Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 7 खुला आकाश

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Hindi Solutions Lokbharti Chapter 7 खुला आकाश Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 10 Hindi Lokbharti Chapter 7 खुला आकाश

Hindi Lokbharti 10th Std Digest Chapter 7 गिरिधर नागर Textbook Questions and Answers

सूचना के अनुसार कृवियाँ कीविए:
(1) प्रहवलका पूण् कीविए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 1
उतर:

(2) कृवि पूण् कीविए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 2
उतर:

(3) आकृवि मे वलखिए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 3
उतर:

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(4)
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 5
उतर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 33

(5) लखिए:
a.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 6
उतर:

b.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 7
उतर:

भाषा हबंदु
(1) हनम्हलखखत संहध हिचछेद की संहध कीहजए और भेद हलखखए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 8
उतर:

संधि शब्द  संधि विच्छेद  संधि भेद
(i) सज्जन  सत् + जन  व्यंजन संधि
(ii) नमस्ते  नमः+ ते  विसर्ग संधि
(iii) स्वागत  सु + आगत  स्वर संधि
(iv) दिग्दर्शक  दिक् + दर्शक  व्यंजन संधि
(v) यद्यपि  यदि + यपि  स्वर संधि
(vi) दुस्साहस  दुः + साहस  विसर्ग संधि

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(2) हनम्हलखखत शब् का संहध हिचछेद कीहजए और भेद हलखखए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 9
उतर:

संधि विच्छेद  संधि शब्द संधि भेद
(i) दुः +  लभ  दुर्लभ  विसर्ग संधि
(ii) महा +  आत्मा  महात्मा  स्वर संधि
(iii) अन् +  आसक्त  अनासक्त  स्वर संधि
(iv) अंतः +  चेतना  अंतश्चेतना  विसर्ग संधि
(v) सम् +  तोष  संतोष  व्यंजन संधि
(vi) सदा + एव  सदैव  स्वर संधि

(3) हनम्हलखखत आकृहत मे हदए गए शब् का हिचछेद कीहजए और संहध का भेद हलखखए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 10
उतर:

संधि शब्द  संधि विच्छेद  संधि भेद
(i) दिग्गज’  दिक् + गज  व्यंजन संधि
(ii) सप्ताह  सप्त + अह  स्वर संधि
(iii) निश्चल  निः + चल  विसर्ग संधि
(iv) भानूदय  भानु + उदय  स्वर संधि
(v) निस्संदेह  निः + संदेह  विसर्ग संधि
(vi) सूर्यास्त  सूर्य + अस्त  स्वर संधि

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(4) पाठो मे आए संहध शब् छाँटकर उनका हिचछेद कीहजए और संहध का भेद हलखखए।

संधि शब्द  संधि विच्छेद  संधि भेद
(i) निर्जीव  निः + जीव  विसर्ग संधि
(ii) संभव  सम् + भव  व्यंजन संधि
(iii) उज्ज्व  लउत् + ज्वल  व्यंजन संधि

Hindi Lokbharti 10th Textbook Solutions Chapter 7 खुला आकाश Additional Important Questions and Answers

गद्यांश क्र.1
कृति 1: (आकलन)
(1) आकृति पूर्ण कीजिए:

उत्तर:

(2) उत्तर लिखिए: (बोर्ड की नमूना कृतिपत्रिका)

उत्तर:

कृति 2: (स्वमत अभिव्यक्ति)

‘बढ़ती हुई जनसंख्या का मनुष्य जीवन पर प्रभाव’ के बारे में आपके विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए। (बोर्ड की नमूना कृतिपत्रिका)
उत्तर:
आज लगभग सभी देशों की जनसंख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। यह जनसंख्या वृद्धि आज संसार के समक्ष एक समस्या बन गई है। सभी देशों के संसाधन सीमित हैं और बढ़ी हुई जनसंख्या की माँग विशाल है, जिसकी पूर्ति करना संभव नहीं है। इसी का परिणाम है कि आज लोगों के सामने बेकारी की समस्या उत्पन्न हो गई है। जनसंख्या वृद्धि के कारण कृषि पर आधारित लोग परेशान हैं। खेती योग्य जमीन बँटती जा रही है।

अब वह इतने लोगों को रोटी देने में असमर्थ हो गई है। गाँवों की आबादी का बोझ शहरों पर आ पड़ा है। यहाँ शहरों में बेकारी की समस्या है। यहाँ भी लोग रोटी, कपड़ा, मकान की समस्याओं से जूझ रहे हैं। लोग गंदी बस्तियों में रहने के लिए मजबूर हैं। न इतने लोगों के लिए ढंग की शिक्षा व्यवस्था उपलब्ध हो पा रही है और न ही चिकित्सा व्यवस्था।

बढ़ती जनसंख्या ने देश की अर्थव्यवस्था बिगाड़ दी है। इस पर अंकुश लगाकर ही इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। तभी मनुष्य के जीवन स्तर में भी सुधार हो पाएगा।

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गद्यांश क्र.2
प्रश्न.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

कृति 1: (आकलन)
(2) सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए:
(i) बिलकुल चुपचाप बैठकर सिर्फ ………………………… बारे में सोचें। (मेरे/अपने/सबके)
(ii) दूसरों की सोच-समझ पर ………………………… रखें। (भरोसा/प्रेम/संदेह)
(iii) ………………………… अन्य नहीं, अंतमय है, हमारे ही प्रतिरूप, हमसे अलग या भिन्न नहीं। (दूसरा /सब/वह)
(iv) ………………………… तरह सारे मनुष्य केवल मनुष्य होते और कुछ नहीं। (इसी/उसी/किसी)
उत्तर:
(2) (i) बिलकुल चुपचाप बैठकर सिर्फ अपने बारे में सोचें।
(ii) दूसरों की सोच-समझ पर भरोसा रखें।
(iii) दूसरा अन्य नहीं, अंतमय है, हमारे ही प्रतिरूप, हमसे अलग या भिन्न नहीं।
(iv) उसी तरह सारे मनुष्य केवल मनुष्य होते और कुछ नहीं।

कृति 2: (स्वमत अभिव्यक्ति)

‘आत्मचिंतन के लाभ’ विषय में अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
आत्मचिंतन यानी स्वयं के विषय में चिंतन करना। आत्मचिंतन का अर्थ है किसी कार्य को करने या होने के बाद उसे करने के लिए अपनाई. गई क्रिया और विचार पद्धति का विश्लेषण। आत्मचिंतन के द्वारा हमें अपनी गलतियों से सीखने, साथ ही अपने किए गए कार्य को और बेहतर ढंग से करने का मौका मिलता है। किसी भी व्यक्ति को कोई दूसरा जितना सिखा सकता है, उससे कहीं अधिक वह अपने स्वाध्याय एवं आत्मचिंतन के द्वारा सीख सकता है। इस प्रक्रिया में हम शांत भाव से बैठकर किसी समस्या या मुद्दे के बारे में चिंतन कर सकते हैं।

छात्र जीवन में तो इसकी और भी अधिक आवश्यकता है। अपनी क्षमताओं के विषय में अच्छी तरह जाने-समझे बिना हम लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं। शीघ्रातिशीघ्र उसे प्राप्त कर लेना चाहते हैं और बाद में भटक जाते हैं। इसलिए पहले आत्मचिंतन करें, स्वयं को जानें, फिर लक्ष्य प्राप्ति का प्रयास करें।

गद्यांश क्र. 3
प्रश्न.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पढकर दी गई ‘सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

कृति 1: (आकलन)
(1) उत्तर लिखिए:

उत्तर:

कृति 2: (स्वमत अभिव्यक्ति)

‘जीवन की सार्थकता के विषय में अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
ईश्वर ने हमें सर्वश्रेष्ठ योनि अर्थात मानव योनि में जन्म दिया है। हमारा कर्तव्य है कि हम मानव जाति के लिए कुछ अच्छा कार्य करें। हमें जितनी आयु मिली है, वह समय हम अच्छे कार्यों को करने में लगाएँ। कुछ ऐसा काम करें जिससे समाज और देश का हित हो।

कुछ लोग समय की कमी की बात करते हैं। लेकिन यदि कुछ करने की लगन हो तो समय आड़े नहीं आता। स्वामी विवेकानंद 40 वर्ष की आयु से भी पहले इस संसार से चले गए। ईसा मसीह का 30 वर्ष की आयु में ही प्राणांत हो गया। रामानुजम, रानी लक्ष्मीबाई, नेपोलियन, सिकंदर और अन्य अनेक अल्पायु में ही इस असार संसार को छोड़ गए, फिर भी मानव इतिहास में, ये महापुरुष अपनी छाप छोड़ गए।

सीमित समय में भी जितना अधिक-से-अधिक अच्छा हो सके, हमें देश व समाज के कल्याण के लिए कुछ सकारात्मक अवश्य करना चाहिए।

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गद्यांश क्र. 4
प्रश्न.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

कृति 1: (आकलन)
(1) आकृति पूर्ण कीजिए:

उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 35

(2) जोड़ियाँ मिलाइए:

 आ
(i) शौक  भविष्य
(ii) एकनिष्ठ  गुलाम
(ii) उज्ज्वल  रास्ते
(iv) दरजनों  सेवा

उत्तर:

 आ
(i) शौक  रास्ते
(ii) एकनिष्ठ  सेवा
(iii) उज्ज्वल  भविष्य
(iv) दरजनों  गुलाम

कृति 2: (स्वमत अभिव्यक्ति)

→ ‘जो हम शौक से करना चाहते हैं, उसके लिए रास्ते निकाल लेते हैं, इसका सोदाहरण अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
जिन कामों या चीजों का हमें शौक होता है, जिसमें हमारी रुचि होती है, उसके लिए हम समय, विधा सब निकाल लेते हैं। रुचि सफलता की वाहक है। हम सभी अपनी रुचि के कामों को करते समय उसमें डूब जाते हैं। उसी का परिणाम होता है सफलता। शिक्षा काल में जिस विषय में हमारी रुचि होती है, उसे पढ़ने में हम सारी रात भी जग लेते हैं, जबकि किसी ऐसे विषय की पुस्तक खोलते ही आँखें नींद से भर आती हैं, जो हमें पसंद न हो।

व्यायाम, तैराकी, बागवानी, चित्रकला, गायन, वादन आदि ऐसे अनेक कार्य हैं, जिनका यदि शौक हो तो मनुष्य घंटों बिताने पर भी उनसे ऊब अनुभव नहीं करता। किसी भी काम में सफलता प्राप्त करने के लिए उसमें रुचि होना परम आवश्यक है। बिना रुचि के आगे बढ़ने की संभावना बहुत कम होती है। जिस काम में हमारी रुचि होती है, उसे करने के लिए हम अपनी सारी ऊर्जा लगा देते हैं। न दिन देखते हैं, न ही रात। थकान शब्द तो मानो हमारे शब्दकोश में कभी था ही नहीं।

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→ ‘कंप्यूटर ज्ञान का महासागर’ विषय पर तर्कपूर्ण चर्चा कीजिए।
उत्तर:
कंप्यूटर इस पृथ्वी पर कल्पवृक्ष के समान है। जीवन का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहाँ इसका महत्व न हो। सूचना के क्षेत्र में कंप्यूटर के कारण अद्भुत क्रांति आ गई है। इंटरनेट इसकी अनुपम देन है। दुनियाभर की जानकारी हम मिनटों में प्राप्त कर सकते हैं। यह एक सेकंड में दस हजार करोड़ गणितीय गणना कर सकता है।

चाहे मौसम का पूर्वानुमान हो या प्राकृतिक गैस और खनिज भंडारों का पता लगाना हो, रेलगाड़ियों और हवाईजहाजों का आरक्षण कराना हो या संसारभर की जानकारी प्राप्त करनी हो, कंप्यूटर के द्वारा घर बैठे हम मिनटों में कर सकते हैं। यह समय-समय पर भौगोलिक सूचनाओं से संबंधित जानकारी भी देता है। मुद्रण व प्रसारण के क्षेत्र में इसका योगदान असीमित है।

कंप्यूटर एक चालक की भाँति वायुयान का संचालन करता है। चालक के बटन दबाते ही कंप्यूटर स्वयं गति और दिशा का निर्धारण कर लेता है। शिक्षा के क्षेत्र में तो आज कंप्यूटर एक अनिवार्यता बन गया है।

→ महानगरीय/ग्रामीण दिनचर्या के लाभ तथा हानि के बारे में अपने अनुभव के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
गाँवों में आज भी खुला आसमान है। वहाँ का वातावरण शुद्ध, प्रकृति की गोद में है, जबकि महानगरों में आसमान दिखाई नहीं पड़ता। बड़े पैमाने पर वाहनों से होने वाला प्रदूषण, लगातार होने वाला शोर, भीड़ और धुआँ असहज महसूस कराता है। भीड़भाड़, ट्रैफिक जाम, और अपराध महानगरों में रोज की बात है। गाँवों में एक प्रकार का ठहराव है। शाम ढलते ही चारों ओर एक प्रकार का सन्नाटा पसर जाता है।

जबकि, महानगरों में जीवन हर समय गतिमान रहता है। देर रात तक ऑफिस, दुकानें खुली रहती हैं। बस, ट्रेन, टैक्सियाँ, स्कूटर्स सड़कों पर दौड़ते रहते हैं। गाँवों में धूप, हरियाली और शांति का आनंद प्राप्त कर सकते हैं। लोग आज भी गर्मजोशी से मिलते हैं। एक-दूसरे के दुख-तकलीफ में काम आते हैं। महानगरों में बहुत-से लोग पड़ोसी तक को नहीं पहचानते। दोस्तों, रिश्तेदारों के लिए समय नहीं निकाल पाते।

यहाँ लोगों के पास पैसा है, सुविधाएँ हैं, पर शांति कोसों दूर है। ग्रामीण लोगों का जीवन महानगरों की भागदौड़ से दूर एवं प्रकृति के करीब होता है। दूसरी ओर महानगरों में लोग हमेशा समय को पकड़ने के लिए दौड़ते रहते हैं। अति व्यस्तता के कारण तनाव, फिर स्वास्थ्य। संबंधी विभिन्न परेशानियाँ उन्हें घेर लेती हैं।

अपवठि ग‍दयांश

नम्वलखिि पररचछे‍ पढ़कर सूचना के अनुसार कृवियाँ कीविए:

हर फकसी को आतमरक् करनी होगी, हर फकसी को अपना कत्यय करना होगा। मै फकसी की सहायता की प्राशा नही करता। मै फकसी का भी प्राह नही करता। इस दुफनया से मदद की प्र्या करने का मुझे कोई अफधकार नही है। अतीत मे फिन लोगो ने मेरी मदद की है या भफ‍व् मे भी लोग मेरी मदद करें, मेरे प्र उन सबकी करुण मौिूद है, इसका दा‍व कभी नही फकया सकता। इसीफलए मै सभी लोगो के प्र फचर कक तज ञँ।

तुमहारी पररफस्फत इतनी बुरी देखकर मै बेहद फचंफतत हँ। लेफकन यह लो फक-‘तुमसे भी जयादा दुखी लोग इस संसार मे है। मै तुमसे भी जयादा बुरी पररफस्फत मे हँ। इंग् मे सब कुछ के फलए मुझे अपनी ही िेब से खच् करना पड़ता है। आमदनी कुछ भी नही है। लंदन मे एक कमरे का फकराया हर सप्ह के फलए तीन पाउंड होता है। ऊपर से अनय कई खच् है। अपनी तकलीिो के फलए मै फकससे फशकायत करू? यह मेरा अपना कम्यल है, मुझे ही भुगतना होगा।’

(फ‍ववकानंद की आतमकथा से)

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(1) कृवि पूण् कीविए:
1.Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 11

2. Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 12

(2) उतिर वलखिए:
1. पररचछेद मे उखलिखत देश – [ ]
2. हर फकसी को करना होगा – [ ]
3. लेखक की तकलीिे – [ ]
4. हर फकसी को करनी होगी – [ ]

(3) वन‍देानुसार हल कीविए:
(अ) वनम्वलखिि अर् से मेलनेला शब् उपयु्थ् पररचछे‍ से ढूँढ़कर वलखिए ः
1. स्वं की रक् करना – …………………………….
2. दूसरो के उपकारो को मानने ‍वला – …………………………….

(4) लंग पहचानकर वलखिए:
1. जेब [ ]
2. साहित्य [ ]
3. दावा [ ]
4. सेवा [ ]

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खुला आकाश Summary in Hindi

विषय-प्रवेश : प्रस्तुत पाठ डायरी विधा का एक उदाहरण है। कुँवर नारायण जी ने इस पाठ के माध्यम से नगरों की भीड़, वहाँ की जीवन-शैली, जीवन के संघर्ष, आत्मचिंतन आदि पर प्रकाश डाला है। लेखक मानते हैं कि व्यक्ति के विकास में आत्मचिंतन का बड़ा महत्त्व है। इसके द्वारा हम अपनी क्षमताओं के बारे में और अधिक जान सकेंगे। साथ ही अपनी गलतियों से सीख ले सकेंगे।