Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना निबंध लेखन

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest रचना निबंध लेखन Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi रचना निबंध लेखन

निबंध लेखन :

गद्य लिखना अगर कवियों की कसौटी है तो निबंध लिखना गद्यकारों की कसौटी है। निबंध शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है नि-बंध। बंध का अर्थ है बाँधना या बंधा हुआ इसमें लगे ‘नि’ उपसर्ग का अर्थ होता है अच्छी तरह से। अत: निबंध का तात्पर्य उस रचना से है जिसे अच्छी तरह बाँधा गया हो।

किसी भी विषय पर अपने भाव, विचार, अनुभव जानकारी इत्यादि को अपनी शैली में क्रमबद्ध कर अभिव्यक्त करना ही निंबध है। निबंध कैसे लिखा जाय? यह महत्त्वपूर्ण है। भाषा शैली का इसमें विशेष महत्त्व है।

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निबंध लेखन में महत्त्वपूर्ण बातें

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना निबंध लेखन 1

उपर्युक्त क्रम से अंकित एक से बारह तत्त्वों को अनुच्छेद के अनुसार व्यक्त किया जा सकता है। इसी रूप में निबंध को विस्तार दिया जाता है। यदि इसको संक्षिप्त करना है तो दो तत्त्वों को एक अनुच्छेद में समाहित कर अभिव्यक्त किया जा सकता है।

विषय को भली प्रकार से समझ बूझकर उसकी भूमिका बाँधनी चाहिए और विषय प्रवेश के साथ उसके महत्त्व को उजागर करना चाहिए। विस्तार में विषय के प्रकार, शिक्षा विकास, सामाजिक महत्त्व आदि दिखाना चाहिए। विचार स्पष्ट, तर्कपूर्ण एवं सुलझा हुआ होना चाहिए। निबंध में विषयांतर एवं पुनरुक्ति दोष से बचना आवश्यक होता है।

निबंध के संपादन के साथ-समापन भी आकर्षक होना चाहिए। इसमें लेखक का अपना विचार होना आवश्यक होता है। निबंध की भाषा सरल, प्रभावी व व्याकरणनिष्ठ होनी चाहिए। वाक्य जितने छोटे व स्पष्ट होंगे, निबंध उतना ही प्रभावशाली होगा।

निबंध को प्रभावशाली बनाने के लिए प्रसिद्ध काव्य पंक्तियों, उक्तियों, मुहावरों, सटीक लोकोक्तियों व घटनाओं का प्रयोग किया जा सकता है। वर्तनी की शुद्धता के साथ विराम चिह्नों का प्रयोग कुशलता पूर्वक करना चाहिए।

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निबंध के प्रकार : निबंध पाँच प्रकार के होते हैं :

  1. वर्णनात्मक निबंध
  2. कथात्मक या विवरणात्मक निबंध
  3. कल्पनात्मक निबंध
  4. आत्मकथात्मक निबंध
  5. विचारात्मक निबंध।

(1) वर्णनात्मक निबंध : इस निबंध में वर्णन की प्रधानता रहती है। वर्णन में कभी-कभी निजी अनुभूति एवं कल्पना का रंग भी भरना पड़ता है। वस्तु, स्थान, घटना, प्रसंग, यात्रा, अनुभव आदि का रोचक वर्णन किया जाता है। प्राकृतिक दृश्य, त्योहार, उत्सव में एक घंटा आदि निबंध इसी प्रकार के अंतर्गत आते हैं। ‘वर्षा का एक दिन’ निबंध भी इसी के अंतर्गत आता है।

(2) कथात्मक या विवरणात्मक निबंध : किसी घटना अथवा कथा का विवरण, किसी प्रसंग का चित्रण या निरूपण, किसी की जीवन कथा, या आत्मकथा आदि का समावेश इस प्रकार के निबंधों में होता है। निर्जीव वस्तु की आत्मकथा भी यथार्थ का भ्रम करा सके, ऐसी शैली में लिखना चाहिए। जैसे – महात्मा गांधीजी, रेल दुर्घटना, बाढ़ का प्रकोप आदि निबंध।

(3) कल्पनात्मक निबंध : जिन निबंधों में कल्पना तत्त्व की प्रधानता होती है, उसे कल्पना प्रधान निबंध कहते हैं। इसके अंतर्गत जो बात नहीं होती, उसकी कल्पना की जाती है, कभी असंभव – सी बातों को संभव माना जाता है। लेखक कल्पना की ऊँची उड़ान ले सकता है। इस प्रकार के निबंधों के अंतर्गत यदि – होता, अगर …… न होता, मेरी अभिलाषा आदि विषय हैं। जैसे – यदि परीक्षा न होती, अगर मैं बंदी होता, अगर मैं प्रधानमंत्री होता आदि।

(4) आत्मकथात्मक निबंध : इसमें किसी वस्तु, प्राणी या व्यक्ति की आत्मकथा होती है। विद्यार्थी अपने आपको वह वस्तु, प्राणी या व्यक्ति मानकर निबंध लिखता है। इसमें लेखक कल्पना की उड़ान भर सकता है। इसमें जीवित व निर्जीव दोनों तरह की घटना का आरंभ उत्तम पुरुष से होता है। इसमें किसी के दुःख-सुख के साथ लेखक अपने विचारों को भी प्रस्तुत करता है। जैसे – कुर्सी की आत्मकथा, फूल की आत्मकथा, फटे पुस्तक की आत्मकथा आदि।

(5) विचारात्मक निबंध : ऐसे निबंधों में विचार प्रमुख होता है इसमें कल्पना का पुट न के बराबर होता है। इसका आधार तर्क या प्रमाण होता है। किसी के पक्ष या विपक्ष में सकारात्मक तथा नकारात्मक तथ्यों का संपादन बड़ी कुशलता से किया जाता है। समीक्षा व आकलन इस निबंध का आधार होता है।

गरीबी एक अभिशाप, माँ की ममता, वृक्ष लगाओ देश बचाओ, विविधता में एकता, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे, जीवन का लक्ष्य, आदर्श मित्र, आदर्श विदयार्थी, सदाचार का महत्त्व, समय का सदुपयोग, परोपकार, राष्ट्रभाषा की समस्या, समाचार पत्र, विज्ञान-वरदान या अभिशाप, स्त्री भ्रूण हत्या, भ्रष्टाचार उन्मूलन आदि विषय इसके अंतर्गत आते हैं।

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Maharashtra Board Class 11 Hindi निबंध

1. होली का त्यौहार

हमारे यहाँ त्योहारों का सिलसिला वर्षभर चलता है। इसीलिए हमारे देश को त्योहारों का देश कहते हैं। ईद, बकरी ईद, ओणम, पोंगल, बैसाखी, रक्षा बंधन, होली, दशहरा, दीपावली, इत्यादि प्रमुख त्योहार हैं। होली रंगों का त्यौहार है।

होली का त्योहार मनाने के पीछे धार्मिक कारण है। कहते हैं कि हिरण्यकश्यप नामक शैतान, प्रहलाद जैसे ईश्वर भक्त बेटे का पिता था, जो घमंड के कारण अपने आप को ईश्वर समझता था। उसकी एक बहन होलिका थी जिसे वरदान था कि वह अग्नि में नहीं जलेगी।

होलिका अपने भाई की मदद के लिए प्रहलाद को लेकर जलती हुई अग्नि में बैठ गई। नारायण की कृपा से प्रहलाद तो बच गया लेकिन होलिका जल गई। तभी से होलिका दहन किया जाने लगा। यह असत्य पर सत्य की विजय का पर्व है। जिसके दूसरे दिन लोग रंगों से एक दूसरे का स्वागत करते हैं।

हमारा देश किसानों का देश है। यह उनकी फसलों का भी त्योहार है। फसल का रसास्वादन होली की खुशी लेकर आता है। लोग एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर नाचते-गाते हैं। इस दिन शैतान को कबीरा सुनाकर ताना भी मारा जाता है। होली के गीत अत्यंत मनोरंजक व आकर्षक होते हैं।

भगवान श्री कृष्ण राधा के साथ होली खेलते थे। बरसाने और ब्रज की लठमार होली आज भी उसी उमंग से मनाई जाती है। लोग मिठाई बाँटते हैं, ठंडाई पीते हैं। अपने गिले-शिकवे मिटाकर एक-दूसरे को गले लगाते हैं। सभी होली के रंग में घुल-मिल जाते हैं।

कुछ गलत परंपराएँ चल पड़ी हैं जिसे रोकना अनिवार्य है। जैसे – गंदा पानी, कीचड़, गोबर, पेंट, शराब व भाँग का प्रचलन। नशे की हालत में किया गया व्यवहार इस सुंदर पर्व को बदरंग कर देता है, जिससे आर्थिक नुकसान के साथ आपसी दुश्मनी को बढ़ावा मिलता है। घातक रंगों के प्रयोग से आँखों की रोशनी पर भी कुप्रभाव पड़ता है।

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होली के स्नेह सम्मेलन एक – दूसरे को आपस में जोड़ते हैं-

होली के दिन दिल मिल जाते हैं
रंगों में रंग मिल जाते हैं।
गिले-शिकवे सभी भूल कर
दुश्मन भी गले मिल जाते हैं।

यदि गंदगी फूहड़ता तथा नशे पर रोक लगाई जा सके, तो इससे उत्तम पर्व कोई भी नहीं हो सकता।

2. राष्ट्रभाषा हिंदी

राष्ट्रभाषा हमारे विचारों की संवाहक होती है। इसके माध्यम से हम अपने भावों और विचारों को अभिव्यक्त करते हैं। प्रत्येक देश की भाषा उसकी अपनी पहचान होती है। उसका संपूर्ण कार्य उसी भाषा में होता है। राष्ट्रभाषा किसी राष्ट्र के उद्गार का माध्यम होती है। फ्रांस, चीन, जर्मनी, जपान, रूस अपनी भाषा की बदौलत आज पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाए हुए हैं और महाशक्ति के रूप में जाने जाते हैं।

हमारे देश की सर्वाधिक जनता हिंदी भाषा का प्रयोग करती है, इसी कारण महात्मा गांधीजी ने कहा था कि हिंदी ही राष्ट्रभाषा बनने योग्य हैं। इसीलिए 14 सितंबर 1949 को भारतीय संविधान में हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रस्तावित किया गया। पूरे देश को हिंदी सीखने के लिए 15 वर्ष का समय दिया गया। इसे 14 सिंतबर 1964 से कार्यान्वित करने का भी प्रस्ताव था किंतु राजनैतिक कारणों से हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में आज भी संसद में पारित नहीं किया गया है।

जिस देश की अपनी कोई भाषा नहीं, वह देश या राष्ट्र गूंगा है।

भूतपूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयीजी ने हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा तो बना दिया किंतु राष्ट्रभाषा हिंदी संसद की भाषा नहीं बन सकी। मारीशस, फिजी, त्रिनिदाद, सूरीनाम, गुयाना, कनाडा, इंग्लैण्ड, नेपाल आदि देशों में हिंदी की अपनी एक अलग पहचान है। भारत में यह षडयंत्र की शिकार है।

14 सिंतबर को हर वर्ष ‘हिंदी दिवस’ मनाया जाता है। जब तक हम व्यावहारिक रूप में राष्ट्रभाषा को स्वीकार नहीं करते तब तक भारत के संपूर्ण विकास पर प्रश्न चिह्न लगा रहेगा।

राष्ट्रभाषा हिंदी ही है, जो पूरे-देश को एक सूत्र में बाँधने की क्षमता रखती है। इसे शिक्षा का माध्यम बनाने से हमारे देश में अत्यधिक बहुमुखी प्रतिभाएँ निकल कर आगे आएँगी। महात्मा गांधीजी ने भी स्वीकार किया था कि शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए; उच्च व तकनीकी शिक्षा भी हिंदी माध्यम से दी जा सकती है।

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3. भ्रष्टाचार :

एक राष्ट्रीय अभिशाप । एक समय था जब चुनाव से पहले हर राजनैतिक दल इस देश से भ्रष्टाचार मिटाने का वादा किया करते थे। देश में चुनाव होते गए और राजनैतिक दल अदल-बदल कर सत्तारूढ़ होते गए। जैसे-जैसे दिन बीतता गया इस देश में भ्रष्टाचार बढ़ता गया, अब तो आकंठ डूबे भ्रष्टाचार और राजनेता एक-दूसरे के पर्याय बन गये हैं। अब कोई भी राजनैतिक दल भ्रष्टाचार मिटाने की बात नहीं करता। सभी इस विशालकाय दैत्य के सामने नतमस्तक हैं।

भ्रष्टाचार का अर्थ है दूषित आचरण या बेईमानी। आज भ्रष्टाचार की काली छाया संपूर्ण देश में अमावस्या की तरह व्याप्त हो गई है और सत्तासीन लोग भ्रष्टाचार मिटाने के नाम पर बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं। अब भ्रष्टाचार के नाम पर नाक-भौं सिकोड़ने की बजाय इसे अंगीकार कर लिया गया है।

आज भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो भ्रष्टाचार से कोसों दूर हैं किंतु वे भ्रष्टाचारियों का विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। दुःस्साहस करनेवाले मुँह की खाते हैं उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज बनकर रह जाती है।

वैसे तो भ्रष्टाचार कमोबेश पूरे विश्व में व्याप्त है किंतु हमारे देश में यह सिंहासनारूढ़ है। इसका कारण है हमारे देश की चुनाव पद्धति। जिसे जीतने के लिए प्रत्याशी पानी की तरह पैसा बहाते हैं। अपनी सेवानिष्ठा ईमानदारी, योग्यता के बल पर न ही कोई चुनाव लड़ता है और न ही जीत पाता है। चुनाव में सफल होने पर वह हर हाल में अपना खर्च किया हुआ पैसा ब्याज के साथ वसूलता है। पैसे की प्राप्ति की अधीरता ही उसे भ्रष्टाचारी बनने को मजबूर करती है।

इसका दूसरा कारण है भौतिकवादी सभ्यता का प्रसार और पाश्चात्य देशों का अंधानुकरण। लोग सारे नियम कानून को ताक पर रखकर पैसा कमाने के चक्कर में भ्रष्टाचारी बन जाते हैं। चारों तरफ धन बटोरने की अफरा-तफरी मची हुई है। लोग विदेशी बैंकों में पैसे जमा करते जा रहे हैं।

आज का प्रत्यक्ष आकड़ा बताता है कि भारतीय भ्रष्टाचारियों का चौदह हजार लाख करोड़ रुपया विदेशी बैंकों की शोभा बढ़ा रहा है जो निश्चित रूप से काला धन है। सबने इसे अपनी जीवन पद्धति में शामिल कर लिया है।

नशीले पदार्थो का व्यापार कानून व्यवस्था के रखवालों के हाथ की कठपुतली बन चुका है। देश का युवावर्ग भ्रष्टाचारियों को आदर्श मानकर उसी रास्ते पर चल रहा है। उनके मन से राष्ट्राभिमान और राष्ट्र-प्रेम लुप्त होता जा रहा है। तकनीकी और प्राथमिक शिक्षण व्यवसाय बन चुका है।

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बाबा रामदेव, अन्ना हजारे जैसे लोग इसके खिलाफ आवाज उठाते हैं। यदि हम राष्ट्र को विश्व की प्रथम पंक्ति में बिठाना चाहते है तो भ्रष्टाचार रूपी रावण का दहन आवश्यक है। समाज सेवकों की मेहनत रंग लाएगी। सत्तासीनों की पोल खुलेगी, जनता जगेगी, निश्चित रूप से काला धन वापस आएगा।

देश का युवावर्ग जिस दिन जगेगा भ्रष्टाचार के रावण का अंत होगा और ध्वंस होगा भ्रष्टाचार का साम्राज्य। नए राष्ट्र का उदय होगा और तब साकार होगा। ‘मेरा भारत महान’ का स्वप्न।

4. मैं मोवाईल वोल रहा हूँ

आज विज्ञान प्रदत्त सुविधाओं को हम नकार नहीं सकते। दूरदर्शन, दूरध्वनि, ट्रांजिस्टर ,संगणक, विमान, राकेट, आदि की खोज ने मानव जीवन को एक नई दिशा दी है। कुछ दिन पहले ही पेजर आया बाद में लोगों को पता चला कि फोन भी आ रहा है। अब जब से मेरा आगमन हुआ है मैनें लोगों की दुनिया में क्रांति ला दी है।

जब मेरा बड़ा भाई टेलिफोन इस दुनिया में आया तो उसने पत्रलेखन की कमी को दूर कर लोगों के आपसी संबंध को जोड़ने का प्रयास किया। लेकिन जैसे ही मैंने इस दुनिया में कदम रखा बड़े भाई की परेशानी दूर कर दी। लोगों ने मुझे अपनी जेब में रखना शुरू किया।

मैंने भी लोगों की हर सुविधा का ध्यान रखा। फोटोग्राफी, खेल, सिनेमा, धारावाहिक, एफ एम रेडियो से लेकर हर सुविधा जो दृश्य – श्रव्य साधनों द्वारा प्राप्त होती है, मैंने दी। हाँ! आया, ठीक सुना आपने मैं मोबाइल बोल रहा हूँ। जब से मैंने इस दुनिया में कदम रखा है, तब से सारे संसार में एक क्रांति आ गई है।

विज्ञान ने जो कुछ भी दिया मैं भी उसी की एक कड़ी हूँ। मैं आप लोगों की दिन – रात सेवा कर रहा हूँ। मैंने ऐसी मुहब्बत दी है कि मुझे एक पल के लिए भी आप अपने से अलग नहीं कर पाते।

आपको मैंने सुविधा दी और आप ने भी अपनी जेब से मुझे निकाल कर हाथ की बजाय एक तार से जोड़कर अपने कान में लगा लिया और घंटों बातें करते रहते हैं।

मेरे दोस्तों मुझे दुःख है कि लोगों ने मेरा दुरुपयोग करना शुरू कर दिया है। पता नहीं लोग इतना झूठ क्यों बोलते हैं। मेरी मोहब्बत में अंधे होकर अपनी जान क्यों दे रहे हैं? लोगों का मुझ पर आरोप है कि मैं लोगों का समय बरबाद कर रहा हूँ।

मैंने लोगों को झूठ बोलना सिखाया है। मैंने माहौल को गंदा किया है। आतंकवाद और भ्रष्टाचार को बढ़ाने में भी मेरा उपयोग हो रहा है। परीक्षा के समय भी छात्र मेरा उपयोग नकल करने में करते हैं। लेकिन इसमें मेरी गलती नहीं है।

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मैं सबकी मदद करता हूँ। लोगों के दुःख, दर्द को दूर करता हूँ। लोगों के आपसी संबंधों में मधुरता लाता हूँ। इंटरनेट पर होनेवाली, घटनाओं की जानकारी देता हूँ। लोग मेरा सदुपयोग करने की बजाए दुरुपयोग करें, तो इसमें मेरी क्या गलती? मेरी दीवानगी में यदि आप अपना काम छोड़कर निष्क्रिय बन रहे हैं तो मैं क्या करूँ? मेरे दोस्तों मेरा सही प्रयोग करके मुझे बदनामी से आप ही बचा सकते हैं।

यदि मेरा सदुपयोग करेंगे तो मैं कभी किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता। मैं सूचना पहुँचाने का माध्यम हूँ। मनोरंजन का साधन हूँ। ज्ञान का भंडार हूँ। आपकी हर समस्या का समाधान हूँ। मुझे वही बने रहने दीजिए। मैं तो हमेशा आपकी सेवा में संलग्न रहना चाहता हूँ।

5. दीपावली के पटाखे

पिछले पंद्रह दिनों से लगातार पटाखों के शोर ने मेरी नींद उड़ा दी है। मैं तंग आ गया हूँ घर में बीमार पत्नी कराह रही थी। मैंने नीचे जाकर लोगों से मिन्नतें की लेकिन त्योहार के नाम पर शोर मचानेवालों ने परंपरा की बात कहकर मेरा मजाक उड़ाया। नियम से दस बजे तक ही पटाखे फोड़ने चाहिए लेकिन पूरी रात तक इसका क्रम चलता रहा। दिवाली के दिन तो हद हो गई।

जिसने मुझे चिढ़ाया था, परंपरा की दुहाई दी थी, संस्कृति और पर्व के नाम पर भाषण सुनाया था, पटाखे के धमाके से उसके पिता को दिल का दौरा पड़ा। आधी रात को हम लोग उन्हें अस्पताल ले गए पर दुर्भाग्य कि अब वे एक जिंदा लाश बनकर रह गए हैं।

ध्वनि प्रदूषण का कुप्रभाव सारी खुशियों पर पानी फेर गया। मैंने सुबह सारे कचरे को इकट्ठा करवाकर जलाया, सफाई करवाई, युवकों, बड़ों व बच्चों को बुलाकर समझाया कि जितना पैसा पटाखों में खर्च किया जाता है, उतने पैसों से हम बगीचा बनवा सकते हैं, जो हमें प्रदूषण से राहत देगा।

फिर किसी को जिंदा लाश नहीं बनना पड़ेगा। त्योहार खुशियाँ बाँटने के लिए होते हैं, दर्द देने के लिए नहीं। थोड़े लोगों में सहमति बनी। आज हमारी सोसायटी का बगीचा अन्य लोगों के लिए आदर्श बन चुका है। सबने पटाखे न फोड़ने का संकल्प तो नहीं किया किंतु नियमानुसार फोड़कर पर्व को मनाने का निर्णय अवश्य लिया।

व्यक्ति संस्कारों से सँवरता है, निखरता है। उसके व्यक्तित्व को गढ़ने का कार्य भी संस्कार ही करते हैं। किशोरावस्था और कुमारावस्था में छात्रों के लिए संस्कारगत मूल्यों की शिक्षा अनिवार्य है। इसका मानव जीवन के आचरण पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है।

कुछ नीतिपरक मूल्य मनुष्य को आदर्श नागरिक बनाने में सहायक होते हैं। इस संदर्भ में किसी महान मानव के चरित्र के ऊपर भी कुछ लिखा जा सकता है।

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उदाहरणार्थ कुछ संकेत निम्नलिखित हैं।

  • जनमत का आदर करनेवाला मानव वास्तविक नायक बन जाता है। संसार के महान पुरुषों के चरित्र को आधार बनाकर इस कथन को अभिव्यक्ति दी जा सकती है।
  • आज शहरी जीवन में स्वार्थांधता इतनी बढ़ गई है कि अपनत्व का भाव लुप्त होता जा रहा है। संवेदना धुंधली होती जा रही है, मानवता कहीं न कहीं लुप्त होती जा रही हैं।

6. अब्राहम लिंकन

अमेरिका के एक गरीब परिवार में जन्म लेनेवाला बालक अब्राहम लिंकन जिसने बचपन में अत्यंत अभावपूर्ण परिस्थिति में परवरिश पायी। घर की टूटी खिड़कियाँ और टूटी हुई छत, ऊपर से बिजली का अभाव, बचपन में पिता के साथ मजदूरी करने को मजबूर भरपेट भोजन का अभाव उसे घेरे रहता था।

कहते हैं “जहाँ चाह वहाँ राह” कुशाग्र बुद्धि, बहादुर, हँसी मजाक करने वाला बालक मित्रों से पुस्तकें माँगकर पढ़ उसे लौटा देता। बुद्धि इतनी तीव्र कि पुस्तक का एक-एक शब्द उसकी याददाश्त का हिस्सा बन जाते।

बिजली के अभाव में सड़क के खंभे से आते प्रकाश को पढ़ने के लिए प्रयोग करते देख एक अमीर ने उसको पढ़ने के लिए पुस्तकें उपलब्ध कराई। उसकी लगन, मेहनत और प्रतिभा ने उसे महान वकील बना दिया।

अमेरिका का कलंक वहाँ की दास प्रथा थी। उससे मुक्ति दिलाने का काम अब्राहम लिंकन ने किया। इसी दृढ संकल्प शक्ति से वे एक दिन अमेरिका के राष्ट्रपति बने। यदि हमारे अंदर दृढ़ इच्छा शक्ति है तो सृजनात्मक मूल्य अपने आप विकसित होते हैं और हमें ऊँचाई प्रदान करते है।

हमारे बीच ऐसी प्रतिभाओं की कमी नहीं है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि गरीबी की कोख से पले- बढ़े, संघर्षरत, दृढ़ इच्छा शक्ति वाले गाँव के एक किसान बालक लालबहादुर शास्त्री ने भारत का प्रधान मंत्री बनकर देश को “जय जवान जय किसान” का नारा दिया।

संत महात्माओं, साहित्यकारों, मनीषियों ने अपने विचारों को अभिव्यक्त कर जो अमृत संदेश दिया, उसे भुलाया नहीं जा सकता। उनकी प्रसिद्ध उक्तियाँ ही सूक्तियाँ कहलाती हैं। उन उक्तियों या सूक्तियों को आधार मान कर आप अपने विचार अभिव्यक्त कर सकते हैं। कुछ उदाहरण निम्न हैं।

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  1. “ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”
  2. है अंधेरी रात पर दीया जलाना कब मना है?
  3. “तभी समर्थ भाव है कि तारता हुए तरे, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।’
  4. “नाश के दुःख से कभी, दबता नहीं निर्माण का सुख”
  5. “मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।”

इन कहावतों में मानव जीवन का महान सत्य प्रस्तुत किया गया है। मानव जीवन में उसका मन ही उसकी सारी गतिविधियों का संचालन करता है। जीवन में अनुकूल -प्रतिकूल परिस्थितियों का आना – जाना लगा रहता है। यदि प्रतिकूल परिस्थितियों में हम अपना धैर्य बनाए रखें, तो हम उस पर विजय पाने में सफल रहते हैं। इसके विपरीत यदि हम में निराशा और अधीरता घर कर जाए तो साधन संपन्न रहने पर भी पराजय ही हमारे हाथ लगती है।

सच्ची तंदुरुस्ती और आत्मनिर्भरता हमारे विजय का मार्ग प्रशस्त करती है। खेल में कभी हार तो कभी जीत मिलती है लेकिन हार में यदि हम निराश हो जाएँ तो सब कुछ बिखर जाएगा। हमें हर परिस्थिति में यह मानकर चलना है।

“क्या हार में क्या जीत में किंचित नहीं भयभीत मैं संघर्ष-पथ पर जो मिले, यह भी सही वह भी सही “हार मानूँगा नहीं, वरदान माँगूगा नहीं” इस सूत्र को जीवन का आधार बनाकर एक साधारण परिवार में जन्म लेने वाले छत्रपती शिवाजी महाराज ने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से आदिलशाही सुलतानों, पुर्तगालियों, मुगलों से लोहा लिया और विजय पाई। समाज के तमाम विरोध के बावजूद महात्मा ज्योतिबा फुले ने महाराष्ट्र में स्त्री शिक्षा के प्रचार-प्रसार का महान कार्य किया।

7. 26 जुलाई

वाह रे! मुंबई और वाह रे मुंबईकर! ऐसी ताकत हिम्मत और हौसले को प्रणाम करता हूँ वरना हिम्मत, हौसला और दृढ इच्छाशक्ति के बिना उस परिस्थिति से उबर पाना आसान न था। क्या छोटा क्या बड़ा? क्या अमीर क्या गरीब। एकता की एक श्रृखंला बन गई। दुनिया के सामने एक मिसाल – लोग कह उठे वाह रे! मुंबई और वाह रे मुंबईकर!

जब से मनुष्य ने विज्ञान की शक्ति पाकर प्रकृति से छेड़छाड़ प्रारंभ की तथा उसका दोहन प्रारंभ किया, तभी से वह प्राकृतिक सुखों से वंचित होता गया। वह भूल गया कि मूक दिखाई देने वाली प्रकृति की वक्रदृष्टि सर्वनाश का कारण बन सकती है। 26 जुलाई की विभिषिणा ने हम मुंबई वासियों को आगाह किया है।

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हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि आज हमारे परिवेश में पर्यावरण का संरक्षण निहायत जरूरी है। प्लास्टीक की। थैलिया हमारे स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक हैं क्योंकि 60 फीसदी प्लास्टीक ही रिसाइकिल हो पाती है।

प्लास्टीक का यह कचरा ज्यादातर नालियों और सीवेज को ठप्प कर देता है, शेष समुद्र पर होने वाले अतिक्रमण और वृक्षों की कटाई ने भी अपनी भूमिका अदा की है। जिसके कारण ही वर्षा का जल समुद्र की खाड़ी में नहीं जा पाता और जल जमाव से लोग त्रस्त होते हैं।

पर्यावरण की सुरक्षा से ही इस समस्या को सुलझाया जा सकता है। वन रोपण तथा वृक्ष लगाने से यह समस्या कम हो सकती है। जनसंख्या वृद्धि पर भी हमें अंकुश लगाना होगा। कंक्रीट के जंगल की सीमा बांधनी होगी। समुद्र के अतिक्रमण को रोकना होगा। वरना सुख देने वाली यह प्रकृति हमें गटक जाएगी।

26 जुलाई 2005 की वह कहर भरी शाम। समुद्री तूफान और बरसात का सिलसिला जो आरंभ हुआ, पूरी रात चलता रहा। हर गली पानी से भर गई। पहली मंजिल तक पानी पहुंचा, रेलवे प्लेट फार्म डूब गए, सड़कों पर पानी, गाड़ियों के ऊपर से पानी बह रहा था। सब तरफ अफरा-तफरी का माहौल।

सबकी सोच, कि अब क्या होगा? कैसे निपटा जाय। इस मुसीबत से लोगों ने हिम्मत नहीं हारी, पूरी रात कौन कहाँ रहा पता नहीं? मंदिरों, मस्जिदों, चर्चों के दरवाजे खुल गए। लोगों ने शरण ली। सबने जिसकी जितनी ताकत थी एक – दूसरे को सँभाला, हिम्मत बँधाए रखा। करोड़ों का नुकसान हुआ।

रेलवे, बस सबकी सेवाएं ठप्प हो गईं। वाह रे! हिम्मत चौबीस घंटे बाद धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य होने लगा। हालात को सामान्य बनाने में सबका योगदान रहा। यह थी हमारी एकता वर्गगत, जातिगत, धर्मगत, दलगत, विचारों से ऊपर। सर्वधर्म समभाव का ऐसा उदाहरण जिसे हम आज भी नमन करते हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest व्याकरण शब्द संपदा Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi व्याकरण शब्द संपदा

(1) लिंग : जिस शब्द से संज्ञा के स्त्री या पुरुष होने का बोध होता है, उसे ‘लिंग’ कहते हैं। लिंग के मुख्यत: दो भेद माने गए हैं :

  • पुल्लिंग
  • स्त्रीलिंग

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

पुल्लिंग : पुल्लिंग संज्ञा के उस रूप को कहते हैं जिससे उसके पुरुष होने का बोध होता है। जैसे – राजेश, राकेश, प्रभाकर, चाँद, सूर्य, बैल, घोड़ा आदि।

स्त्रीलिंग : जिस शब्द से स्त्री होने का बोध होता है उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। जैसे – राधा, शीला, घोड़ी, बकरी, मछली, मैना, तितली, कोयल आदि।

लिंग निर्णय : अंग्रेजी, मराठी, संस्कृत की अपेक्षा हिंदी में लिंग निर्णय की प्रक्रिया थोड़ी जटिल है। जहाँ तक प्राणिवाचक संज्ञा शब्दों का प्रश्न है उसमें कोई परेशानी नहीं है, लेकिन जहाँ अप्राणिवाचक संज्ञा शब्दों की बात आती है वहाँ कठिनाई बढ़ जाती है क्योंकि इसके लिए कोई विशेष नियम नहीं है। एक ही शब्द के अलग अर्थ होने से या अलग-अलग शब्दों के एक ही अर्थ होने से भी लिंग बदल जाते हैं। जैसे –

भिन्नार्थक शब्द : अप्राणिवाचक बहुत से शब्दों के समरूपी होने पर लिंग भेद होता है। जैसै :

शब्द  अर्थ  लिंग
कलम  लेखनी  स्त्रीलिंग
कलम  वृक्ष शाखा का कलम  पुल्लिंग
ओर  छोर  पुल्लिंग
ओर  तरफ  स्त्रीलिंग
सरकार  स्वामी  पुल्लिंग
सरकार  शासन चलानेवाली  स्त्रीलिंग
विधि  ब्रहमा  पुल्लिंग
विधि  प्रणाली  स्त्रीलिंग
हार  पराजय के अर्थ में  स्त्रीलिंग
हार  माला के अर्थ में  पुल्लिंग
सविता  सूर्य  पुल्लिंग
सविता  किसी लड़की का नाम  स्त्रीलिंग
तारा  नक्षत्र  पुल्लिंग
तारा  लड़की का नाम  स्त्रीलिंग

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

कुछ प्राणियों में लिंग का निर्णय व्यवहार से होता है। जैसे – बंदर, तीतर, चीता, बैल पुल्लिंग है जबकि – मछली, कोयल, मैना, गौरैया स्त्रीलिंग है।

अप्राणिवाचक में द्रवों के नाम, धातुओं, ग्रहों, वनस्पतियों, अनाजों, रत्नों, दिनों, स्थल भागों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जब कि – भाववाचक संज्ञा (ट, ट, हट) कृदंत, नदियों के नाम, नक्षत्रों के नाम, तिथियों के नाम, पक्वानों के नाम आदि स्त्रीलिंग होते हैं।

लिंग परिवर्तन कर वाक्य फिर से लिखिए :

(1) बेटे ने काका से बातचीत की।
बेटी ने काकी से बातचीत की।

(2) शेर ने बकरे पर आक्रमण किया।
शेरनी ने बकरी पर आक्रमण किया।।

(3) बैल घास चर रहा है।
गाय घास चर रही है।

(4) पंडित का भाई पूजा कर रहा है।
पंडिताइन की बहन पूजा कर रही है।

(5) नायक अभिनय कर रहा है।
नायिका अभिनय कर रही है।

(6) कुत्ता भौंक रहा है।
कुतिया भौंक रही है।

(7) चाचा जी देव जैसे हैं।
चाची जी देवी जैसी हैं।

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(2) वचन : संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रूप से संख्या का बोध होता हैं, उसे वचन कहते हैं। हिंदी में दो वचन होते हैं।

  1. एकवचन
  2. बहुवचन

एकवचन : संज्ञा के अथवा शब्द के जिस रूप से एक ही व्यक्ति या वस्तु होने का ज्ञान हो उसे एकवचन कहते हैं। जैसे – बिल्ली, बिजली, लड़का, नदी, पुस्तक, घर आदि.

बहुवचन : संज्ञा अथवा शब्द के जिस रूप से उसके एक से अधिक होने का बोध होता है उसे बहुवचन कहते हैं। जैसे – बिल्लियाँ, लड़कियाँ, लड़के, घोड़े, बहुएँ आदि।

अपवाद : कुछ शब्दों में दोनों रूप समान होते है। जैसे – मामा, नाना, बाबा, पिता, योद्धा, युवा, आत्मा, देवता, जमाता।

सूचनानुसार – परिवर्तन

अधोरेखांकित शब्द का वचन परिवर्तित कर वाक्य फिर से लिखिए :

(1) उदा. लड़के विद्यालय जाते हैं।
उत्तर :
लड़का विद्यालय जाता है।

(2) नदी ने फसल को डुवो दिया।
उत्तर :
नदियों ने फसल को डुबो दिया।

(3) आप कहाँ जा रहे हैं?
उत्तर :
तुम कहाँ जा रहे हो?

(4) बकरी घास चर रही है।
उत्तर :
बकरियाँ घास चर रही हैं।

(5) नदियों ने फसलों को हरा-भरा कर दिया।
उत्तर :
नदी ने फसल को हरा-भरा कर दिया।

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(3) विलोम विरुद्धार्थी शब्द : जो शब्द अर्थ की दृष्टि से एक-दूसरे के विरोधी होते हैं उन्हें विलोम, विपरीतार्थी या विरुद्धार्थी शब्द कहते हैं।

  • निम्न x उच्च
  • धनी x निर्धन
  • विष x अमृत
  • अर्थ x अनर्थ
  • उदय x अस्त
  • प्रात: x सायं
  • सजीव x निर्जीव
  • सदाचार x दुराचार
  • आय x व्यय
  • आदान x प्रदान
  • स्वर्ग x नरक
  • मान x अपमान
  • सत्य x असत्य
  • सज्जन x दुर्जन
  • गुण x अवगुण
  • शुभ x अशुभ
  • उचित x अनुचित
  • अनुकूल x प्रतिकूल
  • पक्ष x विपक्ष
  • उपस्थित x अनुपस्थित
  • एक x अनेक
  • आस्तिक x नास्तिक
  • आदर x निरादर
  • उन्नति x अवनति
  • सफलता र असफलता
  • सौभाग्य x दुर्भाग्य
  • आदि x अंत
  • नवीन x प्राचीन
  • उदार x अनुदार
  • लौकिक x अलौकिक
  • स्मृति – विस्मृति
  • आयात x निर्यात
  • शिक्षित x अशिक्षित
  • उत्तीर्ण x अनुत्तीर्ण
  • यश x अपयश
  • सुलभ x दुर्लभ Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा
  • प्रत्यक्ष x परोक्ष
  • खुशबू x बदबू
  • सार्थक x निरर्थक
  • मुख्य x गौण
  • समर्थन x विरोध
  • उत्थान x पतन
  • पंडित x मूर्ख
  • निर्माण x विनाश
  • संयोग x वियोग
  • उपकार x अपकार
  • साक्षर x निरक्षर
  • सूक्ष्म x स्थूल
  • बंजर x उपजाऊ
  • कृतज्ञ x कृतघ्न
  • आलस्य x उद्यम
  • साकार x निराकार
  • बुराई x भलाई
  • क्रोध x शांति
  • रक्षक x भक्षक
  • स्तुति x निंदा
  • वीर x कायर
  • वरदान – अभिशाप
  • रुग्ण x स्वस्थ
  • मानव x दानव
  • महान x क्षुद्र
  • सम x विषम
  • मधुर x कटु
  • महात्मा x दुरात्मा
  • कनिष्ठ x ज्येष्ठ
  • आकाश x पाताल

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(4) पर्यायवाची शब्द :

  • असभ्य – अशिष्ट, गँवार, उजड्ड
  • कहानी – कथा, अख्यायिका, किस्सा
  • बुद्धि – मति, मेधा, प्रज्ञा, अक्ल
  • बारिश – वर्षा, बरसात, वृष्टि
  • पति – कांत, स्वामी, वर, भर्ता
  • वसंत – मधुऋतु, ऋतुराज, पिकमित्र
  • अनोखा – अनूठा, अनुपम, अलौकिक
  • थोड़ा – अल्प, रंच, कम
  • मृत्यु – निधन, देहांत, मौत
  • सुंदर – चारु, रम्य, ललाम
  • पत्नी – कांता, वधू, भार्या

(5) अनेक शब्दों के लिए एक शब्द :

  • जिस पर विश्वास किया जा सके – विश्वसनीय
  • जिसकी उपमा न दी जा सके – अनुपम
  • सब कुछ जाननेवाला – सर्वज्ञ
  • जो कभी बूढ़ा न हो – अजर
  • जो नियम के अनुसार न हो – अनियमित
  • जिसका कोई अंत न हो – अनंत
  • जो देखने योग्य हो – दर्शनीय
  • जो दूर की सोचता हो – दूरदर्शी
  • जो मीठा बोलता हो – मृदुभाषी
  • अनुकरण करने योग्य – अनुकरणीय
  • किए हुए उपकार को न माननेवाला – कृतघ्न
  • काम में लगा रहने वाला – कर्मठ
  • जिसे कहा न जा सके – अकथनीय
  • जो कम बोलता हो – मितभाषी
  • जिसे पाना कठिन हो – दुर्लभ

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(6) भिन्नार्थक शब्द : कुछ शब्दों के प्रयोग कई अर्थों में होते हैं। उनका अर्थ वाक्य में प्रयोग से ही निश्चित हो सकता है।

  • अंबर – आकाश, कपड़ा
  • अंतर – हृदय, फर्क
  • आदि – आरंभ, इत्यादि
  • अली – सखी, पंक्ति
  • काल – समय, मृत्यु
  • कनक – सोना, धतूरा
  • तीर – बाण, तट
  • पट – कपड़ा, दरवाजा
  • पृष्ठ – (किताब का) पन्ना, पीठ
  • भेद – प्रकार, रहस्य
  • हरि – ईश्वर, सिंह
  • हार – फूलों की माला, हारना
  • गति – दशा, चाल
  • मित्र – साथी, सूर्य
  • हल – खेत जोतने का औजार, समाधान
  • स्नेह – तेल, प्रेम

(7) शब्द-युग्म : शब्दों का वह जोड़ा होता है जो देखने और सुनने में एक जैसे होते हैं अथवा मिलते-जुलते हैं लेकिन वर्तनी में कहीं न कहीं कोई अंतर अवश्य होता है। इस प्रकार वर्तनी की भिन्नता अथवा उसमें थोड़ा-सा परिवर्तन अर्थ में बहुत बड़ा अंतर उत्पन्न कर देते हैं। अत: इन्हें जानना व समझना जरूरी हो जाता है। यहाँ कुछ शब्द-युग्म दिए गए हैं।

अँगना : आँगन।
वाक्य: गाँव के घर में अँगना/आँगन का बहुत महत्त्व हैं।

अंगना : रमणी या सुंदर स्त्री।
वाक्य: अँगना में अंगना के पायल को छम-छम सुनाई दे रही थी।

अन्न : अनाज, खाद्य पदार्थ।।
वाक्यः किसान खेतों में अन्न उपजाते हैं।

अन्य : दूसरा या पराया।
वाक्य: इस काम को कोई अन्य व्यक्ति नहीं करेगा।

अगम : कठिन, दुर्गम।
वाक्यः ईश्वर को संतों ने अगम बताया है।

आगम : प्राप्ति, आय:
वाक्यः उसके पास अब कोई आगम नहीं है।

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अवलंब : आश्रय, सहारा।
वाक्य: उसके पति की मृत्यु के साथ ही उसका अवलंब टूट गया।

अविलंब : तुरंत, शीघ्र।
वाक्यः इस कार्य को अविलंब करना है।

अंत : समाप्ति।
वाक्य: बादशाह औरंगजेब की मृत्यु के साथ ही मुगल राज्य का अंत हो गया।

अंत्य : अंतिम।
वाक्यः हिंदुओं की अंत्य विधि श्मशान में होती है।

अनल : आग।
वाक्यः अनल सब कुछ जला देता है।

अनिल : हवा।
वाक्य: ऊँचाई पर अनिल का दबाव कम हो जाता है।

अश्व : घोड़ा।
वाक्य: चेतक एक महान अश्व था।

अश्म : पत्थर।
वाक्य: अश्म से ठोकर खाकर वह गिर पड़ा।

अमित : बहुत, असीम।
वाक्य: लैला का मजनू से अमित प्रेम था।

अमीत : अमित्र, शत्रु।
वाक्य: इंसानियत के पुजारी अमीत को भी गले लगाते हैं।

आदि : आरंभ, शुरू या इत्यादि।
वाक्य: आदिकाल से ही भारतीय संस्कृति संसार में श्रेष्ठ रही है।

आदी : अभ्यस्त।
वाक्य: वह सुबह जल्दी उठने का आदी है।

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आसन : बैठने की छोटी चटाई। वाक्य: यह पिता जी का आसन है।
आसन्न : निकट आया हुआ, तुरंत। वाक्य: उसका परीक्षा-काल आसन्न है।

इति : समाप्ति, अंत।
वाक्य: इसकी यही इति है।

ईति : विपत्ति, बाधा।
वाक्यः बेचारे मोहन के पिता की मौत होते ही उसके ईती का आरंभ हो गया।

उन : ‘उस’ सर्वनाम का बहुवचन।
वाक्य: उन लोगों को शादी में जाना है।

ऊन : भेड़ आदि के बाल।
वाक्य: शीत से बचने के लिए ऊनी वस्त्रों का प्रयोग होता है।

उपकार : भलाई।
वाक्य: यह उपकार का जमाना नहीं है।

अपकार : बुराई।
वाक्यः किसी का अपकार करके तुम्हें क्या मिलने वाला है ?

कंगाल : गरीब।
वाक्यः भूकंप आने से भुज के लोग कंगाल हो गए।

कंकाल : हड्डियों का ढाँचा।
वाक्य: बीमारी से वह कंकाल बन चुका है।

कलि : युग, कलह, झगड़ा।
वाक्यः कलियुग में सब कुछ उल्टा होता है।

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कली : अधखिला फूल।
वाक्यः फूल बनने से पहले कली नहीं मसलनी चाहिए।

कहा : कहना का भूतकाल।। वाक्यः उसने कहा था।
कहाँ : स्थान बोधक अव्यय। वाक्यः आप कहाँ जा रहे हैं?

कुल : वंश, परिवार, पूर्ण।
वाक्यः (अ) दो संख्याओं को जोड़ने पर हमें कुलयोग ज्ञात होता है।
(ब) भगवान राम रघुकुल में जन्में थे।

कूल : तट, किनारा।
वाक्यः श्याम यमुना के कूल पर बंसी बजाते थे।

कुजन : बुरे लोग।
वाक्यः कुजनों के साथ रहने से नुकसान होता है।

कूजन : पक्षियों की मधुर ध्वनि या कलरव।
वाक्यः पक्षियों के कूजन से सवेरा होने का आभास हुआ।

किला : गढ़।
वाक्यः सिंहगढ़ का किला छत्रपति शिवाजी महाराज ने जीत लिया।

कीला : छूटा, बड़ी कील।
वाक्य: मैंने यह कीला अपनी जमीन में गाड़ा है।

ग्रह : सूर्य, चंद्र आदि।
वाक्य: हमारी संस्कृति में नौ ग्रह पूजे जाते हैं।

गृह : घर।
वाक्य: सोमवार को मेरा गृह प्रवेश हुआ।

कि : समुच्चयबोधक अव्यय।
वाक्यः राम के पिता ने कहा कि वह आलस्य छोड़ दें।

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की : करना क्रिया का भूतकाल। संबंध कारक चिह्न।
वाक्य : मैंने पढ़ाई पूरी की। गाँव की नदियाँ बलखाती हुई बह रही है।

चिर : दीर्घ – बड़ा या हमेशा/शाश्वत।
वाक्यः चिरकाल से चली आई भारतीय संस्कृति महान है।

चीर : वस्त्र / कपड़ा।
वाक्य: द्रौपदी का चीर हरण किया गया था।

तरणी : नौका।
वाक्यः रामजी ने केवट की तरि से गंगा नदी पार की।

तरणि : सूर्य
वाक्य: सब्जियों में तरी ज्यादा होने से स्वाद बिगड़ गया।

तरंग : लहर।
वाक्य: समंदर की तरंगें भयानक होती जा रही थीं।

तुरंग : घोड़ा।
वाक्यः तुरंग पर सवार सैनिक जंग में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते थे।

नित : रोज, प्रतिदिन।
वाक्य: नित प्रात:काल उठकर टहलना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।

नीत : प्राप्त, लाया हुआ।
वाक्य: हमारे देश में पर्दा प्रथा मुगलों द्वारा नीत है।

नियत : तय, निश्चित।
वाक्य: तुम्हें नियत समय पर ही वहाँ पहुँचना है।

नीयत : इच्छा, इरादा, मंशा।
वाक्यः इस मामले में तुम्हारी नीयत में खोट नजर आ रही है।

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दिन : दिवस।
वाक्यः बुरे दिन में कोई मदद नहीं करता।

दीन : गरीब।
वाक्यः मुझ दीन के रक्षक दीनानाथ हैं।

देव : देवता, सुर।
वाक्य: भारत में अनेक देव पूजे जाते हैं।

दैव : भाग्य, नसीब।
वाक्य: आलसी हमेशा दैव-दैव पुकारता है।

प्रसाद : ईश्वरीय कृपा। वाक्य: मैं भगवान का प्रसाद पाकर धन्य हो गया। प्रासाद : महल।
वाक्यः राजा भव्य प्रासाद में रहता था।

परिणाम : फल, नतीजा।
वाक्यः चोरी का परिणाम हमेशा बुरा होता है।

परिमाण : मात्रा, माप।
वाक्य: यह दवा किस परिमाण में लेनी है?

पुर : नगर, शहर।
वाक्यः रघुवीर जी की बहू सीतापुर गई।

पूर : पूर्णत्व, बाढ़, अधिकता।
वाक्य : मोहन की थोड़ी-सी कमाई से घर-खर्च पूरा नहीं पड़ता था।

प्रणाम : नमस्कार, सलाम।
वाक्य : हमें बड़ों को प्रणाम करना चाहिए।

प्रमाण : सबूत।
वाक्य : इस समय मेरे पास अपनी बात का कोई प्रमाण नहीं है।

प्रहर : याम, पहर (तीन घंटे का समय)।
वाक्य : रात्रि के तीसरे प्रहर में पूरी तरह सन्नाटा छा जाता है।

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प्रहार : आघात या चोट।
वाक्य: महाराणाप्रताप के प्रहार से मुगल सेना तितर-बितर हो गई।

पर : पंख, परंतु।
वाक्यः मोर के पर रखना शुभकारी होता है।

पार : किनारा, मंजिल तक पहुँचना।
वाक्यः मेरा घर नदी के उस पार है।

फुट : बारह इंच की माप।
वाक्य: इसकी लंबाई छ: फुट है।

फूट : मतभेद, बैर, अलगाव।
वाक्य: इस चुनाव में प्रत्येक दल में फूट पड़ी और बागी उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव लड़े।

बलि : बलिदान, नैवेद्य।
वाक्य: बकरी ईद में बकरे की बलि दी जाती है।

बली : बलवान, वीर।
वाक्यः तन के साथ-साथ मन का भी बली होना जरूरी है।

बट : रास्ता।
वाक्यः पत्नी अपने पति की बाट जोह रही थी।

बाँट : भाग, हिस्सा।
वाक्य: मक्खन बाँट में बिल्लियों का नुकसान तय है।

बहु : बहुत, अधिक।
वाक्यः मेरा बहु प्रतीक्षित सपना पूरा हुआ।

बहू : पुत्रवधू, विवाहिता ली।
वाक्यः सास और बहू को टक्कर जगत प्रसिद्ध है।

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भिड़ : ततैया, लड़ना।
वाक्य: दोनों पक्षों के सैनिक आपस में भिड़ गए।

भीड़ : मजमा, जनसमूह।
वाक्य: मेले की भीड़ में खो जाने का अंदेशा रहता है।

बास : गंध।
वाक्य: कचरे के डिब्बे से बहुत ही बास आ रही थी।

बाँस : एक वनस्पती
वाक्य: बाँस बहुत ही उपयोगी वनस्पती है।

भवन : घर, महल।
वाक्य: जयपुर में शानदार भवन है।

भुवन : संसार, जग।
वाक्यः सारे भुवन में महँगाई की मार है।

मूल : जड़, नींव।
वाक्य: दोनों परिवारों के विवाद के मूल में एक-दूसरे के प्रति नफरत है।

मूल्य : कीमत।
वाक्य: यह घड़ी काफी मूल्यवान है।

राज : राज्य, शासन।
वाक्य: महात्मा गांधीजी देश में रामराज लाना चाहते थे।

राज़ : भेद, रहस्य।
वाक्यः इस खंडहर में गहरा राज़ छिपा हुआ है।

शिला : पत्थर, पाषाण।
वाक्य: सम्राट अशोक के जमाने में शिलालेखों का विशेष महत्त्व था।

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शीला : सुशील।
वाक्य: यह बड़ी सुशीला पुत्री है।

सास : पति या पत्नी की माँ।।
वाक्यः सास-बहू में झगड़े होते रहते हैं।

साँस : श्वास।
वाक्य: जब तक साँस चल रही है तब तक हमें संघर्ष करना है।

सुर : देवता, लय।
वाक्यः (अ) सुर में गाना एक साधना है।
(ब) बृहस्पतिजी सुरों के गुरु हैं।

सूर : सूर्य, अंधा।
वाक्यः मोहन सूर है लेकिन उसकी आवाज में जादू है।

सर्ग : काव्य का अध्याय।
वाक्यः कामायनी को सर्गों में विभक्त किया गया है।

स्वर्ग : देवताओं का निवास, जन्नत।
वाक्य : अच्छे लोग मृत्यु के बाद सीधे स्वर्ग जाते हैं।

शुक्ति : सीप।
वाक्यः शुक्ति में मोती बनता है।

सूक्ति : अच्छी उक्ति।
वाक्य: संतों की सूक्ति हमेशा प्रेरक होती है।

सुधि : स्मरण, याद।
वाक्य: परदेश जाने के बाद पति ने पत्नी की सुधि नहीं ली।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

सुधी : विद्वान।
वाक्य: सुधी जनों की संगत में हमेशा सुख मिलता है।

सकल : सब, संपूर्ण।
वाक्य: गेहूँ की सकल उत्पाद का पच्चीस प्रतिशत पंजाब में होता है।

शक्ल : सूरत, चेहरा टुकड़ा।
वाक्य: तेजाब फेंककर उसकी शक्ल को बिगाड़ दिया गया।

शुल्क : फीस, चंदा।
वाक्यः रमा विद्यालय में बच्चे का शुल्क जमा करने गई है।

शुक्ल : उज्ज्वल, शुद्ध पक्ष।
वाक्यः शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन पूर्णिमा होती है।

(8) उपसर्ग : जो शब्दांश किसी शब्द के प्रारंभ में जुड़कर शब्द के अर्थ को प्रभावित करते हैं उन्हें उपसर्ग कहा जाता है।
उदा. देश – स्वदेश, परदेश, उपदेश

हिंदी में प्रयुक्त होने वाले कुछ, उपसर्ग इस प्रकार है :
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 1
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 2
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 3
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 4

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

(9) प्रत्यय : कुछ शब्दांश शब्दों के अंत में जुड़कर उनके अर्थ में परिवर्तन लाते हैं उन्हें प्रत्यय कहते हैं।
उदा. – जल + ज = जलज, जल + द = जलद
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 5
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 6

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

(10) कृदंत : धातु में कृत प्रत्यय लगने से बनने वाला शब्द कृदंत कहलाता है।
जैसे-
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 7

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

तद्धित : संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण अथवा अव्यय के अंत में प्रत्यय लगाकर बने शब्द तद्धित शब्द कहलाते हैं।
जैसे –
संज्ञा शब्द – तद्धित शब्द
सोना – सुनार, सुनहरा
मुख – मुखिया, मौखिक …. आदि

सर्वनाम शब्द – तद्धित शब्द
अपना – अपनापन, अपनत्व
निज – निजत्व …. आदि

विशेषण शब्द – तद्धित शब्द
मीठा – मिठाई, मिठास
एक – एकता, इकहरा …… आदि

अव्यय शब्द – तद्धित शब्द
पीछे – पिछला
अवश्य – आवश्यक
बहुत – बहुतायत …… आनि

(11) तत्सम शब्द : जो शब्द हिंदी में संस्कृत भाषा से बिना किसी परिवर्तन के ले लिए गए है उन्हें ‘तत्सम शब्द’ कहा जाता है।
उदा. : नित्य, विद्वान, प्रात:, शनैः शनैः, ज्ञान, अक्षर, सूर्य, गृह, ग्राम …… आदि।

(12) तद्भव शब्द : समय और परिस्थिति के कारण संस्कृत के शब्दों में परिवर्तन आता गया और आज व्यवहार में प्रयुक्त हैं ऐसे शब्द तद्भव शब्द कहलाते हैं।
जैसे –

तत्सम शब्द  तद्भव शब्द
अंगुली  उंगली
अश्रु  आँसू
काक  कौआ
गृह  घर
पुत्र  पुत
कोकिल  कोयल
हस्ती  हाथी
जिह्वा  जीभ
दुग्ध  दूध
भ्राता  भाई
श्राप  शाप
मुख  पूँह
अग्नि  आग
अग्र  आगे
गर्दभ  गधा
चंद्र  चाँद
पितृ  पिता
कृष्ण Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा  किशन
हस्त  हाथ
बिंदु  बूंद
भगिनी  बहन
क्षेत्र  खेत
सप्त  सात
मेघ  मेह
रात्रि  रात
श्वास  साँस
शय्या  सेज
मूल्य  मोल
धैर्य  धीरज
कृषक  किसान
छिद्र  छेद
ज्येष्ठ  जेठ
दूर्वा  दूब
दु:ख  दुख
पद  पैर
पीत  पीला
पुच्छ Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा  पूँछ
भिक्षा  भीख
भद्र  भला
सूत्र  सूत
लक्ष्मण  लखन
वर्ष  बरस
सूर्य  सूरज
शर्करा  शक्कर
श्वसुर  ससुर
श्वश्रू  सास
निष्ठ  मीठा
रत्न  रतन
घट  घड़ा
चौत्र  चत
तृण  तिनका
दीप  दीया
पक्षी  पंछी
पुष्प  फूल
पुष्कर  पोखर
मयुर  मोर
मृतिका  मिट्टी
रक्षा Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा  राखी
लौह  लोहा
व्याघ्र  बाघ
बक  बगुला
खीर  क्षीर

विदेशी शब्द : अरबी, फारसी, अंग्रेजी या अन्य किसी भी दूसरे देश की भाषा के शब्द जिनका हिंदी में प्रयोग किया जाता है उन्हें विदेशी शब्द कहते हैं।

जैसे : डॉक्टर, राज़, इलाज, रेल्वे, सिग्नल, इशारा, दीदार, आरमान, शक्ल …. आदि।

मानक वर्तनी :

किसी भी भाषा के दो प्रमुख तत्त्व होते हैं।

  • व्याकरण
  • लिपि

लिपि का एक पक्ष है सामान्य और विभिन्न ध्वनियों के पृथक-पृथक, प्रतीक -वर्णों की वृद्धि, उनका परस्पर आकार भेद, लिखावट में सरलता, स्थान लघुता स्वं प्रयत्नलाघव, जिससे भाषा दुरूहता समाप्त होती है। लिपि का दूसरा पक्ष है वर्तनी (Spelling) एक शब्द को प्रकट करने के लिए अलग-अलग अक्षरों का प्रयोग वर्तनी को कठिन बना देता है। देवनागरी लिपि में यह दोष सबसे कम है, फिर भी कुछ विशेष कठिनाइयाँ हैं।

इन सभी कठिनाइयों को दूर कर हिंदी की वर्तनी में एकरूपता लाने के लिए भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने 1961 में एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त की थी।

समिति ने अप्रैल 1962 में अपनी अंतिम सिफारिशें प्रस्तुत की, जिन्हें सरकार ने स्वीकृत किया। यह सुधार प्रायः टंकण लिपि और संगणक की सुविधानुसार किया गया। 1967 में “हिंदी वर्तनी मानकीकरण” नामक पुस्तिका में इसकी व्याख्या और उदाहरण विस्तार से प्रकाशित किया गया है।

वर्तनी संबंधी कुछ नियम इस प्रकार है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

(1) संयुक्त वर्ण

(क) खड़ी पाई वाले व्यंजन:

खड़ी पाई वाले व्यंजनों (म्दहेदहाहू) का संयुक्त रूप खड़ी को हटाकर ही बनाया जाना चाहिए,

जैसे – ख्याति, लग्न, विघ्न, कच्चा, छज्जा, सज्जा, नगण्य उल्लेख, कुत्ता, पथ्य, ध्वनि, प्यास, न्यास, डिब्बा, सभ्य, रम्य, शय्या, राष्ट्रीय, त्र्यंबक, व्यास, स्वीकृत श्लोक, यक्ष्मा, प्रज्ञा।

(ख) अन्य व्यंजन:

(अ) क और फ के संयुक्ताक्षर : पक्का, दफ्तर, रफ्तार, चक्का आदि की तरह बनाए जाएँ, न कि पक्का, दफ्तर की तरह। इसमें फ और क की बाहों को गोला न कर सीधा कर दिया जाता है। (आ) ङ्, ट, ठ, ड, ढ, द और ह के संयुक्ताक्षर हलंत ( ) चिह्न लगाकर ही बताए जाए। वाङ्मय लट्टू, बुड्ढा, विद्या, चिह्न, ब्रह्मा, ब्राह्मण, उद्यम लट्ठा आदि।

(इ) श्र का प्रचलित रूप ही मान्य होगा। इसे श के रूप में नहीं लिखा जाएगा। त + र के संयुक्त रूप के लिए त्र और र दोनों रूपों के प्रयोग की छूट हैं। किंतु क्र को कर के रूप में नहीं लिखा जाएगा।

(ई) हलंत चिह्नयुक्त वर्ण से बनने वाले संयुक्ताक्षर के द्वितीय व्यंजन के साथ इ की मात्रा का प्रयोग संबंधित व्यंजन के तत्काल पूर्व ही किया जाएगा, न कि पूरे युग्म से पूर्व जैसे कुट्टिम द्वितीय, को कुटिम, द्वितीय, बुद्धिमान, चिह्नित आदि को स्वीकारा जाएगा।

(उ) संस्कृत में संयुक्ताक्षर पुरानी शैली में भी लिखे जा सकेंगे, जैसे – संयुक्त, चिह्न, विद्या, विद्वान, वृद्ध, अट्ट, द्वितीय, बुद्धि, शुद्धि आदि।
(नियम 2) क और फ के बाहों की गोलाई अंग को काटकर या हटाकर)
क – मुक्त, पक्का, चक्कर, टक्कर, शक्कर।
फ- मुफ्त, दफ्तर, रफ्तार।
(नियम 3) ट, ड, द, ह को हलंत करके) लट्टू, चट्टान, इकट्ठा, पट्ठा, बुड्ढा, लड्डू, शुद्ध, वृद्ध, बुद्धिमान, उद्योग, गद्य, पद्य, खाद्य, प्रसिद्ध अद्भुत, ब्रह्म, चिह्न, ब्राह्मण।
(नियम 4) संयुक्त वर्णाक्षर के साथ ‘इ’ की मात्रा का प्रयोग हलंत चिह्नयुक्त वर्ण से बननेवाले संयुक्ताक्षर के द्वितीय वर्ण के तत्काल पूर्व किया जाता है। जैसे – बुद्धि, शुद्धि, चिह्नित, द्वितीय, द्विगुणित, चिट्ठियाँ, छुट्टियाँ, सिद्धि, वृद्धि आदि।
(नियम 5) खड़ी पाई को हटाकरः

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खड़ी पाई वाले व्यंजन के संयुक्ताक्षर :

  • ख : ख्याति
  • ण : नगण्य प : प्यार
  • ल : उल्लेख ग : मग्न
  • त : पत्ता ब : ब्यौरा,
  • ष : राष्ट्र ग : नग्न
  • थ : पथ्य
  • भ : सभ्य स : स्वाद
  • घ : विघ्न ध : ध्यान
  • म : रम्य य : त्र्यंबक
  • च : अच्छा न : न्याय
  • म : गम्य श : श्लोक
  • ज : लज्जान : अन्न
  • य : शय्या क्ष : लक्ष्य

(2) विभक्ति चिह्न : (कारक चिह्न)

(क) हिंदी के विभक्ति चिह्न सभी प्रकार के संज्ञा शब्दों में प्रतिपदिक से पृथक लिखे जाय,
जैसे – राम ने, राम को, राम से, सभी ने, सभी को, सभी से आदि। सर्वनाम शब्दों में विभक्ति चिह्न मिलाकर लिखे जाते हैं।
जैसे -उसने, उसको, उसपर आदि।

(ख) सर्वनामों के साथ यदि दो विभक्ति चिह्न है उसमें पहला मिलाकर और दूसरा अलग से लिखा जाय।
जैसे – उसके लिए- इसमें से, आदि।

(ग) सर्वनाम और विभक्ति ‘ही’ ‘तक’ आदि का प्रयोग हो तो विभक्ति को अलग लिखा जाए।
जैसे – आप ही के लिए, मुझ तक को।

(3) क्रियापद : संयुक्त क्रियाओं में सभी अंगभूत क्रियाएँ पृथक लिखी जाएँ। जैसे- पढ़ा करता है, आ सकता है, खेला करेगा, नाचता रहेगा, चढ़ते ही जा रहे हैं, बढ़ते चले आ रहे हैं इत्यादि।

(4) हाइफन (-) हाइफन का विधान स्पष्टता के लिए किया जाता है।

(क) द्वंद्व समास में पदों के बीच हाइफन रखा जाए यथाः
राम-लक्ष्मण, माता-पिता, शिव-पार्वती, देख-रेख, चाल-चलन, हँसी-मजाक, पढ़ना लिखना, खाना-पीना, खेलना-कूदना, स्त्री-पुरुष इत्यादि।

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(ख) ‘सा’ ‘जैसा’ आदि से पूर्व हाइफन रखा जाये। जैसे -तुम-सा, राम-जैसा, चाकू-से तीखे, चलने। जैसे – आदि.

(ग) तत्पुरुष समास में हाइफन का प्रयोग तभी किया जाय जहाँ पर हाइफन के बिना भ्रम होने की संभावना हो। अन्यथा हाइफन का प्रयोग नहीं होगा।
जैसे – भू-तत्व.
सामान्यत: तत्पुरुष समास में हाइफन के प्रयोग की आवश्यकता नहीं होती जैसे – रामराज्य, राजकुमार, गंगाजल, ग्रामवासी, आत्महत्या, राजमाता, आदि। इसी तरह अ-नख (बिना नख का) में हाइफन न लगाने से इसका अर्थ बदल कर क्रोध हो जाएगा। अ-नति (नम्रता की कमी), अनति (थोड़ा) अ-परस (जिसे किसीने छुआ न हो) – अपरस – (एक चर्मरोग), भू-तत्व (पृथ्वी का तत्त्व) भूतत्त्व (भूत होने का भाव) आदि समस्त पदों की स्थिति विशेष होती है जहाँ हाइफन का प्रयोग किया जाता है।
(घ) कठिन संधियों से बचने के लिए भी हाइफन का प्रयोग किया जाता है। जैसे -द्वि-अक्षर, द्वि-अर्थक आदि।
(च) स्पष्टीकरण के लिए भी हाइफन का प्रयोग किया जाता है। जैसे – उदाहरणार्थ – यथा-आदि

विशेष अभ्यास हेतु

(क) हाइफन वाले शब्द : उषा-सा, एक-सा, घबराया-सा, छोटा-सा, जरा-सा, थोड़ा-सा, फूल-सा, रात-सा, साधारण-सा, हल्का सा, धक-सा आदि।

(ख) दवदव समास : आठ-दस, इधर-उधर, एक- दूसरा करता-धोती, खान पान, खेल-कद, नाच-गाना, रात-दिन, गोरा-चिट्टा, घर-परिवार, माता-पिता, जेठानी-देवरानी, भाई-बहन, दिन-रात, टूटा-फूटा, नहाना-धोना, बोल-चाल, हाथ-पैर, लाभ -हानि, भैया-भाभी, काका-काकी, रूप -रेखा आदि।

(ग) द्विरुक्त शब्द : आगे-आगे, कच-कच, खी-खी, जगह – जगह, तरह -तरह, धीरे-धीरे, नन्हा-नन्हा, बड़े-बड़े, भिन्न-भिन्न, रोज-रोज, शिव-शिव, सच-सच, हिला -हिला, बीच- बीच , गरम- गरम, छोटी-छोटी, मोटी-मोटी, सर-सर इत्यादी।

(घ) अन्य : जैसे-ही, भू-स्वामित्व, भू-सर्वेक्षण, भू-दान, मन-ही-मन, आदि।

(5) अव्यय : तक, साथ, आदि अव्यय सदा अलग लिखे जाएँ।।

जैसे – आपके साथ, यहाँ तक । हिंदी में आह, ओह ऐ, ही, तो, सो, भी न, जब, कब यहाँ, वहाँ, कहाँ, सदा, क्या, पड़ी, जी, तक, भर, मात्र, केवल, किंतु, परंतु, लेकिन, मगर, चाहे, या अथवा तथा आदि अनेक प्रकार के भावों को बोध करानेवाले अव्यय हैं। कुछ अव्ययों के आगे विभक्ति चिह्न भी आते है।

जैसे – अब से, तब से, यहाँ से, वहाँ से, कहाँ से, सदा से आदि। नियमानुसार अव्यय हमेशा अलग लिखे जाने चाहिए। जैसे – आप ही के लिए, मुझ तक को, आप के साथ, गज भर, रात भर. वह इतना, भर कर दे, मुझे जाने तो दो, काम भी नहीं बना, पचास रुपए मात्र है।

सम्मानार्थक श्री और जी अव्यय भी पृथक लिखे जाए। जैसे – श्री राम, महात्मा जी, माता जी, पिता जी, आदि। समस्त पदों में प्रति, मात्र, यथा, आदि अलग न लिखकर एक साथ लिखना चाहिए। जैसे – प्रतिदिन, प्रतिक्षण, प्रतिशत, मानवमात्र, निमित्तमात्र, यथासमय, यथायोग्य, यथोचित, यथासंभव आदि।

यह नियम है कि समास होने पर समस्त पद एक ही माना जाता है अत: उसे पृथक न लिखकर एक साथ ही लिखा जाना चाहिए।

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(6) श्रुतिमूलक :

(क) श्रुतिमूलक ‘य’ ‘व’ का प्रयोग विकल्प से होता है, वहाँ न किया जाए अर्थात किए – किये, नई – नयी, हुआ-हुवा, आदि में पहले वाले सकारात्मक रूप को ही स्वीकारा जाना चाहिए। यह नियम विशेषण, क्रियाविशेषण अव्यय आदि के सभी रूपों और स्थितियों में लागू माना जाए। जैसे – दिखाए गए, राम के लिए, पुस्तक लिए हुए, नई दिल्ली आदि।

(ख) जहाँ ‘य’ श्रुतिमूलक शब्द का मूल रूप होता है वहाँ वैकल्पिक, श्रुतिमूलक स्वरात्मक परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होती । यहाँ व्याकरण के अनुसार परिवर्तन नहीं होना चाहिए। जैसे – स्थायी, अव्ययी भाव, दायित्व आदि को स्थाई, अव्यई भाव, दाइत्व नहीं लिखा जा सकता।

(7) अनुस्वार या अनुनासिकता के चिह्न (चंद्र बिंदु)

अनुस्वार ()और अनुनासिकता चिह्न (*) दोनो प्रचलित रहेंगे।

(क) संयुक्त व्यंजन के लय में जहाँ पंचमाक्षर के बाद सवर्गीय शेष चार वर्ण में से कोई वर्ण हो तो एकरूपता और मुद्रण/ लेखन की सुविधा के लिए अनुस्वार का ही प्रयोग किया जाना चाहिए। जैसे – गंगा, चंचल, ठंडा, संपादक आदि में पंचमाक्षर के बाद स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग किया जाना चाहिए।

(गड्गा, ठण्डा, सन्ध्या, सम्पादक, नहीं। यदि पंचमाक्षर के बाद किसी अन्य वर्ग का कोई वर्ण आए अथवा वहीं पंचमाक्षर दुबारा आए तो पंचमाक्षर अनुस्वार के रूप में परिवर्तित नहीं होगा। जैसे – वाड्:मय, अन्न, सम्मेलन, सम्मति, सम्मान, चिन्मय, उन्मुख आदि। अत: वांमय, अंन, संमेलन, संमति, संमान, चिंमय आदि रूप ग्राह्य नहीं हैं। और स्पष्ट करने के लिए भिन्न रूप को देखें।

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एक से चार वर्ण के साथ अनुस्वार (.) का प्रयोग होगा और पाँचवे वर्ण के अनुस्वार आनेपर आधे ड., म, ण, न, म का प्रयोग ( हलंत) होगा।

(ख) चंद्रबिंदु (*) के बिना प्राय: अर्थ से में संदेह की गुंजाइश रहती है। जैसे – हंस-हँस, अंगना-अंगना आदि में। इसलिए, ऐसे संदेह को दूर करने के लिए चंद्रबिंदु (*) का प्रयोग अवश्य किया जाना चाहिए।

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लेकिन जहाँ (विशेषकर शिरोरेखा के ऊपर जुड़ने वाली मात्रा के साथ) चंद्रबिंदु (*) के प्रयोग से छपाई आदि में बहुत कठिनाई हो और चंद्रबिंदु के स्थान पर बिंदु (अनुस्वार चिह्न) का प्रयोग किसी प्रकार का संदेह उत्पन्न न करे, वहाँ उसका प्रयोग यथा स्थान अवश्य करना चाहिए।

इसी प्रकार छोटे बच्चों की प्रवेशिकाओं में जहाँ चंद्रबिंदु का उच्चारण दिखाना अभीष्ट हो, वहाँ उसका यथा स्थान प्रयोग किया जाना चाहिए। जैसे – कहाँ, हँसना, अँगना, वहाँ, यहाँ, सँवरना, आदि।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण मुहावरे

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest व्याकरण मुहावरे Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi व्याकरण मुहावरे

भाषा को स्पष्ट और प्रभावशाली बनाने के लिए मुहावरों का प्रयोग किया जाता है। मुहावरा ऐसा वाक्यांश होता है जो सामान्य अर्थ से भिन्न किसी विशेष अर्थ का बोध कराता है। उसके अंत में प्राय: किसी क्रिया का सामान्य रूप लगा होता है। इनके प्रयोग से भाषा में सरसता, सुंदरता और स्वाभाविकता आती है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण मुहावर

मुहावरों की विशेषताएँ :

  1. मुहावरे लोक जीवन की धरोहर हैं।
  2. इनके अंत में प्राय: ‘ना’ होता है।
  3. मुहावरे पूर्ण वाक्य नहीं होते।
  4. मुहावरों के अर्थ प्रकट करने के लिए क्रियापद का विशेष महत्त्व होता है।
  5. मुहावरे भाषा में कलात्मक अभिव्यक्ति की एक शैली है।
  6. अन्य भाषा में मुहावरों का शाब्दिक अनुवाद नहीं हो सकता।
  7. वाक्य में प्रयुक्त होने पर मुहावरों के शब्दों में रूपांतर हो जाता है। क्रिया लिंग, वचन, कारक आदि के अनुसार बदल जाती है। मुहावरे वाक्य में सरसता, विलक्षणता, तीखापन और प्रवाह उत्पन्न करते हैं। इससे हमारी अभिव्यक्ति में निखार आता है।

मुहावरों के प्रयोग में सावधानी :

  • मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग करते समय इनके लाक्षणिक अर्थ की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए अन्यथा अर्थ के अनर्थ होने की संभावना रहती है।
  • मुहावरे ज्यों के त्यों वाक्य में प्रयुक्त नहीं होते इसलिए प्रयोग के अनुसार उसके लिंग, वचन, कारक के अनुसार क्रिया में परिवर्तन करना चाहिए।

पाठ में प्रयुक्त मुहावरे तथा उनके वाक्य प्रयोग :

अंकुर जमाना : प्रारंभ करना
वाक्य : भाई के मन में कपट का अंकुर ऐसा जम गया था कि अब वह वृक्ष बन गया था।

अपने पैरों पर खड़ा होना : आत्मनिर्भर होना।
वाक्य : पढ़-लिखकर सीया अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण मुहावर

आँच न आने देना : संकट न आने देना।
वाक्य : गरीबी में भी माता-पिता ने अपने बच्चों पर आँच न आने दी

आँखों में सैलाब उमड़ना : फूट-फूटकर रोना।
वाक्य : पति की मृत्यु पर पत्नी की आँखों में सैलाब उमड़ आया था।

आँखें फटी रहना : आश्चर्यचकित रह जाना।
वाक्य : बालक कृष्ण के मुख में ब्रह्मांड को देखकर यशोदा मैया की आँखें फटी रह गईं।

आईने में मुँह देखना : अपनी योग्यता जाँचना।
वाक्य : आईने में मुँह देखकर काम करना चाहिए ताकि सफलता का फल प्राप्त हो।

आसमान के तारे तोड़ना : असंभव कार्य करना।
वाक्य : यह प्रतियोगिता जीतकर भार्गव ने आसमान के तारे तोड लाए हैं।

ईंट का जवाब पत्थर से देना : कड़ा जवाब देना।
वाक्य : हमारी टीम ने खेल जीतने के लिए ईंट का जवाब पत्थर से दिया

उधेड़ वुन में लगना : सोच-विचार करना।
वाक्य : पैसों की उधेड-बून में लगे लोग जीवन का मजा नहीं उठा पाते।

एक आँख से देखना : सामान्य रूप से देखना, पक्षपात न करना।
वाक्य : माँ अपने सभी बच्चों को एक आँख से देखती है

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण मुहावर

एक और एक ग्यारह होना : एकता में बल होना।
वाक्य : जब दोनों भाई एक और एक ग्यारह हो गए तो उनका बुरा चाहने वाले उनका कुछ नहीं बिगाड़ सके।

कदम बढ़ाना : प्रगति करना।
वाक्य : समस्या को पीछे छोड़कर कदम बढाना जीवन का सही मार्ग है।

कमर कसना : पूरी तरह तैयार होना।
वाक्य : बरसाती समस्याओं से निपटने के लिए हमने बरसात आने से पहले ही कमर कस ली है।

कमर सीधी करना : आराम करना, सुस्ताना।
वाक्य : इतना पसीना बहाने के बाद कमर सीधी करने का मौका मिला तो नई समस्या खड़ी हो गई।

कलई खुलना : भेद प्रकट होना, राज या रहस्य खुलना।
वाक्य : कोई कितना भी धूर्त क्यों न हो एक न एक दिन उसकी कलई खुल जाती है।

कान देना : ध्यान से सुनना।
वाक्य : अध्यापक की बात पर विद्यार्थी कान देंगे तो सफलता अवश्य मिलेगी।

किस्मत खुलना : भाग्य चमकना।
वावय : आज तो मेरी किस्मत खुल गई जो आपके दर्शन हुए।

गले का हार होना : अत्यंत प्रिय होना।
वाक्य : छोटा शेख घर में सभी के गले का हार था।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण मुहावर

गागर में सागर भरना : थोड़े में बहुत कहना।
वाक्य : बिहारी जी ने अपने दोहों में गागर में सागर भर दिया है इस बात को सभी हिंदी प्रेमियों ने स्वीकारा है।

घी के दीये जलाना : खुशी मनाना।
वाक्य : जब श्रीराम जी 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे तो अयोध्या वासियों ने घी के दीये जलाए

चिकना घड़ा होना : निर्लज्ज होना, किसी बात का असर न होना।
वाक्य : रमेश को समझाना बेकार है क्योंकि वह तो चिकना घड़ा है।

चुटकी लेना : व्यंग्य करना।
वाक्य : चुटकी लेने की आदत कभी-कभी भारी पड़ जाती है।

जबान देना : वचन देना।
वाक्य : रमेश ने अगर जबान दी है तो वह जरूर निभाएगा।

झंडे गाड़ना : पूर्ण रूप से प्रभाव जमाना।
वाक्य : छोटी उम्र में ही शिवाजी महाराज ने 12 मावलों के साथ मुगलो के आधे किले पर झंडे गाड़ दिए थे।

डंका पीटना : प्रचार करना।
वाक्य : अपनी छोटी सी सफलता का भी डंका पीटने में सीया पीछे नहीं हटती।

तितर-बितर होना : बिखर जाना।
वाक्य : माँ की मृत्यु के बाद परिवार तितर-बितर हो गया।

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हजारों दीप जल उठना : आनंदित हो उठना।
वाक्य : विदेश जाने के लिए वीजा मिल गया तो रमेश के मन में हजारों दीप जल उठे

रुपये दाँत से पकड़ना : कंजूसी करना।
वाक्य : इस महँगाई के दौर में हर कोई रुपये दाँत से पकडकर जी रहा है।

दूध का दूध, पानी का पानी करना : इंसाफ करना, न्याय करना।
वाक्य : रंगे हाथ पकड़े जाने पर सच्चाई सबके सामने आ गई और दूध का दूध और पानी का पानी हो गया।

नाम कमाना : यश प्राप्त करना।
वाक्य : कड़ी मेहनत करके राज ने नाम कमाया इसलिए सब उसकी इज्जत करते हैं।

पाँचों उँगलियाँ घी में होना : हर तरफ से लाभ होना।
वाक्य : अब बेटा भी बराबरी से काम करने लगा तो लाला जी की पाँचो उँगलियाँ घी में है।

फला न समाना : अत्यधिक प्रसन्न होना।
वाक्य : मनोकामना पूरी होने पर सीया फूली न समाई

वीडा उठाना : किसी काम को करने की ठान लेना।
वाक्य : देश के नागरिकों को पर्यावरण सुरक्षा का बीड़ा उठाना होगा।

वाँछे खिलना : अत्यधिक प्रसन्न होना।
वाक्य : चुनाव जीतने के बाद नेता की बाँछे खिल उठीं।

मरजीवा होना : कठोर साधना से लक्ष्य तक पहुँचने वाला होना।
वाक्य : अलवर में सात नदियों को जीवित कर श्री राजेंद्र सिंह जी मरजीवा हो गए

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मल्हार गाना : आनंद मनाना।
वाक्य : समय पर बारिश होने से किसान मल्हार गाने लगे

राई का पहाड़ बनाना : बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना।
ताक्य : रमेश ने बात को इस ढंग से बताया कि राई का पहाड बन गया।

लोहा मानना : श्रेष्ठता स्वीकार करना।
वाक्य : औरंगजेब भी शिवाजी के युद्ध कौशल का लोहा मानता था।

सफेद झूठ बोलना : पूरी तरह से झूठ बोलना।
वाक्य : दुष्ट प्रवृत्ति के लोग सफेद झूठ बोलने से बाज नहीं आते।

सिर खपाना : ऐसे काम में समय लगाना जिसमें कोई लाभ नहीं।
वाक्य : सुबह से शाम तक सिर खपाते रहे लेकिन पिताजी ने दी पहेली हल नहीं कर पाए।

सिर पर सेहरा बाँधना : अधिक यश प्राप्त करना।
वाक्य : काव्य गायन प्रतियोगिता में रमेश केवल सफल ही नहीं हुआ बल्कि उसके सिर पर सेहरा बँधा।

सोना उगलना : बहुत अधिक लाभ होना।
वाक्य : मेरे देश की मिट्टी ऐसी उपजाऊ है कि सोना उगलती है।

सौ वात की एक वात : असली बात, निचोड़।
वाक्य : सौ बात की एक बात कहूँ, मुझे बेटा-बेटी में भेदभाव बिलकुल पसंद नहीं।

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हाथ-पैर मारना : बहुत प्रयत्न करना।
वाक्य : इधर-उधर हाथ-पैर मारने के बाद मेरा लोन सेंक्शन हुआ।

हौसले बुलंद होना : उत्साह बने रहना।
वाक्य : शरीर कमजोर हो गया है लेकिन अभी भी राय साहब के हौसले बुलंद हैं

श्रीगणेश करना : कार्य आरंभ करना।
वाक्य : दो पैसे जमा होते ही रमेश ने अपने व्यवसाय का श्रीगणेश किया

दाँतों तले उँगली दबाना : आश्चर्यचकित होना।
वाक्य : रणभूमि में अभिमन्यु की वीरता देखकर कौरवों ने दाँतों तले उँगली दबाई

अंधे की लाठी होना : निराधार का सहारा बनाना।
वाक्य : मदर टेरेसा भारत आकर अंधे की लाठी बनकर अपना कार्य करने लगी।

आग से खेलना : मुसीबत मोल लेना।
वाक्य : आज़ादी की लड़ाई लड़ते समय आग से खेलकर कई देशवासियों ने अपना घर-परिवार दाँव पर लगा दिया था।

मुट्ठी गर्म करना : रिश्वत देना।
वाक्य : भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहराई तक पहुँच गई हैं कि जब तक मुट्ठी गर्म न करो कोई काम ही नहीं करता।

इतिश्री होना : समाप्त होना।
वाक्य : 15 अगस्त 1947 को देश आज़ाद हुआ और अंग्रेज शासन की इतिश्री हुई

उड़ती चिड़िया पहचानना : तीक्ष्ण बुद्धि वाला होना।
वाक्य : बीरबल उडती चिडिया पहचान लेते थे और हर समस्या को सुलझाने में अकबर की सहायता करते है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण मुहावर

हथेली पर सरसों जमाना : कठिन कार्य करना।
वाक्य : दुश्मनों की छावनी में जाकर उनके भेद जानना मतलब हथेली पर सरसों जमाना है।

कंचन बरसना : धन-दौलत से परिपूर्ण होना।
वाक्य : कभी हमारे देश में कंचन बरसता था परंतु विदेशी आक्रमण ने इसे खोखला कर दिया।

कानों कान खबर न होना : बिल्कुल पता न चलना।
वाक्य : सेठ जी ने बेटी का विवाह कर दिया लेकिन किसी को कानों कान खबर न हुई

गाल बजाना : अपनी प्रशंसा आप करना।
वाक्य : मोहन अपनी सफलता पर खूब गाल बजाता था परंतु परिणाम सामने आने पर शर्मिंदा हुआ।

घड़ों पानी पड़ना : बहुत लज्जित होना।
वाक्य : बेटे की करतूतों का भेद खुलते ही पिता पर घडों पानी पड़ गया।

चिकनी-चुपड़ी बातें करना : चापलूसी करना, मीठी-मीठी बातें बोलना।
वाक्य : अब चिकनी-चुपड़ी बातें करने से कोई लाभ नहीं, सच्चाई सब जान गए हैं।

छाती पर साँप लोटना : ईर्ष्या होना।
वाक्य : गीता के कक्षा में प्रथम आने की खबर सुनते ही मीता की छाती पर साँप लोटने लगा।

तूती बोलना : प्रभाव होना।
वाक्य : मंत्री महोदय के खास आदमी होने की वजह से उसकी तूती बोलती है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण मुहावर

दो टुक जवाब देना : स्पष्ट बोलना।
वाक्य : मैंने आपसे दो टुक बात कर ली है, आगे आपकी मर्जी।

नुक्ताचीनी करना : आलोचना करना।
वाक्य : हर बात में नुक्ताचीनी करने की आदत के चलते रमेश के दोस्त कम और दुश्मन ही अधिक है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना वृत्तांत लेखन

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest रचना वृत्तांत लेखन Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi रचना वृत्तांत लेखन

वृत्तांत लेखन : किसी भी सभा, बैठक, कार्यक्रम आदि को लिखित रूप में प्रस्तुत करना ही वृत्तांत लेखन है।

  • वृत्तांत संक्षिप्त होना चाहिए और क्रमबद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • वृत्तांत लेखन में उत्तम पुरुष वाचक सर्वनाम (मैं, हम) का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • वृत्तांत में घटना, समय, स्थान आदि का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए।
  • यह सत्य घटना पर आधारित लेखन होता है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना विज्ञापन लेखन

1. हिंदी दिवस का वृत्तांत लिखिए।

एक शानदार हिंदी दिवम

15 सितंबर मुंबई : स्वामी विवेकानंद ज्युनियर कॉलेज आफॅ आर्ट्स एंड कॉमर्स के सभागार में दोपहर तीन बजे प्रधानाचार्य महोदय की अध्यक्षता में एक शानदार कार्यक्रम संपन्न हुआ। हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. किशोर सिंह ने राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी तथा बारहवीं कक्षा की छात्रा शिवानी और रुही में हिंदी की आज की स्थिति पर अपने विचार रखे। ग्यारहवी कक्षा के छात्रों ने राष्ट्रभक्ति पर गीत प्रस्तुत किए।

इस अवसर पर दोहों की प्रतियोगिता रखी गई जिसकी वजह से कार्यक्रम में जान आ गई थी। रमा राणे इस प्रतियोगिता में विजयी हुई जिसे पाँच सौ रुपए का पुरस्कार और सर्टीफिकेट प्रदान किया गया।

प्रधानाचार्य ने इस कार्यक्रम में घोषणा की, कि इस वर्ष हिंदी में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले ग्यारहवीं तथा बारहवीं के छात्र को एक हजार रूपए का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। सभी उपस्थित लोगों को अध्यक्ष महोदय ने धन्यवाद दिया और सभा विसर्जित हुई।

(कार्यालय प्रतिनिधि द्वारा)

2. महाविद्यालय में आयोजित वृक्षारोपण समारोह का वृत्तांत लिखीए।

अध्यापक और छात्रों द्वारा वृक्षारोपण

17 जुलाई, दिल्ली: आज 16 जुलाई को विकास महाविद्यालय हरिनगर, दिल्ली के महाविद्यालय परिसर में वृक्षारोपण समारोह अत्यंत हर्षोल्लास एवं उत्साहपूर्वक मनाया गया। इस कार्यक्रम में शिक्षा निदेशक मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्हें पुष्पगुच्छ एवं एक पौधा देकर स्वागत किया गया।

इसके पश्चात छात्र-छात्राओं ने एक स्वर में, ‘नंगी धरती करे पुकार, वृक्ष लगाकर करो शृंगार’ गीत का समूहगान प्रस्तुत किया। अतिथि महोदय ने अपने भाषण में वृक्षों के महत्त्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्वयं एक पौधा लगाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

फिर प्रधानाचार्य, उपप्रधानाचार्य तथा अध्यापकों ने वृक्षारोपण किया। छात्रों ने भी वृक्षारोपण करते हुए उनके देखभाल की जिम्मेदारी ली। पौधों के चारों ओर जाली लगाकर इनकी सिंचाई का प्रबंध किया गया ताकि पौधे फलें- फूलें और वृक्ष बन सकें। अंत में छात्रों में मिठाई वितरण करते हुए इस समारोह का समापन किया गया।

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(कार्यालय प्रतिनिधि द्वारा)

3. समता विद्यालय में पुरस्कार वितरण समारोह संपन्न

(कार्यालय प्रतिनिधि द्वारा)

पुणे, 12 फरवरी: कल 11 फरवरी, को समता विद्यालय में वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह संपन्न हुआ। समारोह की अध्यक्षता मशहूर अभिनेता शेखर सेन ने की थी।

ईश – स्तवन और गणेश वंदना से कार्यक्रम आरंभ हुआ। पाँचवी कक्षा के छात्रों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। तत्पश्चात विद्यालय के निरीक्षक श्री. अशोक कर्वे ने अध्यक्ष महोदय का परिचय और विद्यालय की विभिन्न गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत किया।

अध्यक्ष महोदय के करकमलों से आदर्श विद्यार्थी, सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी, अभिनेता, नर्तक, गायक आदि पुरस्कार दिए गए। शालांत परीक्षा में विशेष योग्यता दिखलाने वाले मेधावी छात्रों को सम्मानित किया गया। अध्यक्ष महोदय ने अपने मार्गदर्शन पर भाषण में विद्यार्थियों को अनुशासन का पाठ पढ़ाया और उज्ज्वल भविष्य की कामना की। तत्पश्चात विद्यालय की ज्येष्ठ शिक्षिका श्रीमती चौधरी जी ने धन्यवाद यापन किया और राष्ट्रगीत के साथ समारोह का समापन हुआ।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना वृत्तांत लेखन 1

नासिक, 7 फरवरी : विवेक महाविद्यालय के प्रांगण में बारहवीं कक्षा के छात्रों का बिदाई समारोह 6 फरवरी को संपन्न हुआ। अपने महाविद्यालय से विदा लेते समय विद्यार्थियों की आँखें छलक आईं। समारोह की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रधानाचार्य ने की।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना विज्ञापन लेखन

ग्यारहवीं कक्षा के छात्रों ने बिदाई समारोह के आयोजन में अहं भूमिका निभाई। ठीक तीन बजे छात्र और शिक्षक प्रांगण में उपस्थित हुए थे। महाविद्यालय को रंगीन कागजों से सजाया गया था। एक छोटा सा वृक्ष का चित्र दीवार पर बना था और छात्र उस पर अपनी भावनाओं सरस्वती वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। बारहवीं कक्षा के छात्रों ने अपने महाविद्यालय की यादें बताते हुए अपने शिक्षिकों का आभार प्रकट किया।

प्रधानाचार्य और वर्गशिक्षकों तथा ज्येष्ठ शिक्षकों ने विद्यार्थियों को मार्गदर्शन पर दो शब्द कहे। ग्यारहवीं कक्षा के छात्रों ने नृत्य एवं नाटिका प्रस्तुत कर सबका मनोरंजन किया। प्रधानाचार्य के करकमलों द्वारा आदर्श छात्र एवं छात्रा को पुरस्कृत किया गया। उसके बाद अल्पाहार दिया गया। छात्र अपने प्रिय शिक्षकों के साथ तस्वीरें लेते हुए देखे गए। बड़ा ही भावपूर्ण प्रसंग था यह, जो शाम सात बजे खत्म हुआ।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन

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Maharashtra State Board 11th Hindi रचना संभाषण लेखन

रोजमर्रा के जीवन में हम जो बातचीत या वार्तालाप करते हैं उसके लिखित रूप को संवाद-लेखन कहते हैं। वार्तालाप जितना चतुराई से किया गया है, उतना ही वह प्रभावशाली होता है। संवाद-लेखन करते समय ध्यान रहे –

  • संवाद की भाषा सरल एवं प्रभावशाली हो।
  • संवाद संक्षिप्त होने चाहिए।
  • संवाद विषय और पात्र के अनुकूल होने चाहिए।
  • संवाद लेखन में उचित विराम चिह्नों का प्रयोग किया जाना चाहिए।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर संवाद-लेखन कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन 1
उत्तर :
अनन्या : हे रक्षिता! आज कितने दिनों बाद दिखाई दे रही हो; कहाँ थी?
रक्षिता : माँ के साथ दुर्घटना हो गई थी, इसलिए इधर आना नहीं हुआ।

अनन्या : ओह! क्या हुआ था?
रक्षिता : किसी बदमाश ने राह चलते उनके गले का मंगलसूत्र खींच लिया था। उनके गले पर जख्म हो गया था।

अनन्या : ओह! यह तो बहुत बुरा हुआ। आजकल दिनदहाड़े ऐसी वारदातें होने लगी हैं।
रक्षिता : काश! पुलिस अपनी जिम्मेदारियाँ ठीक से निभा पाते, तो बदमाशों की ऐसी हिम्मत नहीं होती।

अनन्या : (क्रोधित स्वर में) और हमारी पब्लिक तमाश-बिन की तरह केवल भीड़ इकट्ठा करती है।
रक्षिता : (सहमति प्रकट करते हुए) और नहीं तो क्या! हम लोग कब जिम्मेदार नागरिक बनेंगे?

अनन्या : क्या, बदमाश पकडा गया?
रक्षिता : नहीं तो! वह तो बाइक पर था, झपट्टा मारा और भाग गया।

अनन्या : खैर, तुम अपनी माँ का ख्याल रखो। मुझसे कोई सहायता चाहिए तो बिना हिचकिचाए बताना।
रक्षिता : अवश्य! चलती हूँ। अलविदा!

अनन्या : अलविदा !

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर संवाद-लेखन कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन 2
उत्तर :
पिताजी : बेटा, यहाँ आओ; बैठो। पढ़ाई के क्या हाल है? परीक्षा कब से है?
पुत्र : (घबराते हुए) परीक्षा नजदीक आई है और पढ़ाई अभी चल रही है, पूरी नहीं हुई।

पिताजी : पूरी होगी कैसे? मैं यह नहीं कहता कि दूरदर्शन मत देखो, लेकिन अपने अध्ययन के प्रति लापरवाही उचित नहीं। पूरा दिन दूरदर्शन के सामने बैठोगे तो पढ़ाई होगी ही नहीं।
पुत्र : लेकिन मैं अकेला थोड़े ही देखता हूँ, पापा? घर में सभी दूरदर्शन देखते हैं और आप मुझे ही डाँटते हो।

पिताजी : मैं तुम्हें समझा रहा हूँ। तुम्हारी दीदी को देखो, कक्षा में अव्वल आती है और तुम मात्र 50% अंक ला पाए हो।
पुत्र : (अँगूठे से जमीन कुरेदते हुए) मुझे दीदी अपने साथ पढ़ने को मना करती है।

पिताजी : मैंने दीदी को समझा दिया है, जाओ अब उसके साथ बैठकर पढ़ाई करो।
पुत्र : जी, पापा। अब मैं भी दीदी जैसे अंक लाकर दिखाऊँगा।

पिताजी : बहुत अच्छा! देर आए दुरुस्त आए। मुझे तुम पर विश्वास है। तुम जरूर अच्छे अंक ला पाओगे। भगवान तुम्हें सद्बुद्धि दें।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर संवाद-लेखन कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन 3
उत्तर :
राम : नमस्ते श्याम! कैसे हो?
श्याम : नमस्ते! मैं ठीक हूँ। तुम कैसे हो? क्या कर रहे हो आजकल?

राम : मैं ठीक हूँ। आजकल मैं डाक टिकट इकट्ठा कर रहा हूँ।
श्याम : बहुत खूब! क्या तुम इन्हें अलबम में चिपकाओगे?

राम : हाँ! मैंने एक अलबम बना लिया है और टिकट चिपका भी दिए हैं।
श्याम : वाह! क्या, तुम्हारे पास सभी देशों के टिकट हैं?

राम : हाँ! ज्यादातर सभी देशों के टिकट मेरे पास हैं।
श्याम : (जिज्ञासा से) तो क्या इनमें, महँगी टिकटें भी हैं?

राम : मेरे पास बहुत सारी टिकटें है जिनमें कुछ टिकटें महँगी भी है।
श्याम : मेरे दोस्त, यह तो बता इस संग्रह से तुझे क्या लाभ होता है?

राम : यह मेरा शौक है जो मुझे बेहद सुख प्राप्त कराता है और हाँ, मुझे भूगोल पढ़ने में इनकी मदद मिलती है।
श्याम : बहुत अच्छा।

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राम : तुम्हारा भी कोई शौक है?
श्याम : है न! मुझे जंगली फूल जमा करने का शौक है।

राम : तुम उनसे क्या करते हो?
श्याम : मैं उन्हें कागज पर चिपकाता हूँ और फिर उनका नाम लिखता हूँ।

राम : इस शौक से तुम्हें क्या लाभ होता है?
श्याम : मेरा शौक मेरा वनस्पति विज्ञान का ज्ञान बढ़ाता है।

राम : तुमसे मिलकर आज बहुत अच्छा लगा। फिर मिलेंगे, अलविदा!
श्याम : अच्छा! अलविदा!

प्रश्न 4.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर संवाद-लेखन कीजिए।
Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन 4
उत्तर :
साक्षात्कार कर्ता : जय हिंद, मेरे भाई, मेरे दोस्त!
सैनिक : जय हिंद! कहो कैसे आना हुआ?

साक्षात्कार कर्ता : आप हाल ही में सीमा पर दुश्मनों को लोहे के चने चबवाकर आए हो इसलिए मैं आपसे मिलना चाहता हूँ। आपके बारे में जानना चाहता हूँ।
सैनिक : भाई, मैंने तो सिर्फ अपना कर्तव्य निभाया है।

साक्षात्कार कर्ता : सीमा पर अपने परिवार से दूर आप कैसे रह लेते हो? क्या आपका उनके प्रति कर्तव्य नहीं है?
सैनिक : ऐसा तो नहीं। परिवार अपनी जगह है, देश अपनी जगह और देश की खातिर जो कर्तव्य है उसके आगे हमें निजी सुख-दुख बहुत छोटे नजर आते हैं।

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साक्षात्कार कर्ता : धन्य हैं आप! सुना है आपका बेटा छह वर्ष का है!
सैनिक : सही सुना है आपने। मेरा छह वर्ष का बेटा है जो अभी से सैनिक बनने का सपना देख रहा है और हाँ मेरी तीन साल की बेटी भी, शत्रु के साथ युद्ध करने की बातें करती है।

साक्षात्कार कर्ता : बहुत अच्छा लगा सुनकर। आपका पूरापरिवार ही राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत है। हम देशवासियों को और देश के बालकों को (जोर देते हुए) कुछ संदेश देना चाहेंगे?
सैनिक : जरूर! देश के बालकों आप देश का भविष्य हो। हर काम को सच्चाई, ईमानदारी और खुशी से करो। अपने सपनों को हकीकत में बदलो। ईश्वर तुम्हें सदबुद्धि दे। वंदे मातरम्! जय हिंद!

साक्षात्कार कर्ता : वंदे मातरम्! जय हिंद!

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना गद्य आकलन

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Maharashtra State Board 11th Hindi रचना गद्य आकलन

अपठित अर्थात जो पहले से पढ़ा / पढ़ाया न गया हो ऐसा परिच्छेद परीक्षा में दिया जाता है। इसे पढ़कर इसका आशय समझना होता है। कोई शब्द परिचित न हो और अर्थ समझ में नहीं आ रहा हो तो उसके अर्थ को वाक्य के प्रसंगानुसार ग्रहण करना चाहिए और सब कुछ समझ में आ जाने पर प्रश्न बनाना आसान हो जाएगा।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना गद्य आकलन

महत्त्वपूर्ण : छात्रों से अपठित गद्यांश पर आकलन हेतु मात्र प्रश्न निर्माण अपेक्षित है और प्रश्न भी ऐसे बनाने हैं जिनके उत्तर एक वाक्य में हों। हो सके उतना गद्यांश के लिए शीर्षक के बारे में प्रश्न न पूछे। आगे कुछ उदाहरण दिए हैं –

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों।

पंडित जवाहरलाल नेहरूजी की अंतिम इच्छा यह थी कि मैं जब मरूँ तब मैं चाहूँगा कि मेरा दाह-संस्कार हो। अगर मैं विदेश में मरूँ तो मुझे वहीं जलाया जाए पर मेरी अस्थियाँ इलाहाबाद लाई जाएँ। मुठ्ठीभर भस्म इलाहबाद की गंगा में प्रवाहित करने की मेरी इच्छा है, किंतु उसके पीछे कुछ धार्मिक भावना नहीं है, क्योंकि गंगा हमारी सदियों से पुरानी सभ्यता और संस्कृति की प्रतीक रही है।

वह मुझे हिमालय के हिमाच्छादित शिखरों और नदियों की याद दिलाती है, जिनमें मेरा लगाव और प्यार बहुत ज्यादा रहा है। गंगा मुझे शस्य-श्यामल फैले हुए मैदानों की याद दिलाती है, यहाँ मेरी जिंदगी और काम ढले हैं। गंगा में कहीं समुद्र जैसी विनाश की भी शक्ति मुझे लगती है और उसकी यह शक्ति मेरे लिए अतीत की प्रतीक व स्मृति है, जो वर्तमान में प्रवाहित है और भविष्य के महासमुद्र में आगे बढ़ते रहने की है।
उत्तर:

  1. मुठ्ठीभर भस्म का विसर्जन लेखक ने कहाँ करने के लिए कहा है?
  2. गंगा की कौन-सी शक्ति लेखक के लिए अतीत की प्रतीक व स्मृति है?
  3. लेखक की जिंदगी और काम कहाँ ढले हैं?
  4. पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को गंगा नदी किसकी याद दिलाती है?
  5. विदेश में मरने पर पंडित जवाहरलाल नेहरू जी क्या चाहते हैं?

प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों।
वर्तमान शासन प्रणालियों में जनतंत्र से बढ़कर उत्तम कोई प्रणाली नहीं हैं, क्योंकि उसमें जनता को स्वयं यह अधिकार प्राप्त रहता है कि वह अपने प्रतिनिधियों को चुनकर विधान सभाओं और संसद में भेजें। ऐसे प्रत्यक्ष चुनाव में प्राय: वही व्यक्ति चुना जाता है, जिसका सार्वजनिक जीवन अच्छा हो और जो जनता की सेवा करता हो। इस प्रणाली में जनता को यह अधिकार है कि यदि वह किसी दल या किसी व्यक्ति के कार्यों से संतुष्ट नहीं है तो दूसरी बार उस दल या व्यक्ति को अपना मत न दें।

निर्वाचन में विरोधी दलों के भी कुछ व्यक्ति चुने जाते हैं, जो अपनी आलोचना से शासक दल के स्वेच्छाचार पर अंकुश रखते हैं। इस प्रकार देश की शासन प्रणाली में विरोधी दलों का भी महत्त्वपूर्ण स्थान होता है।
उत्तर:

  1. जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनकर कहाँ भेजती है?
  2. चुनाव में कैसा व्यक्ति चुना जाता है?
  3. विरोधी दल अपनी आलोचना से क्या कर सकता है?
  4. जनतंत्र में जनता को किस बात का अधिकार होता है?
  5. सबसे उत्तम शासन प्रणाली कौन-सी है?

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना गद्य आकलन

प्रश्न 3.
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों।
दान देने की परिपाटी प्राचीन काल से चली आ रही है। अन्नदान, गोदान, वस्त्रदान, स्वर्णदान, भूमिदान करना भारतीय अपना परम धर्म मानते हैं। धर्म से स्वर्ग की प्राप्ति होती है, ऐसा माना जाता है। प्राचीन काल में विद्यादान को सर्वश्रेष्ठ दान माना जाता था। वर्तमान काल में कुछ नए प्रकार के दान प्रचलित हुए है – नेत्रदान, रक्तदान, किडनीदान । रक्त तो हर व्यक्ति के लिए जरूरी है। पचास वर्ष तक के निरोगी स्त्री-पुरुष रक्त दान कर सकते हैं। दुर्घटनाओं से परिपूर्ण वैज्ञानिक युग में रक्तदान, सर्वश्रेष्ठ दान माना जा रहा है। नेत्रदान करने से घबराना नहीं चाहिए क्योंकि मरणोपरांत ही आँखें निकालकर, अंधों को दी जाती हैं और वे देखने लगते हैं। बीमार के प्राण बचाने के लिए हम अपनी किडनी दान दे सकते हैं।
उत्तर :

  1. प्राचीन काल से लेकर अब तक कौन-कौन से दान प्रचलित हैं?
  2. किन लोगों को रक्तदान करना चाहिए?
  3. वैज्ञानिक युग में कौन-सा दान श्रेष्ठ है?
  4. दान करना भारतीय अपना परम धर्म क्यों मानते हैं?
  5. नेत्रदान करने से घबराने की जरूरत क्यों नहीं?

प्रश्न 4.
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों।

भारत में प्राचीन काल से दहेज प्रथा चली आ रही है। कन्या के माता-पिता अपनी क्षमता के अनुसार शादी के समय दहेज देते चले आए हैं। वर एवं कन्या के परिवारवालों में आपसी प्रेम था इसलिए वरवाले कन्यावालों से किसी प्रकार की माँग करने में संकोच करते थे।

परंतु पिछले 50 वर्षों से विवाह एक व्यापार बन गया है। इससे समाज दुखी है। लड़कीवाला लड़के की योग्यता के स्थान पर धन को ही सर्वस्व मानता है और वह बड़े अमीर परिवार में अपनी लड़की को देना चाहता है। लड़का लड़कियों को देखता है।

जिस लड़की के पास धन अधिक होता है, उसे चुन लेता है। उसकी योग्यता को नहीं देखता। आज लड़की के विवाह का मूल आधार धन बन गया है। जिस दिन लड़की का जन्म होता है, उसी दिन से माता-पिता को उसके विवाह की चिंता लग जाती है।

इस बुराई को दूर करने के लिए हमें मिलकर इस प्रथा का विरोध करना चाहिए। जो दहेज लेता है, उसके लिए ऐसा कानून बनना चाहिए कि दहेज लेनेवाले को चोरी, जुआ एवं हत्या आदि अपराध करनेवालों के समान देखा जाए और सामाजिक मंच पर उसे बेइज्जत किया जाए।

इस विषय पर मात्र बोलने एवं लिखने से अब काम नहीं चलेगा। हमें एक होकर इस प्रकार के विरोध में कदम बढ़ाने होंगे।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना गद्य आकलन

प्रश्न :
(1) भारत में प्राचीन काल में दहेज प्रथा का स्वरूप कैसा था?
(2) माता-पिता को लड़की के विवाह की चिंता कब से लग जाती है?
(3) आज लड़की के विवाह का मूल आधार क्या बन गया है?
(4) दहेज लेने वाले के साथ कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए?
(5) लड़की के विवाह का मूल आधार क्या बन गया है?

प्रश्न 5.
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों।
पवन पुत्र हनुमान, भीष्म पितामह, स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद जैसे बाल ब्रह्मचारियों ने भारत-भूमि को पावन किया है। संसार के प्राचीन ग्रंथ वेदों में लिखा है: “ब्रह्मचारी मृत्यु को जीत लेते हैं।” ‘ब्रह्म’ शब्द के अर्थ हैं ‘परमेश्वर, विद्या और शरीर-रक्षण। ब्रह्मचर्य के पालन से शरीर स्वस्थ होता है।

जिसका शरीर स्वस्थ उसीका मन स्वस्थ, जिसका मन स्वस्थ उसकी स्मरण-शक्ति बहुत होती है। स्मरण-शक्ति से आकलन शक्ति बढ़ती है । विद्यार्थी जीवन में आकलनशक्ति का अपना विशेष महत्त्व है। ब्रह्मचर्य विद्यार्थी जीवन की कमियाँ पूरी करता है।

प्राचीन भारतीय साहित्य में ब्रह्मचर्य की महिमा लिखी है। इसका पालन करनेवाला विद्यार्थी निरोगी, बुद्धिमान, संपत्तिशाली, महान बनता है। ब्रह्मचर्य की महिमा अपार है।

प्रश्न:
(1) कौन-कौन बाल ब्रह्मचारी थे?
(2) मृत्यु को कौन जीत सकते हैं?
(3) ‘ब्रह्म’ शब्द के कितने और कौन-कौन से अर्थ हैं?
(4) विद्यार्थी जीवन में किसका विशेष महत्त्व है?
(5) ब्रह्मचर्य पालन करने वाला विद्यार्थी कैसा होता है?

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स्वाध्याय

निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक वाक्य में हों –

(1) हँसने का एक सामाजिक पक्ष भी होता है। हँसकर हम लोगों को अपने निकट ला सकते हैं और व्यंग्य उन्हें दूरस्थ बना देते हैं। जिसको भगाना हो उसकी थोड़ी देर हँसी खिल्ली उड़ाइए, वह तुरंत बोरिया-बिस्तर गोल कर पलायन करेगा। जितनी मुक्त हँसी होगी, उतना समीप व्यक्ति खींचेगा इसीलिए तो श्रोताओं की सहानुभूति अपनी ओर खींचने के लिए चतुर वक्ता अपना भाषण किसी रोचक कहानी या घटना से आरंभ करते हैं।

जनता यदि हँसी तो चंगुल में फँसी। सामाजिक मूल्यों और नियमों को मान्यता दिलाने और रूढ़ियों को निष्कासित करने में पुलिस या कानून सहायता नहीं करता, किन्तु वहाँ हास्य का चाबुक अचूक बैठता है। हास्य के कोड़े, उपहास-डंक और व्यंग्य-बाण मारकर आदमी को रास्ते पर लाया जा सकता है। इस प्रकार गुमराह बने समाज की रक्षा की जा सकती है।

(2) किसी भी देश या काल के लिए जवान तथा शिक्षक दोनों ही महत्त्वपूर्ण हैं। किसी एक के बिना समाज सुरक्षित नहीं रह सकता। दोनों ही समाज के रक्षक हैं, किन्तु कार्यों में भिन्नता दिखाई पड़ती है। एक शत्रु से रक्षा करता है तो दूसरा उसे (देश को) समृद्ध बनाता है।

फिर भी शिक्षक का उत्तरदायित्व जवान से कहीं बढ़कर है। भावी नागरिक निर्माण करने की जिम्मेदारी शिक्षक के ऊपर है। वह उसके शारीरिक, मानसिक तथा नैतिक विकास का जनक है, जिस पर व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र निर्भर है। शिक्षक के ही द्वारा कोई योग्य सैनिक बन सकता है।

आज शिक्षक ने सैनिक धाराओं में क्रांति पैदा कर दी है। हमारे अहिंसक आंदोलन ने दुनिया को दिखा दिया है कि शिक्षक सैनिक से श्रेष्ठ है। इसे बनावटी-शस्त्रों की जरूरत नहीं है। इसका आत्मिक बल सब शस्त्रों से बड़ा है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना गद्य आकलन

अगर आनेवाली दुनिया इसका अनुसरण करे तो शस्त्रीकरण का नामोनिशान भू-पृष्ठ से उठ जाएगा। नैतिक शक्ति का बोल-बाला होगा, सारी दुनिया में एकात्मता की लहर फैलेगी और तब ज्ञान-विज्ञान का निर्माण विकास के लिए होगा, न कि विनाश के लिए।

(3) समाजसुधार आंदोलन को निर्भीक संन्यासी स्वामी श्रद्धानंद से नई दिशा मिली। हरिजन समस्या के समाधान में कई स्थानों पर संघर्ष का भी सामना करना पड़ा। गुरुकुल काँगड़ी के छात्रवासों और भोजनालयों में बिना किसी भेदभाव के हर जाति के विद्यार्थी रहते और खाते-पीते थे।

स्वामी जी का कहना था – मनों से छुआछूत की भावना मिटाने में आवासीय शिक्षण संस्थाओं का अच्छा योगदान हो सकता है। चौबीसों घंटे एक साथ मिलकर जब रहेंगे, खेलेंगे, कूदेंगे और पढ़ेंगे, लिखेंगे तो कहाँ तक छूत-अछूत की दीवार खड़ी रह पाएगी।

आजादी के बाद भी यदि इसी रास्ते को पकड़ा गया होता तो मंजिल बहुत पहले तय हो जाती। आवासीय पद्धति पर आश्रित ऐसे गुरुकुल उन्होंने हरियाणा में झज्जर, इंद्रप्रस्थ और कुरूक्षेत्र, गुजरात में सोनगढ़ और सूपा में भी खोले। देहरादून का कन्या गुरुकुल भी उसी श्रृंखला की कड़ी है।

(4) यश और कीर्ति पैतृक संपत्ति नहीं है। जिसका सुख-भोग संतान कर सके। वास्तविक सम्मान और यश धन के द्वारा भी प्राप्त नहीं हो सकता। ये वे पदार्थ है जो घोर परिश्रम और स्वावलंबन द्वारा ही प्राप्त हो सकते हैं। ईश्वर का वरद हस्त भी उसी के शीश पर है जो स्वत: अपनी सहायता करता है।

यदि तुम अपना जीवन धन्य बनाना चाहते हो तो खड़े हो जाओ अपने पैरों पर और संसार में एक बार शक्ति से अपने कार्यो से सुख और शांति की धारा प्रवाहित कर दो। भाग्य की भाषा पढ़ने के फेरे में जो भी डूबा वह कभी भी ऊपर नहीं आ सकता। अत: यह निश्चित है कि तुम ही अपने भाग्य विधाता हो और जीवन निर्माण करने का संपूर्ण अधिकार भी तुम ही को है।

(5) संसार में कुछ भी असाध्य नहीं है। कुछ भी असम्भव नहीं है। असम्भव, असाध्य, कठिन आदि शब्द कायरों के लिए हैं।

नेपोलियन के लिए ये शब्द उसके कोष में नहीं थे। साहसी पतले बापू ने विश्व को चकित कर दिया। क्या बापू शरीर से शक्तिशाली थे? नहीं। वह तो पतली-सी एक लंगोटी पहने लकड़ी के सहारे चलते थे, परंतु विचार सशक्त थे, भावनाएँ शक्तिशाली थीं, उनके साहस को देखकर करोड़ो भारतीय उनके पीछे थे। ब्रिटिश साम्राज्य उनसे काँप गया। अहिंसा के सहारे बिना रक्त-पात के उन्होंने भारत को स्वतंत्र कराया। यह विश्व का एक अद्वितीय उदाहरण है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना गद्य आकलन

जब महात्मा गांधीजी ने अहिंसा का नारा लगाया तो लोग हँसते थे, कहते थे अहिंसा से कहीं ब्रिटिश साम्राज्य से टक्कर ली जा सकती है? परंतु वे डटे रहे, साहस नहीं छोड़ा, अंत में अहिंसा की ही विजय हुई। कहते हैं, अकेला चना क्या भाड़ फोड़ सकता है? हाँ, यदि उसमें साहस हो तो! साहसहीन के लिए सब कुछ असम्भव है। उससे अगर कहा जाए कि भाई जरा वह काम कर देना; तो वह तुरंत कहेगा, अरे! इतनी दूर!

पैदल, एक दिन में! नहीं भाई, मुझसे नहीं हो सकेगा, किसी और से करा लो। भला वह इस काम को कैसे करेगा? करने वाला दूरी और पैदल नहीं देखता! उसके मार्ग में चाहे पर्वत आकर खड़े हो जाएँ, आँधी आए या तूफान, उसको उनसे क्या वास्ता? उसको तो अपने लक्ष्य तक पहुँचना है, उसे कोई नहीं रोक सकता है। वह अपने लक्ष्य तक अवश्य पहुँच जाएगा। साहसी पुरुष दिन-रात नहीं देखा करते, आँधी तूफान, नदी-नाले, पहाड़-समुद्र नहीं देखा करते; वे तो केवल एक ही चीज देखा करते हैं कि उन्हें अपने लक्ष्य तक पहुँचना है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना अनुवाद लेखन

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest रचना अनुवाद लेखन Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi रचना अनुवाद लेखन

अनुवाद लेखन : किसी भाषा में कही या लिखी गई बात का किसी दूसरी भाषा में सार्थक परिवर्तन अनुवाद कहलाता है। अनुवाद एक कला है। अनुवाद करते समय शब्दों का ही केवल अनुवाद नहीं करना है वाक्य में जो भाव है उसके अनुसार शब्दों का चयन और क्रम रखकर मौलिक भाव को प्रस्तुत करना होता है। आपको अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद करने के लिए पूछा जाएगा।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना अनुवाद लेखन

उदा.
His dreams became true
अनुवाद – उसके सपने सच हुए।

निम्नलिखित वाक्यों का हिंदी में अनुवाद कीजिए

प्रश्न 1.
Mistakes are always forgivable, if one has the courage to admit them.
उत्तर:
गलतियाँ हमेशा क्षमा की जा सकती हैं, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो।

प्रश्न 2.
As you think, so shall you become.
उत्तर:
जैसा आप सोचते हैं, वैसा आप बन जाएँगे।

प्रश्न 3.
A quick temper will make a fool of you soon enough
उत्तर:
जल्दी गुस्सा करना जल्द ही आपको मूर्ख साबित कर देगा।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना अनुवाद लेखन

प्रश्न 4.
A man is great by deeds, not by birth.
उत्तर:
व्यक्ति जन्म से नहीं कर्म से महान होता है।

प्रश्न 5.
Success and failure are both part of life and both are not permanent.
उत्तर:
सफलता और असफलता दोनों जीवन के हिस्से हैं और दोनों स्थायी नहीं होते।

प्रश्न 6.
A person who never made a mistake never tried anything new.
उत्तर:
जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं की उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की।

प्रश्न 7.
Life should be great rather than long.
उत्तर:
जीवन लंबा होने की बजाय महान होना चाहिए।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना अनुवाद लेखन

प्रश्न 8.
Failure comes only when we forget our ideals and objectives and principles.
उत्तर:
असफलता तभी आती है जब हम अपने आदर्श, उद्देश्य और सिद्धांत भूल जाते हैं।

प्रश्न 9.
Health is the greatest gift, contentment the greatest wealth, faithfulness the best relationship.
उत्तर.
स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफादारी सबसे बड़ा संबंध है।

प्रश्न 10.
Never stop believing in hope because miracles happen everyday.
उत्तर:
उम्मीद पर विश्वास करना न छोड़ें क्योंकि चमत्कार हर दिन होते हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण काल परिवर्तन

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest व्याकरण काल परिवर्तन Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi व्याकरण काल परिवर्तन

काल परिवर्तन के लिए सबसे पहले क्रिया का जानना अनिवार्य है।
क्रिया : वाक्य में जिस शब्द से किसी कार्य का करना या होना ज्ञात होता है। उसे क्रिया कहते हैं।
जैसे : पढ़ना, लिखना, बोलना, कहना, सुनना, जानना आदि। क्रिया हमेशा काल से जुड़ी रहती है।
काल : काल क्रिया के उस रूपांतरण को कहते हैं जिससे कार्य का समय और उसके पूर्ण अथवा अपूर्ण अवस्था का बोध हो।
जैसे : राम खाता है, राम जाएगा, मोहन ने किताब पढ़ा आदि।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण काल परिवर्तन 1

काल के भेद : क्रिया के मुख्यत: तीन काल है।

  • वर्तमान काल
  • भूतकाल
  • भविष्यत् काल

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

  1. सामान्य वर्तमान काल (Simple Present Tense)
  2. अपूर्ण वर्तमान काल (Present Continuous Tense)
  3. पूर्ण वर्तमान काल (Present Perfect Tense)
  4. सामान्य भूतकाल (Simple Past Tense)
  5. अपूर्ण भूतकाल (Past Continuous Tense)
  6. पूर्ण भूतकाल (Past Perfect Tense)
  7. सामान्य भविष्यत् काल (Simple Future Tense)

विशेष : हिंदी में अपूर्ण और पूर्ण भविष्यत् काल नहीं होता है।

(1) सामान्य वर्तमान काल : सामान्य वर्तमान काल उसे कहते हैं जिसमें क्रिया के होने का बोध होता है। सामान्य वर्तमान काल में कर्ता के लिए ‘ने’ विभक्ति नहीं लगती। क्रिया कर्ता के लिंग-वचन के अनुसार होती है। यदि क्रिया के अंत में ता / ती / ते + है / हैं / हो / हूँ लगा हो तो वह वाक्य सामान्य वर्तमान काल का होता है।
जैसे –

  • मोनिका विद्यालय जाती है।
  • मैं चलता हूँ।
  • तुम बहुत सोते हो।
  • बच्चे खेलते हैं।

कभी-कभी है / हैं / हो / हूँ अपने आप में क्रिया होते हैं जो सामान्य वर्तमान काल में होते हैं। जैसे –

  • वह मेधावी छात्र है।
  • वे राजनीतिज्ञ हैं।
  • तुम बहुत शरारती हो।
  • मैं मूर्ख नहीं हूँ।

(2) अपूर्ण वर्तमान काल : क्रिया के जिस रूप से इस बात का बोध होता है कि कार्य वर्तमान में जारी है या हो रहा है वह अपूर्ण वर्तमान काल कहलाता हैं। जब क्रिया के साथ रहा / रही / रहे + है / हैं / हो / हूँ लगा हो तो वह वाक्य अपूर्ण वर्तमान काल का कहलाता है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

जैसे –

  • भीड़ जमा हो रही है।
  • लोग मतदान कर रहे हैं।
  • माँ खाना पका रही है।
  • मैं शहर जा रहा हूँ।
  • तुम किसे डाँट रहे हो?

(3) पूर्ण वर्तमान काल : क्रिया के जिस रूप से वर्तमान काल में कार्य के पूर्ण होने का ज्ञान होता है वह वाक्य पूर्ण वर्तमान काल कहलाता हैं।
प्राय: सामान्य भूतकाल के वाक्य में आगे है / हैं / हो / हूँ लगाकर पूर्ण वर्तमान काल बनाते हैं। क्रिया के साथ चुका / चुकी / चुके या / यी / ये / + है / हैं / हो / हूँ लगाकर भी पूर्ण वर्तमान काल बनाते हैं।

जैसे –

  • यह गीत लताजी ने गाया है।
  • माँ तीर्थ यात्रा पर गई है।
  • महात्मा गाँधी जी असहयोग आंदोलन का मार्ग सिखा गए हैं।
  • मैं सबकुछ जान चुका हूँ।
  • तुम कहाँ से आए हो?
  • अब सबकुछ खत्म हो चुका है।
  • सभी सदस्य खाना खा चुके हैं।

(4) सामान्य भूतकाल : क्रिया के जिस रूप से कार्य के बीते हुए समय में होने का बोध होता है वह सामान्य भूतकाल कहलाता है। इसमें प्राय: क्रिया का भूतकालिक रूप लगता है। लिंग, वचन के अनुसार क्रिया के मूल रूप में आ / ए / ई / ईं जोड़ने से सामान्य भूतकाल के रूप बनते हैं। जैसे – खाया, पढ़ा, सोया, विचारा, सोए, गाए, निकले, पूछे, नाची, चढ़ी, पाई, सोची आदि।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

उदाहरणार्थ :

  • रमा कार्यालय गई।
  • बच्चे परीक्षा देने गए।
  • इतने प्रयास पर भी बात नहीं बनी।

विशेष: कभी-कभी था / थी / थे भी जब क्रिया का रूप लेते हैं तो वाक्य सामान्य भूतकाल में होता है।

  • रानी लक्ष्मीबाई बहुत महान थीं।
  • वह एक शरारती छात्र था।
  • जनक जी सीता के पिता थे।

(5) अपूर्ण भूतकाल : क्रिया के जिस रूप से यह बोध हो कि कार्य भूतकाल में हो रहा था तो वह वाक्य अपूर्ण भूतकाल कहलाता है। इसमें प्राय: क्रिया के साथ रहा / रही / रहे + था / थी / थे लगाकर अपूर्ण भूतकाल बनाते हैं।
जैसे –

  • आजादी की लड़ाई चल रही थी।
  • सारे खिलाड़ी अच्छा खेल रहे थे।.
  • अरुण परीक्षा की तैयारी कर रहा था।

विशेष : यदि क्रिया के अंत में ता / ती / ते के साथ था / थी / थे लगा हो तो वाक्य अपूर्ण भूतकाल में होता है।
जैसे –

  • वह हमेशा पढता था।
  • उसे सबकी सेवा करनी पड़ती थी।
  • वे जंगल में घूमते थे।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

(6) पूर्ण भूतकाल : जिस वाक्य में क्रिया के बीते हुए समय में पूर्ण होने का आभास हो वह पूर्ण भूतकाल कहलाता है। सामान्य भूतकाल के आगे था / थी / थे लगाकर पूर्ण भूतकाल बनाते हैं। कभी-कभी क्रिया के साथ चुका / चुकी / चुके + या / ई / ए / या / + था / थी / थे लगाकर भी पूर्ण भूतकाल बनाते हैं।
जैसे –

  • मोहन पर्वतारोहण के लिए गया था।
  • माँ ने कई बार बेटे को समझाया था।
  • सारे छात्रों ने कहानी लिखी थी।
  • रमा खाना बना चुकी थी।
  • देव देश के लिए कई बार जेल जा चुका था।
  • पुलिस के जवान मोर्चे पर डॅट चुके थे।

(7) सामान्य भविष्यत्काल : इसमें क्रिया के भविष्य में होने का ज्ञान होता है। क्रिया के अंत में गा / गी / गे जोड़कर सामान्य भविष्यत काल बनाते हैं।
जैसे –

  • माँ तीर्थ यात्रा पर जाएगी।
  • वह खेल प्रतियोगिता में भाग लेगा।
  • इस खबर से सभी चौकन्ने हो जाएँगे।

विशेष : भविष्य में क्रिया की केवल सामान्य, संभाव्य तथा हेतु भविष्यत् अवस्थाएँ होती हैं। इसमें अपूर्ण और पूर्ण की बात नहीं होती है।

प्रश्न 1.
कोष्ठक की सूचना के अनुसार निम्न वाक्यों का काल परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिए :

(1) उषा की आँखों में हजारों दीप जल उठे। (सामान्य वर्तमानकाल)
उत्तर :
उषा की आँखों में हजारों दीप जल उठते हैं।

(2) दुकानदार ने रद्दी तौलकर किनारे रखी। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
दुकानदार रद्दी तौलकर किनारे रख रहा है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

(3) वे मुझे योगा के फायदे समझाते हैं। (पूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
उन्होंने मुझे योगा के फायदे समझाए हैं।

(4) मैं मनोरंजन के लिए टी. वी. ऑन करता हूँ। (सामान्य भूतकाल)
उत्तर :
मैंने मनोरंजन के लिए टी.वी. ऑन किया।

(5) चिल्ला-चिल्लाकर स्पीकर पर सूचना दी गई। (अपूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
चिल्ला-चिल्लाकर स्पीकर पर सूचना दी जा रही थी।

(6) वे सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को प्रमुखता देते हैं। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
उन्होंने सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को प्रमुखता दी थी।

(7) वहाँ एक बड़े पेड़ की छाँह में उन्होंने वास किया। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
वहाँ एक बड़े पेड़ की छाँह में वे वास करेंगे।

(8) तुमने यह कैसे जाना कि कोई वन है। (सामान्य वर्तमानकाल)
उत्तर :
तुम यह कैसे जानते हो कि कोई वन है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

(9) मछुवी रानी बनकर महल में घूम रही है। (अपूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
मछुवी रानी बनकर महल में घूम रही थी।

(10) मल्लिका ने देखा तो आँखें फटी रह गईं। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
मल्लिका देखेगी तो आँखें फटी रह जाएँगी।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण वाक्य शुद्धिकरण

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest व्याकरण वाक्य शुद्धिकरण Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi व्याकरण वाक्य शुद्धीकरण

वाक्य में लिंग, वचन, कारक तथा मानकवर्तनी की गलतियाँ सही करने हेतु यह प्रश्न पूछा जाता है। वाक्य में गलतियाँ ढूँढ़कर उन्हें सही करते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि अन्य गलतियाँ न करते हुए शुद्ध वाक्य ही लिखना है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण वाक्य शुद्धिकरण

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके फिर से लिखिए :

(1) घर पकवान के खुशबू में तरबतर था।
उत्तर :
घर पकवान की खुशबू से तरबतर था।

(2) बबन के आँखों में खुशी के आँसू छलक आएँ।
उत्तर :
बबन की आँखों में खुशी के आँसू छलक आए

(3) बबलू की नजर उन किताबों पे थी जो रद्दी में बेचा जा रहा था।
उत्तर :
बबलू की नजर उन किताबों पर थी जो रद्दी में बेची जा रही थी

(4) वह ने जगह बताकर मेरा हस्ताक्षर करवा लिया।
उत्तर :
उसने जगह बताकर मेरे हस्ताक्षर करवा लिए

(5) एक लम्बी कतार ने मेरा ध्यान आकर्शित कर लिया।
उत्तर :
एक लंबी कतार ने मेरा ध्यान आकर्षित कर लिया।

(6) व्यस्तता का यह आलम है कि आदमी सड़क पे चलते चलते फोन कर रहा है।
उत्तर :
व्यस्तता का यह आलम है कि आदमी सड़क पर चलते-चलते फोन कर रहा है।

(7) प्रेमचंद किसी अक धारा या वाद से बँध कर नहीं चले।
उत्तर :
प्रेमचंद किसी एक धारा या वाद में बँधकर नहीं चले।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण वाक्य शुद्धिकरण

(8) उनका मूल उद्देश समाज के क्रमिक विकास का दर्शन कराना है।
उत्तर :
उनका मूल उद्देश्य समाज के क्रमिक विकास के दर्शन कराना है।

(9) वह भयावने वन को तो मैं ने भी नहीं देखी।
उत्तर :
उस भयावने वन को तो मैंने भी नहीं देखा

(10) गुस्से से कही ग्यान हासिल होता है?
उत्तर :
गुस्से में कहीं ज्ञान हासिल होता है?

(11) दो नए पत्तों का जोड़ी आसमान के तरफ मुस्कराती हुई देख रही थी।
उत्तर :
दो नए पत्तों की जोड़ी आसमान की तरफ मुस्कराती हुई देख रही थी।

(12) तुम रोज उसी एक घाट पे क्यों जाता है?
उत्तर :
तुम रोज उसी एक घाट पर क्यों जाते हो?

(13) इच्चाओं की क्या कुछ सीमा है?
उत्तर :
इच्छाओं की क्या कोई सीमा है?

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण वाक्य शुद्धिकरण

(14) वह ने मछुवे को यह क्यों नहीं कहा।
उत्तर :
उसने मछुवे से यह क्यों नहीं कहा।

(15) वेणी प्रसाद भी उसी को जा मिला और स्कूल घर में ही उठवा लाए।
उत्तर :
वेणी प्रसाद भी उसी से जा मिला और स्कूल घर पर ही उठवा लाए।

(16) उन्होंने नारी के उध्दार के लिए अपना स्वर्वस्व न्यौछावर कर दिया था।
उत्तर :
उन्होंने नारी के उद्धार के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था।

(17) आज भी बच्चों को र्सिफ पाणी पिला कर सुलाना पड़ेगा।
उत्तर :
आज भी बच्चों को सिर्फ पानी पिलाकर सुलाना पड़ेगा।

(18) रेगिस्थान में बर्फ पड़ रहा है।
उत्तर :
रेगिस्तान में बर्फ पड़ रही है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण वाक्य शुद्धिकरण

(19) आप तो ठीक-ठाक काम-धंदेवाले लगते हो।
उत्तर :
आप तो ठीक-ठाक काम-धंधे वाले लगते हैं।

(20) हिन्दी में निपुणता प्राप्त व्यक्ति सफल हो सकती है।
उत्तर :
हिंदी में निपुणता प्राप्त व्यक्ति सफल हो सकता है।

(21) इंग्रजी से हिंदी अनुवादक की माँग तेजी से बडी।
उत्तर :
अंग्रेजी से हिंदी अनुवादक की माँग तेजी से बढ़ी

(22) कुछ महत्त्वपूर्ण घटना की जानकारी देने के लिए पर्लेख तैयार किए जाते हैं।
उत्तर :
कोई महत्त्वपूर्ण घटना की जानकारी देने के लिए प्रलेख तैयार किया जाता है।

(23) आज विश्वीकरण के युग में समाचार का बहोत महत्व है।
उत्तर :
आज वैश्वीकरण के युग में समाचार का बहुत महत्त्व है।

(24) मुद्रित शोधण के कई विशिष्ट संकेत होते हैं।
उत्तर :
मुद्रित शोधन के कुछ विशिष्ट संकेत होते हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण वाक्य शुद्धिकरण

(25) यह ध्यान रखे की घोड़दौड़ में खुदका घोड़ा सब के आगे रहे।
उत्तर :
यह ध्यान रखे कि घुडदौड़ में खुद का घोड़ा सबसे आगे रहे।

(26) इस क्शेत्र में रोजगार का विपुल औसर उपलब्द है।
उत्तर :
इस क्षेत्र में रोजगार के विपुल अवसर उपलब्ध हैं।

(27) कम्प्यूटर को तो ज्ञान के श्रोत के रूप में देख रहे हैं।
उत्तर :
कंप्यूटर को तो ज्ञान के स्त्रोत के रूप में देख रहे हैं।

(28) भारत में इंटरनेट का कार्य और महत्त्व निरन्तर वढ़ रहे हैं।
उत्तर :
भारत में इंटरनेट का कार्य और महत्त्व निरंतर बढ़ रहा है।

(29) जवाब में आपको एक ई-मेल आती है जिसमें एक ‘लिंक’ दिया जाता है।
उत्तर :
जवाब में आपको एक ई-मेल आता है जिसमें एक ‘लिंक’ दी जाती है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण वाक्य शुद्धिकरण

(30) उज्वल भविष्य के लिए सव को ई-अद्ययन का उपयोग करना चाहिए।
उत्तर :
उज्ज्वल भविष्य के लिए सभी को ई-अध्ययन का उपयोग करना चाहिए।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण अलंकार (शब्दालंकार)

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest व्याकरण अलंकार (शब्दालंकार) Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi व्याकरण अलंकार (शब्दालंकार)

अलंकार का अर्थ है – आभूषण, गहने, सजावट आदि। सुंदर वस्त्र, आभूषण जैसे मानव शरीर की शोभा बढ़ाते हैं वैसे ही काव्य में अलंकार काव्य की शोभा बढ़ाते हैं। शब्द और अर्थ के माध्यम से अलंकार कविता का आकर्षण बढ़ाते हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण अलंकार (शब्दालंकार)

अलंकार के भेद : अलंकार के मुख्य भेद तीन हैं।

  1. शब्दालंकार
  2. अर्थालंकार
  3. उभयालंकार

शब्दालंकार : जहाँ पर काव्य के सौंदर्य में शब्दों के माध्यम से वृद्धि होती है वहाँ शब्दालंकार होता है।
शब्दालंकार के भेद : शब्दालंकार के चार भेद हैं।

  1. अनुप्रास
  2. यमक
  3. श्लेष
  4. वक्रोक्ति

1. अनप्रास : जहाँ काव्य में किसी वर्ण की या अनेक वर्षों की दो या दो से अधिक बार आवृत्ति होती है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।
उदा. :
लाली मेरे लाल की जित देखो तित लाल।
लाली देखन मैं चली मैं भी हो गई लाल।।

– कबीर

मुदित महापति मंदिर आए।
सेवक सचिव सुमंत्रु बोलाए।।

– तुलसीदास

विमल वाणी ने वीणा ली
कमल कोमल कर में सप्रीत।

– जयशंकर प्रसाद

रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम।

– लक्ष्मणाचार्य

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण अलंकार (शब्दालंकार)

2. यमक : काव्य में किसी शब्द की आवृत्ति हो और हर बार उस शब्द का अर्थ भिन्न हो वहाँ यमक अलंकार होता है। काव्य का सौंदर्य बढ़ाने हेतु यहाँ शब्द की बार-बार आवृत्ति होती है।
उदा. :
तो पर बारों उरबसी, सुनि राधिके सुजान।
तू मोहन के उर बसी, हवै उरबसी समान।। – बिहारी

  • उरबसी = अप्सरा
  • उर्वशी उरबसी = हृदय में बसी हुई।

माला फेरत जग मुआ, गया न मन का फेर।
कर का मनका डारि के, मन का मनका फेर।। – कबीर

  • मन का = हृदय से
  • मनका = माला का मोती।

काली घटा का घमंड घटा, नभ मंडल तारक वृंद बुझे

  • घटा = बादलों का समूह,
  • घटा = कम हुआ।

जगती जगती की मूक प्यास
रूपसि, तेरा घन केश पाश। – महादेवी वर्मा

  • जगती = जाग जाती है।
  • जगती = जगत या संसार

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण अलंकार (शब्दालंकार)

3. श्लेष : श्लेष का शाब्दिक अर्थ है – मिलना अथवा चिपकना। जहाँ अनेकार्थक शब्दों के प्रयोग से चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ श्लेष अलंकार होता है। अर्थात एक ही शब्द के अनेक अर्थ होते हैं।

उदा. :
मधुबन की छाती को देखो,
सूखी कितनी इसकी कलियाँ – हरिवंशराय बच्चन

  • कलियाँ = फूल की कलियाँ
  • कलियाँ = यौवन से पहले की अवस्था

चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
सुबरन को ढूँढ़त फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।। – केशवदास

  • सुवरन = अच्छा वर्ण (शब्द) (कवि के लिए)
  • सुबरन = सुंदर रंग (व्यभिचारी के लिए)
  • सुबरन = स्वर्ण (चोर के लिए)

रो-रोकर, सिसक-सिखककर कहता मैं करूण कहानी
तुम सुमन नोचते, सुनते करते जानी अनजानी।

  • सुमन = सुंदर मन
  • सुमन = फूल

यह दीप अकेला स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता पर
इसको भी पंक्ति को दे दो – अज्ञेय

  • स्नेह = तैल
  • स्नेह = प्रेम

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण अलंकार (शब्दालंकार)

4. वक्रोक्ति : वक्रोक्ति शब्द वक्र + उक्ति से बना है जिसका सहज अर्थ है टेढ़ा कथन। वक्ता के कथन का श्रोता द्वारा अभिप्रेत आशय से भिन्न अर्थ लगाया जाता है। वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।
उदा. :
‘एक कबूतर देख हाथ में पूछा कहाँ अपर है?
कहाँ अपर कैसा? वह उड़ गया सपर है।’

यहाँ अपर का अर्थ दूसरा कबूतर के संबंध में पूछा गया था पर जवाब में अपर का अर्थ बिना पंख वाला लिया गया है।

पर्वतजा ! पशुपाल कहाँ है?
कमला ! जमुना तट ले धेनु।

पार्वती और लक्ष्मी में हास-परिहास हो रहा है। लक्ष्मी जी ने पूछा पशुपाल (पशुओं के स्वामी – शिव) कहाँ है? पार्वती जी ने परिहास करते हुए कहा यमुना नदी के तट पर गायों को चराने गए हैं (विष्णु जी का कृष्णावतार)

आने को मधुमास, न आएँगे प्रियतम !
आने को मधुमास, न आएँगे प्रियतम?

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण अलंकार (शब्दालंकार)

यहाँ प्रथम पंक्ति में प्रियतम के न आने की बात कही है तो द्वितीय पंक्ति में प्रश्नचिह्न लगाकर प्रियतम के अवश्य आने की (कैसे नहीं आएंगे, अवश्य आएँगे) बात कही है।