Maharashtra State Board Class 12 Sociology Solutions Digest

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Maharashtra State Board Yuvakbharati English 12th Digest Guide Textbook Answers

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Maharashtra Board Class 12 Hindi व्याकरण

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest व्याकरण Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Hindi परिशिष मुहावरे

Maharashtra Board Class 12 Hindi व्याकरण अलंकार

का साधारण अर्थ आभूषण होता है। जिस प्रकार आभूषणों से शरीर की सुंदरता में वृद्धि होती है, उसी प्रकार जिन उपकरणों से काव्य में सौंदर्य उत्पन्न होता है, उन्हें अलंकार कहते हैं। अलंकार काव्य में शब्दों एवं अर्थों की सुंदरता में वृद्धि करके चमत्कार पैदा करते हैं। इनके कारण काव्य की भाषा में निखार उत्पन्न होता है।

साहित्य में शब्द और अर्थ दोनों का महत्त्व होता है। इस आधार पर अलंकार के मुख्य रूप से तीन भेद माने जाते हैं :

  1. शब्दालंकार
  2. अर्थालंकार
  3. उभयालंकार।

कक्षा ग्यारहवीं में हमने शब्दालंकार का अध्ययन किया था। यहाँ हम अर्थालंकार का अध्ययन करेंगे।

अर्थालंकार : जहाँ शब्दों के अर्थ से चमत्कार स्पष्ट होता है, वहाँ अर्थालंकार माना जाता है।

अर्थालंकार के भेद :
अर्थालंकार के पाँच प्रकार होते हैं :

  1. रूपक अलंकार
  2. उपमा अलंकार
  3. उत्प्रेक्षा अलंकार
  4. अतिशयोक्ति अलंकार
  5. दृष्टांत अलंकार।

1) रूपक अलंकार : जहाँ उपमेय पर उपमान का आरोप होता है, वहाँ रूपक अलंकार होता है। आरोप का अर्थ है, एक वस्तु के साथ दूसरी वस्तु को इस प्रकार रखा जाए कि दोनों अभिन्न मालूम हों। अर्थात् दोनों एकरूप मालूम हों। इस अलंकार में उपमेय और उपमान को एकरूप बना दिया जाता है।

जैसे –
चरण कमल बंदौं हरिराई।
यहाँ भगवान के चरणों (उपमेय) में कमल (उपमान) का आरोप हुआ है।

अथवा
उदित उदय गिरि मंच पर
रघुबर बाल पतंग।
प्रस्तुत दोहे में ‘उदय गिरि’ का ‘मंच’ पर तथा ‘बाल पतंग’ का ‘रघुबर’ पर आरोप किया गया है।
अतः यहाँ रूपक अलंकार है।

(2) उपमा अलंकार : उपमा का अर्थ है समता अथवा तुलना।

जहाँ स्वभाव, गुण, धर्म, रूप, रंग अथवा आकार आदि की समानता के आधार पर एक वस्तु की दूसरी प्रसिद्ध वस्तु के साथ तुलना है की जाती है, अर्थात् जहाँ उपमेय की तुलना उपमान से की जाती है, वहाँ उपमा अलंकार उत्पन्न होता है। जैसे –

  • पीपर पात सरिस मन डोला।
  • चरण-कमल-सम कोमल।
  • राधा वदन चंद सो सुंदर।

यहाँ मन की तुलना पीपर के पात से, चरण की तुलना कोमल कमल से तथा राधा के वदन की तुलना चंद्रमा से की गई है। इसलिए यहाँ उपमा अलंकार है।

(3) उत्प्रेक्षा अलंकार : उत्प्रेक्षा का अर्थ है – उत् + प्र + ईच्छा। अर्थात् प्रकट रूप से देखना। यहाँ देखने का अर्थ है संभावना करना।

जहाँ पर उपमेय में उपमान की संभावना प्रकट की जाए या उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

इस अलंकार में मानो, जानो, जनु-जानहुँ, मनु-मानहुँ, इव जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है। जैसे –
(1) कहती हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गए।
हिम के कणों से पूर्ण मानो हो गए पंकज नए।

इन पंक्तियों में उत्तरा के अश्रुपूर्ण नेत्रों (उपमेय) में ओस जलकण युक्त पंकज (उपमान) की संभावना की गई है।

(2) सोहत ओढ़े पीत पट, श्याम सलोने गात। है
मनो नीलमणि शैल पर, आतप पर्यो प्रभात।।

इस दोहे में उपमेय पीताम्बर ओढ़े हुए श्याम वर्ण के श्रीकृष्ण हैं और उपमान नीलमणि के पर्वत पर पड़ने वाली प्रातःकालीन धूप है। ‘मनो’ शब्द का प्रयोग कर उपमान की उपमेय में संभावना व्यक्त की गई है।

(3) सखि सोहत गोपाल के, उर गुंजन की माल।
बहार लसत मनो पिए, दावानल की ज्वाल।।
यहाँ गुंजा की माला (उपमेय) में दावानल की ज्वाला (उपमान) की संभावना होने से उत्प्रेक्षा अलंकार है।

(4) अतिशयोक्ति अलंकार : जहाँ किसी वस्तु का वर्णन इतना बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए कि वह लोक सीमा को पार कर जाए, है वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है। जैसे –

(1) जेहि बर बाजि राम असवारा।
तेहि सारद हुँ न बरनै पारा॥

यहाँ यह कह गया है कि जिस उत्तम घोड़े पर श्रीराम सवार हैं, उसका वर्णन सरस्वती जी भी नहीं कर सकतीं। यह बात बहुत बढ़ा-चढ़ाकर कही गई है। इसलिए यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।

(2) हनूमान की पूँछ में, लग न पाई आग।
लंका सारी जल गई, गए निशाचर भाग।।

यहाँ भी बात को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर कहा गया है। अतः यहाँ भी अतिशयोक्ति अलंकार है।

(3) वह शर इधर गांडीव गुण से, भिन्न जैसे ही हुआ।
धड़ से जयद्रथ का इधर सिर, छिन्न वैसे ही हुआ।

इन पंक्तियों में कहा गया है कि गांडीव धनुष से बाण जैसे ही छूटा, तभी जयद्रथ का सिर धड़ से अलग हो गया। यहाँ भी बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहा गया है।

(5) दृष्टांत अलंकार : दृष्टांत का अर्थ है उदाहरण। जब किसी बात की सत्यता को प्रमाणित करने के लिए उसी प्रकार की कोई दूसरी बात कही जाती है, जिससे पूर्व कथन की प्रामाणिकता सिद्ध हो जाए, तो वहाँ दृष्टांत अलंकार होता है। दृष्टांत में दो स्वतंत्र वाक्य रहते हैं। दोनों के अर्थ एक जैसे होते हैं। जैसे –

करत-करत अभ्यास के, जड़ मति होत सुजान।
रसरी आवत जात से, सिल पर परत निसान॥

यहाँ अभ्यास करते-करते निर्बुद्धि व्यक्ति का प्रवीण होना वैसा ही है, जैसे रस्सी के आने-जाने से सिल (पत्थर की पटिया) पर निशान पड़ना। यहाँ पहले वाक्य की सच्चाई सिद्ध करने के लिए दृष्टांत रूप में दूसरा वाक्य आया है। इस प्रकार यहाँ दृष्टांत अलंकार है।

कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर

प्रश्न. निम्नलिखित पंक्तियों में उद्धृत अलंकार पहचानकर उसका नाम लिखिए :

प्रश्न 1.
पायोजी मैंने राम रतन धन पायो।
उत्तर :
रूपक अलंकार।

प्रश्न 2.
सोहत ओढ़े पीत पट, श्याम सलोने गात।
मनो नीलमनि शैल पर, आतप पर्यो प्रभात।।
उत्तर :
उत्प्रेक्षा अलंकार।

प्रश्न 3.
सबै सहायक सबल के, कोउ न निबल सहाय।
पवन जगावत आग ही, दीपहिं देत बुझाय।।
उत्तर :
दृष्टांत अलंकार।

प्रश्न 4.
पड़ी अचानक नदी अपार
घोड़ा उतरे कैसे पार।।
राणा ने सोचा इस पार।
तब तक चेतक था उस पार।।
उत्तर :
अतिशयोक्ति अलंकार।

प्रश्न 5.
जियु बिनु देह, नदी बिनु वारी।
तैसे हि अनाथ, पुरुष बिनु नारी।।
उत्तर :
उपमा अलंकार।

प्रश्न 6.
झूठे जानि न संग्रही, मन मुँह निकसै बैन।
याहि ते मानहुँ किए, बातनु को बिधि नैन।।
उत्तर :
उत्प्रेक्षा अलंकार।

प्रश्न 7.
राधा-वदन चंद सो सुंदर।
उत्तर :
उपमा अलंकार।

प्रश्न 8.
चरण-सरोज पखारन लागा।
उत्तर :
रूपक अलंकार।

प्रश्न 9.
मोती की लड़ियों से सुंदर, झरते हैं झाग भरे निर्झर।
उत्तर :
उपमा अलंकार।

प्रश्न 10.
उस क्रोध के मारे, तनु उसका काँपने लगा।
मानो हवा के जोर से, सोता हुआ सागर जगा।।
उत्तर :
उत्प्रेक्षा अलंकार।

प्रश्न. निम्नलिखित अलंकारों से युक्त पंक्तियाँ लिखिए :

प्रश्न 1.
उपमा अलंकार :
उत्तर :
ऊँची-नीची सड़क, बुढ़िया के कूबड़-सी।
नंदनवन-सी फूल उठी, छोटी सी कुटिया मेरी।।

प्रश्न 2.
दृष्टांत अलंकार :
उत्तर :
एक म्यान में दो तलवारें, कभी नहीं रह सकती हैं।
किसी और पर प्रेम पति का, नारियाँ नहीं सह सकती हैं।

प्रश्न 3.
रूपक अलंकार :
उत्तर :
उधो, मेरा हृदयतल था, एक उद्यान न्यारा।
शोभा देती अमित उसमें, कल्पना-क्यारियाँ भी।।

प्रश्न 4.
अतिशयोक्ति अलंकार :
उत्तर :
पत्रा ही तिथि पाइयो, वाँ घर के चहुँ पास।
नित प्रति पून्यो ही रह्यो, आनन ओप उजास।।

प्रश्न 5.
उत्प्रेक्षा अलंकार :
उत्तर :
लता पवन ते प्रगट भए, ते हि अवसर दोउ भाइ।
निकसे जनु जुग विमल बिंधु, जलद पटल बिलगाइ।।

प्रश्न 6.
रूपक अलंकार :
उत्तर :
सिंधु-सेज पर धरा-वधू।
अब तनिक संकुचित बैठी-सी।।

प्रश्न 7.
उत्प्रेक्षा अलंकार :
उत्तर :
सोहत ओढ़े पीत पट, श्याम सलोने गात।
मनो नीलमनि शैल पर, आतम पर्यो प्रभात।।

प्रश्न 8.
अतिशयोक्ति अलंकार :
उत्तर :
हनुमंत की पूँछ में, लग न पाई आग।
लंका सारी जल गई, गए निशाचर भाग।।

प्रश्न 9.
रूपक अलंकार :
उत्तर :
उदित उदय गिरि मंच पर।
रघुबर बाल पतंग।।

प्रश्न 10.
उत्प्रेक्षा अलंकार :
उत्तर :
कहती हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गए।
हिम के कणों से पूर्ण मानो हो गए पंकज नए।।

प्रश्न 11.
अतिशयोक्ति अलंकार :
उत्तर :
जेहि बर बाजि राम असवारा।
तेहि सारद हुँ न बरनै पारा।।

प्रश्न 12.
उत्प्रेक्षा अलंकार :
उत्तर :
सखि सोहत गोपाल के, उर गुंजन की माल।
बहार लसत मनो पिए, दावानल की ज्वाल।।

Maharashtra Board Class 12 Hindi व्याकरण रस

मनुष्य के हृदय में अनेक प्रकार के भाव मौजूद रहते हैं। इन भावों को विभिन्न नामों से जाना जाता है। कविता को पढ़ने-सुनने अथवा नाटक आदि को देखने से हृदय में मौजूद ये भाव जाग्रत होकर आनंद प्रदान करते हैं। यह आनंद अलौकिक होता है। इस आनंद को ही ‘रस’ कहा जाता है। विभाव, अनुभाव, व्यभिचारी (संचारी) भाव और स्थायी भाव रस के अंग हैं। इन अंगों (तत्त्वों ) के संयोग से रस उत्पन्न होता है। रस को काव्य की आत्मा माना जाता है। साहित्य में शृंगार रस, शांति रस, करुण रस, हास्य रस, वीर रस, रौद्र रस, भयानक रस, वीभत्स रस, अद्भुत रस आदि नौ रस माने गए हैं। कालांतर में इनमें वात्सल्य एवं भक्ति रसों को भी शामिल किया गया।

इन सभी रसों के स्थायी भाव होते हैं। शृंगार का स्थायी भाव प्रेम है। शांत का शांति, करुण का शोक, हास्य का हास, वीर का उत्साह, रौद्र का क्रोध, भयानक का भय, वीभत्स का घृणा, अद्भुत का आश्चर्य, वात्सल्य का ममत्व तथा भक्ति का भक्ति स्थायी भाव है।

कक्षा ग्यारहवीं में हमने इन ग्यारह रसों में से करुण रस, हास्य रस, वीर रस, भयानक रस और वात्सल्य रस के लक्षण और उनके उदाहरणों का अध्ययन किया है। यहाँ हम रौद्र रस, वीभत्स रस, अद्भुत रस, शृंगार रस, शांत रस तथा भक्ति रस आदि शेष रसों का अध्ययन करेंगे।

(1) रौद्र रस : जहाँ शत्रु की ललकार, गुरुजनों एवं वरिष्ठ जनों के प्रति निंदात्मक अथवा अपमानजनक व्यवहार तथा किसी के असह्य वचन आदि से मन में मौजूद क्रोध का भाव जाग्रत हो जाता है, तब रौद्र रस उत्पन्न होता है। इस रस की अभिव्यंजना असह्य व्यवहार के प्रतिशोध के रूप में होती है।

उदाहरण :
श्रीकृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे।
सब शोक अपना भूलकर, करतल युगल मलने लगे।
संसार देखे अब हमारे शत्रु रण में मृत पड़े।
करते हुए यह घोषणा, वे हो गए उठकर खड़े।
उस काल मारे क्रोध के, तन काँपने उनका लगा।
मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।

(2) वीभत्स रस : घृणित वस्तुएँ अथवा दृश्यों को देखने-सुनने तथा अरुचिकर, अप्रिय वस्तुओं के वर्णन से मन में जो क्षोभ होता है, उसे घृणा कहते हैं। यही घृणा वीभत्स रस में बदल जाती है।
उदाहरण :
सिर पर बैठ्यो काग, आँख दोउ खात निकारत।
खींचत जीभहिं स्यार अतिहिं आनंद उर धारत।
गिद्ध जाँघ को खोदि-खोदि कै माँस उपारत,
स्वान आँगुरिन काटि-काटि कै, खात बिदारत।

(3) अद्भुत रस : जहाँ किसी आश्चर्यजनक या अलौकिक क्रियाकलाप अथवा किसी वस्तु-दृश्य को देखकर हृदय में विस्मय अथवा आश्चर्य का भाव उत्पन्न होता है, वहाँ अद्भुत रस की व्यंजना होती है।
उदाहरण:
(1) लीन्हों उखारि पहार बिसाल, चल्यो तेहि काल, विलंब न लायौ।
मारुतनंदन मारुत को, मन को, खगराज को बेग लजायो।
तीखी तुरा तुलसी कहतो, पै हिए उपमा को समाउ न आयो।
मानो प्रतच्छ परब्बत की नभ लोक लसी कपि यों धुकि धायो।

(2) बिनु पग चलै, सुनै बिनु काना।
कर बिनु कर्म करे विधि नाना।
आनन रहित सकल रस भोगी।
बिनु बाणी वक्ता, बड़ जोगी।

(4) शृंगार रस : जहाँ स्त्री-पुरुष की प्रेमपूर्ण चेष्टाओं या क्रियाकलापों का शृंगारिक वर्णन होता है, वहाँ शृंगार रस की उत्पत्ति होती है।
उदाहरण :
दूलह श्री रघुनाथ बने, दुलही सिय सुंदर मंदिर माही।
गावत गीत सबै मिलि सुंदरि, वेद वहाँ जुरि विप्र पढ़ाहीं।
राम को रूप निहारति जानकी, कंकन के नग की परछाहीं।
याते सबै सुधि भूलि गई, कर टेकि रही पल टारत नाहीं।

(5) शांत रस : जहाँ भक्ति, नीति, ज्ञान, वैराग्य, धर्म, दर्शन तत्त्व ज्ञान अथवा सांसारिक नश्वरता संबंधी बातों का वर्णन होता हो, वहाँ शांत रस उत्पन्न होता है। ज्ञान होने अथवा मन में वैराग्य उत्पन्न होने पर मन में ऐसे भाव जाग्रत होते हैं।

उदाहरण:
(1) मन पछतैहैं अवसर बीते।
दुरलभ देह पाइ हरिपद भजु, करम वचन अरु होते।
सहसबाहु, दसवदन आदि नृप, बचे न काल बली ते।
हम हम करि धन धाम सँवारे अंत चले उठि रीते।
सुत बनितादि जानि स्वारथ रत न करु नेह सबही ते।

(2) माला फेरत जुग गया, गया न मन का फेर।
कर का मनका डारि कै, मन का मनका फेर।

(6) भक्ति रस : जहाँ मन में ईश्वर अथवा अपने किसी इष्ट है देव के प्रति श्रद्धा, अलौकिकता, स्नेह तथा विनयशीलता का भाव उत्पन्न होता है, वहाँ भक्ति रस की व्यंजना होती है।
उदाहरण :
समदरसी है नाम तिहारो, सोई पार करो।
एक नदिया इक नार कहावत, मैलो नीर भरो।
एक लोहा पूजा में राखत, एक घर बधिक परो,
सो सुविधा पारस नहीं जानत, कंचन करत खरो।

प्रश्न. निम्नलिखित पंक्तियों में उद्धृत रस पहचानकर उसका नाम लिखिए :
(1) माटी कहै कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोह।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोह।।
उत्तर :
शांत रस।

(2) एक अचंभा देखा रे भाई।
ठाढ़ा सिंह चरावै गाई।।
पहले पूत पाछे भाई।
चेला के गुरु लागे पाई।।
उत्तर :
अद्भुत रस।

(3) कहा-कैकेयी ने सक्रोध।
दूर हट! दूर हट! निर्बोध!
द्वि जिव्हे रस में विष मत घोल।
उत्तर :
रौद्र रस।

(4) कहुँ श्रृगाल उड़ि मृतक अंग पर घात लगावत।
कहुँ कोउ शव पर बैठि गिद्ध चहुँ चोंच चलावत।
जहँ-तहँ मज्जा मांस रुधिर लखि परत बगारे,
जित तित छिटके हाँड़, सेत कहुँ कहुँ रतनारे।
उत्तर :
वीभत्स रस।

(5) कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत, लजियात।
भरे मौन में करत हैं, नैननु ही सौं बात।।
उत्तर :
शृंगार रस।

(6) तू दयालु दीन हौं, तू दानि हौं भिखारी।
हौं प्रसिद्ध पातकी, तू पाप पुंज हारी।।
उत्तर :
भक्ति रस।

Maharashtra Board Class 12 Hindi व्याकरण मुहावरे

मुहावरा क्या है?
जब कोई शब्द-समूह अपने मूल या सामान्य अर्थ को छोड़कर किसी विशिष्ट या लाक्षणिक अर्थ में प्रचलित हो जाता है, तो उसे ‘मुहावरा’ कहते हैं।

मुहावरों का जन्म लोकजीवन में होने वाली आम बातचीत से है हुआ है। कभी-कभी लोग कोई बात लाक्षणिक भाषा में कहते हैं। यही बात धीरे-धीरे मुहावरे का रूप धारण कर लेती है। इनके प्रयोग से भाषा में सजीवता आती है। एक मुहावरा उतना कह देता है, . जितना हम लंबी-चौड़ी भूमिका बाँधकर भी नहीं कह सकते।

मुहावरों में प्रायः शरीर के अंगों, प्राकृतिक वस्तुओं या अन्य , पदार्थों का उल्लेख होता है। ऊपरी तौर पर इनका अर्थ अटपटा और निरर्थक प्रतीत होता है, परंतु इनसे जो लाक्षणिक अर्थ निकलता है,

वह महत्त्वपूर्ण होता है। उसी के कारण भाषा सजीव, प्रवाही एवं आकर्षक बनती है। जैसे – ‘तुम तो बस दिनभर दूसरों की टोपी उतारते रहते हो।’ यहाँ टोपी उतारने का अर्थ ‘सिर से टोपी उतारना’ नहीं है, बल्कि ‘दूसरों की बेइज्जती करना’ है।

इसी प्रकार ‘उसने पेट काट-काटकर धन जोड़ा है।’ इस वाक्य – में पेट काटना’ शब्द का प्रयोग सामान्य अर्थ में नहीं हुआ है। – यहाँ ‘पेट काटने’ का मतलब ‘बहुत किफायत करके या मुश्किल से’ होता है।

तुलनात्मक अध्ययन के लिए यहाँ कुछ सामान्य वाक्य और मुहावरों से युक्त वाक्य साथ-साथ दिए गए हैं। इनके अभ्यास द्वारा विद्यार्थियों को मुहावरों के स्वरूप और प्रयोग का अच्छा ज्ञान हो जाएगा।

सामान्य कथन

  • गुंडे को पकड़ने में पुलिस को बड़ी कठिनाई हुई। – मुहावरों का प्रयोग गुंडे को पकड़ने में पुलिस के दाँतों पसीना आ गया।
  • भारतीय क्रिकेट टीम की विजय से मुझे बड़ा आनंद हुआ। – भारतीय क्रिकेट टीम की विजय से मेरा दिल उछल पड़ा।
  • बहुत समझाने पर भी वह विचलित नहीं हुआ। – बहुत समझाने पर भी वह टस से मस नहीं हुआ।
  • मजदर अपना दःख मन में ही दबाकर रह गया। – मजदूर कलेजा थामकर रह गया।
  • बेटे के बारे में शिकायत सुनकर पिता को बड़ा क्रोध आया। – बेटे के बारे में शिकायत सुनकर पिता के माथे पर बल पड़ गए।

इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि मुहावरों के प्रयोग द्वारा किसी सीधी-सादी बात को विशिष्ट ढंग से कैसे कहा जा सकता है।

मुहावरों का सार्थक वाक्यों में प्रयोग : मुहावरे सीधे-सादे कथनों को विशिष्ट ढंग से प्रस्तुत करते हैं। इसलिए मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग करते समय उनसे सूचित होने वाले अर्थ को ठीक से समझ लेना चाहिए।

मुहावरों का महत्त्व : मुहावरों के उचित प्रयोग से भाषा की सुंदरता और कलात्मकता बढ़ जाती है। इनका सटीक प्रयोग भाषा को जानदार बना देता है। इनके कारण भाषा शक्तिशाली बनती है और उसके सामर्थ्य में वृद्धि होती है। मुहावरेदार भाषा अधिक मार्मिक होती है।

मुहावरों के सही प्रयोग से भाषा समृद्ध बनती है। इनके प्रयोग से बातचीत में चार चाँद लग जाते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि मुहावरों का सही ज्ञान हो और उनका प्रयोग उचित ढंग से हो। इनका गलत या अनुचित प्रयोग भाषा के सौंदर्य को नष्ट करता है और प्रयोगकर्ता को उपहास का पात्र बना देता है।

यहाँ अर्थ और वाक्य प्रयोग के साथ पाठ्यपुस्तक में दिए गए मुहावरे दिए गए हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और याद रखिए।

मुहावरे और वाक्य प्रयोग
निर्देश : हर एक पाठ/कविता में विविध मुहावरें अर्थ और वाक्य प्रयोग के साथ दिए गए है। विद्यार्थी वहाँ से पढ़ें।

Maharashtra Board Class 12 Hindi व्याकरण काल परिवर्तन

काल : क्रिया के जिस रूप से समय का बोध होता है, उसे ‘काल’ कहते हैं। जैसे – खाता है, खाया, खाएगा आदि।

काल तीन प्रकार के होते है –

  1. वर्तमानकाल
  2. भूतकाल
  3. भविष्यकाल।

(1) वर्तमानकाल : क्रिया के जिस रूप से किसी कार्य के वर्तमान समय में होने का बोध होता है, उसे वर्तमानकाल कहते हैं। जैसे –

  • एक रागी साधु आया है, जो बाजारों में गा रहा है।
  • बच्चे की गलती क्षमा के योग्य है।

(2) भूतकाल : क्रिया के जिस रूप से किसी कार्य के बीते हुए समय में होने की जानकारी मिलती है, उसे भूतकाल कहते हैं। जैसे –

  • मौसी अपने गाँव की ही नहीं, बल्कि पूरे इलाके की आदर्श बेटी बन गई थीं।
  • मौसी कुछ नही बोल रही थीं।

(3) भविष्यकाल : क्रिया के जिस रूप से किसी काम के भविष्य में होने का बोध होता है, उसे भविष्यकाल कहते हैं। जैसे –

  • मैं साँप को जीता नहीं छोडगा – पीस डालूँगा।
  • मैं आपकी हर आज्ञा का सिर झुकाकर पालन करूँगा।

(क) सामान्य वर्तमानकाल : क्रिया के जिस रूप से यह मालूम होता है कि कार्य बोलते या लिखते समय होता है, उसे सामान्य वर्तमानकाल कहते हैं। सामान्य वर्तमानकाल से इस बात का पता नहीं चलता कि क्रिया पूर्ण हुई अथवा अपूर्ण रही है। जैसे –

  • मैं प्रतिज्ञा करता हूँ।
  • शिष्य गुरु का ख्याल रखता है।

(ख) सामान्य भूतकाल : क्रिया के जिस रूप से केवल यह मालूम होता है कि कार्य बोलते या लिखते समय समाप्त हुआ, उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं। सामान्य भूतकाल से इस बात का बोध नहीं होता कि क्रिया बहुत समय पहले पूर्ण हुई अथवा अपूर्ण रही है। जैसे –

  • पेड़ ने अमरूद नहीं टपकाए।
  • अगले रोज चिड़ियाघर के लोग आए।

(ग) सामान्य भविष्यकाल : क्रिया के जिस रूप से यह मालूम होता है कि कार्य आने वाले समय में होगा, उसे सामान्य भविष्यकाल कहते हैं। जैसे –

  • मैं इस राग विद्या से किसी को हानि नहीं पहुँचाऊँगा।
  • आपका उपकार जन्मभर सिर से न उतरेगा।

(अ) सामान्य कालों के रूप

बहुत्व को स्पष्ट करने के लिए द्वितीय पुरुष बहुवचन के रूपों के साथ ‘लोग’ शब्द का भी प्रयोग होता है।

जैसे –

  • तुम लोग फल खाते हो।
  • आप लोग फल खाते हैं।

(ब) अपूर्ण वर्तमानकाल और अपूर्ण भूतकाल अपूर्ण वर्तमानकाल : क्रिया के जिस रूप से यह बोध होता हो कि क्रिया वर्तमानकाल में जारी है, पूर्ण नहीं हुई है, अर्थात् अपूर्ण है, उसे अपूर्ण वर्तमानकाल की क्रिया कहते हैं।

जैसे –

  • मैं अपने मित्र से मिल रहा हूँ।
  • विद्यार्थी आपस में बातें कर रहे हैं।

अपूर्ण भूतकाल : क्रिया के जिस रूप से यह बोध होता हो कि क्रिया भूतकाल में आरंभ हुई, पर बोलने वाले या लिखने वाले का जिस समय पर संकेत है, उस समय तक समाप्त नहीं हुई, अर्थात् वह अपूर्ण है, उसे अपूर्ण भूतकाल की क्रिया कहते हैं।

जैसे –

  • उसके सास-ससुर उसे बधाई दे रहे थे।
  • उन सबकी आँखों से स्नेह का भाव झट रहा था।

अपूर्ण वर्तमानकाल और अपूर्ण भूतकाल के रूप इस प्रकार होते हैं :

(क) पूर्ण वर्तमानकाल और पूर्ण भूतकाल
पूर्ण वर्तमानकाल : क्रिया के जिस रूप से यह बोध होता हो कि जो कार्य भूतकाल में आरंभ हुआ था वह वर्तमानकाल में समाप्त हो गया है, उसे पूर्ण वर्तमानकाल की क्रिया कहते हैं।

सामान्य भूतकाल की क्रिया + ‘होना’ क्रिया का वर्तमानकाल का उचित रूप = पूर्ण वर्तमानकाल की क्रिया।

  • (मैं आपके पैसे) लाया + हूँ = मैं आपके पैसे लाया हूँ।
  • (मैंने पाठ) पढ़ा + है = मैंने पाठ पढ़ा है।

पूर्ण भूतकाल : क्रिया के जिस रूप से यह बोध होता हो कि क्रिया बहुत पहले समाप्त हो चुकी है, निकट भूतकाल में नहीं, उसे पूर्ण भूतकाल की क्रिया कहते हैं।

सामान्य भूतकाल की क्रिया + ‘होना’ क्रिया का भूतकाल का उचित रूप = पूर्ण भूतकाल की क्रिया।

  • (उन्होंने) कहा + था = उन्होंने कहा था।
  • (मैंने छुट्टी) माँगी + थी = मैंने छुट्टी माँगी थी।

पूर्ण वर्तमानकाल और पूर्ण भूतकाल के रूप इस प्रकार होते हैं :

प्रश्न. निम्नलिखित वाक्यों का कोष्ठक में दी गई सूचनाओं के अनुसार काल परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिए:

प्रश्न 1.
निराला जी अपने शरीर, जीवन और साहित्य सभी में असाधारण हैं। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
निराला जी अपने शरीर, जीवन और साहित्य सभी में असाधारण थे।

प्रश्न 2.
हर एक राही को भटककर दिशा मिलती है। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
हर एक राही को भटककर दिशा मिल रही है।

प्रश्न 3.
वह पंथ भूलकर भी नहीं रुकता। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
वह पंथ भूलकर भी नहीं रुकेगा।

प्रश्न 4.
प्रकाश की किरणें संसार पर नवीन जीवन की वर्षा कर रही थीं। (सामान्य वर्तमानकाल)
उत्तर :
प्रकाश की किरणें संसार पर नवीन जीवन की वर्षा करती हैं।

प्रश्न 5.
मेरी आँखें दूसरों की मौत को देखने के लिए हर समय तैयार (अपूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
मेरी आँखें दूसरों की मौत को देखने के लिए हर समय तैयार रहती थीं।

प्रश्न 6.
श्रद्धा भक्त की सबसे बड़ी भेंट होगी। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
श्रद्धा भक्त की सबसे बड़ी भेंट थी।

प्रश्न 7.
दिन-रात महान आरती होती है। (सामान्य भूतकाल)
उत्तर :
दिन-रात महान आरती हुई।

प्रश्न 8.
कोयल आम का स्वाद लेती है। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
कोयल आम का स्वाद ले रही है।

प्रश्न 9.
काठ की हाँड़ी दुबारा नहीं चढ़ेगी। (सामान्य वर्तमानकाल)
उत्तर :
काठ की हाँड़ी दुबारा नहीं चढ़ती।

प्रश्न 10.
शॉ के इन शब्दों में अहंकार की पैनी धार है। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
शॉ के इन शब्दों में अहंकार की पैनी धार होगी।

प्रश्न 11.
सुधारक का सत्य निंदा की रगड़ से और भी प्रखर हो जाता है। (अपूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
सुधारक का सत्य निंदा की रगड़ से और भी प्रखर हो रहा था।

प्रश्न 12.
कौन बहिन हम जैसे भुक्खड़ को भाई बनाएगी। (सामान्य वर्तमानकाल)
उत्तर :
कौन बहिन हम जैसे भुक्खड़ को भाई बनाती है।

प्रश्न 13.
वे सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखते थे। (सामान्य वर्तमानकाल)
उत्तर :
वे सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखते हैं।

प्रश्न 14.
आईना भला-बुरा बता देता है। (अपूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
आईना भला-बुरा बता रहा था।

प्रश्न 15.
मैं अपनी खिड़की के पास बैठकर निहारा करता था। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
मैं अपनी खिड़की के पास बैठकर निहारा करता हूँ।

प्रश्न 16.
वह पेड़ सीधा नहीं, टेढ़ा पड़ा है। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
वह पेड़ सीधा नहीं, टेढ़ा पड़ा होगा।

प्रश्न 17.
ये बातें बेटा-बेटी के लिए समान रूप से लागू होती हैं। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
ये बातें बेटा-बेटी के लिए समान रूप से लागू हुई थीं।

प्रश्न 18.
वे फल हमारे किसी काम के नहीं होंगे। (सामान्य वर्तमानकाल)
उत्तर :
वे फल हमारे किसी काम के नहीं होते हैं।

प्रश्न 19.
हमें सँभलकर बात करनी होगी और सूझबूझ से बात सँभालनी होगी। (पूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
हमें सँभलकर बात करनी है और सूझबूझ से बात सँभालनी है।

प्रश्न 20.
चट्टानों पर फूल खिलाना हमको आता है। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
चट्टानों पर फूल खिलाना हमें आया था।

प्रश्न 21.
विकास की इस दौड़ में जाने-अनजाने हमने अनेक विसंगतियों को जन्म दिया है। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
विकास की इस दौड़ में जाने-अनजाने हम अनेक विसंगतियों को जन्म देंगे।

प्रश्न 22.
फिलहाल यहाँ हम पर्यावरणीय प्रदूषण के सिर्फ एक पहलू की चर्चा कर रहे हैं। (अपूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
फिलहाल यहाँ हम पर्यावरणीय प्रदूषण के सिर्फ एक पहलू की चर्चा कर रहे थे।

प्रश्न 23.
वृद्धाश्रम के प्रबंधक का फोन सुनकर मैं अवाक रह गया। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
वृद्धाश्रम के प्रबंधक का फोन सुनकर मैं अवाक रह जाऊँगा।

प्रश्न 24.
मौसा एक-से-एक बड़े पद पर रहकर भारत सरकार के वित्त सचिव के पद से रिटायर हुए थे। (पूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
मौसा एक-से-एक बड़े पद पर रहकर भारत सरकार के वित्त सचिव के पद से रिटायर हुए हैं।

प्रश्न 25.
सावन-भादों के महीने में प्रकृति का सुंदर और मनमोहक दृश्य चारों ओर दिखाई देता है। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
सावन-भादों के महीने में प्रकृति का सुंदर और मनमोहक दृश्य चारों ओर दिखाई दे रहा है।

प्रश्न 26.
लोकगीतों में गेयता तत्त्व प्रमुखता से पाया जाता है। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
लोकगीतों में गेयता तत्त्व प्रमुखता से पाया जाएगा।

Maharashtra Board Class 12 Hindi व्याकरण वाक्य शुद्धिकरण

भाषा में शुद्धता का बहुत महत्त्व है। भाषा की कृतिपत्रिका में भाषा की शुद्धता पर विशेष ध्यान दिया जाता है। प्रश्न का उत्तर भले ही सही हो, परंतु उसमें भाषा संबंधी अशुद्धियाँ हों, तो पूरे अंक नहीं मिलते। इसलिए अच्छे अंक पाने के लिए यह जरूरी है कि भाषा में व्याकरण संबंधी दोष न हों। प्रश्नों के उत्तर विषयवस्तु की दृष्टि से ही नहीं, भाषा की दृष्टि से भी शुद्ध हों।

भाषा में विभिन्न कारणों से सामान्य गलतियाँ हो जाया करती हैं। इसलिए प्रश्नों के उत्तर लिखते समय इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

यहाँ लिखते समय वाक्यों में होने वाली कुछ गलतियों के बारे में बताया गया है। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर लिखते समय इस प्रकार की गलतियाँ करने से बचिए।

(1) गलत शब्दों का प्रयोग :

अशुद्ध वाक्य शुद्ध वाक्य
(1) यहाँ शुद्ध गाय का दूध मिलता है। यहाँ गाय का शुद्ध दूध मिलता है।
(2) तुकाराम एक महान साधु थे। तुकाराम एक महान संत थे।
(3) गंगा शुद्ध नदी है। गंगा पवित्र नदी है।
(4) ज्ञानेश्वरी एक पुस्तक है। ज्ञानेश्वरी एक ग्रंथ है।

(2) वर्तनी की भूलें : वर्तनी का अर्थ है शब्द के सही रूप का ज्ञान। शब्द का सही रूप न जानने से अर्थ का अनर्थ होता है। जैसे –

अशुद्ध वाक्य शुद्ध वाक्य
(1) पृथ्वी एक गृह है। पृथ्वी एक ग्रह है। (‘गृह’ का अर्थ घर होता है। ग्रह सूर्य से उत्पन्न एक पिंड है।)
(2) तुम जूठ बोलते हो। तुम झूठ बोलते हो। (खाना ‘जूठा’ होता है, बात जूठ नहीं, ‘झूठ’ होती है।)
(3) वाल्मीकि आदी कवि थे। वाल्मीकि आदि कवि थे। (आदी का अर्थ है – किसी अच्छी–बुरी चीज की लत (आदत) वाला। जबकि ‘आदि’ का अर्थ है – सबसे पहले।)
(4) वह बहुत सूखी है। वह बहुत सुखी है। (‘सूखी’ का अर्थ है – जो गीला या भीगा हुआ नहीं है, जबकि ‘सुखी’ का अर्थ है – सूख में रहने वाला।)

(3) भ्रमित करने वाले शब्द :
कुछ शब्दों की रचना एक-दूसरे से मिलती-जुलती होती है। जरा-सी असावधानी या अज्ञानता से ऐसे शब्दों के प्रयोग में गलती हो सकती है। –

अशुद्ध वाक्य शुद्ध वाक्य
(1) अपने माता-पिता से मेरा प्रमाण कहना। अपने माता पिता से मेरा प्रणाम कहना। (प्रमाण का अर्थ सबूत है, जबकि प्रणाम का अर्थ है ‘नमस्कार’।)
(2) आपसे मुझे यही उपेक्षा थी। आपसे मुझे यही अपेक्षा थी। (उपेक्षा का अर्थ अवहेलना है, जबकि अपेक्षा का अर्थ आशा है।)
(3) राकेश बगीचे की और गया है। राकेश बगीचे की ओर गया है। (और का अर्थ तथा है, जबकि ओर का अर्थ तरफ है।)

(4) अर्थ भेद से होने वाली भूलें :
एक शब्द के अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग अर्थ होते हैं। ऐसे शब्दों का प्रयोग समझकर करना चाहिए।

अशुद्ध वाक्य शुद्ध वाक्य
(1) पुलिस ने आरोपी को शिक्षा दी। पुलिस ने अपराधी को दंड दिया। (मराठी में दंड को शिक्षा कहते हैं।)
(2) उनके घड़ियाल की कीमत 50 हजार रुपए है। उनकी घड़ी की कीमत 50 हजार रुपए है। (गुजराती में घड़ी को घड़ियाल कहते हैं।)

(5) मातृभाषा के शब्दों का प्रयोग :
मराठी या गुजराती भाषी विद्यार्थी हिंदी लेखन में अपनी भाषा के शब्दों का प्रयोग कर देते हैं, जो अनुचित है।

अशुद्ध वाक्य शुद्ध वाक्य
(1) रोहित को भूक (मराठी) लगी है। रोहित को भूख लगी है।
(2) कुत्ते की पूछड़ी (गुजराती) टेढ़ी होती है। कुत्ते की पूँछ टेढ़ी होती है।
(3) वह घर पहोंच (गुजराती) गया। वह घर पहुँच गया।
(4) मदन के हात (मराठी) में क्या है? मदन के हाथ में क्या है?

(6) सर्वनाम के प्रयोग में होने वाली भूलें :

अशुद्ध वाक्य शुद्ध वाक्य
(1) वह लोग चले गए। वे लोग चले गए।
(2) उन्होंने जो पुस्तकें दी थीं, वह सब मैंने पढ़ ली है। उन्होंने जो पुस्तकें दी थीं, वे सब मैंने पढ़ ली हैं।
(3) तुम तुम्हारे घर जाओ। तुम अपने घर जाओ।
(4) हम हमारे देश की रक्षा करेंगे। हम अपने देश की रक्षा करेंगे।

(7) विशेषण का अनुचित प्रयोग :

अशुद्ध वाक्य शुद्ध वाक्य
(1) ऋचा की हिंदी मातृभाषा नहीं थी। हिंदी ऋचा की मातृभाषा नहीं थी।
(2) भगतसिंह असली भारत के सपूत थे। भगतसिंह भारत के असली सपूत थे।
(3) इस मंदिर में अनेक गणेश की मूर्तियाँ हैं। इस मंदिर में गणेश की अनेक मूर्तियाँ हैं।
(4) उस दुकान में शुद्ध गाय का घी मिलता है। उस दुकान में गाय का शुद्ध घी मिलता है।
(5) जिंदगी उसकी अब नहीं बचेगी। अब उसकी जिंदगी नहीं बचेगी।

(8) वचन और लिंग के प्रयोग में होने वाली गलतियाँ :

अशुद्ध वाक्य शुद्ध वाक्य
(1) वे महान व्यक्ति थीं। (मराठी में व्यक्ति शब्द स्त्रीलिंग है।) वे महान व्यक्ति थे। (हिंदी में व्यक्ति शब्द पुल्लिंग है।)
(2) मरीज का प्राण निकल गया। (मराठी में प्राण शब्द का प्रयोग एकवचन में होता है।) मरीज के प्राण निकल गए। (हिंदी में प्राण शब्द का प्रयोग सदा बहुवचन में होता है।)
(3) मैंने आवाज सुना। (मराठी/गुजराती में आवाज शब्द पुल्लिंग है।) मैंने आवाज सुनी। (हिंदी में आवाज शब्द स्त्रीलिंग है।)
(4) उस मरीज का मृत्यु हो गया। (मराठी/गुजराती में मृत्यु शब्द पुल्लिंग है।) उस मरीज की मृत्यु हो गई। (हिंदी में मृत्यु शब्द स्त्रीलिंग है।)
(5) उसका नाक कट गया। (मराठी/गुजराती में नाक शब्द नपुंसकलिंग है।) उसकी नाक कट गई। (हिंदी में नाक शब्द स्त्रीलिंग है।)

(9) वाक्यरचना के दोष :

अशुद्ध वाक्य शुद्ध वाक्य
(1) वे राग में अपने मगन था। वे अपने राग में मगन थे।
(2) राजेश की कमीज नरेश से अच्छी है। राजेश की कमीज नरेश की कमीज से अच्छी है।
(3) बकरी को काटकर घास खिलाओ। घास काटकर बकरी को खिलाओ।
(4) सभा में अनेकों लोग उपस्थित थे। सभा में अनेक लोग उपस्थित थे।
(5) क्या डॉक्टर साहब घर हैं? क्या डाक्टर साहब घर पर हैं?
(6) तुम तुम्हारे काम पर जाओ। तुम अपने काम पर जाओ।
(7) हमारे को कल स्कूल नहीं जाना। मुझे कल स्कूल नहीं जाना है।
(8) विश्वामित्र बहुत ज्ञानी व्यक्ति थे। विश्वामित्र बहुत ज्ञानी थे।
(9) वह महात्मा जी को धन्यवाद करता है। वह महात्मा जी को धन्यवाद देता है।
(10) मुझे केवल मात्र आपका समर्थन चाहिए। मुझे केवल आपका समर्थन चाहिए।
(11) मुझे एक व्याकरण की पुस्तक चाहिए। मुझे व्याकरण की एक पुस्तक चाहिए।
(12) क्या यह संभव हो सकता है? क्या यह संभव है।
(13) सारे कस्बे के लोगों में कोरोना पाया गया। कस्बे के सारे लोगों में कोरोना पाया गया।
(14) यहाँ ताजा भैंस का दूध मिलता है। यहाँ भैंस का ताजा दूध मिलता है।
(15) मजदूर खाना और पानी पीकर सो गए। मजदूर खाना खाकर और पानी पीकर सो गए।

प्रश्न. निम्नलिखित अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध करके फिर से लिखिए:

प्रश्न 1.
शॉ कि बात सच्च है पर यह सच्चाई एकांगी है।
उत्तर :
शॉ की बात सच है, पर यह सच्चाई एकांगी है।

प्रश्न 2.
अब उसे लगता है की इस वेग से वह पीस जाएगा।
उत्तर :
अब उसे लगता है कि इस वेग से वह पिस जाएगा।

प्रश्न 3.
अपनी-अपनी बात कहने-सुनने से बंधन या संकोच कैसी।
उत्तर :
अपनी-अपनी बात कहने-सुनने में बंधन या संकोच कैसा।

प्रश्न 4.
मेरे को लगता है, पत्र का ये अंश तुम्हारे लिए कुछ भारी हो गया।
उत्तर :
मुझे लगता है, पत्र का यह अंश तुम्हारे लिए कुछ भारी हो गया।

प्रश्न 5.
हिन्दी युवकभारती एक ग्रंथ है।
उत्तर :
हिंदी युवकभारती एक पुस्तक है।

प्रश्न 6.
वे एक-दूसरे की रहा का रोड़ा नहीं, प्रेरणा ओर ताकत बनें।
उत्तर :
वे एक-दूसरे की राह का रोड़ा नहीं, प्रेरणा और ताकत बनें।

प्रश्न 7.
मैं इसके परिमाण का प्रतीक्षा करूँगी।
उत्तर :
मैं इसके परिणाम की प्रतीक्षा करूँगी।

प्रश्न 8.
ओजन एक गेस है, जो ऑक्सीजन के तीन परमाणु से मिलकर बनी है।
उत्तर :
आक्सीज एक गैस है, जो ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनी है।

प्रश्न 9.
किशोरी की घड़ियाल में तीन बजे है।
उत्तर :
किशोरी की घड़ी में तीन बजे हैं।

प्रश्न 10.
सास लेने के लिए स्वछ हवा मिलना मुश्किल हो रहा है।
उत्तर :
साँस लेने के लिए स्वच्छ हवा मिलना मुश्किल हो रहा है।

प्रश्न 11.
सी.एफ.सी योगिकों का एक गुण खास है कि वे नष्ट नहीं होते।
उत्तर :
सी.एफ.सी. यौगिकों का एक खास गुण है कि वे नष्ट नहीं होते।

प्रश्न 12.
तुम मेरे गुरु का समान हैं।
उत्तर :
आप मेरे गुरु के समान हैं।

प्रश्न 13.
मुजे मेरे घर में ही शांति मिलती है।
उत्तर :
मुझे अपने घर में ही शांति मिलती है।

प्रश्न 14.
उस बगीचे में अनेक नारियल के वृच्छ हैं।
उत्तर :
उस बगीचे में नारियल के अनेक वृक्ष हैं।

प्रश्न 15.
दस दिन से बीमार मरीज का प्राण निकल गया।
उत्तर :
दस दिन से बीमार मरीज के प्राण निकल गए।

प्रश्न 16.
धारण-सा वृद्धास्रम का घर देखकर आश्चर्य लगा।
उत्तर :
वृद्धाश्रम का साधारण-सा घर देखकर आश्चर्य लगा।

प्रश्न 17.
आप दोनों इदर बैठो।
उत्तर :
आप दोनों इधर बैठिए।

प्रश्न 18.
बड़े लोग की माएँ क्या वृद्धाश्रम में अपने जीवन गुजारती हैं?
उत्तर :
बड़े लोगों की माएँ क्या वृद्धाश्रम में अपना जीवन गुजारती हैं?

प्रश्न 19.
मेरा नाना एक खाता-पीता किसान थे।
उत्तर :
मेरे नाना एक खाते-पीते किसान थे।

प्रश्न 20.
आपने मिलना किसको है?
उत्तर :
आपको मिलना किससे है?

प्रश्न 21.
बहोत देर तक हम दोनों रोता रहे।
उत्तर :
बहुत देर तक हम दोनों रोते रहे।

प्रश्न 22.
जब तलक एक भी सुपूत संसार में रहेगा, तब तक माएँ कष्ट सहकर संतान को जन्म देती रहेंगी।
उत्तर :
जब तक एक भी सपूत संसार में रहेगा, तब तक माएँ कष्ट सहकर संतान को जन्म देती रहेंगी।

प्रश्न 23.
निराला जी अपना शरीर, जिवन और साहित्य सभी में असाधारण हैं।
उत्तर :
निराला जी अपने शरीर, जीवन और साहित्य सभी में असाधारण हैं।

प्रश्न 24.
अपनी प्रतीकूल परिस्तिथियों से उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
उत्तर :
अपनी प्रतिकूल परिस्थितियों से उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

प्रश्न 25.
फूलों के श्पर्स से हरिणों ने सुध आई और वे चौकड़ी भरते हुए गायब हो गए।
उत्तर :
फूलों के स्पर्श से हरिणों को सुध आई और वे चौकड़ी भरते हुए गायब हो गए।

Maharashtra Board Class 12 Hindi अपठित बोध

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest अपठित बोध Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Hindi अपठित बोध

कृतिपत्रिका के प्रश्न 4 (इ) के लिए अपठित परिच्छेद क्र. 1

प्रश्न. निम्नलिखित अपठित परिच्छेद पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए:
Maharashtra Board Class 12 Hindi अपठित बोध 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi अपठित बोध 2

Maharashtra Board Class 12 Hindi अपठित बोध

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का वचन बदलकर लिखिए :
(1) मशीन – …………………………………….
(2) कक्षा – …………………………………….
(3) कपड़े – …………………………………….
(4) आवश्यकता – …………………………………….
उत्तर :
(1) मशीन – मशीनें
(2) कक्षा – कक्षाएँ
(3) कपड़े – कपड़ा
(4) आवश्यकता – आवश्यकताएँ।

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
‘गृहिणी की सुघड़ता’ विषय पर 40 से 50 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
स्त्री की सुघड़ता उसके सौंदर्य के साथ-साथ उसके अच्छे व्यवहार और उसके अच्छे कामों से आँकी जाती है। सुघड़ गृहिणी अपने सद्व्यवहार और अपने काम से सबका दिल जीत लेती है। घर को सुव्यवस्थित रखना, बच्चों का उचित पालन-पोषण और उनकी शिक्षा-दीक्षा का प्रबंध करना, उनको अच्छे संस्कार देना, बुजुर्गों तथा अतिथियों की देखभाल तथा उनका सम्मान करना, सभी रिश्तेदारों से अच्छे संबंध बनाए रखना तथा सामाजिक व्यवहार निभाना आदि जिम्मेदारियाँ गृहिणी के ही हिस्से में आती हैं।

स्त्रियों के संबंध में सुघड़ता एक आवश्यक गुण है। सुघड़ स्त्री न केवल अपने परिवारजनों की बल्कि अपने समाज, जान-पहचानवालो और रिश्तेदारों की भी प्रशंसा की पात्र बन जाती है। लोगों द्वारा जगहजगह पर उसके उदाहरण दिए जाते हैं। इस प्रकार की सुघड़ता से उसका आत्मविश्वास बढ़ता हैं।

Maharashtra Board Class 12 Hindi अपठित बोध

अपठित परिच्छेद क्र. 2
प्रश्न. निम्नलिखित अपठित परिच्छेद पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 12 Hindi अपठित बोध 3
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi अपठित बोध 4

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए :
(1) सूर्य = …………………………………….
(2) गति = …………………………………….
(3) आकाश = …………………………………….
(4) आँख = …………………………………….
उत्तर :
(1) सूर्य = रवि
(2) गति = रफ्तार
(3) आकाश = गगन
(4) आँख = नयन।

Maharashtra Board Class 12 Hindi अपठित बोध

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
‘सौरमंडल’ विषय पर 40 से 50 शब्दों में अपने १ विचार लिखिए।
उत्तर :
सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले ग्रहों, धूमकेतुओं, उल्काओं और अन्य आकाशीय पिंडों के समूह को ‘सौरमंडल’। कहते है। ये सभी एक-दूसरे में गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बँधे हुए हैं। सौरमंडल में 8 ग्रह हैं – बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, युरेनस और नेपच्यून।

ग्रहों के उपग्रह भी होते हैं, जो अपने ग्रहों की परिक्रमा करते हैं। सूर्य हमारी आकाशगंगा से लगभग 30,000 प्रकाश वर्ष दूरी पर स्थित है। सूर्य आकाशगंगा के चारों ओर 250 किमी प्रति सेकंड की गति से परिक्रमा कर रहा है। सूर्य अपने अक्ष पर पूरब से पश्चिम की ओर घूमता है।

सूर्य हमारी पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है। बुध, शुक्र, शनि, बृहस्पति और मंगल इन पाँचों ग्रहों को बिना दूरबीन के भी देखा जा सकता है। सूर्य हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा पिंड है।

अपठित परिच्छेद क्र. 3
प्रश्न. निम्नलिखित अपठित परिच्छेद पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए:
Maharashtra Board Class 12 Hindi अपठित बोध 5
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi अपठित बोध 6

Maharashtra Board Class 12 Hindi अपठित बोध

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
परिच्छेद में प्रयुक्त उपसर्गयुक्त शब्दों से मूल शब्द और उपसर्ग को अलग-अलग करके लिखिए :
(1) निर्विवाद
(2) अनिश्चित।
उत्तर :
(1) निर्विवाद = निर् + विवाद।
(2) अनिश्चित = अ + निश्चित।

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
‘जीवन-यापन के लिए समय से उचित व्यवसाय का चुनाव आवश्यक’ विषय पर 40 से 50 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
दुनिया में दो तरह के मनुष्य होते हैं एक वे जो समाज में पारंपरिक रूप से किसी धंधे वाले परिवार से जुड़े हैं – जैसे किसान, लोहार, सुनार, नाई, धोबी आदि। इनके बच्चों को अकसर पारंपरिक कार्य सीखने का मौका मिल जाता है। इसी तरह छोटे-मोटे दुकानदार, कारखाना मालिक तथा बड़े-बड़े उद्योगपतियों का अपना व्यवसाय होता है।

इनके बच्चों को भी जन्म से ही अपने पारिवारिक व्यवसाय की जानकारी होती है और बड़े होने पर उनमें से अनेक अपने पारिवारिक धंधों से जुड़ जाते हैं। विशेष परेशानी उन लोगों को होती है, जो गरीब तबके से आते हैं और पढ़ने-लिखने के बाद भी उन्हें यह नहीं सूझता कि पढ़ाई के बाद व्यवसाय के अवसर कहाँ हैं, जहाँ वे हाथ-पाँव मारें। फिर भी इनमें से कुछ को किन्हीं कारणों से जीवन-यापन के अवसर उपलब्ध हो जाते हैं।

पर अधिकांश लोगों को यह सौभाग्य प्राप्त नहीं हो पाता। मजबूरी में उन्हें अपनी रुचि-अरुचि का ध्यान न रखते हुए कुछ-न-कुछ करने के लिए बाध्य होना पड़ता है। कुछ लोग हिम्मत हारकर बैठ जाते हैं और माता-पिता के लिए बोझ बन जाते हैं। ऐसे लोगों को यह बात समझनी चाहिए कि जीवन-यापन के लिए कुछ-न-कुछ तो करना ही होगा, तभी उद्धार होगा। इसलिए उन्हें हारकर बैठने के बजाय, सदा प्रयासरत रहना चाहिए। प्रयास करने से कोई-न-कोई राह अवश्य मिलती है।

Maharashtra Board Class 12 Hindi अपठित बोध

अपठित परिच्छेद क्र. 4
प्रश्न. निम्नलिखित अपठित परिच्छेद पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 12 Hindi अपठित बोध 7
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi अपठित बोध 8

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द लिखिए :
(1) दुर्लभ x ………………………………
(2) कोमल x ………………………………
(3) सरल x ………………………………
(4) सजीव x ………………………………
उत्तर :
(1) दुर्लभ x सुलभ
(2) कोमल x कठोर
(3) सरल x कठिन
(4) सजीव x निर्जीव

Maharashtra Board Class 12 Hindi अपठित बोध

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
‘पशुओं के प्रति दयाभाव’ विषय पर 40 से 50 शब्दों में अपने विचार लिखिए :
उत्तर :
मनुष्यों की तरह ही पशु भी सृष्टि के आदि काल से पृथ्वी पर रहते आए हैं। पहले मनुष्य और पशु दोनों जंगलों में रहते थे। जब मनुष्य समूह बनाकर एक स्थान पर स्थायी रूप से रहने लगा और खेती करने लगा, तो उसने अपनी आवश्यकता के अनुसार अनेक पशुओं को पालतू बना लिया और उनसे काम लेने लगा। आज भी यह परंपरा जारी है। पर अनेक लोग पशुओं के साथ क्रूरता का व्यवहार करते हैं। वे जानवरों से आवश्यकता से अधिक काम लेते हैं।

उन्हें शारीरिक रूप से प्रताड़ित करते हैं। अपने मनोरंजन के लिए निरीह जंगली जानवरों की हत्या करते हैं। लोगों को अपनी इस प्रवृत्ति से बाज आना जाहिए। हमें इन मूक प्राणियों के प्रति दया की भावना रखनी चाहिए और पशुओं के साथ होने वाले अत्याचार को रोकना चाहिए।

अपठित परिच्छेद क्र. 5
प्रश्न. निम्नलिखित अपठित परिच्छेद पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 12 Hindi अपठित बोध 9
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi अपठित बोध 10

Maharashtra Board Class 12 Hindi अपठित बोध

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के लिंग पहचानकर लिखिए :
(1) रसायन – ……………………………….
(2) वस्तु – ……………………………….
(3) धरती – ……………………………….
(4) तेल – ……………………………….
उत्तर :
(1) रसायन – पुल्लिंग
(2) वस्तु – स्त्रीलिंग
(3) धरती – स्त्रीलिंग
(4) तेल – पुल्लिंग।

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
‘ध्वनि प्रदूषण’ विषय पर 40 से 50 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
पर्यावरण में अनेक प्रकार के प्रदूषण हैं। ध्वनि प्रदूषण उनमें से एक है। ध्वनि प्रदूषण आधुनिक जीवन और बढ़ते हुए औद्योगीकरण का भयानक परिणाम है। इसके कुछ मुख्य स्रोत सड़क पर यातायात, परिवहन (ट्रक, बस, ऑटो, बाइक आदि) के द्वारा उत्पन्न शोर, भवन, सङक, बाँध, फ्लाई ओवर, हाइ-वे, स्टेशन आदि के निर्माण के समय बुलडोजर, डंपिंग ट्रक, लोडर आदि के कारण उत्पन्न शोर, औद्योगिक शोर, दैनिक जीवन में घरेलू उपकरणों का प्रयोग आदि हैं। ध्वनि प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है।

Maharashtra Board Class 12 Hindi अपठित बोध

उच्च स्तर के ध्वनि प्रदूषण के कारण लोगों के व्यवहार में चिड़चिड़ापन आ जाता है। तेज आवाज बेहरेपन और कान की अन्य जटिल समस्याओं का कारण बनती है। ध्वनि प्रदूषण चिंता, बेचैनी, थकान, सिरदर्द, घबराहट आदि का भी कारण बनता है। दिन-प्रति-दिन बढ़ता ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों की काम करने की क्षमता, गुणवत्ता तथा एकाग्रता को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest परिशिष पारिभाषिक शब्दावली Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

1. पदनाम, प्रशासनिक एवं कार्यालय में प्रयुक्त शब्द

  • Ambassador = राजदूत
  • Honororium = मानदेय
  • Announcer = उद्घोषक
  • Internal = आंतरिक
  • Attesting Officer = साक्ंतकि अतधकारी
  • Invalid = अवैध Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली
  • Census Officer = जनगणना अधिकारी
  • Joining Date = कार्यग्रहण तिथि
  • Circle Inspector = अंचल निरीक्षक
  • Medical Benefit = चिकिस्ता सुविध
  • Custodian = अभिरक्षक
  • Registration = पंजीकरण
  • Interpreter = दुभाषिया
  • Suspension = निलंबन
  • Judge = न्यायाधीश
  • Temporary = अस्थायी
  • Justice = न्याय, न्यायमूर्ति
  • Warning = चेतावनी
  • Liaison Officer = संपर्क अधिकारी
  • Casual Leave = आकस्मिक छुट्टी/अवकाश
  • Verification Officer = सत्यापन अधिकारी
  • Earned Leave = अर्जित छुट्टी/अवकाश
  • Adjournment = स्थगन
  • Bye-Law = उपविधि
  • Advance = अग्रिम
  • Invoice = बीजक Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली
  • Commissioner = आयुक्त
  • Minutes = कार्यवृत्त
  • Agenda = कार्यसूची
  • Ordinance = अध्यादेश
  • Amendment = संशोधन
  • Procedure = कार्यविधि
  • Audit Objections = लेखापरीक्षा आपत्तियाँ
  • Public Accounts Committee = लोक लेखा समिति
  • Authentic = अधिप्रमाणित
  • Admiral = नौसेनाध्यक्ष
  • Autonomous = स्वायत्त

2. बैंक एवं वाणिज्य क्षेत्र से संबंधित शब्द

  • Bond = बंधपत्र
  • Accurued Interest = उपार्जित ब्याज
  • Charge Sheet = आरोपपत्र
  • Acknowledgement = पावती
  • Compensation = मुआवजा
  • Apex Bank = शिखर बैंक
  • Deduction = कटौती
  • Balance = शेष राशि Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली
  • Diciplinary Action = अनुशासनिक कार्रवाई
  • Bank Statement = बैंक विवरण
  • Eligibility = पात्रता
  • Commission = आढ़त
  • Enrolment = नामांकन
  • Dead Account = निष्क्रिय खाता
  • Exemption = छूट
  • Fixed Deposit = सावधि जमा
  • Expert = विशेषज्ञ
  • Payment = भुगतान, अदायगी
  • Gazetted = राजपत्रित
  • Pay Order = अदायगी आदेश
  • Reinvestment = पुनर्निवेश
  • Indemnity = नामित व्यक्ति
  • Surrender = आत्मसमर्पण
  • Dismiss = पदच्युत
  • Action = कार्यवाही
  • Paid Up = चुकता
  • Assured = बीमित
  • Arrears = बकाया
  • Balance Sheet = तुलना पत्र
  • Record = अभिलेख Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली
  • Balance of Payment = शेष भुगतान
  • Demurrage = विलंब शुल्क
  • Transaction = लेन-देन

3. वैज्ञानिक शब्दावली

  • Speed = गति
  • Friction = घर्षण
  • Antibiotics = प्रतिजैविक पदार्थ
  • Meteorology = मौसम विज्ञान
  • Antiseptics = रोगानुरोधक
  • Optic Fibre = प्रकाशीय तंतु

4. कंप्यूटर (संगणक) विषयक

  • Output = निकास
  • Graphic Table = आरेखन तालिका
  • Integrated Circuit = एकीकृत परिपथ
  • Auxilliary Memory = सहायक स्मृति

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ सुनु रे सखिया और कजरी

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest परिशिष भावार्थ : सुनु रे सखिया और कजरी Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Hindi परिशिष भावार्थ : सुनु रे सखिया और कजरी

भावार्थ : पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्रमांक ६५–६६ : कविता – सुनु रे सखिया और कजरी

सुनु रे सखिया

इसमें नायिका अपनी सखियों से कह रही है कि सुन सखी, बसंत ऋतु आ गई है, सब तरफ फूल महकने लगे हैं। बसंत ऋतु के आने से सरसों फूल गई है, अलसी अलसाने लगी, पूरी धरती हरियाली की चादर ओढ़ खिल उठी है। कली–कली फूल बनके मुस्कुराने लगी है।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ सुनु रे सखिया और कजरी

इस ऋतु के आने से खेत, जंगल सब हरे–भरे हो गए हैं, जिसकी वजह से तन–मन भी हुलसने लगे हैं। इंद्रधनुष के रंगों की तरह रंग–बिरंगे फूल खिल उठे हैं। कजरारी आँखों में सपने मुस्कुराने लगे हैं और गले से मीठे गीत फूटने लगे हैं। बगिया के साथ यौवन भी अंगड़ाइयाँ लेने लगा है।

मधुर–मस्त बयार प्यार बरसाकर तार–तार रँगने लगी है। हर एक का मन गुलाब की तरह खिल रहा है। बाग–बगीचे हरे–भरे हो गए, कलियाँ खिलने लगीं, भौरे आस–पास मँडराने लगे। गौरैया भी माथे पर फूल सजा इतराने लगी है।

किंतु हे सखी, पिया के पास न होने से ये सब बबूल के काँटों की तरह चुभ रहे हैं। आँख में काजल धुल रहा है। आँसुओं की झड़ी लगी है पर बसंत फिर भी आ गया है फूलों की महक लेकर।

कजरी

मनभावन सावन आ गया। बादल घिर–घिर आने लगे। बादल गरजते हैं; बिजली चमकती है और पुरवाई चल रही है। रिमझिम–रिमझिम मेघ बरसकर धरती को नहला रहे हैं। दादुर, मोर, पपीहा बोलकर मेरे हृदय को प्रफुल्लित कर रहे हैं।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ सुनु रे सखिया और कजरी

जगमग–जगमग जुगनू इधर–उधर डोलकर सबका मन लुभा रहे हैं। लता–बेल सब फलने–फूलने लगे हैं। डाल–डाल महक उठी है। सावन आ गया है।

सभी सरोवर और सरिताएँ भरकर उमड़ पड़ी हैं। हमारा हृदय सरस गया है। लोक कवि कहता है– ‘हे प्रिय ! शीघ्र चलो, श्याम की बंसी बज रही है।’

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ गुरुबानी वृंद के दोहे

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest परिशिष भावार्थ : गुरुबानी, वृंद के दोहे Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Hindi परिशिष भावार्थ : गुरुबानी, वृंद के दोहे

भावार्थ : पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्रमांक २३, २४ : कविता – गुरुबानी – गुरु नानक

जो लोग गुरु से लापरवाही बरतते हैं और अपने–आपको ही ज्ञानी समझते हैं; वे व्यर्थ ही उगने वाले तिल की झाड़ियों के समान हैं। दुनिया के लोग उनसे किनारा कर लेते हैं। इधर से वे फलते–फूलते दिखाई देते हैं पर उनके भीतर झाँककर देखो तो गंदगी और मैल के सिवा कुछ दिखाई नहीं देगा।। १।।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ : गुरुबानी, वृंद के दोहे

मोह को जलाकर उसे घिसकर स्याही बनाओ। बुद्धि को श्रेष्ठ कागज समझो ! प्रेमभाव की कलम बनाओ। चित्त को लेखक और गुरु से पूछकर लिखो– नाम की स्तुति। और यह भी लिखो कि उस प्रभु का न कोई अंत है और न कोई सीमा।। २।।

हे मन ! तू दिन–रात भगवान के गुणों का स्मरण कर जिन्हें एक क्षण के लिए भी नहीं भूलता। संसार में ऐसे लोग विरले ही होते हैं। अपना ध्यान उसी में लगाओ और उसकी ज्योति से तुम भी प्रकाशित हो जाओ। जब तक तुझमें अहंभाव या ‘मैं, मेरा, मेरी’ की भावना रहेगी तब तक तुझे प्रभु के दर्शन नहीं हो सकते। जिसने हृदय से भगवान के नाम की माला पहन ली है; उसे ही प्रभु के दर्शन होते हैं।। ३।।

हे प्रभो ! अपनी शक्ति के सब रहस्यों को केवल तुम्हीं जानते हो। उनकी व्याख्या कोई दूसरा कैसे कर सकता है? तुम प्रकट रूप भी हो, अप्रकट रूप भी हो। तुम्हारे अनेक रंग हैं। अनगिनत भक्त, सिद्ध, गुरु और शिष्य तुम्हें ढूँढ़ते–फिरते हैं। हे प्रभु ! जिन्होंने तेरा नामस्मरण किया, उनको प्रसाद में (भिक्षा में) तुम्हारे दर्शन की प्राप्ति हुई है। तुम्हारे इस संसार के खेल को केवल कोई गुरुमुख ही समझ सकता है। तुम्हारे इस संसार में तुम्ही युग–युग में विद्यमान रहते हो।। ४।।

हे पंडित ! संसार में दिन–रात महान आरती हो रही है। आकाश रूपी थाल में सूर्य और चाँद दीपक और हजारों तारे–सितारे मोती बनकर जगमगा रहे हैं। मलय की खुशबूदार हवा का धूप महक रहा है। वायु चँवर से हवा कर रही है। जंगल के सभी वृक्ष फूल चढ़ा रहे हैं। हृदय में अनहद नाद का ढोल बज रहा है। हे मनुष्य ! इस महान आरती के होते हुए तेरी आरती की क्या आवश्यकता है, क्या महत्त्व है ? अर्थात भगवान की असली आरती तो मन से उतारी जाती है और श्रद्धा ही भक्त की सबसे बड़ी भेंट है। फिर आप लोग थालियों में ये थोड़े–थोड़े फल–फूल लेकर मूर्ति पर क्यों चढ़ाते हो? क्या उसके पास थालियों की कमी है? अरे ! आकाश ही उसका नीलम थाल है ! सूर्य और चंद्रमा की ओर देखो। वे भगवान की आरती में रखे हुए दीपक हैं। ये तारे ही उसके मोती हैं और हवा उसे दिन–रात चँवर झुला रही है।। ५।।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ : गुरुबानी, वृंद के दोहे

भावार्थ : पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्रमांक २७, २८ : कविता – वृंद के दोहे

माँ सरस्वती के ज्ञान भंडार की बात बड़ी ही अनूठी और अपूर्व है। यह ज्ञान भंडार जितना खर्च किया जाए, उतना बढ़ता जाता है और खर्च न करने पर वह घटता जाता है अर्थात ज्ञान देने से बढ़ता है और अपने पास रखने पर नष्ट हो जाता है ॥१॥

आँखें ही मन की सारी अच्छी–बुरी बातों को व्यक्त कर देती हैं… जैसे स्वच्छ आईना अच्छे–बुरे को बता देता है।।२।।

अपनी पहुँच, क्षमता को पहचानकर ही कोई भी कार्य कीजिए। जैसे– हमें उतने ही पाँव फैलाने चाहिए जितनी हमारी चादर हो।।३।।

यदि आप व्यापार करते हैं तो व्यापार में छल–कपट का सहारा न लें। छल–कपट से किया गया व्यवहार ग्राहक को आपसे दूर ले जाता है। जैसे– लकड़ी (काठ) की हाँडी आग पर एक ही बार चढ़ती है, बार–बार नहीं क्योंकि लकड़ी पहली बार में ही जल जाती है।।४।।

ऊँचे स्थान पर बैठने से बिना गुणोंवाला कोई भी व्यक्ति बड़ा नहीं बन जाता। ठीक वैसे ही जैसे मंदिर के शिखर पर बैठने से कौआ गरूड़ नहीं बन जाता।।५।।

दूसरे के भरोसे अपना कार्य अथवा व्यवसाय छोड़ देना उचित नहीं है। जैसे– पानी से भरे बादलों को देखकर पानी से भरा अपना घड़ा फोड़ देना बुद्धिमानी नहीं है।।६।।

दुष्ट अथवा छोटे व्यक्ति की संगति में रहना अथवा कुछ कहकर उसे छेड़ना श्रेयस्कर नहीं है। जैसे– कीचड़ में पत्थर फेंकने से वह कीचड़ हमपर ही उछलकर हमें गंदा कर देता है।।७।।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ : गुरुबानी, वृंद के दोहे

जो ऊँचाई पर, उच्च पद पर पहुँचता है, उसका नीचे उतर आना भी उतना ही स्वाभाविक है। जैसे– दोपहर के समय तपा हुआ दग्ध सूर्य शाम के समय अस्त हो जाता है, डूब जाता है।।८।।

जिसके पास गुण होते हैं, उसी के अनुसार उसे आदर प्राप्त होता है। जैसे– मधुर वाणी के कारण कोयल को आम प्राप्त होते हैं और कर्कश ध्वनि के कारण कौए को निबौरी (नीम का फल) प्राप्त होती है।।९।।

अविवेक के साथ किया गया कार्य स्वयं के लिए हानिकर सिद्ध होता है। जैसे– कोई मूर्ख अपनी अविवेकता से कार्य कर अपने पाँव पर अपने हाथ से कुल्हाड़ी मार बैठता है।।१०।।

पालने में बच्चे के लक्षण देखकर ही उसके अच्छे–बुरे होने का पता चल जाता है। जैसे– उत्तम बीज के पौधों के पत्ते चिकने अर्थात स्वस्थ पाए जाते हैं।।११।।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष मुहावरे

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest परिशिष मुहावरे Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Hindi परिशिष मुहावरे

मुहावरा वह वाक्यांश जो सामान्य अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ में प्रयुक्त होता है; मुहावरे में उसके लाक्षणिक और व्यंजनात्मक अर्थ को ही स्वीकार किया जाता है। वाक्य में प्रयुक्त किए जाने पर ही मुहावरा सार्थक प्रतीत होता है।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष मुहावरे

  • अपना उल्लू सीधा करना – अपना स्वार्थ सिद्ध करना।
  • दिन दूना रात चौगुना बढ़ना – दिन–प्रतिदिन अधिक उन्नति करना।
  • अक्ल पर पत्थर पड़ना – बुद्धि काम न करना।
  • आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना।
  • आँखें बिछाना – अति उत्साह से स्वागत करना।
  • कान में कौड़ी डालना – गुलाम बनाना।
  • कंगाली में आटा गीला होना – विपत्ति में और अधिक विपत्ति आना।
  • कुएँ में बाँस डालना – जगह–जगह खोज करना।
  • गुड़ गोबर करना – बने काम को बिगाड़ देना।
  • गड़े मुर्दे उखाड़ना – पुरानी कटु बातों को याद करना।
  • कटे पर नमक छिड़कना – दुखी को और दुखी बनाना।
  • एक और एक ग्यारह – एकता में शक्ति होना
  • घर फूंक तमाशा देखना – अपनी ही हानि करके प्रसन्न होना।
  • घाट-घाट का पानी पिया होना – हर प्रकार के अनुभव से परिपूर्ण होना।
  • चाँदी काटना – बहुत लाभ कमाना। Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष मुहावरे
  • जहर का चूंट पीना – अपमान को चुपचाप सह लेना।
  • जी-जान से काम करना – पूरी क्षमता के साथ काम करना।
  • तिल का ताड़ बनाना – छोटी बात को बढ़ा–चढ़ाकर कहना।
  • पत्थर की लकीर होना – पक्की बात।
  • पेट में दाढ़ी होना – छोटी आयु में बुद्धिमान होना।
  • फूंक-फूंककर पाँव रखना – अति सावधानी बरतना।
  • मुट्ठी गर्म करना – रिश्वत देना।
  • रंग में भंग होना – प्रसन्नता के वातावरण में विघ्न पड़ना।
  • शक्ल पर बारह बजना – बड़ा उदास रहना।
  • सितारा चमकना – भाग्योदय होना
  • आठ-आठ आँसू रोना – बहुत अधिक रोना।
  • आँखें चार होना – प्रेम होना।
  • अगर-मगर करना – टाल–मटोल करना।
  • अपना ही राग अलापना – अपनी ही बातें करते रहना।
  • आसमान पर थूकना – अशोभनीय कार्य करना।
  • उल्टी गंगा बहाना – उल्टा काम करना।
  • उगल देना – भेद बता देना।
  • ओखली में सिर देना – जान–बूझकर जोखिम उठाना।
  • एक लाठी से हाँकना – सबके साथ समान व्यवहार करना।
  • चार चाँद लगाना – शोभा बढ़ाना।
  • पापड़ बेलना – कड़ी मेहनत करना।
  • कान भरना – चुगली करना। Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष मुहावरे
  • कोल्हू का बैल – लगातार काम में लगे रहने वाला। बहुत परिश्रम करने वाला।
  • कब्र में पैर लटकना – मरने के समीप होना।
  • कागजी घोड़े दौड़ाना – लिखा–पढ़ी करना।
  • कौड़ी-कौड़ी का मोहताज – अत्यंत निर्धन होना।
  • खाला का घर – आसान काम।
  • खाल मोटी होना – बेशर्म होना।
  • गिरगिट की तरह रंग बदलना – अवसरवादी होना।
  • घोड़े बेचकर सोना – गहरी नींद सोना।
  • हाथ खींचना – निश्चिंत होकर सोना।
  • चोली-दामन का साथ होना – साथ न देना।
  • चोर की दाढ़ी में तिनका – घनिष्ठ संबंध होना।
  • जली-कटी सुनाना – अपराधी का भयभीत और सशंकित रहना।
  • डकार तक न लेना – कटु–चुभती बातें करना।
  • डूबती नाव पार लगाना – सब कुछ हजम कर लेना।
  • तलवे चाटना – कष्टों से छुटकारा देना।
  • दाल न गलना – खुशामद करना।
  • पेट काटना – काम न बनना।
  • पाँचों उँगलियाँ घी में होना – चतुराई काम न आना।
  • पोंगा होना – भूखा रहना। Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष मुहावरे
  • बात का धनी – चहुँ तरफ लाभ होना।
  • मरने की फुरसत न होना – नासमझ होना।
  • मूंछ उखाड़ना – वचन का पक्का कामों में बहुत व्यस्त होना।
  • रोटियाँ तोड़ना – घमंड चूर-चूर कर देना।
  • वीरगति को प्राप्त होना-मुफ्त में खाना।
  • स्वांग भरना – युद्ध में वीरतापूर्वक मृत्यु पाना।
  • हवा लगना – विचित्र वेश बनाना, किसी की नकल उतारना।
  • हवाई किले बनाना – असर पड़ना/होना।
  • दाई से पेट छिपाना – बहुत अधिक कल्पना करना।
  • सिर खपाना – भेद जानने वाले से सच्ची बात छिपाना।
  • खबर गरम होना – कठोर परिश्रम करना। चर्चा-ही-चर्चा होना।
  • चिराग तले अँधेरा – गुणवान व्यक्ति में भी दोष होना।