Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 12 लोकगीत Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.
Maharashtra State Board 12th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 लोकगीत
12th Hindi Guide Chapter 12 लोकगीत Textbook Questions and Answers
कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर
आकलन
प्रश्न 1.
(अ) उत्तर लिखिए :
(१) मन को प्रसन्न करने वाले – ………………………………
(२) धरती को नहलाने वाले – ………………………………
उत्तर :
(1) बादल।
(2) मेघा।
(आ) परिवर्तन लिखिए :
उत्तर :
बाग-बगीचे हरे-भरे हो गए हैं।
खेत और वन सब हरे-भरे हो गए हैं।
शब्द संपदा
प्रश्न 2.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए :
अ – आ
(१) तालाब – (१) सरिता
(२) नदी – (२) सर
(३) बयार – (३) भ्रमर
(४) हवा – (४) भौंरा
उत्तर :
(1) तालाब – सर
(2) नदी – सरिता
(3) बयार – हवा
(4) भौंरा – भ्रमर।
अभिव्यक्ति
प्रश्न 3.
(अ) ‘सावन बड़ा मनभावन’, इस विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
सावन मास का नाम आते ही मन में ढेर सारी उमंगें हिलोरें मारने लगती हैं। सावन के महीने का भारतीय संस्कृति में विशेष महत्त्व है। कजरारी काली घटाएँ, उमड़ते-घुमड़ते, मदमाते बादल, रिमझिम फुहारें, भीना-भीना मौसम – सावन शब्द अपने आप में मनभावन है। अषाढ़ की तपती-झुलसाती गरमी के बाद सावन की ठंडी फुहारें तन व मन को प्रफुल्लता प्रदान करने के साथ वातावरण को भी सुरम्यता प्रदान करती हैं।
मुरझाई, कुम्हलाई धरा सावन की ठंडी फुहारों में भीग हरियाली की सुंदर चूनर ओढ़ स्वयं को बड़े मनमोहक अंदाज में सजा लेती है। सावन प्रकृति को तो सराबोर करता ही है, साथ ही मानव मन में भी उल्लास और उमंग भर देता है। प्रकृति खिलखिलाती है, तो मनमयूर झूम उठता है।
(आ) ‘बसंत के आगमन पर प्रकृति खिल उठती है’, इस तथ्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
भारत में बसंत ऋतु को सबसे सुंदर और आकर्षक मौसम माना जाता है। बसंत के आगमन पर प्रकृति खिल उठती है। पेड़ों की शाखाओं पर नए, हरे-गुलाबी पत्ते आ जाते हैं। चहुँ दिशाओं में रंग-बिरंगे सुगंधित पुष्प दृष्टिगोचर होते हैं। उन पर मँडराती सुंदर तितलियाँ सबका मन मोह लेती हैं।
हर तरफ हरियाली का साम्राज्य दिखाई पड़ता है। संरदियों की लंबी खामोशी के बाद पक्षी मधुर आवाज में पेड़ों की शाखाओं पर नाचना और गाना शुरू कर देते हैं। मानो वसंत का स्वागत कर रहे हों। इस मौसम में न अधिक सरदी होती है और न ही अधिक गरमी। आकाश बिलकुल साफ दिखाई देता है। खेतों में फसलें पकने लगती हैं। सभी के हृदय आनंद से परिपूर्ण होते हैं।
रिसास्वादन
प्रश्न 4.
‘बसंत और सावन ऋतु जीवन के सौंदर्य का अनुभव कराते हैं। इस कथन के आधार पर कविता का रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
बसंत ऋतु आते ही हर तरफ फूल महकने लगते हैं। सरसों फूल जाती है और पूरी धरती हरियाली की चादर ओढ़कर खिल उठती है। कली-कली फूल बनकर मुस्कुराने लगती है। जिसके कारण तन-मन भी प्रसन्न हो जाते हैं। इस ऋतु के आने से खेत, वन, बाग-बगीचे सब हरे-भरे हो जाते हैं, इंद्रधनुष के विभिन्न रंगों के समान भाँति-भाँति के रंग-बिरंगे फूल खिल उठते हैं। भौंरों के दल प्रसन्न होकर फूलों पर मँडराने लगते हैं।
काजल लगी कजरारी आँखों में सपने मुस्कुराने लगते हैं और कंठ से मीठे गीत फूटने लगते हैं। बाग-बगीचों में बहार आने के साथ ही यौवन भी अँगड़ाइयाँ लेने लगता है। मधुर-मस्त बयार चलने के कारण सबके तन-मन प्रसन्न हो जाते हैं। इसी प्रकार मनभावन सावन आने पर बादल घिर-घिरकर गरजने लगते हैं, बिजली चमकने लगती है और पुरवाई चलने लगती है। मेघ रिमझिम-रिमझिम करके बरसते रहते हैं।
मानो प्यार बरसाकर हृदय का तार-तार रँग रहे हों। हर व्यक्ति का मन गुलाब की तरह खिल जाता है। दादुर, मोर और पपीहे बोलकर सबके हृदय को प्रफुल्लित करते रहते हैं। अँधियारी रात में जुगनू जगमग-जगमग करते हुए इधर से उधर डोलकर सबका मन लुभाते हैं। लताएँ और बेलें सब फूल जाती हैं। डाल-डाल महक उठती है। सरोवर और सरिताएँ जल से भरकर उमड़ पड़ती हैं। सभी मनुष्यों के हृदय आनंदित हो उठते हैं।
साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान
प्रश्न 5.
(अ) लोकगीतों की दो विशेषताएँ :
………………………………………………………
………………………………………………………
उत्तर :
(1) लोकगीतों में गेयता तत्त्व प्रमुख होता है।
(2) लोकगीत मुख्यतः जनसाधारण के त्योहारों से संबंधित होते हैं।
(आ) लोकगीतों के दो प्रकार :
………………………………………………………
………………………………………………………
उत्तर :
(1) कजरी
(2) सोहर
प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए कोष्ठक में दिए गए शब्दों में से सही शब्द चुनकर शब्दसमूह के सामने लिखिए।
(शब्द – पुरस्कार, मितव्ययी, शिष्टाचार, अखाद्य, अमूल्य, प्रणाम, अहंकार, हर्ष, गगनचुंबी, शोक, प्रवचन, अवैध, क्षमाप्रार्थी, मनोहर, अदृश्य)
- मन का गर्व –
- आंतरिक प्रसन्नता –
- जिस वस्तु का मूल्य आँका न जा सके –
- धार्मिक विषयों पर दिया जाने वाला व्याख्यान –
- किसी अच्छे कार्य से प्रसन्न होकर दी जाने वाली धनराशि –
- प्रिय व्यक्ति की मृत्यु पर प्रकट किया जाने वाला दुख –
- बड़ों के प्रति किया जाने वाला अभिवादन –
- कम व्यय करने वाला –
- आकाश को चूमने वाला –
- जो विधि या कानून के विरुद्ध हो –
- क्षमा के लिए प्रार्थना करने वाला –
- सभ्य पुरुषों का आचरण –
- मन को हरने वाला –
- जो दिखाई न दे –
- जो खाने योग्य न हो –
उत्तर :
- मन का गर्व – अहंकार
- आंतरिक प्रसन्नता – हर्ष
- जिस वस्तु का मूल्य आँका न जा सके – अमूल्य
- धार्मिक विषयों पर दिया जाने वाला व्याख्यान – प्रवचन
- किसी अच्छे कार्य से प्रसन्न होकर दी जाने वाली धनराशि – पुरस्कार
- प्रिय व्यक्ति की मृत्यु पर प्रकट किया जाने वाला दुख – शोक
- बड़ों के प्रति किया जाने वाला अभिवादन – प्रणाम
- कम व्यय करने वाला – मितव्ययी
- आकाश को चूमने वाला – गगनचुंबी
- जो विधि या कानून के विरुद्ध हो – अवैध
- क्षमा के लिए प्रार्थना करने वाला – क्षमाप्रार्थी
- सभ्य पुरुषों का आचरण – शिष्टाचार
- मन को हरने वाला – मनोहर
- जो दिखाई न दे – अदृश्य।
- जो खाने योग्य न हो – अखाद्य।
Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 12 लोकगीत Additional Important Questions and Answers
कृतिपत्रिका के प्रश्न 2 (अ) तथा प्रश्न 2 (आ) के लिए
पद्यांश क्र. 1
प्रश्न. निम्नलिखित पद्यांशपढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
कृति 1 : (आकलन)
प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
उत्तर :
प्रश्न 2.
कविता की पंक्तियों को उचित क्रमानुसार लिखकर प्रवाह तख्ता पूर्ण कीजिए :
(1) जइसे इंद्रधनुष के फूल रे, सुनु रे सखिया।
(2) बगिया फूलल यौबन फूल रे, सुनु रे सखिया।
(3) आइल बसंत के फूल रे, सुनु रे सखिया।
(4) कली-कली मुसुकाइल बन के फूल रे, सुनु रे सखिया।
उत्तर :
(1) आइल बसंत के फूल रे, सुनु रे सखिया।
(2) कली-कली मुसुकाइल बन के फूल रे, सुनु रे सखिया।
(3) जइसे इंद्रधनुष के फूल रे, सुनु रे सखिया।
(4) बगिया फूलल यौबन फूल रे, सुनु रे सखिया।
कृति 2 : (शब्द संपदा)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द पद्यांश में से ढूँढ़कर लिखिए :
(1) नेत्र = ……………………………………….
(2) धरा = ……………………………………….
(3) कुसुम = ……………………………………….
(4) ऋतुराज = ……………………………………….
उत्तर :
(1) नेत्र = आँख
(3) कुसुम = फूल
(2) धरा = धरती
(4) ऋतुराज = बसंत
पदयाश क्र. 2
प्रश्न. निम्नलिखित पद्यांश पढ़करदी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
कृति 1 : (आकलन)
प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए :
(1) ऐसी बयार बह रही है ……………………………………….
(2) गौरैया के माथे पर ऐसा फूल सजा है ……………………………………….
(3) हरेक का मन इसकी तरह खिल रहा है ……………………………………….
(4) फूलों के आस-पास ये मँडराने लगे ……………………………………….
उत्तर :
(1) मस्त।
(2) काला।
(3) गुलाब की तरह
(4) भौरे।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के लिए परिच्छेद में प्रयुक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए :
(1) आँचल – ……………………………………….
(2) बरसना – ……………………………………….
(3) काला – ……………………………………….
(4) हृदय – ……………………………………….
उत्तर :
(1) आँचल – अँचरा
(2) बरसना – झरना
(3) काला – करिया
(4) हृदय – मनवा।
कृति 2 : (शब्द संपदा)
प्रश्न 1.
पद्यांश में प्रयुक्त शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए :
(1) ………………………………..
(2) ………………………………..
(3) ………………………………..
उत्तर :
(1) झर-झर
(2) कली-कली
(3) तार-तार।
प्रश्न 2.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए :
अ – आ
(1) फूल – सहेली
(2) सखिया – प्रसून
उत्तर :
(1) फूल – प्रसून
(2) सखिया – सहेली
कृति 3 : (अभिव्यक्ति)
प्रश्न 1.
‘बसंत में ऐसा क्या है, जो बाकी ऋतुओं से भिन्न है’ 40 से 50 शब्दों मेंस्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
बसंत का आगमन होते ही वे पेड़, जो पतझड़ के कारण अनमने और उदासीन-से खड़े रहते हैं, नव पल्लवों से ढक जाते हैं, पुष्पित हो जाते हैं। प्रकृति झंकृत हो उठती है। कोयल मधुर-गान करने लगती है। ऐसा अन्य ऋतुओं में नहीं होता। सरदी में बहुत ठिठुरन होती है, तो गरमी में भयंकर ताप संतप्त करता है। वर्षा ऋतु में चारों ओर कीचड़, पानी और गंदगी दिखाई पड़ती है। पतझड़ में वृक्ष शोभाहीन हो जाते हैं। बसंत ऋतु अपने मनमोहक रंगों, गंध और मादकता के कारण अन्य ऋतुओं से भिन्न है। इस ऋतु के आने पर मनुष्य ही नहीं, बल्कि पूरी प्रकृति ही मस्ती में झूम उठती है।
पद्यांश क्र. 3
प्रश्न. निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
कृति 1 : (आकलन)
प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
उत्तर :
प्रश्न 2.
काव्य पंक्तियाँ पूर्ण कीजिए :
(1) बदरा गरजै बिजुरी चमकै, …………………………………
(2) दादुर, मोर, पपीहा बोले, …………………………………
(3) संकर कहैं बेगि चलो सजनी, …………………………………
(4) लता, बेल सब फूलन लागी, …………………………………
उत्तर :
(1) बदरा गरजै बिजुरी चमकै, पवन चलति पुरवैया ना!
(2) दादुर, मोर, पपीहा बोलै, जियरा मोर हुलसावै ना!
(3) संकर कहैं बेगि चलो सजनी, बँसिया स्याम बजावै ना!
(4) लता, बेल सब फूलन लागी, महकी डरिया-डरिया ना!
कृति 2 : (शब्द संपदा)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का वचन बदलकर लिखिए :
(1) लता – …………………………………
(2) बेलें – …………………………………
(3) पपीहा – …………………………………
(4) बंसी – …………………………………
उत्तर :
(1) लता – लताएँ
(2) बेलें – बेल
(3) पपीहा – पपीहे
(4) बंसी – बंसियाँ।
प्रश्न 2.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए :
अ – आ
(1) बदरा – मुरली
(2) बंसी – बादल
उत्तर :
(1) बदरा – बादल
(2) बंसी – मुरली।
1. अलंकार :
प्रश्न 1.
म्नलिखित काव्य पंक्तियों में निहित अलंकार पहचानकर
उसका नाम लिखिए :
(1) देख लो साकेत नगरी है यही,
स्वर्ग से मिलने गगन में जा रही।
(2) मखमल के झूल पड़े हाथी-सा टीला
(3) गोपी पद-पंकज पावन की, रज जामैं सर भीजैं।
उत्तर :
(1) अतिशयोक्ति अलंकार
(2) उपमा अलंकार
(3) रूपक अलंकार।
2. रस :
प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में निहित रस पहचानकर
उसका नाम लिखिए :
(1) मोको कहाँ ढूँढ़े बंदे, मैं तो तेरे पास में।
खोजी होय तो तुरतहिं मिलिहैं, पल भर की तालास में।
(2) जो तुम आ जाते एक बार, कितनी करुणा, कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग, गाता प्राणों का तार-तार।
(3) रे नृपबालक कालबस बोलत तोहि न सँभार।
धनुही सम त्रिपुरारि धनु बिदित सकल संसार।।
उत्तर :
(1) शांत रस
(2) शृंगार रस
(3) रौद्र रस।
3. मुहावरे :
प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
(1) घाट-घाट का पानी पीना
अर्थ : हर प्रकार के अनुभव से परिपूर्ण होना।
वाक्य : बिना पैसे दिए उस अधिकारी से काम करवाना असंभव है, उसने घाट-घाट का पानी पीया है।
(2) आँखें चार होना
अर्थ : प्रेम होना।
वाक्य : आजकल के कुछ विद्यार्थियों की कॉलेज के दिनों है में आँखें चार हो जाती हैं।
(3) एक और एक ग्यारह
अर्थ : एकता में शक्ति होना।
वाक्य : जमींदार के अन्याय के खिलाफ उस युवक ने गाँव वालों को इकट्ठा कर कहा, ‘हम इस अन्याय का बदला लेकर जमींदार को बता देंगे कि एक और एक ग्यारह कैसे होते हैं।’
(4) कटे पर नमक छिड़कना
अर्थ : दुखी व्यक्ति को और दुखी करना।।
वाक्य : परेशान व्यक्ति को अपमानजनक शब्द कहना यह कटे पर नमक छिडकना है।
(5) शक्ल पर बारह बजना
अर्थ : बड़ा उदास होना।
वाक्य : बारहवीं कक्षा का अंतिम दिन था। मित्रों से बिछड़ने के ख्याल से हम सभी की शक्ल पर बारह बजे थे।
(6) पेट में दाढ़ी होना
अर्थ : अत्यंत चतुर होना।
वाक्य : अरुण शक्ल से भोला लगता है, पर उसके पेट में दाढ़ी है।
4. काल परिवर्तन :
प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों को कोष्ठक में सूचित काल में परिवर्तन कीजिए :
(1) स्नेहा के हाथ से धागा छूटता है और पतंग उड़ जाती है। (सामान्य भूतकाल)
(2) हमारी साँस हमें पराए धन-सी लगती है। (सामान्य भविष्यकाल)
(3) वह आसमान पर रोज एक ख्वाब लिखता है। (पूर्ण भूतकाल)
(4) कोई ध्यान नहीं देता है। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
(5) कैसा सवाल पूछते हैं आप भी? (पूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
(1) स्नेहा के हाथ से धागा छूट गया और पतंग उड़ गई।
(2) हमारी साँस हमें पराए धन-सी लगेगी।
(3) उसने आसमान पर रोज एक ख्वाब लिखा था।
(4) कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
(5) कैसा सवाल पूछा है आपने भी?
5. वाक्य शुद्धिकरण :
प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके लिखिए :
(1) थोड़ी देर तीनों अपनी जोंपड़ी से बाहर थे।
(2) आज उशे नींद नहीं आ रई थी।
(3) इतने में पुलीस भी वहाँ पहुँच चूकी थी।
(4) लारी ऐक तेज आवाज के साथ आगे बड़ गई।
(5) जिंदगी की हलनचल का पत्ता आवाजों से लग रहा है।
उत्तर :
(1) थोड़ी देर बाद तीनों अपनी झोंपड़ी से बाहर थे।
(2) आज उसे नींद नहीं आ रही थी।
(3) इतने में पुलिस भी वहाँ पहुँच चुकी थी।
(4) लारी एक तेज आवाज के साथ आगे बढ़ गई।
(5) जिंदगी की हलचल का पता आवाजों से लग रहा है।
लोकगीत Summary in Hindi
लोकगीत विधा परिचय :
काव्य का एक प्रकार लोकगीत भी है। लोकगीतों की रचना पद, दोहा, चौपाई जैसे छंदों में की जाती है। लोकगीत में त्योहारों की बड़ी सरस अभिव्यक्ति पाई जाती है। इनमें गेयता तत्त्व प्रमुख होता है। कजरी, सोहर, चैती, बन्ना-बन्नी लोकगीतों के विभिन्न प्रकार हैं। लोकगीतों की भाषा में ग्रामीण जनजीवन का स्पर्श रहता है। ये परंपरा द्वारा अगली पीढ़ी तक पहुँच जाते हैं।
लोकगीत विधा विधा परिचय :
काव्य का एक प्रकार लोकगीत भी है। लोकगीतों की रचना पद, दोहा, चौपाई जैसे छंदों में की जाती है। लोकगीत में त्योहारों की बड़ी सरस अभिव्यक्ति पाई जाती है। इनमें गेयता तत्त्व प्रमुख होता है। कजरी, सोहर, चैती, बन्ना-बन्नी लोकगीतों के विभिन्न प्रकार हैं। लोकगीतों की भाषा में ग्रामीण जनजीवन का स्पर्श रहता है। ये परंपरा द्वारा अगली पीढ़ी तक पहुँच जाते हैं।
लोकगीत विधा विषय प्रवेश :
प्रस्तुत काव्य में बसंत ऋतु व सावन के आगमन पर होने वाले परिवर्तनों का सजीव चित्रण किया गया है। बसंत के आने से सरसों का फूलना, अलसी का अलसाना फूलों का महकना, खेत, बाग-बगीचों का हरा-भरा हो जाना, मधुर-मस्त बयार का चलना, तन और मन का प्रसन्न होना, यौवन का अंगड़ाइयाँ लेना, कजरारी आँखों के सपने और अंत में प्रिय के वियोग में आँखों से आँसुओं की झड़ी लगना आदि जनमानस की भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति है।
सावन के महीने में बादलों का घिर-घिरकर आना, बिजली का चमकना, पुरवाई का चलना, दादुर, मोर, पपीहे का बोलना, अँधियारी रात में जुगनू का जगमग-जगमग करते हुए इधर से उधर डोलना, लताओं और बेलों का फूलना, डाल-डाल का महक उठना, सरोवर और नदियों का जल से भर जाना सभी मनुष्यों के हृदय आनंदित कर जाता है।
लोकगीत विधा कविता का सरल अर्थ
सुनु रे सखिया
(1) आइल बसंत के फूल ……………………………………………….. आइल।
नायिका अपनी सखी से कह रही है कि सुन सखी, बसंत ऋतु आ गई है। हर तरफ फूल महकने लगे हैं। बसंत के आने से सरसों फूल गई है, अलसी अलसाने लगी है और पूरी धरती मानो हरियाली की चादर ओढ़कर खिल उठी है। कली-कली फूल बनकर मुस्कुराने लगी है। सुन सखी, बसंत ऋतु आ गई है। इस ऋतु के आने से खेत और वन सब हरे-भरे हो गए हैं, जिसके कारण तन-मन भी प्रसन्न हो गए हैं।
इंद्रधनुष के विभिन्न रंगों के समान भाँति-भाँति के रंग-बिरंगे फूल खिल उठे हैं। सुन सखी, बसंत ऋतु आ गई है। काजल लगी कजरारी आँखों में सपने मुस्कुराने लगे हैं और कंठ से मीठे गीत फूटने लगे हैं। बाग-बगीचों में बहार आने के साथ ही यौवन भी अंगड़ाइयाँ लेने लगा है। सुन सखी, बसंत ऋतु आ गई है।
(2) बहे मस्त बयार ……………………………………………….. आइल।
मधुर-मस्त बयार चल रही है। मानो प्यार बरसाकर हृदय का तार-तार रँगने लगी है। हर व्यक्ति का मन गुलाब की तरह खिल रहा है। सुन सखी, बसंत ऋतु आ गई है। बाग-बगीचे हरे-भरे हो गए हैं। कलियाँ खिलने लगी हैं। भौंरों के दल प्रसन्न होकर फूलों पर मँडराने लगे हैं। गौरैया भी माथे पर काला फूल सजाकर इतराने लगी है। सुन सखी, बसंत ऋतु आ गई है।
सखी, ऐसी मनभावन ऋतु में मेरे पिया मेरे पास नहीं है। प्रिय के वियोग में आँखों में लगा काजल भी चुभ रहा है। अच्छा नहीं लग रहा है। सेज मानो काँटों से भर गई है। आँसुओं की झड़ी लगी है। ये सभी मनमोहक दृश्य बबूल के काँटों की प्रतीति करा रहे हैं। पर सखी, बसंत ऋतु फिर भी आ गई है फूलों की महक लेकर।
(3) सावन आइ गये ……………………………………………….. सावन।
मनभावन सावन आ गया है। बादल घिर-घिरकर आने लगे हैं। बादल गरज रहे हैं, बिजली चमक रही है और पुरवाई चल रही है। सावन आ गया है। मेघ रिमझिम-रिमझिम करके बरस रहे हैं और धरती को नहला रहे हैं। सावन आ गया है। दादुर, मोर और पपीहे बोल रहे हैं और मेरे हृदय को प्रफुल्लित कर रहे हैं। सावन आ गया है। अँधियारी रात में जुगनू जगमग-जगमग करते हुए इधर से उधर डोल रहे हैं और सबका मन लुभा रहे हैं।
सावन आ गया है। लता और बेल सब फूलने लगी हैं। डाल-डाल महक उठी है। सावन आ गया है। सभी सरोवर और सरिताएँ जल से भरकर उमड़ पड़ी हैं। सभी मनुष्यों के हृदय आनंदित हो रहे हैं। कवि शंकर कह रहा है हे प्रिय शीघ्र चलो, श्याम बाँसुरी बजा रहे हैं। सावन आ गया है।
लोकगीत विधा शब्दार्थ (सुनु रे सखिया)
- आइल = आया
- हरसाइल = हर्षित होना
- भइल = हुआ
- चिटकाइल = चटककर खिल उठी
- सेजरा = सेज
- सरसाइल = सरस हुआ अर्थात फूलों से लद गई
- गइल = गया
- कजराइल = काजल लगाया
- करिया = काला
- अँचरा = आँचल
लोकगीत विधा (कजरी)
- पुरवैया = पूरब की ओर से बहने वाली हवा
- दादुर = मेंढक
- सर = तालाब
- मेहा = मेघ, बादल
- हुलसावै = आनंदित होना
- सरसै = आनंद से भर जाना