Class 9 Hindi Chapter 1 Kah Kaviray Question Answer Maharashtra Board

Std 9 Hindi Chapter 1 Kah Kaviray Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Lokbharti Chapter 1 कह कविराय Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Lokbharti 9th Digest Chapter 1 कह कविराय Questions And Answers

Hindi Lokbharti 9th Std Digest Chapter 1 कह कविराय Textbook Questions and Answers

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

1. संजाल :

प्रश्न 1.
संजाल :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 1 कह कविराय 1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 1 कह कविराय 2

2. उत्तर लिखिए :

प्रश्न क.
अपना शीश इसके लिए आगे करने पर इसकी प्राप्ति होगी?
उत्तरः
अपना शीश दूसरों की भलाई के लिए (परोपकार के लिए) आगे करने पर मोक्ष की प्राप्ति होगी।

प्रश्न ख.
बड़ों के द्वारा दी गई सीख –
उत्तरः
व्यक्ति को सत्य के मार्ग पर चलते समय अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखनी चाहिए।

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3. ‘हाथ’ शब्द पर प्रयुक्त कोई एक मुहावरा लिखकर उसका वाक्य में प्रयोग कीजिए।

प्रश्न 1.
‘हाथ’ शब्द पर प्रयुक्त कोई एक मुहावरा लिखकर उसका वाक्य में प्रयोग कीजिए।

4. ‘खुशियाँ बाँटने से बढ़ती है।’ इस पंक्ति का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 1.
‘खुशियाँ बाँटने से बढ़ती है।’ इस पंक्ति का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सच ही कहा गया है कि खुशियाँ बाँटने से बढ़ती हैं। खुशियाँ संपत्ति की भाँति होती है। जिस प्रकार हम अपनी संपत्ति का जितना दान करते हैं उतनी वह बढ़ती रहती है । ठीक उसी प्रकार हम जितनी खुशियाँ लोगों में बाँटेंगे, उतनी ही मात्रा में वह बढ़ती है। अगर आप किसी की आँखों में दर्द देखते हो, तो उसके साथ अपने आँसुओं को बाँटो। अगर आप किसी की आँखों में मुस्कान देखते हो, तो उसके साथ अपनी खुशियों को बाँटो। आपको परमसुख की अनुभूति होगी।

आपका मन प्रसन्न एवं प्रफुल्लित हो जाएगा जिस कारण आपकी खुशियाँ दुगुनी हो जाएगी। मदर टेरेसा जी ने सभी दीन दुखी अनाथ बालकों के जीवन में खुशियाँ भर दी तो संसार ने उन्हें ‘नोबेल पुरस्कार’ देकर उनकी खुशियों को दुगुना कर दिया। अतः स्पष्ट है कि खुशियाँ बाँटने से बढ़ती हैं।

श्रवणीय :

प्रश्न 1.
संत कबीर तथा कवि बिहारी के नीतिपरक दोहे सुनिए और सुनाइए।

पठनीय :

प्रश्न 1.
मीरा का कोई पद पढ़िए ।

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आसपास :

प्रश्न 1.
भक्तिकालीन, रीतिकालीन कवियों के नाम और उनकी रचनाओं की सूची तैयार कीजिए।

कल्पना पल्लवन :

प्रश्न 1.
‘गुन के गाहक सहस नर’ इस विषय पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
गुणी व्यक्ति की सर्वत्र पूजा होती है। ठीक ही कहा गया है ‘विद्वान सर्वत्र पूज्यते’ गुणी व्यक्ति को हमेशा सम्मान मिलता है और हजारों व्यक्ति उसकी चर्चा करते हैं। उसकी सर्वत्र चर्चा होती है। सभी गुणी व्यक्ति का साथ चाहते हैं क्योंकि उसके साथ रहने से गुणहीन व्यक्ति भी गुणी बन जाता है। गुणी व्यक्ति लोगों को संकट की घड़ी से बाहर निकालते हैं। समय-समय पर उनका मार्गदर्शन करते हैं। जीवन में सही क्या और गलत क्या इसका एहसास कराते हैं। गुणी व्यक्ति अपने महकते चरित्र से सभी के जीवन को सुगंधित कर देते हैं। वह दूसरों के व्यक्तित्त्व में निखार लाते हैं। गुणी व्यक्ति से प्रेरणा पाकर सामान्य लोग अपना विकास कर लेते हैं। अत: गुणी व्यक्ति के सहस्र ग्राहक होते हैं।

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लेखनीय :

प्रश्न 1.
सामाजिक मूल्यों पर आधारित पद, दोहे, सुवचन आदि का सजावटी सुवाच्य लेखन कीजिए।

पाठ के आँगन में :

1. सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए :

प्रश्न क.
कौआ और कोकिल में समानता तथा अंतर :
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उत्तर:
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प्रश्न ख.
कवि की दृष्टि से मित्र की परिभाषा
उत्तर:
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प्रश्न ग.
आकृति
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उत्तर:
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2. कविता में प्रयुक्त तत्सम, तद्भव, देशज शब्दों का चयन करके उनका वर्गीकरण कीजिए तथा पाँच शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए।

प्रश्न 1.
कविता में प्रयुक्त तत्सम, तद्भव, देशज शब्दों का चयन करके उनका वर्गीकरण कीजिए तथा पाँच शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
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निर्देश: छात्र स्वयं किन्हीं पाँच शब्दों का वाक्य में प्रयोग करेंगे।

3. कवि के मतानुसार मनुष्य की विचारधारा निम्न मुद्दों के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 1.
कवि के मतानुसार मनुष्य की विचारधारा निम्न मुद्दों के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
च . ऋण लेते समय ……………….
छ. ऋण लौटाते समय ……………..
उत्तर:
च. नम्रता से मीठी वाणी का प्रयोग करना।
छ. कठोरता से कड़वी वाणी का प्रयोग करना।

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Hindi Lokbharti 9th Answers Chapter 1 कह कविराय Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
कौआ और कोकिल में समानता तथा अंतर :
उत्तर:
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कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझाकर लिखिए।
उत्तर:
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कृति (3) भावार्थ

प्रश्न 1.
“गुन के गाहक ……………… गाहक गुन के।।”
इस कुंडली का भावार्थ लिखिए ।
उत्तर:
कवि गिरिधर जी कहते हैं कि गुणवान व्यक्ति को पूछने वाले या जानने वाले हजारों लोग होते हैं लेकिन जिस व्यक्ति में गुण नहीं होते, उस व्यक्ति को कोई नहीं पूछता, लोग उसका सम्मान भी नहीं करते। जिस प्रकार कौए और कोयल दोनों की आवाज सुनते तो सभी हैं लेकिन कोयल अपनी मधुर और सुरीली आवाज के कारण सभी को अच्छी लगती है, परन्तु कौआ किसी को अच्छा नहीं लगता। कोयल और कौए का रंग तो एक समान होता है, परन्तु कौआ अपनी तेज (कर्कश) आवाज के कारण सभी के द्वारा अपमानित किया जाता है और कोयल को उसकी मधुर आवाज के कारण सम्मान मिलता है। इस प्रकार गिरिधर कविराय जी कहते हैं कि हे मन के ठाकुर! जिस व्यक्ति में गुण नहीं होते, उसे कोई नहीं पूछता और गुणवान व्यक्ति को हजारों लोग उसके गुणों के कारण पूछते हैं।

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(ख) पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए ।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
सत्य – असत्य लिखिए।
i. दुनिया में सर्वत्र सदाचारी व्यक्ति पाए जाते हैं।
ii. दुनिया में सर्वत्र स्वार्थभाव पनप रहा है।
उत्तर:
i. असत्य
ii. सत्य

कृति (3) भावार्थ

प्रश्न 1.
‘देखा सब संसार में ………… कोई बिरला देखा।।’
इस पद्यांश का भावार्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि गिरिधर जी कहते हैं कि हे ईश्वर ! इस धरती पर और इस पूरे संसार में मनुष्य एक-दूसरे से स्वार्थ वश प्रेम करते हैं अर्थात सभी लोग अपने लाभ या फायदे के बारे में ही सोचते हैं। जब तक किसी व्यक्ति के पास पैसा होता है, तब तक लोग उसके मित्र रहते हैं। जब किसी व्यक्ति के पास धन या पैसा नहीं होता, तब उसके मित्र उसकी उपेक्षा करते हैं अर्थात गरीब मित्र से बात करना भी पसंद नहीं करते हैं। कवि गिरिधर जी कहते हैं, इस संसार का यही नियम है कि बिना स्वार्थ के किसी से मित्रता करने वाले लोग कम ही मिलते हैं अर्थात बिना स्वार्थ के प्रेम करने वाला कोई नहीं मिलता।

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(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 1 कह कविराय 14

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
‘उधार देने वाले व्यक्ति को उधार लेने वाला झूठा कहता है।’ इस अर्थ की पद्यांश में प्रयुक्त पंक्ति –
उत्तर:
बहुत दिना हो जाय, कहै तेरो कागज झूठा।

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
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कृति ग (3) भावार्थ

प्रश्न 1.
‘झूठ मीठे वचन कहि ………….. माँगने मारन धावै।’
इस पद्यांश का भावार्थ लिखिए।
उत्तरः
हमें एक-दूसरे की सहायता जरूर करनी चाहिए। जब कोई मुसीबत में फंस जाता है; तब हमें उस व्यक्ति की मदद करनी चाहिए। व्यक्ति की मदद करने से पहले हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिसकी हम मदद करने जा रहे हैं, उसे सचमुच सहायता की जरूरत है या वह सिर्फ मीठी-मीठी बातें कर हमसे रुपए उगलवा रहा है। इसे जाने बिना यदि हम ऐसे झूठे व्यक्ति की आर्थिक सहायता करते हैं, तो बाद में हमें जरूर पछताना पड़ेगा। कुछ समय के पश्चात जब हम अपना उधार दिया हुआ पैसा उससे मांगने के लिए जाते हैं। तब वह हमारे साथ बहुत बुरा व्यवहार करता है। उस समय वह इतना कठोर एवं निष्ठुर हो जाता है कि बिना अपशब्द कहे चुप नहीं रहता है और सभी के सामने हमें ही झूठा साबित कर देता है।

(घ) पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
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कृति (3) भावार्थ

प्रश्न 1.
‘बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताय’ इस पद्यांश का भावार्थ लिखिए।
उत्तर:
व्यक्ति कोई भी कार्य यदि बिना विचार करता है, तो उसे बाद में पछताना पड़ता है क्योंकि बिना विचारपूर्वक किया गया कोई भी काम ठीक से पूर्ण नहीं होता है। ऐसे में व्यक्ति अपना काम भी बिगाड़ता है और समाज में वह हँसी का पात्र भी बन जाता है। जिसके कारण उसका मन निराश रहता है। उसके मन को शांति नहीं मिलती है। ऐसी स्थिति में खान-पान-सम्मान आदि किसी भी चीज में उसका मन नहीं लगता अर्थात उसे कछ भी अच्छा नहीं लगता है। गिरिधर कवि कहते हैं कि चाहे कुछ भी हो जाए लेकिन उसके मन से दुख दूर नहीं होता है और न वह उसे टाल सकता है। बार-बार उसके मन में वही बात खटकती रहती है कि उसने बिना विचार किए काम क्यों किया था। उसे अपने अनजाने में ही की गई गलती पर पछतावा भी होता है।

(ड़) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति
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कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
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कृति (3) भावार्थ

प्रश्न 1.
“बीती ताहि बिसारि ………….. बीती सो बीती।” इस पद्यांश का भावार्थ लिखिए ।
उत्तर:
जो बात बीत जाती है उसके बारे में व्यक्ति को सोचना नहीं चाहिए। जो छूट गया उसे भूल जाने में ही जीवन की सार्थकता होती है। अत: बीते हुए समय की अपेक्षा भविष्य को महत्त्व देना चाहिए। बीती हुई बातों के बारे में सोचकर व्यक्ति को सिर्फ दुख ही मिलेगा और फिर उसका मन अन्य कामों में नहीं लगेगा। महाकवि वाल्मीकि ने भी अपने जीवन के बुरे पलों को भूलकर रामायण की रचना की थी। अत: व्यक्ति को बीती हुई सारी घटनाओं को भूलकर आगे आने वाले समय के बारे में सोचना चाहिए। भविष्य में अपना जीवन सुखमय एवं समृद्ध बनाने हेतु उसे अथक प्रयास करने चाहिए। ध्यान रहे कि बीते हुए पलों के बारे में सोचना केवल मूर्खता है और आगे आनेवाले उज्ज्वल भविष्य का स्वागत करने के लिए तत्पर हो जाना चतुरता है।

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रचनात्मकता की ओर संभाषणीय :

प्रश्न 1.
‘विपत्ति में ही सच्चे मित्र की पहचान होती है। स्पष्ट
उत्तर:

  • अध्यापक: (सभी छात्रों से): अपने अपने मित्रों के नाम बताइए। (सभी छात्र अपने अपने मित्र के नाम बताते हैं।)
  • अध्यापक: आप किसे अपना सच्चा मित्र मानते हैं?
  • विजयः सच्चा मित्र वह होता है, जो मुसीबत आने पर अपनी मदद करता है।
  • संजयः सच्चा मित्र वह होता है, जो ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ होता है।
  • राधाः सच्चा मित्र वह होता है, जो नि:स्वार्थ भाव से अपनी सहायता करता है।
  • मंदाः सच्चा मित्र वह होता है, जो संकट की घड़ी में अपनी सहा यता के लिए दौड़कर आता है।
  • अध्यापक: आप अपने मित्रों का सच्चा मित्र बनने के लिए क्या करेंगे?
  • विजयः मैं अपने मित्रों का सच्चा मित्र बनने के लिए मानवीय गुणों का पालन करूंगा।
  • संजयः मैं सब्बा मित्र बनने के लिए ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा का पालन करूंगा।
  • राधाः मैं अपनी सहेलियों की सच्ची सहेली बनने के लिए नि:स्वार्थ भाव को अपनाऊँगी।
  • मंदाः मैं सच्ची सहेली बनने के लिए मुसीबत की घड़ी में उनकी सहायता के लिए तत्पर रहूँगी।
  • अध्यापकः सच ही कहा गया है कि विपत्ति में ही सच्चे मित्र की पहचान होती है। बच्चों हमें अपना तन-मन-धन न्योछावर करके अपने मित्रों की संकट की घड़ी में सहायता करनी चाहिए और यही सच्चे मित्र का लक्षण हैं।

पद्य-विश्लेषण

कविता का नाम – कह कविराय कविता की विधा – कुंडली
पसंदीदा पंक्ति – बिना विचारे जो करै, सो पाछे पछताय।
काम बिगारै आपनो, जग में होत हसाय।।

पसंदीदा होने का कारण –
उपर्युक्त पंक्तियों में समय की महत्ता का प्रतिपादन किया गया है। यह भी बताया गया है कि व्यक्ति को प्रत्येक काम सोच-विचारकर ही करना चाहिए। अत: यह मेरी पसंदीदा काव्य पंक्ति है।
कविता से प्राप्त संदेश या प्रेरणा –
प्रस्तुत कविता से प्रेरणा यह मिलती है कि व्यक्ति को सामाजिक गुणों को अपनाना चाहिए। हमें दूसरों से सच्ची मित्रता करनी चाहिए। यदि किसी ने हम पर उपकार किए हैं तो हमें उसके प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए। कोई भी कार्य विचारपूर्वक करना चाहिए। व्यक्ति को अपनी संपत्ति का दान करना चाहिए।

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पाठ से आगे :

प्रश्न 1.
‘बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताय’ इसका पाठ से आगे भावार्थ अपने शब्दों मे लिखिए।
उत्तर:
जो व्यक्ति बिना विचार किए काम करता है, उसे बाद में पछताना पड़ता है; क्योंकि बिना विचारपूर्वक किया गया कोई भी काम ठीक से पूर्ण नहीं होता है। संसार में हमें ऐसे कई उदाहरण मिलेंगे कि जिन्होंने बिना विचारे काम किए और चौपट हो गए। भारत के कई शासक ऐसे थे, जिनमें बिल्कुल विचार करने की शक्ति नहीं थी। वे आपस में ही एक-दूसरे से लड़ते रहे। इसी कारण अंग्रेजों ने उन्हें कुचल दिया।

यदि कोई छात्र पूरे वर्ष में किताबों को नहीं छूता, उसे बाद में पछताना ही पड़ता है। बिना विचार किए काम करने वालों की स्थिति उस शेखचिल्ली की भाँति हो जाती है, जो टहनी पर बैठकर उसी को पेड़ से अलग कर रहा था। व्यक्ति को कोई भी कार्य करने से पहले जल्दबाजी में निर्णय नहीं लेना चाहिए। जल्दबाजी में लिया गया निर्णय गलत साबित हो सकता है। अत: इसे ठीक से सोच कर ही सही निर्णय लेना चाहिए, नहीं तो व्यक्ति को बाद में पछताना पड़ेगा।

कह कविराय Summary in Hindi

कवि-परिचय :

जीवन-परिचय: गिरिधर कविराय हिंदी के प्रख्यात कवि थे। इनके जन्म के संबंध में मतभेद है। कहा जाता है कि इनका जन्म अवध में सन 1713 में हुआ था। भाषा का सरलीकरण इनके कुंडलियों की विशेषता है। इन्होंने नीति, वैराग्य और अध्यात्म को ही अपनी रचनाओं का विषय बनाया है। सामान्य जन के दैनिक जीवन को ध्यान में रखकर इन्होंने कुंडलियाँ लिखी है।

प्रमुख कृतियाँ: ‘गिरिधर कविराय ग्रंथावली’ में 500 से अधिक दोहे और कुंडलियाँ संकलित हैं।

पद्य-परिचय कुंडली: यह काव्य विधा का एक प्रकार है। यह छंद दोहा और रोला के मेल से बनता है। कुंडलियाँ छ: पंक्तियों की होती हैं। इनमें दूसरी पंक्ति के अंतिम भाग का प्रयोग तीसरी पंक्ति के शुरू में दिखाई देता है। इनकी एक विशेषता होती है कि यह जिस शब्द से शुरू होती है, उसी शब्द से इसका समापन भी होता है।

प्रस्तावना : प्रस्तुत कुंडलियों में कविराय गिरिधर जी ने आम लोगों को नैतिक जीवन से संबंधित शिक्षा दी है। उन्होंने अपने कुंडलियों के माध्यम से सामाजिक गुणों को अपनाने की बात कही है। इनकी कुडलियाँ नीतिपरक हैं। इनमें अनुभव व परंपरा का पुट भी दिखाई देता है।

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सारांश:

कविराय गिरिधर जी ने अपनी कुंडलियों से सर्व साधारण लोगों को उपदेश प्रदान किया है। उन्होंने अपनी कुंडलियों के माध्यम से व्यक्ति के पास गुण होने चाहिए; विपत्ति में ही सच्चे मित्र की पहचान होती है; व्यक्ति को कोई भी काम हो वह विचारपूर्वक करना चाहिए; व्यक्ति को भविष्य के बारे में सोचना चाहिए आदि के बारे में मनुष्य को सतर्क करते हुए उसे नैतिकता का पाठ पढ़ाया है।

भावार्थ:

गुन के गाहक ……………… गाहक गुन के।।
कवि गिरिधर जी कहते हैं कि गुणवान व्यक्ति को पूछने वाले या जानने वाले हजारों लोग होते हैं लेकिन जिस व्यक्ति में गुण नहीं होते, उस व्यक्ति को कोई नहीं पूछता, लोग उसका सम्मान भी नहीं करते। जिस प्रकार कौए और कोयल दोनों की आवाज सुनते तो सभी हैं लेकिन कोयल अपनी मधुर और सुरीली आवाज के कारण सभी को अच्छी लगती है, परन्तु कौआ किसी को अच्छा नहीं लगता।

कोयल और कौए का रंग तो एक समान होता है, परन्तु कौआ अपनी तेज (कर्कश) आवाज के कारण सभी के द्वारा अपमानित किया जाता है और कोयल को उसकी मधुर आवाज के कारण सम्मान मिलता है। इस प्रकार गिरिधर कविराय जी कहते हैं कि हे मन के ठाकुर ! जिस व्यक्ति में गुण नहीं होते, उसे कोई नहीं पूछता और गुणवान व्यक्ति को हजारों लोग उसके गुणों के कारण पूछते हैं।

देखा सब संसार में ……………… कोई बिरला देखा।।
कवि गिरिधर जी कहते हैं कि हे ईश्वर! इस धरती पर और इस पूरे संसार में मनुष्य एक-दूसरे से स्वार्थ वश प्रेम करते हैं अर्थात सभी लोग अपने लाभ या फायदे के बारे में ही सोचते हैं। जब तक किसी व्यक्ति के पास पैसा होता है, तब तक लोग उसके मित्र रहते हैं। जब किसी व्यक्ति के पास धन या पैसा नहीं होता, तब उसके मित्र उसकी उपेक्षा करते हैं अर्थात गरीब मित्र से बात करना भी पसंद नहीं करते हैं। कवि गिरिधर जी कहते हैं, इस संसार का यही नियम है कि बिना स्वार्थ के किसी से मित्रता करने वाले लोग कम ही मिलते हैं अर्थात बिना स्वार्थ के प्रेम करने वाला कोई नहीं मिलता।

अठा मीठे बचन …………………………… तेरो कागज झूठा।।
झूठा व्यक्ति हमेशा मीठे वचन बोलता है। मीठी-मीठी बातें करके वह दूसरों से रुपए भी उधार ले जाता है। रुपए उधार लेते समय तो उसे बहुत सुख मिलता है और अच्छा लगता है; परंतु वह जिस व्यक्ति से उधार लेता है, उसे उसके पैसे वापस देने का नाम भी नहीं लेता है। पैसा मांगने पर वह अपना दुखड़ा सुनाने लगता है।

गिरिधर कवि कहते हैं कि कर्ज का यह नियम है कि पैसा वापस मांगने पर कर्जदार उधार देने वाले को मारने दौड़ता है, और मन-ही-मन उससे नाराज भी रहता है। ज्यादा दिन बीत जाने पर वह उधार देने वाले को झूठा भी साबित कर देता है और उधार कब दिया था, इसका प्रमाण माँगता है। कर्ज देने वाला जब कर्ज के लेन-देन का लिखा कागज देता है, तो कर्जदार उसे झूठा सिद्ध कर देता है।

बिना विचारे जो ……………………………. कियो जो बिना विचारे।।
व्यक्ति कोई भी कार्य यदि बिना विचार करता है, तो उसे बाद में पछताना पड़ता है क्योंकि बिना विचारपूर्वक किया गया कोई भी काम ठीक से पूर्ण नहीं होता है। ऐसे में व्यक्ति अपना काम भी बिगाड़ता है और समाज में वह हँसी का पात्र भी बन जाता है। जिसके कारण उसका मन निराश रहता है। उसके मन को शांति नहीं मिलती है। ऐसी स्थिति में खान-पान-सम्मान आदि किसी भी चीज में उसका मन नहीं लगता अर्थात उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता है।

गिरिधर कवि कहते हैं कि चाहे कुछ भी हो जाए लेकिन उसके मन से दुख दूर नहीं होता है और न वह उसे टाल सकता है। बार-बार उसके मन में वही बात खटकती रहती है कि उसने बिना विचार किए काम क्यों किया था। उसे अपने अनजाने में ही की गई गलती पर पछतावा भी होता है।

बीती ताहि बिसारि …………….. बीती सो बीती।।
व्यक्ति को जो बात बीत गई है उसे भूल जाना चाहिए और आगे के बारे में सोचना चाहिए। अर्थात व्यक्ति को बीते हुए समय की अपेक्षा आनेवाले भविष्य को महत्व देना चाहिए। व्यक्ति के सामर्थ्य के अनुसार उससे जो हो सकता है उसी काम में अपना मन लगाना चाहिए। यदि व्यक्ति ऐसा करेगा, तो वह अपने लक्ष्य में जरूर सफल हो जाएगा। उस समय कोई भी दुर्जन व्यक्ति उस पर हंसेगा नहीं और किसी गलती के लिए मन में पछतावा भी नहीं होगा। गिरिधर कवि कहते हैं, व्यक्ति को हमेशा अपने मन की सुननी चाहिए। उसे सिर्फ आगे के बारे में ही सोचना चाहिए। जो बीत गया सो बीत गया। अत: उसे भूलना ही बेहतर है। बीते हुए पलों के बारे में नहीं सोचना चाहिए।

पानी बाड़ो नाव में ……………….. राखिए अपनो पानी।
कवि गिरिधर जी कहते हैं कि यदि नौका में पानी भरने लगे, तो दोनों हाथों से पानी को बाहर निकालते रहना चाहिए, इससे नौका डूबने से बची रहेगी। यदि घर में अधिक पैसा या धन हो, तो निर्धनों या गरीबों में दान करना चाहिए। ऐसा करने से आपको यश और सम्मान मिलेगा और ईश्वर भी आप पर कृपा करेंगे।

समझदार लोगों का यही कर्तव्य है। समझदार व्यक्तियों को भगवान का स्मरण करते हुए, परोपकार या दूसरों की भलाई के लिए अपना जीवन समर्पित कर देना चाहिए अर्थात दूसरों की सहायता के लिए हमेशा आगे रहना चाहिए। इस प्रकार गिरिधर कविराय जी कहते हैं कि विद्वानों का ऐसा ही कहना है कि अच्छा काम करते हुए आगे बढ़ना चाहिए और अपना सम्मान बनाए रखना चाहिए अर्थात जो लोग अच्छे कर्म करते हैं उनका सम्मान एवं यश सदैव बना रहता है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 1 कह कविराय

शब्दार्थ:

  1. गाहक – ग्राहक
  2. सहस – सहस्त्र
  3. नर – पुरुष
  4. काग – कौआ
  5. अपावन – अपवित्र
  6. दोऊ – दोनों
  7. ताको – उसको
  8. लेखा – व्यवहार
  9. बेगरजी – निस्वार्थ
  10. विरला – निराला
  11. लैके – लेकर
  12. अरु – और
  13. तैरना – टालना
  14. दुर्जन – बुरा आदमी
  15. परतीती – प्रतीति, विश्वास

Hindi Lokbharti 9th Std Digest दूसरी इकाई

Class 9 Hindi Chapter 5 Ummid Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 5 उम्मीद Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Std 9 Hindi Chapter 5 Ummid Question Answer Maharashtra Board

Hindi Lokvani 9th Digest Chapter 5 उम्मीद Questions And Answers

भाषा बिंदु:

प्रश्न 1.
अर्थ की दृष्टि से वाक्य परिवर्तित करके लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 उम्मीद 1

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 उम्मीद

संभाषणीय:

प्रश्न 1.
विद्यालय के काव्य पाठ में सहभागी होकर अपनी पसंद की कोई कविता प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर:
अरे! आ गई है भूली-सी
यह मधु ऋतु दो दिन को,
छोटी सी कुटिया मैं रच दूँ,
नयी व्यथा-साथिन को!
वसुधा नीचे ऊपर नभ हो,
नीड़ अलग सबसे हो,
झारखण्ड के चिर पतझड़ में
भागो सूखे तिनको!
आशा से अंकुर झूलेंगे
पल्लव पुलकित होंगे,
मेरे किसलय का लघु भव यह,
आह, खलेगा किन को?
सिहर भरी कपती आवेंगी
मलयानिल की लहरें,
चुम्बन लेकर और जागकर
मानस नयन नलिन को।
जवा-कुसुम-सी उषा खिलेगी
मेरी लघु प्राची में,
हँसी भरे उस अरुण अधर का
राग रंगेगा दिन को।
अंधकार का जलधि लांघकर
आवेंगी शशि-किरणें।
अंतरिक्ष छिरकेगा कन-कन
निशि में मधुर तुहिन को।
एक एकांत सृजन में कोई
कुछ बाधा मत डालों,
जो कुछ अपने सुंदर से हैं
दे देने दो इनको। लेखनीय

लेखनीय:

प्रश्न 1.
आठ से दस पंक्तियों के पठित गद्यांश का अनुवाद एवं लिप्यंतरण कीजिए।
उत्तर:
Writer Rameshwar Singh Kashyap was very fat. They say that One day, I was going to market on a rikshaw. I saw that an old man, keeping a weighing machine before him, was attracting the attention of people. Having stopped the rikshaw, no sooner did I keep my one feet on the weighing machine than the needle of the machine having made the complete round, began to produe rashing sound, as if it was insulting.

Being terrified, the old man stood with folded hands and then said, please do not keep the other feet! because my whole family depends for its, livelihood on this only machine. The surrounding passers by laughed at this. I thurst back my feet.

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 उम्मीद

आसपास:

प्रश्न 1.
किसी काव्य संग्रह से कोई कविता पढ़कर उसका आशय निम्न मुद्दों के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 उम्मीद 2
उत्तर:
जाती-पाँती से बड़ा धर्म है
धर्म-ध्यान से बड़ा कर्म है
कर्मकांड से बड़ा मर्म है
मगर सभी से बड़ा यहाँ यह छोटा सा इंसान है,
और अगर वह प्यार करे तो धरती स्वर्ग समान है।
जितनी देखी, दुनिया सबकी, देखी दुल्हन ताले में,
कोई कैद पड़ा मस्जिद में, कोई बंद शिवाले में
किसको अपना हाथ थमा , किसको अपना मन दे दूँ
कोई लुटे अंधियारे में, कोई ठगे उजाले में

कवि का नाम – गोपालदास सक्सेना ‘नीरज’
कविता का विषय – प्रस्तुत कविता ‘धरती स्वर्ग समान है’ में कवि सांप्रदायिक सद्भावना की आवश्यकता प्रतिपादित करते हैं।
कविता का केंद्रीय भाव – ‘धरती स्वर्ग समान है’ कविता के कवि ‘नीरज’ ने मानवतावाद को विश्व का प्रमुख और सत्य धर्म बताया है। कवि कहते है कि आज यदि विश्व में शांति और सद्भावना का साम्राज्य लाना है, तो आवश्यक है कि हम आपस में सौहार्द की भावना का विकास करें; परंतु आज परिस्थितियाँ अत्यंत विषम हैं। इसके लिए मानव-मानव के मध्य की भेदभाव की दीवारें तोड़नी होंगी। धर्मों और संप्रदायों के मध्य उत्पन्न घृणा और द्वेष को समाप्त करना होगा। प्रेम भरे आँसुओं की गंगा में स्नान करके आज हम अपने मन का मैल दूर कर सकते हैं। इस प्रकार प्रस्तुत कविता में कवि ने जाति, धर्म, संप्रदाय आदि के भेदभाव मिटाकर प्रेम एंव एकता से रहने का संदेश दिया है।

कल्पना पल्लवन:

प्रश्न 1.
“मैं चिड़िया बोल रही हूँ’ विषय पर स्वयंस्फूर्त लेखन कीजिए।
उत्तर:
मैं एक छोटी-सी नन्हीं चिड़िया बोल रही हूँ। मैं खुले आसमान में ऊँची-ऊँची उड़ान भरती हूँ। जब मैं बिल्कुल छोटी थी तब मेरी माँ ने मुझे बड़े यत्न से पाला। उस समय वो मुझे घोंसले से बाहर नहीं जाने देती थी। जब मुझे भूख लगती थी; तब वो मुझे अपने चोंच से दाना खिलाती थी। धीरे-धीरे मैं बड़ी होने लगी फिर एक दिन माँ ने मुझे उड़ना सिखाया और धीरे-धीरे मैं इस विशाल गगन में विचरण करने लगी। अब मैं अपना दाना खुद ही चुग लेती हूँ।

कभी-कभी कोई दयालु मनुष्य भी हमें खाने के लिए दाने देता है; तो मैं बहुत प्रसन्न हो जाती हूँ। लेकिन इसके साथ ही साथ कुछ मनुष्य ऐसे भी हैं; जो हमें पिंजरे में कैद करके रखते हैं और हमें मनोरंजन का साधन समझते हैं। यहाँ तक कि हमें बाजार में ऊँचे दामों पर बेचा भी जाता है। इन सब बातों से मेरा हृदय दुखी हो उठता है। अभी कुछ दिनों पहले मेरे साथ एक घटना घटित हो गई जो आप सबको सुनाना चाहती हूँ। ठंडी की एक सुबह मैं पगडंडियों पर फुदक रही थी और नम घास की गुदगुदाती छुअन का आनंद ले रही थी कि तभी एक आवारा कुत्ते ने मुझे अपने जबड़ो में जकड़ लिया।

मैं छटपटा रही थी लेकिन असहाय थी; तभी एक साधारण-सी दिखने वाली लड़की अपनी किताबें फेंककर मेरी तरफ दौड़ी और उस कुत्ते के जबड़े से मेरे प्राण बचाए। मैं बुरी तरह से घायल हो चुकी थी, मेरे पैर भी टूट चूके थे जिसके कारण मैं फूदक नहीं पा रही थी, तभी उसके कोमल हाथों ने मुझे उठा लिया और तब तक मेरी सेवा की जब तक मैं उड़ने के काबिल न हुई। कौन कहता है कि ईश्वर आसमान में होता है; जबकि वो तो नीचे है हम सबके साथ।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 उम्मीद

पाठ के आँगन में:

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए।
उत्तर:
कविता से मिलने वाली प्रेरणा:
(क) अपनी मंजिल की तरफ पूरे हौसले से बढ़ना चाहिए।
(ख) लक्ष्य प्राप्त करने के लिए खुद पर भरोसा कर, सच्चाई पर डटे रहना चाहिए।

प्रश्न 2.
‘किताबों में बहुत अच्छा लिखा है, लिखे को कोई पढ़ता क्यों नहीं’ इन पंक्तियों द्वारा कवि संदेश देना चाहते हैं….
उत्तर:
कवि कहना चाहते हैं कि प्राचीन काल से लेकर अब तक विभिन्न विद्वानों के द्वारा अनेक किताबें लिखी गई हैं। इन किताबों में हमारे कर्म, धर्म, संघर्ष, जीवन, देश, काल आदि से संबंधित अच्छी-अच्छी जानकारियाँ विस्तार से दी गई हैं। हमें इन ज्ञानवर्धक तथा प्रेरक बातों को पढ़ना चाहिए तथा अपने जीवन में उतारना चाहिए।

प्रश्न 3.
कविता में आए अर्थ पूर्ण शब्द अक्षर सारणी से खोजकर तैयार कीजिए।
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 उम्मीद 3
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 उम्मीद 4

  1. महफूज
  2. मुश्किल
  3. तालीम
  4. खुद
  5. मोहताज
  6. बुलंदी
  7. मंजिल

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 उम्मीद

पाठ से आगे:

प्रश्न 1.
भाषा के हिंदी गजलकारों के नाम तथा उनकी प्रसिद्ध गजलों की सूची बनाइए।
उत्तर:

गजलकारों के नाम प्रसिद्ध गजलें
1. फ़िराक़ गोरखपुरी अगर बदल न दिया / इश्क तो दुनिया का राजा है / आँखों में जो बात
2. बशीर बद्र अगर यकीं नहीं आता तो आजमाए मुझे / भूल शायद बहुत बड़ी कर ली / गुलाबों की तरह दिल अपना
3. राही मासूम रज़ा अजनबी शहर के अजनबी रास्ते / दिल में उजले कागज पर / क्या वो दिन भी दिन है
4. साहिर लुधियानवी अक़ायद वहम है मज़हब खयाल-ए-खाम है साक़ी / मैं जिंदा हूँ ये मुश्तहर कीजिए / उदास न हो
5. इक़बाल अजब वाइज़ की दींदारी है या रब / सारे जहाँ से अच्छा / असर करे ना करे सुन तो लो मेरी फरियाद
6. जाँ निसार अख़्तर अशूआर मिरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं / हमसे भागा न करो दूर / सौ चाँद भी चमकेंगे
7. मजरूह सुल्तानपुरी आ निकल के मैदां में दोरुखी के खाने से / मुझे सहल हो गई मंजिलें / कब तक मलूँ जबीं से
8. मीर तक़ी ‘मीर’ अश्क आँखों में कब नहीं आता / अपने तड़पने की / बेखुदी ले गई
9. अमीर खुसरो जिहाल-ए मिस्की मकुन तगाफुल / छाप तिलक सब छीनी से / बहुत दिन बीते पिया को देखे
10. मिर्ज़ा ग़लिब आ कि मरी जान को क़रार नहीं है / आईना क्यों न दूँ / कभी नेकी भी उसके जी में

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 5 उम्मीद Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 उम्मीद 5

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
1. मंजिल तब मुश्किल नहीं है –
2. थकानों की बात करते हैं –
उत्तर:
1. जब दिल में हौसला हो।
2. कमजोर दिलवाले।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 उम्मीद

कृति (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
उपर्युक्त दी गई पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि पक्षियों को कभी उड़ने की शिक्षा नहीं दी जाती है। वे खुद ही आसमान की ऊँचाई को जान जाते हैं, अर्थात उड़ते-उड़ते आसमान की बुलंदियों तक जा पहुँचते हैं। इसी प्रकार कर्मठ और परिश्रमी व्यक्ति को किसी सहारे की जरूरत नहीं पड़ती, वे स्वयं ही हर ऊँचाई को प्राप्त कर लेते हैं। कवि कहते हैं यदि दिल में साहस है तो किसी भी लक्ष्य को हासिल करना कठिन नहीं है। थक जाने की बात तो कमजोर दिल वाले किया करते हैं। अर्थात जिनके अंदर साहस है उनके लिए हर कार्य आसान है।

(ख) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
चौखट पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 उम्मीद 6

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए।
1. इनकी कमी नहीं है –
2. ये हमें तूफान से सुरक्षित रखती हैं –
उत्तर:
1. जीने के बहानों की!
2. मजबूत उम्मीदें

कृति (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
उपर्युक्त प्रथम चार पंक्तियों के सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि कहते हैं, जो जीना ही नहीं चाहते। जिन्हें सिर्फ मरना ही है, वे नि:संदेह आत्महत्या कर लें। वरना यहाँ जीने के बहानों की कोई कमी नहीं है अर्थात जीने की बहुत सारी वजह हैं। कवि कहते हैं, खुशबू का काम तो केवल महकना और चारों तरफ फैल कर लोगों को अपने सुगंध से भर देना है। खुशबू कभी भी प्रशंसकों की प्रशंसा से वंचित नहीं होती है। इसी प्रकार मनुष्य को भी खुशबू की तरह गुणी और परोपकारी होकर नि:स्वार्थ भाव से लोगों का कल्याण करते रहना चाहिए, तो वे भी कभी प्रशंसा के मोहताज नहीं होंगे।

कवि कहते हैं कि मनुष्य को पूरी उम्मीद (आशा) के साथ आगे बढ़ना चाहिए। जीवन में आने वाली मुसीबतों और परेशानियों के तूफान से ये उम्मीद ही उन्हें सुरक्षित रखती हैं इसलिए मनुष्य को कभी निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि उम्मीद की छतें बड़ी मजबूत होती हैं।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 उम्मीद

(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 उम्मीद 7

कृति (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
प्रथम चार पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि मनुष्य से कहते हैं जीवन में कुछ करने के लिए या लक्ष्य प्राप्त करने के लिए तुम्हारे अंदर पक्का इरादा क्यों नहीं है? तुम्हें अपने आप पर भरोसा क्यों नहीं है? अर्थात मनुष्य में आत्मविश्वास का होना बहुत जरूरी है। कवि मनुष्य से कहते हैं तुम्हें चलने के लिए दो पैर बने हैं अर्थात ईश्वर ने तुम्हें दो पैर दिए हैं, तो तुम उन पैरों पर चलते क्यूँ नहीं हो? यहाँ कवि का तात्पर्य यह है कि तुम अपने पैरों का उपयोग करके अपने लक्ष्य को क्यों नहीं प्राप्त करते हो? अर्थात मनुष्य को आत्मनिर्भर होना चाहिए।

(घ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए।
कवि द्वारा दी गई सीख –
उत्तर:
(क) खुदकुशी नहीं करनी चाहिए।
(ख) अपने देश की चिंता करनी चाहिए।
(ग) किताबें पढ़नी चाहिए।

प्रश्न 2.
सत्य या असत्य पहचानकर लिखिए।
1. खुदकुशी से स्वर्ग मिलता है।
2. किताबों में बहुत अच्छी बातें लिखी हैं।
उत्तर:
1. असत्य
2. सत्य

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 उम्मीद

कृति (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
प्रथम चार पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि मनुष्य से कहते हैं इस संसार में आत्महत्या करने से किसको स्वर्ग मिला है। तू इतनी छोटी-सी बात क्यों नहीं समझता है? अर्थात आत्महत्या करना मूर्खता है।

कवि कहते हैं यह देश सबका अपना देश है। इसके उन्नति की चिंता सबको करनी चाहिए। आखिर सबको इसकी चिंता क्यों नहीं है? अर्थात प्रत्येक देश वासियों को अपने देश के उन्नति की चिंता करनी चाहिए।

उम्मीद Summary in Hindi

कवि-परिचय:

जीवन-परिचय: कमलेश भट्ट का जन्म उत्तर प्रदेश के जफरपुर में हुआ। वे गजल, कहानी, हायकू, साक्षात्कार, निबंध, समीक्षा आदि
विधाओं में रचना करते हैं। इन्हें पर्यावरण के प्रति गहरा लगाव है। नदी, पानी आदि इनकी रचनाओं के विषय हैं।

प्रमुख कृतियाँ: कहानी संग्रह – ‘नखलिस्तान’, ‘मंगल टीका’, गजल संग्रह – ‘मैं नदी की सोचता हूँ’, ‘शंख’, ‘सीप’, ‘रेत’, ‘पानी’,
हायकू संकलन – ‘अमलतास’, बाल कविताएँ – ‘अजब-गजब’, बाल उपन्यास – ‘तुईम’।

पद्य-परिचय:

गजल: उर्दू, हिंदी या फारसी में की गई रचना जिसमें एक ही बहर और वजन के अनुसार लिखे गए शेरों का समूह होता है। गजल
के पहले शेर को ‘मतला’ और अंतिम शेर को ‘मकता’ कहते हैं। प्रत्येक शेर एक-दूसरे से स्वतंत्र होते हैं।
प्रस्तावना: प्रस्तुत गजल ‘उम्मीद’ के गजलकार ने इस रचना के माध्यम से हमें अपने लक्ष्य की तरफ बुलंदी से बढ़ने, जीने की चाह
बनाए रखने, खुद पर भरोसा करने, सच्चाई पर डटे रहने आदि के लिए प्रेरित किया है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 उम्मीद

सारांश:

कवि पंक्षियों का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि दिल में हौसला हो तो मंजिल प्राप्त करना कठिन नहीं है। जिन्हें आत्महत्या ही करनी है बेशक कर लें वरना यहाँ जीने के बहाने बहुत हैं। गुणी और अच्छे लोगों के प्रशंसकों की यहाँ कोई कमी नहीं है। पक्की उम्मीद हर मुसीबतों से हमारी रक्षा करती है। हमें सत्य का साथ देना चाहिए और अपने हाथ-पैर का उपयोग करके अर्थात आत्मनिर्भर होकर देश की उन्नति के लिए कुछ करना चाहिए। आत्महत्या करने से स्वर्ग नहीं मिलता। आत्महत्या करना निपट मूर्खता है।

सरल अर्थ:

वो खुद ही ………………….. उड़ानों की
कवि कहते हैं कि पक्षियों को कभी उड़ने की शिक्षा नहीं दी जाती है। वे खुद ही आसमान की ऊँचाई को जान जाते हैं, अर्थात उड़ते-उड़ते आसमान की बुलंदियों तक जा पहुँचते हैं। इसी प्रकार कर्मठ और परिश्रमी व्यक्ति को किसी सहारे की जरूरत नहीं पड़ती, वे स्वयं ही हर ऊँचाई को प्राप्त कर लेते हैं।

जो दिल में …………………… थकानों की
कवि कहते हैं यदि दिल में साहस है तो किसी भी लक्ष्य को हासिल करना कठिन नहीं है। थक जाने की बात तो कमजोर दिल वाले किया करते हैं। अर्थात जिनके अंदर साहस है उनके लिए हर कार्य आसान है।

जिन्हें है सिर्फ …………….. बहानों की
कवि कहते हैं, जो जीना ही नहीं चाहते। जिन्हें सिर्फ मरना ही है, वे नि:संदेह आत्महत्या कर लें। वरना यहाँ जीने के बहानों की कोई कमी नहीं है अर्थात जीने की बहुत सारी वजह हैं।

महकना …………….. कद्रदानों की
कवि कहते हैं, खुशबू का काम तो केवल महकना और चारों तरफ फैल कर लोगों को अपने सुगंध से भर देना है। खुशबू कभी भी प्रशंसकों की प्रशंसा से वंचित नहीं होती है। इसी प्रकार मनुष्य को भी खुशबू की तरह गुणी और परोपकारी होकर नि:स्वार्थ भाव से लोगों का कल्याण करते रहना चाहिए, तो वे भी कभी प्रशंसा के मोहताज नहीं होंगे।

हमें हर हाल …………….. मकानों की
कवि कहते हैं कि मनुष्य को पूरी उम्मीद (आशा) के साथ आगे बढ़ना चाहिए। जीवन में आने वाली मुसीबतों और परेशानियों के तूफान से ये उम्मीद ही उन्हें सुरक्षित रखती हैं इसलिए मनुष्य को कभी निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि उम्मीद की छतें बड़ी मजबूत होती हैं।

कोई पक्का ………………. क्यों नहीं है?
कवि मनुष्य से कहते हैं जीवन में कुछ करने के लिए या लक्ष्य प्राप्त करने के लिए तुम्हारे अंदर पक्का इरादा क्यों नहीं है? तुम्हें अपने आप पर भरोसा क्यों नहीं है? अर्थात मनुष्य में आत्मविश्वास का होना बहुत जरूरी है।

बने हैं पाँव ………………. क्यों नहीं है?

कवि मनुष्य से कहते हैं तुम्हें चलने के लिए दो पैर बने हैं अर्थात ईश्वर ने तुम्हें दो पैर दिए हैं, तो तुम उन पैरों पर चलते क्यूँ नहीं हो? यहाँ कवि का तात्पर्य यह है कि तुम अपने पैरों का उपयोग करके अपने लक्ष्य को क्यों नहीं प्राप्त करते हो? अर्थात मनुष्य को आत्मनिर्भर होना चाहिए।

बहुत संतुष्ट …………….. क्यों नहीं है?
कवि मनुष्य से कहते हैं कि तुम अपनी परिस्थितियों से बहुत संतुष्ट क्यों हो? तुम्हारे भीतर भी कुछ कर गुजरने का अर्थात उन्नति करने का गुस्सा (आक्रोश) क्यों नहीं है? यहाँ कवि का तात्पर्य है कि मनुष्य को परिस्थितियों का दास नहीं होना चाहिए बल्कि उनसे संघर्ष करते हुए आगे बढ़ना चाहिए।

तू झूठों की ……………… क्यों नहीं है?
कवि मनुष्य से कहते हैं कि तुम झूठे लोगों की तरफदारी करने में सम्मिलित हो गए हो। तुम्हें तो सच्चा होना था। सत्य का साथ देना था। तुम सच्चे क्यों नहीं हो? यहाँ कवि का तात्पर्य है कि मनुष्य को हमेशा सच्चाई के रास्ते पर चलना चाहिए।

मिली है खुदकुशी ………………. क्यों नहीं है?
कवि मनुष्य से कहते हैं इस संसार में आत्महत्या करने से किसको स्वर्ग मिला है। तू इतनी छोटी-सी बात क्यों नहीं समझता है? अर्थात आत्महत्या करना मूर्खता है।

सभी का अपना ……………. क्यों नहीं है?
कवि कहते हैं यह देश सबका अपना देश है। इसके उन्नति की चिंता सबको करनी चाहिए। आखिर सबको इसकी चिंता क्यों नहीं है? अर्थात प्रत्येक देश वासियों को अपने देश के उन्नति की चिंता करनी चाहिए।

किताबों में बहुत ……………. क्यों नहीं है?
कवि कहते हैं कि किताबों में ऐसी बहुत सारी अच्छी-अच्छी बातें लिखी हैं। इन लिखी हुई बातों को कोई पढ़ता क्यों नहीं है? अर्थात मनुष्य को किताबों की अच्छी बातों को पढ़कर उन्हें अपने व्यवहार में लाना चाहिए।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 उम्मीद

शब्दार्थ:

  1. बुलंदी – ऊँचाई, शिखर
  2. परिंदा – पंछी
  3. तालीम – शिक्षा
  4. हौसला – साहस
  5. मुश्किल – कठिन
  6. बेशक – नि:संदेह
  7. खुदकुशी – आत्महत्या
  8. मोहताज – वंचित
  9. कद्रदानों – प्रशंसकों, गुणग्राहकों
  10. महफूज – सुरक्षित
  11. उम्मीद – आशा, भरोसा
  12. इरादा – विचार, फैसला
  13. हालात – परिस्थिति
  14. तरफदारी – पक्ष लेना
  15. जन्नत – स्वर्ग
  16. मुल्क – देश, वतन

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions दूसरी इकाई

Class 9 Hindi Chapter 1 Gagar Me Sagar Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 1 गागर में सागर Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Std 9 Hindi Chapter 1 Gagar Me Sagar Question Answer Maharashtra Board

Hindi Lokvani 9th Digest Chapter 1 गागर में सागर Questions And Answers

भाषा बिंदु:

1. निम्नलिखित मुहावरों, कहावतों में गलत शब्दों के स्थान पर सही शब्द लिखकर उन्हें पुनः लिखिए।

प्रश्न 1.
टोपी पहनना
उत्तर:
मुहावरा – टोपी पहनाना

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

प्रश्न 2.
गीत न जाने आँगन टेढ़ा
उत्तर:
कहावत – नाच न जाने आँगन टेढ़ा

प्रश्न 3.
अदरक क्या जाने बंदर का स्वाद।
उत्तर:
कहावत – बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।

प्रश्न 4.
कमर का हार
उत्तर:
मुहावरा – गले का हार

प्रश्न 5.
नाक की किरकिरी होना
उत्तर:
मुहावरा – इज्जत की किरकिरी होना

प्रश्न 6.
गेहूँ गीला होना
उत्तर:
मुहावरा – आटा गीला होना

प्रश्न 7.
अब पछताए होत क्या जब बंदर चुग गए खेत।
उत्तर:
कहावत – अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

प्रश्न 8.
दिमाग खोलना।
उत्तर:
मुहावरा – बुद्धि खोलना।

लेखनीय:

प्रश्न 1.
अपने अनुभव वाले किसी विशेष प्रसंग को प्रभावी एवं क्रमबद्ध रूप में लिखिए।
उत्तर:
मैं संध्या समय नदी किनारे टहलने के लिए गया था। उस वक्त पास के गाँव के दो बच्चे भी नदी किनारे टहलने आए थे। उनमें से एक बच्चे ने अपने साथ लाई हुई कूड़े-कचरे की बैग पानी में फेंक दी। मैं हैरान हो गया और शीघ्रता से चिल्लाकर बोला, “यह तुम क्या कर रहे हो? इस प्रकार नदी में कूड़ा-कचरा फेंकने से जल प्रदूषण बढ़ता है।” मेरे इस कथन का उस बच्चे पर किसी भी प्रकार का असर नहीं हुआ। वह सिर्फ हँस रहा था। मुझे उस पर बहुत गुस्सा आया। मैंने कहा, “तुमने जो कुछ किया है, वह गलत है और तुम्हें आगे चलकर इस प्रकार का कार्य नहीं करना चाहिए।”

अपने दोस्तों के साथ मजाक मस्ती करते हुए उसने कहा कि, उसके ऐसा करने से कुछ भी फर्क नहीं पड़ने वाला है। यदि वह कचरा नहीं फेंकेगा, तो भी नदी प्रदूषित होगी। अब मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उसे आड़े हाथों लेते हुए डाँटा फटकारा। तत्पश्चात समझाते हुए कहा कि नदी हमारी माता है। हमें उसका ख्याल रखना चाहिए। जल ही जीवन है और हमें उसे भविष्य के लिए सँभालकर रखना चाहिए। मेरे इस कथन का उस बच्चे पर थोड़ा-बहुत असर हुआ। उसने भविष्य में जल को प्रदूषित न करने की कसम खा ली और अपने इस करतूत पर मुझसे माफी माँगी। मैंने भी उदार हृदय से उसे माफ कर दिया और हम तीनों नदी में फैले हुए कूड़े-कचरे को एकत्रित करने में व्यस्त हो गए।

रचनात्मकता की ओर:

प्रश्न 1.
‘निदंक नियरे राखिए’ इस पंक्ति के बारे में कल्पना पल्लवन अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय,
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुहाय।

यह दोहा तब याद आता है जब कोई अपने आलोचकों को उनके आलोचना के बदले सजा देने की बात करता है। यद्यपि आलोचक निश्चय ही हमारी कमियों को गिनवाते हैं, हमें हमारी वास्तविकता का एहसास करवाते हैं परंतु आलोचक वह व्यक्ति होते हैं जिसकी आलोचनाओं की सहायता से हम अपने कार्यों को काफी हद तक सुधार सकते हैं। बड़े बुजुर्गों ने कोई भी चीज बिना अर्थ के नहीं लिखी, निश्चय ही हमारे जीवन में उसका महत्त्वपूर्ण सहयोग है।

आलोचकों का हमारे जीवन में बड़ा सहयोग रहा है, इतिहास गवाह है कि बिना आलोचकों के कोई भी शासक न तो अपना राज्य संभाल पाया है और न ही अपने राज्य का विस्तार कर पाया है। बिना आलोचना के शासक अपने मद में चूर होकर गलतियाँ कर बैठता है और अपने राज्य से हाथ धो बैठता है। आलोचनाएँ हमको शक्ति प्रदान करती हैं, जो हमें अपनी गलतियाँ सुधारने का मौका देती हैं और भविष्य के लिए रणनीति बनाने का अवसर भी प्रदान करती हैं, अत: आलोचनाओं का हमेशा स्वागत करना चाहिए।

ऐसा नहीं है कि ये आलोचनाओं वाला सुझाव केवल किसी एक पार्टी और उसके सदस्यों या किसी एक समाज तक सीमित है। सभी शासकों को ये बात ध्यान में रखनी चाहिए, शासक ही क्यों हम सभी को ये बात याद रखनी चाहिए कि अगर हम किसी के द्वारा गिनाए हुए कमियों को स्वीकार करके उसमें सुधार नहीं कर सकते तो फिर हम भविष्य में अथाह गलतियाँ करनेवाले हैं, और अगर हम कमियों को सुधार नहीं सकते तो फिर कोई हक़ नहीं कि हम उन आलोचकों को कमियाँ बताने से भी रोकें, ये आलोचकों का जन्म सिद्ध अधिकार था, है, और हमेशा रहेगा। इसलिए आलोचनाओं का स्वागत करें, तथा अपनी कमियों को सुधारें ….।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

पाठ के आँगन में:

प्रश्न 1.
‘नर की अरु नल नीर की …………… इस दोहे द्वारा प्राप्त संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस दोहे से हमें यह संदेश मिलता है कि मनुष्य को बहुत ही विनम्र होना चाहिए। व्यक्ति को धन, बल, ज्ञान आदि का अहंकार नहीं करना चाहिए। अहंकार करने से व्यक्ति का मान-सम्मान गिर जाता है। अहंकार करने वालों का दिखावटी सम्मान भले ही कोई करें परंतु दिल से उसका सम्मान कोई नहीं करता। इसलिए हम कितने ही संपन्न, बलशाली और बुद्धिमान क्यों न हों, हमें समाज में झुककर अर्थात विनम्र होकर रहना चाहिए। मनुष्य जितना ही विनम्र होता है, वह उतना ही ऊँचा अर्थात महान होता है।

प्रश्न 2.
शब्दों के शुद्ध रूप लिखिए।
1. घरू
2. उज्जलुय
उत्तर:
1. घर
2.  उज्ज्वल

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 1 गागर में सागर Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर 1

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
1. दीन के आँख पर यह चश्मा लगा होता है।
2. चश्मे की विशेषता
उत्तर:
1. लोभ का चश्मा
2. इससे तुच्छ व्यक्ति बड़ा दिखता है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

कृति क (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
उपर्युक्त दोहों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि बिहारी जी इस दोहे में कृष्ण की भक्ति और कृष्ण प्रेम के संदर्भ में कहते हैं कि कृष्ण के प्रेम में डूबे इस प्रेमी मन की दशा को कोई भी समझ नहीं पाता है। यह मन जैसे-जैसे कृष्ण के प्रेम में डूबता जाता है; वैसे-वैसे निर्मल होता जाता है। अर्थात सारी बुराइयाँ अच्छाइयों में बदल जाती हैं।

लोभी व्यक्ति के व्यवहार का वर्णन करते हुए बिहारी जी कहते हैं कि लोभी व्यक्ति दीन-हीन बनकर घर-घर घूमता है और प्रत्येक व्यक्ति से हाथ फैलाकर याचना करता है। लोभ का चश्मा आँखों पर लगा लेने के कारण उसे तुच्छ व्यक्ति भी बड़ा अर्थात धनवान दिखाई देने लगता है अर्थात लालची व्यक्ति विवेकहीन होकर योग्य-अयोग्य व्यक्ति को भी नहीं पहचान पाता।

(ख) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर 2

प्रश्न 2.
एक शब्द में उत्तर लिखिए।
1. इसे खाकर मनुष्य को नशा हो जाता है –
2. गुनी-गुनी कहने से यह गुनी नहीं हो जाता –
उत्तर:
1. धतूरा
2. निगुणी

प्रश्न 3.
सत्य या असत्य पहचान कर लिखिए।
1. धतूरे को पाकर ही लोग पागल हो जाते हैं।
2. गुनी-गुनी कहने से निगुनी भी गुनी हो जाता है।
उत्तर:
1. असत्य
2. असत्य

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

कृति (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
उपर्युक्त दोहों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
बिहारी कवि कहते हैं कि सोना धतुरे से सौ गुना अधिक नशीला होता है। धतुरा खाने के बाद इंसान में नशा (पागलपन) पैदा होता है जबकि सोना पाते ही इंसान में अमीरी का नशा (पागलपन) छा जाता है। कवि इस दोहे में बताते हैं कि व्यक्ति नाम से नहीं अपितु अपने गुणों से महान होता है। गुणों से रहित किसी व्यक्ति को सब लोग गुणी-गुणी कहे तो भी गुणहीन व्यक्ति कभी गुणी नहीं हो सकता। क्या आपने कहीं सुना है कि वृक्ष के अर्क (रस) से भी अर्क (सूर्य) के समान प्रकाश होता है अर्थात वृक्ष के रस को भी अर्क कहते हैं और सूर्य को भी अर्क कहते हैं परंतु वृक्ष के रस को अर्क कहने से वह सूर्य जैसा प्रकाशित नहीं हो सकता।

(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर 3

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
1. प्यासे के लिए ये सागर हैं –
2. नीचे होने अर्थात झुकने पर ये दोनों ऊँचे होते हैं।
उत्तर:
1. नदी, कुआँ और सरोवर।
2. मनुष्य और नल का पानी।

कृति ग (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
उपर्युक्त दोहे का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
मनुष्य की और नल के पानी की गति एक समान होती है। नल का पानी जितना नीचे गिरता है, उतना ही ऊपर उठता है और व्यक्ति जितना नीचे झुकता है अर्थांत विनम्र होता है, उतना ही ऊँचा उठता है यानी श्रेष्ठ होता है। कवि कहते हैं कि नदी, कुआँ या सरोवर (तालाब) का पानी अधिक गहरा हो अथवा अधिक उथला (छिछला) हो। प्यासे व्यक्ति के लिए वही सागर है, जहाँ उस व्यक्ति की प्यास बुझ जाए।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

(घ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर 4

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
1. मन इस सच्चाई पर शंका करता है।
2. लोग इसे उपद्रव गिनते हैं।
उत्तर:
1. बुरे लोगों के बुराई त्यागने पर।
2. निष्कलंक चंद्रमा को देखने को।

प्रश्न 3.
सत्य या असत्य पहचानकर लिखिए।
1. समय-समय पर सब सुंदर लगते हैं।
2. मन की रुचि जिससे जितनी होती है, वह उतना ही उसे नापसंद होता है।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

कृति (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
उपर्युक्त दोहे का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
यदि बुरा व्यक्ति बुराई करना त्याग दे तो भी मन इस सच्चाई पर शंका करता है अर्थात ऐसे लोगों के बुराई त्यागने पर भी मन उनसे बहुत डरता है। जैसे चंद्रमा निष्कलंक है फिर भी लोग उसे देखकर अशुभ-सूचक मानते हैं। समय-समय पर सब सुंदर लगते हैं। कोई भी सुंदर या असुंदर (बदसूरत) नहीं होता है। मन की जिससे जितनी रुचि होती है, उससे उतना ही प्रेम होता है अर्थात वह उसे उतना ही पसंद करता है|

गागर में सागर Summary in Hindi

कवि-परिचय:

जीवन-परिचय: कवि बिहारी जी का जन्म ग्वालियर में हुआ था। इन्होंने नीति और ज्ञान के दोहों के साथ-साथ प्रकृति का चित्रण भी बहुत ही सुंदरता के साथ प्रस्तुत किया है। प्रमुख कृतियाँ : काव्य-सतसई (‘सतसई’ बिहारी की एक मात्र रचना है, इसमें 611 दोहे संकलित हैं।)

पद्य-परिचय:

दोहे: इसमें दो पंक्तियाँ होती हैं, जिनमें चार चरण होते हैं। इसका प्रथम और तृतीय चरण १३-१३ तथा द्वितीय और चतुर्थ चरण 11-11 मात्राओं का होता है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत कविता ‘गागर में सागर’ के कवि बिहारी जी ने अपने दोहों के माध्यम से व्यवहारिक जगत की कुछ महत्त्वपूर्ण नीतियों से अवगत कराया है।

सारांश:

प्रस्तुत कविता के माध्यम से नीति विषयक पाठ पढ़ाते हुए कवि बिहारी ने अपना मत प्रकटीकरण किया है। कवि बिहारी के अनुसार कृष्ण के प्रेम में डूबे मन की गति कोई भी नहीं समझ सकता है। लोभी को तुच्छ व्यक्ति भी बड़ा दिखाई पड़ता है। सोने में धतूरे से भी अधिक नशा होता है। व्यक्ति अपने नाम से नहीं गुणों से महान बनता है। मनुष्य और नल के पानी की दशा एक समान होती है। प्यास बुझानेवाला छिछला जलाशय भी प्यासे के लिए समुद्र के समान होता है। बुरे व्यक्ति के बुराई छोड़ने पर भी लोग उससे डरते हैं। मन की जिसमें जितनी रुचि होती है, वह उसे उतना ही पसंद होता है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

शब्दार्थ:

  1. अनुरागी – प्रेमी
  2. चित्त – मन
  3. गति – दशा, स्थिति
  4. समुझै – समझना
  5. बूडै – डूबना, लीन होना
  6. स्याम रंग – कृष्ण के रंग में
  7. उज्जलु – निर्मल
  8. घर-घरु – घर-घर
  9. डोलत – घूमता है
  10. दीन – गरीब
  11. जाचतु – माँगना (याचना करना)
  12. चखनु – आँखों पर
  13. लघु – छोटा, तुच्छ
  14. लखाई – दिखाई देना
  15. कनक – सोना
  16. कनक – धतूरा
  17. सौ गुनी – सौ गुना
  18. मादकता – नशीला
  19. अधिकाइ – अधिक होता है
  20. खाए – खाकर
  21. बौराई – पागल होता है
  22. जगु – संसार के लोग
  23. गुनी – गुणवान
  24. निगुनी – गुणहीन
  25. सुन्यौ – सुना है
  26. कहँ – कहीं
  27. तरू – पेड़
  28. अर्क – रस, सूर्य
  29. उदोतु – प्रकाशित
  30. नर – मनुष्य
  31. अरु – और
  32. नीर – पानी
  33. गति – स्थिति, दशा
  34. एकै कर – एक ही समान
  35. जोई – जानिए
  36. हवै चले – होकर चलता है
  37. ऊँचौ – ऊँचा (महान)
  38. अगाधु – गहरा
  39. औथरौ – उथला, छिछला
  40. कूप – कुआँ
  41. सरु – सरोवर, तालाब
  42. ताको – उसके लिए
  43. सागर – सागर, समुद्र
  44. जाकी – जिसकी
  45. बुरौ – बुरा व्यक्ति
  46. तजै – त्याग दे
  47. चितु – मन
  48. सच्चाई
  49. खरौ – सच्चाई
  50. सकातु – शंका करना
  51. निकलंक – निष्कलंक, बेदाग
  52. लखि – देखकर
  53. गनै – मानना, गिनना
  54. मयंकु – चंद्रमा
  55. उतपातु – उपद्रव, आफत, मुसीबत
  56. रूप – सुंदर
  57. कुरूप – असुंदर, बदसूरत
  58. रुचि – पसंद, प्रेम

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions दूसरी इकाई

Class 9 Hindi Chapter 6 Ityadi Ki Aatm Kahani Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 6 ‘इत्यादि’ की आत्मकहानी Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Std 9 Hindi Chapter 6 Ityadi Ki Aatm Kahani Question Answer Maharashtra Board

Hindi Lokvani 9th Digest Chapter 6 ‘इत्यादि’ की आत्मकहानी Questions And Answers

1. रचनात्मकता की ओर मौलिक सृजन

प्रश्न 1.
‘धन्यवाद’ शब्द की आत्मकथा अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
मनुष्य से मेरा संबंध बहुत नजदीक का है। मैं उसके जीवन के हर क्षण में उसका साथ देता हूँ। मन की कृतज्ञता प्रकट करने के लिए धन्यवाद’ यानी मैं बेहद उपयोगी शब्द हूँ परंतु अब हमें औपचारिकता माना जाता है इसलिए जिनको हम ‘अपना’ कहते हैं उनके लिए मेरा प्रयोग कम किया जाता है। मनुष्य मेरा प्रयोग करके व्यंग्य भी करता है। आज के युग में मनुष्य मेरा गलत इस्तेमाल कर रहा है, मैं सिर्फ एक औपचारिकता बनकर रह गया हूँ।

कभी-कभी मुझे गर्व भी महसूस होता है जब किसी को गले लगाकर, पाँव छूकर या हाथ मिलाकर अपनों को धन्यवाद कहते हैं, तब इसके बहुत फायदे होते हैं। जब कभी कोई मेरा प्रयोग करता है तो उसके मन की भावनाएँ व्यक्त हो जाती हैं और किसी दूसरे को खुशी भी प्राप्त हो जाती है। मुझे तब बहुत प्रसन्नता होती है जब मेरे प्रयोग से आपके रिश्तों को मजबूती मिलती है। मेरे कारण तनाव कम करने, रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने और कृतज्ञता जाहिर करने में भी लोगों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है।

किसी के व्यक्तित्व या कृति के प्रति आपके प्रशंसात्मक व्यवहार की झलक भी मेरे द्वारा ही दिखती है। वैसे भी हमने जो किया, उसका असर क्या हुआ, यह कौन नहीं जानना चाहेगा। मेरा प्रयोग करके आप अनजान व्यक्ति के हृदय में भी एक पहचान अंकित कर देते हैं। आज लोग मेरा प्रयोग खरे में, खोटे में, असली में, नकली में सभी जगह कर रहे हैं। आखिर, जो भी कुछ हो, मुझे सुनकर सभी के चेहरों पर प्रसन्नता छा जाती है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 'इत्यादि' की आत्मकहानी

2. संभाषणीय :

प्रश्न 1.
अपने विद्यालय में मनाई गई खेल प्रतियोगिताओं में से किसी एक खेल का आँखों देखा वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हमारे विद्यालय में खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें अनेक विद्यालयों की टीमों ने भाग लिया। जिसमें किक्रेट मैच का आयोजन भी किया गया था, उसमें मेरे विद्यालय की टीम ने भी भाग लिया। मार्च का सुहावना दिन था। नौ बजे दोनों टीमों के कप्तान और अंपायर मैदान के मध्य में आ गए। टॉस हुआ, जिसमें हमारे कप्तान ने बाजी मारी। हमारे कप्तान ने पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया। पंद्रह मिनट के अंतराल पर हमारी टीम की सलामी जोड़ी मैदान पर उतरी।

विपक्षी टीम के कप्तान ने फील्डिंग सजाई। दोनों निर्णायक अपने-अपने स्थान पर खड़े हो गए। गेंदबाज ने पहले ओवर में बहुत सटीक गेंदबाजी की। तेज गेंदबाज को विकेट की नमी का फायदा मिल रहा था। तीसरे ओवर से हमारे बल्लेबाजों ने जम कर प्रहार करना आरंभ कर दिया। कुछ शानदार चौके और तीन छक्के लगे। दस ओवर की समाप्ति पर हमारी टीम ने एक विकेट खोकर साठ रन बना लिए थे। पारी को ठोस शुरूआत मिल चुकी थी। मध्यक्रम में बल्लेबाजों ने भी संभलकर खेलना आरंभ किया।

जब उनकी आँखें जम गई तो उन्होंने चौकों और छक्के की झड़ी लगा दी। पारी समाप्त होने तक हमारी टीम ने आठ विकेट पर दो सौ पचहत्तर रनों का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया। तीस मिनट के अंतराल के बाद खेल पुन: आरंभ हुआ। अब हमारी टीम क्षेत्ररक्षण करने उतरी। गेंदबाजी आरंभ हुई। विपक्ष के सलामी बल्लेबाजों ने अपनी टीम को ठोस शुरूआत दी। उन्होंने बिना विकेट खोए पचास रन बना लिए। अगले ओवर में विपक्षी टीम को झटका लगा।

अब तो हमारे गेंदबाज विपक्षी बल्लेबाजों पर हावी हो गए। रनों की गति पर अंकुश लग गया। हमारे कप्तान ने गेंदबाजी में लगातार परिवर्तन करते हुए विपक्षी टीम को दबाव में डाले रखा। अभी वे दो सौ रन का आँकड़ा भी पार नहीं कर पाए थे उनका पहले पाँचवाँ, फिर छठा विकेट गिर गया। हमारे खिलाड़ियों में जोश की लहर दौड़ गई। अब मैच पर हमारी टीम की पकड़ मजबूत दिखाई देने लगी। चालीस ओवर की समाप्ति पर विपक्षी टीम ने सात विकेट खोकर एक सौ अस्सी रन बनाए थे।

उनके विकेटों का पतन तेज गति से हो रहा था और रन धीमी गति से बन रहे थे। अंततः पूरी विपक्षी टीम उन्चासवें ओवर में दो सौ छत्तीस रन बना कर आउट हो गई। हमारी टीम के खिलाड़ी ओर समर्थक खुशी से उछल पड़े। दूसरी ओर विपक्षी टीम के खिलाड़ी उदास दिखाई दे रहे थे। मैच की समाप्ति पर पुरस्कार वितरण समारोह हुआ। जिले के शिक्षा अधिकारी ने विजेता टीम को ट्रॉफी प्रदान की।

हमारी टीम के उस गेंदबाज को ‘मैन ऑफ द मैच’ का पुरस्कार दिया गया जिसने मात्र छत्तीस रन देकर चार विकेट लिए थे। समारोह की समाप्ति पर खिलाड़ी और दर्शक अपने-अपने निवास स्थान की ओर लौटने लगे। इस रोमांचक मैच की यादें हमारे मन में आज भी अंकित हैं।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 'इत्यादि' की आत्मकहानी

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 6 ‘इत्यादि’ की आत्मकहानी Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 'इत्यादि' की आत्मकहानी 1

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 'इत्यादि' की आत्मकहानी 2

प्रश्न 3.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
i. सभी ने इत्यादि के जीवन की कहनी कही।
ii. ‘शब्द-समाज’ में इत्यादि का सम्मान कुछ कम नहीं है।
उत्तर:
i. असत्य
ii. सत्य

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 'इत्यादि' की आत्मकहानी

कृति क (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।
i. अपमान …………….
ii. असाधारण ……………
उत्तर :
i. सम्मान
ii. साधारण

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों में उचित प्रत्यय लगाकर नए शब्द बनाइए।
i. सम्मान
ii. गुण
उत्तर :
i. सम्मानित – ‘इत’ प्रत्यय
i. गुणी – ‘ई’ प्रत्यय
वाक्य : रोहन हर बात में अपने मुँह मियाँ मिठू बनता है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 'इत्यादि' की आत्मकहानी

प्रश्न 3.
निम्नलिखित के वचन बदलिए।
i. लेखक
ii. कहानी
उत्तर :
i. लेखकगण
ii. कहानियाँ

कृति क (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘इत्यादि’ शब्द के महत्त्व के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
समाज में ‘इत्यादि’ शब्द का बहुत सम्मान है। वक्ता और लेखक को इस शब्द का प्रयोग करना ही पड़ता है। दिनभर में इस शब्द का प्रयोग कई बार किया जाता है। शब्द-समाज में यदि इत्यादि’ न रहता तो लेखकों और वक्ताओं की न जाने कैसी दशा ोती? इस शब्द का प्रयोग कहीं पर भी किया जा सकता है। शब्द समाज में ऐसे कई शब्द हैं जिनका अपना अलग महत्त्व है। इस शब्द का उपयोग भी होता है और कई बार दुरुपयोग भी होता है। इस शब्द के माध्यम से लेखक और वक्ता नमक मिर्च लगाकर खूब वाह-वाही हासिल कर लेते हैं।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 'इत्यादि' की आत्मकहानी

(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 'इत्यादि' की आत्मकहानी 3

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
i. मेरी माता का नाम ………. और पिता का नाम ………….. है।
ii. वे ………….. से विचरते हैं।
उत्तर :
i. ‘इति’, ‘आदि’
ii. स्वाधीनता

कृति ख (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए।
i. स्वाधीन
ii. कृपा
उत्तर:
i. स्वतंत्र
ii. दया

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 'इत्यादि' की आत्मकहानी

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के वचन परिवर्तन कीजिए।
i. लड़का
ii. भारत
उत्तर:
i. लड़के
ii. भारत

कृति ख (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
हिंदी व्याकरण में ‘उपसर्ग और प्रत्यय का महत्त्व’, इस पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘उपसर्ग’ वे शब्दांश होते हैं जो किसी शब्द के पूर्व में लगकर उस शब्द का अर्थ बदल देते हैं, या उसमें नई विशेषता उत्पन्न कर देते हैं। ‘प्रत्यय’ उन शब्दों को कहते हैं जो किसी अन्य शब्द के अंत में लगाए जाते हैं। इनके प्रयोग से शब्दों के अर्थ में भिन्नता या वैशिष्ट्य आ जाता है। उपसर्ग और प्रत्यय के प्रयोग से शब्दों का अर्थ बदल जाता है और वह विशेष अर्थ प्रकट करने लगते हैं। हिंदी व्याकरण में इनका विशेष महत्त्व हैं।

(ग) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 'इत्यादि' की आत्मकहानी 4

प्रश्न 2.
सही विकल्प चुनकर पूर्ण वाक्य फिर से लिखिए ।
i. परोपकार और दूसरे का मान रखना तो मानो मेरा …………….
(क) कर्तव्य है
(ख) धर्म है।
(ग) स्वभाव हैं।
उत्तर:
(क) कर्तव्य है

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 'इत्यादि' की आत्मकहानी

ii. उनका मन फिर ज्यों का त्यों ………..
(क) आनंदित हो उठा।
(ख) हरा-भरा हो उठा।
(ग) दुःखी हो उठा।
उत्तर:
(ख) हरा-भरा हो उठा।

कृति ग (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
प्रत्यय अलग करके लिखिए। –
i. दरिद्रता
ii. निर्धनता
उत्तर :
i. दरिद्र + ता (प्रत्यय)
ii. निर्धन + ता (प्रत्यय)

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 'इत्यादि' की आत्मकहानी

प्रश्न 2.
विलोम शब्द लिखिए।
i. राजा …
ii. पंडित ……….
उत्तर:
i. रंक
ii. मूर्ख

कृति ग (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘परोपकार एक मानवीय गुण है’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
मनुष्य के कर्म की सुंदरता जिन गुणों में प्रकट होती है- उनमें परोपकार सर्वोपरि है। दान, त्याग, सहिष्णुता, धैर्य और ईश्वरीय सृष्टि का सम्मान करना आदि अनेक गुण परोपकार में आते हैं। प्रकृति ही हमें परोपकार का पाठ सिखाती है। सूर्य, वायु, वन, पर्वत, पेड़-पौधे, नदियाँ, वनस्पतियाँ सभी हमें सरस फल प्रदान करते हैं। मनुष्यता की कसौटी परोपकार है। जगत-कल्याण के लिए शिव ने विषपान किया; देवताओं की रक्षा के लिए दधिची ने अपनी हड्डियों का दान किया। अत: स्पष्ट है कि आदिकाल से ही परोपकार एक मानवीय गुण है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 'इत्यादि' की आत्मकहानी

(घ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति घ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 'इत्यादि' की आत्मकहानी 5

प्रश्न 2.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
i. समालोचक महाशय का किसी ग्रंथकार के साथ मनमुटाव चल रहा था।
ii. समालोचक की पुस्तक ग्रंथकार के सामने आई।
उत्तर:
i. सत्य
ii. असत्य

कृति घ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
विलोम शब्द लिखिए।
i. अतृप्ति
ii. योग्यता
उत्तर :
i. तृप्ति
ii. अयोग्यता

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 'इत्यादि' की आत्मकहानी

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के वचन परिवर्तन कीजिए।
i. पुस्तक
ii. पाठक
उत्तर :
i. पुस्तकें
ii. पाठकगण

कृति घ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘धन्यवाद शब्द के हो रहे अत्यधिक प्रयोग’ पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
आजकल धन्यवाद शब्द का बहुत प्रयोग किया जा रहा है। कभी कभी हम कार्य नहीं करते फिर भी दूसरे हमें ‘धन्यवाद’ देते हैं। इस प्रसंग पर कहे गए धन्यवाद शब्द में हमारे प्रति कृतज्ञता का भाव नहीं होता है बल्कि व्यंग्य होता है। व्यंग्य इसलिए क्योंकि हमने वह कार्य किया ही नहीं फिर भी धन्यवाद कहा जाता है। जब हम दूसरों के लिए कुछ भी नहीं कर पाते है तब हमें ‘धन्यवाद’ शब्द निरर्थक महसूस होता है। उस शब्द में छिपा व्यंग्य हमारे मन को आघात पहुँचाता है और हम परेशान हो जाते हैं।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 'इत्यादि' की आत्मकहानी

(ङ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति छ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 'इत्यादि' की आत्मकहानी 6

प्रश्न 2.
सही उत्तर लिखिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 'इत्यादि' की आत्मकहानी 7

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में लिखिए।

  1. ‘इत्यादि’ किसे विद्वान बनाता है ?
  2. किसके पहुँचते ही अधूरा विषय भी पूरा हो जाता है
  3. संसार का नियम क्या है?

उत्तर:

  1. मूर्ख को
  2. इत्यादि के
  3. परिवर्तन

कृति छ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
वचन बदलिए।
i. समालोचना ………..
ii. आँख ……….
उत्तर :
i. समालोचनाएँ
ii. आँखें

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 'इत्यादि' की आत्मकहानी

प्रश्न 2.
विलोम शब्द लिखिए।
i. आदि …….
ii. परिवर्तित ………….
उत्तर:
i. अंत
ii. अपरिवर्तित

कृति ङ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘परिवर्तन संसार का नियम है।’ इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
इस संसार में कुछ भी अपरिवर्तनशील नहीं है। सब कुछ नश्वर और क्षण भंगूर है। जो परिवर्तन और अनित्यता को समझता है वही ज्ञानी है, इंसान दु:ख के सिवाय हर चीज को सदा एक जैसा बनाए रखने की कोशिश करता है। इसमें वह कोई परिवर्तन नहीं चाहता है। परंतु यह कैसे संभव है कि संसार में परिवर्तन ही न हो। जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है, जो युवा होगा वह वृद्ध अवश्य होगा, उसके जीवन में दुख है तो सुख भी आएगा यह मानव के अस्तित्व व विकास के लिए आवश्यक है। जिस प्रकार प्रकृति में परिवर्तन होता है वैसे ही संसार में भी परिवर्तन होता है। यदि संसार में परिवर्तन नहीं होता तो आज का युग इतना प्रगतिशील नहीं होता। आज मनुष्य इतनी उड़ाने नहीं भरता। यह सब परिवर्तन की ही देन है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 'इत्यादि' की आत्मकहानी

भाषाई कौशल पर आधारित पाठ्यगत कृतियाँ

प्रश्न 1.
भाषा बिंदु :
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 'इत्यादि' की आत्मकहानी 8

‘इत्यादि’ की आत्मकहानी Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-परिचय : अखौरी जी आधुनिक हिंदी के प्रमुख साहित्यकार हैं। ये ‘भारत मित्र’, ‘शिक्षा’, ‘विद्या विनोद’, पत्र-पत्रिकाओं के संपादक रह चुके हैं। इनके वर्णनात्मक निबंध विशेष रूप से पठनीय हैं।

गद्य-परिचय :

वर्णनाताक कहानी : इसके अंतर्गत सजीव, निर्जीव, वस्तु, प्राणी, मनुष्य, स्थान, शब्द-विशेष, प्राकृतिक या अन्य दृश्यों, यात्रा आदि का वर्णन किया जाता है।
प्रस्तावना : प्रस्तुत पाठ ‘इत्यादि’ की आत्मकहानी के माध्यम से लेखक यशोदानंद अखौरी जी ने इत्यादि शब्द के उपयोग, सदुपयोग-दुरुपयोग से संबंधित जानकारी अपने लेख के रूप में प्रदान की है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 'इत्यादि' की आत्मकहानी

सारांश :

‘इत्यादि’ की आत्मकहानी के माध्यम से लेखक बताते हैं कि ‘इत्यादि’ न रहता तो लेखकों और वक्ताओं की बहुत दुर्दशा होती। इत्यादि के प्रयोग से ही वे सम्मान पाते हैं, पर उसके लिए एक वाक्य भी किसी की लेखनी ने आज तक नहीं लिखी। इसलिए वह आज स्वयं ही अपनी कहानी कहने और गुणगान करने बैठा है।

आजकल चारों ओर इत्यादि ही इत्यादि है। जहाँ देखिए वहीं वह परोपकार के लिए उपस्थित है। चाहे राजा हो, या रंक, चाहे पंडित हो या मूर्ख, किसी के घर आने-जाने में संकोच नहीं करता। अपनी मानहानि नहीं समझता। इसीलिए वह सबका प्यारा है। वह छोटे-छोटे वक्ताओं और लेखकों की दरिद्रता तुरंत दूर कर देता है। अल्पज्ञानी भी इत्यादि का सहयोग पाकर बड़े-बड़े मंचों पर ‘इत्यादि-इत्यादि’ का प्रयोग कर अपने को महापंडित सिद्ध कर देता है।

इत्यादि मूर्ख को विद्वान बनाता है, ऐसे लोगों को युक्ति सुझाता है। लेखक को यदि भाव व्यक्त करने की भाषा नहीं आती, तो भाषा जुटाता है। कवि को उपमा नहीं मिलती तो उपमा बताता है। अब तो उसका प्रयोग आदि के रूप में होने लगा है।

शब्दार्थ :

  1. वक्ता – बोलनेवाला
  2. सतर – पंक्ति
  3. अवलंब – सहारा
  4. गुणावली – गुणगान
  5. मिती – महिने की तिथी
  6. विचरना – घूमना-फिरना, चलना
  7. विख्यात – प्रसिदध
  8. कदाचित – शायद
  9. सर्वत्र – चारों ओर
  10. ठौर – जगह
  11. रंक – दरिद्र
  12. दृष्टांत – उदाहरण
  13. वक्तृत्व – व्याख्यान
  14. ग्लानि – खिन्नता, दुःख
  15. निबाह – गुजारा, पालन
  16. एक बारगी – अचानक, एक बार में
  17. समालोचक – समीक्षक, आलोचक
  18. मनमुटाव – वैमनस्य

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 'इत्यादि' की आत्मकहानी

मुहावरे :

  • नमक-मिर्च लगाना – बढ़ा-चढ़ाकर बातें कहना।
  • कलई खुलना – भेद खुलना, रहस्योद्घाटन होना।
  • अपने मुँह मियाँ मिठू बनाना – अपनी प्रशंसा स्वयं करना।
  • जी में जी आना – धीरज बंधाना
  • धीरज बँधना – धीरज बढ़ाना।
  • पौ-बारह झेना – अच्छा फायदा होना।

Hindi Lokvani 9th Std Digest पहली इकाई

Class 9 Hindi Chapter 4 Sindhu Ka Jal Question Answer Maharashtra Board

Std 9 Hindi Chapter 4 Sindhu Ka Jal Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Lokbharti Chapter 4 सिंधु का जल Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Lokbharti 9th Digest Chapter 4 सिंधु का जल Questions And Answers

Hindi Lokbharti 9th Std Digest Chapter 4 सिंधु का जल Textbook Questions and Answers

संभाषणीय :

प्रश्न 1.
‘जल ही जीवन है’ विषय पर कक्षा में गुट बनाकर चर्चा कीजिए।
उत्तरः
अध्यापक (निर्देश): बच्चों आज हम ‘जल ही जीवन है।’ इस विषय पर कक्षा में चर्चा करेंगे।

  • नरेशः जल ही जीवन है। यदि जल नहीं तो कल नहीं।
  • रमेश: ‘जल’ इस शब्द के पहले अक्षर ‘ज’ का अर्थ है – जीवन और दूसरे अक्षर ‘ल’ का अर्थ है ‘लकीर’। इसका मतलब जीवनरूपी लकीर यानी ‘जल’।
  • ताराः जल इंसान के लिए बहुत उपयोगी है। जल के बिना मानव जीवन संभव नहीं।
  • सीता: जल के कारण ही यह धरती सुजलाम् सुफलाम् बन गई है।
  • विजय: जल मानव जीवन का प्रमुख आधार है। इसलिए हमें जल का सही इस्तेमाल करना चाहिए।
  • राधाः हमें जल को भविष्य के लिए बचाकर रखना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो आगे चलकर हमें बहुत बड़ी समस्या का सामना करना पड़ेगा।
  • दीपक: आज ग्लोबल वार्मिग के कारण ठीक से वर्षा नहीं हो रही है। इस कारण सभी परेशान हैं। हमारे देश के कई किसान आत्महत्या कर रहे हैं। इसलिए सभी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए और जल का कम-से-कम अपव्यय करें।
  • नंदाः कम से कम अपव्यय नहीं। बिल्कुल भी अपव्यय नहीं करना चाहिए।
  • सुरेशः इसके लिए सभी लोगों की मानसिकता में बदलाव आना चाहिए। अन्यथा सब कुछ व्यर्थ है।

सभीः इसीलिए हम सभी मिलकर शपथ लेते हैं कि हम जल का व्यर्थ में दुरूपयोग नहीं करेंगे और ना किसी को करने देंगे। आखिर जल ही जीवन है। वह ही हमारा तन मन धन है।

पठनीय :

प्रश्न 1.
रवींद्रनाथ टैगोर की कोई कविता पढ़कर ताल और लय के साथ उसका गायन कीजिए।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 4 सिंधु का जल

श्रवणीय :

प्रश्न 1.
अंतरजाल/यू ट्यूब से ‘जल संधारण’ संबंधी जानकारी सुनकर उसका संकलन कीजिए।

कल्पना पल्लवन :

प्रश्न 1.
‘मैं हूँ नदी’ इस विषय पर कविता कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 4 सिंधु का जल 1

पाठ के आँगन में :

1. सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए :

प्रश्न क.
आकृति पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 4 सिंधु का जल 2
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 4 सिंधु का जल 3

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 4 सिंधु का जल

प्रश्न ख.
पूर्ण कीजिए।
पावन जल स्नान करने वालों से नहीं पूछता –
उत्तरः
कृति ख (1) की आकलन कृति देखिए।

2. भारत के मानचित्र में अलग-अलग राज्यों में बहने वाली नदियों की जानकारी निम्न मुद्दों के आधार पर तालिका में लिखिए।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 4 सिंधु का जल

प्रश्न 1.
भारत के मानचित्र में अलग-अलग राज्यों में बहने वाली नदियों की जानकारी निम्न मुद्दों के आधार पर तालिका में लिखिए।
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 4 सिंधु का जल 4
उत्तरः

नदी का नाम उद्गम स्थल राज्य बाँध का नाम
1. गंगा गंगोत्री उत्तरांचल फरक्का बाँध
2. यमुना यमुनोत्री उत्तरांचल ओखला बाँध
3. कोयना महाबलेश्वर महाराष्ट्र कोयना बाँध

3. पाठ से ढूँढकर लिखिए।

प्रश्न च.
संगीत-लय निर्माण करने वाले शब्द।
उत्तरः
प्रत्येक पद्यांश की कृति देखिए।

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प्रश्न छ.
भिन्नार्थक शब्दों के अर्थ लिखिए और ऐसे अन्य दस शब्द ढूंढिए।
उत्तरः

  • अलि : भौंरा अली : सखी
  • तुरंग : घोड़ा तरंग : लहर
  • नीड़ : घोंसला नीर : पानी
  • ओर : दिशा और : तथा
  • प्रसाद : कृपा प्रासाद : महल
  • चपल : चंचल चपला : बिजली
  • बदन : शरीर वदन : मुख
  • भवन : धर भुवन : संसार
  • धान : चावल धान्य : कोई भी अनाज
  • दीन : गरीब दिन : दिवस
  • द्रव : वस्तु द्रव्य : तरल पदार्थ

पाठ से आगे :

प्रश्न 1.
‘नदी जल मार्ग योजना’ के संदर्भ में अपने विचार लिखिए ।

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भाषा बिंदु :

प्रश्न 1.
प्रेरणार्थक क्रिया का रूप पहचानकर उसका वाक्य में प्रयोग कीजिए।

क. जिसे वहाँ से जबरन हटाना पड़ता था।
उत्तर:
हटाना पड़ता: प्रेरणार्थक क्रिया रूप वाक्य: उस झोपड़ी को वहाँ से जबरन हटाना पड़ेगा।

ख. महाराज उम्मेद सिंह द्वारा निर्मित होने से ‘उम्मेद भवन’ कहलवाया जाता है।
उत्तर:
कहलवाया: प्रेरणार्थक किया रूप वाक्य: ‘अब मैं गलती नहीं करूंगा” यह वाक्य उससे हजार बार कहलवाया गया।

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प्रश्न 2.
सहायक क्रिया पहचानिए।

च. हम मेहरान गढ़ किले की ओर बढ़ने लगे।
उत्तरः
लगे : लगना : सहायक क्रिया

छ. काँच का कार्य पर्यटकों को आश्चर्यचकित कर देता है।
उत्तरः
देता : देना : सहायक क्रिया

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प्रश्न 3.
सहायक क्रिया का वाक्य में प्रयोग कीजिए।
(त) होना : ………………………..
(थ) पड़ना : ………………………..
(द) रहना : ………………………..
(ध) करना : ………………………..
उत्तरः
(त) होना : वहाँ पर एक सुंदर कुटी बनी हुई है।
(थ) पड़ना : वह जमीन पर गिर पड़ा।
(द) रहना : वह अपना कार्य कर रहा था।
(ध) करना : तुम सुबह-शाम टहला करो।

Hindi Lokbharti 9th Answers Chapter 4 सिंधु का जल Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 4 सिंधु का जल 5

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 4 सिंधु का जल 6

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
सत्य-असत्य लिखिए।
i. नदियों के तटों पर संस्कृतियाँ जन्म लेती हैं।
ii. नदी का पानी निरंतर गतिशील नहीं होता है।
उत्तर:
i. सत्य
ii. असत्य

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प्रश्न 2.
सही शब्द चुनकर वाक्य फिर से लिखिए।
i. नदी का जल पावन / अपावन होता है।
उत्तरः
नदी का जल पावन होता है।

ii. नदी का जल गीली हलचल / कल-कल होता है।
उत्तर:
नदी का जल गीली हलचल होता है।

कृति (3) भावार्थ

प्रश्न 1.
“सतत प्रवाहमान …………… आदि बिंदु।” इस पद्यांश का भावार्थ लिखिए।
भावार्थः
सिंधु नदी का जल हमसे कह रहा है; “मैं सिंधु नदी का पावन जल हूँ। मैं निरंतर गतिशील रहता हूँ। मैं आपके जीवन की पहचान हूँ। मैं एक गीली हलचल हूँ यानी मुझमें भी आपके भाँति संवेदनाएँ है। मेरे स्वर में कल-कल है। मैं सिंधु नदी का जल हूँ। आप जानते हैं कि सिंधु नदी भारत की एक पुरातन नदी है और धरती पर जब सभ्यताओं का जन्म होने लगा था; उसकी साक्षी सिंधु नदी रही है। इसीलिए मैं सिंधु नदी का जल होने के कारण धरती पर निर्माण हुए सभ्यताओं का आदि बिंदु

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(ख) पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 4 सिंधु का जल 7

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
जोड़ियाँ मिलाइए।

(अ) (ब)
1. जीवन (क) लहरें
2. सांस्कृतिक (ख) मर्म
3. उछलती (ग) नदियाँ

उत्तर:

(अ) (ब)
1. जीवन (ख) मर्म
2. सांस्कृतिक (ग) नदियाँ
3. उछलती (क) लहरें

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प्रश्न 2.
सत्य-असत्य लिखिए।
i. पावन जल प्यास बुझाने वाले से पहले पूछता है कि वह व्यक्ति उसका दोस्त है या दुश्मन।
ii. . पावन जल पर सभी का अधिकार होता है।
उत्तर:
i. असत्य
ii. सत्य

प्रश्न 3.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 4 सिंधु का जल 8

कृति (3) भावार्थ

प्रश्न 1.
“मैं नहाने वाले. ………… मचलती है।” इस पद्यांश का भावार्थ लिखिए।
भावार्थ:
मेरे पास आकर नहाने वाले मुसाफ़िर से मैं उसकी जाति, मजहब या धर्म के बारे में नहीं पूछता हूँ। कोई भी मेरे पास बेरोक टोक आकर नहा सकता है लेकिन मैं उनसे उनकी जाति, मज़हब या धर्म नहीं पूछता हूँ। इंसानियत से बढ़कर कोई धर्म नहीं होता है और जीवन के इस मर्म से मैं भली भाँति परिचित हूँ। सिंधु नदी में अचानक उत्पन्न होने वाली लहरें सदा उछलती रहती है मानो वह नित्य जीवन की ओर बढ़ने का प्रयास करती रहती हैं।

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(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 4 सिंधु का जल 9

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
सत्य-असत्य लिखिए।
i. सिंधु का पावन जल विधवा के दुख-दर्द को समझता है।
ii. सिंधु के किनारे तलवारें गरजती हैं।
उत्तर:
i. सत्य
ii. असत्य

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प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 4 सिंधु का जल 10

कृति (3) भावार्थ

प्रश्न 1.
‘ऐसे बहूँ. ………… इंदु हूँ।’ इस पद्यांश का भावार्थ लिखिए।
भावार्थ:
मैं सिंधु का जल हूँ। निरंतर बहना मेरा कार्य है। लेकिन अब मैं कैसे बहूँ? ऐसे या वैसे । मेरी कुछ समझ में नहीं आता है। हे मनुष्य! तुम तो समझदार हो। इसलिए तुम ही मुझे बताओ कि मैं कैसे बहूँ? आखिर मैं सिंधु में जल की बूंद हूँ और एक-एक बूंद से ही सिंधु तैयार हो गई है। मैं हमेशा लहराता रहता हूँ। मुझमें चंद्र का प्रतिबिंब गिरता है। मेरे लहराने के कारण वह भी लहराता रहता है और लहराता-लहराता वह झिलमिलाता भी रहता है। मानो मैं ही लहराते बिंबों में चमकता हुआ चंद्रमा हूँ।

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पद्य-विश्लेषण :

  • कविता का नाम – सिंधु का जल
  • कविता की विधा – नई कविता
  • पसंदीदा पंक्ति – प्यास बुझाने से पहले मैं नहीं पूछता दोस्त है या दुश्मन

पसंदीदा होने का कारण –
उपर्युक्त पंक्ति मुझे बेहद पसंद है। इस पंक्ति के माध्यम से बताया गया है कि सिंधु का जल पर प्यास बुझाने के लिए आने वाले व्यक्ति से यह नहीं पूछता कि दोस्त है या दुश्मन। अर्थात बिना भेदभाव के वह परोपकार करता है।

कविता से प्राप्त संदेश या प्रेरणा –
प्रस्तुत कविता से प्रेरणा मिलती है कि व्यक्ति को अपने जीवन में इंसानियत को अपनाना चाहिए। सर्वधर्म समभाव के तत्त्व का पालन करना चाहिए व दूसरों की पीड़ा दूर करने के लिए प्रयास करना चाहिए। व्यक्ति को अपनी संस्कृति एवं सभ्यता के विकास के लिए सतत प्रयास करना चाहिए।

सिंधु का जल Summary in Hindi

कवि-परिचय :

जीवन-परिचय : चक्रधर जी का जन्म 8 फरवरी 1951 को खुर्जा, उत्तर प्रदेश में हुआ। हिंदी साहित्य में उनके उत्कृष्ट योगदान के कारण उन्हें ‘पद्म श्री’ व ‘यश भारती पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है। हिंदी साहित्य में आधुनिक कवि हास्य व्यंग्यकार, निबंधकार, नाटककार एवं पटकथाकार रूप में श्रीमान अशोक चक्रधर जी का नाम उल्लेखनीय है। बच्चों के लिए कहानी एवं हास्य व्यंग्य लिखना आपका प्रिय शौक हैं।
प्रमुख कृतियाँ : ‘बूढ़े’, ‘बच्चे’, ‘तमाशा’, ‘खिड़कियाँ’, ‘बोल-गप्पे’, ‘जो करे सो जोकर’ आदि कविता संग्रह।

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पद्य-परिचय :

नई कविता : आधुनिक हिंदी साहित्य में नई कविता का प्रवाह गतिशील है। नई कविता मानवीय संवेदनाओं का चित्रण करती है और साथ में वह मानव को परिवेश के प्रति सचेत करती है। अनुभूति की सच्चाई व यथार्थ बोध, दृष्टि की उन्मुक्तता तथा मानवतावाद नई कविता की प्रमुख विशेषताएँ हैं।
प्रस्तावना : “सिंधु का जल’ इस कविता में नदी के जल के माध्यम से कवि अशोक चक्रधर जी ने हमारी सभ्यता, संस्कृति, मानवता, सर्वधर्म समभाव एवं दूसरों के दुख को दूर करने के भाव का वर्णन किया है। कवि ने हमें मानवीय गुणों को स्वीकार करने के लिए कहा है।

सारांश :

प्रस्तुत कविता में भले ही एक नदी का वर्णन आया हो लेकिन उसके माध्यम से लेखक ने हमें हमारी सभ्यता, संस्कृति, इंसानियत सर्वधर्म समभाव व परदुखकातरता आदि मानवीय गुणों को स्वीकार करने के लिए कहा है। नदी के किनारे पर सभ्यता एवं संस्कृति का विकास होता है। उसी के कगार पर इनसानियत के यज्ञ किए जाते हैं। नदी में बहने वाला जल पवित्र होता है। वह अपने पास आने वाले किसी व्यक्ति से उसका मजहब व धर्म नहीं पूछता है।

युद्ध में मारे गए वीर पुरुषों का लहू उसी के पास बहते हुए आता है। वह सबके घाव धोता है। उससे दूसरों का दुख देखा नहीं जाता। जिस प्रकार नदी के जल के पास गुण होते हैं; वैसे गुण मनुष्य में भी होने चाहिए। मनुष्य को मानवीय गुणों को स्वीकार करना चाहिए। इस कविता के द्वारा कवि ने परोपकार का संदेश दिया है।

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भावार्थ :

सतत प्रवाहमान …… आदि बिंदु।
सिंधु नदी का जल हमसे कह रहा है, मैं सिंधु नदी का पावन जल हूँ। मैं निरंतर गतिशील रहता हूँ। मैं आपके जीवन की पहचान हूँ। मैं एक गीली हलचल हूँ यानी मुझमें भी आपके भाँति संवेदनाएँ हैं। मेरे स्वर में कल-कल है। मैं सिंधु नदी का जल हूँ। आप जानते हैं कि सिंधु नदी भारत की एक पुरातन नदी है और धरती पर जब सभ्यताओं का जन्म होने लगा था उसकी साक्षी सिंधु नदी रही है। इसीलिए मैं सिंधु नदी का जल होने के कारण धरती पर निर्माण हुए सभ्यताओं का आदि बिंदु हूँ।

मेरे ही किनारे ………………. पावन जल हूँ।
सिंधु नदी का जल होने के कारण मैं निरंतर प्रवाहमान हूँ। मेरे ही किनारे पर कई संस्कृतियाँ निर्माण हुई हैं। मेरे ही तटों पर इंसानियत के यज्ञ हुए हैं यानी संस्कृतियों की निर्मिती होने के पश्चात लोगों ने मानवता को अपना ध्येय बनाया था और मेरे ही तटों पर एक-दूसरे के साथ प्रेम से रहना सीख लिया था। मेरी गति कभी-भी कम नहीं हुई है। मेरी गति में चंचलता है। आगे-ही-आगे बढ़ने की होड़ है। फिर भी मेरी भावनाएँ अचल है। एक ही जगह पर स्थिर हैं। आखिर मैं सिंधु नदी का पवित्र जल हूँ।

मैं नहाने ……………….. मचलती हैं।
मेरे पास आकर नहाने वाले मुसाफिर से मैं उसकी जाति, मजहब या धर्म के बारे में नहीं पूछता हूँ। कोई भी मेरे पास बेरोक टोक आकर नहा सकता है क्योंकि इंसानियत से बढ़कर कोई धर्म नहीं होता है और जीवन के इस मर्म से मैं भली भांति परिचित हूँ। सिंधु नदी में अचानक उत्पन्न होने वाली लहरें सदा उछलती रहती है मानो वह नित्य जीवन की ओर बढ़ने का प्रयास करती रहती हैं।

प्यास बुझाने ………………. घुल-मिल जाती है।
मेरे पास प्यास बुझाने हेतु आने वाले मुसाफिर से मैं नहीं पूछता कि वह मेरा दोस्त है या दुश्मन। किसी को अपने शरीर का मैल हटाने अर्थात नहाने से पहले मैं उसे नहीं पूछता कि वह हिंदू है या मुसलमान। यानी भले ही उस इंसान के मन में दूसरों के प्रति द्वेषभाव हो फिर भी मैं उसे अपना पानी पिलाता हूँ। मैं तो सभी के लिए हूँ और जो जितना चाहे जी भर के मेरा जल पिए। मैं विशाल नदी हूँ और मुझमें कई छोटी-छोटी सांस्कृतिक नदियाँ आकर समा जाती हैं। मानो वे अपने साथ अपनी सभ्यताएँ लेकर आती है और मुझमें समा जाती है यानी मैं उनकी सभ्यताओं से परिचित हो जाता हूँ।

लेकिन क्या ………………. तो रोता हूँ।
सिंधु नदी का पावन जल होने के बावजूद भी मैं हृदय से दुखी हूँ। मेरे घाटों पर रक्तपात होता है। लोगों का लहू बहता हुआ आता है। लोग एक-दूसरे को मारने के लिए तैयार हो जाते हैं। तलवारें खनकने लगती हैं। तोपें गरजने लगती हैं। घोड़ों के टापों की आवाज गूंजने लगती है। भयंकर युद्ध छिड़ जाता है। कई वीर शहीद हो जाते हैं। उस वक्त घायल हुए बहादुरों से मैं नहीं पूछता कि वे कौन-से प्रांत से हैं। वे किसी भी प्रांत से हो, मुझे इससे कुछ सरोकार नहीं होता। मैं तो उनके घाव दूर करने के लिए तत्पर हो जाता हूँ और अपने पानी से मैं उनके घाव धोता हूँ। वह मैं ही हूँ जो विधवा के दुख-दर्द को जानता हूँ। वास्तव में मैं ही उसके आँखों में आँसू बनकर रोता रहता हूँ यानी उसके दुख की अनुभूति को मैं अपने हृदय में महसूस करता हूँ।

ऐसे बहूँ ………………. इंदु हूँ।
मैं सिंधु का जल हूँ। निरंतर बहना मेरा कार्य है। लेकिन अब मैं कैसे बहूँ? ऐसे या वैसे। मेरी कुछ समझ में नहीं आता है। हे मनुष्य! तुम तो समझदार हो। इसलिए तुम ही मुझे बताओ कि मैं कैसे बहूँ ? आखिर मैं सिंधु में जल की बूंद हूँ और एक-एक बूँद से ही सिंधु तैयार हो गई है। मैं हमेशा लहराता रहता हूँ। मुझमें चंद्र का प्रतिबिंब गिरता है। मेरे लहराने के कारण वह भी लहराता रहता है और झिलमिलाता रहता है। मानो मैं ही लहराते बिंबों में चमकता हुआ चंद्रमा हूँ।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 4 सिंधु का जल

शब्दार्थ :

  1. प्रवाहमान – गतिशील, निरंतर, प्रवाहित
  2. मजहब – धर्म मर्म
  3. सार टा . घोड़ों के पैरों के जमीन पर पड़ने का शब्द
  4. रणबांकुरे – बहादुर, वीर, योद्धा
  5. बिंब – छाया, आभास
  6. इंद्रु – चंद्रमा
  7. घाव धोना – मरहमपट्टी करना, घाव साफ करना
  8. स्वर – ध्वनि
  9. गति – वेग
  10. अचल – स्थिर

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पठनीय

प्रश्न 1.
हिंदवी स्वराज्य निर्माता छत्रपति शिवाजी महाराज की जीवनी का अंश पढ़कर प्रेरणा प्राप्त कीजिए।

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संभाषणीय

प्रश्न 1.
स्वयं देखे हुए महाराष्ट्र के दर्शनीय स्थलों के बारे में अपने मित्रों को बताइए।
उत्तर:

  • स्वयं: क्या आप सब जानते हैं महाराष्ट्र की यात्रा किसी भी सैलानी को भारत के पश्चिमी भाग की खूबसूरती को जानने का मौका देती है।
  • राहुल: नहीं जानता हूँ। मैं महाराष्ट्र के दर्शनीय स्थलों पर अब तक नहीं गया हूँ।
  • भूषण: मैं भी कुछ नहीं जानता हूँ।
  • नंदा: मैं भी जानने के लिए उत्सुक हूँ।
  • स्वयः तो सुनो, मैं बताता हूँ। महाराष्ट्र भारत का तीसरा सबसे बड़ा राज्य है और यहाँ पर्यटन स्थलों के रूप में बहुत बड़ा खज़ाना है। .

कई गुफाएँ, आकर्षक हिल स्टेशन, समुद्र तट, बड़ी संख्या में वन्य जीव, भक्ति के पवित्र स्थल आदि, महाराष्ट्र में सब कुछ है। हालांकि बॉलीवुड एक ऐसी चीज़ है; जो इस राज्य को दूसरे राज्यों के मुकाबले बढ़त देता है। घूमने के शौकीनों के लिए महाराष्ट्र अपने आप में एक पूरा पर्यटन स्थल है। अपने सभी आकर्षणों के साथ महाराष्ट्र का एक ऐसा आभा मंडल है जिसे अनदेखा करना मुश्किल है। महाराष्ट्र राज्य में अजंता और एलोरा ऐसे दो विश्व विरासत स्थल हैं जो हमेशा से पर्यटकों का मन मोह लेते हैं। अगर आप तीन हज़ार साल पहले धर्म और इंसानी कल्पना को चित्रों और मूर्तियों के रूप में देखना चाहते हैं तो आपको अजंता की यात्रा जरूर करनी चाहिए।

  • राहुल: बहुत खूब, और बताओ, महाराष्ट्र के दर्शनीय स्थलों के बारे में।
  • स्वयं: मुंबई महाराष्ट्र की राजधानी है। यहाँ देखने लायक जगहों में गेट वे ऑफ इंडिया, हैगिंग गार्डन, महालक्ष्मी मंदिर, हाजी अली दरगाह, मरीन ड्राइव, जुहू बीच और चौपाटी शामिल हैं। मुंबई शहर बॉलीवुड का गढ़ भी है। एस्सेल वर्ल्ड देश में बच्चों द्वारा सबसे ज्यादा देखी जानेवाली जगह है।
  • नंदा: मैं तो बहुत प्रसन्न हो रही हूँ क्योंकि मुझे यहीं बैठे-बैठे सारी जानकारी मिल रही है।
  • स्वयं: महाबलेश्वर, लोनावाला और खंडाला की साफ हवा, शांत वातावरण, सुंदर और शांत झील और शानदार झरने आपको शहर की हलचल से दूर आनंद की अनुभूति देते हैं।
  • भूषण: मैं भी अपने माता-पिता के साथ इन स्थलों की यात्रा करूँगा।
  • स्वयं: हरिहरेश्वर, गणपतिपुले, जेजुरी, पंढरपुर, सिद्धिविनायक मंदिर, शिरडी आदि यहाँ के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं।
  • सभी एक साथः धन्यवाद, तुमने तो अपने वक्तव्य से समूचे महाराष्ट्र की झाँकी हमारे सामने प्रस्तुत कर दी।

आसपास

प्रश्न 1.
ऐतिहासिक स्थलों के चित्रों का कोलाज तैयार कीजिए

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 वीरभूमि पर कुछ दिन

पाठ के आँगन में…

सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए

1. उत्तर लिखिए:

(क) ऊँट की सवारी करने के बाद लेखिका की स्थिति

(ख) ऊँट की सवारी का अनुभव रोमांचकारी और मनोरंजक था, यह दर्शाने वाला वाक्य

प्रश्न 2.
जोड़ियाँ मिलाइए:

1. रेगिस्तान का जहाज (क) सूर्यास्त
2. मखमली गददे (ख) ऊँट
3. रंग-बिरंगी पोशाक (ग) होटल
4. पर्यटकों की मंजिल (घ) रेत
(ड़) पर्यटक

उत्तरः

  1. ऊँट
  2. रेत
  3. पर्यटक
  4. सूर्यास्त

प्रश्न 3.
परिच्छेद में प्रयुक्त विलोम शब्द की जोड़ी लिखिए।
1. नर × ……………
2. बाल × ………….
उत्तर:
1. नारी
2. वृद्ध

प्रश्न 4.
‘मेरी यात्रानुभव’ पर आपके विचार लिखिए।
उत्तर:
अपने जीवन काल में मनुष्य को अनेक यात्राओं का अनुभव होता है। कुछ यात्राएँ लोग सुख व मनोरंजन के लिए करते हैं तो कुछ आवश्यकतापरक होती हैं। पिछली दिवाली की छुट्टियों में हम कुछ सहपाठी माथेरान गए थे। मुंबई के सी. एस. टी. स्टेशन से रेलगाड़ी में बैठकर हम नेरल पहुँचे। वहाँ जलपान करके हम खिलौने जैसी ‘मिनी’ रेलगाड़ी में सवार हुए। मखमल-सी मुलायम हरे वृक्ष और सघन घाटियों की शोभा देखते हुए हम माथेरान पहुँचे। माथेरान का वातावरण मोहक और स्फूर्तिदायक था। लाल-लाल मटियाले रास्ते और घनी हरियाली।

भरी दोपहर में भी वहाँ ठंडी हवा चलती है। सुबह और शाम को घूम कर हमने अनेक प्राकृतिक दृश्य देखें। प्राकृतिक दृश्य की सुंदरता अनोखी थी। इनमें से कुछ दृश्य हमें बहुत ही अच्छे लगे। ‘एको पॉइंट’ (प्रतिध्वनि बिंदु) पर हमने जोर-जोर से चिल्लाकर अपनी अनेक प्रतिध्वनि सुनी। एक दिन शाम को हमने सूर्यास्त बिंदु (सनसेट पॉईंट) पर डूबते हुए सूर्य का अद्भुत दृश्य देखा। हमने शारलोट तालाब की सुंदरता भी देखी। हमने घुड़सवारी और रिक्शा में बैठने का मज़ा भी लिया। हमने अपने कैमरों से कई तस्वीरें भी खीचीं। हम दिनभर घूमते रहे पर हमें थकान का अनुभव नहीं हुआ। माथेरान में चार दिन, चार पल की तरह बीत गए। हम वहाँ से लौट आए पर वहाँ के मनोहर दृश्य आज भी मेरी आँखों के सामने घूम रहे हैं।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 वीरभूमि पर कुछ दिन

लेखनीय

प्रश्न 1.
‘चित्तौड़गढ़ बोलने लगा तो…..’ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
चित्तौड़गढ़ एक ऐतिहासिक वास्तु है । यह त्याग, बलिदान एवं वीरता की पहचान है। इसका निर्माण 7 वीं शताब्दी में मौर्य के शासन काल में किया गया था और इसका नाम भी मौर्य शासक चित्रांगदा मोरी के बाद ही रखा गया था। ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार चित्तौड़गढ़ किला 934 सालों तक मेवाड़ की राजधानी रह चुका था। इसकी स्थापना 734 में मेवाड़ के सिसोदिया वंश के शासक बाप्पा रावल ने की थी। आज भी यह किला बड़े शान से मेवाड़ की धरती पर खड़ा है। इसे देखने के बाद मेरे मन में विचार आया कि यदि चित्तौड़गढ़ बोलने लगा तो…’ चित्तौड़गढ़ बोलने लगा, तो वह अपनी सारी ऐतिहासिक गाथा हमारे सामने प्रस्तुत करेगा। वह अपनी कहानी इस प्रकार कहेगा “मैं भारत के विशालतम किलों में से एक हैं। मैं एक वर्ल्ड हेरिटेज दुर्ग भी हूँ। मैं विशेषत: मेवाड़ की राजधानी के नाम से जाना जाता हूँ।

पहले मेरे ऊपर गहलौत का शासन था और बाद में सिसोदिया का शासनकाल था। चित्तौड़ी राजपूत के सूर्यवंशी वंश ने 7 वीं शताब्दी से 1567 तक परित्याग करने तक शासन किया और १५६७ में अकबर ने मेरी घेराबंदी की थी। मैं 190 मीटर पहाड़ी की ऊँचाई पर बना हुआ हूँ और 391.9 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ हूँ। मुझसे जुड़ी बहुत-सी ऐतिहासिक घटनाएँ हैं। आज मैं पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ हूँ। 15 से १६ वीं शताब्दी के बाद मुझे तीन बार लुटा गया था। 1303 में अलाउद्दीन खिलजी ने राणा रतन सिंह को पराजित किया था। 1535 में गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने विक्रमजीत सिंह को पराजित किया था और १५६७ में अकबर ने महाराणा उदय सिंह द्वितीय को पराजित किया था। लेकिन तीनों समय राजपूत सैनिकों ने जी-जान से लड़ाई की थीं।

उन्होंने महल को एवं राज्य को बचाने की हर संभव कोशिश की थी लेकिन हर बार उन्हें हार का ही सामना करना पड़ रहा था। सैनिकों के पराजित होने के बाद राजपूत सैनिकों की तकरीबन 13,000 से भी ज्यादा महिलाओं और बच्चों ने जौहर कर लिया था और अपने प्राणों का बलिदान दे दिया था। सबसे पहले जौहर राणा रतन सिंह की पत्नी रानी पद्मिनी ने किया था। उनके पति 1303 के युद्ध में मारे गए थे और बाद में 1537 में रानी कर्णावती ने भी जौहर किया था। जी हाँ, मैं इन सभी महिलाओं के जौहर का साक्षी हूँ। इसीलिए मैं राष्ट्रप्रेम, हिम्मत, मध्यकालीन वीरता और मेवाड़ के सिसोदिया और बच्चों का राज्य के प्रति बलिदान देने का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण हूँ।

उस समय राजपूत शासक, सैनिक, महिलाएँ और स्थानिक लोग मुगल सेना के समक्ष समस्त समर्पण करने के बजाय लड़ते – लड़ते प्राणों की आहुति देना ठीक समझते थे। २०१३ में कोलंबिया के फ्लोम पेन्ह (Phonm Penh) में वर्ल्ड हेरिटेज कमिटी के ३७ वें सेशन में मेरे साथ ही राजस्थान के पाँच और किलो को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साईट में शामिल किया गया था।”

अंत में मैं इतना ही कहूँगा
“अमर त्याग और बलिदान की कहानी हूँ मैं,…
स्वत्व व सतीत्व की रक्षा का आदर्श हूँ मैं।
आज भी शत्रु को परास्त करने का जज्बा रखता हूँ मैं।
भारतीय संस्कृति का धनी हूँ मैं।”

मौलिक सृजन

प्रश्न 1.
ऐतिहासिक स्थलों की सुरक्षा एवं उनका संवर्धन करना हमारा कर्तव्य है, इसके आधार पर चर्चा कीजिए और दिए गए मुद्दों से सूचना फलक तैयार कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 वीरभूमि पर कुछ दिन 1
बहुत बड़े और बहुत पुराने देशों की कुछ पुरानी और बड़ी समस्याएँ भी होती हैं। हमारी एक बहुत बड़ी समस्या प्राचीन ऐतिहासिक स्थलों को सुरक्षित रखने की भी है । पूरे देश में ऐसी अनगिनत प्राचीन और ऐतिहासिक महत्त्व की इमारतें हैं जिनकी देखभाल ठीक से नहीं हो रही हैं। पिछले एक दशक से भारत में बदलाव की जो हवा चल रही है। उसके अंतर्गत अब यह माना जा रहा है कि देश की धरोहर के संरक्षण की ज़िम्मेदारी केवल सरकार की ही नहीं है। सार्वजनिक क्षेत्र की दो बड़ी कंपनियों ने भी इस ज़िम्मेदारी को स्वीकार किया है। ‘सेल’ ने दिल्ली के लोदी गार्डन की इमारतों की मरम्मत तथा साज सज्जा के लिए बनाई गई एक योजना में 10 करोड़ रुपए लगाए हैं।

इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने कान्हेरी की गुफाओं तथा कोणार्क मंदिर के – रिनोवेशन’ के लिए २५ करोड़ रुपए खर्च करने का निर्णय लिया है। इन दोनों प्रयासों से उत्साहित होकर भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय अब व्यापक स्तर पर बड़े औद्योगिक घरानों तथा व्यापार संगठनों को इस काम में शामिल करना चाहता है। अभी हाल में ही मंत्रालय ने ‘रिलायंस’, ‘हीरो होंडा’, ‘सैमसंग’, ‘एमआरएफ’, ‘एवीवा’, ‘विप्रो’, ‘एलजी’, जैसी कंपनियों को एक पत्र लिखकर ऐतिहासिक स्थलों को सुरक्षा एवं उनका संवर्धन देने की अपील की है। यह निश्चित रूप से एक सार्थक प्रयास है और आशा की जाती है कि बड़े औद्योगिक और व्यापारी घराने अपनी ‘पब्लिक इमेज’ बनाने के लिए इस दिशा में आगे बढ़ेंगे।

ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण के लिए सरकार एक बड़ी व्यापक और कारगर नीति बनाएँ। छोटे शहरों में ऐसी तमाम इमारतें हैं जो उपेक्षित पड़ी हैं। इन इमारतों पर अवैध कब्जे हैं तथा कुछ लोगों ने उन्हें अपनी निजी संपत्ति के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। ऐसी इमारतों की एक बड़ी सूची बनाना ज़रूरी है ताकि यह पता चल सके कि वे कहाँ है, किस स्थिति में हैं और उनका संरक्षण कैसे किया जा सकता है। ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण में आम आदमी की भागीदारी बहुत आवश्यक है। ऐतिहासिक स्थलों और सैर करने जाने वाले पर्यटक वहाँ पर कूड़ा, कचरा व प्लास्टिक आदि फेंककर प्रदूषण फैलाते हैं। यह बहुत ही चिंता का विषय है। ऐतिहासिक स्थलों की हिफाजत करना सभी का कर्तव्य हैं। उन्हें साफ़-सुथरा रखने के लिए सभी लोगों को अपनी ओर से प्रयास करना चाहिए। हमें अपने देश के ऐतिहासिक स्थलों के प्रति आस्था का भाव रखना चाहिए।

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विषय से…..

प्रश्न 1.
राष्ट्र का गौरव बनाए रखने के लिए पूर्व प्रधानमंत्रियों द्वारा किए सराहनीय कार्यों की सूची बनाइए। नौवीं कक्षा पाठ-२ इतिहास और राजनीति शास्त्र

1. सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

प्रश्न (क)
संजाल
उत्तर:
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प्रश्न (ख)
संजरा पूणच कीतजए:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 वीरभूमि पर कुछ दिन 4
उत्तर:
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2. दिए गए शब्दों के वर्गों का उपयोग करके चार पाँच अर्थपूर्ण शब्द तैयार कीजिए।

प्रश्न 1.
दिए गए शब्दों के वर्गों का उपयोग करके चार पाँच अर्थपूर्ण शब्द तैयार कीजिए।
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 वीरभूमि पर कुछ दिन 6
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 वीरभूमि पर कुछ दिन 7

उत्तर लिखिए।

प्रश्न 1.
स्वयं पढ़े हुए यात्रा वर्णन:
उत्तर:
1. कितनी नावों में कितनी बार: अज्ञेय
2. स्मरण यात्रा: काका कालेलकर

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केवल एक शब्द में उत्तर लिखिए।

प्रश्न (त)
वीर जवानों का वह देश जो धरती का गहना:
उत्तरः
भारत देश

प्रश्न (थ)
महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम:
उत्तरः
चेतक

स्वमत अभिव्यक्ति:

प्रश्न 1.
मैं पाठशाला जा रहा था। रास्ते में एक युवक अपनी मोटरसाइकिल आधी-टेढ़ी चलाते, कलाबाजियाँ दिखाते हुए तथा जोर-जोर से हॉर्न बजाकर लोगों को परेशान कर रहा था। उसे देखकर मेरे मन में विचार आए।
उत्तरः
स्टंट दिखाने के लिए वे रत्तीभर भी कसर नहीं छोड़ते हैं। जब मौका मिले, तब शुरू हो जाते हैं। अपनी खोखली कलाबाजियों से लोगों पर क्या गुजरती होगी, इसका तनिक भी असर उन पर नहीं पड़ता है। आखिर वे अपनी मस्ती एवं धुन में मशगूल जो होते हैं । आज के युवक फैशन एवं अपनी कलाबाजियाँ दिखाने के लिए अपनी मोटरसाइकिल आधी-टेढ़ी चलाते हैं तथा जोरजोर से हॉर्न बजाकर लोगों को परेशान करते हैं। यह तो उनके लिए एक खेल हो जाता है, पर रास्ते पर चलते समय लोगों को जिन तकलीफों का सामना करना पड़ता हैं, उनसे तो वे युवक अनभिज्ञ होते हैं। वे तो बस फैशन एवं स्टंट दिखाने के आदी हो गए हैं।

आधुनिक युग में ध्वनि-प्रदूषण समय की एक बड़ी समस्या बन गई है। पिछले कुछ वर्षों से इस समस्या ने लोगों का ध्यान आकृष्ट किया है। इस समस्या के पीछे औद्योगीकरण, यातायात के आधुनिक साधनों तथा बढ़ती मानवीय गतिविधियों का बहुत बड़ा हाथ है। मोटरसाइकिल, ट्रेन, वायुयान आदि वातावरण में तरह-तरह की ध्वनियाँ छोड़ते हैं। ये ध्वनियाँ हमारे कानों से टकराकर हमारे चित्त को अशांत कर देती हैं, जिससे मानसिक तनाव बहरापन आदि स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। सभी को सड़क यातायात नियमों की अच्छे से जानकारी होनी चाहिए, खासतौर पर युवा लोगों को जो महत्त्वपूर्ण सड़क दुर्घटना के खतरे पर रहते हैं। युवकों के बीच जागरुकता उत्पन्न करने के कई सारे तरीके हैं।

जैसे-सेमिनार, कार्यशाला, पाठ्यक्रम में मूल सड़क-सुरक्षा पाठ जोड़ने के द्वारा विद्यार्थी शिक्षा, रुको, देखो, सुनो, सोचो और फिर पार करो अर्थात् ग्रीन क्रॉस कोड के बारे में लोगों को जागरुक करना यातायात लाईटों को सीखना, रोड चिहनों को समझना, सड़क के हालात के अनुसार रक्षात्मक चालन आदि। सरकार द्वारा भी इसके लिए सख्त कानून बनाना चाहिए । जैसे हॉर्न पर प्रतिबंध लगाना। मोटरसाइकिल चलाते समय हेलमेट का प्रयोग करना आदि। अंत में सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूँ

“हे युवक, तू पहचान ले, अपनी अस्मिता को
न बिखरने दे अपनी क्षमता को
छोड़ दे व्यर्थ कि कलाबाजियाँ
स्वीकार कर अब सड़क-नीतियाँ।”

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निबंध लेखन:

प्रश्न 1.
‘हमारी सैर’ पर निबंध लिखिए।
उत्तर:
कवि हरिवंशराय बच्चन कहते हैं:
“साँस चलती है –
तुझे चलना पड़ेगा ही मुसाफिर!”

सचमुच, सैर या यात्रा करना व्यक्ति का पसंदीदा शौक होता है। सैर पर जाना सभी को अच्छा लगता है। सैर शिक्षा का एक सफल साधन है। शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य चरित्र निर्माण होता है। जब हम सैर पर निकलते हैं, हमें अपनी चीजें संभालनी पड़ती हैं। यात्रा में हमें अपना टिकट खरीदना पड़ता है और ठीक समय पर गाड़ी पकड़नी पड़ती है। धनी व्यक्ति अपने नौकर से यह सब करा लेते हैं, किंतु भारत में अधिकांश व्यक्ति स्वयं ही यह कार्य करते हैं। छुट्टी में हम सब घूमने जाते हैं। हम हर बार नाना-नानी के घर पर जाते हैं। लेकिन इस बार हम हरिद्वार को तीर्थ यात्रा पर गए थे। यह यात्रा हमने ट्रेन से की। हमने वहाँ पर खूब मस्ती की। मेरे परिवार में पापा-मम्मी, दादा-दादी और बड़ी दीदी हैं। हरिद्वार में हमारे गुरुजी का आश्रम है। हरिद्वार में हम सबने गंगाजी में स्नान कर आरती का आनंद लिया।

हरिद्वार बहुत ही सुंदर स्थल है। सबसे पहले हम गुरुजी के आश्रम गए। फिर हमने मंदिरों के दर्शन किए । वहाँ ‘हरि की पौड़ी के सामने मनसा देवी का मंदिर है। दूसरी तरफ पहाडी पर चंडी देवी का मंदिर है। हरिद्वार में बहुत सुंदर मंदिर बने हैं। दर्शनों के बाद हम हरिद्वार से कुछ ही दूरी पर ऋषिकेश गए। वहाँ राम व लक्ष्मण झूला नामक पुल है। यह पुल गंगा नदी पर बने हैं। पहाड़ों के बीच बहती गंगा नदी का दर्शन बड़ा मनोरम प्रतीत होता है। यहाँ से खूब बड़े-बड़े पहाड़ दिखते हैं। हरिद्वार में पवित्र गंगा नदी पर हमने मस्ती की।

मुझे वहाँ नईनई जानकारी मिली। हरिद्वार में दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यहाँ पर 12 साल में कुंभ का मेला लगता है। कुंभ के मेले में बहुत से साधु-संत आते हैं। हरिद्वार से लगभग कुछ ही दूरी पर बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री के पवित्र धाम भी हैं। हमारी यात्रा बहुत ही रोमांचक व यादगार रही। हमने घूमने का मजा भी लिया और हमारी तीर्थ यात्रा भी हो गई। यहाँ हमें प्रकृति की सुंदरता देखने को मिली। अब अगली गर्मियों में हम चारधाम की सैर करेंगे।

पाठ से आगे:

ऐतिहासिक वस्तु संग्रहालय देखने का आयोजन करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

भाषा बिंदु

प्रश्न 1.
सन्दि पढिए और समझिए
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 वीरभूमि पर कुछ दिन 8

प्रश्न 2.
निम्न संधि का विग्रह कर उसके प्रकार बताइए।

  1. थोड़ी ही देर में हॉटेल के स्वागत में आसीन थे।
  2. हमारी मंजिल भी सूर्यास्त केंद्र बिंदु।
  3. सब कुछ इतना सुंदर सजीव और मनोहर था।
  4. रेखांकित प्रत्येक लोकोक्ति को सोदाहरण लिखो।
  5. उपर्युक्त वाङ्मय दुष्कर एवं अत्यधिक दुर्लभ है।
  6. भारतीय कलाकारों का सम्मान तथा उन्हें नमन करने का मन करता है।

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उत्तर:

शब्द विग्रह संधि प्रकार
1. रेखांकित रेख + अंकित अ + अ स्वर संधि
2. स्वागत सु + आगत उ+ आ स्वर संधि
3. सूर्यास्त सूर्य + अस्त अ + अ स्वर संधि
4. मनोहर मन: + हर अ:+ ह विसर्ग संधि
5. वाङ्मय वाक् + मय क् + म व्यंजन संधि
6. सम्मान सत् + मान म् + म व्यंजन संधि

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Hindi Lokbharti 9th Answers Chapter 8 वीरभूमि पर कुछ दिन Additional Important Questions and Answers

(क) परिच्छेद पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

कृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
इन स्थानों से आगे बढ़ते हुए लेखिका जोधपुर पहुँची –
उत्तर:
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समझकर लिखिए।

प्रश्न 1.
मेड़ता पहुँचते ही लेखिका को ऐसा क्यों लगा कि वह पंजाब के आसपास आ गई है?
उत्तर:
क्योंकि कुछ खेत, हरियाली और पशुधन भी दिखाई देने लगे।

संजाल पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
सत्य या असत्य पहचानकर लिखिए।
1. महल के आधे भाग में शाही परिवार रहता है।
2. उम्मेद भवन देखने के बाद लेखिका मंडोर गार्डन की ओर बढ़ी।
उत्तर:
1. असत्य
2. सत्य

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प्रश्न 2.
प्रस्तुत गद्यांश के आधार पर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हो
1. द्वार पाल
2. म्यूजियम
उत्तर:
1. महल के प्रवेश द्वार पर किसे नियुक्त किया गया था?
2. भूतल पर क्या था?

प्रश्न 3.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 वीरभूमि पर कुछ दिन 12

कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
लेखिका की दृष्टि किसी भी चित्र पर चिपक-सी जाती थी।
उत्तर:
लेखिका की दृष्टि किसी भी चित्र पर चिपक-सी जाती थी क्योंकि सभी चित्र सुंदर, सजीव, भव्य और मनोहर थे।

कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
समानार्थी शब्द लिखिए।

  1. भवन
  2. राजा
  3. परिवार
  4. युद्ध

उत्तर:

  1. प्रासाद, महल
  2. नृप
  3. कुटुंब
  4. संग्राम

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प्रश्न 2.
नीचे दिए हुए शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द गद्यांश से ढूँढ़कर लिखिए।

  1. निर्जीव × ……………….
  2. दूर × ………………….
  3. असमय × …………….
  4. जमा × ………………..

उत्तर:

  1. सजीव
  2. पास
  3. समय
  4. खर्च

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्द मानक वर्तनी के अनुसार लिखिए।

  1. सज्जासे
  2. मॉडलभी
  3. गन्तव्य
  4. प्रदरशित

उत्तर:

  1. सज्जा से
  2. मॉडल भी
  3. गंतव्य
  4. प्रदर्शित

शुद्ध शब्द पहचानकर लिखिए।

प्रश्न 1.
जानकारीयाँ, जानकारियाँ, जानरकारियाँ
उत्तरः
जानकारियाँ

शब्द समूह के लिए एक शब्द लिखिए।

प्रश्न 1.
1. द्वार पर नियुक्त व्यक्ति –
2. अलग-अलग स्थलों की सैर करने वाला –
उत्तर:
1. द्वारपाल
2. पर्यटक

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों में से मूल शब्द व प्रत्यय अलग करके लिखिए।
उत्तर:

शब्द मूल शब्द प्रत्यय
1. सज्जित सज्जा इत
2. विशालतम विशाल तम

प्रश्न 3.
लिंग बदलिए।
महाराजा
उत्तरः
महारानी

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प्रश्न 4.
वचन बदलिए।
1. जानकारियाँ
2. कमरा
उत्तर:
1. जानकारी
2. कमरे

(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 वीरभूमि पर कुछ दिन 13

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
1. प्रहरी जान पड़ती है
2. मार्ग के दोनों ओर निर्माण हुआ है
उत्तर:
1. तीन तलोंवाली एक इमारत
2. जलाशयों का

प्रश्न 3.
कारण लिखिए।
लोकगीत गायक अपने-अपने वाद्यों पर गीत की धुन छेड़ते हैं।
उत्तरः
लोकगीत गायक अपने-अपने वाद्यों पर गीत की धुन छेड़ते हैं क्योंकि वे शायद वहाँ आने वाले पर्यटकों को प्रसन्न कर उनसे कुछ दक्षिणा पाना चाहते हैं।

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
सहसंबंध लिखिए। जैसे – विशाल – मूर्तियाँ

  1. ऊँची: …………..
  2. चमकती: …………
  3. रेगिस्तानी: ……….
  4. मनोरम: ……………

उत्तरः

  1. पहाड़ी
  2. चाँदनी
  3. धूप
  4. दृश्य

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प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
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प्रश्न 3.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
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उत्तर लिखिए।

प्रश्न 1.
दुर्ग के अंदर मौजूद विशाल भवनों के नाम बताइए।
उत्तरः
मोतीमहल, फूलमहल, शीशमहल, दौलतखाना, फतहमहल, रानी सागर।

सत्य या असत्य पहचानकर लिखिए।

प्रश्न 1.
1. दुर्ग के अंदर भवनों में कहीं बैठकखाना, तो कहीं दीवाने खास,दीवाने आम हैं।
2. जयपोल तक आते-आते ही शहर ऊपर रह जाता है।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य

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कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए शब्दों के समानार्थी शब्द पहेली में से ढूँढ़कर लिखिए।
नरेश, द्वार, मूर्ति, भव्य, देवता
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उत्तरः
राजा, दरवाजा, प्रतिमा, विशाल, ईश्वर

प्रश्न 2.
विरुद्धार्थी शब्द लिखिए।

  1. ऊपर × …………
  2. समीप × ……….
  3. विजय × ………
  4. शहर × ………..

उत्तर:

  1. नीचे
  2. दूर
  3. पराजय
  4. गाँव

प्रश्न 3.
लिंग बदलिए।

  1. वीर
  2. रानी
  3. भगवान
  4. देवता

उत्तरः

  1. वीरांगना
  2. राजा
  3. भगवती
  4. देवी

प्रश्न 4.
वचन बदलिए।
1. मूर्ति
2. वीरांगना
उत्तर:
1. मूर्तियाँ
2. वीरांगनाएँ

प्रश्न 5.
गद्यांश में प्रयुक्त प्रत्यय युक्त शब्द ढूंढकर लिखिए।
उत्तर:
दौलतखाना, बैठकखाना, देवता, दर्शनीय

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शब्द समूह के लिए एक शब्द लिखिए।

प्रश्न 1.
जो स्थल देखने लायक हो –
उत्तरः
दर्शनीय

प्रश्न 2.
गद्यांश में प्रयुक्त उपसर्ग युक्त शब्द ढूंढकर लिखिए।
उत्तरः
विभिन्न

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा करना एक सुखद अनुभूति के समान होता है।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
भारत एक प्राचीन देश है। प्राचीनता के साथ इसका गौरवशाली इतिहास है। भारत के इतिहास की अनेक हैरतअंगेज़ घटनाएँ हैं, जिनका वर्णन भारत के ऐतिहासिक स्थल आज भी कर रहे हैं। भारत में ऐतिहासिक स्थलों की कमी नहीं है। इन दर्शनीय स्थलों को देखने के लिए हमारे देश के ही नहीं, बल्कि विदेशी पर्यटक भी प्रतिवर्ष आते हैं। इन ऐतिहासिक स्थलों की गाथाएँ सुनकर देश-विदेश के पर्यटक आज भी रोमांच का अनुभव करते हैं। भारत के लगभग सभी ऐतिहासिक स्थल वीरता, देशभक्ति, मानवता, प्रेम एवं त्याग आदि की कहानी कहते हैं।

इनमें ज्यादातर स्थल दर्शनीय हैं। भारत के अनेक ऐतिहासिक स्थलों से मैं प्रभावित हुआ हूँ। ताजमहल की सुंदरता मुझे बार-बार अपनी ओर आकर्षित करती है। वास्तुशिल्प के दृष्टिकोण से ताजमहल इतिहास का सुंदर नमूना है। पत्थरों का कलात्मक निर्माण, वास्तुकला और शिल्पकला की दृष्टि से साँची का स्तूप बहुत अनुपम है। अद्भुत और भव्य मंदिर को प्राचीन वास्तुकला का चमत्कार भी कहा जा सकता है। विजय मंदिर एक ऐतिहासिक मंदिर है। इस मंदिर को भारत का दूसरा सूर्य मंदिर भी कहते हैं। ऐतिहासिक स्थल की सैर करने से हमें अनेक प्रकार की जानकारियाँ प्राप्त होती हैं। यहाँ आकर लोग शांति की भाषा सुन और समझ पाते हैं।

(ग) गद्यांश पड़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
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प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
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समझकर लिखिए।

प्रश्न 1.
‘जसवंत थंडा स्मारक देखते-देखते शाम हो गई थी, इसके लिए गद्यांश में प्रयुक्त वाक्य है
उत्तरः
अब सूर्य भी अपनी किरणों को समेट अस्ताचलगामी हो गया था।

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कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों का घटनाक्रमानुसार लेखन कीजिए।

  1. लेखिका पटवा की हवेलियाँ देखने के लिए गई।
  2. अगली प्रात: को लेखिका जैसलमेर स्टेशन पर उतरी।
  3. लेखिका होटल के स्वागत कक्ष में आसीन थी।
  4. लेखिका होटल की वैन में बैठ गई।

उत्तर:

  1. अगली प्रात: को लेखिका जैसलमेर स्टेशन पर उतरी।
  2. लेखिका होटल की वैन में बैठ गई।
  3. लेखिका होटल के स्वागत कक्ष में आसीन थी।
  4. लेखिका पटवा की हवेलियाँ देखने के लिए गई।

सत्य या असत्य पहचानकर लिखिए।

प्रश्न 1.
1. लेखिका स्वयं अपना सामान होटल के कक्ष में लेकर गई।
2. जैसलेमर से जोधपुर रात्रि की गाड़ी थी।
उत्तरः
1. असत्य
2. असत्य

प्रस्तुत गद्यांश पढ़कर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।

प्रश्न 1.
1. शिल्पकार
2. बारह
उत्तर:
1. धन्य कौन है?
2. एक हवेली के निर्माण में कितने वर्ष का समय लगा?

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सहसंबंध लिखिए।

प्रश्न 1.
1. खूबसूरत : पत्थर :: पारदर्शक : ……..
2. पाँच : हवेलियाँ :: कलात्मक : ………
उत्तर:
1. झरोखे
2. वास्तुशिल्प

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
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प्रश्न 3.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
गद्यांश में इन शब्दों के अर्थ हैं

  1. दिनकर
  2. प्रसिद्ध
  3. तुरंत
  4. सिर

उत्तर:

  1. सूर्य
  2. विख्यात
  3. शीघ्र
  4. मस्तिष्क

प्रश्न 2.
विरुद्धार्थी शब्द लिखिए।
1. व्यवस्था × …………….
2. खूबसूरत × ……………
उत्तरः
1. अव्यवस्था
2. बदसूरत

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के कोई भी चार अनेकार्थी शब्द लिखिए।
1. काम
2. और
उत्तर:
1. इच्छा, कार्य, कामदेव, रोज़गार
2. दूसरा, तथा, खोजक शब्द, अधिक

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निम्नलिखित अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।

प्रश्न 1.
जिसकी आने की तिथि निश्चित न हो-
उत्तरः
अतिथि

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों में से मूल शब्द व प्रत्यय अलग करके लिखिए।

    1. भारतीय
    2. प्रसन्नता
    3. शिल्पकार
    4. व्यापारी

उत्तरः

शब्द मूल शब्द प्रत्यय
1.  भारतीय भारत ईय
2. प्रसन्नता प्रसन्न ता
3. शिल्पकार शिल्प कार
4. व्यापारी व्यापार

लिंग बदलिए।

प्रश्न 1.
1. मालिक
2. पुत्र
उत्तर:
1. मालकिन
2. पुत्री

वचन बदलिए।

प्रश्न 1.
1. स्मृति
2. हवेलियाँ
उत्तरः
1. स्मृतियाँ
2. हवेली

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प्रश्न 2.
तालिका पूर्ण कीजिए।
(स्मारक, विख्यात, मूर्तिकला, हमें, हो गई, चल पड़े, हमारा, अद्भुत)
उत्तरः

संज्ञा सर्वनाम विशेषण क्रिया
स्मारक हमें विख्यात हो गई
मूर्तिकला हमारा अद्भुत चल पडे

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘ऐतिहासिक कलात्मक वास्तुशिल्प के प्रति हमारे मन में आकर्षण होना चाहिए।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
ऐतिहासिक कलात्मक वास्तुशिल्प हमारी ऐतिहासिक परंपरा एवं पुरातन कला के निदर्शक होते है। पुराने समय में भारतीय शिल्पकारों ने अपनी संस्कृति एवं कला को वास्तुशिल्प के माध्यम से समूचे संसार के सामने रखा। ये बहुत बड़ी बात है। इस कारण सम्पूर्ण संसार को भारतीय संस्कृति के बारे में जानकारी मिली।

आज हमारे देश में जगह-जगह ऐतिहासिक कलात्मक वास्तुशिल्प मौजूद हैं। देश-विदेश के पर्यटक भारत आकर यहाँ की ऐतिहासिक कला एवं संस्कृति का आस्वाद लेते हैं। ये ऐतिहासिक कलात्मक वास्तुशिल्प हमारे देश की धरोहर हैं। उनके प्रति आदर एवं सम्मान की भावना रखना हमारा परम कर्तव्य है। अत: ऐतिहासिक कलात्मक वास्तुशिल्प के प्रति हमारे मन में आकर्षण होना चाहिए।

(घ) गद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए।
1. रेगिस्तानी जहाज पर सवार लेखिका की स्थिति
2. उँट की सवारी का अनुभव रोमांचकारी और मनोरंजक था, यह दर्शानेवाला वाक्य
उत्तर:
1. लेखिका को डर भी लग रहा था, प्रसन्नता भी हो रही थी, उत्सुकता भी थी।
2. ऊँटों की कतारें ही कतारें, सभी पर नर-नारी और बाल वृद्ध सवार थे, शायद सभी की हृदय गति वैसे ही धड़क रही थी, जैसी हमारी।

कृति (2)आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
1. इसे कहा गया है रेगिस्तानी जहाज –
2. विक्रेता इन वस्तुओं को बेच रहे थे –
उत्तर:
1. ऊँट
2. खिलौने, दूरबीन, चिप्स, कुरकुरे, खाखड़ा, चाट – पकोड़े

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प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
जैसे – चमकता: सूर्य
1. अस्ता चलगामी: …..
2. राजस्थानी: …..
उत्तर:
1. भास्कर
2. कन्याएँ

प्रश्न 3.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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कृति (3) शब्द संपदा

निम्नलिखित शब्द मानक वर्तनी के अनुसार लिखिए।

प्रश्न 1.

  1. गन्तव्य
  2. यहां
  3. प्रयटक
  4. सूरयास्त

उत्तरः

  1. गंतव्य
  2. यहाँ
  3. पर्यटक
  4. सूर्यास्त

प्रश्न 2.
समानार्थी शब्द लिखिए।

  1. ग्राम
  2. भय
  3. प्रतीक्षा
  4. भास्कर

उत्तर:

  1. गाँव
  2. डर
  3. इंतजार
  4. सूर्य

प्रश्न 3.
शब्द समूह के लिए एक शब्द लिखिए।
1. जहाँ पहुँचना है, वह स्थान
2. जहाँ आसमान ने भूमि को स्पर्श किया है, वह स्थान
उत्तरः
1. गंतव्य
2. क्षितिज

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प्रश्न 4.
गद्यांश में प्रयुक्त प्रत्यय युक्त शब्द पहचानकर लिखिए।

  1. रेगिस्तानी
  2. चमकता
  3. राजस्थानी

उत्तर:

  1. रेगिस्तान + ई
  2. चमक + ता
  3. राजस्थान + ई

लिंग बदलिए।

प्रश्न 1.
ऊँट
उत्तरः
ऊँटनी

वचन बदलिए।

प्रश्न 1.

  1. खिलौने
  2. याद
  3. नारी
  4. कतार

उत्तर:

  1. खिलौना
  2. यादें
  3. नारियाँ
  4. कतारें

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
ऊँट को ‘रेगिस्तान का जहाज’ कहा जाता है। इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
रेगिस्तान में जब रेतीली हवाएँ चलती हैं, तब ऊँट अपने नथुनों को बंद कर लेता है। जिससे रेत उसकी नाक में नहीं जा पाती। ऊँट के घुटने और गरदन में कठोरता होती है; जो उसे उठतेबैठते समय रगड़ से बचाती है। यह रेगिस्तान में आसानी से चल एवं दौड़ सकता है। यह अपने शरीर के उभार में अधिक मात्रा में पानी एकत्र कर सकता है। यह गाड़ी खींचने एवं बोझा उठाने के काम आता है। ऊँट का उपयोग कृषि कार्य एवं पानी खींचने में भी किया जाता है। इसलिए ऊँट रेगिस्तान के लिए सर्वाधिक उपयुक्त वाहन है।

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(ङ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
कारण लिखिए।
दर्शक भाव विभोर हो गए थे-
उत्तरः
दर्शक भाव विभोर हो गए क्योंकि राजस्थान के जाने-माने कलाकारों ने वहाँ की लोक-संस्कृति को नृत्य-नाटिका और गायन के माध्यम से अद्भुत प्रस्तुति दी थी।

समझकर लिखिए।

प्रश्न 1.
1. इस दिन पहुँची लेखिका चित्तौड़गढ़ –
2. ‘भोजन का लुत्फ सभी ने उठाया।’
(यह भाव व्यक्त करने वाला वाक्य है)
उत्तर:
1. 24 दिसंबर के सायंकाल।
2. सेल्फ सर्विस-जैसा रुचे, जितना रुचे, लीजिए, खाइए, आनंद उठाइए की तर्ज पर सब भोजन कर रहे थे।

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।

  1. गद्यांश में प्रयुक्त स्वाभिमानी देशभक्त –
  2. गद्यांश में प्रयुक्त कृष्ण भक्त –
  3. गद्यांश में प्रयुक्त एक घोड़ा –

उत्तर:

  1. महाराणा प्रताप, भामाशाह
  2. मीरा
  3. चेतक

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समझकर लिखिए।

प्रश्न 1.
गद्यांश में महाराणा प्रताप की विशेषता बताने वाले शब्द।
उत्तर:
वीर, साहसी, स्वाभिमानी, देशभक्त

सत्य या असत्य पहचानकर लिखिए।

प्रश्न 1.
1. भामाशाह स्वामिभक्त थे।
2. प्रतिकूल परिस्थितियों में भी महाराणा प्रताप ने हार नहीं मानी।
उत्तर:
1. सत्य
2. सत्य

कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
परिच्छेद में प्रयुक्त विलोम शब्द की जोड़ी लिखिए।
उत्तरः
देश – विदेश

प्रश्न 2.
इनके लिए गद्यांश में समानार्थी शब्द है।

  1. आग
  2. हर्ष
  3. निशा
  4. पृथ्वी

उत्तर:

  1. अग्नि
  2. आनंद
  3. रात्रि
  4. धरती

निम्नलिखित शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।

प्रश्न 1.
कृष्ण
उत्तर:
काला, भगवान श्री कृष्ण।

शब्द समूह के लिए एक शब्द लिखिए।

प्रश्न 1.
1. संस्कृति से संबंधित
2. स्थान, जहाँ दो या तीन नदियाँ आकर आपस में मिलती हैं
उत्तर:
1. सांस्कृतिक
2. संगम

लिंग बदलिए।

प्रश्न 1.
1. सम्राट
2. वीर
उत्तर:
1. सम्राज्ञी
2. वीरांगना

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निम्नलिखित शब्दों के उचित प्रत्यय लगाकर नए शब्द तैयार कीजिए।

प्रश्न 1.

  1. परिवार
  2. स्वाभिमान
  3. साहस

उत्तर:

  1. पारिवारिक
  2. स्वाभिमानी
  3. साहसी

निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके फिर से लिखिए।

प्रश्न 1.
1. इन सब स्मृति की साथ होटल वापस आए।
2. लेखिका जीप में सवार हुआ।
उत्तरः
1. इन सब स्मृतियों के साथ होटल वापस आए।
2. लेखिका जीप पर सवार हुई।

विराम चिह्न का प्रयोग कीजिए।

प्रश्न 1.
कितने साहसी वीर और स्वाभिमानी देशभक्त थे महाराणा प्रताप
उत्तर:
कितने साहसी, वीर और स्वाभिमानी देशभक्त थे, महाराणा प्रताप।

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘राजस्थानी संस्कृति की अपनी विशेषता है।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
राजस्थान का विशिष्ट नृत्य घूमर है । विविध उत्सवों के अवसर पर केवल महिलाओं द्वारा यह नृत्य किया जाता है। घेर नृत्य, पनिहारी नृत्य व कच्ची घोड़ी (जिसमें पुरुष नर्तक बनावटी घोड़ी पर बैठे होते हैं) भी लोकप्रिय है। राजस्थान में मुश्किल से कोई महीना ऐसा जाता होगा, जिसमें धार्मिक उत्सव न हो। सबसे उल्लेखनीय व विशिष्ट उत्सव गणगौर है, जिसमें महादेव व पार्वती की मिट्टी की मूर्तियों की पूजा 15 दिन तक सभी जातियों की स्त्रियों के द्वारा की जाती है और बाद में उन्हें जल में विसर्जित कर दिया जाता है।

विसर्जन की शोभायात्रा में पुरोहित व अधिकारी भी शामिल होते हैं व बाजे-गाजे के साथ शोभा यात्रा निकलती है। हिन्दू और मुसलमान, दोनों एकदूसरे के त्योहारों में शामिल होते हैं। इन अवसरों पर उत्साह व उल्लास का बोलबाला रहता है। अमलाना, अरबी का साग, आटे का मालपुवा, आम और चने का अचार, आम की लौजी, आलू पेठे का साग, कांजी वड़ा व तरला दलाल ये राजस्थान के खास व्यंजन हैं।

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(च) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
इन गुणों से परिपूर्ण हैं चित्तौड़ के बाशिंदे
उत्तरः
सहजता, सरलता, भाईचारा

प्रश्न 2.
गद्यांश में प्रयुक्त राजस्थान की प्रसिद्ध रानी
उत्तरः
रानी पद्मिनी

प्रश्न 3.
इसका प्रतीक है ‘विजय स्तंभ’
उत्तरः
मालवा के सुल्तान और गुजरात के सुल्तान के संयुक्त आक्रमण की साहसिक विजय गाथा का प्रतीक है।

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
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प्रश्न 2.
सत्य या असत्य पहचानकर लिखिए।
1. गढ़ों में गढ़ चित्तौड़गढ बाकी सब गलैया।
2. पूर्व की ओर बना रामपोल ही किले का मुख्य प्रवेश द्वार है।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य

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कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
समानार्थी शब्द लिखिए।

  1. दुर्ग
  2. प्रतिमा
  3. मंदिर
  4. बाशिंदा

उत्तर:

  1. किला
  2. मूर्ति
  3. देवालय
  4. निवासी

प्रश्न 2.
विलोम शब्द लिखिए।
1. शत्रु × ……………….
2. वीरता × …………….
उत्तर:
1. मित्र
2. कायरता

प्रश्न 3.
वचन बदलिए।

  1. यात्रा
  2. प्रतिमा
  3. संस्कृति
  4. रानी

उत्तर:

  1. यात्राएँ
  2. प्रतिमाएँ
  3. संस्कृतियाँ
  4. रानियाँ

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों में उचित प्रत्यय लगाकर नए शब्द तैयार कीजिए।

  1. विजय
  2. निर्मित
  3. वीर
  4. दर्शन
  5. सहज
  6. सरल

उत्तर:

  1. विजयी
  2. निर्मिती
  3. वीरता
  4. दर्शनीय
  5. सहजता
  6. सरलता

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कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘राजस्थान त्याग व बलिदान की भूमि है।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
राजस्थान त्याग व बलिदान की भूमि है। इस विचार से मैं पूर्णत:
सहमत हूँ। राजस्थान की रक्षा करने के लिए कई वीरों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया हैं। सिर्फ वीर ही नहीं बल्कि कई स्त्रियों ने अपने प्राणों की कुरबानी दे दी है। इतना ही नहीं, अपनी भूमि की रक्षा करने के लिए एवं अपनी देशभक्ति निभाने के लिए पन्ना धाय ने कुँवर के प्राणों की रक्षा हेतु अपने पुत्र की बलि दे दी थी। वीर महाराणा प्रताप अपनी भूमि की रक्षा हेतु प्रतिकूल परिस्थितियों में जंगल में रहे। इतना ही नहीं, दुश्मनों के हाथों से अपनी प्रतिष्ठा एवं लाज रखने हेतु कई स्त्रियों ने आत्मदहन भी किया था। रानी पद्मिनी के जौहर को हम भारतवासी कैसे भूल सकते हैं।

भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ

भाषा बिंदु –

प्रश्न 1.
अव्यय पहचानकर लिखिए।

  1. सामान वहाँ रखकर थोड़ा तरोताजा हुए।
  2. हम ‘उम्मेद भवन’ की ओर चल पड़े।
  3. रानी उद्यान के बाईं ओर पहाड़ी की एक चट्टान है।
  4. दुर्ग के अंदर कई भव्य और विशाल भवन हैं।
  5. यहाँ जौहर कुंड में कई वीरांगनाओं ने अपने आप को समर्पित कर दिया था।
  6. इस भूमि पर त्याग भी है और बलिदान भी।
  7. पर्यटक भास्कर को कैमरे में बंद करने के लिए सन्नद्ध थे।
  8. आज ही ‘सम’ का कार्यक्रम भी था।

उत्तर:

  1. वहाँ – क्रियाविशेषण अव्यय
  2. की ओर – संबंधसूचक अव्यय
  3. ओर – संबंधसूचक अव्यय
  4. और – समुच्चयबोधक अव्यय
  5. यहाँ – क्रियाविशेषण अव्यय
  6. और – समुच्चय बोधक अव्यय
  7. (के) लिए – संबंधसूचक अव्यय
  8. आज – क्रिया विशेषण अव्यय

प्रश्न 2.
काल परिवर्तन कीजिए।

  1. एक भाग में शाही परिवार रहता है। (अपूर्ण भूतकाल)
  2. ‘भवन’ का मॉडल भी प्रदर्शित किया गया है। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
  3. हम काफी ऊपर आ जाते हैं। (अपूर्ण भूतकाल)
  4. उन्होंने देवताओं की विशाल मूर्तियाँ बनवाई। (सामान्य भविष्यकाल)
  5. हम जैसलमेर स्टेशन पर उतरे। (पूर्ण वर्तमानकाल)
  6. इसी शहर से मीरा जैसी कृष्ण भक्त की यादें भी जुड़ी हैं। (अपूर्ण भूतकाल)
  7. हम ‘चित्तौड़गढ़’ पहुँच गए। (सामान्य वर्तमानकाल)

उत्तर:

  1. एक भाग में शाही परिवार रह रहा था।
  2. ‘भवन’ का मॉडल भी प्रदर्शित किया जा रहा है।
  3. हम काफी ऊपर आ रहे थे।
  4. वे देवताओं की विशाल मूर्तियाँ बनवाएँगे।
  5. हम जैसलमेर स्टेशन पर उतरे हैं।
  6. इसी शहर से मीरा जैसी कृष्ण भक्त की यादें भी जुड़ रही थीं। .
  7. हम ‘चित्तौड़गढ़’ पहुँच जाते हैं।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों में विराम-चिह्नों का प्रयोग कीजिए।
1. इसमें ऐश्वर्य विलास और आमोद प्रमोद के सभी साधन उपलब्ध हैं
2. आज का हमारा पड़ाव जोधपुर था
उत्तर:
1. इसमें ऐश्वर्य, विलास और आमोद-प्रमोद के सभी साधन उपलब्ध हैं।
2. आज का हमारा पड़ाव ‘जोधपुर’ था।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके फिर से लिखिए।

  1. इसका निर्माण पर बीस वर्ष का समय लगा।
  2. अभी हम अपना दूसरे गंतव्य की ओर बढ़ना था।
  3. जयपोल तक आते-आते ही शहर नीचा रह जाता हैं।
  4. यह प्रवेश द्वार विजय की प्रतीक रूप में बनवाए गए हैं।

उत्तरः

  1. इसके निर्माण में बीस वर्ष का समय लगा।
  2. अभी हमें अपने दूसरे गंतव्य की ओर बढ़ना था।
  3. जयपोल तक आते-आते ही शहर नीचे रह जाता है।
  4. ये प्रवेश द्वार विजय के प्रतीक रूप में बनवाए गए हैं।

सर्वनाम पहचानकर लिखिए।

प्रश्न 1.
उसके परकोटे में बुर्जियाँ बनाई गई हैं।
उत्तरः
उसके – सर्वनाम

विशेषण पहचानकर लिखिए।

प्रश्न 1.
मेहरान गढ़ किला ऊँची दीवार के परकोटे से घिरा है।
उत्तरः
ऊँची – विशेषण

प्रश्न 2.
वाक्य के प्रकार पहचानकर लिखिए।

  1. कहीं बैठकखाना तो कहीं दीवानेखास हैं तो कहीं पेंटिंग्स एवं दरियाँ भी प्रदर्शित की गई हैं।
  2. चट्टानों को काटकर मूर्तियों को दर्शाया गया है।
  3. सभी की हृदयगति धड़क रही थी।
  4. ‘सम’ एक ग्राम है, जो होटल से ११-१२ कि. मी. दूर रेत की चादर पर बसा है।
  5. र्शनीय स्थलों में एक विशाल दुर्ग है, जिसके विषय में कहा जाता है कि गढ़ों में गढ़ चित्तौड़गढ़ बाकी सब गढ़ेया।
  6. इस भूमि पर त्याग भी है और बलिदान भी।

उत्तरः

  1. मिश्र वाक्य
  2. सरल वाक्य
  3. सरल वाक्य
  4. मिश्र वाक्य
  5. मिश्र वाक्य
  6. संयुक्त वाक्य

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों में से कारक छाँटिए और उनके भेद पहचानिए।

  1. वह ऊँची दीवार के परकोटे से घिरा है।
  2. उसके परकोटे में जगह-जगह बुर्जियाँ बनाई गई हैं।
  3. द्वारों की दीवारों पर जौहर करनेवाली वीरांगनाओं के हस्तचिह्न भी बने हैं।
  4. विक्रेता बच्चों के खिलौने बेच रहे थे।
  5. हम सब अपने गंतव्य पर पहुंच गए।
  6. रानी पद्मिनी ने जौहर कुंड में अपने प्राण समर्पित कर दिए थे।
  7. महाराणा प्रताप ने देश के लिए अपने प्राण अर्पण किए।

उत्तर:

  1. से – करण कारक
  2. में – अधिकरण कारक
  3. पर – अधिकरण कारक
  4. के – संबंध कारक
  5. पर – अधिकरण कारक
  6. ने – कर्ता कारक
  7. के – संप्रदान कारक

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के संधि-विच्छेद कीजिए।

  1. नरेश
  2. गायक
  3. जलाशय
  4. मनोरम
  5. तत्काल
  6. स्वागत
  7. मनोरंजक

उत्तर:

  1. नर + ईश
  2. गै + अक
  3. जल + आशय
  4. मनः + रम
  5. तत् + काल
  6. सु + आगत
  7. मनः + रंजक

प्रश्न 5.
निम्नलिखित क्रियाओं के प्रथम तथा द्वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए।
1. दिखना
2. करना
उत्तर:
1. दिखाना – दिखवाना
2. कराना – करवाना

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प्रश्न 6.
निम्नलिखित क्रिया शब्द के प्रथम तथा द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया रूप लिखिए।
उत्तर:

मूल क्रिया प्रथम प्रेरणार्थक द्वितीय प्रेरणार्थक
1. सुनना सुनाना उतारना
2. उतरना सुनवाना उतरवाना

वीरभूमि पर कुछ दिन Summary in Hindi

लेखक-परिचय:

जीवन-परिचय: रुक्मणी संगल का जन्म 1 सितंबर 1945 को बुढ़ाना (उत्तर प्रदेश) में हुआ। वह एक आधुनिक लेखिका हैं। इनके द्वारा लिखे गए यात्रा वर्णनपरक लेख प्रसिद्ध हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन करने का कार्य रुक्मणी जी कर रही हैं। प्रमुख कृतियाँ: ‘दिनकर के काव्य में जीवन मूल्य’ विषय पर शोध प्रबंध।

गद्य-परिचय:

यात्रा वर्णन: यात्रा वर्णन में अपने द्वारा किए गए किसी पर्यटन की अपनी अनुभूतियों, प्रकृति कला का पर्यवेक्षण, स्थान की विशेषताओं
आदि का लगावपूर्ण वर्णन किया जाता है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत पाठ यात्रा वर्णनपरक है। इस पाठ में लेखिका ने वीरभूमि राजस्थान की यात्रा का बड़ा ही मनोहारी वर्णन किया है। वहाँ के गढ़, किले, महल एवं वहाँ की कला-संस्कृति का सुंदर वर्णन किया है।

सारांश:

रुक्मणी जी को ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा करना बहुत अच्छा लगता है। लेखिका ने वीरभूमि राजस्थान की यात्रा का वर्णन इस पाठ में किया है। वहाँ के शाही महल एवं उनकी कलात्मकता का चित्रमय वर्णन पाठ में हुआ है। मेहरान गढ़ किला राजस्थान की कला का एक सुंदर उदाहरण है। पटवा की हवेलियाँ कलात्मक वास्तु शिल्प का अद्भुत नमूना है। चित्तौड़गढ़ के दर्शनीय स्थल सभी पर्यटकों के आकर्षक केंद्र हैं। सचमुच राजस्थान सिर्फ एक वीरभूमि ही नहीं बल्कि कला संस्कृति की अनुपम भूमि भी है।

शब्दार्थ:

  1. गति – वेग
  2. अल्पाहार – नाश्ता
  3. भवन – महल या प्रासाद
  4. आमोद-प्रमोद – मनोरंजन
  5. शाही – राजवंशी
  6. मनोहर – सुंदर
  7. समीप – पास
  8. अपभ्रंश – शब्द का बिगड़ा हुआ रूप
  9. आकांक्षा – इच्छा
  10. लौहपथगामिनी – रेल
  11. भाँति-भाँति – तरह-तरह की
  12. पंक्तिबद्ध – क्रमबद्ध, एक के बाद एक
  13. सन्नद्ध – एकाग्र या व्यस्त
  14. परकोटा – गढ़ या किले की रक्षा के लिए बनाया गया घेरा जिसके ऊपर टहलने के लिए जगह होती है।
  15. मनभावन – मन को आकर्षित करनेवाली
  16. जौहर – वीर राजपूत स्त्रियों ने दुश्मनों से अपनी लाज एवं प्रतिष्ठा बरकरार रखने के लिए अपने आप को अग्निकुंड में समर्पित कर दिया था।
  17. उनके इस कार्य को जौहर कहा जाता है।
  18. सैलाब – पानी की बाढ़

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मुहावरे:

1. दृष्टिगोचर होना – दिखाई देना।
2. दस्तक देना – दरवाजा खटखटाना।

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Class 9 Hindi Chapter 8 Udann Question Answer Maharashtra Board

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पठनीय:

प्रश्न 1.
‘दहेज’ जैसी सामाजिक समस्याओं को समझते हुए इसके संदर्भ में जनजागृति करने हेतु घोषवाक्यों का वाचन कीजिए।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान

श्रवणीय:

प्रश्न 1.
हिंदी-मराठी भाषा के प्रमुख गजलकारों की गजल रचना सुनिए और सुनाइए।

कल्पना पल्लवन:

प्रश्न 1.
‘मैं चिड़िया बोल रही हूँ इस विषय पर स्वयंप्रेरणा से लेखन कीजिए।

आसपास:

प्रश्न 1.
अंतरजाल की सहायता लेकर कोई कविता पढ़िए और निम्न मुद्दों के आधार पर आशय स्पष्ट कीजिए:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान 1

पाठ के आँगन में…

1. सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

प्रश्न 1.
सही पर्याय चुनकर लिखिए।
परों में शक्ति हो तो ………..
उत्तर:
(क) उपलब्ध नभ को नापना है।
(ख) उपलब्ध जल को नापना है।
(ग) भू को नापना है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान

प्रश्न 2.
सुलगते आप, बाहर से …………
(क) तपन नहीं माँगा करते।
(ख) अगन नहीं माँगा करते।
(ग) बुझन नहीं माँगा करते।
उत्तर:
1. परों में शक्ति हो तो उपलब्ध नभ को नापना है।
2. सुलगते आप, बाहर से अगन नहीं माँगा करते।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित काव्य पंक्तियों का सरल भावार्थ लिखिए। अँधेरे के इलाके में ………….. नमन माँगा नहीं करते।
भावार्थ:
प्रस्तुत गजल में कवि कहते हैं, “इंसान के पास स्वाभिमान का होना बेहद जरूरी होता है। उसे अँधेरे के इलाके में किरण नहीं माँगनी चाहिए। यानी जब संकट की स्थिति आ जाएँ; तब इंसान को स्वयं ही उसके साथ संघर्ष करना चाहिए। किसी से मदद नहीं मांगनी चाहिए। जहाँ पर कंटकों का यानी काँटों का बन होता है; वहाँ पर काँटों के अलावा कुछ नहीं होता है। वहाँ पर सुमन नहीं हो सकते हैं। अर्थात संकट की परिस्थितियों में सर्वत्र काँटे-ही-काँटे होते हैं। वहाँ पर दुख-दर्द व पीड़ा ही होती है। वहाँ पर हम सुख की अपेक्षा नहीं कर सकते।”

“जो व्यक्ति सचमुच आदर का अधिकारी है उसके सामने दुसरे लोगों के मस्तक अपने आप झुक जाते हैं। ऐसे व्यक्ति को किसी से नमन या आदर मांगने की जरूरत नहीं होती बल्कि उसे तो अपने आप आदर मिल जाता है। व्यक्ति के पास विनम्रता होनी चाहिए।”

प्रश्न 4.
कविता द्वारा दिया गया संदेश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तरः
प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि ने व्यक्ति को मानवीय गुणों को स्वीकार करने के लिए कहा है। स्वाभिमान, विनम्रता, दूरदृष्टि, बुलंद हौसले आदि गुणों को स्वीकार करने से व्यक्ति प्रगति की ऊंची उड़ान भर सकता है। फिर उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं होगा। जिस व्यक्ति के पास मानवीय गुण होते हैं उन्हें किसी के भी पास हाथ फैलाने की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे लोगों को समाज में मान-सम्मान कीर्ति व यश अपने आप मिल जाता है। अत: व्यक्ति के पास मानवीय गुणों का होना जरूरी होता है।

प्रश्न 5.
कविता में प्रयुक्त विरामचिह्नों के नाम लिखकर उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तरः
(,) – अल्पविराम
बाक्य: राम ने दुकान से शक्कर, मिठाई व खजूर लाए।
(|) – पूर्णविराम
वाक्य: अजय शहर गया है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान

प्रश्न 6.
संजाल
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान 2
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान 3

कल्पना पल्लवन:

प्रश्न 1.
“”मैं चिड़िया बोल रही हूँ।” इस विषय पर स्वयंप्रेरणा से लेखन कीजिए।
उत्तरः
“पंछी बनू उड़ती फिरूं मस्त गगन में
आज मैं आजाद हूँ दुनिया के चमन में।”

मुझे आज भी याद है पुरानी फिल्म का यह गीत । सचमुच पंछी बनकर खुले आसमान में विचरण करना सभी को अच्छा लगेगा। किसी की कुछ भी रोक-टोक नहीं और नहीं किसी-का कुछ झंझट । बस सिर्फ आसमान में स्वच्छंद होकर उड़ना। बताओ किसे अच्छा नहीं लगेगा? संध्या समय पीपल के नीचे बैठकर मेरे मन में ये विचार आ ही रहे थे तभी अचानक पीपल के पेड़ पर बैठी एक चिड़िया ने ची-चीं करते हुए मुझे आवाज दी और वह मेरे समक्ष आकर बैठ गई। फिर अपने बारे में कहने लगी।

“मैं हूँ नन्ही-सी, प्यारी-सी चिड़िया। इस पेड़ पर ही मेरा निवास है। देख रही हो वह घोंसला? कितने प्यार से मैंने बनाया है! उसका निर्माण करने के लिए मुझे तकरीबन एक महीना लगा है। न जाने मैंने कहाँ-कहाँ से उसे तैयार करने के लिए सामग्री इकट्ठा की है? बस ईश्वर ही इस बात का साक्षी है। मैंने अपनी चोंच में तिनका-तिनका लाकर स्वयं के लिए सुंदर भवन का निर्माण किया है। उस घोंसले में मेरे दो अंडे हैं। अब जल्द ही दो नन्हे-मुन्ने बच्चे मेरे घर आएँगे। अब मैं उन्हीं का इंतजार कर रही हूँ।

पीपल के इस पेड़ पर पहले मेरे कई भाई-बहन रहा करते थे। तोता, मैना आदि मेरे भाई बहन मनुष्य द्वारा निर्मित प्रदूषण के शिकार हो गए। अब न इस पेड़ पर कोई तोता आकर बैठता है और न कोई मैना। कौओं की भी काँव-काँव अब पहले जैसे सुनाई नहीं दे रही है। मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की। इसका परिणाम यह हुआ कि पक्षियों की संख्या कम होती गई। अब तो शहरों से पक्षी नदारद हो गए हैं।

मैंने सुना है कि कुछ संस्थाएँ पक्षी-दर्शन जैसे कार्यक्रमों का आयोजन करती रहती हैं और कर्नाला पक्षी अभयारण्य जैसे स्थलों पर जाती रहती है। लेकिन मेरी प्यारी बहना, सच कहूँ तो वहाँ पर भी अब पहले जैसे पंछी नहीं रहें। पहले जैसे पंछियों का कलरव अब सुनाई नहीं देता है। इसके लिए इंसान ही जिम्मेदार है। यह सब उसी के कार्य का परिणाम है। यदि इंसान अपने किए कराए से बाज नहीं आएगा; तो भविष्य में अपने लिए गड्ढा स्वयं ही खोद लेगा।

हम ही इस सुंदर धरती का अंश हैं। हमें भी जीवन जीने का अधिकार है। आखिर हम भी एक जीव हैं। इंसान को कोई अधिकार नहीं है कि वह हमारे अधिकार को छीन लें। उसे प्राकृतिक संतुलन के बारे में सोचना चाहिए। जब इंसान “जिओ और जीने दो” इस सूत्र को अपनाएगा तब उसका जीवन भी खुशहाल हो जाएगा और यह प्यारी धरती फिर से ‘सुजलाम् सुफलाम्’ बन जाएगी।

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Hindi Lokbharti 9th Answers Chapter 8 उड़ान Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान 4

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान 5

कृति (3) भावार्थ

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए। परों में शक्ति …………….. गगन माँगा नहीं करते।
भावार्थः
प्रस्तुत गजल में कवि कहते हैं, “जिनके पंखों में शक्ति होती है वे संपूर्ण आसमान को नाप लेते हैं। यानी जिनके पास साहस व वीरता होती है या जिनके हौसले बुलंद होते हैं; वे असंभव कार्य को संभव करते हैं। जैसे कि आसमान में विचरण करना या उड़ना तो पंछियों का काम होता है और वे तो गगन में नित्य संचार करते रहते हैं। उन्हें उड़ने के लिए किसी से गगन माँगने की आवश्यकता नहीं होती है अर्थात जहाँ चाह, वहाँ राह अपने आप निर्माण हो जाती है।’

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(ख) पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए।

प्रश्न 1.
व्यक्ति को इसके सपने अपने आप आते हैं ……………
उत्तर:
(क) जिससे वह मन व प्राण से प्यार करता है।
(ख) जिससे वह नफरत करता है।
(ग) जिससे वह सहायता की अपेक्षा करता है।

प्रश्न 2.
ये अग्नि की माँग नहीं करते हैं …….
(क) जिन्होंने पश्चात्ताप की अग्नि में जलना स्वीकार किया है।
(ख) जिन्होंने पश्चात्ताप की अग्नि में जलना अस्वीकार किया है।
(ग) जन्होंने पश्चात्ताप की अग्नि में दूसरों को जलाना तय किया
उत्तर:
1. व्यक्ति को इसके सपने अपने आप आते हैं जिससे वह मन व प्राण से प्यार करता है।
2. ये अग्नि की माँग नहीं करते हैं जिन्होंने पश्चात्ताप की अग्नि में जलना स्वीकार किया है।

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
पद्यांश पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर
निम्न शब्द हों।
1. निमंत्रण
2. पश्चात्ताप
उत्तर:
1. किसके बिना सपने अपने आप आते हैं?
2. पद्यांश में किस अग्नि में जलने की बात हो रही है?

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कृति (4) भावार्थ

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए। जिसे मन प्राण …………….. माँगा नहीं करते।
भावार्थ:
जिन लोगों ने अपने आप को पश्चात्ताप की आग में जलना स्वीकार कर लिया है, उन्हें कैसे कोई रोक सकता है? ऐसे लोग पश्चात्ताप की अग्नि में अंदर से सुलगते रहते हैं; लेकिन वे बाहर से अग्नि की माँग नहीं करते हैं। पश्चात्ताप की अग्नि से बढ़कर कोई दूसरी अग्नि नहीं हो सकती।

(ग) पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान 6

प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान 7

कृति (3): भावार्थ

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए। खुशबू देती है …………….. धूपदान होती है।
भावार्थ:
प्रस्तुत पंक्ति ‘उड़ान’ इस गजल से ली गई है और इसके कवि चंद्रसेन विराट जी हैं। धूप जब जलता है; तब वह सभी को खुशबू देता है। शायर की जिंदगी भी धूपदान की तरह होती है। वह अपनी शायरी से लोगों के जीवन में खुशबू भर देता है।”

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पद्य-विश्लेषण:

  • कविता का नाम – उड़ान
  • कविता की विधा – गजल
  • पसंदीदा पंक्ति – एक बहरे को एक गूंगा दे, जिंदगी वो बयान होती है।
  • पसंदीदा होने का कारण – उपर्युक्त पंक्ति मुझे बेहद पसंद है क्योंकि उसमें एकदूसरे की सहायता करने से जिंदगी बड़े आराम से कटती है।
  • कविता से प्राप्त संदेश या प्रेरणा – प्रस्तुत कविता से प्रेरणा मिलती है कि व्यक्ति को स्वाभिमानी व विनम्र होना चाहिए। उसके हौसले बुलंद होने चाहिए। उसे मानवीय गुणों को अपनाकर स्वयं का जीवन सुंदर बनाना चाहिए।

उड़ान Summary in Hindi

कवि-परिचय:

जीवन-परिचय: कवि चंद्रसेन विराट जी हिंदी साहित्य के आधुनिक रचनाकारों में से एक हैं। इनका जन्म ३ दिसंबर १९३६ को इंदौर मध्य
प्रदेश में हुआ। ये हिंदी साहित्य जगत में गजलकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। इन्होंने अपनी गजलों में आम आदमी के जीवन
को अभिव्यक्त करने का सफल प्रयास किया है। इन्होंने गजल के साथ-साथ गीतों का भी लेखन किया है।

प्रमुख कृतियाँ: गीत संग्रह – ‘मेंहदी रची हथेली’, ‘स्वर के सोपान’, ‘मिट्टी मेरे देश की’, ‘धार के विपरीत’ आदि; गजल संग्रह – ‘आस्था
के अमलतास’, ‘कचनार की टहनी’, ‘न्याय कर मेरे समय’ आदि; मुक्तक संग्रह – कुछ पलाश कुछ पाटल, ‘कुछ सपने’, ‘कुछ सच’ आदि।

पदय-परिचय:

गजल: गजल काव्य विधा का एक प्रकार है। एक ही बहर और वजन के अनुसार लिखे गए शेरों के समूह को ‘गजल’ कहते हैं। गजल
के पहले शेर को ‘मतला’ और अंतिम शेर को ‘मकता’ कहते हैं।

प्रस्तावना: ‘उड़ान’ इस गजल में गजलकार चंद्रसेन विराट जी ने मानवीय मूल्यों के दर्शन करवाए हैं। व्यक्ति के पास स्वाभिमान, विनम्रता, दूरदृष्टि व बुलंद हौसले होने चाहिए। इन गुणों से ही जीवन में व्यक्ति ऊँचा उठता है।

सारांश:

प्रस्तुत कविता गजल विधा में लिखी गई है। व्यक्ति के पास मानवीय गुणों का होना बहुत जरूरी होता है। मानवीय गुणों के कारण व्यक्ति का व्यक्तित्व विकसित होता है। व्यक्ति के पास स्वाभिमान का होना बेहद जरूरी होता है। स्वाभिमान के कारण व्यक्ति ऊँचा उठता है। जिसके पास विनम्रता होती है; उसे समाज में आदर अपने आप मिलता है। जिनके हौसले बुलंद होते हैं; उनके लिए असंभव कुछ भी नहीं होता। जीवन में व्यक्ति को एक-दूसरे की सहायता करनी चाहिए। जीवन में सभी को खुशी देने का प्रयास करना चाहिए। आखिर चार दिन की जिंदगी होती है। उसी में स्वयं खुश रहकर दूसरों के भी जीवन में खुशियाँ भर देनी चाहिए।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान

शब्दार्थ:

  1. अगन – अग्नि, आग
  2. सायबान – छाया देने वाला
  3. बयान – वक्तव्य
  4. तीर – बाण
  5. कमान – धनुष
  6. इलाका – क्षेत्र
  7. कंटक – काँटा
  8. आदर – सम्मान
  9. पर – पंख
  10. थकान – थकावट
  11. शायर – शायरी लिखने वाला

भावार्थ:

अँधेरे के इलाके में ………………. सुमन माँगा नहीं करते।

प्रस्तुत गजल में कवि कहते हैं, “इंसान के पास स्वाभिमान का होना बेहद जरूरी होता है। उसे अँधेरे के इलाके में किरण नहीं माँगनी चाहिए। यानी जब संकट की स्थिति आ जाए; तब इंसान को स्वयं ही उसके साथ संघर्ष करना चाहिए। किसी से मदद नहीं माँगनी चाहिए। जहाँ पर कंटकों का यानी काँटों का वन होता है वहाँ पर काँटों के अलावा कुछ नहीं होता है। वहाँ पर सुमन नहीं हो सकते हैं। अर्थात संकट की परिस्थितियों में सर्वत्र काँटे-ही-काँटे होते हैं। वहाँ पर दुख-दर्द व पीड़ा ही होती है। वहाँ पर हम सुख की अपेक्षा नहीं कर सकते।

Hindi Lokbharti 9th Std Digest दूसरी इकाई

Class 9 Hindi Chapter 11 Nirmano Ke Pawan Yug Mein Question Answer Maharashtra Board

Std 9 Hindi Chapter 11 Nirmano Ke Pawan Yug Mein Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Lokbharti Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Lokbharti 9th Digest Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में Questions And Answers

Hindi Lokbharti 9th Std Digest Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में Textbook Questions and Answers

संभाषणीय

प्रश्न 1.
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में 1
उत्तरः
आजादी के बाद का भारत अपनी आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए बहुत ही संघर्षरत और उत्साह से भरा था। कृषि, शिक्षाउद्योग आदि के क्षेत्र में वह दिनोंदिन प्रगति के राह पर आगे बढ़ रहा था। अक्टूबर 1952 में चीन ने भारत के ऊपर हमला कर दिया। भारत इस लड़ाई से उबर ही पाया था कि 1935 में दूसरे पड़ोसी देश पाकिस्तान ने भारत के ऊपर हमला किया, भारत ने इसका मुँहतोड़ जवाब दिया। 1971 में पुन: पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण किया परंतु इस बार पाकिस्तान की करारी हार हुई और बांग्लादेश का उदय हुआ। 1955 में भारत की बागडोर प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के हाँथ में आ गई।

उन्होंने हरित क्रांति की शुरूआत की। भारत ने कृषि के क्षेत्र में संतोषजनक प्रगति की । बैंको का राष्ट्रीकरण किया गया। 1974 को पोखरन में परमाणु परीक्षण कर भारत विश्व का छठवाँ परमाणु ताकत बन गया। प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने 1975 में अपातकाल की घोषणा कर दी। देश के बड़े-बड़े विपक्षी नेता गिरफ्तार कर लिए गए। प्रेस की आज़ादी पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

खेल के क्षेत्र में भी भारत प्रगति कर रहा था। 1882 में भारत ने नवें एशियाई खेलों का सफल आयोजन किया। भारतीय क्रिकेट टीम ने वेस्ट इंडीज को हराकर पहली बार विश्व कप जीता। विज्ञान के क्षेत्र में 1982 में रंगीन टेलीविज़न की शुरूआत हुई। भारत का अपना बहुउद्देशीय संचार और मौसम उपग्रह इंसेट-1बी प्रक्षेपित किया गया। 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई। 31 अक्टूबर 1984 को राजीव गांधी भारत के प्रधान मंत्री बने।

उनके कार्यकाल में सतह से सतह पर मार करनेवाले पृथ्वी प्रक्षेपास्त का सफल परीक्षण हुआ। 1992 में धार्मिक राजनीति चरण सीमा पर थी। जिसके चलते अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद का ढाँचा ध्वस्त कर दिया गया जिससे भारत में हिंसा भड़क गई और मुंबई में श्रृंखलाबद्ध विस्फोट किए गए। इस विस्फोट में सैकड़ों लोग मारे गए। 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल का युद्ध लड़ा गया। इस बार भी पाकिस्तान को मुँह की खानी पड़ी।

2001 में संसद भवन पर आतंकी हमला हुआ इस हमले में सम्मिलित आतंकवादी मारे गए। यह देश की सुरक्षा व्यवस्था में एक बड़ी सेंध थी। 2004 में डॉ. मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री बने। वह एक बड़े अर्थशास्त्री भी थे। उन्होंने देश के गरीबों के लिए फूड्स बिल संसद में लाया। अब गरीबों को 2 रुपए प्रति किलो गेंहू तथा 3 रुपए प्रति किलो चावल उपलब्ध होने लगा। 2014 में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन हुआ। इस बार व्यक्ति विशेष के नाम पर जनता ने मतदान किया और नरेंद्र मोदी को भारत का प्रधानमंत्री बनाया इनसे भारत के लोगों को बड़ी उम्मीद है।

उन्होंने कई नई योजना की शुरूवात की। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ऐतिहासिक फैसला लेते हुए नोटबंदी किया, सफाई अभियान की शुरूआत की, देश के हर व्यक्ति को बैंक से जोड़ने का कार्य किया। इस समय भारत अपने विदेश नीति में भी महत्त्वपूर्ण स्थान पर पहुँच गया है। विदेश के बहुत सारे देशों से भारत इनके मधुर संबंध हो गए हैं। व्यापारिक समझौते हुए हैं। इस समय भारत को विश्व की महाशक्तियों में गिना जाने लगा है। सामाजिक दृष्टि से भी वह शक्तिशाली देशों की श्रेणी में पहुँच गया है। इस समय शिक्षा, व्यापार उद्योग आदि क्षेत्र में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में

पठनीय:

‘पर्यावरण और मानव’ पर आधारित पथनाट्य (नुक्कड़ नाट्य) पढ़कर प्रस्तुत कीजिए।

लेखनीय:

प्रश्न 1.
देश हित के लिए आप क्या करते हैं? अपने विचार स्पष्ट व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
देशहित एक पवित्र कार्य है। प्रत्येक व्यक्ति को स्वहित की अपेक्षा देशहित के बारे में सोचना चाहिए।
‘जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं।
वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।

यदि मैं स्वयं का विचार करूँ तो मेरे लिए निजी हित की अपेक्षा देशहित सर्वोपरि है। देशहित के लिए मैं सभी नियमों का पालन करने के साथ ही विनम्र और देश के प्रति जिम्मेदारियों के लिए वफादार हूँ। मैं अपने चारों ओर साफ-सफाई रखने के लिए स्वच्छता अभियान में भाग लेता हूँ। सभी को बेकार वस्तुओं को कड़ेदान में डालना और सार्वजनिक वस्तुओं की देखभाल करना सिखाता हूँ।

मैं एक-दूसरे के प्रति सम्मान की भावना रखता हूँ। देश के कल्याण के लिए बनाई गई सामाजिक व आर्थिक नीतियों का भी सम्मान करता हूँ। मैं अपने देश को दुनिया में सबसे अच्छा देश बनाने के लिए प्रयास करता रहता हूँ।

आसपास:

प्रश्न 1.
अपने आसपास/परिवेश में घटित होने वाली समाज आसपास विघातक घटनाओं की रोकथाम से संबंधित अपना मत प्रस्तुत कीजिए।
उत्तरः
भ्रष्टाचार, आरक्षण, भ्रूण-हत्या, दहेज प्रथा, आदि समाज विघातक घटनाएँ हैं। भ्रष्टाचार भारतीय समाज में सबसे तेजी से उभरने वाला मुद्दा है। मनुष्य अपने निजी स्वार्थों की खातिर देश को खोखला कर रहा है। अतः मनुष्य को सदाचार को अपनाना चाहिए ताकि भ्रष्टाचार अपने-आप समाप्त हो जाएगा। भ्रूण हत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस विषय पर स्थिति बहुत ही चिंताजनक है। लोग कन्या जन्म चाहते ही नहीं है। सबको पुत्र चाहिए। इस पर रोक लगाने के लिए चिकित्सा के लिए मजबूत नीति सबंधी नियमावली होनी चाहिए। सभी महिलाओं के लिए तुरंत शिकायत रजिस्ट्रेशन प्रणाली होनी चाहिए।

आम लोगों को जागरुक करने के लिए कन्या भ्रूण हत्या जागरुकता कार्यक्रम होना चाहिए। दहेज जैसी कुप्रथा के प्रति लोगों की मानसिकता में बदलाव लाया जाना चाहिए। अंतर्जातीय विवाह को प्रोत्साहन देना चाहिए। आरक्षण वास्तव में समाज के उन्हीं लोगों के लिए हितकर हो सकता है जो अपंग हैं, शिक्षा और गुण होते हुए भी अन्य लोगों से जीवन में पीछे रह जाते हैं। उन गरीब लोगों के लिए भी आरक्षण आवश्यक है, जो गुणी होते हुए भी गरीबी में जीवन बिता रहे हैं। आज यदि हम देश को उन्नति की ओर ले जाना चाहते हैं और देश की एकता बनाए रखना चाहते हैं. तो जरूरी है कि आरक्षण को हटाकर हम सबको समान रूप से शिक्षा दे और उन्नति का अवसर पाने का मौका दें।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में

पाठ के आँगन में…

1. सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

प्रश्न (क)
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में 2
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में 3

2. कृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न (ख)
कृति पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में 4
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में 5

पाठ से आगे:

प्रश्न 1.
स्वामी विवेकानंद जी की जीवनी का अंश पढ़कर टिप्पणी लिखिए।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में

भाषा बिंदु

प्रश्न 1.
निम्न शब्दों के अर्थ शब्दकोश की सहायता से ढूंढ़िए तथा उचित शब्द रिक्त स्थानों में लिखिए।

  1. आर्यभट्ट ने शून्य की …………….. की। (खोज, अनुसंधान, आविष्कार)
  2. प्रगति के लिए आपसी ……………….. आवश्यक है। (ईर्ष्या, भागदौड़, स्पर्धा)
  3. कार्यक्रम को शुरू करने के लिए अध्यक्ष महोदय की ………… चाहिए। (अनुमति, आज्ञा, आदेश)
  4. काले बादलों को देखकर बारिश की …………. है। (आशंका, संभावना, अवसर)
  5. सड़क-योजना में सैकड़ों मजदूरों को …………. रोजगार मिला। (निर्माण, निर्मिति, सृजन)

उत्तरः

  1. खोज
  2. स्पर्धा
  3. अनुमति
  4. संभावना
  5. निर्माण

Hindi Lokbharti 9th Answers Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में 6

सही पर्याय चुनकर लिखिए।

प्रश्न 1.
चरित्र निर्माण से आप समझते हैं कि
(क) नए-नए अविष्कार करना।
(ख) महापुरुषों के चरित्र (जीवनियाँ) पढ़ना।
(ग) स्वयं के चरित्र को उज्ज्वल बनाना।
उत्तर:
चरित्र निर्माण से आप समझते हैं कि स्वयं के चरित्र को उज्ज्वल बनाना।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में

उत्तर लिखिए।

प्रश्न 1.
साहस को क्या स्वीकार नहीं है?
उत्तर:
मँझधारों में डूबना साहस को स्वीकार नहीं है।

कृति (2) आकलन कृति

समझकर लिखिए।

प्रश्न 1.
काव्य-पंक्तियों में प्रयुक्त आँधी शब्द का कविता से संबंधित अर्थ है।
(क) मुसलाधार बारिश के कारण आनेवाला तूफान।
(ख) प्रत्येक व्यक्ति के निजी स्वार्थ के कारण आनेवाला तूफान।
उत्तरः
प्रत्येक व्यक्ति के निजी स्वार्थ के कारण आनेवाला तूफान।

प्रश्न 2.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

(अ) (ब)
1. पावन (क) सिंधु
2.  स्वार्थ (ख) समस्या
3. अगम (ग) युग
4.  नूतन (घ) अनुसंधान
5. जटिल (ङ) साधना

उत्तरः

(अ) (ब)
1. पावन (ग) युग
2.  स्वार्थ (ङ) साधना
3. अगम (क) सिंधु
4.  नूतन (घ) अनुसंधान
5. जटिल (ख) समस्या

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में

सही शब्द चुनकर वाक्य फिर से लिखिए।

प्रश्न 1.
1. डूबना/मरना मँझधारों में साहस को स्वीकार नहीं है।
2. मानो अगम अगाध सिंधु/ बिंदु में संघर्षों का पार नहीं है।
उत्तर:
1. डूबना मँझधारों में साहस को स्वीकार नहीं है।
2. माना अगम अगाध सिंधु में संघर्षों का पार नहीं है।

कृति (3) भावार्थ

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पद्यांश का भावार्थ लिखिए।
निर्माणों के पावन युग …………….. कल्याण न भूलें!
भावार्थ:
कवि कहते हैं कि आज का युग विज्ञान एवं तकनीकी का युग है। विज्ञान और तकनीकी के इस युग में नई-नई चीजों की खोज हो रही है। नए-नए आविष्कार हो रहे हैं। व्यक्ति का भौतिक विकास हो रहा है। ऐसे में, व्यक्ति को अपने चरित्र-निर्माण पर भी बल देना चाहिए। उसे अपने व्यक्तिगत स्वार्थ का त्याग कर मानव जाति के कल्याण के लिए आगे बढ़ना चाहिए।

(ख) पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में 7

निम्नलिखित कथन सत्य है या असत्य लिखिए।

प्रश्न 1.
1. नैतिक आधार के बिना शिक्षा व्यर्थ है।
2. शील, विनय, आदर्श, श्रेष्ठता चरित्र निर्माण के साधन नहीं है।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में

कृति (2) आकलन कृति

एक वाक्य में उत्तर लिखिए।

प्रश्न 1.
हमें कीर्ति कौमुदी की गरिमा में क्या नहीं भूलना चाहिए?
उत्तरः
हमें कीर्ति कौमुदी की गरिमा में संस्कृति का सम्मान नहीं भूलना चाहिए।

सही शब्द चुनकर वाक्य फिर से लिखिए।

प्रश्न 1.
तार बिना झंकार/ श्रृंगार नहीं है।
उत्तरः
तार बिना झंकार नहीं है।

प्रस्तुत पद्यांश को पढ़कर एक ऐसा प्रश्न बनाइए कि जिसका उत्तर निम्न शब्द हो।

प्रश्न 1.
शिक्षा
उत्तर:
नैतिक आधार के बिना कौन स्वर साध नहीं सकेगी?

कृति (3) भावार्थ

निम्नलिखित पद्यांश का भावार्थ लिखिए।

प्रश्न 1.
शील, विनय,…………………. न भूलें!!
भावार्थ:
जिस प्रकार तार के बिना झंकार सुनाई नहीं देती। उसी प्रकार शील, विनय, आदर्श व श्रेष्ठता के बिना मनुष्य का चरित्र उज्ज्वल नहीं बन सकता। सच्ची शिक्षा वही होती है, जिसका आधार नैतिकता हो। मनुष्य को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसे यश, ख्याति, प्रसिद्धि रूपी उज्ज्वल चाँदनी के गौरवमय प्रकाश में अपनी संस्कृति का सम्मान करना नहीं भूलना चाहिए।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में

(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
सहसंबंध लिखिए।
जैसे – मानव : प्यार
1. प्राणी: …….
2. जीवन: ……
उत्तर:
1. उपकार
2. उत्थान

कृति (2) आकलन कृति

1. समझकर लिए

प्रश्न 1.
‘जीवन-उत्थान’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जीवन की चारित्रक उन्नति

प्रश्न 2.
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में 8

सही पर्याय चुनकर लिखिए।

प्रश्न 1.
कवि का ‘भौतिक उत्थान’ से तात्पर्य ………. है।
(क) आध्यात्मिक उन्नति
(ख) सांसारिक उन्नति
(ग) मानव की उन्नति
उत्तरः
कवि का ‘भौतिक उत्थान’ से तात्पर्य सांसारिक उन्नति है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में

कृति (3): भावार्थ

निम्नलिखित पद्यांश का भावार्थ लिखिए।

प्रश्न 1.
“अविष्कारों की ……………….जीवन का उत्थान।”
भावार्थः
निर्माण के इस पावन युग में मनुष्य नए-नए आविष्कार कर रहा है। भले ही मनुष्य आविष्कार कर रहा है, पर यदि उस में आविष्कार के प्रति प्रेम नहीं है, मानवता की भावना नहीं है; शांति की कामना नहीं है। प्राणी मात्र पर उपकार करने का भाव नहीं है, तो उसके द्वारा किए गए विज्ञानरूपी आविष्कार व्यर्थ हैं। ऐसे आविष्कार आविष्कृत होने के बावजूद भी सृजनहीन है। भले ही मनुष्य सांसारिक उन्नति कर रहा है। फिर भी उसे अपने जीवन की उन्नति के बारे में नहीं भूलना चाहिए। जीवन की उन्नति तभी संभव है, जब मनुष्य के हृदय में प्रेम, मानवता, सहृदयता, नैतिकता व शांति का सृजन होगा।

पद्य-विश्लेषण

  • कविता का नाम – निर्माणों के पावन युग
  • कविता की विधा – आधुनिक कविता
  • पसंदीदा पंक्ति – निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें। स्वार्थ साधना की आँधी में हम वसुधा का कल्याण न भूलें।
  • पसंदीदा होने का कारण – उपर्युक्त पंक्ति मुझे बेहद पसंद है क्योंकि उसमें चरित्र निर्माण की बात कही गई है। व्यक्ति के पास उज्ज्वल चरित्र होना चाहिए। उसे अपने चरित्र से दूसरों पर प्रभाव निर्माण करना चाहिए।
  • कविता से प्राप्त संदेश या प्रेरणा – प्रस्तुत कविता से प्रेरणा मिलती है कि व्यक्ति का चरित्र संपन्न एवं समृद्ध होना चाहिए।

स्वयं का चरित्र उज्ज्वल बनाने के लिए व्यक्ति को मानवीय गुणों का अपनाना चाहिए। स्वार्थ भाव का त्याग कर व्यक्ति को नि:स्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करनी चाहिए। व्यक्ति को ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का पालन करना चाहिए। नए-नए अनुसंधान में व्यस्त रहकर व्यक्ति को अपनी संस्कृति का भी सम्मान करना चाहिए।

निर्माणों के पावन युग में Summary in English

कवि-परिचय:

जीवन-परिचय: अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में हुआ था। अटल बिहारी वाजपेयी जी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री के साथ-साथ एक प्रबुद्ध कवि, प्रखर वक्ता व पत्रकार के रूप में कार्यरत रहे हैं। राष्ट्रीय-भावना से ओत-प्रोत कई पत्रिकाओं का इन्होंने संपादन भी किया है। ब्रजभाषा व खड़ी बोली में काव्य रचना इनकी प्रमुख विशेषता रही है। ‘पद्मविभूषण’, ‘लोकमान्य तिलक पुरस्कार’ व ‘भारत रत्न पुरस्कार’ से उन्हें पुरस्कृत किया गया है।

प्रमुख कृतियाँ: कविता संग्रह – मेरी इक्यावन कविताएँ’, गद्य रचनाएँ – ‘कुछ लेख: कुछ भाषण’, ‘बिंदु-बिंदु विचार’, ‘मृत्यु या हत्या’, ‘संसद में तीन दशक’, ‘सेक्युलरवाद’ आदि।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में

पद्य-परिचय:

कविता: रस और अलंकार से परिपूर्ण, सुंदर अर्थ प्रकट करने वाली, हृदय की मुक्ति की साधना के लिए मनुष्य की वाणी से निकली
शब्द रचना कविता कहलाती है। कविता मनुष्य को स्वार्थ संबंधों के संकुचित घेरे से ऊपर उठाती है और शेष सृष्टि से सुरीला संबंध जोड़ने में सहायक होती है।

प्रस्तावना: कविता में कवि वाजपेयी जी ने वसुधैव कुटुंबकम् के नूतन अनुसंधान, संस्कृति के सम्मान, जगत का कल्याण-उत्थान करने के साथ-ही-साथ चरित्र निर्माण एवं मानवीय गुणों के महत्त्व को समग्र रूप में प्रतिपादित किया है।

सारांश:

कवि कहते हैं कि आज का युग निर्माण का पावन युग है। जीवन के हर एक क्षेत्र में प्रगति हो रही है, नव-निर्माण हो रहा है । ऐसे में क्या व्यक्तिविकास हो रहा है? व्यक्ति-विकास के लिए चरित्र का उज्ज्वल होना आवश्यक है। अत: व्यक्ति को चरित्र-निर्माण पर बल देना चाहिए। उसे व्यक्तिगत स्वार्थ से बाहर निकलकर मानवजाति के कल्याण के लिए अग्रसर होना चाहिए।

शब्दार्थ:

  1. निर्माण – सृजन
  2. पावन – पवित्र
  3. युग – समय
  4. आँधी – तूफान
  5. वसुधा – पृथ्वी
  6. अगम – अपार
  7. अगाध – अथाह
  8. सिंधु – सागर
  9. मँझधार – लहरों के बीचोंबीच
  10. जटिल – कठिन
  11. अनुसंधान – खोज, अन्वेषण
  12. कीर्ति – ख्याति, प्रसिद्धि
  13. कौमुदी – चाँदनी
  14. गरिमा – महत्त्व, गौरव
  15. सृजनहीन – निर्माण हीन
  16. भौतिकता – सांसारिकता
  17. उत्थान – उन्नति

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में

भावार्थ:

निर्माणों के पावन युग …………………….. अनुसंधान न भूलें !!

कवि कहते हैं कि आज का युग विज्ञान एवं तकनीकी का युग है। विज्ञान और तकनीकी के इस युग में नई-नई चीजों की खोज हो रही है। नए-नए आविष्कार हो रहे हैं। व्यक्ति का भौतिक विकास हो रहा है। ऐसे में, व्यक्ति को अपने चरित्र-निर्माण पर भी बल देना चाहिए। उसे

Hindi Lokbharti 9th Digest Answers Pdf पहली इकाई

Class 9 Hindi Chapter 1 Nadi Ki Pukar Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 1 नदी की पुकार Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Std 9 Hindi Chapter 1 Nadi Ki Pukar Question Answer Maharashtra Board

Hindi Lokvani 9th Digest Chapter 1 नदी की पुकार Questions And Answers

1. आकृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार 1

2. संजाल पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार 2

3. भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ

भाषा बिंदु :

प्रश्न 1.
निम्न शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार 3

4. संभाषणीय :

प्रश्न 1.
‘जलयुक्त शिवार’ पर चर्चा करें।
उत्तर:
मुंबई : महाराष्ट्र में पानी की समस्या को दूर करने के लिए जलयुक्त शिवार योजना को लाया गया है। इस योजना को देश के प्रसिद्ध उद्योगपति, बैंकर्स, एनजीओ और कई सारे धार्मिक ट्रस्ट भी समर्थन देने लगे हैं। योजना के तहत हर साल राज्य के 5,000 गाँवों को पानी की समस्या से छुटकारा दिलाया जाएगा।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के अनुसार 2019 तक राज्य के एक बड़े हिस्से को जल संकट से मुक्ति दिला देंगे, इसलिए योजना का नाम ही जलयुक्त शिवार योजना (खेती के लिए जल प्रदान करने की योजना) रखा गया है। महाराष्ट्र सरकार का मानना है कि किसानों को आत्महत्या करने से रोकने हेतु उन्हें खेती के लिए पानी मुहैया कराना जरूरी है।

बरसाती पानी जमा करने के लिए महाराष्ट्र में कई सारे पैटर्न अपना रखे हैं। अन्ना हजारे का रालेगाँव पैटर्न, शिरपुर पैटर्न, हिरवे बाजार पैटर्न सहित कुल 28 अलग-अलग योजनाओं के बाद जलयुक्त शिवार योजना की बुनियाद रखी गई है, जिसकी शुरुआत 26 जनवरी को की गई है। इस योजना की निगरानी सैटलाइट के माध्यम से रखी जा रही है। इस योजना पर निगरानी रखने के लिए जिला स्तर पर पालक मंत्रियों की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है।

जिसमें जिले के कलेक्टर को विशेष अधिकार भी दिए गए हैं ताकि योजना में किसी तरह की धांधली न हो सके। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस खुद इस योजना पर निगरानी रख रहे हैं और कार्य स्थल जाकर मुआयना कर रहे हैं। जल प्रदूषण शिवार योजना लागू करने से पहले महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के उन क्षेत्रों का चयन किया है, जहाँ पानी की भारी समस्या है और जहाँ किसान सबसे ज्यादा आत्महत्या कर रहे हैं।

गाँवों का चयन करने के बाद वहाँ पर योजना की बुनियाद रखी गई। योजना के तहत गाँव के निचले क्षेत्र में गहराई तक खुदाई की जाती है या वहाँ के तालाबों को और गहरा किया जाता है जिससे बरसात का पानी जमा किया जा सकें। खुदाई स्थल के चारों ओर गहराई बढ़ाई जाती है और ऐसी व्यवस्था की जाती है, जिससे आस-पास के क्षेत्रों का पानी उसमें भर सकें। बरसात शुरू होने से पहले ही यह काम पूरा करना निश्चित हुआ है ताकि बरसाती पानी को जमा किया जा सकें।

पानी जमा होने से उस क्षेत्र के आस-पास का भूजल स्तर बढ़ जाएगा। जल स्तर ऊँचा उठने से बोरवेल और पानी के पंपों में भी पानी मिलने लगेगा। योजना के माध्यम से गाँवों को सीमेंट के नाले और नहरों से जोड़ने के अलावा अन्य उपाय किए जाएंगे। मुख्यमंत्री फडणवीस कहते हैं कि जलयुक्त शिवार योजना से किसानों के खेतों को पानी मिलने लगेगा।

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5. कल्पना पल्लवन :

प्रश्न 1.
‘नदी के मन के भाव’ इस विषय पर भाषण तैयार करके प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :
नदी के मन के भाव – जैसे-जैसे व्यक्ति की आयु बढ़ती है वह बूढ़ा होता जाता है। पर मेरे जीवन पर समय का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। आज भी मैं दौड़ते हुए आगे बढ़ती हूँ। दिन-रात ‘कलकल’ का संगीत सुनाती हूँ, वृक्षों के साथ लुका-छिपी खेलती हूँ, चट्टानों पर से कूदती हूँ और अपनी मंजिल की तरफ बढ़ती जाती हूँ। रास्ते में आने वाले हर प्राणी की प्यास बुझाती हूँ। धरती को हरी-भरी कर देती हूँ।

एक दिन मनुष्य अपनी असंस्कृत अवस्था में मेरी शरण में आया था, आज वह संस्कृति और सभ्यता के क्षेत्र में कितना आगे बढ़ गया है। मेरे तट पर न जाने कितने उत्सवों और मेलों की धूम मची रहती है। मेरे तट पर आकर कवि कविताएँ रचते हैं, बच्चे खेलते हैं, दुखी लोग अपना दुख भूल जाते हैं। ये दृश्य देखकर मैं आनंद विभोर हो जाती हूँ।

पर मानव ने आज मेरे जल में जहर घोलना प्रारंभ कर दिया है। मेरे जल को प्रदूषित कर दिया है। मेरी अविरल धारा को जगह-जगह बाँध बनाकर रोक दिया है। उसमें आए दिन कचरे बहाए जा रहे हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियों से निकले रासायनिक पदार्थ और मरे हुए पशुओं तक को बहाया जा रहा है। यदि आप मुझे

ऐसे ही प्रदूषित करते रहेंगे तो आपको पीने के लिए स्वच्छ और निःशुल्क जल कौन देगा? हमें आप केवल पैसे के बल पर प्रदूषण मुक्त नहीं कर सकते, बड़ी-बड़ी योजनाएँ बनाकर, बड़ी-बड़ी मशीनें लगाकर आप हमें कब तक स्वच्छ करेंगे? हमें प्रदूषण मुक्त करना है तो आप अपनी मानसिकता (सोच) बदलिए। हमारे जल में गंदगी मत फैलाइए, लोगों को जागरूक कीजिए। उनके अंदर अच्छी सोच जगाइए कि वे हमें गंदा न करें। हमें अविरल बहने दे, हमारे तटों पर किए अतिक्रमण को हटाएँ। मैं स्वयं अपना प्रदूषण दूर कर

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6. पाठ से आगे :

प्रश्न 1.
पानी की समस्या समझाते हुए ‘होली उत्सव का बदलता रूप’ पर अपना मत लिखिए।
उत्तर:
हमारे देश में बहुत सारे क्षेत्र ऐसे हैं, जहाँ हर वर्ष औसत से कम वर्षा हो रही है। जिसके कारण वहाँ के लोगों खासकर किसानों को सूखे की मार झेलनी पड़ रही है। आए दिन किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में समाज के पढ़े-लिखें लोगों द्वारा पानी संग्रह की योजना बनाई जा रही है। लोगों को पानी की बचत करने के प्रति जागरूक किया जा रहा है। जिसके कारण अब लोग होली के त्यौहार पर होली खेलने के लिए, एक-दूसरे पर हजारों लीटर पानी नहीं फेंकते। पानी बर्बाद न हो इसके लिए अबीर, गुलाल या सूखे रंग से होली खेलते हैं। अब तो लोग एक-दूसरे को अबीर और गुलाल का टीका लगाकर ही होली मना लेते हैं।

7. पाठ के आँगन में :

उत्तर लिखिए।

प्रश्न क.
अपने शब्दों में नदी की स्वाभाविक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
नदी सतत बहती रहती है। वह सभी प्राणियों को अपने जल से जीवन प्रदान करती है। नदी सदैव परोपकार का कार्य करती है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

प्रश्न ख.
किसी एक चरण का भावार्थ लिखिए।
भर्यादा में बहने वाली, ……….. मुझे बचा लो भाई रे।।
भावार्थ :
जो नदी सदैव अपनी सीमा में रहकर अमृत समान स्वच्छ पल धारा से सबकी प्यास बुझाती है। वही नदी हमसे कहती है कि जिसने भी मुझे बुलाया मैं उसके भलाई के लिए सदा तैयार रही। हे मनुष्य! तुम पागल मत बनो, उसी नदी के दुश्मन मत बनो, जो हमेशा दूसरों की भलाई और परमार्थ का कार्य करती आई है उसके प्रदूषित होने पर तुम्हारी प्यास कौन बुझाएगा। कल-कल की आवाज करते हुए नदी मनुष्य से स्वयं (नदी) को बचाने का आवाहन करती है।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 1 नदी की पुकार Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के एक शब्द में उत्तर लिखिए।
i. नदियों का जीवन किस प्रकार का है?
ii. नदियाँ किसमें बहती है?
उत्तर :
i. परहित का
ii. मर्यादा में

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प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार 4

कृति क (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
पहली दो पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
सबको जीवन देने ………….. मुझे बचा लो भाई रे।।
उत्तर:
कवि नदी की संवेदनाओं को प्रकट करते हुए कहते हैं कि नदी सभी प्राणियों को अपने जल से जीवन प्रदान करती है। वह हमेशा दूसरों की भलाई का ही कार्य करती है। नदी कल-कल की आवाज करते हुए मनुष्य से अपने अस्तित्व को बचाने का आवाहन करती है।

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(ख) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार 5

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के एक शब्द में उत्तर लिखिए।

  1. नदी ने गिरिवन से निकलते समय मन में पाल रखा था –
  2. लोगों ने नदी में डाल मिलाई –
  3. नदी अपने तट पर हरदम सुनाती है –
  4. नदी हमें नि:शुल्क देती है –

उत्तर :

  1. सपना
  2. मलिनता
  3. गीत
  4. जल

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

कृति ख (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
प्रथम चार पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
नदी कहती है कि जब मैं पर्वत और जंगल से होकर गुजरी तब मैंने अपने मन में एक सपना पाल रखा था कि रास्ते में जो भी जरूरतमंद (प्यासा) मिले उसे अपना बनाते हुए अर्थात उसकी मदद करते हुए आगे बढ़ते जाए लेकिन मानव जाति ने ही मुझे प्रदूषित कर दिया। इस प्रकार कल-कल करती नदी प्रदूषण से खुद को बचाने का मानव से आवाहन करती है।

(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के एक शब्द में उत्तर लिखिए।

  1. नदी के न रहने पर कौन मुरझा जाएगा?
  2. नदी ने क्या बनकर नयनों की खुशहाली बाँटी?
  3. नदी ने खेतों में क्या फैलाया?
  4. खारे सागर में मिलकर नदी ने उसे क्या दिया?

उत्तर:

  1. सागर
  2. झरना
  3. हरियाली
  4. मिठाई

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

कृति ग (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
अंतिम चार पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि मिश्र कहते हैं कि नदी मानव से कह रही है कि जब मैं झरने के रूप में झर-झर कर बह रही थी, तब मेरी सुंदरता ने कितने ही इंसानों के नेत्रों को प्राकृतिक आनंद दिया और जब नदी के रूप में आगे बढ़ी तो किसानों के खेतों में हरियाली आ गई। यहाँ तक कि अपने जीवन के अंत में जब मैं खारे समुद्र में जा मिली तो भी मैंने उस खारे जल को मिठास ही दिया। कल-कल कर बहती हुई नदी मानव से कहती है कि हे मनुष्य! मैं तुम्हारे जीवन के लिए कितनी आवश्यक हूँ इस बात को समझो और मेरा अस्तित्व बना रहने दो। मुझे इस तरह मैला न करो कि मैं समाप्त हो जाऊँ।

नदी की पुकार Summary in Hindi

कवि-परिचय :

जीवन-परिचय : सुरेशचंद्र मिश्र जी का जन्म उत्तर प्रदेश में प्रतापगढ़ जिले के धनऊपुर गाँव में हुआ था। आप आधुनिक हिंदी कविता क्षेत्र के जाने-माने गीतकार हैं।
प्रमुख कृतियाँ : काव्यसंग्रह -‘संकल्प’, ‘जय गणेश’, ‘वीर शिवाजी’, ‘पत्नी पूजा’।

पद्य-परिचय :

गीत : स्वर, पद और ताल से युक्त गीत हिंदी साहित्य की महत्त्वपूर्ण विधा है। इसमें गेयता होती है। गीत मनुष्य मात्र की भाषा है।
इसके माध्यम से मानव जीवन में ऊर्जा एवं ताजगी का संचार होता है।
प्रस्तावना : कवि सुरेशचंद्र मिश्र जी ने नदी की पुकार कविता के माध्यम से हमारे जीवन में नदी के योगदान को दर्शाया है तथा इसे प्रदूषण मुक्त रखने के लिए हमें प्रेरित किया है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

सारांश :

इस कविता के माध्यम से नदी की संवेदनाओं को प्रकट किया गया है। नदी सभी प्राणियों की भलाई करती है। उन्हें अपने जल से तृप्त करती है। मनुष्य के जीवन में कितनी भी महँगाई आ जाए पर नदी तो अपना जल नि:शुल्क देती है। वह खेतों को भी हरियाली प्रदान करती है। परंतु मनुष्य नदी को आए दिन प्रदूषित करता जा रहा है। नदी इस प्रदूषण से खुद को बचाने का आवाहन मनुष्य से करती है।

सरल अर्थ :

सबको जीवन देने ……………………………. मुझे बचा लो भाई रे।।
कवि नदी की संवेदनाओं को प्रकट करते हुए कहते हैं कि नदी सभी प्राणियों को अपने जल से जीवन प्रदान करती है। वह हमेशा दूसरों की भलाई का ही कार्य करती है। नदी कल-कल की आवाज करते हुए मनुष्य से अपने अस्तित्व को बचाने का आवाहन करती है।

मर्यादा में बहने वाली, …………………………… मुझे बचा लो भाई रे।।
जो नदी सदैव अपनी सीमा में रहकर अमृत समान स्वच्छ जल धारा से सबकी प्यास बुझाती है। वही नदी हमसे कहती है कि जिसने भी मुझे बुलाया मैं उसके भलाई के लिए सदा तैयार रही। हे मनुष्य! तुम पागल मत बनो, उसी नदी के दुश्मन मत बनो, जो हमेशा दूसरों की भलाई और परमार्थ का कार्य करती आई है। उसके प्रदूषित होने पर तुम्हारी प्यास कौन बुझाएगा? कल-कल की आवाज करते हुए नदी मनुष्य से स्वयं (नदी) को बचाने का आवाहन करती है।

गिरिवन से निकली थी, ………………………….. मुझे बचा लो भाई रे।।
नदी कहती है कि जब मैं पर्वत और जंगल से होकर गुजरी तब मैंने अपने मन में एक सपना पाल रखा था कि रास्ते में जो भी जरूरतमंद (प्यासा) मिले उसे अपना बनाते हुए अर्थात उसकी मदद करते हुए आगे बढ़ते जाए लेकिन मानव जाति ने ही मुझे प्रदूषित कर दिया। इस प्रकार कल-कल करती नदी प्रदूषण से खुद को बचाने का मानव से आवाहन करती है।

नदिया के तट पर बैठो, …………………………… मुझे बचा लो भाई रे।।
यदि नदी के किनारे बैठ जाओ तो नदी कल-कल की आवाज में हमेशा गीत सुनाती है। कवि कहते हैं अगर धरती पर सूखा पड़ जाए तो भी नदी अपने बचे हुए थोड़े से जल से ही लोगों की प्यास बुझाती है। इंसान के जीवन में कितनी भी महँगाई क्यों न आ जाए लेकिन नदी हमें निःशुल्क जल देती है। इस प्रकार नदी कल-कल की आवाज करते हुए मनुष्य से यही आवाहन करती है कि तुम मुझे बचा लो अर्थात मुझे स्वच्छ रखो।

नदिया नहीं रहेगी तो, …………………………. मुझे बचा लो भाई रे।।
नदी अपना महत्त्व बताते हुए कहती है कि हे मनुष्य यदि मैं (नदी) नहीं रहूँगी तो समुद्र भी एक दिन सूख जाएगा। आगे वह प्रश्न करती है कि गाँवों से निकल कर मुझमें मिल जाने वाले नाले कहाँ जाएँगे, किससे मिलेंगे ? जो नाविक नाव को नदी में चलाते समय हो हैया-हो हैया की ललकार लगाते हैं वह फिर कभी सुनाई नहीं देगी यदि तुम मनुष्य मुझे स्वच्छ और सुरक्षित नहीं रखोगे। कल-कल करती नदी मनुष्य से अपनी सुरक्षा का निवेदन कर रही है।

झरना बनकर मैंने, ……………………… मुझे बचा लो भाई रे।।
कवि मिश्र कहते हैं कि नदी मानव से कह रही है कि जब मैं झरने के रूप में झर-झर कर बह रही थी, तब मेरी सुंदरता ने कितने ही इंसानों के नेत्रों को प्राकृतिक आनंद दिया और जब नदी के रूप में आगे बढ़ी तो किसानों के खेतों में हरियाली आ गई। यहाँ तक कि अपने जीवन के अंत में जब मैं खारे समुद्र में जा मिली तो भी मैंने उस खारे जल को मिठास ही दिया। कल-कल कर बहती हुई नदी मानव से कहती है कि हे मनुष्य! मैं तुम्हारे जीवन के लिए कितनी आवश्यक हूँ इस बात को समझो और मेरा अस्तित्व बना रहने दो। मुझे इस तरह मैला न करो कि मैं समाप्त हो जाऊँ।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

शब्दार्थ :

  1. मर्यादा – सीमा
  2. परहित – दूसरे की भलाई
  3. सौदाई – पागल
  4. गिरिवन – पर्वतीय जंगल
  5. पाला – सँजोया
  6. मलिनता – गंदगी
  7. तट – किनारा
  8. हरदम – हमेशा
  9. शुल्क – पैसा
  10. मुरझाएगा – सूख जाएगा
  11. सरिता – नदी

Hindi Lokvani 9th Std Digest पहली इकाई

Class 9 Hindi Chapter 10 Aprajay Question Answer Maharashtra Board

Std 9 Hindi Chapter 10 Aprajay Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Lokbharti Chapter 10 अपराजेय Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Lokbharti 9th Digest Chapter 10 अपराजेय (पूरक पठन) Questions And Answers

Hindi Lokbharti 9th Std Digest Chapter 10 अपराजेय Textbook Questions and Answers

श्रवणीय:

प्रश्न 1.
हेलन केलर की जीवनी का अंश सुनिए और मुख्य मुद्दे सुनाइए।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 9 10 अपराजेय

लेखनीय:

प्रश्न 1.
कला की साधना जीवन के दुखमय क्षणों को भुला देती है। इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
कृति (ग) की स्वमत अभिव्यक्ति देखिए।

पठनीय:

प्रश्न 1.
सुदर्शन की ‘हार की जीत’ कहानी पढ़िए।

1. सुचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 10 अपराजेय 1
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 10 अपराजेय 2

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 9 10 अपराजेय

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 10 अपराजेय 3
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 10 अपराजेय 4

प्रश्न 3.
परिच्छेद से ऐसे दो शब्द ढूँढ़कर लिखिए कि जिनका वचन परिवर्तन नहीं होता।
उत्तर:
1. घर
2. पेड़

प्रश्न 4.
‘कला में अभिरूचि होने से जीवन का आनंद बढ़ता है।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
कला जीवन का प्रतिरूप है। वह जीवन का आनंद है। प्रत्येक व्यक्ति को कला का शौक होता है। कला में अभिरूचि होने से व्यक्ति उसकी साधना में लगा रहता है। ऐसे में वह स्वयं को भी भूल जाता है। सिर्फ कला के अलावा उसे अन्य चीज़ की याद नहीं आती है। वह अपनी मनचाही कला के सौंदर्य एवं माधुर्य में मशगुल हो जाता है। कला का लुत्फ़ उठाते समय उसका चित्त आनंदविभोर हो जाता है।

वह कला को ही अपने जीवन का आधार मानकर स्वयं के जीवन को सुंदर बनाता है। निरंतर कला के सान्निध्य में रहने के कारण वह मन से तरोताजा रहता है। ऐसे व्यक्ति को फिर संपूर्ण विश्व सुंदर एवं खिला हुआ दिखाई देता है। इस प्रकार कला में अभिरूचि होने से जीवन का आनंद बढ़ता है।

आसपास:

प्रश्न 1.
कलाक्षेत्र में ‘भारतरत्न’ उपाधि से अलंकृत महान विभूतियों के नाम, क्षेत्र, वर्षानुसार सूची बनाइए।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 9 10 अपराजेय

मौलिक सृजन:

प्रश्न 1.
‘समाज के जरूरतमंद लोगों की मैं सहायता करूँगा।’ इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तरः
मानव होने का सही अर्थ यही है कि मनुष्य को अपने जीवन में दूसरों की सेवा करनी चाहिए। मानव का जन्म लोगों की सेवा करने के लिए हुआ है। सेवा ऐसा भाव है जिससे सेवा करने वाला भी सुख पाता है और जिसकी सेवा की जाती है वह भी सुख पाता है। जो मनुष्य दूसरों के दुख दूर करने के लिए प्रयास करता है, ऐसा ही मनुष्य सच्चा मनुष्य कहलाने का अधिकारी होता है। कवि गुप्त जी ने लिखा ही है

वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।

मैं भी समाज के जरुरतमंदों की सहायता करना चाहता हूँ। समाज में सर्वत्र दीन-दुखी, पीड़ित एवं व्यथित लोग हैं। उनकी सहायता करने से मुझे आत्मिक तृप्ति मिलेगी। आखिर मानव सेवा ही ईश्वर की पूजा के समान होती है।

आज हमारे समाज में ऊँच-नीच का भेदभाव दिखाई दे रहा है। कई ऐसे गरीब बच्चे हैं जो फुटपाथ पर ही रहते हैं। वे स्कूल नहीं जाते हैं। मैं ऐसे बच्चों को पढ़ाने के लिए आगे आऊँगा। उन्हें सही राह दिखाने का प्रयास करूंगा। मैं अनाथ आश्रम में जाकर वहाँ रहने वाले बच्चों के लिए खेल एवं शैक्षिक गतिविधियों का आयोजन करूंगा; ताकि उन्हें आनंद की प्राप्ति हो।

समाजसेवा के इस पुनीत कार्य में मैं अपने मित्रों को भी सम्मिलित करवाऊँगा क्योंकि मिल-जुलकर अच्छा काम करने में जो मजा है वह अन्य किसी काम में नहीं। अपने मित्रों के साथ मिलकर मैं गरीब बच्चों एवं लोगों के लिए चंदा इकट्ठा करूँगा। उनके लिए कपड़े व अनाज आदि सामग्री का संग्रह करूँगा। मुझे आशा है कि मेरे इन कार्यों से प्रेरणा लेकर अन्य लोग मेरा अनुकरण करेंगे। उस वक्त मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा। अंत में सिर्फ इतना ही कहूँगा:

चाह यही, आस यही, कामना यही, भावना यही; कर सकूँ अपनी जिंदगी में जरूरतमंदों की सेवा यही।

पाठ से आगे:

प्रश्न 1.
दिव्यांग महिला खिलाड़ियों के बारे में जानकारी प्राप्त करके टिपणी तैयार कीजिए।

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पाठ के आँगन में……..

1. सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

प्रश्न (क)
केवल एक शब्द में उत्तर लिखिए।

  1. जिनमें चलने-फिरने की क्षमता का अभाव हो:
  2. जिनमें सुनने की क्षमता का अभाव हो:
  3. जिनमें बोलने की क्षमता का अभाव हो:
  4. स्वस्थ शरीर में किसी भी एक क्षमता का अभाव होना:

उत्तरः

  1. अपाहिज, अपंग
  2. बधिर
  3. गूंगा
  4. दिव्यांग

प्रश्न 2.
‘हीन’ शब्द का प्रयोग करके कोई तीन अर्थपूर्ण शब्द तैयार करके लिखिए।
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उत्तरः
जैसे: आत्म + हीन = आत्महीन

  1. संवेदन + हीन = संवेदनहीन
  2. चरित्र + हीन = चरित्रहीन
  3. स्नेह + हीन = स्नेहहीन

प्रश्न 3.
परिस्थिति के सामने हार न मानकर उसे सहर्ष स्वीकार करने में ही जीवन की सार्थकता है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
कृति (ख) की स्वमत अभिव्यक्ति देखिए।

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प्रश्न (ख)
पाठ में प्रयुक्त वाक्य पढ़कर व्यक्ति में निहित भाव लिखिए।
1. ‘टाँग ही तो काटनी है, तो काट दो।’
2. ‘मैं जानता हूँ कि जीवन का विकास पुरुषार्थ में है, आत्महीनता में नहीं।’
उत्तर:
1. हास्य व सहज भाव, निडरता, सकारात्मकता, दृढ़ निश्चय
2. शांत भाव, संघर्ष शीलता, दृढ़ निश्चय

Hindi Lokbharti 9th Answers Chapter 10 अपराजेय Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
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कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
सभी के चेहरे पर अकुलाहट थीं।
उत्तरः
दुर्घटना में अमरनाथ घायल हो गए थे। उनके बचने की कोई उम्मीद नहीं थी। इसीलिए सभी के चेहरे पर अकुलाहट थीं।

प्रश्न 2.
अमरनाथ के परिवार वाले रात को एक बजे पुलिस स्टेशन गए थे।
उत्तरः
अमरनाथ शाम तक घर पहुँचने वाले थे लेकिन रात के नौ बज गए फिर भी वे घर नहीं पहुंचे। उनके मोबाइल की घंटी बज रही थी लेकिन वे मोबाइल उठा नहीं रहे थे। इसीलिए अमरनाथ के परिवार वाले रात को एक बजे पुलिस स्टेशन गए थे।

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कृति (2) आकलन कृति

किसने, किससे कहा?

प्रश्न 1.
‘पर हुआ कैसे?’
उत्तरः
यह वाक्य चोपड़ा ने अनिल से पूछा।

प्रश्न 2.
‘ट्रकवाला जरूर पिया होगा।’
उत्तर:
यह वाक्य अनिल ने चोपड़ा से कहा।

प्रश्न 3.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
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कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ गद्यांश से ढूँढ़कर लिखिए।

  1. सर्जरी
  2. डरावना
  3. निशा
  4. संध्या

उत्तर:

  1. ऑपरेशन
  2. भयावह
  3. रात
  4. शाम

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प्रश्न 2.
गद्यांश में प्रयुक्त ऐसे अंग्रेजी शब्द लिखिए जिनका हिंदी में प्रयोग होने लगा है।
उत्तर:

  1. ऑपरेशन
  2. मोबाइल
  3. स्ट्रेचर
  4. नर्स

प्रश्न 3.
गद्यांश से ऐसे दो शब्द ढूँढ़कर लिखिए कि जिनके वचन परिवर्तित नहीं होते हैं।
उत्तर:
1. फोन
2. पुलिस

प्रश्न 4.
‘अकुलाहट’ इस शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय पहचानकर लिखिए और उस संबंधित प्रत्यय से अन्य दो शब्द तैयार कीजिए।
उत्तर:
‘आहट’ प्रत्यय; अन्य शब्द:
1. कड़वाहट
2. घबराहट

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘अपनी देखी हुई एक दुर्घटना।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
ग्रीष्मावकाश में हम सब नैनिताल जा रहे थे। दोनों ओर पहाड़ियाँ ही पहाड़ियाँ थीं। रास्ते के दोनों ओर से गाडियाँ आ-जा रही थीं। अचानक सामने से एक बड़ा ट्रक आया और उसने हमारी गाड़ी के आगे जो एक गाड़ी थी उसे जोर से धक्का दे दिया। जिस कारण आगे वाली गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। हमारे ड्राइवर ने तुरंत गाड़ी को ब्रेक लगा दिया। हम तुरंत अपनी गाड़ी से बाहर आकर दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी के पास पहुँचे।

ट्रकवाले के पास भी इंसानियत थी। उसने भी बाहर आकर घायल लोगों की सेवा करना अपना धर्म समझा। गाड़ी में दो लोग थे जिनमें से एक को हल्की चोट आई थी परंतु दूसरे के सिर से रक्तस्राव हो रहा था। हमने आव देखा न ताव, उसे अपनी गाड़ी में बिठाकर नज़दीकी अस्पताल लेकर गए। तुरंत किए गए उपचारों के कारण वह स्वस्थ हो गया। उसकी जान बचाकर हमें बहुत खुशी हुई।

(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए।

प्रश्न 1.
अगर अमरनाथ बेहोश न हुए होते तो …………….
उत्तरः
(क) अपनी टाँग को कटने से जरूर बचा लेते।
(ख) ड्राइवर को जरूर बचा लेते।
(ग) ट्रक वाले को भागने नहीं देते।

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प्रश्न 2.
यदि अमरनाथ की टाँग काटी न गई तो ……………
(क) उनके शरीर में जहर फैल जाएगा।
(ख) उनकी मृत्यु हो जाएगी।
(ग) उनके लिए चलना मुश्किल हो जाएगा।
उत्तर:
1. अगर अमरनाथ बेहोश न हुए होते तो ड्राइवर को जरूर बचा लेते।
2. यदि अमरनाथ की टाँग काँटी न गई तो उनके शरीर में जहर फैल जाएगा।

प्रश्न 3.
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
1. ड्राइवर
2. अमरनाथ
उत्तर:
1. दुर्घटना में किसकी मृत्यु हो गई थी?
2. दुर्घटना में कौन बच गए थे?

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों में उचित प्रत्यय लगाकर नए शब्द तैयार कीजिए।

  1. जहर
  2. हिम्मत
  3. परिवार
  4. समझ

उत्तर:

  1. जहर + ईला = जहरीला
  2. हिम्मत + वान = हिम्मतवान
  3. परिवार + इक = पारिवारिक
  4. समझ + दार = समझदार

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।
1. जहर × …………
2. भाग्यशाली × …………..
उत्तर:
1. अमृत
2. दुर्भाग्यशाली

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों में विरामचिह्नों का उचित प्रयोग कीजिए।
1. डॉक्टर ने कहा अमरनाथ जी आप दुर्घटना से बच गए हैं यह एक चमत्कार है
2. कितना भाग्यशाली हूँ मैं आखिर दुर्घटना से बच गया
उत्तरः
1. डॉक्टर ने कहा, “अमरनाथ जी, आप दुर्घटना से बच गए हैं, यह एक चमत्कार है।”
2. ‘कितना भाग्यशाली हूँ मैं! आखिर दुर्घटना से बच गया।’

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘परिस्थिति के सामने हार न मानकर उसे सहर्ष स्वीकार करने में ही जीवन की सार्थकता है।’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
इंसान के जीवन में परिस्थितियाँ आती ही रहती हैं। उसे जीवन में आने वाली प्रत्येक परिस्थिति का सामना करना चाहिए। उनसे डरना नहीं चाहिए। जब व्यक्ति परिस्थितियों को सहर्ष स्वीकार कर लेगा; तब उसका हौंसला दुगुना हो जाएगा और इससे परिस्थितियों से लड़ने की ताकत उसमें अपने आप निर्माण हो जाएगी। यदि व्यक्ति परिस्थितियों के सामने अपनी हार स्वीकार कर लेगा; तो परिस्थितियाँ उस पर हावी हो जाएगी, जिससे इंसान का जीवन नरक-सा बन जाएगा। अत: जीवन को सुंदर एवं जिंदादिल बनाए रखने के लिए व्यक्ति को परिस्थिति के सामने हार न मानकर उसे सहर्ष स्वीकार करना चाहिए। आखिर इसी में जीवन की सार्थकता है।

(ग) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्य गद्यांश के क्रम के अनुसार लिखिए।

  1. घर में कैनवस, रंग, ब्रश और ईजल, सब सामान आ गया था।
  2. अनिल पिता के गले लग गया।
  3. अमरनाथ के लिए एक स्वचालित व्हीलचेयर आ गई थी।
  4. डॉक्टर ने चैन की साँस ली।

उत्तरः

  1. डॉक्टर ने चैन की साँस ली।
  2. अनिल पिता के गले लग गया।
  3. अमरनाथ के लिए एक स्वचालित व्हीलचेयर आ गई थी।
  4. घर में कैनवस, रंग, ब्रश और ईजल, सब सामान आ गया था।

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प्रश्न 2.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
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कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
1. अमरनाथ के लिए उनका जीवन तीन फीट की टाँग से छोटा न था।
2. अमरनाथ के अनुसार जीवन जीने के लिए टाँगों की जरूरत होती है।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य

प्रश्न 2.
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
1. साठ
2. मूर्तिशिल्प
उत्तर:
1. अमरनाथ अपने जीवन के कितने वर्षों तक टाँगों के साथ जिए हैं?
2. मानव आकृतियों के चित्रों में किसका समन्वय था?

प्रश्न 3.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
वचन बदलिए।

  1. अस्थियाँ
  2. मूर्ति
  3. रेखा
  4. साँस

उत्तर:

  1. अस्थि
  2. मूर्तियाँ
  3. रेखाएँ
  4. साँसें

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प्रश्न 2.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
1. चुस्ती-फुर्ती
2. रंग-रेखा

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
1. विश्व
2. शरीर
उत्तर:
1. संसार
2. देह, तन

प्रश्न 4.
गद्यांश में प्रयुक्त एक उपसर्ग युक्त शब्द व एक प्रत्यय युक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
1. उपसर्गयुक्त शब्दः परिदृश्य – ‘परि’ उपसर्ग
2. प्रत्यय युक्त शब्दः जीवंतता – ‘ता’ प्रत्यय

प्रश्न 5.
‘राहत मिलना।’ इस अर्थ के लिए गद्यांश में प्रयुक्त मुहावरा लिखिए।
उत्तरः
चैन की साँस लेना।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों के शुद्ध रूप लिखिए।
1. व्हीलचेअर
2. रेगिस्थान
उत्तर:
1. व्हीलचेयर
2. रेगिस्तान

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘कला की साधना जीवन के दुखमय क्षणों को भुला देती है।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
कला मनुष्य जीवन का आधार है। व्यक्ति को जिस कला में रूचि होती है; उस कला में व्यस्त हो जाना उसे अच्छा लगता है। व्यक्ति अपनी कला की साधना के लिए अपने जीवन के दुखमय क्षणों को भूल जाता है। अपनी सारी यातना एवं पीड़ा सब कुछ भूल जाता है। यहाँ तक कि उसे खाने-पीने का भी होश नहीं रहता। कब उठना है या कब सोना है, इसके बारे में भी उसे पता नहीं रहता।

वह सिर्फ अपनी कला के बारे में ही सोचता रहता है। अपनी मनचाही कला में निपुण होने के लिए वह दिन रात एक कर देता है। उसके जीवन का सिर्फ एक ही लक्ष्य बन जाता है। वह है कला की साधना। इसके आगे उसे किसी से भी किसी भी प्रकार का सरोकार नहीं रहता। सिर्फ जीवन जीने के लिए कला और उसका आनंद लेना यही उसके जीवन का ध्येय हो जाता है।

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(घ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
1. बगीचा
2. क्यारियों
उत्तर:
1. घर के सामने की जमीन में क्या बनाया था?
2. रंग-बिरंगे मौसम के फूल किसमें लगाए थे?

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
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कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
लिंग बदलिए।
1. माली
2. घर
उत्तरः
1. मालिन
2. घर

प्रश्न 2.
परिच्छेद से विलोम शब्द की जोड़ी ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
भीतर × बाहर

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(ङ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
डॉक्टर परेशान हो गया।
उत्तरः
डॉक्टर ने खून की जाँच फिर से करवाई तो उसे पता चला कि अमरनाथ जी के शरीर में बीमारी दुबारा फैल रही है। इसलिए वह परेशान हो गया।

प्रश्न 2.
घर के लोग सन्न हो गए।
उत्तर:
अमरनाथ जी के शरीर में जहर फैल जाने के कारण उनकी बाँह काटनी पड़ेगी ऐसा डॉक्टर के कहने पर घर के लोग सन्न हो गए।

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
1. अमरनाथ के बाईं बाँह में खून की गर्दिश बंद हो गई थी।
2. अमरनाथ के लिए खुले कमीज सिलवाए गए।
उत्तर:
1. असत्य
2. सत्य

प्रश्न 2.
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
1. शास्त्री जी
2. काठ-सी
उत्तर:
1. अमरनाथ जी किससे शास्त्रीय संगीत सीखना चाहते थे?
2. बाँह निर्जीव होकर कैसी हो गई थी?

कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
1. सात दिनों का समूह
2. ऐसा संगीत जो भाव व रागों का खूबसूरत सरगम हो
उत्तर:
1. सप्ताह
2. शास्त्रीय संगीत

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
1. बचपन
2. नर्स
उत्तर:
1. बाल्यकाल
2. परिचारिका

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्य सूचना के आधार पर परिवर्तित कीजिए।
1. खून की जाँच की रिपोर्ट आई तो वह परेशान हो गया।
2. दाईं बाँह में खून की गर्दिश बंद हो जाने पर उसे हिलाना भी मुश्किल हो गया। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
1. खून की जाँच की रिपोर्ट आने पर वह परेशान हो गया।
2. जैसे ही दाईं बाँह में खून की गर्दिश बंद हो गई; वैसे ही उसे हिलाना भी मुश्किल हो गया।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित रेखांकित शब्दों के भेद लिखिए।
1. बीमारी फिर से पसर रही है।
2. उनकी दाईं बाँह काट दी गई थी।
उत्तर:
1. अकर्मक क्रिया
2. गुणवाचक विशेषण

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘प्रतिकूल परिस्थितियों में भी जिंदादिल रहने वाले कभी दुखी नहीं होते।’ कथन के संदर्भ में अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
“जिंदगी जिंदादिली का नाम है। मुर्दादिल क्या खाक जिया करते है?” ऐसा ही कहा गया है। यह सत प्रतिशत सच है। चार दिन की जिंदगी होती है। इस छोटी-सी जिंदगी में इंसान को हर पल खुश रहना चाहिए। परिस्थिति अनुकूल हो या प्रतिकूल उसे हमेशा प्रसन्न रहना चाहिए। जो व्यक्ति इस तथ्य को जान लेता है; वह अपने जीवन में कभी-भी दुखी नहीं होता। वह प्रतिकूल परिस्थिति में भी अपना दैनिक जीवन सुचारू रूप से शुरू रखता है। उसे खंडित नहीं होने देता। वह अपने मनचाहे कार्य एवं शौक में मशगुल हो जाता है। यदि वह किसी कला का उपासक है तो वह अपना समय उसकी साधना में लगा देता है। अपने सारे दुख-दर्द एवं प्रतिकूल परिस्थितियों को भूलकर वह अपने जीवन में हमेशा प्रसन्न रहता है।

(च) परिच्छेद पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए।

प्रश्न 1.
घर के लोग दुख से व्याकुल हो गए थे, क्योंकि ……….
(क) अमरनाथ फिर से बीमार पड़े थे और फिर से तेज बुखार आ गया था।
(ख) अमरनाथ अब कोई नई कला सीखना चाहते थे।
(ग) अमरनाथ दुख एवं दर्द के कारण व्यथित हो गए थे।
उत्तर:
घर के लोग दुख से व्याकुल हो गए थे क्योंकि अमरनाथ फिर से बीमार पड़े थे और फिर से तेज बुखार आ गया था।

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प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
गद्यांश से विलोम शब्द की जोड़ी ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
लौकिक × अलौकिक

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखिए।
1. रियाज
2. आँख
उत्तर:
1. अभ्यास
2. नयन

प्रश्न 3.
गद्यांश में से कोई भी दो ऐसे शब्द ढूँढ़कर लिखिए कि जो बहुवचन में प्रयुक्त हुए हों।
उत्तरः
1. रेखाएँ
2. लहरियाँ

प्रश्न 4.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
1. आत्मा से संबंधित
2. सांसारिक पदार्थों एवं वस्तुओं से संबंधित
उत्तर:
1. आत्मिक
2. भौतिक

प्रश्न 5.
गद्यांश में से ‘इक’ प्रत्यय वाले शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:

  1. लौकिक
  2. अलौकिक
  3. भौतिक
  4. आत्मिक

प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके फिर से लिखिए।
1. वे अस्पताल ले जाया गए।
2. उनकी आँख हँस रही थी।
उत्तर:
1. उन्हें अस्पताल ले जाया गया।
2. उनकी आँखें हँस रही थीं।

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कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘शास्त्रीय संगीत इंसान के जीवन में आनंद की अनुभूति कराने में प्रभावी साधन होता है।’ इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
शास्त्रीय संगीत भावों और रागों का खूबसूरत सरगम होता है। कहा जाता है कि ध्वनि ही ईश्वर का दूसरा रूप है और इसी ध्वनि से शास्त्रीय संगीत का जन्म हुआ है। मानव शरीर और मन को शास्त्रीय संगीत प्रभावित करता है। शास्त्रीय संगीत सुनते समय अगर आप अपने भीतर-ही-भीतर एक खास अवस्था में पहुँच जाए तो पूरा जगत आपके लिए ध्वनि हो जाता है। शास्त्रीय संगीत एक प्रकार की आध्यात्मिक प्रक्रिया है और आध्यात्मिक प्रक्रिया से मनुष्य को आनंद एवं सुख की प्राप्ति होती है। इसीलिए शास्त्रीय संगीत इंसान के जीवन में आनंद की अनुभूति कराने में प्रभावी साधन होता है।

(छ) परिच्छेद पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
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प्रश्न 2.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
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कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
उपर्युक्त गद्यांश पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
1. कालिगुला
2. कजरी
उत्तर:
1. गद्यांश में कौन से नाटक का जिक्र किया गया है?
2. अमरनाथ आँखें बंद करके किसकी तान सुनते थे?

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प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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कृति (3): शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
उत्तरः
जीवन – पानी, जिंदगी

प्रश्न 2.
गद्यांश में से उपसर्गयुक्त व प्रत्यययुक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए और उनके उपसर्ग व प्रत्यय भी अलग करके लिखिए।
उत्तरः

शब्द उपसर्ग प्रत्यय
अनुकूलता ता
आत्महीनता ता
अद्वितीय
अपराजेय

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।

  1. जिसे संगीत की जानकारी हो:
  2. जिसकी कभी पराजय नहीं होती:
  3. जिसके समान अन्य कोई न हो:

उत्तरः

  1. संगीतज्ञ
  2. अपराजेय
  3. अद्वितीय

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के शुद्ध रूप लिखिए।
1. कॅसेट
2. अन्तिम
उत्तरः
1. कैसेट
2. अंतिम

कृति (4): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘जीवन का विकास पुरुषार्थ में हैं, आत्महीनता में नहीं।’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
पुरुषार्थ का तात्पर्य मनुष्य के लक्ष्य या उद्देश्य को प्राप्त करने से है और आत्महीनता का तात्पर्य मनुष्य की मानसिक कमज़ोरी से है। यदि मनुष्य अपने जीवन में अपना विकास करना चाहता है तो उसे अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होना पड़ेगा। उसे अपने मन में आने वाले विकार एवं मानसिक दुर्बल भावों को दूर भगाना होगा।

भले ही जीवन में कितनी भी बड़ी संकट की स्थिति निर्माण हो जाए फिर भी मनुष्य को अपनी आत्मिक शक्ति को नहीं खोना चाहिए। उसकी आत्मिक शक्तियाँ इतनी सशक्त होनी चाहिए कि वह जीवन में निर्माण होने वाली स्थितियों का सामना कर सके। यदि व्यक्ति के मन में दृढ़ संकल्प एवं दैदीप्यमान इच्छाशक्ति है, तो वह असंभव को भी संभव बना सकता है। इससे व्यक्ति का विकास होता है। इसीलिए कहा गया है कि जीवन का विकास पुरुषार्थ में हैं, आत्महीनता में नहीं।

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भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ।

भाषा बिंदू

प्रश्न 1.
काल परिवर्तन कीजिए।

  1. आसपास कई जगह फोन किया। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
  2. सुबह पाँच बजे फोन आया था। (सामान्य भविष्यकाल)
  3. शास्त्री जी आ गए थे। (सामान्य भविष्यकाल)
  4. दिन में शास्त्री जी आते थे। (सामान्य वर्तमानकाल)
  5. मैं जीवन का व्याकरण बना रहा हूँ। (पूर्ण भूतकाल)
  6. उन्होंने सामने की जमीन में बगीचा बनाया था। (सामान्य वर्तमानकाल)

उत्तर:

  1. आसपास कई जगह फोन कर रहे हैं।
  2. सुबह पाँच बजे फोन आएगा।
  3. शास्त्री जी आएँगे।
  4. दिन में शास्त्री जी आते हैं।
  5. मैंने जीवन का व्याकरण बनाया था।
  6. वे सामने की जमीन में बगीचा बनवाते हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित रेखांकित विकारी शब्दों के भेद पहचानिए।
1. दुर्घटनास्थल पर भयावह दृश्य था।
2. रात के एक बजे हम पुलिस स्टेशन पहुंचे।
उत्तर:
1. गुणवाचक विशेषण
2. उत्तम पुरूषवाचक सर्वनाम

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों में से रेखांकित अव्ययों के भेद पहचानिए।
1. मुझे अभी मरना ही नहीं था।
2. अनिल ने डॉक्टर की तरफ देखकर कहा था।
उत्तर:
1. क्रियाविशेषण अव्यय
2. संबंधसूचक अव्यय

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 9 10 अपराजेय

प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्यों के रचना की दृष्टि से प्रकार पहचनाकर लिखिए।
1. आपकी टाँग काटनी पड़ेगी।
2. अगर मैं उस वक्त बेहोश न हुआ होता तो उसे बचा लेता कभी भी मरने न देता।
उत्तर:
1. साधारण वाक्य
2. मिश्र वाक्य

प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों के अर्थ की दृष्टि से प्रकार पहचानकर लिखिए।

  1. इसमें ऐसा क्या है?
  2. चित्र निकालने की मुझे फुरसत ही नहीं मिली।
  3. आपको अस्पताल में जाना ही पड़ेगा।
  4. ‘अब क्या होगा डॉक्टर?’

उत्तर:

  1. प्रश्नार्थक वाक्य
  2. निषेधार्थक वाक्य
  3. आज्ञार्थक वाक्य
  4. प्रश्नार्थक वाक्य

प्रश्न 6.
निम्नलिखित अव्यय शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए।

  1. साथ
  2. और
  3. तो
  4. के बिना

उत्तर:

  1. मैं राम के साथ घूमने जाऊँगा।
  2. राधा और मीना बाज़ार जा रही हैं।
  3. तुम मेरे साथ चलो नहीं तो मैं अकेला नहीं जाऊँगा।
  4. ईश्वर के बिना जीवन की कल्पना करना व्यर्थ है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 9 10 अपराजेय

संभाषणीय:

प्रश्न 1.
विद्यालय में आते समय आपको रास्ते में दुर्घटनाग्रस्त महिला दिखी। आपने उसकी सहायता की। इस घटना का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  1. अध्यापक – विजय, आज स्कूल आने में तुम्हें देर हो गई। क्या कारण है?
  2. विजय – जी हाँ, अध्यापक महोदय। मैं जब स्कूल आ रहा था तब गांधी रोड हाइवे पर एक दुर्घटना हुई। एक महिला दुर्घटना में घायल हो गई।
  3. अध्यापक – क्या कह रहे हो तुम? दुर्घटना हुई! महिला कैसे घायल हुई?
  4. विजय – हमारी गाड़ी महिला की गाड़ी से बिल्कुल पीछे थी। सामने से एक बड़ा ट्रक आ गया और वह महिला की गाड़ी से टकरा गया। जिस कारण महिला घायल हो गई। मैंने अपने माता-पिता के साथ मिलकर उस महिला को गाड़ी से बाहर निकाला और उसे तुरंत अस्पताल की ओर लेकर चले गए। ट्रक वाले ने अपनी गलती स्वीकार कर ली। वह भी हमारे साथ अस्पताल पहुंचा।
  5. अध्यापक – पर तुमने अब तक यह नहीं बताया कि अब उस महिला की हालत कैसी है और उसे कहाँ चोट आई?
  6. विजय – महिला के दाहिने हाथ को चोट आई है। डॉक्टर ने उसके घावों पर मरहम पट्टी लगा दी। उसके बाद हमने उस महिला से उसके घर वालों का फोन नंबर लेकर उन्हें सूचित भी कर दिया। उसके घर वाले अब उसके पास अस्पताल में हैं। परिस्थिति अनुकूल होने के पश्चात ही हम वहाँ से निकले और मेरे माता-पिता मुझे सीधे स्कूल लेकर आए। इसी कारण मुझे स्कूल आने में लगभग एक घंटे की देरी हो गई है।
  7. अध्यापक – विजय तुमने बहुत ही बड़ा मानवता का कार्य किया है। इसके लिए मैं तुम्हें धन्यवाद देता हूँ।

अपराजेय Summary in Hindi

लेखिका-परिचय:

जीवन-परिचय: लेखिका कमल कुमार आधुनिक युग की प्रमुख कहानीकार हैं। इनका जन्म हरियाणा के अंबाला जिले में हुआ था। उपन्यास के क्षेत्र में इन्होंने अपना अमूल्य योगदान दिया है। इन्होंने व्यक्ति के जीवन अनुभवों को अपनी कहानी के द्वारा अभिव्यक्त करने का कार्य किया है। इन्होंने आसक्ति, आशा, आस्था एवं जीवन के स्पंदन को अपनी कहानियों के द्वारा चित्रित किया है।

प्रमुख कृतियाँ: कहानी संग्रह – ‘पहचान’, ‘क्रमशः’, ‘फिर से शुरू’ आदि उपन्यास – ‘अपार्थ’, ‘आवर्तन’, ‘हैमबरगर’, ‘पासवर्ड’ आदि।

गद्य-परिचय:

वर्णनात्मक कहानी: वर्णनात्मक कहानी हिंदी साहित्य विधा का एक प्रमुख अंग है। जीवन की किसी घटना का रोचक़, सुंदर एवं प्रवाही वर्णन ही ‘वर्णनात्मक कहानी’ कहलाता है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत कहानी के माध्यम से लेखिका कहना चाहती हैं कि व्यक्ति को अपने जीवन में प्रत्येक परिस्थितियों का सामना करने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए क्योंकि परिस्थितियाँ निमंत्रण देकर नहीं आती हैं। वे कभी-भी व्यक्ति के जीवन में निर्माण हो सकती हैं। व्यक्ति को सिर्फ उनसे लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए।

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सारांश:

अमरनाथ कहानी के प्रमुख पात्र हैं। वे दूसरे शहर में कुछ काम के सिलसिले में गए थे। वहाँ से लौटते समय अलवर के रास्ते में उनकी गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है। जिस कारण उनके ड्राइवर की मृत्यु हो जाती है। चार घंटे तक वे बेहोशी के हालत में दुर्घटनास्थल पर घायल होकर पड़े रहते है। इस कारण उनके शरीर में जहर फैल जाता है और डॉक्टर को उनकी एक टाँग काटनी पड़ती है। वे सहर्ष अपनी टाँग कटवाने के लिए तैयार हो जाते हैं। टाँग कट जाने का उन्हें तनिक भी दुख नहीं होता है। इसके बाद वह स्वचालित व्हीलचेयर पर विराजमान हो जाते हैं और अपनी चित्रकारी को पूरा कराने के लिए कैनवस रंग, ब्रश और ईजल मँगवाते हैं। कुछ दिनों के पश्चात डॉक्टर फिर से उनके खून की जाँच करते हैं।

तब उन्हें पता चलता है कि बीमारी फिर से फैल रही है। जिस कारण उनकी दाईं बाँह डॉक्टर को काटनी पड़ती है। फिर भी अमरनाथ प्रसन्न रहते हैं। उन्हें अपनी बाँह कटने का रत्ती भर भी दुख नहीं होता है। अस्पताल से घर आने के पश्चात वह शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू कर देते हैं। वे दिन-रात संगीत साधना में व्यस्त रहते हैं। वे स्वयं दिव्यांग हैं; इस बात को भी वे भूल जाते हैं। फिर से डॉक्टर उनके खून की जाँच करते हैं। अबकी बार उनकी आवाज चली जाती है। फिर भी अमरनाथ परिस्थितियों से हार मानने वाले नहीं थे।

अस्पताल से घर आकर संगीतज्ञों की कैसेट डिस्क म्यूजिक सिस्टम उनके कमरे में साइन बोर्ड पर रख दिया जाता है। संगीत सुनना पक्षियों का कलरव सुनना, सूखे पत्ते व कलियों की आवाज सुनने का उनका शौक बढ़ता ही जाता है। वे जानते हैं कि ईश्वर उनके एक-एक अंग को उनसे अलग कर रहा है। फिर भी वे टससे-मस नहीं होते हैं। वे ईश्वर के विरुद्ध शांत संघर्ष करते हैं। वे हार मानने वालों में से नहीं हैं। वे हमेशा अपराजेय ही रहेंगे। जीवन के हर पल, हर स्थिति एवं हर वस्तु में अद्वितीय ही रहेंगे। आखिर वे मानते हैं कि मनुष्य के जीवन का विकास पुरूषार्थ में हैं, आत्महीनता में नहीं।

शब्दार्थ:

  1. अकुलाहट – व्याकुलता, बेचैनी
  2. घुमक्कड़ी – घूमने की क्रिया
  3. परिदृश्य – चारों ओर के दृश्य
  4. उजास – प्रकाश, उजाला
  5. दुर्घटना – हादसा
  6. रक्तस्राव – रक्त का शरीर से बहना।
  7. स्वचालित – स्वयं चलने वाली
  8. अलवैर काम् – एक पाश्चात्य नाटककार
  9. अद्वितीय – जिसके समान कोई न हो।
  10. अपराजेय – जिसकी कभी पराजय न हो।

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