Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 मैं बरतन माँगूँगा

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 2 मैं बरतन माँगूँगा Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 मैं बरतन माँगूँगा

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 2 मैं बरतन माँगूँगा Textbook Questions and Answers

1. संजाल पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 मैं बरतन माँगूँगा 1

2. निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय छाँटकर लिखिए।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय छाँटकर लिखिए।
1. किताबी
2. पढ़ाकू
उत्तर:
1. प्रत्यय – ई
2. प्रत्यय – आकू

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3. गद्यांश पढ़कर प्राप्त होने वाली प्रेरणा लिखिए।

प्रश्न 1.
गद्यांश पढ़कर प्राप्त होने वाली प्रेरणा लिखिए।
उत्तर:
इस गद्यांश को पढ़कर हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें अपने समय का हमेशा सदुपयोग करना चाहिए। हमें कभी-भी अपना समय पुस्तकें पढ़ने एवं अपने आवश्यक कार्य करने में ही व्यतीत करने चाहिए। समय का दुरुपयोग कभी नहीं करना चाहिए। समय के सदुपयोग से ही व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है तथा अपने जीवन में विकास कर सकता है। समय का सदुपयोग न करने से व्यक्ति का कार्य भी नहीं हो पाता और वह अन्य परेशानियों में फँस जाता है। अत: हमें पाठ के विश्वकर्मा सर से प्रेरणा लेते हुए ऐसा करना चाहिए कि हम भी अपना अमूल्य समय बर्बाद न होने दें।

4. कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
पुस्तकों की ढेरियाँ बना रखी थी क्योंकि
उत्तर:
पुस्तकों की ढेरियाँ बना रखी थी क्योंकि कमरे में आलमारी नहीं थी।

प्रश्न 2.
मित्रों द्वारा मूर्ख समझे जाने पर भी लेखक महोदय खुश थे क्योंकि
उत्तर:
मित्रों द्वारा मूर्ख समझे जाने पर भी लेखक महोदय खुश थे क्योंकि लेखक जानते थे कि मूर्ख कौन है।

5. ‘अध्यापक के साथ विद्यार्थी का रिश्ता’ विषय पर स्वमत लिखिए।

प्रश्न 1.
‘अध्यापक के साथ विद्यार्थी का रिश्ता’ विषय पर स्वमत लिखिए।
उत्तर:
प्राचीन काल से गुरु-शिष्य का संबंध बड़ा ही गहरा और पवित्र रहा है। गुरु अपने शिष्य का सबसे बड़ा मार्गदर्शक होता है। उसके द्वारा दिए जाने वाला हर ज्ञान, शिष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। गुरु शिष्य पर आने वाली हर मुसीबत में उसका साथ देता है। इसलिए कहा गया है – गुरु बिन ज्ञान न होत है, गुरु बिन दुआ अजान। गुरु बिन इंद्रिय न सधै, गुरु बिन बढ़े न शान। शिष्य भी अपने गुरु को भगवान स्वरूप मानता है। वह गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश समझता है। गुरु के कहे हर शब्द को वह आदेश मानकर उसका पालन करता है। प्रश्न ४ (घ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

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भाषा बिंदु:

प्रश्न 1.
रचना की दृष्टि से वाक्य पहचानकर अन्य एक वाक्य लिखिए।
उत्तर:
जब पाठ्यपुस्तक पढ़ते-पढ़ते
ऊब जाओ, तब झट कोई बाहरी
रुचिकर पुस्तक पढ़ा करो।

प्रश्न 2.
जब पानी बरस रहा था, तब मैं घर के भीतर था।
उत्तर:
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लेखनीय:

प्रश्न 1.
‘कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता’ इस पर एक प्रसंग लिखकर उसे कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
महात्मा गाँधी ने कहा था कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। बल्कि इंसान की सोच बड़ी होनी चाहिए। इस वाक्य पर एक प्रसंग मुझे याद आया जो इस प्रकार है: सतीश एक बहुत ही अच्छा मकैनिक था, जो अपने काम के आगे सभी लोगों के काम को छोटा समझता था। उसको लगता था कि जो काम वह कर रहा है वही सबसे अच्छा काम है बाकी सब लोगों का काम बेकार है। एक दिन एक डॉक्टर साहब अपनी कार लेकर उसके पास आए और बोले भाई इसको देखना क्या हो गया।

वह डॉक्टर एक सर्जन थे और बड़े ही अच्छे स्वभाव के थे। सतीश भी बड़े लोगों की गाड़ियों को देखकर बहुत ही खुश होता था। गाड़ी सही करते वक्त वह डॉक्टर साहब से बोला- आप का और मेरा काम तो एक समान है, फिर भी आप मुझसे ज्यादा पैसा क्यों कमाते हैं? आप देखो न, जैसे मैं गाड़ी का इंजन खोलता हूँ उसी तरह आप भी ऑपरेशन करते हैं।

डॉक्टर साहब बहुत ही विनम्र होकर बोले, आप जो काम करते हो वे जिंदा लोगों पर नहीं करते हो, आप के काम में कुछ देर हो जाए तो आप कल कर सकते है, लेकिन मेरा काम जिंदा लोगों पर ही होता है, जिसमें आप बिलकुल भी देर नहीं कर सकते है। यह बात सुनकर सतीश को समझ में आ गया कि कोई काम बड़ा या छोटा नहीं होता है। बस इंसान की सोच बड़ी होनी चाहिए।

रचनात्मकता की ओर:

मौलिक सृजन:

प्रश्न 1.
‘नम्रता होती है जिनके पास, उनका ही होता मौलिक सृजन दिल में वास।’ इस विषय पर अन्य सुवचन तैयार कीजिए।
उत्तर:

  1. आत्मसम्मान की भावना ही नम्रता की औषधि है।
  2. नम्रता की ऊँचाई नापने के लिए ब्रह्मांड का कोई भी मापक यंत्र सक्षम नहीं।
  3. किसी महान व्यक्ति की प्रथम परीक्षा उसकी नम्रता से लेनी चाहिए।
  4. नम्रता के पीछे स्वार्थ हो, तो वह ढोंग है।
  5. जिसमें नम्रता नहीं आती, वे विद्या का पूरा सदुपयोग नहीं कर सकते।
  6. नम्रता से वे कार्य भी बन जाते हैं जो कठोरता से नहीं बन पाते।
  7. नम्रता स्वर्ग के रास्ते की कुंजी है।

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आसपास:

प्रश्न 1.
दूसरे शहर-गाँव में रहने वाले अपने मित्र को आसपास विद्यालय के अनुभव सुनाइए।
उत्तरः
मैं गर्मी की छुट्टियों में अपने ननिहाल (मामा के घर) गया। मेरे मामा का लड़का राकेश भी नौवीं में पढ़ता था। उसने मुझसे मेरे विद्यालय के बारे में पूछा तो मैंने बताया कि मेरा विद्यालय शहर के बीचों बीच है। मेरे विद्यालय में पुस्तकालय और खेल का मैदान भी है। मेरे विद्यालय में बहुत अच्छी पढ़ाई होती है। सभी अध्यापक और अध्यापिकाएँ समय पर कक्षा में आते हैं तथा अपना विषय अच्छे तरीके से पढ़ाते हैं। यदि हमें कुछ प्रश्न या सवाल समझ में नहीं आता है तो वे हमें बार-बार समझाते और अतिरिक्त कक्षा में भी पढ़ाते हैं। मेरे विद्यालय में बहुत कड़ा अनुशासन है। कोई भी अनुशासन को नहीं भंग करता है। सभी लड़के और लड़कियाँ एक साथ मिल-जुलकर रहते हैं और एक दूसरे की सहायता भी करते हैं। मेरे विद्यालय में समय-समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं इसमें सभी लड़के और लड़कियाँ भाग लेते हैं। मेरे विद्यालय में हमेशा खेल-कूद का भी आयोजन होता है तथा अनेक विद्यार्थी खेलों में भी प्रथम स्थान पाते हैं। मेरे विद्यालय का अनुशासन शिक्षा व्यवस्था तथा शिष्टाचार बहुत ही अच्छा है।

पाठ से आगे:

प्रश्न 1.
‘स्वयं अनुशासन’ पर कक्षा में चर्चा कीजिए तथा इससे संबंधित तक्तियाँ बनाइए।
उत्तर:

  • मोहन – अनुशासन क्या है?
  • श्याम – अनुशासन कुछ ऐसा है जो सभी को अच्छे से नियंत्रित करके रखता है। यह व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है और सफल बनाता है।
  • राकेश – इसकी जरूरत क्यों होती है?।
  • रमेश – जीवन में सही रास्ते पर चलने के लिए हर एक व्यक्ति में अनुशासन की बहुत जरूरत पड़ती है। अनुशासन के बिना जीवन बिल्कुल निष्क्रिय और निरर्थक हो जाता है।
  • मोहन – अनुशासन कितने प्रकार का होता है?
  • श्याम – अनुशासन दो प्रकार का होता है, एक वो जो हमें बाहरी समाज से मिलता है और दूसरा वो जो हमारे अंदर स्वयं उत्पन्न होता है।
  • राकेश – स्वयं अनुशासन का क्या अर्थ होता है?
  • रमेश – स्वयं अनुशासन का सभी व्यक्तियों के लिए अलग-अलग अर्थ होता है जैसे विद्यार्थियों के लिए इसका मतलब है सही समय पर एकाग्रता के साथ पढ़ना और दिए गए कार्य को पूरा करना।
  • सतीश – स्वयं अनुशासन की जरूरत क्यों है?
  • श्याम – हर व्यक्ति में स्व-अनुशासन की बहुत जरूरत है क्योंकि आज के आधुनिक समय में किसी को भी दूसरों को अनुशासन के लिए प्रेरित करने का समय नहीं है।
  • राकेश – क्या अभिभावक को भी स्वयं अनुशासन की जरूरत होती है।
  • रमेश – अभिभावक को स्व-अनुशासन को विकसित करने की जरूरत है क्योंकि उसी से वो अपने बच्चों को भी अनुशासन की शिक्षा दे सकते हैं। उन्हें हर समय अपने बच्चों को प्रेरित करते रहने की जरूरत पड़ती है जिससे वो दूसरों से अच्छा व्यवहार करें और हर कार्य को सही समय पर करें।

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विद्यालय में अनुशासन से संबंधित कुछ बातें:

  1. कम बोलें, धीमा बोलें तथा मीठा बोलें।
  2. सदाचार का पालन करें।
  3. अपने गुरुजन का सम्मान करें।
  4. हमेशा शिष्टता का व्यवहार करें।
  5. अपना गृहकार्य अवश्य पूरा करें।
  6. विद्यालय में आयोजित प्रतियोगिता में अवश्य भाग लें।
  7. समय पर विद्यालय आएँ।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 2 मैं बरतन माँगूँगा Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
लिंग परिवर्तन कीजिए।
1. दादी
2. पिता
उत्तर:
1. दादा
2. माता

प्रश्न 2.
निम्न शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।
1. डर × ………….
2. विद्वान × …………..
उत्तर:
1. निडर
2. मूर्ख

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कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘जीवन में शिक्षा का महत्त्वपूर्ण स्थान है।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
शिक्षा का हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। शिक्षा वह है, जो मनुष्य को ज्ञान प्रदान करने के साथ-साथ उसके हृदय एवं आत्मा का विकास करती है। शिक्षा हमारी समृद्धि में आभूषण, विपत्ति में शरण स्थान और समस्त कालों में आनंद देने वाली होती है। जीवन लक्ष्य की पूर्ति के लिए शिक्षा आवश्यक है। शिक्षा हमें स्वयं के विकास के साथ-साथ समाज और राष्ट्र के विकास के लिए भी प्रेरित करती है। शिक्षा ही मनुष्य को जीवन की विविध परिस्थितियों से समायोजन करना सीखाती है।

(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
विश्वकर्मा सर को इसका शौक था।
उत्तर:
पढ़ने का

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कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
वचन परिवर्तन कीजिए।
1. अध्यापकगण
2. पुस्तक
उत्तर:
1. अध्यापक
2. पुस्तकें

प्रश्न 2.
समानार्थी शब्द लिखिए।
1. शौक
2. गजब
उत्तर:
1. रुचि
2. अद्भुत

(ग) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य पहचानकर लिखिए।
1. विश्वकर्मा सर का कमरा बरतनों से भरा हुआ था।
2. विषय बदलने से दिमाग में ताजगी आ जाती है।
उत्तर:
1. असत्य
2. सत्य

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प्रश्न 3.
कारण लिखिए।
लेखक के साथी उनको चिढ़ाते थे क्योंकि
उत्तर:
लेखक के साथी उनको चिढ़ाते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि लेखक इधर-उधर की पुस्तकों से समय बरबाद करते हैं।

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
गद्यांश से शब्द-युग्म शब्दों की जोड़ियाँ लिखिए।
उत्तर:
1. मंद – मंद
2. एक – एक

प्रश्न 2.
गद्यांश से विरुद्धार्थी शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
1. खाली × …………….
2. मोटी × ……………
उत्तर:
1 भरा
2. पतली

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
1. विश्वकर्मा सर का यह क्रम ज्यों-का-त्यों बना रहा –
2. भोजन बनाने में इतना समय लगता है –
उत्तर:
1. बरतन धोने का
2. करीब दो घंटे

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प्रश्न 2.
कारण लिखिए।
विश्वकर्मा सर हमेशा बरतन धोते थे क्योंकि
उत्तर:
विश्वकर्मा सर हमेशा बरतन धोते थे क्योंकि खाना बनाने में पूरे दो घंटे लगते हैं और बरतन धोने में सिर्फ दस मिनट।

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
समानार्थी शब्द लिखिए।
1. समय
2. खुश
उत्तर:
1. वक्त
2. प्रसन्न

प्रश्न 2.
विलोम शब्द लिखिए।
1. मित्र × ………….
2. मूर्ख × …………
उत्तर:
1. शत्रु
2. विद्वान

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘आदर्श शिक्षक’ पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
शिक्षक एक विशाल इमारत की नींव की तरह होते हैं। जिस इमारत की नींव ही कमजोर हो, तो उस इमारत का कोई भविष्य नहीं होता है। उसी तरह आदर्श शिक्षक न हो तो विद्यार्थियों का भविष्य सुरक्षित नहीं होता । शिक्षक अनुशासन प्रिय होते हैं । अपने विषय को वे इस तरह समझाने का प्रयत्न करते हैं, जिसे सामान्य से सामान्य विद्यार्थी भी समझ सकें। वे अपने विद्यार्थियों में संयम, सेवा, त्याग, सहयोग और देशभक्ति के बीज बोते हैं।

मैं बरतन माँगूँगा Summary in Hindi

लेखक-परिचय:

हमराज भट्ट हिंदी के आधुनिक साहित्यकारों में से एक है। हमराज भट्ट की बालसुलभ रचनाएँ बहुत प्रसिद्ध हैं। इनकी कहानियाँ, निबंध, संस्मरण विविध पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होती रहती हैं।

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गद्य-परिचय:

आत्मकथात्मक कहानी: आत्मकथा हिंदी साहित्य में गद्य की एक विधा है। इसमें स्वयं या कहानी का कोई पात्र ‘मैं’ के माध्यम से पूरी कहानी का आत्मचित्रण करता है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत पाठ ‘मैं बरतन माँगूंगा’ में लेखक हमराज भट्ट जी ने समय की बचत, समय का उचित उपयोग एवं
अध्ययनशीलता जैसे गुणों को दर्शाया है।

सारांश:

प्रस्तुत पाठ में लेखक ने बचपन के एक प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा है कि उन्हें बचपन में विषय के अतिरिक्त दूसरी पुस्तक पढ़ने की आदत नहीं थी। वह अपने गुरु जी के डर से पाठ्यक्रम की कविताएँ ही रट लिया करते थे। उनके पिता जी कभी पत्रिका लाते थे तो वह लेखक को पढ़ने के लिए नहीं मिलता था।

आठवीं पास करने के बाद नौवीं में पढ़ने के लिए उनके घरवालों ने उन्हें अच्छी नसीहत देकर शहर भेज दिया। उनके साथ गाँव के दो साथी और थे। तीनों एक साथ कमरा लेकर उसमें रहने लगे।

वह जिस कमरे में रहते थे उसके सामने उनके तीन अध्यापक भी रहते थे पुरोहित जी, खान साहब और विश्वकर्मा जी। तीनों अध्यापक साथ-साथ बनाते खाते थे; उनमें कोई भेदभाव नहीं था। लेखक और उनके साथियों ने गौर किया कि विश्वकर्मा सर हमेशा बरतन माँजते थे जबकि पुरोहित और खान साहब कभी बरतन नहीं माँजते थे। विश्वकर्मा सर को पढ़ने का भी शौक था। वह हर वक्त किताबों में ही डूबे रहते। उन्हें देखकर लेखक भी उनसे पुस्तकें लेकर पढ़ना चाहता था। एक दिन किसी बहाने से वह उनके कमरे में गया तो वहाँ अनेक पुस्तकों को देखा। आलमारी ना होने के कारण पुस्तकें जमीन पर ही पड़ी थी । विश्वकर्मा सर ने लेखक को देख लिया और उन्हें कुछ पुस्तकें भी पढ़ने को दी। धीरे-धीरे लेखक और विश्वकर्मा सर में खूब जमने लगी।

एक दिन लेखक ने उनसे रोज सुबह-शाम बरतन माँजने का कारण पूछा। विश्वकर्मा सर ने विस्तार से बताया, कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता। बर्तन माँजने में दस मिनट का समय लगता है जबकि खाना बनाने में दो घंटे का समय लगता है तथा धुएँ और शोर को भी सहना पड़ता है। अत: वह बरतन माँजने का काम करके १ घंटा ५० मिनट बचा लेते हैं, जिसमें वह पढ़ाई करते हैं। विश्वकर्मा सर के इस तर्क को सुनकर लेखक बहुत प्रभावित हुए और वह भी उस दिन अपने साथियों को बोले कि अब दोनों समय का बरतन मैं ही माँगूंगा और तुम दोनों खाना बनाया करो। उनके साथी उनको मूर्ख समझने लगे जबकि लेखक जानते थे कि मूर्ख कौन है।

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शब्दार्थ:

  1. पलटना – बदलना
  2. एहसास – आभास
  3. नसीहत – उपदेश, सीख
  4. चर्चा – बातचीत
  5. शौक – रुचि
  6. पढ़ाकू – पढ़नेवाला
  7. ढेरियाँ – समूह
  8. मंद – धीमा
  9. तत्काल – तुरंत
  10. रुचिकर – मनपसंद
  11. पठनीय – पढ़ने योग्य
  12. नि:संकोच – बिना संकोच के
  13. पारावार – सीमा
  14. आह्लादित – आनंदित
  15. हिदायत – निर्देश, सूचना
  16. कौर – ग्रास, निवाला
  17. गजब – अद्भुत
  18. ठाट – शान
  19. करीने – क्रम से
  20. इत्मीनान – संतोष
  21. प्रोत्साहित – उत्साहित
  22. ताजगी – नयापन
  23. स्वाध्याय – स्वयं किया गया अध्ययन

मुहावरे:

1. किताबी कीड़ा होना – केवल पढ़ने में ही लगे रहना।
2. घुड़क देना – जोर से बोलकर डराना, डाँटना।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 6 सागर और मेघ Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 6 सागर और मेघ Textbook Questions and Answers

1. स्वमत अभिव्यक्ति:

प्रश्न 1.
‘अगर न नभ में बादल होते’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
अगर नभ में बादल न होते तो बारिश नहीं होती और यदि वर्षा नहीं होती तो हमारा जीवन संकट में पड़ जाता। क्योंकि जल ही जीवन है। वर्षा के माध्यम से हमें जल की प्राप्ति होती है। हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है जहाँ ७०% आबादी कृषि पर निर्भर है अगर वर्षा न होती तो धरती बंजर रह जाती और हमें भोजन के लिए अन्न उपलब्ध नहीं होता। नदी, तालाब, जलाशय सब सूख जाते और प्राणियों का जीवन संकट में पड़ जाता क्योंकि बिना भोजन के हम कुछ दिन जीवित रह सकते हैं, लेकिन बिना पानी के हमारा एक-दो दिन जीना भी मुश्किल हो जाएगा।

अगर मेघ न होंगे, तो धरती का तापमान अत्यधिक बढ़ जाएगा और मनुष्य बेहाल हो जाएगा। बारिश के कारण धरती का तापमान नियंत्रित रहता है। बादल संसार को जल रूपी जीवन का दान करता है और अनुपजाऊ धरती को उपजाऊ बनाता है। किसान बड़ी आतुरता के साथ वर्षा का इंतजार करता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि अगर न नभ में बादल होते, तो शायद यह जीवन ही संभव न हो पाता।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

प्रश्न 2.
‘सागर और मेघ एक-दूसरे के पूरक हैं’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
‘सागर और मेघ एक-दूसरे के पूरक हैं’ क्योंकि इन दोनों के बिना जलचक्र संभव नहीं हो सकता है। जब मेघ से पानी बरसता है तो वह वायुमंडल से भूमि तक पहुँचता है। फिर नदियों में जाकर मिलता है और वह नदियाँ अंत में जाकर सागर में मिल जाती हैं। सागर में वाष्पीकरण की क्रिया होती है और वह पानी वाष्प बनकर फिर बादल बन जाते हैं और पृथ्वी पर वर्षा होती है जिससे अनेक जीव-जंतु और वनस्पतियाँ उत्पन्न होती हैं। अत: हम कह सकते हैं कि सागर और मेघ के बिना प्राणी का जीवन संभव नहीं हो सकता। इसलिए वे दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।

2. उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

प्रश्न 1.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

‘अ’ ‘ब’
1.  झूठी स्पर्धा करने वाला (क) सागर
2. अपने हृदय में कंकड़ पत्थर, शंख-घोंघे (ख) मेघ भरने वाला।
(ग) मनुष्य

उत्तर:

‘अ’ ‘ब’
1.  झूठी स्पर्धा करने वाला (ग) मनुष्य
2. अपने हृदय में कंकड़ पत्थर, शंख-घोंघे (क) सागर

3. समानार्थी शब्द बताइए।

प्रश्न 1.
समानार्थी शब्द बताइए।
1. संसार
2. विवेकहीन
उत्तर:
1. विश्व
2. बुद्धिहीन

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भाषा बिंदु:

प्रश्न 1.
निम्न वाक्यों में से सर्वनाम एवं क्रिया छाँटकर भेदों सहित लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 1

मौलिक सृजन:

प्रश्न 1.
‘परिवर्तन सृष्टि का नियम है’ इस संदर्भ में अपना मत व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
परिवर्तन सृष्टि का नियम है। इस विषय पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है कि यह नियम क्या है। जैसे हमारे देश में ६ ऋतुएँ है इसी प्रकार संपूर्ण विश्व में भी कई प्रकार के मौसम हैं। जिस प्रकार गर्मी के बाद वसंत ऋतु आती है। यही प्रकृति का नियम हैं। उसी प्रकार हमारे मानव जीवन में भी कई परिवर्तन आते हैं जैसे जन्म से शिशु अवस्था, शैशव से किशोर अवस्था, युवा अवस्था और अंत में वृद्धावस्था और इसके बाद एक दिन सृष्टि के नियमानुसार हमें इस धराधाम को छोड़कर जाना पड़ता है। मानव जीवन में सुख और दुख भी होते हैं मगर हम मनुष्य हर परिवर्तन को सहन नहीं कर पाते; क्योंकि हर परिवर्तन हमारा मन चाहा नहीं होता है।

हम चाहते कुछ है और होता कुछ और है। ज्यादातर देखा गया है कि मनुष्य अगर इन परिवर्तनों को स्वीकार नहीं पाता है तो अधिक दुखी हो जाता है और इस दुख में इंसान अपने मन का संतुलन खो देता है और गलत कदम उठा लेता है। हमारे पूर्वजों के द्वारा हमें पता चलता है कि परमात्मा के दिए हुए हर परिवर्तन में कोई न कोई अच्छी दिशा, अच्छा और नया संदेश निहित होता है। अत: अगर हम परिवर्तन को ईश्वर का दिया हुआ वरदान मान लें; तो इसमें कोई नई आशा, नई दिशा तथा नया मार्ग मिले जो पहले से बेहतर हो इसलिए हमें यह समझने की जरूरत है कि परिवर्तन सृष्टि का नियम है।

पाठ के आँगन में:

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 2

पाठ से आगे:

प्रश्न 1.
‘मोती कैसे तैयार होता है?’ इस पर चर्चा कीजिए और दैनिक जीवन में मोती का उपयोग कहाँ -कहाँ होता हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्राचीन काल से ही मोती का उपयोग काफी प्रचलित था। रामायण तथा अन्य धार्मिक ग्रन्थों में भी मोती की चर्चा पाई गई है। अमेरिका के मूल निवासी रेड इंडियन मोती को काफी महत्त्व देते थे। प्राकृतिक मोती की उत्पत्ति प्राकृतिक ढंग से होती है। वराह मिहिर की वृहत्संहिता में बताया गया है कि प्राकृतिक मोती की उत्पत्ति सीप, सर्प के मस्तक, मछली, सुअर तथा हाथी से होती है। परंतु अधिकांश प्राचीन भारतीय विद्वानों ने मोती की उत्पत्ति सीप से बताई हैं। प्राचीन विद्वानों का मत है कि जब स्वाति नक्षत्र के दौरान वर्षा की बूंदे सीप में पड़ती हैं तो मोती का निर्माण होता है।

आधुनिक वैज्ञानिकों का मत है कि मोती निर्माण के लिए शरद ऋतु सबसे अनुकूल है क्योंकि इसी ऋतु में स्वाति नक्षत्र का आगमन होता है। इस समय जब वर्षा की बूंदें या वालू का कण किसी सीप के अंदर जाता है तो सीप एक तरल पदार्थ का स्राव करती है, यह तरल पदार्थ परत दर परत चढ़ता जाता है और मोती का रूप ले लेता है। 13 वीं शताब्दी से चीन में कृत्रिम मोती का उत्पादन भी होने लगा है। इसे मोती की खेती भी कहते हैं। 1961 से भारत में भी मोती की खेती की शुरूआत की गई। इसमें सबसे पहले सीपी का चुनाव किया जाता है फिर प्रत्येक सीपी में शल्य क्रिया करनी पड़ती है। इस शल्य क्रिया के बाद सीपी के भीतर एक छोटा-सा नाभिक तथा ऊतक रखा जाता है।

इसके बाद सीपी इस प्रकार बंद कर दिया जाता है कि उसकी सभी जैविक क्रियाएँ पहले की तरह चलती रहें। ऊतक से निकलने वाला पदार्थ नाभिक के चारों ओर जमने लगता है और अंत में मोती का रूप ले लेता है। आजकल नकली मोती भी बनाए जाते हैं। नकली मोती सीप से नहीं बनाए जाते बल्कि शीशे या आलाबास्टर के मनको पर मछली के शल्क के चूरे की परतें चढ़ाकर बनाए जाते हैं। इनकी आज बाजारों में बड़ी माँग है। ये कीमत में सस्ते भी होते हैं। मोती का उपयोग आभूषण बनाने में किया जाता है। इसके अलावा मोती औषधि बनाने के काम में भी आती है। जैसे मोती भस्म का उपयोग कब्ज नाशक के रूप में किया जाता है। इसके अलावा इन मोतियों से एक प्रकार की गोली बनती है, जो पेट की गैस तथा एलर्जी के लिए उपयोगी है।

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आसपास:

प्रश्न 1.
दूरदर्शन पर प्रतिदिन दिखाए जानेवाली तापमान संबंधी जानकारी देखिए। संपूर्ण सप्ताह में तापमान में किस तरह का बदलाव पाया गया, इसकी तुलना करके टिप्पणी तैयार कीजिए।
उत्तर:
पिछले कई दिनों से मैं प्रतिदिन दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले तापमान संबंधी जानकारी को देख रहा हूँ। संपूर्ण सप्ताह का तापमान देखने के बाद मुझे ज्ञात हुआ कि महानगरों का तापमान कभी बहुत बढ़ जाता है तो कभी कम हो जाता है। पिछले कई सप्ताहों से मुंबई, दिल्ली,मद्रास, कोलकाता आदि महानगरों के तापमान में काफी बदलाव आ रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि सारे बदलाव का कारण ग्लोबल वार्मिंग है। जिसे साधारण भाषा में भूमंडलीय तापमान में वृद्धि कहते हैं।

आज तापमानों में बदलाव का मुख्य कारण प्रदूषण है। जिससे कार्बन डाई आक्साईड की मात्रा बढ़ रही है। आधुनिकीकरण के कारण पेड़ों की कटाई और गाँवों का शहरीकरण बहुत तेजी से हो रहा है, जिसके कारण खुली और ताजी हवा या आक्सीजन का अभाव होता जा रहा है। पेड़ों तथा जंगलो की अंधाधुंध कटाई के कारण पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। जिससे कही ठंड बहुत ज्यादा हो रही है, तो कही गर्मी का प्रकोप बहुत ज्यादा हो रहा है।

वैज्ञानिकों का मत है कि आनेवाले समय में यह तापमान बदलाव बहुत भयानक रूप ले सकता है। यह फसलों के साथ-साथ जनजीवन के लिए भी नुकसानदायक है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण अधिकतम तथा न्यूनतम पारे का अंतर बढ़ गया है। इसलिए हमें सावधान रहने की आवश्यकता है। हमें कोशिश करनी चाहिए कि जितनी जल्दी हो इस समस्या का समाधान प्राप्त कर लें।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 6 सागर और मेघ Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
1. नदियों के कर देने की निरंतरता इससे बनी रहती है –
2. सागर ने मेघ को इस पर ध्यान देने के लिए कहा –
उत्तर:
1. मेघ द्वारा दिया गया बहुत-सा दान जिसे नदियाँ पृथ्वी के पास धरोहर के रूप में रखे रहती हैं।
2. वाइव जो नित्य मुझे (सागर) जलाया करता है, फिर भी मैं उसे छाती से लगाए रहता हूँ।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

प्रश्न 2.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

‘अ’ ‘ब’
1.  दूसरे की करतूत पर गर्व करनेवाला (क) वाड़व
2. सागर को नित्य जलाने वाला (ख) मेघ
(ग) मनुष्य

उत्तर:

‘अ’ ‘ब’
1.  झूठी स्पर्धा करने वाला (ख) मेघ
2. अपने हृदय में कंकड़ पत्थर, शंख-घोंघे (ग) मनुष्य

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
प्रत्यय अलग करके लिखिए।
1. निरंतरता
2. गरजकर
उत्तर:
1. निरंतर + ता (ता – प्रत्यय)
2. गरज + कर (कर – प्रत्यय)

प्रश्न 2.
वचन परिवर्तन कीजिए।
1. नदियाँ
2. पृथ्वी
उत्तर:
1. नदी
2. पृथ्वी

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

प्रश्न 3.
निम्नलिखित के समानार्थी शब्द लिखिए।
1. पृथ्वी
2. विश्राम
उत्तर:
1. धरती
2. आराम

(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 3

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
उपसर्ग अलग करके लिखिए।
1. अस्थिरता
2. अचल
उत्तर:
1. अ + स्थिरता = अस्थिरता (अ – उपसर्ग)
2. अ+ चल = अचल (अ – उपसर्ग)

प्रश्न 2.
गद्यांश से विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
1. अहिंसा × ……….
2. धरती × ………..
उत्तर:
1. हिंसा
2. आकाश

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

प्रश्न 3.
निम्नलिखित के समानार्थी शब्द लिखिए।
1. स्पर्धा
2. मेघ
उत्तर:
1. प्रतियोगिता
2. बादल

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘अगर सागर न होता तो ……..’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
अगर सागर न होता, तो हमें बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता । धरती के ७० प्रतिशत भू-भाग में सागर फैला हुआ है। अगर महासागरों में जैव विविधता का विशाल भंडार न होता, तो पृथ्वी पर जीवन ही संभव न होती। यदि समुद्र का पानी खारा न होता तो गर्म प्रदेश और गर्म हो जाते तथा ठंडे प्रदेश और ज्यादा ठंडे। यह सागर की विशाल जलराशि ही है जो सूर्य से आनेवाली उष्मा का एक बड़ा हिस्सा अपने भीतर समा लेती है। यह प्रक्रिया ही मौसम को संतुलित करती है।

सागर में मौजूद विविध जैविकी में कार्बन को अवशोषित करने की क्षमता होती है। इस क्षमता के कारण ही इन्हें पर्यावरण को संतुलित रखने का सबसे सशक्त माध्यम माना गया है। सागर का खारा पानी भले ही पीने लायक न हो लेकिन यह गर्म हवाओं को ठंडा करती है तथा इस खारेपन के कारण ही बारिश होती है, मौसमों में रंगों की विविधता है तथा जीवन है। जिस प्रकार समुद्र मंथन के दौरान भगवान शंकर विष को पीकर नीलकंठ कहलाए; उसी प्रकार कार्बन और नमक के जहर को पीकर सागर हमें सुरक्षित रखता है और पर्यावरण को संतुलित करता है। इसलिए अगर सागर न होता, तो शायद पृथ्वी में जीवन का अस्तित्व ही न होता।

(ग) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 4

प्रश्न 2.
सत्य असत्य पहचानकर लिखिए।
1. क्रोध हमें विवेकहीन बना देता है।
2. मनुष्य सागर और मेघ पर निर्भर नहीं है।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

कृति ग (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
विलोम शब्द लिखिए।
1. स्वादिष्ट × ……………..
2. उन्नति × ……………..
उत्तर:
1. स्वादहीन
2. अवनति

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों से प्रत्यय अलग करके लिखिए।
1. अपमानित
2. आतुरता
उत्तर:
1. ‘इत’ प्रत्यय
2. ‘ता’ प्रत्यय

भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ

भाषा बिंदु:

प्रश्न 1.
निम्न में से संज्ञा तथा विशेषण पहचानकर भेदों सहित लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 5

सागर और मेघ Summary in Hindi

लेखक-परिचय:

जीवन-परिचय: राय कृष्णदास का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में हुआ था। ये हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और बांग्लाभाषा के अच्छे जानकार थे। इन्होंने कविता, निबंध गद्यगीत, कहानी, कला, इतिहास आदि विषयों पर रचनाएँ की हैं। इनको ‘साहित्य वाचस्पति पुरस्कार’ तथा भारत सरकार दवारा ‘पद्म विभूषण’ की उपाधि मिली थी।

प्रमुख कृतियाँ: मौलिक ग्रंथ – ‘भारत की चित्रकला’, ‘भारत की मूर्तिकला’, कहानी संग्रह – ‘साधना आनाख्या’, ‘सुधांशु’, गद्यगीत – ‘प्रवाल’।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

गद्य-परिचय:

संवाद: दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच हुआ वार्तालाप, बातचीत या संभाषण ‘संवाद’ कहलाता है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत संवाद ‘सागर और मेघ’ के द्वारा लेखक ने सागर एवं मेघ के गुणों को दर्शाया है और हमें विनम्र होने की सीख
देते हुए कहा है कि अपने गुणों पर इतराना और अहंकार करना एक बुराई है। अहंकार नाश का मूल है। अतः लेखक इससे बचने की सलाह देते हैं।

सारांश:

सागर और मेघ अपने गुणों का बखान करते हुए आपस में संवाद कर रहे हैं। सागर कहता है कि उसके हृदय में मोती भरे हैं। जवाब में मेघ कहता है कि तुमने मुझसे जल का हरण किया है। सागर कहता है कि मैं सदा अपना कर्म करता हूँ। अगर सागर न होते तो मेघ न बनते अर्थात तुम्हें जन्म देने वाला मैं हूँ। मेघ मुस्कुराकर कहता है कि अगर बरसात न होती, तो नदियाँ कहाँ से उमड़ती और तुम्हें भरती। सागर मेघ पर व्यंग्य करते हुए कहता है कि आकाश में इधर-उधर मारे-मारे फिरते हो। मेघ सागर को हँसकर जवाब देता है कि मैं घूम-फिर कर संसार का निरीक्षण करता हूँ और जहाँ आवश्यक होता है; वहाँ जीवन-दान करता हूँ। अगर मैं न रहूँ, तो यह धरती बंजर हो जाएगी।

फिर मेघ सागर को उलाहना देते हुए कहता है कि तुम्हारा हृदय कठोर है क्योंकि तुम्हारे दिल में कंकड़-पत्थर भरे हुए हैं। जवाब में सागर कहता है कि जिन्हें तुम कंकड़-पत्थर समझ रहे हो वो असल में रत्न हैं। सागर आगे कहता है कि तुम सिर्फ शोर मचाना जानते हो। मेघ तुरंत जवाब देता है कि वह गरजने के साथ बरसना भी जानता है। लेकिन वह सागर की तरह नहीं है कि केवल उत्पातियों और अपराधियों को जगह देता है। सागर मेघ की बातों से क्रोधित हो उठता है और कहता है कि हाँ, मैं शरण अवश्य देता हूँ लेकिन दंड उतना ही होना चाहिए कि दंडित सावधान हो जाए; उसे अपाहिज नहीं होना चाहिए।

सागर की बातों से मेघ भी गुस्से में आ जाता है और कहता है यह भी कोई नीति हुई कि राजा अपने राज्य की रक्षा के लिए हमेशा शस्त्र लिए खड़ा रहे अपनी राज्य की उन्नति न कर पाए। अब सागर को असली बात समझ में आती है और वह मेघ से कहता है कि अपना क्रोध शांत करो और आओ हम दोनों मिलकर जनकल्याण का कार्य करें।

मेघ का भी क्रोध शांत होता है और वह कहता है कि प्रति वर्ष किसान मेरी प्रतीक्षा करता है। इसलिए हे सागर भाई, हमें आपस में उलझना नहीं चाहिए। दोनों प्रतिज्ञा करते हैं कि अब हम घमंड में एक-दूसरे का अपमान नहीं करेंगे। बल्कि लोक कल्याण के लिए कार्य करेंगे। मेघ कहता है कि मैं नदियों को भर-भर कर तुम तक भेजूंगा और सागर कहता है कि मैं सहर्ष उन्हें उपकार सहित ग्रहण करूँगा।।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

शब्दार्थ:

  1. बुलंद – ऊँचा, उन्नत
  2. वारि – जल
  3. धरोहर – विरासत
  4. निरंतरता – अविरामता
  5. कायम रहना – बने रहना
  6. विकार – गंदगी
  7. तृप्त – संतुष्ट
  8. करतूत – कार्य
  9. हठात – हठपूर्वक
  10. वाड़व – समुद्र जल के अंदर वाली अग्नि
  11. मर्यादा. – सीमा
  12. आयास – विस्तार (आयाम)
  13. उच्छंखल – उदंड, उत्पाती
  14. रसा – पृथ्वी
  15. वंध्या – बंजर
  16. निपात – गिरना
  17. आततायियों – अत्याचारियों
  18. चेत जाना – सावधान होना
  19. शास्ता – राजा, शासक
  20. आतुरता – उत्सुकता

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 1 गागर में सागर Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 1 गागर में सागर Textbook Questions and Answers

भाषा बिंदु:

1. निम्नलिखित मुहावरों, कहावतों में गलत शब्दों के स्थान पर सही शब्द लिखकर उन्हें पुनः लिखिए।

प्रश्न 1.
टोपी पहनना
उत्तर:
मुहावरा – टोपी पहनाना

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

प्रश्न 2.
गीत न जाने आँगन टेढ़ा
उत्तर:
कहावत – नाच न जाने आँगन टेढ़ा

प्रश्न 3.
अदरक क्या जाने बंदर का स्वाद।
उत्तर:
कहावत – बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।

प्रश्न 4.
कमर का हार
उत्तर:
मुहावरा – गले का हार

प्रश्न 5.
नाक की किरकिरी होना
उत्तर:
मुहावरा – इज्जत की किरकिरी होना

प्रश्न 6.
गेहूँ गीला होना
उत्तर:
मुहावरा – आटा गीला होना

प्रश्न 7.
अब पछताए होत क्या जब बंदर चुग गए खेत।
उत्तर:
कहावत – अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

प्रश्न 8.
दिमाग खोलना।
उत्तर:
मुहावरा – बुद्धि खोलना।

लेखनीय:

प्रश्न 1.
अपने अनुभव वाले किसी विशेष प्रसंग को प्रभावी एवं क्रमबद्ध रूप में लिखिए।
उत्तर:
मैं संध्या समय नदी किनारे टहलने के लिए गया था। उस वक्त पास के गाँव के दो बच्चे भी नदी किनारे टहलने आए थे। उनमें से एक बच्चे ने अपने साथ लाई हुई कूड़े-कचरे की बैग पानी में फेंक दी। मैं हैरान हो गया और शीघ्रता से चिल्लाकर बोला, “यह तुम क्या कर रहे हो? इस प्रकार नदी में कूड़ा-कचरा फेंकने से जल प्रदूषण बढ़ता है।” मेरे इस कथन का उस बच्चे पर किसी भी प्रकार का असर नहीं हुआ। वह सिर्फ हँस रहा था। मुझे उस पर बहुत गुस्सा आया। मैंने कहा, “तुमने जो कुछ किया है, वह गलत है और तुम्हें आगे चलकर इस प्रकार का कार्य नहीं करना चाहिए।”

अपने दोस्तों के साथ मजाक मस्ती करते हुए उसने कहा कि, उसके ऐसा करने से कुछ भी फर्क नहीं पड़ने वाला है। यदि वह कचरा नहीं फेंकेगा, तो भी नदी प्रदूषित होगी। अब मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उसे आड़े हाथों लेते हुए डाँटा फटकारा। तत्पश्चात समझाते हुए कहा कि नदी हमारी माता है। हमें उसका ख्याल रखना चाहिए। जल ही जीवन है और हमें उसे भविष्य के लिए सँभालकर रखना चाहिए। मेरे इस कथन का उस बच्चे पर थोड़ा-बहुत असर हुआ। उसने भविष्य में जल को प्रदूषित न करने की कसम खा ली और अपने इस करतूत पर मुझसे माफी माँगी। मैंने भी उदार हृदय से उसे माफ कर दिया और हम तीनों नदी में फैले हुए कूड़े-कचरे को एकत्रित करने में व्यस्त हो गए।

रचनात्मकता की ओर:

प्रश्न 1.
‘निदंक नियरे राखिए’ इस पंक्ति के बारे में कल्पना पल्लवन अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय,
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुहाय।

यह दोहा तब याद आता है जब कोई अपने आलोचकों को उनके आलोचना के बदले सजा देने की बात करता है। यद्यपि आलोचक निश्चय ही हमारी कमियों को गिनवाते हैं, हमें हमारी वास्तविकता का एहसास करवाते हैं परंतु आलोचक वह व्यक्ति होते हैं जिसकी आलोचनाओं की सहायता से हम अपने कार्यों को काफी हद तक सुधार सकते हैं। बड़े बुजुर्गों ने कोई भी चीज बिना अर्थ के नहीं लिखी, निश्चय ही हमारे जीवन में उसका महत्त्वपूर्ण सहयोग है।

आलोचकों का हमारे जीवन में बड़ा सहयोग रहा है, इतिहास गवाह है कि बिना आलोचकों के कोई भी शासक न तो अपना राज्य संभाल पाया है और न ही अपने राज्य का विस्तार कर पाया है। बिना आलोचना के शासक अपने मद में चूर होकर गलतियाँ कर बैठता है और अपने राज्य से हाथ धो बैठता है। आलोचनाएँ हमको शक्ति प्रदान करती हैं, जो हमें अपनी गलतियाँ सुधारने का मौका देती हैं और भविष्य के लिए रणनीति बनाने का अवसर भी प्रदान करती हैं, अत: आलोचनाओं का हमेशा स्वागत करना चाहिए।

ऐसा नहीं है कि ये आलोचनाओं वाला सुझाव केवल किसी एक पार्टी और उसके सदस्यों या किसी एक समाज तक सीमित है। सभी शासकों को ये बात ध्यान में रखनी चाहिए, शासक ही क्यों हम सभी को ये बात याद रखनी चाहिए कि अगर हम किसी के द्वारा गिनाए हुए कमियों को स्वीकार करके उसमें सुधार नहीं कर सकते तो फिर हम भविष्य में अथाह गलतियाँ करनेवाले हैं, और अगर हम कमियों को सुधार नहीं सकते तो फिर कोई हक़ नहीं कि हम उन आलोचकों को कमियाँ बताने से भी रोकें, ये आलोचकों का जन्म सिद्ध अधिकार था, है, और हमेशा रहेगा। इसलिए आलोचनाओं का स्वागत करें, तथा अपनी कमियों को सुधारें ….।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

पाठ के आँगन में:

प्रश्न 1.
‘नर की अरु नल नीर की …………… इस दोहे द्वारा प्राप्त संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस दोहे से हमें यह संदेश मिलता है कि मनुष्य को बहुत ही विनम्र होना चाहिए। व्यक्ति को धन, बल, ज्ञान आदि का अहंकार नहीं करना चाहिए। अहंकार करने से व्यक्ति का मान-सम्मान गिर जाता है। अहंकार करने वालों का दिखावटी सम्मान भले ही कोई करें परंतु दिल से उसका सम्मान कोई नहीं करता। इसलिए हम कितने ही संपन्न, बलशाली और बुद्धिमान क्यों न हों, हमें समाज में झुककर अर्थात विनम्र होकर रहना चाहिए। मनुष्य जितना ही विनम्र होता है, वह उतना ही ऊँचा अर्थात महान होता है।

प्रश्न 2.
शब्दों के शुद्ध रूप लिखिए।
1. घरू
2. उज्जलुय
उत्तर:
1. घर
2.  उज्ज्वल

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 1 गागर में सागर Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर 1

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
1. दीन के आँख पर यह चश्मा लगा होता है।
2. चश्मे की विशेषता
उत्तर:
1. लोभ का चश्मा
2. इससे तुच्छ व्यक्ति बड़ा दिखता है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

कृति क (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
उपर्युक्त दोहों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि बिहारी जी इस दोहे में कृष्ण की भक्ति और कृष्ण प्रेम के संदर्भ में कहते हैं कि कृष्ण के प्रेम में डूबे इस प्रेमी मन की दशा को कोई भी समझ नहीं पाता है। यह मन जैसे-जैसे कृष्ण के प्रेम में डूबता जाता है; वैसे-वैसे निर्मल होता जाता है। अर्थात सारी बुराइयाँ अच्छाइयों में बदल जाती हैं।

लोभी व्यक्ति के व्यवहार का वर्णन करते हुए बिहारी जी कहते हैं कि लोभी व्यक्ति दीन-हीन बनकर घर-घर घूमता है और प्रत्येक व्यक्ति से हाथ फैलाकर याचना करता है। लोभ का चश्मा आँखों पर लगा लेने के कारण उसे तुच्छ व्यक्ति भी बड़ा अर्थात धनवान दिखाई देने लगता है अर्थात लालची व्यक्ति विवेकहीन होकर योग्य-अयोग्य व्यक्ति को भी नहीं पहचान पाता।

(ख) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर 2

प्रश्न 2.
एक शब्द में उत्तर लिखिए।
1. इसे खाकर मनुष्य को नशा हो जाता है –
2. गुनी-गुनी कहने से यह गुनी नहीं हो जाता –
उत्तर:
1. धतूरा
2. निगुणी

प्रश्न 3.
सत्य या असत्य पहचान कर लिखिए।
1. धतूरे को पाकर ही लोग पागल हो जाते हैं।
2. गुनी-गुनी कहने से निगुनी भी गुनी हो जाता है।
उत्तर:
1. असत्य
2. असत्य

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

कृति (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
उपर्युक्त दोहों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
बिहारी कवि कहते हैं कि सोना धतुरे से सौ गुना अधिक नशीला होता है। धतुरा खाने के बाद इंसान में नशा (पागलपन) पैदा होता है जबकि सोना पाते ही इंसान में अमीरी का नशा (पागलपन) छा जाता है। कवि इस दोहे में बताते हैं कि व्यक्ति नाम से नहीं अपितु अपने गुणों से महान होता है। गुणों से रहित किसी व्यक्ति को सब लोग गुणी-गुणी कहे तो भी गुणहीन व्यक्ति कभी गुणी नहीं हो सकता। क्या आपने कहीं सुना है कि वृक्ष के अर्क (रस) से भी अर्क (सूर्य) के समान प्रकाश होता है अर्थात वृक्ष के रस को भी अर्क कहते हैं और सूर्य को भी अर्क कहते हैं परंतु वृक्ष के रस को अर्क कहने से वह सूर्य जैसा प्रकाशित नहीं हो सकता।

(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर 3

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
1. प्यासे के लिए ये सागर हैं –
2. नीचे होने अर्थात झुकने पर ये दोनों ऊँचे होते हैं।
उत्तर:
1. नदी, कुआँ और सरोवर।
2. मनुष्य और नल का पानी।

कृति ग (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
उपर्युक्त दोहे का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
मनुष्य की और नल के पानी की गति एक समान होती है। नल का पानी जितना नीचे गिरता है, उतना ही ऊपर उठता है और व्यक्ति जितना नीचे झुकता है अर्थांत विनम्र होता है, उतना ही ऊँचा उठता है यानी श्रेष्ठ होता है। कवि कहते हैं कि नदी, कुआँ या सरोवर (तालाब) का पानी अधिक गहरा हो अथवा अधिक उथला (छिछला) हो। प्यासे व्यक्ति के लिए वही सागर है, जहाँ उस व्यक्ति की प्यास बुझ जाए।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

(घ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर 4

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
1. मन इस सच्चाई पर शंका करता है।
2. लोग इसे उपद्रव गिनते हैं।
उत्तर:
1. बुरे लोगों के बुराई त्यागने पर।
2. निष्कलंक चंद्रमा को देखने को।

प्रश्न 3.
सत्य या असत्य पहचानकर लिखिए।
1. समय-समय पर सब सुंदर लगते हैं।
2. मन की रुचि जिससे जितनी होती है, वह उतना ही उसे नापसंद होता है।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

कृति (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
उपर्युक्त दोहे का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
यदि बुरा व्यक्ति बुराई करना त्याग दे तो भी मन इस सच्चाई पर शंका करता है अर्थात ऐसे लोगों के बुराई त्यागने पर भी मन उनसे बहुत डरता है। जैसे चंद्रमा निष्कलंक है फिर भी लोग उसे देखकर अशुभ-सूचक मानते हैं। समय-समय पर सब सुंदर लगते हैं। कोई भी सुंदर या असुंदर (बदसूरत) नहीं होता है। मन की जिससे जितनी रुचि होती है, उससे उतना ही प्रेम होता है अर्थात वह उसे उतना ही पसंद करता है|

गागर में सागर Summary in Hindi

कवि-परिचय:

जीवन-परिचय: कवि बिहारी जी का जन्म ग्वालियर में हुआ था। इन्होंने नीति और ज्ञान के दोहों के साथ-साथ प्रकृति का चित्रण भी बहुत ही सुंदरता के साथ प्रस्तुत किया है। प्रमुख कृतियाँ : काव्य-सतसई (‘सतसई’ बिहारी की एक मात्र रचना है, इसमें 611 दोहे संकलित हैं।)

पद्य-परिचय:

दोहे: इसमें दो पंक्तियाँ होती हैं, जिनमें चार चरण होते हैं। इसका प्रथम और तृतीय चरण १३-१३ तथा द्वितीय और चतुर्थ चरण 11-11 मात्राओं का होता है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत कविता ‘गागर में सागर’ के कवि बिहारी जी ने अपने दोहों के माध्यम से व्यवहारिक जगत की कुछ महत्त्वपूर्ण नीतियों से अवगत कराया है।

सारांश:

प्रस्तुत कविता के माध्यम से नीति विषयक पाठ पढ़ाते हुए कवि बिहारी ने अपना मत प्रकटीकरण किया है। कवि बिहारी के अनुसार कृष्ण के प्रेम में डूबे मन की गति कोई भी नहीं समझ सकता है। लोभी को तुच्छ व्यक्ति भी बड़ा दिखाई पड़ता है। सोने में धतूरे से भी अधिक नशा होता है। व्यक्ति अपने नाम से नहीं गुणों से महान बनता है। मनुष्य और नल के पानी की दशा एक समान होती है। प्यास बुझानेवाला छिछला जलाशय भी प्यासे के लिए समुद्र के समान होता है। बुरे व्यक्ति के बुराई छोड़ने पर भी लोग उससे डरते हैं। मन की जिसमें जितनी रुचि होती है, वह उसे उतना ही पसंद होता है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

शब्दार्थ:

  1. अनुरागी – प्रेमी
  2. चित्त – मन
  3. गति – दशा, स्थिति
  4. समुझै – समझना
  5. बूडै – डूबना, लीन होना
  6. स्याम रंग – कृष्ण के रंग में
  7. उज्जलु – निर्मल
  8. घर-घरु – घर-घर
  9. डोलत – घूमता है
  10. दीन – गरीब
  11. जाचतु – माँगना (याचना करना)
  12. चखनु – आँखों पर
  13. लघु – छोटा, तुच्छ
  14. लखाई – दिखाई देना
  15. कनक – सोना
  16. कनक – धतूरा
  17. सौ गुनी – सौ गुना
  18. मादकता – नशीला
  19. अधिकाइ – अधिक होता है
  20. खाए – खाकर
  21. बौराई – पागल होता है
  22. जगु – संसार के लोग
  23. गुनी – गुणवान
  24. निगुनी – गुणहीन
  25. सुन्यौ – सुना है
  26. कहँ – कहीं
  27. तरू – पेड़
  28. अर्क – रस, सूर्य
  29. उदोतु – प्रकाशित
  30. नर – मनुष्य
  31. अरु – और
  32. नीर – पानी
  33. गति – स्थिति, दशा
  34. एकै कर – एक ही समान
  35. जोई – जानिए
  36. हवै चले – होकर चलता है
  37. ऊँचौ – ऊँचा (महान)
  38. अगाधु – गहरा
  39. औथरौ – उथला, छिछला
  40. कूप – कुआँ
  41. सरु – सरोवर, तालाब
  42. ताको – उसके लिए
  43. सागर – सागर, समुद्र
  44. जाकी – जिसकी
  45. बुरौ – बुरा व्यक्ति
  46. तजै – त्याग दे
  47. चितु – मन
  48. सच्चाई
  49. खरौ – सच्चाई
  50. सकातु – शंका करना
  51. निकलंक – निष्कलंक, बेदाग
  52. लखि – देखकर
  53. गनै – मानना, गिनना
  54. मयंकु – चंद्रमा
  55. उतपातु – उपद्रव, आफत, मुसीबत
  56. रूप – सुंदर
  57. कुरूप – असुंदर, बदसूरत
  58. रुचि – पसंद, प्रेम

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 1 नदी की पुकार Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 1 नदी की पुकार Textbook Questions and Answers

1. आकृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार 1

2. संजाल पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार 2

3. भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ

भाषा बिंदु :

प्रश्न 1.
निम्न शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार 3

4. संभाषणीय :

प्रश्न 1.
‘जलयुक्त शिवार’ पर चर्चा करें।
उत्तर:
मुंबई : महाराष्ट्र में पानी की समस्या को दूर करने के लिए जलयुक्त शिवार योजना को लाया गया है। इस योजना को देश के प्रसिद्ध उद्योगपति, बैंकर्स, एनजीओ और कई सारे धार्मिक ट्रस्ट भी समर्थन देने लगे हैं। योजना के तहत हर साल राज्य के 5,000 गाँवों को पानी की समस्या से छुटकारा दिलाया जाएगा।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के अनुसार 2019 तक राज्य के एक बड़े हिस्से को जल संकट से मुक्ति दिला देंगे, इसलिए योजना का नाम ही जलयुक्त शिवार योजना (खेती के लिए जल प्रदान करने की योजना) रखा गया है। महाराष्ट्र सरकार का मानना है कि किसानों को आत्महत्या करने से रोकने हेतु उन्हें खेती के लिए पानी मुहैया कराना जरूरी है।

बरसाती पानी जमा करने के लिए महाराष्ट्र में कई सारे पैटर्न अपना रखे हैं। अन्ना हजारे का रालेगाँव पैटर्न, शिरपुर पैटर्न, हिरवे बाजार पैटर्न सहित कुल 28 अलग-अलग योजनाओं के बाद जलयुक्त शिवार योजना की बुनियाद रखी गई है, जिसकी शुरुआत 26 जनवरी को की गई है। इस योजना की निगरानी सैटलाइट के माध्यम से रखी जा रही है। इस योजना पर निगरानी रखने के लिए जिला स्तर पर पालक मंत्रियों की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है।

जिसमें जिले के कलेक्टर को विशेष अधिकार भी दिए गए हैं ताकि योजना में किसी तरह की धांधली न हो सके। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस खुद इस योजना पर निगरानी रख रहे हैं और कार्य स्थल जाकर मुआयना कर रहे हैं। जल प्रदूषण शिवार योजना लागू करने से पहले महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के उन क्षेत्रों का चयन किया है, जहाँ पानी की भारी समस्या है और जहाँ किसान सबसे ज्यादा आत्महत्या कर रहे हैं।

गाँवों का चयन करने के बाद वहाँ पर योजना की बुनियाद रखी गई। योजना के तहत गाँव के निचले क्षेत्र में गहराई तक खुदाई की जाती है या वहाँ के तालाबों को और गहरा किया जाता है जिससे बरसात का पानी जमा किया जा सकें। खुदाई स्थल के चारों ओर गहराई बढ़ाई जाती है और ऐसी व्यवस्था की जाती है, जिससे आस-पास के क्षेत्रों का पानी उसमें भर सकें। बरसात शुरू होने से पहले ही यह काम पूरा करना निश्चित हुआ है ताकि बरसाती पानी को जमा किया जा सकें।

पानी जमा होने से उस क्षेत्र के आस-पास का भूजल स्तर बढ़ जाएगा। जल स्तर ऊँचा उठने से बोरवेल और पानी के पंपों में भी पानी मिलने लगेगा। योजना के माध्यम से गाँवों को सीमेंट के नाले और नहरों से जोड़ने के अलावा अन्य उपाय किए जाएंगे। मुख्यमंत्री फडणवीस कहते हैं कि जलयुक्त शिवार योजना से किसानों के खेतों को पानी मिलने लगेगा।

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5. कल्पना पल्लवन :

प्रश्न 1.
‘नदी के मन के भाव’ इस विषय पर भाषण तैयार करके प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :
नदी के मन के भाव – जैसे-जैसे व्यक्ति की आयु बढ़ती है वह बूढ़ा होता जाता है। पर मेरे जीवन पर समय का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। आज भी मैं दौड़ते हुए आगे बढ़ती हूँ। दिन-रात ‘कलकल’ का संगीत सुनाती हूँ, वृक्षों के साथ लुका-छिपी खेलती हूँ, चट्टानों पर से कूदती हूँ और अपनी मंजिल की तरफ बढ़ती जाती हूँ। रास्ते में आने वाले हर प्राणी की प्यास बुझाती हूँ। धरती को हरी-भरी कर देती हूँ।

एक दिन मनुष्य अपनी असंस्कृत अवस्था में मेरी शरण में आया था, आज वह संस्कृति और सभ्यता के क्षेत्र में कितना आगे बढ़ गया है। मेरे तट पर न जाने कितने उत्सवों और मेलों की धूम मची रहती है। मेरे तट पर आकर कवि कविताएँ रचते हैं, बच्चे खेलते हैं, दुखी लोग अपना दुख भूल जाते हैं। ये दृश्य देखकर मैं आनंद विभोर हो जाती हूँ।

पर मानव ने आज मेरे जल में जहर घोलना प्रारंभ कर दिया है। मेरे जल को प्रदूषित कर दिया है। मेरी अविरल धारा को जगह-जगह बाँध बनाकर रोक दिया है। उसमें आए दिन कचरे बहाए जा रहे हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियों से निकले रासायनिक पदार्थ और मरे हुए पशुओं तक को बहाया जा रहा है। यदि आप मुझे

ऐसे ही प्रदूषित करते रहेंगे तो आपको पीने के लिए स्वच्छ और निःशुल्क जल कौन देगा? हमें आप केवल पैसे के बल पर प्रदूषण मुक्त नहीं कर सकते, बड़ी-बड़ी योजनाएँ बनाकर, बड़ी-बड़ी मशीनें लगाकर आप हमें कब तक स्वच्छ करेंगे? हमें प्रदूषण मुक्त करना है तो आप अपनी मानसिकता (सोच) बदलिए। हमारे जल में गंदगी मत फैलाइए, लोगों को जागरूक कीजिए। उनके अंदर अच्छी सोच जगाइए कि वे हमें गंदा न करें। हमें अविरल बहने दे, हमारे तटों पर किए अतिक्रमण को हटाएँ। मैं स्वयं अपना प्रदूषण दूर कर

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6. पाठ से आगे :

प्रश्न 1.
पानी की समस्या समझाते हुए ‘होली उत्सव का बदलता रूप’ पर अपना मत लिखिए।
उत्तर:
हमारे देश में बहुत सारे क्षेत्र ऐसे हैं, जहाँ हर वर्ष औसत से कम वर्षा हो रही है। जिसके कारण वहाँ के लोगों खासकर किसानों को सूखे की मार झेलनी पड़ रही है। आए दिन किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में समाज के पढ़े-लिखें लोगों द्वारा पानी संग्रह की योजना बनाई जा रही है। लोगों को पानी की बचत करने के प्रति जागरूक किया जा रहा है। जिसके कारण अब लोग होली के त्यौहार पर होली खेलने के लिए, एक-दूसरे पर हजारों लीटर पानी नहीं फेंकते। पानी बर्बाद न हो इसके लिए अबीर, गुलाल या सूखे रंग से होली खेलते हैं। अब तो लोग एक-दूसरे को अबीर और गुलाल का टीका लगाकर ही होली मना लेते हैं।

7. पाठ के आँगन में :

उत्तर लिखिए।

प्रश्न क.
अपने शब्दों में नदी की स्वाभाविक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
नदी सतत बहती रहती है। वह सभी प्राणियों को अपने जल से जीवन प्रदान करती है। नदी सदैव परोपकार का कार्य करती है।

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प्रश्न ख.
किसी एक चरण का भावार्थ लिखिए।
भर्यादा में बहने वाली, ……….. मुझे बचा लो भाई रे।।
भावार्थ :
जो नदी सदैव अपनी सीमा में रहकर अमृत समान स्वच्छ पल धारा से सबकी प्यास बुझाती है। वही नदी हमसे कहती है कि जिसने भी मुझे बुलाया मैं उसके भलाई के लिए सदा तैयार रही। हे मनुष्य! तुम पागल मत बनो, उसी नदी के दुश्मन मत बनो, जो हमेशा दूसरों की भलाई और परमार्थ का कार्य करती आई है उसके प्रदूषित होने पर तुम्हारी प्यास कौन बुझाएगा। कल-कल की आवाज करते हुए नदी मनुष्य से स्वयं (नदी) को बचाने का आवाहन करती है।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 1 नदी की पुकार Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के एक शब्द में उत्तर लिखिए।
i. नदियों का जीवन किस प्रकार का है?
ii. नदियाँ किसमें बहती है?
उत्तर :
i. परहित का
ii. मर्यादा में

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प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार 4

कृति क (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
पहली दो पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
सबको जीवन देने ………….. मुझे बचा लो भाई रे।।
उत्तर:
कवि नदी की संवेदनाओं को प्रकट करते हुए कहते हैं कि नदी सभी प्राणियों को अपने जल से जीवन प्रदान करती है। वह हमेशा दूसरों की भलाई का ही कार्य करती है। नदी कल-कल की आवाज करते हुए मनुष्य से अपने अस्तित्व को बचाने का आवाहन करती है।

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(ख) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार 5

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के एक शब्द में उत्तर लिखिए।

  1. नदी ने गिरिवन से निकलते समय मन में पाल रखा था –
  2. लोगों ने नदी में डाल मिलाई –
  3. नदी अपने तट पर हरदम सुनाती है –
  4. नदी हमें नि:शुल्क देती है –

उत्तर :

  1. सपना
  2. मलिनता
  3. गीत
  4. जल

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कृति ख (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
प्रथम चार पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
नदी कहती है कि जब मैं पर्वत और जंगल से होकर गुजरी तब मैंने अपने मन में एक सपना पाल रखा था कि रास्ते में जो भी जरूरतमंद (प्यासा) मिले उसे अपना बनाते हुए अर्थात उसकी मदद करते हुए आगे बढ़ते जाए लेकिन मानव जाति ने ही मुझे प्रदूषित कर दिया। इस प्रकार कल-कल करती नदी प्रदूषण से खुद को बचाने का मानव से आवाहन करती है।

(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के एक शब्द में उत्तर लिखिए।

  1. नदी के न रहने पर कौन मुरझा जाएगा?
  2. नदी ने क्या बनकर नयनों की खुशहाली बाँटी?
  3. नदी ने खेतों में क्या फैलाया?
  4. खारे सागर में मिलकर नदी ने उसे क्या दिया?

उत्तर:

  1. सागर
  2. झरना
  3. हरियाली
  4. मिठाई

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कृति ग (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
अंतिम चार पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि मिश्र कहते हैं कि नदी मानव से कह रही है कि जब मैं झरने के रूप में झर-झर कर बह रही थी, तब मेरी सुंदरता ने कितने ही इंसानों के नेत्रों को प्राकृतिक आनंद दिया और जब नदी के रूप में आगे बढ़ी तो किसानों के खेतों में हरियाली आ गई। यहाँ तक कि अपने जीवन के अंत में जब मैं खारे समुद्र में जा मिली तो भी मैंने उस खारे जल को मिठास ही दिया। कल-कल कर बहती हुई नदी मानव से कहती है कि हे मनुष्य! मैं तुम्हारे जीवन के लिए कितनी आवश्यक हूँ इस बात को समझो और मेरा अस्तित्व बना रहने दो। मुझे इस तरह मैला न करो कि मैं समाप्त हो जाऊँ।

नदी की पुकार Summary in Hindi

कवि-परिचय :

जीवन-परिचय : सुरेशचंद्र मिश्र जी का जन्म उत्तर प्रदेश में प्रतापगढ़ जिले के धनऊपुर गाँव में हुआ था। आप आधुनिक हिंदी कविता क्षेत्र के जाने-माने गीतकार हैं।
प्रमुख कृतियाँ : काव्यसंग्रह -‘संकल्प’, ‘जय गणेश’, ‘वीर शिवाजी’, ‘पत्नी पूजा’।

पद्य-परिचय :

गीत : स्वर, पद और ताल से युक्त गीत हिंदी साहित्य की महत्त्वपूर्ण विधा है। इसमें गेयता होती है। गीत मनुष्य मात्र की भाषा है।
इसके माध्यम से मानव जीवन में ऊर्जा एवं ताजगी का संचार होता है।
प्रस्तावना : कवि सुरेशचंद्र मिश्र जी ने नदी की पुकार कविता के माध्यम से हमारे जीवन में नदी के योगदान को दर्शाया है तथा इसे प्रदूषण मुक्त रखने के लिए हमें प्रेरित किया है।

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सारांश :

इस कविता के माध्यम से नदी की संवेदनाओं को प्रकट किया गया है। नदी सभी प्राणियों की भलाई करती है। उन्हें अपने जल से तृप्त करती है। मनुष्य के जीवन में कितनी भी महँगाई आ जाए पर नदी तो अपना जल नि:शुल्क देती है। वह खेतों को भी हरियाली प्रदान करती है। परंतु मनुष्य नदी को आए दिन प्रदूषित करता जा रहा है। नदी इस प्रदूषण से खुद को बचाने का आवाहन मनुष्य से करती है।

सरल अर्थ :

सबको जीवन देने ……………………………. मुझे बचा लो भाई रे।।
कवि नदी की संवेदनाओं को प्रकट करते हुए कहते हैं कि नदी सभी प्राणियों को अपने जल से जीवन प्रदान करती है। वह हमेशा दूसरों की भलाई का ही कार्य करती है। नदी कल-कल की आवाज करते हुए मनुष्य से अपने अस्तित्व को बचाने का आवाहन करती है।

मर्यादा में बहने वाली, …………………………… मुझे बचा लो भाई रे।।
जो नदी सदैव अपनी सीमा में रहकर अमृत समान स्वच्छ जल धारा से सबकी प्यास बुझाती है। वही नदी हमसे कहती है कि जिसने भी मुझे बुलाया मैं उसके भलाई के लिए सदा तैयार रही। हे मनुष्य! तुम पागल मत बनो, उसी नदी के दुश्मन मत बनो, जो हमेशा दूसरों की भलाई और परमार्थ का कार्य करती आई है। उसके प्रदूषित होने पर तुम्हारी प्यास कौन बुझाएगा? कल-कल की आवाज करते हुए नदी मनुष्य से स्वयं (नदी) को बचाने का आवाहन करती है।

गिरिवन से निकली थी, ………………………….. मुझे बचा लो भाई रे।।
नदी कहती है कि जब मैं पर्वत और जंगल से होकर गुजरी तब मैंने अपने मन में एक सपना पाल रखा था कि रास्ते में जो भी जरूरतमंद (प्यासा) मिले उसे अपना बनाते हुए अर्थात उसकी मदद करते हुए आगे बढ़ते जाए लेकिन मानव जाति ने ही मुझे प्रदूषित कर दिया। इस प्रकार कल-कल करती नदी प्रदूषण से खुद को बचाने का मानव से आवाहन करती है।

नदिया के तट पर बैठो, …………………………… मुझे बचा लो भाई रे।।
यदि नदी के किनारे बैठ जाओ तो नदी कल-कल की आवाज में हमेशा गीत सुनाती है। कवि कहते हैं अगर धरती पर सूखा पड़ जाए तो भी नदी अपने बचे हुए थोड़े से जल से ही लोगों की प्यास बुझाती है। इंसान के जीवन में कितनी भी महँगाई क्यों न आ जाए लेकिन नदी हमें निःशुल्क जल देती है। इस प्रकार नदी कल-कल की आवाज करते हुए मनुष्य से यही आवाहन करती है कि तुम मुझे बचा लो अर्थात मुझे स्वच्छ रखो।

नदिया नहीं रहेगी तो, …………………………. मुझे बचा लो भाई रे।।
नदी अपना महत्त्व बताते हुए कहती है कि हे मनुष्य यदि मैं (नदी) नहीं रहूँगी तो समुद्र भी एक दिन सूख जाएगा। आगे वह प्रश्न करती है कि गाँवों से निकल कर मुझमें मिल जाने वाले नाले कहाँ जाएँगे, किससे मिलेंगे ? जो नाविक नाव को नदी में चलाते समय हो हैया-हो हैया की ललकार लगाते हैं वह फिर कभी सुनाई नहीं देगी यदि तुम मनुष्य मुझे स्वच्छ और सुरक्षित नहीं रखोगे। कल-कल करती नदी मनुष्य से अपनी सुरक्षा का निवेदन कर रही है।

झरना बनकर मैंने, ……………………… मुझे बचा लो भाई रे।।
कवि मिश्र कहते हैं कि नदी मानव से कह रही है कि जब मैं झरने के रूप में झर-झर कर बह रही थी, तब मेरी सुंदरता ने कितने ही इंसानों के नेत्रों को प्राकृतिक आनंद दिया और जब नदी के रूप में आगे बढ़ी तो किसानों के खेतों में हरियाली आ गई। यहाँ तक कि अपने जीवन के अंत में जब मैं खारे समुद्र में जा मिली तो भी मैंने उस खारे जल को मिठास ही दिया। कल-कल कर बहती हुई नदी मानव से कहती है कि हे मनुष्य! मैं तुम्हारे जीवन के लिए कितनी आवश्यक हूँ इस बात को समझो और मेरा अस्तित्व बना रहने दो। मुझे इस तरह मैला न करो कि मैं समाप्त हो जाऊँ।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

शब्दार्थ :

  1. मर्यादा – सीमा
  2. परहित – दूसरे की भलाई
  3. सौदाई – पागल
  4. गिरिवन – पर्वतीय जंगल
  5. पाला – सँजोया
  6. मलिनता – गंदगी
  7. तट – किनारा
  8. हरदम – हमेशा
  9. शुल्क – पैसा
  10. मुरझाएगा – सूख जाएगा
  11. सरिता – नदी

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 ऐसा वसंत कब आएगा?

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Maharashtra State Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 ऐसा वसंत कब आएगा?

Hindi Lokvani 10th Std Digest Chapter 8 ऐसा वसंत कब आएगा? Textbook Questions and Answers

सुचना के अनुसर क्रुतिय कीजिए ।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 ऐसा वसंत कब आएगा 1
उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 ऐसा वसंत कब आएगा 2

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्द पढ़कर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों –
1. अधर
2. आँखें
उत्तर:
1. पद्यांश में इसके खिलने की बात हो रही है?
2. पद्यांश में इनके हँसने की बात हो रही है?

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 ऐसा वसंत कब आएगा?

प्रश्न 3.
अंतिम सात पंक्तियों का भावार्थ लिखिए।
सबको दे भोजन …………… कब आएगा?
उत्तर:
कवि की कामना है कि प्रत्येक व्यक्ति को खाने के लिए भरपेट भोजन, शरीर पर पहनने के लिए वस्त्र व रहने के लिए घर उपलब्ध हो, जिससे प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में आनंद और खुशहाली का आगमन हो। इस धरती पर ऐसे वास्तविक वसंत का आगमन हो, जिससे प्रत्येक व्यक्ति के चेहरे पर खुशी झलकती रहे; उसके अधर प्रसन्नता से खिलते रहें व उसकी आँखें हँसहँसकर आनंदविभोर हो जाएँ। ऐसा खुशहाल, समृद्ध, संपन्न वसंत; ग्रीष्म-शिशिर में भी वसंत कहलाएगा। सचमुच, जब ऐसा होगा; तब वास्तविक वसंत का आगमन होगा।

स्वाध्याय:

स्वाध्याय विषयक कृतियाँ

1. तुलना कीजिए।

प्रश्न 1.
तुलना कीजिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 ऐसा वसंत कब आएगा 3
उत्तरः

प्राकृतिक वसंत कवि मन की कल्पना का वसंत
प्रकृति का सदाबहार होना मानवता का फूल खिलना
नए पौधों व फूलों का आगमन सुख-सुविधा के समान अधिकार पाकर नव यौवनमय जीवन
चारों तरफ हरियाली होना नव संस्कृति व नव विश्व व्यवस्था का युग
हवा तरोताजा करने वाली होती है। ऐसा वसंत जो सबको भोजन,  वस्त्र और भवन दे सके

2. उत्तर लिखिए।

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए।
(क) वसंत के अलावा पद्य में प्रयुक्त दो ऋतुएँ –
(ख) सबके लिए समान है –
उत्तर:
(क) ग्रीष्म व शिशिर
(ख) भूमि, गगन, पवन, रवि, शशि

3. निम्न शब्दों के लिए कविता में प्रयुक्त समानार्थी शब्द चुनकर लिखिए।

प्रश्न 1.
निम्न शब्दों के लिए कविता में प्रयुक्त समानार्थी शब्द चुनकर लिखिए।

  1. कमी
  2. हँसी
  3. फूल
  4. महल
  5. मनुष्य
  6. चाँद
  7. वस्त्र
  8. मन

उत्तर:

  1. अभाव
  2. मुस्कान
  3. प्रसून
  4. प्रासाद
  5. मानव
  6. शशि
  7. वसन
  8. मानस

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4. शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए।

प्रश्न 1.
शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए।

  1. जिसकी कोई निश्चित सीमा नहीं है –
  2. जिसका शोषण किया जाता है –
  3. बिना थके –
  4. जिसका अंत नहीं –

उत्तर:

  1. असीम
  2. शोषित
  3. अथक
  4. अनंत

भाषा बिंदु:

1. निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर सार्थक वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर सार्थक वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

  1. खाली हाथ लौटना
  2. बिना सिर-पैर की बातें करना
  3. यादों में जाग उठना
  4. भरा-पूरा अनुभव करना

उत्तरः

  1. खाली हाथ लौटना: निराश होकर वापस आना।
    वाक्य: लंदन गोलमेज परिषद किसी भी नतीजे पर नहीं पहुँच सका इसलिए गांधीजी को खाली हाथ लौटना पड़ा।
  2. बिना सिर-पैर की बातें करना: निरर्थक बातें करना।
    वाक्य: जो कुछ भी बोल रहे हो उसका कुछ प्रमाण होना चाहिए अन्यथा बिना सिर-पैर की बातें करने से कुछ भी हासिल नहीं होगा।
  3. यादों में जाग उठना : पुरानी यादें ताजा हो जाना।
    वाक्य: डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम स्वर्ग सिधारे हैं; परंतु वे आज भी हमारी यादों में जाग उठते हैं।
  4. भरा-पूरा अनुभव करना: संतुष्ट हो जाना।
    वाक्य: यजमान द्वारा किए गए आतिथ्य सत्कार से हमने भरा-पूरा अनुभव किया।

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2. निम्नलिखित वाक्यों के अधोरेखांकित शब्दसमूह के लिए कोष्ठक में दिए मुहावरों में से उचित मुहावरे का चयन करके वाक्य फिर से लिखिए। (चौपट हो जाना, निछावर करना, नाक-भौं सिकोड़ना, मन मारना, फूला न समाना, दंग रह जाना)

प्रश्न 1.
सरकस की गुड़ियों के करतब देखकर दर्शक आश्चर्य – चकित हो गए।
उत्तर:
सरकस की गुड़ियों के करतब देखकर दर्शक दंग रह गए।

प्रश्न 2.
अचानक पिता जी द्वारा पर्यटन पर जाने का निर्णय सुनकर बच्चे बहुत आनंदित हुए।
उत्तर:
अचानक पिता जी द्वारा पर्यटन पर जाने का निर्णय सुनकर बच्चे फूले न समाए।

3. पाठों में आए सभी प्रकार के अव्ययों को ढूँढ़कर उनसे प्रत्येक प्रकार के दस-दस वाक्य लिखिए।

प्रश्न 1.
पाठों में आए सभी प्रकार के अव्ययों को ढूँढ़कर उनसे प्रत्येक प्रकार के दस-दस वाक्य लिखिए।
उत्तरः
क्रियाविशेषण अव्यय:

  1. आज: आज रविवार है।
  2. कल: मैं कल गाँव जाऊँगा।
  3. शायद: शायद मैं कल बाज़ार नहीं जाऊँगा।
  4. अचानक: अचानक बिजली चली गई।
  5. अभी: अभी भी देर नहीं हुई है।
  6. चुपचाप: वह चुपचाप चला गया।
  7. अब: अब मैं मन लगाकर पढ़ाई करूँगा।
  8. वहाँ: वहाँ कोई तो है।
  9. धीरे-धीरे: गाड़ी धीरे-धीरे जा रही थी।
  10. जगह-जगह: जगह-जगह फूल ही फूल दिखाई दे रहा है।

संबंधसूचक अव्यय:

  1. के लिए: मैंने उसके लिए खिलौने लाए।
  2. की ओर: राम ने उसकी ओर देखा।
  3. की तरफ: नदी की तरफ मत जाओ।
  4. के साथ: मुझे उसके साथ जाना बिलकुल अच्छा नहीं लगता।
  5. के बाद: परीक्षा खत्म होने के बाद मैं घूमने चला गया।
  6. के पास: विजय के पिता जी के पास बहुत धन है।
  7. के अनुसार: उसके अनुसार यह गलत है।
  8. के प्रति: उसके प्रति मेरे दिल में हमदर्दी है।
  9. के बीच: उन दोनों के बीच झगड़ा हुआ है।
  10. के पीछे: घर के पीछे एक पेड़ है।

समुच्चयबोधक अव्यय:

  1. और: राम और श्याम मित्र हैं।
  2. परंतु: मैं तुम्हारे घर आने वाला था; परंतु कुछ कारणवश नहीं आ सका।
  3. बल्कि: वे एक धर्मात्मा ही नहीं हैं; बल्कि एक पहुँचे हुए _महापुरुष भी हैं।
  4. व: सीता व गीता बाजार जा रही हैं।
  5. क्योंकि: वह निराश है; क्योंकि उसे मनचाही चीज नहीं मिली।
  6. कारण: रमेश को चोट लगने के कारण वह स्कूल नहीं जा सका।
  7. कि: उसने कहा कि तुम अपना काम करो।
  8. पर: मैंने उसे बहुत समझाया पर वह नहीं माना।
  9. किंतु: मुझे उसके साथ बात करना अच्छा नहीं लगता, किंतु आज मैं उसके साथ बात करूँगा।
  10. अपितु: महात्मा गांधी जी सिर्फ युगपुरुष नहीं थे; अपितु वे भारतीय संस्कृति के व्याख्याता भी थे।

विस्मयादिबोधक अव्यय:

  1. जी हाँ!: जी हाँ ! मैं सच कह रहा हूँ।
  2. अरे!: अरे ! यह तुमने क्या कर डाला?
  3. अच्छा!: अच्छा ! तो यह चित्र तुमने बनाया है।
  4. क्या!: क्या ! यह क्या कह रहे हो?
  5. हे!: हे ! ये कौन है?
  6. हाय राम!: हाय राम! अब मैं क्या करूँ?
  7. वाह!: वाह ! क्या मूर्ति है।
  8. अजी! : अजी ! सुनते हो।
  9. अहा! : अहा ! बहुत मजा आया।
  10. बाप रे बाप! : बाप रे बाप ! कितना बड़ा हाथी।

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उपयोजित लेखन:

प्रश्न 1.
मुद्दों के आधार पर कहानी लेखन कीजिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 ऐसा वसंत कब आएगा 4
उत्तरः

‘कुसंगति का परिणाम’

प्रयाग में चक्रधर नामक एक युवक रहता था। युवक पढ़ालिखा था; लेकिन गलत संगति में रहने के कारण वह बुरी आदतों का शिकार हो गया था। वह दिन-रात अपने बुरे दोस्तों के साथ रहता, मौज-मस्ती करता और गलत व्यसनों के चक्कर में पड़ा रहता। एक बार की बात है। उस युक्क के बुरे दोस्तों ने एक घर में चोरी की। चोरी में चुराया हुआ सामान लाकर उन्होंने चक्रधर के घर में उसके लाख मना करने पर भी छुपा दिया। चोरी की जाँच करते हुए पुलिस को भनक मिल गई कि चोरी का माल कहाँ छुपाया गया है।

उन्होंने उस युवक के घर में छापा मारा। पुलिस को वहाँ से चोरी के सामान बरामद हुए। साथ-साथ पुलिस ने उस युवक और उसके दोस्तों को भी धर-पकड़ा। दूसरे दिन पुलिस अधिकारी ने युवक से पूछताछ की। पूछताछ के दौरान अधिकारी को पता चला कि इस चोरी में उसका हाथ नहीं है। गलत संगति के कारण वह भी इस जुर्म में फँस गया है। उसकी सच्चाई जानकर पुलिस अधिकारी ने उसका समुपदशन करवाया और उसे उचित सलाह दी; ताकि वह बुरे लोगों की संगति छोड़कर सही मार्ग पर चल सके।

अधिकारी की सलाह का चक्रधर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा। रिहा होने के पश्चात उसने अपने बुरे दोस्तों का साथ छोड़ दिया और छोटा-मोटा व्यवसाय करना शुरू कर दिया। आहिस्ता-आहिस्ता समय बीतता गया और उस युवक का व्यवसाय बढ़ने लगा। उसके कारोबार में वृद्धि होने लगी। उसने अपने जैसे गलत संगति के शिकार हुए युवकों को अपनी कंपनी में नौकरियाँ दीं; ताकि वे बुरी संगति में फँसकर तथा गलत मार्ग पर चलकर स्वयं को बरबाद न करें।

सीख: कुसंगति का फल हमेशा बुरा होता है और सुसंगति का फल सदैव अच्छा ही होता है।

व्याकरण विभाग:

1&2.
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3.
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4.
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5.
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6. मुहावरों का प्रयोग/चयन करना

7. शब्दों का शुद्धीकरण

शब्द संपदा – (पाँचवीं से नौवीं तक)

शब्दों के लिंग, वचन, विलोमार्थक, समानार्थी, पर्यायवाची, शब्दयुग्म, अनेक शब्दों के लिए एक शब्द, समोच्चारित मराठी-हिंदी शब्द, भिन्नार्थक शब्द, कठिन शब्दों के अर्थ, उपसर्ग-प्रत्यय पहचानना/अलग करना, कृदंत-तद्धित बनाना, मूल शब्द अलग करना।

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उपयोजित लेखन (रचना विभाग)

पत्रलेखन:

अपने विचारों, भावों को शब्दों के द्वारा लिखित रूप में अपेक्षित व्यक्ति तक पहुँचा देने वाला साधन है पत्र ! हम सभी ‘पत्रलेखन’ से परिचित हैं ही । आज-कल हम नई-नई तकनीक को अपना रहे हैं। संगणक, भ्रमण ध्वनि, अंतरजाल, ई-मेल, वीडियो कॉलिंग जैसी तकनीक को अपने दैनिक जीवन से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। दूरध्वनि, भ्रमणध्वनि के आविष्कार के बाद पत्र लिखने की आवश्यकता कम महसूस होने लगी है फिर भी अपने रिश्तेदार, आत्मीय व्यक्ति, मित्र/सहेली तक अपनी भावनाएँ प्रभावी ढंग से पहुंचाने के लिए पत्र एक सशक्त माध्यम है।

पत्रलेखन की कला को आत्मसात करने के लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है । अपना कहना (माँग/शिकायत/अनुमति/विनती/आवेदन) उचित तथा कम-से-कम शब्दों में संबंधित व्यक्ति तक पहुँचाना, अनुरूप भाषा का प्रयोग करना एक कौशल है । अब तक हम जिस पद्धति से पत्रलेखन करते आए हैं, उसमें नई तकनीक के अनुसार अपेक्षित परिवर्तन करना आवश्यक हो गया है।

पत्रलेखन में भी आधुनिक तंत्रज्ञान/तकनीक का उपयोग करना समय की मांग है। आने वाले समय में आपको ई-मेल भेजने के तरीके से भी अवगत होना है। अतः इस वर्ष से पत्र के नये प्रारूप के अनुरूप ई-मेल की पद्धति अपनाना अपेक्षित है। * पत्र लेखन के मुख्य दो प्रकार हैं, अनौपचारिक और औपचारिक । (पृष्ठ क्र. 35, 41)

औपचारिक पत्र:

  1. प्रति लिखने के बाद पत्र प्राप्तकर्ता का पद और पता लिखना
  2. पत्र के विषय तथा संदर्भ का उल्लेख करना करना चाहिए ।
  3. इसमें महोदय/महोदया शब्द द्वारा आदर कुशलक्षेम पूछना चाहिए। लेखन स्नेह सम्मान सहित प्रभावी प्रकट किया जाता है।
  4. निश्चित तथा सही शब्दों में आशय शब्दों और विषय विवेचन के साथ होना चाहिए।
  5. पत्र का समापन करते समय बायीं ओर पत्र भेजने वाले के हस्ताक्षर, नाम तथा पता लिखना है।
  6. ई-मेल आईडी देना आवश्यक है।

अनौपचारिक पत्र:

  1. संबोधन तथा अभिवादन रिश्तों के अनुसार आदर के साथ आवश्यक है ।
  2. प्रारंभ में जिसको पत्र लिखा है उसका आवश्यक है।
  3. रिश्ते के की प्रस्तुति करना अपेक्षित है।
  4. इस पत्र में बायीं ओर पत्र भेजने वाले का नाम, पता लिखना चाहिए। विषय उल्लेख आवश्यक नहीं।.
  5. पत्र का समापन करते समय अनुसार विषय विवेचन में परिवर्तन अपेक्षित है।

टिप्पणी: पत्रलेखन में अब तक लिफाफे पर पत्र भेजने बाले (प्रेषक) का पता लिखने की प्रथा है । ई-मेल में लिफाफा नहीं होता है। अब पत्र में ही पता लिखना अपेक्षित है।
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गद्य आकलन (प्रश्न निर्मिति)

1. भाषा सीखकर प्रश्नों की निर्मिति करना एक महत्त्वपूर्ण भाषाई कौशल है । पाठ्यक्रम में भाषा कौशल को प्राप्त करने के लिए प्रश्ननिर्मिति घटक का समावेश किया गया है। दिए गए परिच्छेद (गट्यांश) को पढ़कर उसी के आधार पर पाँच प्रश्नों की निर्मिति करनी है । प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में हों ऐसे ही प्रश्न बनाए जाएँ।

प्रश्न ऐसे हों:

  1. तैयार प्रश्न सार्थक एवं प्रश्न के प्रारूप में हों।
  2. प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्मित गद्यांश में हों ।
  3. रचित प्रश्न के अंत में प्रश्नचिह्न लगाना आवश्यक है।
  4. प्रश्न रचना का कौशल प्राप्त करने के लिए अधिकाधिक अभ्यास की आवश्यकता है।
  5. प्रश्न का उत्तर नहीं लिखना है। प्रश्न रचना पूरे गद्यांश पर होनी आवश्यक है।

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1. प्रश्न निर्मिति के लिए आवश्यक प्रश्नवाचक शब्द निम्नानुसार हैं :

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निबंध लेखन:

निबंध लेखन एक कला है । निबंध का शाब्दिक अर्थ होता है ‘सुगठित अथवा ‘सुव्यवस्थित रूप में बंधा हुआ’ । साधारण गदय रचना की अपेक्षा निबंध में रोचकता और सजीवता पाई जाती है। निबंध गदय में लिखी हई रचना होती है, जिसका आकार सीमित होता है । उसमें किसी विषय का प्रतिपादन अधिक स्वतंत्रतापूर्वक और विशेष अपनेपन और सजीवता के साथ किया जाता है। एकसूत्रता, व्यक्तित्व का प्रतिबिंब, आत्मीयता, कलात्मकता निबंध के तत्त्व माने जाते हैं । इन तत्वों के आधार पर निबंध की रचना की जाती है।

निबंध लिखते समय निम्नलिखित बातों की ओर ध्यान दें:

  1. प्रारंभ, विषय विस्तार, समापन इस क्रम से निबंध
  2. विषयानुरूप भाषा का प्रयोग करें।
  3. भाषा प्रवाही, रोचक और मुहावरेदार हो ।
  4. कहावतों, सुवचनों का यथास्थान प्रयोग करें ।
  5. शुद्ध, सुवाच्य और मानक वर्तनी के अनुसार निबंध लेखन आवश्यक है ।
  6. सहज, स्वाभाविक और स्वतंत्र शैली में निबंध की रचना हो ।
  7. विचार स्पष्ट तथा क्रमबद्ध होने आवश्यक हैं।
  8. निबंध की रचना करते समय शब्द चयन, वाक्य-विन्यास की ओर ध्यान आवश्यक देना है। निबंध लेखन में विषय को प्रतिपादित करने की पद्धति के साथ ही कम-से-कम चार अनुच्छेदों की रचना हो ।
  9. निबंध का प्रारंभ आकर्षक और जिज्ञासावर्धक हो ।
  10. निबंध के मध्यभाग में विषय का प्रतिपादन हो । निबंध का मध्यभाग महत्त्वपूर्ण होता है इसलिए उसमें नीरसता न हो ।
  11. निबंध का समापन विषय से संबंधित, सुसंगत, उचित, सार्थक विचार तक ले जाने वाला हो।

आत्मकथनात्मक निबंध लिखते समय आवश्यक तथा महत्त्वपूर्ण बातें:

  1. आत्मकथन अर्थात एक तरह का परकाया प्रवेश है।
  2. किसी वस्तु, प्राणी, पक्षी, व्यक्ति की जगह पर स्वयं को स्थापित/आरोपित करना होता है ।
  3. आत्मकथनात्मक लेखन की भाषा प्रथमपुरुष, एकवचन में हो । जैसे – मैं …. बोल रहा/रही हूँ।
  4. प्रारंभ में विषय से संबंधित उचित प्रस्तावना, सुवचन, घटना, प्रसंग संक्षेप में लिख सकते हैं सीधे मैं… हूँ से भी प्रारंभ किया जा सकता है।

वैचारिक निबंध लिखते समय आवश्यक बातें:

  1. वैचारिक निबंध लेखन में विषय से संबंधित में जो विचार होते हैं, उनको प्रधानता दी जाती है। वर्णन, कथन, कल्पना से बढ़कर विचार महत्त्वपूर्ण होते हैं। विचार के पक्ष-विपक्ष में लिखना आवश्यक होता है।
  2. विषय के संबंध में विचार, मुद्दे, मतों की तार्किक प्रस्तुति महत्त्वपूर्ण होती है।
  3. पूरक पठन, शब्दसंपदा, विचारों की संपन्नता जितनी अधिक होती है उतना ही वैचारिक निबंध लिखना हमारे लिए सहज होता है। उदा.

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कहानी लेखन:

कहानी सुनना-सुनाना आबाल वृद्धों के लिए रुचि और आनंद का विषय होता है । कहानी लेखन विद्यार्थियों की कल्पनाशक्ति, नवनिर्मिति व सृजनशीलता को प्रेरणा देता है । इसके पूर्व की कक्षाओं में आपने कहानी लेखन का अभ्यास किया है। कहानी अपनी कल्पना और सृजनशीलता से रची जाती है । कहानी का मूलकथ्य (कथाबीज) उसके प्राण होते हैं । मूल कथ्य के विस्तार के लिए विषय को पात्र, घटना, तर्कसंगत विचारों से परिपोषित करना लेखन कौशल है। इसी लेखन कौशल का विकास करना कहानी लेखन का उद्देश्य है । कहानी लेखन का मनोरंजन तथा आनंदप्राप्ति भी उद्देश्य है।

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कहानी लेखन में निम्न बातों की ओर विशेष ध्यान दें:

  1. शीर्षक, कहानी के मुद्दों का विस्तार और कहानी से प्राप्त सीख, प्रेरणा, संदेश ये कहानी लेखन के अंग हैं।
  2. कोई भी कहानी घटना घटने के बाद लिखी जाती है, अतः कहानी भूतकाल में लिखी जाए। कहानी के संवाद प्रसंगानुकूल वर्तमान या भविष्यकाल में हो सकते हैं । संवाद अवतरण चिह्न में लिखना अपेक्षित है।
  3. कहानी लेखन की शब्दसीमा सौ शब्दों तक हो।
  4. कहानी के आरंभ में शीर्षक लिखना आवश्यक होता है । शीर्षक छोटा, आकर्षक, अर्थपूर्ण और सारगर्भित होना चाहिए ।
  5. कहानी में कालानुक्रम, घटनाक्रम और प्रवाह होना आवश्यक है । प्रत्येक मुद्दे या शब्द का अपेक्षित विस्तार आवश्यक है। घटनाएँ धाराप्रवाह अर्थात एक दूसरे से शृंखलाबद्ध होनी चाहिए ।
  6. कहानी के प्रसंगानुसार वातावरण निर्मिति होनी चाहिए । उदा. यदि जंगल में कहानी घटती है तो जंगल का रोचक, आकर्षक तथा सही वर्णन अपेक्षित है।
  7. कहानी के मूलकथ्य/विषय (कथाबीज) के अनुसार पात्र व उनके संवाद, भाषा पात्रानुसार प्रसंगानुकूल होने चाहिए ।
  8. प्रत्येक परिसर/क्षेत्र की भाषा एवं भाषा शैली में भिन्नता/विविधता होती है । इसकी जानकारी होनी चाहिए।
  9. अन्य भाषाओं के उद्धरण, सुवचनों आदि के प्रयोग से यथासंभव बचे ।
  10. कहानी लेखन में आवश्यक विरामचिह्नों का प्रयोग करना न भूलें । कहानी लेखन करते समय अनुच्छेद बनाएँ । जहाँ तक विचार, एक घटना समाप्त हो, वहाँ परिच्छेद समाप्त करें।
  11. कहानी का विस्तार करने के लिए उचित मुहावरे, कहावतें, सुवचन, पर्यायवाची शब्द आदि का प्रयोग करें।

कहानी लेखन-[शब्द सीमा अस्सी से सौ तक]
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विज्ञापन:

वर्तमान युग स्पर्धा का है और विज्ञापन इस युग का महत्त्वपूर्ण अंग है । उत्कृष्ट विज्ञापन पर उत्पाद की बिक्री का आंकड़ा आज संगणक तथा सूचना प्रौदयोगिकी के युग में, अंतरजाल (इंटरनेट) एवं भ्रमणध्वनि (मोबाइल) क्रांति के काल में विज्ञापन का क्षेत्र विस्तृत होता जा रहा है । विज्ञापनों के कारण किसी वस्तु. समारोह, शिविर आदि के बारे में पूरी जानकारी आसानी से समाज तक पहुंच जाती है। लोगों के मन में रुचि निर्माण करना, ध्यान आकर्षित करना विज्ञापन का मुख्य उद्देश्य होता है। विज्ञापन लेखन करते समय निम्न मुद्दों की ओर ध्यान दें:

  1. कम-से-कम शब्दों में अधिकाधिक आशय व्यक्त हो ।
  2. विज्ञापन की ओर सभी का ध्यान आकर्षित हो, अतः शब्दरचना, भाषा शुद्ध हो ।
  3. जिसका विज्ञापन करना है उसका नाम स्पष्ट और आकर्षक ढंग से अंकित हो ।
  4. विषय के अनुरूप रोचक शैली हो । आलंकारिक, काव्यमय, प्रभावी शब्दों का उपयोग करते हुए विज्ञापन अधिक आकर्षक बनाएँ ।
  5. ग्राहकों की बदलती रुचि, पसंद, आदत, फैशन एवं आवश्यकताओं का प्रतिबिंब विज्ञापन में परिलक्षित होना चाहिए।
  6. विज्ञापन में उत्पाद की गुणवत्ता महत्त्वपूर्ण होती है, अतः छूट का उल्लेख करना हर समय आवश्यक नहीं है।
  7. विज्ञापन में संपर्क स्थल का पता, संपर्क (मोबाइल नंबर, ई-मेल आईडी) का स्पष्ट उल्लेख करना आवश्यक है।
  8. विज्ञापन केबल पेन से लिखें।
  9. पेन्सिल, स्केच पेन का उपयोग न करें।
  10. चित्र, डिजाइन बनाने की आवश्यकता नहीं है।
  11. विज्ञापन की शब्द मर्यादा पचास से साठ शब्दों तक अपेक्षित है । विज्ञापन में आवश्यक सभी मुद्दों का समावेश हो।

निम्नलिखित जानकारी के आधार पर आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए:
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Hindi Lokvani 10th Std Textbook Solutions Chapter 8 ऐसा वसंत कब आएगा? Additional Important Questions and Answers

(अ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
तुलना कीजिए।
उत्तरः

वसंत में प्रकृति एवं मानव जीवन पतझड़ में प्रकृति एवं मानव जीवन
वसंत में प्रकृति सदाबहार होती है। पतझड़ में पेड़ से पत्ते अलग होते हैं।
नए फूल व पौधों का आगमन होता है। पेड़ पर्ण विहीन होते है।
वसंत सभी के जीवन में खुशियाँ लाता है। पतझड़ में मानव जीवन उसके समान दुखी एवं करुणामय दिखाई देता है।

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प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
मानवता के वन-उपवन का हर प्रसून खिल पाएगा।’ इसका तात्पर्य है –
उत्तरः
जब मानवता के जीवन मूल्य को विश्व भर में सभी लोगों द्वारा अपनाया जाएगा और उसमें सभी लोग खुशीपूर्वक रहेंगे तब वास्तविक वसंत का आगमन होगा।

कृति (2): शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए।

  1. मानवता
  2. उपवन
  3. यौवन
  4. वितरण

उत्तर:

  1. इंसानियत
  2. वाटिका
  3. जवानी
  4. बाँटना

प्रश्न 2.
विलोम शब्द लिखिए।

  1. वसंत × ……………….
  2. सम × ……………….
  3. विजय × …………….
  4. जीवन × …………….

उत्तरः

  1. पतझड़
  2. विषम
  3. पराजय
  4. मरण

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित तत्सम शब्द का तद्भव शब्द लिखिए।
नव
उत्तरः
नया

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों में उचित प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए।
1. मनुज
2. विजय
उत्तर:
1. मनुजता
2. विजेता

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘मानवता का पालन करने से सभी के जीवन में खुशियाँ छा जाएँगी।’ इस कथन के संदर्भ में अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
मानवता का अर्थ है मनुष्य होने का कर्तव्य निभाना, मानव की सेवा करना; मानव के जीवन में खुशी निर्माण करना। मनुष्य होने का यह सबसे बड़ा धर्म है। प्रत्येक व्यक्ति को मानवता के जीवन मूल्यों का पालन करना चाहिए। यदि ऐसा हुआ तो सभी के जीवन में खुशियाँ छा जाएँगी। आज मानव जीवन धीरे-धीरे खतरे की ओर बढ़ रहा है।

अणविक अस्त्रों का निर्माण हो रहा है। संपूर्ण विश्व में अशांति एवं अराजकता फैली रही है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन इस पृथ्वी से मानव का अस्तित्व नष्ट हो सकता है। अत: सभी की भलाई हेतु एवं सभी के जीवन को खुशहाल बनाने हेतु मानवता का पालन अनिवार्य है। मनुष्य जीवन के विकास के साथ विश्व भर के लोगों के जीवन में सुख-शांति आए, इसलिए हमें मानवता का पालन करना होगा।

(आ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए।
1. मानव हृदय पर इनका प्रभाव पड़ता है –
2. इनके आँगन का जिक्र पद्यांश में हुआ है –
उत्तरः
1. सुख-दुख का
2. प्रासाद व कुटी के आँगन का

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प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
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कृति (2): शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द लिखिए।
1. प्रासाद
2. समान
उत्तरः
1. प्रसाद
2.सामान

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
1. मानव
2. क्षण
उत्तर:
1. मनुष्य
2. समय

प्रश्न 3.
उपसर्ग व प्रत्यय लगाकर नए शब्द लिखिए।
1. समान
2. प्राण
उत्तरः
1. उपसर्गयुक्त शब्दः असमान, प्रत्यययुक्त शब्द : समानता
2. उपसर्गयुक्त शब्दः निष्प्राण, प्रत्यययुक्त शब्दः प्राणहीन

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प्रश्न 4.
वचन बदलिए।
1. कुटी
2. आँगन
उत्तरः
1. कुटियाँ
2. आँगन

प्रश्न 5.
पद्यांश में प्रयुक्त विलोम शब्द की जोड़ियाँ लिखिए।
उत्तरः
1. सुख × दुख
2. प्रासाद × कुटी

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘व्यक्ति के जीवन में सुख और दुख अनिवार्य अंग होते हैं।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
जीवन की प्रतिमा को सुंदर और सुसज्जित बनाने में सुख और दुख आभूषण के समान हैं। मानव जीवन में सुख व दुख, धूप और छाँव की तरह आते-जाते रहते हैं। आखिर व्यक्ति का जीवन सुख-दुख का मेल है। कभी व्यक्ति जीवन में सुख की शीतल सुगंध की फुहारें उड़ती है तो कभी दुख की जलतीबिखरती चिनगारियाँ फैलती हैं। सुख के पल जीवन में कब आए और कब चले गए. इसका व्यक्ति को पता भी नहीं चलता है। लेकिन दुख के पल काटे नहीं कटते। सुख में व्यक्ति इतना प्रफुल्लित हो जाता है कि वह स्वयं को भी भूल जाता है और सातवें आसमान पर पहुँच जाता है। दुख में व्यक्ति इतना डूब जाता है कि वह गहराई के समुंदर से बाहर आने का नाम ही नहीं लेता है। इस प्रकार सुख-दुख आते-जाते रहते हैं।

(इ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्द पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों –
1. सीमित
2. वंदन
उत्तरः
1. कवि के मन में छाया हुआ वसंत कैसा है?
2. भू पर अभिनव क्या बनेगा?

प्रश्न 3.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
1. कवि को जन-जन की चिंता है।
2. मानव की दुनिया यह धरती का अभिनव नंदन नहीं बन सकती।
उत्तरः
1. सत्य
2. असत्य

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कृति (2): शब्द संपदा

प्रश्न 1.
पद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तरः
जन-जन

प्रश्न 2.
निम्नलिखित तत्सम शब्द का तद्भव रूप लिखिए।
मनुज
उत्तरः
मानव

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्द से उपसर्ग अलग कीजिए और संबंधित उपसर्ग से अन्य दो शब्द तैयार कीजिए।
अभिनव
उत्तर:
उपसर्ग: अभि, अन्य शब्द: अभिनेता, अभिजीत

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
1. साकार
2. भू
उत्तरः
1. आकारयुक्त
2. भूमि

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
नंदन
उत्तरः
आनंद देने वाला, पुत्र

प्रश्न 6.
लिंग बदलिए।
1. नंदन
2. कवि
उत्तरः
1. नंदिनी
2. कवयित्री

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कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘धरती को स्वर्ग-सी सुंदर बनाने के लिए मेरा प्रयास …..।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
धरती पर जीवन का स्पंदन है। यह धरती आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सौगात है। इसे सुंदर व स्वच्छ रखना मेरा परम कर्तव्य है। इस धरती को स्वर्ग के जैसा सुंदर बनाने के लिए मैं पेड़-पौधे लगाऊँगा। धरती को सदैव हरित रखूगा। यहाँ-वहाँ कूड़ा-कचरा नहीं फेकूँगा। जल स्रोतों को दूषित होने से बचाऊँगा। पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए वन एवं वन्य जीवों का संरक्षण करूँगा। सर्वत्र शांति का वातावरण बनाए रखूगा।

प्राकृतिक स्रोतों का सोच-समझकर उपयोग करूँगा। पर्यावरण प्रदूषण एवं ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने वाले संभव प्रयासों का कड़ाई से पालन करूँगा। बिजली एवं पानी का जरूरत से ज्यादा उपयोग नहीं करूँगा। मानवीय मूल्यों का प्रचार एवं प्रसार करके सभी के मन में एक-दूसरे के प्रति एवं धरती के प्रति मानवीय संवेदना उत्पन्न करने की कोशिश करूँगा।

(ई) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए।
1. पद्यांश में पवन की विशेषता बताने वाला शब्द –
2. नवयुग यह लेकर आएगा –
उत्तर:
1. मुक्त
2. नव संस्कृति व नव विश्व व्यवस्था

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
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कृति (2): शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के श्रृतिसम भिन्नार्थक शब्द लिखिए।
पवन
उत्तरः
पावन

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. मुक्त
  2. गगन
  3. व्यवस्था

उत्तर:

  1. स्वतंत्र
  2. आसमान
  3. प्रबंध

प्रश्न 3.
पद्यांश में से तत्सम शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:

  1. रवि
  2. शशि
  3. पवन
  4. नव

प्रश्न 4.
वचन बदलिए।
1. संस्कृति
2. व्यवस्था
उत्तर:
1. संस्कृतियाँ
2. व्यवस्थाएँ

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘नव संस्कृति व नव विश्व व्यवस्था आधुनिकता की देन है।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
पुराने जमाने में हमारे देश में जाति-प्रथा व धार्मिक आडंबरों को अत्याधिक महत्त्व दिया जाता था। स्त्रियों को सामाजिक बंधन में बँधकर रहना पड़ता था। उन्हें शिक्षा का अधिकार नहीं था। समाज में पुरुष-प्रधान व्यवस्था थी। पुराने रीति-रिवाजों को अधिक महत्त्व दिया जाता था। आधुनिक युग में नए मूल्यों एवं नई विचारधारा का प्रचार एवं प्रसार हो जाने से जाति-पाति की भावना समाज से आहिस्ता-आहिस्ता खत्म होती जा रही है।

आज हमारे समाज में स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार दिया गया है। आज कई ऐसे परिवार हैं, जो स्त्री-प्रधान हैं। आज हम स्वच्छंद एवं स्वतंत्र हैं। हमें मनचाही शिक्षा या मनचाहा व्यवसाय चुनने का अधिकार है। नव संस्कृति को अपनाने से हमारे विचारों में भारी परिवर्तन हुआ है। आज हम शांति एवं एकता को अपनाने की बात कर रहे हैं। नव संस्कृति ने हमें अध्यात्म व विज्ञान इन दो विषयों से भली-भाँति परिचित कराया है। नव संस्कृति एवं नव विश्व व्यवस्था से आज व्यक्ति, समाज और राष्ट्र प्रगति कर रहा है। ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना धीरे-धीरे प्रबल हो रही है।

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प्रश्न (उ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (2): शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित तत्सम शब्द का तद्भव रूप लिखिए।
वसन
उत्तर:
वस्त्र

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्द में उचित उपसर्ग लगाइए।
रस
उत्तरः
नी + रस = नीरस

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. अधर
  2. आँखें
  3. भवन

उत्तरः

  1. होंठ
  2. नयन
  3. मकान

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
रस
उत्तरः
स्वाद, जलीय अंश।

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कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘रोटी, कपड़ा व मकान मनुष्य जीवन की प्राथमिक आवश्यकता होती है।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
मानव जीवन अनमोल है। मनुष्य को एक साधारण जीवन जीने के लिए रोटी, कपड़ा व मकान की आवश्यकता होती है। इनमें से किसी एक का भी अभाव होने से उसका जीवन संतुलन सुचारू रूप से नहीं चल सकता। आज हमारे देश की आबादी बढ़ रही है। बढ़ती आबादी को प्राथमिक सुविधाएँ उपलब्ध कराने में सरकार निष्फल हो रही है। आज हमारे देश में कई लोगों को तन ढंकने के लिए कपड़े भी नहीं मिल पाते हैं। कई लोग बेघर हैं और वे रेल्वे स्टेशन या सड़क पर ही अपना बसेरा बना रहे हैं।

कई बच्चे-बड़े भूखे मर रहे हैं। भुखमरी की समस्या से आए दिन लोगों की मृत्यु हो रही है। सरकार अपनी ओर से प्रयास कर रही है परंतु जनता का भी कर्तव्य है कि वे अभावग्रस्त की सहायता के लिए आगे आए। मनुष्य ने इस धरती पर जन्म लिया है, तो उसे रोटी, कपड़ा व मकान जैसी प्राथमिक सुविधाएँ मिलनी ही चाहिए और लोगों को उसे प्राप्त करने के लिए मेहनत भी करनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं हो सका, तो इन सुविधाओं के बिना मानव जीवन नीरस व व्यर्थ साबित होगा।

ऐसा वसंत कब आएगा? Summary in Hindi

कवि-परिचय:

जीवन-परिचय: जगन्नाथ प्रसाद ‘मिलिंद’ जी का जन्म सन 1906 में मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में हुआ। इन्हें हिंदी के अतिरिक्त उर्दू, बांग्ला, मराठी, गुजराती और अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान था। आप हिंदी साहित्य जगत में कवि एवं नाटककार के रूप में प्रसिद्ध हैं। इन्होंने खंड काव्य एवं समीक्षा ग्रंथ लिखकर हिंदी साहित्य की सेवा की है। इनके साहित्य पर गांधीवादी विचारधारा का प्रभाव पड़ा है। इन्होंने अध्यापन के साथ-साथ स्वतंत्रता आंदोलन एवं राजनीति में भी भाग लिया था। इन्हें ‘साहित्य वाचस्पति’ एवं ‘भारत भाषा भूषण’ की उपाधि से सम्मानित किया गया है।

प्रमुख कृतियाँ: ‘अंतिमा’, ‘पूर्णा’, ‘बलिपद के गीत’, ‘नवयुग के गान’, ‘मुक्ति के स्वर’ (काव्य संग्रह) आदि।

पद्य-परिचय:

गीत: गीत साहित्य की एक लोकप्रिय विधा है। स्वर, पद और ताल से युक्त जो गान होता है, वह गीत कहलाता है। इसमें एक मुखड़ा तथा कुछ अंतरे होते हैं। प्रत्येक अंतरे के बाद मुखड़े को दोहराया जाता है। गीत को गाया भी जाता है।

प्रस्तावना: ‘ऐसा वसंत कब आएगा?’ इस गीत में कवि जगन्नाथ प्रसाद ‘मिलिंद’ जी का मानना है कि जिस दिन सुख-सुविधाओं पर अमीर-गरीब का समान अधिकार होगा और राष्ट्र-समाज के सुखों में भी महलों एवं कुटियों का समान अधिकार होगा, उस दिन धरती पर वास्तविक वसंत आ सकेगा।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 ऐसा वसंत कब आएगा?

सारांश:

‘ऐसा वसंत कब आएगा?’ यह एक गीत है। इस गीत के माध्यम से कवि ‘मिलिंद’ जी ने मानवता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सभी के मंगलमय एवं खुशहाल जीवन की कामना की है। कवि के अनुसार सुख-सुविधाओं पर अमीर-गरीब सभी का समान अधिकार होना चाहिए और जिस दिन ऐसा होगा उस दिन सच्चे अर्थ में वसंत अर्थात खुशहाली का आगमन होगा। मानव जीवन अभावरूपी पतझड़ से भरा पड़ा है। अतः मानव को अपने जीवन के अभावों पर विजय प्राप्त करने हेतु संघर्ष करना पड़ता है। सुख-दुख का मानव हृदय पर समान प्रभाव पड़ता है।

कवि के अनुसार जब प्रत्येक व्यक्ति का हृदय प्रेम एवं हर्ष से प्रफुल्लित हो जाएगा, तब वास्तविक वसंत का आगमन होगा। सभी का सूरज, चंद्र व मुक्त विचरण करने वाले पवन पर समान अधिकार होता है। जब नवयुग समानता पर आधारित नवसंस्कृति को अपनाएगा, तब नई विश्व व्यवस्था स्थापित होने में देर नहीं लगेगी। कवि की कामना है कि प्रत्येक व्यक्ति को खाने के लिए भरपेट भोजन, शरीर पर पहनने के लिए वस्त्र व रहने के लिए घर उपलब्ध हो, जिससे प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में आनंद और खुशहाली हो।

शब्दार्थ:

  1. मानवता – इंसानियत
  2. साकार – आकारयुक्त
  3. उपवन – वाटिका
  4. भू – भूमि
  5. यौवन – जवानी
  6. मुक्त – स्वतंत्र
  7. वितरण – बाँटना
  8. गगन – आसमान
  9. क्षण – समय, पल
  10. रवि – सूर्य
  11. शशि – चंद्रमा
  12. सम- समान
  13. रण – लड़ाई
  14. प्रसून – फूल
  15. सर्जन – निर्मित, रचना
  16. पुलक – प्रेम, हर्ष
  17. स्पंदन – धड़कन
  18. व्यवस्था – प्रबंध
  19. अधर – होंठ
  20. भवन – मकान
  21. वसन – वस्त्र

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 कलाकार

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 2 कलाकार Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

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Hindi Lokvani 10th Std Digest Chapter 2 कलाकार Textbook Questions and Answers

स्वाध्याय :

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

1. संजाल पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 कलाकार 1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 कलाकार 2

2. परिणाम लिखिए :

प्रश्न 1.
बीमार सेठानी पर धूनी की चुटकी भर राख का…..
उत्तर:
सकारात्मक प्रभाव पड़ा और धीरे-धीरे उसकी तबीयत सुधरने लगी।

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प्रश्न 2.
बहुरूपिये की वास्तविकता जानने के उपरांत सेठ जी की स्थिति –
उत्तरः
वह आश्चर्य के मारे आसमान से गिरा।

3. निम्नलिखित विधान सही करके लिखिए।

प्रश्न 1.
बहुरूपिये हू-ब-हू उसी तरह का व्यवहार करके प्राय: लोगों को भ्रम में नहीं डालते थे।
उत्तर:
बहुरूपिये हू-ब-हू उसी तरह का व्यवहार करके प्रायः लोगों को भ्रम में डालते थे।

प्रश्न 2.
एक बार सेठ जी बीमार हो गए।
उत्तर:
एक बार सेठानी बीमार हो गई।

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प्रश्न 3.
सेठानी कभी-कभी आने लगी।
उत्तर:
सेठ रोज आने लगा।

प्रश्न 4.
साधु ने झगड़ा करके सेठ को लौटा दिया।
उत्तरः
साधु ने समझा-बुझाकर सेठ को लौटा दिया।

प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 कलाकार 3
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 कलाकार 4

5. निम्नलिखित वाक्यों को घटनाक्रम के अनुसार लिखिए।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों को घटनाक्रम के अनुसार लिखिए।

  1. सेठजी द्वारा सेठानी को साधु के पास ले जाना।
  2. बहुरूपिये का साधु का रूप लेना।
  3. सेठानी का बीमार होना।
  4. धीरे-धीरे सेठानी की तबीयत सुधरना।

उत्तर:

  1. बहुरूपिये का साधु का रूप लेना।
  2. सेठानी का बीमार होना
  3. सेठजी द्वारा सेठानी को साधु के पास ले जाना।
  4. धीरे-धीरे सेठानी की तबीयत सुधरना।

6. इन कृदंत शब्दों की मूल क्रियाएँ लिखिए।

प्रश्न 1.
इन कृदंत शब्दों की मूल क्रियाएँ लिखिए।

  1. झुकाव = [ ]
  2. सोच = [ ]
  3. बनावट = [ ]
  4. लगाव = [ ]

उत्तर:

  1. झुकाव = [झुकाना या झुकना]
  2. सोच = [सोचना]
  3. बनावट = [बनवाना]
  4. लगाव = [लगना]

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7. ‘कला के प्रति ईमानदारी ही सच्चे कलाकार की पहचान है।’ विषय पर अपने विचार लिखिए। 

प्रश्न 1.
‘कला के प्रति ईमानदारी ही सच्चे कलाकार की पहचान है।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
कलाकार उसे कहते हैं जो कला का ज्ञाता हो, जिसे अपनी कला के सिवा अन्य कुछ नहीं भाता हो। अपनी कला का बेहतर प्रदर्शन करके लोगों का मनोरंजन करना ही उसका मुख्य उद्देश्य होता है। फिर वह कलाकार, अभिनेता हो या फिर कोई बहुरूपिया। उसकी कला ही उसकी पहचान होती है। इसलिए उसे अपनी पहचान एवं अस्तित्व को कभी नहीं खोना चाहिए। चरित्र निर्माण एवं संस्कार करने में कलाकार की भूमिका अनन्यसाधारण होती

है। इसलिए वह अपनी कला के माध्यम से लोगों पर अपनी अमिट छाप छोड़ता है। यदि वह अपनी कला के प्रति ईमानदार नहीं होता अथवा उसका सहारा लेकर गलत कार्य करता है, तो इससे उसकी कला का अपमान होता है। अत: वह हमेशा अपना व्यक्तिगत स्वार्थ त्यागकर, अपने पेशे के प्रति ईमानदारी पर अधिक बल देता है। इसी कारण समाज में उसकी प्रतिष्ठा बढ़ती है और सभी उसका और उसकी कला का सम्मान करते हैं।

अभिव्यक्ति :

प्रश्न 1.
‘सहयोग से कठिन कार्य की पूर्ति होती है।’ विषय पर अपने विचार शब्दांकित कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है जिसकी उन्नति सहयोग की बुनियाद पर निर्भर है। सहयोग भावना मानवता का प्रतीक है। किसी भी व्यक्ति को सहयोग करना एवं उसे सहायता पहुँचाना सबसे बड़ा धर्म होता है। हमें सबकी समान भाव से मदद करनी चाहिए। सहयोग से बहुत बड़े-बड़े कार्य पूर्ण होते हैं। सहयोग से पुल का निर्माण होता है, बड़ी-बड़ी इमारतें सहयोग के बल पर ही बनती हैं।

सहयोग से व्यक्ति, समाज व राष्ट्र की उन्नति होती है। सहयोग के बल पर ही आधुनिक भारत का नवनिर्माण संभव है। गाँधी जी ने सभी भारतीयों का सहयोग पाकर ही इस देश को अंग्रेजों के शासन से मुक्त कराया तथा हमें आजादी दिला पाने में सफल रहे। सहयोग असंभव को संभव कर देता है। अत: सभी को इसका पालन करना चाहिए।

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भाषाबिंदु :

प्रश्न 1.
पाठ में प्रयुक्त तीन-तीन क्रियाविशेषण अव्यय व संबंधसूचक अव्यय बकर उनका स्वतंत्र वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
1. क्रियाविशेषण अव्यय :

  • धीरे-धीरे : गाड़ी धीरे-धीरे जा रही थी।
  • एक बार : एक बार मैं बहुत बीमार हो गया था।
  • अब : अब मैं जा रहा हूँ।

2. संबंधसूचक अव्यय :

  • के लिए : मैंने उसके लिए खिलौने लाए।
  • की तरफ : मैंने तुरंत उसकी तरफ देखा।
  • के नीचे : पेड़ के नीचे एक लड़का बैठा था।

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उपयोजित लेखन :

प्रश्न 1.
आपके विद्यालय की सैर का वर्णन करने वाला पत्र अपनी सहेली या अपने मित्र को लिखिए। (पत्र निम्न प्रारूप में हों।)
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उत्तर:

10 जुलाई, 2018
प्रिय मित्र राहुल,
सप्रेम नमस्ते।
तुम कैसे हो? बहुत दिन हो गए लेकिन तुम्हारा पत्र नहीं मिला। आशा करता हूँ कि तुम ठीक होगे। मैं भी कुशल हूँ। मेरी चिंता मत करना राहुल, हमारे विद्यालय ने महाबलेश्वर की सैर आयोजित की थी। सैर तीन दिन की थी। दिनांक 25 जून को हम सुबह 7 बजे महाबलेश्वर की ओर निकले। करीबन शाम के 4 बजे तक हम महाबलेश्वर पहुंच गए थे। महाबलेश्वर के बारे में तुम्हें क्या बताऊँ? बहुत ही रम्य प्राकृतिक स्थल है महाबलेश्वर । वहाँ की वादियाँ एवं घाटियाँ देखकर मेरा मनमयूर नाचने लगा था।

सघन वृक्ष देखने लायक थे। चारों ओर का वातावरण बड़ा ही शांत और खुशनुमा था। हवा में ठंडक व ताज़गी थी। पेड़ों पर उछल-कूद करने वाले बंदरों की सेना देखकर मैं आनंदविभोर हो गया। वहाँ का रम्य वातावरण एवं मित्रों के साथ घूमते-घूमते तीन दिन कैसे बीत गए, इस बात का मुझे पता ही नहीं चला।

जैसे ही छुट्टियाँ शुरू हो जाएगी; वैसे ही तुम मेरे घर पर आना। फिर हम मिलकर खूब खेलेंगे। तुम्हारे माता जी एवं पिता जी को मेरा सादर प्रणाम।
तुम्हारा प्रिय मित्र,
विजय मेहता
पता : 201, गीता महल,
कृष्ण नगर,
मुंबई : 400 012
vijay-44@gmail.com

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Hindi Lokvani 10th Std Textbook Solutions Chapter 2 कलाकार Additional Important Questions and Answers

(अ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति अ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 कलाकार 6

प्रश्न 2.
निम्नलिखित विधान सही करके लिखिए।

i. बहुरूपियों के बारे में सभी नहीं जानते हैं।
उत्तर:
बहुरूपियों के बारे में हम सब जानते हैं।

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प्रश्न 3.
समझकर लिखिए।
i. गद्यांश में इस प्रांत की लोक कथाओं का जिक्र हुआ है।
उत्तर:
राजस्थान

कृति अ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ गद्यांश में से ढूँढ़कर लिखिए।

  1. पेशा
  2. नगर
  3. इनाम
  4. धोखा

उत्तर:

  1. व्यवसाय
  2. शहर
  3. उपहार
  4. विश्वासघात

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प्रश्न 2.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. कपड़े धोने का पेशा करनेवाली एक जाति –
ii. अनेक प्रकार के रूप धारण करने वाला –
उत्तर:
i. धोबी
ii. बहुरूपिया

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।

  1. सफलता × ……….
  2. व्यवहार × ……….
  3. भीतर × ……….

उत्तर:

  1. असफलता
  2. अव्यवहार
  3. बाहर

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्द से उपसर्ग व प्रत्यययुक्त शब्द बनाइए।
i. व्यवहार
ii. रूप
उत्तर:
i. उपसर्गयुक्त शब्द : अव्यवहार, प्रत्यययुक्त शब्द : व्यावहारिक
ii. उपसर्गयुक्त शब्द : कुरूप, प्रत्यययुक्त शब्द : रूपवान

कृति अ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘बहुरूपियों का पेशा अब समाप्त होता जा रहा है।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
पुराने जमाने में मनोरंजन के साधन सीमित होते थे। सिनेमा हॉल, दूरदर्शन, संगणक या मोबाइल जैसे अत्याधुनिक एवं मन बहलाने वाले साधन कम थे। वास्तव में मनोरंजन की दुनिया बहुत छोटी थी। पहले पुराने संस्कार एवं विधियों का अनुकरण किया जाता था। लोक कथाओं एवं लोक कलाओं का अनुकरण करने में सभी को आनंद मिलता था। लेकिन अब जमाना बदल गया है। लोगों की मनोरंजन को लेकर मानसिकता बदल गई है।

विज्ञान व तकनीकी ने मानव सभ्यता में परिवर्तन ला दिया है। इस कारण पहले जिस प्रकार बहुरूपिया द्वार-द्वार पर जाकर अपनी कलाबाजी एवं हुनर को प्रदर्शित करता था, उस प्रकार अब द्वार पर बुहरूपिया नहीं आता है। उसकी कलाबाजी एवं हुनर को देखने के लिए लोगों के पास पर्याप्त समय भी नहीं है। आपाधापी के इस युग में जहाँ अपनों के लिए वक्त नहीं है, वहाँ बहुरूपिए के करतब देखने के लिए किसी के पास समय नहीं है। इसलिए बहुरूपियों का पेशा अब समाप्त होता जा रहा है।

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(आ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति आ (1): आकलंन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 कलाकार 7

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 कलाकार 8

कृति आ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. भस्म
  2. साधु
  3. उपदेश
  4. समाचार

उत्तर:

  1. राख
  2. सज्जन
  3. सलाह
  4. खबर

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प्रश्न 2.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।

  1. तीन आड़ी रेखाओं का तिलक .
  2. कमर में बाँधने का एक प्रकार का वस्त्र –
  3. जिसने संसार को त्यागा है –

उत्तर:

  1. त्रिपुंड
  2. लँगोटी
  3. संसारत्यागी

प्रश्न 3.
विलोम शब्द लिखिए।

  1. कीर्ति × ……….
  2. आशीर्वाद × ………….
  3. साधु × …………..
  4. नगर × ………….

उत्तर:

  1. अपकीर्ति
  2. शाप
  3. गाँव

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प्रश्न 4.
गद्यांश में प्रयुक्त पर्यायवाची शब्द को ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
i. सिर, माथा

प्रश्न 5.
वचन बदलिए।

  1. डेरा
  2. झोपड़ी
  3. बगीचा
  4. सफलता

उत्तर:

  1. डेरे
  2. झोपड़ियाँ
  3. बगीचे
  4. सफलताएँ

प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग छाँटकर लिखिए।
i. महात्मा
ii. उपदेश
उत्तर:
i. महा
ii. उप

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प्रश्न 7.
गद्यांश से प्रयुक्त शब्द-युग्म +डकर लिखिए।
उत्तरः
i. कभी-कभी
ii. धीरे-धीरे

प्रश्न 8.
निम्नलिखित शब्द के लिए अनेकार्थी शब्द लिखिए। –
i. रूप
उत्तरः
सूरत, प्रकृति, खूबसूरत, समान।।

प्रश्न 9.
गद्यांश में से तत्सम शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तरः
संसार, कीर्ति, साधु

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कृति आ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘साधु माला, जटा, त्रिपुंड, कमंडल, तिलक, भस्म क्यों धारण करते हैं? अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
भारत में हिंदू साधुओं का एक विशेष पहनावा होता है। भारतीय संस्कृति की परंपरा के अनुसार ये माला, जटा, त्रिपुंड, कमंडल, तिलक, भस्म आदि का प्रयोग करके स्वयं को संसारत्यागी

कहलवाते हैं। हिंदू समाज में तुलसी की माला का विशेष महत्व होता है। अतः साधुओं के हाथ व गले में माला होती है। जटा, भस्म व कमंडल का सीधा संबंध भगवान शिव से होता है। भगवान शिव अपने शरीर पर भस्म लगाते थे। हिंदू संप्रदाय में तिलक का भी अपना विशेष महत्त्व होता है। धार्मिक कार्य एवं ईश्वर की उपासना करने के पश्चात माथे पर तिलक लगाया जाता है। माला, जटा, त्रिपुंड, कमंडल, तिलक, भस्म आदि का आध्यात्मिक महत्त्व भी है। इनके प्रयोग से व्यक्ति शुद्ध आचरण करने लगता है। अत: साधु उपर्युक्त साधनों को धारण करते हैं।

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(इ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति इ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
गद्यांश पड़कर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों –
i. सेठ
ii. सेठानी
उत्तर:
i. अविश्वास से कौन हँस पड़ा?
ii. कौन बीमार हो गई?

प्रश्न 2.
सही विकल्प चुनकर वाक्य पूर्ण कीजिए।
i. सेठ साधु को मिलने के लिए तैयार हो गया क्योंकि…..
(अ) दुनियाभर के इलाज कराने के बाद भी उसकी माँ ठीक नहीं हुई।
(आ) दुनियाभर के इलाज कराने के बाद भी उसकी बेटी ठीक नहीं हुई।
(इ) दुनियाभर के इलाज कराने के बाद भी उसकी पत्नी ठीक नहीं हुई।
उत्तर:
सेठ साधु को मिलने के लिए तैयार हो गया क्योंकि दुनियाभर के इलाज कराने के बाद भी उसकी पत्नी ठीक नहीं हुई।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित विधान सही करके लिखिए।

i. बड़ी प्रसन्नता से सेठ साधु को मिलने गया।
उत्तर:
हारकर सेठ साधु से मिलने गया।

प्रश्न 4.
किसने, किससे कहा?
i. “सेठानी को जीवनदान दीजिए।”
उत्तर:
सेठ ने साधु से कहा।

ii. “ऐसे ढोंगी जाने यहाँ कितने आते रहते हैं।”
उत्तर:
सेठ ने व्यक्ति से कहा।

कृति इ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
i. कभी-कभी
ii. वैद्य-डॉक्टर

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प्रश्न 2.
वचन बदलिए।
i. सेठानी
ii. पेशा
उत्तर:
i. सेठानियाँ
i. पेशे

प्रश्न 3.
गद्यांश में से प्रत्यययुक्त शब्द ढूँढकर लिखिए।
उत्तर:

  1. जीवनदान : प्रत्यय : दान
  2. करोड़पति : प्रत्यय : पति
  3. बेईमानी : प्रत्यय : ई

प्रश्न 4.
‘अविश्वास’ इस शब्द में निहित उपसर्ग प्रत्यय को पहचानकर संबंधित उपसर्ग लगाकर अन्य दो शब्द तैयार कीजिए।
उत्तरः
अविश्वास : प्रत्यय : अ, नए शब्द : अकारण, अप्रसन्न

प्रश्न 5.
निम्नलिखित गद्यांश में प्रयुक्त लिंग शब्द की जोड़ी ढूँढकर लिखिए।
उत्तरः
सेठ-सेठानी

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प्रश्न 6.
निम्नलिखित गद्यांश में प्रयुक्त पर्यायवाची शब्दों की जोड़ी ढूँढकर लिखिए।
उत्तर:
i. वैद्य-डॉक्टर
ii. चरण-पाँव

प्रश्न 7.
नीचे दिए शब्द के लिए श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द लिखिए।
i. संपत्ति
ii. अब
उत्तर:
i. संप्रति
ii. आब

प्रश्न 8.
निम्नलिखित शब्दों के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
i. डोली
ii. जीवन
उत्तर:
i. एक क्रिया जो ‘डोलना’ से संबंधित है, पालकी
ii. पानी, जिंदगी

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कृति इ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘क्या कोई साधु बीमार व्यक्ति को स्वस्थ करने की शक्ति रखता है।’ विधान को वर्तमान समय के संदर्भ में अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
आज का युग विज्ञान एवं तकनीकी का युग है। आज हमारे समाज में साधु और तांत्रिक के वेश में कुछ ढोंगी भी देखने को मिलते हैं। वे दूसरे की अज्ञानता और सीधेपन का लाभ उठाकर पैसा कमाते हैं। ऐसे में यदि घर का कोई व्यक्ति बीमार हो जाए, तो उसे साधु या तांत्रिक के पास ले जाना उचित नहीं है। फिर भी लोग अंधविश्वास के कारण बीमार व्यक्ति को साधु महाराज के पास लेकर जाते हैं। साधु के पास कोई भी ऐसी अद्भुत शक्ति नहीं होती है। वह तो सिर्फ उसके पास आने वाले व्यक्ति

को आशीर्वाद दे सकता है और ईश्वर से उनके कष्ट हरने की प्रार्थना कर सकता है। इससे ज्यादा उसके हाथ में कुछ नहीं होता है। फिर भी लोग उस पर विश्वास रखते हैं। हमें समाज में चारों ओर फैले कुछ ढोंगी साधुओं से बचना चाहिए और बीमार व्यक्ति को डॉक्टर के पास लेकर जाना चाहिए तथा डॉक्टर से उसका इलाज करवाना चाहिए।

(ई) गद्यांश को पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ई (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
परिणाम लिखिए।

i. सेठानी की तबीयत ठीक हो जाने पर …..
उत्तरः
सेठ का साधु पर गहरा विश्वास हो गया और वह रोज साधु के पास आने लगा।

प्रश्न 2.
गद्यांश पढ़कर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों –
i. सात-आठ
ii. धन
उत्तर:
i. सेठानी की तबीयत कितने दिनों में ठीक हो गई?
ii. क्या बढ़ने से लोभ भी उतना ही बढ़ता है?

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प्रश्न 3.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 कलाकार 9

कृति ई (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्य में विराम चिह्नों का उचित प्रयोग कीजिए।
i. साधु ने सेठ से कहा सच्चा सुख धन का त्याग करने में है अपना ध्यान भगवान के चरणों में लगा दो
उत्तरः
साधु ने सेठ से कहा, “सच्चा सुख धन का त्याग करने में है; अपना ध्यान भगवान के चरणों में लगा दो।”

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. भगवान
  2. विश्वास
  3. संसार
  4. लोभ

उत्तर:

  1. ईश्वर
  2. भरोसा
  3. जग
  4. लालच

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 कलाकार

प्रश्न 3.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
i. सात-आठ
ii. धीरे-धीरे

प्रश्न 4.
नीचे दिए शब्द के लिए श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द लिखिए।
i. सात
ii. समाधी
उत्तर:
i. साथ
ii. समधी

प्रश्न 5.
‘बीमारी’ इस शब्द में से प्रत्यय अलग कीजिए और संबंधित प्रत्यय लगाकर अन्य दो शब्द बनाइए।
उत्तरः
बीमारी : शब्द : बीमार प्रत्यय : ई अन्य शब्द : लोभी, संबंधी

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प्रश्न 6.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. योगसाधना द्वारा अंतर्ध्यान लगाकर बैठना –
उत्तरः
समाधी

कृति ई (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘जीवन का सच्चा सुख धन का त्याग करने में है।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
उपर्युक्त बिल्कुल शतप्रतिशत: सही है। जीवन का सच्चा सुख धन का त्याग करने में ही है। जिस व्यक्ति को धन का लोभ नहीं होता है; वह धन का कभी भी संचय नहीं करता है। जैसे-जैसे उसके पास धन आ जाता है; वैसे-वैसे वह धन दीन-दुखियों में बाँट देता है। दीन-दुखियों के चेहरे पर संतोष देखकर उसे अथाह खुशी मिलती है। ऐसा व्यक्ति सच्चे सुख का अनुभव करता है। जीवन में जो भी महान पुरुष हुए हैं, उन्होंने कभी भी धन का संचय नहीं किया था। आजीवन उन्होंने मानवता की भलाई हेतु ही कार्य किया। आखिर यह संसार एक माया है। धन का लोभ आदमी को आदमी नहीं रहने देता। जो व्यक्ति जितना धन का संचय करता है; उतना ही उसका लोभ बढ़ता जाता है।

(उ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति उ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
कारण लिखिए।
i. सेठ का संसार से मन फिर गया।
उत्तर:
क्योंकि साधु महाराज के उपदेश का उस पर सकारात्मक असर पड़ा।

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प्रश्न 3.
उचित जोड़ियाँ लगाइए।

‘अ’ ‘ब’
1. बैलगाड़ियों (क) कपट
2. सच्चा (ख) झुंड
3. साधु (ग) ज्ञान
4. झूठ (घ) उपदेश

उत्तरः

‘अ’ ‘ब’
1. बैलगाड़ियों (ख) झुंड
2. सच्चा (ग) ज्ञान
3. साधु (घ) उपदेश
4. झूठ (क) कपट

कृति उ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. प्रणाम
  2. कुटी
  3. असलियत
  4. मंदिर

उत्तर:

  1. नमस्कार
  2. झोपड़ी
  3. सच्चाई
  4. देवालय

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प्रश्न 2.
नीचे दिए हुए शब्द के विलोम शब्द लिखिए।
i. शिष्य × ……….
ii. सच्चा × ……….
उत्तर:
i. गुरु
ii. झूठा

प्रश्न 4.
‘असलियत’ शब्द में प्रत्यय अलग कीजिए और संबंधित प्रत्यय लगाकर अन्य दो शब्द तैयार कीजिए।
उत्तर:
असलियत : प्रत्यय : इयत, अन्य शब्द: इनसानियत, हैवानियत

प्रश्न 5.
नीचे दिए गए तत्सम शब्दों के तद्भव रूप लिखिए।
i. सुवर्ण
ii. उष्ट्र
उत्तर:
i. सोना
ii. ऊँट

प्रश्न 6.
नीचे दिए गए शब्द का श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द लिखिए।
i. चरण
उत्तर:
चारण

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कृति उ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘हृदय परिवर्तन व्यक्ति को सत्मार्ग की ओर अग्रसित करता है।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
हृदय परिवर्तन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिससे व्यक्ति का स्वभाव, उसकी बुराइयाँ आदि सब कुछ अच्छाई में परिवर्तित हो जाती हैं। हृदय परिवर्तन व्यक्ति के व्यक्तित्व को संपूर्णत: नया आयाम देता है। भगवान बौद्ध के उपदेश का अंगुलिमाल के हृदय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा और उसका हृदय परिवर्तन हो गया। मोहनदास गांधी का भी हृदय परिवर्तन हुआ और वे महात्मा गांधी बने। दीन-दुखियों का दुख देखकर मदर टेरेसा का भी हदय परिवर्तन हुआ था।

जिस व्यक्ति का हृदय परिवर्तन हो जाता है वह व्यक्ति सत्मार्ग की ओर अग्रसित हो जाता है और फिर वह अपने जीवन में कभी भी बुराइयों को अपनाता नहीं। वह अपने जीवन में सत्संग कर दूसरों के जीवन में खुशहाली निर्माण करता है। जिसका हृदय परिवर्तन हो जाता है वह दूसरों की सेवा निःस्वार्थ भाव से करता है। हृदय परिवर्तन व्यक्ति के जीवन का सबसे बड़ा परिवर्तन होता है।

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(ऊ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ऊ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
गद्यांश पढ़कर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों –
i. धन
ii. सेठ जी
उत्तर:
i. साधु के अनुसार मिट्टी क्या है?
ii. बहुरूपिये के अनुसार चतुर आदमी कौन है?

प्रश्न 2.
परिणाम लिखिए।
i. बहुरूपिये ने सेठ जी से धन नहीं लिया –
उत्तर:
सेठ की आँखों में आँसू आ गए।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित विधान सही करके लिखिए।

ii. प्रसन्न भाव से बहुरूपिया सिर ऊँचा करके खड़ा था।
उत्तर:
अपराधी भाव से बहुरूपिया सिर झुकाए खड़ा था।

प्रश्न 4.
कारण लिखिए।
i. बहुरूपिये ने सेठ से अपना इनाम माँगा।
उत्तर:
क्योंकि उसने सेठ जैसे चतुर आदमी को धोखा दे दिया था और अपनी कला का सम्मान चाहता था।

कृति ऊ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढकर लिखिए।
उत्तर:
i. समझा-बुझाकर
ii. इधर-उधर

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प्रश्न 2.
विलोम शब्द लिखिए।

  1. बड़ा × ………….
  2. स्वीकार × ……….
  3. इनाम × …………..
  4. चतुर × ……………

उत्तर:

  1. छोटा
  2. अस्वीकार
  3. हर्जाना
  4. मूर्ख

प्रश्न 3.
पर्यायवाची शब्द लिखिए।
i. कसूर
ii. इनाम
उत्तर :
i. गलती
ii. उपहार

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प्रश्न 4.
गोश में से ऐसे दो शब्द ढूँढकर लिखिए जिनके वचन परिवर्तित नहीं होते।
उत्तर:
सिर, इनाम

प्रश्न 5.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. वस्तु पर से अपना स्वत्व हटा लेना –
उत्तर:
त्याग

प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
i. माया
उत्तर:
माया, धन, देवी, लक्ष्मी

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(ए) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ए (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
गद्यांश के आधार पर वाक्य पूर्ण कीजिए।
i. अगर बहुरूपिया सेठ जी की संपत्ति लेकर भाग जाता …..
उत्तर:
अगर बहुरूपिया सेठ जी की संपत्ति लेकर भाग जाता तो उसके रूप में खोट आ सकती थी।

ii. बहुरूपिए ने रूप को सच्चा रखने के लिए
उत्तर:
बहुरूपिए ने रूप को सच्चा रखने के लिए संपत्ति का त्याग कर दिया था।

प्रश्न 2.
कारण लिखिए।
i. बहुरूपिया अब खुशी से इनाम ले सकता है।
उत्तर:
क्योंकि उसने अपने बहुरूपिये का काम पूरा कर लिया था।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित गलत विधान सही करके लिखिए।
i. सेठानी बहुरूपिये के आशीर्वाद से ठीक हो गई थी।
उत्तर:
सेठानी और सेठ का विश्वास और संयोग इनके मिलन से सेठानी ठीक हो गई थी।

ii. दुर्जन व्यक्ति की तरह बहुरूपिये ने साधु का रूप त्याग दिया था।
उत्तर:
सच्चे महत्मा की तरह बहुरूपिये ने साधु का रूप त्याग दिया था।

कृति ए (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्य में विराम चिह्नों का उचित प्रयोग कीजिए।
i. बहुरूपिये ने सेठ से कहा अब आप जो इनाम मुझे देंगे खुशी से ले लूँगा
उत्तर:
बहुरूपिये ने सेठ से कहा, “अब आप जो इनाम मुझे देंगे, खुशी से ले लूंगा।”

प्रश्न 2.
दिए गए गद्यांश में से विदेशी शब्द ढूँढकर लिखिए।
उत्तर:
अशर्फी

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्द में उचित उपसर्ग व प्रत्यय लगाकर नए शब्द तैयार कीजिए।
i. नम
ii. संतुष्ट
उत्तर:
i. उपसर्गयुक्त शब्द: विनम्र, प्रत्यययुक्त शब्द: नम्रता
ii. उपसर्गयुक्त शब्द: असंतुष्ट, प्रत्यययुक्त शब्दः संतुष्टि

प्रश्न 4.
विलोम शब्द लिखिए।
i. विश्वास ×
ii. नम्रता ×
उत्तर:
i. अविश्वास
ii. अशिष्टता

प्रश्न 5.
निम्नलिखित अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. सोने का सिक्का –
उत्तर:
अशर्फी

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कृति ए (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘हमें अपने व्यवसाय के प्रति ईमानदार होना चाहिए।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
‘व्यवसाय’ का अर्थ है काम-धंधा एवं पेशा। व्यवसाय से व्यक्ति को रोजगार प्राप्त होता है। व्यवसाय एक नैतिक उत्तरदायित्व होता है। लाभ कमाने के ध्येय से व्यवसाय किया जाता है। व्यवसाय के कई प्रकार हैं। जैसे कि अध्यापन, डॉक्टरी, चित्रकारी आदि तरह-तरह के व्यवसाय हैं। व्यक्ति किसी भी व्यवसाय का चयन करें, पर उसे अपने व्यवसाय के प्रति ईमानदार होना चाहिए। उसे अपना काम निष्ठा एवं विश्वास से करना चाहिए। उसके मन में अपने व्यवसाय के प्रति अपनत्व की भावना होनी चाहिए तथा प्रतिकूल परिस्थिति में भी वह अपने व्यवसाय की नैतिकता में सतर्क रहे। जो व्यक्ति अपने व्यवसाय के प्रति ईमानदार होता है; वह राष्ट्रीय विकास हेतु अपना योगदान देने में सक्षम होता है। व्यवसाय के प्रति ईमानदार रहने से व्यक्ति का व्यवसाय समाज में प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त कर लेता है। अत: हमें व्यवसाय के प्रति ईमानदार होना चाहिए।

कलाकार Summary in Hindi

लेखक – परिचय :

जीवन-परिचय : राजेंद्र यादव जी का जन्म सन 1929 में उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में हुआ। आप साठोत्तरी पीढ़ी के जाने-माने उपन्यासकार एवं साहित्यकार हैं। राजेंद्रजी हिंदी के सर्वाधिक लोकप्रिय संपादक भी थे। इन्होंने ‘नई कहानी’ के नाम से हिंदी साहित्य में एक नई विधा का सूत्रपात भी किया था। इन्होंने ‘हम’ पत्रिका का पुनः प्रकाशन किया और यह कार्य अपने जीवन के अंतिम समय तक यानी पूरे 27 वर्ष तक जारी रखा। हिंदी अकादमी दिल्ली द्वारा आपको समग्र लेखन के लिए ‘सर्वोच्च शलाका सम्मान’ प्रदान किया गया।
प्रमुख कृतियाँ : ‘जहाँ लक्ष्मी कैद है. ‘छोटे-छोटे ताजमहल’, ‘किनारे से किनारे तक (कहानी संग्रह), ‘सारा आकाश’, ‘शह और मात’। तथा ‘उखड़े हुए लोग’ (उपन्यास) आदि।

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गद्य-परिचय :

कहानी : कहानी साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा है। जीवन की किसी एक घटना के रोचक वर्णन को ‘कहानी’ कहते हैं। कहानी का उद्देश्य उपदेश देना और मनोरंजन करना माना जाता है। कहानी का लक्ष्य मानव जीवन की विभिन्न समस्याओं और ! संवेदनाओं को व्यक्त करना होता है।
प्रस्तावना : ‘कलाकार’ इस कहानी में लेखक राजेंद्र यादव जी ने बहुरूपिए के माध्यम से बताया है कि श्रेष्ठ कलाकार को अपनी कला के प्रति ईमानदार रहना चाहिए अर्थात व्यक्ति का कोई भी पेशा या व्यवसाय हो; उसे उसके प्रति ईमानदार होना चाहिए।

सारांश :

‘कलाकार’ एक कहानी है। यह कहानी हमें अपनी कला और व्यवसाय के प्रति ईमानदार रहने की प्रेरणा देती है। इस कहानी का नायक एक बहुरूपिया है। तरह-तरह के रूप धारण कर लोगों का मनोरंजन करना उसका पेशा है। वह अपनी कला में माहिर है। एक बार वह साधु के जैसा हू-ब-रूप धारण करके नगर के बाहर डेरा लगाकर बैठ जाता है। धीरे-धीरे लोग उसके बारे में जानने लगते हैं और उससे मिलने आने लगते हैं। चारों तरफ उसका नाम फैल जाता है। नगर में रहने वाले एक सेठ की पत्नी बीमार पड़ जाती है।

डॉक्टर एवं वैद्यों द्वारा इलाज करने पर भी वह ठीक नहीं होती है। आखिर सेठ अपनी पत्नी को लेकर साधु महाराज के पास आते हैं। संयोग वश सेठानी की तबीयत सुधरने लगता हा सात-आठ दिना म उसका तबीयत ठीक हो जाती है। अब सेठ पूरी निष्ठा से साधु महाराज का भक्त बन जाता है। साधु महाराज उसे मोह-माया को त्यागने के लिए कहते हैं। साधु के उपदेश का सेठ पर गहरा असर होता है और वह एक दिन अपनी सारी संपत्ति लेकर साधु के पास आता है। वह अपनी संपत्ति साध महाराज को दान करना चाहता है। लेकिन साधु उसे विनम्रता से ठुकरा देता है।

अब साधु को लगता है कि उसने अपनी कला का बेहतर प्रदर्शन करके सेठ जैसे चतुर आदमी को धोखा दे दिया है। अत: वह साधु का वेश त्यागकर सेठ के पास अपना इनाम माँगता है और सेठ को सब कुछ सच बता देता है। उसकी बातों को सुनकर सेठ आश्चर्यचकित हो जाते हैं। वे बहुरूपिए से कहते है कि अगर वह चाहता; तो उनका सारा धन लेकर भाग सकता था। तब बहुरूपिया कहता है कि यदि वह ऐसा करता, तो उसके रूप में खोट आ सकती थी। रूप को सच्चा रखने के लिए उसने धन का त्याग कर दिया था। फिर भी सेठ जी की समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि यह कैसा बहुरूपिया है। जो करोड़ों की संपत्ति छोड़कर अशर्फियों के इनाम के लिए इतना प्रसन्न और संतुष्ट है।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 कलाकार

शब्दार्थ :

  1. बहुरूपिया – तरह-तरह के रूप धारण करने वाला
  2. जिक्र – चर्चा
  3. पेशा – व्यवसाय, उद्यम
  4. नगर – शहर
  5. इनाम – उपहार
  6. धोखा – फरेब
  7. भस्म – राख
  8. साधु – सज्जन
  9. उपदेश – सलाह
  10. समाचार – खबर
  11. अशर्फी – मूल्यवान धातु के सिक्के
  12. प्रणाम – नमस्कार
  13. कुटी – झोपड़ी
  14. असलियत – सच्चाई
  15. मंदिर – देवालय
  16. कमाल – सर्वोत्तम
  17. इनाम – उपहार
  18. धिक्कारना – झिड़कना
  19. शुभचिंतक – किसी कार्य/व्यक्ति के बारे में अच्छा सोचने वाला
  20. धूनी – साधुओं द्वारा बनाया गया अग्निकुंड

मुहावरे :

  1. डेरा लगाना – निवास के लिए जम जाना।
  2. आसमान से गिरना – आश्चर्यचकित होना।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 5 चार हाथ चाँदना Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना (पठनार्थ)

Hindi Lokvani 10th Std Digest Chapter 5 चार हाथ चाँदना Textbook Questions and Answers

स्वाध्याय :

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

1. विधानों के सामने सही अथवा गलत लिखिए :

प्रश्न 1.
विधानों के सामने सही अथवा गलत लिखिए :

  1. शोभा सिंह ने ‘सत्यम्, शिवम्, सुंदरम्’ का क्रम बदला है। [ ]
  2. प्रश्नकर्ता के अनुसार हमारी धरती का यथार्थ बहुत भयानक नहीं है। [ ]
  3. कलाकार की शक्ति उसके चिंतन में है। [ ]
  4. शोभा सिंह कलाकार का कर्म एक छोटी-सी जलती हुई मोमबत्ती नहीं समझते । [ ]

उत्तर:

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. असत्य

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना

2. कृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना 1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना 2

3. उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

प्रश्न 1.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

‘अ’ ‘ब’
1. चित्रकार (क) अमृता प्रीतम
2. लेखिका (ख) शोभा सिंह
3. जीनियस (ग) कलाकार
4. ईश्वर (घ) माँ

उत्तर:

‘अ’ ‘ब’
1. चित्रकार (ख) शोभा सिंह
2. लेखिका (क) अमृता प्रीतम
3. जीनियस (घ) माँ
4. ईश्वर (ग) कलाकार

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना

4. उचित विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।

प्रश्न 1.
उचित विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।

  1. सुंदरता के लिए ………………….. सबसे पहली अवस्था है। (नजर, दृष्टि, नजरिया)
  2. हमारी धरती का ……………… बहुत भयानक है। (सत्य, यथार्थ, वास्तव)
  3. कलाकार की शक्ति उसके …………….. में है। (चिंतन, मनन, साधना)
  4. मैं रचनात्मक ……………. के संबंध में कह रहा हूँ। (युक्ति, कृति, शक्ति)

उत्तर:

  1. नजरिया
  2. यथार्थ
  3. चिंतन
  4. शक्ति

5. पाठ में प्रयुक्त ऐसे शब्द ढूँढकर लिखिए जिनका वचन परिवर्तन नहीं होता।
जैसे : वृक्ष – वक्ष

प्रश्न 1.
पाठ में प्रयुक्त ऐसे शब्द ढूँढकर लिखिए जिनका वचन परिवर्तन नहीं होता।
जैसे : वृक्ष – वक्ष
उत्तर:

कलाकार रंग चित्रकार घर
दीमक गुलाब फूल दर्शक

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अभिव्यक्ति :

प्रश्न 1.
‘कला जीवन को आनंदित करने का साधन है।’ विषय पर अपना मत स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
कला के माध्यम से मनुष्य अपने भावों की अभिव्यक्ति करता है। कला जीवन की अनुकृति है। कला जीवन को आनंदित करने का साधन है। कला में ऐसी शक्ति होती है जो कलाकार को संकीर्ण सीमाओं से उठाकर सफलता की मंजिल पर बिठा देता है। कला के कारण मानव मन में संवेदनाएँ एवं अभिरूचि निर्माण होती है। कला जीवन को सत्यम्, शिवम् और सुंदरम् से समन्वित करती है। कला उस क्षितिज की भाँति है जिसका कोई छोर नहीं है।

रसात्मकता कला का प्राण होता है। व्यक्ति को जो कला अच्छी लगती है, उसमें वह मग्न हो जाता है। अपनी मनपसंद कला के साथ एकाकार होने से उसका मन हर्ष से भर जाता है। मनपसंद कला उसके जीवन को प्रभावित करती है और उसे आनंद की अनुभूति दिलाती है। जो व्यक्ति अपने जीवन से निराश एवं उदास हो जाता है, वह यदि कला के सान्निध्य चला जाए तो उसके मन से उदासी की भावना सदा के लिए खत्म हो जाती है और वह चिर-आनंद का अनुभव करने लगता है।

भाषाबिंदु :

प्रश्न 1.
वर्तनी के नियमों के अनुसार शुद्ध शब्द छाँटकर लिखिए। |

  1. मुश्कील/मुशकील/मुश्किल/मुष्कील = …………….
  2. परसिद्ध/प्रसिद्ध/प्रसीध्द/प्रसिध्ध =…………….
  3. मिट्टी/मिट्यी/मिट्टी/मीट्ठी = …………….
  4. रूतूएँ/ऋतुएँ/ऋतूए/ऋतू = …………….

उत्तर:

  1. मुश्किल
  2. प्रसिद्ध
  3. मिट्टी
  4. ऋतुएँ

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना

उपयोजित लेखन :

प्रश्न 1.
‘पुस्तक मेल में दो घंटे’ विषय पर अस्सी से सौ शब्दों में निबंध लिखिए।
उत्तरः
पुस्तक मेल में दो घंटे पुस्तकों का हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। वे एक मित्र के समान हमारी सहायक एवं मार्गदर्शक होती हैं। वे अपना ज्ञानरूपी अमृत कोष सदा हम पर न्योछावर करती रहती हैं। अतः पुस्तकों का वाचन सभी को करना चाहिए। पुस्तकों का भी अपना एक मेला होता है। पुस्तक मेले में तरह-तरह की पुस्तकें होती हैं। वहाँ पर लेखक एवं कवि आते हैं और स्वयं अपनी पुस्तकों के बारे में पाठकों को परिचित कराते हैं। मैं भी सरस्वती भवन द्वारा आयोजित पुस्तक मेले में गया था।

मेरे साथ मेरे मित्र भी थे। जैसे ही हमने पुस्तक मेले में प्रवेश किया वैसे ही पुस्तक मेले के प्रवेशद्वार पर एक व्यक्ति पुस्तक का मुखौटा पहनकर पुस्तकों के महत्त्व से हमें परिचित कराने लगा हमें बहुत ही अच्छा लगा। जैसे ही हम भीतर गए वैसे ही हमने चारों ओर नजर डाली।

तब हमने देखा कि चारों ओर पुस्तक खरीदने के लिए लोगों की भीड़ एकत्रित हुई है। कई दुकानों पर लोगों का तांता लगा हुआ था। भारतीय भाषाओं के सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ एवं महापुरूषों की जीवनी सर्वत्र विक्री हेतु उपलब्ध थी। अंग्रेजी किताबें भी थीं। हिंदी साहित्य की पुस्तकों के बारे में क्या कहना? प्रत्येक दुकान में पंत जी, निराला जी, बच्चन जी, गुप्त जी, सुभद्रा जी, महादेवी जी, अज्ञेय जी, मन्नू भंडारी जी, भारती जी आदि पुस्तक रूप में विराजमान थे।

इन श्रेष्ठ साहित्यकारों के अनुपम ग्रंथ देखकर मैं आनंदविभोर हो गया। इतने में मेरे एक मित्र ने तपाक से कहा, “अरे देखो, हिंदी साहित्य के श्रेष्ठ वर्तमान साहित्यकार श्री. राम जी तिवारी बच्चों के साथ वार्तालाप कर रहे हैं।”

हम तुरंत उस स्थान पर पहुंच गए जहाँ पर श्री तिवारी जी बच्चों से तन्मयता और सहदयता से बात कर रहे थे। उनके विचार सुनकर हम सब गद्गद हो गए। उन्होंने ‘कितावें करती हैं बातें…’ इस कविता को हमारे सामने अभिव्यक्त करके पुस्तकों के वाचन हेतु जो संस्कार किया, उसका वर्णन करना मेरे लिए कठिन है।

पुस्तक मेले में घूमते-घूमते हमें कई ऐसी किताबों के बारे में पता चला, जिनके नाम भी हमने पहले कभी सुने नहीं थे। पुस्तक मेले में भ्रमण करते समय दो घंटे कब खत्म हुए, इसका पता भी नहीं चला। मनचाही पुस्तकें खरीद कर एवं प्राप्त ज्ञान को मस्तिष्क में संग्रहित कर हम खुशी-खुशी घर की ओर लौट पड़े।

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Hindi Lokvani 10th Std Textbook Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना Additional Important Questions and Answers

(अ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति अ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना 4

प्रश्न 2.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए। –
i. श्री शोभा सिंह प्रसिद्ध साहित्यकार हैं।
उत्तर:
i. असत्य

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प्रश्न 3.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना 5

प्रश्न 4.
उचित विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
i. सुंदरता की …………………………. अवस्था सत्य है। (पहली, दूसरी, तीसरी)
उत्तर:
i. पहली

कृति अ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. रूहानी
  2. तकनीकी
  3. अवस्था
  4. गहराई

उत्तर:

  1. आत्मिक
  2. प्रविधिक
  3. हालत
  4. गहनता

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के वचन बदलिए।
i. कल्पना
ii. लकीर
उत्तर:
i. कल्पनाएँ
ii. लकीरें

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
i. अवस्था
ii. कल्पना
उत्तर:
i. हालत, देहादि की कालकृत स्थिति जैसे बचपन, जवानी, बुढ़ापा, उम्र, स्थिति
ii. नई बात, सोचना, मन की उपज

प्रश्न 4.
निम्नलिखित तत्सम शब्द का तद्भव रूप लिखिए।
i. सत्य
उत्तर:
i. सच

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प्रश्न 5.
गद्यांश में प्रयुक्त अन्य भाषाओं के शब्द ढूँडकर लिखिए।
उत्तर:
i. रूहानी
ii. कैनवस

कृति अ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘रंगों का जीवन में बड़ा महत्व है।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
रंगों का व्यक्ति के जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। रंग चेतन जीव पर गहराई तक असर डालते हैं। रंग व्यक्ति को सिर्फ खुशी ही नहीं देते बल्कि उसके शारीरिक एवं मानसिक विकारों को भी दूर भगाते हैं। रंग व्यक्ति के जीवन में दोहरी भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के तौर पर रंग हमें उत्तेजित करते हैं और हमें शांत भी करते हैं। इसलिए जीवन में रंगों का ज्योतिषीय महत्त्व है। रंगों के बिना व्यक्ति का जीवन नीरस होता है।

इंद्रधनुष के सात रंगों को रंगों का रचयिता माना जाता है। हरा रंग संपन्नता का प्रतीक माना जाता है। श्वेत रंग शांति का प्रतीक माना जाता है। पीला रंग प्रकाश का प्रतीक माना जाता है, तो गुलाबी रंग कोमलता व सुंदरता का प्रतीक माना जाता है। नीला रंग एकता व ठंडक का प्रतीक माना जाता है। रंग हमारे विचारों को प्रभावित करते हैं। इसलिए हमारे जीवन में रंगों का विशेष महत्त्व है।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना

(आ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति आ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
i.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना 6

ii.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना 7

प्रश्न 2.
प्रस्तुत गद्यांश को पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों –
i. परछत्ती
ii. तस्वीरें
उत्तर:
i. आँगन में क्या बनी हुई थी?
ii. बचपन में शोभा सिंह जी घर की दीवारें सजाने के लिए क्या बनाने लगे?

कृति आ (3) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।
i. जन्म × ……………
ii. निचली × ……………
उत्तर:
i. मरण
ii. ऊपरी

प्रश्न 2.
निम्नलिखित अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।

  1. घास-फूस का बना छप्पर –
  2. कागज़, चमड़े आदि से मड़ी हुई दफ़्ती या पुस्तक की प्रति –
  3. लकड़ी और किताबों को खानेवाला कीट –

उत्तर:

  1. परछत्ती
  2. जिल्द
  3. दीमक

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना

प्रश्न 3.
नीचे लिखे शब्दों में से उपसर्ग छाँटिए और संबंधित उपसर्ग से दो अन्य शब्द बनाइए।
i. परछत्ती
उत्तर:
i. परछत्ती : उपसर्ग : पर अन्य शब्द : परदादा, परदादी

प्रश्न 4.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढकर लिखिए।
उत्तर:
i. धो-पोंछकर
ii. इर्द-गिर्द

(इ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति इ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों
i. रचनात्मक
ii. चाँदना
उत्तर:
i. गद्यांश में किस शक्ति की बात हो रही है?
ii. जलती हुई मोमबत्ती धरती को क्या दे सकती है?

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना

प्रश्न 2.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
i. औरत सब कुछ छोड़कर एक नई और ऊपरी धरती पर चली जाती है।
ii. दो-दो, चार-चार हाथ चाँदना पूरी संस्कृति को प्रभावित कर सकता है।
उत्तर:
i. सत्य
ii. असत्य

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कृति इ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढकर लिखिए।
उत्तर:

  1. माँ-बाप
  2. भाई-बहन
  3. दो-दो, चार-चार
  4. ईद-गिर्द

प्रश्न 2.
वचन बदलिए।
i. शक्ति
ii. मोमबत्ती
उत्तर:
i. शक्तियाँ
ii. मोमबत्तियाँ

प्रश्न 3.
‘कलाकार’ इस शब्द में निहित प्रत्यय को पहचानकर संबंधित उपसर्ग लगाकर अन्य दो शब्द तैयार कीजिए।
उत्तरः
कलाकारः प्रत्यय : कार नए शब्द : शिल्पकार, चित्रकार

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना

प्रश्न 4.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।

  1. किसी लक्ष्य को पाने के लिए किया गया अभ्यास –
  2. रचना से संबंधित –
  3. सभ्य होने का भाव –

उत्तर :

  1. साधना
  2. रचनात्मक
  3. सभ्यता

कृति इ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘कला अभिव्यक्ति का माध्यम है।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
मन के अंत:करण की सुंदर प्रस्तुति कला होती है। कला में मानसिक व शारीरिक कौशलों का प्रयोग होता है। कला का अर्थ है – रचना करना। चित्रकला, संगीत, काव्य, नृत्य, स्थापत्यकला, रंगमंच आदि कला के विविध रूप हैं। कला के द्वारा मनुष्य अपने भावों की अभिव्यक्ति करता है। कला मानव, प्राणियों में अमृत भर देती हैं। फिर वह कला संगीत कला हो या चित्रकला। वह अभिव्यक्ति का कुशल साधन बनकर मनुष्य के हृदय पर सकारात्मक प्रभाव निर्माण करती है। कला के द्वारा मनुष्य अपनी संवेदनाएं व अभिरुचि को दिशा देने की अद्भुत क्षमता रखता है। कला मानवीय मन को सम्मोहित करती है।

कला की अभिव्यक्ति जितनी कुशल होती है। उतनी वह मानव मन पर अपनी छाप छोड़ने में सक्षम होती है। ताजमहल देखने के लिए प्रतिवर्ष लाखों लोग आते हैं। लोग चार मिनार की सैर करते हैं। ये सारी कला ही तो हैं जो अपने अभिव्यक्ति के सशक्त पहिए पर खड़ी हैं। अत: कहा जाता है : अभिव्यक्ति की कुशल शक्ति कला होती है। वह अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम होती है।

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(ई) गद्यांश पड़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ई (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।

  1. यहाँ पर चित्रित होकर पड़ा है धरती का यथार्थ –
  2. धरती के यथार्थ –
  3. ये लोप होती जा रही हैं –
  4. गद्यांश में इस अंग्रेजी कवि का नाम आया है –
  5. कवि ब्लेक का कथन –

उत्तर:

  1. जगह-जगह पर व सड़कों की पटरियों पर
  2. भयानक गरीबी और अंतहीन दुखों का इतिहास
  3. जिंदगी की खूबसूरती व जिंदगी की अच्छाई
  4. कवि विलियम ब्लेक
  5. सुंदर ईश्वर को एक गुलाब का फूल बनाने में पचास हजार बरस लगे थे।

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प्रश्न 2.
गद्यांश के आधार पर वाक्य पूर्ण कीजिए।

  1. शोभा सिंह गुरुओं के चित्र बनाते हैं क्योंकि
  2. कला का तब तक कोई प्रभाव नहीं होता जब तक
  3. चित्रकार जिंदगी की खूबसूरती एवं अच्छाई को चित्रित करना चाहता है क्योंकि

उत्तर:

  1. शोभा सिंह गुरुओं के चित्र बनाते हैं क्योंकि उनके ‘स्वयं’ महान थे।
  2. कला का तब तक कोई प्रभाव नहीं होता जब तक वह कला के लिए होती है।
  3. चित्रकार जिंदगी की खूबसूरती एवं अच्छाई को चित्रित करना चाहता है क्योंकि वह दिनोंदिन लोप होती जा रही है।

कृति ई (3) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्य में विराम चिह्नों का उचित प्रयोग कीजिए।
i. शोभा सिंह ने कहा कलाकार का कर्म भी एक व्यक्तित्व बनना है तभी कला में उसका प्रभाव आ सकता है।
उत्तर:
शोभा सिंह ने कहा, “कलाकार का कर्म भी एक व्यक्तित्व बनना है, तभी कला में उसका प्रभाव आ सकता है।”

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प्रश्न 2.
लिंग बदलिए।
i. कलाकार
i. गुरु
उत्तर:
i. कलावती
ii. गुरुआइन

प्रश्न 3.
गद्यांश में से प्रत्यययुक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
i. खूबसूरती : प्रत्यय : ई
ii. अच्छाई : प्रत्यय : ई

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों में उचित प्रत्यय लगाइए।
i. कल्पना
ii. इतिहास
उत्तर:
i. कल्पना + इक = काल्पनिक
ii. इतिहास + इक = ऐतिहासिक

प्रश्न 5.
विलोम शब्द लिखिए।

  1. यर्थाथ × ………………..
  2. खूबसूरत × ………………..
  3. फूल × ………………..
  4. महान × …………………

उत्तर:

  1. कल्पित
  2. बदसूरत
  3. काँटा
  4. साधारण

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कृति ई (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘क्या जिंदगी की खूबसूरती व अच्छाई सचमुच लोप होती जा रही है ?’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
जिंदगी खूबसूरती व अच्छाई का नाम है। जिंदगी में जो कुछ प्राकृतिक है, वह सब ईश्वर निर्मित है। इंसान की जिंदगी में उसके कर्म बहुत ही मायने रखते हैं। वह जो कुछ करता है उसी के आधार पर उसकी जिंदगी भविष्य के रास्ते बनाती है। इंसान का अच्छा कर्म उसे अच्छाई की ओर ले जाता है। इंसान को जो यह अनमोल जीवन मिला है वह बहुत ही खूबसूरत है। इंसान का यह कर्तव्य है कि वह इस सुंदर जीवन को और खूबसूरत बनाए।

लता दीदी अपनी सुमधुर आवाज के लिए विश्व भर में पहचानी जाती हैं। सचिन क्रिकेट खेल जगत का भगवान बन गया है। अमिताभ बच्चन जी अपनी उत्कृष्ट अदाकारी के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध हैं। अत: मुझे ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि आज जिंदगी की खूबसूरती एवं अच्छाई लोप होती जा रही है। अपनी जिंदगी को खूबसूरत एवं अच्छा रखना प्रत्येक मनुष्य के हाथ में ही है।

(ङ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति छ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
उचित विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों पूर्ति किजिए।
i. क्या प्रसाद सिर्फ …….. होता है? (बूंदी, लड्डू, पेड़ा)
उत्तर:
i. बूंदी

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प्रश्न 3.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना 8

कृति उ (3) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. अमौर
  2. प्रसाद
  3. दर्शक

उत्तर:

  1. रईस
  2. अनुग्रह
  3. देखनेवाला

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्द के लिए अनेकार्थी शब्द लिखिए।
i. प्रसाद
उत्तर:
i. कृपा, भगवान को चढ़ाई गई वस्तु, अनुग्रह

प्रश्न 3.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. कला का प्रदर्शन करने वाला –
उत्तरः
कलाकार

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द लिखिए।
i. दर्शक
ii. अमल
उत्तर:
i. दशक
ii. कमल

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कृति ङ (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘कलाकार की शक्ति उसके चिंतन में है।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
कलाकार वह होता है जो अपनी अद्भुत कला से सभी को मंत्रमुग्ध कर देता है और सभी के हृदय पर छाप छोड़ देता है। फिर वह कलाकार चित्रकार हो या कवि। कलाकार के पास अद्भुत शक्तियाँ होती हैं। नित्य साधना, चिंतन व मनन के जरिए कलाकार को कलात्मक शक्तियों की प्राप्ति होती है। भारत के महान गायक मोहम्मद रफी साहब के स्वरों में जो जादू था, वह उन्हें एक दिन में नहीं प्राप्त हुई। उसके लिए उन्होंने बचपन से रियाज़ करना शुरू कर दिया था।

दिन के दस-दस घंटे तक वे संगीत का अभ्यास करते थे। अपनी कड़ी तपस्या के कारण ही वे महान गायक बने थे। चिंतन के बिना कलाकार की प्रतिभा खिल नहीं सकती। चिंतन-रूपी तपस्या के बाद ही कलाकार की प्रतिभा पर दिव्य फल लगना शुरू होता है। कवि भी कविता लिखने के पहले चिंतन करता है। महर्षि वाल्मीकी की जीवनी से कौन परिचित नहीं है? उन्होंने भी ‘रामायण’ लिखने से पहले कड़ी साधना एवं चिंतन किया था। तब जाकर वे ‘रामायण’ जैसे महाकाव्य की रचना कर सकें। अत: कलाकार के लिए चितन करना बेहद जरूरी होता है।

चार हाथ चाँदना Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-परिचय : अमृता प्रीतम जी का जन्म सन 1919 में पंजाब के गुजरांवाला में हुआ। ये पंजाबी एवं हिंदी भाषा की प्रतिभाशाली साहित्यकार थीं। इन्होंने अपनी प्रतिभा से साहित्य के सभी विधाओं जैसे उपन्यास, कविता, कहानी, संस्मरण, आत्मकथा आदि को समृद्ध किया है। इन्हें ज्ञानपीठ, साहित्य अकादमी एवं पद्म विभूषण आदि पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं को झझकोरने का प्रयास किया है।
प्रमुख कृतियाँ : “पिंजर’, ‘कोरे कागज’, ‘सागर और सीपियाँ’ (उपन्यास), ‘रसीदी टिकट’ (आत्मकथा), ‘कच्चा आँगन’, ‘एक थी सारा’ (संस्मरण), ‘हीरे दी कनी’, ‘इक शहर दी मौत’, ‘तीसरी औरत’ (कहानी संग्रह) आदि हिंदी में अनूदित।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना

गद्य-परिचय :

साक्षात्कार : दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच किसी विशेष उद्देश्य से प्रत्यक्ष बातचीत एवं विचारों का आदान-प्रदान साक्षात्कार कहलाता है। इसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से प्रश्न पूछता है और दूसरा व्यक्ति प्रश्नों के उत्तर देता है।
प्रस्तावना : ‘चार हाथ चाँदना’ इस साक्षात्कार में लेखिका अमृता प्रीतम जी ने पंजाब के प्रसिद्ध चित्रकार श्री शोभा सिंह जी से उनके अनुभव एवं चित्रकला विषय से संबंधित प्रश्न पूछे हैं। श्री शोभा सिंह ने भी उनके प्रश्न के उत्तर विस्तारपूर्वक दिए हैं।

सारांश :

‘चार हाथ चाँदना’ यह साक्षात्कार है। पंजाब की सुप्रसिद्ध साहित्यकार अमृता प्रीतम जी ने चित्रकार श्री शोभा सिंह जी का साक्षात्कार लिया है। अमृता जी ने श्री शोभा सिंह से कलाकार के कर्म की व्याख्या, चित्रकला चुनने का कारण, माँ का महत्त्व, धरती का भयानक यथार्थ व कलाकार की चिंतन शक्ति आदि मुद्दों पर प्रश्न पूछे हैं। श्री शोभा सिंह ने भी सभी प्रश्नों के विस्तार के साथ उत्तर दिए हैं। उनके अनुसार ‘सत्यम्, शिवम्, सुंदरम्’ के क्रम में बदलाव की जरूरत है। वह ‘सुंदरम्, शिवम्, सत्यम्’ इस प्रकार होना चाहिए। शोभा जी को चित्रकारी का शौक बचपन से था। वे जब आठ साल के थे तब उन्होंने खयाली घर की दीवारें सजाने के लिए तस्वीरें बनाई थीं।

वे औरत को माँ के तौर पर महत्त्व देते हैं। वे कहते हैं कि माँ के पास रचनात्मक शक्ति होती है। उसके पास साधना, दैवी शक्ति, कला एवं ज्ञान का भंडार होता है। अत: वह ‘जीनियस’ होता है। उनके अनुसार सच्चे कलाकार का कर्म एक छोटी सी जलती हुई मोमबत्ती की भाँति होता है जो अपने आस-पास की धरती को प्रकाशित करता है। श्री शोभा सिंह धरती के यथार्थ को चित्रों में स्थान नहीं देना चाहते।

वे जिंदगी की खूबसूरती एवं अच्छाई को कागज पर चित्रित करते हैं क्योंकि वह दिनोंदिन लोप होती जा रही है। उनका मानना है कि कलाकार का कर्म एक व्यक्तित्व बनना है, तब कला में उसका प्रभाव आ सकता है। कलाकार की शक्ति उसके चिंतन में होती है और कलाकार दर्शक को एक अच्छी सोच व सूझ दे सकने का कार्य करता है।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना

शब्दार्थ :

  1. चाँदना – प्रकाश
  2. परछत्ती – घास-फूस का बना छप्पर
  3. रूहानी – आत्मिक
  4. तकनीकी – प्राविधिक
  5. अवस्था – हालत
  6. गहराई – गहनता
  7. दर्शक – देखनेवाला
  8. यर्थाथ – सत्य
  9. अंतहीन – कभी न खत्म होनेवाला

मुहावरे :

भुलावा हो जाना – भ्रम हो जाना।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

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Maharashtra State Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

Hindi Lokvani 10th Std Digest Chapter 6 अति सोहत स्याम जू Textbook Questions and Answers

सुचना के अनुसर क्रुतिया कीजिए।

1. संजाल पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 1
उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 2

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

2. कृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 3
उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 4

3. कवि यहाँ और यह बनकर रहना चाहते हैं –

प्रश्न 1.
कवि यहाँ और यह बनकर रहना चाहते हैं –
उत्तर:
(अ) गोकुल में ग्वाला बनकर रहना चाहते हैं।
(आ) गोकुल के बने में पशु बनकर चरना चाहते हैं।
(इ) गोकुल में स्थित गिरिधर पर्वत का पत्थर बनकर रहना चाहते हैं।
(ई) यमुना के किनारे पर स्थित किसी कंदब के पेड़ पर पक्षी बनकर रहना चाहते हैं।

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प्रश्न 4.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 5
उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 6

प्रश्न 5.
पद्य में इस अर्थ में आए शब्द लिखिए।

  1. शोभा देता है
  2. ग्वाल-बालाएँ
  3. गोरस देने वाली
  4. शुक मुनि

उत्तरः

  1. सोहत
  2. अहीर की छोहरियाँ
  3. धेनु
  4. सुक

6. निम्न शब्दों के भिन्न-भिन्न अर्थ लिखिए:

प्रश्न 1.
निम्न शब्दों के भिन्न-भिन्न अर्थ लिखिए:
image 7

प्रश्न 2.
शब्द समूह के लिए एक शब्द लिखिए:

  1. जिसके कोई खंड नहीं होते – …..
  2. छाछ रखने का छोटा पात्र – ………
  3. जिसका कोई अंत नहीं होता – ……
  4. जो सदैव चलता रहता है – ……….

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7. कृदंत व तद्धित शब्दों के मूल शब्द पहचानकर लिखिए।

प्रश्न 1.
कृदंत व तद्धित शब्दों के मूल शब्द पहचानकर लिखिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 8
उत्तरः
झगड़ालू, मुस्कान, सांस्कृतिक, रसीला,
खिलाड़ी, कहानी, जगमगाहट, सुखी।

कृदंत शब्द तद्धित शब्द
1. जगमगाना 1. रस
2. मुस्कुराना 2. झगड़ा
3. कहना 3. संस्कृति
4. खेलना 4. सुख

8. किसी एक पद का सरल अर्थ लिखिए।

प्रश्न 1.
किसी एक पद का सरल अर्थ लिखिए।
सेस, गनेस ……………
…………… नाच नचावें।
उत्तरः
कवि रसखान कहते हैं कि कृष्ण तो प्रेमरूपी भक्ति के प्यासे हैं। शेषनाग, गणेश, शिव, सूर्य एवं इंद्र जिसके गुणों की हमेशा प्रशंसा करते हैं; जिन्हें अनादि, अनंत, अखंड, अछेद, अभेद और सुवेद बनाते हैं, ब्रह्म ऋषि नारद, शुकदेव व महाकवि व्यास जैसे तपस्वी जिनके नाम की निरंतर रट लगाते रहते हैं और प्रयत्न करने के बावजूद भी उनका पार नहीं पा सकें, ऐसे कृष्ण को अहीर कन्याएँ (ग्वालिने) कटोरे भर छाछ के लिए नाच नचाती हैं।

Hindi Lokvani 10th Std Textbook Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू Additional Important Questions and Answers

(अ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

1. कृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
कवि यहाँ और यह बनकर रहना चाहते हैं –
उत्तर:
(अ) गोकुल में ग्वाला बनकर रहना चाहते हैं।
(आ) गोकुल के बने में पशु बनकर चरना चाहते हैं।
(इ) गोकुल में स्थित गिरिधर पर्वत का पत्थर बनकर रहना चाहते हैं।
(ई) यमुना के किनारे पर स्थित किसी कंदब के पेड़ पर पक्षी बनकर रहना चाहते हैं।

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प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 9

कृति अ (2): शब्दसंपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए।

  1. मानुष
  2. कालिंदी
  3. गिरि
  4. धेनु
  5. पाहन

उत्तर:

  1. मानव
  2. यमुना
  3. पर्वत
  4. गाय
  5. पत्थर

प्रश्न 2.
वचन बदलिए।
1. बसेरा
2. डाल
उत्तर:
1. बसेरे
2. डालें

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प्रश्न 3.
पद्यांश में प्रयुक्त तत्सम शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:

  1. धेनु
  2. गिरि
  3. खग
  4. नित

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों में उचित प्रत्यय लगाइए।
1. गाँव
2. गोकुल
उत्तर:
1. गाँववासी
2. गोकुलवासी

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘अपने आराध्य की जन्मभूमि से सभी को लगाव होता है।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
आराध्य वह होता है जिसकी हम आराधना करते हैं। आराध्य के बिना जीवन का अर्थ प्राप्त नहीं हो सकता। अतः प्रत्येक व्यक्ति के अपने-अपने आराध्य होते हैं। अपने आराध्य की जन्मभूमि से लगाव होना, स्वाभाविक है। प्रति वर्ष हजारों-लाखों लोग अयोध्या, मथुरा-ब्रज आदि देवस्थान और अपने आराध्य देव के देवस्थलों की यात्रा करते हैं।

अपने आराध्य की जन्मभूमि को भेंट देकर लोग इसमें अपनी धन्यता समझते हैं। वहाँ पर जाकर उन्हें दिव्य आनंद की अनुभूति होती है। साधकों को ऐसा लगता है मानो वे स्वर्ग में ही आ पहुँचे हैं। आराध्य की जन्मभूमि भक्तों के लिए तीर्थस्थल होती है। ऐसे तीर्थस्थलों पर जाकर भक्त मानसिक शांति का अनुभव करते हैं। अत: अपने आराध्य की जन्मभूमि सभी को प्रिय होती है।

(आ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति आ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 10

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 11

कृति (2): शब्दसंपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के भिन्न अर्थ लिखिए।
1. चोटी
2. निधि
उत्तर:
1. स्त्री के सिर के गूंथे हुए बाल, पर्वत शिखा
2. संपत्ति, आश्रयस्थान

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित तद्भव शब्द का तत्सम रूप लिखिए।
काग
उत्तर:
काक

प्रश्न 3.
उचित प्रत्यय लगाकर नया शब्द लिखिए।
1. कला
2. सुंदर
उत्तर:
1. कलापूर्ण
2. सुंदरता

प्रश्न 4.
वचन बदलिए।
1. चोटी
2. कला
उत्तर:
1. चोटियाँ
2. कलाएँ

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए।
1.धूरि
2. निधि
उत्तर:
1. धूल
2. संपत्ति

कृति आ (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘बाल कृष्ण का मनोहारी वर्णन करते हुए कवि ने कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति समर्पित कर दी है।’ कथन का स्पष्टीकरण कीजिए।
उत्तरः
कवि रसखान कृष्ण के असाधारण भक्त थे। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से अपनी भक्ति को कृष्ण के प्रति समर्पित कर दिया था। भगवान कृष्ण की लीलाओं से सभी परिचित है। उन्होंने गोकुल में जन्म लिया था और वे जन्म से ही अपने भक्तों का उद्धार करते रहे। अत: उनकी बालसुलभ क्रियाएँ एवं उनकी बचपन की लीलाओं का मनोहारी वर्णन कर सभी पाठकों को कृष्ण भक्ति में एकाकार करना कृष्ण प्रेमी कवियों का प्रमुख लक्ष्य रहा और साथ ही अपने इष्ट का वर्णन करते हुए उसके साथ एकाकार होना यह भी प्रमुख उद्देश्य रहा। कवि रसखान इससे अपवाद नहीं हैं। उन्होंने बड़ी ही तन्मयता से कृष्ण के बालरूप का मनोहारी वर्णन करके अपनी भक्ति को कृष्ण के चरणों में समर्पित कर दिया है।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

(इ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति इ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 12

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्द पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों –
1. ग्वाले
2. कृष्ण
उत्तरः
1. कौन पुकार कर हँस रहे थे?
2. कवि की आँखों में किसकी छबि बस गई है?

3. कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
कवि रसखान की आँखें बौरा हो गई हैं।
उत्तरः
कृष्ण के आकर्षक एवं मनोहारी रूप को देखकर कवि रसखान की आँखें बौरा हो गई हैं।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

कृति (2): शब्दसंपदा

प्रश्न 1.
वचन बदलिए।
1. वनमाला
2. मूर्ति
उत्तरः
1. वनमालाएँ
2. मूर्तियाँ

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. पाग
  2. भाल
  3. हिय
  4. नैन

उत्तरः

  1. पगड़ी
  2. मस्तक
  3. हृदय
  4. आँखें

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
बाल कृष्ण की छबि देखकर अपने मन में आए विचारों को अभिव्यक्त कीजिए।
उत्तरः
बाल कृष्ण भगवान कृष्ण का बचपन का रूप था, जो मोहक एवं सभी को अपनी ओर आकर्षित करता था। मैंने कई बार बाल कृष्ण की छबि देखी है। इतना ही नहीं, मैंने दूरदर्शन पर कई धारावाहिक भी देखे हैं; जिसमें कृष्ण के बालरूप को बड़े ही मनोहारी एवं आकर्षक रूप में दर्शाया गया है। बाल कृष्ण के सुंदर व मुग्ध रूप को देखकर मैं आनंदविभोर हो गया हूँ। कोमल, श्यामल रंग, हाथ में बाँसुरी लिए हुए वे बहुत आकर्षक लगते है। उनकी छबि दिव्य और बड़ी ही मोहक है।

(ई) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 13

कृति (2): शब्दसंपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए।
1. अहीर
2. दिनेश
उत्तरः
1. ग्वाला
2. सूर्य

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

प्रश्न 2.
शब्द समूह के लिए एक शब्द लिखिए।
1. जिसके कोई खंड नहीं होते –
2. जिसका कोई अंत नहीं होता –
3.  छाछ रखने का छोटा पात्र –
4.  जो सदैव चलता रहता है –
उत्तरः
1. अखंड
2. अनंत
3. छछिया
4. निरंतर

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्द में उचित उपसर्ग व प्रत्यय लगाइए।
खंड:
उत्तरः
उपसर्गयुक्त शब्द : अखंड
प्रत्यययुक्त शब्द : अखंडता

प्रश्न 4.
पद्यांश में से उपसर्गयुक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तरः

  1. अनंत
  2. अभेद
  3. अखंड
  4. अनादि

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्द के भिन्न अर्थ लिखिए।
व्यास
उत्तरः
महर्षि व्यास, कथावाचक, ज्यामिति

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘ईश्वर सच्चे और निष्कपट भक्ति का प्यासा होता है।’ कथन विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
ईश्वर सच्चे प्रेम का भूखा होता है। वह सच्चे मन से की गई भक्ति पर प्रसन्न होता है और अपने भक्तों को स्वयं के दर्शन कराता है। उसे पाने के लिए हमें दिन-रात उसके नाम का जप करने की जरूरत नहीं होती। उसका दिन-रात भजन करना भी आवश्यक नहीं होता। उसे तो सच्चा भक्त कभी भी सच्चे हृदय से पुकार सकता है।

जब अंतर्मन से निकलने वाली पुकार में सच्चे मन की भक्ति की एकाग्रता हो, तो वह स्वयं अपने भक्तों की पुकार पर सहायता के लिए आ जाता है। गोकुल में रहने वाली ग्वालिने कृष्ण से सच्चे हृदय से प्रेम करती थीं। अत: वे उनके साथ नाचते-गाते थे और उनसे माखन पाने के लिए हठ करते थे। संत कबीर ने भी अपनी रचनाओं के द्वारा यही समझाया है कि ईश्वर को पाने के लिए हमें धार्मिक आडंबरों की जरूरत नहीं होती। उसे तो सच्चे हृदय से प्राप्त किया जा सकता है।

अति सोहत स्याम जू Summary in Hindi

कवि-परिचय:

जीवन-परिचय: रसखान जी का जन्म सन १५९० में उत्तर प्रदेश के पिहानी, मथुरा में हुआ। इनका मूलनाम सैयद इब्राहिम था। ये भगवान श्रीकृष्ण के अनन्यसाधारण भक्त थे। हिंदी के कृष्ण भक्त तथा रीतिकालीन रीतिमुक्त कवियों में इनका प्रमुख स्थान है। इनकी अधिकांश रचनाएँ भगवान कृष्ण के लिए समर्पित हैं। इनकी रचनाओं में भक्ति एवं श्रृंगार रस की प्रधानता है। इन्होंने श्रीकृष्ण के सगुण रूप को बड़े ही मनोहारी ढंग से अभिव्यक्त किया है।

प्रमुख कृतियाँ: ‘प्रेमवाटिका’ (दोहे), ‘सुजान रसखान’ (कवित्त, सवैया) आदि।

पद्य-परिचय:

सवैया: सवैया मात्रिक छंद का एक प्रकार है। इसमें चार चरण होते हैं । प्रत्येक चरण में २२ से २६ वर्ण होते हैं। रीतिकाल में ।
विभिन्न प्रकार के सवैया प्रचलित रहे हैं।

प्रस्तावना: ‘अति सोहत स्याम जू’ इस रचना में कवि रसखान ने श्रीकृष्ण की जन्मभूमि के प्रति लगाव, बालकृष्ण का मनोहारी वर्णन ।
एवं उसे पाने के लिए हृदय में सच्ची भक्ति की आवश्यकता जैसे बिंदुओं का विस्तार से सुंदर वर्णन किया है।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

सारांश:

कवि रसखान भगवान श्रीकृष्ण के अनन्यसाधारण भक्त थे। उन्हें श्रीकृष्ण की जन्मभूमि के प्रति बेहद लगाव है। वे कृष्ण-भक्ति में एकाकार हो गए हैं। वे श्रीकृष्ण से अलग होना नहीं चाहते हैं। वे सदैव उनका सानिध्य चाहते हैं। इसलिए वे अगले जन्म में किसी भी योनी में जन्म लें फिर भी वे गोकुल से अलग होना नहीं चाहते। वे गोकुल में उपस्थित किसी भी प्राकृतिक अंश में बस जाना चाहते हैं। कवि रसखान ने बालकृष्ण का अत्यंत मनोहारी वर्णन किया है।

कृष्ण के आकर्षक एवं मनोहारी रूप को देखकर कवि रसखान की आँखे उन्मुक्त हो गई हैं। श्रीकृष्ण सच्ची भक्ति के द्वारा तुरंत मिल सकते हैं। उन्हें पाने के लिए भक्त को सच्चे हृदय से उन्हें पुकारने की आवश्यकता होती है। श्रीकृष्ण सच्ची भक्ति के प्यासे हैं। उनके दर्शन के लिए निरंतर जाप की आवश्यकता नहीं होती। श्रीकृष्ण भी सच्चे भक्त की पुकार सुनकर उसकी सहायता के लिए तत्पर हो जाते हैं। इस प्रकार प्रस्तुत रचना के माध्यम से कवि रसखान ने अपनी भक्ति श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पित कर दी है।

भावार्थ:

1. मानुष …………………….. कूल कंदब की डारन।।

कवि रसखान कृष्णभक्त थे। उन्हें श्रीकृष्ण के जन्मभूमि के प्रति बेहद लगाव है। वे प्रत्येक स्थिति में श्रीकृष्ण का सानिध्य चाहते हैं। वे । भगवान कृष्ण की आराधना करते हुए कहते हैं कि यदि अगले जन्म में मनुष्य बनूँ, तो गोकुल के ग्वालों और गायों के बीच रहना पसंद करूँगा। ,
यदि मैं पशु की योनि में जन्म लेता हूँ, तो हमेशा नंद की गायों के साथ चरना चाहूँगा। यदि मैं पत्थर बनूँ, तो उसी पर्वत का पत्थर बनूँ जिसे । इंद्र के कारण भगवान कृष्ण ने अपनी उँगली पर धारण कर लिया था। यदि पक्षी बनूँ, तो यमुना के किनारे पर स्थित किसी कंदब के पेड़ की । डाल पर अपना बसेरा निर्माण करूँ।

2. धूरि भरे अति ……………….. माखन रोटी।

कवि रसखान ने प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से बालकृष्ण का अत्यंत मनोहारी वर्णन किया है। बालकृष्ण धूल से सने हुए अत्यंत मोहक लग रहे हैं। उनके सिर पर चोटी शोभायमान हो रही है। उन्होंने कमर में पीली धोती पहनी हुई है तथा पैरों में पैजनियाँ बज रही है। वे पूरे आँगन में खाते-खेलते घूम रहे हैं। रसखान कहते हैं कि उनकी छवि देखकर कामदेव अपनी करोड़ों कलाओं की निधि निछावर करते हैं। सचमुच । वह कौआ बहुत ही भाग्यशाली है जो बालकृष्ण के हाथ से माखन रोटी को छीन कर ले उड़ा है।

3. सोहत हे चॅदवा ………………………. माँझ बसी है।

कवि रसखान कृष्ण के बालरूप का वर्णन करते हुए कहते हैं कि उनके सिर पर मोर मुकुट शोभायमान है। उन्होंने अपने सिर पर बड़ी । सुंदर पगड़ी बाँध रखी है। उनके मस्तक पर गायों के पैरों से उड़नेवाली धूल वैसे ही शोभा दे रही है जैसे हृदय पर वनमाला शोभित हो रही है। कृष्ण के आकर्षक एवं मनोहारी रूप को देखकर कवि रसखान की आँखे मारे खुशी के पागल हो गई हैं। उनकी बंद आँखों को देखकर ग्वाले उन्हें पुकारकर हँस रहे हैं, मानो वे उन्हें अपनी आँखा से पलकों के घूघट खोलने के लिए कह रहे हैं। किंतु कवि रसखान के सामने समस्या यह है कि वे अपनी पलकें नहीं खोल सकते क्योंकि कृष्ण की छवि उनकी आँखों में बस गई है।

4. सेस, गनेस ………………… नाच नचावें।

कवि रसखान कहते हैं कि कृष्ण तो प्रेमरूपी भक्ति के प्यासे हैं। शेषनाग, गणेश, शिव, सूर्य एवं इंद्र जिनके गुणों की हमेशा प्रशंसा करते हैं; जिन्हें अनादि, अनंत, अखंड अछेद, अभेद और सुवेद बताते हैं। ब्रह्म ऋषि नारद, शुकदेव व महाकवि व्यास जैसे तपस्वी जिनके नाम को निरंतर रटते रहते हैं और प्रयत्न करने के बावजूद भी उनका पार नहीं पा सके, ऐसे कृष्ण को अहीर कन्याएँ (ग्वालिने) कटोरे भर । छाछ के लिए नाच नचाती हैं।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

शब्दार्थ:

  1. मानुष – मानव
  2. धूरि – धूल
  3. हिय – हृदय
  4. गिरि – पर्वत
  5. पाग – पगड़ी
  6. अहीर – ग्वाला, आभीर
  7. धेनु – गाय
  8. भाल – मस्तक
  9. पाहन – पत्थर
  10. दिनेश – सूर्य
  11. छाछिया – छाछ रखने का छोटा पात्र
  12. वारत – निछावर करना
  13. लसी – सुशोभित होना
  14. बिलोकत – देखना
  15. पचिहारे – हार जाना
  16. जू – जी
  17. पीरी – पीले रंग की
  18. कछोटी – कमर में लपेटी जानेवाली धोती
  19. दृग – आँख
  20. कूल – तट, किनारा
  21. काग – कौआ

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 दो गजलें

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 4 दो गजलें Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 दो गजलें

Hindi Lokvani 10th Std Digest Chapter 4 दो गजलें Textbook Questions and Answers

स्वाध्याय :

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

1. कृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 दो गजलें 1

उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 दो गजलें 2

2. संजाल पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 दो गजलें 3
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 दो गजलें 4

3. कृति में दिए गज़ल में प्रयुक्त शब्दों की उचित जोड़ियाँ क्रमशः अ और आ तालिका में लिखिए।

प्रश्न 1.
कृति में दिए गज़ल में प्रयुक्त शब्दों की उचित जोड़ियाँ क्रमशः अ और आ तालिका में लिखिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 दो गजलें 5
उत्तर:

छाँव उम्मीद
अनुभव ज्ञान
पर उड़ान
जान जिंदगानी

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4. उचित शब्द का चयन करते हुए वाक्य पूर्ण कीजिए।
(मिट्टी, कैद, बंदी, रिहा, छूटना)

प्रश्न 1.
उचित शब्द का चयन करते हुए वाक्य पूर्ण कीजिए।
(मिट्टी, कैद, बंदी, रिहा, छूटना)
i. अजब ये जिंदगी की ……….. है।
ii. रिहाई माँगता है और ……….. होने से डरता है।
उत्तर:
i. कैद
ii. रिहा

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5. सूचना के अनुसार शब्द में परिवर्तन कीजिए।

प्रश्न 1.
सूचना के अनुसार शब्द में परिवर्तन कीजिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 दो गजलें 6
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 दो गजलें 7

6. ‘जीवन में डर की जगह सावधानी एवं साहस चाहिए।’ विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए। 

प्रश्न 1.
‘जीवन में डर की जगह सावधानी एवं साहस चाहिए।’ विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
डर वह भावना है; जो इंसान को कमजोर बना देती है और साहस वह भावना होती है; जो इंसान के हौसलों में उड़ान पैदा करती है। व्यक्ति को अपने जीवन में डर का त्याग कर साहस और सावधानी को अपनाना चाहिए। उसे प्रत्येक काम साहस के साथ सावधानीपूर्वक करना चाहिए। सावधानी बरतने से व्यक्ति के सारे काम सुचारू रूप से पूर्ण होते हैं। साहस असंभव कार्य को भी संभव बनाने की शक्ति रखता है। जो व्यक्ति अपने जीवन में साहस को नहीं अपनाता है: वह व्यक्ति कभी भी सफल नहीं होता। जीवन में कई सफल व्यक्ति हैं, जिन्होंने डर की जगह सावधानी एवं साहस को अपनाकर संसार में अद्भुत कार्य करके सभी को अपने प्रभावी व्यक्तित्व से प्रेरित किया।

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भाषा बिंदु :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों के रचना के अनुसार भेद लिखिए।

  1. वह आदमी भी उस गाँव में रहने के लिए तैयार हो गया। [ ]
  2. स्टेशन मास्टर ने सिग्नल नहीं दिया और गाड़ी आउटर पर खड़ी रही। [ ]
  3. मजे की बात यह है कि एक समाचारपत्र के कितने उपयोग हो सकते हैं। [ ]
  4. वह पशु-पक्षियों के बीच बातें करता दिखाई देता। [ ]
  5. आप उस गाँव में जाएंगे तो आपको उस खोए हुए आदमी की वहाँ स्थापित मूर्ति दिख जाएगी। [ ]
  6. नींद आती रहती है, जाती रहती है और रह-रहकर टूटने के बावजूद उसमें लय बनी होती है। [ ]

उत्तर:

  1. सरल वाक्य
  2. संयुक्त वाक्य
  3. मिश्र वाक्य
  4. सरल वाक्य
  5. मित्र वाक्य
  6. संयुक्त वाक्य

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प्रश्न 2.
पाठों में आए रचना के अनुसार वाक्यों के दो-दो उदाहरण लिखिए।
उत्तरः
1. सरल वाक्य :
i. इससे मेरा भी मन बड़ा दुखी होता है।
ii. मैंने सबकी बात सुनी है।

2. मिश्र वाक्य :
i. जैसी करनी वैसी भरनी।
ii. हमें चाहिए कि हम हवा और पानी को अपना दोस्त बनाकर उन्हें नुकसान न पहुँचाएँ।

3. संयुक्त वाक्य :
i. सोना तो मिट्टी है और मिट्टी का मोह पालकर आज तक किसी ने शांति नहीं पाई।
ii. लोग उसके दर्शन को आने लगे और धीरे-धीरे चारोंतरफ साधु का यश फैल गया।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों के अर्थ के अनुसार भेद लिखिए।

  1. सुबह उठता हूँ तो थोड़ी ताजगी महसूस होती है। [ ]
  2. अरे, वहीं अटके रहोगे, मुझसे बात नहीं करोगे? [ ]
  3. कई दिनों तक मैं तुम्हारे चौके में नहीं गई। [ ]
  4. ठीक है, मुकदमें की कार्यवाही शुरू करें। [ ]
  5. अरे! हवा रानी, नाराज मत हो। [ ]
  6. इस बात के लिए ये गाँववाले ही जिम्मेदार हैं। [ ]
  7. अधिक वर्षा के लिए कौन जिम्मेदार है? [ ]
  8. अच्छा! निकलती हूँ बस पाँच मिनट चाहिए मुझे तैयार होने के लिए। [ ]
  9. हौं राजीव, आओ बैठो।
  10. यह एक भोले इंसान का विश्वास नहीं था।

उत्तर:

  1. विधानार्थक वाक्य
  2. प्रश्नार्थक वाक्य
  3. निषेधार्थक वाक्य
  4. आज्ञार्थक वाक्य
  5. आज्ञार्थक वाक्य
  6. विधानार्थक वाक्य
  7. प्रश्नार्थक वाक्य
  8. विस्मयादिबोधक वाक्य
  9. आज्ञार्थक वाक्य
  10. निषेधार्थक वाक्य

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प्रश्न 4.
पाठों में आए अर्थ के अनुसार वाक्यों के दो-दो उदाहरण लिखिए।
उत्तरः
1. विधानार्थक वाक्य :
i. मैं तेजी से वहाँ जाती हूँ।
ii. महाराज यह आरोप झूठा है।

2. आज्ञार्थक वाक्य :
i. पहले पानी को बुलाया जाए।
ii. सेठ मेरा इनाम दें।

3. निषेधार्थक वाक्य :
i. कहीं भी कोई नहीं था।
ii. उसमें भी मेरा कुछ नहीं है।

4. प्रश्नार्थक वाक्य :
i. तू कौन है?
ii. उसकी माया में मुझे क्यों फँसाता है?

5. विस्मयादिबोधक वाक्य :
i. काश, अपने गाँव-शहर में हमें भी ऐसा ‘खोया हुआ आदमी’ मिल जाता!
ii. हाँ महाराज! आज सब शिकायतें हवा और पानी के बारे में हैं।

6. संदेहसूचक वाक्य :
i. शायद मैं खो गया हूँ।
ii. संभव है कि पानी दूषित होने से बच जाए।

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उपयोजित लेखन :

प्रश्न 1.
अपने विद्यालय में आयोजित की जानेवाली क्रीड़ा प्रतियोगिताओं का आयोजक के नाते विज्ञापन तैयार कीजिए।
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उत्तरः
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Hindi Lokvani 10th Std Textbook Solutions Chapter 4 दो गजलें Additional Important Questions and Answers

(अ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति अ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
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प्रश्न 2.
पद्यांश में प्रयुक्त प्राकृतिक घटकों के नाम
उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 दो गजलें 11

कृति अ (2) : शब्दसंपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए।

  1. आसमान
  2. पर
  3. इतमीनान
  4. सोच

उत्तरः

  1. अंबर
  2. पंख
  3. तसल्ली
  4. विचार

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प्रश्न 2.
पद्यांश में प्रयुक्त ऐसे दो शब्द लिखिए जिनके वचन परिवर्तित नहीं होते हैं।
उत्तर:
i. पेड़
ii. पर

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. हवा में उड़ने की क्रिया
उत्तरः
i. उड़ान

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्द के अनेक अर्थ लिखिए।
i. फल
ii. पर
उत्तर:
i. फल : खाने का फल, परिणाम
ii. पर : परंतु, पंख

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कृति अ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘अनुभव सबसे बड़ा शिक्षक होता है।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
जीवन-रूपी यात्रा में सीखने के लिए कोई किताब साथ नहीं होती। व्यक्ति अपने अनुभवों से ही सीखता है। व्यक्ति जीवन में कार्य करते समय कई गलतियाँ करता रहता है। उन गलतियों से उसका अनुभव समृद्ध हो जाता है। वह फिर से उन गलतियों को नहीं दोहराता। वह अपनी गलतियों से बहत सारी बातें सीखता है और स्वयं के अनुभव को समृद्ध बनाता है। अनुभव सोने के समान होता है।

जिस प्रकार सोना तप-तप कर तैयार हो जाता है उसी प्रकार अनुभव दिन-रात की मेहनत एवं लगन से प्राप्त किया जाता है। व्यक्ति के जीवन में आने वाले अच्छे-बुरे अनुभव उसके मार्गदर्शक बनते हैं। अनुभव से मिलने वाला ज्ञान व्यक्ति को सफलता के शिखर पर पहुँचा देता है। अनुभवहीन ज्ञान जीवन की सच्चाई के सामने टिक नहीं पाते। अत: अनुभव ही सबसे बड़ा शिक्षक होता है।

(आ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति आ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
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प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
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प्रश्न 3.
निम्नलिखित गलत विधान सही करके लिखिए।
i. प्रकृति ने हमें जिंदगी बख्शी है।
उत्तरः
ईश्वर ने हमें जिंदगी बख्शी है।

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ii. ईश्वर सायबान निर्माण करेगा।
उत्तर:
इंसान सायबान निर्माण करेगा।

कृति आ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
कविता में इस अर्थ में आए शब्द लिखिए।

  1. संसार
  2. स्वयं
  3. आशा
  4. ईश्वर

उत्तर:

  1. दुनिया
  2. खुद
  3. उम्मीद
  4. खुदा

प्रश्न 2.
निम्नलिखित तत्सम शब्द का तद्भव रूप लिखिए।
i. छाया
उत्तर:
i. छाँव

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. घर के आगे छाया हेतु बनाया गया छप्पर
उत्तर:
i. सायबान

कृति आ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘व्यक्ति को जीवन में आत्मनिर्भर होना चाहिए। उसे दूसरों से मदद की अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
आत्मनिर्भर यानी स्वावलंबी। व्यक्ति को अपने जीवन में आत्मनिर्भर होना चाहिए। उसे दूसरों पर आश्रित नहीं होना चाहिए। यदि व्यक्ति अपने जीवन में दूसरों पर आश्रित रहता है, तो वह तरक्की नहीं कर सकता है। आत्मनिर्भर बनने के लिए व्यक्ति में दृढ़ इच्छा शक्ति का होना जरूरी होता है। आत्मनिर्भर व्यक्ति सदैव कोशिश करते रहता है। इसलिए वह सफलता की मंजिल हासिल करने में सफल हो जाता है। वह भाग्य के भरोसे नहीं बैठता है। आत्मनिर्भर बनकर वह अपनी क्षमताओं का विकास कर लेता है। अब्राहम लिंकन व नेपोलियन जैसे महापुरुषों का जन्म निर्धन परिवार में हुआ था। उन्होंने जीवन में आत्मनिर्भर बनकर सफलता की सीढ़ी हासिल की। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में आत्मनिर्भर होना चाहिए।

(इ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति इ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्द पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों –
i. अजब
ii. रिहाई
उत्तर:
i. जिंदगी की कैद कैसी है?
ii. दुनिया का हर इंसान क्या माँगता है?

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प्रश्न 2.
पद्यांश के आधार पर समझकर लिखिए।
i. इंसान के बस और काबू में ये नहीं है –
ii. हर शख्स इसका बना खिलौना है –
उत्तर:
i. इंसान के बस में जिंदगी नहीं है और काबू में मौत नहीं है।
ii. मिट्टी का

कृति इ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्न शब्दों में उचित उपसर्ग का प्रयोग कीजिए।

  1. मौत
  2. पल
  3. काबू

उत्तर:

  1. बेमौत
  2. हरपल
  3. बेकाबू

प्रश्न 2.
निम्नलिखित तत्सम शब्द का तद्भव रूप लिखिए।
i. मृदा
उत्तर:
i. मिट्टी

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखिए।

  1. फना
  2. मौत
  3. रिहाई
  4. काबू

उत्तर:

  1. नष्ट
  2. मृत्यु
  3. मुक्ति
  4. नियंत्रण

प्रश्न 4.
विलोम शब्द लिखिए।
i. बड़ा × ……….
i. जिंदगी × ………….
उत्तर:
i. छोटा
ii. मौत

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कृति आ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
बचपन की दुनिया और बड़ों की दुनिया में क्या अंतर है? अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
बचपन की दुनिया में मासूमियत होती है और बड़ों की दुनिया मुश्किलों और परेशानियों से भरी होती है। बचपन जीवन की एक ऐसी अवस्था होती है; जहाँ पर जीवन का मस्ती से आनंद लिया जाता है और बड़ों की दुनिया जिम्मेदारियों से भरी होती है। कई लोगों को इस कारण जिंदगी कैद के समान लगती है।

लेकिन बच्चों के लिए जिंदगी खुशियाँ एवं प्यार लेकर आती है। मुस्कुराना, शरारत करना, रूठना और फिर सब भुलाकर एक हो जाना; ये बच्चों की पहचान होती है। वहीं बड़ों के जीवन में ईर्ष्या, द्वेष एवं कलह होता है। बच्चे दुनियादारी के झमेलों से दूर होते हैं, तो बड़ों की दुनिया कई प्रकार के झमेले में उलझती रहती है।

दो गजलें Summary in Hindi

कवि-परिचय :

जीवन-परिचय : राजेश रेड्डी जी का जन्म सन १९५२ में महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था। राजेश जी हिंदी, अंग्रेजी व उर्दू भाषा के ज्ञाता हैं। जगबीती को आपबीती में परिवर्तित कर गज़ल लिखने में रेड्डी जी कुशल माने जाते हैं। ये विविध भारती, मुंबई से भी जुड़े हैं। इन्होंने अपनी प्रतिभा से गज़ल एवं नाटक विधा को समृद्ध किया है।
प्रमुख कृतियाँ : ‘उड़ान’, ‘आसमान से आगे’, ‘वजूद’ (गज़ल संग्रह) आदि।

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पद्य-परिचय :

गज़ल : ‘गज़ल’ यह अरबी साहित्य की प्रसिद्ध काव्य-विधा है। गज़ल एक ही बहर और वज़न के अनुसार लिखे गए शेरों का समूह है। इसके पहले शेर को मतला कहते हैं। गज़ल के अंतिम शेर को मक़्ता कहते हैं।
प्रस्तावना : ‘दो गज़लें’ इस गज़ल में दो गज़लें सम्मिलित की गई हैं। पहले गज़ल से हमें यह संदेश मिलता है कि व्यक्ति के पास कोई भी कार्य करने से पहले जोश, उत्साह, ज्ञान, आत्मविश्वास आदि का होना जरूरी होता है। दूसरी गज़ल में कवि ने बताया है कि बचपन मासूमियत से भरा होता है। बड़े होने पर परेशानियाँ आती हैं, जिस कारण इंसान अनेक प्रकार की परेशानियों से घिर जाता है।

सारांश :

‘दो गज़लें’ यह एक गज़ल है। इस गज़ल के द्वारा कवि कहता है कि व्यक्ति को कोई भी कार्य करने से पहले अपने आप में जोश, उत्साह, आत्मविश्वास आदि का निर्माण करना चाहिए। व्यक्ति को कोई भी कार्य करने से पहले अपनी आँखों से जिंदगी को पढ़ लेना चाहिए। खुद के अनुभवों से प्राप्त ज्ञान के बिना कार्य की पूर्ति नहीं होती। जीवन में संयम व धैर्य का बहुत बड़ा महत्त्व होता है। कवि मानवतावादी है। अत: वह मानव की भलाई की कामना रखता है।

व्यक्ति को दूसरों से अपेक्षा रखने के बजाय स्वयं आत्मनिर्भर होना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को ऐसी वाणी में सबके साथ वार्तालाप करना चाहिए कि उसके विचार दूसरों के हृदय में सदा के लिए बस जाए। कवि इस गज़ल के माध्यम से कहता है कि आज का व्यक्ति दुख, तकलीफों और परेशानियों से चारों ओर से घिर चुका है। दुनिया-समाज में पड़कर व्यक्ति की बचपन जैसी मासूमियत खोने लगी है। वह नश्वर है। फिर भी उसकी महत्वाकांक्षा पूरी होती नहीं दिखती। वह अपनी ही जिंदगी में कैद हो गया है। वह मुक्ति भी पाना चाहता है. और इच्छाओं को भी नष्ट करना नहीं चाहता।

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भावार्थ :

पहले इक आसमान …………………… उड़ान पैदा कर।
व्यक्ति को कोई भी कार्य करने से पहले अपने आप में जोश, उत्साह व आत्मविश्वास उत्पन्न करना चाहिए। इसलिए कवि कहते हैं कि व्यक्ति को अपने परों में यानी मन में हौसला भरने से पहले आसमान यानी सकारात्मक परिस्थिति उत्पन्न कर लेनी चाहिए। सकारात्मक परिस्थिति व आत्मविश्वास के बिना व्यक्ति सफलता की ऊंची मंजिल हासिल नहीं कर सकता।

अपनी आँखों से ………………. पैदा कर।
व्यक्ति को कोई भी कार्य करने से पहले अपनी आँखों से जिंदगी को पढ़ लेना चाहिए। स्वयं के अनुभवों से प्राप्त ज्ञान के बिना कार्य की पूर्ति नहीं होती। व्यक्ति का अनुभव समृद्ध होना बेहद जरूरी है। अनुभव समृद्ध व्यक्ति के पास ज्ञान का भंडार होता है। अनुभवों के द्वारा ही व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति होती है।

सब के पेड़ ………………… पैदा कर।
जीवन में संयम व धैर्य का बहुत ही महत्त्व होता है। संयम व धैर्य के बिना मनुष्य को मनचाहे फल की प्राप्ति नहीं हो सकती। कहा भी । गया है कि सब्र का फल मीठा होता है। धैर्य और संयम से आज नहीं तो कल सब का फल जरूर मिलता है। इसलिए व्यक्ति की सोच में भी इतमीनान यानी तसल्ली होनी चाहिए। उसे कोई भी कार्य करने से पहले तसल्ली से सोचना चाहिए।

ऐ खुदा! ………………………… पैदा कर।
कवि इंसान का भला चाहता है। वह नहीं चाहता कि इंसान दुख-दर्द में अपना जीवन व्यतीत करे। इंसान के जीवन में खुशहाली आए । इसलिए कवि ईश्वर से ऐसे सुंदर संसार की कामना करता है; जहाँ पर व्यक्ति सुख-चैन के साथ अपना जीवन जी सके।

तूने बख्शी है …………………….. पैदा कर।
कवि मानवतावादी है। अत: वह मानव की भलाई की कामना रखता है। वह ईश्वर से कहता है, “हे ईश्वर, तूने सभी को जिंदगी का । अनमोल उपहार दिया है। अत: तू ही इस जिंदगी में जान भरने का कार्य कर । तू ही लोगों में जिंदादिली निर्माण कर; ताकि लोग इस जिंदगी के सफर का आनंद ले सकें।

छोड़ दुनिया से ………………….. पैदा कर।
व्यक्ति को जीवन में किसी से भी, कोई भी उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। व्यक्ति को दूसरों से उम्मीद रखने के बजाय स्वयं आत्मनिर्भर होना चाहिए। व्यक्ति को दूसरों से सहायता की अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए; बल्कि स्वयं ही प्रकाशित होकर स्वयं की जिंदगी को उज्ज्वल बनाना चाहिए। दूसरों से छाँव की अपेक्षा रखने के बजाय स्वयं ही सायबान बनकर खुद को और दूसरों के जीवन में भी छाँव उत्पन्न करनी चाहिए।

दिल से निकले ………………… पैदा कर।
व्यक्ति की वाणी सरल, सहज और मीठी होनी चाहिए। उसके बोलने वाले शब्द दिल से निकले होने चाहिए। यदि वह इस प्रकार वाणी : का प्रयोग करेगा, तो निश्चित ही वह दूसरों की निगाहों में और दिलों में आसानी से जगह प्राप्त कर लेगा।

यहाँ हर शख्स …………………. डरता है।
कवि कहते हैं कि हर इंसान अपनी मृत्यु से सदा भयभीत रहता है। वह अपने ऊपर होनेवाले हादसों और आपदाओं से डरता रहता है। । 5. आखिर इंसान मिट्टी से बना हुआ एक खिलौना ही तो है। उसे एक दिन टूटना ही है। फिर भी वह न जाने क्यों नष्ट होने से डरता रहता है।

मेरे दिल के किसी ……………………… डरता है।
बचपन की मासूमियत सभी को प्यारी और अच्छी लगती है। उसे कोई भी भूलना नहीं चाहता। हर व्यक्ति के दिल में कहीं न कहीं बचपना छिपा रहता है। लेकिन बड़ों की दुनिया जो दुख और तकलीफों से भरी है, उसे देखकर वह अपने बचपन को कहीं न कहीं बचाए रखना चाहता । है। वह बड़ों की दुनिया के साथ बड़ा होना नहीं चाहता क्योंकि बड़ों की दुनिया में मासूमियत नहीं होती।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 दो गजलें

शब्दार्थ :

  1. आसमान – अंबर
  2. पर – पंख
  3. सोच – विचार
  4. इतमीनान – तसल्ली , ढाढ़स
  5. जहान – संसार, जगत
  6. खुदा – ईश्वर
  7. उम्मीद – आशा, भरोसा
  8. खुद – स्वयं
  9. हादिसा – आपदा
  10. फना – नष्ट
  11. मौत – मृत्यु
  12. रिहाई – मुक्ति
  13. काबू – नियंत्रण, वश
  14. सायबान – घर के आगे छाया हेतु बनाया हुआ छप्पर
  15. जान – प्राण, जीवन
  16. सब्र – सबर, संयम, धैर्य

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 3 मुकदमा Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा

Hindi Lokvani 10th Std Digest Chapter 3 मुकदमा Textbook Questions and Answers

स्वाध्याय :

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

1. कृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा 1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा 2

2. उचित विकल्प चुनकर विधान पूर्ण कीजिए। 

प्रश्न 1.
हवा बदबूदार होने का कारण है कि …..
(अ) हवा बहती नहीं है।
(आ) हवा में कारखानों की गंदगी और गैस होती हैं।
(इ) हवा दूर-दूर से आती है।
उत्तर:
(आ) हवा में कारखानों की गंदगी और गैस होती हैं।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा

प्रश्न 2.
हवा पर आरोप लगाया गया था कि………..
(अ) हवा में शुद्धता नहीं होती।
(आ) हवा में नमी नहीं होती।
(इ) हवा में खुशबू नहीं होती।
उत्तर:
(इ) हवा में खुशबू नहीं होती।

3. कारण लिखिए :

प्रश्न 1.
पानी अशुद्ध होने के कारण –
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा 3
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा 4

4. ऐसे प्रश्न तैयार करें कि जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों –
1. जोहड़
2. साफ-सुथरे

प्रश्न 1.
ऐसे प्रश्न तैयार करें कि जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों –
1. जोहड़
2. साफ-सुथरे
उत्तर:
1. पशुओं को तैरने के लिए कहाँ छोड़ दिया जाता है?
2. घर कैसे रखने चाहिए?

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा

5. वृत्त में दिए शब्दों के लिंग तथा वचन के अनुसार वर्गीकरण कीजिए।

प्रश्न 1.
वृत्त में दिए शब्दों के लिंग तथा वचन के अनुसार वर्गीकरण कीजिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा 5 Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा 6

उत्तर:

स्त्रीलिंग पुलिंग एकवचन बहुवचन
नदी कूड़ा बीमारी शिकायतें
फसल गाँव आँख गवाहें
सड़क वृक्ष आदत सर्दियाँ
नाली पंखा मुकदमा कारखाने

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा

6. शब्द-युग्म बनाइए।

कूड़ा – …………., इधर – …………., गाँव – ………….., घर – ………….., हवा – ………….., सीधा – ………….., साफ – ……………., झाड़ – …………

प्रश्न 1.
शब्द-युग्म बनाइए।
उत्तर:
कूड़ा – कचरा, इधर – उधर, गाँव – शहर, घर – द्वार, हवा – पानी, सीधा – सादा, साफ – सुथरा, झाड़-झंखाड़

अभिव्यक्ति :

‘बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने के उपाय’ पर अपने विचार लिखिए।

प्रश्न 1.
‘बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने के उपाय’ पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
आज प्रदूषण के कारण विश्व में चारों ओर लोगों का जीना दूभर हो गया है। प्रदूषण को रोकने के लिए हमें प्राकृतिक स्रोतों का संरक्षण करना चाहिए। हमें पटाखें जलाना, कूड़ा-कचरा यहाँ-वहाँ नहीं फेंकना चाहिए। मानव जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगानी चाहिए। हमें प्रकृति का अंधाधुंध दोहन नहीं करना चाहिए। सरकार को अवैध खनन पर रोक लगानी चाहिए। कारखानों की चिमनियों की ऊँचाई अधिक रखनी चाहिए।

अधिक धुआँ निर्माण करने वाले स्वचालित यंत्रों पर रोक लगानी चाहिए और इसके लिए सरकार द्वारा प्रतिबंधात्मक कानून बनाने चाहिए ताकि उल्लंघन करने वालों पर कड़ी-से-कड़ी कार्यवाही हो सके। कारखानों से निकले हुए रासायनिक पदार्थों को तालाब, नदी या सागर में नहीं डालना चाहिए। पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए सभी को पेड़ लगाने चाहिए।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा

भाषाबिंदु :

प्रश्न 1.
इन शब्दों से बने दो – दो मुहावरे तथा उनके अर्थ लिखकर स्वतंत्र वाक्य में प्रयोग कीजिए।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा 7

1. कान
उत्तर:
i. मुहावरा : कान भरना।
अर्थ : किसी के विरुद्ध किसी के मन में कोई बात बैठा देना।
वाक्य : रामू के किसी ने तो कान भर दिए, इसलिए वह इस प्रकार का बर्ताव कर रहा है।

ii. मुहावरा : कान का कच्चा होना।
अर्थ : सुनते ही किसी बात पर विश्वास करना।
वाक्य : अजय कान का कच्चा है; वह किसी के भी बहकावे में आ जाता है।

2. नाक
उत्तर:
i. मुहावरा : नाक-भौं सिकोड़ना।
अर्थ : अप्रसन्नता प्रकट करना।
वाक्य : जरा-जरा सी बात पर नाक-भौं सिकोड़ना ठीक नहीं है। .

ii. मुहावरा : नाक में दम करना।
अर्थ : बहुत परेशान होना।
वाक्य : तुम दोनों की हरकतों ने मेरे नाक में दम कर दिया है।

3. सिर
उत्तर:
i. मुहावरा : अपने सिर लेना।
अर्थ : जिम्मेदारी अपने ऊपर लेना।
वाक्य : व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने का काम रामलाल ने अपने सिर ले लिया।

ii. मुहावरा : सिर चढ़ाना।
अर्थ : अनुपयुक्त व्यक्ति को अत्यधिक महत्त्व देकर अपने ऊपर मुसीबत मोल लेना।
वाक्य : मूर्ख व्यक्ति को सिर चढ़ाने का नतीजा हमेशा बुरा ही होता है।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा

उपयोजित लेखन :

प्रश्न 1.
अपने ग्राम/नगर/महानगर के संबंधित अधिकारी को बच्चों के खेलने के लिए बगीचा बनवाने हेतु पत्र लिखिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा 8
उत्तरः
10 जुलाई, 2018
प्रति,
मा. महानगर अधिकारी,
महानगरपालिका,
दादर (पूर्व),
मुंबई – 400 043. .
विषय : बच्चों के खेलने के लिए बगीचा बनवाने हेतु प्रार्थना पत्र।

मैं कुमार अजय मेहता दादर पूर्व विभाग का निवासी हूँ। मैं आपको यह प्रार्थना पत्र लिख रहा हूँ क्योंकि हमारे विभाग में बच्चों के खेलने के लिए बगीचा नहीं है।

हमारे विभाग में कुल मिलाकर दो सौ से अधिक बच्चे हैं। उनके खेलने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। यहाँ हर इमारत के बीच में खेलने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। यहाँ मैदान भी नहीं है, जिस कारण बच्चों को खेलने-कूदने के लिए बहुत दिक्कत हो रही है। छुट्टियों में उनका ठीक से मनोरंजन नहीं हो पाने के कारण घर में बैठकर या तो टी. वी. देखते हैं या कंप्यूटर गेम खेलते हैं जिससे उनका शारीरिक विकास नहीं हो पा रहा है।

आपसे नम्र निवेदन है कि आप हमारे विभाग में एक बगीचा का निर्माण करें ताकि विभाग में रहने वाले बच्चों के बाहर खेलने के लिए पर्याप्त जगह हो। मुझे आशा है कि आप मेरे प्रार्थना पत्र पर जरूर विचार करेंगे।

कष्ट के लिए क्षमाप्रार्थी।
भवदीय, अजय मेहता,
401, राम महल,
राधा नगर,
मुंबई – 400026
ajay56@gmail.com

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Hindi Lokvani 10th Std Textbook Solutions Chapter 3 मुकदमा Additional Important Questions and Answers

(अ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति अ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा 9

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा 10

प्रश्न 3.
निम्नलिखित विधान सही करके लिखिए।
i. सूखे कपड़े पहने एक लड़का हाजिर होता है।
उत्तर:
भीगे कपड़े पहने एक लड़का हाजिर होता है।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा

ii. राजा के अनुसार पानी अब निर्मल नहीं रहा है।
उत्तर:
लोगों के अनुसार पानी अब निर्मल नहीं रहा है।

प्रश्न 4.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा 11

कृति अ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए।

  1. गह्वर
  2. निर्मल
  3. शिकायत
  4. गंदगी

उत्तर:

  1. गड्ढा
  2. साफ
  3. उलाहना
  4. मलिनता

प्रश्न 2.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. वह स्थान जहाँ राजा अपने मंत्रियों के साथ बैठते हैं –
ii. किसी विवाद का अदालत में सुनवाई –
उत्तर:
i. दरबार
ii. मुकदमा

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।

  1. निर्मल × ………
  2. समय × ………
  3. हाजिर × ………

उत्तर:

  1. मलिन
  2. असमय
  3. गैरहाजिर

प्रश्न 4.
गद्यांश में से विदेशी शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
टेपरिकॉर्डर

कृति अ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
मुकादमा चलाने की परंपरागत और आधुनिक पद्धति में अंतर लिखिए।
उत्तर:
पहले के जमाने में राजा-महाराजा हुआ करते थे। वे न्याय प्रक्रिया में न्यायाधीश की भूमिका निभाते थे। यदि किसी को किसी से शिकायत होती थी तो वह व्यक्ति राजदरबार में जाकर शिकायत दर्ज करता था और फिर राजा के द्वारा मुकदमा चलाया जाता था। राजा का निर्णय अंतिम हुआ करता था। आज जमाना बदल गया है। राजा-महाराजाओं के दिन अब नहीं रहे हैं। लोग प्रजातंत्र में अपना जीवन बीता रहे हैं। आज न्याय व्यवस्था पर सरकार अथवा किसी अन्य संस्था का नियंत्रण नहीं है। वह मुक्त और स्वनियंत्रित है। पुलिस, कोर्ट-कचहरी आदि न्यायप्रणाली की व्यवस्था है।

यदि कोई व्यक्ति गलत काम करता है तो वह कानून की नजर में दोषी बन जाता है। उस पर मुकदमा चलाया जाता है। यदि उसका दोष सिद्ध हुआ तो उसे सजा हो जाती है। आज हमारी न्याय व्यवस्था पूर्णत: निष्पक्ष व स्वतंत्र है। न्यायालय के निर्णय को अंतिम माना जाता है। इस प्रकार पहले के जमाने में मुकदमें चलाने की विधि और आज के जमाने में मुकदमा चलाने की प्रक्रिया में जमीन-आसमान का अंतर है।

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(आ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति आ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा 12

प्रश्न 2.
गद्यांश के आधार पर वाक्य पूर्ण कीजिए।
i. वे घर जरूर डूबेंगे ….
उत्तरः
जहाँ वर्षा का पानी बहना चाहिए; नदी बहनी चाहिए; वहाँ पर लोगों ने घर बना लिए हैं।

कृति आ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखिए।

  1. पशु
  2. कारखाना
  3. पहाड़
  4. वर्षा

उत्तर:

  1. जानवर
  2. फैक्टरी
  3. पर्वत
  4. बारिश

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा

प्रश्न 2.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. छोटा प्राकृतिक तालाब –
उत्तर:
i. जोहड़

प्रश्न 3.
विलोम शब्द लिखिए
i. गंदा × …………….
ii. ढलान × …………..
उत्तर:
i. साफ
ii. चढ़ाव

प्रश्न 4.
गद्यांश में प्रयुक्त पर्यायवाची शब्द की जोड़ी को ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
वर्षा : बरसात

प्रश्न 5.
वचन बदलिए।

  1. नदी
  2. गली
  3. नाला

उत्तर:

  1. नदियाँ
  2. गलियाँ
  3. नाले

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा

प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय छाँटकर लिखिए।
i. रखवाली
ii. जिम्मेदार
उत्तर:
i. प्रत्यय : वाली
ii. प्रत्यय : दार

प्रश्न 7.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूंढकर लिखिए।
उत्तर:
गलियों – नालियों

कृति आ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
जल प्रदूषण को रोकने के लिए अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
जल के बिना जीवन असंभव है। प्राकृतिक जल स्रोतों को स्वच्छ रखना हमारा कर्तव्य है। हमें तालाब एवं नदी के पानी में पशुओं को नहलाना नहीं चाहिए। तालाब या नदी में हमें कपड़े या बर्तन नहीं धोने चाहिए। तालाब व नदी में कूड़ा-कचरा नहीं फेंकना चाहिए। कल-कारखानों का दूषित और जहरीला पानी नदी में डालने पर रोक लगानी चाहिए। लोगों में जल-प्रदूषण के खतरे के प्रति जागरुकता निर्माण करनी चाहिए। जल प्रदूषण को रोकने के लिए प्रदूषण बोर्ड को सख्त कानून बनाने चाहिए। इस प्रकार सभी को स्वेच्छा से इस अभियान के लिए आगे आना चाहिए।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा

(इ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति इ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों
i. सदियों
ii. वृक्ष
उत्तर:
i. गाँव कब से ऊँची जगह पर बसा हुआ है?
ii. लोगों ने पहाड़ से क्या साफ कर दिए हैं?

प्रश्न 2.
सही विकल्प चुनकर वाक्य पूर्ण कीजिए।
i. पानी पहाड़ से लुढ़कता हुआ नीचे आता है क्योंकि..
(क) लोगों ने पहाड़ से वृक्ष साफ कर दिए हैं।
(ख) लोगों ने पहाड़ पर घर बनाए हैं।
(ग) लोगों ने पहाड़ को काट दिया है।
उत्तरः
(क) लोगों ने पहाड़ से वृक्ष साफ कर दिए हैं।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा

प्रश्न 3.
निम्नलिखित विधान सही करके लिखिए।
i. बाढ़ के लिए पानी जिम्मेदार है। उत्तरः बाढ़ के लिए गाँववाले जिम्मेदार हैं।
ii. निर्मल एवं स्वच्छ रहना पानी के हाथ में है।
उत्तरः
पानी को निर्मल तथा स्वच्छ रखना लोगों के हाथ में है।

कृति इ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तरः
धीरे-धीरे

प्रश्न 2.
गोश में से ऐसे दो शब्द ढूँड़कर लिखिए कि जिनके वचन परिवर्तित नहीं होते।
उत्तर:
i. ढलान
ii. वृक्ष

प्रश्न 3.
‘निर्मल’ इस शब्द में निहित उपसर्ग को पहचानकर संबंधित उपसर्ग लगाकर अन्य दो शब्द तैयार कीजिए।
उत्तर:
निर्मल : प्रत्यय : निर नए
शब्द : निराकार, निर्विकार

प्रश्न 4.
नीचे दिए तत्सम शब्द का तद्भव लिखिए।
i. ग्राम
उत्तर:
i. गाँव

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा

प्रश्न 5.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. सौ वर्षों का समय
उत्तर:
i. सदी

कृति इ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘जल ही जीवन है।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
जल ही जीवन है। जल के बिना जिंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती है। धरती पर रहने वाले सभी जीवों को जिंदा रहने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। यदि शरीर में पानी की मात्रा 10 प्रतिशत से कम हो जाए तो व्यक्ति जीवित नहीं रह सकता। मनुष्य भोजन के बिना कई दिनों तक जीवित रह सकता है लेकिन पानी के बिना तीन दिन से अधिक नहीं जीवित रह सकता। हमें जरूरत से ज्यादा पानी की बर्बादी नहीं करनी चाहिए। संसार की बढ़ती जनसंख्या के कारण पानी का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। इसलिए हमें पानी को बर्बाद नहीं करना चाहिए। यदि पानी नहीं होगा तो किसान खेत में अनाज नहीं उगा सकता है। पानी के बिना किसी भी वस्तु का निर्माण नहीं हो सकता। इसलिए जल ही जीवन है।

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(ई) गद्यांश पड़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ई (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा 13

प्रश्न 2.
परिणाम लिखिए।
i. भोपाल के कारखाने से निकली जहरीली गैस से –
ii. मरे हुए पशु-पक्षियों को यहाँ-वहाँ डालने से –
उत्तर:
i. कई लोग रात में सोए हुए ही मौत के मुँह में चले गए थे।
ii. हवा बदबूदार हो जाती है।

कृति ई (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्य में विराम चिह्नों का उचित प्रयोग कीजिए।
i. हवा ने महाराज से कहा महाराज मुझ पर लगे आरोप झूठे हैं
उत्तरः
हवा ने महाराज से कहा, “महाराज, मुझ पर लगे आरोप झूठे हैं।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा

प्रश्न 2.
लिंग बदलिए।
i. महाराज
ii. लड़की
उत्तर:
i. महारानी.
ii. लड़का

प्रश्न 3.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढकर लिखिए।
उत्तर:

  1. पशु-पक्षियों
  2. यहाँ-वहाँ
  3. दूर-दूर
  4. आज-कल

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्द के लिए श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द लिखिए।
i. रात
ii. डाल
उत्तर:
i. रत
ii. दाल

प्रश्न 5.
‘जहरीली’ इस शब्द में से प्रत्यय अलग कीजिए और संबंधित प्रत्यय लगाकर अन्य दो शब्द बनाइए।
उत्तरः
जहरीली : शब्द : जहर प्रत्यय : ईली
अन्य शब्द : नशीली, चमकीली

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा

कृति ई (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘हवा प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए उपाय’ पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
दिन-प्रतिदिन हानिकारक सामग्री के हवा में मिलने के कारण हवा प्रदूषित हो रही है। प्रदूषित हवा से लोग बीमार पड़ रहे हैं। हवा प्रदूषण से बचने के लिए हमें कूड़ा-कचरा यहाँ-वहाँ नहीं फेंकना चाहिए। कूड़ा-कचरा यहाँ-वहाँ फेंकने से गंदगी फैलती है जिससे हवा दूषित हो जाती है। कारखानों को आधुनिक तकनीकी का प्रयोग करना चाहिए ताकि उनमें से जहरीली गैस और धुआँ बाहर न निकले और हवा में न मिले। लोगों को अपने वाहनों की नियमित जाँच करानी चाहिए, ताकि उनमें से अधिक धुआँ बाहर निकलकर हवा में न फैले।

सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान पर रोक होनी चाहिए। हमें शहरीकरण की प्रक्रिया को रोकना चाहिए। गाँवों में ही रोजगार के साधनों को विकसित करना चाहिए, जिससे गाँव के लोग नौकरी करने के लिए शहर में पलायन न करें। इससे शहर और गाँव का असंतुलन धीरेधीरे कम हो जाएगा और हवा प्रदूषण भी रुकेगा। धुएँवाले ईधनों का प्रयोग बंद कर देना चाहिए और भारी मात्रा में पेड़ लगाने चाहिए। इस प्रकार हवा प्रदूषण पर रोक लगाई जा सकती है।

(उ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति उ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा 14

प्रश्न 2.
परिणाम लिखिए।
i. हवा ने चलना बंद कर दिया।
उत्तरः
हवा द्वारा चलना बंद होने से सभी घुटन महसूस करने लगे।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा

ii. हवा आँधी बनकर आती है।
उत्तरः
हवा के आँधी बनकर आने से लोगों के घर रेत और कूड़े से भर जाते हैं।

कृति उ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखिए।

  1. मिट्टी
  2. निमंत्रण
  3. दुखी
  4. आँधी

उत्तर:

  1. मृदा
  2. आमंत्रण
  3. उदास
  4. अंधड़

प्रश्न 2.
नीचे दिए हुए अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. धूलभरी जोर की हवा –
उत्तर:
i. आँधी

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा

प्रश्न 3.
वचन बदलिए।
i. आँधी
ii. आँख
उत्तर:
i. आँधियाँ
ii. आँखें

कृति उ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘यदि हवा चलना बंद कर दे तो…..।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
नित चलते रहना हवा का काम है। यदि हवा चलना बंद कर दे तो बहुत बड़ी समस्या निर्माण हो जाएगी। हवा के बिना जीवन के अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। यदि हवा चलना बंद कर देगी तो लोगों को साँस लेने के लिए दिक्कत हो जाएगी। लोग घुटन भरे माहौल में अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकते हैं। पेड़-पौधे, पशु-पक्षियों को भी जीवन जीने के लिए हवा की जरूरत होती है।

गर्मी ज्यादा बढ़ने के कारण फिर सर्वत्र एअरकंडिशन लगाना पड़ेगा। इससे तापमान में वृद्धि होगी। कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ेगी, जिससे लोगों को साँस लेने की और भी दिक्कत हो जाएगी। यदि सचमुच हवा चलना बंद कर देगी तो धीरे-धीरे इस धरती से जीवन नष्ट हो जाएगा।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा

(ऊ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ऊ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हो
i. पंखा
ii. पॉलिथिन की थैलियाँ
उत्तर:
i. हवा की गति बढ़ाने के लिए लोग क्या चलाते हैं?
ii. लोग सड़कों पर क्या फेंकते हैं?

प्रश्न 2.
गद्यांश के आधार पर वाक्य पूर्ण कीजिए।
i. जब हवा तेजी से चलती है।
ii. लोगों द्वारा फेंका कूड़ा ……
उत्तर:
i. जब हवा तेजी से चलती है तब वह अपने साथ रेत, मिट्टी, कूड़ा आदि हल्की चीजें साथ लेकर उड़ती है।
ii. लोगों द्वारा फेंका कूड़ा फिर से उनके घरों में जाता है।

प्रश्न 3.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा 15

कृति ऊ (2) : शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढकर लिखिए।
उत्तरः
i. हवा-पानी
ii. आस-पास

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा

प्रश्न 2.
विलोम शब्द लिखिए।

  1. दोस्त × ……………….
  2. लाभ × ……………….
  3. हल्की × …………….
  4. गरमी × …………..

उत्तरः

  1. दुश्मन
  2. नुकसान
  3. भारी
  4. सर्दी

प्रश्न 3.
पर्यायवाची शब्द लिखिए।
i. गरमी
ii. हवा
उत्तर:
i. ग्रीष्म
i. वायु

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा

प्रश्न 4.
गोश में से ऐसे दो शब्द ढूँडकर लिखिए कि जिनके वचन परिवर्तित नहीं होते।
उत्तर:
हवा, पानी

मुकदमा Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-परिचय : गोविंद शर्मा जी का जन्म सन 1९४६ में राजस्थान के संगरिया क्षेत्र में हुआ। शर्मा जी सुप्रसिद्ध बालसाहित्यकार है। बाल नाटक, बाल उपन्यास एवं बाल कविता के द्वारा आप बाल जगत के साहित्य में प्रसिद्ध है। इन्होंने व्यंग्य परक लेख, जीवनी, लघुकथाएँ आदि विधाओं में भी लेखन किया है।
प्रमुख कृतियाँ : ‘दीपू और मोती’, ‘डोबी और राजकुमार’ (बाल उपन्यास), ‘हमें हमारा घर दो’, ‘मेहनत का मंत्र’ (कहानी संग्रह), ‘नया बाल दिवस’ (नाटक संग्रह), ‘कुछ नहीं बदला’, ‘जहाज के नये पंक्षी’ (व्यंग्य संग्रह), ‘रामदीन का चिराग’ (लघुकहानी संग्रह) आदि।

गद्य-परिचय :

एकांकी : प्रस्तावना एक अंक वाले नाटक को ‘एकांकी’ कहते हैं। अंग्रेजी में इसे ‘वन ऐक्ट प्ले’ कहते हैं। एकांकी स्वतंत्र एवं सचेष्ट भाव से लिखी जाती है। एकांकी का आकार लघु होता है। अत: इसमें एक ही कथा होती है।
प्रस्तावना : ‘मुकदमा’ इस एकांकी में लेखक गोविंद शर्मा जी ने जल एवं वायु प्रदूषण के कारणों और दुष्परिणामों के प्रति लोगों को सचेत किया है। प्रदूषण रूपी संकट को रोकने के लिए मनुष्य को ही प्रयास करना होगा, यह संदेश लेखक ने हमें प्रस्तुत एकांकी के माध्यम से दिया है।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा

सारांश :

‘मुकदमा’ यह एक एकांकी है। एकांकी की शुरूआत महाराज के दरबार से होती है। दरबार में महाराज सिंहासन पर बैठे हैं। कुछ लोगों ने। दरबार में हवा व पानी के विरुद्ध शिकायत की है। अत: हवा व पानी को दरबार में बुलाया गया है और उन पर मुकदमा चलाया जा रहा है। लोगों ने पानी पर आरोप लगाया कि वह पहले जैसा निर्मल नहीं रहा है। वह अपने साथ गंदगी एवं बीमारियाँ बहाकर ले आता है। अपने ऊपर। लगे इस आरोप का खंडन करते हुए पानी ने कहा कि इसमें उसका कुछ भी कसूर नहीं है। लोग पहले के जैसे उसकी रखवाली नहीं करते।

हैं और वे अपने पशुओं को तालाब या नदी में छोड़ देते हैं। कारखानों का पानी एवं गंदी नाली का पानी भी उसमें आकर मिलता है। अत: वह इंसान के करतूतों के कारण ही अशुद्ध हो गया है। लोगों ने पानी पर यह भी आरोप लगाया कि वह अपनी मर्जी के अनुसार कहीं पर भी बरसता है और कहीं पर भी बहता हआ जाता है। इस कारण उनके घर पानी में डूब जाते हैं। इसपर पानी कहता है कि इसमें भी उसका कोई कसर नहीं है। लोगों ने पहाड पर स्थित पेड़ों की कटाई की है। अत: वह पहाडों से गति से बहता हआ नीचे आता है जिस कारण लोगों के घर पानी में बह जाते हैं।

अंत में मुकदमे का फैसला करते हुए महाराज लोगों को अपनी गलतियाँ सुधारने और पानी को निर्मल तथा उपयोगी रखने । का आदेश देते हैं। दूसरी शिकायत हवा के विरुद्ध है। आदमी शिकायत करता है कि अब हवा में पहले जैसी खुशबू नहीं है और वह आँधी। बनकर आती है जिस कारण लोगों के घर रेत व कूड़े से भर जाते हैं। वह बदबू फैलाती है।

हवा इन आरोपों को झूठा बताते हुए कहती है कि कारखानों से निकलने वाली गैस व गंदगी के कारण वह बदबूदार हो गई है। अंत में महाराज कहते हैं कि इसमें हवा का कोई भी कसूर नहीं है। महाराज द्वारा लोगों को नसीहत दी जाती है कि वे सफाई की आदत को अपनाएँ। हवा व पानी को अपना दोस्त मानकर उन्हें दूषित होने से बचाएँ। यदि ऐसा होगा; तो ही लोगों का भला होगा।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 मुकदमा

शब्दार्थ :

  1. गह्वर – गड्ढा
  2. शिकायत – उलाहना
  3. पशु – जानवर
  4. निमंत्रण – आमंत्रण
  5. दूषित – गंद
  6. माहौल – वातावरण
  7. गवाह – प्रमाण
  8. बदबू – दुर्गन्ध
  9. दंड – सज़ा
  10. निर्मल – साफ
  11. कूड़ा – कचरा
  12. उपाय – हल
  13. तबाह – नष्ट

मुहावरे :

आँख मूंदकर चलना – बिना सोचे-विचारे चलना।
मौत के मुंह में चले जाना – जान-बूझकर खतरा मोल लेना।

कहावत :

जैसी करनी, वैसी भरनी – कर्म के अनुसार ही फल का मिलना।