Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest परिशिष पारिभाषिक शब्दावली Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

1. पदनाम, प्रशासनिक एवं कार्यालय में प्रयुक्त शब्द

  • Ambassador = राजदूत
  • Honororium = मानदेय
  • Announcer = उद्घोषक
  • Internal = आंतरिक
  • Attesting Officer = साक्ंतकि अतधकारी
  • Invalid = अवैध Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली
  • Census Officer = जनगणना अधिकारी
  • Joining Date = कार्यग्रहण तिथि
  • Circle Inspector = अंचल निरीक्षक
  • Medical Benefit = चिकिस्ता सुविध
  • Custodian = अभिरक्षक
  • Registration = पंजीकरण
  • Interpreter = दुभाषिया
  • Suspension = निलंबन
  • Judge = न्यायाधीश
  • Temporary = अस्थायी
  • Justice = न्याय, न्यायमूर्ति
  • Warning = चेतावनी
  • Liaison Officer = संपर्क अधिकारी
  • Casual Leave = आकस्मिक छुट्टी/अवकाश
  • Verification Officer = सत्यापन अधिकारी
  • Earned Leave = अर्जित छुट्टी/अवकाश
  • Adjournment = स्थगन
  • Bye-Law = उपविधि
  • Advance = अग्रिम
  • Invoice = बीजक Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली
  • Commissioner = आयुक्त
  • Minutes = कार्यवृत्त
  • Agenda = कार्यसूची
  • Ordinance = अध्यादेश
  • Amendment = संशोधन
  • Procedure = कार्यविधि
  • Audit Objections = लेखापरीक्षा आपत्तियाँ
  • Public Accounts Committee = लोक लेखा समिति
  • Authentic = अधिप्रमाणित
  • Admiral = नौसेनाध्यक्ष
  • Autonomous = स्वायत्त

2. बैंक एवं वाणिज्य क्षेत्र से संबंधित शब्द

  • Bond = बंधपत्र
  • Accurued Interest = उपार्जित ब्याज
  • Charge Sheet = आरोपपत्र
  • Acknowledgement = पावती
  • Compensation = मुआवजा
  • Apex Bank = शिखर बैंक
  • Deduction = कटौती
  • Balance = शेष राशि Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली
  • Diciplinary Action = अनुशासनिक कार्रवाई
  • Bank Statement = बैंक विवरण
  • Eligibility = पात्रता
  • Commission = आढ़त
  • Enrolment = नामांकन
  • Dead Account = निष्क्रिय खाता
  • Exemption = छूट
  • Fixed Deposit = सावधि जमा
  • Expert = विशेषज्ञ
  • Payment = भुगतान, अदायगी
  • Gazetted = राजपत्रित
  • Pay Order = अदायगी आदेश
  • Reinvestment = पुनर्निवेश
  • Indemnity = नामित व्यक्ति
  • Surrender = आत्मसमर्पण
  • Dismiss = पदच्युत
  • Action = कार्यवाही
  • Paid Up = चुकता
  • Assured = बीमित
  • Arrears = बकाया
  • Balance Sheet = तुलना पत्र
  • Record = अभिलेख Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली
  • Balance of Payment = शेष भुगतान
  • Demurrage = विलंब शुल्क
  • Transaction = लेन-देन

3. वैज्ञानिक शब्दावली

  • Speed = गति
  • Friction = घर्षण
  • Antibiotics = प्रतिजैविक पदार्थ
  • Meteorology = मौसम विज्ञान
  • Antiseptics = रोगानुरोधक
  • Optic Fibre = प्रकाशीय तंतु

4. कंप्यूटर (संगणक) विषयक

  • Output = निकास
  • Graphic Table = आरेखन तालिका
  • Integrated Circuit = एकीकृत परिपथ
  • Auxilliary Memory = सहायक स्मृति

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ सुनु रे सखिया और कजरी

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest परिशिष भावार्थ : सुनु रे सखिया और कजरी Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Hindi परिशिष भावार्थ : सुनु रे सखिया और कजरी

भावार्थ : पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्रमांक ६५–६६ : कविता – सुनु रे सखिया और कजरी

सुनु रे सखिया

इसमें नायिका अपनी सखियों से कह रही है कि सुन सखी, बसंत ऋतु आ गई है, सब तरफ फूल महकने लगे हैं। बसंत ऋतु के आने से सरसों फूल गई है, अलसी अलसाने लगी, पूरी धरती हरियाली की चादर ओढ़ खिल उठी है। कली–कली फूल बनके मुस्कुराने लगी है।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ सुनु रे सखिया और कजरी

इस ऋतु के आने से खेत, जंगल सब हरे–भरे हो गए हैं, जिसकी वजह से तन–मन भी हुलसने लगे हैं। इंद्रधनुष के रंगों की तरह रंग–बिरंगे फूल खिल उठे हैं। कजरारी आँखों में सपने मुस्कुराने लगे हैं और गले से मीठे गीत फूटने लगे हैं। बगिया के साथ यौवन भी अंगड़ाइयाँ लेने लगा है।

मधुर–मस्त बयार प्यार बरसाकर तार–तार रँगने लगी है। हर एक का मन गुलाब की तरह खिल रहा है। बाग–बगीचे हरे–भरे हो गए, कलियाँ खिलने लगीं, भौरे आस–पास मँडराने लगे। गौरैया भी माथे पर फूल सजा इतराने लगी है।

किंतु हे सखी, पिया के पास न होने से ये सब बबूल के काँटों की तरह चुभ रहे हैं। आँख में काजल धुल रहा है। आँसुओं की झड़ी लगी है पर बसंत फिर भी आ गया है फूलों की महक लेकर।

कजरी

मनभावन सावन आ गया। बादल घिर–घिर आने लगे। बादल गरजते हैं; बिजली चमकती है और पुरवाई चल रही है। रिमझिम–रिमझिम मेघ बरसकर धरती को नहला रहे हैं। दादुर, मोर, पपीहा बोलकर मेरे हृदय को प्रफुल्लित कर रहे हैं।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ सुनु रे सखिया और कजरी

जगमग–जगमग जुगनू इधर–उधर डोलकर सबका मन लुभा रहे हैं। लता–बेल सब फलने–फूलने लगे हैं। डाल–डाल महक उठी है। सावन आ गया है।

सभी सरोवर और सरिताएँ भरकर उमड़ पड़ी हैं। हमारा हृदय सरस गया है। लोक कवि कहता है– ‘हे प्रिय ! शीघ्र चलो, श्याम की बंसी बज रही है।’

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ गुरुबानी वृंद के दोहे

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest परिशिष भावार्थ : गुरुबानी, वृंद के दोहे Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Hindi परिशिष भावार्थ : गुरुबानी, वृंद के दोहे

भावार्थ : पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्रमांक २३, २४ : कविता – गुरुबानी – गुरु नानक

जो लोग गुरु से लापरवाही बरतते हैं और अपने–आपको ही ज्ञानी समझते हैं; वे व्यर्थ ही उगने वाले तिल की झाड़ियों के समान हैं। दुनिया के लोग उनसे किनारा कर लेते हैं। इधर से वे फलते–फूलते दिखाई देते हैं पर उनके भीतर झाँककर देखो तो गंदगी और मैल के सिवा कुछ दिखाई नहीं देगा।। १।।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ : गुरुबानी, वृंद के दोहे

मोह को जलाकर उसे घिसकर स्याही बनाओ। बुद्धि को श्रेष्ठ कागज समझो ! प्रेमभाव की कलम बनाओ। चित्त को लेखक और गुरु से पूछकर लिखो– नाम की स्तुति। और यह भी लिखो कि उस प्रभु का न कोई अंत है और न कोई सीमा।। २।।

हे मन ! तू दिन–रात भगवान के गुणों का स्मरण कर जिन्हें एक क्षण के लिए भी नहीं भूलता। संसार में ऐसे लोग विरले ही होते हैं। अपना ध्यान उसी में लगाओ और उसकी ज्योति से तुम भी प्रकाशित हो जाओ। जब तक तुझमें अहंभाव या ‘मैं, मेरा, मेरी’ की भावना रहेगी तब तक तुझे प्रभु के दर्शन नहीं हो सकते। जिसने हृदय से भगवान के नाम की माला पहन ली है; उसे ही प्रभु के दर्शन होते हैं।। ३।।

हे प्रभो ! अपनी शक्ति के सब रहस्यों को केवल तुम्हीं जानते हो। उनकी व्याख्या कोई दूसरा कैसे कर सकता है? तुम प्रकट रूप भी हो, अप्रकट रूप भी हो। तुम्हारे अनेक रंग हैं। अनगिनत भक्त, सिद्ध, गुरु और शिष्य तुम्हें ढूँढ़ते–फिरते हैं। हे प्रभु ! जिन्होंने तेरा नामस्मरण किया, उनको प्रसाद में (भिक्षा में) तुम्हारे दर्शन की प्राप्ति हुई है। तुम्हारे इस संसार के खेल को केवल कोई गुरुमुख ही समझ सकता है। तुम्हारे इस संसार में तुम्ही युग–युग में विद्यमान रहते हो।। ४।।

हे पंडित ! संसार में दिन–रात महान आरती हो रही है। आकाश रूपी थाल में सूर्य और चाँद दीपक और हजारों तारे–सितारे मोती बनकर जगमगा रहे हैं। मलय की खुशबूदार हवा का धूप महक रहा है। वायु चँवर से हवा कर रही है। जंगल के सभी वृक्ष फूल चढ़ा रहे हैं। हृदय में अनहद नाद का ढोल बज रहा है। हे मनुष्य ! इस महान आरती के होते हुए तेरी आरती की क्या आवश्यकता है, क्या महत्त्व है ? अर्थात भगवान की असली आरती तो मन से उतारी जाती है और श्रद्धा ही भक्त की सबसे बड़ी भेंट है। फिर आप लोग थालियों में ये थोड़े–थोड़े फल–फूल लेकर मूर्ति पर क्यों चढ़ाते हो? क्या उसके पास थालियों की कमी है? अरे ! आकाश ही उसका नीलम थाल है ! सूर्य और चंद्रमा की ओर देखो। वे भगवान की आरती में रखे हुए दीपक हैं। ये तारे ही उसके मोती हैं और हवा उसे दिन–रात चँवर झुला रही है।। ५।।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ : गुरुबानी, वृंद के दोहे

भावार्थ : पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्रमांक २७, २८ : कविता – वृंद के दोहे

माँ सरस्वती के ज्ञान भंडार की बात बड़ी ही अनूठी और अपूर्व है। यह ज्ञान भंडार जितना खर्च किया जाए, उतना बढ़ता जाता है और खर्च न करने पर वह घटता जाता है अर्थात ज्ञान देने से बढ़ता है और अपने पास रखने पर नष्ट हो जाता है ॥१॥

आँखें ही मन की सारी अच्छी–बुरी बातों को व्यक्त कर देती हैं… जैसे स्वच्छ आईना अच्छे–बुरे को बता देता है।।२।।

अपनी पहुँच, क्षमता को पहचानकर ही कोई भी कार्य कीजिए। जैसे– हमें उतने ही पाँव फैलाने चाहिए जितनी हमारी चादर हो।।३।।

यदि आप व्यापार करते हैं तो व्यापार में छल–कपट का सहारा न लें। छल–कपट से किया गया व्यवहार ग्राहक को आपसे दूर ले जाता है। जैसे– लकड़ी (काठ) की हाँडी आग पर एक ही बार चढ़ती है, बार–बार नहीं क्योंकि लकड़ी पहली बार में ही जल जाती है।।४।।

ऊँचे स्थान पर बैठने से बिना गुणोंवाला कोई भी व्यक्ति बड़ा नहीं बन जाता। ठीक वैसे ही जैसे मंदिर के शिखर पर बैठने से कौआ गरूड़ नहीं बन जाता।।५।।

दूसरे के भरोसे अपना कार्य अथवा व्यवसाय छोड़ देना उचित नहीं है। जैसे– पानी से भरे बादलों को देखकर पानी से भरा अपना घड़ा फोड़ देना बुद्धिमानी नहीं है।।६।।

दुष्ट अथवा छोटे व्यक्ति की संगति में रहना अथवा कुछ कहकर उसे छेड़ना श्रेयस्कर नहीं है। जैसे– कीचड़ में पत्थर फेंकने से वह कीचड़ हमपर ही उछलकर हमें गंदा कर देता है।।७।।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ : गुरुबानी, वृंद के दोहे

जो ऊँचाई पर, उच्च पद पर पहुँचता है, उसका नीचे उतर आना भी उतना ही स्वाभाविक है। जैसे– दोपहर के समय तपा हुआ दग्ध सूर्य शाम के समय अस्त हो जाता है, डूब जाता है।।८।।

जिसके पास गुण होते हैं, उसी के अनुसार उसे आदर प्राप्त होता है। जैसे– मधुर वाणी के कारण कोयल को आम प्राप्त होते हैं और कर्कश ध्वनि के कारण कौए को निबौरी (नीम का फल) प्राप्त होती है।।९।।

अविवेक के साथ किया गया कार्य स्वयं के लिए हानिकर सिद्ध होता है। जैसे– कोई मूर्ख अपनी अविवेकता से कार्य कर अपने पाँव पर अपने हाथ से कुल्हाड़ी मार बैठता है।।१०।।

पालने में बच्चे के लक्षण देखकर ही उसके अच्छे–बुरे होने का पता चल जाता है। जैसे– उत्तम बीज के पौधों के पत्ते चिकने अर्थात स्वस्थ पाए जाते हैं।।११।।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष मुहावरे

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest परिशिष मुहावरे Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Hindi परिशिष मुहावरे

मुहावरा वह वाक्यांश जो सामान्य अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ में प्रयुक्त होता है; मुहावरे में उसके लाक्षणिक और व्यंजनात्मक अर्थ को ही स्वीकार किया जाता है। वाक्य में प्रयुक्त किए जाने पर ही मुहावरा सार्थक प्रतीत होता है।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष मुहावरे

  • अपना उल्लू सीधा करना – अपना स्वार्थ सिद्ध करना।
  • दिन दूना रात चौगुना बढ़ना – दिन–प्रतिदिन अधिक उन्नति करना।
  • अक्ल पर पत्थर पड़ना – बुद्धि काम न करना।
  • आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना।
  • आँखें बिछाना – अति उत्साह से स्वागत करना।
  • कान में कौड़ी डालना – गुलाम बनाना।
  • कंगाली में आटा गीला होना – विपत्ति में और अधिक विपत्ति आना।
  • कुएँ में बाँस डालना – जगह–जगह खोज करना।
  • गुड़ गोबर करना – बने काम को बिगाड़ देना।
  • गड़े मुर्दे उखाड़ना – पुरानी कटु बातों को याद करना।
  • कटे पर नमक छिड़कना – दुखी को और दुखी बनाना।
  • एक और एक ग्यारह – एकता में शक्ति होना
  • घर फूंक तमाशा देखना – अपनी ही हानि करके प्रसन्न होना।
  • घाट-घाट का पानी पिया होना – हर प्रकार के अनुभव से परिपूर्ण होना।
  • चाँदी काटना – बहुत लाभ कमाना। Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष मुहावरे
  • जहर का चूंट पीना – अपमान को चुपचाप सह लेना।
  • जी-जान से काम करना – पूरी क्षमता के साथ काम करना।
  • तिल का ताड़ बनाना – छोटी बात को बढ़ा–चढ़ाकर कहना।
  • पत्थर की लकीर होना – पक्की बात।
  • पेट में दाढ़ी होना – छोटी आयु में बुद्धिमान होना।
  • फूंक-फूंककर पाँव रखना – अति सावधानी बरतना।
  • मुट्ठी गर्म करना – रिश्वत देना।
  • रंग में भंग होना – प्रसन्नता के वातावरण में विघ्न पड़ना।
  • शक्ल पर बारह बजना – बड़ा उदास रहना।
  • सितारा चमकना – भाग्योदय होना
  • आठ-आठ आँसू रोना – बहुत अधिक रोना।
  • आँखें चार होना – प्रेम होना।
  • अगर-मगर करना – टाल–मटोल करना।
  • अपना ही राग अलापना – अपनी ही बातें करते रहना।
  • आसमान पर थूकना – अशोभनीय कार्य करना।
  • उल्टी गंगा बहाना – उल्टा काम करना।
  • उगल देना – भेद बता देना।
  • ओखली में सिर देना – जान–बूझकर जोखिम उठाना।
  • एक लाठी से हाँकना – सबके साथ समान व्यवहार करना।
  • चार चाँद लगाना – शोभा बढ़ाना।
  • पापड़ बेलना – कड़ी मेहनत करना।
  • कान भरना – चुगली करना। Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष मुहावरे
  • कोल्हू का बैल – लगातार काम में लगे रहने वाला। बहुत परिश्रम करने वाला।
  • कब्र में पैर लटकना – मरने के समीप होना।
  • कागजी घोड़े दौड़ाना – लिखा–पढ़ी करना।
  • कौड़ी-कौड़ी का मोहताज – अत्यंत निर्धन होना।
  • खाला का घर – आसान काम।
  • खाल मोटी होना – बेशर्म होना।
  • गिरगिट की तरह रंग बदलना – अवसरवादी होना।
  • घोड़े बेचकर सोना – गहरी नींद सोना।
  • हाथ खींचना – निश्चिंत होकर सोना।
  • चोली-दामन का साथ होना – साथ न देना।
  • चोर की दाढ़ी में तिनका – घनिष्ठ संबंध होना।
  • जली-कटी सुनाना – अपराधी का भयभीत और सशंकित रहना।
  • डकार तक न लेना – कटु–चुभती बातें करना।
  • डूबती नाव पार लगाना – सब कुछ हजम कर लेना।
  • तलवे चाटना – कष्टों से छुटकारा देना।
  • दाल न गलना – खुशामद करना।
  • पेट काटना – काम न बनना।
  • पाँचों उँगलियाँ घी में होना – चतुराई काम न आना।
  • पोंगा होना – भूखा रहना। Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष मुहावरे
  • बात का धनी – चहुँ तरफ लाभ होना।
  • मरने की फुरसत न होना – नासमझ होना।
  • मूंछ उखाड़ना – वचन का पक्का कामों में बहुत व्यस्त होना।
  • रोटियाँ तोड़ना – घमंड चूर-चूर कर देना।
  • वीरगति को प्राप्त होना-मुफ्त में खाना।
  • स्वांग भरना – युद्ध में वीरतापूर्वक मृत्यु पाना।
  • हवा लगना – विचित्र वेश बनाना, किसी की नकल उतारना।
  • हवाई किले बनाना – असर पड़ना/होना।
  • दाई से पेट छिपाना – बहुत अधिक कल्पना करना।
  • सिर खपाना – भेद जानने वाले से सच्ची बात छिपाना।
  • खबर गरम होना – कठोर परिश्रम करना। चर्चा-ही-चर्चा होना।
  • चिराग तले अँधेरा – गुणवान व्यक्ति में भी दोष होना।

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions निबंध लेखन

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कृती

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प्रश्न 1.
वर्णनात्मक निबंध-
पहाटेचे सौंदर्य.
आमची अविस्मरणीय सहल.
उत्तर :
वर्णनात्मक निबंध दैनंदिन जीवनात आपण पाहिलेल्या व्यक्तींचे, प्रसंगांचे, दृश्यांचे किंवा वस्तूंचे शब्दांनी केलेले प्रत्ययकारक चित्रण म्हणजे वर्णनात्मक निबंध होय.

वर्णिलेल्या प्रसंगांतील, दृश्यांतील, मानवी स्वभावांतील बारकाव्यांचा तपशील येणे वर्णनात्मक निबंधात आवश्यक असते. समजा, आपण एखादया व्यक्तीचे वर्णन करीत आहोत; अशा वेळी त्या निबंधात त्या व्यक्तीच्या सद्गुणांचे वर्णन येणारच. पण त्याचबरोबर (त्या व्यक्तीमधील उणिवाही सांगितल्या पाहिजेत. तसेच, तिच्या हालचाली, लकबी, सवयी यांतील बारकावे सांगितले पाहिजेत. म्हणजे ती व्यक्ती आपल्या डोळ्यांसमोर जशीच्या तशी उभी राहते. असे लेखन घडले, तर तो चांगला वर्णनात्मक निबंध ठरेल.

व्यक्तीच्या वर्णनाप्रमाणेच वस्तू, ठिकाण, दृश्य, प्रसंग यांचेही हुबेहूब, प्रत्ययकारी वर्णन लिहिता आले पाहिजे. ती वस्तू , ते ठिकाण आपण समोर उभे राहून पाहत आहोत, असा प्रत्यय आला पाहिजे. प्रत्ययकारकता हा वर्णनात्मक निबंधाचा प्राण आहे.

नोंद : येथे निबंधात विदयार्थ्यांच्या मार्गदर्शनार्थ मुद्दे दिलेले आहेत. परीक्षेत केवळ निबंधांचे विषय देण्यात येतात, याची नोंद घ्यावी.

वर्णनात्मक निबंधाचा एक नमुना :

घरातील एक उपद्रवी कीटक

[मुद्दे : उपद्रवकारक कीटकांचा प्राथमिक परिचय – त्रासाचे स्वरूप – कीटकांविषयी कुतूहल – कीटकांचे स्थूल स्वरूप – वागण्याची वैशिष्ट्यपूर्ण रीत – कीटकांपासून होणारा महत्त्वाचा त्रास – त्या कीटकांची पैदास – त्या कीटकांच्या निर्मूलनाचा मार्ग.]

माशी ही परमेश्वराप्रमाणे सर्वव्यापी व सर्वसंचारी आहे. कोठेही जा. तुम्हांला माशी आढळणारच. मी तरी माशी नसलेले ठिकाण अजून पाहिलेले नाही. माझ्या मते, माणसाला उपद्रव देणाऱ्या कीटकांमध्ये, माशीचा पहिला क्रमांक लागतो. डास त्रासदायक आहे, यात शंकाच नाही. पण त्याच्यापेक्षा माशी अधिक त्रासदायक आहे, असे माझे ठाम मत आहे. डासांना अटकाव करण्यासाठी वा त्यांना मारण्यासाठी औषधे, फवारण्या व अगरबत्त्या बाजारात मिळतात. पण माश्यांविरुद्ध असे काही उपाय केले जात असल्याचे दिसत नाही.

माश्या आणि उपद्रव या दोन्ही बाबी सोबत सोबतच असतात. डासांप्रमाणे माश्या चावत नाहीत. काही रोगांशी डासांचा संबंध घट्ट जोडला गेला आहे. तसे माश्यांबाबत नाही. म्हणून माश्या निरुपद्रवी वाटत असाव्यात. आणि माश्यांना बहुधा हे कळले असावे. त्यामुळे त्या एकदम अंगचटीलाच येतात. त्यांना हाकलण्याचा कितीही प्रयत्न करा; त्या तात्पुरत्या सटकतात आणि पुन्हा पुन्हा अंगावर येतात. आपण एकाग्रतेने अभ्यासाला बसावे किंवा निवांतपणे टीव्ही पाहत असावे, तर माशीचा फेरा सुरू झालाच म्हणून समजा.

आपण तिला अगदी अव्वल गुप्तहेराच्या चतुराईने मारण्याचा प्रयत्न केला, तरी ती तावडीत सापडत नाहीच. त्यानंतर ती परत येऊन बसते कुठे? तर पाठीवर, मानेवर वा कपाळावर अशा आपल्याला न दिसणाऱ्या जागेवर! मग तिला फक्त निकराने हाकलतच राहावे लागते. ती मात्र सुरक्षितरीत्या पळत राहते, एखादया कुशल खो – खो खेळाडूप्रमाणे! अशा वेळी ती आपल्याला कुत्सितपणे हसत असणार, असे अनेकदा माझ्या मनात येऊन गेले आहे. ती चावत नाही; पण सारखी सुळसुळत राहते. त्यामुळे चित्त विचलित होत राहते. चैन पडत नाही. आपण एकाग्रतेने काहीही करू शकत नाही. मन अस्वस्थ होते आणि मनाची चिडचिड चिडचिड होते!

खरे पाहता, माशीच्या आकाराच्या तुलनेत आपण म्हणजे महाकाय, अक्राळविक्राळ राक्षसच! तरीही ती आपल्याला घाबरत कशी नाही? पुन्हा पुन्हा अंगावर येऊन बसते कशी? प्रत्येक वेळी ती यशस्वीरीत्या सटकते कशी? याचे मला प्रचंड कुतूहल होते. हे कुतूहल मला काही केल्या गप्प बसू देईना. मग मी मराठी विश्वकोश उघडला. त्यातील माशीची माहिती वाचली आणि थक्कच झालो. तिच्या सुरक्षितरीत्या पळण्याचे रहस्यच मला उलगडले.

माशीच्या डोक्यावर दोन मोठे टपोरे डोळे असतात. त्या डोळ्यांत प्रत्येकी चार हजार नेत्रिका असतात. नेत्रिका म्हणजे काय माहीत आहे का? आपण सूक्ष्मदर्शक उपकरणाच्या साहाय्याने अत्यंत लहान, सूक्ष्म वस्तू मोठी करून पाहतो. सूक्ष्मदर्शकाच्या ज्या भिंगातून आपण पाहतो, त्या भिंगाला नेत्रिका म्हणतात. म्हणजे आठ हजार भिंगांमधून माशी भोवतालचा परिसर पाहते. शिवाय तिला आणखी तीन साधे डोळे असतातच. त्यामुळे माशी मान न हलवता एकाच क्षणी सर्व दिशांनी भोवताली पाहू शकते. लक्षात घ्या – आपल्याला फक्त समोरचेच दिसते. माशीला मात्र हालचाल न करता सगळीकडचे दिसते. म्हणूनच तिला कोणत्याही दिशेने येणाऱ्या संकटाची चाहूल तत्काळ लागते आणि ती त्वरेने पळ काढू शकते.

एकदा दुपारी मी शाळेतून घरी आलो आणि समोरचे दृश्य पाहून चकितच झालो. एका बशीच्या काठावर माश्या ओळीने गोलाकार बसल्या होत्या – उंच टांगलेल्या केबलवर कावळे ओळीने बसतात तशा. गुपचूप बाजूला झालो. माझ्या काकांचे मोठे बहिर्गोल भिंग घेऊन आलो आणि त्या भिंगातून माश्यांचे निरीक्षण करू लागलो.

प्रत्येक माशीला सहा पाय होते. सर्व माश्या सहाही पायांवर उभ्या होत्या. मधूनमधून पुढचे दोन पाय वर उचलून ते हातासारखे वापरत होत्या. ” कधी दोन्ही हात एकमेकांवर घासायच्या; तर कधी चेहऱ्यावरचे पाणी निपटून टाकावे त्याप्रमाणे चेहऱ्यावरून हात फिरवायच्या. जणू त्यांचा स्वच्छतेचा कार्यक्रम चालू होता! मला हसूच येऊ लागले. कुजलेले पदार्थ, शेण, लीद, मलमूत्र, गटारे अशा ठिकाणी रममाण होणाऱ्या आणि तिथेच अंडी घालणाऱ्या या माश्या स्वच्छता करीत होत्या!

त्यांच्या पायांवर दाट केस होते. या केसांत अक्षरश: लाखो सूक्ष्म रोगजंतू घर करून राहतात. त्या आपल्या अन्नपदार्थांवर येऊन बसतात. मग ते रोगजंतू आपल्या अन्नात मिसळतात. आपल्याला कॉलरा, हगवण, टायफॉईड यांसारख्या रोगांची लागण होते. आपल्या देशात या रोगांमुळे काही हजार माणसे दरवर्षी दगावतात. केवढा हा माश्यांचा उपद्रव!

माश्यांच्या उपद्रवामुळे मी त्यांचा बारकाईने विचार केला आहे. मला एक शोध लागला आहे. माश्यांचा नायनाट करायला औषधे, फवारण्या वगैरेंची अजिबात गरज नाही. माश्यांना घाण प्रिय असते. म्हणून आपण घाणच नाहीशी करायची. घाण होऊच दयायची नाही. सदोदित स्वच्छता पाळायची, बस्स. केवढा सुंदर महामार्ग आहे हा!

प्रश्न 2.
व्यक्तिचित्रणात्मक निबंध –
माझा आवडता कलावंत.
माझे आवडते शिक्षक.
उत्तर :
व्यक्तिचित्रणात्मक निबंध

व्यक्तिचित्रणात्मक निबंधात व्यक्तीचे चित्रण केलेले असते. प्रसंगवर्णनात प्रसंगाचे शब्दचित्र असते. त्या चित्रणात प्रसंगाचे लक्षवेधक, प्रभावी वर्णन केलेले असते. तो प्रसंग वाचकाच्या डोळ्यांसमोर उभा राहतो. आपण जणू काही तो प्रसंग पाहतच आहोत, असा वाचकाला प्रत्यय येत राहतो. त्याप्रमाणेच व्यक्तिचित्रणात व्यक्ती डोळ्यांसमोर उभी करण्याचे सामर्थ्य असले पाहिजे. जिवंत व्यक्तीच आपण पाहत आहोत, असा वाचकाला प्रत्यय आला पाहिजे. म्हणून व्यक्तीचे दिसणे, तिच्या हालचाली, लकबी, बोलण्याच्या पद्धती, विचार, दृष्टिकोन वगैरेंपैकी काही घटकांच्या किंवा अनेक घटकांच्या आधारे ती व्यक्ती साकार करता यायला हवी.

व्यक्तिचित्रणासाठी व्यक्ती नामवंत, वलयांकित, इतिहासप्रसिद्ध असली पाहिजे असे मुळीच नाही. व्यक्ती कोणीही असू शकते. अट एकच – चित्रण हुबेहूब वठले पाहिजे. त्यात व्यक्तिमत्त्वाचे जास्तीत जास्त पैलू प्रकट झाले पाहिजेत. असे व्यक्तिचित्रण हे यशस्वी व्यक्तिचित्रण होय.

व्यक्तिचित्रणात्मक निबंधाचा एक नमुना :

आमचे मनोहरकाका

[मुद्दे : व्यक्तीची प्राथमिक ओळख – लेखकाशी नाते – दर्शनी रूप – पेहराव – वृत्ती – व्यक्तीची इतरांशी वागण्याची पद्धत – सहवासाचा परिणाम – व्यक्तीचे उपजीविकेचे साधन – छंद – छंदाचे महत्त्व – लेखकाला झालेला फायदा.]

आमच्या शेजारचे मनोहरकाका आमच्या कॉलनीतील आम्हा मित्रमंडळींचे लाडके दोस्त आहेत. आम्हा सगळ्यांना ते खूप आवडतात. नेहमी हसतमुख चेहरा. आम्ही त्यांना कधीही कंटाळलेले, वैतागलेले, त्रागा करीत असलेले असे पाहिलेले नाही. त्यांच्या अंगावर स्वच्छ, इस्त्री केलेले नीटनेटके कपडे असतात. शर्ट नेहमी पँटीत खोचलेले असते. ते ठरावीक दोन – तीनच रंगांचे कपडे वापरतात, असे नाही. त्यांच्या अंगावर विविध रंग सुखाने नांदत असतात.

त्यातही त्यांना टी – शर्ट खूप प्रिय आहेत. हे टी – शर्टसुद्धा ते पॅन्टीत खोचतात, साधारणपणे टी – शर्ट खोचल्यानंतर बहुतेक लोक कमरेचा पट्टा बांधतात. पण मनोहरकाकांच्या बाबतीत गमतीची गोष्ट अशी की त्यांनी कधीही कमरेचा पट्टा वापरलेला नाही. त्यांची प्रकृती नेहमी टुणटुणीत असते. मनोहरकाका आणि प्रसन्नता नेहमी एकत्रच येतात.

मनोहरकाकांचा एक गुण आम्हांला खूप म्हणजे खूपच आवडतो. त्यांनी आम्हांला, “आज अभ्यास केला की नाही? की नुसता खेळण्यात वेळ गेला? किती गुण मिळाले?” असले प्रश्न कधीही विचारले नाहीत. पण त्यांचे आमच्या शिक्षणाकडे लक्ष नव्हते, असे नाही. आम्हा मित्रांच्या आई – बाबांशी त्यांची सतत कोणत्या ना कोणत्या योजनांविषयी चर्चा चालू असे. त्यांनी कॉलनीतील आठवी – नववी – दहावीतील मुलांसाठी विज्ञान प्रयोगशाळा सुरू केली आहे. तसेच, त्यांचे आम्हांला एक आग्रहाचे सांगणे असते, “इंग्रजीवर प्रभुत्व मिळवा. इंग्रजी वर्तमानपत्रे, मासिके वाचा. इंग्रजी पुस्तके वाचत राहा.

इंग्रजी कार्यक्रम पाहा. इंग्रजी बातम्या पाहा. डिक्शनरीची फिकीर करू नका”. मी आठवीत असल्यापासून त्यांचे हे म्हणणे मनावर घेतले. मी मराठी माध्यमातून शिकलो. दहावीनंतर मी कॉलेजमध्ये गेलो. तिथे मला इंग्रजीचा काहीही त्रास झाला नाही. मी आरामात आणि आनंदाने कॉलेजमध्ये वावरलो. शिकतानाही अडथळे आले नाहीत. खरे सांगू? मनोहरकाका माझ्या सोबतच आहेत, असे मला सतत वाटत राहिले आहे.

मनोहरकाकांची स्मरणशक्ती अफाट आहे. त्यांना देशोदेशीच्या इतक्या घटना, माणसे स्मरणात आहेत की विचारता सोय नाही. त्यांचे घर पुस्तकांनी भरलेले आहे. त्यांचे वाचन अफाट आहे. ते प्राध्यापक आहेत. कॉलेजात इतिहास शिकवतात. इतिहास त्यांच्या जिभेवर असतो. त्यांच्याकडे माहितीचा प्रचंड खजिना आहे. शिवाय त्याचे सगळे छापील पुरावे त्यांनी जपून ठेवले आहेत. साठ – सत्तर वर्षांपासूनची वर्तमानपत्रांची, साप्ताहिकांची, मासिकांची कात्रणे त्यांनी जमा केलेली आहेत. विषयानुसार कालानुक्रमे त्यांनी ती कात्रणे लावली आहेत. त्यांच्या फाईली करून ठेवल्या आहेत. स्पर्धांसाठी, स्पर्धा परीक्षांसाठी मनोहरकाकांचा आम्हांला खूप उपयोग होतो.

मी दहावी पास झालो. मला चांगले गुण मिळाले. मनापासून माझे कौतुक केले. पण त्याच वेळी आमच्या घरात एक पेच निर्माण झाला होता. मला आर्ट्स शाखेत प्रवेश घ्यायची इच्छा होती. माझ्या आई – ५ बाबांना ती कल्पना पसंत नव्हती. आम्ही मनोहरकाकांचा सल्ला घ्यायला गेलो. क्षणाचाही विलंब न लावता त्यांनी माझ्या निर्णयाचे कौतुक केले. मी आर्ट्स शाखेत प्रवेश घेतला. या वर्षी मी बारावीत आहे. कॉलेजातला माझा सगळा काळ आनंदात गेलेला आहे. असे आहेत आमचे मनोहरकाका. त्यांना तुम्ही एकदा जरी भेटलात, तरी त्यांचे मित्र होऊन जाल!

प्रश्न 3.
आत्मवृत्तात्मक निबंध-
मी सह्याद्री बोलतोय.
वृत्तपत्राचे मनोगत.
उत्तर :
आत्मवृत्तात्मक (आत्मकथनात्मक) निबंध

या प्रकारच्या निबंधामध्ये सजीव व निर्जीव वस्तू स्वत:च स्वत:च्या जीवनाचे कथन करीत आहेत, अशी कल्पना केलेली असते. या प्रकाराला आत्मनिवेदन, आत्मवृत्त, मनोगत, कैफियत, गाहाणे इत्यादी वेगवेगळे शब्दही योजले जातात.

या निबंधप्रकारात, निवेदक स्वत:च बोलत असल्याने प्रथमपुरुषी वाक्यरचना येते. या कथनात निवेदकाच्या जन्मापासूनच्या संपूर्ण बारीकसारीक तपशिलांची अपेक्षा नसते. त्याच्या जीवनातील ठळक, महत्त्वाचे मोजकेच प्रसंग वा घडामोडी नमूद कराव्यात. त्या आधारे त्याच्या व्यथा – वेदना कथन कराव्यात; या व्यथा – वेदना कथन करता मानवी जीवनातील, माणसाच्या वर्तनातील विसंगती दाखवून दयाव्यात, अशी अपेक्षा असते. मनोगत व्यक्त करताना सुप्त, अतृप्त इच्छा प्रकट करावी. गा – हाणी, कैफियत लिहिताना निवेदकाच्या सुखदुःखावर भर दयावा. निवेदक स्वतः वाचकाशी बोलत असतो. म्हणून या निबंधाची भाषा साधी व ओघवती असावी. निवेदनात जिव्हाळा, कळकळ, भावनेचा ओलावा व्यक्त झाला पाहिजे.

आत्मवृत्तात्मक (आत्मकथनात्मक) निबंधाचा एक नमुना :

भटक्या जमातीतील एका भटक्याचे मनोगत

[मुद्दे : भटकी जमात सतत भटकत असते – पण दारिद्र्य त्यांच्या पाचवीला पुजलेले – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरांचे प्रयत्न – भटके जीवन – स्थिरता नाही – गावोगावी भटकणे – भटकंतीमुळे सतत ताटातूट – भटकंतीत साथ प्राण्यांची – अपमानित जीवन – फुले, शाहू महाराज, डॉ. आंबेडकर यांच्यामुळे नवीन जीवन – प्रेरणा – अजूनही सुधारणेची गरज.]

“खरोखर आज मला फार आनंद झाला आहे. कारण अशा त – हेने आपल्या मनातील विचार समाजातील सगळ्या लोकांपुढे आपण कधी मांडू शकू, असे मला स्वप्नातही वाटले नव्हते. खरं सांगू का? असं एका जागी उभं राहून बोलण्याचीही मला सवय नाही, कारण… कारण आम्ही आहोत ‘भटके’ लोक ! सतत भटकतच असतो! आमच्या पायांना मुळी चक्रच लावलेलं असतं. पण एक शंका माझ्या मनात बरेच दिवस रेंगाळते आहे. ती तुमच्यापुढे मांडतो. असं म्हणतात की – जो चालतो, त्याचं नशीबही जोरात चालतं. जर असं आहे तर आम्हां भटक्यांचं नशीब का कधीच जोरात धावत नाही? आमची गाठ सदैव दारिद्र्याशीच का? आज वर्षानुवर्षे आम्ही हिंडत आहोत, पण जगातील कोणाचंही आमच्याकडे लक्ष गेलं नाही.

“आता मात्र दिवस हळहळ पालटू लागले आहेत. आमच्या दैन्यावस्थेकडे समाजाचे थोडं थोडं लक्ष जाऊ लागलं आहे. आमच्या मुलांपैकी काहीजण शिकू लागले आहेत. हे घडू लागलं आहे ते आमच्या परमपूज्य डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरांमुळे. त्यांनी आम्हांला नवीन डोळे दिले; नवी दृष्टी दिली ! आम्ही अंधश्रद्धेच्या गुडूप अंधारात घनघोर झोपलो होतो. बाबासाहेबांनी आपल्या विचारांनी आम्हांला गदागदा हलवलं; आम्हांला जागं केलं. आम्हांला नवा मार्ग दाखवला. आम्ही त्या मार्गावर एकेक पाऊल टाकत आहोत.

“आता मी माझं मनोगत सांगतोय, तेव्हा मी माझी सुखदुःखे सांगावीत, असं तुमच्या मनात येईल. पण खरं सांगू का? सुखाचे क्षण मला शोधावेच लागतील. सगळं दु:खच दु:ख आलं आहे आमच्या वाट्याला! आम्हां भटक्यांना ना घर ना गाव! आम्ही सर्वजण गटागटाने हिंडत असतो… या गावातून त्या गावात. गावात गेल्यावर मुक्काम गावकुसाबाहेर. तेथेच फाटक्यातुटक्या कापडाच्या राहुट्या उभारतो. त्यांना आम्ही ‘पालं’ म्हणतो. दोन – चार दिवस राहतो. गावात दारोदार हिंडून काही काम मिळालं तर करतो आणि खातो आणि मग पालं गुंडाळून नव्या गावाच्या दिशेने पावलं टाकतो. वर्षानुवर्षे हे असंच चालू आहे.

“खरं सांगू का माझा जन्म कधी झाला व कोठे झाला, हे मला सांगता येणार नाही. आम्ही सगळी भावंडं अशीच भटकंतीत जन्मलो. आमचे जन्म, बारसे, लग्न सगळे या भटकंतीतच. जवळच्या माणसाचा मृत्यू झाला, तरी आम्हांला हे कळतं ते काही महिन्यांनी, कधी कधी तर वर्षानंतरही ! या भटक्या जीवनामुळे सगळ्या भावंडांची गाठ पडते, तीसुद्धा वर्षावर्षानंतर!

“भटक्या जीवनामुळे आम्हांला खडतर जीवनाची सवयच झाली आहे. कष्ट, दैन्य, हालअपेष्टा, मानापमान अशा गोष्टींचं काही वाटेनासंच झालं आहे. कधी कधी आम्ही पालं टाकतो आणि कोणीतरी येऊन शिवीगाळ करून आम्हांला हुसकावतं! आम्ही काहीही न बोलता भीतीने व दुःखी अंत:करणाने तिथून उठतो आणि दुसरीकडे जातो! आम्हांला कायम साथ देतात ती आमची मेंढरं, कुत्री आणि गाढवं ! आजारी पडायलाही आम्हांला फुरसत नसते.

आता आता आमच्यात थोडा बदल झाला आहे. छत्रपती शाहू महाराज हे देवदूतासारखे आमच्यासाठी धावून आले. आमच्यासाठी त्यांनी अपार कष्ट घेतले. आपल्या राजेपणाचे सर्व अधिकार त्यांनी आमच्यासाठी वापरले. आम्हांला स्थिर जीवन मिळावे म्हणून अनेक कल्पक योजना आखल्या. अनेकांची टीका सहन करीत त्या राबवल्या. आम्हांला माणसात आणण्याचा प्रयत्न केला. महात्मा फुले, शाहू महाराज, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर यांच्यासारख्यांच्या प्रयत्नांमुळे आता आमची मुलं शिकू लागली आहेत. वरच्या पदापर्यंत जाऊ लागली आहेत.

“इतर समाजसुद्धा हळूहळू बदलत आहे. लोक आमची स्थिती समजून घेत आहेत. सरकार आमच्यासाठी विविध योजना आखत आहे, कायदे करीत आहे. पण तरीही अजून खूप सुधारणा होण्याची गरज आहे. मग आपण एकसमान होऊ. आपला देश समर्थ बनेल.”

प्रश्न 4.
कल्पनाप्रधान निबंध –
सूर्य मावळला नाही तर…
पेट्रोल संपले तर…
उत्तर :
कल्पनाप्रधान निबंध

अशक्य वाटणारी गोष्ट शक्य झाल्यास काय घडेल या कल्पनेचा मुक्त वापर करून लिहिलेल्या निबंधाला कल्पनाप्रधान निबंध म्हणतात. आधुनिक जीवनव्यवहारात काही वस्तू अगदी अपरिहार्य झाल्या आहेत. त्या उपलब्ध नसल्यास काय घडेल, याचे वर्णन कल्पनाप्रधान निबंधात करता येते. परंतु त्याच वेळी त्या वस्तूंची आवश्यकता किती आहे, त्यामुळे आपल्या जीवनात किती सौंदर्य निर्माण झाले आहे किंवा किती कृत्रिमता निर्माण झाली आहे, हेही सांगता आले पाहिजे.

या निबंधप्रकाराची सुरुवात एखादया दैनंदिन प्रसंगातून करता येते. अशा निबंधाच्या विषयाची मांडणी करताना आपणाला ज्या गोष्टी सांगायच्या असतात, त्या एखादया कल्पनेभोवती गुंफून सांगाव्यात.

कल्पनाप्रधान निबंधाचा एक नमुना :

आषाढघनाचे आगमन झाले नाही तर?

[मुद्दे : असा प्रश्न मनात येण्याचे कारण – प्रथम जाणवणारा दुष्परिणाम – – निसर्गसौंदर्याचा नाश – आषाढ धो धो पावसाचा महिना – अतिवृष्टीच्या परिणामांपासून मुक्ती – पाण्याच्या अभावाचे परिणाम – मानवी प्रयत्न – पाणी मिळवणे महागडे – पाण्याविना तडफडणारी सर्वच प्राणिसृष्टी – आधुनिक जीवन ठप्प – गरीबश्रीमंत दरी – सर्वनाशाकडे वाटचाल.]

मध्यंतरी कोरोनाने अक्षरश: हैदोस घातला होता. जगातली सर्व कुटुंबे आपापल्या घरात कोंडून पडली होती. माणसाच्या गेल्या दहा हजार वर्षांच्या इतिहासात पहिल्यांदाच घडले हे. निसर्गाने माणसाला शिक्षाच दयायला सुरुवात केली नसेल ना? गेली दहा हजार वर्षे माणूस स्वार्थासाठी निसर्गाला ओरबाडतो आहे. पर्यावरण उद्ध्वस्त करीत आहे. त्याचा बदला तर नाही ना हा? आणखी काय काय घडणार आहे कोण जाणे! सध्याचाच ताप पाहा आधी. तापमानाचा पारा ४०°ला स्पर्श करीत आहे. आता पाऊस येईल तेव्हाच गारवा. त्यातच पाऊस या वर्षी उशिरा आला तर? अरे देवा! पण तो आलाच नाही तर? आषाढघनाचे दर्शनच घडले नाही तर?

परवाच बा. भ. बोरकर यांची कविता वाचत होतो. वाचता वाचता हरखून गेलो होतो. या पावसाळ्यात जायचेच, असा आमच्या घरात बेत आखला जात होता. गावी जायला मिळाले, तर आषाढघनाने नटलेले निसर्गसौंदर्य डोळे भरून पाहता येईल. कोमल, नाजूक पाचूच्या रांगांची हिरवीगार शेते, पोवळ्याच्या रंगाची लाल माती, रत्नांच्या प्रभेसारखी बांबूची बेटे, सोनचाफा, केतकी, जाईजुई यांचे आषाढस्पर्शाने प्रफुल्लित झालेले सौंदर्य अनुभवायला मिळेल, हे खरे आहे. पण पाऊसच नसेल तर?

आषाढ महिना हा धुवाधार पावसाचा महिना. गडगडाटासह धो धो कोसळणाऱ्या पावसाचा महिना. कधी कधी हे आषाढघन रौद्ररूप धारण करतात. गावेच्या गावे जलमय होतात. डोंगरकडे कोसळतात. घरे बुडतात. गटारे ओसंडून वाहतात. सांडपाण्याची, मलमूत्राची सर्व घाण रस्तोरस्ती पसरते. घराघरात घुसते. मुकी जनावरे बिचारी वाहून जातात. हे सर्व परिणाम किरकोळ वाटावेत, अशी भीषण संकटे समोर उभी ठाकतात. दैनंदिन जीवन कोलमडून पडते. रोगराईचे तांडव सुरू होते. पाऊस नसेल, तर हे सर्व टळेल, यात शंकाच नाही.

मात्र, पाण्याशिवाय जीवन नाही. आणि माणूस हा तर करामती प्राणी आहे. तो पाणी मिळवण्याचे मार्ग शोधू लागेल. समुद्राचे पाणी वापरण्याजोगे करण्याचे कारखाने सुरू होतील. त्यामुळे प्यायला पाणी मिळेल. काही प्रमाणात शेती होईल. पण हे जेवढ्यास तेवढेच असेल.

सर्वत्र पाऊस पडत आहे. रान हिरवेगार झाले आहे. फळाफुलांनी झाडे लगडली आहेत, अशी दृश्ये कधीच आणि कुठेही दिसणार नाही. बा. भ. बोरकरांच्या कवितेतील रमणीय दृश्य हे कल्पनारम्य चित्रपटातील फॅन्टसीसारखे असेल फक्त.

समुद्रातून पाणी मिळवण्याचा उपाय तसा खूप महागडा असेल. त्यातून सर्व मानवजातीच्या सर्व गरजा भागवता येणे अशक्य होईल. उपासमार मोठ्या प्रमाणात होईल. दंगली घडतील. लुटालुटीचे प्रकार सुरू होतील.

थोडकीच माणसे शिल्लक राहिली, तर ती जगूच शकणार नाहीत. इतर प्राणी त्यांना जगू देणार नाहीत. माणूस फक्त स्वत:साठी पाणी मिळवील. पण उरलेल्या प्राणिसृष्टीचे काय? ही प्राणिसृष्टी माणसांवर चाल करून येईल. वरवर वाटते तितके जीवन सोपे नसेल. माणसांचे, प्राण्यांचे मृतदेह सर्वत्र दिसू लागतील. त्यांतून कल्पनातीत रोगांची निर्मिती होईल. एकूण काय? ती सर्वनाशाकडची वाटचाल असेल.

पाऊस नसेल, तर वीजही नसेल. एका रात्रीत सर्व कारखाने थंडगार पडतील. पाणी नसल्यामुळे शेती नसेल. फळबागाईत नसेल. नेहमीच्या अन्नधान्यासाठी माणूस समुद्रातून पाणी काढील, इथपर्यंत ठीक आहे. पण अन्य अनेक पिके घेणे महाप्रचंड कठीण होईल. या परिस्थितीतून अल्प माणसांकडे काही अधिकीच्या गोष्टी असतील. बाकी प्रचंड समुदाय दारिद्र्यात खितपत राहील. त्यातून प्रचंड अराजक माजेल. याची भीषण चित्रे रंगवण्याची गरजच नाही. अल्पकाळातच जीवसृष्टी नष्ट होईल. उरेल फक्त रखरखीत, रणरणते वाळवंट. सूर्यमालिकेतील कोणत्याच ग्रहावर जीवसृष्टी अशीच नष्ट झाली नसेल ना?

नको, नको ते प्रश्न आणि त्या दृश्यांची ती वर्णने! एकच चिरकालिक सत्य आहे. ते म्हणजे पाऊस हवा, आषाढघन बरसायला हवाच!

प्रश्न 5.
वैचारिक निबंध –
तंत्रज्ञानाची किमया.
वाचते होऊया.
उत्तर :
वैचारिक निबंध

वैचारिक निबंधात विचाराला महत्त्व असते. मात्र, सर्व वैचारिक निबंध एकाच स्वरूपाचे नसतात. (यामध्ये विचारप्रधान, चिंतनपर, समस्याप्रधान, चर्चात्मक अशा स्वरूपांचे निबंध असतात.) काही निबंधांत विचाराला महत्त्व असते. उदा., ‘अहिंसा हाच श्रेष्ठ धर्म’, ‘दया, क्षमा, शांती हाच जीवनाचा आधार’, ‘त्यागात मैत्रीचा आत्मा’ इत्यादी. काही निबंध समस्याप्रधान असतात. उदा., ‘पर्यावरणाचा हास’, ‘फॅशनचे वेड’, ‘बालमजुरी’, ‘बेकारी’, ‘स्त्रियांवरील अत्याचार’ इत्यादी. अशा निबंधांत समस्या मांडलेली असते आणि त्या अनुषंगाने लेखक आपले विचार मांडतो. तर काही निबंध हे वादविवादात्मक स्वरूपाचे असतात. उदा., ‘मोबाइल – शाप की वरदान’, ‘आजचे तरुण बिघडले आहेत काय?’, ‘आजची स्त्री – अबला की सबला?’ इत्यादी.

वैचारिक निबंध कोणत्याही स्वरूपाचा असला, तरी त्यात एक विचार मांडलेला असतो. कोणत्याही विषयाला नेहमी दोन बाजू असतात. एक अनुकूल आणि दुसरी प्रतिकूल. अशा निबंधात केवळ आपलीच बाजू – म्हणजे अनुकूल बाजू – मांडून चालत नाही. त्या विषयाची दुसरी बाजू – म्हणजे आपल्याला न पटणारी बाजूसुद्धा – मांडावी लागते.

अशा प्रकारच्या निबंधाची मांडणी साधारणपणे पुढील प्रकारची असते :

प्रास्ताविकात विषयाची सदयःस्थिती मांडावी. त्यानंतर विरुद्ध बाजू मांडावी. लगेचच त्या बाजूतील उणिवा दाखवाव्यात. याला ‘खंडन’ असे म्हणतात. मग आपली बाजू मांडावी. याला ‘मंडन’ असे म्हणतात. खंडन – मंडन करताना दाखले दयावेत. अखेरीला आपल्या विचाराबाबतचा स्वत:चा निष्कर्ष नोंदवावा.

वैचारिक निबंधाचा एक नमुना :

सादरीकरण – एक जीवनावश्यक कौशल्य

[मुद्दे : समूहात राहणे ही माणसाची जीवनावश्यक गरज – त्यामुळे इतरांसमोर कौशल्याने सादर होणे – दैनंदिन जीवनात अनौपचारिक सादरीकरण – आधुनिक जीवन गुंतागुंतीचे – सतत विविध समूहांसमोर सादर होण्याची निकड – विशिष्ट कौशल्ये आवश्यक – पूर्वीचे जीवन शांत, संथ – सादरीकरणाचा अभ्यास करणे निकडीचे.]

असे म्हणतात की, माणूस हा सामाजिक प्राणी आहे. तो समूह करून राहतो. तो एकेकटा, स्वतंत्रपणे जगूच शकणार नाही. तो माणसांत, माणसांसोबत राहतो. तो त्याचा जगण्याचा आधारच आहे. हा आधार नसेल, तर माणूस वेडापिसाच होईल. म्हणूनच, प्राचीन काळापासून ते अगदी आजतागायत जगभर सर्व देशांमध्ये माणसाला शिक्षा केली जाते ती तुरुंगवासाची. त्याला त्याच्या कुटुंबीयांपासून, मित्रांपासून, समाजापासून तोडून टाकण्याची ती शिक्षा असते. बाह्य जगाशी कोणताही संपर्क येऊ दयायचा नाही, हीच ती शिक्षा असते. ही शिक्षा माणसाला मृत्युदंडापेक्षाही भीषण वाटत आलेली आहे. समाजात राहणे ही त्याची जीवनावश्यक गरज आहे.

समाजात राहायचे म्हणजे दुसऱ्यांच्या सोबतीने, त्यांच्या सहकार्याने राहायचे. म्हणूनच ज्यांच्यासोबत आपण राहतो, वावरतो त्यांना आपल्या इच्छा – आकांक्षा, भावना – विचार समजावून सांगणे आवश्यक ठरते. इतरांच्या इच्छा – आकांक्षांना तडे न जाता आपल्या मनाप्रमाणे जगता आले पाहिजे. म्हणूनच आपल्या कल्पना – भावना, विचार इतरांना समजावून सांगणे हे अत्यंत कौशल्याचे ठरते. याच्यासाठी सादरीकरणाची गरज आहे. स्वत:ची मते पद्धतशीरपणे समजावून सांगण्यासाठी खास युक्तिवाद करावा लागतो. ही सर्व पद्धत म्हणजेच ‘सादरीकरण’ होय.

सादरीकरणाशिवाय माणूस नाही. सादरीकरण हा माणसाच्या जगण्याचाच एक भाग आहे. आपले बोलणे, चालणे, उठणे, बसणे, वागणे, हातवारे करणे किंबहुना आपली देहबोली हे आपले सादरीकरणच होय. या सादरीकरणातून आपले व्यक्तिमत्त्व व्यक्त होत असते. आपण फारच थोड्या कृती एकट्याने, खाजगीरीत्या करतो. आपले बहुतांशी जगणे इतरांसमोर, इतरांसोबतच घडत असते. म्हणजे आपण इतरांसमोर सदोदित सादरीकरणच करीत असतो म्हणा ना!

हे सादरीकरण अनौपचारिक पद्धतीने घडत असते. म्हणूनच आईवडील किंवा अन्य वडीलधारी माणसे “उठता – बसता काळजी घे”, “असा उभा राहू नकोस, तसा राहा’ या अशा सूचना करतात. इतरांसमोर आपले व्यक्तिमत्त्व चांगल्या रितीने प्रकट व्हावे, ही त्यांची इच्छा असते. म्हणजेच आपल्या देहबोलीला, आपल्या वागण्याबोलण्याला किती महत्त्व आहे, हे लक्षात येईल.

मात्र, आताचे जीवन खूप जटिल बनले आहे. खूप व्यामिश्र बनले आहे. जागतिकीकरणामुळे संपूर्ण मानवी जीवनच ढवळून निघाले आहे. कामांचे स्वरूप व व्याप्ती वाढली आहे. विविध प्रकारचे उदयोगव्यवसाय निर्माण झाले आहेत. संगणक, इंटरनेट, मोबाइल यांसारख्या माहिती तंत्रज्ञानाच्या दूतांमुळे सर्व व्यवहारांचे स्वरूप आरपार बदलले आहे. सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक क्षेत्रांत अनेकानेक घडामोडी घडताहेत. यासाठी चर्चा, परिषदा, मेळावे, बैठका, संमेलने, शिबिरे इत्यादी आयोजित केली जात आहेत. माणसांना विविध कारणांनी असे एकत्र यावे लागत आहे.

अशा वेळी समूहासमोर आपल्या कल्पना, आपली मते व्यक्त करण्याची, सगळ्यांना आपले विचार समजावून सांगण्याची वेळ येते. आधुनिक काळात या सगळ्याला आपल्याला सामोरे जावे लागत आहे. हे टाळता येणे शक्यच नाही. अन्यथा आपल्याला नोकरी, धंदा वा व्यवसाय करताच येणार नाही. येथे सादरीकरणाचा संबंध येतो. अशा या सादरीकरणाशिवाय आपण जगूच शकणार नाही.

काही वर्षांपूर्वीचे जीवन हे शांत, संथ होते. तेथे कोणाला, कशाचीही घाई नव्हती किंवा अगत्यही नव्हते. म्हणून कोणीही सैलपणाने वागला तरी ते चालून जाई. आता मात्र ते शक्य नाही. म्हणून सादरीकरणाचा अभ्यासही करावा लागेल. दुसऱ्यांसमोर आपण सादर होतो तेव्हा, उभे राहणे, बोलणे, हातवारे करणे या सगळ्यांचा काटेकोर अभ्यास करावा लागेल. कोणत्या हेतूने व कोणत्या प्रकारच्या लोकांसमोर आपण उभे राहिलो आहोत, हे लक्षात घेऊन आपल्याला आपल्या सादरीकरणाची रीत ठरवावी लागेल. सादरीकरण हे आता दुर्लक्ष करण्याएवढे बिनमहत्त्वाचे राहिले नाही. आपण शाळा – कॉलेजात अभ्यास करतो, तसा सादरीकरणाचा अभ्यास करावा लागेल. सातत्याने सराव करावा लागेल. तर आणि तरच आपला आधुनिक जगात टिकाव लागणार आहे.

निबंध लेखन प्रस्तावना

निबंध हा गदयलेखनाचा एक प्रकार आहे. त्यात एखादया विषयाची सांगोपांग माहिती सुसंगतपणे दयायची असते.

निबंधात कधी एखादया समस्येचा ऊहापोह केलेला असतो. समस्येचे स्वरूप, कारणे व उपाय या रितीने त्यात मांडणी केलेली असते. कधी एखादी वस्तू, ठिकाण, परिसर, प्रसंग, व्यक्ती यांचे वर्णन असते; तर कधी विविध सजीव – निर्जीव गोष्टींचे आत्मकथन असते. कधी कधी कल्पनेवर स्वार होऊन अनेक गोष्टींच्या अंतरंगात शिरण्याचा प्रयत्न असतो. त्याचप्रमाणे नकारात्मक गुणांचाही निर्देश करायला हरकत नसते. अशा प्रकारे निबंधात आशय विविध रितींनी मांडलेला असतो.

1. लक्षात ठेवा

  • निबंधाची सुरुवात आकर्षक, लक्षवेधक हवी आणि आपले मत ठाशीवपणे मांडणारा परिणामकारक शेवट हवा.
  • सुरुवातीच्या काळात कोणालाही कोणताही निबंध एका दमात, एका झटक्यात लिहिता येत नाही. पुन:पुन्हा सुधारणा करून पुनर्लेखन करावे लागते.
  • परीक्षेत ठरावीक मिनिटांत निबंध लिहावा लागतो. पुन:पुन्हा लिहिण्यास वेळ नसतो. निबंध लिहिण्याचा सातत्याने सराव केला पाहिजे. निबंधाच्या विषयानुसार प्रथम मुद्दे तयार करावेत. ते क्रमाने मांडावेत. मुद्द्यांना अनुसरून परिच्छेद पाडले पाहिजेत.
  • निबंध ठरावीक शब्दसंख्येत बसवावा. या त – हेने वेगवेगळ्या विषयांवरचे निबंध तयार करावेत.
  • म्हणी, वाक्प्रचार, सुभाषिते, विविध भाषांतील अवतरणे यांचा गरजेनुसार व प्रमाणशीर वापर करावा.
  • शब्दरचना व वाक्यरचना अर्थपूर्ण असावी. ज्या शब्दांचा अर्थ निश्चितपणे माहीत नाही, त्यांचा उपयोग करू नये.
  • पाल्हाळीकपणा टाळावा.
  • स्वत:च्या शब्दांतच निबंध लिहावा. दुसऱ्याचा निबंध उतरवून काढू नये किंवा त्याची घोकंपट्टी करू नये.
  • लेखनाचे नियम, विरामचिन्हे यांबाबत दक्षता बाळगावी.
  • शब्दसंपत्ती, भाषाशैली यांचा विकास व्हावा, म्हणून वृत्तपत्रे व पाठ्यपुस्तकेतर पुस्तके यांचे नियमित वाचन अवश्य करावे.
  • टिपणे, कात्रणे यांचा संग्रह करण्याची सवय लावावी.
  • शा प्रकारे सराव केल्यास मुद्देसूदपणे व आटोपशीरपणे निबंध लिहिण्याचे कौशल्य प्राप्त होते. परीक्षेत कोणत्याही विषयावरचा निबंध लिहिण्यास हे कौशल्य उपयोगी पडते.

2. अभ्यासक्रमातील निबंधाचे प्रकार :

निबंधाच्या आशयानुसार निबंधाचे अनेक प्रकार मानले जातात. त्यांपैकी पुढील पाच प्रकार इयत्ता १२वीच्या अभ्यासक्रमात समाविष्ट करण्यात आले आहेत :

कल्पनाप्रधान निबंधाचा एक नमुना :

आषाढघनाचे आगमन झाले नाही तर?

[मुद्दे : असा प्रश्न मनात येण्याचे कारण – प्रथम जाणवणारा दुष्परिणाम – निसर्गसौंदर्याचा नाश – आषाढ धो धो पावसाचा महिना – अतिवृष्टीच्या परिणामांपासून मुक्ती – पाण्याच्या अभावाचे परिणाम – मानवी प्रयत्न – पाणी मिळवणे महागडे – पाण्याविना तडफडणारी सर्वच प्राणिसृष्टी – आधुनिक जीवन ठप्प – गरीबश्रीमंत दरी – सर्वनाशाकडे वाटचाल.]

मध्यंतरी कोरोनाने अक्षरश: हैदोस घातला होता. जगातली सर्व कुटुंबे आपापल्या घरात कोंडून पडली होती. माणसाच्या गेल्या दहा हजार वर्षांच्या इतिहासात पहिल्यांदाच घडले हे. निसर्गाने माणसाला शिक्षाच दयायला सुरुवात केली नसेल ना? गेली दहा हजार वर्षे माणूस स्वार्थासाठी निसर्गाला ओरबाडतो आहे. पर्यावरण उद्ध्वस्त करीत आहे. त्याचा बदला तर नाही ना हा? आणखी काय काय घडणार आहे कोण जाणे! सध्याचाच ताप पाहा आधी. तापमानाचा पारा ४०°ला स्पर्श करीत आहे. आता पाऊस येईल तेव्हाच गारवा. त्यातच पाऊस या वर्षी उशिरा आला तर? अरे देवा! पण तो आलाच नाही तर? आषाढघनाचे दर्शनच घडले नाही तर?

परवाच बा. भ. बोरकर यांची कविता वाचत होतो. वाचता वाचता हरखून गेलो होतो. या पावसाळ्यात जायचेच, असा आमच्या घरात बेत आखला जात होता. गावी जायला मिळाले, तर आषाढघनाने नटलेले निसर्गसौंदर्य डोळे भरून पाहता येईल. कोमल, नाजूक पाचूच्या रांगांची हिरवीगार शेते, पोवळ्याच्या रंगाची लाल माती, रत्नांच्या प्रभेसारखी बांबूची बेटे, सोनचाफा, केतकी, जाईजुई यांचे आषाढस्पर्शाने प्रफुल्लित झालेले सौंदर्य अनुभवायला मिळेल, हे खरे आहे. पण पाऊसच नसेल तर?

आषाढ महिना हा धुवाधार पावसाचा महिना. गडगडाटासह धो धो कोसळणाऱ्या पावसाचा महिना. कधी कधी हे आषाढघन रौद्ररूप धारण करतात. गावेच्या गावे जलमय होतात. डोंगरकडे कोसळतात. घरे बुडतात. गटारे ओसंडून वाहतात. सांडपाण्याची, मलमूत्राची सर्व घाण रस्तोरस्ती पसरते. घराघरात घुसते. मुकी जनावरे बिचारी वाहून जातात. हे सर्व परिणाम किरकोळ वाटावेत, अशी भीषण संकटे समोर उभी ठाकतात. दैनंदिन जीवन कोलमडून पडते. रोगराईचे तांडव सुरू होते. पाऊस नसेल, तर हे सर्व टळेल, यात शंकाच नाही.

मात्र, पाण्याशिवाय जीवन नाही. आणि माणूस हा तर करामती प्राणी आहे. तो पाणी मिळवण्याचे मार्ग शोधू लागेल. समुद्राचे पाणी वापरण्याजोगे करण्याचे कारखाने सुरू होतील. त्यामुळे प्यायला पाणी मिळेल. काही प्रमाणात शेती होईल. पण हे जेवढ्यास तेवढेच असेल.

सर्वत्र पाऊस पडत आहे. रान हिरवेगार झाले आहे. फळाफुलांनी झाडे। लगडली आहेत, अशी दृश्ये कधीच आणि कुठेही दिसणार नाही. बा. भ. बोरकरांच्या कवितेतील रमणीय दृश्य हे कल्पनारम्य चित्रपटातील फॅन्टसीसारखे असेल फक्त.

समुद्रातून पाणी मिळवण्याचा उपाय तसा खूप महागडा असेल. त्यातून सर्व मानवजातीच्या सर्व गरजा भागवता येणे अशक्य होईल. उपासमार मोठ्या प्रमाणात होईल. दंगली घडतील. लुटालुटीचे प्रकार सुरू होतील. थोडकीच माणसे शिल्लक राहिली, तर ती जगूच शकणार नाहीत. इतर प्राणी त्यांना जगू देणार नाहीत. माणूस फक्त स्वत:साठी पाणी मिळवील. पण उरलेल्या प्राणिसृष्टीचे काय? ही प्राणिसृष्टी माणसांवर चाल करून येईल. वरवर वाटते तितके जीवन सोपे नसेल. माणसांचे, प्राण्यांचे मृतदेह सर्वत्र दिसू लागतील. त्यांतून कल्पनातीत रोगांची निर्मिती होईल. एकूण काय? ती सर्वनाशाकडची वाटचाल असेल.

पाऊस नसेल, तर वीजही नसेल. एका रात्रीत सर्व कारखाने थंडगार पडतील. पाणी नसल्यामुळे शेती नसेल. फळबागाईत नसेल. नेहमीच्या अन्नधान्यासाठी माणूस समुद्रातून पाणी काढील, इथपर्यंत ठीक आहे. पण अन्य अनेक पिके घेणे महाप्रचंड कठीण होईल. या परिस्थितीतून अल्प माणसांकडे काही अधिकीच्या गोष्टी असतील. बाकी प्रचंड समुदाय दारिद्र्यात खितपत राहील. त्यातून प्रचंड अराजक माजेल. याची भीषण चित्रे रंगवण्याची गरजच नाही. अल्पकाळातच जीवसृष्टी नष्ट होईल. उरेल फक्त रखरखीत, रणरणते वाळवंट. सूर्यमालिकेतील कोणत्याच ग्रहावर जीवसृष्टी अशीच नष्ट झाली नसेल ना?

नको, नको ते प्रश्न आणि त्या दृश्यांची ती वर्णने! एकच चिरकालिक १ सत्य आहे. ते म्हणजे पाऊस हवा, आषाढघन बरसायला हवाच!

वैचारिक निबंध

वैचारिक निबंधात विचाराला महत्त्व असते. मात्र, सर्व वैचारिक निबंध एकाच स्वरूपाचे नसतात. (यामध्ये विचारप्रधान, चिंतनपर, समस्याप्रधान, चर्चात्मक अशा स्वरूपांचे निबंध असतात.) काही निबंधांत विचाराला महत्त्व असते. उदा., ‘अहिंसा हाच श्रेष्ठ धर्म’, ‘दया, क्षमा, शांती हाच जीवनाचा आधार’, ‘त्यागात मैत्रीचा आत्मा’ इत्यादी. काही निबंध समस्याप्रधान असतात. उदा., ‘पर्यावरणाचा हास’, ‘फॅशनचे वेड’, ‘बालमजुरी’, ‘बेकारी’, ‘स्त्रियांवरील अत्याचार’ इत्यादी. अशा निबंधांत समस्या मांडलेली असते आणि त्या अनुषंगाने लेखक आपले विचार मांडतो. तर काही निबंध हे वादविवादात्मक स्वरूपाचे असतात. उदा., ‘मोबाइल – शाप की वरदान’, ‘आजचे तरुण बिघडले आहेत काय?’, ‘आजची स्त्री – अबला की सबला?’ इत्यादी.

वैचारिक निबंध कोणत्याही स्वरूपाचा असला, तरी त्यात एक विचार मांडलेला असतो. कोणत्याही विषयाला नेहमी दोन बाजू असतात. एक अनुकूल आणि दुसरी प्रतिकूल. अशा निबंधात केवळ आपलीच बाजू – म्हणजे अनुकूल बाजू – मांडून चालत नाही. त्या विषयाची दुसरी बाजू – म्हणजे आपल्याला न पटणारी बाजूसुद्धा – मांडावी लागते.

अशा प्रकारच्या निबंधाची मांडणी साधारणपणे पुढील प्रकारची असते :

प्रास्ताविकात विषयाची सदय:स्थिती मांडावी. त्यानंतर विरुद्ध बाजू मांडावी. लगेचच त्या बाजूतील उणिवा दाखवाव्यात. याला ‘खंडन’ असे म्हणतात. मग आपली बाजू मांडावी. याला ‘मंडन’ असे म्हणतात. खंडन – मंडन करताना दाखले दयावेत. अखेरीला आपल्या विचाराबाबतचा स्वत:चा निष्कर्ष नोंदवावा.

वैचारिक निबंधाचा एक नमुना :

सादरीकरण – एक जीवनावश्यक कौशल्य

[मुद्दे : समूहात राहणे ही माणसाची जीवनावश्यक गरज – त्यामुळे इतरांसमोर कौशल्याने सादर होणे – दैनंदिन जीवनात अनौपचारिक सादरीकरण – आधुनिक जीवन गुंतागुंतीचे – सतत विविध समूहांसमोर सादर होण्याची निकड – विशिष्ट कौशल्ये आवश्यक – पूर्वीचे जीवन शांत, संथ – सादरीकरणाचा अभ्यास करणे निकडीचे.]

असे म्हणतात की, माणूस हा सामाजिक प्राणी आहे. तो समूह करून राहतो. तो एकेकटा, स्वतंत्रपणे जगूच शकणार नाही. तो माणसांत, माणसांसोबत राहतो. तो त्याचा जगण्याचा आधारच आहे. हा आधार नसेल, तर माणूस वेडापिसाच होईल. म्हणूनच, प्राचीन काळापासून ते अगदी आजतागायत जगभर सर्व देशांमध्ये माणसाला शिक्षा केली जाते ती तुरुंगवासाची. त्याला त्याच्या कुटुंबीयांपासून, मित्रांपासून, समाजापासून तोडून टाकण्याची ती शिक्षा असते. बाह्य जगाशी कोणताही संपर्क येऊ दयायचा नाही, हीच ती शिक्षा असते. ही शिक्षा माणसाला मृत्युदंडापेक्षाही भीषण वाटत आलेली आहे. समाजात राहणे ही त्याची जीवनावश्यक गरज आहे.

समाजात राहायचे म्हणजे दुसऱ्यांच्या सोबतीने, त्यांच्या सहकार्याने राहायचे. म्हणूनच ज्यांच्यासोबत आपण राहतो, वावरतो त्यांना आपल्या इच्छा – आकांक्षा, भावना – विचार समजावून सांगणे आवश्यक ठरते. इतरांच्या इच्छा – आकांक्षांना तडे न जाता आपल्या मनाप्रमाणे जगता आले पाहिजे. म्हणूनच आपल्या कल्पना – भावना, विचार इतरांना समजावून सांगणे हे अत्यंत कौशल्याचे ठरते. याच्यासाठी सादरीकरणाची गरज आहे. स्वत:ची मते पद्धतशीरपणे समजावून सांगण्यासाठी खास युक्तिवाद करावा लागतो. ही सर्व पद्धत म्हणजेच ‘सादरीकरण’ होय.

सादरीकरणाशिवाय माणूस नाही. सादरीकरण हा माणसाच्या जगण्याचाच एक भाग आहे. आपले बोलणे, चालणे, उठणे, बसणे, वागणे, हातवारे करणे किंबहुना आपली देहबोली हे आपले सादरीकरणच होय. या सादरीकरणातून आपले व्यक्तिमत्त्व व्यक्त होत असते. आपण फारच थोड्या कृती एकट्याने, खाजगीरीत्या करतो. आपले बहुतांशी जगणे इतरांसमोर, इतरांसोबतच घडत असते. म्हणजे आपण इतरांसमोर सदोदित सादरीकरणच करीत असतो म्हणा ना!

हे सादरीकरण अनौपचारिक पद्धतीने घडत असते. म्हणूनच आईवडील किंवा अन्य वडीलधारी माणसे “उठता – बसता काळजी घे”, “असा उभा राहू नकोस, तसा राहा” या अशा सूचना करतात. इतरांसमोर आपले व्यक्तिमत्त्व चांगल्या रितीने प्रकट व्हावे, ही त्यांची इच्छा असते. म्हणजेच आपल्या देहबोलीला, आपल्या वागण्याबोलण्याला किती महत्त्व आहे, हे लक्षात येईल.

मात्र, आताचे जीवन खूप जटिल बनले आहे. खूप व्यामिश्र बनले आहे. जागतिकीकरणामुळे संपूर्ण मानवी जीवनच ढवळून निघाले आहे. कामांचे स्वरूप व व्याप्ती वाढली आहे. विविध प्रकारचे उदयोगव्यवसाय निर्माण झाले आहेत. संगणक, इंटरनेट, मोबाइल यांसारख्या माहिती तंत्रज्ञानाच्या दूतांमुळे सर्व व्यवहारांचे स्वरूप आरपार बदलले आहे. सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक क्षेत्रांत अनेकानेक घडामोडी घडताहेत. यासाठी चर्चा, परिषदा, मेळावे, बैठका, संमेलने, शिबिरे इत्यादी आयोजित केली जात आहेत. माणसांना विविध कारणांनी असे एकत्र यावे लागत आहे. अशा वेळी समूहासमोर आपल्या कल्पना, आपली मते व्यक्त करण्याची, सगळ्यांना आपले विचार समजावून सांगण्याची वेळ येते. आधुनिक काळात या सगळ्याला आपल्याला सामोरे जावे लागत आहे. हे टाळता येणे शक्यच नाही. अन्यथा आपल्याला नोकरी, धंदा वा व्यवसाय करताच येणार नाही. येथे सादरीकरणाचा संबंध येतो.

अशा या सादरीकरणाशिवाय आपण जगूच शकणार नाही.

काही वर्षांपूर्वीचे जीवन हे शांत, संथ होते. तेथे कोणाला, कशाचीही घाई नव्हती किंवा अगत्यही नव्हते. म्हणून कोणीही सैलपणाने वागला तरी ते चालून जाई. आता मात्र ते शक्य नाही. म्हणून सादरीकरणाचा अभ्यासही करावा लागेल. दुसऱ्यांसमोर आपण सादर होतो तेव्हा, उभे राहणे, बोलणे, हातवारे करणे या सगळ्यांचा काटेकोर अभ्यास करावा लागेल. कोणत्या हेतूने व कोणत्या प्रकारच्या लोकांसमोर आपण उभे राहिलो आहोत, हे लक्षात घेऊन आपल्याला आपल्या सादरीकरणाची रीत ठरवावी लागेल. सादरीकरण हे आता दुर्लक्ष करण्याएवढे बिनमहत्त्वाचे राहिले नाही. आपण शाळा – कॉलेजात अभ्यास करतो, तसा सादरीकरणाचा अभ्यास करावा लागेल. सातत्याने सराव करावा लागेल. तर आणि तरच आपला आधुनिक जगात टिकाव लागणार आहे.

सरावासाठी काही विषय

पुढील विषयावर सुमारे ३०० शब्दांत निबंध लिहा :

[टीप : बारावीच्या अभ्यासक्रमातील निबंधांच्या प्रकारांचे विवरण करताना प्रत्येक प्रकारातील एक – एक निबंध नमुन्यादाखल दिला आहे. येथे सरावासाठी निबंध – प्रकारानुसार निबंधांचे विषय व त्यांचे मुद्दे दिलेले आहेत.]

1. वर्णनात्मक निबंध

(१) माझा महाविदयालयातील पहिला दिवस

[मुद्दे : महाविदयालयात अधीरतेने प्रवेश – भुरळ घालणारे वातावरण – वर्गाचे आनंददायी दर्शन – महाविदयालयात फेरफटका – प्राचार्यांचे स्वागतपर भाषण – अखेरीला घरी परत.]

(२) आमच्या महाविदयालयातील स्नेहसंमेलन

[मुद्दे : स्नेहसंमेलनाचा दिवस – रंगमंचावर नाटक सादर करण्याची धुंदी पडदयामागील कृतींमध्येही – सर्वांच्या अंगात संमेलनाचा संचार – संमेलनात माझा सहभाग – कार्यक्रमाच्या व्यवस्थापनाची जबाबदारी – प्राध्यापकांच्या नकला, गायन, वादन, नर्तन, नाट्यछटा इत्यादी – गमतीदार स्पर्धा – संमेलन यशस्वी – सहभागाचा फार मोठा आनंद.]

(३) सूर्योदयाची सुवर्णशोभा

[मुद्दे : दिवसाचे प्रहर – नवीन दिवसाची सुरुवात – अंधाराचा नाश – सकाळचा निसर्ग व प्रसन्न वातावरण – चराचरात बदल – मानवाला दिलासा व कार्य करण्याची उमेद – सूर्योदयाचे सौंदर्य.]

(४) श्रावणातला पाऊस

[मुद्दे : प्रास्ताविक – आषाढातला पाऊस – धसमुसळेपणा करणारा – श्रावणातला पाऊस – अलवारपणा, मुलायमपणा यांचे दर्शन घडवणारा – जीवनातील सर्व कोमलता श्रावणातील पावसाकडे; म्हणूनच निसर्गाची, सौंदर्याची विविध लेणी – श्रावणातील पावसाचे एक अद्भुत दर्शन.]

(५) आमचे कनिष्ठ महाविद्यालय

[मुद्दे : कनिष्ठ महाविदयालयात प्रवेश घेण्यापूर्वी हुरहुर, उत्सुकता – काही दिवसांनी नावीन्य संपले – दैनंदिन जीवनाचा भाग – सर्वत्र मित्रांसोबत हास्य – उल्हासात वावर – आवार फार मोठे, विस्तृत नाही – इमारतही लहानच – अत्याधुनिकता, चकचकीतपणा नाही – तरीही सुंदर – विविध वर्गखोल्या, वाचनालय येथे बसण्याची, अभ्यासाची जागा निश्चित – मैदान, मनोरंजन कक्ष, कँटीन ही आनंदाची ठिकाणे – त्याचबरोबर माहितीत, ज्ञानात नवनवीन भर – नवीन कौशल्ये आत्मसात – व्यक्तिमत्त्व विकसित.]

(६) माझे आवडते शिक्षक

[मुद्दे : आवडते शिक्षक कोण? – सर्व विदयार्थ्यांचे आवडते – व्यक्तिमत्त्व वर्णन – वेशभूषा – विषय समजावून सांगण्याची हातोटी – शैक्षणिक साधनांसाठी आधुनिक तंत्रज्ञानाचा उपयोग – दैनंदिन जीवनातील साध्या प्रसंगाच्या वर्णनातून विषय शिकवायला सुरुवात – कल्पक उपक्रम – असे शिक्षक लाभले हे माझे भाग्यच.]

(७) मी पाहिलेला क्रिकेटचा सामना

[मुद्दे : आवडता खेळ – संधी मिळेल तेव्हा हाच खेळ खेळतो – कोणाचाही खेळ पाहायला आवडते – एकदा एका गल्लीतील खेळ – सुरुवातीपासून अटीतटीचा खेळ – रोमहर्षक – दोन्ही संघांची सरस कामगिरी – कोणाचा विजय, कोणाचा पराजय सांगणे अशक्य – क्षेत्ररक्षणामुळे एका संघाचा विजय – दोघांनीही एकमेकांचे अभिनंदन केले – दोन्ही कप्तानांनी प्रतिस्पर्धी संघाचे भरभरून कौतुक केले.]

(८) पावसाळ्यातील एक दिवस

[मुद्दे : नकोसा झालेला उन्हाळा – पावसाची प्रतीक्षा – कडक उन्हाचा वातावरणावर झालेला परिणाम – वरुणाची आराधना – शेतकऱ्यांची केविलवाणी स्थिती – पावसाचे अचानक आगमन – आनंदाची लहर – पावसाचे रौद्र स्वरूप – पावसाने केलेली किमया – वातावरणातील सुखद बदल – पक्ष्यांचा आनंद – पावसाचे स्वागत – शेतकऱ्याची बदललेली मन:स्थिती.]

(९) डोंगरमाथ्यावरील गाव

[मुद्दे : आंबोली – निसर्गाचे वरदान लाभलेले एक गाव – गरिबांचे महाबळेश्वर – सुंदर ठिकाणे – महादेवगड, नारायणगड – आंबोलीतील नदी – धबधबा – आंबोलीतील झाडे – साधेपणा हाच आगळेपणा.]

2. व्यक्तिचित्रणात्मक निबंध

(१०) माझे आवडते शेजारी

[मुद्दे : आमच्या वाडीवरचे शेजारी – परिसरातील सर्वांचे आवडते – व्यक्तिमत्त्व वर्णन – वेशभूषा – परिसरातील लोकांच्या हिताची कळकळ – परिसरातील मुलांना नवीन नवीन उपक्रम देण्याची कल्पकता – आम्ही भाग्यवान शेजारी.]

(११) आमची आरोग्यसेविका

[मुद्दे : गावातील एका सर्वसाधारण पदावरील व्यक्ती – सगळ्यांशी आपुलकीचे वागणे – कामाचे स्वरूप – कामाच्या प्रारंभीच घडलेले दर्शन – कार्यतत्परतेची उदाहरणे – स्वत:च्या कक्षेबाहेर जाऊन लोकहिताचे काम करण्याची वृत्ती – व्यापक दृष्टी – लोकांवर पडलेला प्रभाव.]

(१२) आमची आजी

[मुद्दे : उत्साही वयस्क स्त्री – म्हाताऱ्या स्त्रीच्या रूढ प्रतिमेविरुद्धचे दर्शन – आधुनिक वळणाची – व्यायाम करणारी – नोकरीमुळे बाह्यजगाची ओळख – प्रकृतीची काळजी, आर्थिक नियोजन, ताणतणाव समायोजन – स्वत:च्या आवडीनिवडी जोपासणे.]

(१३) माझी आई

[मुद्दे : आठवणीचा प्रसंग – दिनक्रम – कामांची त्वरा – अनेक आघाड्यांवरील कामे – कडक शिस्त – प्रसंगी धपाटे घालणारी – पण अत्यंत प्रेमळ – आमच्या बरोबर स्वत:च्या करिअरचाही विचार – आदर्श जीवनाचा विचार.]

3. आत्मवृत्तात्मक (आत्मकथनात्मक) निबंध

(१४) पृथ्वीचे मनोगत

[मुद्दे : प्रास्ताविक – पृथ्वीविषयी विचार येण्याचा एखादा प्रसंग – पृथ्वीचे निवेदन – पृथ्वीचे वय – जडणघडण – सर्व सजीव – निर्जीवांची साखळी – पर्यावरणाचे संतुलन – माणसांची संख्यावाढ – पृथ्वीचा – हास – सर्वांच्याच नाशाची शक्यता – पृथ्वीचा उपदेश – ‘पर्यावरणाचा समतोल राखा.’]

(१५) वटवृक्षाची आत्मकहाणी

[मुद्दे : वृक्ष – लहान रोपट्याचे मोठे रूप – माणसाच्या विसाव्याचे ठिकाण – मुळापासून पानापर्यंत सर्व अवयवांचा माणसाला उपयोग – माणसाच्या अनेक कृतींचा साक्षीदार – माणसाला सर्वस्वाने मदत – पर्यावरणाचा आधारस्तंभ – मी टिकलो तरच जीवसृष्टी टिकेल – मी नसेन तर जीवसृष्टी नष्ट – माणूस कृतघ्न – वृक्षाला चिंता – माणसाला विनंती.]

(१६) मी आहे पर्जन्य!

[मुद्दे : मी पाऊस! – माझी अनेक नावे – मी कसा निर्माण होतो? – वर्षाचक्र – मानवावर उपकार – नवनिर्मिती – अन्न, वस्त्र, निवारा – मी नसेन तर… दुष्काळ व जीवनाचा अंत – माझे कर्तव्य व माणसाची जबाबदारी.]

(१७) कर्जबाजारी शेतकऱ्याची कैफियत शेतकऱ्याचे मनोगत

[मुद्दे : कर्जबाजारी शेतकऱ्याचा बोलण्याचा प्रसंग – हताश – आत्महत्या करावी का, या विचारात – चहूबाजूंनी कोंडमारा – अनेकांचा गैरसमज आम्ही आळशी – सुका – ओला दुष्काळ – माणसे, गुरेढोरे यांचे अनंत हाल – आमच्या उत्पादनाला नगण्य किंमत – शिक्षण, आरोग्य यांची प्रचंड आबाळ – कर्जाला दुसरा पर्यायच नसतो – शासनाकडून आम्हांला कर्जमाफी किंवा नको – रस्ता, पाणी, वीज, आरोग्य, शिक्षण आणि शेतमालासाठी विपणन व्यवस्था एवढीच शासनाकडून अपेक्षा – संपूर्ण देशाचेच चित्र बदलता येईल.]

(१८) शौर्यपदक विजेत्या सैनिकाचे मनोगत

[मुद्दे : शौर्यपदक जाहीर झाले त्या वेळची भावना – सैन्यदलात प्रवेश घेण्याचा हेतू सफल – मनात भूतकाळ जागा – सैन्यदलाचे आकर्षण का व कसे? – आधुनिक काळातील संकटे कोणत्या स्वरूपाची? – माहितीजालावरील युद्धे – देशाला त्या दृष्टीनेही तयार राहण्याची गरज – सैनिकाचे काम न संपणारे.]

(१९) एका संगणकाचे मनोगत

[मुद्दे : कामे सुलभ, अचूक व वेगाने – प्रवास, बँका, खरेदी – विक्री इत्यादींसंबंधातील सर्व कामे सुलभ, घरबसल्या – कामकाजात पारदर्शकता – भ्रष्टाचाराला अटकाव – सर्व जग जवळ – जीवनाच्या सर्व क्षेत्रांत आमूलाग्र बदल – माझ्या नावाला बट्टा लागला – गेम खेळणे, इतर कामे बाजूला ठेवून माझ्यातच बुडून जाणे, आरोग्याची काळजी न घेणे वगैरे – संकेतस्थळे हॅक करणे ही गुंडगिरीच – या अपप्रवृत्तींविरुद्ध लढणे आवश्यक.]

(२०) नापास झालेल्या विदयार्थ्याचे आत्मकथन

[मुद्दे : नापास होण्याचा दिवस – त्या दिवसाचा अनुभव – नापासानंतर पुढचा टप्पा? – कारणांचा शोध – निश्चय – अन्य कौशल्ये प्राप्त करण्याचा प्रयत्न – पुढील शिक्षणात यश – अन्य कौशल्यांचा फायदा – व्यावसायिक यश.]

(२१) वृद्धाश्रमातील वृद्धाचे मनोगत

[मुद्दे : प्रवेश केला तेव्हा एक प्रकारची हुरहुर – बरेचसे दु:ख पण थोडी आशा – कालांतराने वातावरण स्पष्ट – सगळेच वृद्ध, सगळेच कमकुवत – आजारांनी त्रस्त झालेले – कंटाळलेले, हताश, दु:खी – घरातले चैतन्य नाही – – आधुनिक जीवनाची आपत्ती – मुलांना घरात म्हातारी माणसे नकोत – समविचारी, समानशील व्यक्तींनी, मित्रांनी म्हातारपणी एकत्र राहण्याचा निर्णय घेणे आवश्यक – स्वत:ला स्वत:तच रमवणारा छंद जोपासणे आवश्यक.]

(२२) सर्कशीतील हत्तीचे मनोगत

[मुद्दे : वृद्ध हत्ती – मनोगत – सध्या सर्कशीत प्राण्यांना बंदी – खूप आनंद – अत्याचार, फटके, गुलामगिरी यांतून सर्वांची मुक्तता – नाइलाजास्तव मनाविरुद्ध कामे करणे – खूप यातना – प्राणिमित्रांमुळे सुटका – पुढच्या जन्मात प्राणिमित्राचा जन्म मिळावा.]

(२३) पूरग्रस्ताची कैफियत

[मुद्दे : पूरग्रस्त मुलगा – जुन्या आठवणी – अनपेक्षित धक्का – झाडा – घरांची पडझड – अनेक घरांत मृत्यू – प्रचंड वाताहत – सगळीकडून मदतकार्य – भ्रष्टाचारामुळे अनेकजण मदतीला वंचित.]

4. कल्पनाप्रधान निबंध

(२४) माणूस हसण्याची शक्ती गमावून बसला तर…

[मुद्दे : हास्य – फक्त माणसाला लाभलेली शक्ती – हास्य हे आनंदाचे, सुखाचे निदर्शक – हसण्याने दु:ख हलके – हास्यवृत्ती असलेली व्यक्ती स्वत:च्या उणिवांकडे तटस्थपणे पाहू शकते – विसंगती हेरण्याची शक्ती लाभते – कोणालाही न दुखावता उणिवा दाखवण्याची शक्ती लाभते – मन सदोदित उत्साहात राहते – कार्यशक्ती वाढते – सहकार्याची वृत्ती वाढते – ही शक्ती गमावल्यास माणसाचे फार मोठे नुकसान – जीवन रूक्ष वाळवंट होईल.]

(२५) झाडांनी प्राणवायू सोडायचे बंद केले तर…

[मुद्दे : झाडांमुळे वातावरणातील प्राणवायूचे प्रमाण टिकते – हवा शुद्ध राहते – झाडांनी प्राणवायू सोडणे बंद केल्यास भीषण परिणाम – वातावरणातील प्राणवायू हळूहळू नष्ट होऊन कार्बन डायऑक्साइडचे प्रमाण वाढेल – हरितगृह परिणाम दिसू लागतील – जागतिक तापमानात वाढ होईल – विविध सूक्ष्म जीवांची वाढ होईल – दोन्ही ध्रुवांकडील बर्फ वितळेल – समुद्रपातळीत वाढ होईल – हळूहळू बराच भाग पाण्याखाली जाईल – ऋतूंची साखळी विस्कटेल – जीवसृष्टीच नष्ट होईल.]

(२६) माणूस बोलणे विसरला तर…

[मुद्दे : माणसाला लाभलेली फार मोठी देणगी – विचार, कल्पना, भावना व्यक्त करण्याचे साधन – सर्व माणसांना एकत्र ठेवणारी शक्ती – – एकमेकांशी संपर्क साधणे ही माणसाची मूलभूत गरज – भाषा नसेल तर माणसाची घुसमट – अनेक व्यावहारिक अडचणी – प्रगतीत फार मोठे अडथळे – न बोलण्यातून गमतीदार प्रसंग – भाषेअभावी आनंदाचा लोप – भाषेशिवाय माणूस अपूर्ण.]

(२७) परीक्षा नसत्या तर…
[मुद्दे : परीक्षांमध्ये गोंधळ उडण्याचे प्रसंग – परीक्षांचा त्रास – दडपण, भीती – सर्वांच्या अपेक्षांचे दडपण – परीक्षा नसत्या तर या अडचणी दूर – विदयार्थ्यांना मोकळा वेळ – पण नवीन अडचणी – कुवत, क्षमता तपासणे अशक्य – विविध पदांसाठी योग्य व्यक्तीची निवड करणे कठीण – कोणतेही काम दर्जेदार होणे अशक्य – उच्च जीवनमान न मिळणे – प्रगती कठीण – समाजाचे नुकसान – परीक्षा आवश्यक.]

(२८) पाऊस पडलाच नाही तर…

[मुद्दे : पाऊस नकोसा वाटावा असा प्रसंग – पाऊस पडलाच नाही, तर पावसामुळे होणारे नुकसान टळेल – सर्वत्र चिखल होऊन सहन करावा लागणारा त्रास टळेल – गटारे तुंबणे, रस्त्यात पाणी साचणे इत्यादी अडचणी उद्भवणार नाहीत – रोगराईचा प्रसार उद्भवणार नाही – पुरामुळे होणारी अपरिमित हानी टळेल – परंतु शेती नसेल – अन्नधान्याचे उत्पादन नाही – वीज नसेल – शेती व उदयोगधंदे नष्ट – विलोभनीय सृष्टिसौंदर्याला पारखे होण्याची वेळ – पाऊस, पाणी हे सर्व निर्मितीचे आदिकारण – पाऊस हवाच.]

(२९) सूर्य उगवला नाही तर…

[मुद्दे : सकाळी वेळेवर उठण्याचा त्रास नाही – रस्त्यावर घाईगडबड नाही – घामाच्या धारा वा उन्हाचा ताप नाही – उन्हामुळे ओढे – नदी – नाले आटणार नाहीत – कितीही वेळ टी. व्ही. पाहता येणे – दिवस नसल्याने शाळेतील मित्र नाहीत – ज्ञानाचा विकास नाही – कारखाने – कार्यालये नसतील – नोकऱ्या नाहीत – पाऊस नसल्याने शेती नाही – उपासमार – प्राणिसृष्टी धोक्यात – सूर्य जीवनदाता – तो हवाच.]

(३०) वृत्तपत्रे बंद पडली तर…

[मुद्दे : हा विचार मनात आणणारा प्रसंग – वर्तमानपत्रात आदल्या दिवसापर्यंतच्याच बातम्या – वाचकांच्या प्रतिसादाला मर्यादित जागा – ताज्या ताज्या घडामोडींच्या समावेशाने इलेक्ट्रॉनिक माध्यमे सत्य लवकर जगासमोर आणतात – बातम्यांची विश्वासार्हता कमी होण्याचा धोका – बातमी पुन्हा तपासून पाहण्याची संधी जाणार – बातम्यांचे स्पष्ट आकलन होण्यास मदत – वर्तमानपत्र कुठेही वाचता येते – वर्तमानपत्रे बंद होणे अशक्य.]

(३१) परीक्षा नसत्या तर…

[मुद्दे : परीक्षा नसत्या तर हा विचार मनात आणणारा प्रसंग – वर्षअखेरीला तीन तासांत तपासणी ही चुकीची पद्धत – परीक्षेमुळे विदयार्थ्यांमध्ये भेदभाव – परीक्षेचा चुकीचा अर्थ – परीक्षा नसेल तर अनागोंदी – मिळालेल्या ज्ञानाची तपासणी म्हणजे परीक्षा – जीवनात प्रत्येक क्षणाला परीक्षा – परीक्षा नसेल तर कामे अशक्य – प्रगती अशक्य.]

(३२) भ्रमणध्वनी (मोबाइल) बंद झाले तर…

[मुद्दे : काही कारणांनी मोबाइलवर बंदी – अनेक दुरुपयोग थांबले – गैरवर्तन नियंत्रणात – पण अल्पावधीतच हाहाकार – अनेक अडचणींना सुरुवात – संवाद थांबला – व्हिडिओ कॉन्फरन्सिंग बंद – म्हणून बैठकांमध्ये वेळाचा अपव्यय – कामांचा, निर्णयांचा वेग मंदावला – बँक सुविधांना वंचित – खरेदीविक्रीत अडथळे – आर्थिक मंदी – नोकऱ्यांमध्ये कपात – अभ्यासात, शासकीय कामांत अडथळे – नागरिकांच्या हातचे एक समर्थ साधन गायब.]

5. वैचारिक निबंध

(३३) स्त्री – कुटुंबव्यवस्थेचा कणा

[मुद्दे : कुटुंब हा समाजाचा महत्त्वाचा मूलभूत घटक – समाजाला टिकवून ठेवणारा – कुटुंबातील मुले, प्रौढ व वृद्ध या सगळ्यांची काळजी वाहिली जाते – म्हणून कुटुंब महत्त्वाचे – कुटुंबातील मुख्य स्त्रीमुळे कुटुंब टिकून राहते – मुलांच्या खाण्यापिण्याची, अभ्यासाची, भवितव्याची चिंता मुख्यतः स्त्रीच वाहते – वृद्धांच्या गरजांबाबत तीच दक्ष असते – घरातील सगळी माणसे भावनिकदृष्ट्या स्त्रीला बांधलेली – स्त्री नसेल तर घरातील वातावरण कोरडे होते; नाती विस्कटतात – स्त्रीच कुटुंबाला धरून ठेवते.]

(३४) समाज घडवण्यात युवकांची जबाबदारी

[मुद्दे : आज देशापुढे अनेक आव्हाने – या आव्हानांना तरुणच सामोरे जाऊ शकतात – उदा., भ्रष्टाचार – कोणत्याही परिस्थितीला तोंड देण्यास मानसिकदृष्ट्या तरुणच तयार असतात – ज्येष्ठ व्यक्ती तडजोडीला पटकन तयार होतात – यामुळे भ्रष्टाचाराला वाव – राजकारण – समाजकारण यांत सुधारणा आवश्यक – आधुनिक जीवनाला अनुसरून नवीन समाजरचना हवी – ज्येष्ठांना नवीन रचना झेपत नाही – उदयोग – व्यापारात धडाडी हवी – ज्येष्ठांपेक्षा तरुणच धडाडीने काम करू शकतात.].

(३५) संगणक साक्षरता : काळाची गरज

[मुद्दे : मानवी जीवनाच्या प्रत्येक क्षेत्रात संगणकाचा प्रवेश – संगणकाबद्दल अनेक तक्रारी – मात्र, संगणकाचे अनेक फायदे – पावलोपावली संगणकाची गरज – संगणक साक्षरता अटळ – – अन्यथा प्रगती नाही.]

(३६) आजच्या काळातील बदलते स्त्री – जीवन

[मुद्दे : स्त्री – परंपरा – दोन पिढ्यांतील अंतर – शिक्षणाचे , परिणाम – पाश्चात्त्य संस्कृतीचे अनुकरण – स्त्रीचे वळण – 3 स्त्रीचे नवे वळण – नवी स्त्री स्वावलंबी – पुरुषप्रधान । संस्कृतीचे वर्चस्व – विविध क्षेत्रांत आघाडी – स्त्री – मुक्तीची वाटचाल – परिवर्तन.]

(३७) विज्ञानयुगातील अंधश्रद्धा

[मुद्दे : खूप पूर्वीपासून अंधश्रद्धांचा पगडा – एकोणिसाव्याविसाव्या शतकांत विज्ञानाचा प्रसार – विज्ञानावर आधारित यंत्रसामग्री व उपकरणे यांचा वाढता वापर – जीवनाच्या प्रत्येक क्षेत्रात विज्ञानाचा वापर – पण वैज्ञानिक दृष्टीचा अभाव – अजूनही अंधश्रद्धा – अज्ञानी जनतेची फसवणूक, लुबाडणूक, पिळवणूक – प्रबोधनाची प्रचंड आवश्यकता.]

(३८) नववर्षाचे स्वागत

[मुद्दे : अलीकडच्या काळात फोफावलेला उत्सव – मागील वर्षाला निरोप व नववर्षाचे स्वागत – जातपात, धर्म, पंथ, भाषा वगैरे सर्व भेदांच्या पलीकडे जाणारा उत्सव – सर्व वयोगटांतील व्यक्ती सहभागी – पण अनिष्ट प्रवृत्तींचा आढळ – अनेक ठिकाणी केवळ धांगडधिंगा व धूम्रपान, मदयपान, अमली पदार्थांचे सेवन – याचे शुद्धीकरण आवश्यक.]

(३९) मुलगी झाली हो!
स्वागत करू या मुलीच्या जन्माचे!

[मुद्दे : मुलगी जन्मली की दुःख – स्त्रीला कमी लेखणे – मुलींना घरकामाला जुंपणे – मुलींच्या शिक्षणाला कमी महत्त्व – पण स्त्रीमुळे घराची प्रगती – स्त्री सुशिक्षित तर सगळे घर सुशिक्षित – अनेक उच्च पदांवर स्त्रिया समर्थपणे कार्यरत – स्त्रियांना समान हक्क आवश्यक – नाही तर देशाची प्रगती अशक्य – म्हणून ‘मुलगी झाली हो!’ या घटनेचे स्वागत करू या.]

(४०) संगणक : आपला मित्र

[मुद्दे : संगणकाच्या दुष्परिणामांची एक – दोन उदाहरणे – मुलांकडून होणारा दुरुपयोग – वृत्तींवर परिणाम – संगणकाचे उपयोग मुले कोणत्या कारणांसाठी करतात – संगणक मोकळेपणाने वापरू देणे व समजावून सांगणे – नवीन सुधारणांमुळे नवीन संकटे – म्हणून बंदी घालणे अयोग्य – संगणक आपला मित्र आहे – त्याचा योग्य उपयोग करायला शिकवणे आवश्यक.]

(४१) वृक्षवल्ली आम्हां सोयरी वनचरे

[मुद्दे : संत तुकाराम महाराजांची सुप्रसिद्ध उक्ती – त्या उक्तीतून वनस्पती, प्राणी, माणूस या सर्वांविषयीचे प्रेम व्यक्त – पृथ्वीवर फक्त माणूसच महत्त्वाचा नाही – अन्य जीवही महत्त्वाचे – सूक्ष्मातिसूक्ष्म जीवजंतूंपासून ते देवमाशासारख्या महाकाय प्राण्यांपर्यंत सर्वांना महत्त्व – यात पर्यावरणाचा समतोल – माणसाचे जीवन सुखकर होण्यासाठी, त्याच्या अस्तित्वासाठी पर्यावरणाचा समतोल महत्त्वाचा – झाडे लावा, झाडे जगवा.]

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण अलंकार

Balbharti Maharashtra State Board Marathi Yuvakbharati 12th Digest व्याकरण अलंकार Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण अलंकार

12th Marathi Guide व्याकरण अलंकार Textbook Questions and Answers

कृती

1. खालील ओळींतील अलंकार ओळखून त्याचे नाव लिहा.

(१) वीर मराठे आले गर्जत!
पर्वत सगळे झाले कंपित!
(२) सागरासारखा गंभीर सागरच!
(३) या दानाशी या दानाहुन
अन्य नसे उपमान
(४) न हा अधर, तोंडले नव्हत दांत हे की हिरे।

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(५) अनंत मरणे अधी मरावी,
स्वातंत्र्याची आस धरावी,
मारिल मरणचि मरणा भावी,
मग चिरंजीवपण ये बघ तें.

(६) मुंगी उडाली आकाशी
तिने गिळिले सूर्यासी!

(७) फूल गळे, फळ गोड जाहलें,
बीज नुरे, डौलात तरू डुले;
तेज जळे, बघ ज्योत पाजळे;
का मरणिं अमरता ही न खरी?
उत्तर :
(१) अतिशयोक्ती अलंकार
(२) अनन्वय अलंकार
(३) अपन्हुती अलंकार
(४) अपन्हुती अलंकार
(५) अर्थान्तरन्यास अलंकार
(६) अतिशयोक्ती अलंकार
(७) अर्थान्तरन्यास अलंकार

2. खालील तक्ता पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण अलंकार 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण अलंकार 3

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3. खालील कृती करा.

(१) कर्णासारखा दानशूर कर्णच.
वरील वाक्यातील-
उपमेय ………………………….
उपमान ………………………….

(२) न हे नभोमंडल वारिराशी आकाश
न तारका फेनचि हा तळाशी पहिल्या ओळीतील-
उपमेय ………………………….
उपमान ………………………….

दुसऱ्या ओळीतील
उपमेय ………………………….
उपमान ………………………….
उत्तर :
(१) उपमेय : कर्ण (दानशूरत्व)
उपमान : कर्ण

(२) पहिल्या ओळीतील – उपमेय : नभोमंडल (आकाश)
उपमान : आकाश
दुसऱ्या ओळीतील – उपमेय : तारका
उपमान : तारका

4. खालील तक्ता पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण अलंकार 2
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण अलंकार 4

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण अलंकार

अलंकार म्हणजे काय?

अलंकार म्हणजे आभूषणे किंवा दागिने. अधिक सुंदर दिसण्यासाठी व्यक्ती दागिने घालतात, त्याप्रमाणे आपली भाषा अधिक सुंदर, अधिक आकर्षक व अधिक परिणामकारक करण्यासाठी कवी (साहित्यिक) भाषेला अलंकाराने सुशोभित करतात.

एखादया माणसाचे शूरत्व सांगताना → तो शूर आहे → सामान्य वाक्य तो वाघासारखा शूर आहे → आलंकारिक वाक्य. ← असा वाक्यप्रयोग केला जातो.

अशा प्रकारे ज्या ज्या गुणांमुळे भाषेला शोभा येते, त्या त्या गुणधर्मांना भाषेचे अलंकार म्हणतात.

भाषेच्या अलंकारांचे दोन मुख्य प्रकार आहेत :

  • शब्दालंकार
  • अर्थालंकार.

आपल्याला या इयत्तेत

  • अनन्वय
  • अपन्हुती
  • अतिशयोक्ती
  • अर्थान्तरन्यास हे चार अर्थालंकार शिकायचे आहेत.

उपमेय आणि उपमान म्हणजे काय?
पुढील वाक्य वाचा व अधोरेखित शब्दांकडे नीट लक्ष दया : भीमा वाघासारखा शूर आहे.
‘भीमा’ हे उपमेय आहे; कारण भीमाबद्दल विशेष सांगितले आहे. भीमाला वाघाची उपमा दिली आहे.
‘वाघ’ हे उपमान आहे; कारण भीमा हा कसा शूर आहे, ते सांगितले आहे.

म्हणून,

  • ज्याला उपमा देतात, त्यास उपमेय म्हणतात.
  • ज्याची उपमा देतात, त्यास उपमान म्हणतात.

म्हणून,

  • भीमा → उपमेय
  • वाघ → उपमान
  • साधर्म्य गुणधर्म → शूरत्व.

अनन्वय अलंकार
पुढील उदाहरणांचे निरीक्षण करा व कृती सोडवा :

  • आहे ताजमहाल एक जगती तो तोच त्याच्यापरी
  • या आंब्यासारखा गोड आंबा हाच.
  • वरील दोन्ही उदाहरणांतील उपमेये – ताजमहाल, आंबा
  • वरील दोन्ही उदाहरणांतील उपमाने – ताजमहाल, आंबा

निरीक्षण केल्यानंतर वरील उदाहरणांत उपमेय व उपमान एकच आहेत, असे लक्षात येते.

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जेव्हा उपमेयाला कशाचीच उपमा देता येत नाही व जेव्हा उपमेयाला उपमेयाचीच उपमा देतात, तेव्हा अनन्वय अलंकार होतो. [अन् + अन्वय (संबंध) = अनन्वय (अतुलनीय)]

अनन्वय अलंकाराची वैशिष्ट्ये (लक्षणे) :

  • उपमेय हे अद्वितीय असते. त्यास कोणतीच उपमा लागू पडत नाही.
  • उपमेयाला योग्य उपमान सापडतच नाही; म्हणून उपमेयाला उपमेयाचीच उपमा दयावी लागते.

अनन्वय अलंकाराची काही उदाहरणे :

  • ‘झाले बहु, होतिल बहू, आहेतहि बहू, परंतु या सम हा।’
  • या दानासी या दानाहुन अन्य नसे उपमान
  • आईसारखे दैवत आईच!

अपन्हुती अलंकार

पुढील उदाहरणांचे निरीक्षण करा व कृती सोडवा :
उदा., न हे नयन, पाकळ्या उमलल्या सरोजांतिल।
न हे वदन, चंद्रमा शरदिचा गमे केवळ।।

वरील उदाहरणातील –

वरील उदाहरणांत उपमेयांचा निषेध केला आहे व उपमेय, उपमान हे उपमानेच आहे, अशी मांडणी केली आहे.

जेव्हा उपमेयाचा निषेध करून उपमेय हे उपमानच आहे, असे जेव्हा सांगितले जाते, तेव्हा अपन्हुती अलंकार होतो.

अपन्हुती अलंकाराची वैशिष्ट्ये (लक्षणे) :

  • उपमेयाला लपवले जाते व निषेध केला जातो.
  • उपमेय हे उपमेय नसून उपमानच असे ठसवले जाते.
  • निषेध दर्शवण्यासाठी ‘न, नव्हे, नसे, नाहे, कशाचे’ असे शब्द येतात.

अपन्हुती अलंकाराची काही उदाहरणे :

  1. ओठ कशाचे? देठचि फुलल्या पारिजातकाचे।
  2. हे हृदय नसे, परि स्थंडिल धगधगलेले।
  3. मानेला उचलीतो, बाळ मानेला उचलीतो।
    नाही ग बाई, फणा काढुनि नाग हा डोलतो।।
  4. हे नव्हे चांदणे, ही तर मीरा गाते
  5. आई म्हणोनि कोणी। आईस हाक मारी
    ती हाक येई कानी। मज होय शोकारी
    नोहेच हाक माते। मारी कुणी कुठारी.

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अतिशयोक्ती अलंकार
पुढील उदाहरणांचे निरीक्षण करा व त्यातील अतिरेकी (असंभाव्य) वर्णन समजून घ्या :
दमडिचं तेल आणलं, सासूबाईचं न्हाणं झालं
मामंजींची दाढी झाली, भावोजीची शेंडी झाली
उरलं तेल झाकून ठेवलं, लांडोरीचा पाय लागला
वेशीपर्यंत ओघळ गेला, त्यात उंट पोहून गेला.
दमडीच्या तेलात कोणकोणत्या गोष्टी उरकल्या हे सांगताना त्या वस्तुस्थितीपेक्षा कितीतरी गोष्टी फुगवून सांगितल्या आहेत.

जसे की, एका दमडीच्या (पैशाच्या) विकत आणलेल्या तेलात काय काय घडले? →

  • सासूबाईचे न्हाणे
  • मामंजीची दाढी
  • भावोजीची शेंडी
  • कलंडलेले तेल वेशीपर्यंत ओघळले
  • त्यात उंट वाहून गेला.

या सर्व अशक्यप्राय गोष्टी घडल्या. म्हणजेच अतिशयोक्ती केली आहे.
जेव्हा एक कल्पना फुगवून सांगताना त्यातील असंभाव्यता (अशक्यप्रायता) अधिक स्पष्ट करून सांगितलेली असते, तेव्हा अतिशयोक्ती अलंकार होतो.

अतिशयोक्ती अलंकाराची वैशिष्ट्ये (लक्षणे) :

  • एखाद्या गोष्टीचे, प्रसंगाचे, घटनेचे, कल्पनेचे अतिव्यापक फुगवून अशक्यप्राय केलेले वर्णन.
  • त्या वर्णनाची असंभाव्यता, कल्पनारंजकता अधिक स्पष्ट केलेली असते.

अतिशयोक्ती अलंकाराची काही उदाहरणे :

  1. ‘जो अंबरी उफाळतां खुर लागलाहे।
    तो चंद्रमा निज तनुवरि डाग लाहे।।’
  2. काव्य अगोदर झाले नंतर जग झाले सुंदर।
    रामायण आधी मग झाला राम जानकीवर।।
  3. सचिनने आभाळी चेंडू टोलवला।
    तो गगनावरी जाऊन ठसला।।
    तोच दिवसा जैसा दिसतो चंद्रमा हसला।।

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अर्थान्तरन्यास
पुढील उदाहरणांचे निरीक्षण करा व समजून घ्या :
‘बोध खलास न रुचे अहिमुखी दुग्ध होय गरल।
श्वानपुच्छ नलिकेत घातले होईना सरल।।
[खल = दुष्ट, अहि = साप, गरल = विष, श्वान = कुत्रा, पुच्छ = शेपटी]
दुष्ट माणसाला कितीही उपदेश केला तरी तो आवडत नाही, हे स्पष्ट करताना सापाला पाजलेल्या दुधाचे रूपांतर विषातच होते, हे उदाहरण देऊन ‘कुत्र्याची शेपटी नळीत घातली, तरी वाकडीच राहणार’, हा सर्वसामान्य सिद्धांत मांडला आहे.
एका अर्थाचा समर्थक असा दुसरा अर्थ ठेवणे, हा या अलंकाराचा उद्देश असतो.

एका अर्थाचा समर्थक असा दुसरा अर्थ शेजारी ठेवणे म्हणजेच ५ एक विशिष्ट अर्थ दुसऱ्या व्यापक अर्थाकडे नेऊन ठेवणे व सर्वसामान्य सिद्धांत मांडणे, यास अर्थान्तरन्यास अलंकार म्हणतात.

अर्थान्तरन्यास अलंकाराची वैशिष्ट्ये (लक्षणे) :

  • विशेष उदाहरणावरून एखादा सर्वसामान्य सिद्धांत मांडणे.
  • सामान्य विधानाच्या समर्थनार्थ विशेष उदाहरण देणे.
  • अर्थान्तर – म्हणजे दुसरा अर्थ. न्यास – म्हणजे शेजारी ठेवणे.

अर्थान्तरन्यास अलंकाराची काही उदाहरणे :

  1. तदितर खग भेणे वेगळाले पळाले।
    उपवन-जल-केली जे कराया मिळाले।।
    स्वजन, गवसला जो, त्याजपाशी नसे तो।
    कठिण समय येता कोण कामास येतो?
  2. होई जरी सतत दुष्टसंग
    न पावती सज्जन सत्त्वभंग
    असोनिया सर्प सदाशरीरी
    झाला नसे चंदन तो विषारी
  3. अत्युच्च पदी थोरही बिघडतो हा बोल आहे खरा
  4. जातीच्या सुंदरा काहीही शोभते.

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12th Marathi Guide व्याकरण प्रयोग Textbook Questions and Answers

कृती

1. खालील वाक्यांतील प्रयोग ओळखा.

प्रश्न 1.
(a) मुख्याध्यापकांनी इयत्ता दहावीच्या गुणवंत विदयार्थ्यांना बोलावले.
(b) कप्तानाने सैनिकांना सूचना दिली.
(c) मुले प्रदर्शनातील चित्रे पाहतात.
(d) तबेल्यातून व्रात्य घोडा अचानक पसार झाला.
(e) मावळ्यांनी शत्रूस युद्धभूमीवर घेरले.
(f) राजाला नवीन कंठहार शोभतो.
(g) शेतकऱ्याने फुलांची रोपे लावली.
(h) आकाशात ढग जमल्यामुळे आज लवकर सांजावले.
(i) युवादिनी वक्त्याने प्रेरणादायी भाषण दिले..
(j) आपली पाठ्यपुस्तके संस्कारांच्या खाणी असतात.
उत्तर :
(a) भावे प्रयोग
(b) कर्मणी प्रयोग
(c) कर्तरी प्रयोग
(d) कर्तरी प्रयोग
(e) भावे प्रयोग
(f) कर्तरी प्रयोग
(g) कर्मणी प्रयोग
(h) भावे प्रयोग
(i) कर्मणी प्रयोग
(j) कर्तरी प्रयोग.

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2. सूचनेनुसार सोडवा

प्रश्न अ.
कर्तरी प्रयोग असलेल्या वाक्यासमोर ✓ अशी खूण करा.
(a) गुराख्याने गुरांना विहिरीपासून दूर नेले.
(b) सकाळी तो सरावासाठी मैदानावर गेला. [✓]
(c) विदयार्थ्यांनी कार्यक्रमाच्या सुरुवातीला स्वागतगीत गायले.
उत्तर :
(b) सकाळी तो सरावासाठी मैदानावर गेला. [✓]

प्रश्न आ.
कर्मणी प्रयोग असलेल्या वाक्यासमोर ✓ अशी खूण करा.
(a) सुजाण नागरिक परिसर स्वच्छ ठेवतात.
(b) शिक्षकाने विदयार्थ्यास शिकवले.
(c) भारतीय संघाने विश्वचषक स्पर्धा जिंकली. [✓]
उत्तर :
(c) भारतीय संघाने विश्वचषक स्पर्धा जिंकली. [✓]

प्रश्न इ.
भावे प्रयोग असलेल्या वाक्यासमोर ✓ अशी खूण करा.
(a) आज लवकर सांजावले.
(b) त्याने कपाटात पुस्तक ठेवले. [✓]
(c) आम्ही अनेक किल्ले पाहिले.
उत्तर :
(a) आज लवकर सांजावले. [✓]

Marathi Yuvakbharati 12th Digest व्याकरण प्रयोग Additional Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
उदाहरण वाचा. कृती करा : विदयार्थी पाठ्यपुस्तक आवडीने वाचतो.
(१) वाक्यातील क्रियापद. → [ ]
(२) पाठ्यपुस्तक आवडीने वाचणारा तो कोण? → [ ]
(३) वाचले जाणारे ते काय? → [ ]
(४) वरील वाक्यातील क्रिया कोणती? → [ ]
उत्तर :
(१) वाचणे
(२) विदयार्थी
(३) पाठ्यपुस्तक
(४) वाचण्याची

पुढील वाक्य नीट वाचा व अधोरेखित शब्दांकडे लक्ष दया :

  • समीर पुस्तक वाचतो.
  • वरील वाक्यात ‘वाचतो‘ हे क्रियापद आहे. त्यात वाचण्याची क्रिया दाखवलेली आहे.
  • वाचण्याची क्रिया समीर करतो.
  • वाचण्याची क्रिया पुस्तकावर घडते आहे.

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण प्रयोग

जो क्रिया करतो, त्याला कर्ता म्हणतात. म्हणून समीर हा कर्ता आहे. ज्यावर क्रिया घडते, त्याला कर्म म्हणतात. म्हणून पुस्तक हे कर्म आहे.

म्हणून,
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण प्रयोग 1

वाक्यात क्रियापदाचा काशी व कर्माशी लिंग-वचन-पुरुष याबाबतीत जो संबंध असतो, त्या संबंधाला प्रयोग म्हणतात.

मराठीत प्रयोगाचे मुख्य तीन प्रकार आहेत :

  • कर्तरी प्रयोग
  • कर्मणी प्रयोग
  • भावे प्रयोग.

कर्तरी प्रयोग

प्रश्न  1.
पुढील उदाहरणे वाचून कृती करा :
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण प्रयोग 2
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण प्रयोग 3
उत्तर :
(१) कर्त्याचे लिंग बदलले.
(२) कर्त्याचे वचन बदलले.
(३) कर्त्याचा पुरुष बदलला.

पुढील वाक्य नीट वाचा :
समीर पुस्तक वाचतो. (समीर कर्ता आहे.)
कर्त्याचे अनुक्रमे लिंग-वचन-पुरुष बदलू या.

  • सायली पुस्तक वाचते. (लिंगबदल केला.)
  • ते पुस्तक वाचतात. (वचनबदल केला.)
  • तू पुस्तक वाचतोस. (पुरुषबदल केला.)

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण प्रयोग

म्हणजे,
कर्त्याच्या लिंग, वचन व पुरुष बदलामुळे अनुक्रमे वाचतो हे क्रियापद → वाचते, वाचतात, वाचतोस असे बदलले. म्हणजेच कर्त्याप्रमाणे क्रियापद बदलले.

जेव्हा कर्त्याच्या लिंग-वचन-पुरुषाप्रमाणे क्रियापद बदलते, तेव्हा कर्तरी प्रयोग होतो.

कर्तरी प्रयोगाची वैशिष्ट्ये (लक्षणे) :

  • कर्ता प्रथमा विभक्तीत असतो. (प्रत्यय नसतो.)
  • कर्म असल्यास ते प्रथमा किंवा द्वितीया विभक्तीत असते.
  • कर्तरी प्रयोगातील क्रियापद बहुधा वर्तमानकाळी असते.
  • क्रियापद कर्त्याच्या लिंग, वचन, पुरुषाप्रमाणे बदलते.

कर्मणी प्रयोग

प्रश्न  1.
पुढील उदाहरणे वाचून कृती करा :
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण प्रयोग 4
उत्तर :
(१) कर्माचे लिंग बदलले.
(२) कर्माचे वचन बदलले.

पुढील वाक्य नीट वाचा :
समीरने पुस्तक वाचले. (पुस्तक कर्म आहे.)
कर्माचे लिंग व वचन बदलू या.

  • समीरने गोष्ट वाचली. (लिंगबदल केला.)
  • समीरने पुस्तके वाचली. (वचनबदल केला.)

म्हणजे,
कर्माच्या लिंग-वचन बदलामुळे अनुक्रमे वाचले हे क्रियापद → वाचली, असे बदलले.

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण प्रयोग

म्हणजेच कर्माप्रमाणे क्रियापद बदलले.

जेव्हा कर्माच्या लिंग-वचनाप्रमाणे क्रियापद बदलते, तेव्हा कर्मणी प्रयोग होतो.

कर्मणी प्रयोगाची वैशिष्ट्ये (लक्षणे) :

  • (१) कर्ता बहुधा तृतीयेत असतो. (प्रत्यय असतो.)
  • (२) कर्म नेहमी प्रथमा विभक्तीत असते. (प्रत्यय नसतो.)
  • (३) कर्मणी प्रयोगातील क्रियापद बहुधा भूतकाळी असते.
  • (४) क्रियापद कर्माच्या लिंग-वचनाप्रमाणे बदलते.

भावे प्रयोग

प्रश्न  1.
पुढील वाक्यात रोखणे क्रियापदाचे योग्य रूप लिहा :

(a) सैनिकाने शत्रूला सीमेवर ………………………………..
(b) सैनिकांनी शत्रूला सीमेवर ………………………………..
(c) सैनिकांनी शत्रूना सीमेवर ………………………………..
उत्तर :
(a) रोखले
(b) रोखले
(c) रोखले.

प्रश्न  2.
पुढील वाक्यात बांधणे या क्रियापदाचे योग्य रूप लिहा :
(a) श्रीधरपंतांनी बैलांना ………………………………..
(b) सुमित्राबाईंनी गाईला ………………………………..
(c) त्याने घोह्याला ………………………………..
(d) आम्ही शेळ्यांना ………………………………..
उत्तर :
(a) बांधले
(b) बांधले
(c) बांधले
(d) बांधले.

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पुढील वाक्य नीट पाहा :
समीरने पुस्तकास वाचले.
प्रथम कर्त्याचे लिंग-वचन बदलू या.

  • सायलीने पुस्तकास वाचले. (लिंगबदल केला.)
  • त्यांनी पुस्तकास वाचले. (वचनबदल केला.)

आता कर्माचे लिंग-वचन बदलूया.

  • समीरने गोष्टीला वाचले. (लिंगबदल केला.)
  • समीरने पुस्तकांना वाचले. (वचनबदल केला.)

म्हणजे,
कर्त्याच्या व कर्माच्या लिंग-वचन बदलाने क्रियापदाचे रूप बदलले नाही. ‘वाचले’ हेच क्रियापद कायम राहिले.

जेव्हा कर्त्याच्या व कर्माच्या लिंग-वचन-पुरुषाप्रमाणे क्रियापदाचे रूप बदलत नाही, तेव्हा भावे प्रयोग होतो.

भावे प्रयोगाची वैशिष्ट्ये (लक्षणे) :

  • कर्त्याला बहुधा तृतीया विभक्ती असते. (प्रत्यय असतो.)
  • कर्म असल्यास द्वितीया विभक्तीत असते. (प्रत्यय असतो.)
  • क्रियापद नेहमी तृतीयपुरुषी, नपुंसकलिंगी, एकवचनी असते. बहुधा ते एकारान्त असते.
  • क्रियापद कर्त्याच्या किंवा कर्माच्या लिंग-वचनाप्रमाणे बदलत नाही.

लक्षात ठेवा :

  • समीर पुस्तक वाचतो. → कर्तरी प्रयोग
  • समीरने पुस्तक वाचले. → कर्मणी प्रयोग
  • समीर पुस्तकास वाचतो. → भावे प्रयोग

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कृती

1. अधोरेखित शब्दांमध्ये दडलेले दोन शब्द ओळखून चौकटी पूर्ण करा.

(अ) प्रतिक्षण – [ ]
(आ) राष्ट्रार्पण – [ ]
(इ) योग्यायोग्य – [ ]
(ई) लंबोदर – [ ]
उत्तर :
(अ) प्रतिक्षण – [प्रति] [क्षण]
(अ) राष्ट्रार्पण – [राष्ट्र] [अर्पण]
(अ) योग्यायोग्य – [योग्य] [अयोग्य]
(अ) लंबोदर – [लांब] [उदर]

(अ) प्रतिक्षण → प्रति (प्रत्येक) व क्षण या दोन शब्दांचा एक शब्द केला आहे.
(अ) राष्ट्रार्पण → राष्ट्र व अर्पण या दोन शब्दांचा एक शब्द केला आहे.
(अ) योग्यायोग्य → योग्य व अयोग्य या दोन शब्दांचा एक शब्द केला आहे.
(अ) लंबोदर → लंब व उदर या दोन शब्दांचा एक शब्द केला आहे.

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2. अव्ययीभाव समास
खालील वाक्यांतील सामासिक शब्द ओळखून अधोरेखित करा.

प्रश्न 1.
(a) वैभव वर्गातील कोणत्याही तासाला गैरहजर राहत नाही.
(b) नागरिकांनी गरजू विदयार्थ्यांना यथाशक्ती मदत केली.
(c) रस्त्याने चालताना जाहिरातींचे फलक सध्या पावलोपावली दिसतात.
उत्तर :
(a) वैभव वर्गातील कोणत्याही तासाला गैरहजर राहत नाही.
(b) नागरिकांनी गरजू विदयार्थ्यांना यथाशक्ती मदत केली.
(c) रस्त्याने चालताना जाहिरातींचे फलक सध्या पावलोपावली दिसतात.

वरील वाक्यांतील अधोरेखित शब्द हे सामासिक शब्द आहेत.

सामासिकशब्द →

  1. गैरहजर
  2. यथाशक्ती
  3. पावलोपावली.

प्रश्न 2.
खालील तक्ता पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास 10

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3. तत्पुरुष समास
खालील वाक्यांतील सामासिक शब्द ओळखून अधोरेखित करा.

प्रश्न 1.
(a) मेट्रो रेल्वेचा लोकार्पण सोहळा थाटामाटात पार पडला.
(b) सुप्रभाती तलावात नीलकमल उमललेले दिसले.
(c) शिक्षण प्रक्रियेत पालक, शिक्षक आणि विदयार्थी हा आदर्श त्रिकोण असतो.
उत्तर :
(a) मेट्रो रेल्वेचा लोकार्पण सोहळा थाटामाटात पार पडला.
(b) सुप्रभाती तलावात नीलकमल उमललेले दिसले.
(c) शिक्षण प्रक्रियेत पालक, शिक्षक आणि विदयार्थी हा आदर्श त्रिकोण असतो.

वरील वाक्यांतील अधोरेखित शब्द हे सामासिक शब्द आहेत.
सामासिक शब्द →

  1. लोकार्पण
  2. नीलकमल
  3. त्रिकोण.

प्रश्न 1.
खालील तक्ता पूर्ण करा.

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उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास 11

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास

प्रश्न अ.
विभक्ती तत्पुरुष समास
पुढील उदाहरणांचा अभ्यास करून तक्ता पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास 3
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास 12

प्रश्न आ.
कर्मधारय समास
पुढील वाक्ये अभ्यासून तक्ता पूर्ण करा.
(१) गुप्तहेर वेशांतर करून खऱ्या माहितीचा शोध घेतात.
(२) अतिवृष्टीमुळे ओला दुष्काळ पडला.
(३) काही माणसे केलेल्या कामाचे मानधन घेणे टाळतात.
(४) निळासावळा झरा वाहतो बेटाबेटांतुन.
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास 4
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास 13

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास

प्रश्न इ.
द्विगू समास
खालील वाक्यांतील सामासिक शब्द ओळखून दिलेला तक्ता पूर्ण करा.
(१) सूर्याच्या सोनेरी किरणांनी दशदिशा उजळून निघाल्यात.
(२) नवरात्रात ठिकठिकाणी गरबा नृत्याचे कार्यक्रम चालतात.
(३) सुरेखाला वन्यजीव सप्ताहानिमित्त झालेल्या वक्तृत्व स्पर्धेत प्रथम क्रमांक प्राप्त झाला.
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास 5
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास 14

प्रश्न 2.
तत्पुरुष समासाचे प्रकार ओळखून खालील तक्ता पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास 6
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास 15

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास

4. द्वंद्व समास

प्रश्न 1.
खालील उदाहरणांतील सामासिक शब्द ओळखून अधोरेखित करा.
(a) पतिपत्नी ही संसाररथाची दोन महत्त्वाची चाके आहेत.
(b) योग्य पुरावा उपलब्ध झाला, की खरेखोटे कळतेच.
(c) स्नेहमेळाव्यात मित्रमैत्रिणींच्या गप्पागोष्टी रंगात आल्या.
उत्तर :
(a) पतिपत्नी ही संसाररथाची दोन महत्त्वाची चाके आहेत.
(b) योग्य पुरावा उपलब्ध झाला, की खरेखोटे कळतेच.
(c) स्नेहमेळाव्यात मित्रमैत्रिणींच्या गप्पागोष्टी रंगात आल्या.

प्रश्न 2.
खालील तक्ता पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास 7
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास 16

प्रश्न 3.
खालील तक्ता पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास 8
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास 17

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5. बहुव्रीही समास

प्रश्न 1.
खालील उदाहरणे अभ्यासा व त्यातील सामासिक शब्द अधोरेखित करा.
(१) कृष्णा हा माझा सहाध्यायी आहे.
(२) काल रात्री आमच्या परिसरात नीरव शांतता होती.
(३) रावणाला दशमुख असेही संबोधले जाते.
उत्तर :
(१) सहाध्यायी → जो माझ्यासह अध्ययन करतो असा तो → (कृष्णा)
(२) नीरव → अजिबात आवाज जीत नसतो अशी → (शांतता)
(३) दशमुख → दहा मुखे आहेत ज्याला असा तो → (रावण)

प्रश्न 2.
खालील तक्ता पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास 9
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास 18

Marathi Yuvakbharati 12th Digest व्याकरण समास Additional Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
पुढील वाक्ये वाचा व अधोरेखित शब्दांकडे नीट लक्ष दया :
(a) प्रत्येकाने प्रतिक्षण सतर्क असावे.
(b) स्वातंत्र्यवीरांनी आपले तन–मन राष्ट्रार्पण केले.
(c) सज्जन माणूस योग्यायोग्यतेचा निवाडा करतो.
(d) लंबोदर विदयेची देवता आहे.
उत्तर :
(a) प्रतिक्षण
(b) राष्ट्रार्पण
(c) योग्यायोग्यतेचा
(d) लंबोदर

  • वरील प्रत्येकी दोन शब्दांतील मधले काही शब्द व विभक्ती प्रत्यय गाळून जोडशब्द तयार केले आहेत.

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास

कमीत कमी दोन शब्दांच्या एकत्रीकरणाला समास असे म्हणतात. एकत्रीकरणाने जो नवीन जोडशब्द तयार होतो, त्याला सामासिक शब्द म्हणतात आणि तयार झालेला सामासिक शब्द फोड करून सांगण्याच्या प्रक्रियेला समासाचा विग्रह असे म्हणतात.

सामासिक शब्द – विग्रह

  • प्रतिक्षण – प्रत्येक क्षणाला
  • राष्ट्रार्पण – राष्ट्राला अर्पण
  • योग्यायोग्य – योग्य किंवा अयोग्य
  • लंबोदर – लंब आहे उदर (पोट) असा तो

समासात कमीत कमी दोन शब्द असतात.
समासातील शब्दांना पद म्हणतात.
पहिला शब्द म्हणजे पहिले पद.
दुसरा शब्द म्हणजे दुसरे पद.
समासातील कोणते पद महत्त्वाचे किंवा प्रधान आहे, यावरून समासाचे प्रकार ठरतात.

महत्त्वाचे पद म्हणजे प्रधान पद (+)
कमी महत्त्वाचे पद म्हणजे गौण पद (-)

पहिले पद दुसरे पद समासाचा प्रकार

  • प्रधान गौण = अव्ययीभाव समास (+–) (प्रतिक्षण)
  • गौण प्रधान = तत्पुरुष समास (– +) (राष्ट्रार्पण)
  • प्रधान प्रधान = वंद्व समास (++) (योग्यायोग्य)
  • गौण गौण = बहुव्रीही समास (––) (लंबोदर)

अव्ययीभाव समास

  • या सामासिक शब्दांतील पहिले पद हे महत्त्वाचे आहे व संपूर्ण शब्द वाक्यात क्रियाविशेषण अव्ययाचे कार्य करतो.
ज्या समासातील पहिले पद महत्त्वाचे असते व जो सामासिक शब्द क्रियाविशेषण अव्ययाचे कार्य करतो, त्या समासाला अव्ययीभाव समास म्हणतात.

आ, प्रति, यथा इत्यादी संस्कृत उपसर्ग आणि दर, बिन, बे यांसारखे फारशी उपसर्ग यांच्या साहाय्याने अव्ययीभाव समासातले सामासिक शब्द तयार होतात. तसेच, काही मराठी शब्दांची द्विरुक्ती होऊनही काही सामासिक शब्द तयार होतात. उदा., पुढील शब्द पाहा.
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास 19

आणखी काही सामासिक शब्द [अव्ययीभाव समास] :

  • आजन्म
  • आमरण
  • प्रतिदिन
  • यथावकाश
  • यथाक्रम
  • बिनधास्त
  • बिनचूक
  • दरसाल
  • दररोज
  • बेपर्वा
  • दारोदारी
  • गावोगाव
  • दिवसेंदिवस
  • गल्लोगल्ली
  • जागोजागी
  • बेशिस्त

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास

तत्पुरुष समास

  • या सामासिक शब्दांतील दुसरे पद हे महत्त्वाचे आहे.
ज्या समासातील दुसरे पद महत्त्वाचे असते व अर्थाच्या दृष्टीने गाळलेला शब्द किंवा विभक्तिप्रत्यय विग्रह करताना घालावा लागतो, त्यास तत्पुरुष समास म्हणतात.

म्हणून,
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास 20

तत्पुरुष समासाच्या तीन उपप्रकारांचा अभ्यास करू या :

  • विभक्ती तत्पुरुष
  • कर्मधारय
  • द्विगू.

विभक्ती तत्पुरुष :
विभक्ती तत्पुरुष समासातील सामासिक शब्दात विभक्ती प्रत्यय किंवा शब्दयोगी अव्यय गाळलेले असते.

उदा.,

  • क्रीडेसाठी अंगण → क्रीडांगण
  • विदयेचे आलय → विदयालय

वरील पहिल्या उदाहरणात ‘साठी’ हे शब्दयोगी अव्यय तर दुसऱ्या उदाहरणात ‘चे’ हा विभक्तिप्रत्यय गाळला आहे.

म्हणून,

ज्या तत्पुरुष समासात विभक्ती प्रत्ययाचा किंवा शब्दयोगी अव्ययाचा लोप करून दोन्ही पदे जोडली जातात, त्यास विभक्ती तत्पुरुष समास म्हणतात.

काही विभक्ती तत्पुरुष समासाचे सामासिक शब्द :

  • ईश्वरनिर्मित
  • गुणहीन
  • तोंडपाठ
  • मतिमंद
  • लोकप्रिय
  • देवघर
  • वसतिगृह
  • दुःखमुक्त
  • आम्रवृक्ष
  • कार्यक्रम
  • गणेश
  • दीनानाथ
  • मन:स्थिती
  • मोरपीस
  • वातावरण
  • स्वभाव
  • सूर्योदय
  • हिमालय
  • ज्ञानेश्वर
  • स्वाभिमान
  • घरकाम
  • स्वर्गवास
  • वनमाला
  • सिंहगर्जना

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास

कर्मधारय समास :

प्रश्न 1.
पुढील सामासिक शब्द नीट अभ्यासा :
(a) अमृतवाणी→ दोन्ही पदे ‘प्रथमा’ विभक्तीत
(b) नीलकमल → पहिले पद विशेषण व दुसरे नाम
(c) घननीळ → दुसरे पद विशेषण व पहिले नाम
(d) नरसिंह → पहिले पद उपमेय व दुसरे उपमान
(e) कमलनयन → पहिले पद उपमान व दुसरे उपमेय
(f) मातृभूमी → दोन्ही पदे एकरूप
(g) शुभ्रधवल → दोन्ही पदे विशेषणे.
उत्तर :
(a) अमृतवाणी → अमृतासारखी वाणी
(b) नीलकमल → निळे असे कमळ
(c) घननीळ → निळा असा घन
(d) नरसिंह → सिंहासारखा नर
(e) कमलनयन → कमलासारखे डोळे
(f) मातृभूमी → भूमी हीच माता.

ज्या तत्पुरुष समासातील दोन्ही पदे एकाच विभक्तीत म्हणजे साधारणतः प्रथमा विभक्तीत असतात आणि त्यातील एक पद विशेषण व दुसरे नाम असते, त्यास कर्मधारय समास म्हणतात.

कर्मधारय समासाचे काही सामासिक शब्द :

  • मुखचंद्रमा
  • श्यामसुंदर
  • कृष्णविवर
  • विदयाधन
  • दीर्घकाळ
  • महादेव
  • भारतमाता
  • महर्षी
  • महाराष्ट्र
  • सुदैव
  • ज्ञानामृत
  • महाराज
  • महात्मा
  • पांढराशुभ्र
  • तपोधन
  • गुणिजन

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द्विगू समास :

प्रश्न 1.
पुढील वाक्यांतील सामासिक शब्द ओळखून दिलेला तक्ता पूर्ण करा :
(a) सूर्याच्या सोनेरी किरणांनी दशदिशा उजळून निघाल्यात.
(b) नवरात्रात ठिकठिकाणी गरबा नृत्याचे कार्यक्रम चालतात.
(c) सुरेखाला वन्यजीव सप्ताहानिमित्त झालेल्या वक्तृत्व स्पर्धेत प्रथम क्रमांक प्राप्त झाला.
उत्तर :
(a) दशदिशा = दश + दिशा → पहिले पद संख्याविशेषण
(b) नवरात्र = नऊ + रात्र → पहिले पद संख्याविशेषण
(c) सप्ताह = सप्त + आह → पहिले पद संख्याविशेषण

ज्या तत्पुरुष समासातील पहिले पद संख्याविशेषण व दुसरे पद नाम असते, त्यास द्विगू समास म्हणतात.

द्विगू समासाचे काही सामासिक शब्द :

  • द्विदल
  • त्रिखंड
  • त्रिकोण
  • त्रिभुवन
  • चौकोन
  • पंचगंगा
  • षट्कोन
  • षण्मास
  • सप्तसिंधू
  • सप्तस्वर्ग
  • सप्तपदी
  • पंचारती
  • पंचपाळे
  • अष्टकोन
  • आठवडा
  • दशदिशा

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण समास

वंद्व समास

ज्या समासातील दोन्ही पदे प्रधान (समान दर्जाची) असतात, त्यास दुवंद्व समास म्हणतात.

सामासिक शब्दाच्या विग्रहावरून वंद्व समासाचे तीन प्रकार पडतात :

  • इतरेतर द्वंद्व
  • वैकल्पिक द्वंद्व
  • समाहार वंद्व.

इतरेतर द्वंद्व समास :

प्रश्न 1.
पुढील वाक्ये वाचा व अधोरेखित शब्दांकडे नीट लक्ष या :
(a) आईवडील ही घरातील दैवते आहेत.
(b) भाऊबहीण दोघेही एकाच महाविदयालयात आहेत.
उत्तर :
(a) आईवडील → आई आणि वडील.
(b) भाऊबहीण → भाऊ व बहीण.

जेव्हा द्वंद्व समासातील सामासिक शब्दांचा विग्रह करताना ‘आणि, व’ या उभयान्वयी अव्ययांचा वापर केला जातो, तेव्हा त्यास इतरेतर द्वंद्व समास म्हणतात.

बह्वीही समासाचे काही सामासिक शब्द :

  • लंबोदर
  • गजानन
  • नीलकंठ
  • भालचंद्र
  • अष्टभुजा
  • अनाथ
  • दशानन
  • निर्धन
  • पंचमुखी
  • कमलनयन
  • अभंग
  • निबल

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण वाक्यरूपांतर

Balbharti Maharashtra State Board Marathi Yuvakbharati 12th Digest व्याकरण वाक्यरूपांतर Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण वाक्यरूपांतर

12th Marathi Guide व्याकरण वाक्यरूपांतर Textbook Questions and Answers

कृती

1. खालील तक्ता पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण वाक्यरूपांतर 1
उत्तर :
(१) दिलेल्या सूचनांचे पालन करा.

  • वाक्यप्रकार → आज्ञार्थी वाक्य
  • विधानार्थी वाक्य → दिलेल्या सूचनांचे पालन करणे आवश्यक आहे.

(२) बापरे! किती वेगाने वाहने चालवतात ही तरुण मुले!

  • वाक्यप्रकार → उद्गारार्थी वाक्य
  • विधानार्थी – नकारार्थी वाक्य → तरुण मुलांनी खूप वेगाने वाहने चालवू नयेत.

(३) स्वयंशिस्त ही खरी शिस्त नाही का?

  • वाक्यप्रकार → प्रश्नार्थी वाक्य
  • विधानार्थी – होकारार्थी वाक्य → स्वयंशिस्त ही खरी शिस्त आहे.

(४) मोबाइलचा अतिवापर योग्य नाही.

  • वाक्यप्रकार → विधानार्थी – नकारार्थी वाक्य
  • आज्ञार्थी वाक्य → मोबाइलचा अतिवापर टाळा.

(५) खऱ्या समाजसेवकाला लोकनिंदेची भीती नसते.

  • वाक्यप्रकार → विधानार्थी – नकारार्थी वाक्य
  • प्रश्नार्थी वाक्य → खऱ्या समाजसेवकाला लोकनिंदेची भीती असते का?

(६) विदयार्थ्यांनी संदर्भग्रंथांचे वाचन करावे.

  • वाक्यप्रकार → विधानार्थी वाक्य
  • आज्ञार्थी वाक्य → विदयार्थ्यांनो, संदर्भग्रंथांचे वाचन करा.

2. कंसातील सूचनेप्रमाणे वाक्यरूपांतर करा.

(a) सकाळी फिरणे आरोग्यास हितकारक आहे. (नकारार्थी करा.)
(b) तुम्ही काम अचूक करा. (विधानार्थी करा.)
(c) किती सुंदर आहे ही पाषाणमूर्ती! (विधानार्थी करा.)
(d) पांढरा रंग सर्वांना आवडतो. (प्रश्नार्थी करा.)
(e) चैनीच्या वस्तू महाग असतात. (नकारार्थी करा.)
(f) तुझ्या भेटीने खूप आनंद झाला. (उद्गारार्थी करा.)
(g) अबब! काय हा चमत्कार! (विधानार्थी करा.)
(h) तुम्ही कोणाशीच वाईट बोलू नका. (होकारार्थी करा.)
(i) निरोगी राहावे असे कोणाला वाटत नाही ? (विधानार्थी करा.)
(j) दवाखान्यात मोठ्या आवाजात बोलू नये. (होकारार्थी करा.)
उत्तर :
(a) सकाळी फिरणे आरोग्यास अपायकारक नाही.
(b) तुम्ही काम अचूक करणे आवश्यक आहे.
(c) ही पाषाणमूर्ती खूप सुंदर आहे.
(d) पांढरा रंग कुणाला आवडत नाही?
(e) चैनीच्या वस्तू स्वस्त नसतात.
(f) किती आनंद झाला तुझ्या भेटीने!
(g) हा अजब चमत्कार आहे.
(h) तुम्ही सगळ्यांशी चांगले बोला.
(i) निरोगी राहावे असे सर्वांना वाटते.
(j) दवाखान्यात हळू आवाजात बोलावे.

  • लेखन करताना काही वेळा वाक्यरचनेत बदल करण्याची गरज भासते, अशा बदलाला ‘वाक्यरूपांतर किंवा वाक्यपरिवर्तन’ असे म्हणतात.
  • वाक्यांचे रूपांतर करताना वाक्यरचनेत बदल होतो, पण वाक्यार्थाला बाध येत नाही.

विधानार्थी, प्रश्नार्थी, उद्गारार्थी, आज्ञार्थी या वाक्यांचे एकमेकांत रूपांतर होते.

उदाहरणार्थ,
पुढील वाक्ये नीट अभ्यासा :

  • मुलांनी शिस्त पाळणे खूप आवश्यक आहे. (विधानार्थी वाक्य.)
  • किती आवश्यक आहे मुलांनी शिस्त पाळणे! (उद्गारार्थी वाक्य.)
  • मुलांनी शिस्त पाळणे आवश्यक नाही का? (प्रश्नार्थी वाक्य.)
  • मुलांनो, शिस्त अवश्य पाळा. (आज्ञार्थी वाक्य.)

म्हणून :

वाक्यार्थ्याला बाध न आणता वाक्याच्या रचनेत केलेला बदल म्हणजे वाक्यरूपांतर होय.

होकारार्थी – नकारार्थी (वाक्यरूपांतर)

पुढील वाक्ये नीट अभ्यासा.

  • क्रिकेट मालिकेत भारतीय संघ विजयी झाला. (होकारार्थी वाक्य.)
  • क्रिकेट मालिकेत भारतीय संघ पराभूत झाला नाही. (नकारार्थी वाक्य.)

होकारार्थी वाक्याचे नकारार्थी वाक्यात रूपांतर करताना आपण काय केले?

  • विजयी x पराभूत
  • झाला x झाला नाही.

दोन विरुद्धार्थी शब्दबंध घेऊन वाक्य बदलले. पण वाक्याचा अर्थ बदलला नाही.

म्हणून,

वाक्य रूपांतर करताना वाक्याच्या रचनेत बदल झाला, तरी वाक्याच्या अर्थात बदल होता कामा नये.

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण वाक्यप्रकार

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कृती

1. खालील वाक्ये वाक्याच्या आशयानुसार कोणत्या प्रकारात मोडतात ते लिहा.

प्रश्न 1.
(a) गोठ्यातील गाय हंबरते.
(b) श्रीमंत माणसाने श्रीमंतीचा गर्व करू नये.
(c) किती सुंदर देखावा आहे हा!
(d) यावर्षी पाऊस खूप पडला.
(e) तुझा आवडता विषय कोणता?
उत्तर :
(a) विधानार्थी वाक्य
(b) विधानार्थी – नकारार्थी वाक्य
(c) उद्गारार्थी वाक्य
(d) विधानार्थी वाक्य
(e) प्रश्नार्थी वाक्य

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण वाक्यप्रकार

2. खालील वाक्ये क्रियापदाच्या रूपानुसार कोणत्या प्रकारात मोडतात ते लिहा.

प्रश्न 2.
(a) प्रार्थनेसाठी रांगेत उभे राहा.
(b) सरिताने अधिक मेहनत केली असती तर तिला उज्ज्वल यश मिळाले असते.
(c) विदयार्थी कवायत करत आहेत.
(d) विदयार्थ्यांनी सभागृहात गोंगाट करू नका.
(e) क्रिकेटच्या सामन्यात आज भारत नक्की जिंकेल.
उत्तर :
(a) आज्ञार्थी वाक्य
(b) संकेतार्थी वाक्य
(c) स्वार्थी वाक्य
(d) आज्ञार्थी वाक्य
(e) स्वार्थी वाक्य

  1. मूलध्वनींच्या आकारांना अक्षरे म्हणतात.
  2. विशिष्ट क्रमाने येणाऱ्या अक्षरांच्या समूहाला शब्द म्हणतात.
  3. अर्थपूर्ण शब्दांच्या संघटनेला वाक्य म्हणतात.
  4. आपण मराठी भाषेत बोलताना व लिहिताना अनेक प्रकारची ‘वाक्ये’ एकापुढे एक मांडतो.
  5. एकच आशय अनेक प्रकारच्या वाक्यांतून सांगता येतो.
    • उदा., पाऊस धो धो पडला.
    • किती जोरात पडला पाऊस!
    • पाऊस तर पडायलाच हवा.
  6. पाऊस न पडून कसे चालेल?
  7. वाक्यांच्या अशा अनेकविध वापरातून ‘वाक्यांचे प्रकार’ निर्माण झाले आहेत.
  8. वाक्यांच्या प्रकारांचे मुख्य दोन विभाग आहेत. –
    • आशयावरून व भावार्थावरून.
    • क्रियापदाच्या रूपावरून
    • आशय व भावार्थ असलेला वाक्यप्रकार.
  9. वाक्याच्या आशयावरून व भावार्थावरून वाक्यांचे तीन प्रकार आहेत.
    • विधानार्थी वाक्य
    • प्रश्नार्थी वाक्य
    • उद्गारार्थी वाक्य.

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण वाक्यप्रकार

1. विधानार्थी वाक्य :

  1. पुढील वाक्ये नीट वाचा व समजून घ्या :
    • हे फूल खूप सुंदर आहे.
    • माझी शाळा मला खूप आवडते.
  2. वरील दोन्ही वाक्यांत ‘विधान’ केले आहे.
ज्या वाक्यात केवळ विधान केलेले असते, त्याला विधानार्थी वाक्य म्हणतात.

म्हणून,

  • हे फूल खूप सुंदर आहे. → विधानार्थी वाक्य
  • माझी शाळा मला खूप आवडते. → विधानार्थी वाक्य

2. प्रश्नार्थी वाक्य :

  1. पुढील वाक्ये नीट वाचा व समजून घ्या :
    • हे फूल सुंदर आहे का?
    • तुझी शाळा कुठे आहे?
  2. वरील वाक्यांत ‘प्रश्न’ विचारले आहेत.
ज्या वाक्यात प्रश्न विचारलेला असतो, त्यास प्रश्नार्थी वाक्य म्हणतात.

म्हणून,

  • हे फूल सुंदर आहे का? → प्रश्नार्थी वाक्य
  • तुझी शाळा कुठे आहे? → प्रश्नार्थी वाक्य

3. उद्गारार्थी वाक्य :

  1. पुढील वाक्ये नीट वाचा व समजून घ्या :
    • किती सुंदर आहे हे फूल!
    • किती आवडते मला माझी शाळा!
  2. वरील दोन्ही वाक्यांत बोलणाऱ्याच्या मनातील भाव उत्कटपणे उत्स्फूर्तपणे व्यक्त झाला आहे.
ज्या वाक्यात मनातील विशिष्ट भाव उद्गाराद्वारे उत्कटपणे व्यक्त होतो, त्यास उद्गारार्थी वाक्य म्हणतात.

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण वाक्यप्रकार

3. विध्यर्थी वाक्य

  1. पुढील वाक्ये नीट वाचा व समजून घ्या :
    • मी दररोज शाळेत जातो.
    • मी पहाटे व्यायाम केला.
  2. वरील वाक्यातील क्रियापदाच्या रूपावरून काळाचा बोध होतो.
ज्या वाक्यातील क्रियापदाच्या रूपावरून नुसताच काळाचा बोध होत असेल, तर त्याला स्वार्थी वाक्य म्हणतात.

म्हणून,

  • मी दररोज शाळेत जातो. → स्वार्थी वाक्य
  • मी पहाटे व्यायाम केला. → स्वार्थी वाक्य

4. आज्ञार्थी वाक्य :

  1. पुढील वाक्ये नीट वाचा व समजून घ्या :
    • दररोज शाळेत जा.
    • नेहमी पहाटे व्यायाम कर.
  2. वरील दोन्ही वाक्यातील क्रियापदाच्या रूपातून आज्ञा केली आहे.
ज्या वाक्यातील क्रियापदाच्या रूपावरून आज्ञा, प्रार्थना, विनंती, उपदेश, आशीर्वाद व सूचना या गोष्टींचा बोध होतो, त्या वाक्याला आज्ञार्थी वाक्य म्हणतात.

म्हणून,

  • दररोज शाळेत जा. (आज्ञा)
  • देवा, मला चांगली बुद्धी दे. (प्रार्थना)
  • कृपया, मला पुस्तक दे. (विनंती)
  • मुलांनो, खूप अभ्यास करा. (उपदेश)
  • तुम्हांला नक्की यश मिळेल. (आशीर्वाद)
  • येथे धुंकू नये. (सूचना) → आज्ञार्थी वाक्ये

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण वाक्यप्रकार

5. विध्यर्थी वाक्य :

पुढील वाक्ये नीट वाचा व समजून घ्या :

  • विदयार्थ्यांनी वर्गात शांतता राखावी. (इच्छा/अपेक्षा)
  • वर्ग स्वच्छ ठेवणे, हे आपले कर्तव्य आहे. (कर्तव्यदक्षता)
  • बहुतेक पुढच्या आठवड्यात परीक्षा होतील. (शक्यता)
  • आत्मविश्वास असणाराच विदयार्थी यशस्वी होतो. (योग्यता)
  • वरील वाक्यांमधील क्रियापदावरून विधी (म्हणजे वरच्या कंसातील गोष्टी) व्यक्त होतात.
ज्या वाक्यातील क्रियापदाच्या रूपावरून इच्छा, कर्तव्य, शक्यता, योग्यता वगैरे गोष्टी (विधी) व्यक्त होतात, अशा वाक्याला विध्यर्थी वाक्य म्हणतात.
म्हणून, वरील सर्व वाक्ये ‘विध्यर्थी वाक्ये’ आहेत.

6. संकेतार्थी वाक्य :

पुढील वाक्ये नीट वाचा व समजून घ्या :

  • तू नियमित अभ्यास केलास, तर नक्की पास होशील.
  • जर पाऊस पडला, तर रान हिरवेगार होईल.

वरील दोन्ही वाक्यांत पहिली अट पूर्ण केली, तर पुढचा परिणाम होईल, असा संकेत दिला आहे. ज्या वाक्यातील क्रियापदाच्या रूपातून अट किंवा संकेत दिसून येतो, त्या वाक्याला संकेतार्थी वाक्य म्हणतात.

म्हणून,

  • तू नियमित अभ्यास केलास, तर नक्की पास होशील. → संकेतार्थी वाक्य
  • जर पाऊस पडला, तर रान हिरवेगार होईल. → संकेतार्थी वाक्य