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Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष मुहावरे

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest परिशिष मुहावरे Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Hindi परिशिष मुहावरे

मुहावरा वह वाक्यांश जो सामान्य अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ में प्रयुक्त होता है; मुहावरे में उसके लाक्षणिक और व्यंजनात्मक अर्थ को ही स्वीकार किया जाता है। वाक्य में प्रयुक्त किए जाने पर ही मुहावरा सार्थक प्रतीत होता है।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष मुहावरे

  • अपना उल्लू सीधा करना – अपना स्वार्थ सिद्ध करना।
  • दिन दूना रात चौगुना बढ़ना – दिन–प्रतिदिन अधिक उन्नति करना।
  • अक्ल पर पत्थर पड़ना – बुद्धि काम न करना।
  • आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना।
  • आँखें बिछाना – अति उत्साह से स्वागत करना।
  • कान में कौड़ी डालना – गुलाम बनाना।
  • कंगाली में आटा गीला होना – विपत्ति में और अधिक विपत्ति आना।
  • कुएँ में बाँस डालना – जगह–जगह खोज करना।
  • गुड़ गोबर करना – बने काम को बिगाड़ देना।
  • गड़े मुर्दे उखाड़ना – पुरानी कटु बातों को याद करना।
  • कटे पर नमक छिड़कना – दुखी को और दुखी बनाना।
  • एक और एक ग्यारह – एकता में शक्ति होना
  • घर फूंक तमाशा देखना – अपनी ही हानि करके प्रसन्न होना।
  • घाट-घाट का पानी पिया होना – हर प्रकार के अनुभव से परिपूर्ण होना।
  • चाँदी काटना – बहुत लाभ कमाना। Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष मुहावरे
  • जहर का चूंट पीना – अपमान को चुपचाप सह लेना।
  • जी-जान से काम करना – पूरी क्षमता के साथ काम करना।
  • तिल का ताड़ बनाना – छोटी बात को बढ़ा–चढ़ाकर कहना।
  • पत्थर की लकीर होना – पक्की बात।
  • पेट में दाढ़ी होना – छोटी आयु में बुद्धिमान होना।
  • फूंक-फूंककर पाँव रखना – अति सावधानी बरतना।
  • मुट्ठी गर्म करना – रिश्वत देना।
  • रंग में भंग होना – प्रसन्नता के वातावरण में विघ्न पड़ना।
  • शक्ल पर बारह बजना – बड़ा उदास रहना।
  • सितारा चमकना – भाग्योदय होना
  • आठ-आठ आँसू रोना – बहुत अधिक रोना।
  • आँखें चार होना – प्रेम होना।
  • अगर-मगर करना – टाल–मटोल करना।
  • अपना ही राग अलापना – अपनी ही बातें करते रहना।
  • आसमान पर थूकना – अशोभनीय कार्य करना।
  • उल्टी गंगा बहाना – उल्टा काम करना।
  • उगल देना – भेद बता देना।
  • ओखली में सिर देना – जान–बूझकर जोखिम उठाना।
  • एक लाठी से हाँकना – सबके साथ समान व्यवहार करना।
  • चार चाँद लगाना – शोभा बढ़ाना।
  • पापड़ बेलना – कड़ी मेहनत करना।
  • कान भरना – चुगली करना। Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष मुहावरे
  • कोल्हू का बैल – लगातार काम में लगे रहने वाला। बहुत परिश्रम करने वाला।
  • कब्र में पैर लटकना – मरने के समीप होना।
  • कागजी घोड़े दौड़ाना – लिखा–पढ़ी करना।
  • कौड़ी-कौड़ी का मोहताज – अत्यंत निर्धन होना।
  • खाला का घर – आसान काम।
  • खाल मोटी होना – बेशर्म होना।
  • गिरगिट की तरह रंग बदलना – अवसरवादी होना।
  • घोड़े बेचकर सोना – गहरी नींद सोना।
  • हाथ खींचना – निश्चिंत होकर सोना।
  • चोली-दामन का साथ होना – साथ न देना।
  • चोर की दाढ़ी में तिनका – घनिष्ठ संबंध होना।
  • जली-कटी सुनाना – अपराधी का भयभीत और सशंकित रहना।
  • डकार तक न लेना – कटु–चुभती बातें करना।
  • डूबती नाव पार लगाना – सब कुछ हजम कर लेना।
  • तलवे चाटना – कष्टों से छुटकारा देना।
  • दाल न गलना – खुशामद करना।
  • पेट काटना – काम न बनना।
  • पाँचों उँगलियाँ घी में होना – चतुराई काम न आना।
  • पोंगा होना – भूखा रहना। Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष मुहावरे
  • बात का धनी – चहुँ तरफ लाभ होना।
  • मरने की फुरसत न होना – नासमझ होना।
  • मूंछ उखाड़ना – वचन का पक्का कामों में बहुत व्यस्त होना।
  • रोटियाँ तोड़ना – घमंड चूर-चूर कर देना।
  • वीरगति को प्राप्त होना-मुफ्त में खाना।
  • स्वांग भरना – युद्ध में वीरतापूर्वक मृत्यु पाना।
  • हवा लगना – विचित्र वेश बनाना, किसी की नकल उतारना।
  • हवाई किले बनाना – असर पड़ना/होना।
  • दाई से पेट छिपाना – बहुत अधिक कल्पना करना।
  • सिर खपाना – भेद जानने वाले से सच्ची बात छिपाना।
  • खबर गरम होना – कठोर परिश्रम करना। चर्चा-ही-चर्चा होना।
  • चिराग तले अँधेरा – गुणवान व्यक्ति में भी दोष होना।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 18 प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 18 प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 18 प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव

12th Hindi Guide Chapter 18 प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव Textbook Questions and Answers

कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर

पाठ पर आधारित

प्रश्न 1.
प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों द्वारा प्रकाश उत्पन्न करने के उद्देश्यों की जानकारी दीजिए।
उत्तर :
हम कोई भी काम करते हैं, तो उसके पीछे हमारा कोई-न-कोई उद्देश्य होता है। उसी तरह प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों का भी प्रकाश उत्पन्न करने के पीछे सार्थक उद्देश्य होता है।

वातावरण में लाखों कीट-पतंगे उड़ते रहते हैं। प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों का अँधेरे में प्रकाश उत्पन्न करने का एक कारण उजाले में अपने साथी की खोज करना होता है। इसके अलावा प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव इससे संकेतों का आदान-प्रदान भी करते हैं।

जीवों द्वारा प्रकाश उत्पन्न करने का दूसरा उद्देश्य उजाले में अपने शिकार को खोजना होता है। वह उजाले में शिकार को स्पष्ट रूप से देखकर उसे अपना शिकार बना सकता है। कुछ जीव अपने प्रकाश से शिकार को आकर्षित करने का काम भी करते हैं। प्रकाश से आकर्षित होकर शिकार जब उसके पास आता है, तो वह आसानी से उसे अपना शिकार बना लेता है।

है कुछ जीव, विशेषकर मछलियाँ, कामाफ्लास के लिए प्रकाश उत्पन्न करते हैं। इस प्रकाश में वे अपने परिवेश से इतना घुल-मिल जाते हैं कि सरलता से वे दिखाई नहीं देते। इससे उन जीवों को शिकार करने और अपने आप को सुरक्षित रखने में सुविधा होती है।

जीवों द्वारा प्रकाश उत्पन्न करने का उद्देश्य आत्मरक्षा करना भी होता है। सागरों और महासागरों में पाए जाने वाले कुछ जीव अपने प्रकाश उत्पादक अंगों से प्रकाश उत्पन्न करते हैं। ये स्क्विड के समान अपने शरीर से एक विशेष प्रकार का तरल रसायन छोड़ते हैं, जो पानी में मिलकर चमकीला प्रकाश-सा हो जाता हैं। इससे उनका शत्र उन्हें देख नहीं पाता है और वे वहाँ से भागने में सफल हो जाते हैं।

इस प्रकार प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों द्वारा प्रकाश उत्पन्न करने के कई सार्थक उद्देश्य होते हैं।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 लोकगीत

प्रश्न 2.
प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों की वैज्ञानिक अध्ययन की दृष्टि से जानकारी लिखिए।
उत्तर :
प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों के बारे में किए गए विभिन्न अध्ययनों से वैज्ञानिकों को अनेक प्रकार की जानकारियाँ प्राप्त हुई हैं। प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव जमीन और जल दोनों स्थानों पर पाए जाते हैं। जल में पाए जाने वाले ये जीव तालाबों और नदियों के जल में नहीं पाए जाते। प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव खारे जल वाले गहरे समुद्रों में पाए जाते हैं। इनमें जेलीफिश, स्क्विड, क्रिल तथा विभिन्न जातियों वाले झींगे मुख्य हैं।

वैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव दो प्रकार से प्रकाश उत्पन्न करते हैं – एक तो अपने शरीर पर पाए जाने वाले जीवाणुओं के माध्यम से, दूसरे रसायन के पदार्थों की पारस्परिक क्रिया के द्वारा। जीवाणुओं द्वारा प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों के पूरे शरीर पर प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवाणु रहते हैं। ये निरंतर प्रकाश उत्पन्न करते रहते हैं।

इन जीवों में इस प्रकाश को ढकने अथवा प्रकाश वाले भाग को अपने शरीर के अंदर खींचने की क्षमता होती है। अतः वे अपनी आवश्यकता के अनुसार इस प्रकाश का उपयोग करते हैं। रसायनों के द्वारा प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों के शरीर में ल्यूसीफेरिन (Luciferin) और ल्यूसीफेरैस (Luciferase) नामक रसायन होते हैं। इन दोनों रसायनों की सहायता से ये जीव प्रकाश उत्पन्न करते हैं।

अधिकांश जीव जीवाणुओं द्वारा अथवा रासायनिक क्रिया द्वारा प्रकाश उत्पन्न करते हैं। पर कुछ ऐसे भी जीव होते हैं, जिनके शरीर पर न तो प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवाणु रहते हैं और न ही उनके शरीर पर रसायन उत्पन्न करने वाले अंग ही होते हैं। फिर भी ये प्रकाश उत्पन्न करते हैं।

इन जीवों के शरीर में विशेष प्रकार के द्रव पदार्थ वाली ग्रंथि होती है। यह द्रव पदार्थ पानी के संपर्क में आते ही प्रकाश उत्पन्न करता है। समुद्र में पाए जाने वाले प्रकाश उत्पादक जीवों के लिए पानी आवश्यक होता है। ये जीव पानी के बाहर प्रकाश उत्पन्न नहीं कर सकते।

प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों की संख्या काफी है। जीव वैज्ञानिक अभी प्रकाश उत्पन्न करने वाले नए-नए जीवों की खोज कर रहे हैं तथा उनके द्वारा उत्पन्न किए जाने वाले प्रकाश पर शोध कर रहे हैं।

व्यावहारिक प्रयोग

प्रश्न 1.
समुद्री जीवों पर शोधपूर्ण आलेख पढ़ें।
उत्तर :
पृथ्वी के तीन चौथाई हिस्से पर समुद्रों की विशाल जल राशि व्याप्त है। इस जल राशि में समुद्री जीवों की विचित्र दुनिया है। ऐसी दुनिया जिसके बारे में जानकर दाँतों तले ऊँगली दबा लेनी पड़ती है।

समुद्र बड़े-छोटे, रंगबिरंगे, खतरनाक विषैले जीवों तथा प्रकाश उत्पन्न करने वाले असंख्य जीवों से भरा पड़ा है।

एक ओर जहाँ समुद्र में पाए जाने वाले जीवों पर आधारित मत्स्य उद्योग, सजावटी सामानों तथा अन्य अनेक वस्तुओं के व्यवसाय फल-फूल रहे हैं, वहीं समुद्र में अभी भी ऐसे अनेक जीव हैं जिनके बारे में हम जानते तक नहीं।

समुद्र के अद्भुत संसार में पाया जाने वाला अद्भुत जीव है व्हेल। यह समुद्र का सबसे बड़ा जीव है। इसकी लंबाई 25 मीटर और वजन 150 से 180 टन तक होता है। गहरे पानी में पाया जाने वाला यह जीव साँस लेने के लिए जब अपने सिर में बने छेद से पानी फेंकता है तो लगता है, जैसे बादल फटकर बरसात हो रही हो। विशाल जीवों में खतरनाक शॉर्क मछली भी मशहूर है। यह इतनी खतरनाक होती है कि अन्य समुद्री जीव इससे दूरी बनाकर चलते हैं। समुद्र में बिजली की तरह करंट मारने वाली दो मीटर लंबी बामी मछली की शकल-सूरत वाली एक मछली पाई जाती है, जिसका नाम है ईल।

इसके शरीर में 860 वॉट का करंट प्रवाहित होता है। यह अपने इस करंट से मगर जैसे खतरनाक जीव को भी मार डालती है। समुद्र में पाई जाने वाली सॉर्ड फिश चपटे और बहुत बड़े आकार की होती है। उसका थूथना नुकीला होता है और वजन 600 किलो तक का होता है। स्टिंग रे फिश का आकार हवाई जहाज जैसा होता है और इसके जबड़ों के पास वाले दो बड़े-बड़े काँटे बहुत विषैले होते हैं। विषैली मछलियों में जेली फिश का भी समावेश हैं।

यह पारदर्शी होती है और इसके शरीर से लटकने वाले रेशे बहुत विषैले होते हैं। इसलिए इसे पकड़कर उठाते समय बहुत सावधानी बरतनी पड़ती हैं।

समुद्र में कुछ ऐसी मछलियाँ भी पाई जाती हैं, जो उड़ सकती हैं। इन्हें फ्लाइंग फिश के नाम से जाना जाता है। ये पानी की सतह के ऊपर तेज गति से उड़ती हुई जाती हैं। ये मछलियाँ आकार में छोटी होती हैं। समुद्र में तीक्ष्ण दाँतों वाली पॉफर नाम की एक विचित्र मछली पाई जाती है। वह सामान्य मछलियों की तरह लंबी होती है पर छूने पर यह गोल आकार धारण कर लेती है।

समुद्र सी-हार्स, शील, डाल्फिन, लायन फिश, शंख, सीपियों, धोंधों, केकड़ों, कछुओं तथा विभिन्न प्रकार के साँपों से भरा हुआ है। इसमें तरह-तरह की हजारों किस्म की रंगबिरंगी मछलियाँ पाई जाती हैं।

इसके अलावा समुद्र में प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों का विशाल संसार है। ये जीव अपने शिकार करने अथवा अपनी आत्मरक्षा के लिए प्रकाश उत्पन्न करते हैं। इन जीवों में ऑक्टोपस, एंगलर मछलियाँ, कटलफिश, कार्डिनल मछली, क्रिल, जेली फिश, टोड मछली, धनुर्धारी मछली, वाम्बेडक मछली, मूंगे, लालटेल मछली, वाइपर मछली, शंबुक, समुद्री कासनी, समुद्री स्लग, समुद्री स्क्विर्ट, स्क्विड तथा व्हेल मछली प्रमुख हैं। जीव वैज्ञानिक अभी भी समुद्र में प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों की खोज का कार्य कर रहे हैं।

जिस प्रकार समुद्र का आरपार नहीं है उसी प्रकार समुद्री जीवों का भी आरपार नहीं है।

प्रश्न 2.
प्रकाश उत्पन्न करने वाले किसी एक जीव की खोज कीजिए।
उत्तर :
संसार में प्रकाश उत्पन्न करने वाले अनेक जीव हैं। प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है। एक जमीन पर पाए जाने वाले जीव और दूसरे जल में पाए जाने वाले जीव। यहाँ हम जमीन पर पाए जाने वाले प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव जुगनू की जानकारी प्राप्त करेंगे।

जुगनू एक सामान्य कीड़ा है, जो रात के अंधेरे में आकाश में रुक-रुक कर प्रकाश करते हुए उड़ता है। यह ग्रामीण भागों में सर्वत्र पाया जाता है। गाँवों में अकसर बच्चे जुगनू को मुट्ठी में पकड़ कर खेलते हैं। दूसरे बच्चे यह देख कर ताज्जुब करते हैं कि आग को मुट्ठी में पकड़ने पर भी उसका हाथ जला क्यों नहीं। पर प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों के प्रकाश में ऊष्मा नहीं होती। यह प्रकाश ठंडा होता है। इसलिए हाथ जलने का सवालही नहीं उठता।

प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव दो प्रकार से प्रकाश उत्पन्न करते ई हैं। एक जीवाणुओं द्वारा और दूसरे रासायनिक, पदार्थों की पारस्परिक क्रिया द्वारा। जुगनू रासायनिक पदार्थों की पारस्परिक क्रिया द्वारा प्रकाश उत्पन्न करता है।

वह रात के अंधेरे में आकाश में उड़ते हुए रुक-रुक प्रकाश छोड़ता है। यह प्रकाश उसके शरीर के पिछले हिस्से में चमकता हुआ दिखाई देता है। जुगनू अपने छोटे-छोटे परों से उड़ता है। रात के अँधेरे में उड़ते हुए जुगनू के प्रकाश उत्पन्न करने के कई कारण है। दिन में जुगनू चिड़ियों आदि के खाए जाने के डर से झाड़ियों में छुपा रहता है। रात के समय उत्युक्त आकाश में उसे उड़ने का अवसर मिलता है।

उड़ते समय वह अपने साथी की प्रकाश के द्वारा खोज करता है। इस तरह के प्रकाश में उसका एक मकसद अपने शिकार करने की खोज करना भी होता है। लेकिन उसके शरीर से प्रकाश उत्पन्न करने से वह अपने बड़े शत्रु कीट-पतंगे की नजर में आ जाता है और आसानी से वह उनका शिकार भी बन जाता है।

जुगनू के प्रकाश उत्पन्न करने के पीछे वैज्ञानिक कारण जो भी हों, उसे प्रकाश उत्पन्न करते हुए उड़ते देखना सब को अच्छा लगता है।

प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव Summary in Hindi

प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव लेखक का परिचय

प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव लेखक का नाम :
डॉ. परशुराम शुक्ल। (जन्म 6 जून, 1947.)

प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव प्रमुख कृतियाँ :
‘जासूस परमचंद के कारनामे’ (बाल धारावाहिक), ‘नन्हा जासूस’ (बाल कहानी संग्रह), ‘सुनहरी परी और राजकुमार’ (बाल उपन्यास), ‘नंदनवन’, ‘आओ बच्चो, गाओ बच्चो’, ‘मंगल ग्रह जाएँगे’ (बाल कविता संग्रह) आदि।

प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव विशेषता :
बाल साहित्य लेखन और पशु जगत का विश्लेषण करने में सिद्धहस्त। आपकी अनेक कृतियों का अंग्रेजी, उर्दू, पंजाबी, सिंधी आदि भाषाओं में अनुवाद। राष्ट्रीय स्तर के अनेक पुरस्कारों से सम्मानित।

विधा :
लेख। लेख लिखने की परंपरा बहुत पुरानी है। इसमें वस्तुनिष्ठता, ज्ञानपरकता तथा शोधपरकता जैसे तत्त्वों का समावेश होता है। लेख समाज विज्ञान, राजनीति, इतिहास जैसे विषयों का ज्ञानवर्धन करने के साथ-साथ जानकारी का नवीनीकरण भी करते हैं।

प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव विषय प्रवेश :
हम प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों में केवल जुगनू से ही परिचित हैं। लेकिन जुगनू के अतिरिक्त ऐसे अनेक जीव हैं, जो प्रकाश उत्पन्न करते हैं। प्रस्तुत पाठ में लेखक ने प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों के बारे में विस्तार से बताया है। लेखक कहना चाहते हैं कि हमें विज्ञान की दृष्टि से संसार को देखने की आवश्यकता है।

प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव पाठ का सार

विश्व के समस्त जीवों के लिए प्रकाश का बहुत महत्त्व है। मनुष्य ने अपने लिए प्रकाश की कई तरह की कृत्रिम व्यवस्था की. है। इसी तरह संसार में ऐसे अनेक जीव पाए जाते हैं जिनके शरीर पर प्रकाश उत्पन्न करने वाले अंग होते हैं। मानव द्वारा तैयार किए गए प्रकाश में ऊष्मा होती है, पर जीवों द्वारा उत्पन्न प्रकाश में ऊष्मा नहीं होती। जीवों के प्रकाश उत्पन्न करने की क्रिया को ल्युमिनिसेंस (Luminiscence) कहते हैं।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 18 प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव 1

प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों में जुगनू (Firefly) प्रसिद्ध जीव है। यह कीट वर्ग का जीव है और पूरे वर्ष प्रकाश उत्पन्न करता है।

संसार में कवक (छत्रक) (Fungus) की कुछ जातियाँ रात में प्रकाश उत्पन्न करती हैं। इसी प्रकार मशरूम की कुछ जातियाँ भी रात में प्रकाश उत्पन्न करती हैं।

प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव थल की अपेक्षा खारे पानी यानी सागरों-महासागरों में अधिक पाए जाते हैं। ये सागर के गहरे पानी में पाए जाते है। इनमें जेलीफिश, स्क्विड, क्रिल तथा विभिन्न जाति के झींगे मुख्य हैं।

प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव दो प्रकार से प्रकाश उत्पन्न करते हैं। एक जीवाणुओं द्वारा और दूसरे रासायनिक पदार्थों की पारस्परिक क्रिया द्वारा कुछ जीवों के शरीर पर ऐसे जीवाणु रहते हैं, जो प्रकाश उत्पन्न करते हैं। ये जीव प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं से सहजीवी संबंध बना लेते हैं और आवश्यकता के अनुसार इनके प्रकाश का उपयोग करते हैं।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 18 प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव 2

जीवाणुओं के प्रकाश का उपयोग करने वाले जीव इस प्रकाश का उपयोग दो तरह से करते हैं – एक शरीर के भाग को भीतर खींच कर और दूसरे प्रकाश उत्पन्न करने वाले भाग को ढककर। इससे वे उस स्थान का प्रकाश समाप्त कर देते हैं।

प्रकाश उत्पन्न करने वाले कुछ जीव रसायनों की सहायता से प्रकाश उत्पन्न करते हैं। वे रसायन प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों के शरीर में रहते हैं तथा ल्यूसीफेरिन तथा ल्यूसीफेरैस नामक रसायनों की सहायता से प्रकाश उत्पन्न करते हैं।

अधिकांश जीव जीवाणुओं द्वारा अथवा रासायनिक क्रिया द्वारा प्रकाश उत्पन्न करते हैं। लेकिन कुछ जीव ऐसे होते हैं जिनके शरीर में विशेष प्रकार की ग्रंथि होती है, जिससे एक विशेष प्रकार का द्रव पदार्थ निकलता है। वह द्रव पदार्थ पानी के संपर्क में आते ही प्रकाश उत्पन्न करने लगता है।

समुद्र में पाए जाने वाले प्रकाश उत्पादक जीव पानी के बाहर प्रकाश उत्पन्न नहीं कर सकते हैं।

अध्ययनों से पता चला है कि जमीन और पानी के सभी जीव अपने अलग-अलग उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अपने-अपने ढंग से प्रकाश उत्पन्न करते हैं। ये उद्देश्य इस प्रकार होते हैं – साथी की खोज और संकेतों का आदान-प्रदान, शिकार की खोज और शिकार को आकर्षित करना, कामाफ्लास उत्पन्न करना तथा आत्मरक्षा करना।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 18 प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव 3

गहरे समुद्रों में अनेक जीव शिकार की खोज के लिए अपने शरीर से प्रकाश उत्पन्न करते हैं। एंगलर मछली उनमें से एक है। समुद्र में अनेक जीव, विशेषकर मछलियाँ शिकार करने अथवा सुरक्षा की दृष्टि से कामाफ्लास के लिए प्रकाश उत्पन्न करती हैं। इससे उन्हें शिकार करने और सुरक्षित रहने में सहायता मिलती है। समुद्र के कुछ अन्य जीव भी आत्मरक्षा के लिए अपने प्रकाश अंगों से तरल रसायन छोड़कर चमकीला प्रकाश उत्पन्न करते हैं।

प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों के बारे में वैज्ञानिक अध्ययन सन 1600 के आसपास शुरू हुआ था। वैज्ञानिक यह जानना चाहते थे कि कुछ जीव प्रकाश क्यों उत्पन्न करते हैं। सन 1794 तक जीव वैज्ञानिक यह समझते रहे कि समुद्री जीव फासफोरस की सहायता से प्रकाश उत्पन्न करते हैं। किंतु फासफोरस विषैला पदार्थ होता है यह जीवित कोशिका में नहीं रह सकता। इसलिए इस मत को मान्यता नहीं मिल सकी।

सन 1794 में इटली के वैज्ञानिक स्पैलेंजानी, सन 1887 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक थिबाइस तथा सन 1894 में प्रोफेसर अलिरक डाहलगैट ने जीवों के प्रकाश उत्पन्न करने के बारे में विभिन्न मत व्यक्त किए। इससे प्रकाश उत्पन्न करने वाले नए-नए जीवों के खोज के कार्य को प्रोत्साहन मिला।

सागर में प्रकाश उत्पन्न करने वाले तरह-तरह के जीव पाए गए हैं, जो अपनी किस्म के निराले हैं।

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धरती पर पाए जाने वाले प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों की संख्या बहुत है। इनमें ऑक्टोपस, एंगलर मछलियाँ, कटलफिश, कनखजूरा, कार्डिनल मछली, क्रिल, कोपपाड, क्लाम, जुगनू, जेलीफिश, टोड मछली, धनुर्धारी मछली, नलिका कृमि, पिडाक, वाम्बेडक मछली, ब्रिसलमाउथ, भंगुरतारा, मूंगा, लालटेल मछली, वाइपर मछली, शंबुक, शल्क कृमि, समुद्री कासनी, समुद्री स्लग, समुद्री स्क्विर्ट, स्क्विड तथा व्हेल मछली आदि प्रमुख हैं।

प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव शब्दार्थ

कृत्रिम बनावटी।
आविष्कार ईजाद।
संरचना बनावट।
तंतु तागा, रेशा।
ऊष्मा गर्मी।
कवक छत्रक, कुकुरमुत्ता।
थल जमीन।
सहजीवी साथ रहने वाला।
जीवाणु क्षुद्रतम जीव।
नियंत्रित नियंत्रण में रखा हुआ।
रसायन पदार्थों का तत्त्वगत ज्ञान।
ग्रंथि शरीर का वह विशेष अंग जो शारीरिक क्रियाओं को जारी रखने के लिए आवश्यक रासायनिक यौगिका का निर्माण करके उसे शरीर में भेजता है।
रासायनिक रसायनशास्त्र या तत्त्व संबंधी।
अवयव अंग।
प्रयोगशाला वह स्थान जहाँ पदार्थ विज्ञान, रसायनशास्त्र आदि विषयक तथ्यों को समझने, जानने या नई बातों का पता लगाने की दृष्टि से विविध प्रयोग किए जाते हैं।
द्रव पदार्थ तरल पदार्थ।
विश्लेषण किसी चीज के अंगों को अलग करना।
कामाफ्लास किसी जीव की वह स्थिति, जिसमें वह अपने परिवेश में घुल मिल जाता है।

प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव शोधपरक लेखन के मुद्दे

  • विषय का उल्लेख
  • शोध की आवश्यकता
  • शोध को लेकर विविध पुस्तकों का अध्ययन
  • शोध विषय के पुष्ट्यार्थ विविध संदर्भ पुस्तकों का वाचन
  • शोध कार्य की सूची
  • शोधविषय की सिद्धता
  • सिद्धता का कॉपी में अंकन
  • शोधकार्य की साहित्यिक उपयोगिता