजरी तब मैंने अपने मन में एक सपना पाल रखा था कि रास्ते में जो भी जरूरतमंद (प्यासा) मिले उसे अपना बनाते हुए अर्थात उसकी मदद करते हुए आगे बढ़ते जाए लेकिन मानव जाति ने ही मुझे प्रदूषित कर दिया। इस प्रकार कल-कल करती नदी प्रदूषण से खुद को बचाने का मानव से आवाहन करती है।

नदिया के तट पर बैठो, …………………………… मुझे बचा लो भाई रे।।
यदि नदी के किनारे बैठ जाओ तो नदी कल-कल की आवाज में हमेशा गीत सुनाती है। कवि कहते हैं अगर धरती पर सूखा पड़ जाए तो भी नदी अपने बचे हुए थोड़े से जल से ही लोगों की प्यास बुझाती है। इंसान के जीवन में कितनी भी महँगाई क्यों न आ जाए लेकिन नदी हमें निःशुल्क जल देती है। इस प्रकार नदी कल-कल की आवाज करते हुए मनुष्य से यही आवाहन करती है कि तुम मुझे बचा लो अर्थात मुझे स्वच्छ रखो।

नदिया नहीं रहेगी तो, …………………………. मुझे बचा लो भाई रे।।
नदी अपना महत्त्व बताते हुए कहती है कि हे मनुष्य यदि मैं (नदी) नहीं रहूँगी तो समुद्र भी एक दिन सूख जाएगा। आगे वह प्रश्न करती है कि गाँवों से निकल कर मुझमें मिल जाने वाले नाले कहाँ जाएँगे, किससे मिलेंगे ? जो नाविक नाव को नदी में चलाते समय हो हैया-हो हैया की ललकार लगाते हैं वह फिर कभी सुनाई नहीं देगी यदि तुम मनुष्य मुझे स्वच्छ और सुरक्षित नहीं रखोगे। कल-कल करती नदी मनुष्य से अपनी सुरक्षा का निवेदन कर रही है।

झरना बनकर मैंने, ……………………… मुझे बचा लो भाई रे।।
कवि मिश्र कहते हैं कि नदी मानव से कह रही है कि जब मैं झरने के रूप में झर-झर कर बह रही थी, तब मेरी सुंदरता ने कितने ही इंसानों के नेत्रों को प्राकृतिक आनंद दिया और जब नदी के रूप में आगे बढ़ी तो किसानों के खेतों में हरियाली आ गई। यहाँ तक कि अपने जीवन के अंत में जब मैं खारे समुद्र में जा मिली तो भी मैंने उस खारे जल को मिठास ही दिया। कल-कल कर बहती हुई नदी मानव से कहती है कि हे मनुष्य! मैं तुम्हारे जीवन के लिए कितनी आवश्यक हूँ इस बात को समझो और मेरा अस्तित्व बना रहने दो। मुझे इस तरह मैला न करो कि मैं समाप्त हो जाऊँ।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

शब्दार्थ :

  1. मर्यादा – सीमा
  2. परहित – दूसरे की भलाई
  3. सौदाई – पागल
  4. गिरिवन – पर्वतीय जंगल
  5. पाला – सँजोया
  6. मलिनता – गंदगी
  7. तट – किनारा
  8. हरदम – हमेशा
  9. शुल्क – पैसा
  10. मुरझाएगा – सूख जाएगा
  11. सरिता – नदी

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 झुमका

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 2 झुमका Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 झुमका

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 2 झुमका Textbook Questions and Answers

1. आकृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 झुमका 1

प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 झुमका 2

प्रश्न 3.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 झुमका 3

2. निम्नलिखित घटनाओं को कालक्रमानुसार लिखिए। 

प्रश्न 1.
निम्नलिखित घटनाओं को कालक्रमानुसार लिखिए।
i. आलमारी के नीचे विछे कागज तक उलटकर देख लिए।
ii. कांति सिर से पाँव तक सिहर उठी।
iii. बिस्तर हटाकर दो-दो बार झाड़ डाला।
iv. कांति ने घर का कोना-कोना ढूँढ़ मारा।
उत्तर :
(iv), (i), (iii), (ii)

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 झुमका

3. कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
कारण लिखिए।
i. कांति को सर्वेश से झुमका खरीदवाने की हिम्मत नहीं हुई –
ii. कांति ने कमलाबाई को एक हजार रुपए दिए
उत्तर :
i. मार्च का महीना और इनकम टैक्स का टेंशन था इसलिए कांति को सर्वेश से झुमका खरीदवाने की हिम्मत नहीं हुई।
ii. एक झुमके की कीमत एक हजार रुपए थी।

4. निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द लिखिए।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द लिखिए।

  1. नीचे ………
  2. खरीदना …………
  3. अगला …………
  4. खूबसूरत ……….
  5. सुबह ……….
  6. संकोच ………

उत्तर:

  1. ऊपर
  2. बेचना
  3. पिछला
  4. बदसूरत
  5. शाम
  6. नि:संकोच

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 झुमका

5. सही विकल्प चुनकर पूर्ण वाक्य फिर से लिखिए । 

प्रश्न i.
कमलाबाई की लड़की दो महीने से ………….
(क) ससुराल में है।
(ख) ननिहाल में है।
(ग) मायके में है।
उत्तर:
(ग) मायके में है।

प्रश्न ii.
कमलाबाई ने भर आई आँखों की कोरों को ………….
(क) रूमाल से पोंछ डाला।
(ख) तौलिए से पोंछ डाला।
(ग) कोहनी से पोंछ डाला।
उत्तर:
(ग) कोहनी से पोंछ डाला।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 झुमका

6. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए।

  1. निद्रा
  2. मुश्किल
  3. रोजगार
  4. आभूषण

उत्तर:

  1. नींद
  2. कठिनाई
  3. नौकरी
  4. गहना

7. ‘दहेज’ समाज के लिए एक कलंक है, इस पर अपने विचार लिखिए।

प्रश्न 1.
‘दहेज’ समाज के लिए एक कलंक है, इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
दहेज आज कन्या-पक्ष के शोषण का माध्यम बन गया है। कहीं यह शोषण नगद धन-राशि के रूप में होता है, तो कहीं आभूषण, तो कहीं गाड़ी, मोटर-साइकिल, स्कूटर आदि के रूप में होता है। वधुओं को अनेक प्रकार की शारीरिक तथा मानसिक यातनाएँ दी जाती हैं। कभी वधु को जलाकर मार डाला जाता है तो कभी बहू को विष देकर मार डाला जाता है तो कभी इतना प्रताड़ित किया जाता है कि वह स्वयं आत्महत्या कर लेती है। सबसे बड़ा दुख तो इस बात का है कि हमारे समाज में शिक्षित वर्ग भी दहेज को अपना समर्थन दे रहा है।

8.  एक से दो शब्दों में उत्तर दीजिए। 

प्रश्न 1.
एक से दो शब्दों में उत्तर दीजिए।
i. कमलाबाई की पगार
ii. कमलाबाई ने नोट यहाँ रखे
उत्तर:
i. दौ सौ रुपए
ii. पल्लू में

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9. ‘सौ’ शब्द का प्रयोग करके कोई दो कहावतें लिखिए।

प्रश्न 1.
‘सौ’ शब्द का प्रयोग करके कोई दो कहावतें लिखिए।
उत्तर:
i. सौ सुनार की, एक लोहार की।
ii. एक अनार, सौ बीमार।

10. अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
निम्न सामाजिक समस्याओं को लेकर आप क्या कर सकते है, बताइए। ।
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उत्तर :
अशिक्षा और बेरोजगारी देश के सम्मुख प्रमुख समस्याएँ हैं जो प्रगति के मार्ग को तेजी से अवरुद्ध करती हैं। स्वतंत्रता के पचास वर्षों बाद भी सभी को रोजगार देने और शिक्षित करने के अपने लक्ष्य से हम मीलों दूर हैं। आज आवश्यकता इस बात की है कि बेरोजगारी और अशिक्षा के प्रमुख कारणों जैसे बढ़ती जनसंख्या, शिक्षा व्यवस्था, लघु उद्योगों का नष्ट होना आदि पर विशेष ध्यान दिया जाए और इसके निदान हेतु सार्थक उपाय किए जाएं।

इसके लिए सर्वप्रथम हमें अपने छात्र-छात्राओं तथा युवक-युवतियों की मानसिकता में परिवर्तन लाना होगा। यह तभी प्रभावी हो सकता है जब हम अपनी शिक्षा पद्धति में सकारात्मक परिवर्तन लाएँ। विद्यालयों में तकनीकी कार्य पर आधारित शिक्षा दें जिससे उनकी शिक्षा का प्रयोग उद्योगों व फैक्ट्रियों में हो सके और वे आसानी से नौकरी पा सकें।

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11. एक-दो शब्दों में ही उत्तर लिखिए।

प्रश्न 1.
एक-दो शब्दों में ही उत्तर लिखिए।
(क) दुबली-पतली
(ख) कमजोर-सी
(ग) दो महीने से मायके में है-
(घ) दो महीने से यहीं है
उत्तर:
(क) कमलाबाई की लड़की
(ख) कमलाबाई की लड़की
(ग) कमलाबाई की लड़की
(घ) मायके में

12. अपने घरों में काम करने वाले नौकरों के साथ सौहार्दपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। उस पर आधारित अपने विचार लिखिए।

प्रश्न 1.
अपने घरों में काम करने वाले नौकरों के साथ सौहार्दपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। उस पर आधारित अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
घर के नौकरों को अपने परिवार का ही एक सदस्य समझना चाहिए। उसके साथ हमेशा अच्छा व्यवहार करना चाहिए। नौकर घर के अन्य कामों के साथ ही घर के लोगों का भी ख्याल करता है । इसलिए घर के लोगों को भी उसका ख्याल करना चाहिए। नौकर के खाने, कपड़े तथा दवा आदि का ध्यान देना चाहिए। उसकी ईमानदारी पर हमें पूरा भरोसा होना चाहिए। उसे कभी भी पराया नहीं समझना चाहिए। सुख-दुख में उसका साथ देना चाहिए। उसके साथ अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए तथा अपनेपन का भाव रखना चाहिए।

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13. भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ

भाषा बिंदु : 

प्रश्न 1.
रेखांकित शब्दों के विलोम शब्द लिखकर नए वाक्य बनाइए।
उत्तर:

विलोम शब्द वाक्य
1. कांति को कमला पर विश्वास था। अविश्वास सैनिकों के मन में राजा के प्रति अविश्वास फैल गया।
2. बड़ी मुश्किल से उसकी आँख लगी। आसान भारत से क्रिकेट मैच जीतना आसान नहीं है।
3. दुकानदार रमा का परिचित था। अपरिचित हम महात्मा की शक्तियों से अपरिचित हैं।
4. सोच समझकर व्यय करना चाहिए। आय हमें सरकार को अपनी आय का ब्यौरा देना चाहिए।
5. हमें सदैव अपने लिए किए गए कामों के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए। कृतघ्न मैं कितना कृतघ्न हूँ कि माँ-बाप को ही भूला दिया।
6. पूर्व दिशा में सूर्योदय होता है। सूर्यास्त पश्चिम दिशा में सूर्यास्त होता है।

14. रचनात्मकता की ओर लेखनीय :

प्रश्न 1.
‘दहेज’ समाज के लिए एक कलंक है, इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
दहेज आज कन्या-पक्ष के शोषण का माध्यम बन गया है। कहीं यह शोषण नगद धन-राशि के रूप में होता है, तो कहीं आभूषण, तो कहीं गाड़ी, मोटर-साइकिल, स्कूटर आदि के रूप में होता है। वधुओं को अनेक प्रकार की शारीरिक तथा मानसिक यातनाएँ दी जाती हैं। कभी वधु को जलाकर मार डाला जाता है तो कभी बहू को विष देकर मार डाला जाता है तो कभी इतना प्रताड़ित किया जाता है कि वह स्वयं आत्महत्या कर लेती है। सबसे बड़ा दुख तो इस बात का है कि हमारे समाज में शिक्षित वर्ग भी दहेज को अपना समर्थन दे रहा है।

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15. मौलिक सृजन

प्रश्न 1.
हम समाज के लिए समाज हमारे लिए’ विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
हम एक सामाजिक प्राणी हैं जो आपस में मिल-जुलकर रहते हैं। हमें अपना जीवन सुचारु रूप से चलाने के लिए एक-दूसरे के सहयोग की आवश्यकता पड़ती है। व्यक्ति दूसरों के साथ जैसा व्यवहार करता है, दूसरे भी उसके साथ वैसा ही व्यवहार करते हैं। इसलिए हमें समाज के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। समाज-से अलग रहने वाला व्यक्ति पशु के समान माना जाता है। हम समाज को अच्छा-बुरा जो भी देते हैं. हमें भी वापस वही मिलता है। हम कह सकते हैं कि हम और समाज एक-दूसरे के पूरक हैं।

16. पाठ के आगे :

प्रश्न 1.
आभूषणों की सूची तैयार कीजिए और शरीर के किन अंगों पर पहने जाते हैं, बताइए।
उत्तरः
शरीर के विविध अंगों पर पहने जानेवाले आभूषण निम्नलिखित रूप में है: नाक-कील, पाँव-पायल, गला-हार, अंगुली-अंगूठी, कमरकरधनी, कलाई-चूड़ियाँ, कान-कुंडल आदि।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 2 झुमका Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के लिंग पहचानिए।
i. झुमके
ii. दुकानदार
उत्तर:
i. पुल्लिंग
ii. पुल्लिंग

कृति क (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘मार्च महीना और इनकम टैक्स’ का तात्पर्य 8 से 10 पंक्तियों में लिखिए।
उत्तर:
सरकार द्वारा निर्धारित राशि से अधिक आय होने पर बढ़े हुए आय का कुछ अंश हमें सरकार के खाते में जमा करना पड़ता है। जिसे ‘टैक्स’ कहते हैं। यह टैक्स हर वर्ष मार्च महीने के अंत में भरना पड़ता है। सरकार की वित्तनीति के अनुसार यह टैक्स पिछले 12 महीने की आय का होता है। जिसकी समयावधि पिछले वर्ष के 1 अप्रैल से लेकर वर्तमान वर्ष के 31 मार्च तक के बीच की होती है।

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(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
घटनानुसार उचित क्रम लगाकर वाक्य फिर से लिखिए।

  1. घर आकर कांति ने झुमके का पैकेट मेज़ पर रख दिया।
  2. सुनार के यहाँ से तो दोनों झुमके लाई थी।
  3. अभी चलकर ठीक करा ले।

उत्तर :

  1. अभी चलकर ठीक करा ले।
  2. घर आकर कांति ने झुमके का पैकेट मेज़ पर रख दिया।
  3. सुनार के यहाँ से तो दोनों झुमके लाई थी।

प्रश्न 2.
सत्य या असत्य पहचानकर लिखिए।
i. कांति तुरंत ही रमा के साथ टैक्सी करके सुनार के यहाँ चली गई।
ii. घर आकर कांति ने झुमके का पैकेट आलमारी पर रख दिया।
उत्तर:
i. असत्य
ii. असत्य

प्रश्न 3.
उपर्युक्त गद्यांश से दो ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों –
i. मेज़
ii. झुमका
उत्तर:
i. घर आकर कांति ने झुमके का पैकेट कहाँ पर रख दिया?
ii. सुनार ने आधे घंटे में क्या ठीक करके दे दिया?

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कृति ख (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के वचन बदलकर लिखिए ।
i. झुमके
ii. आलमारी
उत्तर:
i. झुमका
ii. आलमारियाँ

प्रश्न 2.
गद्यांश में आए शब्द-युग्म चुनकर लिखिए।
उत्तर :
काम-काज, छोटी-मोटी, मामूली-सी

कृति ख (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘स्त्री और आभूषण’ पर 8 से 10 पंक्तियों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
स्त्री और आभूषण का संबंध प्राचीनकाल से ही चला आ रहा है। स्त्रियों को आभूषणों से गहरा प्रेम होता है और आभूषण पहनने से स्त्रियों की सुंदरता में चार चाँद लग जाता है। प्राचीन काल में सोने और चांदी के आभूषणों का प्रचलन कम होने के कारण उस समय की नारियाँ फूल और पत्तों से बने आभूषण पहनती थी, परंतु आधुनिक युग की स्त्रियाँ सोने, चाँदी, हीरे व मोती से बने आभूषणों का प्रयोग करती हैं। कुछ आभूषणों का अपना अलग महत्त्व है।

ये ग्रहों को प्रभावित करते हैं इसलिए ग्रहों को प्रभावशाली बनाने के लिए अलग-अलग धातु व रत्नों से बने गहने पहने जाते हैं। आज के युग में आभूषणों का प्रचलन बहुत अधिक होता जा रहा है। आधुनिक युग की स्त्रियाँ अपने वस्त्रों के अनुसार ही आभूषण धारण करती हैं।

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(ग) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
एक-एक शब्द में उत्तर लिखिए ।

  1. खाना खाकर दोपहर की नींद लेने के लिए कांति कहाँ पर लेटी?
  2. कांति की बंद आँखों के सामने क्या घूमता रहा?
  3. दरवाजे की घंटी किसने बजाई?
  4. कमलाबाई की लड़की का घरवाला किस कंपनी में काम करता है?

उत्तर:

  1. बिस्तर
  2. झुमका
  3. कमलाबाई
  4. ट्रांसपोर्ट

प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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कृति ग (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 3.
गद्यांश से शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए ।
उत्तर :
i. दो-चार
ii. चौका-बासन

(घ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति घ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
i. कमलाबाई अपनी पिछले महीने की पगार लेती जाना।
ii. कमलाबाई झुमका कहीं बेचने जाएगी तो कोई समझेगा कि चोरी का है।
उत्तर:
i. असत्य
ii. सत्य

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कृति घ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 2.
गद्यांश में आए हुए शब्द-युग्म लिखिए।
उत्तर :
i. सौ-सौ
ii. हलका – फुलका

(ङ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ङ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
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कृति ङ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों विरुद्धार्थी शब्द लिखिए।
i. करीब ……….
ii. होश ………..
उत्तर:
i. दूर
ii. बेहोश

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प्रश्न 2.
लिंग परिवर्तन कीजिए।
i. पति
ii. सुहाग
उत्तर:
i. पत्नी
ii. सुहागन

झुमका Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-परिचय : सुशील सरित जी आधुनिक हिंदी कथाकार हैं। आपकी कहानियाँ, निबंध विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्राय: प्रकाशित होती रहती हैं।

गद्य-परिचय :

वर्णनात्मक कहानी : जीवन की किसी घटना का रोचक, प्रवाही वर्णन ही वर्णनात्मक कहानी है। इसमें वर्णन की प्रधानता होती है।
प्रस्तावना : प्रस्तुत कहानी के माध्यम से लेखक ने परोपकार, दया एवं अन्य मानवीय गुणों को दर्शाते हुए इन्हें अपनाने तथा नौकरों के साथ सौहार्दपूर्ण व्यवहार एवं उनकी मदद करने का मानवीय संदेश दिया है।

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सारांश :

प्रस्तुत पाठ में लेखक ने बताया है कि कांति नाम की एक महिला का एक झुमका गायब हो गया जिसे वह पूरे घर में ढूँढ़ती रही पर वह नहीं मिला। उसने वह झुमका दो साल की बचत के बाद खरीदा था जिसके बारे में उसके पति सर्वेश को भी नहीं मालूम था। दरअसल झुमके का वह जोड़ा बहुत ही खूबसूरत था तथा सुनार ने परिचित होने के कारण चार तोले का लगनेवाले उस झुमके को सिर्फ दो हजार में दे दिया था।

वह झुमके को अपनी ‘मैरिज एनिवर्सरी’ पर पहनने वाली थी। झुमके में बगलवाला मोती टूटने के कारण वह सुनार के पास वापस गई तो सुनार ने उसे ठीक कर दिया। घर आकर उसने झुमके का पैकेट मेज़ पर रख दिया और घर के कार्यों में व्यस्त हो गई। घर का काम निपटाकर जब वह पैकेट देखने लगी तो उसमें से एक झुमका गायब था।

जिसके कारण उसे दोपहर की नींद नहीं आई। उसकी नौकरानी कमलाबाई के आने पर कांति ने दरवाजा खोला। कमलाबाई ने आकर बताया कि उनकी बेटी दो महीने से मायके में है क्योंकि उसके ससुराल वाले दहेज और गहने की माँग कर रहे हैं। गरीब होने के कारण वह इतना दहेज नहीं दे सकती। घर के कामों को निपटाकर जब वह जाने लगी तो कांति ने उसे उसकी दो सौ रुपए पगार दिया। कमलाबाई ने दरवाजे से वापस लौटकर कांति को एक झुमका देते हुए बताया कि उसे वह रास्ते में सड़क पर पड़ा मिला।

वह बेचेगी तो कोई समझेगा कि चोरी का है। वह झुमका बेचकर अपनी लड़की के लिए गहने बनवाना चाहती थी। अत: उसने कांति को झुमका बेचने के लिए कहा। कांति ने झुमका देखकर पहचान लिया कि वह उसी का है। किंतु कमलाबाई के लड़की के हालात को समझकर वह चुप रही तथा झुमके को आलमारी में रख दिया और कमलाबाई को एक हजार रुपया देते हुए कहा कि यदि झुमका बेचने पर अधिक पैसा मिलेगा तो वह उसे दे देगी। पैसा पाकर कमलाबाई कांति को आशीर्वाद देते हुए सुनार के पास अपनी लड़की के लिए गहने खरीदने चली गई।

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शब्दार्थ :

  1. कोना-कोना ढूँढ़ मारा – हर जगह ढूँढ़ना
  2. झुमका – कान में पहने जाने वाला एक आभूषण, कुंडल
  3. गनीमत – संकट में संतोष की बात
  4. तसल्ली – धोरज
  5. कोहनी – टिहुनी (बाँह के बीच का जोड़)
  6. रकम – पैसा
  7. इकट्ठा – एकत्रित, जमा
  8. दरअसल – सच में, वास्तव में खूबसूरत
  9. चार तोले – 40 ग्राम
  10. परिचित – जाना-पहचाना, पहचान वाला
  11. आग्रह – निवेदन
  12. चौका-बासन – रसोई घर, बरतन साफ करना
  13. इनकम टैक्स – आयकर
  14. टेंशन – तनाव
  15. मामूली-सी – छोटी-सी
  16. नि:संकोच – जिना संकोच के
  17. तसल्ली – दिलासा
  18. पैकेट – थैली
  19. ड्राइंग रूम – बैठक
  20. तबीयत – सेहत
  21. सफाई देना – ईमानदारी दर्शाना
  22. मायके – माँ का घर
  23. खबर – सूचना
  24. घरवाला – पति
  25. झबिया – छोटी टोकरी
  26. भर आई आँखें – आँसूभरी आँखें
  27. सहानुभूति – हमदर्दी
  28. समेटकर – इकट्ठा कर
  29. किचन – रसोई घर
  30. सहम – डर
  31. गंदुमी – गेहुँआ रंग
  32. सुहाग सलामत रखे – पति बने रहें, पति दोधार्यु हो

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मुहावरे :

  1. सिहर उठना – भय से काँपना।
  2. घर सर पर उठा लेना – शोर मचाना।
  3. वादा करना – वचन देना।
  4. आँख फटना – चकित हो जाना।
  5. वादा करना – वचन देना।
  6. आँख फटना – चकित हो जाना।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान

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Hindi Lokbharti 9th Std Digest Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान Textbook Questions and Answers

संभाषणीय:

प्रश्न 1.
‘भारतीय स्वतंत्रता संग्राम’ संबंधी पढ़ी या सुनी हुई घटना या प्रसंग पर चची कीजिए।
उत्तर:

  • अध्यापक – राहुल जी, क्या आप मुझे 1857 के विद्रोह व भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बारे में कुछ जानकारी देंगे।
  • राहुल – जी हाँ, सर। सन 1857 में राष्ट्रीय बगावत शुरू हुई थी। भारत के राजा-महाराजाओं ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत कर दी थी।
  • विद्या – जैसे कि महारानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, पेशवा आदि ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का शंखनाद बजा दिया था।
  • अनिल – भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित मुझे एक घटना याद है। मंगल पांडे अंग्रेजों की बैरकपुर की छावनी में सिपाही थे। मंगल पांडे उस चर्बीयुक्त हथियारों पर रोक लगाना चाहते थे। उन्होंने एक अंग्रेज अधिकारी पर हमला बोल दिया। इसलिए उन्हें फाँसी की सजा हो गई थी।
  • अध्यापक – अब आप मुझे बताइए कि स्वतंत्रता सेनानियों से आपको कौन-सी प्रेरणा मिलती है?
  • विजय – हमें अपने देश की स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए।
  • अजय – हमें अपने देश की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।
  • नंदन – हमें स्वतंत्रता के दीपक प्रज्वलित रखना चाहिए।

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श्रवणीय:

प्रश्न (क)
राष्ट्रभक्ति पर आधारित कोई कविता सुनिए।

प्रश्न (ख)
अपने देश की विविधताएँ सुनिए।

लेखनीय:

प्रश्न 1.
समूह बनाकर भारत की विशेषता बताने वाले संवाद का लेखन कीजिए तथा समारोह में उसकी प्रस्तुति कीजिए।

पठनीय:

प्रश्न 1.
भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र संबंधी जानकारी पढ़िए और छोटी-सी टिपण्णी तैयार कीजिए।

पाठ से आगे:

प्रश्न 1.
अंतरजाल/ग्रंथालय से ‘दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन’ (सार्क) में भारत की भूमिका की जानकारी प्राप्त करके टिप्पणी लिखिए।

कल्पना पल्लवन:

प्रश्न 1.
‘विश्व स्तर पर भारत की पहचान निराली है।’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत हमको जान से प्यारा है।
सबसे न्यारा गुलिस्ता हमारा है।

सचमुच विश्व में भारत एक ऐसा राष्ट्र है, जहाँ संस्कृति, विज्ञान व तकनीकी का समन्वय दिखाई देता है। भिन्न-भिन्न धर्म व जाति वर्ग के लोगों के बीच भारत देश ने पारंपरिक संस्कृति, सभ्यता एवं सर्वधर्म सहिष्णुता की भावना के कारण विश्व में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बना रखा है।

विश्व स्तर पर भारत की पहचान अनोखी व निराली है। क्रीड़ा के क्षेत्र में भारतीय खिलाड़ी विश्व स्तर पर अपनी अनोखी पहचान बनाए हुए हैं। सचिन तेंदुलकर को तो ‘क्रिकेट का भगवान’ कहा जाता है। साहित्य के क्षेत्र में भी भारतीय लेखक कवियों का साहित्य कई विदेशी भाषाओं में अनूदित हुआ है।

उद्योग जगत में रिलायन्स, टाटा, बिरला आदि कंपनियों ने विश्व स्तर पर भारत की सशक्त आर्थिक क्षमता का सबूत प्रस्थापित कर दिया है। संगीत की दुनिया में भारत ने समूचे विश्व को मोहित कर दिया है। लता दीदी, आशा भोसले, ए.आर. रहमान आदि गायक-गायिकाओं के गानों ने विदेशों में धूम मचा दी हैं। भारतीय शास्त्रीय संगीत के तो कई विदेशी कायल हैं।

विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में भारत देश ने एक नया आयाम स्थापित कर दिया है। भारत में अनुसंधान कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा है। भारत के डॉक्टर एवं अभियंताओं को विदेशों में काफी महत्त्व प्राप्त हो रहा है। इसीलिए मैं बड़े गर्व के साथ कहता हूँ कि भारत ने विश्व स्तर पर अपनी एक अनोखी पहचान बनाई है। कहा भी गया है –

सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्ता हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी यह गुलिस्ताँ हमारा।

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पाठ के आँगन में …

प्रश्न 1.
‘यह स्वतंत्र भावना का स्वतंत्र गान है।’ इस पंक्ति में आई कवि की भावना स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
कृति (घ) का स्वमत अभिव्यक्ति देखिए।

प्रश्न 2.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।
उत्तरः

(अ) (ब)
1. अतीत (क) प्रार्थना
2. पुनीत (ख) साधना
3. अनंत (ग) भावना
4. विनीत (घ) कल्पना
(ङ) अशांति

उत्तर:

(अ) (ब)
1. अतीत (घ) कल्पना
2. पुनीत (ग) भावना
3. अनंत (ख) साधना
4. विनीत (क) प्रार्थना

व्याकरण विभाग:

1 & 2.
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान 1

3.
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान 2

4. शुद्धीकरण- वाक्यों, शब्दों को शुद्ध रूप में लिखना।

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5. मुहावरों का प्रयोग/चयन करना

6. शब्द संपदा- व्याकरण 5 वीं से 8 वीं तक शब्दों के लिंग, वचन, विलोमार्थक, समानार्थी, पर्यायवाची, शब्दयुग्म, अनेक शब्दों के लिए एक शब्द, भिन्नार्थक शब्द, कठिन शब्दों के अर्थ, विरामचिह्न, उपसर्ग-प्रत्यय पहचानना/अलग करना, लय-ताल युक्त शब्द ।

7.
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान 3

8.
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान 4

रचना विभाग:

  • पत्रलेखन (व्यावसायिक /कार्यालयीन)
  • प्रसंग वर्णन / वृत्तांत लेखन
  • कहानी लेखन
  • विज्ञापन
  • गद्य आकलन
  • निबंध

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पत्रलेखन:

कार्यालयीन पत्र

कार्यालयीन पत्राचार के विविध क्षेत्र:

बैंक, डाकविभाग, विद्युत विभाग, दूरसंचार, दूरदर्शन आदि से संबंधित पत्र
महानगर निगम के अन्यान्य / विभिन्न विभागों में भेजे जाने वाले पत्र
माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक शिक्षण मंडल से संबंधित पत्र ।
अभिनंदन/प्रशंसा (किसी अच्छे कार्य से प्रभावित होकर) पत्र लेखन करना।
सरकारी संस्था द्वारा प्राप्त देयक (बिल आदि) से संबंधित शिकायती पत्र

व्यावसायिक पत्र

व्यावसायिक पत्राचार के विविध क्षेत्र:

किसी वस्तु/सामग्री/पुस्तकें आदि की माँग करना।
शिकायती पत्र – दोषपूर्ण सामग्री/ चीजें/ पुस्तकें/ पत्रिका आदि प्राप्त होने के कारण पत्रलेखन
आरक्षण करने हेतु (यात्रा के लिए)।
आवेदन पत्र – प्रवेश, नौकरी आदि के लिए।
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कहानी लेखन:

1. मुद्दों के आधार पर कहानी लेखन करना।
2. शब्दों के आधार पर कहानी लेखन करना।
3. किसी कहावत, सुवचन, मुहावरे, लोकोक्ति पर आधारित कहानी लेखन करना।

मुहावरे, कहावतें, सुवचन, लोकोक्तियाँ

मुहावरे:

  1. आँखों पर परदा पड़ना ।
  2. एड़ी-चोटी का जोर लगाना ।
  3. रुपया पानी की तरह बहाना ।
  4. पहाड़ से टक्कर लेना।
  5. जान हथेली पर धरना (रखना)।
  6. लकीर का फकीर होना ।
  7. पगड़ी संभालना।
  8. काला अक्षर भैंस बराबर ।
  9. घाट-घाट का पानी पीना ।
  10. अकल के घोड़े दौड़ाना।
  11. पत्थर की लकीर होना।
  12. भंडाफोड़ करना।
  13. रंगा सियार होना।
  14. हाँ में हाँ मिलाना

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लोकोक्तियाँ तथा कहावतें:

  1. अंधों में काना राजा।
  2. ओखली में सिर दिया तो मूसलों का क्या डर।
  3. चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए ।
  4. जहाँ न पहुंचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि ।
  5. अंधा बाँटे रेवड़ी अपने कुल को देव ।
  6. अंधेर नगरी चौपट राजा।
  7. आँख और कान में चार अंगुल का अंतर है।
  8. अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत ।
  9. हाथ कंगन को आरसी क्या ?
  10. चोर की दाढ़ी में तिनका ।
  11. कोयले की दलाली में हाथ काला ।
  12. अधजल गगरी छलकत जाए ।
  13. निंदक नियरे राखिए।
  14. ढाक के तीन पात ।

सुवचन:

  1. वसुधैव कुटुंबकम् ।
  2. सत्यमेव जयते।
  3. पेड़ लगाओ, पृथ्वी बचाओ।
  4. जल ही जीवन है।
  5. पढ़ेगी बेटी तो सुखी रहेगा परिवार ।
  6. अनुभव महान गुरु है।
  7. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।
  8. अतिथि देवो भवः।
  9. राष्ट्र ही धन है।
  10. जीवदया ही सर्वश्रेष्ठ है।
  11. असफलता सफलता की सीढ़ी है।
  12. श्रम ही देवता है।
  13. राखौ मेलि कपूर में, हींग न होत सुगंध ।
  14. करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान ।

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निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर कहानी लिखिए तथा उसे उचित शीर्षक देकर उससे प्राप्त होने वाली सीख भी लिखिए:

1. एक लड़की __________ विद्यालय में देरी से पहुंचना __________ शिक्षक द्वारा डाँटना _________ लड़की का मौन रहना __________ दूसरे दिन समाचार पढ़ना __________ लड़की को गौरवान्वित करना ।
2. मोबाइल ___________ लड़का _________ गाँव ___________ सफर __________

1. प्रश्न निर्मिति के लिए निम्नलिखित प्रश्नचार्ट उपयुक्त हो सकता है।
प्रश्नचार्ट:
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गद्य आकलन (प्रश्न तैयार करना)

निम्नलिखित गद्यांश पर ऐसे पाँच प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हो।

किसी भी देश की संपत्ति उस देश के आदर्श विद्यार्थी ही होते हैं । विद्यार्थियों का चरित्र ही राष्ट्र की संपत्ति होता है । वह समय का मूल्यांकन करना जानता है । वह बैटिंग, सिनेमा, मोबाइल एवं अन्य मनोरंजनों में आवश्यकता से अधिक लिप्त नहीं होता है। उसके सामने सदा मंजिल रहती है और उसे ज्ञात है कि इन प्रलोभनों के वश में न होकर परिश्रम, तप, त्याग और साधना के कटंकाकीर्ण पथ पर चलकर ही वह कुछ बन सकता है । परिवार के लिए, समाज के लिए, राष्ट्र के लिए एवं समूचे विश्व के लिए वह तभी कुछ करने की क्षमता प्राप्त कर सकता है जब वह अपनी सर्वांगीण उन्नति करने का सामर्थ्य रखता हो ।
वह विद्यारूपी समुद्र का मंथन करके ऐसे मोती प्राप्त कर सकता है जो आज तक अनबिद्घ रहे हों।

प्रश्न:

  1. किसी भी देश की संपत्ति कौन होते हैं?
  2. विद्यार्थी क्या करना जानता है?
  3. विद्यार्थी किसके लिए कुछ क्षमता प्राप्त कर सकता है?
  4. विद्यार्थी किस प्रकार के मोती प्राप्त कर सकता है?
  5. आप इस गढ्यांश को कौन-सा शीर्षक देना उचित समझेंगे?

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वृत्तांत लेखन:

अपनी पाठशाला में मनाए गए ‘वाचन प्रेरणा दिवस/हिंदी दिवस/विज्ञान दिवस/राजभाषा दिवस/ शिक्षक दिवस/ वसुंधरा दिवस/ क्रीड़ा दिवस आदि का वृत्तांत रोचक भाषा में लिखिए । (लगभग 60 से 70 शब्दों में)।

प्रसंग वर्णन:

निम्नलिखित जानकारी पढ़कर उससे संबंधित प्रसंग लगभग 60 से 70 शब्दों में लिखिए।

1. कूड़ेदान से कूड़ा-कचरा आसपास फैला हुआ है, उसी में कुछ आवारा कुत्ते तथा अन्य जानबर घूम रहे हैं साथ ही कुछ ___ गाए प्लास्टिक की थैलियों को चबा-चबा कर खा रही हैं।…

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निम्न विषयों पर विज्ञापन तैयार किए जा सकते हैं।

1. वस्तुओं की उपलब्धि: नवनिर्मित (किसी भी वस्तु संबंधी)
जैसे- किताबें, कपड़े, घरेलू आवश्यक वस्तुएँ, उपकरण, फर्नीचर, स्टेशनरी, शालोपयोगी वस्तुएँ तथा उपकरण आदि ….
2. शैक्षिक: शिक्षा में संबंधित योगासन तथा स्वास्थ्य शिविर, स्वच्छ, सुंदर शुद्ध लिखावट, चित्रकला, इंटरनेट तथा विविध ऐप्स आदि कलाओं से संबंधित अभ्यास वर्ग, व्यक्तित्व विकास शिविर आदि –
3. आवश्यकता: वाहक-चालक, सेवक, चपरासी, द्वारपाल, सुरक्षा रक्षक, व्यवस्थापक, लिपिक, अध्यापक, संगणक अभियंता, आदि ……
4. व्यापार विषयक: दूकान, विविध वाहन, उपकरण, मकान, मशीन, गोदाम, टी. बी., संगणक, भूखंड, रेफ्रीजरेटर आदि
5. मनोरंजन तथा ज्ञानवर्धन: व्याख्यानमाला, परिसंवाद, नाटक वार्षिकोत्सव, विविध विशेष दिनों के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम समारोह आदि……
6. पर्यटन संबंधी: यात्रा विषयक, आरक्षण आदि
7. वैयक्तिक :- श्रद्धांजली, शोकसंदेश, जयंती, पुण्यतिथि, गृहप्रवेश, बधाई आदि

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निबंध लेखन:

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान 7

Hindi Lokbharti 9th Answers Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान 8

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान 9

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
1. प्रतिकूल परिस्थितियों में भी व्यक्ति स्वतंत्रता की भावना को बरकरार रखें।
2. स्वतंत्रता का दीपक शक्ति व भक्ति से परिपूर्ण नहीं हैं।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य

कृति (3) भावार्थ (1) निम्नलिखित पद्यांश का भावार्थ लिखिए।

प्रश्न 1.
घोर अंधकार हो …………….. ला रहा विहान है।
भावार्थ:
किसी भी कीमत पर स्वतंत्रता का मोल नहीं किया जा सकता। स्वतंत्रता की कीमत हमेशा अधिक होती है। इसीलिए कवि नेपाली कहते हैं, “भले ही चारों ओर घोर अंधकार छाया हुआ हो या फिर हवा तेजी से बह रही हो, फिर भी प्रत्येक भारतीय के हृदय द्वार पर जलता हुआ यह स्वतंत्रता का दीया बुझना नहीं चाहिए। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी व्यक्ति स्वतंत्रता की भावना को बरकरार रखें। स्वतंत्रता का यह दीपक रात का दीया है यानी अंधकारूपी परतंत्रता से इस दीपक ने सभी के जीवन में स्वतंत्रता रूपी विहान भर दिया है।”

(ख) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

1. एक शब्द में उत्तर लिखिए।

प्रश्न 1.
देश और समाज पर किसका वितान है?
उत्तर:
ज्योति का

प्रश्न 2.
तीर और कछार पर किसका दीया बुझना नहीं चाहिए?
उत्तरः
स्वतंत्रता का

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2. संजाल पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान 11

कृति (2) आकलन कृति.

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान 12

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान 13

कृति (3) भावार्थ

1. निम्नलिखित पद्यांश का भावार्थ लिखिए।

प्रश्न 1.
यह अतीत कल्पना …………….. ज्योति का वितान
भावार्थः
कवि नेपाली कहते हैं, स्वतंत्रता का दीपक हमारे लिए अतीत की कल्पना की भाँति है। यानी हमारे पुरखों ने इसे प्रज्वलित रखने के लिए अपने प्राण अर्पण कर दिए थे। इसीलिए हम इस दीए के समक्ष विनम्र प्रार्थना करते हैं। यह दिया हमारे लिए पवित्र भावना है। स्वतंत्रता के इस दीए को हमने अपनी अनंत साधना के बाद प्राप्त किया है। अतः जीवन में निर्माण होने वाली हर स्थिति यानी कि शांति में या अशांति में, युद्ध की स्थिति हो या संधि की या फिर देश में क्रांति हो, फिर भी तीर पर या नदी के किनारे पर हम इस दीए को बुझने नहीं देंगे। हमारे जीवन में यह स्वतंत्रता का दीपक ज्योति का वितान लेकर आया है।

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(ग) पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान 14

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान 15

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान 16

कृति (3) भावार्थ

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पद्यांश का भावार्थ लिखिए।
तीन चार फूल ………………. पुण्य प्राण दान है।
भावार्थ:
कवि नेपाली कहते हैं, स्वतंत्रता के इस दीपक के प्रति हम भारतीयों में निष्ठा एवं श्रद्धा है। इस दीए के आस-पास तीन-चार फूल है। चारों ओर धूल भी है। बास और बबूल के पेड़ भी हैं। घास के दुपट्टे हैं। हवा की लहर उसे आकर स्पर्श भी करती है। फिर भी किसी शहीद की कब्र पर या किसी स्वतंत्रता सेनानी की समाधि पर हम इस दौए को बुझने नहीं देंगे। स्वतंत्रता का यह दीपक हमारे लिए किसी शहीद का पुण्य प्राण दान है। इसी से प्रेरणा लेकर हम भारतीय अपनी आजादी को बरकरार रखने का प्रयास करेंगे।

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(घ) पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान 17

कृति (2) आकलन

प्रश्न 1.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

(अ) (ब)
1. स्वतंत्र (क) बदलियाँ
2. चूम-चूम (ख) बिजलियाँ
3. झूम-झूम (ग) जीत हार
4. क्षुद्र (घ) भावन

उत्तरः

(अ) (ब)
1. स्वतंत्र (घ) भावन
2. चूम-चूम (ख) बिजलियाँ
3. झूम-झूम (क) बदलियाँ
4. क्षुद्र (ग) जीत हार

कृति (3) भावार्थ

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पद्यांश का भावार्थ लिखिए ।
झूम-झूम बदलियाँ ………………. स्वतंत्र गान है।
भावार्थ:
कवि नेपाली कहते हैं, आसमान में तूफानी बादल मँडरा रहे हों; बिजलियाँ कड़क रही हों; आँधी निर्माण हो गई हो और उसने हलचलें मचाना शुरू कर दिया हो। भले ही देश के अंतर्गत दंगे फसाद हो रहे हों; व्यथा, वेदना एवं यातना का साम्राज्य निर्माण हुआ हो; फिर भी किसी की भी क्षुद्र जीत-हार पर यह दीया बुझना नहीं चाहिए। आखिर यह दिया हमारे लिए स्वतंत्र भावना का स्वतंत्र गान है। यह हमारी स्वतंत्रता का प्रतीक है। यह हमारी अस्मिता की पहचान है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान

पद्य-विश्लेषण:

कविता का नाम – स्वतंत्रता गान
कविता की विधा – प्रेरणा गीत
पसंदीदा पंक्ति – कब्र पर, मजार पर, यह दीया बुझे नहीं, यह किसी शहीद का पुण्य प्राण दान है।
पसंदीदा होने का कारण – उपर्युक्त पंक्ति मुझे बेहद पसंद है क्योंकि उसमें शहीदों की कब्र या मजार पर स्वतंत्रता के दीपक को ना बुझने देने की बात कही गई है। कविता से प्राप्त संदेश या प्रेरणा – प्रस्तुत कविता से प्रेरणा मिलती हैं कि भारतीयों को स्वतंत्रता के दीपक को सदैव प्रज्वलित रखना चाहिए। स्वतंत्रता के दीपक से व्यक्ति को सीख लेनी चाहिए कि उसे प्रतिकूल परिस्थितियों में भी देश की रक्षा करने के लिए तत्पर रहना चाहिए। व्यक्ति के पास देशभक्ति की भावना होनी चाहिए। त्याग व बलिदान आदि गुणों को अपने जीवन में उतारना चाहिए।

स्‍वतंत्रता गान Summary in Hindi

कवि-परिचय:

जीवन-परिचय: उत्तर छायावाद के जिन कवियों ने कविता और गीत को जनता का कंठहार बनाया था, गोपाल सिंह नेपाली उनमें अहम थे। गोपाल जी प्रकृति प्रेमी कवि हैं। इनकी कविताएँ देश प्रेम, प्रकृति प्रेम एवं मानवीय भावनाओं का वर्णन करने में प्रमुख भूमिका निभाती हैं। ये प्रबुद्ध पत्रकार भी थे। इन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए भी गीत लिखे हैं।

प्रमुख कृतियाँ: काव्य संग्रह – ‘उमंग’, ‘पंछी’, ‘रागिनी’, ‘नीलिमा’, ‘पंचमी’, ‘रिमझिम’ आदि; पत्रिकाएँ – रतलाम टाइम्स’, ‘चित्रपट’,
‘सुधा एवं योगी’।

पद्य-परिचय:

प्रेरणा गीत: जिन गीतों को सुनकर व्यक्ति को कार्य करने की प्रेरणा मिलती है ऐसे गीतों को प्रेरणा गीत कहते हैं। प्रेरणा गीत व्यक्ति
के दिल में सकारात्मक बीज बोने की बात करते हैं। प्रेरणा गीत व्यक्ति को अपने दिल की बात सुनकर जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।

प्रस्तावना: प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि ने प्रेरणा दी है कि प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्रता के दीपक को हर परिस्थिति में प्रज्वलित रखने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए।

सारांश:

प्रस्तुत कविता एक प्रेरणा गीत है। इस गीत के माध्यम से कवि ने भारतीयों को राष्ट्रप्रेम, देशाभिमान, त्याग व बलिदान की भावना को बरकरार रखने के लिए प्रेरित किया है। इसीलिए कवि ने स्वतंत्रता के दीपक सदैव प्रज्वलित रखने के लिए कहा है। स्वतंत्रता का दीपक हमारी अस्मिता एवं आजादी का प्रतीक है। इस दीपक के प्रति प्रत्येक भारतीय के मन में सम्मान एवं निष्ठा की भावना होनी चाहिए। इस दीपक से प्रेरणा लेकर भारतवासी अपने देश की रक्षा हेतु अग्रसर हो जाए। ऐसा कवि ने संदेश दिया है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान

भावार्थ:

1. घोर अंधकार हो —————— प्राण के समान है।

किसी भी कीमत पर स्वतंत्रता का मोल नहीं किया जा सकता। स्वतंत्रता की कीमत हमेशा अधिक होती है। इसीलिए कवि नेपाली कहते हैं, भले ही चारों ओर घोर अंधकार छाया हुआ हो या फिर हवा तेजी से बह रही हो, फिर भी प्रत्येक भारतीय के हृदय द्वार पर जलता हुआ यह स्वतंत्रता का दीया बुझना नहीं चाहिए। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी व्यक्ति स्वतंत्रता की भावना को बरकरार रखें। स्वतंत्रता का यह दीप रात का दीया है यानी अंधकाररूपी परतंत्रता से इस दीपक ने सभी के जीवन में स्वतंत्रता रूपी विहान भर दिया है।

स्वतंत्रता का यह दीपक शक्ति से परिपूर्ण है। स्वयं शक्ति ने ही इसे हमें प्रदान किया हुआ है। अत: इस दीए को हम शक्ति को ही अर्पित करेंगे। इस दीए के प्रति हम सब भारतीयों की भक्ति समाहित हुई है। मानो भक्ति ने ही हमें इसे प्रदान किया हो। इस प्रकार स्वतंत्रता के इस दीए में शक्ति व भक्ति दोनों का समन्वय है। भले ही नाव पानी में तेजी से चल रही हो और पानी का बहाव भी वेगवान हो, फिर भी गंगा नदी के जल में इस दीए को हम बुझने नहीं देंगे क्योंकि यह हमारे स्वदेश का दीया है जो हमें अपने प्राणों के समान प्रिय है।

2. यह अतीत कल्पना ——————- ज्योति का वितान है।

कवि नेपाली कहते है, स्वतंत्रता का दीपक हमारे लिए अतीत की कल्पना की भाँति है। यानी हमारे पुरखों ने इसे प्रज्वलित रखने के लिए अपने प्राण अर्पण कर दिए थे। इसीलिए हम इस दीए के समक्ष विनम्र प्रार्थना करते हैं। यह दिया हमारे लिए पवित्र भावना है। स्वतंत्रता के इस दीए को हमने अपनी अनंत साधना के बाद प्राप्त किया है। अत: जीवन में निर्माण होने वाली हर स्थिति यानी कि शांति में या अशांति में, युद्ध की स्थिति हो या संधि की या फिर देश में क्रांति हो, फिर भी तीर पर या नदी के किनारे पर हम इस दीए को बुझने नहीं देंगे। हमारे जीवन में यह स्वतंत्रता का दीपक ज्योति का वितान लेकर आया है।

3. तीन चार फूल हैं ——————— पुण्य प्राण दान है।

कवि नेपाली कहते हैं, स्वतंत्रता के इस दीपक के प्रति हम भारतीयों में निष्ठा एवं श्रद्धा है। इस दीए के आस-पास तीन-चार फूल हैं। चारों ओर धूल भी है। बास और बबूल के पेड़ भी हैं। घास के दुपट्टे हैं। हवा की लहर उसे आकर स्पर्श भी करती है। फिर भी किसी शहीद की कब्र पर या किसी स्वतंत्रता सेनानी की समाधि पर हम इस दीए को बुझने नहीं देंगे। स्वतंत्रता का यह दीपक हमारे लिए किसी शहीद का पुण्य प्राण दान है। इससे प्रेरणा लेकर हम भारतीय अपनी आजादी को बरकरार रखने का प्रयास करेंगे।

4. झूम-झूम बदलियाँ ———————– स्वतंत्र गान है।

कवि नेपाली कहते हैं, आसमान में तूफानी बादल मँडरा रहे हों। बिजलियाँ कड़क रही हों। आँधी निर्माण हो गई हो और उसने हलचलें मचाना शुरू कर दिया हो। भले ही देश के अंतर्गत दंगे फसाद हो रहे हों व्यथा, वेदना एवं यातना का साम्राज्य निर्माण हुआ हो। फिर भी किसी की क्षुद्र जीत-हार पर यह दीया बुझना नहीं चाहिए। आखिर यह दिया हमारे लिए स्वतंत्र भावना का स्वतंत्र गान है। यह हमारी स्वतंत्रता का प्रतीक है। यह हमारी अस्मिता की पहचान है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान

शब्दार्थ:

  1. बयार – हवा
  2. निशीथ – निशा, रात
  3. विहान – सवेरा
  4. कछार – किनारा
  5. वितान – आकाश, गगन
  6. दुकुल – दुपट्टा
  7. हिलोर – लहर

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 10 अपराजेय

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Lokbharti Chapter 10 अपराजेय Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 10 अपराजेय (पूरक पठन)

Hindi Lokbharti 9th Std Digest Chapter 10 अपराजेय Textbook Questions and Answers

श्रवणीय:

प्रश्न 1.
हेलन केलर की जीवनी का अंश सुनिए और मुख्य मुद्दे सुनाइए।

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लेखनीय:

प्रश्न 1.
कला की साधना जीवन के दुखमय क्षणों को भुला देती है। इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
कृति (ग) की स्वमत अभिव्यक्ति देखिए।

पठनीय:

प्रश्न 1.
सुदर्शन की ‘हार की जीत’ कहानी पढ़िए।

1. सुचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 10 अपराजेय 1
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 10 अपराजेय 2

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प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 10 अपराजेय 3
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 10 अपराजेय 4

प्रश्न 3.
परिच्छेद से ऐसे दो शब्द ढूँढ़कर लिखिए कि जिनका वचन परिवर्तन नहीं होता।
उत्तर:
1. घर
2. पेड़

प्रश्न 4.
‘कला में अभिरूचि होने से जीवन का आनंद बढ़ता है।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
कला जीवन का प्रतिरूप है। वह जीवन का आनंद है। प्रत्येक व्यक्ति को कला का शौक होता है। कला में अभिरूचि होने से व्यक्ति उसकी साधना में लगा रहता है। ऐसे में वह स्वयं को भी भूल जाता है। सिर्फ कला के अलावा उसे अन्य चीज़ की याद नहीं आती है। वह अपनी मनचाही कला के सौंदर्य एवं माधुर्य में मशगुल हो जाता है। कला का लुत्फ़ उठाते समय उसका चित्त आनंदविभोर हो जाता है।

वह कला को ही अपने जीवन का आधार मानकर स्वयं के जीवन को सुंदर बनाता है। निरंतर कला के सान्निध्य में रहने के कारण वह मन से तरोताजा रहता है। ऐसे व्यक्ति को फिर संपूर्ण विश्व सुंदर एवं खिला हुआ दिखाई देता है। इस प्रकार कला में अभिरूचि होने से जीवन का आनंद बढ़ता है।

आसपास:

प्रश्न 1.
कलाक्षेत्र में ‘भारतरत्न’ उपाधि से अलंकृत महान विभूतियों के नाम, क्षेत्र, वर्षानुसार सूची बनाइए।

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मौलिक सृजन:

प्रश्न 1.
‘समाज के जरूरतमंद लोगों की मैं सहायता करूँगा।’ इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तरः
मानव होने का सही अर्थ यही है कि मनुष्य को अपने जीवन में दूसरों की सेवा करनी चाहिए। मानव का जन्म लोगों की सेवा करने के लिए हुआ है। सेवा ऐसा भाव है जिससे सेवा करने वाला भी सुख पाता है और जिसकी सेवा की जाती है वह भी सुख पाता है। जो मनुष्य दूसरों के दुख दूर करने के लिए प्रयास करता है, ऐसा ही मनुष्य सच्चा मनुष्य कहलाने का अधिकारी होता है। कवि गुप्त जी ने लिखा ही है

वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।

मैं भी समाज के जरुरतमंदों की सहायता करना चाहता हूँ। समाज में सर्वत्र दीन-दुखी, पीड़ित एवं व्यथित लोग हैं। उनकी सहायता करने से मुझे आत्मिक तृप्ति मिलेगी। आखिर मानव सेवा ही ईश्वर की पूजा के समान होती है।

आज हमारे समाज में ऊँच-नीच का भेदभाव दिखाई दे रहा है। कई ऐसे गरीब बच्चे हैं जो फुटपाथ पर ही रहते हैं। वे स्कूल नहीं जाते हैं। मैं ऐसे बच्चों को पढ़ाने के लिए आगे आऊँगा। उन्हें सही राह दिखाने का प्रयास करूंगा। मैं अनाथ आश्रम में जाकर वहाँ रहने वाले बच्चों के लिए खेल एवं शैक्षिक गतिविधियों का आयोजन करूंगा; ताकि उन्हें आनंद की प्राप्ति हो।

समाजसेवा के इस पुनीत कार्य में मैं अपने मित्रों को भी सम्मिलित करवाऊँगा क्योंकि मिल-जुलकर अच्छा काम करने में जो मजा है वह अन्य किसी काम में नहीं। अपने मित्रों के साथ मिलकर मैं गरीब बच्चों एवं लोगों के लिए चंदा इकट्ठा करूँगा। उनके लिए कपड़े व अनाज आदि सामग्री का संग्रह करूँगा। मुझे आशा है कि मेरे इन कार्यों से प्रेरणा लेकर अन्य लोग मेरा अनुकरण करेंगे। उस वक्त मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा। अंत में सिर्फ इतना ही कहूँगा:

चाह यही, आस यही, कामना यही, भावना यही; कर सकूँ अपनी जिंदगी में जरूरतमंदों की सेवा यही।

पाठ से आगे:

प्रश्न 1.
दिव्यांग महिला खिलाड़ियों के बारे में जानकारी प्राप्त करके टिपणी तैयार कीजिए।

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पाठ के आँगन में……..

1. सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

प्रश्न (क)
केवल एक शब्द में उत्तर लिखिए।

  1. जिनमें चलने-फिरने की क्षमता का अभाव हो:
  2. जिनमें सुनने की क्षमता का अभाव हो:
  3. जिनमें बोलने की क्षमता का अभाव हो:
  4. स्वस्थ शरीर में किसी भी एक क्षमता का अभाव होना:

उत्तरः

  1. अपाहिज, अपंग
  2. बधिर
  3. गूंगा
  4. दिव्यांग

प्रश्न 2.
‘हीन’ शब्द का प्रयोग करके कोई तीन अर्थपूर्ण शब्द तैयार करके लिखिए।
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 10 अपराजेय 5
उत्तरः
जैसे: आत्म + हीन = आत्महीन

  1. संवेदन + हीन = संवेदनहीन
  2. चरित्र + हीन = चरित्रहीन
  3. स्नेह + हीन = स्नेहहीन

प्रश्न 3.
परिस्थिति के सामने हार न मानकर उसे सहर्ष स्वीकार करने में ही जीवन की सार्थकता है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
कृति (ख) की स्वमत अभिव्यक्ति देखिए।

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प्रश्न (ख)
पाठ में प्रयुक्त वाक्य पढ़कर व्यक्ति में निहित भाव लिखिए।
1. ‘टाँग ही तो काटनी है, तो काट दो।’
2. ‘मैं जानता हूँ कि जीवन का विकास पुरुषार्थ में है, आत्महीनता में नहीं।’
उत्तर:
1. हास्य व सहज भाव, निडरता, सकारात्मकता, दृढ़ निश्चय
2. शांत भाव, संघर्ष शीलता, दृढ़ निश्चय

Hindi Lokbharti 9th Answers Chapter 10 अपराजेय Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
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कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
सभी के चेहरे पर अकुलाहट थीं।
उत्तरः
दुर्घटना में अमरनाथ घायल हो गए थे। उनके बचने की कोई उम्मीद नहीं थी। इसीलिए सभी के चेहरे पर अकुलाहट थीं।

प्रश्न 2.
अमरनाथ के परिवार वाले रात को एक बजे पुलिस स्टेशन गए थे।
उत्तरः
अमरनाथ शाम तक घर पहुँचने वाले थे लेकिन रात के नौ बज गए फिर भी वे घर नहीं पहुंचे। उनके मोबाइल की घंटी बज रही थी लेकिन वे मोबाइल उठा नहीं रहे थे। इसीलिए अमरनाथ के परिवार वाले रात को एक बजे पुलिस स्टेशन गए थे।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 9 10 अपराजेय

कृति (2) आकलन कृति

किसने, किससे कहा?

प्रश्न 1.
‘पर हुआ कैसे?’
उत्तरः
यह वाक्य चोपड़ा ने अनिल से पूछा।

प्रश्न 2.
‘ट्रकवाला जरूर पिया होगा।’
उत्तर:
यह वाक्य अनिल ने चोपड़ा से कहा।

प्रश्न 3.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 10 अपराजेय 7

कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ गद्यांश से ढूँढ़कर लिखिए।

  1. सर्जरी
  2. डरावना
  3. निशा
  4. संध्या

उत्तर:

  1. ऑपरेशन
  2. भयावह
  3. रात
  4. शाम

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 9 10 अपराजेय

प्रश्न 2.
गद्यांश में प्रयुक्त ऐसे अंग्रेजी शब्द लिखिए जिनका हिंदी में प्रयोग होने लगा है।
उत्तर:

  1. ऑपरेशन
  2. मोबाइल
  3. स्ट्रेचर
  4. नर्स

प्रश्न 3.
गद्यांश से ऐसे दो शब्द ढूँढ़कर लिखिए कि जिनके वचन परिवर्तित नहीं होते हैं।
उत्तर:
1. फोन
2. पुलिस

प्रश्न 4.
‘अकुलाहट’ इस शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय पहचानकर लिखिए और उस संबंधित प्रत्यय से अन्य दो शब्द तैयार कीजिए।
उत्तर:
‘आहट’ प्रत्यय; अन्य शब्द:
1. कड़वाहट
2. घबराहट

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘अपनी देखी हुई एक दुर्घटना।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
ग्रीष्मावकाश में हम सब नैनिताल जा रहे थे। दोनों ओर पहाड़ियाँ ही पहाड़ियाँ थीं। रास्ते के दोनों ओर से गाडियाँ आ-जा रही थीं। अचानक सामने से एक बड़ा ट्रक आया और उसने हमारी गाड़ी के आगे जो एक गाड़ी थी उसे जोर से धक्का दे दिया। जिस कारण आगे वाली गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। हमारे ड्राइवर ने तुरंत गाड़ी को ब्रेक लगा दिया। हम तुरंत अपनी गाड़ी से बाहर आकर दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी के पास पहुँचे।

ट्रकवाले के पास भी इंसानियत थी। उसने भी बाहर आकर घायल लोगों की सेवा करना अपना धर्म समझा। गाड़ी में दो लोग थे जिनमें से एक को हल्की चोट आई थी परंतु दूसरे के सिर से रक्तस्राव हो रहा था। हमने आव देखा न ताव, उसे अपनी गाड़ी में बिठाकर नज़दीकी अस्पताल लेकर गए। तुरंत किए गए उपचारों के कारण वह स्वस्थ हो गया। उसकी जान बचाकर हमें बहुत खुशी हुई।

(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए।

प्रश्न 1.
अगर अमरनाथ बेहोश न हुए होते तो …………….
उत्तरः
(क) अपनी टाँग को कटने से जरूर बचा लेते।
(ख) ड्राइवर को जरूर बचा लेते।
(ग) ट्रक वाले को भागने नहीं देते।

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प्रश्न 2.
यदि अमरनाथ की टाँग काटी न गई तो ……………
(क) उनके शरीर में जहर फैल जाएगा।
(ख) उनकी मृत्यु हो जाएगी।
(ग) उनके लिए चलना मुश्किल हो जाएगा।
उत्तर:
1. अगर अमरनाथ बेहोश न हुए होते तो ड्राइवर को जरूर बचा लेते।
2. यदि अमरनाथ की टाँग काँटी न गई तो उनके शरीर में जहर फैल जाएगा।

प्रश्न 3.
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
1. ड्राइवर
2. अमरनाथ
उत्तर:
1. दुर्घटना में किसकी मृत्यु हो गई थी?
2. दुर्घटना में कौन बच गए थे?

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों में उचित प्रत्यय लगाकर नए शब्द तैयार कीजिए।

  1. जहर
  2. हिम्मत
  3. परिवार
  4. समझ

उत्तर:

  1. जहर + ईला = जहरीला
  2. हिम्मत + वान = हिम्मतवान
  3. परिवार + इक = पारिवारिक
  4. समझ + दार = समझदार

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।
1. जहर × …………
2. भाग्यशाली × …………..
उत्तर:
1. अमृत
2. दुर्भाग्यशाली

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों में विरामचिह्नों का उचित प्रयोग कीजिए।
1. डॉक्टर ने कहा अमरनाथ जी आप दुर्घटना से बच गए हैं यह एक चमत्कार है
2. कितना भाग्यशाली हूँ मैं आखिर दुर्घटना से बच गया
उत्तरः
1. डॉक्टर ने कहा, “अमरनाथ जी, आप दुर्घटना से बच गए हैं, यह एक चमत्कार है।”
2. ‘कितना भाग्यशाली हूँ मैं! आखिर दुर्घटना से बच गया।’

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘परिस्थिति के सामने हार न मानकर उसे सहर्ष स्वीकार करने में ही जीवन की सार्थकता है।’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
इंसान के जीवन में परिस्थितियाँ आती ही रहती हैं। उसे जीवन में आने वाली प्रत्येक परिस्थिति का सामना करना चाहिए। उनसे डरना नहीं चाहिए। जब व्यक्ति परिस्थितियों को सहर्ष स्वीकार कर लेगा; तब उसका हौंसला दुगुना हो जाएगा और इससे परिस्थितियों से लड़ने की ताकत उसमें अपने आप निर्माण हो जाएगी। यदि व्यक्ति परिस्थितियों के सामने अपनी हार स्वीकार कर लेगा; तो परिस्थितियाँ उस पर हावी हो जाएगी, जिससे इंसान का जीवन नरक-सा बन जाएगा। अत: जीवन को सुंदर एवं जिंदादिल बनाए रखने के लिए व्यक्ति को परिस्थिति के सामने हार न मानकर उसे सहर्ष स्वीकार करना चाहिए। आखिर इसी में जीवन की सार्थकता है।

(ग) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्य गद्यांश के क्रम के अनुसार लिखिए।

  1. घर में कैनवस, रंग, ब्रश और ईजल, सब सामान आ गया था।
  2. अनिल पिता के गले लग गया।
  3. अमरनाथ के लिए एक स्वचालित व्हीलचेयर आ गई थी।
  4. डॉक्टर ने चैन की साँस ली।

उत्तरः

  1. डॉक्टर ने चैन की साँस ली।
  2. अनिल पिता के गले लग गया।
  3. अमरनाथ के लिए एक स्वचालित व्हीलचेयर आ गई थी।
  4. घर में कैनवस, रंग, ब्रश और ईजल, सब सामान आ गया था।

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प्रश्न 2.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
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कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
1. अमरनाथ के लिए उनका जीवन तीन फीट की टाँग से छोटा न था।
2. अमरनाथ के अनुसार जीवन जीने के लिए टाँगों की जरूरत होती है।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य

प्रश्न 2.
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
1. साठ
2. मूर्तिशिल्प
उत्तर:
1. अमरनाथ अपने जीवन के कितने वर्षों तक टाँगों के साथ जिए हैं?
2. मानव आकृतियों के चित्रों में किसका समन्वय था?

प्रश्न 3.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 10 अपराजेय 10

कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
वचन बदलिए।

  1. अस्थियाँ
  2. मूर्ति
  3. रेखा
  4. साँस

उत्तर:

  1. अस्थि
  2. मूर्तियाँ
  3. रेखाएँ
  4. साँसें

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प्रश्न 2.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
1. चुस्ती-फुर्ती
2. रंग-रेखा

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
1. विश्व
2. शरीर
उत्तर:
1. संसार
2. देह, तन

प्रश्न 4.
गद्यांश में प्रयुक्त एक उपसर्ग युक्त शब्द व एक प्रत्यय युक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
1. उपसर्गयुक्त शब्दः परिदृश्य – ‘परि’ उपसर्ग
2. प्रत्यय युक्त शब्दः जीवंतता – ‘ता’ प्रत्यय

प्रश्न 5.
‘राहत मिलना।’ इस अर्थ के लिए गद्यांश में प्रयुक्त मुहावरा लिखिए।
उत्तरः
चैन की साँस लेना।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों के शुद्ध रूप लिखिए।
1. व्हीलचेअर
2. रेगिस्थान
उत्तर:
1. व्हीलचेयर
2. रेगिस्तान

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘कला की साधना जीवन के दुखमय क्षणों को भुला देती है।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
कला मनुष्य जीवन का आधार है। व्यक्ति को जिस कला में रूचि होती है; उस कला में व्यस्त हो जाना उसे अच्छा लगता है। व्यक्ति अपनी कला की साधना के लिए अपने जीवन के दुखमय क्षणों को भूल जाता है। अपनी सारी यातना एवं पीड़ा सब कुछ भूल जाता है। यहाँ तक कि उसे खाने-पीने का भी होश नहीं रहता। कब उठना है या कब सोना है, इसके बारे में भी उसे पता नहीं रहता।

वह सिर्फ अपनी कला के बारे में ही सोचता रहता है। अपनी मनचाही कला में निपुण होने के लिए वह दिन रात एक कर देता है। उसके जीवन का सिर्फ एक ही लक्ष्य बन जाता है। वह है कला की साधना। इसके आगे उसे किसी से भी किसी भी प्रकार का सरोकार नहीं रहता। सिर्फ जीवन जीने के लिए कला और उसका आनंद लेना यही उसके जीवन का ध्येय हो जाता है।

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(घ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
1. बगीचा
2. क्यारियों
उत्तर:
1. घर के सामने की जमीन में क्या बनाया था?
2. रंग-बिरंगे मौसम के फूल किसमें लगाए थे?

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
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कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
लिंग बदलिए।
1. माली
2. घर
उत्तरः
1. मालिन
2. घर

प्रश्न 2.
परिच्छेद से विलोम शब्द की जोड़ी ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
भीतर × बाहर

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(ङ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
डॉक्टर परेशान हो गया।
उत्तरः
डॉक्टर ने खून की जाँच फिर से करवाई तो उसे पता चला कि अमरनाथ जी के शरीर में बीमारी दुबारा फैल रही है। इसलिए वह परेशान हो गया।

प्रश्न 2.
घर के लोग सन्न हो गए।
उत्तर:
अमरनाथ जी के शरीर में जहर फैल जाने के कारण उनकी बाँह काटनी पड़ेगी ऐसा डॉक्टर के कहने पर घर के लोग सन्न हो गए।

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
1. अमरनाथ के बाईं बाँह में खून की गर्दिश बंद हो गई थी।
2. अमरनाथ के लिए खुले कमीज सिलवाए गए।
उत्तर:
1. असत्य
2. सत्य

प्रश्न 2.
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
1. शास्त्री जी
2. काठ-सी
उत्तर:
1. अमरनाथ जी किससे शास्त्रीय संगीत सीखना चाहते थे?
2. बाँह निर्जीव होकर कैसी हो गई थी?

कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
1. सात दिनों का समूह
2. ऐसा संगीत जो भाव व रागों का खूबसूरत सरगम हो
उत्तर:
1. सप्ताह
2. शास्त्रीय संगीत

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
1. बचपन
2. नर्स
उत्तर:
1. बाल्यकाल
2. परिचारिका

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्य सूचना के आधार पर परिवर्तित कीजिए।
1. खून की जाँच की रिपोर्ट आई तो वह परेशान हो गया।
2. दाईं बाँह में खून की गर्दिश बंद हो जाने पर उसे हिलाना भी मुश्किल हो गया। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
1. खून की जाँच की रिपोर्ट आने पर वह परेशान हो गया।
2. जैसे ही दाईं बाँह में खून की गर्दिश बंद हो गई; वैसे ही उसे हिलाना भी मुश्किल हो गया।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित रेखांकित शब्दों के भेद लिखिए।
1. बीमारी फिर से पसर रही है।
2. उनकी दाईं बाँह काट दी गई थी।
उत्तर:
1. अकर्मक क्रिया
2. गुणवाचक विशेषण

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘प्रतिकूल परिस्थितियों में भी जिंदादिल रहने वाले कभी दुखी नहीं होते।’ कथन के संदर्भ में अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
“जिंदगी जिंदादिली का नाम है। मुर्दादिल क्या खाक जिया करते है?” ऐसा ही कहा गया है। यह सत प्रतिशत सच है। चार दिन की जिंदगी होती है। इस छोटी-सी जिंदगी में इंसान को हर पल खुश रहना चाहिए। परिस्थिति अनुकूल हो या प्रतिकूल उसे हमेशा प्रसन्न रहना चाहिए। जो व्यक्ति इस तथ्य को जान लेता है; वह अपने जीवन में कभी-भी दुखी नहीं होता। वह प्रतिकूल परिस्थिति में भी अपना दैनिक जीवन सुचारू रूप से शुरू रखता है। उसे खंडित नहीं होने देता। वह अपने मनचाहे कार्य एवं शौक में मशगुल हो जाता है। यदि वह किसी कला का उपासक है तो वह अपना समय उसकी साधना में लगा देता है। अपने सारे दुख-दर्द एवं प्रतिकूल परिस्थितियों को भूलकर वह अपने जीवन में हमेशा प्रसन्न रहता है।

(च) परिच्छेद पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए।

प्रश्न 1.
घर के लोग दुख से व्याकुल हो गए थे, क्योंकि ……….
(क) अमरनाथ फिर से बीमार पड़े थे और फिर से तेज बुखार आ गया था।
(ख) अमरनाथ अब कोई नई कला सीखना चाहते थे।
(ग) अमरनाथ दुख एवं दर्द के कारण व्यथित हो गए थे।
उत्तर:
घर के लोग दुख से व्याकुल हो गए थे क्योंकि अमरनाथ फिर से बीमार पड़े थे और फिर से तेज बुखार आ गया था।

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प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
गद्यांश से विलोम शब्द की जोड़ी ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
लौकिक × अलौकिक

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखिए।
1. रियाज
2. आँख
उत्तर:
1. अभ्यास
2. नयन

प्रश्न 3.
गद्यांश में से कोई भी दो ऐसे शब्द ढूँढ़कर लिखिए कि जो बहुवचन में प्रयुक्त हुए हों।
उत्तरः
1. रेखाएँ
2. लहरियाँ

प्रश्न 4.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
1. आत्मा से संबंधित
2. सांसारिक पदार्थों एवं वस्तुओं से संबंधित
उत्तर:
1. आत्मिक
2. भौतिक

प्रश्न 5.
गद्यांश में से ‘इक’ प्रत्यय वाले शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:

  1. लौकिक
  2. अलौकिक
  3. भौतिक
  4. आत्मिक

प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके फिर से लिखिए।
1. वे अस्पताल ले जाया गए।
2. उनकी आँख हँस रही थी।
उत्तर:
1. उन्हें अस्पताल ले जाया गया।
2. उनकी आँखें हँस रही थीं।

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कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘शास्त्रीय संगीत इंसान के जीवन में आनंद की अनुभूति कराने में प्रभावी साधन होता है।’ इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
शास्त्रीय संगीत भावों और रागों का खूबसूरत सरगम होता है। कहा जाता है कि ध्वनि ही ईश्वर का दूसरा रूप है और इसी ध्वनि से शास्त्रीय संगीत का जन्म हुआ है। मानव शरीर और मन को शास्त्रीय संगीत प्रभावित करता है। शास्त्रीय संगीत सुनते समय अगर आप अपने भीतर-ही-भीतर एक खास अवस्था में पहुँच जाए तो पूरा जगत आपके लिए ध्वनि हो जाता है। शास्त्रीय संगीत एक प्रकार की आध्यात्मिक प्रक्रिया है और आध्यात्मिक प्रक्रिया से मनुष्य को आनंद एवं सुख की प्राप्ति होती है। इसीलिए शास्त्रीय संगीत इंसान के जीवन में आनंद की अनुभूति कराने में प्रभावी साधन होता है।

(छ) परिच्छेद पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
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प्रश्न 2.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
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कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
उपर्युक्त गद्यांश पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
1. कालिगुला
2. कजरी
उत्तर:
1. गद्यांश में कौन से नाटक का जिक्र किया गया है?
2. अमरनाथ आँखें बंद करके किसकी तान सुनते थे?

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प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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कृति (3): शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
उत्तरः
जीवन – पानी, जिंदगी

प्रश्न 2.
गद्यांश में से उपसर्गयुक्त व प्रत्यययुक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए और उनके उपसर्ग व प्रत्यय भी अलग करके लिखिए।
उत्तरः

शब्द उपसर्ग प्रत्यय
अनुकूलता ता
आत्महीनता ता
अद्वितीय
अपराजेय

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।

  1. जिसे संगीत की जानकारी हो:
  2. जिसकी कभी पराजय नहीं होती:
  3. जिसके समान अन्य कोई न हो:

उत्तरः

  1. संगीतज्ञ
  2. अपराजेय
  3. अद्वितीय

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के शुद्ध रूप लिखिए।
1. कॅसेट
2. अन्तिम
उत्तरः
1. कैसेट
2. अंतिम

कृति (4): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘जीवन का विकास पुरुषार्थ में हैं, आत्महीनता में नहीं।’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
पुरुषार्थ का तात्पर्य मनुष्य के लक्ष्य या उद्देश्य को प्राप्त करने से है और आत्महीनता का तात्पर्य मनुष्य की मानसिक कमज़ोरी से है। यदि मनुष्य अपने जीवन में अपना विकास करना चाहता है तो उसे अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होना पड़ेगा। उसे अपने मन में आने वाले विकार एवं मानसिक दुर्बल भावों को दूर भगाना होगा।

भले ही जीवन में कितनी भी बड़ी संकट की स्थिति निर्माण हो जाए फिर भी मनुष्य को अपनी आत्मिक शक्ति को नहीं खोना चाहिए। उसकी आत्मिक शक्तियाँ इतनी सशक्त होनी चाहिए कि वह जीवन में निर्माण होने वाली स्थितियों का सामना कर सके। यदि व्यक्ति के मन में दृढ़ संकल्प एवं दैदीप्यमान इच्छाशक्ति है, तो वह असंभव को भी संभव बना सकता है। इससे व्यक्ति का विकास होता है। इसीलिए कहा गया है कि जीवन का विकास पुरुषार्थ में हैं, आत्महीनता में नहीं।

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भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ।

भाषा बिंदू

प्रश्न 1.
काल परिवर्तन कीजिए।

  1. आसपास कई जगह फोन किया। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
  2. सुबह पाँच बजे फोन आया था। (सामान्य भविष्यकाल)
  3. शास्त्री जी आ गए थे। (सामान्य भविष्यकाल)
  4. दिन में शास्त्री जी आते थे। (सामान्य वर्तमानकाल)
  5. मैं जीवन का व्याकरण बना रहा हूँ। (पूर्ण भूतकाल)
  6. उन्होंने सामने की जमीन में बगीचा बनाया था। (सामान्य वर्तमानकाल)

उत्तर:

  1. आसपास कई जगह फोन कर रहे हैं।
  2. सुबह पाँच बजे फोन आएगा।
  3. शास्त्री जी आएँगे।
  4. दिन में शास्त्री जी आते हैं।
  5. मैंने जीवन का व्याकरण बनाया था।
  6. वे सामने की जमीन में बगीचा बनवाते हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित रेखांकित विकारी शब्दों के भेद पहचानिए।
1. दुर्घटनास्थल पर भयावह दृश्य था।
2. रात के एक बजे हम पुलिस स्टेशन पहुंचे।
उत्तर:
1. गुणवाचक विशेषण
2. उत्तम पुरूषवाचक सर्वनाम

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों में से रेखांकित अव्ययों के भेद पहचानिए।
1. मुझे अभी मरना ही नहीं था।
2. अनिल ने डॉक्टर की तरफ देखकर कहा था।
उत्तर:
1. क्रियाविशेषण अव्यय
2. संबंधसूचक अव्यय

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्यों के रचना की दृष्टि से प्रकार पहचनाकर लिखिए।
1. आपकी टाँग काटनी पड़ेगी।
2. अगर मैं उस वक्त बेहोश न हुआ होता तो उसे बचा लेता कभी भी मरने न देता।
उत्तर:
1. साधारण वाक्य
2. मिश्र वाक्य

प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों के अर्थ की दृष्टि से प्रकार पहचानकर लिखिए।

  1. इसमें ऐसा क्या है?
  2. चित्र निकालने की मुझे फुरसत ही नहीं मिली।
  3. आपको अस्पताल में जाना ही पड़ेगा।
  4. ‘अब क्या होगा डॉक्टर?’

उत्तर:

  1. प्रश्नार्थक वाक्य
  2. निषेधार्थक वाक्य
  3. आज्ञार्थक वाक्य
  4. प्रश्नार्थक वाक्य

प्रश्न 6.
निम्नलिखित अव्यय शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए।

  1. साथ
  2. और
  3. तो
  4. के बिना

उत्तर:

  1. मैं राम के साथ घूमने जाऊँगा।
  2. राधा और मीना बाज़ार जा रही हैं।
  3. तुम मेरे साथ चलो नहीं तो मैं अकेला नहीं जाऊँगा।
  4. ईश्वर के बिना जीवन की कल्पना करना व्यर्थ है।

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संभाषणीय:

प्रश्न 1.
विद्यालय में आते समय आपको रास्ते में दुर्घटनाग्रस्त महिला दिखी। आपने उसकी सहायता की। इस घटना का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  1. अध्यापक – विजय, आज स्कूल आने में तुम्हें देर हो गई। क्या कारण है?
  2. विजय – जी हाँ, अध्यापक महोदय। मैं जब स्कूल आ रहा था तब गांधी रोड हाइवे पर एक दुर्घटना हुई। एक महिला दुर्घटना में घायल हो गई।
  3. अध्यापक – क्या कह रहे हो तुम? दुर्घटना हुई! महिला कैसे घायल हुई?
  4. विजय – हमारी गाड़ी महिला की गाड़ी से बिल्कुल पीछे थी। सामने से एक बड़ा ट्रक आ गया और वह महिला की गाड़ी से टकरा गया। जिस कारण महिला घायल हो गई। मैंने अपने माता-पिता के साथ मिलकर उस महिला को गाड़ी से बाहर निकाला और उसे तुरंत अस्पताल की ओर लेकर चले गए। ट्रक वाले ने अपनी गलती स्वीकार कर ली। वह भी हमारे साथ अस्पताल पहुंचा।
  5. अध्यापक – पर तुमने अब तक यह नहीं बताया कि अब उस महिला की हालत कैसी है और उसे कहाँ चोट आई?
  6. विजय – महिला के दाहिने हाथ को चोट आई है। डॉक्टर ने उसके घावों पर मरहम पट्टी लगा दी। उसके बाद हमने उस महिला से उसके घर वालों का फोन नंबर लेकर उन्हें सूचित भी कर दिया। उसके घर वाले अब उसके पास अस्पताल में हैं। परिस्थिति अनुकूल होने के पश्चात ही हम वहाँ से निकले और मेरे माता-पिता मुझे सीधे स्कूल लेकर आए। इसी कारण मुझे स्कूल आने में लगभग एक घंटे की देरी हो गई है।
  7. अध्यापक – विजय तुमने बहुत ही बड़ा मानवता का कार्य किया है। इसके लिए मैं तुम्हें धन्यवाद देता हूँ।

अपराजेय Summary in Hindi

लेखिका-परिचय:

जीवन-परिचय: लेखिका कमल कुमार आधुनिक युग की प्रमुख कहानीकार हैं। इनका जन्म हरियाणा के अंबाला जिले में हुआ था। उपन्यास के क्षेत्र में इन्होंने अपना अमूल्य योगदान दिया है। इन्होंने व्यक्ति के जीवन अनुभवों को अपनी कहानी के द्वारा अभिव्यक्त करने का कार्य किया है। इन्होंने आसक्ति, आशा, आस्था एवं जीवन के स्पंदन को अपनी कहानियों के द्वारा चित्रित किया है।

प्रमुख कृतियाँ: कहानी संग्रह – ‘पहचान’, ‘क्रमशः’, ‘फिर से शुरू’ आदि उपन्यास – ‘अपार्थ’, ‘आवर्तन’, ‘हैमबरगर’, ‘पासवर्ड’ आदि।

गद्य-परिचय:

वर्णनात्मक कहानी: वर्णनात्मक कहानी हिंदी साहित्य विधा का एक प्रमुख अंग है। जीवन की किसी घटना का रोचक़, सुंदर एवं प्रवाही वर्णन ही ‘वर्णनात्मक कहानी’ कहलाता है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत कहानी के माध्यम से लेखिका कहना चाहती हैं कि व्यक्ति को अपने जीवन में प्रत्येक परिस्थितियों का सामना करने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए क्योंकि परिस्थितियाँ निमंत्रण देकर नहीं आती हैं। वे कभी-भी व्यक्ति के जीवन में निर्माण हो सकती हैं। व्यक्ति को सिर्फ उनसे लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए।

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सारांश:

अमरनाथ कहानी के प्रमुख पात्र हैं। वे दूसरे शहर में कुछ काम के सिलसिले में गए थे। वहाँ से लौटते समय अलवर के रास्ते में उनकी गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है। जिस कारण उनके ड्राइवर की मृत्यु हो जाती है। चार घंटे तक वे बेहोशी के हालत में दुर्घटनास्थल पर घायल होकर पड़े रहते है। इस कारण उनके शरीर में जहर फैल जाता है और डॉक्टर को उनकी एक टाँग काटनी पड़ती है। वे सहर्ष अपनी टाँग कटवाने के लिए तैयार हो जाते हैं। टाँग कट जाने का उन्हें तनिक भी दुख नहीं होता है। इसके बाद वह स्वचालित व्हीलचेयर पर विराजमान हो जाते हैं और अपनी चित्रकारी को पूरा कराने के लिए कैनवस रंग, ब्रश और ईजल मँगवाते हैं। कुछ दिनों के पश्चात डॉक्टर फिर से उनके खून की जाँच करते हैं।

तब उन्हें पता चलता है कि बीमारी फिर से फैल रही है। जिस कारण उनकी दाईं बाँह डॉक्टर को काटनी पड़ती है। फिर भी अमरनाथ प्रसन्न रहते हैं। उन्हें अपनी बाँह कटने का रत्ती भर भी दुख नहीं होता है। अस्पताल से घर आने के पश्चात वह शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू कर देते हैं। वे दिन-रात संगीत साधना में व्यस्त रहते हैं। वे स्वयं दिव्यांग हैं; इस बात को भी वे भूल जाते हैं। फिर से डॉक्टर उनके खून की जाँच करते हैं। अबकी बार उनकी आवाज चली जाती है। फिर भी अमरनाथ परिस्थितियों से हार मानने वाले नहीं थे।

अस्पताल से घर आकर संगीतज्ञों की कैसेट डिस्क म्यूजिक सिस्टम उनके कमरे में साइन बोर्ड पर रख दिया जाता है। संगीत सुनना पक्षियों का कलरव सुनना, सूखे पत्ते व कलियों की आवाज सुनने का उनका शौक बढ़ता ही जाता है। वे जानते हैं कि ईश्वर उनके एक-एक अंग को उनसे अलग कर रहा है। फिर भी वे टससे-मस नहीं होते हैं। वे ईश्वर के विरुद्ध शांत संघर्ष करते हैं। वे हार मानने वालों में से नहीं हैं। वे हमेशा अपराजेय ही रहेंगे। जीवन के हर पल, हर स्थिति एवं हर वस्तु में अद्वितीय ही रहेंगे। आखिर वे मानते हैं कि मनुष्य के जीवन का विकास पुरूषार्थ में हैं, आत्महीनता में नहीं।

शब्दार्थ:

  1. अकुलाहट – व्याकुलता, बेचैनी
  2. घुमक्कड़ी – घूमने की क्रिया
  3. परिदृश्य – चारों ओर के दृश्य
  4. उजास – प्रकाश, उजाला
  5. दुर्घटना – हादसा
  6. रक्तस्राव – रक्त का शरीर से बहना।
  7. स्वचालित – स्वयं चलने वाली
  8. अलवैर काम् – एक पाश्चात्य नाटककार
  9. अद्वितीय – जिसके समान कोई न हो।
  10. अपराजेय – जिसकी कभी पराजय न हो।