Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द

Hindi Lokvani 10th Std Digest Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द Textbook Questions and Answers

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

(१) असत्य विधान को सत्य करके लिखिए:

(क) लेखक को सुपरफास्ट ट्रेन के बजाय एक्सप्रेस से यात्रा करना ज्यादा पसंद नहीं है।
Answer:
लेखक को सुपरफास्ट ट्रेन के बजाय एक्सप्रेस से यात्रा करना ज्यादा पसंद है।

(ख) लेखक को पेटदर्द हो रहा था।
Answer:
लेखक को सिरदर्द हो रहा था।

(ग) लेखक को भागते वक्षों का साथ निभाने में कम मजा आता था।
Answer:
लेखक को भागते वृक्षों का साथ निभाने में बड़ा मजा आता था।

(घ) सभी सिरवालों को सिरदर्द होना अस्वाभाविक है ।
Answer:
सबको सिरदर्द होना स्वाभाविक है।

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(२) उत्तर लिखिए:

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 3
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 6

(३) पाठ में प्रयुक्त रेल विभाग से संबंधित शब्दों की सूची बनाइए:
Answer:

  1. शटिंग
  2. एट अप
  3. सेवन डाइन
  4. आउटर
  5. मेल
  6. बड़ी लाइन
  7. छोटी लाइन
  8. सिग्नल
  9. स्टेशन मास्टर

(४) कारण लिखिए:

Question 1.
कभी कभी ‘मेल’ को रोककर ‘माल’ को पास करना पड़ता है।
Answer:
क्योंकि मालगाड़ी में भरे माल के बिगड़ने का डर रहता है; जबकि मेल में बैठा आदमी बिगड़ता नहीं।

Question 2.
लेखक को सिरदर्द की गोली लेनी पड़ी।
Answer:
क्योंकि लेखक थककर चूर हो गए थे।

(५) दिए गए शब्दों से तद्धित तथा कृदंत शब्द बनाइए:

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 2
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 5

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अभिव्यक्ति

‘मेक इन इंडिया’ नीति पर अपने विचार लिखिए।
Answer:
‘मेक इन इंडिया’ यह नीति भारत सरकार द्वारा बनाई गई है। देशी और विदेशी कंपनियों द्वारा भारत में वस्तुओं का निर्माण हो इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए इस नीति की शुरूआत हुई है। भारत में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए इस योजना का शुभारंभ हुआ है। इसका उद्घाटन भारत के वर्तमान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा हुआ। हर वस्तु ‘भारत में बनाओ’ सभी को रोजगार उपलब्ध हो एवं भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हो, इस ध्येय को सामने रखकर यह नीति कार्यान्वित हुई। इस नीति की शुरुआत होने के बाद अगले साल भारत में विदेशी निवेश में उछाल देखने को मिला। भारत देश का विकास हो और वह विकसित देशों की सूची में आए. इन बातों को ध्यान में रखते हुए इस अभियान की शुरुआत हुई।

भाषा बिंदु

(१) निम्नलिखित वाक्यों के काल पहचानकर कोष्ठक में लिखिए:

Question 1.
उनकी वेशभूषा की ग्रामीणता तो और भी दृष्टि को उलझा लेती थी।
Answer:
अपूर्ण भूतकाल

Question 2.
किसी दूसरे माँगने वालों की ओर इस तरह शान से बढ़ा देंगे।
Answer:
सामान्य भविष्यकाल

Question 3.
कहाँ तक चल रहे हैं?
Answer:
अपूर्ण वर्तमानकाल

Question 4.
लोगों के बिल बनाते-बनाते अपना भी वेतन निकल आता है।
Answer:
सामान्य वर्तमानकाल

Question 5.
कल क्या खाया था?
Answer:
पूर्ण भूतकाल

Question 6.
बासी पूरी-कचौड़ी को उबलती कड़ाही में डालकर ताजा के नाम पर बेचते थे।
Answer:
अपूर्ण भूतकाल

Question 7.
तभी तीर की तरह शब्द उछलेगा।
Answer:
सामान्य भविष्यकाल

(२) सूचना के अनुसार काल परिवर्तन कीजिए:

Question 1.
किसी प्राकृतिक मनोरम दृश्य को देखना चाहता हूँ। (अपूर्ण भूतकाल)
Answer:
किसी प्राकृतिक मनोरम दृश्य को देखना चाह रहा था।

Question 2.
एक-दूसरे से जुदा होकर पूरे डिब्बे के चक्कर काटने लगेंगे। (सामान्य वर्तमानकाल)
Answer:
एक-दूसरे से जुदा होकर पूरे डिब्बे के चक्कर काटने लगते हैं।

Question 3.
मुझे अभिवादन का ध्यान आया। (पूर्ण भूतकाल)
Answer:
मुझे अभिवादन का ध्यान आया था।

Question 4.
मानो वे किसी हड़बड़ी में चलते-चलते कपड़े पहनकर आए हैं। (सामान्य भूतकाल)
Answer:
मानो वे किसी हड़बड़ी में चलते-चलते कपड़े पहनकर आए।

Question 5.
पानी अब निर्मल नहीं रहा है। (सामान्य भविष्यकाल)
Answer:
पानी अब निर्मल नहीं रहेगा।

Question 6.
मुझे देखते ही चाय हाजिर कर देती है। (पूर्ण वर्तमानकाल)
Answer:
मुझे देखते ही चाय हाजिर कर दी है।

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Question 7.
वह तुम्हें हमेशा बुरा-भला ही कहती है। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
Answer:
वह तुम्हें हमेशा बुरा-भला ही कह रही है।

उपयोजित लेखन

निम्नलिखित जानकारी के आधार पर विज्ञापन तैयार कीजिए:

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 1
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 4

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Hindi Lokvani 10th Std Textbook Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द Additional Important Questions and Answers

निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति अ (१): आकलन कृति

कृति पूर्ण कीजिए।

Question 1.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 20
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 7

संजाल पूर्ण कीजिए।

Question 1.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 21
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 8

गद्यांश पढ़कर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों

Question 1.
सौंदर्य
Answer:
कभी-कभी लेखक की दृष्टि नदी के किनारे क्या निहारना चाहती है?

Question 2.
रेल
Answer:
लेखक किससे यात्रा करते हैं?

कृति अ (२): शब्द संपदा

निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए।

  1. यात्रा
  2. नदी
  3. सौंदर्य
  4. डाली

Answer:

  1. सफर
  2. सरिता
  3. सुंदरता
  4. टहनी

अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।

Question 1.
प्रकृति से संबंधित –
Answer:
प्राकृतिक

Question 2.
मन को लुभाने वाला –
Answer:
मनोरम

Question 3.
गद्यांश में प्रयुक्त विलोम शब्द की जोड़ी ढूँढ़कर लिखिए।
Answer:
सूर्योदय – सूर्यास्त

Question 4.
गद्यांश में से विदेशी शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
Answer:
रेल

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दिए गए निर्देश के अनुसार परिवर्तन कीजिए।

Question 1.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 22
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 9

नीचे दिए हुए शब्द में उचित प्रत्यय लगाइए।

Question 1.
अंतरंग
Answer:
अंतरंगता

निम्नलिखित शब्दों के समोच्चारित भिन्नार्थक शब्द लिखिए।

  1. साथ
  2. गिर

Answer:

  1. सात
  2. घिर

कृति अ (३): अभिव्यक्ति

Question 1.
अपनी किसी रेलयात्रा का अनुभव अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
Answer:
जी हाँ, मैंने रेल से कई बार यात्रा की है। गर्मियों की छुट्टियों का आनंद लूटने के लिए मैं अपने मामा जी के गाँव जोधपुर गया था। मैं अपनी माता जी के साथ मुंबई से निकला था। जब हम मुंबई रेल स्थानक पर पहुँचे, उस वक्त रेल्वे प्लेटफार्म पर काफी भीड़ थी। सब लोग इधर-उधर भाग-दौड़ कर रहे थे। प्लेटफार्म पर कई दुकानें थीं। हमने रास्ते में पढ़ने के लिए कुछ पत्रिकाएँ खरीद लीं। थोड़ी देर बाद जोधपुर जाने वाली रेल आ गई और हम उसमें बैठ गए।

बीस मिनट के बाद रेल चल पड़ी। जैसे ही हम मुंबई से बाहर आए; वैसे ही दूर-दूर तक फैले हुए खेत और पर्वत देखकर हम आनंदविभोर हो गए। थोड़ी देर बाद घाटियाँ आई। रेल घाटियों से बहुत ही धीमी गति से जा रही थी। सर्वत्र शीतल हवा बह रही थी। वातावरण बड़ा ही खुशनुमा था। प्राकृतिक दृश्यों का मनोहारी रूप देखकर मेरा मन प्रफुल्लित हो गया। करीब चौदह घंटे रेल में बीताने के बाद हम जोधपुर पहुँच गए।

निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति आ (१): आकलन कृति

समझकर लिखिए।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 23
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 10

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उचित विकल्प चुनकर वाक्य पूर्ण कीजिए।

Question 1.
लेखक को मन मारकर सुरंग की पतली लकीर में से निकलने को बाध्य होना पड़ता है क्योंकि ……..
(अ) लेखक जिस बस से यात्रा कर रहे हैं; वह किसी जंगल में प्रवेश कर जाती है।
(आ) लेखक जिस रेल से यात्रा कर रहे है; वह किसी गुफा में प्रवेश कर जाती है।
(इ) लेखक जिस कार से यात्रा कर रहे है; वह किसी गुफा में प्रवेश कर जाती है।
Answer:
लेखक जिस रेल से यात्रा कर रहे है; वह किसी गुफा में प्रवेश कर जाती है।

कृति पूर्ण कीजिए।

Question 1.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 24
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 11

कृति आ (२): शब्द संपदा

निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखिए।

  1. गुफा
  2. नाज

Answer:

  1. कंदरा
  2. गर्व

अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।

Question 1.
जिसका अंत नहीं वह
Answer:
अनंत

Question 2.
जमीन के अंदर बना रास्ता
Answer:
सुरंग

विलोम शब्द लिखिए।

  1. धीमी x ……
  2. पसंद x …..
  3. उपेक्षा x …….

Answer:

  1. धीमी x तेज
  2. पसंद x नापसंद
  3. उपेक्षा x अपेक्षा

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नीचे दिए हुए शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।

Question 1.
उपेक्षा
Answer:
उदासीनता, तिरस्कार

वचन बदलिए।

  1. पत्नी
  2. साथी

Answer:

  1. पत्नियाँ
  2. साथी

लिंग बदलिए।

  1. साथी
  2. आदमी

Answer:

  1. साथिन
  2. औरत

कृति आ (३): स्वमत अभिव्यक्ति

Question 1.
यात्रा के समय सहयात्री से बात करते समय आप क्या अनुभव करते हैं? अपने विचार लिखिए।
Answer:
मैंने कई बार रेल व बस से यात्रा की है। यात्रा के दरम्यान कई लोगों से पहचान हो जाती है। यात्रा करते समय हम अपने अनुभवों को उनके साथ बाँटते हैं। उनके साथ घुल-मिलकर बातें करते हैं। मुझे यात्रा करते समय ऐसे कई लोग मिलें जिनके साथ मैंने अपने अनुभवों को बाँटा । जब मैं जबलपुर जा रहा था तब मुझे अधेड़ उम्र के सहयात्री रेल में मिले थे। वे बिल्कुल हमारी सामने वाली सीट पर बैठे थे।

वास्तव में वे एक प्रसिद्ध कवि थे। यात्रा के दरम्यान उन्होंने मुझे अपनी कविताओं से परिचित करवाया। उन्होंने हिंदी साहित्य के प्रति मेरी रूचि जगाई और मुझे पढ़ने के लिए प्रेरित किया। पाँच-छ: घंटे की उस आपसी वार्तालाप ने मेरे हृदय में पढ़ने की इच्छा का संचार किया। इस कारण मैं आज भी उन्हें मन ही मन याद करता हूँ।

निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति इ (१): आकलन कृति

गद्यांश पढ़कर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों –

Question 1.
दुनिया
Answer:
रेल की खिड़की से क्या देखने में मजा आता है?

Question 2.
यात्री
Answer:
रेल में सामने की सीट पर कौन बैठा होता है?

प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए।

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Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 12

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उतर लिखिए।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 26
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 33

कृति इ (२): शब्द संपदा

Question 1.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढकर लिखिए।
उतर:
देखत-देखते
एक-दूसरे
अभी-अभी

Question 2.
परिच्छेद में प्रयुक्त श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उतर:
उतर: उतर
कोई: कई
संपत्ति: संप्रति

वचन बदलिए।

  1. डिब्बे
  2. पन्ना

Answer:

  1. डिब्बा
  2. पन्ने

कृति इ (३): स्वमत अभिव्यक्ति

Question 1.
‘समाचारपत्र की आवश्यकता’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
Answer:
समाचारपत्र जीवन की आवश्यकता है। समाचारपत्र वैचारिक रूप से बहुत ही प्रभावशाली व शक्तिशाली होते हैं। समाचारपत्र हमें धर्म, समाज, खेल, रोजगार, अर्थव्यवस्था, फिल्म, उद्योग, नीति आदि के बारे में जानकारी देते हैं। यह हमें देश-विदेश के खबरों की जानकारी देते हैं। यह बच्चों के लिए भी उपयोगी है। बच्चों का मनोरंजन करने के साथ उन्हें कई प्रकार की रोचक जानकारी भी देता है।

इससे बच्चों के वाचन कौशल का विकास होता है। समाचारपत्र में तरहतरह के विज्ञापन प्रकाशित होते हैं। कोई भी सरकारी योजना हो; वह समाचारपत्र के द्वारा ही प्रकाशित होती है। व्यापार को समाचारपत्रों से ही प्रोत्साहन मिलता है। समाचारपत्र एक व्यक्ति, समाज व राष्ट्र को एकसूत्र में बाँधकर रखने का महत्त्वपूर्ण कार्य करते हैं।

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निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ई (१): आकलन कृति

समझकर लिखिए।

Question 1.
लेखक हबीबगंज उतरना चाहते हैं क्योंकि –
Answer:
वहाँ से तुलसीनगर पास पड़ता है।

निम्नलिखित गलत विधान सही करके लिखिए।

Question 1.
लेखक को भोपाल में स्थित अरोरा कॉलोनी जाना है।
Answer:
लेखक को भोपाल में स्थित तुलसीनगर जाना है।

Question 2.
हबीबगंज से तुलसीनगर जाने समय टेंपो मिल जाता है।
Answer:
हबीबगंज से तुलसीनगर जाते समय ऑटो मिल जाता है।

कृति पूर्ण कीजिए।

Question 1.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 27
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 14

संजाल पूर्ण कीजिए।

Question 1.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 28
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 15

कृति घ (२): शब्द संपदा

निम्नलिखित वाक्य में विराम चिह्नों का उचित प्रयोग कीजिए।

Question 1.
लेखक ने कहा टाइम बदल गया
Answer:
लेखक ने कहा, “टाइम बदल गया।”

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दिए गए निर्देशानुसार परिवर्तन कीजिए।

Question 1.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 29
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 16

गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए।

  1. बनाते
  2. पाँच

Answer:

  1. बनते
  2. सात

पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. गनीमत
  2. निश्चल

Answer:

  1. बड़ी बात
  2. स्थिर

कृति ई (३): स्वमत अभिव्यक्ति

Question 1.
सहयात्री का बातूनी व्यवहार आपके लिए परेशानी का सबब बनें तब आप क्या करेंगे? अपने विचार लिखिए।
Answer:
रेल या बस से यात्रा करते समय आपके पास कौन आकर बैठने वाला है, इसके बारे में आप को कुछ भी पता नहीं होता है। न आप उसके नाम से परिचित होते हैं और न उसके स्वभाव के बारे में आपको कुछ पता होता है। सहयात्री की कुछ आदतें हमारे लिए परेशानी का कारण बन सकती हैं। जैसे कि वह अपनी आदत के अनुसार ढेर सारे प्रश्न पूछकर आपको परेशान कर सकता है।

ऐसे में आप संयमपूर्वक अपने आप को नियंत्रण में रख सकते हैं। उसके द्वारा बार-बार पूछे गए प्रश्नों का हमें सिर्फ ‘हाँ’ या ‘नहीं’ में ही जबाव देना चाहिए। यदि हम उसके साथ विस्तार से बातें करेंगे, तो वह हमारे सफर का मजा किरकिरा कर सकता है। यदि हमें उसके द्वारा पूछा गया प्रश्न अच्छा नहीं लगा, तो ऐसे में चुप्पी साधकर बैठने में ही भलाई है।

सही विकल्प चुनकर लिखिए।

Question 1.
सारे रास्ते गाड़ियों के शटिंग की आवाज सुनाई देगी –
(अ) अगर ट्रेन में सहयात्री का साथ हो जाए।
(आ) अगर ट्रेन में रेलवे कर्मचारी का साथ हो जाए।
(इ) अगर ट्रेन में सिरफिरे व्यक्ति का साथ हो जाए।
Answer:
सारे रास्ते गाड़ियों के शटिंग की आवाज सुनाई देगी अगर ट्रेन में रेलवे कर्मचारी का साथ हो जाए।

कृति उ (२): शब्द संपदा

निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. अंदेशा
  2. शिकायत

Answer:

  1. शंका या संदेह
  2. उलाहना

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नीचे दिए हुए शब्द के अनेक अर्थ लिखिए।

Question 1.
मेल
Answer:
यात्रियों को लेकर जाने वाली रेल, संगणक के जरिए अन्य लोगों को भेजा जाने वाला संदेश, मिलाप।

Question 2.
गद्यांश में से विदेशी शब्द ढूँढकर लिखिए।
Answer:

  1. स्टेशन मास्टर
  2. शटिंग
  3. एट अप
  4. सेवन डाउन
  5. मेल
  6. रेलवे
  7. लाइन
  8. सिग्नल

निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।

  1. डर x …….
  2. पास x …..

Answer:

  1. डर x साहस
  2. पास x दूर

Question 1.
गद्यांश में से विलोम शब्दों की जोड़ियाँ ढूँढकर लिखिए।
Answer:
अप x डाउन.
छोटी x बड़ी

Question 2.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए।
Answer:
कैसे – कैसे
पूछते – पूछते

कृति उ (३): स्वमत अभिव्यक्ति

Question 1.
रेल गाड़ियों के आगमन एवं प्रस्थान संबंधी ‘पूछताछ विभाग’ एक महत्त्वपूर्ण विभाग होता है। – क्या आप इस कथन से सहमत हैं? अपने विचार लिखिए।
Answer:
जी हाँ, मैं इस कथन से सहमत हूँ। इस विभाग के जरिए यात्री गाड़ियों के परिचालन संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस विभाग के तहत यात्री मोबाइल टिकट सेवा, कोच का पंजीकरण, आरक्षित गाड़ी, अनुसूची, रेलवे की उपलब्धता, किराया पूछताछ आदि जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकता है। कभी-कभी निश्चित समय पर स्टेशन पर गाड़ी नहीं आती या कभी-कभी गाड़ी किसी कारणवश रद्द हो जाती है।

ऐसी स्थिति में पूछताछ विभाग के कर्मचारियों के द्वारा सूचना या जानकारी प्राप्त करके यात्री चैन की साँस ले सकते हैं। पूछताछ विभाग भी प्रत्येक यात्री के प्रश्न का उत्तर देकर यात्रियों को संतुष्टी प्रदान करता हैं। प्रश्न ६ (ए) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

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कृति ए (१): आकलन कृति

गोश पढ़कर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों

Question 1.
सहयात्री
Answer:
लेखक से आरक्षण के बारे ने किसने पूछा?

Question 2.
जनता
Answer:
भारतीय रेल किसकी संपत्ति है?

समझकर लिखिए।

Question 1.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 30
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 17

कृति कीजिए।

Question 1.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 31
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 18

कृति ए (२): शब्द संपदा

Question 1.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढकर लिखिए।
Answer:
अपने – अपने
इशारे – इशारे

निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।

  1. आरक्षण x …….
  2. सुरक्षित x ……..
  3. आगे x ………
  4. प्रवेश x …….

Answer:

  1. आरक्षण x अनारक्षण
  2. सुरक्षित x असुरक्षित
  3. आगे x पीछे
  4. प्रवेश x निकास

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वचन बदलिए।

  1. बत्तियाँ
  2. गोली

Answer:

  1. बत्ती
  2. गोलियाँ

निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. साँझ
  2. अजीब

Answer:

  1. शाम
  2. अनोखा

निम्नलिखित वाक्यों में उचित विरामचिह्न का प्रयोग कीजिए

Question 1.
रेल कंडक्टर ने कहा जब टिकिट है तो देखना क्या
Answer:
रेल कंडक्टर ने कहा, “जब टिकिट है तो देखना क्या?”

कृति ए (३): स्वमत अभिव्यक्ति

Question 1.
‘आजकल बिना आरक्षण के यात्रा करना सिरदर्द मोल लेना है।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
Answer:
आज का युग आपाधापी का युग है। इस युग में जनसंख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। लोग व्यापार एवं अन्य कार्य के लिए चारों ओर आते-जाते रहते हैं। इस कारण यातायात के सभी साधन हमेशा भीड़ से भरे होते हैं। रेल में तो चौंटी को भी पैर रखने के लिए जगह नहीं होती है। ऐसे में यदि हमें कभी शहर के बाहर यानी गाँव या पिकनिक मनाने के लिए परिवार के साथ जाना है तो हमें पहले से ही आरक्षण करवाना चाहिए।

इससे हमारा सफर सुरक्षित एवं सुखद होता है। आरक्षण होने से हमें रेल में आराम से सीट मिल जाती है। हमें किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता है। इसके विपरीत जो लोग आरक्षण नहीं करते हैं उन्हें ढेर सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि रेल या बस न मिलने के कारण वापस घर लौटना पड़ता है। इसलिए बिना आरक्षण के यात्रा करना सिरदर्द मोल लेना है।

गद्यांश पढ़कर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों –

Question 1.
सिरदर्द
Answer:
जिनके पेट में गैस होती है उन्हें क्या होता है?

Question 2.
रिएक्शन
Answer:
ऐसी-वैसी गोलियाँ खाने से क्या हो सकता हैं?

संजाल पूर्ण कीजिए।

Question 1.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 32
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 सफर का साथी और सिरदर्द 34

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कृति ऐ (२):शब्द संपदा

निम्नलिखित वाक्य में विराम चिह्नों का उचित प्रयोग कीजिए।

Question 1.
लेखक ने कहा भाई साहब मैं सिर दर्द से नहीं हमसफर यात्रियों के दर्द ए सिर से परेशान हूँ
Answer:
लेखक ने कहा, “भाई साहब! मैं सिर दर्द से नहीं, हमसफर यात्रियों के दर्द-ए-सिर से परेशान हूँ।”

Question 2.
दिए गए गद्यांश में से विदेशी शब्द ढूंढकर लिखिए।
Answer:
रिएक्शन
गैस

निम्नलिखित शब्द में उचित उपसर्ग लगाकर नए शब्द तैयार कीजिए।

  1. नाम
  2. परिवार

Answer:

  1. गुमनाम
  2. सपरिवार

Question 1.
गद्यांश में से प्रत्यय युक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
Answer:
ठेकेदार
परांठेवाला
स्वाभाविक
हमसफर

अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।

Question 1.
पिता संबंधी
Answer:
पैतृक

Question 2.
किसी काम का ठेका लेने वाला
Answer:
ठेकेदार

Question 3.
गद्यांश में से विलोम शब्द की जोड़ी ढूँढकर लिखिए।
Answer:
ताजा x बासी

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कृति ऐ (३): स्वमत अभिव्यक्ति

Question 1.
‘यात्रा करते समय किसी से भी अनावश्यक बातें करना उचित है?’ अपने विचार लिखिए।
Answer:
हमें अनावश्यक अथवा निरर्थक बातें कभी भी नहीं करनी चाहिए। व्यक्ति को सिर्फ अपने काम से काम रखते हुए मर्यादित बातें करनी चाहिए। जब हम यात्रा पर निकलते हैं तब रेल या बस में हमें कई सहयात्री मिल जाते हैं। हमें उनसे भी मर्यादित यानी आवश्यकता है तो ही बातें करनी चाहिए। संभव है, वे हमारी अनावश्यक बातें सुनकर ऊब सकते हैं या उन्हें हमारी बातें अच्छी न लगें। अनावश्यक बातें करने से दूसरों के सामने हमारी ही प्रतिमा दूषित होती है। अनावश्यक बातों को सुनकर सामने वाले व्यक्ति को सिरदर्द हो सकता है। इससे उसकी यात्रा का मजा किरकिरा भी हो सकता है।

सफर का साथी और सिरदर्द Summary in Hindi

सफर का साथी और सिरदर्द लेखक – परिचय

जीवन परिचय : रामनारायण उपाध्याय जी का जन्म २ मई, १९१८ में मध्य प्रदेश राज्य के कालमुखी खंडवा में हुआ था। भारत के स्वतंत्रतापूर्व से ही इन्होंने लघुकथाएँ लिखनी शुरू कर दी था। इनका साहित्य गाँधीवादी विचारधारा से बहुत प्रभावित रहा है। उपाध्याय जी एक प्रसिद्ध व्यंग्यकार भी थे। इन्होंने व्यंग्य, ललित निबंध, रिपोर्ताज, रूपक, संस्मरण आदि विधाओं में सरल सहज व प्रभावशाली शैली में लेखन किया है। हिंदी भाषा के साथ-साथ लोकभाषा तथा विभिन्न बोलियों के क्षेत्र में इन्होंने अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।

प्रमुख कृतियाँ : ‘बख्शीनामा’, धुंधले काँच की दीवार’, ‘नाक का सवाल’, ‘मुस्कराती फाइलें’ (व्यंग्यसंग्रह), ‘मृग के छौने’ (निबंध संग्रह), ‘हम तो बाबुल तेरे बाग की चिड़ियाँ’ (लोकसाहित्य), ‘जिन्हें भूल न सका’ (संस्मरण) आदि।

सफर का साथी और सिरदर्द गद्य-परिचय

हास्य-व्यंग्य : हास्य-व्यंग्य निबंध साहित्य की एक नई विधा है। इसमें उपहास, मजाक व इसी क्रम में आलोचना का प्रभाव रहता है। इस

निबंध : विधा के माध्यम से गंभीर से गंभीर विषयों पर हल्के-फुल्के ढंग से हास्य द्वारा पाठकों को सोचने पर विवश किया जाता है।

प्रस्तावना : ‘सफर का साथी और सिरदर्द’ इस हास्य व्यंग्यपरक निबंध में लेखक रामनारायण उपाध्याय जी ने रेलयात्रा करते समय यात्रा में आने वाली दिक्कतों से परिचित करवाया है। लेखक का कहना है कि हमें यात्रा करते समय दूसरे यात्रियों से अखबार जैसी कुछ भी चीजें नहीं माँगनी चाहिए और साथ ही हमें अनावश्यक बातें करने से बाज आना चाहिए।

सफर का साथी और सिरदर्द सारांश

यह एक हास्य-व्यंग्य निबंध है। इस निबंध में लेखक ने माँगकर अखबार पढ़नेवालों, अनावश्यक बातें करने वालों एवं बिन माँगे सलाह देने वालों पर करारा व्यंग्य किया है। लेखक को अकेले यात्रा करने में आनंद आता है। उनके अनुसार किसी के साथ यात्रा करना यानी यात्रा का मजा किरकिरा होने जैसा है। रेल से यात्रा करते समय खिड़की से बाहर झाँककर प्राकृतिक मनोरम दृश्यों को देखना, सूर्योदय व सूर्यास्त देखना लेखक को अच्छा लगता है। लेखक को सुपरफास्ट रेल की बजाय एक्सप्रेस से यात्रा करने में आनंद आता है; क्योंकि वह दूर से स्टेशन देखकर अपनी चाल धीमी कर देती है।

रेल में बैठे अन्य सहयात्रियों से लेखक परेशान हो जाता है। अन्य यात्री लेखक का अखबार माँगते हैं और वे लेखक से तरह-तरह की अनावश्यक बातें करना शुरू कर देते हैं। इनसे लेखक तंग आ जाता है और वह सिरदर्द की एक गोली खाकर लेटना चाहता है। लेखक के साथ सफर करने वाला एक सहयात्री लेखक को गोली खाते हुए देख लेता है और वह लेखक से ढेर सारे सवाल करना शुरू कर देता है, जिससे लेखक ऊब जाता है और वह सीधा-सा जवाब देते हुए कहता है कि जब वह घर से निकला था, तब भला-चंगा था लेकिन जब सहयात्रियों ने उनका सिर खाना शुरू कर दिया तबसे उनका सिरदर्द बढ़ गया। अंत में वह अपने परेशान होने का कारण बताते हुए कहते हैं कि “मैं सिर दर्द से नहीं हमसफर यात्रियों के दर्द-ए-सिर से परेशान हूँ।”

सफर का साथी और सिरदर्द शब्दार्द्ध

  • यात्रा – सफर
  • नदी – सरिता
  • सौंदर्य – सुंदरता
  • डाली – टहनी
  • नाज – गर्व
  • निश्चल – स्थिर
  • कंकरी – छोटा कंकड़
  • अंदेशा – आशंका
  • सुरंग – जमीन खोदकर उसके नीचे बनाया गया मार्ग
  • हिकारत – घृणा, नफरत
  • इबारत – लिखा हुआ, अक्षर विन्यास
  • बजा – उचित, ठीक
  • निरंतर – हमेशा
  • उच्चाकाश – ऊँचा आकाश
  • एकटक, निहारना – बिना फलक झपकाए देखना

सफर का साथी और सिरदर्द मुहावरे

  • नाक-भौं सिकोड़ना – अप्रसन्नता, घृणा प्रकट करना।
  • चौपट हो जाना – नष्ट होना, बरबाद होना।
  • मन मारना – इच्छा को दबाना।
  • चक्कर काटना – गोलाकार घूमना, फेरे लगाना।
  • बिना सिर-पैर की बात करना – निराधार बात करना, व्यर्थ की बात करना।

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 13 हिरवंगार झाडासारखं

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Marathi Solutions Aksharbharati Chapter 13 हिरवंगार झाडासारखं Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 13 हिरवंगार झाडासारखं

Marathi Aksharbharati Std 10 Digest Chapter 13 हिरवंगार झाडासारखं Textbook Questions and Answers

(१) चौकटी पूर्ण करा.
(अ) कवीने झाडाला दिलेली उपमा
(आ) पानझडीनंतरचे, नवी वस्त्रे धारण करणारे झाड म्हणजे
(इ) कवीच्या मते उत्साही आयुष्य म्हणजे
(ई) अलगद उतरणारे थेंब
उत्तरः
(उ) फुटते शरीरभर पालवी याचा अर्थ
(अ) कवीने झाडाला दिलेली उपमा – ध्यानस्थ ऋषी
(आ) पानझडीनंतरचे, नवी वस्त्रे धारण करणारे झाड म्हणजे – नवी नवरी
(इ) कवीच्या मते उत्साही आयुष्य म्हणजे – फुलासारखं टवटवीत
(ई) अलगद उतरणारे थेंब – दव।
(उ) फुटते शरीरभर पालवी याचा अर्थ – नवउत्साह

(२) आकृती पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 13 हिरवंगार झाडासारखं 5
उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 13 हिरवंगार झाडासारखं 4

(३) एका वाक्यात उत्तरे लिहा.
(अ) झाडाच्या जीवनाचं गाणं कशात दडलेलं असतं?

(आ) झाडाच्या मुळावर घाव घातल्यावर त्याची प्रतिक्रिया काय असते?
उत्तरः
ते घाव झाड मुकाट्याने सहन करते.

(४) ‘पानझडीनंतर’ हे उत्तर येईल असा प्रश्न तयार करा.
उत्तर:
झाड नवीन वस्त्र केव्हां धारण करते?

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 13 हिरवंगार झाडासारखं

(५) खालील ओळींचा तुम्हांला कळलेला अर्थ लिहा.

(अ) हसावं कसं सळसळत्या पानासारखं.
उत्तरः
झाडांच्या पानांची हवेने होणारी सळसळ विलक्षण असते.

सर्व दुःखे बाजूला ठेवून पानांच्या सळसळीसारखे हसले पाहिजे अशी कवीची भावना आहे. सळसळणारी पाने एकत्र असतात. त्याचप्रमाणे इतरांनाही हसण्यात सामील करून घेता आले पाहिजे. आनंदी जीवन जगण्यासाठी हे गुण अंगी बाणवावेत असा कवीने सुंदर संदेश दिला आहे. सळसळणारी पाने हवेमुळे, पक्ष्यांच्या मंजुळ गाण्यामुळे उत्साही असतात. असेच उत्साहाने, आनंदाने जीवनात हसत रहावे, प्रफुल्लित रहावे अशी कवीची भावना आहे.

(आ) जगावं कसं तर? हिरवंगार झाडासारखं.
उत्तर:
हिरवंगार झाडासारखं’ या कवितेत कवी ‘जॉर्ज लोपीस’ यांनी मानवाचे जीवन झाडाशी किती सुसंगत आहे याचे उत्तम दर्शन घडवले आहे. झाडाचे अनेक गुण जीवनात आचरण्यासारखे आहेत, हा उपयुक्त संदेश त्यांनी कवितेतून दिला आहे. जीवनात ‘मौन’ अनेकवेळा उपयुक्त असते. झाडही ऋषीसारखे मौन धरून तपश्चर्या करीत असते. ‘मौन’ धरून तपश्चर्या करणे हा झाडाचा गुण उपयुक्त ठरतो. झाड पक्ष्यांना आसरा देते, पण त्यांच्याकडून कोणतीही अपेक्षा ठेवीत नाही. मानवाने विना अपेक्षेने दुसऱ्यांना सहकार्य केले पाहिजे. झाडासारखे दातृत्व अंगी बाणले पाहिजे. झाड कितीही संकटे, वादळे आली तरी घट्ट पाय रोवून उभे असते. माणसानेही कठीण प्रसंगी न घाबरता घट्टपणे उभे राहून संकटांशी सामना केला पाहिजे. झाडाचा हिरवेगारपणा, प्रफुल्लितपणा, ताजेपणा बघून आयुष्यात प्रफुल्लित राहिले पाहिजे. नकारात्मकतेची मरगळ झटकून हिरवेगार झाडासारखे ताजेतवाने जगावे असे कवी म्हणतो. मुळावर घाव घातला तरी झाडाची सहनशीलता ढळत नाही. सहनशीलता हा गुण झाडाकडून घ्यावा. हिरव्यागार झाडासारखे अनेक गुणांना आत्मसात करून जगावे असा संदेश कवी देत आहे.

(६) काव्यसौंदर्य.

(अ) खालील ओळींचे रसग्रहण करा.
‘झाडांच्या पानावरून वहीच्या पानावर अलगद उतरतात दवांचे टपोरे थेंब’

(आ) ‘झाडाचे मानवी जीवनातील स्थान’, याविषयी तुमचे विचार लिहा.
उत्तरः
झाडांचे मानवी जीवनातील स्थान अतुलनीय आहे. संपूर्ण पर्यावरण झाडांवर अवलंबून आहे. निसर्गाचे संतुलन राखण्यात झाडे अग्रेसर आहेत. झाडांमुळे फळे, फुले, औषधे तर मिळतांतच; पण थकलेल्या जीवाला सावली मिळते. झाडांमुळे पाऊस पडतो. झाडे मानवी जीवनातील ‘श्वास’ च आहेत. त्यावाचून आपले जीवन जगणे अशक्य आहे.

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(इ) ‘झाडापासून आनंदी जगणे शिकावे’, या विधानातील विचार स्पष्ट करा.
उत्तरः
झाड कोणत्याही परिस्थितीत घट्ट पाय रोवून उभे असते. वाऱ्याच्या झुळूकीबरोबर पानांच्या सळसळाटीने हसते. पक्ष्यांच्या मंजुळ गाण्याबरोबर जीवनाचे गाणे गाते. आपल्या विशाल सावलीत मुसाफिरांना कवेत घेते. पावसाळ्यात हिरवेगार ताजेतवाने होऊन न्हाऊन निघते. पानझडीनंतर नव्या नवरीसारखा नवीन वेष धारण करते. दातृत्व हा झाडाचा मोठाच गुण आहे. फळे, फुले बहरली की झाडे ती दुसऱ्यांच्या पदरात दान करते. संपूर्ण आयुष्य हिरवगार होऊन जगते. अशाच प्रकारे माणसानेही सहनशीलता, सहकार्याची वृत्ती, कठीण प्रसंगातही घट्ट पाय रोवून ठेवण्याची वृत्ती जोपासली तर त्याचेही जीवन आनंदाने भरून जाईल.

Marathi Akshar Bharati Class 10 Textbook Solutions Chapter 13 हिरवंगार झाडासारखं Additional Important Questions and Answers

प्रश्न १.खालील कवितेच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा,
कृती १: आकलन कृती

(१) आकृतिबंध पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 13 हिरवंगार झाडासारखं 1

(iii) चौकटी पूर्ण करा.
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(२) खालील प्रश्नांची उत्तरे एका वाक्यात लिहा.
(i) झाड कोणासारखे बसते? उत्तरः झाड ध्यानस्थ ऋषीसारखे बसते.
(ii) झाड कोणाचे आहे? उत्तरः झाड पक्ष्यांचे आहे.
(iii) झाडांच्या जीवनाचे एक संथ गाणे कोठे दडले आहे?
उत्तरः
पक्ष्यांच्या मंजुळ नादात झाडांच्या जीवनाचे एक संथ गाणे दडले आहे.

(iv) झाडाच्या मुळावर घाव घातला तर झाड काय करते?
उत्तरः
झाडाच्या मुळावर घाव घातला तर झाड मुकाट सहन करते.

(३) कंसातील योग्य शब्द वापरून रिकाम्या जागा भरा.
(i) …………………………… झाडांचे कुणीच नसतात तरीही झाड त्याचं असतं. (प्राणी, माणसे, पक्षी, किटक)
(ii) झाडाकडे टक लावून पाहिलं तर …………………………… विरघळतो हिरवा रंग. (शरीरभर, जमिनीवर, पाण्यात, आकाशात)
(iii) पक्ष्यांच्या …………………………… नादात झाडाचंही जीवनाचं एक संथ गाणे दडलेले असते. (मधूर, गोड, मंजुळ, सुरेल)
उत्तर:
(i) पक्षी
(ii) शरीरभर
(iii) मंजुळ.

कृती २ : आकलन कृती

(१) उत्तरे लिहा.
(i) मुळावरचे घाव मुकाट सहन करते – [झाड]
(ii) वहीच्या पानावर अलगद उतरतात – [दवाचे थेंब]
(iii) सरसावलेले असतात – [झाडाचे बाहू]

(२) ‘पालवी’ उत्तर येईल असा प्रश्न तयार करा.
उत्तरः
शरीरभर काय फुटते?

(३) आकृतिबंध पूर्ण करा.
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Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 13 हिरवंगार झाडासारखं

(४) सहसंबंध लिहा.
(i) शरीरभर विरघळतो : हिरवा रंग : : क्षणभर रक्त : …………………………. .
(ii) हसावं कसं : सळसळत्या पानासारखं : : जगावं कसं तर? …………………………. .
उत्तर:
(i) हिरवेगार
(ii) हिरवंगार झाडासारखं

(५) काव्यपंक्तींचा योग्य क्रम लावा.
(i) हसावं कसं सळसळत्या पानासारखं
(ii) शरीरभर विरघळतो हिरवा रंग
(iii) झाडांच्या पानावरून वहीच्या पानावर अलगद उतरतात दवांचे टपोरे थेंब
(iv) रोजचं चिंतन करावं कसं तर झाडासारखं!
उत्तर:
(i) झाडांच्या पानावरून वहीच्या पानावर अलगद उतरतात दवांचे टपोरे थेंब
(ii) शरीरभर विरघळतो हिरवा रंग
(iii) हसावं कसं सळसळत्या पानासारखं
(iv) रोजचं चिंतन करावं कसं तर झाडासारखं!

(६) चूक की बरोबर ते लिहा.
(i) रक्त होते क्षणभर लालेलाल
(ii) जगावं कसं तर? हिरवंगार झाडासारखं
उत्तर:
(i) चूक
(ii) बरोबर

कृती ३: कवितेतील शब्दांचा अर्थ

(१) खालील कवितेतील शब्दांचा अर्थ लिहा.
(i) मुसाफिर
(ii) आयुष्य
(iii) खुडणे
(iv) टवटवीत
उत्तर:
(i) प्रवासी
(ii) जीवन
(iii) तोडणे
(iv) ताजे

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कृती ४: काव्यसौंदर्य

(१) पुढील ओळींचे अर्थसौंदर्य स्पष्ट करा.
(i) ‘झाडाचे बाहु सरसावलेले असतात मुसाफिरांना कवेत घेण्यासाठी’
उत्तरः
झाडाची सहकार्याची वृत्ती विलक्षण असते. परोपकाराची भावना त्यांच्या मनात सतत जागी असते. आपल्या सर्वदूर पसरलेल्या फांद्यांमुळे झाड कडक उन्हात वाटसरूंना गारेगार सावली देते त्यांचा थकवा दूर करतं. जणू आपले बाहू पसरवून हे झाड मुसाफिरांना म्हणजे वाटसरूंना आपल्या कवेत घेते, असे वाटते.

(ii) ‘पक्षी झाडांचे कुणीच नसतात तरीही झाड त्यांचं असतं
उत्तरः
पक्षी झाडांवर सतत येत असतात. घरटे बांधून राहतात.

काम झाले की, फळे चाखून, खाऊन पुन्हा दुसरीकडे उडून जातात. झाड त्यांना निवारा देते, अन्न देते. ऊन-पावसापासून रक्षण करते, पण जेव्हा झाडावर घाव घातले जातात, ते कापले जाते तेव्हां पक्षी स्वत:चाच विचार करून झाडावरून उडून जातात. परंतु, झाड मात्र हिरवेगार असताना येणाऱ्या पक्ष्यांना कधीही अडवत नाही, आश्रय नाकारत नाही. म्हणूनच पक्षी झाडांचे कुणीही नसून झाड त्यांचे असते असे कवी म्हणतात. पुढील काव्यपंक्तीतील तुम्हांला समजलेला विचार तुमच्या भाषेत स्पष्ट करा.

‘झाड बसते ध्यानस्थ ऋषिसारखं मौन व्रत धारण करून, तपश्चर्या करत……….
उत्तर:
झाड अचल असते. ते काहीही न बोलता एका ठिकाणी अढळ उभे असते. ऋषीमुनी जसे तपश्चर्येला ध्यान लावून बसतात. त्याचप्रमाणे झाडही मौन व्रतात उभे असते. बाह्य गोष्टींच्या सर्व परिणामांना ते बिना तक्रार सहन करत असते. पक्षी येतात जातात, झाडांच्या मुळांवरही कधी घाव बसतो. पानझड होते तरी झाड स्थिर व सहनशील असते. कठीण प्रसंगातही पाय
घट्ट रोवून ध्यानस्थ ऋषिसारखे शांत असते.

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(५) झाडासारखे घट्ट पाय रोवण्यासाठी माणसाने काय काय करावे स्पष्ट करा.
उत्तरः
घट्ट पाय रोवून उभे राहणे हा झाडाचा गुण आहे. माणसानेही कोणत्याही परिस्थितीला न घाबरता सामोरे जावे. संकटांशी सामना करावा, झाडांसारखी सहनशीलता शिकावी. झाड आपल्या मुळांवर घाव बसला तरी मुकाट्याने सहन करते. आयुष्यात किती ही संकटे आली तरी सहन करून त्यातून मार्ग काढता येणे गरजेचे आहे. नव्या उमेदीने पुन्हा नव्या पालवीसारखे प्रफुल्लीत राहायला शिकावे. झाडासारखे चिंतन करावे. झाडासारखे घट्ट पाय रोवून जीवनात मुरावे.

प्रश्न २. दिलेल्या मुद्यांच्या आधारे कवितेसंबंधी पुढील कृती सोडवाः

(१) प्रस्तुत कवितेचे कवी/कवयित्री:
जॉर्ज लोपीस

(२) प्रस्तुत कवितेचा विषयः
आनंदी जीवन जगण्यासाठी माणसाने झाडाचे सर्व गुण आपल्या अंगी बाणवावेत असा विचार मांडला आहे.

(३) प्रस्तुत कवितेतील दिलेल्या ओळींचा सरळ अर्थ: मुळावर घाव घातला तरी झाड मुकाट सहन करते झाडांच्या पानावरून वहीच्या पानावर अलगद उतरतात दवांचे टपोरे थेंब झाड छाया देते, निवारा देते, फळे-फुले सर्व काही इतरांना देते. परोपकार हा त्याचा गुणधर्मच आहे. निर्दयी मानव जेव्हा आपल्या फायद्यासाठी या झाडाच्या मुळावर घाव घालतो तेव्हा देखील झाड बिनतक्रार ते सहन करते. झाडांची कत्तल होत असताना झाडाच्या पानांवरील दवबिंदू घरंगळत जणू वहीतील शब्दांमध्ये डोकावतात व आपली करुण कहाणी शब्दांकीत करतात याचाच अर्थ असा की, झाडांपासून कागद, वह्या बनविल्या जातात आणि मग अशा वहिच्या पानावर कोणीतरी कवी, लेखक झाडाचे दुःख नेमक्या शब्दांत लिहून काढतो. जणू झाडाच्या शरीरावर बसलेल्या घावाचे रूपांतर दवांच्या टपोऱ्या थेंबात होते असे कवीला वाटते. कवीने झाडाचा सहनशील हा गुण येथे दर्शविला आहे.

(४) प्रस्तुत कवितेतून मिळणारा संदेशः
“हिरवंगार झाडासारखं’ या कवितेत झाडांची सहनशीलता, दातृत्व, सहकार्याची वृत्ती, कठीण प्रसंगातही घट्ट पाय रोवून उभे राहण्याची वृत्ती याचे वर्णन केले आहे. आनंदी जीवन जगण्यासाठी झाडांसारखे हिरवेगार, ताजे प्रफुल्लित राहावे असा संदेश दिला आहे. झाड ‘मौनव्रत’ धारण करून तपश्चर्या करते. ते निरपेक्षपणे दुसऱ्यांना सहकार्य करते. त्याच्याकडे दातृत्वाचा गुण असल्यामुळे आपल्याकडची फुले, फळे सर्वकाही ते इतरांना देते. संकटांशी सामना करते. नकारात्मकतेची मरगळ झटकून हिरवेगार ताजेतवाने राहते. मुळावर घाव घातला तरी त्याचा सहनशीलता हा गुण ढळत नाही. पानगळीने झाड खचत नाही तर वसंतऋतू येताच ते पुन्हा बहरते. नव्या नवरीसारखे सजते. त्यामुळेच हिरव्यागार झाडासारखे अनेक गुणांना आत्मसात करून आपण आनंदाने जगावे, असा संदेश या कवितेतून मिळतो.

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(५) प्रस्तुत कविता आवडण्याचे वा न आवडण्याचे कारणः
कवी जॉर्ज लोपीस यांची ‘हिरवंगार झाडासारखं’ ही कविता खूप आवडली आहे. त्याचे मुख्य कारण म्हणजे ‘जीवन जगण्याची कला शिकवणारे झाड’ हा या कवितेचा गाभा आहे. झाडांचे मानवी जीवनातील स्थान अतुलनीय आहे. झाडे हा मानवी जीवनाचा ‘श्वास’च आहेत. जॉर्ज लोपीस यांनी प्रत्येक ओळीत झाडाचा जगण्याशी संबंध जोडला आहे. झाडे आनंदी जीवनाचा आदर्शच आपल्यासमोर ठेवतात. कवितेत ठिकठिकाणी उदाहरणे देऊन कवीने ते मांडले आहे. कवितेतील प्रत्येक ओळीतून झाडाविषयी आपुलकीची, कृतज्ञतेची भावना मनात निर्माण होते. मनातील नैराश्य दूर करणारी व आशावादाची ज्योत पेटवणारी मन हिरवंगार करणारी ही कविता खरोखरच मनापर्यंत पोहोचते.

प्रस्तुत कवितेतील खालील शब्दांचा अर्थः
(i) झाड – वृक्ष
(ii) ऋषी – साधू, मुनी
(iii) व्रत – वसा
(iv) पक्षी – खग, विहंग

स्वाध्याय कृती

(३) खालील प्रश्नांची उत्तरे एका वाक्यात लिहा.
(i) झाडाच्या जीवनाचे गाणे कशात दडलेले आहे?
उत्तरः
झाडाच्या जीवनाचे गाणे पक्ष्यांच्या मंजुळ नादात दडले आहे.

काव्यसौंदर्य

(i) झाडाचे मानवी जीवनातील महत्त्वाचे स्थान या विधानाचा तुम्हाला कळलेला अर्थ स्पष्ट करा.
उत्तरः
झाडांचे मानवी जीवनातील स्थान अतुलनीय आहे. संपूर्ण पर्यावरण झाडांवर अवलंबून आहे. निसर्गाचे संतुलन राखण्यात झाडे अग्रेसर आहेत. झाडांमुळे फळे, फुले, औषधे तर मिळतांतच; पण थकलेल्या जीवाला सावली मिळते. झाडांमुळे पाऊस पडतो. झाडे मानवी जीवनातील ‘श्वास’ च आहेत. त्यावाचून आपले जीवन जगणे अशक्य आहे.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 13 हिरवंगार झाडासारखं

(ii) झाडापासून आनंदी जीवन जगणे शिकावे या विधानातील विचार स्पष्ट करा.
उत्तरः
झाड कोणत्याही परिस्थितीत घट्ट पाय रोवून उभे असते. वाऱ्याच्या झुळूकीबरोबर पानांच्या सळसळाटीने हसते. पक्ष्यांच्या मंजुळ गाण्याबरोबर जीवनाचे गाणे गाते. आपल्या विशाल सावलीत मुसाफिरांना कवेत घेते. पावसाळ्यात हिरवेगार ताजेतवाने होऊन न्हाऊन निघते. पानझडीनंतर नव्या नवरीसारखा नवीन वेष धारण करते. दातृत्व हा झाडाचा मोठाच गुण आहे. फळे, फुले बहरली की झाडे ती दुसऱ्यांच्या पदरात दान करते. संपूर्ण आयुष्य हिरवगार होऊन जगते. अशाच प्रकारे माणसानेही सहनशीलता, सहकार्याची वृत्ती, कठीण प्रसंगातही घट्ट पाय रोवून ठेवण्याची वृत्ती जोपासली तर त्याचेही जीवन आनंदाने भरून जाईल.

हिरवंगार झाडासारखं Summary in Marathi

हिरवंगार झाडासारखं काव्यपरिचय

‘हिरवंगार झाडासारखं’ ही कविता कवी ‘जॉर्ज लोपीस’ यांनी लिहिली आहे. या कवितेमध्ये झाडांची सहनशीलता, दातृत्व, सहकार्याची वृत्ती, कठीण प्रसंगातही घट्ट पाय रोवून उभे राहण्याची वृत्ती याचे वर्णन केले आहे. तसेच आनंदी जीवन जगण्यासाठी झाडांसारखे हिरवेगार ताजे, प्रफुल्लित राहावे असा संदेश दिला आहे.

हिरवंगार झाडासारखं Summary in English

This poem is written by George Lopis. In it, he speaks, at length, about the traits of a tree its patience, generosity, cooperation and resoluteness in difficult situations. Always be happy and evergreen like a tree. This is the message in this poem.

हिरवंगार झाडासारखं भावार्थ

झाड बसते ध्यानस्थ ऋषिसारखं मौन व्रत
धारण करून तपश्चर्या करत …

आनंदी जीवन जगण्यासाठी आपण झाडाचा आदर्श घ्यावा, असे कवी ‘जॉर्ज लोपीस’ आपल्याला पटवून देत आहेत. ते म्हणतात की, झाड अचल असते. ते एका ठिकाणी काहीही न बोलता अढळ उभे असते. ऋषीमुनी जसे तपश्चर्येला ध्यान लावून बसतात. त्याचप्रमाणे झाड देखील मौन व्रतात उभे असते. बाह्य गोष्टींच्या सर्व परिणामांना ते बिनतक्रार सहन करत असते. पक्षी येतात-जातात, झाडांच्या मुळांवरही कधी कधी घाव बसतात. पानझड होते तरी झाड स्थिर व सहनशील असते. कठीण प्रसंगातही पाय घट्ट रोवून ध्यानस्थ ऋषिसारखे शांत असते. आपणही तोच मार्ग अनुसरला पाहिजे.

पक्षी झाडांचे कुणीच नसतात
तरीही झाड त्यांचं असतं

पक्षी झाडांवर सतत येत असतात. घरटे बांधून राहतात. काम झाले की, फळे चाखून, खाऊन पुन्हा दुसरीकडे उडून जातात. झाड त्यांना निवारा देते, अन्न देते. ऊन-पावसापासून रक्षण करते; पण जेव्हा झाडावर घाव घातले जातात, ते कापले जाते तेव्हां पक्षी स्वत:चाच विचार करून झाडावरून उडून जातात. परंतु, झाड मात्र हिरवेगार असताना येणाऱ्या पक्ष्यांना कधीही अडवत नाही, आश्रय नाकारत नाही. म्हणूनच पक्षी झाडांचे कुणीही नसून झाड त्यांचे असते, असे कवी म्हणतात.

मुळावर घाव घातला तरी झाड मुकाट सहन करते
झाडांच्या पानावरून वहीच्या पानावर
अलगद उतरतात दवांचे टपोरे थेंब

झाडाचे कुणीच नसते, पण झाड मात्र सर्वांचे असते. झाड छाया देते, निवारा देते, फळे-फुले सर्व काही इतरांना देते. परोपकार हा त्याचा गुणधर्मच आहे. निर्दयी मानव जेव्हा आपल्या फायद्यासाठी या झाडाच्या मुळावर घाव घालतो तेव्हा देखील झाड बिनतक्रार ते सहन करते. झाडांची कत्तल होत असताना झाडाच्या पानांवरील दवबिंदू घरंगळत जणू वहीतील शब्दांमध्ये डोकावतात व आपली करुण कहाणी शब्दांकीत करतात याचाच अर्थ असा की, झाडांपासून कागद, वह्या बनविल्या जातात आणि मग अशा वहीच्या पानावर कोणीतरी कवी, लेखक झाडाचे दु:ख नेमक्या शब्दांत लिहून काढतो. जणू झाडाच्या शरीरावर बसलेल्या घावाचे रूपांतर दवांच्या टपोऱ्या थेंबात होते असे कवीला वाटते. कवीने झाडाचा सहनशील हा गुण येथे दर्शविला आहे.

झाडाकडे टक लावून पाहिलं तर
शरीरभर विरघळतो हिरवा रंग
रक्त होते क्षणभर हिरवेगार

आयुष्य होतं नुकत्याच खुडलेल्या फुलासारखं टवटवीत कोणतेही झाड असो ते प्रेरणादायी असते. आयुष्य होतं नुकत्याच खुडलेल्या फुलासारखं टवटवीत. पाना-फुलांनी बहरलेल्या हिरव्यागार झाडाकडे टक लावून पाहिले असता, झाडाची सहनशीलता, दुसऱ्यांना मदत करण्याची वृत्ती, त्याचे दातृत्व, कठीण प्रसंगातही घट्ट पाय रोवून उभे राहण्याची वृत्ती हे सारे गुण आपल्याला जाणवतात. तसेच कठोर क्षणी सुद्धा हे झाड आपला हिरवागार ताजेपणा कधी सोडत नाही, हे जाणून आपल्याला आनंद होतो. आपणही त्याच्यासारखे गुण स्वीकारावे असे वाटू लागते. जणू त्याचा हिरवा रंग आपल्या शरीरभर विरघळतो. तसेच क्षणभर आपले लाल रक्तही हिरवेगार झाल्यासारखे वाटते. म्हणजेच झाडांकडे पहिल्यावर त्यांच्यातला उत्साह आपल्यामध्ये भिनतो आणि आपले आयुष्य नुकत्याच खुडलेल्या फुलासारखे ताजे, टवटवीत होऊन जाते.

झाडाचे बाहु सरसावलेले असतात मुसाफिराना कवेत घेण्यासाठी

झाडाची सहकार्याची वृत्ती विलक्षण असते. परोपकाराची भावना त्यांच्या मनात सतत जागी असते. आपल्या सर्वदूर पसरलेल्या फांदयांमुळे झाड कडक उन्हात वाटसरूंना सावली देते त्यांचा थकवा दूर करते. जणू आपले बाहू पसरवून हे झाड मुसाफिरांना म्हणजे वाटसरूंना आपल्या कवेत घेते, असे वाटते.

पानझडीनंतर झाड पुन्हा नवीन वस्त्र धारण करतं
नव्या नवरीसारखं
झाडाला पालवी फुटल्यावर फुटते शरीरभर पालवी
अन झटकली जाते मरगळ

ऋतूनुसार झाडाच्या अवस्था बदलत जातात. पानझडीत म्हणजेच थंडीत, शिशिर ऋतूत झाडाची सगळी पाने गळून जातात. झाड पूर्ण रिकामे होते. तेव्हा ते एकटे असते तरी ते पुन्हा बहरते. वसंत ऋतूत झाडाला पुन्हा पालवी फुटते. कोवळी हिरवीगार पाने संपूर्ण झाडावर डोलायला लागतात. नव्या नवरीसारखे सजून झाड पुन्हा तजेलदार दिसू लागते. झाडाची ही प्रफुल्लितता पाहून, आपले मन शरीराचा सारा थकवा तसेच आलेली मरगळ झटकून टाकते. जणू आपल्या मनालाच नव्हे तर संपूर्ण शरीराला उत्साहाची पालवी फुटल्यासारखे वाटते.

पक्ष्यांच्या मंजुळ नादात झाडाचंही जीवनाचं
एक संथ गाणे दडलेले असते

कोणतेही झाड असो ते आपल्याच मस्तीत, धुंदीत जगत असते. बाहेरची परिस्थिती कशीही असो ते कधी तक्रार करत नाही. थंडी, ऊन, वारा, पाऊस यांचा सामना हसतमुखाने करत ते मौजेने जगत असते. त्याच्या आश्रयाला येणाऱ्या प्रत्येक प्राणी-पक्ष्यांना ते आनंदच देत असते. झाडावर बसणारे पक्षी आनंदाने झोके घेत मंजुळ गाणी गात असतात, किलबिलाट करत असतात. जणू त्या गाण्याचा आनंद घेत घेत हे झाड आपले जीवन मजेने, उत्साहाने जगत असते.

हसावं कसं सळसळत्या पानासारखं
मुळावं मुरावं कसं तर? झाडासारखं घट्ट पाय रोवीत
जगावं कसं तर? हिरवंगार झाडासारखं
रोजचं चिंतन करावं कसं तर झाडासारखं!

माणसाने झाडाकडून जगण्याच्या कला शिकून घेतल्या पाहिजेत, असे कवी म्हणतात. कोणतेही झाड असो ते वाऱ्याच्या झुळुकीबरोबर पानांच्या सळसळीने हसते. पक्ष्यांच्या मंजुळ गाण्याबरोबर जीवनाचे गाणे गाते, त्याचप्रमाणे आपणही सळसळत्या पानासारखं हसलं पाहिजे. झाड कोणत्याही परिस्थितीत घट्ट पाय रोवून उभे असते. त्याचप्रमाणे आपणही घट्ट पाय रोवून खंबीरपणे जीवनात मुरलं पाहिजे. तसेच येणाऱ्या संकटांचा खंबीरपणे सामना केला पाहिजे. पानगळ झाली तरी झाड खचून जात नाही. वसंतऋतू येताच कोवळी हिरवीगार पाने झाडाच्या अंगावर डोलू लागतात. जणू नव्या नवरीसारखे ते झाड सजते. त्याचप्रमाणे आयुष्यात कितीही संकटे आली तरी त्याचा सामना करून त्यातून मार्ग काढता आला पाहिजे. नव्या उमेदीने हिरव्यागार झाडासारखे प्रफुल्लित राहून जगले पाहिजे. शिवाय झाडासारखे रोजचे चिंतन करत आनंदी जीवन जगले पाहिजे,

हिरवंगार झाडासारखं शब्दार्थ

  • ध्यानस्थ – चिंतनात मग्न – (absorbed in meditation)
  • मौन – नि:शब्द – (state of being quiet silence)
  • व्रत – स्वत:ला लावून – oath
    घेतलेला विशिष्ट
    धार्मिक नियम,
    नेम.
  • धारण करणे – आचरणे – to apply
  • अलगद – हळूवारपणे – softly
  • विरघळणे – मिसळून जाणे – dissolve
  • खुडणे – तोडणे – to pluck
  • मुसाफिर – यात्री – traveller
  • कवेत – मिठीत – to embrace
  • पानझड – पानगळ – fall
  • मरगळ – थकवा – fatigue
  • नाद – आवाज – sound
  • मंजुळ – गोड – sweet voice
  • संथ – हळू – slow
  • सळसळ – पानांचा आवाज – rustling
  • मुरणे – अंगात भिनणे – absorb
  • चिंतन – मनन – meditation

हिरवंगार झाडासारखं वाक्प्रचार

  • मुळावर घाव घालणे – नष्ट करणे.
  • मुकाट सहन करणे – बिनतक्रार स्वीकारणे.
  • पाय रोवणे – तळ जमवणे, पकडून ठेवणे
  • मुक्काम ठोकणे
  • टक लावून पाहणे – एक सारखे बघणे; निरखणे.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 6 चुडीवाला

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Marathi Solutions Aksharbharati Chapter 6 चुडीवाला Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 6 चुडीवाला

Marathi Aksharbharati Std 10 Digest Chapter 6 चुडीवाला Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
खालील व्यक्तींच्या स्वभाववैशिष्ट्यांची तुलना करा.

अब्दुल  रघुभैया

उत्तरः

अब्दुल रघुभैया
(i) सामाजिक बांधिलकी सामाजिक बांधिलकीची मानणारा.
(ii) साऱ्यांच्या जीवनात आनंद आपल्याच विश्वात रममाण निर्माण करण्यासाठी असणारा.
(iii) संवेदनशील.
फारशी जाण नसलेला.
धडपडणारा.
संवेदनांशी फारसा संबंध नसलेला.

प्रश्न 2.
खालील विधानांमागील कारणे लिहा.
(अ) रस्त्यानं कोणी भेटलं तर सांगू नका तपोवनात जातो म्हणून,
उत्तरः
रस्त्यानं कोणी भेटलं तर सांगू नका तपोवनात जातो कारण त्याचा धंदयावर परिणाम होतो.

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(आ) आजचा दिवस म्हणजे त्यांच्यासाठी पर्वणीच.
उत्तर:
आजचा दिवस म्हणजे त्यांच्यासाठी पर्वणीच कारण या दिवशी अब्दुल त्यांच्यासाठी रंगीबेरंगी बांगड्या आणि त्यांना लागणाऱ्या इतर वस्तू घेऊन येत होता.

प्रश्न 3.
गुणविशेष लिहा.
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उत्तर:
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प्रश्न 4.
खालील वाक्यांतील अव्यये शोधा व त्यांचे प्रकार लिहा.

वाक्ये  अव्यये  प्रकार
(अ) अब्दुल जिल्हाधिकारी कचेरीजवळ आला.
(आ) तो एक आनंदाचा आणि चैतन्याचा दिवस.
(इ) बापरे! केवढी मोठी वसाहत.
(ई) रघुभैयाने चिठ्ठी भरभर वाचली.

प्रश्न 5.
विरामचिन्हे ओळखा व त्यांची नावे लिहा.

विरामचिन्हे नावे
(अ) “अरे, पण चिठ्ठी मराठीतून आहे.”
(आ) “अन्वर जेवला?”

उत्तर:

विरामचिन्हे नावे
(अ) “अरे, पण चिठ्ठी मराठीतून आहे.”
(आ) “अन्वर जेवला?”
दुहेरी अवतरण चिन्ह, पूर्ण विराम/स्वल्प विराम.
दुहेरी अवतरण, प्रश्नचिन्ह

प्रश्न 6.
खालील उदाहरणांचा अभ्यास करा व दोन्ही अलंकाराच्या रचनेतील फरक समजून घ्या. अशा उदाहरणांचा शोध घेऊन त्यांचा सराव करा.
अब्दुल हा तपोवनातील स्त्रियांना देवदूतासारखा वाटतो. (उपमा अलंकार)
अब्दुल हा तपोवनातील स्त्रियांसाठी जणू देवदूतच. (उत्प्रेक्षा अलंकार)

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प्रश्न 7.
स्वमत.
(अ) सत्यता पटवून दया- ‘अब्दुल एक थोर समाजसेवक’
उत्तर:
अब्दुल हा बांगड्या विकणारा अत्यंत संवेदनशील मनाचा गृहस्थ होता. तपोवनातल्या कुष्ठरोगी मुलींना व स्त्रियांना बांगड्या भरण्यासाठी तो जात असे. त्यासाठी त्याला त्याच्या धंदयात झळ सोसावी लागत असे. त्याचा रोजगार बुडत असे. पण आजाराने ग्रस्त स्त्रियांचा आनंद बघून त्याला समाधान वाटत होते. समाजऋण मानणारा आणि माणुसकीला जपणारा व दुसऱ्याच्या आनंदासाठी धडपडणारा असा हा अब्दुल खरा समाजसेवक होता.

(आ) शन्नूच्या वागण्यामागील तिचा विचार काय असावा, याविषयी तुमचे मत लिहा.
उत्तरः
इतर चार-चौघीसारखी शन्नू गृहिणी होती. आपला प्रपंच नीट चालावा, अब्दुलचा व्यवसाय वाढावा, इतरांप्रमाणे आपल्या घरातही दोन चांगल्या वस्तू असाव्यात अशी तिची अपेक्षा होती. म्हणून तपोवनात कुष्ठरोगी स्त्रियांना बांगड्या भरण्यासाठी जाणाऱ्या अब्दुलचा ती राग करत असे. तपोवनातील कुष्ठरोगाने पिडीत स्त्रियांना अब्दुल बांगड्या भरायला जातो हे जर कुणाला कळले तर इतर स्त्रिया बांगड्या भरण्यासाठी अब्दुलकडे येणार नाहीत व त्यांचा परिणाम व्यवसायावर होईल, अशी धास्ती शन्नूला वाटत होती म्हणून अब्दुल तपोवनात जातो हे कोणाला कळू नये यासाठी तिची धडपड सुरू असे. अत्यंत साध्या अपेक्षा असणारी ती सामान्य गृहिणी होती, अब्दुलची उदात्त वृत्ती, परोपकार, सेवाभाव यातलं तिला काही कळत नव्हते.

(इ) तंत्रज्ञानाची जोड देऊन अब्दुलचा मुलगा बांगड्यांचा व्यवसाय कसा वाढवू शकेल, याविषयी तुमचे विचार स्पष्ट करा.
उत्तरः
आधी त्याने मार्केटचा अभ्यास केला पाहिजे. आज कालच्या स्त्रिया, मुली कशा प्रकारच्या बांगड्या वापरतात, फॅशनचा ट्रेंड काय आहे हे जाणून घेतले पाहिजे. गुगल, यु ट्युब, वॉटस अॅप यातून त्याने या सगळ्यांची माहिती मिळवली पाहिजे. वरील सगळ्या माध्यमांद्वारे तो अत्यंत प्रभावीपणे त्यांच्याजवळ असलेल्या बांगड्यांची जाहिरात करु शकतो. ऑनलाईन व्यापार करू शकतो. अशा प्रकारे अब्दुलचा मुलगा आपला बांगड्यांचा व्यवसाय वाढवू शकतो.

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(ई) दुसऱ्याला मदत करण्यातला आनंद ज्या प्रसंगातून मिळू शकतो, असा प्रसंग लिहा.
उत्तरः
बस स्टॉपवर एक म्हातारी स्त्री उभी होती तिला ‘नानावटी’ हॉस्पिटलला जायचे होते. हॉस्पिटलपर्यंत थेट जाणारी बस नव्हती. रिक्षाला देण्यासाठी तिच्याकडे पैसे नव्हते. मी एक रिक्षा थांबवली तिच्या हातात शंभर रुपये दिले. रिक्षावाल्याला तिला नानावटी हॉस्पिटलला सोडायला सांगितले. तिच्या डोळ्यातला कृतज्ञभाव आजही आठवतो.

एकदा रस्त्याने जात असतांना फुटपाथवर संसार असलेल्या ठिकाणी एक बाळ खूप कळवळून रडत होतं. आजूबाजूला कोणी दिसेना. मी त्याच्या जवळ गेले त्याच्या अंगाखाली आणि आजुबाजुला बरंच पाणी साचलेलं होतं. मी हिम्मत केली त्याला तिथून उचलले. त्याच्या ठेवलेल्या वस्तूमधून एक कापड काढून त्याला कोरडं केलं, कापडात गुंडाळून त्याला कोरड्या जागेत ठेवणार तोच त्याची आई आली, मी तिच्या हातात मुलं दिलं आपलं रडणं थांबवून ते बाळ माझ्याकडे अगदी टुकूटुकू बघत होते. मला खूप छान वाटलं.

Marathi Akshar Bharati Class 10 Textbook Solutions Chapter 6 चुडीवाला Additional Important Questions and Answers

प्रश्न १. पुढील उतारा वाचून दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा,
कृती १ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
कृती पूर्ण करा.
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प्रश्न 2.
कारणे लिहा.
(i) स्वेटरमधून अब्दुलला चांगलीच थंडी जाणवत होती कारण …………………………..
उत्तर:
स्वेटरमधून अब्दुलला चांगलीच थंडी जाणवत होती कारण अब्दुलचा स्वेटर अनेक ठिकाणी उसवला होता.

(ii) लहान लहान मुलींनी एकदम गलका करायला सुरुवात केली कारण
उत्तर:
लहान लहान मुलींनी एकदम गलका करायला सुरुवात केली कारण अब्दुल त्यांच्यासाठी रंगीबेरंगी बांगड्या घेऊन आला होता.

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प्रश्न 3.
उताऱ्यानुसार घटनांचा क्रम लावा.
(i) बांगड्यांची पेटी आणि पिशवी सांभाळत अब्दुल बसमध्ये चढला.
(ii) अब्दुल खिडकीजवळ बसला.
(iii) पेटी अलगद उचलून त्याने आपल्या मांडीवर ठेवली.
(iv) अब्दुल बसस्टॉपवर आला.
उत्तर:
(i) अब्दुल बसस्टॉपवर आला.
(ii) बांगड्यांची पेटी आणि पिशवी सांभाळत अब्दुल बसमध्ये चढला.
(iii) अब्दुल खिडकीजवळ बसला.
(iv) पेटी अलगद उचलून त्याने आपल्या मांडीवर ठेवली.

प्रश्न 4.
एका वाक्यात उत्तरे लिहा.

(i) अब्दुलचे दुकान बंद असल्याने कोणाचा धंदा तेजीत चालणार होता?
उत्तरः
अब्दुलचे दुकान बंद असल्याने रघुभैयाचा धंदा तेजीत चालणार होता.

(ii) कोणाच्या डोळ्यांतला क्रोध अब्दुलच्या परिचयाचा होता?
उत्तरः
शन्नूच्या डोळ्यांतला क्रोध अब्दुलच्या परिचयाचा होता.

(iii) लहान लहान मुलींनी कोणाभोवती एकदम गलका करायला सुरुवात केली?
उत्तरः
लहान लहान मुलींनी अब्दुलभोवती गलका करायला सुरुवात केली.

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(iv) बस कोणत्या ठिकाणी रिकामी झाली?
उत्तर:
बस जिल्हाधिकारी कचेरीजवळ रिकामी झाली.

(v) अब्दुलने मफलर कानाला घट्ट का लपेटून घेतला?
उत्तर:
बस सुरू होताच थंडगार वाऱ्याचा झोत अब्दुलला त्रासदायक वाटू लागला होता, म्हणून अब्दुलने मफलर कानाला घट्ट लपेटून घेतला.

कृती २ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
उत्तरे लिहा.
(i) अब्दुलचा व्यवसाय → बांगड्या विकण्याचा
(ii) अब्दुल या ठिकाणी गेला → तपोवन

प्रश्न 2.
आकृतीबंध पूर्ण करा.
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प्रश्न 3.
कोण कोणास म्हणाले ते लिहा.
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प्रश्न 4.
चूक की बरोबर ते लिहा.
(i) शांतीवनाच्या त्या गोलाकार कमानीकडे अब्दुलचे लक्ष गेले.
(ii) संक्रांत असल्याने अब्दुलचा धंदा तेजीत चालला होता
(iii) बांगड्यांची पेटी आणि पिशवी सांभाळत अब्दुल बसमध्ये चढला.
(iv) थंडगार वाऱ्याचा झोत अधिकच मजेदार वाटू लागला.
उत्तरः
(i) चूक
(ii) चूक
(iii) बरोबर
(iv) चूक

कृती ३ : स्वमत

प्रश्न 1.
अब्दुलबद्दल माहिती लिहा.
उत्तरः
अब्दुलचा बांगड्या विकण्याचा व्यवसाय होता. अब्दुलचा व्यवसाय जेमतेमच चालत असावा असे वाटते. कारण त्याच्या अंगावरचा स्वेटर अनेक ठिकाणी उसवलेला होता. थंडी वाऱ्याची पर्वा न करता तो आपली बांगड्यांची पेटी आणि पिशवी घेऊन तपोवनातल्या मुलींना बांगड्या भरण्यासाठी निघाला होता. यावरून असे दिसते अब्दुल हा अत्यंत करूणाशील व दयाशील वृत्तीचा, समाजाचे मूल्य जपणारा होता.

प्रश्न 2.
तपोवनाकडे येताना व आल्यावर अब्दुलने कोणत्या गोष्टी अनुभवल्या ते तुमच्या शब्दांत लिहा.
उत्तरः
जिल्हाधिकारी कचेरीजवळ येताच बहुतेक सगळीच बस रिकामी झाली. तपोवनाकडे जाणारे कोणीही प्रवासी नव्हते. तपोवनात आल्यावर त्याचे लक्ष कमानीकडे गेले. जेमतेम हातभर असलेली वेल आता खूप फुलली होती. अब्दुलला गेटजवळ बघताच तपोवनातील सगळया मुलींनी एकदम गलका करायला सुरुवात केली.

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प्रश्न 3.
“रस्त्यानं कोणी भेटलं तर सांगू नका तपोवनात जातो म्हणून” शन्नूच्या या विधानामागचे कारण तुमच्या शब्दात लिहा.
उत्तरः
अब्दुल तपोवनात दर संक्रांतीला जात असे. तपोवन हे कुष्ठरोगी लोकांचे आश्रयस्थान होते. तेथील कुष्ठरोगाने पिडीत स्त्रियांना बांगड्या भरायला अब्दुल जातो, हे जर कुणाला कळले तर इतर स्त्रिया बांगड्या भरण्यासाठी अब्दुलकडे येणार नाहीत व त्याचा परिणाम व्यवसायावर होईल, अशी धास्ती शन्नूला वाटत होती. म्हणून वरील विधान अब्दुलला उद्देशून तिने म्हटले आहे.

प्रश्न २. पुढील उताऱ्याच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा.
कृती १ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
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प्रश्न 2.
एका वाक्यात उत्तरे लिहा.
(i) तपोवनातील स्त्रियांना अब्दुल कोणासारखा वाटे?
उत्तरः
तपोवनातील स्त्रियांना अब्दुल देवदूतासारखा वाटे.

(ii) अब्दुलला कोणती कला साधली होती?
उत्तरः
तपोवनातील स्त्रियांना बांगड्या भरण्याची कला अब्दुलला साधली होती.

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प्रश्न 3.
कंसातील योग्य शब्द वापरून रिकाम्या जागा भरा.
(i) आंब्याच्या झाडाखाली असलेल्या …………………………. अब्दुल बसला. (चबुतऱ्यावर, चौथऱ्यावर, दगडावर, पारावर)
(ii) साऱ्या …………………………. तो एक आनंदाचा आणि चैतन्याचा दिवस! (मधुबनातील, शांतिवनातील, तपोवनातील, तेजोवनातील)
(iii) प्रत्येकीला …………………………. बांगड्या भरायच्या होत्या. (प्रथम, आधी, रंगीबेरंगी, आवडीच्या)
उत्तर:
(i) चौथऱ्यावर
(ii) तपोवनातील
(iii) प्रथम

कृती २ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
कोण ते लिहा.
(i) चिठ्ठीतला मजकूर वाचून दाखवणारा – रघुभैया
(ii) अब्दुलला सत्काराचे निमंत्रण देणारे – दाजीसाहेब
(iii) संक्रांतीला आणि ज्येष्ठ पौर्णिमेला तपोवनात चुडीवाल्याची वाट पाहणाऱ्या – स्त्रिया

प्रश्न 2.
कारणे लिहा.
(i) चिट्ठीतला मजकूर वाचून अब्दुल आणि शन्नू यांना आनंद झाला कारण ………………………… .
उत्तर:
चिठ्ठीतला मजकूर वाचून अब्दुल आणि शन्नू यांना आनंद झाला कारण तपोवनात अब्दुलचा खास सत्कार होणार होता.

(ii) अब्दुलने रघुभैय्याला चिट्ठी वाचण्यास सांगितली कारण ………………………….
उत्तरः
अब्दुलने रघुभैय्याला चिठ्ठी वाचण्यास सांगितली कारण चिट्ठी मराठीतून होती.

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प्रश्न 3.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
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प्रश्न 4.
सहसंबंध लिहा.
(i) विलक्षण : समाधान : : खास : ………………………….
(ii) हातात : बांगड्या : : झाडाखाली : ………………………….
उत्तर:
(i) सत्कार
(ii) चौथरा

प्रश्न 5.
कोण कोणास म्हणाले ते लिहा.
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कृती ३ : स्वमत

प्रश्न 1.
तपोवनातील स्त्रिया व मुलींना अब्दुल देवदूतासारखा वाटे हे विधान तुमच्या शब्दांत स्पष्ट करा.
उत्तरः
तपोवनात कुष्ठरोगाने पिडित स्त्रिया आणि मुली राहत असत. या स्त्रिया व मुलींनाही इतर स्त्रियांसारखाच साज शृंगार करायला आवडत असे. त्या कुष्ठरोगासारख्या दुर्धर रोगाने ग्रस्त असल्यामुळे त्यांचा हात बांगड्या भरण्यासाठी कोणीही हातात घेणार नव्हते. त्यांचा स्पर्श म्हणजे रोगाला निमंत्रण अशी सर्वसाधारण समजूत; पण अब्दुल मात्र असल्या कोणत्याही गोष्टींचा विचार न करता त्यांच्या हातावरील व्रण, जखमा सांभाळून त्यांना हळूवारपणे बांगड्या भरत असे. हे काम तो वर्षातून दोनदा करत असे. रंगीबेरंगी बांगड्यांच्या रंगात त्या स्त्रिया काही काळ का होईना आपले दुःख विसरत असत.

आणि ही गोष्ट केवळ अब्दुलमुळे शक्य होत होती म्हणून अब्दुल त्यांना देवदूतासारखा वाटे.

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प्रश्न 2.
दाजीसाहेबांनी अब्दुलचा सत्कार का केला, सकारण लिहा.
उत्तरः
ज्या कुष्ठरोगी लोकांची सावली देखील लोकं टाळतात अशा कुष्ठरोगी स्त्रियांच्या हातात बांगड्या भरण्याचे काम अब्दुल अगदी निस्वार्थी भावनेने करायचा, त्यांच्या जीवनात आनंद फुलवायचा प्रसंगी व्यवसायात आपले नुकसान सोसून अविरतपणे तो हे काम करत होता. त्याच्या सेवाभावी वृत्तीचा व माणुसकीला जपणाऱ्या निर्मळ मनाच्या माणसाचा सत्कार झाला पाहिजे, त्याच्या कामाची पावती त्याला दिली पाहिजे या भावनेतून दाजीसाहेबांनी अब्दुलला सत्काराचे निमंत्रण दिले व त्याचा सत्कार केला.

प्रश्न 3.
‘इच्छा तिथे मार्ग’ – अब्दुलच्या उदाहरणावरून स्पष्ट करा.
उत्तरः
अनेक लोकांच्या मनात बऱ्याच इच्छा असतात. पण ते केवळ विचारच करत राहतात. हे नाही, ते नाही या सबबीखाली त्यांच्या इच्छेला किंवा विचाराला पूर्णत्व येत नाही. पण अब्दुलसारखा अगदी छोटा व्यावसायिक अत्यंत सामान्य आर्थिक परिस्थिती असलेला, आपल्याजवळ जे आहे जसं आहे त्यातून निस्वार्थीपणे सेवेचं व्रत साकारतो. कुष्ठरोगी स्त्रियांना बांगड्या भरण्याचं काम वर-वर अगदी साधं वाटत असलं तरी त्यामागे अब्दुलची उदात्त भावना, दुसऱ्याच्या आनंदासाठी झटण्याची वृत्ती दिसून येते. फार मोठा गाजा-वाजा, बडेजाव न करता अब्दुल हे काम अत्यंत सेवाभावी वृत्तीने करत होता. खरोखरच मनापासून काही करण्याची जर इच्छा असेल तर मार्ग नक्कीच मिळतो हे अब्दुलच्या उदाहरणावरून जाणवते.

प्रश्न 4.
अब्दुल तपोवनात गेल्यावर तिथले वातावरण कसे होत असे, तुमच्या शब्दांत लिहा.
उत्तरः
अब्दुल तपोवनात गेला की चुडीऽवाला आला, चुडीऽऽवाला आला असे म्हणत सगळ्या बायका-मुली त्याच्या भोवती जमत असत. प्रत्येकीला अब्दुलकडून आपल्याला हव्या असलेल्या वस्तू, रंगीबेरंगी बांगड्या हव्या असत. प्रत्येकीला प्रथम बांगड्या भरायच्या असत म्हणून अब्दुलच्या भोवती त्या गर्दी करत असत. त्यांचा आवाज, गडबड, गोंधळ यामुळे आनंदवनाचा परिसर गजबजून उठे. सगळया स्त्रियांमध्ये आनंद आणि चैतन्य पसरत असे. तो सगळा अनुभव म्हणजे अब्दुलसाठी अत्यंत समाधानाची गोष्ट होती.

प्रश्न ३. पुढील उताऱ्याच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा.
कृती १: आकलन कृती

प्रश्न 1.
ओघ तक्ता पूर्ण करा.
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प्रश्न 2.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
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प्रश्न 3.
कोण ते लिहा
(i) सेतूबंधन करणारा – राम
(ii) सेतूबंधनाला मदत करणारी – खार

प्रश्न 4.
उत्तरे लिहा
(i) संक्रात आणि जेष्ठ पौर्णिमेला हा प्रस्ताव समोर आला होता,
उत्तर:
तपोवनातील स्त्रिया व मुली यांना बांगड्या भरणे.

(ii) दाजीसाहेबांनी यांना विनंती केली होती.
उत्तर:
अनेक बांगडीवाल्यांना

कृती २ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
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प्रश्न 2.
एका वाक्यात उत्तरे लिहा.
(i) दाजीसाहेबांचे वय किती वर्षे होते?
उत्तरः
दाजीसाहेबांचे वय चौऱ्याऐंशी वर्षे होते.

(ii) अब्दुलने दाजीसाहेबांना कोणते आश्वासन दिले ?
उत्तरः
ज्येष्ठ पौर्णिमेला आणि संक्रांतीला तपोवनात बांगड्या भरण्यासाठी येण्याचे आश्वासन अब्दुलने दाजीसाहेबांना दिले.

प्रश्न 3.
कारणे लिहा.
सत्काराच्या ठिकाणी अब्दुल तसाच उभा राहिला; कारण ……………………………………….
(अ) बसायला जागा नव्हती.
(आ) पाहुण्यांबरोबर बसायला त्याला संकोच वाटला.
(इ) अब्दुलच्या मनात भिती होती.
(ई) अब्दुल घाबरला होता.
उत्तरः
सत्काराच्या ठिकाणी अब्दुल तसाच उभा राहिला; कारण पाहुण्यांबरोबर बसायला त्याला संकोच वाटला.

(ii) अब्दुल अतिशय भारावून गेला; कारण ………………………………
(अ) तपोवनातील स्त्रियांचे दुःख पाहून.
(आ) दाजीसाहेबांनी अब्दुलचा सत्कार केला.
(इ) तपोवनात काम करायला मिळाले म्हणून.
(ई) तपोवनातील आनंद पाहून.
उत्तर:
अब्दुल अतिशय भारावून गेला; कारण दाजीसाहेबांनी अब्दुलचा सत्कार केला.

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प्रश्न 4.
कंसातील योग्य पर्याय निवडून रिकाम्या जागा भरा.
(i) …………………………. सेतूबंधन केलं; पण त्यासाठी अनेकांचा हातभार लागला. (रामानं, हनुमानानं, लक्ष्मणानं, सीतेनं)
(ii) …………………………. त्यांच्याबरोबर बसायला संकोच वाटला (दाजीसाहेबांना, शन्नूला, रघुभैय्याला, अब्दुलला)
उत्तर:
(i) रामानं
(ii) अब्दुलला

प्रश्न 5.
सहसंबंध लिहा.
(i) आवाजातला : खणखणीतपणा : : बोलण्यातली : ………………………………
(ii) तेज : पुंज : चेहरा : : पांढरेस्वच्छ : ………………………………
उत्तर:
(i) ऐट
(ii) धोतर

कृती ३ : स्वमत

प्रश्न 1.
दाजीसाहेबांचे वर्णन तुमच्या शब्दांत लिहा.
उत्तरः
दाजीसाहेब चौऱ्याऐंशी वर्षांचे होते. पण तरीही खूप काटक होते. उंच सडसडीत देहयष्ठी, तेज:पुंज चेहरा, गौरवर्ण, पांढरेस्वच्छ धोतर ते नेसत असत. त्यांच्या आवाजात खणखणीतपणा होता आणि बोलण्यात ऐट होती. असे दाजीसाहेबांचे व्यक्तिमत्व होते.

प्रश्न 2.
दाजीसाहेबांच्या पोशाखाचे वर्णन करा,
उत्तरः
दाजीसाहेब पांढरे स्वच्छ धोतर परिधान करत असत. त्यावर बंद गळ्याचा कोट आणि डोक्याला उंच सडसडीत केशरी फेटा असा दाजीसाहेबांचा पोशाख असे. त्यांची शरीरयष्टी आणि पोशाख त्यामुळे ते खूप रुबाबदार दिसत.

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प्रश्न 3.
दाजीसाहेब आपल्या भाषणात अब्दुलबद्दल जे बोलले ते तुमच्या शब्दांत लिहा.
उत्तरः
दाजीसाहेब म्हणाले तपोवनासाठी मदत करणाऱ्या अनेक व्यक्ती सुदैवाने आम्हाला लाभल्या. संक्रांतीला आणि ज्येष्ठ पौर्णिमेला बांगड्या भरण्याचा प्रस्ताव अब्दुल मियांनी स्वत:हून स्विकारला. दरवर्षी अब्दुलमियाँ न चुकता येतात व येथील भगिनींच्या जीवनात आनंदाचा वर्षाव करतात. कुठल्याही मोबदल्याची अपेक्षा न करता अब्दुलमियाँ हे काम करतात. त्यांचे हे समाजकार्य, मानवसेवा खरोखरच फार मोठी आहे, अनमोल आहे, अशा शब्दांत दाजीसाहेबांनी अब्दुलच्या कार्याचा गौरव केला.

प्रश्न 4.
प्रत्येकाच्या छोट्या-छोट्या सहकार्यातून अनेक मोठी कामे होऊ शकतात. यावर तुमचे मत उदाहरणासह लिहा.
उत्तरः
दाजीसाहेबांना तपोवनासाठी काम करणारी, मदत करणारी माणसं मिळाली म्हणून एवढं काम ते चांगल्या प्रकारे करू शकले. एखाक्या चांगल्या कामासाठी प्रत्येकाने थोडासा जरी हातभार लावला तरी खूप मोठमोठी कामे पूर्णत्वास जाऊ शकतात. अगदी अलिकडचेच उदाहरण घ्यायचे झाले तर नाना पाटेकर व मकरंद अनासपुरे यांनी शेतकऱ्यांच्या मदतीसाठी सुरू केलेले ‘नाम’ फाऊंडेशन. यात अनेकांच्या सहकार्यामुळे शेतकऱ्यांना दिलासा मिळतो आहे. पाण्याच्या प्रश्नावर काम करणारे जलपुरुष ‘डॉ. राजेंद्रसिंह’ असोत किंवा अनाथांची आई झालेल्या ‘सिंधुताई सकपाळ’ असोत. या सगळ्यांच्या कामाला हातभार लावणारे, सहकार्य देणारे अनेक हात आहेत. सामाजिक सेतुबंधनाची मोठ मोठी कार्ये सहकार्यातूनच साकार होत असतात.

प्रश्न ४. पुढील उताऱ्याच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा.
कृती १ : आकलन कृती.

प्रश्न 1.
ओघतक्ता पूर्ण करा.
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प्रश्न 2.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
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प्रश्न 3.
कंसातील योग्य पर्याय निवडून रिकाम्या जागा भरा,
(i) अमरावतीहून आलेली निमंत्रित मंडळी ……………………………… जाणार होती. (रिक्षातून, सायकलवरून, मोटारीतून, चालत)
(ii) ……………………………… पुढचे बोलणे अब्दुलने ऐकलेच नाही. (शन्नूचे, रघुभैय्याचे, अन्वरचे, दाजीसाहेबांचे)
(iii) थाळीत चपाती आणि ……………………………… भाजी घेऊन तिने थाळी अब्दुलसमोर ठेवली. (मेथीची, भोपळ्याची, वांग्याची, कारल्याची)
उत्तर:
(i) मोटारीतून
(ii) शन्नूचे
(iii) वांग्याची

प्रश्न 4.
उताऱ्यानुसार घटनांचा क्रम लावा.
(i) अंबादेवीच्या चौकात मोटार थांबली.
(ii) दाजीसाहेबांनी अब्दुलला मोटारीत बसवले,
(iii) अब्दुल एखादया अपराध्यासारखा मान खाली घालून जेवू लागला.
(iv) अब्दुल येताच शन्नू उठली.
उत्तर:
(i) दाजीसाहेबांनी अब्दुलला मोटारीत बसवले.
(ii) अंबादेवीच्या चौकात मोटार थांबली.
(iii) अब्दुल येताच शन्नू उठली.
(iv) अब्दुल एखादया अपराध्यासारखा मान खाली घालून जेवू लागला.

कृती २: आकलन कृती

प्रश्न 1.
एका वाक्यात उत्तरे लिहा.
(i) मोटार कोणत्या चौकात थांबली?
उत्तरः
मोटार अंबादेवीच्या चौकात थांबली.

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(ii) शनू कोणत्या गोष्टींचा अब्दुलला नेहमी आग्रह करत होती?
उत्तरः
शन्नू अब्दुलला नवीन व्यवसाय करण्याचा आग्रह करत होती.

प्रश्न 2.
कारणे लिहा.
(i) अब्दुलला बांगड्यांचा व्यवसाय सोडवत नव्हता; कारण …………………………..
(अ) त्याच्या अब्बाजानपासून चालत आलेला व्यवसाय होता.
(आ) बांगड्यांचा धंदा खूप तेजीत होता.
(इ) तो व्यवसाय त्याला मनापासून आवडत होता.
(ई) तो खूप आळशी होता.
उत्तर:
अब्दुलला बांगड्यांचा व्यवसाय सोडवत नव्हता; कारण त्याच्या अब्बाजानपासून चालत आलेला व्यवसाय होता.

(ii) शनू नेहमी नाराज असे; कारण …………………………..
(अ) अब्दुलने तिला तपोवनात नेले नव्हते.
(आ) अन्वर जेवला नव्हता.
(इ) वारंवार सांगूनही अब्दुल व्यवसाय बदलत नव्हता.
(ई) अब्दुल तिच्यावर नेहमी ओरडायचा.
उत्तरः
शनू नेहमी नाराज असे; कारण वारंवार सांगूनही अब्दुल व्यवसाय बदलत नव्हता.

प्रश्न 3.
जोड्या जुळवा.
गट अ – गट ब
(i) अष्टमीचा चंद्र (अ) वातावरण
(ii) उदास चेहरा (आ) आकाश
(iii) दुकानाला रंग (इ) अब्दुल
(iv) अंतर्बाह्य प्रसन्न (ई) रघुभैय्याच्या
उत्तर:
(i- आ)
(ii – इ)
(iii – ई)
(iv – अ)

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प्रश्न 4.
चौकटी पूर्ण करा.
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प्रश्न 5.
कोण कोणास म्हणाले ते लिहा.
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प्रश्न 6.
सहसंबंध लिहा.
(i) उदास : चेहरा :: मेघरहित : …………………………..
(ii) अष्टमीचा : चंद्र :: बांगड्यांचा : …………………………..
उत्तर:
(i) आकाश
(ii) धंदा

कृती ३: स्वमत

प्रश्न 1.
अब्दुलची जेवणावरची इच्छा मरून गेली! तुमच्या शब्दांत लिहा.
उत्तरः
अब्दुल पुरस्कार स्वीकारून तपोवनातून घरी आला. शन्नोने त्याला जेवायला वाढले. पण शन्नू जेवली नव्हती हे त्याला कळले. अन्वर जेवला पण खिम्यासाठी रुसून बसला होता. हे शनूने अब्दुलला सांगितले. अब्दुलचा धंदा चांगला चालत नव्हता. आणि त्याला धंदा सोडवतही नव्हता. आपल्या मुलांची व बायकोची आपण नीट काळजी घेऊ शकत नाही. त्यांच्या साध्या-साध्या इच्छा आपण पूर्ण करू शकत नाही, म्हणून अब्दुल खूप उदास झाला. जेवणावरची त्याची वासनाच उडाली. त्याच्या तोंडातला घास तोंडातच घोळू लागला.

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प्रश्न 2.
शन्नू वारंवार कोणत्या गोष्टीचा आग्रह करत होती? का?
उत्तरः
अब्दुलचा बांगड्यांचा व्यवसाय होता. आधीच जेमतेम चालणारा व्यवसाय आणि नेमका सणाच्या दिवशी आपले दुकान बंद ठेवून अब्दुल तपोवनातल्या स्त्रियांना बांगड्या भरण्यासाठी जात असे. शन्नू वारंवार अब्दुलला दुसरा व्यवसाय करण्यास सांगत होती. अत्यंत अल्प उत्पन्नात संसाराचा गाडा चालवणं तिला कठीण जात होतं. तिच्या मुलाच्या साध्या साध्या इच्छा तिला पूर्ण करता येत नव्हत्या. म्हणूनच ती, अब्दुलला नवीन धंदा सुरू करायला सांगत होती.

प्रश्न 3.
अब्दुल मोटारीतून प्रवास करतांना त्याच्या मनातले विचार व वातावरणाचे वर्णन करा.
उत्तर:
मोटार धावत होती. अब्दुलच्या मनात विचार आला, शन्नूला आज आणायला हवे होते. तिची नाराजी दूर झाली असती. धावत्या मोटारीतून त्याने बाहेर नजर टाकली. आकाशात अष्टमीचा चंद्र हसत होता. आकाश मेघरहित निळ्या नितळाईने नटले होते. वातावरण अंतर्बाह्य प्रसन्न होते.

प्रश्न 4.
अब्दुलला नवीन धंदा का सुरू करता येत नव्हता?
उत्तरः
शन्नू वारंवार अब्दुलजवळ नवीन धंदा सुरू करण्याचा आग्रह धरत होती; पण अब्दुलला ते शक्य नव्हते. नवीन धंदयासाठी लागणारे भांडवल त्याच्याकडे नव्हते. शिवाय बांगड्या विकण्याच्या या व्यवसायाशी त्याचे भावनिक नाते होते. त्याच्या वडिलांनी सुरू केलेला हा व्यवसाय होता. म्हणून तो त्याला बंद करावासा वाटत नव्हता.

प्रश्न ५. पुढील उताराच्या आधारे दिलेला सूचनेनुसार कृती करा.
कृती १: आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
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प्रश्न 2.
उत्तरे लिहा.
(i) देवळात दोनचे टोले देणारा – पहारेकरी
(ii) गाढ झोपी गेलेला – अन्वर

प्रश्न 3.
पुढील घटनांचे परिणाम लिहा. घटना परिणाम
(i) तपोवन दाजीसाहेबांच्या धंदा करायला अब्दुलचं मन हाती राहिलं नाही हे लागत नाही. अब्दुलला कळलं.
(ii) सगळं काही विसरून अब्दुलचे मनोमन सुखावणे. स्त्रियांचे हसणे.

प्रश्न 4.
जोड्या जुळवा.
‘अ’ गट – ‘ब’ गट
(i) देऊळ (अ) हळवा
(ii) तपोवन (आ) पेटी
(iii) बांगड्या (इ) दाजीसाहेब
(iv) अब्दुल (ई) पहारेकरी
उत्तर:
(i – ई),
(ii – इ),
(iii – आ),
(iv – अ)

प्रश्न 5.
कंसातील योग्य शब्द वापरून रिकाम्या जागा भरा.
(i) अन्वर ………………………….. झोपला होता. (गाढ, गप्प, शांत, आनंदी)
(ii) एखादया वस्त्राचा एकाएकी रंग उडून जावा तशी त्याची एकाएकी ………………………….. उडून गेली. (इच्छा, जीवनेच्छा, आस, आसक्ती)
(iii) ………………………….. त्याला आवाज दिला. (शनूने, अन्वरने, दाजीसाहेबांनी, रघुभैय्याने)
उत्तर:
(i) गाढ
(ii) जीवनेच्छा
(iii) रघुभैय्याने

कृती २: आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
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प्रश्न 2.
कारणे लिहा.
(i) अब्दुलचं मन धंदयात लागत नव्हतं. कारण …………………………..
उत्तरः
अब्दुलचं मन धंदयात लागत नव्हतं कारण तपोवन दाजीसाहेबांच्या हाती राहिलं नव्हतं.

(ii) अब्दुलने पिशवीतील वस्तू बाहेर काढल्या कारण …………………………..
उत्तर:
अब्दुलने पिशवीतील वस्तू बाहेर काढल्या कारण त्या सगळ्या वस्तू तो संक्रांतीला तपोवनात नेणार होता.

प्रश्न 3.
खालील कृती पूर्ण करा.
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प्रश्न 4.
एका वाक्यात उत्तरे लिहा.
(i) अब्दुल हळवा का झाला?
उत्तर:
कष्टाने फुलवलेली कर्मभूमी सोडण्याच्या विचारानं दाजीसाहेबांना किती यातना होत असतील, या विचाराने अब्दुल हळवा झाला.

(ii) अब्दुल तपोवनात कोणत्या सणाच्या दिवशी जाणार होता?
उत्तर:
अब्दुल संक्रांतीला तपोवनात जाणार होता.

(iii) देवळातल्या पहारेकऱ्याने कितीचे टोल दिले?
उत्तर:
देवळातल्या पहारेकऱ्याने दोनचे टोल दिले.

(iv) अब्दुल वर्षातून किती वेळा दुसऱ्यासाठी जगण्यात त्या आनंदाचे सुख अनुभवायचा?
उत्तर:
अब्दुल वर्षातून फक्त दोनदाच दुसऱ्यासाठी जगण्यातल्या आनंदाचे सुख अनुभवायचा.

(v) साऱ्या वस्तूंकडे बघता बघता अब्दुलवर काय परिणाम झाला?
उत्तरः
साऱ्या वस्तूंकडे बघता-बघता अब्दुलचे डोळे पाण्याने काठोकाठ भरून आले.

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प्रश्न 5.
कोण कोणास म्हणाले ते लिहा.
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कृती ३ : स्वमत

प्रश्न 1.
त्या आनंदाचे सुख वर्षातून फक्त दोनदा अब्दुल अनुभवायचा. स्पष्ट करा.
उत्तर:
अब्दुलचा बांगड्या विकण्याचा व्यवसाय होता. वर्षातून दोनदा म्हणजे संक्रांतीला आणि ज्येष्ठ पौर्णिमेला अब्दुल तपोवनात जायचा. कुष्ठरोगाने पीडित स्त्रिया, मुली यांच्यासाठी तो टिकल्या, बांगड्या, पिना, आरसा, रिबिन, रुमाल अशा वस्तू घेऊन जायचा. अब्दुल तपोवनात जाताच तिथल्या सगळ्या बायका, मुलींना खूप आनंद व्हायचा. त्यांच्या हातात कौशल्यपूर्वक तो बांगड्या भरायचा. बांगड्यांच्या विविध रंगात क्षणभर का होईना त्या आपले दुःख विसरत, त्यांचा तो आनंद बघून अब्दुल मनोमन सुखावत असे. स्वत:साठी सारेच जगतात, पण दुसऱ्यासाठी जगण्यातला आनंद अब्दुल मिळवत होता.

प्रश्न 2.
एखाद्या वस्त्राचा एकाएकी रंग उडून जावा तशी त्याची जीवनेच्छा एकाएकी उडून गेली असे लेखिका का म्हणते?
उत्तरः
अब्दुल रंगीबेरंगी बांगड्या व इतर अनेक वस्तू घेऊन वर्षातून दोनदा तपोवनात जात असे. त्या रंगीबेरंगी बांगड्या म्हणजे तपोवनातल्या मुलींसाठी आणि स्त्रियांसाठी आनंददायी गोष्ट होती. बांगड्या भरण्याचा दिवस म्हणजे त्यांच्यासाठी चैतन्याचा आणि उत्साहाचा दिवस होता, आपलं सगळं दुःख विसरून बांगड्यांच्या रंगात त्या हरवून जात. हे सगळं बघून अब्दुल मनोमन सुखावत असे. दुसऱ्यासाठी जगण्यातल्या आनंदाचं सुख आता त्याला मिळणार नव्हतं, म्हणून तो खूप दुःखी झाला होता. कारण तपोवन आता राहणार नव्हतं. अब्दुलच्या जीवनातला आनंद संपला होता. त्यामुळेच एखादया वस्वाचा एकाएकी रंग उडून जावा तशी त्याची जीवनेच्छा एकाएकी उडून गेली, असे लेखिका म्हणते.

प्रश्न 3.
वरील परिच्छेदावरून अब्दुलचा स्वभाव विशेष लिहा.
उत्तरः
अब्दुल हा अत्यंत संवेदनशील वृत्तीचा गृहस्थ होता. स्वत:ची आर्थिक स्थिती चांगली नसतांना देखील तो आपल्या व्यवसायाची पर्वा न करता तपोवनात जात असे. तेथील मुलींना स्त्रियांना त्याच्या मनपसंत बांगड्या भरत असे. त्याला त्या मुलींचा, स्त्रियांचा आनंद बघून समाधान वाटत असे. यावरून असे दिसते की, दुसऱ्याला आनंद देण्यासाठी धडपडणारा, व माणुसकीला जपणारा असा अब्दुल होता. तपोवन आता राहणार नाही हे कळल्यावर तो खूप दुःखी झाला यावरून असे कळते की, तो आपल्यापेक्षा दुसऱ्यांच्या सुखाचा, आनंदाचा विचार करणारा परोपकारी वृत्तीचा होता. तो खूपच हळवा होता.

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स्वाध्याय कृती

प्रश्न 1.
शन्नूच्या वागण्यामागील तिचा विचार काय असावा, याविषयी तुमचे मत लिहा.
उत्तरः
इतर चार-चौघीसारखी शन्नू गृहिणी होती. आपला प्रपंच नीट चालावा, अब्दुलचा व्यवसाय वाढावा, इतरांप्रमाणे आपल्या घरातही दोन चांगल्या वस्तू असाव्यात अशी तिची अपेक्षा होती. म्हणून तपोवनात कुष्ठरोगी स्त्रियांना बांगड्या भरण्यासाठी जाणाऱ्या अब्दुलचा ती राग करत असे. तपोवनातील कुष्ठरोगाने पिडीत स्त्रियांना अब्दुल बांगड्या भरायला जातो हे जर कुणाला कळले तर इतर स्त्रिया बांगड्या भरण्यासाठी अब्दुलकडे येणार नाहीत व त्यांचा परिणाम व्यवसायावर होईल, अशी धास्ती शन्नूला वाटत होती म्हणून अब्दुल तपोवनात जातो हे कोणाला कळू नये यासाठी तिची धडपड सुरू असे. अत्यंत साध्या अपेक्षा असणारी ती सामान्य गृहिणी होती, अब्दुलची उदात्त वृत्ती, परोपकार, सेवाभाव यातलं तिला काही कळत नव्हते.

चुडीवाला शब्दार्थ‌ ‌

  • ‌उजळणी‌ ‌-‌ ‌सराव‌ ‌,‌ ‌शिकलेल्या‌ ‌भागाचा‌ ‌पुन्हा‌ ‌अभ्यास‌‌ – (revision)‌ ‌
  • चुडीवाला‌ ‌-‌ ‌बांगडीवाला‌ ‌-‌ ‌(bangle‌ ‌seller)‌ ‌
  • कुष्ठरोग‌ ‌-‌ ‌महारोग‌‌ – (leprosy)‌ ‌
  • वसाहत‌ ‌-‌ ‌वसतिस्थान‌‌ – (colony)‌ ‌
  • प्रस्ताव‌ ‌-‌ ‌ठराव‌‌ – (proposal)‌ ‌
  • संवेदनशील‌ ‌-‌ ‌भावनाशील‌ ‌-‌ ‌(sensitive)‌ ‌
  • वृत्ती‌ ‌-‌ ‌स्वभाव‌‌ – (nature)‌ ‌
  • पर्वणीच‌ ‌-‌ ‌सणाचा‌ ‌दिवस‌ ‌-‌ ‌(a‌ ‌festival)‌ ‌
  • उतारू‌ ‌-‌ ‌प्रवासी‌‌ – (passengers)‌ ‌
  • क्रोध‌ ‌-‌ ‌राग‌‌ – (anger)‌ ‌
  • चौथरा‌ -‌ ‌दगडी‌ ‌ओटा‌ ‌
  • कीव‌ ‌-‌ ‌करूणा‌ ‌-‌ ‌(mercy,‌ ‌pity)‌ ‌
  • मेघरहित‌ ‌-‌ ‌ढग‌ ‌नसलेले‌ ‌-‌ ‌(without‌ ‌clouds)‌ ‌
  • उसवलेला‌ ‌-‌ ‌शिवण‌ ‌सैल‌ ‌झालेला‌ ‌किंवा‌ ‌फाटलेला‌ ‌
  • जीवनेच्छा‌ ‌-‌ ‌जीवनातील‌ ‌इच्छा‌ ‌
  • वाऱ्याचा‌ ‌झोत‌ ‌-‌ ‌वाऱ्याची‌ ‌लाट‌ ‌-‌ ‌(a‌ ‌wave‌ ‌of‌ ‌air)‌ ‌
  • कमान‌ ‌-‌ ‌महिरप‌ ‌-‌ ‌(decorative‌ ‌half‌ ‌cirlce)‌ ‌
  • दिव्य‌ ‌-‌ ‌कसोटीचा‌ ‌प्रसंग‌ ‌/‌ ‌कठोर‌ ‌परीक्षा‌‌ -‌ ‌(an‌ ‌ordeal)‌ ‌
  • चैतन्य‌ ‌-‌ ‌जिवंतपणा‌ ‌-‌ ‌(liveliness)‌ ‌
  • देवदूत‌ ‌-‌ ‌देवाचा‌ ‌निरोप्या‌ ‌-‌ ‌(god’s‌ ‌messenger)‌ ‌
  • विलक्षण‌ ‌-‌ ‌वेगळे‌‌ -‌ ‌(uncommon)‌ ‌
  • समाधान‌ ‌-‌ ‌मनाचा‌ ‌संतोष,‌‌ – (satisfaction)‌ ‌
  • सत्कार‌ ‌-‌ ‌आदर‌‌ – (hospitality,‌ ‌respect)‌ ‌
  • संकोच‌ ‌-‌ ‌लाजणे‌ ‌-‌ ‌(to‌ ‌feel‌ ‌shy)‌‌
  • सडसडीत‌ ‌-‌ ‌उंच‌ ‌देखणा‌ ‌-‌ ‌(tall,‌ ‌slim‌ ‌and‌ ‌comely)‌ ‌
  • देहयष्टी‌ ‌-‌ ‌शरीराची‌ ‌ठेवण‌ ‌-‌ ‌(body‌ ‌structure)‌ ‌
  • तेजःपुंज‌ ‌-‌ ‌तेजस्वी‌‌ – (lustrous‌ ‌/‌ ‌brilliant)‌ ‌
  • ‌गौरवर्ण‌ ‌-‌ ‌गोरा‌ ‌रंग‌ ‌-‌ ‌(fair)‌‌
  • ‌रुबाब‌ ‌/दिमाख‌ ‌खार‌ ‌-‌ ‌एक‌ ‌चपळ‌ ‌प्राणी‌ ‌-‌ ‌(asquirrel)‌ ‌
  • आश्वासन‌ ‌-‌ ‌वचन/हमी‌ ‌-‌ ‌(promise)‌
  • ‌मोबदला‌ ‌-‌ ‌केलेल्या‌ ‌कामाचे‌ ‌वेतन‌‌ – (remuneration‌ ‌for‌ ‌the‌ ‌work‌ ‌done)‌ ‌
  • अनमोल‌ ‌-‌ ‌मौल्यवान,‌ ‌ज्याचे‌ ‌मूल्य‌ ‌होऊ‌ ‌शकत‌ ‌नाही‌ ‌असे‌‌ – (priceless)

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4.1 मोठे होत असलेल्या मुलांनो…

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Marathi Solutions Aksharbharati Chapter 4.1 मोठे होत असलेल्या मुलांनो… Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4.1 मोठे होत असलेल्या मुलांनो…

Marathi Aksharbharati Std 10 Digest Chapter 4.1 मोठे होत असलेल्या मुलांनो… Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
टिपा लिहा.

(अ) बार्क.
उत्तरः
‘बार्क’ हे ‘भाभा अॅटॉमिक रिसर्च सेंटर’ म्हणजे ‘भाभा अणुसंशोधन केंद्र’ या नावाचे लघुरूप आहे. डॉ. होमी भाभा यांनी भारतातील अणुसंशोधनाचा पाया घातला. त्यांची आठवण म्हणून त्यांचे नाव या संस्थेला दिलेले आहे. ही संस्था आता प्रचंड मोठी झालेली आहे. अणुसंशोधनाच्या क्षेत्रात कार्य करू पाहणाऱ्या अनेक नवीन मुलांना तिथे कार्य करण्याची संधी उपलब्ध करून दिली जाते. अनेक मुले इथल्या ट्रेनिंग स्कूलमध्ये संशोधन करत असतात. योग्य प्रशिक्षण घेऊन स्वत:ला सक्षम करून स्वत:चे मार्ग शोधून पुढे जातात, आपले उज्ज्वल भविष्य घडवत असतात.

(आ) डॉ. होमी भाभा.
उत्तरः
डॉ. होमी भाभा यांनी भारतातील अणुसंशोधनाचा पाया घातला. भारतातील अणुसंशोधन केंद्राला त्यांचेच नाव दिले आहे. ‘बार्क’ ही ‘भाभा अॅटॉमिक रिसर्च सेंटर’ म्हणजे ‘भाभा अणुसंशोधन केंद्र’ या नावाने ओळखली जाते. अनेक मुलेमुली इथल्या ट्रेनिंग स्कूलमध्ये संशोधन करत असतात. या शिक्षण घेणाऱ्या मुलांना भेटायला, त्यांना प्रोत्साहित करायला डॉ. होमी भाभा नेहमी तिथे येत असत. डॉ. होमी भाभा म्हणजे प्रचंड स्फूर्तिदायक असे व्यक्तिमत्त्व होते. लेखक स्वत: या ट्रेनिंग स्कूलमध्ये शिक्षण घेत असताना डॉ. भाभा तीन-चार वेळा स्वतः तिथे आले होते. त्यावेळी स्वत:ला सक्षम कसे करावे, ऊर्जा कशी मिळवावी, स्वत:च स्वत:चे मार्ग कसे शोधावेत यासाठीचे त्यांचे मार्गदर्शन लेखक डॉ. अनिल काकोडकर यांच्यासाठी फारच महत्त्वाचे ठरले होते.

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प्रश्न 2.
‘स्काय इज द लिमिट’ ही परिस्थिती केव्हा निर्माण होऊ शकते ते पाठाच्या आधारे लिहा.
उत्तरः
लेखक बार्क संस्थेत ट्रेनिंग स्कूलला गेले होते. तेव्हा ती संस्था सुरू होऊन जेमतेम सात वर्षे झाली होती. लेखक ट्रेनिंग स्कूलला असताना होमी भाभा तीन-चार वेळा तेथे आले होते. एकदा लेखकांनी त्यांना विचारलं, “आम्ही इतकी मुलं-मुली आहोत; पण सर्वांना पुरेल इतकं काम कुठे आहे इथे?” तेव्हा ते म्हणाले, “तुम्ही त्याची काळजी न करता सर्वजण संशोधन करा. त्यासाठी सरकारला किती खर्च येतो याचा आता विचार करू नका. तुम्ही स्वतःच काम निर्माण करा. बॉसने सांगितले तेवढचं काम करायचं आणि सांगितलं नसेल तर आपल्याला कामच नाही असं समजायचं, हे चूक आहे. ही प्रवृत्ती गेली पाहिजे.

भाभांनी सांगितलेल्या या मुद्द्यातून लेखकांनी स्वत:च स्वतःला सक्षम बनवले. त्यातूनच त्यांना ऊर्जा मिळवता आली आणि स्वत:चे मार्ग शोधता आले. यावरूनच लेखकांना कळले की आकाशाला कितीही मोठी पोकळी असली तरी आपण स्वतःचा मार्ग स्वत:च कोणाचाही आधार न घेता सततच्या प्रयत्नाने शोधला तर तोही मिळतोच. अशावेळी ‘स्काय इज द लिमीट’ अशी परिस्थिती निर्माण होऊ शकते.

प्रश्न 3.
मेटलायझिंग प्रक्रियेवर काम न होण्यामागची कारणे कोणती असावीत असे तुम्हांस वाटते?
उत्तरः
लेखक ट्रेनिंग स्कूलमधील प्रशिक्षण संपवून बार्कमध्ये इंजिनियर म्हणून जॉईन झाले. तेव्हा तिथे मेटलायझिंग प्रक्रियेवर काम करायला त्यांना सांगण्यात आले. त्यासाठी लागणारी सामग्री तिथे होती, पण आतापर्यंत ती कोणीही वापरलेली नव्हती. त्यामुळे लेखक म्हणाले की, ते काम करण्यास तयार आहेत, केवळ त्यांना मदतीसाठी एक वेल्डर आणि एक फोरमनची गरज आहे. त्यावेळी त्यांना नकार देण्यात आला. आपल्याला स्वत:लाच सगळे करावे लागेल असेही सांगण्यात आले. वरिष्ठांची आज्ञा म्हणून लेखकाने सुरुवात केली. बरीच धडपड करून लेखकाने ते काम पूर्ण केले.

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मग वरिष्ठांकडून या कार्यक्रमाची व्याप्ती वाढवण्यात आली. ‘हे करूया, ते करूया’, असे बरेच काही काही बोलले गेले. नंतर वरिष्ठांनी लेखकाला विचारले की, “आता सांग, तुला काय काय पाहिजे? तुला वेल्डर मिळेल, फोरमन मिळेल, आणखी काही हवे असेल तर तेही मिळेल.” त्यावेळी लेखक म्हणाले की, “मला आता काहीच नको. मी स्वतः सगळे काम करीन.” त्यावेळी लेखकाला सांगण्यात आले की, काम सुरू करण्याआधीच लोक वेगवेगळ्या मागण्या करतात आणि त्यांच्या या वृत्तीमुळेच मेटलायझिंग प्रक्रियेवर काम अजिबात झालेले नव्हते. स्वत:ला काम करता येत नसताना दुसऱ्यांवर काम ढकलण्याच्या प्रक्रियेमुळेच मेटलायझिंग प्रक्रियेवर काम सुरू झालेले नव्हते, असे मला वाटते.

प्रश्न 4.
‘आधी केले मग सांगितले’, या उक्तीची यथार्थता स्पष्ट करा.
उत्तरः
महाराष्ट्राला संतांची फार मोठी परंपरा लाभली आहे. आधी केले, मग सांगितले या उक्तीप्रमाणे सर्व संतांनी कार्य करून दाखवले आहे.

उदाहरणे दयायचीच तर संतांनी प्राण्यांवर दया करण्याचा संदेश आपल्या अभंगातून फक्त दिला नाही तर संतांनी ते करूनही दाखवले. संत नामदेव भुकेल्या कुत्र्याच्या मागे तुपाची वाटी घेऊन धावत गेले. संत एकनाथांनी भर उन्हात तडफडत असणाऱ्या गाढवाला काशीहून आणलेल्या गंगेचे पाणी पाजून समाजापुढे एक नवा आदर्श ठेवला.

राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज व थोर समाजसेवक व समाजसुधारक गाडगे महाराज यांनी स्वतः आधी हातात झाडू घेऊन गावातील केरकचरा दूर करण्यापासून ते विष्ठा उचलण्याची कामे केली. देवाच्या नावाने कर्मकांड करण्यापासून अडवले. मूर्तीपूजा न करता गोरगरीब मानवाची पूजा करा, त्यांची सेवा करा हे लोकांना आपल्या कीर्तनाच्या माध्यमातून पटवूनही दिले.

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बाबा आमटे हे ही आधुनिक काळातील राष्ट्रसंतच म्हटले पाहिजेत. रस्त्यावर महारोग होऊन पडलेल्या तुळशीरामला पाहून त्यांच्या मनात कुष्ठरोग्यांच्या बद्दल सेवाभाव जागृत झाला व त्यातूनच चंद्रपूर येथे ‘आनंदवनाची’ निर्मिती झाली. त्यांनी केलेल्या कामाची दखल घेत पाश्चात्य देशांनी त्यांना पुरस्कृतही केले.

या सर्व उदाहरणांवरून ‘आधी केले, मग सांगितले’ या उक्तीची सार्थकता स्पष्ट झाल्यासारखे वाटते.

प्रश्न 5.
‘प्रत्यक्ष अनुभवांतून शिकणे हे अधिक परिणामकारक असते’, हे विधान स्वानुभवातून स्पष्ट करा.
उत्तरः
शिकवणे आणि शिकणे ही प्रक्रिया निरंतर चालणारी आहे. आपले गुरूजन आपणांस शिकवण्याचे काम करत असतात. आजच्या शिक्षणप्रणालीत शिक्षक वर्गात फळ्यावर जरी प्रत्येक गणित सोडवून देत असले तरी विदयार्थ्यांनी तीच गणिते पुन्हा घरी जाऊन सोडवली तर त्यातून मिळणारा स्वानुभव हा परीक्षेत चांगले गुण मिळवून देऊ शकतो.

विज्ञान प्रदर्शनात गुरूजनांच्या मार्गदर्शनाखाली एखादा प्रयोग, एखादी प्रतिकृती तयार केली तरी ती बनवत असताना आलेला अनुभव हाच प्रदर्शनात परीक्षकांच्या पुढे उत्तरे देताना धाडस निर्माण करून देतो. याच अनुभवातून विदयार्थी परीक्षकांनी विचारलेल्या प्रश्नांना उत्तरे देताना अडखळत नाहीत. त्यामुळे त्यांचा आत्मविश्वासही वाढलेला दिसून येतो.

यावरून असे लक्षात येते की, कोणतेही काम एखादयाने सांगितल्यावर त्याप्रमाणे कृती करून पूर्ण करणे व पुन्हा तेच काम कोणाचेही मार्गदर्शन न घेता स्वतः करणे यातील अनुभव म्हणजेच खरा स्वानुभव होय असे म्हटले पाहिजे. शिवाय असे शिक्षण अधिक परिणामकारक असते.

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टिपा लिहा.

प्रश्न  1.
‘कोणतेही काम कमी दर्जाचे न मानता ते करायची सवय ठेवली तर मोठी कामे करताना अडचणी येत नाहीत’ याबद्दल तुमचे मत लिहा.
उत्तरः
कोणतेही काम लहान व मोठे नसते. आपण जर त्या कामाला सकारात्मक विचाराने स्वीकारून फक्त ते काम करण्यास सुरुवात जरी केली तरी ते काम अर्धेअधिक पूर्ण झालेच म्हणून समजा. राहिलेले अर्धे काम, काम करण्यास सुरुवात करताच पूर्ण होत जाते. कोणतेही काम लहान व कमी दर्जाचे आहे असे मानून ते कधीही टाळू नये, कारण कोणतेच काम कमी दर्जाचे नसते. ते आपल्या करण्यावर अवलंबून असते.

आपणांस लहान-सहान कामाची सतत सवय असली पाहिजे. ही कामे आपण अगदी लहान वयातच करायला शिकले पाहिजे उदा. स्वत:चे कपडे स्वत: धुणे, फाटलेले कपडे स्वत: शिवणे, जेवताना स्वत:चे पान स्वत: वाढून घेणे, पिण्याच्या पाण्याचा तांब्या भरून घेणे, स्वत:च्या कपड्यांना इस्त्री करणे, स्वत:च्या बूटांना पॉलीश करणे इत्यादी कामांची सवय जर आपणांस लहानपणापासून असेल तर मोठेपणी जेव्हा घराची संपूर्ण जबाबदारी स्वत:वर येऊन पडते तेव्हा, त्या कामांचे ओझे वाटत नाही. मोठी कामे अवघड वाटत नाहीत. सर्वप्रकारची कामे आपण सहज पूर्ण करू शकतो, अशा प्रकारच्या कामातून आनंद तर मिळतोच पण मानसिक समाधान मिळते ते वेगळेच.

मोठे होत असलेल्या मुलांनो… शब्दार्थ‌‌

  • खात्री‌ ‌-‌ ‌विश्वास‌ ‌-‌ ‌(trust)‌ ‌
  • अभ्यास‌ ‌-‌ ‌सराव‌ ‌-‌ ‌(study,‌ ‌practice)‌ ‌
  • लघुरूप‌ ‌-‌ ‌लहान‌ ‌रूप‌ ‌-‌ ‌(short‌ ‌form)‌
  • प्रचंड‌‌ -‌ ‌खूप‌ ‌‌-‌ ‌(excessive)‌ ‌
  • जेमतेम‌ ‌-‌ ‌सुमारे‌ ‌-‌ ‌(just)‌ ‌
  • पुरेल‌ ‌-‌ ‌पूर्ण‌ ‌होईल‌ ‌-‌ ‌(sufficient)‌ ‌
  • प्रवृत्ती/वृत्ती‌ ‌-‌ ‌स्वभाव‌ ‌-‌ ‌(nature)‌ ‌
  • स्वानुभव‌ ‌‌-‌ ‌स्वत:चा‌ ‌अनुभव‌ ‌-‌ ‌(self‌ ‌experience)‌ ‌
  • अंतिमतः‌ ‌-‌ ‌शेवटी‌ ‌-‌ ‌(at‌ ‌last)‌ ‌
  • सक्षम‌‌ -‌ ‌बलवान‌‌ -‌ ‌(strong)‌‌
  • सामग्री‌ -‌ ‌साहित्य‌ ‌-‌ ‌(equipment)‌
  • ‌वरिष्ठ‌ ‌-‌ ‌मोठे‌ ‌अधिकारी‌ ‌-‌ ‌(senior‌ ‌officer)‌ ‌
  • व्याप्ती‌ ‌‌-‌ ‌स्वभाव‌ ‌-‌ ‌(nature)‌
  • आशय‌‌ -‌ ‌विषय‌‌ ‌-‌ ‌(subject)

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 5 दोन दिवस

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Marathi Solutions Aksharbharati Chapter 5 दोन दिवस Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 5 दोन दिवस

Marathi Aksharbharati Std 10 Digest Chapter 5 दोन दिवस Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
कृती पूर्ण करा.
(अ) ‘रोजची भूक भागवण्यासाठी कराव्या लागणाऱ्या कष्टांमुळे आयुष्याचे दिवस वाया गेलेत’ या आशयाची कवितेतील ओळ शोधा.
उत्तर:
‘भाकरीचा चंद्र शोधण्यातच जिंदगी बरबाद झाली’.

(आ) कवीचा प्रयत्नवाद आणि आशावाद दाखवणारी ओळ लिहा.
उत्तर:
‘दुःख पेलावे कसे, पुन्हा जगावे कसे, याच शाळेत शिकलो’

प्रश्न 2.
एका शब्दांत उत्तर लिहा.
(अ) कवीचे सर्वस्व असलेली गोष्ट – [             ]
(आ) कवीचा जवळचा मित्र – [             ]
उत्तर:
(अ) हात
(आ) अश्रु

प्रश्न 3.
खालील शब्दसमूहांचा तुम्हांला कळलेला अर्थ लिहा.
(अ) माना उंचावलेले हात ……………………….
(आ) कलम केलेले हात ……………………….
(इ) दारिद्र्याकडे गहाण पडलेले हात ……………………….
उत्तर:
(i) माना उंचावलेले हात – आशावादाने उभारलेले हात.
(i) कलम केलेले हात – निराशेने खाली झुकलेले हात.
(iii) दारिद्र्याकडे गहाण पडलेले हात – हतबल झालेले हात.

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प्रश्न 4.
काव्यसौंदर्य.

(अ) खालील ओळींचे रसग्रहण करा.
‘दोन दिवस वाट पाहण्यात गेले; दोन दुःखात गेले
हिशोब करतो आहे किती राहिलेत डोईवर उन्हाळे’
उत्तरः
नारायण सुर्वे यांच्या ‘दोन दिवस’ या कवितेच्या वरील दोन ओळीतून आपल्या जीवनाचा आलेख अगदी साध्या सोप्या भाषेत मांडला आहे. जीवन जगण्याच्या संघर्षात अडकलेल्या प्रत्येक साधारण माणसाच्या मनोव्यवस्थेचे प्रतिनिधीत्व ते आपल्या कवितेतून करतात.

रोज तेच दु:ख, रोज नवी समस्या, रोजची तीच निराशा, रोजचा तोच संघर्ष पण जीवन जगण्याचा कविचा आशावाद प्रचंड आहे. दोन चांगल्या दिवसाची ते वाट पाहतात. आयुष्याचे दिवस किती शिल्लक राहिलेत याचा हिशोब करतात.

(आ) ‘दु:ख पेलावे आणि पुन्हा जगावे’, या वाक्यामागील तुम्हांला जाणवलेला विचार तुमच्या शब्दांत स्पष्ट करा.
उत्तरः
कवी नारायण सुर्वे यांच्या जीवनसंघर्षाचे वर्णन दोन दिवस या कवितेतून केले आहे. कवी म्हणतो की जीवनातल्या दुःखाला न घाबरता न डगमगता सामोरे जावे. कारण दुःख माणसाला खूप काही शिकवून जाते. दु:खावर मात करत असतांना आपल्यातल्या अनेक क्षमतांची अनुभुती येऊन परिस्थितीवर मात करणे, समायोजन करणे, नवीन पर्याय शोधणे या अनेक बाबीतून दु:ख पेलण्याची ताकद माणसात निर्माण होते. म्हणून कवी म्हणतो. जीवनातल्या दुःखाने निराश, हताश न होता सामर्थ्याने विपरित परिस्थितीला सामोरे जावे आणि जीवनात पुन्हा ताकदीने उभे रहावे. हेच जिवनचे खरे सत्य आहे.

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(इ) कवितेत व्यक्त झालेल्या कष्टकऱ्यांच्या जीवनाविषयी तुमच्या भावना लिहा.
उत्तरः
‘दोन दिवस’ या नारायण सुर्वे यांच्या कवितेवरून विविध सेवा क्षेत्रात काम करणाऱ्या अनेक कष्टकऱ्यांचे जीवनचित्र समोर उभे राहते. अनेक ठिकाणी, अनेक प्रकारचे कष्ट आणि अत्यंत श्रमाचे काम करणारे कष्टकरी आपण पाहतो. ऊन, वारा, पाऊस अशा सगळ्या गोष्टी अंगावर झेलून ते सदैव श्रम करत असतात, जीवनासाठी लागणाऱ्या आवश्यक गोष्टी त्यांना उपलब्ध करून दिलेल्या नसतात. जीवनाची हमी नसते. अत्यंत कमी वेतनावर ते प्रचंड मेहनतीचे काम करत असतात. त्यांना जीवन जगणे खूप कठीण जाते. रोज काम मिळण्याची शाश्वती नसते. अशाप्रकारे आपल्या देशात कष्टकऱ्यांचे जीवन अत्यंत कठीण आहे.

(ई) ‘कवितेत व्यक्त झालेले जीवनसत्य’, याबाबत तुमचे विचार स्पष्ट करा.
उत्तरः
माणसाच्या जीवनात सुख आणि दुःख या दोन गोष्टी सदैव असतात. कधी सुखाचे दिवस असतात, तर कधी दुःखाचे, असे असले तरी कोणताही काळ हा कायम राहत नाही. दुःखातून माणूस अनेक गोष्टी शिकतो व उदयाच्या चांगल्या दिवसाची अपेक्षा करत जगत राहतो. माणसाने कवी सारखं आशावादी राहिलं पाहिजे. दुःखातही सुख येईल अशी आशा बाळगली पाहिजे, म्हणजे जगणं सोपं होतं.

Marathi Akshar Bharati Class 10 Textbook Solutions Chapter 5 दोन दिवस Additional Important Questions and Answers

प्रश्न १. पुढील पक्ष्याच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा:
कृती १ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृती पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 5 दोन दिवस 1

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 5 दोन दिवस

प्रश्न 2.
उत्तरे लिहा.
(i) भाकरीचा चंद्र शोधण्यात बरबाद झालेली – कवीची जिंदगी
(ii) कवीचे सर्वस्व – कवीचे हात
(iii) कवीच्या मदतीसाठी धावून आलेला मित्र – अश्रु
(iv) झोतभट्टीत शेकावे पोलाद तसे शेकले – कवीचे आयुष्य

प्रश्न 3.
योग्य पर्याय निवडून विधान पूर्ण करा.
(i) कवीने याचा विचार हरघडी केला……
(अ) भाकरीचा
(आ) दुःखाचा
(इ) जीवनाचा
(ई) दुनियेचा
उत्तर:
दुनियेचा

कृती २: आकलन कृती

प्रश्न 1.
खालील प्रश्नांची एका वाक्यात उत्तरे लिहा.
(i) साहाय्यास धावून येणारे कवीचे मित्र कोण?
उत्तर :
साहाय्यास धावून येणारे कवीचे मित्र म्हणजे कवीचे अश्रू होय.

(i) कवीने चंद्राला कोणाची उपमा दिली आहे?
उत्तर :
कवीने चंद्राला ‘भाकरीची’ उपमा दिली आहे.

प्रश्न 2.
योग्य जोड्या जुळवा.
‘अ’ गट – ‘ब’ गट
(i) कवी मोजत असलेले – (अ) पोलाद
(ii) कवीची शाळा – (ब) जीवनाचे दिवस
(iii) कवीचे सर्वस्व – (क) संपूर्ण जग
(iv) झोतभट्टी – (ड) कवीचे हात
उत्तर:
(i – ब),
(ii – क),
(iii – ड),
(iv – अ)

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 5 दोन दिवस

प्रश्न 3.
आकृतिबंध पूर्ण करा,
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 5 दोन दिवस 2

प्रश्न 4.
‘दुनियेचा’ असे उत्तर येईल असा प्रश्न तयार करा.
उत्तर:
कवीने हरघडी कोणाचा विचार केला?

प्रश्न 5.
कंसातील योग्य शब्द वापरून रिकाम्या जागा भरा.
(i) ………………… करतो आहे किती राहिलेत डोईवर उन्हाळे. (हिशोब, गणित, मोजत, जमा)
(ii) झोतभट्टीत शेकावे ………………… तसे आयुष्य छान शेकले. (सोने, चांदी, पोलाद, लोखंड)
उत्तर:
(i) हिशोब
(ii) पोलाद

कृती ३: कवितेतील शब्दांचा अर्थ

प्रश्न 1.
खालील कवितेतील शब्दांचा अर्थ लिहा.
(i) दिवस
(ii) हिशोब
(iii) डोईवर
(iv) चंद्र
उत्तर:
(i) दिन
(ii) गणना
(iii) डोक्यावर
(iv) शशी, सुधाकर

कृती ४ : काव्यसौंदर्य

प्रश्न 1.
‘झोतभट्टीत शेकावे पोलाद तसे आयुष्य छान शेकले’ वरील ओळीतून कवी नारायण सुर्वे यांना काय सांगायचे आहे ते तुमच्या शब्दांत लिहा.
उत्तरः
गरिबीत जीवन जगत असलेले नारायण सुर्वे जगाच्या प्रचंड मोठ्या शाळेत शिकत होते. रोजचे नव-नवे दाहक अनुभव, अपमान, उपेक्षा, भूकेचा संघर्ष, कधी प्रेमाचा ओलावा तर कधी तिरस्काराचा फटकारा सहन करत होते. या रोजच्या अनुभवातून ते खूप काही शिकत होते. धडपडत होते, निराश होत होते, पण जगणं निरंतर सुरू होतं. त्यांच्या भोवतीच जग म्हणजे त्यांच्यासाठी एखादया मोठ्या प्रचंड तप्त भट्टीसारखं होतं. जसं भट्टीत पोलाद तप्त होत आणि मजबूत होऊन बाहेर पडतं. अगदी त्याचप्रमाणे कवी नारायण सुर्वे दुःख, दारिद्र्याशी सामना करत जीवन जगण्यासाठी नव्या उमेदीने तयार होत.

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प्रश्न २. दिलेल्या मुद्यांच्या आधारे कवितेसंबंधी पुढील कृती सोडवाः

(१) प्रस्तुत कवितेचे कवी/कवयित्री:
नारायण सुर्वे

(२) प्रस्तुत कवितेचा विषयः
कष्टकरी, गरीब जनतेचा जगण्यासाठीचा संघर्ष दाखवून दिला आहे.

(४) प्रस्तुत कवितेतून मिळणारा संदेश:
माणसाच्या जीवनात सुख आणि दुःख सतत येत असतात. कधी सुखाचे दिवस असतात तर कधी दुःखाचे दिवस येतात. असे असले तरी कोणताही काळ हा कायम राहत नाही. दुःखातून माणूस अनेक गोष्टी शिकतो व उदयाच्या चांगल्या दिवसाची अपेक्षा करत जगत राहतो. माणसाने कवीसारखे आशावादी राहिले पाहिजे. दुःखातही सुख येईल अशी आशा बाळगली पाहिजे म्हणजे आपले जगणे सोपे होते, असाच संदेश या कवितेतून मिळतो…

(५) प्रस्तुत कविता आवडण्याचे वा न आवडण्याचे कारणः
कवी नारायण सुर्वे यांची ‘दोन दिवस’ ही कविता मला खूप आवडली आहे. त्याचे मुख्य कारण म्हणजे भाकरीचा चंद्र शोधण्यात ज्यांची जिंदगी बरबाद होते त्या सगळ्या कष्टकरी, कामगार,श्रमिक, गरीब लोकांचा सोशिकपणा, त्यांचा संयम, त्यांचे दु:ख कवीने सहजपणे वाचकांसमोर मांडले आहे. कवीने वेदनेचा भाव कोणत्याही प्रकारची चीड, संताप किंवा आक्रस्ताळेपणाने न मांडता अत्यंत संयमी आणि सुयोग्य प्रतिकांचा वापर करून मांडले आहे. सर्वस्व असलेले हात, माना उंचावलेले हात, कलम झालेले हात यांसारखी प्रतिके मनाला अंतर्मुख करून जातात. त्यामुळेच ही कविता मनाला भिडते.

(६) प्रस्तुत कवितेतील शब्दांचे अर्थ:
(i) रात्र – रजनी, निशा
(ii) जिंदगी – आयुष्य, जीवन
(iii) बरबाद – नष्ट
(iv) हात – हस्त, कर

स्वाध्याय कृती

प्रश्न 1.
काव्यसौंदर्य

(i) दुःख पेलावे आणि पुन्हा जगावे, या वाक्यातील तुम्हाला जाणवलेला विचार तुमच्या शब्दांत स्पष्ट करा.
उत्तरः
कवी नारायण सुर्वे यांच्या जीवनसंघर्षाचे वर्णन दोन दिवस या कवितेतून केले आहे. कवी म्हणतो की जीवनातल्या दुःखाला न घाबरता न डगमगता सामोरे जावे. कारण दुःख माणसाला खूप काही शिकवून जाते. दु:खावर मात करत असतांना आपल्यातल्या अनेक क्षमतांची अनुभुती येऊन परिस्थितीवर मात करणे, समायोजन करणे, नवीन पर्याय शोधणे या अनेक बाबीतून दु:ख पेलण्याची ताकद माणसात निर्माण होते. म्हणून कवी म्हणतो. जीवनातल्या दुःखाने निराश, हताश न होता सामर्थ्याने विपरित परिस्थितीला सामोरे जावे आणि जीवनात पुन्हा ताकदीने उभे रहावे. हेच जिवनचे खरे सत्य आहे.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 5 दोन दिवस

(ii) कवितेत व्यक्त झालेल्या कष्टकऱ्यांच्या जीवनाविषयी तुमच्या भावना लिहा.
उत्तरः
‘दोन दिवस’ या नारायण सुर्वे यांच्या कवितेवरून विविध सेवा क्षेत्रात काम करणाऱ्या अनेक कष्टकऱ्यांचे जीवनचित्र समोर उभे राहते. अनेक ठिकाणी, अनेक प्रकारचे कष्ट आणि अत्यंत श्रमाचे काम करणारे कष्टकरी आपण पाहतो. ऊन, वारा, पाऊस अशा सगळ्या गोष्टी अंगावर झेलून ते सदैव श्रम करत असतात, जीवनासाठी लागणाऱ्या आवश्यक गोष्टी त्यांना उपलब्ध करून दिलेल्या नसतात. जीवनाची हमी नसते. अत्यंत कमी वेतनावर ते प्रचंड मेहनतीचे काम करत असतात. त्यांना जीवन जगणे खूप कठीण जाते. रोज काम मिळण्याची शाश्वती नसते. अशाप्रकारे आपल्या देशात कष्टकऱ्यांचे जीवन अत्यंत कठीण आहे.

(iii) ‘कवितेत व्यक्त झालेले जीवनसत्य’, याबाबत तुमचे विचार स्पष्ट करा.
उत्तरः
माणसाच्या जीवनात सुख आणि दुःख या दोन गोष्टी सदैव असतात. कधी सुखाचे दिवस असतात, तर कधी दुःखाचे, असे असले तरी कोणताही काळ हा कायम राहत नाही. दुःखातून माणूस अनेक गोष्टी शिकतो व उदयाच्या चांगल्या दिवसाची अपेक्षा करत जगत राहतो. माणसाने कवी सारखं आशावादी राहिलं पाहिजे. दुःखातही सुख येईल अशी आशा बाळगली पाहिजे, म्हणजे जगणं सोपं होतं.

दोन दिवस Summary in Marathi

दोन दिवस भावार्थ‌

दोन‌ ‌दिवस‌ ‌वाट‌ ‌पाहण्यात‌ ‌गेले;‌ ‌दोन‌ ‌दुःखात‌ ‌गेले.‌ ‌
हिशोब‌ ‌करतो‌ ‌आहे‌ ‌किती‌ ‌राहिलेत‌ ‌डोईवर‌ ‌उन्हाळे‌‌

कवी‌ ‌नारायण‌ ‌सुर्वे‌ ‌यांचा‌ ‌एकंदरीत‌ ‌जीवन‌ ‌प्रवासच‌ ‌अत्यंत‌ ‌संघर्षमय‌ ‌व‌ ‌खडतर‌ ‌होता.‌ ‌आलेला‌ ‌रोजचा‌ ‌दिवस‌ ‌ते‌ ‌उद्याच्या‌ ‌आशावादावर‌ ‌जगत,‌ ‌म्हणून‌ ‌कवी‌ ‌म्हणतात‌ ‌माझ्या‌ ‌जीवनाचे‌ ‌दोन‌ ‌दिवस‌ ‌उक्या‌ ‌येणाऱ्या‌ ‌चांगल्या‌ ‌दिवसाची‌ ‌वाट‌ ‌पाहण्यात‌ ‌गेले‌ ‌आणि‌ ‌दोन‌ ‌दिवस‌ ‌आहे‌ ‌त्या‌ ‌दुःखात‌ ‌व्यतीत‌ ‌झाले.‌ ‌माझ्या‌ ‌जीवनाचे‌ ‌किती‌ ‌दिवस‌ ‌अजून‌ ‌शिल्लक‌ ‌आहेत‌ ‌याचाच‌ ‌मी‌ ‌हिशोब‌ ‌करतो‌ ‌आहे.‌‌

शेकडो‌ ‌वेळा‌ ‌चंद्र‌ ‌आला;‌ ‌तारे‌ ‌फुलले,‌ ‌रात्र‌ ‌धुंद‌ ‌झाली;‌ ‌भाकरीचा‌ ‌चंद्र‌ ‌शोधण्यातच‌ ‌जिंदगी‌ ‌बरबाद‌ ‌झाली.‌‌

जीवन‌ ‌जगत‌ ‌असताना‌ ‌अवती-भोवती‌ ‌अशा‌ ‌अनेक‌ ‌गोष्टी‌ ‌होत्या‌ ‌की‌ ‌त्या‌ ‌हव्या‌ ‌हव्याशा‌ ‌वाटत‌ ‌होत्या,‌ ‌पण‌ ‌जीवनाचे‌ ‌वास्तव‌ ‌इतके‌ ‌दाहक‌ ‌होते‌ ‌की‌ ‌त्या‌ ‌कधीच‌ ‌मिळू‌ ‌शकत‌ ‌नव्हत्या.‌ ‌त्यांच्या‌ ‌भुकेच्या‌ ‌तीव्र‌ ‌भावनेत‌ ‌आकाशाचा‌ ‌सुंदर‌ ‌चंद्र‌ ‌देखील‌ ‌त्यांना‌ ‌भाकरीसारखा‌ ‌दिसत‌ ‌होता.‌ ‌म्हणूनच‌ ‌कवी‌ ‌म्हणतो‌ ‌की,‌ ‌मी‌ ‌चंद्राच्या‌ ‌सौंदर्याचा‌ ‌आस्वाद‌ ‌तर‌ ‌कधी‌ ‌घेऊ‌ ‌शकलो‌ ‌नाही;‌ ‌पण‌ ‌माझ्या‌ ‌पोटासाठी‌ ‌भाकरीचा‌ ‌चंद्र‌ ‌मिळवण्यातच‌ ‌माझे‌ ‌सगळे‌ ‌आयुष्य‌ ‌बरबाद‌ ‌(नष्ट)‌ ‌झाले.‌‌

हे‌ ‌हात‌ ‌माझे‌ ‌सर्वस्व;‌ ‌दारिद्र्याकडे‌ ‌गहाणच‌ ‌राहिले‌ ‌
कधी‌ ‌माना‌ ‌उंचावलेले,‌ ‌कधी‌ ‌कलम‌ ‌झालेले‌ ‌पाहिले‌‌

कवी‌ ‌म्हणतात,‌ ‌माझे‌ ‌हात‌ ‌माझे‌ ‌सर्वस्व‌ ‌आहेत.‌ ‌या‌ ‌हातांच्या‌ ‌साहाय्याने‌ ‌मी‌ ‌अनेक‌ ‌नवीन‌ ‌चांगल्या‌ ‌गोष्टी‌ ‌करू‌ ‌शकलो‌ ‌असतो;‌ ‌पण‌ ‌मी‌ ‌नेहमी‌ ‌या‌ ‌गरिबीतच‌ ‌अडकून‌ ‌राहिलो.‌ ‌रोजचे‌ ‌जीवन‌ ‌जगण्यासाठीच‌ ‌मी‌ ‌माझ्या‌ ‌हाताचा‌ ‌उपयोग‌ ‌केला.‌ ‌फक्त‌ ‌कष्टच‌ ‌करत‌ ‌राहिले.‌ ‌पण‌ ‌कधी-कधी‌ ‌दारिद्र्यात‌ ‌गुंतलेले‌ ‌हात‌ ‌मी‌ ‌मनात‌ ‌उंचावलेले‌ ‌पाहिले.‌ ‌म्हणजे‌ ‌नवीन‌ ‌काहीतरी‌ ‌करण्याची‌ ‌इच्छा‌ ‌माझ्या‌ ‌मनात‌ ‌निर्माण‌ ‌झाली;‌ ‌पण‌ ‌जसे‌ ‌सभोवतालची‌ ‌परिस्थिती‌ ‌किंवा‌ ‌वास्तवाची‌ ‌जाणीव‌ ‌झाली‌‌ की,‌ ‌असे‌ ‌वाटायचे‌ ‌की‌ ‌माझे‌ ‌हात‌ ‌जणू‌ ‌कोणीतरी‌ ‌छाटून‌ ‌टाकले‌ ‌आहेत.‌ ‌माझ्या‌ ‌सगळ्या‌ ‌आशा,‌ ‌उमेदी‌ ‌संपून‌ ‌जातात.‌‌

हरघडी‌ ‌अश्रू‌ ‌वाळविले‌ ‌नाहीत;‌ ‌पण‌ ‌असेही‌ ‌क्षण‌ ‌आले‌
‌तेव्हा‌ ‌अश्रूच‌ ‌मित्र‌ ‌होऊन‌ ‌साहाय्यास‌ ‌धावून‌ ‌आले.‌‌

कवी‌ ‌नारायण‌ ‌सुर्वे‌ ‌यांना‌ ‌आपल्या‌ ‌जीवनात‌ ‌सतत‌ ‌हालअपेष्टा,‌ ‌अपमान,‌ ‌उपेक्षा‌ ‌यांचा‌ ‌सामना‌ ‌करावा‌ ‌लागला.‌ ‌परिस्थितीशी‌ ‌सतत‌ ‌संघर्ष‌ ‌करावा‌ ‌लागला.‌ ‌अशा‌ ‌या‌ ‌जीवनसंघर्षातून‌ ‌जात‌ ‌असताना‌ ‌कधी‌ ‌कधी‌ ‌त्यांना‌ ‌खूप‌ ‌रडावेसे‌ ‌वाटले‌ ‌पण‌ ‌त्यांनी‌ ‌आपले‌ ‌मन‌ ‌घट्ट‌ ‌केले.‌ ‌डोळयांतून‌ ‌अश्रू‌ ‌वाहू‌ ‌दिले‌ ‌नाही;‌ ‌पण‌ ‌कधी‌ ‌कधी‌ ‌असेही‌ ‌प्रसंग‌ ‌आले‌ ‌की,‌ ‌मनात‌ ‌दडवलेले‌ ‌दुःख,‌ ‌वेदना‌ ‌यांना‌ ‌मोकळी‌ ‌वाट‌ ‌करून‌ ‌देण्यासाठी‌ ‌अश्रूच‌ ‌मित्रासारखे‌ ‌मदतीला‌ ‌धावून‌ ‌आले.‌ ‌म्हणजेच‌ ‌काही‌ ‌प्रसंगी‌ ‌आपल्या‌ ‌मनातले‌ ‌दुःख‌ ‌इतरांजवळ‌ ‌व्यक्त‌ ‌न‌ ‌करता‌ ‌ते‌ ‌फक्त‌ ‌मनसोक्त‌ ‌रडले.‌ ‌रडल्यामुळे‌ ‌त्यांचे‌ ‌दु:ख‌ ‌हलके‌ ‌झाले.‌ ‌त्यांच्या‌ ‌दुःखात‌ ‌त्यांना‌ ‌त्यांच्याच‌ ‌अणूंनी‌ ‌एखाद्या‌ ‌मित्राप्रमाणे‌ ‌साथ‌ ‌दिली.‌‌

दुनियेचा‌ ‌विचार‌ ‌हरघडी‌ ‌केला,‌ ‌अगा‌ ‌जगमय‌ ‌झालो‌ ‌
दुःख‌ ‌पेलावे‌ ‌कसे,‌ ‌पुन्हा‌ ‌जगावे‌ ‌कसे,‌ ‌याच‌ ‌शाळेत‌ ‌शिकलो‌‌

कवी‌ ‌नारायण‌ ‌सुर्वे‌ ‌जिथे‌ ‌राहत‌ ‌होते‌ ‌तिथे‌ ‌त्यांच्या‌ ‌आजुबाजूला‌ ‌सगळी‌ ‌गोरगरिबांचीच‌ ‌वस्ती‌ ‌होती.‌ ‌सगळ्यांचे‌ ‌जीवन‌ ‌हालअपेष्टांनी‌ ‌भरलेले‌ ‌होते.‌ ‌कवी‌ ‌नारायण‌ ‌सुर्वे‌ ‌यांना‌ ‌आजुबाजूच्या‌ ‌समाजबांधवांचे‌ ‌दुःख‌ ‌पाहवत‌ ‌नव्हते.‌ ‌स्वतः‌ ‌दुःखी-कष्टी‌ ‌असूनही‌ ‌त्यांनी‌ ‌नेहमी‌ ‌इतरांच्या‌ ‌दुःखाचा‌ ‌विचार‌ ‌केला.‌ ‌प्रत्येक‌ ‌क्षणी‌ ‌त्यांनी‌ ‌दुनियेचा‌ ‌विचार‌ ‌केला.‌ ‌मान-अपमान,‌ ‌बरे-वाईट,‌ ‌सुख-दुःख‌ ‌सगळं‌ ‌सगळं‌ ‌पचवून‌ ‌ते‌ ‌संपूर्ण‌ ‌जगाशी‌ ‌एकरूप‌ ‌झाले.‌ ‌जगातल्या‌ ‌अनेक‌ ‌बऱ्या-वाईट‌ ‌घटनांशी‌ ‌ते‌ ‌समरूप‌ ‌झाले.‌ ‌जगाच्या‌ ‌या‌ ‌शाळेत‌ ‌दु:ख‌ ‌कसे‌ ‌सहन‌ ‌करावे,‌ ‌दुःखावर‌ ‌मात‌ ‌करून‌ ‌पुन्हा‌ ‌नव्या‌ ‌उमेदीने‌ ‌जीवनाला‌ ‌कसे‌ ‌सामोरे‌ ‌जावे.‌ ‌हसत‌ ‌हसत‌ ‌कसे‌ ‌जगावे‌ ‌ते‌ ‌याच‌ ‌जगाच्या‌ ‌शाळेने‌ ‌त्यांना‌ ‌शिकवले.‌ ‌म्हणजेच‌ ‌या‌ ‌जगानेच‌ ‌त्यांना‌ ‌दु:खही‌ ‌दिले‌ ‌आणि‌ ‌या‌ ‌जगानेच‌ ‌दु:ख‌ ‌विसरून‌ ‌आनंदाने‌ ‌कसे‌ ‌जगावे‌ ‌हे‌ ‌देखील‌ ‌शिकवले.‌‌

झोतभट्टीत‌ ‌शेकावे‌ ‌पोलाद‌ ‌तसे‌ ‌आयुष्य‌ ‌छान‌ ‌शेकले‌
‌दोन‌ ‌दिवस‌ ‌वाट‌ ‌पाहण्यात‌ ‌गेले;‌ ‌दोन‌ ‌दुःखात‌ ‌गेले.‌‌

कवी‌ ‌परळच्या‌ ‌चाळीत‌ ‌वाढले.‌ ‌कमालीचे‌ ‌दारिद्र्य,‌ ‌अपरंपार‌ ‌काबाडकष्ट‌ ‌आणि‌ ‌जगण्यासाठी‌ ‌केलेला‌ ‌संघर्ष‌ ‌यातून‌ ‌त्यांचे‌ ‌आयुष्य‌ ‌चांगलेच‌ ‌शेकून‌ ‌निघाले.‌ ‌म्हणून,‌ ‌कवी‌ ‌म्हणतो‌ ‌एखादया‌ ‌भट्टीत‌ ‌पोलाद‌ ‌जसे‌ ‌तापून‌ ‌निघते‌ ‌त्या‌ ‌प्रमाणे‌ ‌दुनियेच्या‌ ‌दाहक‌ ‌अनुभवातून‌ ‌माझे‌ ‌आयुष्यदेखील‌ ‌दुःख‌ ‌झेलून‌ ‌जगण्यास‌ ‌सिद्ध‌ ‌व‌ ‌समर्थ‌ ‌झाले‌ ‌आहे.‌ ‌माझे‌ ‌दोन‌ ‌दिवस‌ ‌जगण्याच्या‌ ‌नव्या‌ ‌उमेदीची‌ ‌वाट‌ ‌पाहण्यात‌ ‌गेले‌ ‌आणि‌ ‌दोन‌ ‌दिवस‌ ‌आहे‌ ‌त्या‌ ‌दुःखात‌ ‌गेले,‌ ‌जणू‌ ‌दुःख‌ ‌दुःखात‌ ‌विरून‌ ‌गेले.‌‌

दोन दिवस शब्दार्थ‌ ‌

  • डोईवर‌ -‌ ‌डोक्यावर‌ ‌-‌ ‌(on‌ ‌the‌ ‌head)‌ ‌
  • जिंदगी‌ ‌-‌ ‌जीवन,‌ ‌आयुष्य‌ ‌-‌ ‌(life)‌ ‌
  • बरबाद‌ ‌-‌ ‌नष्ट‌‌ – (destroy)‌ ‌
  • हरघडी‌ ‌-‌ ‌प्रत्येक‌ ‌वेळी‌ ‌-‌ ‌(every‌ ‌time)‌ ‌
  • पेलावे‌ ‌-‌ ‌झेलावे,‌ ‌सहन‌ ‌करावे‌ ‌-‌ ‌(to‌ ‌bear)
  • आयुष्य‌ ‌-‌ ‌जीवन‌ ‌- (life)‌ ‌
  • साहाय्यास‌ ‌-‌ ‌मदतीस‌ ‌- (to‌ ‌help)‌ ‌
  • शेकडोवेळा-‌ ‌अनेक‌ ‌वेळा‌ ‌- (many‌ ‌times)‌ ‌
  • दारिद्र्य‌ ‌-‌ ‌गरिबी‌‌ – (poverty)

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Marathi Solutions Aksharbharati 4 उपास Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

Marathi Aksharbharati Std 10 Digest Chapter 4 उपास Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
आकृत्या पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 1


उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 30
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 31

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

प्रश्न 2.
कारणे शोधा.
(अ) वजन कमी करण्यासाठी न बोलण्याचा उपाय पंतांना जमणार नव्हता, कारण ………………………… .
उत्तरः
वजन कमी करण्यासाठी न बोलण्याचा उपाय पंतांना जमणार नव्हता, कारण पंत टेलिफोन ऑपरेटर म्हणून नोकरी करत असल्यामुळे त्यांना दिवसभर बोलावेच लागत होते. न बोलता ते काम करू शकणार नव्हते व काम केले नाही तर खाणार काय? म्हणून.

(आ) बाबा बर्वे पंतांच्या समाचाराला आले नाहीत, कारण ………………………… .
उत्तर:
बाबा बर्वे पंतांच्या समाचाराला आले नाहीत कारण उपास हे त्यांचे खास राखीव कुरण होते.

प्रश्न 3.
पाठाधारे खालील संकल्पनांचा अर्थ स्पष्ट करा.
(अ) भीष्म प्रतिज्ञा
(आ) बाळसेदार भाज्या
(इ) वजनाचा मार्ग भलत्याच काट्यातून जातो
(ई) असामान्य मनोनिग्रह
उत्तर:
(i) भीष्म प्रतिज्ञा : पंतांनी आपले वजन कमी करण्याचे ठरवल्यावर मित्रांकडून वेगवेगळ्या प्रतिक्रिया येऊ लागल्या. त्यांचे एकशे एक्क्याऐंशी पौंड वजन पाहून त्यांची झोप उडाली. परंतु पंतांची झोप उडाली यावर रात्री घोरण्यामुळे त्याच्या धर्मपत्नीचा विश्वास नव्हता. एकूण सर्वांनीच त्यांची चेष्टा केल्यावर त्यांनी ‘दोन महिन्यात पन्नास पौंड वजन कमी करून दाखवीन तर खरा!’ अशी भीष्मप्रतिज्ञा केली म्हणजेच वजन कमी करण्याचा ठाम निश्चय पंतांनी केला.

(ii) बाळसेदार भाज्या : पंतांच्या ‘डाएटच्या’ बाबतीतला कुटुंबाचा उत्साह अवर्णनीय होता. रोज काही काही चमत्कारिक पदार्थ त्यांच्या पानात पडायला लागले. बाळसेदार भाज्यांची स्वयंपाकघरातून हकालपट्टी झाली. म्हणजेच कोबी, कॉलिफ्लॉवर अशा बाळसेदार भाज्यांमुळे पंतांचे वजन वाढेल असे वाटल्यामुळे त्या भाज्या कुटुंबाने आणणे सोडून दिले. शिवाय वजन कमी व्हावे म्हणून शेवग्याच्या शेंगा, पडवळ, भेंडी, चवळीच्या शेंगा अशा सडपातळ भाज्या खाणे सुरू केले.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

(iii) वजनाचा मार्ग भलत्याच काट्यातून जातो : पंतांनी वजन घटवण्यासाठी आहारशास्त्राची पुस्तके वाचली. चरबीयुक्त द्रव्ये, प्रोटीनयुक्त पदार्थ या शब्दांबद्दलची त्यांची आस्था वाढली, त्यांनी मित्रांचे सल्ले पाळले उदा. दुपारी झोपणे सोडा, पत्ते खेळणे सोडा, रनिंग करा, बोलणे सोडा, तोंडावर ताबा ठेवा, तूप, लोणी, तळलेले पदार्थ खाणे सोडा, दोरीवरच्या उड्या मारा वगैरे, पंतांनी एक महिन्याचा उपास, निराहार, शास्त्रोक्त आहार, दोरीवरच्या उड्या इत्यादी उग्र साधना करूनही पंताचे वजन झाले, ‘एकशे ब्याण्णव पौंड’, त्यामुळे त्यांनी यापुढे जन्मात डाएटच्या आहारी न जाण्याचे ठरवले. कारण त्यांच्या मते एवढे करूनही वजन काही कमी झाले नाही, कारण वजनाचा मार्ग भलत्याच काट्यातून जातो.

(iv) असामान्य मनोनिग्रहः- मित्र मंडळींचे डाएट बाबतीतले विविध सल्ले पंत पाळत होते. त्यानंतर आचार्य बाबा बर्वे यांच्याकडून मौन पाळण्याचा, तोंडावर ताबा ठेवा, बोलणं सोडा हे सल्ले मिळाल्यावर पंतांनी बोलणं सोडणं शक्य नसल्याचे कबूल केलं. कारण ते टेलिफोन ऑपरेटर होते. मग बाबा म्हणाले की “मग कसलं वजन उतरवणार तुम्ही?” यावर पंतांनी चिडून निश्चय केला बस्स. वजन उतरेपर्यंत उपास! काटकुळे झाल्याची स्वप्न त्यांना पडू लागली, भरल्या ताटावरून ते उठू लागले, बिनासाखरेचा आणि बिनदुधाचाच काय बिनचहाचा चहा ते पिऊ लागले.

साखर पाहून त्यांच्या अंगाचा तिळपापड होई, ते फळांवर जगू लागले, दोरीवरच्या उड्या मारू लागले, कचेरी सुटल्यावर गिरगाव रस्त्याने धावू लागले. पंधरवडाभरात फक्त दोन वेळा साखरभात, एकदा कोळंबीभात, एकदा नागपुरी वडाभात, एवढे अपवाद वगळता त्यांनी भाताला स्पर्श केला नव्हता. पंतांच्या उपासाची चेष्टा करणाऱ्यांनाही पंतांमधील फरक जाणवत होता. पंतांना भीती वाटत होती ती प्रशस्तीने मूठभर मांस वाढण्याची परंतु त्यांचा असामान्य मनोनिग्रह आणि जीभेवर ताबा असल्यामुळे त्यांना वीस ते पंचवीस पौंड वजन कमी होण्याची अपेक्षा होती.

प्रश्न 4.
खालील शब्दसमूहासाठी पाठातून एक शब्द शोधा.
(अ) ठरवलेले व्रत मध्येच सोडणे – [           ]
(आ) वजन घटवण्यासाठी आहार बदलण्याची कल्पना – [           ]
(इ) भाषेचा (नदीसारखा) प्रवाह – [           ]
उत्तर:
(अ) ठरवलेले व्रत मध्येच सोडणे – [व्रतभंग]
(आ) वजन घटवण्यासाठी आहार बदलण्याची कल्पना – [आहारपरिवर्तन]
(इ) भाषेचा (नदीसारखा) प्रवाह – [वाक्प्रवाह]

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

प्रश्न 5.
अचूक शब्द ओळखून लिहा.
(अ) वडीलांसोबत/वडिलांसोबत/वडिलानसोबत/वडीलानसोबत
(आ) तालमिला/तालमीला/ताल्मीला/ताल्मिला
(इ) गारहाणी/गान्हाणि/गा-हाणी/ग्राहाणी
उत्तर:
(i) वडिलांसोबत
(ii) तालमीला
(iii) गा-हाणी

प्रश्न 6.
खालील वाक्प्रचार व त्यांचे अर्थ यांच्या जोड्या जुळवा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 4
उत्तर:
(i – इ),
(ii – ई),
(iii – अ),
(iv – आ)

प्रश्न 7.
स्वमत.
(अ) दोरीवरच्या उड्या मारण्याच्या प्रसंगातील तुम्हांला समजलेला विनोद स्पष्ट करा.
उत्तरः
पंतांच्याखाजगी उपोषणाची हकीकत चाळीत जाहीर झाल्यानंतर चाळीतील मित्रमंडळींनी त्यांना सल्ले दयायला सुरुवात केली. कु. कमलिनी केंकरेंनी दोरीवरच्या उड्या मारल्यास वजन घटते असा सल्ला दिला. प्रत्यक्षात पंतांनी जेव्हा दोरीवरच्या उड्या मारण्यास सुरुवात केली. तेव्हा पहिली उडी शेवटची ठरली. त्यांच्या आठ गुणिले दहाच्या खोलीत पूर्ण दोरी फिरवणे शक्य नव्हते. त्यामुळे पहिल्या उडीतच दोरी ड्रेसिंग टेबलवरच्या तेलाच्या बाटल्या औषधाच्या बाटल्या खाली घेऊन आली. दुसरी उडी अर्धवट मारण्याच्या प्रयत्नातच ती आचार्य बाबा बर्वेच्या गळ्यात पडली. त्यांचा आधीच पंतांवर राग होता, त्यात ही दोरी गळ्यात पडली त्यामुळे त्यांना नको-नको ऐकून घ्यावे लागले. अशा प्रकारे दोरीवरच्या प्रत्येक उडीला अडथळे येत होते आणि उड्या मारणे शक्य होत नव्हते.ही हास्यास्पद गोष्ट ठरली.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

(आ) पंतांच्या उपासाबाबत त्यांच्या पत्नीचा अवर्णनीय उत्साह तुमच्या शब्दांत वर्णन करा.
उत्तर:
पंतांनी वजन कमी करण्यासाठी आहारपरिवर्तन करण्याचे ठरवल्यावर त्यांच्या कुटुंबाचा उत्साह अवर्णनीय होता. रोज काही काही चमत्कारिक पदार्थ पंतांच्या पानात पडायला लागले. एके दिवशी नुसती पडवळे उकडून त्यांनी पंतांना खायला घातली. शेवग्याच्या शेंगा, पडवळ, भेंडी, चवळीच्या शेंगा वगैरे सडपातळ भाज्यांचा खुराक पंतांना देणे त्यांनी चालू केला. कोबी, कॉलिफ्लॉ वर वगैरे बाळसेदार मंडळींची स्वयंपाक घरातून हकालपट्टी झाली. सकाळचा चहा देखील पूर्वीसारखा राहिला नाही. अशा प्रकारे पंतांच्या पत्नीचा अवर्णनीय उत्साह दिसून आला.

(इ) पाठातील तुम्हाला सर्वांत आवडलेला विनोद कोणता? तो का आवडला ते स्पष्ट करा.
उत्तर:
पंतांनी असामान्य मनोनिग्रह आणि जिव्हनियंत्रणानंतर कमीत कमी वीस ते पंचवीस पौंडानी वजन घटेल अशी खात्री बाळगली होती. परंतु वजन काट्यावर वजन करताच महिन्याभरापूर्वी ज्या वजन काट्याने त्यांचे वजन एकशे एक्याऐंशी पौंड दाखवले होते त्याच वजन काट्याने त्यांचे वजन आज एकशे व्याण्णव पौंड दाखवले. शिवाय ‘आप बहुत समझदार और गंभीर है।’ असे भविष्यही दाखवले. पंत एकीकडे पौष्टिक सात्त्विक आहार घेतात. लिंबाचा रस, फलाहार, दूध व दुसरीकडे पंधरा दिवसात चार वेळा भात खाऊन तो अपवाद समजतात आणि वजन कमी झाले असेल अशी खात्री बाळगतात, हा विनोद मला सर्वांत जास्त आवडला.

(ई) तुम्ही एखादा संकल्प केला आणि तो पूर्ण केला नाही तर कुटुंबातील व्यक्ती कोणत्या प्रतिक्रिया व्यक्त करतील, याची कल्पना करून लिहा.
उत्तरः
नववीची परीक्षा झाली व मी पास होऊन दहावीच्या वर्गात गेले. यावर्षी काहीही करून सकाळी लवकर उठून अभ्यास करायचा असा मी संकल्प केला. नुकतीच मे महिन्याची सुट्टी अनुभवलेली असल्यामुळे लवकर उठायची सवय मोडली होती. आईला मी माझ्या संकल्पाविषयी सांगितले. दुसऱ्या दिवसापासून आईने मला सकाळी पाच वाजता उठवायला सुरुवात केली. पहिल्या दिवशी नवा उत्साह असल्यामुळे मी शहाण्या बाळासारखी उठून बसले.

शाळा सुरू झाल्यानंतर सुरुवातीला मैत्रिणीबरोबरच्या गप्पा, खेळ, शाळेतील अभ्यास या सर्वांमुळे मला माझ्या संकल्पाविषयी विसर पडू लागला. इतरांबरोबर मजा करणे कमी झाले. कोणतीही गोष्ट करताना मी यंदा दहावीत आहे याची जाणीव करून दिली जाई. सकाळी लवकर उठून अभ्यास करण्याचा माझा संकल्प आई विसरली नव्हती. आईनेच एकदा घरातील सर्वांच्या देखत माझी चेष्टा केली, घरातील लहान भावंडेही माझी मस्करी करू लागली. खेळणे, टि.व्ही. पाहणे हे सारेच मला पारखे झाले. मग मात्र मी निश्चय केला, की आपण कुणाच्याच चेष्टेचा विषय बनू नये, मी केलेला संकल्प पूर्ण करण्यासाठी मनाची तयारी केली व नियमित लवकर उठून अभ्यास नियमित करू लागले.

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Marathi Akshar Bharati Class 10 Textbook Solutions Chapter 4 उपास Additional Important Questions and Answers

प्रश्न १. पुढील उताऱ्याच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा.
कृती १: आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 5

प्रश्न 2.
काय ते लिहा.
उत्तर:
(i) पंतांची चाळीत जाहीर झालेली गोष्ट – [खाजगी उपोषण]
(ii) पंतांच्या डोळ्यांपुढे रात्रंदिवस नाचत होते – [एकशे एक्क्याऐंशी पौंड वजन असलेले कार्ड]

प्रश्न 3.
एका वाक्यात उत्तरे लिहा.
(i) पंतांनी कोणती भीष्मप्रतिज्ञा केली?
उत्तर:
“दोन महिन्यात पन्नास पौंड वजन कमी करून दाखवीन तर खरा!” अशी भीष्मप्रतिज्ञा पंतांनी केली होती.

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(ii) कोणत्या विचाराने पंतांची झोप उडाली?
उत्तर:
वजन कमी झाले पाहिजे, या विचाराने पंतांची झोप उडाली.

(iii) पंतांच्या धर्मपत्नीचा कशावर अजिबात विश्वास नव्हता?
उत्तर:
पंत पूर्वीसारखे गाढ झोपत नाहीत यावर त्यांच्या धर्मपत्नीचा अजिबात विश्वास नव्हता.

(iv) पंतांना ताटातले पदार्थ न दिसता काय दिसू लागल्या?
उत्तर:
पंतांना ताटातले पदार्थ न दिसता नुसत्या ‘कॅलरीज’ दिसू लागल्या. उताऱ्यानुसार घटनांचा क्रम लावा. वजन उतरवण्याच्या शास्त्रात पारंगत झालेले तज्ज्ञ पंतांना भेटू लागले. चाळीतल्या लोकांनी पंतांच्या उपासाची अवहेलना केली. पंतांच्या खाजगी उपोषणाची हकीकत चाळीत जाहीर झाली.

(iv) पंतांनी दोन महिन्यात पन्नास पौंड वजन कमी करून दाखवीन अशी भीष्मप्रतिज्ञा केली.
उत्तर:
(i) पंतांच्या खाजगी उपोषणाची हकीकत चाळीत जाहीर झाली.
(ii) पंतांनी दोन महिन्यात पन्नास पौंड वजन कमी करून दाखवीन! अशी भीष्मप्रतिज्ञा केली.
(iii) वजन उतरवण्याच्या शास्त्रात पारंगत झालेले तज्ज्ञ पंतांना भेटू लागले.
(iv) चाळीतल्या लोकांनी पंतांच्या उपासाची अवहेलना केली.

कृती २ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
उत्तरे लिहा.
उत्तर:
(i) पंतांचे वजन – [एकशे एक्क्याऐंशी पौंड]
(ii) चाळीतल्या लोकांनी पंतांना दिलेला सल्ला – [डाएटचा]

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प्रश्न 2.
खालील शब्द मराठीत स्पष्ट करा.
उत्तर:
(i) डाएट – नेहमीचा आहार (आहारावर निबंध)
(ii) प्रोटीन – दूध, अंडी, मांस इ. मधील पोषक द्रव्य
(iii) कॅलरी – अन्नापासून मिळणाऱ्या शक्तीचे (ऊर्जेचे) प्रमाण
(iv) पौंड – वजनाचे एक माप

प्रश्न 3.
कोण कोणास म्हणाले ते लिहा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 6

प्रश्न 4.
कोण ते लिहा.
उत्तर:
(i) डाएटचा सल्ला देणारी चाळीतील व्यक्ती – [सोकाजी त्रिलोकेकर]
(ii) पंतांना दुरुत्तरे करणारी – [पंतांची धर्मपत्नी]

प्रश्न 5.
चूक की बरोबर ते लिहा.
(i) चाळीतल्या लोकांनी पंतांच्या उपासाची अवहेलना केली.
(ii) प्रोटीनयुक्त पदार्थ, चरबीयुक्त पदार्थ पंत खाऊ लागले.
(iii) वजन कमी झाले पाहिजे, या विचाराने पंतांची झोप उडाली.
(iv) आहार शास्त्रातील तज्ज्ञ व्यक्तींना पंत भेटत नव्हते.
उत्तर:
(i) बरोबर
(ii) चूक
(iii) बरोबर
(iv) चूक

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प्रश्न 6.
कंसातील योग्य शब्द वापरून रिकाम्या जागा भरा.
(i) रात्रंदिवस ते ………………………….. माझ्या डोळ्यांपुढे नाचत होते. (कार्ड, दिवस, वजन, घड्याळ)
(ii) आमच्या चाळीतल्या लोकांनी माझ्या उपासाची ………………………….. केली होती. (टिंगल, चेष्टा, मस्करी, अवहेलना)
उत्तर:
(i) कार्ड
(ii) अवहेलना

कृती ३ : स्वमत

प्रश्न 1.
पंतांनी भीष्मप्रतिज्ञा करण्यामागचा हेतू लिहा.
उत्तरः
पंतांनी उपोषण केल्याची खाजगी हकीकत चाळीत जाहीर झाली आणि येताजाता ‘नाही ती भानगड आहे’, ‘उगीच हात दाखवून अवलक्षण’ आहे, ‘पेललं नाही तेव्हा खाजगी झालं!’ अशी वाक्ये त्यांच्या कानावर पडू लागली. पंतांना मात्र रात्रांदिवस ‘एकशे एक्क्याऐंशी पौंड’ वजनाचे कार्ड डोळ्यांपुढे नाचत होते. वजन कमी झाले पाहिजे या विचाराने त्यांची झोप उडाली. झोप कमी झाल्यामुळे वजन कमी होते या विचाराने त्यांना त्याचे काही वाटत नव्हते. पण यावर पत्नीचे दुरुत्तर होते की “घोरत तर असता रात्रभर!” एकूण काय वजन कमी झाले पाहिजे या विचाराने पंतांनी “दोन महिन्यात पन्नास पौंड वजन कमी करून दाखवीन तर खरा!” अशी भीष्मप्रतिज्ञा केली.

प्रश्न 2.
‘चाळ संस्कृती’ चे पाठातून होणारे दर्शन स्पष्ट करा.
उत्तरः
पंत म्हणजे लेखक पु. ल. देशपांडे होत. ते चाळीत राहत असतानाचे वर्णन त्यांनी पाठात केले आहे. यासोबत चाळीतील लोकांचे स्वभाव, चाळीतील लोकजीवन यांची ओळख करून दिली आहे.

चाळ संस्कृतीत लोकांच्या वागण्यातील मोकळेपणा पाठातून दिसून येतो. एकमेकांना नावे ठेवली तरी मनात एकमेकांबद्दल प्रेम असते. कोणतीही गोष्ट चाळीत लपून राहत नाही. ही चाळ संस्कृतीची वैशिष्ट्ये पाठात दिसून येतात.

प्रश्न २. खालील उताऱ्याच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा:
कृती १: आकलन कृती

प्रश्न 1.
खालील कृती पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 7

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

प्रश्न 2.
एका वाक्यात उत्तरे लिहा.
(i) काशीनाथ नाडकर्णीनी पंतांना कोणती गोष्ट वर्ण्य करायला सांगितली?
उत्तर:
काशीनाथ नाडकर्णीनी पंतांना डाळ वर्ण्य करायला सांगितली.

(ii) बाबूकाकांनी कोणत्या गोष्टी सोडावयास सांगितले?
उत्तरः
बाबूकाकांनी तेल आणि तळलेले पदार्थ सोडावयास सांगितले.

(iii) बसून बसून काय खेळल्याने वजन वाढते?
उत्तरः
बसून बसून पत्ते खेळल्याने वजन वाढते.

(iv) “ए इडिअट! सगळ्याच गोष्टींत जोक काय मारतोस नेमी?” असे जनोबा रेगेंना कोण म्हणाले?
उत्तरः
“ए इडिअट! सगळ्याच गोष्टींत जोक काय मारतोस नेमी” असे जनोबा रेगेंना, सोकाजी त्रिलोकेकर म्हणाले.

प्रश्न 3.
कोण ते लिहा.
उत्तर:
(i) नेहमी तिरके बोलणारे → जनोबा रेगे
(ii) सर्व जनांचे ऐकून मनाचे करायचे ठरवणारे → पंत
(iii) ‘बटाट्याची चाळ’ म्हणू नका. वजन वाढेल! असे उपदेश करणारे → जनोबा रेगे
(iv) या ठिकाणी सगळे भात खातात

प्रश्न 4.
उताऱ्यानुसार वाक्यांचा क्रम लावा.
(i) पहिला उपाय म्हणून मी ‘आहारपरिवर्तन’ सुरू केले.
(ii) “तेल आणि तळलेले पदार्थ आधी सोडा.”
(iii) जनोबा रेगे या इसमाला काय म्हणावे हे मला कळत नाही.
(iv) “ए इडिअट! सगळ्याच गोष्टींत जोक काय मारतोस नेमी?
उत्तर:
(i) जनोबा रेगे या इसमाला काय म्हणावे हे मला कळत नाही.
(ii) “ए इडिअट! सगळ्याच गोष्टींत जोक काय मारतोस नेमी?
(iii) “तेल आणि तळलेले पदार्थ आधी सोडा.”
(iv) पहिला उपाय म्हणून मी ‘आहारपरिवर्तन’ सुरू केले.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

कृती २ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
कंसातील योग्य शब्द वापरून रिकाम्या जागा भरा.
(i) “मी सांगतो तुला पंत तू …………………………….. सोड”. (तेल, तूप, साखर, बटाटा)
(ii) आमच्या कोकणात सगळे …………………………….. खातात. (भाकरी, मासे, भात, भाजी)
(iii) “हो! ‘म्हणजे कुठं राहता?’ म्हणून विचारलं तर नुसतं …………………………….. राहतो’ म्हणा.” (रस्त्यावर, चाळीत, घरात, बंगल्यात)
(iv) “खरं म्हणजे पत्ते खेळायचं सोडा बसून बसून …………………………….. वाढतं.” (पोट, वजन, हाड, झोप)
उत्तर:
(i) बटाटा
(ii) भात
(ii) चाळीत
(iv) वजन

प्रश्न 2.
कोण कोणास म्हणाले?
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 8

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

प्रश्न 3.
कारणे लिहा.

(i) पंतांना दिवसा झोपणं आणि पत्ते खेळणं सोडावयास सांगितले.
उत्तर:
दिवसा झोपण्यामुळे व पत्ते खेळण्यानं बसून बसून वजन वाढते म्हणून दिवसा झोपणं व पत्ते खेळणं सोडावयास सांगितले.

(ii) पंतांना लोणी-तूप सोडा असे सांगितले.
उत्तर:
पंतांना लोणी-तूप सोडा असे सांगितले कारण त्यांच्या हेडक्लार्कच्या वाईफचं वजन लोणी-तूप सोडल्यानं एका आठवड्यात दहा पौंड घटलं होतं म्हणून त्यांनी हा सल्ला दिला.

कृती ३ : स्वमत

प्रश्न 1.
पंतांना कोणाचा सल्ला तिरकेपणाचा वाटला तुमच्या शब्दांत लिहा.
उत्तर:
पंतांच्या चाळीतील सोकाजी त्रिलोकेकर यांनी पंतांना डाएटचा सल्ला दिला. पंतांना बटाटा सोडण्यास सांगितले. त्यावर जनाबा रेगे म्हणाले की, “हो! म्हणजे कुठं राहाता असं जरी विचारले तरी नुसतं ‘चाळीत राहतो’ असे म्हणायचे” ‘बटाट्याच्या चाळीत’ म्हणायचं नाही. वजन वाढेल. असे हे जनोबा रेगे यांचे बोलणे तिरकेपणाचे होते कारण बाकी सगळ्यांनी पंतांना खाण्याबाबत व त्यांच्या वजन वाढीस पूरक अशा सवयी सोडण्याबाबत सल्ले दिले होते, पण रेगे यांनी ‘बटाट्याची चाळ’ असे सुद्धा न म्हणता फक्त चाळच म्हणा असा तिरकस सल्ला पंतांना दिला.

प्रश्न ३. खालील उताऱ्याच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा:
कृती १ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 9

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

प्रश्न 2.
कोण ते लिहा.
उत्तर:
(i) डाएटवर सूड घेणारा → कैंटीनचा आचारी
कचेरीतील साऱ्या सेक्शनला पार्टी देणारा → अण्णा नाडगौडा

प्रश्न 3.
एका वाक्यात उत्तरे लिहा.

(i) व्रतभंगाचा प्रसंग केव्हा आला?
उत्तरः
व्रतभंगाचा प्रसंग दुसऱ्या दिवशी म्हणजे अण्णा नाडगौडाच्या पार्टीच्या दिवशी आला.

(ii) पंतांना डाएटवर असल्याची आठवण केव्हा झाली?
उत्तरः
भज्यांची सहावी प्लेट खाल्ल्यावर पंतांना डाएटवर असल्याची आठवण झाली.

(iii) पंतांच्या वजन घटवण्याच्या व्रताची वार्ता पहिल्या दिवशी कोठे गेली होती?
उत्तर:
पंतांच्या वजन घटवण्याच्या व्रताची वार्ता पहिल्या दिवशी कचेरीला गेली होती.

प्रश्न 4.
कारणे लिहा.

(i) पंतांनी बिन साखरेचा चहा सुरू केला.
उत्तर:
साखरेत सर्वांत अधिक कॅलरीज असतात, म्हणून बिनसाखरेचा चहा पंतांनी सुरू केला.

(ii) पंतांनी फक्त मधला भात वर्ण केला.
उत्तरः
वजन कमी करायचे तर पंतांना भात पूर्णपणे सोडावा लागणार होता परंतु भात अजिबात वर्ण्य करणे अवघड होते म्हणून पंतांनी फक्त पहिला भात आणि ताकभात ठेवून मधला भात वर्ण्य केला.

कृती २ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 10

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

प्रश्न 2.
कारणे लिहा.

(i) पंतांना खाल्लेले गोड लागत नव्हते.
उत्तरः
पंतांना खाल्लेले गोड लागत नव्हते, कारण आचाऱ्याने मिठाईत साखर न घालता साखरेत मिठाई घालून आणली होती. त्यामुळे घासा-घासागणिक सहस्रावधी कॅलरीज पोटात जात होत्या.

(ii) नाडगौडाने स्पेशल भज्यांची ऑर्डर दिली.
उत्तरः
नाडगौडाने स्पेशल भज्यांची ऑर्डर दिली कारण भज्यांशिवाय पार्टी कसली?’ असा भिकोबा मुसळ्याने टोमणा दिला, म्हणून चेकाळून नाडगौडाने स्पेशल भज्यांची ऑर्डर दिली.

प्रश्न 3.
कंसातील योग्य पर्याय निवडून रिकाम्या जागा भरा.

(i) कुटुंबाला सारी …………………………….. तिखटामिठावर उरकायची सक्त ताकीद दिली. (संक्रांत, दिवाळी, गुढीपाडवा, होळी)
(ii) चिवडा अस्सल …………………………….. तला, त्यामुळे आणखी कॅलरीज, (‘तूप’, ‘तेला’, ‘वनस्पती’, ‘साखरेत’)
उत्तर:
(i) दिवाळी
(ii) ‘वनस्पती’

प्रश्न 4.
सहसंबंध लिहा.

(i) चहा : बिनसाखरेचा : भाजी : ……………………………..
(ii) भजी : स्पेशल : चिवडा : ……………………………..
उत्तर:
(i) उकडलेली
(ii) अस्सल

प्रश्न 5.
चूक की बरोबर लिहा.

(i) ‘सध्या मी ‘डाएट’ वर असल्याचे सांगितल्यावर पंतांना सर्वांनी वेड्यात काढले.
(ii) साखरेत सर्वात अधिक कॅलरीज नसतात.
उत्तर:
(i) बरोबर
(ii) चूक

कृती ३ : स्वमत

प्रश्न 1.
पंतांची ‘साखरबंदी’ वर्णन करा.
उत्तरः
पंतांनी आहारपरिवर्तन सुरू केल्यानंतर साखरेत सर्वांत अधिक कॅलरीज असतात; म्हणून प्रथम बिनसाखरेचा चहा सुरू केला. घरात साखरबंदी जाहीर केली. कुटुंबाला सारी दिवाळी तिखटमिठावर उरकायची सक्त ताकीद दिली. मुलांसाठीच फक्त गोडाधोडाचं करण्याची सवलत ठेवली.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

प्रश्न 2.
नाडगौडाला वाईट वाटू नये म्हणून पंतांनी काय केले?
उत्तरः
पंतांच्या व्रताचा पहिला दिवस सुरळीत पार पडला. दुसऱ्या दिवशी मात्र व्रतभंगाचा प्रसंग आला. अण्णा नाडगौडाला प्रमोशन मिळाले; म्हणून त्याने साऱ्या सेक्शनला पार्टी दिली. कँटीनच्या आचाऱ्याने पंतांच्या डाएटवर सूड घ्यायचा असे ठरवून पदार्थ केले होते; पण न खावे तर अण्णा नाडगौडाला वाईट वाटेल; कारण सहा वर्षांनी तो ‘एफिशिएन्सी बार’ च्या जाळ्यातून बाहेर पडला होता. पंतांनी नाडगौडाला वाईट वाटू नये म्हणून, स्वतः ‘डाएट’ वर असतानासुद्धा सर्व पदार्थ भरपूर खाल्ले.

प्रश्न 3.
पत्नीने केलेल्या भाजीची पंत कशी खिल्ली उडवतात?
उत्तरः
पंतांनी आहारपरिवर्तन सुरू केल्यावर नुसती उकडलेली पालेभाजी खाणे कसे जमणार हा विचार पोकळ होता. त्याचा अनुभव ती खाल्ल्यावर आला आणि नेहमीच्या भाजीत आणखी वेगळे काय करते याचा कधी अंदाज आला नाही. म्हणजे एक तर पत्नीने केलेली भाजी बेचव असू शकते अथवा पत्नीने फसवून नेहमीसारखी न उकडता दिलेली असावी; पण पंत मात्र केलेल्या भाजीला नाव ठेवतात. पंत आपल्या पत्नीला नेहमीच्या भाजीत ‘ही’ निराळे काय करते याचा अजूनही अंदाज आला नाही, असा उपरोधिक टोमणा देऊन भाजीची खिल्ली उडवतात.

प्रश्न 4.
‘सध्या मी ‘डाएट’ वर असल्याचे सांगितल्यावर सर्वांनी पंतांना वेड्यात काढले’, स्पष्ट करा.
उत्तरः
पंतांनी व्रत सुरू केले आणि दुसऱ्याच दिवशी अण्णा नाडगौडाच्या प्रमोशनची पार्टी होती. नाडगौडाला वाईट वाटू नये म्हणून पंतांनी पार्टीतील पदार्थ खाल्ले. आचाऱ्याने मिठाईत साखर न घालता साखरेत मिठाई घालून आणली होती. वनस्पती तूपातला चिवडा, बटाटेवडे एवढे सगळे असूनही शेवटी भज्यांशिवाय पार्टी कसली म्हणून भजीही होती. एवढ्या सगळ्यातून सहस्त्रावधी कॅलरीज पोटात चालल्या होत्या. भजीची सहावी प्लेट खाल्ल्यावर पंतांनी आपण डाएटवर असल्याचे केविलवाण्या स्वरात सांगितले, म्हणून सर्वांनी पंतांना वेड्यात काढले.

प्रश्न ४. पुढील उताऱ्याच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा,
कृती १: आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 11

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

प्रश्न 2.
एका वाक्यात उत्तरे लिहा.

(i) जगदाळेंनी कोणता सल्ला दिला?
उत्तरः
पंतांना जगदाळेंनी रनिंग करण्याचा सल्ला दिला.

(ii) कु. कमलिनी केंकरेंनी पंतांना कोणता सल्ला दिला?
उत्तर:
कु. कमलिनी केंकरेंनी पंतांना दोरीवरच्या उड्या मारण्याचा सल्ला दिला.

(iii) पंतांना यापूर्वी कधीच कोणती कल्पना आली नव्हती?
उत्तर:
बिनसाखरेचा चहा इतका कडू लागत असेल अशी यापूर्वी पंतांना कधीच कल्पना आली नव्हती.

प्रश्न 3.
कोण कोणास म्हणाले.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 12

प्रश्न 4.
कंसातील योग्य पर्याय निवडून रिकाम्या जागा भरा.
(i) कुटुंबाचा मात्र माझ्या ‘डाएटच्या’ बाबतीतला उत्साह होता. (जेवढ्यासतेवढा, अवर्णनीय, वर्णनीय, खूप)
(ii) रोज काही काही ……………………. पदार्थ माझ्या पानात पडायला लागले. (चविष्ट, खास, आवडते, चमत्कारिक)
उत्तर:
(i) अवर्णनीय
(ii) चमत्कारिक

कृती २: आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 13

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

प्रश्न 2.
काय ते लिहा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 33
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 15

प्रश्न 3.
खालील विधाने चूक की बरोबर ते लिहा.
(i) शेवटी सर्वांच्या मते मी सकाळी पोहावे असे ठरले.
(ii) सकाळचा चहा देखील सुरुवातीला होता तसा राहिला नाही.
(iii) सडपातळ भाज्यांची स्वयंपाकघरातून हकालपट्टी झाली.
(iv) बाळसेदार भाज्यांचा खुराक चालू झाला.
उत्तर:
(i) चूक
(ii) बरोबर
(iii) चूक
(iv) चूक

प्रश्न 4.
जोड्या जुळवा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 16
उत्तर:
(i-आ),
(ii – इ),
(iii – अ),
(iv – ई)

कृती ३: स्वमत

प्रश्न 1.
भिकोबा मुसळेने पंतांचे कसे समर्थन केले?
उत्तरः
पंतांनी वजन कमी करण्यासाठी ‘डाएट’ सुरू केले होते. परंतु अण्णा नाडगौडाच्या पार्टीत सहा प्लेट भजी खाऊन सातवी प्लेट झाल्यावर त्यांना आपण सध्या डाएटवर असल्याची आठवण होते. तेव्हा भिकोबा मुसळे पंतांचे समर्थन करतात, की खाण्याचा आणि वजनाचा काय संबंध? ‘मी बघ एकवीस गुलाबजाम खाल्ले. एवढंच काय, आपण तर आयुष्यात एक्सरसाईज नाही केला. तुझी कुंभ रास नि कुंभ लग्न आहे. नुसता वायू भक्षण करून राहिलास तरी असाच जाड्या राहणार. तेव्हा थोडक्यात खाण्यावर बंधन ठेवण्याचे कारण नाही, असे भिकोबांना सांगायचे होते.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

प्रश्न 2.
बिनसाखरेचा चहा कडू लागतो हे पंतांच्या केव्हा लक्षात आले?
उत्तरः
पंतांनी डाएट सुरू केल्यापासून त्यांच्या धर्मपत्नीचा उत्साह अवर्णनीय होता. रोज चमत्कारिक पदार्थ त्यांच्या पानात पडू लागले. बाळसेदार भाज्यांची स्वयंपाक घरातून हकालपट्टी केली व सडपातळ भाज्यांचा खुराक सुरू केला. सकाळचा चहा देखील सुरुवातीला होता तसा राहिला नाही. बिनसाखरेचा चहा इतका कडू लागत असेल याची पंतांना कधीच कल्पना आली नाही. पत्नीला यासंबंधी विचारले असता कुटुंबाने खुलासा केला की सुरुवातीचा चहा बिनसाखरेचा नव्हताच मुळी. त्यानंतर पंतांना समजले की बिनसारखेचा चहा कडू लागतो.

प्रश्न 3.
‘बाळसेदार भाज्यांची स्वयंपाकघरातून हकालपट्टी झाली’. स्पष्ट करा.
उत्तरः
पंतांचे डाएट सुरू झाल्यानंतर कुटुंबाचा उत्साह वर्णन करता न येण्यासारखा होता. रोज चमत्कारिक पदार्थ पंतांच्या ताटात पडू लागले. सडपातळ भाज्या शेवग्याच्या शेंगा, पडवळ, भेंडी, चवळीच्या शेंगा यांचा खुराक सुरू केला. पंतांचे वजन कमी व्हावे म्हणून बाळसेदार भाज्या कोबी, कॉलिफ्लॉवरची स्वयंपाक घरातून हकालपट्टी केली.

प्रश्न ५. पुढील उताऱ्याच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा.
कृती १: आकलन कृती

प्रश्न 1.
कारणे लिहा.

(i) पंतांना सुरुवातीला चहा बिनसाखरेचा असूनही कडू लागला नाही.
उत्तर:
पंतांना सुरुवातीला चहा बिनसाखरेचा असूनही कडू लागला नाही कारण तो बिनसाखरेचा नव्हता म्हणून.

(ii) पंतांना बिनसाखरेचा चहा धर्मपत्नीने दिला नाही.
उत्तर:
पंतांना बिनसाखरेचा चहा न देण्याचे कारण घरात थोडीशीच साखर होती. ती संपेपर्यंत धर्मपत्नीने साखरेचा चहा दयायचे ठरवले.

प्रश्न 2.
पुढील घटनांचे परिणाम लिहा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 17

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

प्रश्न 3.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 18

प्रश्न 4.
उताऱ्यानुसार वाक्यांचा क्रम लावा.
(i) “इश्श! साखरेशिवाय लाडू आमच्या नाही घराण्यात केले कुणी!”
(ii) “उगीच आरडाओरडा नका करू.”
(iii) “चहा सुरुवातीला बिनासाखरेचा असूनही कडू लागला नाही.”
(iv) कसलं कमी होतंय माझं वजन?
उत्तर:
(i) “चहा सुरुवातीला बिनासाखरेचा असूनही कडू लागला नाही.”
(ii) कसलं कमी होतंय माझं वजन?
(iii) “उगीच आरडाओरडा नका करू.”
(iv) “इश्श! साखरेशिवाय लाडू आमच्या नाही घराण्यात केले कुणी!”

कृती २ : आकलन कृती.

प्रश्न 1.
कोण कोणास म्हणाले?
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 19
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 20

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

प्रश्न 2.
कंसातील योग्य पर्याय निवडून रिकाम्या जागा भरा.
(i) चहा सुरुवातीला बिनसाखरेचा असूनही …………………………….. लागला नाही. (गोड, कडू, खारट, आंबट)
(ii) ‘साखरेशिवाय …………………………….. आमच्या नाही घराण्यात केले कुणी! (लाडू, पेढे, वड्या, बर्फी)
उत्तर:
(i) कडू
(ii) लाडू

प्रश्न 3.
चूक की बरोबर ते लिहा.
(i) लाडवाच्या रूपाने काही कॅलरीज पोटात गेल्याच!
(ii) लाडू बशीत ठेवून कुटुंबाने पंताच्या वजनक्षय – संकल्पाला मदत केली.
(iii) सुरुवातीला दिलेला चहा बिनसाखरेचा होता,
उत्तर:
(i) बरोबर
(ii) चूक
(iii) चूक

प्रश्न 4.
घटना क्रमानुसार लिहा.
(i) पंतांच्या वजनक्षय संकल्पाला नवे सुरुंग लावणारे कुटुंबाचे उद्गार
(ii) चहा सुरुवातीला बिनसाखरेचा असूनही कडू लागला नाही.
(iii) चहा बिनसाखरेचा नव्हता याचा खुलासा झाला.
(iv) बिनसाखरेचा चहातील साखरेची उणीव लाडू खाऊन भरून काढली.
उत्तर:
(i) चहा सुरुवातीला बिनसाखरेचा असूनही कडू लागला नाही.
(ii) चहा बिनसाखरेचा नव्हता याचा खुलासा झाला.
(iii) पंतांच्या वजनक्षय – संकल्पाला नवे सुरुंग लावणारे कुटुंबाचे उद्गार
(iv) बिनसाखरेच्या चहातील साखरेची उणीव लाडू खाऊन भरून काढली.

प्रश्न ६. पुढील उताऱ्याच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा.
कृती १: आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृती पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 21

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

प्रश्न 2.
उत्तरे लिहा.

(i) आचार्य बाबा बर्वेनी पंतांना कोणते सल्ले दिले?
उत्तरः
पंतांचे वजन कमी करण्यासाठी आचार्य बाबा बर्वेनी जिभेवर ताबा ठेवा, संयम राखा, मनाची एकाग्रता ठेवा, बोलणे सोडा, असे सल्ले दिले.

(ii) आचार्य बाबा बर्वेनी पंतांना क्षमा केली.
उत्तरः
पंतांच्या दोरी उड्या मारण्याच्या सरावातील दुसरी उडी मारताना बाबा बर्वेच्या गळ्यात दोरी पडली. यावर बर्वे खूप संतापले व पंतांना म्हणाले, ‘हा दुष्टपणा माझ्या गळ्यात दोरी अडकवून केलात हे ठीक झालं, पण तुमच्या वयाला न शोभणाऱ्या या धिंगामस्तीला दुसरा कोणी माझ्यासारखं बळी पडला असता, तर धडगत नव्हती.’ आणि बर्वेनी पंतांना माफ केले.

प्रश्न 3.
कंसांतील योग्य पर्याय निवडून वाक्ये पूर्ण करा.
(i) मौन ही एक …………………………… आहे. (शक्ती, भक्ती, मुक्ती, उक्ती)
(ii) ‘आता या उड्या मारायला मी …………………………… देखील सोडली.’ (खाज, माज, लाज, व्याज)
(iii) उड्या मारायच्या माझ्या दोरीचे एक टोक हातात धरून बाबा एक तास …………………………… या विषयावर बडबडत होते. (उपासाचे महत्त्व, मौनाचं महत्त्व, वजनाचे महत्त्व, संसाराचे महत्त्व)
उत्तर:
(i) शक्ती
(ii) लाज
(iii) मौनाचं महत्त्व

प्रश्न 4.
का ते लिहा.

(i) पंत बोलणं सोडू शकत नव्हते.
उत्तरः
पंत टेलिफोन – ऑपरेटर असल्यामुळे त्यांना दिवसभर बोलावे लागत असे. न बोलता ते त्यांची नोकरी करू शकणार नव्हते. नोकरी नसेल तर पोटापाण्याचे काय? म्हणून पंत बोलणं सोडू शकत नव्हते.

(ii) पंतांना पश्चात्ताप झाला.
उत्तर:
आचार्य बाबा बर्वेना पंतांच्या वजन घटवण्याची वार्ता समजली, तेव्हा त्यांनी पंतांना वेगवेगळे सल्ले दिले. एक तास मौनाच्या सामर्थ्यावर बोलले. पंतांना मात्र मौन पाळणे शक्य नव्हते. तेव्हा वजन घटणे शक्य नसल्याचे सांगत कारुण्यपूर्वक कटाक्ष टाकत बाबा गेले. तेव्हां पंतांना वाटले की मघाशी बाबांच्या गळ्यात दोरी पडली ती गच्च आवळली का नाही, या विचाराने पंतांना पश्चात्ताप झाला.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

कृती २: आकलन कृती

प्रश्न 1.
पुढील घटनांचे परिणाम लिहा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 22

प्रश्न 2.
जोड्या जुळवा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 23
उत्तर:
(1 – इ),
(ii – अ),
(iii – ई),
(iv – उ)
(v – आ)

प्रश्न 3.
खालील विधाने चूक की बरोबर ते लिहा.
(i) मौनाचं सामर्थ्य मोठं नसते.
(ii) वजन वाढवण्यासाठी पंत दोरीच्या उड्या मारत होते.
(iii) पंतांच्या दिवाणखान्यात दोरी संपूर्ण फिरवणे अवघड होते.
(iv) पंतांच्या समाचाराला चाळीतली सारी मंडळी येऊन गेली.
उत्तर:
(i) चूक
(ii) चूक
(iii) बरोबर
(iv) बरोबर

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

प्रश्न 4.
कोण कोणास म्हणाले?
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 24

प्रश्न 5.
एका वाक्यात उत्तरे लिहा.

(i) ‘मौनाचं महत्त्व’ या विषयावर कोण बडबडत होते?
उत्तर:
‘मौनाचं महत्त्व’ या विषयावर आचार्य बर्वे बडबडत होते.

(ii) पंत कोणती नोकरी करत होते?
उत्तर:
पंत टेलिफोन – ऑपरेटरची नोकरी करत होते.

प्रश्न 6.
उताऱ्यानुसार वाक्यांचा क्रम लावा.
(i) “बोलण्याचा आणि खाण्याचा संबंध काय?”
(ii) जिभेवर ताबा नाही तुमचा.
(iii) “अहो वजन कमी करायला दोरीच्या उड्या मारतोय मी.”
(iv) ‘उपास’ हे त्यांचे खास राखीव कुरण होते.
उत्तर:
(i) ‘उपास’ हे त्यांचे खास राखीव कुरण होते.
(ii) “अहो वजन कमी करायला दोरीच्या उड्या मारतोय मी.”
(iii) जिभेवर ताबा नाही तुमचा.
(iv) “बोलण्याचा आणि खाण्याचा संबंध काय?”

कृती ३: स्वमत

प्रश्न 1.
आचार्य बाबा बर्वेची स्वभाव वैशिष्ट्ये लिहा.
उत्तरः
आचार्य बाबा बर्वे ही पंतांच्या शेजारच्या खोलीत राहणारी व्यक्ती होती. उपास हे त्यांचे खास कुरण होते. स्पष्टवक्तेपणाने पंतांना सांगणारे, दोरीवरच्या उड्या मारण्यावरून पंतांची कान उघडणी करणारे; पण माफ करणारे, मौनाचे महत्त्व जाणणारे, मौन या विषयावर बोलताना त्यांना स्वत:लाच बोलणे थांबवा असे सांगण्याची आवश्यकता असणारे, पंतांना बोलणं सोडण्याचा उपाय शक्य नाही हे पाहून कारुण्यपूर्ण नजरेने कटाक्ष टाकत ‘मग कसलं वजन उतरवणार तुम्ही.’ असं उघड उघड सांगणारे आचार्य बाबा बर्वे होते.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

प्रश्न 2.
‘जिभेवर ताबा नाही तुमचा.’ या बोलण्यामागची भूमिका स्पष्ट करा.
उत्तरः
पंतांचा उपास सुरू झाल्याची हकीकत चाळीत पसरल्यावर लोक त्यांच्या समाचाराला येऊ लागली. प्रत्येकजण त्यांना वजन घटवण्यासाठी उपाय सुचवू लागला. कोणी खाण्यावर बंधन आणण्यासाठी सांगे तर कोणी शारीरिक व्यायामासाठी सांगे; पण आचार्य बनी मात्र जिभेवर बंधन घातले. म्हणजेच खाणे आणि बोलणे या दोन्ही गोष्टी संयमित हव्यात. जिभेचा जसा खाण्यासाठी उपयोग करतो, तसा बोलण्यासाठी उपयोग होतो. हे पंतांना प्रकर्षाने सांगू इच्छितात. त्यासाठी संयम हवा. मौन पाळले पाहिजे तरच वजन घटेल. अशी आचार्य बाबा बर्वेची बोलण्यामागची भूमिका होती.

प्रश्न ७. पुढील उताऱ्याच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा.
कृती १: आकलन कृती.

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 25

प्रश्न 2.
एका वाक्यात उत्तरे लिहा.

(i) पंतांच्या अंगाचा तिळपापड केव्हा होई?
उत्तर:
साखर पाहिली की पंतांच्या अंगाचा तिळपापड होई.
(ii) पंतांच्या दोरीवरच्या उड्या मारणे बंद का झाले?
उत्तर:
खालच्या मजल्यावरील मंडळींच्या दुष्टपणाने व आकसाने केलेल्या तक्रारींमुळे पंतांना दोरीवरच्या उड्या मारणे थांबवावे लागले.

(iii) पंतांनी कोणता आहार सुरू केला?
उत्तरः
केवळ पौष्टिक व सात्त्विक आहार पंतांनी सुरू केला.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

प्रश्न 3.
उत्तरे लिहा.

(i) पंधरवडाभरात पंतांनी कोणते अपवाद वगळता भाताला स्पर्श केला नाही?
उत्तर:
पंधरवडाभरात फक्त दोन वेळाच साखरभात झाला.एकदा सोकाजीने चोरून कोळंबीभात चारला व खालच्या मजल्यावरच्या भाऊजी पसरटवारांनी एकदा नागपुरी वडाभात पाठवला होता. एवढे अपवाद वगळल्यास पंतांनी भाताला स्पर्श केला नाही.

(ii) पंतांच्या आहारपरिवर्तनाचा परिणाम लिहा.
उत्तरः
पंतांनी आहारपरिवर्तन करून दहाबारा दिवस झाल्यावर त्यांच्यातला फरक त्यांनाच कळायला लागला. लहान मुले बी पेरले की रोप किती वाढले हे रोप उपटून पाहतात त्याप्रमाणे पंतांना रोज संध्याकाळी वजन काट्यावर वजन करावे असे वाटत होते.

प्रश्न 4.
कंसातील योग्य पर्याय निवडून रिकाम्या जागा भरा, मला मी ………………………… झाल्याची स्वप्ने पडू लागली. (जाडजूड, सडपातळ, काटकुळा, उंच)
(ii) ………………………… ताटावरून मी उठू लागलो. (रिकाम्या, सजवलेल्या, जेवलेल्या, भरल्या)
(iii) बिनसाखरेचा आणि बिनदुधाचाच काय; पण ” देखील चहा मी पिऊ लागलो. (पाण्याचा, दुधाचा, कॉफीचा, बिनचहाचा)
उत्तर:
(i) काटकुळा
(ii) भरल्या
(iii) बिनचहाचा

प्रश्न 5.
चूक की बरोबर ते लिहा.
(i) पंत केवळ फळांवर जगू लागले.
(ii) धारोष्ण दुधासाठी गिरगावातील गोठ्यात जाऊ लागले.
(iii) दोरीवरच्या उड्या मारण्यासाठी खालच्या मजल्यावरील मंडळींनी प्रोत्साहन दिले.
(iv) कचेरी सुटल्यावर पंत गिरगाव रस्त्याने धावत येऊ लागले.
उत्तर:
(i) बरोबर
(ii) चूक
(iii) चूक
(iv) बरोबर.

कृती २: आकलन कृती

प्रश्न 1.
कारणे लिहा.
(i) कचेरी सुटल्यावर, पंत गिरगाव रस्त्याने धावू लागले कारण …………………………
(अ) त्यांना घरी लवकर पोहोचायचे होते.
(आ) मित्रांबरोबर गप्पा मारायच्या होत्या.
(इ) फिरत फिरत पायी येऊन पैसे वाचवायचे होते.
(ई) त्यांना वजन कमी करायचे होते.
उत्तरः
कचेरी सुटल्यावर, पंत गिरगाव रस्त्याने धावू लागले कारण त्यांना वजन कमी करायचे होते.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

(ii) लिंबाचा रस पंतांना अमृतासारखा वाटू लागला कारण …………………………
(अ) लिंब स्वस्त होती.
(आ) लिंब आवडत होती.
(इ) लिंबाच्या रसाने वजन कमी होते.
(ई) लिंबाचा सिझन होता.
उत्तर:
लिंबाचा रस पंतांना अमृतासारखा वाटू लागला कारण लिंबाच्या रसाने वजन कमी होते.

प्रश्न 2.
ओघतक्ता तयार करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 26

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

प्रश्न 3.
कसे ते लिहा.
उत्तर:
(i) लिंबाचा रस – अमृतासारखा
(ii) दूध – धारोष्ण
(iii) आहार – पौष्टिक आणि सात्त्विक

प्रश्न 4.
उताऱ्यानुसार वाक्यांचा क्रम लावा.
(i) मग मात्र मी चिडलो आणि निश्चय केला की बस्स.
(ii) लिंबाचा रस तर मला अमृतासारखा वाटू लागला.
(iii) मुख्यत: चरबी युक्त द्रव्ये शरीरात कमी गेली.
(iv) एकूण आहारव्रत जोरात चालू ठेवले.
उत्तर:
(i) मग मात्र मी चिडलो आणि निश्चय केला की बस्स.
(i) लिंबाचा रस तर मला अमृतासारखा वाटू लागला.
(iii) एकूण आहारव्रत जोरात चालू ठेवले.
(iv) मुख्यत: चरबी युक्त द्रव्ये शरीरात कमी गेली.

कृती ३: स्वमत

प्रश्न 1.
पंतांना भात अतिशय प्रिय होता, हे स्पष्ट करा.
उत्तरः
पंतांचे एकूण आहारव्रत जोरदार सुरू होते. केवळ पौष्टिक व सात्विक आहार दहाबारा दिवस चालू होता. त्यांच्यातील फरक त्यांनाच कळत होता. एक महिनाभर तुपाचा थेंब त्यांच्या पोटात जाणार नव्हता. केवळ दूध! असे असताना पंतांनी भात खाणे वर्ण्य केलेले असताना पंधरवडाभरात दोन वेळा साखरभात खाल्ला. एकदा सोकाजीने चोरून कोळंबीभात चारला व भाऊजी पसरवटांनी एकदा नागपुरी वडाभात पाठवला होता, एवढे अपवाद वगळता त्यांनी भाताला स्पर्श केला नाही. आहारव्रत सुरू असताना त्यांच्या समोर आलेल्या भाताचे प्रकार पाहून त्यांचा मोह आवरता आला नाही. यावरून पंतांना भात अतिशय प्रिय खादय होते हे स्पष्ट होते.

प्रश्न 2.
कचेरी सुटल्यावर पंत गिरगाव रस्त्याने धावू का लागले?
उत्तरः
पंतांचे वजन कमी करण्यासाठी त्यांच्या आहारतज्ज्ञ मित्रमंडळींनी विविध उपाय सांगितले.खाणे कमी करण्याबरोबरच शारीरिक व्यायाम व्हावा म्हणून दोरीच्या उड्या व रनिंग करावे असा सल्ला मिळाल्यामुळे पंत कचेरी सुटल्यावर गिरगाव रस्त्याने धावत घरी येऊ लागले.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

प्रश्न 3.
पंतांनी उपास सुरू केल्यापासून त्यांनी केलेल्या कष्टाविषयी माहिती दया.
उत्तरः
पंतांनी वजन कमी व्हावे म्हणून उपासाचा निश्चय केला आणि आहारात बदल घडवून आणला. आहाराबरोबरच त्यांनी शारीरिक कष्टही घेतले. गाईचे दूध आणण्यासाठी ते अंधेरीच्या गोठ्यात जाऊ लागले. कचेरी सुटल्यावर गिरगाव रस्त्याने धावत येऊ लागले. दोरीवरच्या उड्या मारू लागले. या सर्व कष्टांच्या मागे त्यांना आपले वजन कमी व्हावे ही एकच अपेक्षा होती.

प्रश्न ८. पुढील उताऱ्याच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा.
कृती १: आकलन कृती.

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 27

प्रश्न 2.
कोण कोणास म्हणाले?
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 28

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प्रश्न 3.
कंसातील योग्य पर्याय निवडून रिकाम्या जागा भरा,
(i) मंडळींच्या प्रशस्तीने मला ……………………………. वाटत होती. (खात्री, वाईट, लाज, भीती)
(ii) छे, छे, वजनाचा मार्ग ……………………………. काट्यातून जातो. (नेहमीच्या, हलक्या, भलत्याच, लोखंडी)
(iii) हल्ली मी वजन आणि ……………………………. या दोन्ही गोष्टींची चिंता करायचे सोडून दिले आहे. (खाणे, पिणे, फिरणे, भविष्य)
उत्तर:
(i) भीती
(ii) भलत्याच
(iii) भविष्य

प्रश्न 4.
घटना क्रमानुसार लिहा.
(i) डाएटच्या आहारी या जन्मात न जाण्याचे ठरवले.
(ii) पंतांच्या डाएटची चेष्टा करणाऱ्यांनी प्रशंसा केली.
(iii) एकशे ब्याण्णव पौंड वजन दाखवले.
(iv) असामान्य मनोनिग्रह आणि जिव्हा नियंत्रण केले.
उत्तर:
(i) पंतांच्या डाएटची चेष्टा करणाऱ्यांनी प्रशंसा केली.
(ii) असामान्य मनोनिग्रह आणि जिव्हा नियंत्रण केले.
(iii) एकशे ब्याण्णव पौंड वजन दाखवले.
(iv) डाएटच्या आहारी या जन्मात न जाण्याचे ठरवले.

कृती २: आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास 29

प्रश्न 2.
उत्तरे ते लिहा.
उत्तर:
(i) पंतांना खात्री होती – [वीस पंचवीस पौंडांनी वजन घटण्याची.]
(i) मंडळींच्या प्रशस्तीने पंतांना भीती वाटत होती – [मूठभर मांस वाढण्याची.]

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प्रश्न 3.
चूक की बरोबर ते लिहा.
(i) पंत तुरळक तारीफ ऐकून भुलले.
(ii) पंतांनी डाएटच्या आहारी जन्मात न जाण्याचे ठरवले.
(iii) वजनाच्या यंत्रावर पाय ठेवून पंतांनी दोन रुपयाचे नाणे आत टाकले.
उत्तर:
(i) चूक
(i) बरोबर
(iii) चूक

प्रश्न 4.
एका वाक्यात उत्तरे लिहा.
(i) पंतांनी कोणत्या गोष्टींची चिंता करणे सोडून दिले?
उत्तर:
पंतांनी वजन आणि भविष्य या दोन्ही गोष्टींची चिंता करणे सोडून दिले.

(ii) चाळीतील मंडळी कोणत्या गोष्टींची चेष्टा करत होती?
उत्तरः
चाळीतील मंडळी पंतांची, त्यांच्या डाएटची व त्यांच्या उपासाची चेष्टा करत होती.

प्रश्न 5.
रिकाम्या जागी योग्य विधान घालून वाक्य पूर्ण करा.
(i) माझा एकूण निश्चय पाहून चाळीतल्या मंडळीचे आदर दुणावल्याचे …………………………..
(अ) माझ्या सूक्ष्म नजरेतून सुटत नव्हते.
(आ) त्याच्या सूक्ष्म नजरेतून सुटत नव्हते.
(इ) हिच्या सूक्ष्म नजरेतून सुटत नव्हते.
(ई) माझ्या तीक्ष्ण नजरेतून सुटत नव्हते.
उत्तर:
माझा एकूण निश्चय पाहून चाळीतल्या मंडळीचे आदर दुणावल्याचे माझ्या सूक्ष्म नजरेतून सुटत नव्हते.

(ii) ………………………….. या दोन्ही गोष्टींची चिंता करायचे सोडून दिले आहे.
(अ) वजन आणि घट
(आ) वजन आणि भविष्य
(इ) भविष्य आणि चिंता
(ई) वजन आणि काळजी
उत्तरः
वजन आणि भविष्य या दोन्ही गोष्टींची चिंता करायचे सोडून दिले आहे.

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कृती ३: स्वमत

प्रश्न 1.
चाळीतील मंडळींचा उत्साह दुणावल्याचे कोणत्या उद्गारातून स्पष्ट होते?
उत्तरः
पंतांचा डाएट बद्दलचा एकूण निश्चय पाहून पंतांविषयीचा आदर दुणावला व ते पंतांना जाणवत होते. ज्या मंडळींनी पंतांच्या उपासाची चेष्टा केली त्यांनीच ‘पंत, फरक दिसतोय हं!’ अशी कबुली दयायला सुरुवात केली. जनोबा रेग्यांसारख्या कुजकट शेजाऱ्यालाही ‘पंत, भलतेच काय हो रोडावलेत’ असे मान्य करावे लागले.

प्रश्न 2.
एक महिन्याच्या पंतांच्या उग्र साधनेबद्दल माहिती लिहा.
उत्तर:
पंतांनी आपले वजन घटवण्यासाठी एक महिन्याचा उपास, निराहार, शास्त्रोक्त आहार, दोरीवरच्या उड्या इत्यादी उग्र साधना केली. या साधनेनंतर पंतांना खात्री होती, की आपले वजन वीस ते पंचवीस पौंडांनी घटेल. पंतांनी केलेल्या उपासामुळे त्यांच्यातील फरक लोकांनाही जाणवत होता. त्यामुळे पंतांना नक्की वजन घटणार याची खात्री होती.

प्रश्न 3.
उपास करूनही पंतांचे वजन वाढण्यामागचे कारण कोणते असावे असे तुम्हाला वाटते.
उत्तर:
पंतांनी एक महिन्याचा उपास, निराहार, शास्त्रोक्त आहार, दोरीवरच्या उड्या इत्यादी उग्र साधना केली असे म्हटले असले तरी बिनसाखरेचा समजून साखरेचा चहा, लाडू, पंधरवडाभरात भात वर्ण्य केला असूनही चार वेळा भात खाल्ला होता. एकीकडे निराहार, शास्त्रोक्त आहार घेणारे पंत दुसरीकडे कोण कोणत्या पदार्थांचा आस्वाद घेतला हे मार्मिकतेने सांगतात. एकूण पाठातील उपास हा मार्मिकतेचा विषय असल्यामुळे पंतांच्या वागण्यातील विरोधाभासामुळे वजन घटण्याऐवजी वाढलेले दिसून आले, असे मला वाटते.

स्वाध्याय कृती

स्वमत

प्रश्न 4.
तुम्ही एखादा संकल्प केला आणि तो पूर्ण केला नाही तर कुटुंबातील व्यक्ती कोणत्या प्रतिक्रिया व्यक्त करतील, याची कल्पना करून लिहा.
उत्तरः
नववीची परीक्षा झाली व मी पास होऊन दहावीच्या वर्गात गेले. यावर्षी काहीही करून सकाळी लवकर उठून अभ्यास करायचा असा मी संकल्प केला. नुकतीच मे महिन्याची सुट्टी अनुभवलेली असल्यामुळे लवकर उठायची सवय मोडली होती. आईला मी माझ्या संकल्पाविषयी सांगितले. दुसऱ्या दिवसापासून आईने मला सकाळी पाच वाजता उठवायला सुरुवात केली. पहिल्या दिवशी नवा उत्साह असल्यामुळे मी शहाण्या बाळासारखी उठून बसले.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 4 उपास

शाळा सुरू झाल्यानंतर सुरुवातीला मैत्रिणीबरोबरच्या गप्पा, खेळ, शाळेतील अभ्यास या सर्वांमुळे मला माझ्या संकल्पाविषयी विसर पडू लागला. इतरांबरोबर मजा करणे कमी झाले. कोणतीही गोष्ट करताना मी यंदा दहावीत आहे याची जाणीव करून दिली जाई. सकाळी लवकर उठून अभ्यास करण्याचा माझा संकल्प आई विसरली नव्हती. आईनेच एकदा घरातील सर्वांच्या देखत माझी चेष्टा केली, घरातील लहान भावंडेही माझी मस्करी करू लागली. खेळणे, टि.व्ही. पाहणे हे सारेच मला पारखे झाले. मग मात्र मी निश्चय केला, की आपण कुणाच्याच चेष्टेचा विषय बनू नये, मी केलेला संकल्प पूर्ण करण्यासाठी मनाची तयारी केली व नियमित लवकर उठून अभ्यास नियमित करू लागले.

उपास शब्दार्द्ध

  • उपास‌ ‌–‌ ‌निरशन,‌ ‌दिवसभर‌ ‌न‌ ‌जेवणे,‌ ‌निराहार‌‌ – (fasting,‌ ‌a‌ ‌fast)‌ ‌
  • परिवर्तन‌ ‌–‌ ‌मोठा‌ ‌बदल‌ ‌–‌ ‌(a‌ ‌radical‌ ‌change)‌ ‌
  • आचारी‌ ‌–‌ ‌स्वयंपाक‌ ‌करणारा‌ ‌–‌ ‌(a‌ ‌cook)‌ ‌
  • चमत्कारिक‌ ‌–‌ ‌विक्षिप्त,‌ ‌विचित्र‌ ‌–‌ ‌(strange,‌ ‌odd)‌ ‌
  • ‌मौन‌‌ – न‌ ‌बोलणे‌‌ –‌ ‌(silence)‌ ‌
  • धारोष्ण‌ ‌–‌ ‌नुकतीच‌ ‌धार‌ ‌काढली‌ ‌आहे‌ ‌असे‌ ‌ताजे‌ ‌दूध‌‌ – (fresh‌ ‌immediately‌ ‌after‌ ‌milking)‌ ‌
  • सामर्थ्य‌ ‌–‌ ‌शक्ती‌,‌ ‌बळ,‌ ‌क्षमता‌ ‌–‌ ‌(power,‌ ‌ability)‌ ‌
  • पश्चात्ताप‌ ‌–‌ ‌खेद,‌ ‌अनुताप‌ ‌–‌ ‌(respentance)‌ ‌
  • वाक्प्रवाह‌ ‌–‌ ‌अखंड‌ ‌बोलणे‌ ‌–‌ ‌(a‌ ‌flow‌ ‌of‌ ‌speech)‌ ‌
  • एकाग्रता‌ ‌–‌ ‌एकाच‌ ‌गोष्टीत‌ ‌पूर्ण‌ ‌लक्ष‌ ‌असणे‌‌ – (concentration)‌ ‌
  • शास्त्रोक्त‌ ‌–‌ ‌शास्त्रात‌ ‌नमूद‌ ‌केल्याप्रमाणे‌‌ – (scientific)‌ ‌
  • भविष्य‌ ‌–‌ ‌भावी‌ ‌गोष्टीचे‌ ‌पूर्वकथन,‌ ‌भाकीत‌‌ – (prediction)‌ ‌
  • पौष्टिक‌ ‌–‌ ‌ताकद‌ ‌वाढवणारे‌ ‌–‌ ‌(nutritious)‌ ‌
  • सात्विक‌ ‌–‌ ‌सत्वगुणी,‌ ‌शुद्ध,‌ ‌पवित्र‌‌ – (pure,‌ ‌god‌ ‌fearing)‌ ‌
  • दुर्दैव‌ ‌–‌ ‌अभागी,‌ ‌कमनशिबी‌‌ – (unfortunate,‌ ‌unlucky)‌ ‌
  • उग्रसाधना‌ ‌–‌ ‌दुःसह‌ ‌तपश्चर्या‌‌ – (learning‌ ‌the‌ ‌hard‌ ‌way,‌ ‌penance)‌ ‌
  • ‌आहार‌ ‌–‌ ‌नेहमी‌ ‌खाण्याचे‌ ‌अन्न –‌ ‌(adiet)‌ ‌
  • आणेली‌ ‌–‌ ‌जुन्या‌ ‌काळातील‌ ‌एक‌ ‌नाणे‌‌ – (old‌ ‌currency‌ ‌coin)‌ ‌
  • वर्य‌ ‌–‌ ‌टाळण्याजोगे,‌ ‌वगळण्याजोगे – (fit‌ ‌to‌ ‌be‌ ‌avoided)
  • ‌‌खाजगी‌‌ –‌ ‌स्वत:चा‌‌ – (private)‌ ‌
  • उपोषण‌ ‌–‌ ‌अन्न–पाणी‌ ‌वयं‌ ‌करणे‌‌ – (fasting)‌ ‌
  • टीका‌ ‌–‌ ‌गुणदोषांचे‌ ‌विवरण‌ ‌–‌ ‌(criticism)‌‌
  • प्रैंड –‌ ‌वजन‌ ‌मोजण्याचे‌ ‌परिमाण‌‌ – (weight‌ ‌measuring‌ ‌element)‌ ‌
  • घोरणे‌‌ –‌ ‌(to‌ ‌snore)‌ ‌
  • आहारशास्त्र‌ ‌–‌ ‌(sitology)‌ ‌
  • शास्त्र‌ ‌–‌ ‌(येथे‌ ‌अर्थ)‌ ‌कला‌ ‌
  • तज्ज्ञ‌ ‌–‌ ‌जाणकार,‌ ‌ज्ञानी‌ ‌–‌‌ (expert)‌ ‌
  • घटेल‌ ‌–‌ ‌घटणे,‌ ‌कमी‌ ‌होणे‌ ‌–‌‌ (reduce)‌ ‌
  • सल्ला‌ ‌–‌ ‌उपदेश‌‌ – (to‌ ‌advice)‌ ‌
  • लोणी‌ ‌–‌ ‌(butter)‌‌
  • तूप‌‌ –‌ ‌(ghee)‌ ‌
  • आहारपरिवर्तन–‌ ‌जेवणातला‌ ‌बदल‌ ‌–‌ ‌(change‌ ‌in‌ ‌diet)‌ ‌
  • वर्ण्य‌ ‌करणे‌ ‌–‌ ‌त्याग‌ ‌करणे‌‌ – (to‌ ‌avoid)‌ ‌
  • सुरळीत‌ ‌–‌ ‌व्यवस्थित‌‌ – (smoothly)‌ ‌
  • कचेरी‌ ‌–‌ ‌कार्यालय‌‌ – (office)‌ ‌
  • कुंभ‌ ‌रास‌ ‌–‌ ‌(aquarius)‌ ‌
  • वायू‌ ‌–‌ ‌हवा‌‌ – (air)‌ ‌
  • दोरीवरच्या‌ ‌उड्या‌‌ – (skipping)‌ ‌
  • अवर्णनीय‌ ‌–‌ ‌वर्णन‌ ‌करता‌ ‌न‌ ‌येणारे‌ ‌–‌ ‌(indescribable)‌ ‌
  • पडवळ‌ ‌–‌ ‌एक‌ ‌भाजी‌ ‌–‌ ‌(snake‌ ‌gourd)‌ ‌
  • शेवग्याच्या‌ ‌शेंगा‌ ‌–‌ ‌(drum‌ ‌sticks)‌ ‌
  • भेंडी‌ ‌–‌ ‌एक‌ ‌भाजी‌ ‌–‌ ‌(lady‌ ‌finger)‌ ‌
  • संयम‌ ‌–‌ ‌ताबा‌‌ –‌ ‌(control)‌ ‌
  • कटाक्ष‌ ‌–‌ ‌डोळ्यांच्या‌ ‌कोपऱ्यातून‌ ‌टाकलेला‌ ‌दृष्टिक्षेप‌‌ – (a‌ ‌glance)‌ ‌
  • अमृत‌ ‌–‌ ‌पीयुष,‌ ‌सुधा‌ ‌–‌ ‌(rector)
  • गोठा‌ –‌ ‌गुरे‌ ‌बांधण्याची‌ ‌जागा‌ ‌–‌ ‌(cow‌ ‌shed)
  • ‌कुजकट‌ ‌–‌ ‌(येथे‌ ‌अर्थ)‌ ‌वाईट‌ ‌
  • तुरळक‌‌ –‌ ‌क्वचित‌ ‌घडणारी‌ ‌–‌ ‌(rarely)
  • ‌जिव्हा ‌‌ ‌–‌ ‌जीभ‌‌ –‌ ‌(tongue)‌‌

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी योगी सर्वकाळ सुखदाता-संत एकनाथ

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Marathi Solutions Aksharbharati Chapter 2.2 संतवाणी योगी सर्वकाळ सुखदाता-संत एकनाथ Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी योगी सर्वकाळ सुखदाता-संत एकनाथ

Marathi Aksharbharati Std 10 Digest Chapter 2.2 संतवाणी योगी सर्वकाळ सुखदाता-संत एकनाथ Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
खालील चौकटी पूर्ण करा.
(अ) अभंगात वर्णिलेला चंद्रकिरण पिऊन जगणारा पक्षी – [              ]
(आ) पिलांना सुरक्षितता देणारे – [              ]
(इ) स्वत:ला मिळणारा आनंद – [              ]
(ई) व्यक्तीला सदैव सुख देणारा – [              ]
उत्तरः
(i) अभंगात वर्णिलेला चंद्रकिरण पिऊन जगणारा पक्षी – [चकोर]
(ii) पिलांना सुरक्षितता देणारे – [पक्षिणीचे पंख]
(iii) चिरकाल टिकणारा आनंद – [स्वानंदतृप्ती]
(iv) व्यक्तीला सदैव सुख देणारा – [योगी]

प्रश्न 2.
खालील आकृती पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी योगी सर्वकाळ सुखदाता-संत एकनाथ 1
उत्तरः
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प्रश्न 3.
खालील तक्ता पूर्ण करा.
योगीपुरुष आणि जीवन (पाणी) यांच्यातील फरक स्पष्ट करा.
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उत्तरः
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प्रश्न 4.
खालील शब्दांसाठी कवितेतील समानार्थी शब्द शोधा.
(अ) जीभ –
(आ) पाणी –
(इ) गोडपणा –
(ई) ढग –
उत्तरः
(i) जीभ – रसना
(ii) पाणी – जीवन, उदक, जल
(iii) गोडपणा – मधुरता
(iv) ढग – मेघ

प्रश्न 5.
काव्यसौंदर्य.
(अ) खालील ओळींचे रसग्रहण करा.
तैसे योगियासी खालुतें येणें। जे इहलोकी जन्म पावणें।
जन निववी श्रवणकीर्तनें। निजज्ञानें उद्धरी।।
उत्तरः
उपरोक्त पंक्ती ‘योगी सर्वकाळ सुखाचा’ या अभंगातील असून, त्या संत श्री एकनाथ महाराजांनी लिहिल्या आहेत. त्यांनी योगी पुरूषाची तुलना पाण्याशी करून योगी पुरूष पाण्यापेक्षाही श्रेष्ठ आहे हे सांगितले आहे. एकनाथांनी योग्यांची तुलना पाण्याशी केली आहे, पण योगी पाण्यापेक्षा अतिश्रेष्ठ कसे हे उदाहरणाद्वारे पटवून दिले आहे. ज्याप्रमाणे मेघांच्या पाण्याने अन्नधान्य उगवते. सर्वलोक तृप्त होतात. त्याप्रमाणे योगी सर्वश्रेष्ठ असून ते केवळ लोकांकरीता उच्च लोकांतून इहलोकात खाली येतात. जन्म घेऊन हालअपेष्टा भोगतात ते केवळ लोकांच्या कल्याणाकरिता हालअपेष्टा भोगतात. कीर्तन कथेच्या माध्यमातून जनाना (लोकांना) संतुष्ट करतात. आत्मज्ञानाने लोकांचा उद्धार करतात.

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(आ) ‘योगी पुरुष पाण्यापेक्षा श्रेष्ठ आहे’ हे तुमच्या शब्दांत स्पष्ट करा.
उत्तर:
‘योगी सर्वकाळ सुखदाता’ या अभंगात संत श्री एकनाथ यांनी योगी पुरुषाची महानता अत्यंत समर्पक शब्दांत दाखवली आहे. त्यांनी योगी पुरुषाची तुलना ‘जीवन’ अर्थात पाण्याशी केली आहे. पाण्यापेक्षा योगी श्रेष्ठ आहेत. पाण्याने वरवरचा मळ निघतो; पण योग्यांच्या ज्ञानाने अंतर्बाहय निर्मळता होते. पाण्याने एकदा संतुष्टता मिळते आणि परत तहान लागते, पण योगी चिरकाल टिकणारी स्वानंदतृप्ती देतात. उदकाचा म्हणजे पाण्याचा गोडवा फक्त जिभेलाच कळतो पण योग्यांचा गोडवा, त्यांचे ज्ञानाचे शब्द, प्रेम सर्व इंद्रियांना तृप्त करतात. मेघांच्या पाण्याने अन्नधान्य पिकते व जनांची भूक भागते. पण योग्यांच्या कीर्तनाने, निजज्ञानाने जनांचा उद्धार होतो. त्यांचे पूर्ण जीवन सफल होते.

(इ) योगी पुरुष आणि पाणी हे दोघेही सामाजिक कार्य करतात, हे स्पष्ट करा.
उत्तरः
संत एकनाथांनी ‘योगी सर्वकाळ सुखदाता’ या अभंगात योगी पुरुष आणि पाणी यांचे समाजासाठीचे योगदान दाखवून दिले आहे. पाणी तहान शमवते. काही काळापुरती संतुष्टी देते. मेघांच्या पाण्याने शेती पिकते. अन्नधान्य पिकते. सर्वांची भूक भागवली जाते. रसनेला तृप्ती मिळते, मळ घालवते, स्वच्छता करते, योगी पुरुष ज्ञानदानाने लोकांना सुखी समाधानी करतो. त्यांना कायमची तृप्तता देतो. सर्वेद्रिय तृप्त करतो. मेघांचे पाणी खाली पडून शेती पिकवते. पण योगीपुरुष तर स्वत:च उच्च अवस्थेतून इहलोकात जन्म घेतात. सर्व दीनांना, जनांना कीर्तन, प्रबोधनाद्वारे आत्मज्ञानाचे चिरंतर सुख देतात. त्यांच्या जीवनाचा उद्धार करतात. योगीपुरुष आणि पाणी दोघेही समाजासाठी अमूल्य आहेत.

Marathi Akshar Bharati Class 10 Textbook Solutions Chapter 2.2 संतवाणी योगी सर्वकाळ सुखदाता-संत एकनाथ Additional Important Questions and Answers

प्रश्न १.
पुढील कवितेच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा.

कृती १ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
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प्रश्न 2.
सहसंबंध लिहा.
जळ वरिवरी क्षाळी : मळ : : योगी सबाह्य करी : …………………….
उत्तरः
निर्मळ

प्रश्न 3.
चौकट पूर्ण करा.
उत्तरः
(i) क्षणात तृषित करणारे – [उदक]
(ii) सर्वकाळ सुख देणारा – [योगी]
(iii) योगी हे देतो – [स्वानंदतृप्ती]
(iv) योग्याने दिलेल्या सुखाला हे नाही – [विकृती]

प्रश्न 4.
कंसातील योग्य शब्द वापरून रिकाम्या जागा भरा.
(i) जेवीं चंद्रकिरण चकोरांसी। ………………………………. जेवीं पिलियांसी। (चखोवा, बकोवा, पांखोवा, ठकोवा)
(ii) ………………………………. जैसे कां जीवांसी। तेवीं सर्वांसी मृदुत्व।। (जीवन, मन, सुख, समाधान)
(iii) जळ वरिवरी क्षाळी ……………………………….। योगिया सबाह्य करी निर्मळ।। (पाणी, बळ, मळ, तळमळ)
(iv) ………………………………. सुखी करी एक वेळ। योगी सर्वकाळ सुखदाता। (पाणी, बदक, उदक, जल)
(v) तैसे योगियासी खालुतें येणें। इहलोकी ……………………………….” पावणें। (जन्म, मृत्यू, जीवन, जीव)
(vi) अध:पातें निवती ………………………………. अन्नदान सकळांसी।। (जन, लोक, जनता, जीव)
उत्तर:
(i) पांखोवा
(ii) जीवन
(iii) मळ
(iv) उदक
(v) जन्म
(vi) जन

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प्रश्न 5.
काव्यपंक्तीचा योग्य क्रम लावा.
(i) मेघमुखें अध:पतन। उदकाचे देखोनि जाण।
(ii) जन निववी श्रवणकीर्तनें। निजज्ञानें उद्धरी।।
(iii) जेवी चंद्रकिरण चकोरांसी। पांखोवा जेवीं पिलियांसी।।
(iv) योगिया दे स्वानंदतृप्ती। सुखासी विकृती पैं नाही।।
उत्तर:
(i) जेवी चंद्रकिरण चकोरांसी। पांखोवा जेवीं पिलियांसी।।
(ii) योगिया दे स्वानंदतृप्ती। सुखासी विकृती पैं नाही।।
(iii) मेघमुखें अध:पतन। उदकाचें देखोनि जाण।
(iv) जन निववी श्रवणकीर्तनं। निजज्ञानें उद्धरी।।

कृती २ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
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प्रश्न 2.
समानार्थी शब्दांच्या जोड्या लावा. (पाणी मुख रसना मधुर)
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उत्तर:
(i) पाणी – उदक
(ii) गोड – मधुर
(iii) मुख – तोंड
(iv) जीभ – रसना.

प्रश्न 3.
ओघतक्ता पूर्ण करा.
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प्रश्न 4.
एका शब्दात उत्तरे लिहा.
(i) योगी याद्वारे जनांना निववितात – श्रवणकीर्तन
(ii) योगी येथे जन्माला येतात – इहलोक
(ii) जनांचा यामुळे उद्धार होतो . निजज्ञान

प्रश्न 5.
एका वाक्यात उत्तरे लिहा.
(i) पाण्याची मधुरता कोणाला संतुष्ट करते?
उत्तरः
पाण्याची मधुरता रसनेला (जिभेला) संतुष्ट करते.

(ii) योग्यांचे गोडपण कोणाला संतुष्ट करते?
उत्तरः
योग्यांचे गोडपण सर्व इंद्रियांना संतुष्ट करते.

(iii) कोणाच्या अध:पाताने लोक समाधानी होतात?
उत्तरः
पाण्याच्या अध:पाताने लोक समाधानी होतात.

(iv) स्वानंदतृप्ती कोण देतो?
उत्तरः
स्वानंदतृप्ती योगी देतो.

पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्रमांक ४

२. संतवाणी

(आ) योगी सर्वकाळ सुखदाता
जेवीं चंद्रकिरण चकोरांसी। पांखोवा जेवीं पिलियांसी।
जीवन जैसे कां जीवांसी। तेवीं सर्वांसी मृदुत्व।।
जळ वरिवरी क्षाळी मळ। योगिया सबाह्य करी निर्मळ।
उदक सुखी करी एक वेळ। योगी सर्वकाळ सुखदाता।।
उदकाचे सुख ते किती। सर्वेचि क्षणे तृषितें होती।
योगिया दे स्वानंदतृप्ती। सुखासी विकृती पैं नाही।।
उदकाची जे मधुरता। ते रसनेसीचि तत्त्वतां।
योगियांचे गोडपण पाहतां। होय निवविता सर्वेद्रियां।।
मेघमुखें अध:पतन। उदकाचे देखोनि जाण।।
अध:पातें निवती जन। अन्नदान सकळांसी।।
तैसे योगियासी खालुतें येणें। जे इहलोकी जन्म पावणे।
जन निववी श्रवणकीर्तनें। निजज्ञानें उद्धरी।।

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कृती ३: कवितेतील शब्दांचा अर्थ

प्रश्न 1.
खालील कवितेतील शब्दांचा अर्थ लिहा.
(i) जेवि
(ii) चंद्र
(iii) पांखोवा
(iv) जीवन
उत्तर:
(i) ज्याप्रमाणे
(ii) शशी, सुधाकर
(iii) पक्षिणीचे पंख
(iv) पाणी कृती

काव्यसौंदर्य.

प्रश्न 1.
पुढील काव्यपंक्तीतील आशयसौंदर्य स्पष्ट करा.
जेवीं चंद्रकिरण चकोरांसी। पांखोवा जेवीं पिलीयासी।
जीवन जैसे कां जीवांसी। तेवीं सर्वांसी मृदुत्व।।
उत्तरः
योगी पुरूषाचे श्रेष्ठत्व स्पष्ट करताना संत एकनाथ सांगतात की, जो आत्म्याला परमेश्वराशी थेट जोडतो तो योगी असतो. त्याप्रमाणे चकोर पक्ष्यासाठी चंद्रकिरण हे त्यांचे जीवन असते. चंद्राची किरणे पिऊन तो जगतो अशी कल्पना आहे. तसेच पक्षिणी आपल्या लहान पिल्लांना पंखाखाली घेते, त्यांना मायेची ऊब देते. पिल्लांना पक्षिणीचे पंख सुरक्षित ठेवतात. पाणी हे पृथ्वीवरील सर्व सजीवांचे जीवन असते. पाण्याशिवाय सजीवांचे जीवन अशक्य आहे. त्याचप्रमाणे योग्यांचे स्थान समाजात असते. ते अत्यंत मृदू, प्रेमळ असतात. सर्वांशी त्यांचे वागणे प्रेमाचे आणि मृदू असते. असा हा योगी पुरुष आपल्या विचारांच्या ज्ञानाच्या पंखाखाली आपणा सर्वांना एकत्र आणतो आणि आपले जीवन सुख समाधानाने भरून टाकतो.

प्रश्न 2.
दिलेल्या मुद्द्यांच्या आधारे कवितेसंबंधी पुढील कृती सोडवा.
(१) प्रस्तुत कवितेचे कवी/कवयित्री:
संत एकनाथ

(२) प्रस्तुत कवितेचा विषयः
योगीपुरूष व पाण्याची तुलना करून योगी पुरूषाचे श्रेष्ठत्व स्पष्ट केले आहे.

(३) प्रस्तुत कवितेतील दिलेल्या दोन ओळींचा सरळ अर्थ:
उदकाची जे मधुरता। ते रसनेसीचि तत्वतां।
योगियांचे गोडपण पाहतां। होय निवविता सर्वेद्रियां।।
पाण्यापेक्षाही योगी पुरुषाचे श्रेष्ठत्व स्पष्ट करताना एकनाथ
महाराज म्हणतात की, पाण्याचा गोडवा जिभेला कळतो. तो जिभेपुरता मर्यादित असतो. परंतु योग्याच्या सहवासाने लाभलेले माधुर्य मनुष्याच्या सर्वच इंद्रियांना संतुष्ट करते. मानवी मनातील कटुता नष्ट होऊन मनाला एक आंतरिक समाधान लाभते ते चिरकाल टिकणारे असते.

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(४) प्रस्तुत कवितेतून मिळणारा संदेशः
संत एकनाथांनी ‘योगी सर्वकाळ सुखदाता’ या अभंगात योगी पुरूष आणि पाणी यांचे समाजासाठीचे योगदान दाखवून दिले आहे. पाणी आणि योगी पुरूष आपापल्या परीने समाजासाठी योग्य असे सामाजिक कार्य करीत असतात. आपल्याला त्यांच्यासारखे समाजोपयोगी कार्य करायला नाही जमले तरी निदान योगी पुरूषांनी दाखवलेल्या सन्मार्गावरून आपण गेले पाहिजे व आपल्या जीवनाचे कल्याण करून घ्यायला हवे, असा संदेश आपल्याला मिळतो.

(५) प्रस्तुत कविता आवडण्याचे वा न आवडण्याचे कारण:
संत एकनाथांनी योगी पुरूष आणि पाणी यांचे समाजासाठीचे योगदान दाखवून दिले आहे. चंद्रकिरण व चकोर, पांखोवा व पिल्ले, जीवन (पाणी) व जीव या उदाहरणांच्या अप्रतिम वापराने मनातील भाव समर्पकरित्या व्यक्त झालेला आहे. त्यामुळे हा अभंग मनापर्यंत पोहोचतो. मेघांचे रूपक घेऊन योगी पुरूषांचे खालुते येणे ही एकनाथ महाराजांनी योजलेली कल्पना मनाला भावल्यामुळे हा अभंग मला खूप आवडला आहे.

(६) प्रस्तुत कवितेतील शब्दांचे अर्थ:
(i) तेवी – त्याप्रमाणे
(ii) जळ – पाणी
(iii) क्षाळणे – धुणे
(iv) मळ – मल, मैला
(स्वाध्याय कती)

*(५) काव्यसौंदर्य

(१) तैसे योगियांसी खालुतें येणे। जे इहलोकी जन्म पावणे।
जन निववी श्रवणकीर्तनें। निजज्ञानें उद्धरी।।
उत्तरः
उपरोक्त पंक्ती ‘योगी सर्वकाळ सुखाचा’ या अभंगातील असून, त्या संत श्री एकनाथ महाराजांनी लिहिल्या आहेत. त्यांनी योगी पुरूषाची तुलना पाण्याशी करून योगी पुरूष पाण्यापेक्षाही श्रेष्ठ आहे हे सांगितले आहे. एकनाथांनी योग्यांची तुलना पाण्याशी केली आहे, पण योगी पाण्यापेक्षा अतिश्रेष्ठ कसे हे उदाहरणाद्वारे पटवून दिले आहे. ज्याप्रमाणे मेघांच्या पाण्याने अन्नधान्य उगवते. सर्वलोक तृप्त होतात. त्याप्रमाणे योगी सर्वश्रेष्ठ असून ते केवळ लोकांकरीता उच्च लोकांतून इहलोकात खाली येतात. जन्म घेऊन हालअपेष्टा भोगतात ते केवळ लोकांच्या कल्याणाकरिता हालअपेष्टा भोगतात. कीर्तन कथेच्या माध्यमातून जनाना (लोकांना) संतुष्ट करतात. आत्मज्ञानाने लोकांचा उद्धार करतात.

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(२) ‘योगी पुरुष पाण्यापेक्षा श्रेष्ठ आहे’ हे तुमच्या शब्दांत स्पष्ट करा.
उत्तर:
‘योगी सर्वकाळ सुखदाता’ या अभंगात संत श्री एकनाथ यांनी योगी पुरुषाची महानता अत्यंत समर्पक शब्दांत दाखवली आहे. त्यांनी योगी पुरुषाची तुलना ‘जीवन’ अर्थात पाण्याशी केली आहे. पाण्यापेक्षा योगी श्रेष्ठ आहेत. पाण्याने वरवरचा मळ निघतो; पण योग्यांच्या ज्ञानाने अंतर्बाहय निर्मळता होते. पाण्याने एकदा संतुष्टता मिळते आणि परत तहान लागते, पण योगी चिरकाल टिकणारी स्वानंदतृप्ती देतात. उदकाचा म्हणजे पाण्याचा गोडवा फक्त जिभेलाच कळतो पण योग्यांचा गोडवा, त्यांचे ज्ञानाचे शब्द, प्रेम सर्व इंद्रियांना तृप्त करतात. मेघांच्या पाण्याने अन्नधान्य पिकते व जनांची भूक भागते. पण योग्यांच्या कीर्तनाने, निजज्ञानाने जनांचा उद्धार होतो. त्यांचे पूर्ण जीवन सफल होते.

(३) योगी पुरुष आणि पाणी हे दोघेही सामाजिक कार्य करतात हे स्पष्ट करा.
उत्तरः
संत एकनाथांनी ‘योगी सर्वकाळ सुखदाता’ या अभंगात योगी पुरुष आणि पाणी यांचे समाजासाठीचे योगदान दाखवून दिले आहे. पाणी तहान शमवते. काही काळापुरती संतुष्टी देते. मेघांच्या पाण्याने शेती पिकते. अन्नधान्य पिकते. सर्वांची भूक भागवली जाते. रसनेला तृप्ती मिळते, मळ घालवते, स्वच्छता करते, योगी पुरुष ज्ञानदानाने लोकांना सुखी समाधानी करतो. त्यांना कायमची तृप्तता देतो. सर्वेद्रिय तृप्त करतो. मेघांचे पाणी खाली पडून शेती पिकवते. पण योगीपुरुष तर स्वत:च उच्च अवस्थेतून इहलोकात जन्म घेतात. सर्व दीनांना, जनांना कीर्तन, प्रबोधनाद्वारे आत्मज्ञानाचे चिरंतर सुख देतात. त्यांच्या जीवनाचा उद्धार करतात. योगीपुरुष आणि पाणी दोघेही समाजासाठी अमूल्य आहेत.

संतवाणी योगी सर्वकाळ सुखदाता-संत एकनाथ Summary in Marathi

संतवाणी योगी सर्वकाळ सुखदाता-संत एकनाथ भावार्थ‌‌

जेवी‌ ‌चंद्रकिरण‌ ‌चकोरांसी‌ ‌।‌ ‌पांखोवा‌ ‌जेवीं‌ ‌पिलियांसी‌ ‌।‌ ‌
जीवन‌ ‌जैसे‌ ‌का‌ ‌जीवांसी‌ ‌।‌ ‌तेवीं‌ ‌सर्वांसी‌ ‌मृदुत्व।।‌‌

योगी‌ ‌पुरुषाचे‌ ‌श्रेष्ठत्व‌ ‌स्पष्ट‌ ‌करताना‌ ‌संत‌ ‌एकनाथ‌ ‌सांगतात‌ ‌की,‌ ‌जो‌ ‌आत्म्याला‌ ‌परमेश्वराशी‌ ‌थेट‌ ‌जोडतो‌ ‌तो‌ ‌योगी‌ ‌असतो.‌ ‌त्याप्रमाणे‌ ‌चकोर‌ ‌पक्ष्यांसाठी‌ ‌चंद्रकिरण‌ ‌हे‌ ‌त्यांचे‌ ‌जीवन‌ ‌असते.‌ ‌चंद्राची‌ ‌किरणे‌ ‌पिऊन‌ ‌तो‌ ‌जगतो‌ ‌अशी‌ ‌कल्पना‌ ‌आहे.‌ ‌तसेच‌ ‌पक्षिणी‌ ‌आपल्या‌ ‌लहान‌ ‌पिल्लांना‌ ‌पंखाखाली‌ ‌घेते.‌ ‌त्यांना‌ ‌मायेची‌ ‌ऊब‌ ‌देते.‌ ‌पिल्लांना‌ ‌पक्षिणीचे‌ ‌पंख‌ ‌सुरक्षित‌ ‌ठेवतात.‌ ‌पाणी‌ ‌हे‌ ‌पृथ्वीवरील‌ ‌सर्व‌ ‌सजीवांचे‌ ‌जीवन‌ ‌असते.‌ ‌पाण्याशिवाय‌ ‌सजीवांचे‌ ‌जीवन‌ ‌अशक्य‌ ‌आहे.‌ ‌त्याचप्रमाणे‌ ‌योग्यांचे‌ ‌स्थान‌ ‌समाजात‌ ‌असते.‌ ‌ते‌ ‌अत्यंत‌ ‌मृदू,‌ ‌प्रेमळ‌ ‌असतात.‌ ‌सर्वांशी‌ ‌त्यांचे‌ ‌वागणे‌ ‌प्रेमाचे‌ ‌आणि‌ ‌मृदू‌ ‌असते.‌ ‌असा‌ ‌हा‌ ‌योगी‌ ‌पुरुष‌ ‌आपल्या‌ ‌विचारांच्या‌ ‌ज्ञानाच्या‌ ‌पंखाखाली‌ ‌आपणा‌ ‌सर्वांना‌ ‌एकत्र‌ ‌आणतो‌ ‌आणि‌ ‌आपले‌ ‌जीवन‌ ‌सुख‌ ‌समाधानाने‌ ‌भरून‌ ‌टाकतो.‌‌

जळ‌ ‌वरिवरी‌ ‌क्षाळी‌ ‌मळ‌ ‌।‌ ‌योगिया‌ ‌सबाह्य‌ ‌करी‌ ‌निर्मळ‌ ‌।‌ ‌
उदक‌ ‌सुखी‌ ‌करी‌ ‌एक‌ ‌वेळ‌ ‌।‌ ‌योगी‌ ‌सर्वकाळ‌ ‌सुखदाता‌ ‌।।‌‌

योगी‌ ‌पुरुष‌ ‌हा‌ ‌पाण्यापेक्षा‌ ‌श्रेष्ठ‌ ‌कसा‌ ‌आहे,‌ ‌हे‌ ‌सांगताना‌ ‌एकनाथ‌ ‌महाराज‌ ‌पुढे‌ ‌सांगतात‌ ‌की,‌ ‌पाण्याने‌ ‌शरीरावरील‌ ‌मळ‌ ‌धुतला‌ ‌जातो.‌ ‌पाण्याने‌ ‌शरीर‌ ‌वरवर‌ ‌धुतले‌ ‌जाते.‌ ‌कालांतराने‌ ‌शरीर‌ ‌पुन्हा‌ ‌अशुद्ध‌ ‌होते.‌ ‌परंतु‌ ‌योगी‌ ‌पुरुषाच्या‌ ‌सहवासाने‌ ‌शरीर‌ ‌व‌ ‌मनाचीही‌ ‌शुद्धी‌ ‌होते.‌ ‌माणसांतील‌ ‌वाईट‌ ‌विचारांचा‌ ‌नाश‌ ‌होऊन‌ ‌अंतर्बाहय‌ ‌मन‌ ‌निर्मळ‌ ‌होते.‌ ‌पाण्याने‌ ‌होणारी‌ ‌शुद्धी‌ ‌ही‌ ‌क्षणिक,‌ ‌एकावेळेपर्यंत‌ ‌मर्यादित‌ ‌असते.‌ ‌पंरतु,‌ ‌योगी‌ ‌सर्वकाळ‌ ‌सुखदायक‌ ‌असतो.‌ ‌योगी‌ ‌लोकांना‌ ‌शारीरिक‌ ‌आणि‌ ‌मानसिक‌ ‌स्वच्छतेची‌ ‌शिकवण‌ ‌देऊन‌ ‌त्यांचे‌ ‌आयुष्य‌ ‌कायमस्वरूपी‌ ‌उजळून‌ ‌टाकतो.‌ ‌त्याच्या‌ ‌सान्निध्यात‌ ‌प्रत्येकाला‌ ‌सुख‌ ‌प्राप्त‌ ‌होते.‌‌

उदकाचें‌ ‌सुख‌ ‌ते‌ ‌किती‌ ‌।‌ ‌सवेंचि‌ ‌क्षणे‌ ‌तृषितें‌ ‌होती।‌ ‌
योगिया‌ ‌दे‌ ‌स्वानंदतृप्ती‌ ‌।‌ ‌सुखासी‌ ‌विकृती‌ ‌मैं‌ ‌नाही‌ ‌।।‌

‌संत‌ ‌एकनाथ‌ ‌महाराज‌ ‌पुढे‌ ‌सांगतात‌ ‌की,‌ ‌पाण्याने‌ ‌मिळणारे‌‌ सुख‌ ‌हे‌ ‌क्षणिक‌ ‌व‌ ‌मर्यादित‌ ‌आहे.‌ ‌खूप‌ ‌तहानलेल्या‌ ‌माणसाला‌ ‌पाणी‌ ‌प्यायल्याने‌ ‌क्षणभर‌ ‌लगेच‌ ‌समाधान‌ ‌मिळते;‌ ‌पण‌ ‌पुन्हा‌ ‌काही‌ ‌वेळाने‌ ‌तहान‌ ‌लागते.‌ ‌पाण्याने‌ ‌मिळणारी‌ ‌तृप्ती‌ ‌ही‌ ‌क्षणिक‌ ‌असते.‌ ‌परंतु‌ ‌योगी‌ ‌पुरुषांच्या‌ ‌सान्निध्याने‌ ‌स्वानंदतृप्ती‌ ‌लाभते.‌ ‌मनाला‌ ‌एक‌ ‌कायमस्वरूपी‌ ‌सुख‌ ‌समाधान‌ ‌मिळते.‌ ‌जे‌ ‌सुख‌ ‌कमी‌ ‌होत‌ ‌नाही‌ ‌किंवा‌ ‌संपतही‌ ‌नाही‌ ‌असे‌ ‌सुख‌ ‌माणसाला‌ ‌प्राप्त‌ ‌होते.‌ ‌म्हणजेच‌ ‌सुखाला,‌ ‌आनंदाला‌ ‌कसलीच‌ ‌विकृती‌ ‌राहत‌ ‌नाही.‌ ‌याच‌ ‌स्वानंदतृप्तीसाठी‌ ‌प्रत्येकजण‌ ‌धडपडत‌ ‌असतो.‌ ‌योगी‌ ‌पुरुषाच्या‌ ‌सहवासामुळे‌ ‌ही‌ ‌तृप्ती‌ ‌आपणास‌ ‌सहज‌ ‌प्राप्त‌ ‌होते.‌‌

उदकाची‌ ‌जे‌ ‌मधुरता‌ ‌।‌ ‌ते‌ ‌रसनेसीचि‌ ‌तत्त्वतां‌।‌‌
योगियांचे‌ ‌गोडपणा‌ ‌पाहतां‌ ‌।‌ ‌होय‌ ‌निवविता‌ ‌सर्वेद्रियां‌ ।।‌‌

पाण्यापेक्षाही‌ ‌योगी‌ ‌पुरुषांचे‌ ‌श्रेष्ठत्व‌ ‌स्पष्ट‌ ‌करताना‌ ‌एकनाथ‌ ‌महाराज‌ ‌म्हणतात‌ ‌की,‌ ‌पाण्याचा‌ ‌गोडवा‌ ‌केवळ‌ ‌जिभेलाच‌ ‌कळतो.‌ ‌तो‌ ‌जिभेपुरताच‌ ‌मर्यादित‌ ‌असतो.‌ ‌परंतु‌ ‌योग्याच्या‌ ‌सहवासाने‌ ‌लाभलेले‌ ‌माधुर्य‌ ‌मनुष्याच्या‌ ‌सर्वच‌ ‌इंद्रियांना‌ ‌संतुष्ट‌ ‌करते.‌ ‌मनातील‌ ‌कटुता‌ ‌नष्ट‌ ‌होऊन‌ ‌मनाला‌ ‌एक‌ ‌आंतरिक‌ ‌समाधान‌ ‌लाभते.‌ ‌ते‌ ‌चिरकाळ‌ ‌टिकणारे‌ ‌असते.‌‌

मेघमुखें‌ ‌अध:पतन‌ ‌।‌ ‌उदकाचें‌ ‌देखोनि‌ ‌जाण‌ ‌।‌ ‌
अध:पातें‌ ‌निवती‌ ‌जन‌ ‌।‌ ‌अन्नदान‌ ‌सकळांसी‌ ‌।।‌‌

पाण्याचे‌ ‌श्रेष्ठत्व‌ ‌पटवून‌ ‌देतांना‌ ‌संत‌ ‌एकनाथांनी‌ ‌अप्रतिम‌ ‌दृष्टान्त‌ ‌दिला‌ ‌आहे.‌ ‌ते‌ ‌म्हणतात‌ ‌की,‌ ‌मेघाच्या‌ ‌मुखातून‌ ‌पाण्याचे‌ ‌अध:पतन‌ ‌होते,‌ ‌म्हणजेच‌ ‌आकाशातील‌ ‌काळ्या‌ ‌ढगांमधून‌ ‌पाण्याच्या‌ ‌धारा‌ ‌धरतीवर‌ ‌बरसतात.‌ ‌त्यामुळे‌ ‌सर्व‌ ‌लोकांना‌ ‌खूप‌ ‌आनंद‌ ‌होतो.‌ ‌सगळे‌ ‌लोक‌ ‌समाधानी‌ ‌होतात.‌ ‌कारण‌ ‌या‌ ‌मेघांतून‌ ‌कोसळणाऱ्या‌ ‌पाण्यामुळे‌ ‌धरतीवर‌ ‌हिरवळ‌ ‌पसरते.‌ ‌त्यातून‌ ‌अन्नधान्याची‌ ‌निर्मिती‌ ‌होते.‌ ‌खायला‌ ‌अन्न‌ ‌व‌ ‌प्यायला‌ ‌पोटभर‌ ‌पाणी‌ ‌मिळाल्याने‌ ‌लोक‌ ‌सुखी–समाधानी‌ ‌होतात.‌‌

तैसे‌ ‌योगियासी‌ ‌खालुतें‌ ‌येणें‌ ‌।‌ ‌जे‌ ‌इहलोकी‌ ‌जन्म‌ ‌पावणे।‌
‌जन‌ ‌निववी‌ ‌श्रवणकीर्तनें‌ ‌।‌ ‌निजज्ञानें‌ ‌उद्धरी‌ ‌।।‌‌

आपल्या‌ ‌आत्म्याला‌ ‌थेट‌ ‌परमेश्वराशी‌ ‌जोडू‌ ‌पाहणारा‌ ‌योगी‌ ‌किती‌ ‌श्रेष्ठ‌ ‌आहे,‌ ‌हे‌ ‌संत‌ ‌एकनाथांनी‌ ‌आपल्याला‌ ‌समजावले‌ ‌आहे.‌ ‌ते‌‌ म्हणतात‌ ‌की,‌ ‌मेघमुखातून‌ ‌धरतीवर‌ ‌येणारे‌ ‌पाणी‌ ‌जसे‌ ‌अन्नधान्याची‌ ‌निर्मिती‌ ‌करून‌ ‌लोकांना‌ ‌सुखी‌ ‌करते.‌ ‌त्याचप्रमाणे‌ ‌योगी‌ ‌पुरुषसुद्धा‌ ‌या‌ ‌इहलोकी‌ ‌जन्म‌ ‌घेतात.‌ ‌स्वर्गलोकातून‌ ‌ते‌ ‌जणू‌ ‌खाली‌ ‌येतात‌ ‌म्हणजेच‌ ‌धरतीवर‌ ‌जन्म‌ ‌घेतात‌ ‌आणि‌ ‌आत्मज्ञान‌ ‌देऊन‌ ‌सामान्य‌ ‌लोकांचा‌ ‌उद्धार‌ ‌करतात,‌ ‌त्यांचे‌ ‌कल्याण‌ ‌करतात.‌ ‌आपल्या‌ ‌भजन‌ ‌कीर्तनातून‌ ‌ज्ञान‌ ‌देऊन‌ ‌ते‌ ‌सर्व‌ ‌लोकांना‌ ‌सदैव‌ ‌सुखी–समाधानी‌ ‌करतात.‌ ‌

संतवाणी योगी सर्वकाळ सुखदाता-संत एकनाथ शब्दार्थ‌ ‌

  • ‌जेवीं‌ –‌ ‌ज्याप्रमाणे‌ –‌ ‌(in‌ ‌a‌ ‌manner)‌ ‌
  • चंद्रकिरण‌ –‌ ‌चंद्राचे‌ ‌किरण‌ –‌ ‌(moon‌ ‌beams)‌ ‌
  • चकोर‌ –‌ ‌एक‌ ‌पक्षी‌ ‌हा‌ ‌चंद्रकिरणे‌ ‌पिऊन‌ ‌जगतो‌‌ असा‌ ‌कवीसंकेत‌ ‌आहे.‌ – (It‌ ‌is‌ ‌said‌ ‌that‌ ‌this‌ ‌bird‌ ‌feeds‌ ‌himself‌‌ moonlight‌ ‌&‌ ‌to‌ ‌stay‌ ‌alive)‌ ‌
  • पांखोवा‌ –‌ ‌पक्षिणीचे‌ ‌पंख‌ –‌ ‌(wings‌ ‌of‌ ‌birds)‌ ‌
  • पिली‌ –‌ ‌पक्ष्यांची‌ ‌पिल्ले‌ –‌ ‌(offsprings‌ ‌of‌ ‌birds)‌ ‌
  • जीवन‌ –‌ ‌पाणी‌‌ –‌ ‌(water)‌ ‌
  • जीव‌ –‌ ‌सजीव‌ –‌ ‌(living‌ ‌being)‌ ‌
  • मृदुत्व‌ –‌ ‌कोमलता‌ –‌ ‌(softness)‌ ‌
  • तेवी‌ –‌ ‌त्याप्रमाणे‌‌ – (that‌ ‌like)‌ ‌
  • जल – ‌पाणी‌‌ –‌ ‌(water)‌ ‌
  • वरीवरी‌ –‌ ‌वरवरचे‌‌ – (superficial)‌ ‌
  • क्षाळी‌ –‌ ‌धुणे‌‌ –‌ ‌(wipe‌ ‌out)‌ ‌
  • मळ‌ –‌ ‌मल,‌ ‌धूळ,‌ ‌माती‌ –‌ ‌(dust,‌ ‌dirt)‌‌
  • सबाह्य‌ –‌ ‌आतून‌ ‌व‌ ‌बाहेरून‌ –‌ ‌(inner‌ ‌&‌ ‌outer‌ ‌side)‌ ‌
  • ‌निर्मळ‌ –‌ ‌स्वच्छ‌‌ – (clean)‌ ‌
  • सुख‌ –‌ ‌आनंद‌ –‌ ‌(pleasure)
  • सुखदाता‌ –‌ ‌सर्वकाळ,‌ ‌सदैव‌ ‌सुख‌ ‌देणारा‌‌ – (donor,‌ ‌giver‌ ‌of‌ ‌pleasure)‌ ‌
  • तृषित‌ –‌ ‌तहानलेला‌ –‌ ‌(thirsty)‌ ‌
  • स्वानंदतृप्ती –‌ ‌साक्षात्कार‌ –‌ ‌(ultimate‌ ‌satisfaction)‌ ‌
  • मधुरता‌ –‌ ‌गोडवा‌ –‌ ‌(sweetness)‌ ‌
  • रसना‌ –‌ ‌जीभ‌‌ – ‌(tongue)‌ ‌
  • क्षणे‌ –‌ ‌पळ‌‌ – (in‌ ‌a‌ ‌moment,‌ ‌after‌ ‌some‌ ‌time)‌ ‌
  • विकृती‌ –‌ ‌(येथे‌ ‌अर्थ)‌ ‌बिघाड‌ –‌ ‌(deterioration)‌ ‌
  • उदक‌ –‌ ‌पाणी‌‌ –‌ ‌(water)‌ ‌
  • गोड‌ –‌ ‌मधुर‌‌ –‌ ‌(sweet)‌ ‌
  • निवविता‌ –‌ ‌संतुष्ट‌ ‌करणे,‌ ‌शांत‌ ‌करणे‌‌ – (to‌ ‌satisfy)‌ ‌
  • सर्वंद्रिया‌ –‌ ‌पूर्ण‌ ‌शरीर,‌ ‌सगळी‌ ‌इंद्रिये‌‌ – (all‌ ‌organs‌ ‌of‌ ‌the‌ ‌body)‌ ‌
  • मेघ‌ –‌ ‌ढग‌‌ –‌ ‌(clouds)‌ ‌
  • अध:पतन,‌ ‌अध:पात‌‌ –‌ ‌खाली‌ ‌पडणे‌ – (degeneration,‌ ‌degeneracy,‌ ‌down‌ ‌fall)‌ ‌
  • निवती‌ –‌ ‌आनंदी‌ ‌होणे‌ –‌ ‌(get‌ ‌satisfied)‌‌
  • अन्नदान‌ –‌ ‌भोजनाचे‌ ‌वाटप‌ –‌ ‌(distribution‌ ‌of‌ ‌food)‌ ‌
  • सकळांशी‌ –‌ ‌सर्व‌ ‌लोक‌ – ‌(all‌ ‌people)‌
  • ‌खालुते‌ ‌येणे–‌ ‌खाली‌ ‌येणे‌ –‌ ‌(come‌ ‌down)‌ ‌
  • इहलोक‌ –‌ ‌पृथ्वी‌‌ – (earth,‌ ‌world)‌ ‌
  • जन‌ –‌ ‌लोक‌ –‌ ‌(all‌ ‌people)‌ ‌
  • निजज्ञान‌ –‌ ‌आत्मज्ञान‌‌ – (self‌ ‌realizing‌ ‌knowledge)‌ ‌
  • उद्धार‌ –‌ ‌कल्याण,‌ ‌भले‌ –‌ ‌(upliftment)

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Marathi Solutions Aksharbharati Chapter 3 शाल Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल

Marathi Aksharbharati Std 10 Digest Chapter 3 शाल Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
उत्तरे लिहा.
(अ) पु. ल. व सुनीताबाई यांनी दिलेल्या शालीचा लेखकाने पाठात केलेला उल्लेख – [              ]
(आ) २००४ च्या मराठी साहित्य संमेलनाचे अध्यक्ष – [              ]
(इ) पाठात उल्लेख असणारी नदी – [              ]
(ई) सभासंमेलने गाजवणारे कवी – [              ]
उत्तर:
(अ) पु. ल. व सुनीताबाई यांनी दिलेल्या शालीचा लेखकाने पाठात केलेला उल्लेख – [पुलकित शाल]
(आ) २००४च्या मराठी साहित्य संमेलनाचे अध्यक्ष – [लेखक रा. ग. जाधव]
(इ) पाठात उल्लेख असणारी नदी – [कृष्णा]
(ई) सभा संमेलने गाजवणारे कवी – [नारायण सुर्वे]

प्रश्न 2.
शालीचे पाठात आलेले विविध उपयोग लिहा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल 1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल 22

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल

प्रश्न 3.
खालील प्रसंगी लेखकाने केलेली कृती लिहा.
(अ) एका बाईचे बाळ कडाक्याच्या थंडीने कुडकुडत होते.
उत्तर:
लेखकाने बाईला हाक मारून खिडकीतून शाल व पाचपन्नास रुपयांच्या नोटा दिल्या.

(आ) म्हातारा, अशक्त भिक्षेकरी कट्ट्याला लागूनच चिरगुटे टाकून व पांघरून कुडकुडत बसल्याचे पाहिले.
उत्तर:
लेखकाने त्याला आपल्याजवळील दोन शाली दिल्या.

प्रश्न 4.
कारणे शोधून लिहा.
(अ) एका बाईच्या बाळासाठी शाल दिल्याच्या घटनेची ऊब पुलकित शालीच्या उबेपेक्षा जास्त होती, कारण ………………………… .
उत्तर:
त्यामागे लेखकाची आपुलकीची, माणुसकीची भावना होती. शिवाय त्या शालीच्या उबेची त्यावेळी त्या बाळाला जास्त गरज होती.

(आ) शालीच्या वर्षावामुळे नारायण सुर्वे यांची शालीनता हरवली नाही, कारण ………………………… .
उत्तरः
ते स्वभावत:च शालीन होते.

(इ) लेखकांच्या मते शालीमुळे शालीनता जाते, कारण ………………………… .
उत्तर:
सन्मान करण्याच्या रूपाने आपण खरे तर एक शालीन जग गमावून बसण्याचा मोठा धोकाच त्यात असतो.

प्रश्न 5.
आकृती पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल 2
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल 23

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल

प्रश्न 6.
खालील वाक्यांतील कृतींतून किंवा विचारांतून कळणारे लेखकाचे गुण शोधा.
(अ) बाईला हाक मारून खिडकीतून शाल व नोटा दिल्या.
(आ) खरे तर, खरीखुरी शालीनता शालीविनाच शोभते!
(इ) हळूहळू मी सगळ्या शाली वाटून टाकल्या.
उत्तर:
(अ) बाईला हाक मारून खिडकीतून शाल व नोटा दिल्या – [माणूसकी]
(आ) खरे तर, खरीखुरी शालीनता शालीविनाच शोभते! – [नम्रता]
(इ) हळूहळू मी सगळ्या शाली वाटून टाकल्या – [उदारता]

प्रश्न 7.
खालील शब्दांतील अक्षरांपासून अर्थपूर्ण शब्द तयार करा.
(अ) जवळपास
(आ) उलटतपासणी
उत्तर:
(i) जवळ, पास, वळ, पाव, पाळ, पाज, पाजळ इ.
(ii) उलट, तपासणी, पास, पाणी, पाट, पाल, पालट, पात इ.

प्रश्न 8.
अधोरेखित शब्दासाठी योग्य समानार्थी शब्द वापरून वाक्ये पुन्हा लिहा.
(अ) नारायण सुर्वे यांच्या कार्यक्रमांना अहोरात्र भरतीच असे.
उत्तर:
नारायण सुर्वे यांच्या कार्यक्रमांना रात्रंदिवस भरतीच असे.

(आ) खोलीच्या दक्षिणेकडील खिडक्या कृष्णा नदीच्या चिंचोळ्या प्रवाहावर होत्या.
उत्तरः
खोलीच्या दक्षिणेकडील खिडक्या कृष्णा नदीच्या अरुंद/निमुळत्या प्रवाहावर होत्या.

(इ) मी सगळ्या शालींचे गाठोडे बांधून निकटवर्ती मित्राकडे ठेवले.
उत्तरः
मी सगळ्या शालींचे गाठोडे बांधून जवळच्या मित्राकडे ठेवले.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल

प्रश्न 9.
‘पुलकित’ हे उत्तर येईल असा प्रश्न तयार करा.
उत्तरः
(i) लेखकाने सूटकेसमधील कोणती शाल काढली?
(ii) लेखकाने खिडकीतून बाईला नोटा व पैसे दिले या घटनेची ऊब कोणत्या शालीच्या ऊबेपेक्षा अधिक होती?

प्रश्न 10.
शालीनपासून शालीनता भाववाचक नाम तयार होते. त्याप्रमाणे ‘ता’, ‘त्व’, ‘आळू’ आणि ‘पणा’ हे प्रत्यय लावून तयार झालेली भाववाचक नामे लिहा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल 3

प्रश्न 11.
अधोरेखित शब्दांचे लिंग बदलून वाक्ये पुन्हा लिहा.
(अ) लेखक सुंदर लेखन करतात.
उत्तर:
लेखिका सुंदर लेखन करतात.

(आ) तो मुलगा गरिबांना मदत करतो.
उत्तरः
ती मुलगी गरिबांना मदत करते.

प्रश्न 12.
स्वमत.
(अ) ‘शाल व शालीनता’ यांचा पाठाच्या आधारे तुम्हांला कळलेला अर्थ स्पष्ट करा.
उत्तरः
‘शाल’ ही प्रतीकात्मक आहे. तर शालीनता ही ‘चरित्रात्मक’ आहे. आपल्या मनात असलेली, एखाद्या व्यक्तिबद्दलची आदराची भावना. आपण त्या व्यक्तीबद्दलचा सन्मान शाल हे प्रतीक देऊन प्रकट करतो. त्यातून त्या व्यक्तिमध्ये असलेला गुण दिसून येतो. तो म्हणजे शालीनता (नम्रता). व्यक्तीचे चारित्र्य हे शालीनतेमध्ये दडलेले असते, त्याच व्यक्तीचे चरित्र लिहिले जाते, ज्या व्यक्तीचे चारित्र्य चांगले आहे. चारित्र्याचे एक अंग आहे ‘शालीनता’! आणि म्हणून मला वाटते की, ‘शाल’ ही प्रतीकात्मक आहे; तर शालीनता ही चरित्रात्मक आहे.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल

(आ) “भिक्षेकऱ्याने केलेला शालीचा उपयोग’, याविषयी तुमचे मत लिहा.
उत्तर:
मानवाच्या तीन मुलभूत गरजा – अन्न, वस्त्र, निवारा. या पाठातील भिक्षेकऱ्याकडे या तिन्ही गोष्टी नाहीत, निवारा म्हणजे राहायला घर नाही म्हणून तो ओंकारेश्वर मंदिराबाहेर भिक्षा मागतो. थंडीत कुडकुडताना पाहिल्यावर लेखकाला त्याची दया आली व त्याने त्याचे थंडीपासून संरक्षण व्हावे म्हणून आपल्याजवळील एक नाही तर दोन शाली दिल्या. पण दोन दिवसापासून भुकेला असलेल्या भिक्षेकऱ्याने शाली विकून आपल्या पोटाची आग विझवली, भूक शांत केली. माणूस श्रीमंत असो की गरीब त्याला जगण्यासाठी अन्नाची आवश्यकता असतेच. एक वेळ कपडे नसतील, निवारा नसेल तर चालवून घेईल; पण वेळेला खायला हे मिळालेच पाहिजे आणि त्यामुळे भिक्षेकऱ्याने शाली विकून आपल्या पोटाची आग शांत केली हे माझ्या मते योग्यच आहे.

(इ) लेखकाच्या भावना जशा ‘शाल’ या वस्तूशी निगडित आहेत तशा तुमच्या आवडीच्या वस्तूशी निगडित असलेल्या भावना, तुमच्या शब्दांत लिहा.
उत्तरः
आमचे एकत्र कुटुंब, १५ जणांचा हसता खेळता परिवार कुटुंबप्रमुख-आजी आजोबा नंतर आई-बाबा, काका-काकी, भाऊ-बहिणी. लहानपणी आजीने माझ्यासाठी तिच्या जुन्या लुगड्यांची, आईच्या जुन्या साड्यांची शिवलेली गोधडी मी आजही वापरतो. आज आजी नाही-शरीराने; पण गोधडीच्या स्वरूपात आजही ती सतत माझ्यासोबत आहे. त्या गोधडीत ऊब आहे, आजीचे प्रेम आहे, वात्सल्य आहे. थंडीच्या दिवसात तर मग सूर्य कितीही वर आला तरी सोडावीशी वाटत नाही. हां! आता त्या गोधडीला आजीच्या तपकिरीचा वास येतो तो भाग वेगळा! पण तरीही आजीची गोधडी आजही माझ्या जीवनाचे अविभाज्य अंग आहे.

Marathi Akshar Bharati Class 10 Textbook Solutions Chapter 3 शाल Additional Important Questions and Answers

प्रश्न १. पुढील उताऱ्याच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा,

कृती १: आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल 4

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल
प्रश्न 2.
एका वाक्यात उत्तरे लिहा.
(i) एकदा लेखक पु.ल.देशपांडे यांच्याकडे कशासाठी गेले होते?
उत्तर:
एकदा लेखक पु.ल. देशपांडे यांच्याकडे काही एक निमित्ताने गेले होते.

(ii) सुनिताबाईंनी शालीबद्दल विचारताच लेखकाने लगेच हो का म्हटले?
उत्तर:
पु.ल, व सुनीताबाईंनी लेखकाला शाल दयावी हा त्यांना त्यांचा गौरव वाटला, म्हणून लेखकांनी लगेच त्यांना हो म्हटले.

(iii) कडाक्याच्या थंडीने कोण कुडकुडत रडत होते ?
उत्तर:
कडाक्याच्या थंडीने मासे पकडणाऱ्या बाईचे बाळ कुडकुडत होते.

प्रश्न 3.
कोण कोणास म्हणाले ते लिहा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल 5

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल

प्रश्न 4.
कोण ते लिहा
उत्तर:
(i) लेखकांना थांबवणाऱ्या – [सुनीताबाई]
(ii) काम झाल्यावर निघण्याच्या बेतात असणारे – [लेखक]
(iii) एका पायावर हो म्हणणारे – [लेखक]

प्रश्न 5.
चूक की बरोबर लिहा.
(i) ती शाल लेखकांनी सुटकेसमध्ये ठेवली.
(ii) ती शाल वापरली मात्र कधीच नाही.
उत्तर:
(i) बरोबर
(ii) बरोबर

कृती २: आकलन कृती

प्रश्न 1.
कारण लिहा.
(i) बाळ थंडीने कुडकुडत रडत असतानाही आई तिकडे बघतही नव्हती, कारण…
उत्तर:
बाळ थंडीने कुडकुडत रडत असतानाही आई तिकडे बघतही नव्हती, कारण ती मासे पकडण्याच्या उद्योगात होती.

प्रश्न 2.
नावे लिहा.
उत्तर:
(i) लेखक विश्वकोशाचा अध्यक्ष म्हणून गेले ते ठिकाण – [वाई]
(ii) लेखक या शाळेत राहत होते – [प्राज्ञ पाठशाळा]

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल

प्रश्न 3.
सहसंबंध लिहा.
(i) खोलीच्या खिडक्या: दक्षिणेकडे: चिंचोळा प्रवाह: ………………………………
(ii) पुलकित: शाल: पाचपन्नास रुपयांच्या: ………………………………
उत्तर:
(i) कृष्णा नदीचा
(ii) नोटा

प्रश्न 4.
खालील कृती पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल 6
(ii) लेखकाने सुटकेसमधील ही शाल काढली – [पुलकित]

प्रश्न 5.
आकृती पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल 7

प्रश्न 6.
खालील प्रश्नांची प्रत्येकी एका वाक्यात उत्तरे लिहा.

(i) एका बाईने तिचे छोटे मूल कशात ठेवले होते?
उत्तरः
एका बाईने तिचे छोटे मूल एका टोपलीत ठेवले होते.

(ii) वाईला लेखक कोण म्हणून गेले होते?
उत्तरः
वाईला विश्वकोशाचा अध्यक्ष म्हणून लेखक गेले होते.

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प्रश्न 7.
कंसातील योग्य शब्दांचा वापर करून रिकाम्या जागा पूर्ण करा.
(i) तिचे बाळ कडाक्याच्या ……………………………… कुडकुडत रडत होते. (उन्हाने, पावसाने, थंडीने, वाऱ्याने)
(ii) या घटनेची ……………………………… पुलकित शालीच्या उबेपेक्षा अधिक (गरमी, नरमी, ऊब, मजा)
(iii) “त्या बाळाला आधी ……………………………… गुंडाळ आणि मग मासे मारत बैस.” (कापडात, साडीत, शालीत, फडक्यात)
उत्तर:
(i) थंडीने
(ii) ऊब
(iii) शालीत

प्रश्न २. पुढील उताऱ्याच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा.
कृती १: आकलन कृती

प्रश्न 1.
उत्तरे लिहा.
उत्तर:
(i) सभा संमेलने गाजवणारे साहित्य संमेलनाचे अध्यक्ष – [नारायण सुर्वे]
(ii) शालींच्या वर्षावाखाली कधीच हरवली नाही की क्षीणही झाली नाही – [शालीनता]

प्रश्न 2.
चूक की बरोबर लिहा.
(i) शालीमुळे शालीनता येते.
(ii) कविवर्य, नारायण सुर्वे साहित्य संमेलनाचे अध्यक्ष झाले,
उत्तर:
(i) चूक
(ii) बरोबर

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प्रश्न 3.
कृती पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल 8

प्रश्न 4.
खालील गोष्टींचा परिणाम लिहा.
(i) नारायण सुर्वे साहित्य संमेलनाचे अध्यक्ष झाले.
(ii) प्रत्येक कार्यक्रमात त्यांना शाल व श्रीफळ मिळे.
उत्तर:
(i) त्यांच्या कार्यक्रमांना अहोरात्र भरती असायची.
(ii) या शाली घेऊन ते ‘शालीन’ बनू लागले.

प्रश्न 5.
कृती पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल 9

प्रश्न 6.
कंसातील योग्य शब्द निवडून रिकाम्या जागा भरा,
(i) “या शाली घेऊन घेऊन मी आता ………………………………….. बनू लागलो आहे.’ (शालीन, कुलीन, मलीन, आदर्श)
(ii) शाल व ………………………………….. यांचा संबंध काय? (शालीनता, कुलीनता, मलीनता, शाली)
(iii) प्रत्येक कार्यक्रमात सन्मानाची शाल व ………………………………….. त्यांना मिळत राही. (नारळ, श्रीफळ, सन्मानचिन्ह, ढाल)
उत्तर:
(i) शालीन
(ii) शालीनता
(iii) श्रीफळ

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प्रश्न 7.
कृती पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल 10

कृती २: आकलन कृती

प्रश्न 1.
सहसंबंध लिहा.
(i) शाल: शालीनता:: उपरोधिक: …………………………………..
(ii) साहित्य संमेलनाचे अध्यक्ष: नारायण सुर्वे:: …………………………………..
कार्यक्रमांना अहोरात्र:
उत्तर:
(i) खोच
(ii) भरती

प्रश्न 2.
कृती पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल 11

प्रश्न 3.
चौकटी पूर्ण करा.
उत्तर:
(i) नारायण सुर्वे यांचा मुळातला स्वभाव → [शालीन]
(ii) कविवर्य नारायण सुर्वे यांच्यावर शालींचा झालेला → [वर्षाव]

प्रश्न 4.
विधाने पूर्ण करा.
(i) “शालीमुळे शालीनता येत असेल तर …………………………………..
(ii) “पण शेकडो शाली खरेदी करून सर्वांना एकेक शाल …………………………………..
उत्तर:
(i) मी कर्जबाजारी होईन, भिकेला लागेन.
(ii) लगेचच नेऊन देईन.

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प्रश्न 5.
दिलेल्या पर्यायापैकी योग्य पर्यायांची निवड करून वाक्य पूर्ण करा. त्यांच्या बोलण्यातील उपरोधिक खोच माझ्याच नव्हे तर
(अ) कोणाच्याही सहजपणे लक्षात येणारी होती.
(आ) सर्वांच्या सहजपणे लक्षात येणारी होती.
(इ) समाजाच्या सहजपणे लक्षात येणारी होती.
(ई) इतरांच्याही सहजपणे लक्षात येणारी होती.
उत्तरः
त्यांच्या बोलण्यातील उपरोधिक खोच माझ्याच नव्हे तर कोणाच्याही सहजपणे लक्षात येणारी होती.

(ii) शालींच्या वर्षावाखाली त्यांची शालीनता कधी …………………………………. .
(अ) नाहिशी झाली नाही.
(आ) उफाळून आली नाही.
(इ) हरवली नाही.
(ई) गायब झाली नाही.
उत्तर:
शालींच्या वर्षावाखाली त्यांची शालीनता कधी हरवली नाही.

प्रश्न 6.
कृती पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल 12

प्रश्न ३. पुढील उताऱ्याच्या आधारे विचारलेल्या कृती सोडवा.
कृती १: आकलन कृती

प्रश्न 1.
एका शब्दात उत्तरे लिहा.
(i) लेखक साहित्य संमेलनाचे अध्यक्ष झाले ते साल.
(ii) लेखकाची खोली.
(iii) लेखकाने शालींचे गाठोडे याच्याकडे ठेवले.
उत्तर:
(i) २००४
(ii) आठ बाय सहाची
(iii) निकटवर्ती मित्राकडे,

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प्रश्न 2.
खालील कृती पूर्ण करा.
उत्तर:
(i) लेखकाने मित्राला दिलेले अधिकार → [शाली वापरण्याचे वगैरे]
(ii) शालींचे बांधले → [गाठोडे]
(iii) लेखकाने यांना शाली वाटल्या → [गरीब श्रमिकांना]

प्रश्न 3.
चूक की बरोबर ते लिहा.
(i) लेखक साहित्य संमेलनाचे बिनविरोध अध्यक्ष झाले.
(ii) लेखकांनी सर्व शालींचे गाठोडे बांधून मित्राकडे दिले.
(iii) मित्र अप्रमाणिक होता.
उत्तर:
(i) बरोबर
(ii) बरोबर
(iii) चूक

प्रश्न 4.
चौकटी पूर्ण करा.
उत्तर:
(i) निकटवर्ती मित्राचा स्वभाव – अतिप्रामाणिक
(ii) तत्कालीन एक-दोन वर्षांत लेखकावर झालेला वर्षाव – शालींचा

प्रश्न 5.
कृती पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल 13

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प्रश्न 6.
खालील गोष्टींचा झालेला परिणाम लिहा.
(i) तत्कालीन एक-दोन वर्षांत लेखकावर शालींचा वर्षाव झाला.
(ii) आठ बाय सहाच्या खोलीत जमलेल्या शाली ठेवणे शक्य नव्हते.
उत्तर:
(i) एवढ्या शाली जमत गेल्या, की लेखकांच्या आठ बाय सहाच्या खोलीत त्यांना ठेवणे शक्य नव्हते.
(ii) त्याचे गाठोडे बांधून निकटवर्ती मित्राकडे ते ठेवण्यास दिले.

प्रश्न 7.
सहसबंध लिहा.
(i) निकटवर्ती: मित्र:: गरीब: …………………………
(ii) शालीचे: गाठोडे:: आठ बाय सहा: …………………………
उत्तर:
(i) श्रमिक
(ii) खोली

कृती २: आकलन कृती।

प्रश्न 1.
कृती पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल 14

प्रश्न 2.
कृती पूर्ण करा,
उत्तर:
(i) लेखकांना आवडणारी गोष्ट – कट्ट्यावर बसणे
(ii) लेखक रोज संध्याकाळी शनिवार पेठेतील ओंकारेश्वर येथे जात असत – मंदिराच्या पुलावर

प्रश्न 3.
फक्त नावे लिहा.
(i) शनिवार पेठेतील मंदीर – ओंकारेश्वर
(ii) चिरगुटे टाकून व पांघरून कुडकुडत बसलेला – म्हातारा
(iii) कट्ट्यावर बसणारे – लेखक

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प्रश्न 4.
सहसंबंध लिहा
(i) शनिवार: पेठ:: मंदीर: …………………………
दिवस: थंडीचे:: म्हातारा: …………………………
उत्तर:
(i) ओंकारेश्वर
(i) भिक्षेकरी

प्रश्न 5.
योग्य पर्याय निवडून अपूर्ण वाक्य पूर्ण करून लिहा.
(i) लेखक शनिवार पेठेतील ओंकारेश्वर मंदिराच्या पुलावर बहुधा ……………………….. .
(अ) रोज सकाळी जात असे.
(ब) रोज दुपारी जात असे.
(क) रोज संध्याकाळी जात असे.
(ड) रोज रात्री जात असे.
उत्तर:
लेखक शनिवार पेठेतील ओंकारेश्वर मंदिराच्या पुलावर बहुधा रोज संध्याकाळी जात असे.

(ii) दुसऱ्या दिवशी मी दोन शाली घेऊन ओंकारेश्वराच्या ……………………….. .
(अ) कट्ट्यावर आलो.
(ब) पायऱ्यांवर आलो.
(क) मंदिरात आलो.
(ड) बागेत आलो.
उत्तर:
दुसऱ्या दिवशी मी दोन शाली घेऊन ओंकारेश्वराच्या कट्ट्यावर आलो.

प्रश्न 6.
कृती पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल 15
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प्रश्न 7.
कंसातील योग्य पर्याय निवडून रिकाम्या जागा भरा.
(i) हळूहळू मी सगळ्या शाली ………………………… टाकल्या, गरीब श्रमिकांना! (देऊन, वाटून, फेकून, विकून)
(ii) त्याने थरथरत्या हातांनी मला ………………………… केला. (नमस्कार, अभिवादन, नमस्ते, सलाम)
उत्तर:
(i) वाटून
(ii) नमस्कार

प्रश्न ४. पुढील उताऱ्याच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा.
कृती १: आकलन कृती

प्रश्न 1.
कृती पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल 17

प्रश्न 2.
कारण लिहा.
(i) लेखक चार-पाच दिवस संध्याकाळी ओंकारेश्वराला गेले नाहीत, कारण …
उत्तर:
लेखक चार-पाच दिवस संध्याकाळी ओंकारेश्वराला गेले नाहीत, कारण त्यांना कामांमुळे उसंत लाभली नाही.

प्रश्न 3.
घटनेचा परिणाम लिहा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल 18

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प्रश्न 4.
योग्य पर्याय निवडून विधान पूर्ण करा.
(i) पुढे चार-पाच दिवस मला काही कामांमुळे संध्याकाळी ओंकारेश्वरला जाण्यास ………………………… .
(अ) वेळ मिळाला नाही.
(ब) उसंत लाभली नाही.
(इ) सवड मिळाली नाही.
(ई) फुरसत मिळाली नाही.
उत्तरः
पुढे चार-पाच दिवस मला काही कामांमुळे संध्याकाळी ओंकारेश्वरला जाण्यास उसंत लाभली नाही.

(ii) तेथील पुलावर चक्कर मारावी म्हणून मी उठलो व ………………………… .
(अ) रस्त्यावरून चालू लागलो.
(ब) कट्ट्यावरून चालू लागलो.
(इ) पुलावरून चालू लागलो.
(ई) पायवाटेवर चालू लागलो.
उत्तरः
तेथील पुलावर चक्कर मारावी म्हणून मी उठलो व पुलावरून चालू लागलो.

प्रश्न 5.
चौकटी पूर्ण करा.
उत्तर:
(i) त्यानंतर लेखक नेहमीप्रमाणे करत राहिले – ये-जा
(ii) लेखकांना काही कामामुळे एवढे दिवस ओंकारेश्वरला जाण्यास उसंत लाभली नाही – चार-पाच दिवस

प्रश्न 6.
फक्त नावे लिहा.
उत्तर:
(i) लेखकांना एकदम आठवण झाली – [भिक्षेकरी वृद्धाची]
(i) भिक्षेकरी म्हाताऱ्याकडे लगबगीने जाणारे – [लेखक]

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कृती २: आकलन कृती

प्रश्न 1.
कोण कोणास म्हणाले ते लिहा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल 19

प्रश्न 2.
घटनेचा परिणाम लिहा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल 20

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प्रश्न 3.
वाक्याचा योग्य क्रम लावून वाक्ये पुन्हा लिहा.
(i) तुझं लई उपकार हायेत बाबा.
(ii) त्या शोभेपेक्षा पोटाची आग लई वाईट!
(iii) आमचं हे असलं बिकट जिणं।
(iv) मी शाली इकल्या व दोन-तीन दिवस पोटभर जेवून घेतलं बाबा!
उत्तर:
(i) त्या शोभेपेक्षा पोटाची आग लई वाईट!
(ii) मी शाली इकल्या व दोन-तीन दिवस पोटभर जेवून घेतलं बाबा!
(iii) आमचं हे असलं बिकट जिणं!
(iv) तुझं लई उपकार हायेत बाबा.

प्रश्न 4.
खालील कृती पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 3 शाल 21

प्रश्न 5.
सहसबंध लिहा.
(i) भला: माणूस:: शालीची: …………………. .
(ii) बिकट: जिणं:: पोटाची: …………………. .
उत्तर:
(i) शोभा
(ii) आग

प्रश्न 6.
चौकटी पूर्ण करा.
उत्तर:
(i) भिकाऱ्यास न शोभणाऱ्या → [शाली]
(ii) शाली विकून पोटभर जेवणारा → [म्हातारा भिक्षेकरी]
(iii) म्हाताऱ्यावर उपकार करणारा → [लेखक]

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प्रश्न 7.
उताऱ्यात आलेल्या शरीराच्या तीन अवयवांची नावे लिहा.
उत्तर:
मान, हात, पोट

प्रश्न 8.
कंसातील योग्य शब्द वापरून रिकाम्या जागा भरा.
(i) पुलाच्या जवळपास मध्यावर तो …………………. म्हातारा दिसला. (वयस्कर, सभ्य, भिक्षेकरी, नम्र)
(ii) अभाग्यांना सन्मानाच्या …………………. तरी दयाव्यात! (शाली, चादरी, पोथ्या, गोधडी)
उत्तर:
(i) भिक्षेकरी
(ii) शाली

कृती ३: स्वमत

प्रश्न 1.
तुम्हांला समाजात असणाऱ्या गरीब, दीनदुबळ्या लोकांना कशी मदत करावी वाटते ते लिहा.
उत्तर:
आजकाल घरातून बाहेर पडल्यावर समाजात वावरताना.

कुठे प्रवास करताना, वेगवेगळ्या धार्मिक स्थळांना भेटी देताना ठिक-ठिकाणी आपणास गरीब, लाचार, दीन लोकं दिसतात. ज्यांच्या अंगावर साधे स्वच्छ, नीटनेटके कपडेही नसतात. त्यांना राहायला व्यवस्थित जागाही नसते. अंथरण्यास पांघरण्यास काही कपडेही नसतात.

अशा सर्व प्रकारच्या लोकांना पाहिल्यावर वाटते, की त्यांना योग्य आश्रमात नेऊन आश्रय दयावा. घरातील काही, न वापरण्याजोगे परंतु चांगले स्वच्छ न फाटलेले कपडे त्यांना यावेत. घरातील ठेवणीच्या शाली, चादरी ज्या आपण उपयोगात आणत नाही, त्या अशा लोकांना याव्यात, भुकेल्यांना दोन घास भरवावेत. तहानलेल्यांना पाणी पाजून शांत करावे. जेणेकरून त्यांचे थोडेतरी दुःख कमी व्हावे.

प्रश्न 2.
स्वमत.

(i) ‘शाल व शालीनता’ यांचा पाठाच्या आधारे तुम्हाला कळलेला अर्थ स्पष्ट करा.
उत्तरः
‘शाल’ ही प्रतीकात्मक आहे. तर शालीनता ही ‘चरित्रात्मक’ आहे. आपल्या मनात असलेली, एखाद्या व्यक्तिबद्दलची आदराची भावना. आपण त्या व्यक्तीबद्दलचा सन्मान शाल हे प्रतीक देऊन प्रकट करतो. त्यातून त्या व्यक्तिमध्ये असलेला गुण दिसून येतो. तो म्हणजे शालीनता (नम्रता). व्यक्तीचे चारित्र्य हे शालीनतेमध्ये दडलेले असते, त्याच व्यक्तीचे चरित्र लिहिले जाते, ज्या व्यक्तीचे चारित्र्य चांगले आहे. चारित्र्याचे एक अंग आहे ‘शालीनता’! आणि म्हणून मला वाटते की, ‘शाल’ ही प्रतीकात्मक आहे; तर शालीनता ही चरित्रात्मक आहे.

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(ii) ‘भिक्षेकऱ्याने केलेला शालीचा उपयोग’, याविषयी तुमचे मत लिहा.
उत्तर:
मानवाच्या तीन मुलभूत गरजा – अन्न, वस्त्र, निवारा. या पाठातील भिक्षेकऱ्याकडे या तिन्ही गोष्टी नाहीत, निवारा म्हणजे राहायला घर नाही म्हणून तो ओंकारेश्वर मंदिराबाहेर भिक्षा मागतो. थंडीत कुडकुडताना पाहिल्यावर लेखकाला त्याची दया आली व त्याने त्याचे थंडीपासून संरक्षण व्हावे म्हणून आपल्याजवळील एक नाही तर दोन शाली दिल्या. पण दोन दिवसापासून भुकेला असलेल्या भिक्षेकऱ्याने शाली विकून आपल्या पोटाची आग विझवली, भूक शांत केली. माणूस श्रीमंत असो की गरीब त्याला जगण्यासाठी अन्नाची आवश्यकता असतेच. एक वेळ कपडे नसतील, निवारा नसेल तर चालवून घेईल; पण वेळेला खायला हे मिळालेच पाहिजे आणि त्यामुळे भिक्षेकऱ्याने शाली विकून आपल्या पोटाची आग शांत केली हे माझ्या मते योग्यच आहे.

(iii) लेखकाच्या भावना जशा ‘शाल’ या वस्तूशी निगडीत आहेत तशा तुमच्या आवडीच्या वस्तूशी निगडित असलेल्या भावना, तुमच्या शब्दांत लिहा.
उत्तरः
आमचे एकत्र कुटुंब, १५ जणांचा हसता खेळता परिवार कुटुंबप्रमुख-आजी आजोबा नंतर आई-बाबा, काका-काकी, भाऊ-बहिणी. लहानपणी आजीने माझ्यासाठी तिच्या जुन्या लुगड्यांची, आईच्या जुन्या साड्यांची शिवलेली गोधडी मी आजही वापरतो. आज आजी नाही-शरीराने; पण गोधडीच्या स्वरूपात आजही ती सतत माझ्यासोबत आहे. त्या गोधडीत ऊब आहे, आजीचे प्रेम आहे, वात्सल्य आहे. थंडीच्या दिवसात तर मग सूर्य कितीही वर आला तरी सोडावीशी वाटत नाही. हां! आता त्या गोधडीला आजीच्या तपकिरीचा वास येतो तो भाग वेगळा! पण तरीही आजीची गोधडी आजही माझ्या जीवनाचे अविभाज्य अंग आहे.

शाल शब्दार्थ‌ ‌

  • शाल‌‌ –‌ ‌खांदयावरून‌ ‌पांघरण्याचे‌ ‌उबदार‌ ‌वस्त्र,‌‌ महावस्त्र‌ ‌– (a‌ ‌Shawl)‌ ‌
  • निमित्त‌ ‌–‌ ‌कारण‌‌ – (a‌ ‌purpose,‌ ‌a‌ ‌reason)‌ ‌
  • चिंचोळ्या‌ ‌–‌ ‌निमुळत्या‌ ‌– (narrow)‌ ‌
  • प्रवाह‌ ‌‌–‌ ‌वाहण्याचा‌ ‌ओघ‌ ‌– (a‌ ‌flow)‌ ‌
  • कडाक्याची‌ ‌थंडी‌ ‌–‌ ‌खूप‌ ‌थंडी‌‌ – (very‌ ‌cold)‌ ‌
  • ‌कुडकुडणे‌‌ – थरथर‌ ‌कापणे,‌ ‌थंडीने‌ ‌गारठून‌ ‌थरथरणे‌ ‌– (shiver‌ ‌from‌ ‌cold)‌ ‌
  • हाक‌ ‌मारणे‌ ‌–‌ ‌बोलावणे‌ ‌(to‌ ‌call)‌‌
  • शालीन‌ ‌–‌ ‌नम्र,‌ ‌लीन‌ ‌– (gentle,‌ ‌humble)‌ ‌
  • ‌उपरोधिक‌ ‌–‌ ‌टोमणा‌ ‌असलेले,‌‌ मनाला‌ ‌लागेल‌ ‌अस‌ ‌– (Sarcastic,‌ ‌ironical)‌ ‌
  • क्षीण‌ ‌–‌ ‌कमी,‌ ‌दुर्बल‌‌ – (weak)‌ ‌
  • शेकडो‌ ‌–‌ ‌शंभर‌‌ – (hundred)‌ ‌
  • तत्कालीन‌ ‌‌–‌ ‌त्या‌ ‌काळातील‌ ‌– (of‌ ‌that‌ ‌time)‌ ‌
  • गाठोडे‌ ‌‌–‌ ‌कपडे‌ ‌इत्यादीचे‌ ‌बोचके‌ ‌– (a‌ ‌bundle)‌ ‌
  • निकटवर्ती‌ ‌–‌ ‌जवळचा‌‌ – (very‌ ‌close)‌ ‌
  • सर्वाधिकार‌ ‌–‌ ‌सर्व‌ ‌अधिकार‌ ‌– (full‌ ‌power)‌ ‌
  • श्रमिक‌ ‌–‌ ‌काम‌ ‌करणारे,‌ ‌कष्ट‌ ‌करणारे‌ ‌– (hard‌ ‌worker)‌ ‌
  • बहुधा‌ ‌–‌ ‌बहुतेक‌ ‌करून‌ ‌– (most‌ ‌probably)‌‌
  • कट्टा‌‌ –‌ ‌दगडांचा‌ ‌चौकोनी‌ ‌ओटा‌‌ – (a‌ ‌raised‌ ‌platform‌ ‌of‌ ‌stones)‌‌
  • ‌चिरगुटे – कपड्यांच्या‌ ‌चिंध्या‌ ‌चिंध्या‌ ‌– (a‌ ‌shred‌ ‌of‌ ‌cloth)‌ ‌
  • पांघरून‌ ‌–‌ ‌अंग‌ ‌झाकून,‌ ‌अंगावर‌ ‌घेऊन‌ ‌– (a‌ ‌coverlet)‌ ‌
  • वृद्ध‌ ‌–‌ ‌म्हातारा,‌ ‌वय‌ ‌झालेला‌ ‌माणूस‌ ‌– (aged)‌‌
  • भिक्षेकरी‌‌ –‌ ‌भीक‌ ‌मागणारा‌ ‌– (a‌ ‌beggar)‌ ‌
  • लगबगीने‌‌ –‌ ‌त्वरीत,‌ ‌जलद‌ ‌– (hurriedly)‌ ‌
  • भल्या‌ ‌माणसा‌ ‌–‌ ‌मोठ्या‌ ‌माणसा,‌ ‌सज्जन‌‌ – (good‌ ‌natured‌ ‌person)‌ ‌
  • इकल्या‌ ‌–‌ ‌विकल्या‌ ‌– (to‌ ‌sold)‌ ‌
  • बिकट‌ ‌–‌ ‌वाईट‌‌ – (bad)‌ ‌
  • जिणं‌ ‌–‌ ‌आयुष्य‌‌ – (life)‌‌
  • लई‌‌ –‌‌ खूप – (many,‌ ‌much)‌ ‌
  • अभागी‌ ‌–‌ ‌गरीब,‌ ‌दीन,‌ ‌लाचार‌ ‌(unlucky)‌‌

Maharashtra Board Class 10 Marathi Kumarbharti Solutions Chapter 20.1 व्युत्पत्ती कोश

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Marathi Solutions Kumarbharti Chapter 20.1 व्युत्पत्ती कोश Notes, Textbook Exercise Important Questions, and Answers.

Maharashtra State Board Class 10 Marathi Kumarbharti Chapter 20.1 व्युत्पत्ती कोश

Marathi Kumarbharti Std 10 Digest Chapter 20.1 व्युत्पत्ती कोश Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
टिपा लिहा.
(अ) व्युत्पत्ती कोशाचे कार्य
उत्तर:
व्युत्पत्ती कोशाचे कार्य: व्युत्पत्ती म्हणजे एखादया शब्दाच्या किंवा अर्थाच्या मुळाचे ज्ञान होय. व्युत्पत्ती सांगणे म्हणजे एखादया शब्दाच्या मुळाविषयी माहिती देणे होय, अशा अनेक शब्दांच्या व्युत्पत्तींचा संग्रह म्हणजे व्युत्पत्ती कोश !

व्युत्पत्ती कोशाचे कार्य पुढीलप्रमाणे चार प्रकारे चालते:

  • मराठी भाषेतील – प्रमाण व बोली – शब्दांचे मूळ रूप दाखवणे,
  • विशिष्ट प्रदेशात व भौगोलिक परिसरात एकाच शब्दातील उच्चारात बदल होत असतो. हा शब्दाच्या उच्चारातील बदल व फरक दाखवणे.
  • भाषेमध्ये इतिहासाच्या दृष्टीने फरक होत असतात. भिन्न भिन्न काळात जे शब्दांत बदल होतात, त्या बदलांचे कारण स्पष्ट करणे.
  • भिन्न भिन्न समाजांत वेगवेगळ्या कारणांनी शब्दाच्या अर्थाच्या अंगानेही बदल संभवतात. हे अर्थातील बदल स्पष्ट करणे.

(आ) शब्द तयार होण्याचे विविध प्रकार

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प्रश्न 2.
खालील मुद्द्यांच्या आधारे एक परिच्छेद तयार करा. (७ ते ८ वाक्यांत)
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 20.1 व्युत्पत्ती कोश 1
उत्तर:
व्युत्पत्ती कोश: एखादया शब्दाबद्दलचे कुतूहल शमवण्यासाठी आपण व्युत्पत्ती कोशाची मदत घेतो, व्युत्पत्ती कोशात आपल्याला मूळ शब्द कसा, केव्हा, कुठे निर्माण झाला हे तर कळतेच परंतु अन्य भाषांत तो शब्द कसा आला आहे व कोणत्या रूपात आहे, हेही कळते. असा हा शब्दांचा किमयागार कसा अस्तित्वात आला हे समजून घेणे उद्बोधक ठरेल.

१९३८ साली मुंबई येथे अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलन भरले होते. स्वातंत्र्यवीर सावरकर हे संमेलनाचे अध्यक्ष होते. त्यांच्या अध्यक्षतेखाली ‘व्युत्पत्ती कोश रचनेचे कार्य हाती घ्यावे’ असा ठराव या संमेलनात मंजूर करण्यात आला. कृ. पां. कुलकर्णी यांच्यावर संपादनाची जबाबदारी सोपवण्यात आली. बॅ. मुकुंदराव जयकर यांनी अर्थसाहाय्य केले व श्री. दाजीसाहेब तुळजापूरकर यांनी पुरस्कृत केल्यामुळे निर्मितीस भरीव मदत केली. अखेर १९४६ साली मराठी व्युत्पत्ती कोशाचे पहिले प्रकाशन झाले.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 20.1 व्युत्पत्ती कोश

प्रश्न 3.
पाठाबाहेरची उदाहरणे शोधून खालील कृती करा.

उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 20.1 व्युत्पत्ती कोश 4

Maharashtra Board Class 10 Marathi Kumarbharti Solutions Chapter 20 सर्व विश्वचि व्हावे सुखी

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Marathi Solutions Kumarbharti Chapter 20 सर्व विश्वचि व्हावे सुखी Notes, Textbook Exercise Important Questions, and Answers.

Maharashtra State Board Class 10 Marathi Kumarbharti Chapter 20 सर्व विश्वचि व्हावे सुखी

Marathi Kumarbharti Std 10 Digest Chapter 20 सर्व विश्वचि व्हावे सुखी Textbook Questions and Answers

कृति

कृतिपत्रिकेतील प्रश्न १ (अ) आणि (आ) यांसाठी…

प्रश्न 1.
खालील चौकटी पूर्ण करा.
(अ) संत ज्ञानेश्वर यांनी मानवाच्या कल्याणासाठी केलेली विश्वप्रार्थना – [ ]
(आ) मानवी सुखदुःखाशी सहृदयतेने समरस होणे – [ ]
(इ) ‘सर्वांभूती भगवद्भावो’ अशी प्रार्थना करणारे संत – [ ]
(ई) सामाजिक प्रबोधनावर भर देणारे संत – [ ]
(उ) संत तुकारामांचे जीवनसूत्र – [ ]
उत्तर:
(अ) संत ज्ञानेश्वर यांनी मानवाच्या कल्याणासाठी केलेली विश्वप्रार्थना – [पसायदान]
(आ) मानवी सुखदु:खाशी सहृदयतेने समरस होणे – [मैत्री]
(इ) ‘सर्वांभूती भगवद्भावो’ अशी प्रार्थना करणारे संत – [संत एकनाथ]
(ई) सामाजिक प्रबोधनावर भर देणारे संत – [संत गाडगे महाराज]
(उ) संत तुकारामांचे जीवनसूत्र – [परस्पर सहकार्य]

प्रश्न 2.
आकृत्या पूर्ण करा.
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उत्तर:
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प्रश्न 3.
फरक संग
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उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 20 सर्व विश्वचि व्हावे सुखी 5

प्रश्न 4.
खालील काव्यपंक्तींचा अर्थ लिहा.
(अ) जे खळांची व्यंकटी सांडो – [ ]
(आ) दुरिताचे तिमिर जावो – [ ]
उत्तर:
(i) जे खळांची व्यंकटी सांडो – [माणसांच्या मनातील दुष्ट भाव नष्ट होऊ दे.]
(ii) दुरितांचे तिमिर जावो – [(दुरित म्हणजे दुष्कर्म.) सर्व दुष्कर्माचा अंधार नष्ट होऊ दे.]

प्रश्न 5.
खालील तक्ता पूर्ण करा. त्यासाठी कंसातील शब्दांचा उपयोग करा.
(नम्रता, मैत्रभाव, विश्वकल्याण, स्वप्रयत्न, सहकार्य)
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उत्तर:
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प्रश्न 6.
स्वमत.
(अ) सर्व संतांच्या प्रार्थनमधील सामाईक सूत्र तुमच्या शब्दांत थोडक्यात लिहा.
उत्तर:
संत स्वत:पलीकडे जाऊन संपूर्ण जगाकडे पाहतात. त्यांना सर्व प्राणिमात्रांबद्दलच कळवळा वाटतो. त्यांच्या मनात आपपरभाव नसतो, त्यांना सर्व माणसे समान वाटतात; सारखीच प्रिय वाटतात. म्हणून संतमहात्मे सर्व मानवजातीचे कल्याण इच्छितात. म्हणूनच ‘जो जे वांछील तो ते लाहो’ असे ज्ञानदेव म्हणतात, नामदेवांना वाटते की, सर्वांच्या मनातला अहंकार नष्ट व्हावा. म्हणजे सगळेजण एकमेकाला स्वत:च्या हृदयात सामावून घेतील. संत एकनाथांना सर्वांच्याच ठिकाणी भगवद्भाव आढळतो. संत तुकाराम महाराज सर्वांनी एकमेकाला साहाय्य करीत परमेश्वर चरणांपर्यंत जाण्याचा मार्ग दाखवतात. सर्वच संत स्वतःसाठी काहीही मागत नाहीत, ते समस्त मानवजातीसाठी, समस्त प्राणिमात्रांसाठी परमेश्वराकडे हात जोडून प्रार्थना करतात.

(आ) ‘भूतां परस्परें पडो । मैत्र जीवाचें ।’ या ओळीचा तुम्हांला समजलेला अर्थ लिहा.
उत्तर:
या ओळीतील भूत, मैत्र आणि जीव’ हे तीन शब्द खूप महत्त्वाचे आहेत. देह धारण करणारा प्रत्येकजण ‘भूत’ होय. म्हणून जगातली सगळी माणसे भूत होत. पण फक्त माणसेच नव्हेत, तर सूक्ष्मजीवांपासून ते हत्ती-गेंडे यांसारखे सर्व प्राणिमात्र भूत होत. तसेच. वृक्षवेली यासुद्घा सजीवच आहेत. त्यासुद्घा भूत होत. या सर्वांच्या मनात एकमेकांबद्दल निर्मळ, पवित्र अशी प्रेमभावना निर्माण झाली पाहिजे, ही इच्छा ज्ञानदेव देवाजवळ व्यक्त करतात. जात, धर्म, भाषा, प्रांत वगैरे गोष्टींवरून आपण अनेकांना शत्रू समजतो. या भावना बाह्य गुणांवर अवलंबून आहेत. ज्ञानदेव या गोष्टींच्या पलीकडे जायला सांगतात. प्रत्येक जण सुखीच असेल. नेमकी हीच मागणी ज्ञानदेव विश्वात्मक देवाकडे करीत आहेत.

(इ) या पाठातून तुम्ही काय शिकलात, ते तुमच्या शब्दांत लिहा.
उत्तर:
सर्व संतांनी घ्यापक दृष्टिकोन बाळगून लोकांना उपदेश केला आहे. सर्व लोकांनी एकमेकांशी प्रेमाने वागावे. एकमेकांना, अडीअडचणीत असलेल्या सर्वांना मदत करावी. सर्वांमध्ये सहकार्याची भावना हवी. या त-हेने सर्वजण वागू लागले, तर समाजात शांती नांदेल. माणसे सुखासमाधानाने जगू लागतील. या अशा वातावरणातच माणसे प्रगती करु शकतात. अशा वातावरणात चोऱ्यामाऱ्या होणार नाहीत. दंगेधोपे होणार नाहीत. कोणाची पिळवणूक होणार नाही. कोणाची फसवणूक होणार नाही. कोणावर अन्याय होणार नाही. एकंदरीत, सर्व व्यवस्था ही न्यायावर आधारलेली राहील. म्हणून सर्वांनी एकोप्याने राहावे, असे सर्व संत सांगतात. इतरेजनांशी सहृदयतेने समरस झाले पाहिजे. सर्वांनी शिक्षण घेतले पाहिजे. वैज्ञानिक दृष्टिकोन बाळगला पाहिजे. हा पाठ वाचून मला हाच संदेश मिळाला.

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भाषाभ्यास

खालील ओळींतील वृत्त ओळखा.

(i) म्हणे वासरा । घात झाला असा रे
तुझ्या माऊलीचेच हे खेळ सारे
वृथा धाडिला राम माझा वनासी
न देखो शके त्या जगज्जीवनासी

(ii) अविरत पथि चाले, पांथ नेमस्त मानी
कधि न मुळि न थांबे, कोणत्या कारणांनी
वचनि मननि त्याच्या, ध्येय हे एक ठावे
स्वपर जनसमूहा सौख्य कारी बनावे

(iii) मातीत ते पसरले अति रम्य पंख।
केले वरी उदर पांडुर निष्कलंक।।
चंचू तशीच उघडी पद लांबवीले।
निष्प्राण देह पडला श्रमही निमाले।।
उत्तर:
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वृत्त: हे भुजंगप्रयात अक्षरगणवृत्त आहे.]

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वृत्त: हे मालिनी अक्षरगणवृत्त आहे.

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वृत्त: हे वसंततिलका अक्षरगणवृत्त आहे.

Marathi Kumarbharti Class 10 Textbook Solutions Chapter 20 सर्व विश्वचि व्हावे सुखी Additional Important Questions and Answers

प्रश्न. पुढील उतारा वाचा आणि दिलेल्या सूचनांनुसार कृती करा:
कृती १: (आकलन)

प्रश्न 1.
चौकटी पूर्ण करा:
(ii) संतांची भूमी – [ ]
(iii) संत म्हणजे – [ ]
(iv) सर्व संतांच्या प्रार्थनांमधून व्यक्त झालेली भावना – [ ]
उत्तर:
(i) संतांची भूमी – [महाराष्ट्र]
(ii) संत म्हणजे – [सत्पुरुष]
(iii) सर्व संतांच्या प्रार्थनांमधून व्यक्त झालेली भावना – [मानवता]

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कृती २: (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृत्या सोडवा:
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उत्तर:
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प्रश्न 2.
सर्वांनी गुण्यागोविंदाने राहावे, हे सांगताना दिलेला दाखला सांगा.
उत्तर:
पाने, फुले, फळे, झाडे, झरे, नदया, समुद्र, आकाशातील सर्व ग्रहगोल हे सारे एकोप्याने राहतात. त्यांच्यात कधीही कलह होत नाही, त्यांच्याप्रमाणेच सर्वांनी एकोप्याने राहावे, असा दाखला ज्ञानदेवांनी दिला आहे.

प्रश्न 3.
विधान पूर्ण करा:
पसायदान म्हणजे …………………..
उत्तर:
पसायदान म्हणजे मानवाच्या कल्याणासाठी विश्वात्मक देवाला हात जोडून केलेली प्रार्थना होय.

कृती ३: (व्याकरण)

प्रश्न 1.
पुढे दिलेली वाक्ये वाचा आणि योग्य त्या नामासाठी योग्य ते सर्वनाम वापरा:
(i) ही संतांची खरी भूमिका आहे.
(ii) संतांच्या साहित्याचा आत्मा भक्ती हा आहे.
(iii) संत परमेश्वराकडे स्वतःसाठी काहीही मागत नाहीत.
उत्तर:
(i) ही संतांची खरी भूमिका आहे.
(ii) त्यांच्या साहित्याचा आत्मा भक्ती हा आहे.
(iii) ते परमेश्वराकडे स्वत:साठी काहीही मागत नाहीत.

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प्रश्न 2.
‘विश्वकल्याण = विश्वाचे कल्याण’ यासारखे आणखी दोन शब्द विग्रहासह लिहा.
उत्तर:
(i) शांतिनिकेतन = शांतीचे निकेतन.
(ii) रजनीनाथ = रजनीचा नाथ.

प्रश्न 3.
अधोरेखित शब्दांचे अनेकवचन योजून वाक्य पुन्हा लिहा:
माणसाच्या मनातील माणुसकीचा झरा जिवंत ठेवला पाहिजे.
उत्तर:
माणसांच्या मनांतील माणुसकीचे झरे जिवंत ठेवले पाहिजेत.

उतारा क्र. २
प्रश्न. पुढील उतारा वाचा आणि दिलेल्या सूचनांनुसार कृती करा:

कृती १: (आकलन)

प्रश्न 1.
विधाने पूर्ण करा:
(i) आयुष्यात मोठे व्हायचे असेल, तर अंगी नम्रता हवी; म्हणजे अंगी नम्रता असेल, तर ……………………….
(ii) थोरांच्या चरित्रांतून आपल्याला शिकवण मिळते की, ……………………….
उत्तर:
(i) आयुष्यात मोठे व्हायचे असेल, तर अंगी नम्रता हवी; म्हणजे अंगी नम्रता असेल, तर आयुष्यात मोठे होता येईल.
(ii) थोरांच्या चरित्रांतून आपल्याला शिकवण मिळते की, विनम्रता ही केव्हाही जगाला आपलेसे करते.

प्रश्न 2.
स्पष्ट करा:
(i) सर्वांभूती भगवद्भावो.
(ii) संतसंग देई सदा.
उत्तर:
(i) सर्वांभूती भगवद्भावो म्हणजे प्राणिमात्रांशी मैत्री केली पाहिजे. येथे मैत्री म्हणजे काय? मैत्री म्हणजे माणसांच्या सुखदुःखांशी समरस होणे आणि असे समरस होताना आपपरभाव न बाळगणे.
(ii) संतांचा सदोदित सहवास लाभावा. त्यामुळे संतांचे गुण, त्यांची वृत्ती, त्यांचा दृष्टिकोन अंगी भिनतो. मग सगळेच जण परस्पर सहकार्यासाठी उभे ठाकतात. या परस्पर सहकार्यातून मानवी जीवनाचे कल्याण साधले जाते. म्हणून मला सदोदित संतांचा सहवास दें.

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प्रश्न 3.
रामदासांनी दिलेला संदेश लिहा.
उत्तर:
संत रामदासांचा संदेश: हे परमेश्वरा, जनहित तेच बघ. सर्वांचे कल्याण कर.

प्रश्न 4.
गाडगेबाबांचा संदेश लिहा.
उत्तर:
संत गाडगे महाराजांचा संदेश: धर्मकार्यासाठी वाटेल तसा पैसा उधळण्यापेक्षा तोच पैसा शिक्षण मिळवण्यासाठी खर्च करावा. स्वत:च स्वत:च्या उद्धारासाठी सिद्ध झाले पाहिजे. त्यातच माणसाचे कल्याण आहे.

कृती ३: (व्याकरण)

प्रश्न 1.
विरुद्ध अर्थाचे शब्द लिहा:
(i) कल्याण
(ii) वैयक्तिक
(iii) माणुसकी
(iv) समारोप.
उत्तर:
(i) कल्याण × अकल्याण
(ii) वैयक्तिक × सामूहिक
(iii) माणुसकी × माणुसकीहीनता
(iv) समारोप × सुरुवात

प्रश्न 2.
कंसात दिलेला प्रत्यय जोडून शब्दांचे पूर्ण रूप लिहा:
(i) भूमिका (ला)
(ii) झरा (चे)
(iii) ग्रंथ (ला)
(iv) नदी (ना).
उत्तर:
(i) भूमिकेला
(ii) झऱ्याचे
(ii) ग्रंथाला
(iv) नदयांना.

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प्रश्न 3.
समानार्थी शब्द लिहा:
(i) कळवळा
(i) कल्याण
(iii) प्रार्थना
(iv) सहृदयता.
उत्तर:
(i) कळवळा = करुणा
(ii) कल्याण = उत्कर्ष
(iii) प्रार्थना = विनंती
(iv) सहृदयता = सहानुभूती.

उतारा क्र.३
प्रश्न. पुढील उतारा वाचा आणि दिलेल्या सूचनांनुसार कृती करा:

कृती १: (आकलन)

प्रश्न 1.
चौकटी पूर्ण करा:
(i) संपूर्ण गावाची भगवद्गीता – [ ]
(ii) गावाचे मंदिर – [ ]
(iii) मंदिरातील मूर्ती – [ ]
उत्तर:
(i) संपूर्ण गावाची भगवद्गीता – [गावस्वच्छता]
(ii) गावाचे मंदिर – [संपूर्ण गाव]
(iii) मंदिरातील मूर्ती – [माणूस]

प्रश्न 2.
आकृत्या पूर्ण करा:
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उत्तर:
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(३) चौकटी पूर्ण करा:
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उत्तर:
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कृती २: (आकलन)

प्रश्न 1.
‘माणूस हा सामाजिक प्राणी आहे,’ या विधानाची सत्यता पटवून देणारी वाक्ये लिहा.
उत्तर:
(i) माणूस हा कधीही एकाकी राहू शकत नाही.
(ii) त्याला संवादाची नितांत गरज असते.
(iii) माणसाने कुणालाही दुखावता कामा नये.
(iv) शक्यतो दुसऱ्याच्या उपयोगी पडले पाहिजे.

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प्रश्न 2.
‘हे विश्वचि माझे घर’ या ज्ञानदेवांच्या उद्गारामागील भावनेचा:
(i) आज पूर्ण होताना दिसून येणारा भाग:
(ii) आज आपण गमावलेला भाग:
उत्तर:
(i) आज पूर्ण होताना दिसून येणारा भाग: विज्ञान-तंत्रज्ञानामुळे जग खूप जवळ आले आहे; लहान झाले आहे. आज माणसे सहजगत्या कुठेही जाऊ शकतात, राहू शकतात. जग जणू एक घरच बनले आहे.
(ii) आज आपण गमावलेला भाग: घरातल्या माणसांच्या मनात घरातल्या इतरांबद्दल जिव्हाळा, आपुलकी असते. थोडक्यात, आपापसांतील नात्यांत भावनेचा ओलावा असतो. आज आपण हा ओलावा गमावून बसलो आहोत. माणसामाणसांना जोडणारा जिव्हाळा आज हरवला आहे.

प्रश्न 3.
झाड व पर्वत यांतील साम्य लिहा.
उत्तर:
झाड व पर्वत यांच्यात एक साम्य आहे. झाड स्वत: उन्हाचा ताप सहन करते आणि थंड सावली इतरांना देते. त्याप्रमाणेच पर्वतही वागताना दिसतो. पर्वताच्या कुशीत नदी उगम पावते. पण नदी तिथे थांबत नाही. ती पर्वतापासून दूर जाते. पर्वत तिचा हा वियोग सहन करतो आणि नदीला सर्व जगाची तहान भागवू देतो.

प्रश्न 4.
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उत्तर:
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कृती ३: (व्याकरण)

प्रश्न 1.
पुढील शब्दांतील प्रत्यय ओळखा आणि त्या प्रत्ययासह आणखी दोन शब्द लिहा:
(i) साधर्म्य
(ii) सहृदयता.
उत्तर:
(i) साधर्म्य – य:
सुंदर + य = सौंदर्य,
गद + य = गय.

(ii) सहृदयता – ता:
कोमल + ता = कोमलता,
विविध + ता = विविधता.

प्रश्न 2.
कंसांतील सूचनांनुसार उत्तर: लिहा:
(i) या संकल्पना संतसाहित्यातून प्रकट झाल्या आहेत. (भूतकाळ करा.)
(ii) हा ग्रंथ पूर्ण करण्याच्या तयारीत ते होते. (भविष्यकाळ करा.)
(iii) यातून प्रार्थना निर्माण झाली. (वर्तमानकाळ करा.)
उत्तर:
(i) या संकल्पना संतसाहित्यातून प्रकट झाल्या होत्या.
(ii) हा ग्रंथ पूर्ण करण्याच्या तयारीत ते असतील.
(iii) यातून प्रार्थना निर्माण होते.

प्रश्न 3.
कंसांतील सूचनेनुसार बदल करून वाक्ये पुन्हा लिहा:
(i) संत ज्ञानेश्वरांनी सांगितलेली ही प्रार्थना मराठी मनाच्या स्मरणात कायम आहे. (मिश्र वाध्य करा.)
(ii) वैयक्तिक इच्छा पूर्ण व्हावी म्हणून आपण नेहमीच प्रार्थना करतो. (केवल वाक्य करा.)
उत्तर:
(i) संत ज्ञानेश्वरांनी जी प्रार्थना सांगितली, ती मराठी मनाच्या स्मरणात कायम आहे.
(ii) वैयक्तिक इच्छा पूर्ण होण्यासाठी आपण नेहमीच प्रार्थना करतो.

प्रश्न 4.
पुढील वाक्यातील अधोरेखित शब्दांबद्दल पुढील माहिती लिहून तक्ता पूर्ण करा.
विज्ञानातील चांगले प्रकल्प समृद्धी आणतात, पण सुंदर मने ही राष्ट्राची श्रीमंती वाढवतात.
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उत्तर:
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कृती ४: (स्वमत/अभिव्यक्ती)

प्रश्न 1.
समाजातील जिव्हाळा हरवल्याबद्दलची व्यक्त केलेली खंत व त्याचा परिणाम तुमच्या शब्दांत लिहा.
उत्तर:
सध्या जवळजवळ सर्वांच्या मनात इतरांबद्दल जिव्हाळा राहिलेला नाही. साध्या साध्या प्रसंगात माणसे हमरातुमरीवर येतात. साधे बसमध्ये चढताना लोक धक्काबुक्की करतात. त्यामुळे मुले, म्हातारी माणसे, आजारी माणसे व अपंग यांचे खूप हाल होतात. काही दुष्ट दुधात भेसळ करतात, अन्नपदार्थात भेसळ करतात. त्यामुळे कित्येकांना विषबाधा होते. काहीजणांना प्राण गमवावे लागतात. वाईट बांधकामामुळे रस्त्यांवर भीषण अपघात घडतात. घरे कोसळतात. पूल कोसळतात. त्यांत अनेकांचे अतोनात नुकसान होते. या माणसांवर कोणती संकटे कोसळतात, कोणत्या दु:खांना तोंड द्यावे लागते. याबद्दल भ्रष्टाचाऱ्यांना ना खेद वाटतो, ना खंत वाटते. इतरांबद्दल जिव्हाळाच वाटत नसल्याने अशी कृत्ये माणसांकडून घडून जातात.

व्याकरण व भाषाभ्यास

कृतिपत्रिकेतील प्रश्न ४ (अ) आणि (आ) यांसाठी…
व्याकरण घटकांवर आधारित कृती:

१. समास:
पुढील सामासिक शब्दांचा विग्रह करून समास ओळखा:
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उत्तर:
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२. अलंकार:
रूपक अलंकाराची लक्षणे सांगून उदाहरण दया:
उत्तर:
लक्षणे: उपमेय व उपमान यांत एकरूपता असते व ती भिन्न नाहीत असे वर्णन जेथे असते तिथे रूपक अलंकार होतो.
उदाहरण: काय बाई सांगो। स्वामीची ती दृष्टी।
अमृताची वृष्टी । मज होय ।।

४. शब्दसिद्धी:
* पुढील चौकटीत दिलेल्या शब्दांचे वर्गीकरण करून तक्ता पूर्ण करा:
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उत्तर:
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५. सामान्यरूप:
तक्ता पूर्ण करा:
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६. वाक्प्रचार:
(१) वाक्प्रचार व अर्थ यांच्या जोड्या लावा:
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(२) तक्ता पूर्ण करा: (सराव कृतिपत्रिका-१)
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भाषिक घटकांवर आधारित कृती:

१. शब्दसंपत्ती:

(१) विरुद्धार्थी शब्द लिहा:
(i) आधुनिक × ……………………….
(ii) मर्यादित × ……………………….
(iii) स्मरण × ……………………….
(iv) तिमिर × ……………………….
(v) दुष्कर्म × ……………………….
(vi) स्वार्थ × ……………………….
(vii) व्यर्ध × ……………………….
(viii) वैयक्तिक × ……………………….
उत्तर:
(i) आधुनिक × प्राचीन
(iii) स्मरण × विस्मरण
(v) दुष्कर्म × सत्कर्म
(vii) व्यर्थ × सार्थ
(ii) मर्यादित × अमर्यादित
(iv) तिमिर × प्रकाश
(vi) स्वार्थ × निःस्वार्थ
(viii) वैयक्तिक × सार्वजनिक,

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(२) समानार्थी शब्द लिहा: (प्रत्येकी दोन)
(i) [ ………. ] = [वृक्ष] = [ ………. ]
(ii) [ ………. ] = [समुद्र] = [ ………. ]
(iii) [ ………. ] = [सूर्य] = [ ………. ]
(iv) [ ………. ] = [चंद्र] = [ ………. ]
उत्तर:
(i) [ झाड ] = [वृक्ष] = [ तारू ]
(ii) [ सागर ] = [समुद्र] = [ सिंधू ]
(iii) [ रवी ] = [सूर्य] = [ भास्कर ]
(iv) [ शशी ] = [चंद्र] = [ रजनीनाथ ]

(३) पुढील शब्दांतील समानार्थी व विरुद्धार्थी शब्दाच्या चार जोड्या तयार करा: (सराव कृतिपत्रिका-१)
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उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 20 सर्व विश्वचि व्हावे सुखी 31

(४) पुढील शब्दांतील अक्षरांपासून चार अर्थपूर्ण शब्द तयार करा:
(i) तुकाराम → [ ] [ ] [ ] [ ]
(ii) महाराज → [ ] [ ] [ ] [ ]
(iii) गगनभरारी → [ ] [ ] [ ] [ ] (सराव कृतिपत्रिका-१)
उत्तर:
(i) तुकाराम → [राम] [कारा] [मका] [मरा]
(ii) महाराज → [महा] [राज] [जरा] [राम]
(iii) गगनभरारी → [नभ] [भरा] [राग] [रान]

(५) गटात न बसणारा शब्द लिहा:
(i) तम, तिमिर, समर, काळोख, अंधार.
(ii) उजेड, तेज, प्रकाश, आकाश, आभा.
(iii) खोदाई, लढाई, शिष्टाई, मुंबई. (सराव कृतिपत्रिका-२)
(iv) हरिहर, हररोज, हरघडी, हरसाल. (सराव कृतिपत्रिका-२)
उत्तर:
(i) समर
(ii) आकाश
(ii) मुंबई –
(iv) हरिहर लेखननियम:

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(१) अचूक शब्द निवडा:
उत्तर:
(i) सहायक / साहय्यक / सहय्यक / सहाय्यक. – [सहायक]
(ii) उतरार्ध / उत्तरार्ध / उतर्राध/ उत्तर्राध. – [उत्तरार्ध]
(iii) अतिशयोक्ती / अतीशयोक्ती/ अतिशयोक्ति / अतीशयोक्ति. – [अतिशयोक्ती]
(iv) कल्पवृक्ष /कप्लवृक्ष / कल्पव्रक्ष / कल्पवृक्ष. – [कल्पवृक्ष] (सराव कृतिपत्रिका-१)
(v) उप्तन्न/उत्पन/ उत्पन्न/ऊत्पन्न. – [उत्पन्न]
(vi) सुचना / सूचना / सुचणा / सूचाना. – [सूचना]
(vii) स्मृतीदीन /स्मृतिदिन / स्मृतिदीन /स्मृतीदिन. – [स्मृतिदिन]
(viii) परंपरिक / पारंपारिक / परंपारिक / पारंपरिक. – [पारंपरिक]
(ix) तिर्थरूप/तीर्थरूप/तीर्थरुप / तिथरूंप – [तीर्थरुप]
(x) आशिर्वाद/आशीर्वाद/आर्शीवाद/आशिरवाद – [आशीर्वाद] (मार्च १९)

(२) पुढील वाक्ये लेखननियमांनुसार लिहा:
(i) शिक्षणामुळे माणुस सूसंस्क्रुत व्हावा.
(ii) आपल्या पूरवजांनी अर्जीठा वेरूळ बनवलाय. (सराव कृतिपत्रिका-१)
उत्तर:
(i) शिक्षणामुळे माणूस सुसंस्कृत होतो.
(ii) आपल्या पूर्वजांनी अजिंठा वेरूळ बनवलाय.

३. विरामचिन्हे:
(१) पुढील वाक्यांतील विरामचिन्हे ओळखा:
संत ज्ञानेश्वरांच्या ‘ज्ञानेश्वरी’ या ग्रंथात पसायदान आहे.
उत्तर:
[ ‘ ‘ ] → एकेरी अवतरणचिन्ह
[ . ] → पूर्णविराम.

(२) पुढील वाक्यात योग्य ती विरामचिन्हे भरून वाक्य पुन्हा लिहा:
निसर्गातील फुले फळे वृक्ष नदया समुद्र सूर्य चंद्र तारे एकोप्याने राहतात
उत्तर:
निसर्गातील फुले, फळे, वृक्ष, नया, समुद्र, सूर्य, चंद्र, तारे एकोप्याने राहतात.

(३) प्रस्तुत वाक्यातील चुकीची विरामचिन्हे ओळखा व दुरुस्त करून लिहा: (सराव कृतिपत्रिका-१)
मी तिला म्हटले. कर्त्यांच्या पुतळ्यापाशी बसून रडायला तुला काहीच कसे वाटत नाही!
उत्तर:
मी तिला म्हटले, “कव्यांच्या पुतळ्यापाशी बसून रडायला तुला काहीच कसे वाटत नाही?”

(४) पुढे विरामचिन्हाचा उपयोग दिला आहे त्यानुसार त्या आशयाचे विरामचिन्ह चौकटीत भरा: (सराव कृतिपत्रिका-१)
(i) बोलणाऱ्याच्या तोंडचे शब्द दाखवण्यासाठी → [ ” ” ]
(ii) दोन शब्द जोडण्यासाठी किंवा जोडशब्दातील पदे सुटी करून दाखवण्यासाठी → [ – ]

४. पारिभाषिक शब्द: *पुढील इंग्रजी पारिभाषिक शब्दांना मराठी प्रतिशब्द लिहा:
उत्तर:
(i) Children’s Theatre – बालरंगभूमी
(ii) Daily Wages – दैनिक वेतन / रोजंदारी
(iii) Joint Meeting – संयुक्त सभा
(iv) Junior Clerk – कनिष्ठ लिपिक
(v) Letter-Head – नाममुद्रित प्रत
(vi) Up-to-date – अदययावत
(vii) Open Letter – अनावृत पत्र
(viii) Press Note – प्रसिद्धिपत्रक
(ix) Registered Letter – नोंदणीकृत पत्र
(x) Revaluation – पुनर्मूल्यांकन
(xi) Survey – सर्वेक्षण / पाहणी
(xii) Secretary – सचिव / कार्यवाह

Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 20 सर्व विश्वचि व्हावे सुखी

५. अकारविल्हे / भाषिक खेळ:
(१) पुढील शब्द अकारविल्हेनुसार लिहा:
(i) संत → महंत → साधू → महापुरुष.
(ii) संस्कृत → मराठी → हिंदी → इंग्रजी.
उत्तर:
(i) महंत → महापुरुष → संत → साधू.
(ii) इंग्रजी → मराठी → संस्कृत → हिंदी.

(२) आकृती पूर्ण करा:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 20 सर्व विश्वचि व्हावे सुखी 32
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 20 सर्व विश्वचि व्हावे सुखी 33

सर्व विश्वचि व्हावे सुखी शब्दार्थ

  • साधर्म्य – समान गोष्ट.
  • चिरंजीव – चिरकाल टिकणारी गोष्ट.

सर्व विश्वचि व्हावे सुखी वाक्प्रचार व त्यांचे अर्थ

  • साकडे घालणे : विनवणी करणे.
  • आपलेसे करणे : आपुलकी निर्माण करणे,
  • समरस होणे : एकरूप होणे.